Sarkari Naukri Damad India. Latest Upadted Indian Govt Jobs - http://sarkari-damad.blogspot.com
Kendriya Vidyalaya Sangathan (KVS)
18 - Institutional Area, Shahid Jeet Singh Marg, New Delhi – 110016
Applications in the prescribed format are invited for following Teaching and miscellaneous Teaching Posts for the years 2012-13 and 2013-14 :
- Post Graduate Teacher (PGT) (Group-B) : 793 posts in various subjects, Pay Scale : PB-3 Rs. 9300-34800 Grade Pay Rs.4800, Age : 40 years (CTET . TET is not require)
- Trained Graduate Teacher (TGT) : 124 posts in various subjects, Pay Scale : PB-3 Rs. 9300-34800 Grade Pay Rs. 4600, Age : 35 years (Only CTET Qualifide candidate van apply)
- Librarian : 112 posts, Pay Scale : PB-3 Rs. 9300-34800 Grade Pay Rs. 4600, Age : 35 years
- Primary Teacher (PRT): 1979 posts in various subjects, Pay Scale : PB-3 Rs. 9300-34800 Grade Pay Rs.4200, Age : 30 years
- Primary Teacher (PRT) Music : 100 posts in various subjects, Pay Scale : PB-3 Rs. 9300-34800 Grade Pay Rs.4200, Age : 30 years
- Primary Teacher : 1979 posts in various subjects, Pay Scale : PB-3 Rs. 9300-34800 Grade Pay Rs.4200, Age : 30 years (Only CTET Qualifide candidate can apply)
How to Apply : Apply online at KVC website http://jobapply.in/kvs from 29/07/2013 to 28/08/2013. Take print out of auto generated filled in application format and affix their photograph at the appropriate places and put their signature on all pages of the application form. The print out of comple ted application, along with prescribed KVS bank challan where applicable and self-attested copies of testimonials, is to be sent in an envelope after affixing the address label generated alongwith the application print out superscripted "Application for the post of ............................" to " Post Box No. 3076, Lodi Road, New Delhi-110003" by ordinary post only. The application complete in all respects should reach the above post box on or before 12/09/2013. The Online application will be entertained only if the application printout along with the relevant documents is received.
Please viewhttp://kvsangathan.nic.in/EmploymentDocuments/emp-19-07-13e.pdf for all the information like details of vacancies, instructions, exam schedule and Syllabus etc. and challan slip and a link to the online submission of application.
Published at http://sarkari-damad.blogspot.com (Click on the Labels below for more similar Jobs)
रूपया चाहे कितना भी गिर जाए ,
ReplyDeleteइतना कभी नहीं गिर पायेगा.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
जितना रुपये के लिए इंसान गिर चुका है
कौन है पुरुष (who is a male)
ReplyDelete~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
¤ भगवान की ऐसी रचना जो बचपन से ही त्याग और समझौता करना सीखता है ।
¤ वह अपने चॉकलेटस का त्याग करता है बहन के लिये ।
¤ वह अपने सपनो का त्याग कर माता-पिता की खुशी के लिये उनके अनुसार कैरियर चुनता है।
¤ वह अपनी पुरी पॉकेट मनी गर्ल फ़्रेंड के लिये गिफ़्ट खरीदने में लगाता है ।
¤ वह अपनी पुरी जवानी बीवी-बच्चों के लिये कमाने में लगाता है ।
¤ वह अपना भविष्य बनाने के लिये लोन लेता है और बाकी की ज़िंदगी उस लोन को चुकाने में लगाता है ।
¤ इन सबके बावजुद वह पुरी ज़िंदगी पत्नी, माँ और बॉस से डांट सुनने में लगाता है ।
¤ पुरी ज़िंदगी पत्नी, माँ, बॉस और सास उस पर कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं ।
¤ उसकी पुरी ज़िंदगी दुसरो के लिये ही बीतती है ।
और बेचारा पुरुष
~~~~~~~~~~
¤ बिवी पर हाथ उठाये तो "बेशर्म" ।
¤ बिवी से मार खाये तो "बुजदिल" ।
¤ बिवी को किसी और के साथ देख कर कुछ कहे तो "शक्की" ।
¤ चुप रहे तो "डरपोक" ।
¤ घर से बाहर रहे तो "आवारा" ।
¤ घर में रहे तो "नाकारा" ।
¤ बच्चों को डांटे तो "ज़ालिम" ।
¤ ना डांटे तो "लापरवाह" ।
¤ बिवी को नौकरी करने से रोके तो "शक्की" ।
¤ बिवी को नौकरी करने दे तो बिवी की "कमाई खाने वाला" ।
¤ माँ की माने तो "चम्मचा" ।
¤ बिवी की माने तो "जोरु का गुलाम" ।
पुरी ज़िंदगी समझौता, त्याग और संघर्ष में बिताने के बावजुद वह अपने लिये कुछ नहीं चाहता ।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
इसलिये पुरुष की हमेशा इज़्ज़त करें । एक पुरुष बेटा, भाई, बॉय फ़्रैंड, पति, दामाद, पिता हो सकता है, जिसका जीवन हमेशा मुश्किलों से भरा हुआ है ।
ReplyDeleteRakesh Mani Tripathi > Fight for TET MERIT "
टेट उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा "
Tet sathiyo
Namaskar
Ek vistrit vichar vinimay k baad hum is niskars pr
panhuche hai ki senior advocate shri " KESHARI
NATH TRIPATHI " g as a advocate humari advocate
team ka agali sunwayi me ek hissa honge.aaj se
kal tk unase baat cheet clear ho jayegi.
