कौन हराएगा हमे ???
हमे जीतने के लिए किसी जज की कृपा की आवश्यकता न कल थी और न आज है ।
हमारे केस पर 4 फरवरी को जो हरकौली जी ने किया अगर अखिलेश यादव भी जज की कुर्सी पर होते तो उन्हे भी वही सब लिखना पड़ता जो हरकौली जी ने लिखा । दुनिया का कोई जज prospective amendment का प्रभाव retrospective होना स्वीकार नही कर सकता ।
दुनिया का कोई जज किसी चलती हुई प्रक्रिया के नियम बदलने को सही नही ठहरा सकता और न किसी सरकार को ऐसा करने की छूट या अनुमति दे सकता है ।
नियमावली मे प्रशिक्षु शब्द न लिखा होना भूषण जी हरकौली जी और फिर पूर्ण पीठ मे शाही जी अंबानी जी और बघेल जी महत्वहीन स्वीकार कर चुके है ।
दुनिया का कोई जज धाँधली धाँधली चिल्लाने मात्र से धाँधली होना स्वीकार नही कर सकता हर जज सबूत माँगेगा और जो हुआ ही नही उसका सबूत कहाँ से आएगा ।
झूठे सबूत छोटे मोटे कोर्ट मे पेश कर दिए जाते है लेकिन इतने महत्वपूर्ण केस मे ऐसा करने की कोई हिम्मत भी नही कर सकता ।
उक्त बातों के अलावा हमारे केस मे कोई नया बिंदु परिभाषित नही होना है । बेँच और जज बदलने से फैसला नही बदलता । सभी जजो के लिए कानून की किताब एक है । संविधान की रक्षा करना ही उनका धर्म है । बिना वजह अपना BP मत बढाइए । जरूरत महसूस हो तो 4 फरवरी 12 मार्च और 31 मई का आदेश खुद पढ़िए और अकेडमिक वालों को भी पढ़वाइए । टैंसन लेने की बजाय देने की ताकत हर टेट सपोर्टर मे कूट कूट कर भरी है । उसे बाहर लाने भर की जरूरत है । आज से कल तक बेँच तय हो जाएगी । और 15 अगस्त आप अपने अपने स्कूलो मे ही मनाएँगे
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Mera ek point aur add karne kaa hai, agar koee saboot hai bhee to jo candidate log dhandhlee mein shamil hain unheee ko bahar kiya jaye na.
Jisne TET exam mein mehanat se marks hasil kiya hai aur jo chyan ka patr bana uska kya DOSH
Tet sangharsh morcha ke vidhi adhyax par jan leva hamala karne wale acd suporter hai jo apni sambhavit har ke karan baukhala gaye hai.
ReplyDelete.acd wale savdhan ho jaye kyuki aise hamale karne wale jald police ki giraft me hoge..ek banda jo daily uptron chauraha (govindpur) ke pas papernews ki dukan par axar tet walo se mar peet karta hai aur sbko gali deta hai ham use shak ki dristi se avi v dekh rahe hai,agar uske khilaf sakshy mila to ham tet suporter jald use uski bhasha me samjhayege...uske khilaf kai tet sathi hamase sikayat karte hai ki wo daily paper ki dukan par news padh rahe tet suporter ko ulta sidha kahta hai...aur s.k.pathak ,sujeet bhai..aur hame gali deta hai...wo ek acd grup ka admin v hai..ab ham uska serch karne me jut gaye hai..uski aukat dikha ke hi dam lege....wo hi vanda hai jo s.k.pathak,akhilesh tripathi aur any tet fi8ter ka ghar janta hai kyuki wo shivkuti ka hai aur kailashpuri jaha s.k.pathak rahte hai wo just 1 k.m ki duri par hai.
ReplyDeleteDosto bench change hone se hame koi fark ni
ReplyDeletepadne wala,meri ap seg gujarish h ki ap shanti
aur dherya ka parichay de.
Mene pahle kai war kaha h hame niyay chahiye
niyayadhish nahi.
Koi b h.c ka jude retrospective effect se add radd
krne ko sahi nahi tahra sakta, ye usi prakar saty
h jis prakar suraj west se ni nikal sakta ye satya
h.
Add ki 2 main kami single bech k anusar
1. Prashikshu shikshak word
2. Tathakathit dhandli
dono samasya ka samadhan d.b kar chuka h.
Ye bt av lagbhag pakki h ki hamara case
mahapatra ji hi final kr k decision denge.
ओखली (केस) मेँ सिर दे दिया फिर मूसर( तारीख) से
क्या डरना?
बारिश होने से( निर्णय)पहले मटके न फोङे( जीत न
माने)
लालटेन बुझने से पहले तेज जलने लगती हैँ ।
KAL SANGTHAN k sakriya sadashya s.k. Pathak ji k
sath hue prakaran ki ghor ninda krte hue, me acd
walo se kahna chahta hun ki wo is prakar ka
karya kr k apni nichta ka parichay de rahe h.
Unka ye apradh akshamya h unko isi saza jarur
milegi.
Me unke jaldi swasth hone ki kamna krta hun.
Something Personal about me @>>> ......
