संजय मिश्र, इलाहाबाद : सिविल लाइंस स्थित चंद्रशेखर आजाद पार्क में दोपहर की चिलचिलाती धूप में पेड़ की छांव तलाश करते तकरीबन दो दर्जन युवा हर दूसरे-तीसरे दिन एकत्र होते हैं। कुछ मंत्रणा होती है, उसके बाद जोरदार नारेबाजी करते हुए ये सभी जुलूस की शक्ल में लोकसेवा आयोग के दफ्तर पहुंचते हैं। वहां कुछ देर धरना-प्रदर्शन के बाद एक-एक करके भीड़ छंटनी शुरू हो जाती है। कुछ घंटे बाद रह जाते हैं तो सिर्फ अगुवा। दरअसल, यह भीड़ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों की है, जो लोकसेवा आयोग की परीक्षा की अधिकतम आयु सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इस आंदोलन में शामिल ज्यादातर छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं, जिनके लिए आंदोलन के लिए समय निकाल पाना भी मुश्किल होता है मगर ज्यादातर का यह मानना है कि पढ़ाई के साथ अधिकार पाने के लिए लड़ाई भी जारी रखनी होगी। वरना पढ़ा-लिखा सब धरा रह जाएगा।
लोकसेवा आयोग की पीसीएस जे और सहायक अभियोजन अधिकारी की परीक्षा की तैयारियों में जुटे अरुण तिवारी, संजय सिंह, रजनीश तिवारी, अमरेंद्र सिंह आदि छात्रों का कहना है कि सत्र नियमन न होने से उनका भविष्य अधर में है। पांच-छह सालों में एक बार परीक्षा का आयोजन होता है, ऐसे में उन्हें इस इम्तिहान में शामिल होने के लिए सिर्फ एक या दो मौके ही मिलते हैं। जबकि पड़ोसी राज्यों में उम्र सीमा में बढ़ोत्तरी होने की वजह से वहां के छात्रों को पर्याप्त मौके मिल जाते हैं।
प्रतियोगी छात्र संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष राजेश सिंह कहते हैं कि पड़ोसी राज्यों बिहार, राजस्थान, हरियाणा आदि में लोकसेवा आयोग की परीक्षाएं देने के लिए अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष है जबकि हमारे यहां 35 वर्ष है, जिससे तमाम प्रतियोगी अवसर से वंचित रह जाते हैं। हम अपने अधिकार के लिए लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बातचीत चल रही है। उन्होंने विधिक राय के बाद फैसला लेने का आश्वासन दिया है। हक मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी।
प्रतियोगी छात्रों के साथ टीईटी अभ्यर्थियों का आंदोलन भी इन दिनों सुर्खियों में है। टीईटी अभ्यर्थियों के दो गुट हैं। एक परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की नियुक्ति की मांग रहा है तो दूसरा गुट परीक्षा को निरस्त करने और इसे सिर्फ पात्रता परीक्षा की तरह आयोजित करने की मांग कर रहा है। उत्तर प्रदेश टीईटी उत्तीर्ण एकता संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विवेकानंद कहते हैं कि कुछ अधिकारियों की खामियों का नतीजा हजारों अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ रहा है, जो गलत है। उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की तत्काल नियुक्ति की जानी चाहिए। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती, लड़ाई जारी रहेगी।
शिक्षामित्र भी कर रहे संघर्ष
पढ़ने वाले नहीं पढ़ाने वालों की भी अपनी समस्याएं हैं। प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी संभालने वाले शिक्षामित्र खुद को उपेक्षित मानते हैं। उन्हें अंट्रेंड वेतनमान की दरकार है और वह सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति चाहते हैं। आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अश्रि्वनी कुमार मिश्र कहते हैं कि शहर में पढ़-लिखकर वे गांव जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं, बदले में उन्हें सिर्फ 3500 रुपये का मानदेय मिलता है, इस राशि से जीविकोपार्जन भी मुश्किल है।
News : Jagran (19.4.12)
UPTET : टीईटी अभ्यर्थियों ने सीएम को ज्ञापन भेजा
जालौन। टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों ने नियुक्तियों की मांग को लेकर बुधवार को उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में कहा गया है कि पांच माह से प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया लंबित होने से टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी निराश हैं। कई तो मानसिक अवसाद के दौर से गुजर रहे हैं इसलिए उन्हें जल्द ही नियक्ति दिलाई जाए जिससे उन्हें परेशानियों के दौर से छुटकारा मिल सके। ज्ञापन पर फरीद मंसूरी, शिल्पी गुप्ता, आरती यादव, माधवी पाल, खुशबू पाटकार, मनोज बाथम, मंगल सिंह, विपिन पाल, अवधेश कुमार, मनोज सोनी, सत्यप्रकाश आदि के हस्ताक्षर हैं।
Max. age in UPPSC must be 40 for genral candidate.
ReplyDeleteI also agree and request honrable
C.M.
ye gungi aur bahri sarkar hame de hi kay sakti hai jo khud ek faisla nahi le sakti
ReplyDeleteHi
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