लखनऊ। हाईकोर्ट की ओर से दरोगा एवं पीएसी के प्लाटून कमांडर की सीधी भर्ती के लिए आयोजित संयुक्त परीक्षा-2011 की प्रक्रिया पर रोक लगाने के बाद शारीरिक दक्षता परीक्षा सरकार ने फिलहाल टाल दी है। यह परीक्षा 10 व 11 जुलाई को होनी थी।
हाईकोर्ट ने सरकार से 11 जुलाई को जवाब तलब किया है। कोर्ट का फैसला आने के बाद ही उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड परीक्षा की नई तारीखें जारी करेगा। यह सूचना भर्ती बोर्ड की वेबसाइट पर भी दी जाएगी।
तय कार्यक्रम के मुताबिक दस जुलाई से दरोगा भर्ती परीक्षा की शारीरिक दक्षता परीक्षा होनी थी। भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थी राजेश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने दिया। याचिका में कहा गया है कि परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद इसके नियमों को बीच में बदल दिया गया। ऐसा करना अवैधानिक है। कोर्ट ने परीक्षा प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए प्रदेश सरकार को 11 जुलाई तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। 11 जुलाई को भर्ती से जुड़ी एक अन्य याचिका की सुनवाई भी है। इसलिए कोर्ट 11 जुलाई को दोनों मामलों की सुनवाई करेगा। कोर्ट के इस आदेश के चलते उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने 10 व 11 जुलाई की परीक्षा निरस्त कर दी। 12 जुलाई व उसके आगे की परीक्षा का कार्यक्रम भी कोर्ट के निर्णय के बाद जारी होगा।
गौरतलब है कि दारोगा भर्ती-2011 परीक्षा के दौरान शारीरिक दक्षता परीक्षा शुरू की गई थी। इस दौरान एक युवक की दौड़ के बीच में ही मौत हो जाने के बाद सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद दौड़ के नियमों में बदलाव करते हुए पुरुषों के लिए 35 मिनट में 4.8 किमी और महिलाओं के लिए 20 मिनट में 2.4 किमी दौड़ के मानक तय किए गए। इससे पहले पुरुषों के लिए 60 मिनट में 10 किमी और महिलाओं के लिए 35 मिनट में 4.8 किमी की दौड़ तय थी। याचियों का कहना है कि प्रदेश सरकार के इस फैसले से रिजल्ट पर प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि वे पुराने मानकों के मुताबिक दौड़ चुके हैं
Sabhaar : अमर उजाला
ReplyDeleteश्रीलंका को रौंदकर फाइनल में
पहुंचा भारत,
भुवनेश्वर कुमार रहे जीत के हीरो
श्रीलंका को 81 रन से हराया, भारत
पहुंचा फाइनल
Mujhe pura yakin hai team india final
bhi jitegi
CHAK DE INDIA
Tet merit sup ko Good morning >>
ReplyDeleteparso jo hua aap log jan
chuke hain aur isme kuch nakaratmak
nahi hai
stay laga hua hai aur koi bhi bench
sunwai kare
tet merit ko koi nahi rok sakta hai aur
jo gadhank sup
ne parso s . k .pathak par hamla kiya
hai usse unki
har spast dikh rahi hai aur hum log
aur majboot
hue hain
gu gu walo ke liye
ratnesh pal ki
writ sc main pahle se hi pending hai
to gov aur
gu gu walo ke liye har nishchit hai
parso gadhank aise khush
hue jaise stay hat gaya ho aur bhrti
chalu ho gayi
ho
jay tet merit.
ReplyDeleteAbout me @>>> ......
My Name >>… MOHAMMAD SHAKEEL
[ ALI is my nick name ]
Vill >>… HARCHANDPUR
DISTRICT >>… RAEBARELI
UTTAR PRADESH
UP TET (1-5) >> 122
UPTET ( 6-8 ) >> 114
CTET 2011 ALSO QUALIFIED
ACD GUDANK >> 60.94 ( OBC )
CONTACT NO. >> 96 48 20 73 47
81 82 80 33 09
[ YOU CAN CHECK MY PROFILE ]
sub. inspe.
ReplyDeletebharti par stay ka lagna, sarkar ki
wrong neetiyon
ka ek aur example hai,
yeh theek apne tet merit
ki tarah ka matter hai jisme process ko
beech me
badla gaya jo ki galat hai.
running me ek avedak
ki death ke bad gov poora process
change kar
deti hai, parntu hamare 20 se jyada tet
sathiyon
ki jaan ki koi keemat nahi.
hamare sabhi sathiyon
ko court ke is faisle ka swagat karna
chahiye,
jai tet merit
jai old add
Every episode of CID has these 3
ReplyDeletethings:
1. Abhijeet:" Dekhiye plz co-
operate kijiye, Hum CID se hai..
.
.
Person:" Hunnnhhh.... CIDEEEE
( As if he did the crime)
.
.
2. Daya:" Accha, nahi pata tujhe..
Slaps Criminal starts sobbing in
the CID Bureau
.
.
Haan, maine hi maara tha usko :'((
.
.
3. ACP prathuman:" Khud ko
bachane ke liye tumne do do
khoon kar daale..
Ab toh tumhe, faasi hi hogi..
Faaasssiiiii.. :@
_________________________
12 saal se ek hi cheez chali aa
rahi hai.. Hadd hai bhai.. !!
Atleast dialogues to change karo..
Ab toh aisa lagta hai:" Sony pe CID
nahi, CID pe Sony aata hai
१. चीन का दुस्साहस: भारत में घुसकर सेना के कैमरे
ReplyDeleteतोड़े --- http://tinyurl.com/mh9yjtf
ReplyDeleteKisi dard ko sambhal pana asan nahi.
haste hue har pal bitana asan nahi,
zindagi me har koi dil me bas nahi pata,
aur jo bas jaye usko bhul jana asan nahi
Bachelors think that married men are
ReplyDeletelucky. .
Married men think that Bachelors are
lucky. .
The point is that
Bachelors think at night...
& Married
think at day time
S K पाठक पर हुआ हमला अति निँदनीय है । ईश्वर उन्हे जल्द स्वस्थ करे और हमला करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दे । ऊपर वाले की लाठी आवाज नही करती मगर उसका इलाज नही होता । इसकी सजा उन्हे अवश्य मिलेगी
ReplyDelete
ReplyDeleteGuzar Rahi Hai Zindagi Zikr e Khuda Se Ghafil
Aye Dil e Nadaan Samhal Jaa K Maut Ka Koyi Waqt
Nahi
ReplyDeleteJAIL WALI KE LIYE
तुम मौसम मौसम लगते हो, जो पल पल रंग बदलते हो,
तुम सावन सावन लगते हो, जो बरसो बाद बरसते हो,
तुम सपना सपना लगते हो, जो मुझको कम दिखते हो,
तुम पल पल मुझसे लड़ते हो, पर फिर भी अच्छे लगते हो,
बात तो है शर्मीली सी पर कहने को दिल चाहता है,
लो आज तुम्हे ये कह डाला, तुम अपने अपने लगते हो...... —
दोस्ती उन से करो जो निभाना जानते हो,
ReplyDeleteनफ़रत उन से करो जो भूलना जानते हो,
ग़ुस्सा उन से करो जो मानना जनता हो,
प्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जनता हो..
तोहमतें तो लगती रहीं रोज़ नई नई.....हम पर....
ReplyDeleteमगर जो सब से हसीन इलज़ाम था वो .......तेरा नाम था....
ReplyDeleteचलो एक और टुकड़ा बेच दें, हम शान से ईमान का
बद हुए, बदनाम हुए, क्या हुआ, दौलत तो आने दो !
मैं दरिया से लेकर समन्दर तक हो आया.. !
ReplyDelete..तेरी आरजू लेकर अपने मुकद्दर तक हो आया.. !!
..तेरे निशान कही मिलते ही नही अब देख.. !
..मैं तुझसे बिछङ कर तेरे शहर तक हो आया.. !!
..समन्दर थक कर जहाँ सहरा हो जाता है.. !
..तुझे ढुंढते ढुंढते उस मन्जर तक हो आया.. !!
..मैं दरिया से लेकर समन्दर तक हो आया.. !
..तेरी आरजू लेकर अपने मुकद्दर तक हो आया.. !!
..मुझे रोशनी की तलब अब और नही है.. !
..मैं रात भर चल कर सहर तक हो आया.. !!
..अब और कहाँ जाऊ के हस्ती मिट जाये.. !
..मैं कातिलों से लेकर खन्जर तक हो आया.. !!
..मैं दरिया से लेकर समन्दर तक हो आया.. !
..तेरी आरजू लेकर अपने मुकद्दर तक हो आया.. !!
Unke Aaghosh Mein Mil Jaaye
ReplyDeletePanaah . . . ?
Haaayyyyeee,,,
Main Itna Khush Naseeb Kahaaan..!
ReplyDeleteजो गुरूर करतें हैं अपनी दौलतों पर अब भी,
उन्हें बादशाहों से भरे कब्रिस्तान दिखाओ
ReplyDeleteमेरे जीने में मरने में तुम्हारा नाम आएगा ,
मै साँसे रोक लूँ फिर भी यही इल्जाम आएगा ,
जब हर एक सांस में तुम हो तो फिर अपराध क्या मेरा ?
अगर राधा पुकारेगी तो फिर घनश्याम आएगा ..!
ReplyDeleteDon’t feel bad if someone
rejects you
People usually
reject expensive things because
they can’t afford them .
ReplyDelete“Personality is who we are and
what we do when everybody is
watching.
