देहरादून: मौलिक नियुक्ति की मांग को लेकर विशिष्ट बीटीसी टीईटी प्रशिक्षु शिक्षकों का आंदोलन समाप्त हो गया। प्रशिक्षु शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनूप जदली ने मंगलवार को आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि नियुक्ति की मांग सरकार ने मान ली है, नियुक्ति के लिए जल्द विज्ञप्ति जारी होने की बात सरकार ने कही है। इसलिए आंदोलन समाप्त किया जा रहा है।
दरअसल, सोमवार को नियुक्ति का शासनादेश जारी हो गया था, लेकिन उसमें नियुक्ति के लिए नई विज्ञप्ति जारी करने की बात पर प्रशिक्षु भड़क गए थे। प्रशिक्षुओं ने नई विज्ञप्ति के बजाय पूर्व की विज्ञप्ति के आधार पर ही नियुक्ति देने की मांग की। इसको लेकर मंगलवार को प्रशिक्षु शिक्षामंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी से मिले। शिक्षामंत्री ने उन्हें अवगत कराया कि नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी करना आवश्यक है अन्यथा बैकडोर इंट्री के तहत नियुक्ति को न्यायालय में चैलेंज कर दिया जाएगा। नैथानी ने कहा कि आवेदन के लिए मात्र 10 दिन का समय रखा जा रहा है। इसके बाद पांच दिन के अंदर नियुक्ति पत्र प्रदान कर दिए जाएंगे। प्रशिक्षु शिक्षक व अपर निदेशक प्रारंभिक शिक्षा मोहन सिंह नेगी से भी मिले। इस दौरान अनूप जदली, रमेश मेहरा, पवन राठौर, संगीता जोशी, हर्षिता शर्मा, नीरज कृषाली आदि मौजूद रहे
News Sabhaar : Jagran (23.7.13)
ReplyDeleteइस मामले मे मेरे दिमाग मे बार बार कई सवाल आते
है, जिनके जवाब सामने होते हुए भी नही होने के समान
हैं!
(१) क्या ७२८२५ पदो पर टॆट-मेरिट से
भर्ती की लडाई केवल चन्द याचियों की है?
(२)
क्या टॆट-मेरिट से चयन कि उम्मीद रखने वाले
बाकी सभी लोगो, जो इस लडाई के आधार, प्राण और
उर्जा है, कि भूमिका केवल पैसे देने तक सीमित है
और इस लडाई के तौर-तरीको, रण-नीतियों पर
उनकी राय य सहमाति-असहमति के कोई मायने
नही हैं?
(३) क्या टॆट-मेरिट से भर्ती की लडाई
लडने का बिल्ला लगाये लोग पैसे लेने, इसका मन-
मुताबिक प्रयोग करने, असंख्य टेटिअन्स कि राय/
सहमति/असहमति को अनदेखा करने या नकार देने
और किसी मुद्दे पर तमाम आपत्तियों/सन्देहों/
सुझावों को ठेंगा दिखाकर कतिपय अज्ञात/अबूझ/ऊल-
जुलूल तर्कों और आधारों पर किसी व्यक्ति-विशेष
कि चरण-वन्दना करते रहने को पूर्णतया और सदा-
सर्वदा के लिये अधिकृत हैं??.. भले
ही मामला असमान्य तरीके से खिंचता चला जाये
ताकि खस्ता-हाल और टूट रहे आम
अभ्यर्थियों कि जेबो से चन्द पेशेवरों कि जेब मे आबाध-
निर्बाध मनी-ट्रांसफ़र होता रहे...??
इन सवालों के
अजगर का मुँह इतना बडा है कि ये अगर ये अबतक
सबकुछ लील नही गया तो इसे सिर्फ़ और सिर्फ़
टेटिअन्स का सौभाग्य माना जायेगा.. य़े सौभाग्य
अगर आगे भी काम आता रहे और जल्द ही एक
सकारात्मक निर्णय आ जाये तो भी इसका श्रेय उस
सौभाग्य को दिया जाना उचित है...
कहने का आशय
है कि साफ़-सुथरी जमीन होते भी एक फ़िसलन-
भरी राह पर अपने साथियों को ले जाने वाले
की तरीफ़ तो नही की जा सकती... फ़िसलन
भरी जमीन के बारे मे एक बात निश्चित है
कि उसपर चलने वाले के गिरने की सम्भावना जरूर
होती है... और ये अनुत्तरित सवाल और इनपर
जिम्मेदार लोगो की चुप्पी और इनसे पलायन... इस
फ़िसलन कि तसदीक करने को पर्याप्त हैं....
