याचियों के अधिवक्ता विजय गौतम के मुताबिक उपनिरीक्षक नागरिक पुलिस और प्लाटून कमांडर पीएसी में भर्ती के 4010 पदोें का विज्ञापन 19 मई 2011 को प्रकाशित किया गया। संयुक्त परीक्षा के आधार पर सीधी भर्ती की जानी थी। विज्ञापन के मुताबिक हिंदी निबंध (कानून व्यवस्था, वाद और पुलिस कार्यप्रणाली) पर 100 अंक का प्रश्न पत्र, मूल विधि, संविधान और पुलिस प्रक्रिया पर 50 अंक का और संख्यात्मक एवं मानसिक योग्यता का 50 अंक का प्रश्नपत्र होगा। प्रारंभिक परीक्षा में इन सभी प्रश्नपत्रों को मिला कर 50 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को सफल माना जाएगा।
अभ्यर्थी जब प्रारंभिक परीक्षा देने पहुंचे तो उत्तर पुस्तिका पर यह निर्देश था कि सभी प्रश्नपत्रों में 40 फीसदी अंक पाना अनिवार्य है। 24 नवंबर 2011 को विभाग ने संशोधित विज्ञप्ति प्रकाशित कर नियम बदल दिया। नए नियम के अनुसार प्रत्येक प्रश्नपत्र में 40 प्रतिशत अंक और कुल योग का पचास प्रतिशत प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया गया। इसके आधार पर प्रत्येक प्रश्नपत्र में 40 प्रतिशत अंक नहीं पाने वाले अभ्यर्थियों को असफल घोषित कर दिया गया।
अभ्यर्थियों ने संशोधित विज्ञापन को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उनके अधिवक्ता का तर्क था कि भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद बीच में नियम नहीं बदले जा सकते हैं। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने 24 नवंबर के संशोधित विज्ञापन को रद्द करते हुए प्रारंभिक परीक्षा में असफल घोषित किए गए ऐसे अभ्यर्थियों को सफल मानने का निर्देश दिया है, जिनका कुल योग पचास प्रतिशत है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार, डीजीपी, अध्यक्ष/सचिव पुलिस भर्ती बोर्ड को निर्देश दिया है कि सफल घोषित अभ्यर्थियों को परीक्षा के अगले चरण में शामिल किया जाए
News Sabhaar : Amar Ujala (26.7.13)
jai shree Ram.court aur gov ne vacancyo ko students ke dimag ko kharab karne aur khane wale dimak bana diya hai tatha gov ne up ko lafada pradesh bana diya hai.
ReplyDeleteMere pyare tet suportero ab to ye jan hi chuke hi honge ki sarkar kisi bhi bharti ko apariher karno se radd kar sakti he.kintu kisi bhi chalati prakriya me koi sansodhan nahi kar sakti.vichar prastut kare
ReplyDeleteDigvijay singh ab bhi kah rahe hai ki batla house encounter farji tha isse ye lagta hai ki diggi ISI ke ya indian mujahideen ke rasteey pravakta hai .is bat ki janch honi chahiye ki kisi chunav me chanda to nahi mila inhe IM se ya ye active member to nahi hai IM ke
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ReplyDeleteराशिद अल्वी और राजबब्बर एक सवाल आप से..?
ReplyDeleteजब खाना इतना सस्ता है 5 रु और 12 रु में तो मनमोहन और सोनिया को खाद्य सुरक्छा बिल के लिये अद्धयादेश क्यो लाना पडा |नाटक क्यो कर रही है सरकार सस्ता राशन देने का|
राशिद अल्वी और राजबब्बर एक सवाल आप से..?
ReplyDeleteजब खाना इतना सस्ता है 5 रु और 12 रु में तो मनमोहन और सोनिया को खाद्य सुरक्छा बिल के लिये अद्धयादेश क्यो लाना पडा |नाटक क्यो कर रही है सरकार सस्ता राशन देने का|
Yahi galati BSP sarakar tet2011 mamalo me ki thi jab tet ki vigyapti nikali thi to tet ek patrata parichha thi aur bharti acd se honi thi kintu usane exm ke 4din pahale bharti prakirya badal di jo niyam ke viruddh tha ,isi karan tandan ji ne BSP gov ki vigyapti radd ki thi
ReplyDelete
ReplyDeleteaaaj kuchh logo ne 1 nayi dhun bajayi hai ,,,,, ki
exame ke 3 din pahle niymawali change ki gayi?