Character is who we
are and what we do when
nobody is watching.”
ReplyDelete"स्वार्थ का बोझ"
--------------------------
एक आदमी अपने सिर पर अपने खाने के लिए अनाज
की गठरी ले कर जा रहा था।
दूसरे आदमी के सिर पर उससे चार
गुनी बड़ी गठरी थी।
लेकिन पहला आदमी गठरी के बोझ से
दबा जा रहा था, जबकि दूसरा मस्ती से गीत
गाता जा रहा था।
पहले ने दूसरे से पूछा, "क्योंजी! क्या आपको बोझ
नहीं लगता?"
दूसरे वाले ने कहा, "तुम्हारे सिर पर अपने खाने
का बोझ है,
मेरे सिर पर परिवार को खिलाकर खाने का।
स्वार्थ के बोझ से स्नेह समर्पण का बोझ सदैव
हल्का होता है।"
स्वार्थी मनुष्य अपनी तृष्णाओं और अपेक्षाओं के बोझ
से बोझिल रहता है।
जबकि परोपकारी अपनी चिंता त्याग कर संकल्प
विकल्पों से मुक्त रहता है।
ReplyDeleteसपा सरकार उत्तर प्रदेश में लगभग 2900 ग्राम
पंचायत अधिकारीयों की भर्ती करने जा रही है।
भर्ती नियमावली के अनुसार एकेडमिक
रिकार्ड और इंटरव्यू के आधार पर भर्ती कराने
का प्रस्ताव किया है।
एकेडमिक रिकार्ड के
नंबर और इंटरव्यू 50:50 के अनुपात में रखे जाने
की संभावना है।
अब ऐसे में जाहिर है कि ये नौकरी केवल
मंत्रियों विधायकों के चहेते को ही बांटी जाएगी।
योग्य लोग इस भर्ती का आसरा छोड़ दें।
ReplyDeleteSathiyo ......
पाठक जी पर किया गया हमला एकडमिक
गीदडो के द्वारा की गयी कायराना हरकत है,इस
संकट की घडी मे हम सब लोग पाठक जी के साथ है।
हम लोग पाठक जी के हमलावरो की खोज मे है,आप
सभी लोगो से निवेदन है कि हमलावरो के बारे मे अगर
कोई जानकारी मिले तो तुरन्त शेयर करे।
गीदड
समझ चुके है कि कोर्ट बदलने से निर्णय नही बदलने
वाला इसीलिये हमारे अग्रिम पंक्ति के सक्रिय
सदस्य पाठक जी पर गीदडो के
द्वारा हमला किया गया है ताकि हमारे संघर्ष
को कमजोर किया जा सके किन्तु हम लोग इस
प्रकार की घ्रणित गीदड भभकियो से डरने वाले
नही है,
हम प्रण करते है कि हम दुगुने उत्साह से
संघर्ष करेगे और अपना हक लेके रहेगे।
*सत्य
परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नही* ।
ReplyDeleteAAPKA SATHI >> MOHAMMAD SHAKEEL
96 48 20 73 47
81 82 80 33 09
judge change hone se kuchh galat nahi ho sakta hai. Is baat pe darne ki jarurat nahi hai. Aap sabhi bhaiyo ne ALGOO CHAUDHARI AUR JUMMAN SHEIKH ki kahani jarur padhi hogi.
ReplyDeletehume nyay ke mandir se nyay hi milega.
jai tet jai hind...
@ali khan ji
ReplyDeleteaap ke comments sarahneey hain aur apka prayas bhi bahut achchha hai.
best of luck.
Well done Ali Khan bhai...
ReplyDeleteAll d bst.
Aap sabhi bhaiyo ne ALGOO CHAUDHARI AUR JUMMAN SHEIKH ki kahani jarur padhi hogi.If Not Then Read---------
ReplyDeleteजुम्मन शेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। साझे में खेती होती थी। कुछ लेन-देन में भी साझा था। एक को दूसरे पर अटल विश्वास था। जुम्मन जब हज करने गये थे, तब अपना घर अलगू को सौंप गये थे, और अलगू जब कभी बाहर जाते, तो जुम्मन पर अपना घर छोड़ देते थे। उनमें न खाना-पाना का व्यवहार था, न धर्म का नाता; केवल विचार मिलते थे। मित्रता का मूलमंत्र भी यही है।
इस मित्रता का जन्म उसी समय हुआ, जब दोनों मित्र बालक ही थे, और जुम्मन के पूज्य पिता, जुमराती, उन्हें शिक्षा प्रदान करते थे। अलगू ने गुरू जी की बहुत सेवा की थी, खूब प्याले धोये। उनका हुक्का एक क्षण के लिए भी विश्राम न लेने पाता था, क्योंकि प्रत्येक चिलम अलगू को आध घंटे तक किताबों से अलग कर देती थी। अलगू के पिता पुराने विचारों के मनुष्य थे। उन्हें शिक्षा की अपेक्षा गुरु की सेवा-शुश्रूषा पर अधिक विश्वास था। वह कहते थे कि विद्या पढ़ने ने नहीं आती; जो कुछ होता है, गुरु के आशीर्वाद से। बस, गुरु जी की कृपा-दृष्टि चाहिए। अतएव यदि अलगू पर जुमराती शेख के आशीर्वाद अथवा सत्संग का कुछ फल न हुआ, तो यह मानकर संतोष कर लेना कि विद्योपार्जन में मैंने यथाशक्ति कोई बात उठा नहीं रखी, विद्या उसके भाग्य ही में न थी, तो कैसे आती?
ReplyDeleteमगर जुमराती शेख स्वयं आशीर्वाद के कायल न थे। उन्हें अपने सोटे पर अधिक भरोसा था, और उसी सोटे के प्रताप से आज-पास के गॉँवों में जुम्मन की पूजा होती थी। उनके लिखे हुए रेहननामे या बैनामे पर कचहरी का मुहर्रिर भी कदम न उठा सकता था। हल्के का डाकिया, कांस्टेबिल और तहसील का चपरासी--सब उनकी कृपा की आकांक्षा रखते थे। अतएव अलगू का मान उनके धन के कारण था, तो जुम्मन शेख अपनी अनमोल विद्या से ही सबके आदरपात्र बने थे।
ReplyDelete२
जुम्मन शेख की एक बूढ़ी खाला (मौसी) थी। उसके पास कुछ थोड़ी-सी मिलकियत थी; परन्तु उसके निकट संबंधियों में कोई न था। जुम्मन ने लम्बे-चौड़े वादे करके वह मिलकियत अपने नाम लिखवा ली थी। जब तक दानपत्र की रजिस्ट्री न हुई थी, तब तक खालाजान का खूब आदर-सत्कार किया गया; उन्हें खूब स्वादिष्ट पदार्थ खिलाये गये। हलवे-पुलाव की वर्षा- सी की गयी; पर रजिस्ट्री की मोहर ने इन खातिरदारियों पर भी मानों मुहर लगा दी। जुम्मन की पत्नी करीमन रोटियों के साथ कड़वी बातों के कुछ तेज, तीखे सालन भी देने लगी। जुम्मन शेख भी निठुर हो गये। अब बेचारी खालाजान को प्राय: नित्य ही ऐसी बातें सुननी पड़ती थी।
बुढ़िया न जाने कब तक जियेगी। दो-तीन बीघे ऊसर क्या दे दिया, मानों मोल ले लिया है ! बघारी दाल के बिना रोटियॉँ नहीं उतरतीं ! जितना रुपया इसके पेट में झोंक चुके, उतने से तो अब तक गॉँव मोल ले लेते।
ReplyDeleteकुछ दिन खालाजान ने सुना और सहा; पर जब न सहा गया तब जुम्मन से शिकायत की। तुम्मन ने स्थानीय कर्मचारी—गृहस्वांमी—के प्रबंध देना उचित न समझा। कुछ दिन तक दिन तक और यों ही रो-धोकर काम चलता रहा। अन्त में एक दिन खाला ने जुम्मन से कहा—बेटा ! तुम्हारे साथ मेरा निर्वाह न होगा। तुम मुझे रुपये दे दिया करो, मैं अपना पका-खा लूँगी।
जुम्मन ने घृष्टता के साथ उत्तर दिया—रुपये क्या यहाँ फलते हैं?
खाला ने नम्रता से कहा—मुझे कुछ रूखा-सूखा चाहिए भी कि नहीं?
जुम्मन ने गम्भीर स्वर से जवाब़ दिया—तो कोई यह थोड़े ही समझा था कि तु मौत से लड़कर आयी हो?
