इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा लोअर सबार्डिनेट-2013 की मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के बाद 1537 पदों को भरा जाएगा। आयोग ने विभागवार रिक्त पदों की संख्या जारी कर दी है। जिसमें सबसे अधिक 408 रिक्त पद खाद्य तथा रसद विभाग में हैं। जबकि फर्म्स, सोसाइटीज एंड चिट्स में लेखा परीक्षक का एक पद है। आयोग ने पदों की विभागवार संख्या के साथ आरक्षण की स्थिति भी स्पष्ट कर दी है।
आयोग ने लोअर-2013 की प्रारम्भिक परीक्षा 6 अप्रैल 2014 को प्रदेश के कई जिलों में आयोजित की थी। जिसमें कुल दो लाख उनतालीस हजार तिरसठ अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। 29 जुलाई 2014 को प्रारम्भिक परीक्षा के घोषित किए गए। परिणाम में अट्ठाइस हजार चार सौ पचहत्तर अभ्यर्थी सफल घोषित हैं। इनकी मुख्य परीक्षा 21 दिसंबर 2014 को आयोजित होनी है।
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विभागवार पदों की संख्या
पद कुल सामान्य
हाट निरीक्षक 408 202
पूर्ति निरीक्षक 223 112
सहकारी निरीक्षक, सहायक विकास अधिकारी 205 114
आबकारी निरीक्षक 167 107
लेखा परीक्षक (स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग)
85 54
मत्स्य निरीक्षक 79 39
बाल विकास परियोजना अधिकारी
76 38
अधिशासी अधिकारी 65 32
उद्यान निरीक्षक 53 32
ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक
30 10
लेखा परीक्षक (लेखा विभाग)
50 25
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इन पदों की भी जारी हुई संख्या
ज्येष्ठ लेखा परीक्षक, स्थानीय निकाय में 12, श्रम प्रवर्तन अधिकारी 04, लेखा परीक्षक (फर्म्स, सोसायटीज एंड चिट्स), संगणक सांख्यिकीय निरीक्षक 07, आमोद एवं पणकर निरीक्षक 24, खाण्डसारी निरीक्षक 13, अपर जिला बचत अधिकारी 09, अधिशासी अधिकारी श्रेणी-3 व 4 के 14, प्रधान लिपिक श्रेणी-3 के 12 एवं विकलांग जन के लिए सहायक चकबंदी अधिकारी के 10 आरक्षित पद जारी किए हैं।
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विपणन निरीक्षक का बदला नाम
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा जारी किए गए लोअर सबार्डिनेट-2013 के रिक्त पदों की संख्या में खाद्य तथा रसद विभाग के विपणन निरीक्षक पद के नाम को परिवर्तित करते हुए हाट निरीक्षक कर दिया गया है।
News Sabhar : जागरण (7.10.14)
सुप्रभात मित्रो !!!!
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7-12-12 के विज्ञापन की मेरिट उम्मीद से ज्यादा ऊँची गयी ,एक दिन काउंसिलिंग भी चली लेकिन किसी ने नहीं कहा कि सपा सरकार धाँधली करके अपने लोगों को जॉब दे रही है ,,, जूनियर की 4 काउंसिलिंग हो चुकी हैं और 5वीं की तैयारी है ,, मेरिट भी उम्मीद से 4 अंक ऊपर गयी है लेकिन मैंने आज तक जूनियर में धाँधली का आरोप लगाने वाली एक भी पोस्ट नहीं देखी ,,,, सपा सरकार जब एकेडमिक से नियुक्ति का प्रयास करती है तो साधुओं की सरकार मान ली जाती है और जब टेट मेरिट से काउंसिलिंग कराती है तो बेईमानों की सरकार घोषित हो जाती है ,,,,
आखिर क्यों ??????
Kuki acd me sbhi document ke score jode jarhe hn isme sbhi level ke number nhi bdhaye jaskte lekin prt me sirf tet ka marksheet change krke bri se bri dhandhli kija skti h. Smjhe bchchu.
Deleteकुछ लोगों का कहना है कि 100 के ऊपर मात्र 38,000 लोग थे बाकी सबको सपा सरकार ने फर्जी मार्कशीट बनवाकर अन्दर कर लिया है ,,,ऐसे लोगों को चाहिए कि जरा 7-12-12 के सीतापुर-लखीमपुर के डाटा को टेट मार्क्स के आधार पर फ़िल्टर लगाकर सच्चाई पता करें ,,, कोई व्यक्ति यह ना कह देना कि सपा सरकार ने उसी समय अपने लोगों के टेट मार्क्स बढ़ा दिए होंगे वरना लोग हँसेंगे ....
ReplyDeleteLog to tumhare cmnt pr hns rhe hn tum jra apne baare me socho.
Deleteअब आते हैं reshuffling की प्रक्रिया पर उठाई आपत्तियों पर ...... 30-11-11 के विज्ञापन के लिए reshuffling की कोई अलग से प्रक्रिया नहीं बनायी गयी है बल्कि आरक्षण का प्रावधान आने के समय से लागू प्रक्रिया को ही अपनाया जा रहा है ,,, भारत में होने वाली किसी भी भर्ती में आरक्षित वर्गों की अनारक्षित कोटे में reshuffling करते हुए आज तक यह नहीं पता किया गया है कि उसने स्नातक या अन्य शैक्षिक योग्यता हासिल करने वाले कोर्स में एडमिशन लेते समय आरक्षण का लाभ लिया था या अनारक्षित कोटे में reshuffle हुआ था ,,, एक बार यदि मान भी लिया जाए कि सिंगिल बेंच से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़कर reshuffling की प्रक्रिया में संशोधन संभव है और संसद क़ानून बनाकर उसे पलटेगी भी नहीं तो भी इस काम में कम से कम 5 साल लगेगा और संशोधित प्रक्रिया भविष्य की भर्तियों पर लागू होगी ना कि 72825 पर ,,,
ReplyDeleteटेट मेरिट के प्रति निष्ठावान रहे मोर्चे के कार्यकर्ताओं से आत्मिक रिश्ता मानता हूँ इसलिए उन्हें नेक सलाह दे रहा हूँ ,,, नेताओं के झांसे में आकर अपनी जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण 2 साल से ज्यादा समय बरबाद कर चुके हो अब भितरघातियों के बहकावे में आकर सारी जवानी मत बरबाद कर लेना .... अभी आपकी उम्र है tgt-pgt,kvs,नवोदय ,pcs,lower subordinate,एसएससी,बैंकिंग इत्यादि परीक्षाओं की मन लगाकर तैयारी करोगे तो सफलता अवश्य मिलेगी ,,
ReplyDeleteजो लोग साथ में कोचिंग चलाते हों वो उसका विस्तार करेंगे तो प्राथमिक के टीचर से दुगना कमाएंगे
ReplyDeleteहो सकता है सपा सरकार बीएड वालों के लिए प्राथमिक का एक और टेट कराकर उसकी मेरिट से नियुक्ति करके अपनी गलती का प्रायश्चित करने के बारे में विचार करे ,लेकिन उसमे भी तभी सफल हो सकोगे जब इस भर्ती में चयनित ना हो पाने के बावजूद नकारात्मक भावनाओं से स्वयं को मुक्त रख सकोगे ,,,
ReplyDeleteइलाहाबाद में हजारों अभ्यर्थी सिविल की तैयारी करते हैं जिनमे से बहुत बड़ी संख्या का शुरूआती दौर में prelims तक clear नही हो पाता ,लेकिन जो लोग बिना हार माने तैयारी में जुटे रहते हैं उनका देर सबेर चयन हो जाता है ,,,प्रतियोगी परीक्षाओं की दुनिया का आधारभूत नियम यह होता है कि असफलताओं से घबराने के स्थान पर अपनी कमियों को खोजकर उनमे सुधार करें ,किसी प्रतियोगी परीक्षा में असफल होने पर विलाप करने वालों के लिए वो दुनियाँ प्राणघातक होती है ,,,
ReplyDeleteटेट2011 एक प्रतियोगी परीक्षा थी और इसमें भी यही नियम लागू होता है .... टेट मोर्चे के जिन कार्यकर्ताओं का 72825 में चयन नहीं भी हो रहा है वो घर बैठकर तमाशा देखने वालों की तरह कायर नहीं बल्कि एक महान धर्म युद्ध के विजेता योद्धा हैं ,,,हो सकता है ईश्वर ने आपको देने के लिए prt से बेहतर कुछ चुन रखा हो ,,,
ReplyDeleteI am proud of you ,you must be of yourself ....a day is sure to come when you will get the reward of your talent and hard work....
कुछ मित्र इसलिए रोमन मेँ लिखते हैं क्यूंकि उन्हें हिंदी टाइपिंग मेँ कुछ परेशानी होती है .
ReplyDeleteआइए इस समस्या के समाधान कर लें !
मोबाइल / कम्प्युटर मे हिन्दी भाषा मे लिखने की रीत : -
( ०१ ) एेपल टैब या अन्य टैब
Settings
>> General >> Keyboard >> Keyboards >> Add Keyboard >> Hindi
( ०२ ) सैमसंग GT-S7582, एण्डरोइड 4.2.2 और ऐसे अन्य एण्डरोइड
My device
>> Input and Control >> Language and Input
>> Keyboards and Input methods >> Samsung keyboards
>> General settings >> Input languages
Downloaded languages
>> Tick - gujarati >> Tick - Hindi
( ०३ ) आई फोन ( IOS 7.1.2 )
Settings >> General >> Keyboard >> Keyboards >> Add New Keyboard >> Hindi
( ०४ ) सैमसंग गेलेक्सी फोन या किसी एंडरोइड फोन
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.google.android.apps.inputmethod.hindi&hl=en
>> Settings >> Language and Input
>> Keyboard and Input Methods >> Samsung Keyboard
>> Input Language >> ( untick Use System Language ) >> Click Hindi
( ०५ ) विण्डोज ७ / विण्डोज विस्टा
www.bhashaindia.com/ilit/hindi.aspx
• Hindi,
• Install desktop version,
• Download and Install,
• Install now ... पर क्लिक करो
• आपके कम्प्युटर और लैपटाप के Download फोंल्डर मे Hindi.exe फ़ाइल Save होगी
• Download फोंल्डर मे से Hindi.exe फ़ाइल को क्लिक करो
• Open File – Security Warning की window खुलेगी वहा “ RUN “ पर क्लिक करो
• अब टास्कबार ( Right Side bottom of screen ) देखो वहाँ EN लिखा मिलेगा उसे क्लिक करो HI Hindi ( India ) मिलेगा, उसे क्लिक करते ही आप हिन्दी मे लिख सकते है । ( Alt + Shift एकसाथ दबाने से भाषा बदलेगी )
सेटिंग्स : -
>> Start >> Control Panel >> Change keyboards or other input methods under Clock, Language and Region
>> On the Keyboards and Languages tab >> Click Change Keyboards
>> On the Language Bar tab >> Select the Floating on Desktop option.
विण्डोज एक्स पी वालो के लिये भी यही लिङक है , परन्तु एक्स पी की सीडी जरूरी है । उस सीडी मे से कुछ फाइल कोपी होती है कम्पयुटर रिस्टार्ट होने पर ।
( ०६ ) विण्डोज ८
http://www.google.com/inputtools/windows/index.html
इस साइट पर जाओ फिर जो भाषा डाउन लोड करनी है वो एकसाथ पसंद कर लो , यहा ११ भाषा है,
• I Agree • Download • फ़ाइल को save file करा लो
• Download Complete का मैसेज आने पर आपके पीसी या लैपटाप मे फ़ाइल जहा download हुई
• Hindi.exe फ़ाइल को क्लिक करो तो फिर Open File – Security Warning की window खुलेगी वहा “ RUN “ पर क्लिक करो...
सेटिंग्स : -
>> Control Panel >> Add a Language >> Change Input Method
>> Options ( Against Hindi Language) >> Add an Input Method
• अब टास्कबार ( Right Side bottom of screen ) देखो वहाँ EN लिखा मिलेगा उसे क्लिक करो HI Hindi ( India ) मिलेगा, उसे क्लिक करते ही आप हिन्दी मे लिख सकते है । ( Alt + Shift एकसाथ दबाने से भाषा बदलेगी )
( ०७ ) विण्डोज ८.१
>> Settings >> Open Control Penal >> Clock , Language and Region
>> Add a Language >> Add a Language >> Hindi
>> Option >> Download and Install
ॐ शान्ति ॥
जयतु हिन्दी ॥
जयतु संस्कृतम् ॥
जयतु भारतम् ॥
जयतु आर्यवर्तम् ॥
मुझे बनाने का शौक था और भैया को गिराने का..
ReplyDelete.
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आज बीस साल बाद भी मैं जलेबी बना रहा हूँ और भैया इन जलेबियों को चासनी में गिरा रहे हैं!!
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मोहन हलवाई
पिछले 10 दिन बहुत शांति के साथ बीते । ऐसा लग रहा था मानो सबको जॉब मिल गयी गई और सब अपने कार्य में व्यस्त हो गये । फिलहाल आज से कोर्ट फिर खुल रही है सबकी रणभेरियाँ फिर बजनी सुरु हो जाएँगी । एक दुसरे पर फिर से आरोप प्र्त्यारोप का दौर फिर सुरु हो जायेगा । इस लडाई में पिछले कई त्यौहार आये और बीत गए , हर बार यही लगता है की अगले त्यौहार तक हमे मंजिल मिल जाएगी और हम सब जीवन में आगे बढ़ जायेंगे सारी शत्रुता और कटुता भूल कर लेकिन ऐसा लगता है पिछले 3 साल से समय एक ही जगह रुक गया है । हर रोज एक नया केस और नयी डेट का इंतजार रहता है । इस समय जीवन में केवल 2 ही चीजे है कोर्ट और भर्ती ।
ReplyDeleteसोचा नहीं था की jrt की मेरिट इतनी हाई जाएगी ये भी नहीं सोचा था कि 25 मार्च के सुप्रीम कोर्ट के इतने कडक आर्डर के बाद prt में 7 महीने बाद आने वाली दीवाली में भी नियुक्ति की आस धूमिल ही रहेगी ।
फ़िलहाल अभी 8 अक्टूबर को contempt में क्या होगा ये नहीं पता लेकिन सरकारी चाल से तो दीवाली तक भी कुछ खास होने की उम्मीद कम ही है । इतनी आशा जरुर है की jrt और prt की काउंसलिंग का कार्य आगे जरुर बढेगा ।
मित्रो आशा ही जीवन है और पिछले 3 साल हमने इसी आशा में काटे है की एक दिन जरुर हमे मंजिल मिलेगी और आगे भी यही विश्वाश कायम रहेगा ।
अब देखते है अक्टूबर महिना कैसा जाता है और किसका भाग्योदय होता है
Gamon Ka Bojh Main Dhota Raha,
ReplyDeleteRaat Bhar Bas Yunhi Rota Raha.
Zindagi Ke Is Safar Me,
Maut Ki God Me Main Sota Raha.
Na Kabhi Aayi Khushi Ki Bahar,
Na Mila Mujhe Mera Wo Pyar.
Apne Daaman Ko Sukha-Sukha Ke,
Aansuon Se Use Bhigota Raha.
Zindagi Ke Is Safar Me,
Maut Ki God Me Main Sota Raha.
To be Happy with a Man you
ReplyDeletemust..
Understand Him a lot and love him
a little..
To be happy with a women you
must love.. Her a lot and not try to
understand her at all...
dosto 2nd counseling me 8000 logo ki aupandhik counseling karne ki suchna mil rahi hai.,inhi me dhandhli wale ghuspaithiye bhare pde hai..inko rokna hoga kyuki in logo ka data agar pahli bar me show nai ho rha tha to inhone pratyawedan kyu nai dala..sbse chaukane wala news to siddharth nagar diet se hai jaha par jitne logo ki data base counseling nai ho rahi hai usase kahi jyada aupbandhik wale hai..siddharth nagar diet ke karmchariyo ki mili bhagat se waha dhandhli ki kai dino se charcha ho rahi hai..
ReplyDeleteBhaiya pls bataye ki aage kitni couns hone ki sambhavna hai kya mera 93 obc art male hai koi chance banta hai mine 35 zilo she apply kiya hai
ReplyDeleteDosto 9 october siksha nidesalay pahuchkar in dhandhli walo,b.ed 2012 walo ko out krne me sahyog kre..mul c.d ka result online kiye bina 3rd counseling na ho kyuki hamare ku6 low merit wale sathiyo jo hamare sangharsh me sath hai unka hak koi marega to ye bardast nahi..
ReplyDeleteSbse ek bar punah apeal 9 ko bhari sankhya me siksha nidesalay alahabad pahuche..warna apka hak dusara koi maar le jayega..
Thanx
Pls reply kare bhaiya kya chance hai plllllllllllllssssss
ReplyDeleteBhaiya pls bataye ki aage kitni couns hone ki sambhavna hai kya mera 93 obc art male hai koi chance banta hai mine 35 zilo she apply kiya hai
ReplyDeleteलालबहादुर शास्त्री ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ां और रूसी प्रधानमंत्री कोसिगिन के साथ
ReplyDeleteभारत में बहुत कम लोग ऐसे हुए हैं जिन्होंने समाज के बेहद साधारण वर्ग से अपने जीवन की शुरुआत कर देश के सबसे पड़े पद को प्राप्त किया.
चाहे रेल दुर्घटना के बाद उनका रेल मंत्री के पद से इस्तीफ़ा हो या 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनका नेतृत्व या फिर उनका दिया 'जय जवान जय किसान' का नारा, लाल बहादुर शास्त्री ने सार्वजनिक जीवन में श्रेष्ठता के जो प्रतिमान स्थापित किए हैं, उसके बहुत कम उदाहरण मिलते हैं.
लाल बहादुर शास्त्री की 110वीं वर्षगांठ के अवसर पर रेहान फ़ज़ल याद कर रहे हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ नायाब पहलुओं को.
सुनें पूरी विवेचना
लालबहादुर शास्त्री बीबीसी को साक्षात्कार देते हुए
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लाला लाजपतराय ने सर्वेंट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य ग़रीब पृष्ठभूमि से आने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को आर्थिक सहायता प्रदान करवाना था. आर्थिक सहायता पाने वालों में लाल बहादुर शास्त्री भी थे.
उनको घर का ख़र्चा चलाने के लिए सोसाइटी की तरफ़ से 50 रुपए प्रति माह दिए जाते थे. एक बार उन्होंने जेल से अपनी पत्नी ललिता को पत्र लिखकर पूछा कि क्या उन्हें ये 50 रुपए समय से मिल रहे हैं और क्या ये घर का ख़र्च चलाने के लिए पर्याप्त हैं ?
लालबहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान नारा दिया
ललिता शास्त्री ने तुरंत जवाब दिया कि ये राशि उनके लिए काफ़ी है. वो तो सिर्फ़ 40 रुपये ख़र्च कर रही हैं और हर महीने 10 रुपये बचा रही हैं.
लाल बहादुर शास्त्री ने तुरंत सर्वेंट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी को पत्र लिखकर कहा कि उनके परिवार का गुज़ारा 40 रुपये में हो जा रहा है, इसलिए उनकी आर्थिक सहायता घटाकर 40 रुपए कर दी जाए और बाकी के 10 रुपए किसी और ज़रूरतमंद को दे दिए जाएं.
13 साल के बेटे के पैर छुए
लालबहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री बीबीसी के दिल्ली स्टूडियो में रेहान फ़ज़ल के साथ
शास्त्री जी के बेटे अनिल शास्त्री बताते हैं, "एक बार रात के भोजन के बाद उनके पिता ने उन्हें बुलाकर कहा कि मैं देख रहा हूँ कि आप अपने से बड़ों के पैर ढंग से नहीं छू रहे हैं. आप के हाथ उनके घुटनों तक जाते हैं और पैरों को नहीं छूते.
अनिल ने अपनी ग़लती नहीं मानी और कहा कि आपने शायद मेरे भाइयों को ऐसा करते हुए देखा होगा.
इस पर शास्त्री जी झुके और अपने 13 साल के बेटे के पैर छूकर बोले कि इस तरह से बड़ों के पैर छुए जाते हैं. उनका ये करना था कि अनिल रोने लगे. वो कहते हैं कि तब का दिन है और आज का दिन, मैं अपने बड़ों के पैर उसी तरह से छूता हूँ जैसे उन्होंने सिखाया था.
एम्स क्रॉसिंग पर गन्ने का रस
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नय्यर प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के साथ
जब लालबहादुर शास्त्री भारत के गृह मंत्री थे, जाने-माने पत्रकार कुलदीप नैयर उनके प्रेस सचिव थे. कुलदीप याद करते हैं कि एक बार वो और शास्त्री जी महरोली से एक कार्यक्रम में भाग लेकर लौट रहे थे. एम्स के पास उन दिनों एक रेलवे क्रॉसिंग होती थी जो उस दिन बंद थी.
शास्त्री जी ने देखा कि बगल में गन्ने का रस निकाला जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब तक फाटक खुलता है क्यों न गन्ने का रस पिया जाए. इससे पहले कि कुलदीप कुछ कहते वो ख़ुद दुकान पर गए और अपने साथ-साथ कुलदीप, सुरक्षाकर्मी और ड्राइवर के लिए गन्ने के रस का ऑर्डर किया.