Shesh update unse baat- chit k uprant diya
jayega .
jo bhi sathi is mudde pr sakriy sharirik
sahyog dene ke ixuk ho unaka swagat hai.
sath hi yadi dhan sambandhi koi awasaykta padi to uchit
samay pr suchit kiya jayega.
Jay TET
ReplyDeleteMaine vichar likhna kuchh waqt se band kar diya
tha parantu aaj fir bolna chahta hun ki jab koi
mudda political ban jaye to political person ka
sahara lena chahiye..
U.P.ki sabse badi panchayat
ke purva mukhiya par vichar gadbad nahi hai.
I think achchhi pasand hai..
Baki hamare court
representative hamare paksh me sahi faisla
lenge.. August k first week k baad to vichar aur
jaruri hai..
Meri jahan jarurat hongi mai apke
sath hu..
Thanks...
ReplyDeleteRajesh Pratap Singh >>>
Jahan tak aj ki paristhitiyon me mudda kesri nath
tripathi ji ka hai jaisa ki rakesh mani ji kah rahe
hain
to is par hum bhi sahmat hain.
unke liye hamara pura sahyog aur samarthan hoga .
ReplyDeleteकेसरी नाथ त्रिपाठी के नाम पर पूरा टेट
उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा एकजुट।शायद इस एक नाम
पर हम सभी लोग अपनी व्यक्तिगत कड़वाहट
खत्म कर के एकजुट हो जाये।
ReplyDeletekeshri nath tripthi ko court me khada karne ka
fasla der se sahi lekin ek achha kadam h,
tet merit sathiyo ko yah faisla bahut pahle hi lena
chahiye tha lekin jo samay beet gya uske baare
me kya sochna. ab aage dekhna h ki kahi kisi tarh
ki galti ki sambhawna n rahe.
bahut kam samay
me bahut kuchh karna abhi baki h issliye jo bhi
kadam uthaya jay soch samajh kr aur jaldi uthaya
jay taki baad me kisi tarah ka pachtawa n rahe.
aaj tk jo bhi kadam tet merit sathiyo ne uthaya h
wah kabil-e-tareef h inke paryas me kisi tarah ka
koi shanka nahi h. jahan samooh rahta h wahan
rai bhi alag ho sakti h lekin iska matlab yah naahi
h ki inka lakshya bhi alag h.
court me hamare mamle ko dekhne wale sathiyo
ka bhi yahi paryaas h ki iss mamle ka ant jald se
jald ho taki aaram se apne jivan ko jiya jay .
lekin jaisa ki sabhi log jante h ki hamare desh me
nayay der se milta h to hom log kaise ummid kr
sakte h ki hamko jaldy nayay milega.
asal me ye
hamre sakaratamak soch h ki ab hamare mamle
ka nibtara iss date pr ho jayega aur jab nahi hota
h to ham nirash ho jate h aur gali dene lagte h.
ab aage kya karna h isske bare me soch samajh
kr kadam uthana jaruri h. kuchh log aandolan ki
baat kar rahe h to aandolan aisa hona chahiye ki
lage ki sare tet merit sapotr sadak pr utar aaye h
isske liye sabhi jilo me mitting bulakar sabki rai
leni chahiye sath hi naye loga ko bhi jodna
chahiye.
kuchh log apni vicharo ko best mante hai
aur ager unki baato ko n mana jay to wo bura
maan jate hai , apni marji ka karte h aise logo ko bhi sudhrna padega.
jab ki kuchh aise h jo apne aap
ko bahut chalak samjhte h aur meeting me to aate
h keval jankari lene k liye aur jab aandolan me
jane ki baat aati h to gayab ho jate hai.
ladkiyo ka bhi yahi haal h wo aandolan me jati nahi aur naukari sabse pahle chahiye.
kul milakar aandolan k liye sangthit hona padega aur isske liye thoda samay lagega aandolan jaldbaazi me galat kadam ho sakta h.