खाला बिगड़ गयीं, उन्होंने पंचायत करने की धमकी दी। जुम्मन हँसे, जिस तरह कोई शिकारी हिरन को जाली की तरफ जाते देख कर मन ही मन हँसता है। वह बोले—हॉँ, जरूर पंचायत करो। फैसला हो जाय। मुझे भी यह रात-दिन की खटखट पसंद नहीं।
पंचायत में किसकी जीत होगी, इस विषय में जुम्मन को कुछ भी संदेह न थ। आस-पास के गॉँवों में ऐसा कौन था, उसके अनुग्रहों का ऋणी न हो; ऐसा कौन था, जो उसको शत्रु बनाने का साहस कर सके? किसमें इतना बल था, जो उसका सामना कर सके? आसमान के फरिश्ते तो पंचायत करने आवेंगे ही नहीं।
३
इसके बाद कई दिन तक बूढ़ी खाला हाथ में एक लकड़ी लिये आस-पास के गॉँवों में दौड़ती रहीं। कमर झुक कर कमान हो गयी थी। एक-एक पग चलना दूभर था; मगर बात आ पड़ी थी। उसका निर्णय करना जरूरी था।
ReplyDeleteबिरला ही कोई भला आदमी होगा, जिसके समाने बुढ़िया ने दु:ख के ऑंसू न बहाये हों। किसी ने तो यों ही ऊपरी मन से हूँ-हॉँ करके टाल दिया, और किसी ने इस अन्याय पर जमाने को गालियाँ दीं। कहा—कब्र में पॉँव जटके हुए हैं, आज मरे, कल दूसरा दिन, पर हवस नहीं मानती। अब तुम्हें क्या चाहिए? रोटी खाओ और अल्लाह का नाम लो। तुम्हें अब खेती-बारी से क्या काम है? कुछ ऐसे सज्जन भी थे, जिन्हें हास्य-रस के रसास्वादन का अच्छा अवसर मिला। झुकी हुई कमर, पोपला मुँह, सन के-से बाल इतनी सामग्री एकत्र हों, तब हँसी क्यों न आवे? ऐसे न्यायप्रिय, दयालु, दीन-वत्सल पुरुष बहुत कम थे, जिन्होंने इस अबला के दुखड़े को गौर से सुना हो और उसको सांत्वना दी हो। चारों ओर से घूम-घाम कर बेचारी अलगू चौधरी के पास आयी। लाठी पटक दी और दम लेकर बोली—बेटा, तुम भी दम भर के लिये मेरी पंचायत में चले आना।
अलगू—मुझे बुला कर क्या करोगी? कई गॉँव के आदमी तो आवेंगे ही।
खाला—अपनी विपद तो सबके आगे रो आयी। अब आनरे न आने का अख्तियार उनको है।
अलगू—यों आने को आ जाऊँगा; मगर पंचायत में मुँह न खोलूँगा।
खाला—क्यों बेटा?
अलगू—अब इसका कया जवाब दूँ? अपनी खुशी। जुम्मन मेरा पुराना मित्र है। उससे बिगाड़ नहीं कर सकता।
खाला—बेटा, क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे?
हमारे सोये हुए धर्म-ज्ञान की सारी सम्पत्ति लुट जाय, तो उसे खबर नहीं होता, परन्तु ललकार सुनकर वह सचेत हो जाता है। फिर उसे कोई जीत नहीं सकता। अलगू इस सवाल का काई उत्तर न दे सका, पर उसके
हृदय में ये शब्द गूँज रहे थे-
क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात न कहोगे?
४
संध्या समय एक पेड़ के नीचे पंचायत बैठी। शेख जुम्मन ने पहले से ही फर्श बिछा रखा था। उन्होंने पान, इलायची, हुक्के-तम्बाकू आदि का प्रबन्ध भी किया था। हॉँ, वह स्वय अलबत्ता अलगू चौधरी के साथ जरा दूर पर बैठेजब पंचायत में कोई आ जाता था, तब दवे हुए सलाम से उसका स्वागत करते थे। जब सूर्य अस्त हो गया और चिड़ियों की कलरवयुक्त पंचायत पेड़ों पर बैठी, तब यहॉँ भी पंचायत शुरू हुई। फर्श की एक-एक अंगुल जमीन भर गयी; पर अधिकांश दर्शक ही थे। निमंत्रित महाशयों में से केवल वे ही लोग पधारे थे, जिन्हें जुम्मन से अपनी कुछ कसर निकालनी थी। एक कोने में आग सुलग रही थी। नाई ताबड़तोड़ चिलम भर रहा था। यह निर्णय करना असम्भव था कि सुलगते हुए उपलों से अधिक धुऑं निकलता था या चिलम के दमों से। लड़के इधर-उधर दौड़ रहे थे। कोई आपस में गाली-गलौज करते और कोई रोते थे। चारों तरफ कोलाहल मच रहा था। गॉँव के कुत्ते इस जमाव को भोज समझकर झुंड के झुंड जमा हो गए थे।
पंच लोग बैठ गये, तो बूढ़ी खाला ने उनसे विनती की--
‘पंचों, आज तीन साल हुए, मैंने अपनी सारी जायदाद अपने भानजे जुम्मन के नाम लिख दी थी। इसे आप लोग जानते ही होंगे। जुम्मन ने मुझे ता-हयात रोटी-कपड़ा देना कबूल किया। साल-भर तो मैंने इसके साथ रो-धोकर काटा। पर अब रात-दिन का रोना नहीं सहा जाता। मुझे न पेट की रोटी मिलती है न तन का कपड़ा। बेकस बेवा हूँ। कचहरी दरबार नहीं कर सकती। तुम्हारे सिवा और किसको अपना दु:ख सुनाऊँ? तुम लोग जो राह निकाल दो, उसी राह पर चलूँ। अगर मुझमें कोई ऐब देखो, तो मेरे मुँह पर थप्पड़ मारी। जुम्मन में बुराई देखो, तो उसे समझाओं, क्यों एक बेकस की आह लेता है ! मैं पंचों का हुक्म सिर-माथे पर चढ़ाऊँगी।’
रामधन मिश्र, जिनके कई असामियों को जुम्मन ने अपने गांव में बसा लिया था, बोले—जुम्मन मियां किसे पंच बदते हो? अभी से इसका निपटारा कर लो। फिर जो कुछ पंच कहेंगे, वही मानना पड़ेगा।
जुम्मन को इस समय सदस्यों में विशेषकर वे ही लोग दीख पड़े, जिनसे किसी न किसी कारण उनका वैमनस्य था। जुम्मन बोले—पंचों का हुक्म अल्लाह का हुक्म है। खालाजान जिसे चाहें, उसे बदें। मुझे कोई उज्र नहीं।
खाला ने चिल्लाकर कहा--अरे अल्लाह के बन्दे ! पंचों का नाम क्यों नहीं बता देता? कुछ मुझे भी तो मालूम हो।
जुम्मन ने क्रोध से कहा--इस वक्त मेरा मुँह न खुलवाओ। तुम्हारी बन पड़ी है, जिसे चाहो, पंच बदो।
खालाजान जुम्मन के आक्षेप को समझ गयीं, वह बोली--बेटा, खुदा से डरो। पंच न किसी के दोस्त होते हैं, ने किसी के दुश्मन। कैसी बात कहते हो! और तुम्हारा किसी पर विश्वास न हो, तो जाने दो; अलगू चौधरी को तो मानते हो, लो, मैं उन्हीं को सरपंच बदती हूँ।
जुम्मन शेख आनंद से फूल उठे, परन्तु भावों को छिपा कर बोले--अलगू ही सही, मेरे लिए जैसे रामधन वैसे अलगू।
ReplyDeleteअलगू इस झमेले में फँसना नहीं चाहते थे। वे कन्नी काटने लगे। बोले--खाला, तुम जानती हो कि मेरी जुम्मन से गाढ़ी दोस्ती है।
खाला ने गम्भीर स्वर में कहा--‘बेटा, दोस्ती के लिए कोई अपना ईमान नहीं बेचता। पंच के दिल में खुदा बसता है। पंचों के मुँह से जो बात निकलती है, वह खुदा की तरफ से निकलती है।’
अलगू चौधरी सरपंच हुएं रामधन मिश्र और जुम्मन के दूसरे विरोधियों ने बुढ़िया को मन में बहुत कोसा।
अलगू चौधरी बोले--शेख जुम्मन ! हम और तुम पुराने दोस्त हैं ! जब काम पड़ा, तुमने हमारी मदद की है और हम भी जो कुछ बन पड़ा, तुम्हारी सेवा करते रहे हैं; मगर इस समय तुम और बुढ़ी खाला, दोनों हमारी निगाह में बराबर हो। तुमको पंचों से जो कुछ अर्ज करनी हो, करो।
जुम्मन को पूरा विश्वास था कि अब बाजी मेरी है। अलग यह सब दिखावे की बातें कर रहा है। अतएव शांत-चित्त हो कर बोले--पंचों, तीन साल हुए खालाजान ने अपनी जायदाद मेरे नाम हिब्बा कर दी थी। मैंने उन्हें ता-हयात खाना-कप्ड़ा देना कबूल किया था। खुदा गवाह है, आज तक मैंने खालाजान को कोई तकलीफ नहीं दी। मैं उन्हें अपनी मॉँ के समान समझता हूँ। उनकी खिदमत करना मेरा फर्ज है; मगर औरतों में जरा अनबन रहती है, उसमें मेरा क्या बस है? खालाजान मुझसे माहवार खर्च अलग मॉँगती है। जायदाद जितनी है; वह पंचों से छिपी नहीं। उससे इतना मुनाफा नहीं होता है कि माहवार खर्च दे सकूँ। इसके अलावा हिब्बानामे में माहवार खर्च का कोई जिक्र नही। नहीं तो मैं भूलकर भी इस झमेले मे न पड़ता। बस, मुझे यही कहना है। आइंदा पंचों का अख्तियार है, जो फैसला चाहें, करे।
अलगू चौधरी को हमेशा कचहरी से काम पड़ता था। अतएव वह पूरा कानूनी आदमी था। उसने जुम्मन से जिरह शुरू की। एक-एक प्रश्न जुम्मन के हृदय पर हथौड़ी की चोट की तरह पड़ता था। रामधन मिश्र इस प्रश्नों पर मुग्ध हुए जाते थे। जुम्मन चकित थे कि अलगू को क्या हो गया। अभी यह अलगू मेरे साथ बैठी हुआ कैसी-कैसी बातें कर रहा था ! इतनी ही देर में ऐसी कायापलट हो गयी कि मेरी जड़ खोदने पर तुला हुआ है। न मालूम कब की कसर यह निकाल रहा है? क्या इतने दिनों की दोस्ती कुछ भी काम न आवेगी?