दिलचस्प बात ये है कि किसी ने उन्हें पहचाना नहीं, यहाँ तक कि गन्ने का रस बेचनेवाले ने भी नहीं. अगर उसे थोड़ा बहुत शक़ हुआ भी होता तो वो ये सोच कर उसे दरकिनार कर देता कि भारत का गृह मंत्री उसकी दुकान पर गन्ने का रस पीने क्यों आएगा.
लोन लेकर कार ख़रीदी
ReplyDeleteलालबहादुर शास्त्री की कार
ये वो कार है जिसे लालबहादुर शास्त्री ने लोन पर ख़रीदा था
शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने तक उनका अपना घर तो क्या एक कार तक नहीं थी. एक बार उनके बच्चों ने उलाहना दिया कि अब आप भारत के प्रधानमंत्री हैं. अब हमारे पास अपनी कार होनी चाहिए.
उस ज़माने में एक फ़िएट कार 12,000 रुपए में आती थी. उन्होंने अपने एक सचिव से कहा कि ज़रा देखें कि उनके बैंक खाते में कितने रुपए हैं? उनका बैंक बैलेंस था मात्र 7,000 रुपए. अनिल याद करते हैं कि जब बच्चों को पता चला कि शास्त्री जी के पास कार ख़रीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं तो उन्होंने कहा कि कार मत ख़रीदिए.
लेकिन शास्त्री जी ने कहा कि वो बाक़ी के पैसे बैंक से लोन लेकर जुटाएंगे. उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से कार ख़रीदने के लिए 5,000 रुपए का लोन लिया. एक साल बाद लोन चुकाने से पहले ही उनका निधन हो गया.
उनके बाद प्रधानमंत्री बनीं इंदिरा गाँधी ने सरकार की तरफ़ से लोन माफ़ करने की पेशकश की लेकिन उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने इसे स्वीकार नहीं किया और उनकी मौत के चार साल बाद तक अपनी पेंशन से उस लोन को चुकाया.
अनिल बताते हैं कि जहाँ-जहाँ भी वो पोस्टिंग पर रहे, वो कार उनके साथ गई. ये कार अभी भी दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल में रखी हुई है और दूर- दूर से लोग इसे देखने आते हैं.जब शास्त्री शर्मसार हुए
लालबहादुर शास्त्री मॉस्को में
प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री मॉस्को में
कुलदीप नैयर कहते हैं कि एक बार रूस में लेनिनग्राद में शास्त्री बोलशोई थियेटर की स्वान लेक बैले प्रस्तुति देखते हुए बहुत असहज हो रहे थे.
मध्यांतर में उनकी बगल में बैठे हुए कुलदीप ने उनसे पूछा कि क्या वो बैले का आनंद ले रहे हैं तो शास्त्री ने बहुत भोलेपन से जवाब दिया कि उन्हें शर्म आ रही है क्योंकि नृत्यांगनाओं की टांगे नंगी हैं और अम्मा बगल में बैठी हुई हैं. वो अपनी पत्नी ललिता को अम्मा कहा करते थे.
बेटे का रिपोर्ट कार्ड ख़ुद लिया
लाल बहादुर शास्त्री दिल्ली में लाल क़िले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए
साल 1964 में जब शास्त्री प्रधानमंत्री बने तो उनके बेटे अनिल शास्त्री दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल में पढ़ रहे थे.
उस ज़माने में पैरेंट्स-टीचर मीटिंग नहीं हुआ करती थी. हाँ अभिभावकों को छात्र का रिपोर्ट कार्ड लेने के लिए ज़रूर बुलाया जाता था.
शास्त्री ने भी तय किया कि वो अपने बेटे का रिपोर्ट कार्ड लेने उनके स्कूल जाएंगे. स्कूल पहुंचने पर वो स्कूल के गेट पर ही उतर गए. हालांकि सिक्योरिटी गार्ड ने कहा कि वो कार को स्कूल के परिसर में ले आएं, लेकिन उन्होंने मना कर दिया.
अनिल याद करते हैं, ''मेरी कक्षा 11 बी पहले माले पर थी. वो ख़ुद चलकर मेरी कक्षा में गए. मेरे क्लास टीचर रेवेरेंड टाइनन उन्हें वहाँ देखकर हतप्रभ रह गए और बोले सर आपको रिपोर्ट कार्ड लेने यहाँ आने की ज़रूरत नहीं थी. आप किसी को भी भेज देते. शास्त्री का जवाब था, "मैं वही कर रहा हूँ जो मैं पिछले कई सालों से करता आया हूँ और आगे भी करता रहूँगा."
रेवेनेंड टाइनन ने कहा, "लेकिन अब आप भारत के प्रधानमंत्री हैं." शास्त्री जी मुस्कराए और बोले, "ब्रदर टाइनन मैं प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नहीं बदला, लेकिन लगता है आप बदल गए हैं."
'यॉर प्राइम मिनिस्टर इज़ दाइंग'
ReplyDeleteवर्ष 1966 में ताशकंद में भारत-पाकिस्तान समझौते पर दस्तख़त करने के बाद शास्त्री बहुत दबाव में थे. पाकिस्तान को हाजी पीर और ठिथवाल वापस कर देने के कारण उनकी भारत में काफ़ी आलोचना हो रही थी.
लालबहादुर शास्त्री पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ां के साथ
लालबहादुर शास्त्री पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ां के साथ
उन्होंने देर रात अपने घर दिल्ली फ़ोन मिलाया. कुलदीप नैयर बताते हैं, ''जैसे ही फ़ोन उठा, उन्होंने कहा अम्मा को फ़ोन दो. उनकी बड़ी बेटी फ़ोन पर आई और बोलीं अम्मा फ़ोन पर नहीं आएंगी. उन्होंने पूछा क्यों ? जवाब आया इसलिए क्योंकि आपने हाजी पीर और ठिथवाल पाकिस्तान को दे दिया. वो बहुत नाराज़ हैं. शास्त्री को इससे बहुत धक्का लगा. कहते हैं इसके बाद वो कमरे का चक्कर लगाते रहे. फिर उन्होंने अपने सचिव वैंकटरमन को फ़ोन कर भारत से आ रही प्रतिक्रियाएं जाननी चाही. वैंकटरमन ने उन्हें बताया कि तब तक दो बयान आए थे, एक अटल बिहारी वाजपेई का था और दूसरा कृष्ण मेनन का और दोनों ने ही उनके इस क़दम की आलोचना की थी.''
कुलदीप बताते हैं, ''उस समय भारत-पाकिस्तान समझौते की खुशी में ताशकंद होटल में पार्टी चल रही थी. मैं चूँकि शराब नहीं पीता था इसलिए अपने होटल के कमरे में आ गया और सोने की कोशिश करने लगा क्योंकि अगले दिन तड़के मुझे शास्त्री जी के साथ अफ़गानिस्तान के लिए रवाना होना था. मैंने सपने में देखा कि शास्त्रीजी का देहांत हो गया. फिर मेरे कमरे के दरवाज़े पर दस्तक हुई. जब बाहर आया तो एक वहाँ एक रूसी औरत खड़ी थी. बोलीं- यॉर प्राइम मिनिस्टर इज़ दाइंग.''
कुलदीप कहते हैं, ''मैंने जल्दी-जल्दी अपना कोट पहना और नीचे आ गया. जब मैं शास्त्री जी के डाचा में पहुंचा तो देखा बरामदे में रूसी प्रधानमंत्री कोसिगिन खड़े थे. उन्होंने मेरी तरफ़ देखकर इशारा किया कि शास्त्री जी नहीं रहे. जब मैं कमरे में पहुंचा तो देखा बहुत बड़ा कमरा था और उस कमरे में एक बहुत बड़ा पलंग था. उसके ऊपर एक बहुत छोटा सा आदमी नुक्ते की तरह सिमटा हुआ निर्जीव पड़ा था. रात ढ़ाई बजे के करीब जनरल अयूब आए. उन्होंने इज़हारे-अफ़सोस किया और कहा, "हियर लाइज़ अ पर्सन हू कुड हैव ब्रॉट इंडिया एंड पाकिस्तान टुगैदर''(यहाँ एक ऐसा आदमी लेटा हुआ है जो भारत और पाकिस्तान को साथ ला सकता था).
भारत का यह दुर्भाग्य ही रहा कि ताशकंद समझौते के बाद वह इस छोटे क़द के महान पुरुष के नेतृत्व से हमेशा-हमेशा के लिए वंचित हो गया. उन्हें 1966 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया और अली सरदार जाफ़री ने उनकी आख़िरी उपलब्धि के सम्मान में एक नज़्म लिखी-
मनाओ जश्ने मोहब्बत कि ख़ून की बू न रही
बरस के खुल गए बारूद के सियाह बादल
बुझी-बुझी सी है जंगों की आख़िरी बिजली
महक रही है गुलाबों से ताशकंद की शाम
ख़ुदा करे कि शबनम यूँ ही बरसती रहे
ज़मीं हमेशा लहू के लिए तरसती रहे.
मै मरा नहीं हूँ ,मैरी हत्या हुई थी । और
ReplyDeleteमैरी मोंत का कारण सिर्फ और सिर्फ मैरे अपने
दलित समाज के पढ़े-लिखे वर्ग के द्वारा मुझे
दिया गया धोका, मैरे साथ
किया गया विश्वासघात तथा इनके कारण
लगा सदमा था ।
मैरी आयु को लगातार कम करने वाली बस यह
चिंता थी कि मैरे बाद मैरे दलित समाज के गरीब
लोगो का कौन ध्यान देगा क्योकि इस समाज
का पढ़ा-लिखा वर्ग तो मुझे ही धोका दे सकता है
तो इन गरीबो की क्या सुनेगा ।
-: डा.बी.आर.अम्बेडकर !!
4 se 6 con. ho sakti hai
ReplyDeleteaur main personal merit ke baare me nahi batata hun
28 din ka net pack lagaye rahoge to sab kuchh jald samajh me aa jayega
wese main 90 days wala unlmtd pack lagata hun jisse kuchh bhi miss na hone paaye...
आँखों की चिकित्सा- भाग 1 # Ayurved #आयुर्वेद
ReplyDeleteजिन की आंखे कमजोर हैं, जिन्हे नजदीक या दूर का चश्मा लगा हुआ है वह यह प्रयोग करे।
ये सभी प्रयोग अनेक बार आजमाए हुए व सुरक्षित हैं। किसी को भी कोई हानी नहीं होगी। लाभ किसी को कम व किसी को अधिक हो सकता है परंतु लाभ सभी को होगा। हो सकता है किसी का चश्मा न उतरे परंतु चश्मे का नंबर जरूर कम होगा। प्रयोग करने से सिर मे दर्द नहीं होगा। बाल दोबारा काले हो जाएगे। बाल झड़ने रूक जाएगे।
खाने की दवाई- गोरखमुंडी एक एसी औषधि है जो आंखो को जरूर शक्ति देती है। अनेक बार अनुभव किया है। आयुर्वेद मे गोरखमुंडी को रसायन कहा गया है। आयुर्वेद के अनुसार रसायन का अर्थ है वह औषधि जो शरीर को जवान बनाए रखे।
प्रयोग विधि- -
1- गोरखमुंडी का पौधा यदि यह कहीं मिल जाए तो इसे जड़ सहित उखाड़ ले। इसकी जड़ का चूर्ण बना कर आधा आधा चम्मच सुबह शाम दूध के साथ प्रयोग करे । इसका चित्र गुगुल पर देखे
2- बाकी के पौधे का पानी मिलाकर रस निकाल ले। इस रस से 25% अर्थात एक चौथाई घी लेकर पका ले। इतना पकाए कि केवल घी रह जाए। यह भी आंखो के लिए बहुत गुणकारी है।
3- बाजार मे साबुत पौधा या जड़ नहीं मिलती। केवल इसका फल मिलता है। वह प्रयोग करे। - प्रयोग विधि- 100 ग्राम गोरखमुंडी लाकर पीस ले। बहुत आसानी से पीस जाती है। इसमे 50 ग्राम गुड मिला ले। कुछ बूंद पानी मिलाकर मटर के आकार की गोली बना ले।
4- यह काम लौहे कि कड़ाही मे करना चाहिए । न मिले तो पीतल की ले। यदि वह भी न मिले तो एल्योमीनियम कि ले। जो अधिक गुणकारी बनाना चाहे तो ऐसे करे। 300 ग्राम गोरखमुंडी ले आए।लाकर पीस ले । 100 ग्राम छन कर रख ले। बाकी बची 200 ग्राम गोरखमुंडी को 500 ग्राम पानी मे उबाले। जब पानी लगभग 300 ग्राम बचे तब छान ले। साथ मे ठंडी होने पर दबा कर निचोड़ ले। इस पानी को मोटे तले कि कड़ाही मे डाले। उसमे 100 ग्राम गुड कूट कर मिलाकर धीमा धीमा पकाए। जब शहद के समान गाढ़ा हो जाए तब आग बंद कर दे। जब ठंडा जो जाए तो देखे कि काफी गाढ़ा हो गया है। यदि कम गाढ़ा हो तो थोड़ा सा और पका ले। फिर ठंडा होने पर इसमे 100 ग्राम बारीक पीसी हुई गोरखमुंडी डाल कर मिला ले। अब 50 ग्राम चीनी/मिश्री मे 10 ग्राम छोटी इलायची
मिलाकर पीस ले। छान ले। हाथ को जरा सा देशी घी लगा कर मटर के आकार कि गोली बना ले। गोली बना कर चीनी इलायची वाले पाउडर मे डाल दे ताकि गोली सुगंधित हो जाए। 3 दिन छाया मे सुखाकर प्रयोग करे। इलायची केवल खुशबू के लिए है। प्रयोग विधि – 1-1 गोली 2 समय गरम दूध से हल्के गरम पानी से दिन मे 2 बार ले। सर्दी आने पर 2-2 गोली ले सकते हैं। इसका चमत्कार आप प्रयोग करके ही अनुभव कर सकते हैं। आंखे तो ठीक होंगी है रात दिन परिश्रम करके भी थकावट महसूस नहीं होगी। कील, मुहाँसे, फुंसी, गुर्दे के रोग सिर के रोग सभी मे लाभ करेगी। जिनहे पेशाब कम आता है या शरीर के किसी हिस्से से खून गिरता है तो ठंडे पानी से दे। इतनी सुरक्षित है कि गर्भवती को भी दे सकते हैं। ध्यान रहे 2-4 दिन मे कोई लाभ नहीं होगा। लंबे समय तक ले । गोली को अच्छी तरह सूखा ले। अन्यथा अंदर से फफूंद लग जाएगी।
ध्यान रहे- ये पाचन शक्ति बढ़ाती है इसलिए भोजन समय पर खाए। चाय पी कर भूख खत्म न करे। चाय पीने से यह दवाई लाभ के स्थान पर हानि करेगी।
प्रायः निम्नलिखित कारणों से नेत्ररोग उत्पन्न होते हैं -
ReplyDelete(१) मल, मूत्र अपानवायु के वेगों को रोकना ।
(२) प्रातः और सायं दोनों समय शौच न जाना ।
(३) सूर्योदय के पश्चात् शौच जाना ।
(४) मूत्र में प्रतिविम्ब देखना ।
(५) गर्मी वा धूप से संतप्त (गर्म) होकर तुरन्त ही शीतल जल में घुसना ।
(६) उष्ण वा गन्दे जल में स्नान करना वा उष्ण (गर्म) जल सिर पर डालना ।
(७) अग्नि का अधिक सेवन तथा उसके पास बैठना वा अग्नि पर पैर तलवे आदि सेकना ।
(८) नेत्रों में धूल वा धुंआं जाना ।
(९) नींद आने पर वा समय पर न सोना वा दिन में सोना ।
(१०) सूर्य के उदय और अस्त होते समय सोना ।
(११) धूल, धुएं के स्थान वा अधिक उष्ण प्रदेशों में रहना वा सोना ।
(१२) वमन (उल्टी) का वेग रोकना वा अधिक वमन करना ।
(१३) शोक, चिन्ता और क्रोधजन्य कष्ट और सन्ताप ।
(१४) अधिक वा बहुत दिनों तक रोना ।
(१५) माथा, सिर अथवा चक्षुओं पर चोट आदि लगना ।
(१६) अधिक उपवास करना, भूखा रहना वा भूख को रोकना ।
(१७) अत्यन्त शीघ्रगामी (चलने वाले) यानों पर सवारी करना वा बैठना ।
(१८) अधिक खट्टे रसों (इमली आदि), चपरे (लाल मिर्च आदि), शुष्क पदार्थ (आलू आदि), अचार, तेल के पदार्थ, गर्म मसाले, गुड़, शक्कर, लहसुन, प्याज, बैंगन आदि उष्ण पदार्थों का सेवन ।
(१९) पतले पदार्थों को अधिक खाना अथवा गले, सड़े, दुर्गन्धयुक्त शाक, सब्जी और फल खाना ।
(२०) मांस, मछली, अण्डे आदि अभक्ष्य पदार्थों को खाना ।
(२१) मद्य (शराब), सिगरेट, हुक्का, बीड़ी, चाय, पान, भांग आदि मादक
(२३) छोटे-छोटे अक्षरों की वा अंग्रेजी भाषा की पुस्तकें रात्रि वा दिन में भी अधिक पढ़ना ।
(२४) सूर्य उदय व अस्त होते समय पढ़ना ।
(२५) सूर्यास्त के बाद बिना दीपक आदि के प्रकाश के पढ़ना अथवा सूई से सीना आदि बारीक कार्य करना ।
(२६) चन्द्रमा के प्रकाश में पढ़ना अथवा कपड़े आदि सीने का बारीक काम करना ।
(२७) रात्रि में लिखाई का काम करना ।
(२८) फैशन के कारण (सुन्दर बनने के लिए) आंखों पर नयनक वा चश्मे धारण करना ।
(२९) दुखती हुई आंखों से पढ़ना और सूर्य की ओर देखना ।
(३०) सुलाने के लिए बच्चों को अफीम खिलाना ।
(३१) बिजली, बैट्री, अग्नि, पानी, शीशे की चमक को देखना ।
(३२) सूर्य के प्रतिबिम्ब को शीशे में देखना ।
(३३) अधिक भोजन करना ।
(३४) जुराब पहनकर या बन्द मकान में सोना ।
(३५) दुखती हुई आंखों में चने चबाना अथवा अग्नि के सम्मुख बैठना वा देखना, धूल व धूएं में तथा धूप में (हल आदि का) कठिन काम करना ।
(३६) सूर्यग्रहण के समय सूर्य की ओर देखना ।
(३७) इन्द्रधनुष की ओर देखना ।
(३८) ऋतुओं और अपनी प्रकृति के प्रतिकूल आहार वयवहार (भोजन-छादन) करना ।
गृहस्थ ध्यान से पढ़ें
(३९) दुखती हुई आंखों में विषय भोग (वीर्यनाश) करने से आंखें सदा के लिए बिगड़ जाती हैं । यहां तक कि अन्धा हो जाने तक का भय है ।
(४०) रजस्वला स्त्री के शीशे में मुख देखने तथा आंखों में सुर्मा, स्याही, अञ्जन आदि डालने से अन्धा बालक उत्पन्न होता है ।
(४१) गर्भवती स्त्री के उष्ण, चरपरे, शुष्क, मादक (नशीले) पदार्थों के सेवन तथा विषयभोग से उत्पन्न होने वाले बालक की आंखें बहुत दुखती हैं तथा उसे अन्य रोग भी हो जाते हैं ।
४. नेत्र-रक्षा के साधन
ReplyDeleteयदि आंखों से प्यार है तो पूर्वलिखित निषिद्ध आहार व्यवहार से सदैव बचे रहो तथा निम्नलिखित नेत्र-रक्षा के उपायों (साधनों) का श्रद्धा से सेवन करो । प्रत्येक उपाय हितकर है किन्तु यदि सभी उपायों का एक साथ प्रयोग करें तो सोने पर सुहागा है ।
चक्षु स्नान
प्रातःकाल चार बजे उठकर ईश्वर का चिन्तन करो । फिर शुद्ध जल, जो ताजा और वस्त्र से छना हुआहो, लेकर इससे मुख को इतना भर लो कि उसमें और जल न आ सके अर्थात् पूरा भर लो । इस जल को मुख में ही रखना
है, साथ ही दूसरे शुद्ध जल से दोनों आंखों में बार-बार छींटे दो जिससे रात्रि में शयन समय जो मैल अथवा उष्णता आंखों में आ जाती है वह सर्वथा दूर हो जाय । इस प्रकार इस क्रिया से अन्दर और बाहर दोनों ओर से चक्षु इन्द्रिय को ठंडक पहुंचती है । निरर्थक मल और उष्णता दूर होकर दृष्टि बढ़ती है । इस क्रिया को प्रतिदिन करना चाहिये ।
उषः पान
इसके पश्चात् कुल्ली करके मुख नाक आदि को साफ कर लो और नाक के एक वा दोनों छिद्रों द्वारा ही आठ दस घूंट जल पी लो और लघुशंका करके शौच चले जाओ । नाक के द्वारा जल पीने से जहां अजीर्ण (कोष्ठबद्धता) दूर होकर शौच साफ होता है वहां यह क्रिया अर्श (बवासीर), प्रमेह, प्रतिश्याय (जुकाम) आदि रोगों से बचाती और आंखों की ज्योति को बढ़ाती है ।