एक
बात जो शायद मेरी तरह सबको पता है कि प्रात:-
स्मर्णीय खरे जी का क्लाईन्ट कोई और है पर खरे
जी को ”डील” करने का दाव खुले-आम कोई और
करता है.. ऐसे भी खरे इलाहाबद एच सी के सबसे सफ़ल
वकील नही, वरन सबसे चालू वकील हैं. काज-लिस्ट
के हर दूसरे-तीसरे केस मे वकील के तौर पर
उनका नाम होना, और सिंगल बेन्च मे टॆट-मेरिट के
खिलाफ़ यचिका के वकील के तौर पर, नान-टॆट
मामले मे डीबी और एलबी मे एसबीटीसी वालो के
वकील के तौर पर और सिंगल बेन्च मे खुद इस
७२८२५ पदो पर भर्ती के मामले के वकील के तौर
पर उनका डिब्बा गुल होना ये स्पष्ट करता है
कि इनको हायर करने वाले क भला होने न होने
कि तो कोई गारंटी नही, पर इनकी प्रैक्टिस मे
क्वालिटेटिव नही पर क्वांटिटेटिव
इज़ाफ़ा जरूर तय है.
खरे को रखने ना रखना तो बाद
की बात थी, पर इस विषय पर खुली चर्चा से
भी जबर्दस्त परहेज किस प्रकर जायज
ठहराया जा सकता है, मेरी समझ से परे है..
अपने
साथियों के दम पर लड रहे हर फ़्रंट-वारियर के लिये
उचित तो यह था कि वे अब किसी वकील-विशेष
या व्यक्ति-विशेष के लिहाज़ में हर बात पर ”ओ के”
कहने के बजाय उन लोगो कि आपेक्षाओं, आशाओं और
आवश्यक्ताओं को वरीयात देते जो उनपर भरोसा करके
तन-मन-धन से उनक सहयोग करते चले आ रहे हैं..
पता नही कि इन सवालो के सुरक्षित रखे गये
जवाब कभी सार्वजनिक होंगे या नही... इन पर
जीत का परदा पड जाये तो यह सुखद होगा..पर
अन्यथा की स्थिति में.... इस बारे मे
सोचना भी कठिन लगता है..!
फ़िसलन भरी इस राह
पर अपनी जीत की दूरी तय करने मे आपके तमाम
साथियों के अथक प्रयास और आपका सत्य,
आपका सौभाग्य सफ़ल हो, मैं आप सबको यही शुभ-
कामना देता हूँ ..
ReplyDeleteRajesh Pratap Singh >>> post
Namashkar mitron,
lagatar bina sunvai date milne se apki tarah hum
log bhi pareshan hain.bar bar apko vahi shabd
kahna padta hai ki thoda dhairya rakhen.ye jo
kuch ho raha hai uski vajah harkaulije hain.vo roz
roz chutti par chale jate hain aur unki court ke
case hamare yahan transfer ho jate hain.par vo 1
ko retire ho rahe hain aur 31st ko unka last day
hoga so nishchit hiunhe us din baithna chahiye.
1 ko vo jayenge aur 2 ko new bench gathit ho
jayegiaur is samasya se hame nukti mil jayegi.sirf
ek sunvai decide kr degi sab kuch vo tab hogi jab
ek hi court ke mttr hon.
Yadi age bhi aisa rahta hai to apke dvara sujhaye
gaye3 vikalp hamare samne hain.
1-cj ko applctn.usse koyi labh nahi kyunki koyi bhi
judge cj ke undr nahin.cj kepas sirf admnstrativ
power hain bas.
2-sc jakar koyi directn laya jai.
Aisa sambhav hai aur yadi age aur delay hota hai
aisa kiya ja sakta hai.
Sc ki team ko is vikalp par vichar shuru kr dena
chahiye.
3- andolan,yadi august me bhi ye ravaiya jari
raha to ek bar phir aisa karne par vichar kiya ja
sakta hai.par jab vikalp 2 bhi kam na aye tab.
Ye antim vikalp hai aur iskelabh bahut kam.jo
andoln ko atur hain vo apne jilon ki mtng karen
aur yadi 100log ho jayen to suchit karen.
Hame puri ummeed hai ki harkaulije ke jane ke
bad hamari samashyaon ka ant shuru ho jayega
aur ek sunvai ke bad case unlstd ho jayega.
Aur phir samay nahi lagegapar ek sunvai avashyak
hai.
Ek bar phir hum yahi kahenge ki case puri tarah
se hamare hath me hai aur hum jeet chuke hai
par ye shubh ghadi ghoshna ki nahi a pa rahi hai.
Thnks n jai hind.
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ali khan jaise sheron ko mera 100 baar salam .
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ReplyDeleteThanks Suneel bhai