ReplyDeleteजुम्मन शेख तो इसी संकल्प-विकल्प में पड़े हुए थे कि इतने में अलगू ने फैसला सुनाया--
जुम्मन शेख तो इसी संकल्प-विकल्प में पड़े हुए थे कि इतने में अलगू ने फैसला सुनाया--
जुम्मन शेख ! पंचों ने इस मामले पर विचार किया। उन्हें यह नीति संगत मालूम होता है कि खालाजान को माहवार खर्च दिया जाय। हमारा विचार है कि खाला की जायदाद से इतना मुनाफा अवश्य होता है कि माहवार खर्च दिया जा सके। बस, यही हमारा फैसला है। अगर जुम्मन को खर्च देना मंजूर न हो, तो हिब्वानामा रद्द समझा जाय।
यह फैसला सुनते ही जुम्मन सन्नाटे में आ गये। जो अपना मित्र हो, वह शत्रु का व्यवहार करे और गले पर छुरी फेरे, इसे समय के हेर-फेर के सिवा और क्या कहें? जिस पर पूरा भरोसा था, उसने समय पड़ने पर धोखा दिया। ऐसे ही अवसरों पर झूठे-सच्चे मित्रों की परीक्षा की जाती है। यही कलियुग की दोस्ती है। अगर लोग ऐसे कपटी-धोखेबाज न होते, तो देश में आपत्तियों का प्रकोप क्यों होता? यह हैजा-प्लेग आदि व्याधियॉँ दुष्कर्मों के ही दंड हैं।
मगर रामधन मिश्र और अन्य पंच अलगू चौधरी की इस नीति-परायणता को प्रशंसा जी खोलकर कर रहे थे। वे कहते थे--इसका नाम पंचायत है ! दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। दोस्ती, दोस्ती की जगह है, किन्तु धर्म का पालन करना मुख्य है। ऐसे ही सत्यवादियों के बल पर पृथ्वी ठहरी है, नहीं तो वह कब की रसातल को चली जाती।
ReplyDeleteइस फैसले ने अलगू और जुम्मन की दोस्ती की जड़ हिला दी। अब वे साथ-साथ बातें करते नहीं दिखायी देते। इतना पुराना मित्रता-रूपी वृक्ष
सत्य का एक झोंका भी न सह सका। सचमुच वह बालू की ही जमीन पर खड़ा था।
उनमें अब शिष्टाचार का अधिक व्यवहार होने लगा। एक दूसरे की आवभगत ज्यादा करने लगा। वे मिलते-जुलते थे, मगर उसी तरह जैसे तलवार से ढाल मिलती है।
जुम्मन के चित्त में मित्र की कुटिलता आठों पहर खटका करती थी। उसे हर घड़ी यही चिंता रहती थी कि किसी तरह बदला लेने का अवसर मिले।
५
ReplyDeleteअच्छे कामों की सिद्धि में बड़ी दरे लगती है; पर बुरे कामों की सिद्धि में यह बात नहीं होती; जुम्मन को भी बदला लेने का अवसर जल्द ही मिल गया। पिछले साल अलगू चौधरी बटेसर से बैलों की एक बहुत अच्छी गोई मोल लाये थे। बैल पछाहीं जाति के सुंदर, बडे-बड़े सीगोंवाले थे। महीनों तक आस-पास के गॉँव के लोग दर्शन करते रहे। दैवयोग से जुम्मन की पंचायत के एक महीने के बाद इस जोड़ी का एक बैल मर गया। जुम्मन ने दोस्तों से कहा--यह दग़ाबाज़ी की सजा है। इन्सान सब्र भले ही कर जाय, पर खुदा नेक-बद सब देखता है। अलगू को संदेह हुआ कि जुम्मन ने बैल को विष दिला दिया है। चौधराइन ने भी जुम्मन पर ही इस दुर्घटना का दोषारोपण किया उसने कहा--जुम्मन ने कुछ कर-करा दिया है। चौधराइन और करीमन में इस विषय पर एक दिन खुब ही वाद-विवाद हुआ दोनों देवियों ने शब्द-बाहुल्य की नदी बहा दी। व्यंगय, वक्तोक्ति अन्योक्ति और उपमा आदि अलंकारों में बातें हुईं। जुम्मन ने किसी तरह शांति स्थापित की। उन्होंने अपनी पत्नी को डॉँट-डपट कर समझा दिया। वह उसे उस रणभूमि से हटा भी ले गये। उधर अलगू चौधरी ने समझाने-बुझाने का काम अपने तर्क-पूर्ण सोंटे से लिया।
अब अकेला बैल किस काम का? उसका जोड़ बहुत ढूँढ़ा गया, पर न मिला। निदान यह सलाह ठहरी कि इसे बेच डालना चाहिए। गॉँव में एक समझू साहु थे, वह इक्का-गाड़ी हॉँकते थे। गॉँव के गुड़-घी लाद कर मंडी ले जाते, मंडी से तेल, नमक भर लाते, और गॉँव में बेचते। इस बैल पर उनका मन लहराया। उन्होंने सोचा, यह बैल हाथ लगे तो दिन-भर में बेखटके तीन खेप हों। आज-कल तो एक ही खेप में लाले पड़े रहते हैं। बैल देखा, गाड़ी में दोड़ाया, बाल-भौरी की पहचान करायी, मोल-तोल किया और उसे ला कर द्वार पर बॉँध ही दिया। एक महीने में दाम चुकाने का वादा ठहरा। चौधरी को भी गरज थी ही, घाटे की परवाह न की।
समझू साहु ने नया बैल पाया, तो लगे उसे रगेदने। वह दिन में तीन-तीन, चार-चार खेपें करने लगे। न चारे की फिक्र थी, न पानी की, बस खेपों से काम था। मंडी ले गये, वहॉँ कुछ सूखा भूसा सामने डाल दिया। बेचारा जानवर अभी दम भी न लेने पाया था कि फिर जोत दिया। अलगू चौधरी के घर था तो चैन की बंशी बचती थी। बैलराम छठे-छमाहे कभी बहली में जोते जाते थे। खूब उछलते-कूदते और कोसों तक दौड़ते चले जाते थे। वहॉँ बैलराम का रातिब था, साफ पानी, दली हुई अरहर की दाल और भूसे के साथ खली, और यही नहीं, कभी-कभी घी का स्वाद भी चखने को मिल जाता था। शाम-सबेरे एक आदमी खरहरे करता, पोंछता और सहलाता था। कहॉँ वह सुख-चैन, कहॉँ यह आठों पहर कही खपत। महीने-भर ही में वह पिस-सा गया। इक्के का यह जुआ देखते ही उसका लहू सूख जाता था। एक-एक पग चलना दूभर था। हडिडयॉँ निकल आयी थी; पर था वह पानीदार, मार की बरदाश्त न थी।एक दिन चौथी खेप में साहु जी ने दूना बोझ लादा। दिन-भरका थका जानवर, पैर न उठते थे। पर साहु जी कोड़े फटकारने लगे। बस, फिर क्या था, बैल कलेजा तोड़ का चला। कुछ दूर दौड़ा और चाहा कि जरा दम ले लूँ; पर साहु जी को जल्द पहुँचने की फिक्र थी; अतएव उन्होंने कई कोड़े बड़ी निर्दयता से फटकारे। बैल ने एक बार फिर जोर लगाया; पर अबकी बार शक्ति ने जवाब दे दिया। वह धरती पर गिर पड़ा, और ऐसा गिरा कि फिर न उठा। साहु जी ने बहुत पीटा, टॉँग पकड़कर खीचा, नथनों में लकड़ी ठूँस दी; पर कहीं मृतक भी उठ सकता है? तब साहु जी को कुछ शक हुआ। उन्होंने बैल को गौर से देखा, खोलकर अलग किया; और सोचने लगे कि गाड़ी कैसे घर पहुँचे। बहुत चीखे-चिल्लाये; पर देहात का रास्ता बच्चों की ऑंख की तरह सॉझ होते ही बंद हो जाता है। कोई नजर न आया। आस-पास कोई गॉँव भी न था। मारे क्रोध के उन्होंने मरे हुए बैल पर और दुर्रे लगाये और कोसने लगे--अभागे। तुझे मरना ही था, तो घर पहुँचकर मरता ! ससुरा बीच रास्ते ही में मर रहा। अब गड़ी कौन खीचे? इस तरह साहु जी खूब जले-भुने। कई बोरे गुड़ और कई पीपे घी उन्होंने बेचे थे, दो-ढाई सौ रुपये कमर में बंधे थे। इसके सिवा गाड़ी पर कई बोरे नमक थे; अतएव छोड़ कर जा भी न सकते थे। लाचार वेचारे गाड़ी पर ही लेटे गये। वहीं रतजगा करने की ठान ली। चिलम पी, गाया। फिर हुक्का पिया। इस तरह साह जी आधी रात तक नींद को बहलाते रहें। अपनी जान में तो वह जागते ही रहे; पर पौ फटते ही जो नींद टूटी और कमर पर हाथ रखा, तो थैली गायब ! घबरा कर इधर-उधर देखा तो कई कनस्तर तेल भी नदारत ! अफसोस में बेचारे ने सिर पीट लिया और पछाड़ खाने लगा। प्रात: काल रोते-बिलखते घर पहँचे। सहुआइन ने जब यह बूरी सुनावनी सुनी, तब पहले तो रोयी, फिर अलगू चौधरी को गालियॉँ देने लगी--निगोड़े ने ऐसा कुलच्छनी बैल दिया कि जन्म-भर की कमाई लुट गयी।
ReplyDeleteइस घटना को हुए कई महीने बीत गए। अलगू जब अपने बैल के दाम मॉँगते तब साहु और सहुआइन, दोनों ही झल्लाये हुए कुत्ते की तरह चढ़ बैठते और अंड-बंड बकने लगते—वाह ! यहॉँ तो सारे जन्म की कमाई लुट गई, सत्यानाश हो गया, इन्हें दामों की पड़ी है। मुर्दा बैल दिया था, उस पर दाम मॉँगने चले हैं ! ऑंखों में धूल झोंक दी, सत्यानाशी बैल गले बॉँध दिया, हमें निरा पोंगा ही समझ लिया है ! हम भी बनिये के बच्चे है, ऐसे बुद्धू कहीं और होंगे। पहले जाकर किसी गड़हे में मुँह धो आओ, तब दाम लेना। न जी मानता हो, तो हमारा बैल खोल ले जाओ। महीना भर के बदले दो महीना जोत लो। और क्या लोगे?