Jo ki galat hai?
Unke liye exame ki niymawali kaha badli gayi?
Tet prt ke liye ncte dwara aniwary yogyta ghoshit
kar di gayi hai,,,, aur selection karne ke tareeke
rajy sarkaro par chhod diya gaya....
Aur vigyapan aana 1 alag prakriya hoti hai,,, jisme
advt. Aane se pahle bane niyam lagoo hote
hai....chahe wo 1 din pahle hi kyo na bane....
Aur agar ye mudda ban pata to kya cb yadav jo ki
mahadhivakta hai,,, wo chukte??? Ya unse jyada
ye acd. Wale minded hai??
Aur is mudde pe pahle hi single bench yani mr.
Sudhir aggrwal j. Ke samne clear ho chuka hai,,,
aur wo bhi khare ji ke dwara...ye sare acd. Ke
paksh rakhe ja chuke hai,,,, aur nateeja aapke
samne hai....
Aur jab acd. Wale single bench se process matter
pe hare the ,,,to db me appeal kyo nahi ki???
Wah bhai aapki buddhimatta ko salam....
Jai ho moorkh gyaniyo...jai ho...
ReplyDeleteRatnesh Pal > Fight for TET MERIT " टेट
उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा "
साथियों ,निरंतर लोगो के फ़ोन कॉल्स आ रहे हैं .. लोग
उत्साहित हैं , परन्तु जिम्मेदार लोग
अभी भी अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश
कर रहे हैं ...
कुछ धारा १४४ की दुहाई दे रहे हैं .. कुछ
लोगो का कहना है की हाई कोर्ट का घेराव
करना असंवेधानिक है .... और मैं भी इस बात
को स्वीकार करता हूँ की हाई कोर्ट का घेराव
असंवेधानिक है
परन्तु हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते
की हमारा मामला संवेधानिक है .. और कौन
सा संविधान अपनी संवेधानिक बात
को कहना असंवेधानिक कहता है .. अगर हम
संख्या में अधिक हुए तो एक विशाल शांति मार्च
किया जायेगा नहीं तो उस वक़्त
की परिस्थिति के अनुसार आगे रणनीति पर
विचार किया जायेगा ...
मुझे और अच्छा लगता यदि शीर्ष पर बैठे कुछ लोगो के
सुझाव , सलाह या मार्गदर्शन और पर्याप्त सहयोग
जिसकी उनसे अपेक्षा की जाती है अगर मिले
तो निश्चित तौर पर ये आन्दोलन अब तक का सबसे
बड़ा आन्दोलन होगा .............................
uppsc की तरह हमे कुछ विशेष करने की जरुरत
नहीं होगी हमारा संख्याबल
ही काफी होगा अपनी बात मनवाने के लिए ....
हम अगर १ पूरे दिन इलाहाबाद की सडको पे खड़े
भी रहे
तो हमारी साँसों की गर्मी कार्यपालिका और
न्यायपालिका दोनों के पसीने छुड़ा देगी ...............
...................
बस जरुरत है कुछ , उत्साह ,आत्मविश्वास और जीतने
की प्रबल इच्छा की ........ हमारा उद्देश्य स्टे
नहीं था ....................... हमारा उद्देश्य तो है
नौकरी .. .........................हमने रस्ते को मंजिल
समझा ये हमारी सबसे बड़ी भूल है .....
इसको सुधरने के लिए हमको ३१ जुलाई २०१३
को चंद्रशेखर आज़ाद की कर्म भूमि पर
आना ही होगा .....
परन्तु यहाँ पर हमारे आपसी तालमेल और सामंजस्य
की कमी ही सबसे बड़ी बाधा साबित होगी ....
उम्मीद करता हूँ कि आज की पोस्ट के बाद हमारे
साथी बढ़कर आगे आयेंगे और इस आन्दोलन को सफल बनाने
में हमारा तन मन से साथ देंगे .........
गणेश दिक्षित (लखनऊ ), राजेश प्रताप (बरेली ) ,
कन्नौज, फरुक्खाबाद ,आजमगढ़ , कुशीनगर ,बात
हुई है .. जल्दी ही बाकी जिलो से बात करके
आपको सूचित करूँगा आप भी प्रयासरत रहे !!