ReplyDeleteराष्ट्रपुत्र' शहीद भगत सिंह ने फांसी से एक दिन
पहले 22 मार्च 1931 को अपने साथियों के नाम
अंतिम पत्र लिखा था। यह पत्र लाहौर से
प्रकाशित
अंग्रेजी 'द ट्रिब्यून' में छपा था। इस पत्र में लिखे
एक-एक शब्द उनकी बहादुरी और देशप्रेम
को दर्शाता है। आइए पढ़ते हैं हूबहू
उनकी आखिरी चिट्ठी-
साथियों,
स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें
भी होनी चाहिए, मैं इसे छिपाना नहीं चाहता।
लेकिन मैं
एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूं कि मैं कैद होकर
या पाबंद होकर जीना नहीं चाहता।
मेरा नाम हिंदुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन
चुका है
और क्रांतिकारी दल के आदर्शो और कुर्बानियों ने
मुझे
बहुत ऊंचा उठा दिया है-इतना ऊंचा कि जीवित रहने
की स्थिति में इससे ऊंचा मैं हरगिज नहीं हो सकता।
आज मेरी कमजोरियां जनता के सामने नहीं हैं। अगर
मैं
फांसी से बच गया तो वो जाहिर हो जाएंगी और
क्रांति का प्रतीक चिह्न मद्धिम पड़
जाएगा या संभवत: मिट ही जाए। लेकिन
दिलेराना ढंग
से हंसते-हंसते मेरे फांसी चढ़ने की सूरत में हिंदुस्तान
की माताएं अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरजू
किया करेंगी और देश की आजादी के लिए
कुर्बानी देने
वालों की तादाद इतनी बढ़
जाएगी कि क्रांति को रोकना साम्राज्यवाद
या तमाम
शैतानी शक्तियों के बूते की बात नहीं रहेगी।
हां, एक विचार आज भी मेरे मन में आता है कि देश
और मानवता के लिए जो कुछ करने की हसरतेंमेरे
दिल
में थी, उनका हजारवां भाग भी पूरा नहीं कर
सका।
अगर स्वतंत्र जिंदा रह सकता तब इन्हें करने
का अवसर मिलता और मैं अपनी हसरतें पूरी कर
सकता।
इसके सिवाय मेरे मन में कभी कोई लालच फांसी से बचे
रहने का नहीं आया। मुझसे अधिक
सौभाग्यशाली कौन
होगा? आजकल मुझे खुद पर बहुत गर्व है। अब
तो बड़ी बेताबी से अंतिम परीक्षा का इंतजार है।
कामना है कि यह और नजदीक हो जाए।
आपका साथी,
भगत सिंह.
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete
ReplyDelete<<<© About me @>>>
My Name >>… MOHAMMAD SHAKEEL
Vill >>… HARCHANDPUR
DISTRICT >>… RAEBARELI
UTTAR PRADESH
UP TET (1-5) >> 122
UPTET ( 6-8 ) >> 114
CTET 2011 ALSO QUALIFIED
ACD GUDANK >> 60.94 ( OBC )
CONTACT NO. >> 96 48 20 73 47
81 82 80 33 09
[ YOU CAN CHECK MY PROFILE ]
ReplyDeleteShashwat Pathak > UPTET & Appointment as
Primary Teachers
साथियो हम सब कोर्ट मे अपनी सुनवाई न हो पाने के
कारण परेशान है । सुनवाई न हो पाने के लिए
परिस्थितियाँ जिम्मेदार है न कि हमारे
साथी या वकील। इसमे सरकार की भी कोई
भूमिका नही है । हरकौली जी की बेँच नियमित
होने के बाद वर्तमान समस्या स्वयं खत्म
हो जाएगी इसलिए परेशान न हों और अनुकूल समय
का इंतजार करे ।
शलभ भाई से बात हुई । केसरी नाथ
त्रिपाठी जी को यदि मोर्चा हायर करता है तो हम
सबका पूरा सहयोग एवं समर्थन होगा ।
त्रिपाठी जी अत्यंत सुलझे हुए और सीनियर वकील
है ।उनका मार्गदर्शन हमारे लिए उपयोगी अवश्य