ReplyDeleteचौधरी के अशुभचिंतकों की कमी न थी। ऐसे अवसरें पर वे भी एकत्र हो जाते और साहु जी के बराने की पुष्टि करते। परन्तु डेढ़ सौ रुपये से इस तरह हाथ धो लेना आसान न था। एक बार वह भी गरम पड़े। साहु जी बिगड़ कर लाठी ढूँढ़ने घर चले गए। अब सहुआइन ने मैदान लिया। प्रश्नोत्तर होते-होते हाथापाई की नौबत आ पहुँची। सहुआइन ने घर में घुस कर किवाड़ बन्द कर लिए। शोरगुल सुनकर गॉँव के भलेमानस घर से निकाला। वह परामर्श देने लगे कि इस तरह से काम न चलेगा। पंचायत कर लो। कुछ तय हो जाय, उसे स्वीकार कर लो। साहु जी राजी हो गए। अलगू ने भी हामी भर ली।
६
ReplyDeleteपंचायत की तैयारियॉँ होने लगीं। दोनों पक्षों ने अपने-अपने दल बनाने शुरू किए। इसके बाद तीसरे दिन उसी वृक्ष के नीचे पंचायत बैठी। वही संध्या का समय था। खेतों में कौए पंचायत कर रहे थे। विवादग्रस्त विषय था यह कि मटर की फलियों पर उनका कोई स्वत्व है या नही, और जब तक यह प्रश्न हल न हो जाय, तब तक वे रखवाले की पुकार पर अपनी अप्रसन्नता प्रकट करना आवश्यकत समझते थे। पेड़ की डालियों पर बैठी शुक-मंडली में वह प्रश्न छिड़ा हुआ था कि मनुष्यों को उन्हें वेसुरौवत कहने का क्या अधिकार है, जब उन्हें स्वयं अपने मित्रों से दगां करने में भी संकोच नहीं होता।
पंचायत बैठ गई, तो रामधन मिश्र ने कहा-अब देरी क्या है ? पंचों का चुनाव हो जाना चाहिए। बोलो चौधरी ; किस-किस को पंच बदते हो।
अलगू ने दीन भाव से कहा-समझू साहु ही चुन लें।
समझू खड़े हुए और कड़कर बोले-मेरी ओर से जुम्मन शेख।
ReplyDeleteजुम्मन का नाम सुनते ही अलगू चौधरी का कलेजा धक्-धक् करने लगा, मानों किसी ने अचानक थप्पड़ मारा दिया हो। रामधन अलगू के मित्र थे। वह बात को ताड़ गए। पूछा-क्यों चौधरी तुम्हें कोई उज्र तो नही।
चौधरी ने निराश हो कर कहा-नहीं, मुझे क्या उज्र होगा?
अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित व्यवहारों का सुधारक होता है। जब हम राह भूल कर भटकने लगते हैं तब यही ज्ञान हमारा विश्वसनीय पथ-प्रदर्शक बन जाता है।
पत्र-संपादक अपनी शांति कुटी में बैठा हुआ कितनी धृष्टता और स्वतंत्रता के साथ अपनी प्रबल लेखनी से मंत्रिमंडल पर आक्रमण करता है: परंतु ऐसे अवसर आते हैं, जब वह स्वयं मंत्रिमंडल में सम्मिलित होता है। मंडल के भवन में पग धरते ही उसकी लेखनी कितनी मर्मज्ञ, कितनी विचारशील, कितनी न्याय-परायण हो जाती है। इसका कारण उत्तर-दायित्व का ज्ञान है। नवयुवक युवावस्था में कितना उद्दंड रहता है। माता-पिता उसकी ओर से कितने चितिति रहते है! वे उसे कुल-कलंक समझते हैंपरन्तु थौड़ी हीी समय में परिवार का बौझ सिर पर पड़ते ही वह अव्यवस्थित-चित्त उन्मत्त युवक कितना धैर्यशील, कैसा शांतचित्त हो जाता है, यह भी उत्तरदायित्व के ज्ञान का फल है।
जुम्मन शेख के मन में भी सरपंच का उच्च स्थान ग्रहण करते ही अपनी जिम्मेदारी का भाव पेदा हुआ। उसने सोचा, मैं इस वक्त न्याय और धर्म के सर्वोच्च आसन पर बैठा हूँ। मेरे मुँह से इस समय जो कुछ निकलेगा, वह देववाणी के सदृश है-और देववाणी में मेरे मनोविकारों का कदापि समावेश न होना चाहिए। मुझे सत्य से जौ भर भी टलना उचित नही!
पंचों ने दोनों पक्षों से सवाल-जवाब करने शुरू किए। बहुत देर तक दोनों दल अपने-अपने पक्ष का समर्थन करते रहे। इस विषय में तो सब सहमत थे कि समझू को बैल का मूल्य देना चाहिए। परन्तु वो महाशय इस कारण रियायत करना चाहते थे कि बैल के मर जाने से समझू को हानि हुई। उसके प्रतिकूल दो सभ्य मूल के अतिरिक्त समझू को दंड भी देना चाहते थे, जिससे फिर किसी को पशुओं के साथ ऐसी निर्दयता करने का साहस न हो। अन्त में जुम्मन ने फैसला सुनाया-
ReplyDeleteअलगू चौधरी और समझू साहु। पंचों ने तुम्हारे मामले पर अच्छी तरह विचार किया। समझू को उचित है कि बैल का पूरा दाम दें। जिस वक्त उन्होंने बैल लिया, उसे कोई बीमारी न थी। अगर उसी समय दाम दे दिए जाते, तो आज समझू उसे फेर लेने का आग्रह न करते। बैल की मृत्यु केवल इस कारण हुई कि उससे बड़ा कठिन परिश्रम लिया गया और उसके दाने-चारे का कोई प्रबंध न किया गया।
रामधन मिश्र बोले-समझू ने बैल को जान-बूझ कर मारा है, अतएव उससे दंड लेना चाहिए।
जुम्मन बोले-यह दूसरा सवाल है। हमको इससे कोई मतलब नहीं !
झगडू साहु ने कहा-समझू के साथं कुछ रियायत होनी चाहिए।
जुम्मन बोले-यह अलगू चौधरी की इच्छा पर निर्भर है। यह रियायत करें, तो उनकी भलमनसी।
अलगू चौधरी फूले न समाए। उठ खड़े हुए और जोर से बोल-पंच-परमेश्वर की जय!
इसके साथ ही चारों ओर से प्रतिध्वनि हुई-पंच परमेश्वर की जय! यह मनुष्य का काम नहीं, पंच में परमेश्वर वास करते हैं, यह उन्हीं की महिमा है। पंच के सामने खोटे को कौन खरा कह सकता है?
थोड़ी देर बाद जुम्मन अलगू के पास आए और उनके गले लिपट कर बोले-भैया, जब से तुमने मेरी पंचायत की तब से मैं तुम्हारा प्राण-घातक शत्रु बन गया था; पर आज मुझे ज्ञात हुआ कि पंच के पद पर बैठ कर न कोई किसी का दोस्त है, न दुश्मन। न्याय के सिवा उसे और कुछ नहीं सूझता। आज मुझे विश्वास हो गया कि पंच की जबान से खुदा बोलता है। अलगू रोने लगे। इस पानी से दोनों के दिलों का मैल धुल गया। मित्रता की मुरझाई हुई लता फिर हरी हो गई।
is khabar ka tet se koi lena nahi..... ye mattar alg hai.... yaha old add radd kark sansodhan kiya gya hai... old add galat niymo se nikala gya tha..... sanjy mohan jaise galt logo ne apnse swarth k liye niyam banaye the.... sp gov ne bilkul sahi kiya..... aur single bench ne is pr mohar b lga d hai.... isiliye droga bharti aur tet ki tulna mat kro.
ReplyDeleteis blog par bekar aur faltu logo ki ek lambi fauz hai jink koi kam nahi hai..... sharm karo 30 sal k ho gye ho par koi kam nhi hai.
ReplyDelete
ReplyDeleteSHUKRIYA/DHANYAWAD/THANKS @
SUNEEL & ROHIT BHAI
Very nice UTKARSH Ji
ReplyDeleteaapne is story ki yaad taaza kar di.
bahut samay ho gaya tha ise padhe huye.
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ReplyDelete
ReplyDeleteNavin Srivastava >>>…
MITRO!