रत्नेश पाल , विजय सिंह तोमर , अभिरुचि सचान,
सुशील पाल , उमेश सचान ( टेट संघर्ष मोर्चा कानपुर )
9807498886
[ Ratnesh pal tet merit ke paksh me supreme court me agrim writ file kiye the ]
Ramayan khatm ho gaya janab ko malum nahi ki sita kaun hai . Kuchh log yese hai jo jante sab kuchh hai kintu apane hadata ke karan ulte sidhe comment karate
ReplyDelete
ReplyDeleteIs post main aasam order ki copy shyamdev ji
ke saujanya se mention hai
आज दरोगा भर्ती मामले में कोर्ट के
फैसले के बाद कुछ
का मानना है कि सरकार नियम बदल सकती है
vigyapan sansodhan se nahi vigyapan cancel
karke .kya yah baat harkauli nahi jante the unhe
yachika kharij karni chahiye thi. kya yah baat cj
assam high court bhi nahi jaante hai jinhone 254
par ak vigyapan aaya 8aug2003 main form
bhare gaye dusra vigyapan aaya 2006 main form
fir se maange gaye unhi 254 padon par.2008
main jab cj wali double bench ka faisla aaya to
unhone 2003 wale vigyapan ko bahal kar
diya.aur kaha niyam nahi badal sakte kaise bhi
cancel karke ya sansodhan karke.
aades ka kuch
bhag::
Counsel,Education Deptt. Mr. AK
Goswami,Sr. Adv. for Private Respondents. Date
of hearing & Judgment : 11th December,2008
BEFORE HON’BLE THE CHIEF JUSTICE MR.
J.CHELAMESWAR HON’BLE SMTI. JUSTICE A.
HAZARIKA JUDGMENT AND ORDER(ORAL) (J.
Chelameswar, CJ it appears from the material on
record that a fresh advertisement dated
25.8.2007 was issued by the State proposing to
fill up the abovementioned 254 posts
consequently inviting applications from eligible
candidate In the matter of recruitment in public
service, it is settled law of this Country that
“Rules of the game cannot be changed in the
midstream”. [(2008) 3SCC 512, K Manjusree vs.
State of Andhra Pradesh & Anr]. This is a
principle enunciated by the Supreme Court in
the background of the requirements of Articles 14
and 16 of the Constitution of India as
permitting the change of the Rules of
recruitment midstream would enable the State
to arbitrarily eliminate some of the candidates
who were otherwise eligible to compete for the
post for which the recruitment process is
undertaken or alternatively arbitrarily enable the
State to enable some of the candidates who were
not otherwise eligible to compete in accordance
with the law as it existed on the date when the
recruitment process was initiated. It is a
principle which is consistent with the general
scheme of the consequences of repeal of a law
as envisaged under the provisions of the General
Clauses Act discussed above. In our view in the
realm of public law and more particularly in the
context of employment under the State the
above referred judgments only declare that
notwithstanding the ability of the Legislature in
general to alter the scheme of Section 6 of the
General Clauses Act such an ability in the
context of recruitment in public employment is
liable to be restricted in view of the demands of
Articles 14 and 16 of the Constitution of India.
Therefore the submission of Mr Sharma is set
aside the appellants are for that matter or any
one of the candidates, who applied in response
to the advertisement dated 8.2.2003, should
neither be debarred from the participation of
the selection process for 254 posts sought to be
filled up by advertisement or be exposed to a
competition higher than the one which they
would have faced had the government
completed the selection process pursuant to the
abovementioned advertisement in accordance
with law. 13. In the circumstances, we are of the
opinion that though the State cannot be
compelled to appoint the appellants herein
pursuant to the communication dated
27.2.2006, yet, we direct the State to conduct
16 the recruitment process for the
abovementioned 254 posts for which the
authorities of the State had issued advertisement
dated 8.2.2003 by subjecting only those
candidates, who responded to the
abovementioned advertisement, within the
stipulated time and also who satisfied all other
eligible criteria in terms of the said
advertisement. disposed of With the above
directions. In the circumstances, we do not
propose to interfere with the decision on
technical ground that it is not maintainable 14.