अन्य उपाय सं० १
(१) शौच प्रतिदिन दूर जंगल में प्रातःकाल ब्राह्ममुहूर्त में नंगे पैर (बिना जूते पहने) जाओ । भ्रमण वा शौच के समय जूता, जुराब, खड़ाऊं और चप्पल आदि कुछ भी न पहनो । शीत, ग्रीष्म, वर्षा सभी ऋतुओं में नंगे पैरों भ्रमण करने से सब प्रकार के नेत्ररोग नष्ट होकर नेत्रज्योति बढ़ती है । किन्तु भ्रमण से अभिप्राय गन्दी गलियों से नहीं है । भ्रमण का स्थान शुद्ध हो । नंगे पैर ओस पड़ी हुई घास पर घूमना तो अत्यन्त ही लाभदायक है । सायंकाल सूर्यास्त के पश्चात् भी नंगे पैर जंगल में भ्रमण करना आंखों के लिए लाभदायक है ।
(२) प्रातःकाल और सायंकाल हरी घास देखो । फसल, वृक्षों तथा पादपों को देखने से चक्षुदृष्टि बढ़ती है । हरे भरे उद्यानों में यदि कोई दुखती हुई आंखों में भी भ्रमण करे तो उनमें भी लाभ होता है । हरी वस्तुओं को देखने से चक्षुविकार नष्ट होकर नेत्रज्योति बढ़ती है यह बात साधारण लोग भी जानते हैं । प्राचीन महर्षियों की यह बात कितनी रहस्यपूर्ण है ! ब्रह्मचारी के लिए प्रत्येक ऋतु में नंगे सिर रहना यही सिद्ध करता है कि प्रकृति माता की गोद में ब्रह्मचारी के
सब अंग-प्रत्यंगों की, सब ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों की स्वाभाविक दृष्टि (उन्नति) होकर वह आजीवन रोगरहित और स्वस्थ रहे ।
दन्तधावन
शौच से निवृत होकर दातुन अवश्य करो । यही नहीं कि दातुन से दांत ही निर्मल, दृढ़ और स्वस्थ होते हैं अपितु प्रतिदिन दन्तधावन करनेवालों की आंखें सौ वर्ष तक रोगरहित रहती हैं । जब मुख में दातुन डालकर मुख साफ करते हैं तो उसी समय आंखों में से जल के रूप में मल निकलता है जिससे आंखों की ज्योति बढ़ती है ।
चक्षुधावन
दातुन के पश्चात् कुल्ला करके एक खुले मुंह का जलपात्र लें और उसको ऊपर तक शुद्ध जल में भर लें । उसमें अपनी दोनों आंखों को डुबोवें और बार-बार आंखों को जल के अन्दर खोलें और बन्द करें । इस प्रकार कुछ देर तक चक्षुस्नान करने से आंखों को बहुत ही लाभ होगा । इस चक्षुस्नान की क्रिया को किसी शुद्ध और निर्मल जल वाले सरोवर में भी किया जा सकता है । यह ध्यान रहे कि मिट्टी, धूल आदि मिले हुए जल में यह क्रिया कभी न करें, नहीं तो लाभ के स्थान पर हानि ही होगी ।
जलनेति सं० १
ReplyDeleteशुद्ध, शीतल और ताजा जल लेकर शनैः शनैः नासिका के दोनों द्वारों से पीयें और मुंह से निकाल दें । दो-चार बार इस क्रिया को करके नाक और मुंह को साफ कर लो ।
जलनेति सं० २
किसी तूतरीवाले (टूटीदार) पात्र में जल लें और टूटी को बायें नाक में लगायें । बायें नाक को थोड़ा सा ऊपर को कर लें और दायें को नीचे को झुकायें और मुख से श्वास लें । बायें नासिका द्वार में डाला हुआ जल दक्षिण नासिका
के छिद्र से स्वयं निकलेगा । इसी प्रकार दायें नाक में डालकर बायें से निकालो । यह ध्यान रहे कि बासी और शीतल जल से नेति कभी न करें । उष्ण जल का भी प्रयोग नेति में कभी न करें । आरम्भ में इस क्रिया को थोड़ी देर करो, फिर शनैः शनैः बढ़ाते चले जाओ । यह क्रिया आंखों की ज्योति के लिये इतनी लाभदायक है कि इसका निरन्तर श्रद्धापूर्वक दीर्घकाल तक अभ्यास करने से ऐनकों की आवश्यकता नहीं रहती । चश्मे उतारकर फेंक दिये जाते हैं । कोई सुरमा, अंजन आदि औषध इससे अधिक लाभदायक नहीं । जहां यह क्रिया चक्षुओं के लिए अमृत संजीवनी है, वहां यह प्रतिश्याय (जुकाम) को भी दूर भगा देती है । जो भी इसे जितनी श्रद्धापूर्वक करेगा उतना ही लाभ उठायेगा और ऋषियों के गुण गायेगा ।
जलनेति से किसी प्रकार की हानि नहीं होती । यह मस्तिष्क की उष्णता और शुष्कता को भी दूर करती है । सूत्रनेति (धागे से नेति करना) शुष्कता लाती है किन्तु जलनेति से शुष्कता दूर होती है । सूत्रनेति इतनी लाभदायक नहीं जितनी कि जलनेति । जलनेति से तो मस्तिष्क अत्यन्त शुद्ध, निर्मल और हल्का हो जाता है । इससे और भी अनेक लाभ हैं ।
जलनेति सं० ३
जलनेति का एक दूसरा प्रकार भी है –
मुख को जल से पूर्ण भर लो और खड़े होकर सिर को थोड़ा सा आगे झुकाओ और शनैः शनैः नासिका द्वारा श्वास को बाहर निकालो । वायु के साथ जल भी नाक के द्वारा निकलने लगेगा । जिह्वा के द्वारा भी थोड़ा सा जल को धक्का दें । इस प्रकार अभ्यास से जल दो-चार दिन में नाक से निकलने लगेगा । इस क्रिया से भी उपरोक्त जलनेति वाले सारे लाभ होंगे । किसी प्रकार का मल भी मस्तिष्क में न रहेगा । आंखों के सब प्रकार के रोग दूर होकर ज्योति दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जावेगी । इसके पश्चात् शुद्ध शीतल जल से
स्नान करें । पहले जल सिर पर डालें । जब सिर खूब भीग जाय तो फिर अन्य अंगों पर डालें । नदी में स्नान करना हो तो भी पहले सिर धो लें ।
अन्य उपाय सं० २
ReplyDelete(१) स्नान के समय सिर से पहले पैरों को शीतल जल से कभी न धोवो । यदि स्नान करते समय पांवों को पहले भिगोवोगे तो नीचे की उष्णता मस्तिष्क में चढ़ जायेगी । यह ध्यान रक्खो कि सदैव शीतल जल से स्नान करो और सिर पर शीतल जल खूब डालो । यदि दुर्भाग्यवश रुग्णावस्था में उष्ण जल से नहाना पड़े तो पहले पैरों पर डालो । सिर को ठंडे जल से ही धोवो । नाभि के नीचे मसाने और मूत्रेन्द्रिय पर भी उष्ण जल कभी मत डालो
(२) सिर में किसी प्रकार का मैल न रहने पाये ।
(३) निरर्थक फैशन के पागलपन में सिर पर बड़े-बड़े बाल न रक्खो । इनमें धूल आदि मैल जम जाता है और स्नान भी भली-भांति नहीं हो सकता । बालों से मस्तिष्क, बुद्धि और आंखें खराब होती हैं । उष्ण प्रदेश और उष्णकाल में बाल अत्यन्त हानिकारक हैं । अतः इस बला से बचे रहो जिससे कि स्नान का लाभ शरीर और चक्षुओं को पूर्णतया पहुंच सके ।
(४) शुद्ध सरोवर वा नदी में नहाने वा तैरने से भी चक्षुओं को बड़ा ही लाभ होता है । स्नान का स्नान और व्यायाम का व्यायाम । पर्याप्त समय शुद्ध जल में प्रतिदिन तैरने से चक्षु और वीर्यसम्बन्धी सभी रोग दूर हो जाते हैं । तैरने के समय चक्षुस्नान के लिए भी बड़ी सुविधा है । किन्तु जल निर्मल हो । यदि नदी और सरोवर सुलभ न हो तो कूप पर पर्याप्त जल से शीतकाल में न्यून से न्यून एक बार और उष्ण ऋतु में दो बार अवश्य स्नान करो । जल के निकालने और बर्तने में आलस्य और लोभ न करो । जल की महिमा वेद भगवान् ने भी खूब गाई है -
अप्स्वन्तरमृतमप्सु भेजसम्
-अथर्ववेद १।४।४
जल में अमृत और औषध है इसीलिए तो जल का नाम जीवन भी है ।
यदि प्रभु-प्रदत्त इस जलरूपी अमृत और औषध का सदुपयोग करोगे तो अनेक प्रकार के लाभ उठाओगे और सब प्रकार से स्वस्थ और रोगमुक्त हो जावोगे ।
(५) सदैव खूब रगड़-रगड़कर घर्षण स्नान करना चाहिए । पैरों और पैरों के तलवों को खूब धोना और साफ करना चाहिए । पैरों के ऊपर नीचे तलवों पर तथा उंगलियों पर किसी प्रकार का मैल न लगा रहे ।
(६) पैरों को साफ रखने से आंखों की ज्योति बढ़ती और रोग दूर होते हैं । विशेषतया इसके साथ कभी-कभी सप्ताह में एक-दो बार पैरों के तलवों की शुद्ध सरसों के तेल से मालिश करना चक्षुओं के लिए बड़ा हितकर है ।
(७) जब कभी तेल की मालिश की जावे तो उस समय शिर और पैर के तलवों की मालिश अवश्य करें ।
(८) प्रतिदिन सोते समय सरसों का तेल थोड़ा गर्म करके एक दो बूंद कानों में डालने से आंखों को बहुत ही लाभ पहुंचता है तथा आंखें कभी नहीं दुखती, साथ ही कानों को लाभ होता है ।
व्यायाम और ब्रह्मचर्य
प्रतिदिन व्यायाम करने से भोजन ठीक पचता है और मलबद्ध (कब्ज) कभी नहीं होता । वीर्य शरीर का अंग बन जाता है जो नष्ट नहीं होता और वीर्य ही सारे शरीर और विशेषतया ज्ञानेन्द्रियों को शक्ति देता है । जब व्यायाम से वीर्य की गति ऊर्ध्व हो जाती है और वह मस्तिष्क में पहुंच जाता है तब चक्षु आदि इन्द्रियों को निरन्तर शक्ति प्रदान करता है और स्वस्थ रखता है । वैसे तो ब्रह्मचर्य सभी लोगों के लिए परमौषध है जैसा कि परम वैद्य महर्षि धन्वन्तरि जी ने कहा भी है –
मृत्युव्याधिजरनाशि पीयूषं प्रमौषधम् ॥
ReplyDeleteब्रह्मचर्यं महद्यरत्नं सत्यमेव वदाम्यहम् ॥
किन्तु आंखों के लिये तो ब्रह्मचर्य पालन ऐसा ही है जैसा कि दीपक के लिए तेल । जैसे तेल के अभाव में दीपक बुझ जाता है वैसे ही वीर्यरूपी तेल के अभाव वा नाश से नेत्ररूपी दीपक बुझ जाते हैं । वीर्यनाश का प्रभाव सर्वप्रथम नेत्रों पर ही पड़ता है । वीर्यनाश करने वालों की आंखें अन्दर को धंस जाती हैं
और उसे उठते-बैठते अंधेरी आती है । आंखों के चारों ओर तथा मुख पर काले-काले धब्बे हो जाते हैं । आंखों का तेज वीर्य के साथ-साथ बाहर निकल जाता है । वीर्यरक्षा के बिना चक्षुरक्षा के अन्य सब साधन व्यर्थ ही हैं । अतः जिसे अपने आंखों से प्यार है वह कभी भूलकर भी किसी भी अवस्था में वीर्य का नाश नहीं करता और वीर्यरक्षा के लिये नियमपूर्वक अन्य साधनों के साथ-साथ प्रतिदिन व्यायाम भी करता है ।
वैसे तो वीर्यरक्षा तथा आंखों के लिये सब प्रकार के व्यायाम से लाभ पहुंचता है परन्तु शीर्षासन, वृक्षासन, मयूरचाल, सर्वांगासन तो वीर्यरक्षा में परम सहायक तथा आंखों के लिये सब प्रकार के व्यायामों में मुख्य हैं तथा आंखों के लिये गुणकारी हैं
निष्कर्ष यह है कि विद्यार्थी आदि मस्तिष्क से काम करने वाले लोगों को शीर्षासनादि व्यायाम से
जहां अनेक लाभ होते हैं वहां उनकी आंखों के रोग और विकार दूर होते हैं । अतः चक्षुप्रेमियों को प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए ।
अन्य उपाय सं० ३
(१) भोजन से पूर्व हाथ, पैर और सिर धोने से चक्षुओं को लाभ पहुंचता है ।
(२) भोजन के पश्चात् कुल्ला करके हाथ धोकर गीले हाथ आंखों और सिर
पर फेरने से आंखों को लाभ पहुंचता है । (५) सदैव सीधे बैठकर ही पढ़ो । पुस्तक को पढ़ते समय अपने हाथ में आंखों से एक फुट दूर रखो । भूमि वा ऐसे स्थान पर पुस्तक को कभी न रखो जिससे आपको झुकना पड़े । लिखने वा पढ़ने का कार्य कभी झुककर न करो । झुककर लिखने और पढ़ने से आंखें और फेफड़े दोनों ही खराब होते हैं ।
७) रात्रि में दस बजे से पहले सो जाओ । यदि परीक्षा के कारण ज्यादा पढ़ना ही पड़े तो प्रातः तीन वा चार बजे उठकर पढ़ो ।
(८) रात्रि में देर तक पढ़ते रहना और प्रातःकाल देर तक सोते रहना दोनों ही आंखों के लिए अत्यन्त हानिकारक हैं ।
आप लोगों ने कभी यह सोचा कि सभी गुणांक मेरिट समर्थक गायब कहाँ हो गये? ऐसा तो है नहीं कि सब के सब मर गये, और यह भी असम्भव है कि उनका हृदय परिवर्तन हो गया हो, कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं हो सकती और गुणांक मेरिट के समर्थक कभी अच्छी बात नहीं कर सकते। असल में उन्हें अच्छी तरह से मालूम है कि इस भर्ती में उन्हें सूंघने को भी भोजन नहीं मिलने वाला, खाने का तो बहुत दूर की बात है।
ReplyDelete"यह भर्ती अब नहीं होनी चाहिए",
ReplyDeleteमुझे तो नहीं लगता कि यह भर्ती हो पायेगी, आपका हो गया तो अब आप ऐसी बातें करोगे ही,
खुद का हो गया है तो हीरो बन रहे हो,
भर्ती में इतनी धांधली हुई है कि इसमें सिर्फ धांधली वाले 60% है,
हिमांशु भाई ने अगर चाह लिया तो इस भर्ती का रुकना तय है,
मेरा 116 है होगा कि नहीं?
मेरा 118 है मैंने उम्मीद छोड़ दिया है,
115 से नीचे वालों इस भर्ती को अब भूल जाओ,
नेताओं का हो गया तो अब वो कुछ नहीं करेंगे।
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इस तरह के बिना सिर पैर वाले कमेन्ट अथवा पोस्ट अगर आपको आपको दिखाई दे तो आप तुरंत पहचान जाना कि ये वही एकडमिक समर्थक है जो अब टेट मेरिट का बहरूपिया समर्थक है।
सच्चा टेट मेरिट समर्थक कभी भी इस भर्ती का बुरा नहीं सोच सकता इसका सबसे बड़ा उदाहरण नवीन श्रीवास्तव जी है पी जी वाले मुद्दे पर उनकी काउंसलिंग खतरे में पड़ गई थी वो कोर्ट जाकर सिर्फ अपने अधिकारों के हनन का मुद्दा उठाया वो कामयाब भी हुए, वो कोर्ट में जाकर भर्ती को रुकवाने की बात नहीं किये,
ReplyDeleteयह है सच्चे टेट मेरिट समर्थक की विशेषता।
दुसरा उदाहरण आनंद तिवारी जी का है उनके अंक कुछ कम है उन्होंने भी इस भर्ती के लिये शुरू से संघर्ष किया मेरी नज़र में वो एक सच्चे टेट मेरिट समर्थक हैं, वो उन लोगों के जैसे बहरूपिया समर्थक नहीं है जो कभी गुणांक का समर्थन करते थे लेकिन जब गुणांक का रैंक देखें तो होश उड़ गया फिर जय टेट मेरिट का नारा लगाना शुरू कर दिए लेकिन अब टेट का कट ऑफ देखकर फिर से होश उड़ गया तो कोर्ट कोर्ट खेलकर एक दो साल की कमाई का जुगाड़ करना शुरू कर दिए, लेकिन आनंद भाई उनमें से नहीं है उनके मार्मिक पोस्ट को मैंने देखा तो महसूस हुआ कि एक सच्चा टेट मेरिट समर्थक कभी किसी का बुरा नहीं सोच सकता।
ReplyDeleteमेरे बहुत से भोलेभाले मित्र इन बहरूपियों के चक्कर में पड़कर अपने स्वास्थ्य को हानि पहुंचा रहे हैं, अपने दिमागी संतुलन को बिगाड़ रहे हैं यही उनकी मंशा है जिसमें उन्हें कामयाबी मिल भी रही है।
ReplyDeleteजो बात हर बार कहता हूँ वही इसबार भी कहूंगा अभी लगभग आधी सीट खाली है और 118 तक वाले सभी और 117 वाले लगभग आधे लोगों की काउंसलिंग हो चुकी, मतलब लड़ाई 117 से शुरू होगी।
ReplyDeleteबहुत अधिक कुछ नहीं कहूंगा बाकी आप खुद समझदार हैं पिछली बार लगभग 12 अंकों के बीच में लड़ाई थी इस बार 20 गुना लोगों को बुलाया जाएगा खुद अंदाजा लगा लिया कीजिए इन बहरूपियों के चक्कर में खुद को कमजोर व निराश मत कीजिए।
ReplyDelete"ऐसे ही जवान पुरूषों को भी समझाया कर, कि संयमी हों। सब बातों में अपने आप को भले कामों का नमूना बना: तेरे उपदेश में सफाई, गम्भीरता और ऐसी खराई पाई जाए, कि कोई उसे बुरा न कह सके; जिस से विरोधी हम पर कोई दोष लगाने का अवसर न पाकर लज्ज़ित हों। दासों को समझा, कि अपने अपने स्वामी के आधीन रहें, और सब बातों में उन्हें प्रसन्न रखें, और उलट कर जवाब न दें। चोरी चालाकी न करें; पर सब प्रकार से पूरे विश्वासी निकलें, कि वे सब बातों में हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर के उपदेश को शोभा दें।''
ReplyDelete____________________________________________________________________ तीतुस 2:6-10 )
मै देख रहा हूँ कि कुछ आरक्षित वर्ग के लो मेरिट के लोग भी राणा जी के साथ आने के लिए व्याकुल है और धाधली के नाम पर उनके द्वारा डाली जा रही रिट को अपना समर्थन दे रहे है । ऐसे भाईयो से मेरा कहना है कि जब सब के सब अपने स्वार्थ मे लगे है तो आपसभी भी अपना भला बुरा सोचो । दरअसल ये रिट कर्ता महोदय धाधली के नाम पर जो रिट दायर करने जा रहे है उसमे जो प्वाइंट सामिल किये जा रहे है वो आरक्षित वर्ग के लो मेरिट वाले साथियों के लिए जानलेवा साबित होने वाले है अगर राणा केस जीत गये तो ।
ReplyDeleteदेखे कैसे .......??????
इनकी रिट का एक प्वाइंट ये है कि आरक्षित वर्ग वाले को अनारक्षित वर्ग मे तभी सीट दी जाये जब वो सामान्य वर्ग की सभी पात्रता पूर्ण करता हो । चाहै भले ही उसके टेट के अंक सामान्य वर्ग के बराबर क्यो न हो जब कि अभी तक कोई भी भर्ती इस तरह नही हुई है जिस तरह ये माँग कर रहे है ।
अब इसका प्रभाव ये होगा कि अगर कोई obc या sc/st जिसकी उमर 40 से ऊपर है या जिसके ग्रेजुएशन मे 45% से कम है तो भले ही उसके टेट न. 135 हो उसको आरक्षित वर्ग मे ही सीट मिलेगी । अगर ऐसा हुआ तो आरक्षित वर्ग के लो मेरिट वालो का भर्ती से बाहर
होना तय है क्योकि उस वर्ग के हाई मेरिट वाले साथी जब आरक्षित वर्ग मे धकेल दिये जायेगे तो लो वालो को बाहर होना पडेगा।
इसलिए इस आपाधापी मे सोचसमझकर
फैसला करे ।
Jeet K B Haar Gaya Mai Pyar Ki
ReplyDeleteBaazi Yaaro
Main Uska DEVDAS Tha Wo Thi
Meri PAARO
Wo Guzar Gai Pas Se Nazar B Na
Milai
Q K I Was On Cycle & She Was In
PIJARO.