JIS KISI KO AB BHI OLD ADVERTISMENT K
BAHAAL HONE PAR SHAQ HAI UNHE EK SALAAH>
TANDON'S JUDGEMENT
DB'S JUDGEMENT
TB' JUDGEMENT
AUR KAL KA UPSI RELATED JUDGEMENT PARH
LE.ISKE BAAD BHI JO NA SAMAJH PAYE WO APNE
AAP KO DHOKHA DE RHA HAI.
JAI TET.
आज भारत के महान क्रिकेट खिलाड़ी सुनील
ReplyDeleteगावस्कर का जन्मदिन है.
भारत को कई सारे मैचों में
जीत दिलाने वाले और अपने नाम कई सारे रिकॉर्ड
कायम करने वाले सुनील गावस्कर को जन्मदिन
की
हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteClassical insult
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GIRL:"meri 1-1 saans pe 1-1 ladka
marta hai..
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BOY:"to tum koi accha sa
toothpaste istimaal kyo nahi
karti..???
New style of prpose girl..
ReplyDelete.
Boy: Dekh mai nhi chahta ki mera ladka bada
hokar teri ladki ko chede, mujhe bura lagega.. .
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Girl: To .. ??
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Boy: Tu bas haan bol, dono ko bhai-behan bana
denge...
ReplyDeleteMohabbat Bhi Teri Thi, Woh Shararat Bhi Teri
Thi...
Agar Kuch Bewafai Thi, To Wo Bewafai Bhi
Teri Thi...
Hum Chorr Gaye Tera Shehar, To Wo Hidayat
Bhi Teri Thi...
Aakhir Karte To Kis Se Karte Tumari Shikayat...
Wo Shehar Bhi Tera Tha Aur Wo Adalat Bhi
Teri Thi...
Sabse jyada gussa kab aata hai..???
ReplyDelete.
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Jab aapka teacher bole ki mai kal class test lunga
aur
next day jab wo test lena bhool jaye,
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Aur class ka koi baccha bol de..
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Sir ! Aaj test nahi loge kya..???
परसों आया संकट भले ही आभासी हो लेकिन अब तक मामले में आये संकटों में हमारे विज्ञापन को रद्द करने वाले आदेश को छोड़कर शायद सबसे बड़ा था,,, इस तरह अचानक बिना कोई कारण बताए हरकौली साहब द्वारा हमारे केस की फ़ाइल रिलीज कर दिए जाने पर कुछ पल के लिए तो मैं भी सन्नाटे में आ गया ,,,लेकिन इस संकट के दौरान एक बात महसूस की मैंने ,,नेतृत्व की प्रथम और द्वितीय पंक्ति इस प्रकार के संकटों से त्वरित ढंग से निपटने हेतु परिपक्व हो चुकी है ,,,संकटों से इससे पहले भी निपटा गया है लेकिन तब ऐसा करने में एक-दो दिन लग जाते थे ,,,सभी के सहयोग से इतनी तनावपूर्ण स्थिति कुछ घंटे के भीतर ही पूर्णतः नियंत्रण में कर ली गई जो कि काबिलेतारीफ है ,,, अब जाकर टेट संघर्ष मोर्चा जीतने के काबिल हो पाया है,,,,,
ReplyDeleteअब तो मुझे यकीन हो गया है कि अगर स्वयं महापात्रा साहब कहें कि वो एकैडमिक से भर्ती शुरू करने का आदेश देने जा रहे हैं इस बारे में आपको कुछ कहना है तो हमारे साथी उनसे मुस्कुराते हुए कहेंगे कि ऐसा कर पाना आपके बस की बात नहीं है,,,क्या आप भूतलक्षी प्रभाव (retrospective Effect)से नियमावली में संशोधन को वैध ठहराने का दुस्साहस कर सकते हैं,,हो सकता है कि वहां मौजूद लोगों में से कोई कहे कि अगर ऐसा आदेश देना ही है तो जल्दी करो हमें सर्वोच्च न्यायालय जाकर सबकी बैंड ________________......
ReplyDeleteऔर जानते हो ऐसे जवाब पाकर जज साहब की क्या प्रतिक्रिया होगी ,,,अरे गुरू जी ,,मैं तो मजाक कर रहा था ,,कोई गधा ही आप लोगों के विरुद्ध फैसला देने की बेवकूफी करके अपनी फजीहत कराएगा ,,,,, आप लोगों की इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इतनी तगड़ी सेटिंग है कि टेट को अनिवार्य घोषित करने हेतु गठित वृहद पीठ से अपने आपको ब्रह्मा,विष्णु ,महेश और साक्षात परम ब्रहम होने का प्रमाण पत्र ले लिया,,,, साथ ही LB के आदेश में अपनी लिखी कुछ लाइनें जुड़वाकर टेट को मात्र पात्रता परीक्षा कहने वालों को मजाक का पात्र बनकर छोड़ दिया,,, पता नहीं अखिलेश यादव की मति मारी गई थी क्या जो तुम लोगो से पंगा ले लिया,,,देखूंगा इसका लोक सभा चुनावों में क्या हश्र होता है,,,,
हरकौली जी ने जो कुछ लिखा कोई जज उससे असहमत नही हो सकता । हरकौली जी ने हमारा पक्ष नही सत्य और कानून का पक्ष लिया । LB ने तो टेट के महत्व मे पूरा ग्रंथ ही लिख डाला । महापात्र जी को तो केवल उन्हे पढ़ना है । पहली नजर मे ही समझ जाएँगे कि समस्या वोट की राजनीति की सफलता और असफलता से जुड़ी है जिसे सरकार लटकाने की इच्छुक है ।
ReplyDeleteनेताजी सुभाषचंद्र बोस
ReplyDeleteएकसभा को संबोधित
कर रहे थे।
अचानक
मंच पर चढ़ने का प्रयास करती हुई एक स्त्री पर
उनकी नजर पड़ी।
वह बिल्कुल फटेहाल थी। आजाद हिंद फौज के
अधिकारी भी अचरज में थे। सभी के भीतर
उत्सुकता थी कि आखिर यह चाहती क्या है?
तभी उस स्त्री ने
अपनी मैली-कुचैली साड़ी की खूंट में बंधे तीन रुपये
निकाले और नेताजी के पांवों के पास रख दिए।
नेताजी हैरान होकर उसे देख रहे थे।
फिर उस महिला ने हाथ
जोड़कर कहा, 'नेताजी, इसे
स्वीकार कर लीजिए।
आपने राष्ट्र देवता के लिए सर्वस्व दान करने के
लिए कहा है।
मेरा यही सर्वस्व
है। इसके अलावा मेरे पास कुछ नहीं।'
सभा में उपस्थित जनसमुदाय भी चकित था। नेताजी मौन रहे।
कुछ देर बाद वह औरत कुछ निराश सी बोली, 'क्या आप मुझ गरीब के इस
तुच्छ से दान को स्वीकार करेंगे?
क्या भारत मां की सेवा करने का गरीबों को अधिकार नहीं है?'
इतना कहकर वह
नेताजी के पैरों पर गिर गई।
नेताजी की आंखों में आंसू आ गए।
बिना कुछ कहे उन्होंने रुपये
उठा लिए। उस
स्त्री की खुशी का ठिकाना न
रहा।
वह उन्हें प्रणाम कर चली गई। उसके जाने के
बाद पास खडे एक
अधिकारी ने
पूछा, 'नेताजी, उस गरीब
महिला से तीन रुपये
लेते हुए आप
की आंखों में आंसू क्यों आ गए थे?'
नेताजी ने कहा, 'मैं
सचमुच बहुत असमंजस में पड़ गया था।
उस गरीब महिला के
पास कुछ भी नहीं होगा। यदि मैं इन्हें भी ले लूं
तो इसका सब कुछ छिन
जाएगा।
और यदि नहीं लूं तोइसकी भावनाएं आहत
होंगी।
देश की स्वाधीनता के लिए यह अपना सब कुछ देने
आई है। इसे इंकार
करने पर पता नहीं, वह
क्या क्या सोचती।
हो सकता है, वह
यही सोचने लगती कि मैं केवल अमीरों का ही सहयोग स्वीकार
करता हूं।
यही सब सोच-विचार
करके मैंने यह महादान स्वीकार कर लिया।'..
JAIL WALI KE LIYE
ReplyDeleteगरीबी ने किया गंजा नहीं तो चांद पर जाता!
तुम्हारी मांग भरने को सितारे तोडकर लाता!
बहा डाले तुम्हारी याद में आंसू कई गैलन!
अगर तुम फोन न करती तो यहां सैलाब आ जाता!
तुम्हारे नाम की चिट्ठियां तुम्हारे बाप ने खोली!
उसे english अगर आती तो वो कच्चा चबा जाता!
तुम्हारी बेवफाई से बना हूं टॉप का शायर!
तुम्हारे इश्क में पड़ता तो सीधा आगरा जाता
अगर आज के समय में रामायण होती तो कैसी खबरे
ReplyDeleteआती ..........