होगा । लेकिन उनके आने मात्र सेसतत सुनवाई शुरू
होना संभव नही इसके लिए अनुकूल समय आने तक
इंतजार करना हीहोगा ।
इलाहाबाद या लखनऊ मे
आंदोलन कीबात हमारे लिए अनुकूल नही है इसलिए
इसकी कोई आवश्यकता अभी नही है । आंदोलन
की आवश्यकता हमारे पक्ष मे कोर्ट का आदेश आने के
बाद अगर पड़ी तो अवश्य किया जाएगा ।
अभी अधिकांश भर्तीसपोर्टर और कुछ गुणाँक
सपोर्टर आंदोलन की बात कर रहे है उन्हे करने
दीजिए क्योंकि उनका कोर्ट से कोई संबंध नही है ।
कोर्ट की पैरवी कर रहे अपने साथियों पर विश्वास
रखे और उनका मनोबल बढ़ाएँ । बिना वजह न खुद
परेशान हो और न साथियो को करे । सरकार को एक न
एक दिन कोर्ट के समक्ष समर्पण
करना हीहोगा और तभी हमारी समस्याओं का अंत
होगा ।
कोर्ट सरकार को मनमानी करने
कीअनुमति नही दे सकता लेकिन अपने अधीन
भर्ती करने के लिए बाध्य भी नही कर
सकता लेकिन फँसा सकता है यही सत्य है और
यही कोर्ट कर रहा है ।
जब तक सरकार टेट मैरिट
से भर्ती करने को तैयार नहीहोती कोर्ट उसे
अकेडमिक से भर्ती नही करने देगी और चुनाव से
पहले कोर्ट और सरकार मे लुका छिपी का यह खेल
खत्म हो जाना चाहिए ।
ReplyDeleteनिरीक्षण में खुली सरकारी स्कूलों की हकीकत
•अमर उजाला ब्यूरो
चंदौसी/संभल। तमाम सुधार योजनाओं के बाद भी बेसिक
शिक्षा में कितना सुधार हुआ उसकी हकीकत
निरीक्षण में सामने आ रही है। जिले में 100 टीमें
रोजाना बेसिक विद्यालयों का निरीक्षण कर
रही है। निरीक्षण के दौरान बेसिक शिक्षा के
सुधार और गुणवत्ता की सारे दावे झूठे साबित हो रहे
हैं। सख्ती के बाद भी विद्यालयों में न तो छात्र
उपस्थिति सुधर रही है और न ही मिड डे मील
की व्यवस्था में सुधार हुआ है।
सरकारी स्कूलों की हकीकत से जनता,
अधिकारी और प्रशासन सभी वाकिफ हैं लेकिन
अब इसमें सुधार की एक बड़ी पहल की गई है।
अभियान के दूसरे दिन बुधवार को 511 से अधिक
स्कूलों का निरीक्षण किया गया। कई जगह
शिक्षक और शिक्षा मित्र गैरहाजिर मिले।
निरीक्षण के महाअभियान में 66 एनपीआरसी, 28
एबीआरसी और आठ खंड शिक्षा अधिकारी लगाए
गए। सभी ने पांच-पांच स्कूल देखे। बीएसए ने
बताया कि कमियों के बारे में निरीक्षण आख्याएं
प्राप्त हो रही हैं। कार्रवाई का सिलसिला भी शुरू
हो चुका है। हर दो दिन की आख्याओं पर कार्रवाई के
नोटिस जारी होंगे।
बीएसए ने एक दिन में कराया 510
स्कूलों का निरीक्षण
घटिया मसालों से तैयार हो रहा मिड-डे मील
•अमर उजाला ब्यूरो
संभल। मिड-डे मील योजना की स्थिति में सुधार
नहीं हो रहा है। विकास क्षेत्र संभल में निरीक्षण
किए गए 67 में से 64 विद्यालयों में खुले हुए मसाले
मिले, जिन्हें जब्त कर लिया है। पांच विद्यालयों में
बिना अवकाश के ही शिक्षक व शिक्षा मित्र
नदारद मिले।
खंड शिक्षा अधिकारी संभल छोटे लाल व उनके
कार्यालय टीम ने अलग अलग क्षेत्रों में एक
ही दिन में 67 विद्यालयों का निरीक्षण
किया गया। अधिकांश विद्यालयों में मेन्यू के अनुसार
भोजन नहीं मिला। वहीं 64 विद्यालयों में खुले हुए सस्ते
मसाले मिले। जबकि यहां एगमार्क के ब्रांडेड मसाले
ही प्रयोग किए जाने के निर्देश हैं। प्राथमिक