परफेक्ट बीवी:...........
ReplyDeleteन कभी तंग करती है,
न कभी झूठ बोलती है,
न ही वो धोखा देती है,
न कभी शक करती है,
न कभी पैसे मांगती है,
न ही कभी शॉपिंग करने जाती है,
और न ही इस दुनिया में पायी जाती है।..........
और जिसके पास है वो बुहत
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
खुशनसीब है..
Liptaa Hai Mere Dil Se Kisi Raaz Ki
ReplyDeleteSurat
Wo Shakhs Ke Jis Ko Meraa Honaa
Bhi Nahin Hai
.
.
Yeh Ishq Mohabbat Ki Riwaayat
Bhi Azab Hai,
Paanaa Bhi Nahin Hai, Use Khonaa
Bhi Nahin Hai
#From :: Shasant
Ye muche chutia najar aata h bhai
Deleteप्रश्नोत्तरी ( मानव और राष्ट्र इतिहास विषय ) :-
ReplyDelete(1) प्रश्न :- क्या सारी मानव जाती एक है ?
उत्तर :- जी हाँ सारी मानव जाती एक ही है ।
(2) प्रश्न :- मनुष्यों की पहली भाषा एक ही थी या अनेक भाषाएँ थीं ?
उत्तर :- मनुष्यों की पहली भाषा एक ही थी ।
(3) प्रश्न :- मनुष्यों की प्रथम भाषा कौन सी थी ?
उत्तर :- मनुष्यों की प्रथम भाषा वैदिक संस्कृत थी ।
(4) प्रश्न :- संसार में मनुष्यों की अनेक भाषाएँ कैसे बनीं ?
उत्तर :- आलस्य और प्रमाद के कारण मूल शब्दों में समय के साथ विकृत्तियाँ आने से एक मूल भाषा संस्कृत से अनेकों संसार की भ्रष्ट भाषाएँ बनी हैं ।
(5) प्रश्न :- मनुष्य की उत्पत्ति पृथिवी के किस स्थान पर हुई ?
उत्तर :- त्रिविष्टिप ( तिब्बत ) के हिमालय पर मनुष्य की प्रथम उत्पत्ति हुई ।
(6) प्रश्न :- क्या पहले एक ही स्त्री और पुरुष को उत्पन्न किया गया था ?
उत्तर :- नहीं कई स्त्रीयाँ और पुरुष एक साथ ही उत्पन्न किए गए थे । क्योंकि एक ही स्त्री पुरुष से पूरी मानव जाती नहीं बन सकती और उनके पुत्र पुत्रियों में आपस में भाई बहन की शादीयाँ होने से ये महाव्याभिचार होता । अतः ये बात मानने योग्य नहीं है ।
(7) प्रश्न :- पहले जो स्त्री और पुरुष उत्पन्न हुए उनको कैसे उत्पन्न किया गया ?
उत्तर :- अमैथुनी सृष्टि से उन स्त्री पुरुषों को उत्पन्न किया गया है ।
(8) प्रश्न :- यह अमैथुनी सृष्टि क्या होती है ?
उत्तर :- बिना माता पिता के यौन सम्बन्ध बनाए ही जो संतान उत्पन्न होती है उसको अमैथुनी सृष्टि कहा जाता हैै ।
(9) प्रश्न :- परन्तु सृष्टि के आरम्भ में अमैथुनी सृष्टि से मानव कैसे उत्पन्न हुए ? ये तो मानने योग्य बात है ही नहीं तो इस पर हम कैसे विश्वास करें ?
उत्तर :- इसका वैज्ञानिक पक्ष समझने पर आपको समझ आयेगा कि अमैथुनी सृष्टि से बिना माता पिता के प्रथम मानव कैसे पैदा हुए ? और बाद में कैसे मैथुनी सृष्टि आरम्भ होने पर वे पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ते ही गए ।
(10) प्रश्न :- ज़रा हमें मैथुनी और अमैथुनी सृष्टि का विज्ञान समझाएँ ?
उत्तर :- (१) मैथुनी प्रक्रीया :- जब माता और पिता यौन सम्बन्ध बनाते हैं तो माता के गर्भ में पुरुष के वीर्य का स्थापन होता है और वह माता के रज से मिलता है तो कोषिकाएँ ( Genes ) बननी आरम्भ हो जाती हैं । फिर कोष ( Cell ) का निर्माण होता है और वही एक कोष कई गुणा बढ़ने लगता है । तो ऐसा बढ़ बढ़ कर एक बड़ा भ्रूण तैय्यार हो जाता है, फिर उसी भ्रूण का विकास माता के गर्भ में होता है । और वह भ्रूण गर्भ में ही सभी प्रकार का पोषण प्राप्त करता रहता है । यही ईश्वरीय व्यवस्था है । यहाँ देखने वाली बात यह है कि माता का गर्भ भ्रूण और उस भ्रूण से शिशु बनने की प्रक्रीया तक की अवस्था के लिए अनुकूल है । फिर जब यह भ्रूण बनने से पहले की कोषों के समूह में ही ईश्वर द्वारा चुनी हुई जीवात्मा उसमें आती है । जिसे कि इस योनी में जन्म लेना है । तो ऐसे ही जब गर्भ में बच्चा बड़ा होने लगता है तो कुछ मास के बाद वह गर्भ से बाहर आता है और दुनिया देखता है । तो ये है मैथुनी प्रक्रीया जिससे कि सभी जीव पैदा होते हैं ।
(२) अमैथुनी प्रक्रीया :- अब आते हैं अमैथुनी प्रक्रीया पर, जिसमें यह बात देखने वाली है कि जब पृथिवी के किसी भाग में अनुकूल स्थिती बनती है तब जैसे कि माता के गर्भ में बनी थी तो वहाँ पर कोषिकाओं से कोषों का बनना भी सम्भव है । और उन कोषों से भ्रूण और फिर शिशु और उसके पश्चात व्यसक जीव शरीर का निर्माण हुआ करता है । उदहारण :- जब वर्षा होती है तो इसी अमैथुनी प्रक्रीया से पृथिवी पर केंचुए रेंगते हुए दिखाई देते हैं । कुछ लोग कहते हैं कि केंचुए तो भूमी से निकले । तो प्रश्न उठता है कि भूमी में कैसे आए ? तो भूमी से तो निकले हैं ही बल्की वर्षा में मिट्टी में नमी होने से कारण उनके लिए भूमी के नीचे ही अनुकूल वातावरण तैय्यार हो गया और जैसे माता के गर्भ में शिशु बनने की क्रिया आरम्भ हुई वैसे ही भूमी माता के गर्भ में केंचुए तैय्यार हुए और अनुकूल समय आने पर ही उनमें ईश्वर द्वारा किसी आत्मा के पूर्व कर्मों के आधार पर उनको उस केंचुए की योनी में डाल दिया जिससे कि उनमें चेतना आई और वे वर्षा के पानी में रेंगने लगा । तो ठीक ऐसे ही आरम्भ में मनुष्यों के साथ भी हिमालय की अनुकूल जलवायु में भी हुआ था । जिस कारण प्रकृति के गर्भ में वे एक साथ उत्पन्न हुए ।
(11) प्रश्न :- मनुष्य जब उत्पन्न हुए तो वे किस अवस्था में थे ?
ReplyDeleteउत्तर :- मनुष्य जब उत्पन्न हुए तो वे युवा स्त्री पुरुष के समूह में ही उत्पन्न हुए । क्योंकि अगर वे बच्चे के रूप में पैदा होते तो उन्हें संभालता कौन ? और यदि वो बुड्ढे पैदा होते तो वे संतान कैसे उत्पन्न करते ? तो इसी कारण प्रथम अवस्था में अनेकों युवा स्त्री पुरुष ही त्रिविष्टिप के हिमालय पर्वत पर उत्पन्न हुए ।
(12) प्रश्न :- तो अमैथुनी सृष्टि के बाद वंश कैसे चला ?
उत्तर :- मैथुनी सृष्टि से । मनुष्यों में विवाह प्रथा चली और जीवों में सामान्य मैथून से ही आगे वंश वृद्धि होती चली गई ।
(13) प्रश्न :- तो अब भी ईश्वर मनुष्यों को अमैथुनी क्रिया से ही पैदा क्यों नहीं करता है ? जैसे पहले किया वैसे अब भी तो कर सकता है ?
उत्तर :- ईश्वर ने कुछ जीवों का चयन इस प्रकार किया है कि वो मैथुनी प्रक्रीया से आगे वंश वृद्धि करें और कुछ के लिए अभी भी वही अमैथुनी क्रिया है जैसे केंचुए की उदहारण आपके सामने दी गई । दूसरी बात ये है कि अब प्रकृति में वैसी बात नहीं है जलवायु समय समय के साथ दूषित होती रही है । जिससे की मानव उत्पत्ती का अमैथुनी क्रिया से पैदा होना सम्भव नहीं है ।
(14) प्रश्न :- तो फिर इस प्रश्न का उत्तर क्या हुआ कि अंडा पहले आया या मुर्गी ?
उत्तर :- पहले मुर्गी ही आई क्योंकि यदि अंडा आएगा तो उसको गर्मी देकर बच्चे बाहर कौन निकालेगा , मुर्गी होगी तो अंडे भी देगी और उसकी देखभाल से वंश की वृद्ध भी कर पाएगी ।
(15) प्रश्न :- पर मनुष्यों की उत्पत्ति विकासवाद ( Evolution ) के अनुसार बंदरों के क्रमिक विकास से हुई है क्या ये बात को नहीं मानते ?
उत्तर :- ये विकासवाद का सिद्धांत हम बहुत पहले कई वैज्ञानिकों द्वारा खण्डित हो चुका है और उनके द्वारा यह भी सिद्ध हो गया है कि एक जाती के जीव अपनी ही जाती के जीवों को उत्पन्न कर सकते हैं दूसरों को नहीं । इस Darvin के विकासवाद का विस्तृत खण्डन हम अपने अगले लेख में करेंगे अन्यथा यह लेख बहुत बड़ा हो जाएगा । अभी केवल यह जान लें कि मनुष्य केवल मनुष्य से ही उत्पन्न हुआ है और बंदर से केवल बंदर ।
(16) प्रश्न :- मनुष्य की उत्पत्ति आज से कितने वर्ष पूर्व हुई ?
उत्तर :- यह कहना अत्यन्त कठिन है परन्तु साक्षीयों और स्मृतियों के आधार मानव का पृथिवी आज से पहले लगभग 12 करोड़ वर्ष पूर्व का सिद्ध होता है । मानव इससे भी पहले पृथिवी पर आया हो ऐसा सम्भव है । परन्तु 12 करोड़ वर्ष पहले को मानव कम से कम था ही ।
(17) प्रश्न :- आधुनिक विज्ञान के अनुसार मनुष्य तो केवल कुछ एक लाख वर्ष पूर्व का ही सिद्ध होता है तो आप किस आधार पर ये इतनी बड़ी संख्या कह रहे हैं ?
उत्तर :- वैदिक काल गणना के अनुसार मानव को पृथिवी पर आए आज से 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 53 हज़ार 115 वर्ष ( 1960853115 वर्ष अब विक्रमी सम्वत् 2071 तक ) हो चुके हैं । लेकिन पहले विज्ञान लाख वर्ष तक पहुँचा फिर धीरे धीरे ये लोग मिले मानव के प्राचीन अवशेषों के आधार पर उससे पीछे होते चले गए । Radio Carbon Dating नामक प्रणाली की सहायता से 60 लाख वर्ष पुराना मनुष्य का सिला हुआ जूता मिला है ( Theosophical Path, August 1923 ) । और इसी प्रकार 12 करोड़ वर्ष पुराने एक गुफा में बनाए हुए चित्र मिले हैं जो कि स्पष्ट है मानव ही बना सकता है पशु नहीं । तो ऐसे ही हमें आशा है और सशक्त अनुसंधान से विज्ञान की गणना 12 करोड़ से भी और पीछे होते होते वैदिक गणना तक पहुँच ही जाएगी ।
(18) प्रश्न :- मनुष्यों की उत्पत्ति तिब्बत पर ही क्यों हुई ? कहीं और क्यों नहीं हुई ?
उत्तर :- क्योंकि तिब्बत का हिमालय क्षेत्र ही मनुष्यों के रहने योग्य अनुकूल जलवायु वाला क्षेत्र था और बाकी के द्वीप जल में डूबे हुए थे और हिमालय की ऊँचाई भी उस समय बहुत कम थी ।
(19) प्रश्न :- मनुष्यों ने प्रथम किस देश को बसाया ?
ReplyDeleteउत्तर :- मनुष्यों ने प्रथम आर्यवर्त देश को बसाया ।
(20) प्रश्न :- आर्यवर्त देश की सीमाएँ वर्तमान स्थिती के अनुसार कहाँ तक थीं ?
उत्तर :- यह उत्तर में हिमालय, विन्ध्याचल, पश्चिम में सिन्धु नदी, पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी, दक्षिण में कटक नदी । इन नदीयों के बीच में जितना देश है उसको आर्यवर्त कहते हैं ।
(21) प्रश्न :- देशों के नाम किस आधार पर रखे गए हैं ?
उत्तर :- देशों के नाम मनुष्य जातीयों के आधार पर रखे गए हैं ।
(22) प्रश्न :- आर्यवर्त देश का नाम कैसे पड़ा ?
उत्तर :- आर्यवर्त देश का नाम आर्य लोगों के इस देश को निवास स्थान बनाने पर पड़ा है ।
(23) प्रश्न :- आर्य लोग कौन हैं ?
उत्तर :- श्रेष्ठ और धर्मपूर्वक आचरण करने वाले मनुष्यों को ही आर्य कहा जाता है,जो सृष्टि के प्रथम उत्पन्न हुए और तिब्बत के हिमालय से उतर कर इस देश को अपना निवास स्थान बनाया और आर्यवर्त का नाम दिया ।
(24) प्रश्न :- मनुष्य कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :- मनुष्य मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, आर्य और दस्यु ( दुष्ट स्वभाव से युक्त ) । इन्हीं को देव और असुर भी कहा जाता है ।
(25) प्रश्न :- प्रथम सृष्टि में मनुष्य कैसे थे ?
उत्तर :- प्रथम सृष्टि में मनुष्य केवल आर्य ही थे । दस्यु स्वभाव के नहीं थे ।
(26) प्रश्न :- मनुष्यों का विस्तार पूरे आर्यवर्त देश में कैसे हुआ और कैसे मानव ने प्रथम आर्यवर्त को बसाया ?
उत्तर :- पहले हिमालय का स्तर बहुत कम था और समस्त द्वीप जल में डूबे हुए थे । धीरे धीरे समय बीतने पर जल स्तर कम होता गया और हिमालय ऊपर होता गया और मनुष्यों ने तिब्बत से नेपाल होते होते समय के साथ धीरे धीरे आर्यवर्त के दूसरे भागों में प्रवेश करना शुरू किया । पहले उत्तर प्रदेश फिर पंजाब नेपाल से होते हुए असम ब्रह्मपुत्र नदी के तट तक और मध्य भारत के भाग तक । सिन्धू नदी के तट तक आर्यवर्त बसता चला गया । मनुष्यों की आबादी भी बढ़ने लगी थी और वह भूमी पर विस्तार करता गया । मानव भूमी में खेती करने लगा । नगर और ग्राम बसाने लगा । नदियों के किनारे ग्राम बसाए जाने लगे । पर्वतों और नदीयों के पास ही शिक्षा के लिए गुरूकुल खोले जाने लगे । उस समय भूमी बहुत उपजाऊ हुआ करती थी । वृक्षों पर फल भरे रहते थे । वृक्ष कई कई मील की ऊँचे थे जिनके अवशेष अब Discovery वालों द्वारा पाए गए हैं । इस प्रकार धीरे धीरे समय के साथ मानव पूरी भूमी पर फैलता चला गया ।
(27) प्रश्न :- आर्यवर्त में वैदिक काल कैसा था ?
उत्तर :- गुरू शिष्य परम्परा के होने से शिष्य गुरू के पास जाकर सभ्यता सीखता था,मानव बुद्धि असाधारण हुआ करती थी । समाज में वैदिक चतुर वर्ण व्यवस्था कर्म के आधार पर थी । समाज समृद्धिशाली था । रोग अति न्यून था । समय समय पर यदि रोग बढ़ता भी था तो ऋषियों नें अनेकों आयुर्वेद शास्त्रों की रचना करके समाज का महान उपकार भी किया था और रोगों की चिकित्साएँ की थीं । समाजिक अर्थव्यवस्था में धन का प्रयोग न होकर सामान का आदान प्रदान होता था, परिश्रम का आदान प्रदान होता था । पुत्र और पुत्रीयाँ आज्ञाकारी होते थे । जब कोई वृद्ध आता था तो सभी छोटे खड़े होकर प्रेम पूर्वक नमस्ते करते थे । पत्नी और पती में सदाचार और शिष्टाचार का स्तर उच्च हुआ करता था । निंदा चुगली नहीं हुआ करती थी । सभी अपना ज्ञान वृद्धि के लिए प्रयत्न किया करते थे । बिना कारण के वाद विवाद नहीं हुआ करते थे । पुरुष बलशाली और पराक्रमी होते थे, स्त्रीयाँ सुन्दर और सुशील होती थीं । स्वच्छता का विषेश ध्यान रखा जाता था ।व्याभिचार न के बराबर था । कोई चोर, ठग, और लम्पटी नहीं होता था । तो ऐसी ही आर्यवर्त की वैदिक व्यवस्था थी ।
शुद्र समाज भी बहुत विनयशील और सदाचारी होता था ।(26) प्रश्न :- मनुष्यों का विस्तार पूरे आर्यवर्त देश में कैसे हुआ और कैसे मानव ने प्रथम आर्यवर्त को बसाया ?
उत्तर :- पहले हिमालय का स्तर बहुत कम था और समस्त द्वीप जल में डूबे हुए थे । धीरे धीरे समय बीतने पर जल स्तर कम होता गया और हिमालय ऊपर होता गया और मनुष्यों ने तिब्बत से नेपाल होते होते समय के साथ धीरे धीरे आर्यवर्त के दूसरे भागों में प्रवेश करना शुरू किया । पहले उत्तर प्रदेश फिर पंजाब नेपाल से होते हुए असम ब्रह्मपुत्र नदी के तट तक और मध्य भारत के भाग तक । सिन्धू नदी के तट तक आर्यवर्त बसता चला गया । मनुष्यों की आबादी भी बढ़ने लगी थी और वह भूमी पर विस्तार करता गया । मानव भूमी में खेती करने लगा । नगर और ग्राम बसाने लगा । नदियों के किनारे ग्राम बसाए जाने लगे । पर्वतों और नदीयों के पास ही शिक्षा के लिए गुरूकुल खोले जाने लगे । उस समय भूमी बहुत उपजाऊ हुआ करती थी । वृक्षों पर फल भरे रहते थे । वृक्ष कई कई मील की ऊँचे थे जिनके अवशेष अब Discovery वालों द्वारा पाए गए हैं । इस प्रकार धीरे धीरे समय के साथ मानव पूरी भूमी पर फैलता चला गया ।
(27) प्रश्न :- आर्यवर्त में वैदिक काल कैसा था ?
ReplyDeleteउत्तर :- गुरू शिष्य परम्परा के होने से शिष्य गुरू के पास जाकर सभ्यता सीखता था,मानव बुद्धि असाधारण हुआ करती थी । समाज में वैदिक चतुर वर्ण व्यवस्था कर्म के आधार पर थी । समाज समृद्धिशाली था । रोग अति न्यून था । समय समय पर यदि रोग बढ़ता भी था तो ऋषियों नें अनेकों आयुर्वेद शास्त्रों की रचना करके समाज का महान उपकार भी किया था और रोगों की चिकित्साएँ की थीं । समाजिक अर्थव्यवस्था में धन का प्रयोग न होकर सामान का आदान प्रदान होता था, परिश्रम का आदान प्रदान होता था । पुत्र और पुत्रीयाँ आज्ञाकारी होते थे । जब कोई वृद्ध आता था तो सभी छोटे खड़े होकर प्रेम पूर्वक नमस्ते करते थे । पत्नी और पती में सदाचार और शिष्टाचार का स्तर उच्च हुआ करता था । निंदा चुगली नहीं हुआ करती थी । सभी अपना ज्ञान वृद्धि के लिए प्रयत्न किया करते थे । बिना कारण के वाद विवाद नहीं हुआ करते थे । पुरुष बलशाली और पराक्रमी होते थे, स्त्रीयाँ सुन्दर और सुशील होती थीं । स्वच्छता का विषेश ध्यान रखा जाता था ।व्याभिचार न के बराबर था । कोई चोर, ठग, और लम्पटी नहीं होता था । तो ऐसी ही आर्यवर्त की वैदिक व्यवस्था थी ।
शुद्र समाज भी बहुत विनयशील और सदाचारी होता था ।
lage raho pilibhit reserve tiger.
ReplyDeleteP
ReplyDeleteR
M
O
T
I
O
N
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W
A
L
I
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मेरी हर ख़ुशी का रास्ता तुझसे होकर गुज़रता है,
अब मत पूछना कभी कि तू मेरा क्या लगती है...!!