With the above directions All the writ appeals
are disposed of. But, in the circumstances,
without costs. The entire exercise should be
completed within a period of 4(four) months
from today. JUDGE Choudhury/- CHIEF JUSTICE
ReplyDeleteहरकौली साहब का कथन:
Moreover, we are also
prima facie of the opinion that this change of
thought namely that the previous criteria could be
replaced by seemingly better criteria for
determining merit cannot be a ground for
canceling the entire selection process. If that
kind of ground urged by the State is accepted, it
is equally possible that tomorrow some other
Government or some other official may think that
perhaps the new suggested criteria (of
quality point marks) could be replaced by what
he believes to be a still better criteria, could
again form the basis of scrapping the fresh
selection process which is ongoing.
टण्डन साहब ने केवल पद नाम
का मुद्दा उठाया अर्थात पर् शि छु शिळक
जो हरकौली ने
खारिज करा:
While
deciding a case we have to go by the
substance. By way of example if the selected
candidates had not been called 'apprentice
teachers', but had been selected on merits
merely for 'training with scholarships
equivalent to salary', and after successful
completion of training again subjected to
selection as per their merit in TET (which at
that time was the prescribed criteria), the result
in substance would have been the same
as obtaining today. And in such case the
ground that there was no post of 'apprentice
teachers' would not be available.
ReplyDeleteमेरे कुछ मित्र व भाई बहन एक प्रश्न उठाते हैं
कि टेट परीक्षा के तीन दिन पहले नियम
बदला गया था तो वो कैसे जायज था।
अरे जनाब वो तो परीक्षा की पात्रता व
अर्हता का सवाल था उसका तो कोई वजूद ही नहीं है
। NCTE गाइड लाइन के तहत तो वह स्वयं अनिवार्य
परीक्षा है भर्ती में उसका चाहे जैसा प्रयोग करो।
साधुजनों जब 72825 की शिक्षक
भर्ती का विज्ञापन आया तो उसमे टेट मेरिट थी ।
सरकार चाहे सौ विज्ञापन निकाले लेकिन 72825
की भर्ती का चयन आधार नहीं बदल सकती है।
इसके साथ-साथ उस विज्ञापन के आवेदकों का हित
प्रभावित नहीं कर सकती है।
मै सिर्फ विधि की बात कर रहा हूँ
बाकी फैसला सत्य के लिये दायर की जाने
वाली याचिकाओ पर निर्भर करता है । नियमानुसार
10 जनवरी 2012 के बाद जिन्होंने योग्यता प्राप्त
की है वो भी 72825 शिक्षक भर्ती के लिये
अमान्य हैं लेकिन इसपर फैसला उनपर आपत्तियों पर
निर्भर करता है। मै निष्पक्ष लिखता हूँ और
लिखता रहूँगा।
ReplyDeleteशहर के सबसे बडे बैंक में एक बार एक बुढिया आई ।
उसने मैनेजर से कहा - "मुझे इस बैंक मे कुछ रुपये
जमा करने हैं" । मैनेजर ने पूछा - कितने हैं,
वृद्धा बोली - होंगे कोई दस लाख । मैनेजर बोला -वाह
क्या बात है, आपके पास तो काफ़ी पैसा है, आप
करती क्या हैं ? वृद्धा बोली - कुछ खास नहीं, बस
शर्तें लगाती हूँ । मैनेजर बोला - शर्त लगा-लगा कर
आपने इतना सारा पैसा कमाया है ? कमाल है...