● राजा दशरथ ने की श्रवण कुमार की हत्या , FIR दर्ज
● अयोध्या के राजपाठ को लेके राजा-रानी में विवाद
बढ़ा |
● केवट द्वारा चरण धुलवाने से मायावती हुई नाराज़ ,
कहा ये हैं दलितों का अपमान |
● तड़का वध व सूर्पनखा की नाक कटाई के विरोध में
महिला आयोग का अयोध्या में प्रदर्शन जारी |
● राजा दशरथ की अंतिम शव यात्रा में स्वयं दशरथ
भी मौजूद : इंडिया टीवी
● बाली की हत्या की शक की सुई श्रीराम पर ठहरी,
सप्ताह भर में सीबीआई पेश करेगी रिपोर्ट |
● 6 माह तक रावण को अपनी काख में दबा के घुमने के
जुर्म में बाली के खिलाफ इन्द्रजीत ने मुकदमा दायर
किया |
● सोने का हिरन मारने पर श्रीराम जी को वन
विभाग से मिली चेतावनी |
● श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता के अपहरण
का मामला दर्ज कराया ||
● बिना वीसा हनुमान लंका गए , श्रीलंका सरकार ने
जताई आपति |
● समुद्र पर असंवेधानिक सेतु बनाने पर नल व नील से
सीबीआई करेगी पूछताछ |
● अशोक वाटिका उजाड़ने , युवराज अक्ष को मारने व
लंका में आग लगाने के जुर्म में रावण ने वीर हनुमान
को बंदी बनाया |
● हिमालय वासियों ने पर्वत श्रृंखला से एक पर्वत के
चोरी हो जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई |
Important information need to share in the public interest .And to help prevent corruption ..
ReplyDeleteIf you are not carrying license or vehicle papers and you are being challaned, don't pay the fine immediately , you will get a legal 15 days to show the papers. Your challan can get cancelled by showing the papers within 15 days of the challan date.
The information is via the Right to Information Act.
Kindly share this information !!
अफसर : आपका नाम क्या है?
ReplyDeleteमोहन : एम.पी.,
अफसर : ठीक से पूरा बताओ
मोहन : मुकेश पाल,
अफसर : आपके पिता का नाम?
मोहन : एम.पी.,
अफसर : इसका क्या मतलब है?
मोहन : मनमोहन पाल
अफसर : आप कहां रहते हैं?
मोहन : एम.पी., सर।
अफसर : अच्छा, मध्य प्रदेश?
मोहन : नहीं सर, महाराज पुर
अफसर : ओह,हो! तुम्हारी क्वालिफ़िकेशन
क्या है?
मोहन : एम.पी., सर।
अफसर : अब यह क्या है?
मोहन : मैट्रिक पास, सर।
अफसर : तुम्हे यह नौकरी क्यूं चाहिए?
मोहन : एम.पी., सर।
अफसर : (गुस्से से) अब इसका क्या मतलब है?
मोहन : मनी परोब्लम, सर।
अफसर : अपनी विशेषता बताओ।
मोहन : एम.पी., सर।
अफसर : अरे, साफ-साफ बताओ।
मोहन : मल्टिपरपज परस्नैलिटी।
अफसर : इंटरव्यू यहीं खत्म होता है, आप
जा सकते हैं।
मोहन : एम.पी., सर।
अफसर : अब इसका क्या मतलब है?
मोहन : मेरा परफ़ारमेंस...?
अफसर : (बाल नोचते हुए) एम.पी. !!!
मोहन : यानि?
अफसर : MENTALLY PUNCTURE
Tanhai Me Muskurana Ishq Hai,
ReplyDeleteEk Baat Ko Sab Se Chupana Ishq Hai,
Dil Hi Dil Me Kisi Ko Chahna Ishq Hai,
Jinda Hote Hue Bhi Mar Jana Ishq Hai,
Kisi ki Yado Ko Bhool Na Pana Ishq Hai,
ReplyDeleteBadalna aata nahi hamko mousamo ki tarha . .
Har ek rut me tera intezar karte hain . .
Na samet sakogi jise tum quayamat tak . .
Kasam tumari tume itna pyar karte hain . . . .
Ab Ke Zara Soch Ke Mujhe Khud Se Juda Karna,
ReplyDeleteZindagi Zulf Nahi Jo Phir Se Sanwar Jaye Gi....!!
ReplyDeleteसुप्रीम कोर्ट ने कल मंगलवार को ऐतिहासिक
फैसला सुनाते हुए कहा कि अब कोई भी नेता जेल से
चुनाव नहीं लड़ सकेगा।
किसी कोर्ट में दोषी करार
दिए जाने वाले जनप्रतिनिधियों के बारे मेंसुप्रीम
कोर्ट ने कहा कि उनकी सदस्यता उसी क्षण से
खत्म मानी जाएगी जिस क्षण कोई अदालत उन्हें
किसी मामले में दोषी करार देगी।
किसी आपराधिक मामले में दोषी करार दिए जाने
की स्थिति में सांसदों और विधायकों को अयोग्य
करार दिए जाने के खिलाफ उन्हें
मिली सुरक्षा के बारे में कानूनी प्रावधान
को स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट
किया कि आदेश नए मामलों पर ही लागू होगा।
यानी अब ट्रायल कोर्ट में भी दोषी करार दिए
जाने पर
सांसदों या विधायकों को सदस्यता छोड़नी पड़ेगी औरकोई
नेता जेल से चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा।
धन्यवाद सुप्रीम कोर्ट.......
ReplyDelete8 तारीख को जो भी कुछ हुवा, वो उम्मीद से हटकर
तो था, लेकिन चिंता जनक नहीं,,
क्या हम सुधीर अग्रवाल जी को पहले जानते
थे? ,,,भाई मै तो नहीं जनता था,,,आप
लोगो का पता नहीं,,
लेकिन उन्होंने टेट मेरिट
को सही करार दिया,,,और नियम के तहत कहा ..
लेकिन १ छोटी सी गलती ,,,जिस से हमारा कोई
लेना देना नहीं था,,,उस पर स्टे दे दिया,, अब सुधीर
अग्रवाल जी को क्या कहा जाये ,,न्यायप्रिय
या ...,,!
हम लोग{टेट मेरिट वाले} इसलिए परेशान नहीं हुए
की सुनवाई नहीं हुयी ,,,या फिर निर्णय
नहीं आया बल्कि इसलिए परेशान हो गए ,,
क्योकि हमने हर्कौली जी को मिस कर दिया ,,,
जो की सर्वथा गलत प्रतीत होता है,, क्योकि न्याय
पालिका किसी १ जज के भरोसे
नहीं रहती या चलती ,, और न हीं न्याय किसी जज
विशेष का मोहताज़ होता है,, और वो भी हमारे केस में
तो कभी नहीं,, जहा सारे सबूत और नियम कानून
हमारे पक्ष में हो,,
भगवन ने हर्कौली के हाथो हमारे लिए ,,
जो भी करवाना था करवा दिया,, अब और
ज्यादा की उम्मीद लगाना हम
मनुष्यों की फितरत में शामिल हो गया है,,
मै उनके
केस को छोड़ने का कारन तो नहीं जानता ,,, लेकिन
हां १ बात तो तय है की उन्होंने बहुत ही कम समय में
अपना कार्य कर दिया है,,
जब हर्कौली जी ने अपने सभी आदेशो में हमारे लिए
कुछ न कुछ दे ही दिया है तो क्या अब ,,,दूसरी बेंच
उनके उन आदेशो को पलटेगी ,,,
क्योकि हर्कौली जी ने,,
अपनी पहली ही सुनवाई में ,,प्रशिक्षु शिक्षक
नामक शब्द का विवाद ख़त्म कर दिया ,,,और भूषन
साहब की बेंच ने भी इसे कोई तवज्जो नहीं दी,,, और
पूर्ण पीठ ने भी..
हर्कौली जी ने उस्मानी की रिपोर्ट
की धज्जिया उड़ा दी,,, उस्मानी रिपोर्ट
का मामला भी ख़त्म,,,
धांधली -२ चिल्लाने वालो का भी मुह बंद कर
दिया ,,,अब धांधली का मामला भी ख़त्म ...
और प्रोसेस बदलने के सर्कार के तर्क को ,,,अपने
अनुत्तरिय लाजवाब तर्कों से ख़ारिज कर दिया,,,
तो अब बचा ही क्या है?
जिसके लिए हम घबरा रहे है ,,
क्या अब न्यू बेंच ये
कहेगी की नहीं साहब ,,,हर्कौली और मिश्र
जी की बेंच गलत थी ,,, उनके सभी अंतरिम आदेश
गलत थे,, और PROSPECTIVE नियम RETROSPECTIVE
हो सकते है?
और अगर ऐसा कह भी दे तो,, क्या हमने अपने संघठन
को सिर्फ अलाहाबाद तक कायम रखने के लिए
बनाया है? ये संघठन बनाते ही हम लम्बी लडाई लड़ने
को लाम बंद हो गए थे... और ये लडाई सुप्रीम कोर्ट
तक जारी रहेगी..{अगर अलाहाबाद में कुछ गलत
हुवा तो,}.
और अभी कल ही पुलिस भर्ती में खेल के बीच में
नियम बदलने के चलते स्टे
मिला है..क्या वहा भी हर्कौली जी थे?
बस अपने संघठन पर विश्वाश रखो और संगठन
को बनाये रखो,,
क्या बेंच बदलने से नियम ,,कानून बदल जायेगे?
क्या इस न्यू बेंच को संबिधान और नियम से हटकर
फैसला देने का अधिकार ,,,CPU से मिल गए..?
सत्यमेव जयते .... .. टेट मेरिट जिंदाबाद.. टेट संघर्ष
मोर्चा जिंदाबाद..
ReplyDeleteINSHA ALLAH Fir mulaqaat hogi
tab tak ke liye shubh sandhya friends.