BYE....................
Fir aa gaye ek din ka net pack wale..........
ReplyDeleteinki yahi pahchaan hai kabhi kuchh achchha nahi bol sakte hai ......
bsssss gaali galauz me P.hd. kiye hue hain.....
sale bhosdi ke arun pratrap pahle sahi tarah se likhna to sikho.
ReplyDeleteवक़्त अच्छा ज़रूर आता है;
ReplyDeleteमगर वक़्त पर ही आता है!
कागज अपनी किस्मत से उड़ता है;
लेकिन पतंग अपनी काबिलियत से!
इसलिए किस्मत साथ दे या न दे;
काबिलियत जरुर साथ देती है!
दो अक्षर का होता है लक;
ढाई अक्षर का होता है भाग्य;
तीन अक्षर का होता है नसीब;
साढ़े तीन अक्षर की होती है किस्मत;
पर ये चारों के चारों चार अक्षर, मेहनत से छोटे होते हैं!........
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये;
हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जायें;
यह जिंदगी तो सब काट लेते हैं;
जिंदगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये!
भगवान की भक्ति करने से शायद हमें माँ न मिले;
लेकिन माँ की भक्ति करने से भगवान् अवश्य मिलेंगे!
अहंकार में तीन गए;
धन, वैभव और वंश!
ना मानो तो देख लो;
रावन, कौरव और कंस!
'इंसान' एक दुकान है, और 'जुबान' उसका ताला;
जब ताला खुलता है, तभी मालुम पड़ता है;
कि दूकान 'सोने' कि है, या 'कोयले' की!
आपको कौन मिलता है, यह समय तय करता है!
आप उनमें से किसका साथ चाहते हैं, यह आप तय करते हैं!
और उनमें से कौन आपके साथ रहता है, यह आपका व्यहार तय करता है!
स्वास्थ्य सबसे बड़ी दौलत है! संतोष सबसे बड़ा खजाना है! आत्म -विश्वास सबसे बड़ा मित्र है!
मीठे बोल बोलिये क्योंकि अल्फाजों में जान होती है;
इन्हीं से आरती, अरदास और इन्हीं से अज़ान होती है;
यह समुंदर के वह मोती हैं;
जिनसे इंसानों की पहचान होती है!"
: एक खूबसूरत सोच :
अगर कोई पूछे जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया ...
तो बेशक कहना...
जो कुछ खोया वो मेरी नादानी थी
और
जो भी पाया वो रब की मेहेरबानी थी!
खुबसूरत रिश्ता है मेरा और खुदा के बीच में,
ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वो देता नहीं
pata nahi kahan se a gaye.
ReplyDeleteजिंदगी में दो लोगों का ख्याल रखना बहुत जरुरी है!
ReplyDelete1-जिसने तुम्हारी जीत के लिए सब कुछ हारा हो!
2-जिसको तुमने हर दुःख में पुकारा हो!
#From :: AVI
ab mai chalta hoon.par mai ek baat bata dena chahta hoon ki mai online most of the time rahta hoon,aur haan mobile par internet use nahi karta.
ReplyDeletesir aprt g merie b.sc 1year and final year marksheets hand made hain (provisonal) kya coun me manya hongi plz batana sir
ReplyDeletehi BREAKING NEWS ... uptet 72825
ReplyDeleteApprox. 20000 seats will be filled in 2nd coun. on 22-30 sept.
60% candi have attended it.
So total remaining seats will be approx. 47000.
So candidates with less marks should wait for 3rd couns. as cut off is expected to go below 100.
thnks,,,
Unknown bhai pls bataye ki yeh data sahi agar ha to kya Mets 93 obc male art hai kya mera chance ban sakta hai plllllllllllllllllllllllllllssssssss bhai reply kare
DeleteRajesh bhai ye batate RTI ke tahat suchna mangne par kya jo aavedan ka praroop apne bheja vo hi kewal diya jayaga diet ko ya aur bhi kuch usme lagega aur iske tahat suchna mangi jene ki poori process bataye
ReplyDelete
ReplyDeleteaap neeche diye gaye link par bana kuch search kiye meri news ko padh sakte hain.
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bas only click karna hai ya fir copy karke usko new tab bar me paste karke GO karna hai.
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दोस्तोँ !!
ReplyDeleteयहाँ पर सभी लोगों ने बी॰एड॰ और टी॰इ॰टी॰ किया है फिर भी कभी कभी शक होता है उन लोगों पर जो एक ही बात को बार बार जवाब न मिलने पर भी पूछते रहते हैं (मेरा क्या होगा क्या चाँस है मेरे इतने हैं मेरे उतने हैं शादी होगी या नही मरुँगा या जीऊँगा )
और ये अक्सर वही लोग होते हैं जो केवल एक दिन का नेट पैक करवाते हैं और पूछना शुरू कर देते हैं अगर वो रोज पढ़ते सुनते देखते तो कभी नही पूछते कि मेरा क्या होगा ?
बल्कि औरों को भी बताते !
और कुछ लोग टिप्पणी भी करते हैं उनसे मेरा ये कहना है कि मै ऊपर की तरफ दो तीन पेज छोड़कर लिखता हूँ जिससे किसी को कोई परेशानी न होने पाए फिर भी लोग इतने परेशान रहते हैं कि इतना नीचे भी आकर गाली गलौज करने से नही चूकते हैं ।
उनको मेरी ये मुफ्त सलाह है कि अपना नेट पैक पूरे 28 दिन का करवा कर ब्लाग पढ़ा करें !
और अगर मेरा ब्लाग केवल पढ़ना हो तो आएँ नही तो लिखने पढ़ने सोचने गाली टीका टिप्पणी का काम ऊपर ही करें !
धन्यवाद
दोस्तोँ
ReplyDeleteमेरा पी॰आर॰टी॰ 097 होते हुए भी मै 142 व 91 और 83 वालों के भी साथ हूँ
अभी जबकि मेरा नंबर चौथी या पाँचवी काउं॰ मे आएगा फिर भी अगर आठ नौ काउं॰ भी होगी तो भी मै आप लोगों का साथ नही छोडूँगा , ये मेरा वादा नही दावा है !
आज भी कई हजार (12 से 18 हजार के बीच ) लोग अपडेट रहते हैं और सैकड़ों की सीट भी लाक हो रही है जो मुझसे जुड़े हैं उनकी !
उनकी रोज बधाई भी आती रहती है मेरे फोन पर कि "सर आपके उचित मार्गदर्शन से आज मेरी सीट लाक हो रही है"
नही तो बाकी के लोग कुछ मोस्ट वांटेड जिलों मे जाकर ओवरफ्लॉ कर रहे हैं और अपना फोन चालू करके बैठे हैं कि डायट से कब "काल" आ जाए ? फिर तीसरी काउं॰ मे एक बार फिर से वही वाकया दोहराया जाए !
अब मै समझता हूँ कि अब आप भी समझ गये होंगे कि मै क्या कहना चाह रहा हूँ !
§ आपका एक शुभचिंतक मित्र §
@पीलीभीत रिजर्व टाइगर @
आग लगाना मेरी फितरत में नही है,
ReplyDelete.
.
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर,,,,
Achchha hua tha,
ReplyDelete.
Jo aawedan karne k liye jilon ki chhoot mil gaee thi. Nhi to sirf 5 hi jilon ki shart se kya haal hota, kalpna ki ja sakti hai.
.
.
Low merit waalo k liye aaj bhi good news aa chuki hai ki 2012 waalo ka TET 2011 awaidh hai. To inke aur Hybrids k baahar hone se aur S.M ki 7,000 se zyada bchi seats hone se abhi merit ka aur bhi niche jana tay hai. Apna saath khud den. Parso 9 Oct ki Albd mtng me awashya pahunchen.
.
Kal jab maine mtng k liye kaha to mujhe kaha gya ki mene councelling karwa li hai....
न्यूटन का प्यार का नियम
ReplyDeleteआज सुबह से एक भाई ने न्यूटन की याद दिला दी और
हमें पका दिया ?
पेश हैं , न्यूटन के प्यार के नियम !!!!
न्यूटन का यूनिवर्सल प्यार का नियम !
* ( प्यार - सार ) *
प्यार को न तो पैदा किया जा सकता है और न ही नष्ट
किया जा सकता है , न तुम प्यार लाये थे और न ही इसे
ले जा पाओगे ! इसे केवल कुछ धन की क्षति के साथ एक
प्रेमिका से दूसरी प्रेमिका में स्थानांतरित
किया जा सकता है !
पहला नियम -
प्रेमी , प्रेमिका को हमेशा प्यार करता रहेगा और
प्रेमिका भी प्रेमी को प्यार करना जारी रखेगी तब
तक ....... जब तक कि कोई वाह्य बल ( प्रेमिका के डॉन
पापा या मुन्ना भाई द्वारा प्रेमी की टाँगे तोड़कर ) न
लगाया जाये !
दूसरा नियम-
एक दुसरे के प्रेम में डूबे युगल में लड़की द्वारा लडके
को किये जाने वाले प्रेम की मात्रा में परिवर्तन ,लडके के
बेंक बेलेंस की मात्रा के अनुक्रमानुपाती होता है !
( फ्री रिचार्ज मांगने वाले प्रेमी प्रेमिकाओं पर यह
नियम लागु नहीं होता )
तीसरा नियम -
प्रेमिका द्वारा प्रणय निवेदन अस्वीकार किये जाने में
प्रयुक्त आरोपित बल , उसकी हाई हील
की पादुका द्वारा प्रयोग किये जाने वाले बल के समान
एवं विपरीत दिशा में होता है !
एक experiment के दौरान, एक marine
ReplyDeletebiologist ने एक
बड़े से टैंक में एक shark मछली को रखा..
और
उसके साथ ही कुछ
छोटी मछलियों को भी उसी टैंक
में डाल दिया.. जैसा की हम expect कर
सकते है
की shark ने तुरंत ही उन
सारी मछलियों का सफाया कर दिया.. इसके
बाद
marine biologist ने tank में एक बहुत
ही मजबूत fiberglass लगा दिया.. और टैंक
के
दो हिस्से कर दिए.. एक हिस्से में shark थी.
और
दुसरे हिस्से में उसने फिर से
छोटी मछलियों को डाला..
जैसे ही shark की नज़र उन पर
पड़ी.. वो उन्हें खाने के लिए लपकी.
पर इस बार बीच में fiberglass होने
की वजह से shark उससे जा टकराई.. एक
बार
टकराने के बाद भी shark ने हार
नहीं मानी.. वो हर कुछ minute के
अंतराल के बाद उस दिशा में बढती..
जहा मछलिया थी.. और टकरा के फिर पलट
आती.. इस दौरान
छोटी मछलिया आसानी से और
आज़ादी से तैर
रही थी.. और कुछ एक डेढ़ घंटे के
बाद shark ने हार मान ली. ये experiment
पुरे
हफ़्ते भर में कई बार किया गया.. धीरे
धीरे shark के हमले कम होते गए.. और
वो ज्यादा जोर
भी नहीं लगाती थी.
बार बार कोशिश करते रहने से, पर फिर
भी मछलियों तक न पहुँचपाने से शार्क ने
थक कर
हार मान ली. और प्रयास करना छोड़ दिया.
कुछ
दिनों के बाद marine biologist ने बिच में
मौजूद fiberglass
को हटा दिया. पर इसके बाद भी shark ने
कभी हमला नहीं किया. shark
को पिछले कुछ हफ्तों में विश्वास
हो गया था की वो उन मछलियों तक
नहीं पहुँच सकती. और
दूसरी छोटी मछलिया बिना किसी नुकसान
के तैरने लगी.. shark उन तक पहुँचने के
कोशिश
भी नहीं करती थी.
सबक: हममे से कई लोग, हार और
निराशा को experience करने
के बाद, give up कर देते है. वो ये सोचते है
की क्योंकि वो पहले कई बार हार चुके है,
और
सफल नहीं हुए है. इसलिए वे आगे
भी ऐसे ही रहेगे.. ऐसा मत
कीजिये."क्योकि कोशिश करने
वालो की कभी हर
नही होती "
Pappu 100 साल तपस्या करता है.
ReplyDelete.
भगवान प्रसन्न होकर अमृत देते है.
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वो मना करता है.
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भगवान - काहे, बे?
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Pappu - अभी-अभी मसाला खाये हैं, प्रभु........
गलत मानसिकता वालों के द्वारा एक सन्देश फैलाया जाता है की राम अच्छे पति नहीं थे , उन्होंने अपनी पत्नी के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया , चूंकि हम लोगों ने खुद ने रामायण का अच्छे से अध्ययन नहीं किया है इसलिए हम भी इन संदेशों का पुख्ता जवाब नहीं दे पाते , फिर हमारे बच्चे , हमारे छोटे भाई बहन भी यही सीखेंगे की हाँ रावण बहुत अच्छा था और राम निर्दयी पति था , थोड़ा बहुत जो मैंने पढ़ा है उस आधार पर कुछ बिंदु हैं :-
ReplyDelete१. अच्छा पति क्या होता है ? क्या कोई परिभाषित कर सकता है ? क्या अच्छा पति वह है जो अपनी पत्नी को हमेशा खुश रखे ? क्या ये हमेशा संभव है , अपने आप से पूछिये ? कोई २ , ३ गर्लफ्रेंड पालकर भी अपनी पत्नी को खुश रख सकता है , तो क्या वो अच्छा पति हुआ ? अच्छा पति वह है जो अपनी पत्नी के प्रति , अपनी शादी के प्रति प्रतिबद्ध हो , राम इस आधार पर सर्वश्रेष्ठ पति थे , सीता के अयोध्या छोड़ने पर भी उन्होंने किसी और स्त्री की और नहीं देखा , बल्कि सीता की स्वर्ण प्रतिमा बनाकर उनसे उनके आचरण के लिए क्षमा मांगी , ज़मीन पर सोये और सीता के जैसा ही पूरा वैराग्य जीवन जिया !! यही नहीं सीता कहाँ हैं , किस हाल में है उसका पल पल का विवरण उनके पास पहुँचता था !!
२. सामान्य मनुष्य अलग अलग परिस्थितियों में कैसा व्यवहार करता है और उसे आदर्श रूप में कैसा व्यवहार करना चाहिए , इन दोनों के द्व्न्द को समझना हो तो रामायण से अच्छा कोई ग्रन्थ नहीं है , राम भले ही अवतार थे , पर थे तो मनुष्य योनि में इसलिए उनके साथ भी सभी प्रकार की मानवीय कमज़ोरियाँ दिखाई गयीं और ये भी दिखाया गया की उन्होंने उन कमज़ोरियों के सामने कैसे सबसे उपयुक्त आचरण किया !!
राम को पता था की हिरन की सच्चाई क्या है फिर भी अपनी पत्नी की इच्छा पूरी करने वे उसके पीछे गए , चाहते तो ना जाते तो जो सब हुआ कुछ भी न होता , ना ये रामायण बनती !!
३. शास्त्रों के मुताबिक प्रजापति प्रजा की इच्छानुसार अपने कर्तव्य निर्वहन करता है , चूंकि प्रजा में सीता के चरित्र पर प्रश्न उठा था इसलिए राजा और पति के द्वन्द में राम ने राजा को चुना और उसी के मुताबिक अपनी सभी भावनाओं को कुचलकर वह किया जो एक आदर्श राजा को करना चाहिए !! इसलिए राम को अच्छे पति की कसौटी में कसने से पहले उनकी दूसरी जिम्मेदारियों का बोध होना भी जरूरी है !! काल और स्थान के परिप्रेक्ष्य और सार्वजानिक जीवन के भीषण द्व्न्द में सबसे आदर्श क्या हो सकता था इसको भी समझना पड़ेगा !!
४. सीता की अग्निपरीक्षा लेना एक सांकेतिक काव्य प्रस्तुतीकरण है , उसका सिर्फ ये तात्पर्य है की सार्वजनिक जीवन में जिसपर भी आरोप हो उसे उस आरोप को गलत सिद्ध करके ही आगे बढ़ना चाहिए , सीता राजपरिवार की सदस्य थीं इसलिए उनके आचरण पर प्रश्न करने का भी प्रजा को अधिकार था !!
५. अंत में , जब सीता धरती में समाने लगीं तब राम के बरसों के सब्र का बाँध टूट पड़ा , वे बुरी तरह विलाप करने लगे , तब धरती माँ ने स्वयं प्रकट होकर कहा की ” पूरी सृष्टि आपकी है प्रभु और आप विलाप करेंगे तो प्रलय आ जायेगा और सब नष्ट हो जायेगा , क्या आप भूल गए हैं की आप साक्षात विष्णु हैं और आपने सिर्फ मानव योनि में एक उद्देश्य की पूर्ती के लिए जन्म लिया है और सब कुछ प्रारब्ध के अनुसार हो रहा है , सीता माता मेरे साथ सुरक्षित जा रही हैं , वे साक्षात दुर्गा हैं उनकी चिंता आपको कैसे होने लगी ? “
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अपने सतही दृष्टिकोण से गलत लोगों को सही आंकना और सही लोगों को गलत आंकना एक परिपाटी बनता जा रहा है , अपना दृष्टिकोण सुधारिये , थोड़ा अध्ययन कर गहराई में जाइये और उस ग्रन्थ , उस चरित्र के साथ न्याय करने योग्य बनिए !!
बकरों का मेला ...
ReplyDeleteखरीद दारों की भीड़
बकरे खुश हैं एक दूसरों को देख कर ....बोली लग रही है .....
अनजान बकरे खुश हैं ... बिकने के बाद नये मालिक के घर की तरफ जाते हुए ..पीछे पलट के अपने साथियों को देखते हुए
पर गले में पड़ी रस्सी का कसाव आगे खींच रहा है
नया घर नये चेहरे सब अनजान ..बकरे के
गले में फूलों की माला डली हुई है ....बकरा खुश है की चुपके से माला भी खा लूंगा फूलों की....
पर फिर अचानक उसको घेर लिया कुछ लोगों ने
उनके हाथ में चापड़ ,छुरा
बकरे को खतरे का अहसास हो गया था ,,,,रस्सी से छूटने की नाकाम कोशिश ,,,,पैर कांपने लगे उसके ,,, पहला हल्का सा छुरे का वार हुआ गले में ,,, बकरे की दर्द भरी चीख ,,,,उसकी कातर निगाहें ,,,,मदद के लिए बुला रहा है किसी को .....
पर किसे?????
भगवान को की खुदा को या जीसस को या वाहे गुरु को
अगर भगवान है तो क्यूँ नहीं आता इन मासूमों को बचाने ???
और नहीं है ,,,तो हम क्यूँ मानते हैं इन्हें ????
वहां बकरा ज़मीन पर पड़ा शरीर को झटक रहा है ,,,,,प्राण निकल रहे हैं ,,,,, फूलों की माला खून से सन गयी ,,लोग खुश हैं ,,,आज तो दावत है भई
मैं थके हुए क़दमों से घर की तरफ जा रहा हूँ .... काश कोई आज मेरी गर्दन भी रेत दे ......मुक्ति मिले इस घ्रणित संसार से
छी ..... ऐसे होते हैं लोग .... मासूम की जान ले कर खुश होते हैं ?...
खूब फैलेगा रायता जब मिल बैठेगे तीन यार .....!!!!!
ReplyDelete.
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कपिल ,राणा और सरकार ......!!!!!!!!!
जीव विज्ञान के टीचर क्लास में बच्चों को पढ़ा रहे थे कि इल्ली (कोष में बंद तितली का छोटा बच्चा) कैसे एक तितली का पूर्ण रूप लेता है | उन्होनें बताया कि 2 घंटे बाद ये इल्ली अपने कोष से बाहर आने के लिए संघर्ष करेगी | और कोई भी उसकी मदद नहीं करेगा उसको खुद ही कोष से बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने देना|
ReplyDeleteसारे छात्र उत्सुक्ता से इंतजार करने लगे, ठीक 2 घंटे बाद तितली अपने कोष से बाहर निकालने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसे बहुत संघर्ष करना पड़ रहा था| एक छात्र को तितली पर दया आई और उसने अध्यापक की बात को नज़रअंदाज करते हुए उस तितली के बच्चे की मदद की और उसे कोष से बाहर निकाल दिया| लेकिन अचानक बाहर आते ही तितली ने दम तोड़ दिया |
टीचर जब कक्षा मे वापस आए और घटना के बारे में पता चला तो उन्होनें छात्रों को समझाया की तितली के बच्चे की मौत प्रकर्ति के नियम तोड़ने की वजह से हुई है | प्रकर्ति का नियम है की तितली का कोष से निकालने के लिए संघर्ष करना उसके पंखों और शरीर को मजबूत और सुद्ृन्ढ बनाता है | लेकिन छात्र की ग़लती की वजह से तितली मर गयी |
ठीक उसी तरह ये बात हम पर भी लागू होती है | बहुत सारे अभिभावक भावनावश अपने बच्चों को संघर्ष करने से बचाते हैं लेकिन वे ये नहीं जानते की ये संघर्ष ही बच्चों को मजबूत बनता है |
तो मित्रों, संघर्ष इंसान को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनता है | जो लोग जीवन में संघर्ष नहीं करते उनके हाथ सिर्फ़ विफलता ही लगती है|
मैं उपरवाला बोल रहा हूँ, जिसने ये पूरी दुनिया बनाई वो उपरवाला.