विद्यालय मिलक मजरा सिरसी में
प्रधानाध्यापिका अनीता, जूनियर हाई स्कूल
बैटला में अनुदेशक ऋतु खन्ना व मीनाक्षी नदारद
मिली, तीसरी अनुदेशक चंचल 8.32 बजे स्कूल पहुंची।
मुहम्मदपुर कढ़ेरा में अनुदेशक अंजुम गायब मिली।
19 प्रधानों को नोटिस
चंदौसी। तमाम सख्ती के बाद भी ग्राम प्रधान
और प्रधानाध्यापक मिड डे मील योजना के ठीक
ढंग से क्रियान्वयन में रुचि नहीं ले रहे। बुधवार
को किए गए बेसिक विद्यालयों के निरीक्षण में
इसकी हकीकत सामने आई। करीब 19 विद्यालय ऐसे
थे जिनमें मिड डे मील बांटा ही नहीं गया। 19
गांव के प्रधानों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण
मांगा गया है।
आंकड़ों की नजर में बेसिक शिक्षा का सच
•511 विद्यालयों का किया गया निरीक्षण
•100 टीमों ने किया जिले भर में निरीक्षण
•32 कर्मचारी अनुपस्थित रहे
•19 विद्यालयों ने नहीं बंटा मिड डे मील
•73 विद्यालयों में मीनू के अनुसार
नहीं बंटा एमडीएम
ReplyDeleteजबसे होश संभाला है, तमाम विषयों पर मेरे
विचार कई बार बदले हैं। लेकिन एक विषय
पर मेरी राय आज तक वही है
कि शिक्षा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए
हानिकारक है।
मेरे हिसाब से जैसे तंबाकू
या सिगरेट के पैकेट पर वैधानिक
चेतावनी लिखी होती है वैसी ही स्कूल
की दीवारों पर भी लिखी होनी चाहिए।
बिहार में हुई मिड डे मील त्रासदी के बाद
मेरी यह राय और पुख्ता हो गई। हमारे
जमाने में मिड-डे मील नहीं था तब भी स्कूल
खतरनाक लगते थे, पिछले कुछ साल में सरकार
ने यह एक जानलेवा खतरा और जोड़ दिया।
मास्टर की मार से तो चोट ही लगती है, यह
खाना तो जान ले लेता है।
प्रसिद्ध लेखक
मार्क ट्वेन का कहना था कि मैं अपने स्कूल
के बावजूद शिक्षित होने में कामयाब
हो गया। ऐसा इसलिए हो पाया क्योंकि ट्वेन
अमेरिकी स्कूलों में पढ़े होंगे, भारतीय स्कूलों में
छात्रों के पास कोई गुंजाइश
नहीं होती कि वे स्कूल के दबाव से बचकर
शिक्षित हो लें। अब तो यह
कहना होगा कि जिंदा बने
तभी तो शिक्षित होंगे।
भारत में दो तरह के स्कूल हैं। पहले निजी स्कूल
हैं जो छात्रों के साथ जो अत्याचार करते हैं उसके
साथ उनके मां-बाप का पैसा भी हर लेते हैं।
दूसरे किस्म के सरकारी स्कूल हैं जो मां-बाप
को तो बख्श देते हैं लेकिन
उसकी पूरी कीमत बच्चे से वसूल कर लेते हैं।
सरकारी स्कूल के शिक्षकों का मानना यह
होता है कि मुफ्त में शिक्षा हासिल करके ये
बच्चे सरकार का शोषण कर रहे हैं इसलिए
सरकारी नौकर होने के नाते
उनका कर्त्तव्य है कि वे सरकार के शोषण
के खिलाफ लामबंद हों। ऐसे में वे उन गरीब
बच्चों के साथ वही व्यवहार करते हैं
जो क्रांतिकारी उन पूंजीपतियों के साथ
करते हैं जो उनके कब्जे में आ गए।
मिड डे मील कार्यक्रम शायद इसी शोषण
का अगला चरण है। वैसे भी यह मानते हैं
कि गरीबों के बच्चे कुछ भी हजम कर सकते
हैं।
इस बात पर अलग से विचार करने
की जरूरत है कि मिड डे मील के साथ यह
वैधानिक चेतावनी लिखने की जरूरत है
या नहीं। लेकिन मैं महसूस कर रहा हूं
कि शिक्षा मेरे बचपन के दिनों से
ज्यादा खतरनाक हुई जा रही है।