वृद्धा बोली - कमाल कुछ नहीं है बेटा, मैं अभी एक
लाख रुपये की शर्त लगा सकती हूँ कि तुमने अपने
सिर पर विग लगा रखा है । मैनेजर हँसते हुए बोला -
नहीं माताजी मैं तो अभी जवान हूँ, और विग
नहीं लगाता । तो शर्त क्यों नहीं लगाते? वृद्धा बोली ।
मैनेजर ने सोचा यह पागल बुढिया खामख्वाह ही एक
लाख रुपये गँवाने पर तुली है, तो क्यों न मैं
इसका फ़ायदा उठाऊँ... मुझे तो मालूम ही है कि मैं
विग नहीं लगाता । मैनेजर एक लाख की शर्त
लगाने को तैयार हो गया ।
वृद्धा बोली -
चूँकि मामला एक लाख रुपये का है इसलिये मैं कल
सुबह ठीक दस बजे अपने वकील के साथ आऊँगी और
उसी के सामने शर्तका फ़ैसला होगा । मैनेजर ने
कहा - ठीक है बात पक्की... मैनेजर को रात भर
नींद नहींआई.. वह एक लाख रुपये और बुढिया के बारे
में सोचता रहा ।
अगली सुबह ठीक दस बजे वह
बुढिया अपने वकील के साथ मैनेजर के केबिन में
पहुँची और कहा, क्या आप तैयारहैं ? मैनेजर ने कहा -
बिलकुल, क्यों नहीं ? वृद्धा बोली- लेकिन
चूँकि वकील साहब भी यहाँ मौजूद हैं और बात एक
लाख की है अतः मैं तसल्ली करना चाहती हूँ
किसचमुच आप विग नहीं लगाते, इसलिये मैं अपने
हाथों से आपके बाल नोचकर देखूँगी ।
मैनेजर ने पल भर
सोचा और हाँ कर दी, आखिर मामला एक लाख
का था । वृद्धा मैनेजर के नजदीक आई और धीर-धीरे
आराम से मैनेजर के बाल नोचने लगी । उसी वक्त
अचानक पता नहीं क्या हुआ, वकील साहब
अपना माथा दीवार पर ठोंकने लगे ।
मैनेजर ने कहा - अरे.. अरे.. वकील साहब को क्या हुआ ?
वृद्धा बोली - कुछ नहीं, इन्हें सदमा लगा है, मैंने इनसे पाँच लाख
रुपये की शर्त लगाई थी कि आज सुबह दस बजे मैं
शहर से सबसे बडे बैंक के मैनेजर के बाल दोस्ताना माहौल
में नोचकर दिखाऊँगी ।
इसलिये बूढों को कभी कम
ना समझें.....`
Ali khan ji apne likha hai ki 10 jan 2012 k baad jinhone yogyata prapt ki hai wo maanye nahi honge,,,pls ap mujhe ye detail me batayen q ki meri b.ed ki marksheet me date 30 nov 2011 or tet mrksheet me date 25 nov 2011 hai
DeleteAli khan ji apne likha hai ki 10 jan 2012 k baad jinhone yogyata prapt ki hai wo maanye nahi honge,,,pls ap mujhe ye detail me batayen q ki meri b.ed ki marksheet me date 30 nov 2011 or tet mrksheet me date 25 nov 2011 hai
Delete
ReplyDeleteनियमानुसार
10 जनवरी 2012 के बाद जिन्होंने
योग्यता प्राप्त
की है वो भी 72825 शिक्षक भर्ती के
लिये
अमान्य हैं लेकिन इसपर फैसला उनपर
आपत्तियों पर
निर्भर करता है।
ReplyDeleteAastha ji 2012 ki baat ki hai.
aap ki yogyataye 2011 ki hai.
do not worry.
Thaks,,,per mujhe kau logo ne bola hai ki main yogya nahi hun
ReplyDeleteQ k main gonda me 4 feb ko counsling me gayi thi mere sabhi documnts waha submit bhi hain per unlogo ne receiving me ye likh diya tha k pegle tet baad me b.ed,,,,,unlogo ne kaha ki aise logo ko reject kar diya jayega
ReplyDeleteDo'nt worry aap eligible ho wo bhi original appeared so no tention. Unhone jo bhi likha usko chhodo aap genuine ho. Believe please. Mere samne bahut proper logic hai aapko satisfied karne k aur shayad hamne ek baar pahle bhi aapko kiya hai, aap pareshan na ho aap eligible hai bas bharti ho.
ReplyDeletepahle tet baad me b.ed ke matlab se aap disturb hai, jabki usme appearing ka jikra tha jo aap appeared thi,bas aapka result nahi aaya tha. Appeared kaun hota hai ise batana jaruri nahi hai. Sirf aapka dar hai warna aap bhi appeared ki defination janti hai so do'nt worry bas bharti ho yahi wish kariye.
ReplyDeleteo.k. Gud nyt. Do'nt worry astha g waise bhi hame aapse treat leni hai. Aap bhul sakte ho hame yaad hai.
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