ReplyDeleteतंग आ चूका हूँ मैं तुम लोगों से,
घर का ध्यान तुम न रखो और चोरी हो जाये तो, "उपरवाले तूने क्या किया".
गाड़ी तुम तेज़ चलाओ और धक्का लग जाये तो, "उपरवाले........".
पढाई तुम न करो और फेल हो जाओ तो, "उपरवाले.........".
ऐसा लगता है इस दुनिया में होने वाले हर गलत काम का जिम्मेदार मैं हूँ.
आजकल तुम लोगो ने एक नया फैशन बना लिया है, जो काम तुम लोग नहीं कर सकते, उसे करने में मुझे भी असमर्थ बता देते हो!
उपरवाला भी भ्रष्टाचार नहीं मिटा सकता,
उपरवाला भी महंगाई नहीं रोक सकता,
उपरवाला भी बलात्कार नहीं रोक सकता.......
ये सब क्या है?
भ्रष्टाचार किसने बनाया?
मैंने?
किससे रिश्वत लेते देखा है तुमने मुझे?
मैं तो हवा, पानी, धुप, आदि सबके लिए बराबर देता हूँ,
कभी देखा है कि ठण्ड के दिनों में अम्बानी के घर के ऊपर मैं तेज़ धुप दे रहा हूँ, या गर्मी में सिर्फ उसके घर बारिश हो रही है ?
उल्टा तुम मेरे पास आते हो रिश्वत की पेशकश लेकर,
कभी लड्डू,
कभी पड़े,
कभी चादर.
और हा,
मेरे नाम पे पूरा डब्बा खरीदते हो,
एक टुकड़ा मुझपर फेंक कर बाकि खुद ही खा जाते हो.
ये महंगाई किसने बनाई?
मैंने?
मैंने सिर्फ ज़मीन बनाई,
उसे "प्लाट" बनाकर बेचा किसने?
मैंने पानी बनाया,
उसे बोतलों में भरकर बेचा किसने?
मैंने जानवर बनाये,
उन्हें मवेशी कहकर बेचा किसने?
मैंने पेड़ बनाये,
उन्हें लकड़ी कहकर बेचा किसने?
मैंने आज तक तुम्हे कोई वस्तु बेचीं?
किसी वस्तु का पैसा लिया?
सब चीज़ों में कसूर मेरा निकालते हो।
अभी भी समय है
सुधर जाओ
वरना
फिर मत कहना
!
!
!
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!
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!
!
!
!
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!
!
!
!
!
!
ये प्रलय क्यूँ आई.....!!
क्या भारत का सिस्टम आम
ReplyDeleteजनता को धोखा देता है...???
आप खुद देखिये....
1- नेता चाहे तो 2 सीट से एक साथ चुनाव
लड़ सकता है !!
लेकिन....
आप दो जगहों पर वोट नहीं डाल सकते,
2-आप जेल मे बंद हो तो वोट नहीं डाल
सकते..
Lekin....
नेता जेल मे रहते हुए चुनाव लड
सकता है.
3-आप कभी जेल गये थे,
तो
अब आपको जिंदगी भर कोई सरकारी
नौकरी नहीं मिलेगी,
Lekin....
नेता चाहे जितनी बार भी हत्या
या बलात्कार के मामले मे जेल
गया हो, वो प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति
जो चाहे बन सकता है,
4-बैंक में मामूली नौकरी पाने के लिये
आपका ग्रेजुएट होना जरूरी है..
Lekin.....
नेता अंगूठा छाप हो तो भी भारत
का फायनेन्स मिनिस्टर बन सकता है.
5-आपको सेना में एक मामूली
सिपाही की नौकरी पाने के लिये
डिग्री के साथ 10 किलोमीटेर दौड़ कर
भी दिखाना होगा,
लेकिन....
नेता यदि अनपढ़-गंवार
और
लूला-लंगड़ा है तो भी वह आर्मी,
नेवी
और ऐयर फोर्स का चीफ
यानि
डिफेन्स मिनिस्टर बन सकता है
और
जिसके पूरे खानदान में आज तक
कोई स्कूल नहीं गया.. वो नेता
देश का शिक्षा मंत्री बन सकता है
और
जिस नेता पर हजारों केस चल
रहे हों..
वो नेता पुलिस डिपार्टमेंट
का चीफ यानि कि गृह मंत्री बन सकता है.
LAST MEIN.........
agar mujhe ye pahle se pata hota ki jail me rahne se jail mantri bana ja sakta hai to main kabka ban chuka hota....
सारा कुछ लिखना चाहूँ तो लाखों
पेज भर जायेंगे....
यदि
आपको लगता है की इस सिस्टम
को बदल देना चाहिये..
नेता और जनता, दोनो के लिये
एक ही कानून होना चाहिये..
Agreed
Delete१. "अमरनाथजी " में शिवलिंग अपने आप बनता है
ReplyDelete२. "माँ ज्वालामुखी" में हमेशा ज्वाला निकलती है
३. "मैहर माता मंदिर" में रात को आल्हा अब भी आते हैं
४. सीमा पर स्थित तनोट माता मंदिर में 3000 बम में से एक
का ना फूटना
५. इतने बड़े हादसे के बाद भी "केदारनाथ मंदिर" का बाल ना बांका होना
६. पूरी दुनियां मैं आज भी सिर्फ "रामसेतु के पत्थर" पानी में तैरते हैं
७. "रामेश्वरम धाम" में सागर का कभी उफान न मारना
८. "पुरी के मंदिर" के ऊपर से किसी पक्षी या विमान का न निकलना
९. "पुरी मंदिर" की पताका हमेशा हवा के विपरीत दिशा में उड़ना
१०. उज्जैन में "भैरोंनाथ" का मदिरा पीना
११. गंगा और नर्मदा माँ (नदी) के पानी का कभी खराब न होना
याद रहे यदि भगत सिंह ने यह सोचा होता कि आजादी की मौज सब लेंगे तो मै क्यों शहीद हूँ! तो दे आजाद कभी न होता।
ReplyDeleteइस प्रकार हमारी शिक्षक भर्ती भी है।
आज अधिकतर लोग ऐसे चयनित हुये हैं जिन्होंने संघर्ष नहीं किया है लेकिन उनको हम कोस भी नहीं सकते हैं क्योंकि आज देश में आजादी का मौज सब ले रहे हैं।
आजादी के लिए लड़ना देश में रहने का मानक नहीं है।
इसी प्रकार हमारा संघर्ष भी भर्ती का मानक नहीं है।
भर्ती का मानक टीईटी का अंक, आपकी उम्र और आपके नाम का पहला अक्षर ही वरीयताक्रम में है।
याद रहे जालसाजी हुयी है अतः पारदर्शिता जरुरी है।
जो लोग कभी संघर्ष में शामिल नहीं रहे वे चाहते हैं कि अतिशीघ्र नियुक्ति मिल जाये जबकि यदि किसी भी याची ने मूल सीडी का विषय उठा दिया तो फिर भर्ती जाँच के नाम पर फंस जायेगी अतः पारदर्शिता हेतु परिणाम का ऑनलाइन होना जरुरी है।
इसी के साथ जिनका चयन हो उनका भी डिटेल ऑनलाइन हो जिससे लोग रिजल्ट में उक्त विवरण चेक करके असली नकली पहचान सकें।
मौज करने वालों बैठे रहो हम संघर्ष किये हैं और करते रहेंगे।
ध्यान रहे यहाँ हम का सम्बन्ध मुझसे नहीं अपितु हर संघर्ष करने वाले भाई-बहन से हैं।
कपिल देव ने 15 विन्दुओं पर अपनी याचिका तैयार की है जिसमे 3-4 पॉइंट बहुत दमदार और चिंताजनक हैं अतः पारदर्शिता जरुरी है।
कमरें में बैठ के ये कहना आसान हैं की धांधली हो रही हैं, सामान्य वर्ग के साथ अन्याय हो रहा हैं।
मगर मित्रों ये बात आप क्यों नहीं समझ रहे हैं की अगर धांधली की 1 प्रतिशत भी सम्भावना रहती तो आपके राज्य का मुखिया धांधली करवाने में आपसे ज्यादा सक्षम हैं।
और रही बात राणा की तो इस ग्रुप पे मौजुद कोई भी व्यक्ति बस इतना साबित कर दे की अन्य नौकरियों में इससे अलग आरक्षण व्यवस्था होती हैं तो मैं भी राणा को दुसरा कपिल यादव बनने में मदद करुगा।
बाकी चंदा देने वाले समझदार ही होगे।
जय हिन्द जय टेट।
जूनियर में रहें या प्रशिक्षु शिक्षक बनें
ReplyDeleteकृप्या मेरी इस पोस्ट को अन्यथा न लें----
#मेरे पास इनबॉक्स में रोज ऐसे काफी मेसेज आ रहे हैं और मेरा ये आकलन भी है की जूनियर भर्ती में काउंसलिंग करा चुके लगभग 10-12 हजार अभ्यर्थियों का प्रशिक्षु भर्ती में भी नाम आ रहा है ,
तो मैंने इस सम्बन्ध में अपना व्यक्तिगत विश्लेषण किया जो कि निम्न है -----
#जूनियर भर्ती में काउंसलिंग लगभग समाप्ति की और है क्यूंकि अंतिम काउंसलिंग 15 अक्टूबर के आस-पास लगभग 3 हजार सीटों के लिए होगी ।
अब बात दोनों भर्तियों में पेंचों की ----
जिसे पूरा करने में कम से कम 09 महीने का समय लगना तय है ।
और कहीं-कहीं 18 से 24 महीने तक लगेंगे।
क्यूंकि काफी जिलों में 2000 से 6000 तक पद हैं और डाइटों पर एक बार में 200 से 300 लोगों के प्रशिक्षण की व्यस्था मुश्किल से है ।
आपने अक्सर देखा होगा BTC कर रहे लोग अपनी परीक्षा और परिणाम के लिए आये दिन धरना प्रदर्शन करते दिखते हैं । इस प्रशिक्षण को 3 माह डाइट पर और 3 माह शिक्षामित्रों के स्कूलों में पढ़ाने के बाद आप लोगों को --------------
तब जाकर आपको एक बी0एड0 जैसी एक परीक्षा से गुजरना होगा और फिर 1-2 माह परिणाम आने पर पास होने कि दशा में तब इसी सरकार को आपको सहायक अध्यापक बनाना होगा ।
चयनितों को 7200 ₹ महिना का वेतन भी आपको सफल प्रशिक्षण उपरान्त सहायक अध्यापक बनने के बाद पहले वेतन में एरिएर के रूप में ही मिलेगा । उससे पहले कुछ भी नहीं मिलेगा ।
उधर जूनियर भर्ती में दो मामलों पर मुख्य विवाद है ----------------------------
#पहला है प्रमोशन मामला जिसमे सरकार को जूनियर में कुल सृजित पदों के आधे पदों पर पदोन्नति प्रक्रिया पहले करनी है ,
जिसमे सरकार ने आदेश तो सभी बेसिक शिक्षा अधिकारीयों भेज दिया है लेकिन केवल 15-20 जिलों में ही पदोन्नति प्रक्रिया पूर्ण हो पाई है ।
और बची हुए जिलों में पदोन्नति होने में कम से कम 2 महीने लगना तय है ।
तब तक जूनियर नियुक्ति पर से रोक हटना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा ।
क्यूंकि ये रोक सिंगल बेंच से नवम्बर 2013 में लगी थी जो अभी भी कायम है ।
वहीं जूनियर भर्ती में दूसरा मामला काफी गंभीर और पेचीदा है जिसमें प्रोफेशनल डिग्री धारकों की नियुक्ति पर मा0 उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगी है,
हालाँकि सरकार अगर चाहे तो यह विवाद केवल एक सुनवाई पर समाप्त हो जायेगा ,
जिसके लिए सरकार को कोर्ट में केवल यह हलफनामा देना होगा कि हम केवल उन्हीं लोगों को जूनियर भर्ती में अंतिम रूप से चयनित करेंगे ------
जिनके पास स्नातक में गणित या विज्ञान अथवा दोनों विषय के रूप में नियमित रहे हों ।
अन्यथा ये विवाद काफी लम्बा भी चल सकता है क्यूंकि सरकार के नियमावली से अलग नये नियम बनाने पर नियुक्ति जरूर लटकेगी ,
इसके लिए सरकार को कड़ा और सटीक फैसला लेना ही होगा ।
#जूनियर में वेतनमान 21 दिन ट्रेनिंग के बाद लगेगा लेकिन अभी यह साफ नहीं कि क्या ट्रेनिंग का वेतन अलग होगा या फिर 4600 ₹ ग्रेड के साथ कुल 30,000 ₹ होगा ,
यहाँ ये साफ है कि 17,140 ₹ वाला वेतनमान जूनियर की सीधी नियुक्ति वालों को नहीं मिलने वाला है ।
यहाँ पोस्ट थोड़ी बड़ी हो जाने की वजह से आपके बोर हो जाने का डर है अन्यथा 15वें और 16वें संशोधन पर भी स्थिति स्पष्ट कर देता ,
वादा रहा अगली पोस्ट में पूरा मामला स्पष्ट करूंगा -------
उसमे केवल आप लोग कुछ निठल्ले "जजों" कि बातों से बिलकुल विचलित न हों ,
उन संशोधनों पर 1% भी खतरा नहीं है ।
#अब तक कुल 30,000 नियुक्ति उन संशोधनों से हो चुकी हैं और 15,000 नई भर्ती नवम्बर तक शुरू होने वाली है ।
#अंत में केवल इतना कहूँगा कि नियुक्ति पर रोक का मतलब भर्ती रद्द होना कतई नहीं होता है ।
और कभी भी जूनियर भर्ती रद्द नहीं होगी ।
#सकारत्मक सोचें और अंतिम काउंसलिंग होते ही आन्दोलन को तैयार रहें अपने हक , अपनी नौकरी के लिए ।
अब आप फैसला स्वयं कि किसको चुनना है और किसको नहीं ।
धन्यवाद
विज्ञान वर्ग के कम मेरिट वाले भाइयो।।।।
ReplyDeleteभाइयो जैसी की आज विषम परिस्तिथिया बन गई है इनमे हमें एकजुट होना बहुत आवश्यक है मै उन सभी भाइयो से अनुरोध करूँगा जिन्होंने मुझसे बात की है की वो अपने उन छूटे हुए भाइयो को भी एकत्रित करे जो अभी तक इस लड़ाई से अनभिज्ञ है।।
ज्यादा से ज्यादा लोगो को एकजुट करे।।
भाइयो सर्वप्रथम तो हमें सरकार पर दवाव बनाना है की सरकार ही इन जूनियर वालो को दोहरी काउंसलिंग से रोक ले जिसके लिए हमें अपने भाइयो के संख्या बल की आवश्यकता पड़ेगी।।
दूसरी ओर यदि सरकार जूनियर वालो को प्राइमरी में भी मौका देती है तो हम सभी हाई कोर्ट के उच्च कोटि के वकीलों से संपर्क में है और समय रहते ही कार्यवाही शुरू की जाएगी। जिसके लिए आप सभी भाइयो से आर्थिक सहयोग की उम्मीद है।।
अतः सभी भाइयो से अनुरोध है की और अपने जैसे भाइयो को जोड़े आर्थिक सहयोग के लिए तैयार रहे।। याद रहे ये प्राइमरी में अंतिम मौका है।। इसलिए एकजुट हो जाइये लड़िये अपने हक के लिए।।
ज्ञापन देने के कार्यक्रम की तारीख जल्द ही घोषित कर दी जाएगी।
तैयार रहे।।।।
धन्यवाद आपका दिन शुभ रहे
हर चीज का हल होता है,आज नहीं तो कल होता है|”
ReplyDeleteएक बार एक राजा की सेवा से प्रसन्न होकर एक साधू नें उसे एक ताबीज
दिया और कहा की राजन इसे अपने गले मे डाल लो और जिंदगी में कभी ऐसी परिस्थिति आये की जब तुम्हे लगे की बस अब तो सब ख़तम होने वाला है, परेशानी के भंवर मे अपने को फंसा पाओ ,कोई प्रकाश की किरण नजर ना आ रही हो ,हर तरफ निराशा और हताशा हो तब तुम इस ताबीज को खोल कर
इसमें रखे कागज़ को पढ़ना ,उससे पहले नहीं!
राजा ने वह ताबीज अपने गले मे पहन लिया !एक बार राजा अपने सैनिकों के साथ शिकार करने घने जंगल मे गया! एक शेर का पीछा करते करते राजा अपने सैनिकों से अलग हो गया और दुश्मन राजा की सीमा मे प्रवेश कर गया, घना जंगल और सांझ का समय , तभी कुछ दुश्मन सैनिकों के घोड़ों की टापों की आवाज राजा को आई और उसने भी अपने घोड़े को एड लगाई, राजा आगे आगे दुश्मन सैनिक पीछे पीछे!बहुत दूर तक भागने पर भी राजा उन सैनिकों से पीछा नहीं छुडा पाया ! भूख
प्यास से बेहाल राजा को तभी घने पेड़ों के बीच मे एक गुफा सी दिखी, उसने तुरंत स्वयं और घोड़े को उस गुफा की आड़ मे छुपा लिया ! और सांस रोक कर बैठ गया , दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज धीरे धीरे पास आने लगी ! दुश्मनों से घिरे हुए अकेले राजा को अपना अंत नजर आने लगा, उसे लगा की बस कुछ ही क्षणों में दुश्मन उसे पकड़ कर मौत के घाट उतार देंगे !
वो जिंदगी से निराश हो ही गया था , की उसका हाथ अपने ताबीज पर गया और
उसे साधू की बात याद आ गई ! उसने तुरंत ताबीज को खोल कर कागज को बाहर निकाला और पढ़ा ! उस पर्ची पर लिखा था —”यह भी कट जाएगा “
राजा को अचानक ही जैसे घोर अन्धकार मे एक ज्योति की किरण दिखी , डूबते
को जैसे कोई सहारा मिला ! उसे अचानक अपनी आत्मा मे एक अकथनीय
शान्ति का अनुभव हुआ ! उसे लगा की सचमुच यह भयावह समय भी कट
ही जाएगा ,फिर मे क्यों चिंतित होऊं ! अपने प्रभु और अपने पर विश्वासरख
उसने स्वयं से कहा की हाँ ,यह भी कट जाएगा
और हुआ भी यही ,दुश्मन के घोड़ों के पैरों की आवाज पास आते आते दूर जाने
लगी ,कुछ समय बाद वहां शांति छा गई ! राजा रात मे गुफा से निकला और
किसी तरह अपने राज्य मे वापस आ गया ! दोस्तों,यह सिर्फ किसी राजा की कहानी नहीं है यह हम सब की कहानी है ! हम सभी परिस्थिति,काम ,तनाव के दवाव में इतने जकड जाते हैं की हमे कुछ सूझता नहीं है ,हमारा डर हम पर हावी होने लगता है ,कोई रास्ता ,समाधान दूर दूर तक नजर नहीं आता ,लगने लगता है की बस, अब सब ख़तम ,है ना?
जब ऐसा हो तो २ मिनट शांति से बेठिये ,थोड़ी गहरी गहरी साँसे लीजिये !
अपने आराध्य को याद कीजिये और स्वयं से जोर से कहिये –यह भी कट जाएगा ! आप देखिएगा एकदम से जादू सा महसूस होगा, और आप उस परिस्थिति से उबरने की शक्ति अपने अन्दर महसूस करेंगे !
आजमाया हुआ है ! बहुत कारगर है ! .
पेट्रोल चोरी - धोखा या लापरवाही ??
ReplyDeleteइससे ज़रूर लोगो आगाह और जागरूक करने मे सहयोग दे. और साथ मे इन नसीहतों का पालन भी करें
आजकल पेट्रोल चोरी एक आम बात है और हम ये सब जानते हुए भी अंजान बने रहते है दरअसल ये चोरी नही हुमारी लापरवाही है जिसकी वजह से हम रोज ठगे जाते है आइए जाने क्या है दस्तक जो हमे ठगे जाने का संकेत देती है :
1. पेट्रोल फिल्लिंग के लिए गाड़ी आगे लगाने के लिए कहना ताकि आप मशीन पर सही मुल्य या मात्रा ना देख सके या वह आपके और मीटर के बीच मे खड़ा हो सके
2. मशीन मे पहले से फीड मात्रा से आगे से पेट्रोल भरना( मीटर पर शुन्य सेट ना करना केवल बटन पर हान्थ रखना और उसी वक़्त पेट्रोल सप्लाइ ऑन कर देना ) अगर आप इस पर ध्यान दे रहे होते है तो अचानक आप को बातों मे लगा लेना ताकि आपका ध्यान भटक जाए अंत मे आपको यही जवाब मिलेगा आपने ध्यान नही दिया हमने तो ज़ीरो पर सेट किया था
3. अगर आपने 500 Rs का पेट्रोल भरने को कहा तो पहले 100 Rs का पेट्रोल डालना और जब आप कहते है की मैने 500 Rs कहा था तो मीटर रिसेट किए बिना ही 400 की रीडिंग तक पेट्रोल दालना तो 100+400 मतलब 500 की वजय 400 Rs का पेट्रोल देना और ये सब मात्र 3-4 सेकेंड्स मे हो जाता है नज़र हटी और धोखा हुआ
4. फिलिंग मशीन के नोज़ेल पर हान्थ रखे रहना ताकि आप उस पर लगे पारदर्शी काँच से यह ना देख सके की की क्या पेट्रोल सही मे पेट्रोल टैंक मे जेया भी रहा है या नही
5. पेट्रोल की मात्रा फीड करने के बाद भी नोज़ेल हॅंड से पेट्रोल के प्रवाह को रोकने के लिए आतुर रहना
6. मशीन मे गड़बड़ी करना जिससे की फीड मात्रा से अपने आप ही निशित मात्रा मे चोरी करना जो की एक निशित मात्रा जैसे की 100, 200, 500, रुपये या 2, 3 या 4 लीटर की निशित मात्रा के साथ ही होता है!