AAPKA >> MOHAMMAD SHAKEEL
96 48 20 73 47
81 82 80 33 09
ReplyDeleteजो शक्तियाँ माननीय न्यायमूर्ति द्वय सुशील
हरकौली जी और मनोज मिश्रा जी के पीठ
को सुशोभित करती हैँ,एकदम वही अधिकार एवं
शक्तियाँ न्यायमूर्ति लक्ष्मीकांत महापात्र
जी और राकेश श्रीवास्तव जी केपीठ
को भी प्राप्त है ।
हरकौली साहब द्वारा अब तक
जो भी लिखित आदेश पारित किए गए है, वे
हमारी जीत की गाथा लिखने के लिए प्रर्याप्त
हैँ,
अब जब भी डबल बेँच मेँ सुनवाई होगी,उस आदेश
को केन्द्रबिँदु मानकर ही होगी क्योँकि एक
समान अधिकार प्राप्त पीठ के संवैधानिक
आदेशोँ को पलटना असंभव होने के साथ-साथ
गैरकानूनी भी है।
कोर्ट नं. 33 के आदेशोँको पलटने के
लिए हमारे केस को वृहद पीठ अथवा सर्वोच्चन्यायालय
को संदर्भित करना पड़ेगा,लेकिन आदेश पलटने से पहले
उक्त संस्थाओँ को एक नया संविधान निर्मित
करना होगा,जिसके कुछ अंश निम्नवत् होँगे,यथा---
1)
किसीभी नवनिर्मित कानून का प्रभाव निर्माण
तिथि से न होकर भूतकालीन होगा.
2)खेल के नियम, खेल के बीच मेँ बदलने पर
पूर्णतः वैध होगा.
3)अगर किसी परीक्षा मेँ कुछ लोग गड़बड़ी करने
का असफल प्रयासकरेँ तो पूरी परीक्षा को दागदार
मानते हुए निर्दोषोँ को भी सजा मिले.
और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि धांधली साबित
करने के लिए सरकार का काल्पनिक बयान
ही काफी रहेगा..........आदि।
नकारात्मक विचारोँ को त्यागकर आप सकारात्मक
सोचिए और अपना कार्य मन लगाकर कीजिए...
बहुत शीघ्र आप शिक्षक बनने जा रहे हैँ...
ReplyDeleteभारतीय सर्वोच्च न्यायालय का एतिहासिक
फैसला-------
यदि किसी जनप्रतिनिधि (सांसद, विधायक
इत्यादि ) को दो या उससे अधिक वर्ष
की सजा होती है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी
*नहीं ले सकेंगे इस बहाने
का सहारा कि ऊपरी अदालत मे अपील कर दी है
जो अभी विचाराधीन ह
*जब तक ऊपरी अदालत से बेगुनाह साबित न हो जाएँ
तब तक नहीं लड़ सकेंगे कोई चुनाव
*फैसला आज ही प्रभाव से लाग
ReplyDeleteफैसले में देरी ही सरकार की जीत है,
उसे
तो भर्ती लोकसभा चुनाव तक ले जाना है,उसे TET
या ACD से कुछ न लेना देना।
पैसा लुटना था तो लुट चुकी।
टेट वाले तो SC तक से अपना हक ले आयेंगे,ACD वाले सोचें
उन्हें क्या मिला?
ReplyDeleteलड़का :मेरे पास मेरे दोस्त जैसी कार नही है
मगर तुम्हे पलकों पर बैठा के घुमाऊंगा,
उसके जैसा बड़ा घर नही है
मगर तुम्हे दिल में रखूँगा,
मेरे पास उसके जितने पैसे भी नही है
मगर तुम्हे मजदूरी कर के खिलाऊंगा,
और क्या चाहिये तुम्हे ..???
..
..
..
..
..
..
लड़की: बस कर पागल अब रुलाएगा क्या ..?
चल अपने दोस्त का नंबर दे .
ReplyDeleteNeelesh Purohit (posted on Facebook)
Lo bhaiyo chanda chanda krne wale b chanda
mang rahe h chande me ho rahi jabardast chori
pade
Kapildev Yadav> UPTET & Appointment as Primary
Teachers
Good evening acdmian avi v guddu singh dwara
paisa muje ni mila h. Udhar advocte fees mang
rahe h. Pls acd bhaiyon guddu singh aur radhe ji
se mujhepaise dilwaye taki me advocte ki fee de
saku.
ReplyDeleteटीईटी में महज दस सवालों का पेच : दो दिनों में
पूरा होगा परीक्षण
JNI NEWS : 10-07-2013 | By : जेएनआई-डेस्क |
इलाहाबाद : राज्य शैक्षिक
पात्रता परीक्षा (टीईटी) में सवालों और उनके
जवाबों को लेकर आई आपत्तियों का परीक्षण लगभग
पूरा होने को है। सभी वर्गो की परीक्षाओं में महज
दस सवाल ऐसे हैं जिन पर परीक्षार्थियों को मुख्य
रूप से आपत्ति है। अधिकांश परीक्षार्थियों ने
उन्हीं के बाबत टीईटी में आपत्तियां भेजी हैं।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के
अनुसार अगले दो दिनों में इनका परीक्षण पूरा कर
लिया जाएगा। बुधवार के उत्तर पुस्तिकाओं
का मूल्यांकन शुरू हो सकता है।
TET VIDHI PRAKOTSHTHA KE ADHAYAKSHA S K
ReplyDeletePATHAK PAR HUYE HAMLE KI NINDA TATHA
VIRODH PARDARSHAN KAR BHATPAR RANI
(DEORIA) KE TET MORCHA KE SAMARTHAKO NE
AMIT KUMAR DUBEY KE NETRITVA ME GYAPAN
BHATPAR RANI KE SDM KO DIYA GAYA TATHA
HAMLAWARO KI GIRAFTARI KI SHIGHRA MAANG KI
GAYI.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteMOHAMMAD SHAKEEL >>>…………
tet merit old ad sangharsh morcha RAEBARELI,
s. k . pathak bhai par huye hamle ki kathor
shabdo me ninda karta hai. Mai ye wada karta hu
ki pathak bhai ke upar pade ek ek war acd ad ke
tabut ki keel sabit honge.
ReplyDeleteविवेक कुमार तिवारी > UPTET & Appointment
as Primary Teachers
dekhne mei aa raha hai ki acdemic balo mei pese
ko lekar apsi algav ho raha hai..
jo acdmic bale kal
tak tet balo ko chanda chor or bhikhari kehte the
aaj khud bhikari bane hai or acdemic balio ko lut
rahe hai...
ye aj khud sabse bade chanda chor ban
gaye hai..guddu sing ,kspil tyadav or adhe adhe ki
gang chanda lekar bhagne ki firak mei hai ,,
inhe
pata hai ye bharti kewal tet se hogi isliye apni jeb
bharna chahte hai .............
Sarkar ne cort ko 20 tak dic. Lene ko kaha.
ReplyDeleteSarkar ne cort ko 20 tak dic. Lene ko kaha.
ReplyDeletekaise malum hua. Sandeep ji.
Delete
ReplyDeleteविज्ञान-गणित के 29 हजार
शिक्षकों की भर्ती अगले
माह
Updated on: Wed, 10 Jul 2013 07:37
PM (IST)
-गुरुवार को शासनादेश जारी होने की संभावना
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद
द्वारा संचालित जूनियर हाईस्कूलों में विज्ञान और
गणित विषयों के शिक्षकों की कमी जल्दी दूर
हो सकेगी। जूनियर हाईस्कूलों में विज्ञान और
गणित
के शिक्षकों के रिक्त पदों पर 29,333
शिक्षकों की भर्ती अगस्त में की जाएगी।
भर्ती प्रक्रिया पहली से शुरू कर 31 अगस्त तक
खत्म करने का इरादा है। यह पहला मौका होगा जब
परिषदीय जूनियर हाईस्कूलों में
शिक्षकों की सीधी भर्ती होगी।
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में
शिक्षकों की नियुक्ति सीधी भर्ती से होती है
जबकि जूनियर हाईस्कूलों में अध्यापकों के शत-
प्रतिशत पद अब तक प्रोन्नति से भरे जाते थे। अब
तक प्रचलित व्यवस्था के तहत प्राथमिक स्कूलों में
सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए
शिक्षकों को तीन साल की सेवा पूरी करने पर
प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक या जूनियर
हाईस्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर प्रोन्नत
किया जाता रहा है। परिषदीय जूनियर हाईस्कूलों में
लंबे समय से विज्ञान और गणित विषयों के
शिक्षकों की कमी बनी हुई है।
लिहाजा शासन ने पिछले साल उप्र बेसिक
शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 में
संशोधन करके जूनियर हाईस्कूलों में विज्ञान और
गणित शिक्षकों के 50 प्रतिशत
पदों को सीधी भर्ती से भरने का फैसला किया है।
जूनियर हाईस्कूलों में विज्ञान और गणित
शिक्षकों के
58,666 पद रिक्त हैं। इसी के तहत जूनियर
हाईस्कूलों में विज्ञान और गणित अध्यापकों के 50
प्रतिशत यानी 29,333 रिक्त पदों पर
शिक्षकों की भर्ती की जाएगी।
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नियुक्त हो सकेंगे बीएड डिग्रीधारक
परिषदीय जूनियर हाईस्कूलों में गणित और
विज्ञान
शिक्षकों के 50 प्रतिशत सीधी भर्ती के पदों पर
राज्य या केंद्रीय शिक्षक
पात्रता परीक्षा (टीईटी/
सीटीईटी) उत्तीर्ण बीटीसी प्रशिक्षण
प्राप्त
अभ्यर्थियों के अलावा बीएड/ बीएड (विशेष
शिक्षा)/ डीएड (विशेष शिक्षा) डिग्रीधारक
भी नियुक्त किये जा सकेंगे।
Sudeep ji source of information kya hai?? Ki sirf aapki aisi soch hai??
ReplyDeleteSudeep ji source of information kya hai?? Ki sirf aapki aisi soch hai??
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