7. आखरी और सबसे बड़ी वजह ये बातें शायद नही जानते हों पर शक़ तो ज़रूर होता होगा फिर भी चुप रहना हुमारी यही आदत उन्हे चोरी के लिए प्रोत्साहित करती है चाहे वा 50 पैसे का कम पेट्रोल डालना ही क्यूँ ना हो
अगली बार जब भी पेट्रोल भरवाने जाएँ तो इन बातों का ध्यान ज़रूर रखें और उनकी बात मानने से माना करे. और ये चोरी नही आकी लापरवाही है जो जुर्म की दस्तक को पढ़ नही पाती है
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
ReplyDeleteमाननीय एच एल दत्तू जी ने 72825
के
संदर्भ मे एक ऐसा ब्रहमास्त्र
रूपी आदेश दिया है,
कि अब कितना भी वार किया जाय इस
72825 भर्ती पर, कोई असर
नही होगा,
भारत के किसी भी कोर्ट चले जाओ, अब
कुछ न होगा।
तीसरी काऊंसलिंग भी पूर्ण
होगी,
नियुक्ति पत्र भी बँट जाएग, लेकिन
क्लेस मात्र भी आँच
नही आएगी।
बस अपनी आँखों से देखते जाइए।.......
हाई जाएगी एलटी ग्रेड शिक्षकों की मेरिट
ReplyDeleteजागरण संवाददाता, मेरठ : मेरठ समेत प्रदेश के सभी 18 मंडलों में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में निकाली गई एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती की मेरिट लिस्ट इस बार काफी हाई जाने की संभावना है। क्योंकि अधिकांश अभ्यर्थियों के सभी 18 मंडलों व एक से अधिक विषयों में आवेदन करने की वजह से यह स्थिति बनेगी। उधर, अभ्यर्थियों के अधिकांश मंडलों में आवेदन करने के कारण फार्म विक्रेताओं की भी पौ बारह हो गई है।
कुल 6645 को मिलेगा शिक्षक बनने का मौका
मेरठ समेत प्रदेश के सभी 18 मंडलों में स्थित राजकीय विद्यालयों में करीब 6,645 अभ्यर्थियों को एलटी ग्रेड में शिक्षक बनने का मौका मिलेगा। मेरठ मंडल में कुल 359 व सहारनपुर मंडल में कुल 212 अभ्यर्थियों के लिए रिक्ति निकाली गयी है। इन रिक्ति के लिए आवेदन पत्र सभी मंडल मुख्यालयों को भेजे जाने हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर की शाम पांच बजे तक निर्धारित की गई है।
एक दर्जन विषयों में मिलेगा शिक्षक बनने का अवसर
अभ्यर्थियों को राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में करीब एक दर्जन विषयों में ही शिक्षक बनने का मौका मिलेगा। इनमें हिंदी, संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी, विज्ञान-गणित, जीव-विज्ञान, सामान्य विषय, संगीत, कला, शारीरिक शिक्षा, वाणिज्य और गृह विज्ञान आदि शामिल हैं। एक से अधिक विषय के लिए अभ्यर्थियों को अलग-अलग आवेदन करना होगा। भर्ती के लिए अभ्यर्थियों की आयु एक जुलाई-14 को 21 से कम और 40 वर्ष से अधिक न हो। बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे नौजवानों के लिए यह एक सुनहरा मौका होगा।
|| जिओ और जीनो दो ||
ReplyDelete°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•
एक बार एक कसाई बकरी को काटने के लिये उसका गर्दन पकडा
तभी अचानक बकरी जोर-जोर से हंसने लगी
तब कसाई ने कहा-मैं तुझे मार रहा
हूँ तो तू हँस क्यों रही है ?
तब बकरी ने ऐसा जवाब दिया की
कसाई के हाथ से तलवार छूट गयी
बकरी ने कहा-मैं तो अपनी पूरी
ज़िन्दगी घास खा कर रहती हूँ,
तब भी मुझे इतनी दर्दनाक मौत
मिल रही है,
मैं तो उस इंसान का नसीब सोच के हँस रही हूँ,की जो मुझे काट कर
खाता है ,
उसका क्या होगा ??
Agreeeee......
ReplyDeletePilibhit ke tiger aur rajesh ke naam se kai log comment karte hai. Main nahi janta asli tiger kaun hai. Asli tiger aur rajesh ji ka main bahut adar karta hu kyoki ve log dusro ke liye itni mehnat se jaankari collect karte hai main unhe salute karta hu. Lakin itna pata hai yaha dono ke nam se kaye suar bhi comment karte hai. Jinke aankh fut gayi ki prt me bharti 2011 ke vigyapan se ho rahi hai ya apni marji se. 2012 wale, durasth wale, pg base wale, 40% 45% walo ko kis niyam se ander kiya. Koi gadha dusro ko updesh de raha ki jo chal raha hai chalne do apna to ho hi jayega par kam merit wale koi awaaj na uthaye dusro ko ye pagal samajta hai. Apne girabaan me jahkar dekh tu kha khada hai. Teri aukat tujhe saaf najar ayegi. Kahte hai ki ab sc ka order hai koi bhi aa jao counc kara le. Yeh mat bhul suar sc ka order final verdict nahi antrim hai. Fargi wale nokri le bhe la to baad me pol khulne par jail jarur jayege haryana ke chotala ki tharah. Bharti 2011 ke vigyapan ke anusar hi honi chaye.
ReplyDeleteएक बार एक पजामा पहने हुए इंडियन से एक अंग्रेज ने पूछा: "आप का यह देशी पैंट
ReplyDelete(पजामा) कितने दिन चल जाता है?
इंडियन ने जवाब दिया: "कुछ ख़ास नहीं, मैं इसे एक साल पहनता हूं। उसके बाद
श्रीमति जी इसको काटकर राजू के साइज़ का बना देती है। फिर राजू इसे एक साल पहनता है।
उसके बाद श्रीमति जी इसको काट-छांट कर तकियों के कवर बना लेती हैं। फिर एक साल बाद उन कवर का झाड़ू पोछे में
इस्तेमाल करते हैं।"
अंग्रेज बोला: "फिर फेंक देते होंगे ?"
इंडियन ने फिर कहा: "नहीं-नहीं इसके बाद 6 महीने तक मै इस से अपने जूते साफ़ करता हूं और अगले 6 महीने तक बाइक
का साइलेंसर चमकाता हूं।
बाद में उसे हाथ से बनाई जाने वाली गेंद में काम लेते हैं और अंत में कोयले की सिगडी (चूल्हा) सुलगाने के काम में लेते
हैं और सिगड़ी (चूल्हे) की राख बर्तनमांजने के काम में लेते हैं।"
इतना सुनने के बाद अंग्रेज बेहोश होकर
गिर गया.
आज एक दो जिले मे चयनितो की लिस्ट
ReplyDeleteलग गयी है । इसमे कुछ वर्ग मे ओवर फ्लो के कारण कुछ लोगों के कागज वापस भी होगे ।
ये सोचकर हमारे भाई बडे दुखी और परेशान है ....पर एक जिले से पेपर वापस होने का मतलब नौकरी से बाहर होने से नही है ।
अन्तर सिर्फ इतना हो कि आप का चयनित जिला और काउसिंलिंग का क्रम बदल रहा है ।
आप का चयन श्योर है । हतोत्साहित होने की आवश्यकता नही है । ओवर फ्लो कुछ ही जगह है हर जगह नही ।
हो सकता है आपको पहले से बेहतर जिला तीसरी काउसिंलिंग मे मिले ।
BE POSITIVE .........!!!!!
यह गाजीपुर का दूसरी काउंसिलिंग का कट आफ लिस्ट है जिसमें निम्न अभ्यर्थियों के मूल प्रमाण पत्र दिनांक 09/10/2014 से 11/10/2014 तक वापस किये जायेंगे। आज दोपहर यह गाजीपुर डाइट पर चिपका दिया गया है।
ReplyDeleteCategory cutoff till date of birth
F- UN- ART— 111 - 05-07-1986
F- SC- ART— 89 - 15-05-1988
F- ST- ART— 88 - 15-01-1989
F- BC- ART— 104 - 10-06-1986
F- UN- SC— 109 - 20-05-1977
F- SC- SCI.— 84 - 10-04-1989
F- ST- SCI.— 0 - 0
F- OBC- SCI.— 98 - 07-07-1982
F- SC- SCI.— 84 - 10-04-1989
F-VI- 87 - 07-01-1979
F- HI- .— 87 - 05-02-1984
F- DFF.— 84 - 05-08-1984
F- SC- SCI.— 84 - 10-04-1989
M- UN- ART.— 121 - 15-01-1981
M- SC- ART.— 107 - 04-02-1987
M- ST- ART.— 104 - 07-04-1985
M- OBC- ART.— 118 - 01-08-1989
M- UN- SCI.— 119 - 08-07-1985
M- SC- SCI.— 101 - 06-06-1980
M- ST- SCI.— 83 - 01-07-1982
M- OBC- SCI.— 115 - 05-05-1982
M- DFF- .— 96 - 17-08-1985
हाई जाएगी एलटी ग्रेड शिक्षकों की मेरिट
ReplyDeleteजागरण संवाददाता, मेरठ : मेरठ समेत प्रदेश के
सभी 18 मंडलों में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में
निकाली गई एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती की मेरिट
लिस्ट इस बार काफी हाई जाने की संभावना है।
क्योंकि अधिकांश अभ्यर्थियों के सभी 18 मंडलों व
एक से अधिक विषयों में आवेदन करने की वजह से
यह स्थिति बनेगी। उधर, अभ्यर्थियों के अधिकांश
मंडलों में आवेदन करने के कारण फार्म विक्रेताओं
की भी पौ बारह हो गई है।
कुल 6645 को मिलेगा शिक्षक बनने का मौका
मेरठ समेत प्रदेश के सभी 18 मंडलों में स्थित
राजकीय विद्यालयों में करीब 6,645
अभ्यर्थियों को एलटी ग्रेड में शिक्षक बनने
का मौका मिलेगा। मेरठ मंडल में कुल 359 व
सहारनपुर मंडल में कुल 212 अभ्यर्थियों के लिए
रिक्ति निकाली गयी है। इन रिक्ति के लिए आवेदन
पत्र सभी मंडल मुख्यालयों को भेजे जाने हैं। आवेदन
की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर की शाम पांच बजे तक
निर्धारित की गई है।
एक दर्जन विषयों में मिलेगा शिक्षक बनने
का अवसर
अभ्यर्थियों को राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में
करीब एक दर्जन विषयों में ही शिक्षक बनने
का मौका मिलेगा। इनमें हिंदी, संस्कृत, उर्दू,
अंग्रेजी, विज्ञान-गणित, जीव-विज्ञान, सामान्य
विषय, संगीत, कला, शारीरिक शिक्षा, वाणिज्य और
गृह विज्ञान आदि शामिल हैं। एक से अधिक विषय
के लिए अभ्यर्थियों को अलग-अलग आवेदन
करना होगा। भर्ती के लिए अभ्यर्थियों की आयु एक
जुलाई-14 को 21 से कम और 40 वर्ष से अधिक
न हो। बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे
नौजवानों के लिए यह एक सुनहरा मौका होगा।
ReplyDeleteSathiyon namskar!
GHAZIPUR ki Second cnslng ki list chaspa kar diya gaya hai!!!
Total 2400/1727 seat full.
Female art 110 ki dob 7/1986 ki 48 bahar.
Male art 120 dob 15/7/1986 k 59 bahar.
obc female- 104
obc male- 118 tak safe hai.
jankari dene wale k anusar total 256 logo ko ducument vapas k liye bulaya gaya hai.
Kisi v truti k liye kshma chahunga!
Sthiti dekhkar kasht ho raha hai. Sochne k liye vivash v kar raha hai!
लड़का : का ए ?
ReplyDeleteलडकी : का ए ?
लडका : का हैरौ ए ?
लडकी : कछु ना ..भैसंन
की सानी कर री हूँ
लडका : खानौ खा लियौ?
लडकी : हओ .
लडका : का खायो ?
लडकी : तेरी मईया कौ सर.. अबे
रोटी और सब्जी खाई और का.
लडका : जादा ना खइयो मोटी है जाएगी.
लडकी : तेरे बाप को खा रहीऊ का?
लडका : भाग यहाँ ते भाड मे जा.
लडकी : तू जा , निपूते, कुत्ता,
सत्यानासी , अब करियो मेसज ..भाई ते कह के
तेरी टाट ना फुडबाई तौ बोलियो...
प्राप्त रुझाने के अनुसार 72825 मेँ अभी 50% सीटोँ से अधिक रिक्तियाँ ।
ReplyDelete31 December tak U.P Goverment 72825 ki counselling puri karne ke sath hi niyukti patra dene ki tayaari me
ReplyDelete01 january se Training Shuru karne ki hai yojna..
एक आदमी जंगल से गुजर रहा था । उसे चार स्त्रियां मिली।
ReplyDeleteउसने पहली से पूछा - बहन तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहा "बुद्धि "
तुम कहां रहती हो?
मनुष्य के दिमाग में।
दूसरी स्त्री से पूछा - बहन तुम्हारा नाम क्या हैं ?
" लज्जा "।
तुम कहां रहती हो ?
आंख में ।
तीसरी से पूछा - तुम्हारा क्या नाम हैं ?
"हिम्मत"
कहां रहती हो ?
दिल में ।
चौथी से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
"तंदुरूस्ती"
कहां रहती हो ?
पेट में।
वह आदमी अब थोडा आगे बढा तों फिर उसे चार पुरूष मिले।
उसने पहले पुरूष से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
" क्रोध "
कहां रहतें हो ?
दिमाग में,
दिमाग में तो बुद्धि रहती हैं,
तुम कैसे रहते हो?
जब मैं वहां रहता हुं तो बुद्धि वहां से विदा हो जाती हैं।
दूसरे पुरूष से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
उसने कहां -" लोभ"।
कहां रहते हो?
आंख में।
आंख में तो लज्जा रहती हैं तुम कैसे रहते हो।
जब मैं आता हूं तो लज्जा वहां से प्रस्थान कर जाती हैं ।
तीसरें से पूछा - तुम्हारा नाम क्या हैं ?
जबाब मिला "भय"।
कहां रहते हो?
दिल में।
दिल में तो हिम्मत रहती हैं तुम कैसे रहते हो?
जब मैं आता हूं तो हिम्मत वहां से नौ दो ग्यारह हो जाती हैं।
चौथे से पूछा तुम्हारा नाम क्या हैं?
उसने कहा - "रोग"।
कहां रहतें हो?
पेट में।
पेट में तो तंदरूस्ती रहती हैं?
जब मैं आता हूं तो तंदरूस्ती वहां से रवाना हो जाती हैं।
जीवन की हर विपरीत परिस्थिथि में यदि हम उपरोक्त वर्णित बातो को याद रखे तो कई चीजे टाली जा सकती है ।
Like.....
Deleteजरा मुस्कुरा के देख,
ReplyDeleteदुनिया हसती नजर आएगी!
सुबह सैर कर के तो देख,
तेरी सेहत ठीक हो जाएगी!
व्यसन छोड के तो देख,
तेरी इज्जत बन जाएगी!
खर्च घटा कर के तो देख,
तुझे अच्छी नीँद आएगी!
मेहनत कर के तो देख,
पैसे की तंगी चली जाएगी!
🔮
संसार की अच्छाई तो देख,
तेरी बुराई भाग जाएगी!
ईश्वर का ध्यान कर के तो देख,
तेरी उलझने दुर हो जाएगी!
माता पिता की बात मान कर तो
देख,
तेरी जिन्दगी संवर जाएगी!
शरद पूर्णिमा की इस शुभ्र धवन चाँदनी के नाम एक और मुक्तक
ReplyDelete!
!
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!
!
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!
!
"आपकी दुनिया के बेरंग अंधेरों के लिये,
रात भर जाग कर एक चाँद चुराया मैंने,
रंग धुंधले है तो इनका भी सबब मै ही हूँ,
एक तस्वीर को इतना क्यूँ सजाया मैंने....!"
1) jaisa ki hamari lko team thodi der pahle scert gayi thi waha se khabar ye mil rahi hai ki 30 dist. Ki data scert pahuch chuki hai aur 30 dist me avarage 48% seat fill up hui hai..avi sitapur lakimpur aur kushinagar ka data nai pahucha hai..fir v scert ke manoj sir ne kaha ki avarage 50% seat fill up hone ka anuman hai..
ReplyDelete2) sikshamitro aur ex. Sarvice man avam freedome fi8ter ki khali seato ko next counseling ke bad bhare jane ki bat scert kah rha hai..3rd counseling me s.m ke sbhi pass condidate ko bulakar last chance scert dena chahta hai,
ReplyDelete3) dosto aupabandhik counseling krane wale farjiwada wale log agar bahar ho gye to ye nischit hai ki 2nd counseling ke bad kul 50% se kam log seat fill up kiye hoge..atah aap logo se apeal hai ki 9 ko alahabad siksha nidesalay jarur pahuche...
ReplyDeleteThanx
1-abhi tak keval 30 dist.ka data scert bheja gya h. Jisme se 48 se 50 seats parsent seats bharne ka avrage h. Jisme sitapur aur lakhimpur ka data abhi nhi aaya h.
ReplyDelete2-3rd conlg ki date tabhi decide hoga jab tak sabhi dis.ka data aa nhi jata.
3-s.m.ki seats ki categ.vise samayojan pr un logo ne kaha ki 3rd coun. me sambhav nhi h. Kyoki abhi most dist.me inka merit nimntam star pr nhi aaya h.
4-kux dis.(faizabad)me shikayat hm logo ko mili thi ki diet vale kux seats bacha rhe h. Isase paresaan na ho ye seat special categ.valo k liye bachai gyi h.kyoki aise logo ka kote me bhi kota hota h.
5- Dosto manoj sir aur shukla sir ka spast kahna tha ki 50 parsent se jayada seats aaplogo 3rd counlg me milengi. Aur usme gen.male aur adhik hogi kyoki gen.female ,obc f.,sc fmle ki seat low merit jane k karan jayada bhari h.
Sathiyo sthiti utni gambhir nhi h jitni media, svayam kux shararati tatvo k dvara btai ja rhi h.
लंबे समय बाद बड़ा अच्छा संदेश
ReplyDeleteयदि आपके फ्रिज में खाना है, बदन पर कपड़े हैं,
घर के ऊपर छत है और सोने के लिये जगह है,
तो दुनिया के 75% लोगों से ज्यादा धनी हैं
यदि आपके पर्स में पैसे हैं और आप कुछ बदलाव के
लिये कही भी जा सकते हैं जहाँ आप
जाना चाहते हैं
तो आप दुनिया के 18% धनी लोगों में
शामिल हैं
यदि आप आज पूर्णतः स्वस्थ होकर जीवित हैं
तो आप उन लाखों लोगों की तुलना में
खुशनसीब हैं जो इस हफ्ते जी भी न पायें
यदि आप मैसेज को वाकइ पढ़ सकते हैं और समझ
सकते हैं
तो आप उन करोड़ों लोगों में खुशनसीब हैं
जो देख नहीं सकते और पढ़ नहीं सकते
जीवन के मायने दुःखों की शिकायत करने में
नहीं हैं
बल्कि हमारे निर्माता को धन्यवाद करने के
अन्य हजारों कारणों में है!!!
शुभ जीवन सुखी जीवन
लोग पत्नी का मजाक उड़ाते है। बीवी के
ReplyDeleteनाम पर कई msg भेजते है उन सभी के लीये
--------------
Please Read This....
A Lady's Simple Questions & Surely It Will
Touch A Man's heart...
------------------------
देह मेरी ,
हल्दी तुम्हारे नाम की ।
हथेली मेरी ,
मेहंदी तुम्हारे नाम की ।
सिर मेरा ,
चुनरी तुम्हारे नाम की ।
मांग मेरी ,
सिन्दूर तुम्हारे नाम का ।
माथा मेरा ,
बिंदिया तुम्हारे नाम की ।
नाक मेरी ,
नथनी तुम्हारे नाम की ।
गला मेरा ,
मंगलसूत्र तुम्हारे नाम का ।
कलाई मेरी ,
चूड़ियाँ तुम्हारे नाम की ।
पाँव मेरे ,
महावर तुम्हारे नाम की ।
उंगलियाँ मेरी ,
बिछुए तुम्हारे नाम के ।
बड़ों की चरण-वंदना
मै करूँ ,
और 'सदा-सुहागन' का आशीष
तुम्हारे नाम का ।
और तो और -
करवाचौथ/बड़मावस के व्रत भी
तुम्हारे नाम के ।
यहाँ तक कि
कोख मेरी/ खून मेरा/ दूध मेरा,
और बच्चा ?
बच्चा तुम्हारे नाम का ।
घर के दरवाज़े पर लगी
'नेम-प्लेट' तुम्हारे नाम की ।
और तो और -
मेरे अपने नाम के सम्मुख
लिखा गोत्र भी मेरा नहीं,
तुम्हारे नाम का ।
सब कुछ तो
तुम्हारे नाम का...
Namrata se puchti hu?
आखिर तुम्हारे पास...
क्या है मेरे नाम का?
एक लड़की ससुराल चली गई।
कल की लड़की आज बहु बन गई.
कल तक मौज करती लड़की,
अब ससुराल की सेवा करना सीख गई.
कल तक तो टीशर्ट और जीन्स पहनती लड़की,
आज साड़ी पहनना सीख गई.
पिहर में जैसे बहती नदी,
आज ससुराल की नीर बन गई.
रोज मजे से पैसे खर्च करती लड़की,
आज साग-सब्जी का भाव करना सीख गई.
कल तक FULL SPEED स्कुटी चलाती लड़की,
आज BIKE के पीछे बैठना सीख गई.
कल तक तो तीन वक्त पूरा खाना खाती लड़की,
आज ससुराल में तीन वक्त
का खाना बनाना सीख गई.
हमेशा जिद करती लड़की,
आज पति को पूछना सीख गई.
कल तक तो मम्मी से काम करवाती लड़की,
आज सासुमां के काम करना सीख गई.
कल तक भाई-बहन के साथ
झगड़ा करती लड़की,
आज ननद का मान करना सीख गई.
कल तक तो भाभी के साथ मजाक करती लड़की,
आज जेठानी का आदर करना सीख गई.
पिता की आँख का पानी,
ससुर के ग्लास का पानी बन गई.
फिर लोग कहते हैं कि बेटी ससुराल जाना सीख
गई.
(यह बलिदान केवल लड़की ही कर
सकती है,इसिलिए हमेशा लड़की की झोली
वात्सल्य से भरी रखना...)
बात निकली है तो दूर तक जानी चाहिये!!!
शेयर जरुर करें और लड़कियो को सम्मान दे!
Salute to all girls
Super like......very nice sirji
DeleteEmotional. ...
Deleteलगता है ये दीवाली बिना नियुक्ति पत्र के काटनी पडेगी ।
ReplyDeleteकहीं नया साल भी ऐसे ही सूखे की चपेट में न आ जाये ।
कन्टेम्नट से भी अब कुछ खास फर्क नही पडने वाला क्योंकि भर्ती हो तो रही है इसलिए मुझे अवमानना मामले में अब खास रुचि नही रही ।
छुट्टियों के दौरान भी डाईट व्यस्त रही अभ्यर्थियों की छंटाई वगैरह में , डाटा भेजने वगैरह में , अब कागज वापसी सूची भी चस्पा होना शुरू हो रही हैं ।
इसका मतलब है काम खूब हो रहा है । और गाडी गन्तव्य की ओर तीसरा चक्कर अक्टूबर अन्त तक लगा ही देगी ।
तीसरी काउसिंलिंग में भगवान् करे अधिकांश लोगों का हो जाये क्योंकि यह खतरनाक काउसिंलिंग होगी और अधिकांश जनपदों से कुई वर्ग फुल कर देगी निचले पायदान पर इन्तजार कर रहे लोगों को और तडपा देगी ।
ReplyDeleteएलटी ग्रेड भर्ती भी साथ ही में दौड रही है। सभी बी एड धारी जम कर फार्म झोंका झोंक मचाये हैं मैने भी आज सभी मण्डलों में उठाकर भेज दिये , चाहे सेलेक्शन हो या कतई न हो ,
आप भी भेज दें
क्या पता बिल्ली के भाग्य से सींका टूट जाये ।
अनुमानतः एल टी ग्रेड की इस भर्ती में कुल मिलाकर 10 लाख फार्म पडने की उम्मीद है।
"तेरे शरीर का दीया तेरी आंख है, इसलिये जब तेरी आंख निर्मल है, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला है; परन्तु जब वह बुरी है, तो तेरा शरीर भी अन्धेरा है। इसलिये चौकस रहना, कि जो उजियाला तुझ में है वह अन्धेरा न हो जाए। इसलिये यदि तेरा सारा शरीर उजियाला हो, ओर उसका कोई भाग अन्धेरा न रहे, तो सब का सब ऐसा उलियाला होगा, जैसा उस समय होता है, जब दीया अपनी चमक से तुझे उजाला देता है॥''
ReplyDelete_________________________________________________________________________________- लूका 11:34-36 )
शादिया शुरू होगई है...आपसे हाथ जोड़ विनती है,
ReplyDelete...अगर आगे से कभी आपके घर में पार्टी/समारोह हो और
खाना बच जाये या बेकार जा रहा हो तो बिना झिझके आप 1098
(केवल भारत में) पर फ़ोन करें,
..."यह एक मजाक नहीं है - यह चाइल्ड helpline है"...
...वे आयेंगे और भोजन एकत्रित करके ले जायेंगे। ...कृप्या इस msg
को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें इससे उन बच्चों का पेट भर
सकता है कृप्या इस श्रृंखला को तोड़े नहीं हम joke और video अपने
दोस्तों और अपने नेटवर्क में करते हैं,
...क्यों नहीं इस बार इस अच्छे msg को आगे से आगे send करें
ताकि हम भारत को रहने के लिए दुनिया की सबसे अच्छी जगह बनाने में
सहयोग कर सकें-
..."मदद करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठो से अच्छे होते हैं"
हमें अपना मददगार हाथ दें।
...भगवान की photo फॉरवर्ड करने से किसी को गुड लक
मिला या नहीं मालूम नहीं ...पर एक msg अगर भूखे बच्चे तक
खाना फॉरवर्ड कर सके तो यह ज्यादा बेहतर है...!!!
Kya Tumhe Ladki Phasani Aati Hai..
ReplyDelete....
.
.
.
Nahi...?
.
.
Nahi Aati To Seekh Le..
.
Meri Tarah..
.
Pehle Ek Kaagaz Ka Jahaaz Bana...
Phir Usay Class Mein Udaa....
Mam K Puchne Par.,
Ladki Ka Naam Laga de....
Bas PHAS GAI LADKI..
Hahahaha
दस आदतें, जो किडनी खराब करती हैं:
ReplyDelete1. पेशाब आने पर करने न जाना
2. रोज 7-8 गिलास से कम पानी पीना
3. बहुत ज्यादा नमक खाना
4. हाई बीपी के इलाज में लापरवाही बरतना
5. शुगर के इलाज में कोताही करना
6. बहुत ज्यादा मीट खाना
7. ज्यादा मात्रा में पेनकिलर लेना
8. बहुत ज्यादा शराब पीना
9. पर्याप्त आराम न करना
10. सॉफ्ट ड्रिंक्स और सोडा ज्यादा लेना |
क्या आप भी कुछ कहना चाहते हैं? अगर आपके पास देश,समाज, सत्ता या सरकार से जुड़ी कोई भी जानकारी,शिकायत,आलोचना या सुझाव, जो आप लोगों से बताना चाहते हैं, है तो आपको मंच प्रदान कर रहे हैं हम! .............................डर मत सच बोल
ReplyDelete(बोलेगा हिन्दुस्तान ! गुँजेगा सारा जह़ान !!
31 अक्टूम्बर आओ एक संकल्प लें कि हम इस दिन इन्टरनेट का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करेंगें। ---------------------------------
ReplyDeleteहाल ही में टेलीफोन कम्पनी के द्वारा मोबाइल डाटा के दाम बढा दिये गये हैं । जो इन्टरनेट पैक पहले 98 रुपये में #2GB मिलता था । वो अब 155 में #1GB रह गया था । और अब पिछले हफ्ते कम्पनी ने दाम फिर बढा दिये हैं । अब 155 रुपये में 500MB डाटा । उसमें एक और सोचने वाली बात वेलिडिटी 28 दिन (4 हफ्ते) 14 दिन (2हफ्ते) 7 दिन (1 हफ्ता ) कर दी इन्होनें । ऐसा क्यों ? क्योंकि हम आँखें बन्द करके #इन्टरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं । और कम्पनी इसी बात का फायदा उठा रही है कि भारत के लोग सोये हुए हैं और ये कभी आवाज नहीं उठायेंगे ।
इंग्लैण्ड में एक बार ब्रैड कम्पनी ने ब्रैड के दाम बढाये तो पूरे इंग्लैण्ड ने कुछ दिन ब्रैड ही नहीं ली तो मजबूरन कम्पनी को दाम वापिस वो ही करने पङे । क्यों ना हम लोग भी आवाज उठायें और #31 अक्टूम्बर के दिन इन्टरनेट का इस्तेमाल ना करें । ताकि कम्पनी (व्यापारी) को उपभोक्ताओं (ग्राहकों) की शक्ति का पता चले ।
मानो एक व्यक्ति प्रतिदिन न्यूनतम #10 रुपये का इन्टरनेट इस्तेमाल करता है तो यदि #20 करोङ लोग उपभोक्ता है तो कम्पनियों को प्रतिदिन 10×20 करोङ = 2अरब रुपये की आमदनी होती है । यदि हम एक दिन भी इन्टरनेट नहीं चलाते हैं तो कम्पनियों को जो घाटा होगा, वो उनके लिये बङा महँगा होगा
और हमारे लिये 10 रुपये की बचत + समय की बचत + एक दिन परिवार के नाम + कम्पनी को यूनिटी का एहसास दिलाना ।
बहुत लोग सोचेंगे कि हम क्या कर सकते हैं, लेकिन हमारी यही सोच हमें मूर्ख बनाती हैं, लेकिन हम #भारतीय हैं, मूर्ख नहीं है ।
संगठन में ही शक्ति है ।
बस एक दिन 31 अक्टूम्बर को इन्टरनेट का बाहिस्कार करें ।
इस मैसेज को 31 अक्टूम्बर से पहले इतना शेयर करो कि पूरा भारत इस दिन 31 अक्टूम्बर को इन्टरनेट का इस्तेमाल ना करे !!!
(1) द्वितीय काउंसलिंग समापन के पश्चात टेट मोर्चे का प्रतिनिधि मण्डल यथास्थिति से अवगत होने आज SCERT पहुँचा,,,भाई गणेश दीक्षित, राकेश यादव जी, डॉ0 राजीव शर्मा जी एवं मुअज्जम भाई सहित इस प्रतिनिधि मण्डल को जो जानकारी मिली वह प्रथमदृष्टया काफी उत्साहवर्धक प्रतीत होती है। अभी तक प्राप्त ताजा जानकारी के अनुसार कुल 32 जिलों का ही डाटा SCERT पहुँच पाया है जिसके अनुसार द्वितीय काउंसलिंग में इन जनपदों में 48-50% सीटें ही भर पायीं हैं एवं तृतीय काउंसलिंग भी धुआँधार होने की संभावना बन पड़ी है। फिलहाल त्योहारों का मौसम होने की वजह से ज्यादातर अवकाश पड़ रहे हैं इससे सभी जनपदों का डाटा पहुँचने में अभी देरी होगी,,इसलिए अभी से कोई पूर्वानुमान लगाना उचित नहीं होगा किन्तु निरहुआ अपने टेट भाइयों से मात्र इतना कहना चाहता है की
ReplyDelete"शुरुआत बढ़िया हो चुकी है, अंत भी बेहतरीन ही होगा"।
(2) कल दिनाँक 08 अक्टूबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट में टेट मोर्चे द्वारा दायर की गई कंटेम्प्ट रिट पर सुनवाई भी होनी है,,हमारे टेट मोर्चे के अग्रणी बन्धु दिल्ली पहुँचकर मोर्चा संभाल चुके हैं और अपने एडवोकेट से सलाह करके यथोचित कार्यवाही में जुटे हुए हैं। प्राप्त सूचना के अनुसार इस बार टाइम बाऊण्ड जॉइनिंग लैटर कोर्ट में सबमिट करने पर मोर्चे का पूरा-पूरा फोकस रहेगा,,इसके अतिरिक्त अन्य समस्याओं पर मोर्चा अपना पक्ष रखकर निस्तारण की अपील भी करेगा।
ReplyDelete(3) शिक्षामित्र मामले में दिनाँक 09 अक्टूबर को हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश महोदय के सम्मुख 'फाइनल हियरिंग' हेतु मामला लिस्टेड है,,चूँकि कुछ अग्रणी बन्धु दिल्ली में मोर्चा जमाये बैठे हैं अतः हमलावर दस्ते की दूसरी टोली इसमें मोर्चा संभालने हेतु कल दोपहर बाद इलाहाबाद पहुँच जायेगी। इस मामले में भी मोर्चे के अग्रणी बन्धु अपने सर्वश्रेष्ठ देने को कटिबद्ध होंगे।
ReplyDelete(4) द्वितीय काउंसलिंग के दौरान विभन्न अनियमितताओं एवं संदिग्ध प्रकरण के बारे में मोर्चा अपनी अग्रिम रणनीति के तहत संजय सिन्हा से इलाहाबाद में मुलाक़ात करके अपनी माँग रखेगा एवं उचित निराकरण हेतु दबाव भी बनाएगा। जूनियर मामले में 'दोहरी काउंसलिंग' एवं मुन्नाभाई प्रकरण विशेष रूप से इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। आप सभी टेट बंधुओं से निवेदन है की अपनी आवाज बुलंद करने इलाहाबाद जरुर पहुँचे,,इससे सम्बंधित विस्तृत सूचना अगली पोस्ट पर.........
ReplyDeletePlease ek baat ka answer do... jitne bhi fargi pakade gaye wo sab pakade jane ke baad bhag ku jate h..... jab bhi koi news aati h ki wo bhag gaya esa ku or kese
Deleteपुनश्चः
ReplyDeleteएक ज़माना था जब सुप्रीम कोर्ट में 72825 मामले की डेट पर समस्त टेट परिवार एकजुट हो टेट ध्वजा के नीचे 'जय टेट' की हुँकार भरते हुए अपने अग्रणी योद्धाओं का मनोबल बढ़ाते थे,,टेटवीरों के सामूहिक सिंघनाद से चहुँ दिशाओं में विप्लव की स्थिति आ जाती थी और बैरी का साहस एवं मनोबल गर्त में समा जाता था,,किन्तु हा नियति ! हा टेट अस्मिता का दुर्भाग्य ! हा काल की महिमा,, आज अपने ही अपनों से इस कदर विमुख हो गए हैं की शत्रु की दुर्धर गति को रोकने जो टेट पुरोधा कभी अपने भाइयों के संबल और साहस के बलबूते पर निश्चिंत हो सीना तान खड़े होते थे वही टेट योद्धा आज उसी समरक्षेत्र में अपने आपको अपने भाइयों के बिना असहाय महसूस कर रहे हैं। उन योद्धाओं को आज आपका आर्थिक सहयोग नहीं बल्कि नैतिक और मानसिक सहयोग चाहिए,,वे कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते हुए बस इसी लालसा से बार-बार पीछे मुड़कर देख रहे हैं की शायद समर अंत तक पहुँचते-पहुँचते उनके बिछड़े भाई उनसे आ मिलें। निरहुआ ना तो काल की गति मोड़ सकता है और ना ही किसी के विचार बदल सकता है किन्तु कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते अपने अग्रज बंधुओं का अनुसरण करते हुए टेट ध्वजा थामे "जय हिन्द-जय टेट" का नारा अंतिम साँस तक जरुर लगाता रहेगा, और अंतिम क्षणों तक आशा रखेगा की हमारे विलग हो चुके बन्धु एक बार फिर से समवेत स्वर में "जय टेट" की रण हुँकार भरें।
जय हिन्द-जय टेट।।
दाँतों को सफेद करने का उपाय
ReplyDelete1 चम्मच बेकिंग सोडा लीजिए.. कटोरी मे डालिए. इसमें अब नींबू निचोड़ लीजिए.. हिलाते रहिए. कुछ झाग से बन कर शांत हो जाएँगे और एक पतला सा पेस्ट तैयार हो जाएगा.
इसको अपने दाँतों पर उंगली या रूई से लगा लीजिए. 3 मिनिट बाद धो लीजिए.
3 मिनिट से ज़्यादा इसे नही रखना है.
दाँत सफेद हो जाएँगे.
बेकिंग सोडा किसी भी किराने की दुकान से मिल जाता है.
चेहरे अजनबी हो जायें तो कोई बात नहीं,
ReplyDeleteरवैये अजनबी हो जायें तो तकलीफ होती है।।
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ओमप्रकाश चौटाला ......नाम सुना होगा ।
ReplyDeleteहरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने आपने मुख्यमंत्री त्रित्वकाल मे एक शिक्षक भर्ती शुरू की थी और इस भर्ती मे इन्होने अपने बाप की भर्ती मानकर व्यापक धाधली भी की पर धाधली इतनी सफाई से कि अघ्छे अच्छे भी अनभिज्ञ रहे ।
एक सामान्य प्रक्रिया के तहत ये भर्ती संमपन्न हुइ बिना किसी शोर शराबे के ,,कुछ लोगे ने कुछ आपत्तिया भी उठाई पर हर भर्ती की तरह । .... कुछ मुकदमे बाजी भी हुई केस चलता रहा ।
देर सबेर न्याय ने अपना काम किया और कोर्ट ने धाधली मानते हुए पिता-पुत्र को दस बर्ष की सजा दी ।
जिसकी तूती कभी पूरे हरियाणा मे बोलती थी एक धाधली मे उसके पुरखो की बनाई साख और राजनीति हमेशा के लिए खत्म कर दी ।
सब कुछ खत्म हो गया ।
....ये कहानी इसलिए कि कुछ लोग भर्तीयो को सरकार की बपौती समझकर ये मानकर चलते है कि सरकार जितना चाहेगी उतनी धाधली करवा लेगी । माना कि सपा पिछले कार्यकाल मे बदनाम रही ,,,,,ऐसी भर्ती जो देश के सर्वोच्चन्याधीश और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से हो रही हो उस मे सपा धाधली करेगी वो भी तब जब उसके सामने पहले ही चौटाला का और खुद की पुलिस भर्ती का उदाहरण और सबक मौजूद हो।
क्या कल्पना है लोगो की वो भर्ती जिसके नाम पर ही सरकार और अधिकारियों के सिर चकरा जाते है , जिसकी कालु छाया से सरकार पाक साफ निकलकर गंगा नहा लेना चाहती है उसमे वो धाधली करेगी या करने देगी ,ये सोचना भी फिजूल है ।
हमारे एक फेशबुकिया रिपोर्टर है जो अपनी पोस्ट ठीक किसी खबरिया चैनल की प्राइम न्यूज की तरह भौकाल के साथ पेश करने के लिए मशहूर है ....कल इन्होंने एक पोस्ट मे लिखा कि हम उस सीडी पर कैसे भरोसा कर सकते है जो दूनिया के सबसे बडे और बेहद भ्रष्ट बोर्ड मा. शि. प. इलाहाबाद ने उपलब्ध कराई हो । कितनी अजीब बात है भाई इनको उसी के रिकार्ड पर भरोसा नही है जिसने खुद टेट 2011 की परीक्षा सम्पन्न कराई है ।
लोग कहते है कि इस बात कि क्या गारंटी है कि जो सीडी scert के पास है वो आरिजनल है बडी हसी आती है इन लोगो पर जो दावा करते है कि जो उनके पास टेट रिजल्ट कि डाटा है वो असली है और परीक्षा कराने वाली संस्था के पास जो है वो संन्देहजनक है । हद है यार
कैसे कैसे तर्क है ।
सरकार सब नकली रिजल्ट बनाकर भर्ती कर रही है जब कि सारा का सारा डाटा , कम से कम तीन विभागो के पास है । शिक्षा विभाग , पुलिस , यूपी बोर्ड और , कापी चेक करने वाली संस्था, क्या हर जगह सरकार मि. इन्डिया बनकर नकली सीडी पहुचा देगी क्या ?????
क्या फायदा
ReplyDelete10th, 12th, BA, BSC, B.Tech,
M.Tech, B.Com, M.Com, MBA,
LLB, MBBS, CA करने का....?
जब आखिर मेँ
ये ही पता ना चले कि
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गोलगप्पे और जलेबी को
अंग्रेजी मेँ क्या कहते हैँ...?
आपको पता हो तो बताओ....!!
This comment has been removed by the author.
DeleteYa fir u can say watery round bread
Delete.
ReplyDelete.
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मैने कब कहा कि तुम कीमत समझो हमारी ? गर होती औकात किसी की, तो कब का खरीद लेते लोग ॥
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लोगो ने मुझमे इतनी कमियां निकाल दीं,,,,
ReplyDeleteकि अब खूबियों के सिवा कुछ बचा ही नहीं…..!
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शुभरात्रि ।।