ReplyDeleteMy Name >>… MOHAMMAD SHAKEEL
[ ALI is my nick name ]
Vill >>… HARCHANDPUR
DISTRICT >>… RAEBARELI
UTTAR PRADESH
UP TET (1-5) >> 122
UPTET ( 6-8 ) >> 114
CTET 2011 ALSO QUALIFIED
ACD GUDANK >> 60.94 ( OBC )
CONTACT NO. >> 96 48 20 73 47
81 82 80 33 09
[ YOU CAN CHECK MY PROFILE ]
लो दरोगा जी भी लपेट लिए सरकार को-------
ReplyDeleteदरोगाओं की शारीरिक भर्ती परीक्षा पर रोक
Updated on: Tue, 09 Jul 2013 07:46 PM (IST)
- कोर्ट में तर्क-'खेल के नियमों में बीच में बदलाव
नहीं किया जा सकता'
कल जो भी हुआ वो बिल्कुल अप्रत्याशित
ReplyDeleteथा जिसकी किसी ने कल्पना तक
नहीं की थी,,,,,,जब कुछ अप्रत्याशित अचानक
हो जाता है तब मस्तिष्क की सोचने समझने और
चिन्तन करने की शक्ति और क्षमता,,,,,क्षी
णता के निम्नतम स्तर तक चली जाती है,,,,,ये
मनोवैज्ञानिक होता है लेकिन जैसे
ही बदली परिस्थितियों के साथ आप समायोजन कर लेते
हैं तो वो अप्रत्याशा समान्य हो जाती है|
मै इसमे यकीन नहीं रखता कि कोर्ट मे भ्रष्टाचार
और दबाब नहीं चलता लेकिन इतना मानता हूँ कि ये
हर किसी पर और हर कोर्ट मे
नहीं चलता क्योंकि अगर यह सत्य हो जाएगा कि हर
जगह भ्रष्टाचार हर किसी पर लागू होता है
तो व्यवस्था के मायने ही बदल जायेंगे,,,,,संव
िधान,संघीय व्यवस्था और न्याय जैसे शब्दों का औचित्य
ही खत्म हो जाएगा, केंद्र सरकार के पास पैसे और
दबाब की कमी है क्या? वो आंध्रा हाईकोर्ट
की खंडपीठ के फैसले को क्यों नहीं बदलवा पाई
जिसमे धार्मिक आधार पर आरक्षण देने को गलत
बताया गया ???
टू जी लाइसेन्स याद हैं??? उसमे इतना धन
था कि सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से लेकर
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक
सबको खरीदा जा सकता था लेकिन क्या हुआ बताने
की जरूरत नहीं है,,,,,2 दिन पहले इसी इलाहाबाद
हाईकोर्ट ने सरकार के वीआईपी जिलों के तमगे
वाले क्षेत्रों को मिल रही 24 घंटे
बिजली आपूर्ति के फैसले को फटकार के साथ रद्द कर
दिया,,,,,अब बताओ पूर्ण बहुमत वाली सरकार
का मुख्यमंत्री अपने क्षेत्र मे अपने मन से
बिजली भी नहीं दे सकता,,,इससे आप लोगों कों इस
सरकार की औकात
का अंदाजा नहीं हो रहा क्या???
ये शिक्षक भर्ती तो कुछ नहीं है,,,,नोयडा आवास
विस्तारीकरण परियोजना याद है लोगों को ??? 8000
हजार करोड़ का निवेश था व्यावसायिक
कंपनियों का जिसमे सबसे सम्पन्न वर्गों मे से एक
बिल्डर लाबी का 5000 करोड़ रुपया विभिन्न
मदों और निर्माण कार्य मे खर्च
हो चुका था,,,,,हजारों करोड़ की मालियत
वाली संस्थाएं अपने एक फैसले
को नहीं बदलवा पायीं जब कि सरकार उनके साथ
थी और कंपनियों के लिए उसने नियमो मे
बकायदा मंत्रिमंडल के द्वारा बदलाव
किया था,,,,,,और
मंत्रियों अधिकारियों कों भी कंपनियों ने खरीद
लिया था,,,,,,,नतीजा क्या हुआ???? उस 5000 करोड़
की अमीरी के निर्माण पर बुलडोजर चलाकर
गिराने का आदेश देते हुए इसी इलाहाबाद हाईकोर्ट
ने किसानो कों उनकी जमीन वापस करने का आदेश
सरकार के मुँह पर दे मारा था|
भ्रष्टाचार के भी अपने दायरे होते हैं एक व्यक्ति से
ReplyDeleteजुड़े मामले मे भ्रष्टाचार आसान होता है लेकिन
हजारों लोग जहाँ प्रतिरोध करने के लिए खड़े हों और
उस पर भी संवैधानिक नियम, परिस्थितियाँ,
दलील, साक्ष्य सब चीख चीख कर समर्थन कर रहे
हों वहाँ भरष्टाचार कैसे संभव है????
कहने का तात्पर्य ये है कि जनता से जुड़े विषय पर
सरकार के गलत कार्य या फैसले के लिए
भी संवैधानिक नियमों और सर्वमान्य द्रढ़
आधारों की जरूरत होती है,,,,,कोई जज वो आधार कहाँ से
लाएगा???? टंडन महोदय ने अपने अंतिम फैसले मे
ऐसी ही कोशिश की थी नकारात्मक काल्पनिक
तथ्य जोड़कर,,,, भले ही उन्होने सरकार के द्वाब मे
ऐसा किया,,,,,,लेकिन उनका हश्र क्या हुआ ???
खंडपीठ मे पोस्टमार्टम,,,,,, और ये साबित भी हुआ
कि वो गलत थे| यदि दबाब डाला भी गया हो ,उसके
बाद भी हरकौली का सरकार के पक्ष मे फैसला न
देना, ये साफ दर्शाता है कि अब सरकार के पक्ष मे
निर्णय होना नामुमकिन है| केस को रिलीज करके
उन्होने सरकार के रहे बचे सारे रास्ते बंद कर
दिये,,,,,अगर हरकौली सरकार के दबाब को मानते
हुए सरकार के पक्ष मे फैसला दे देते तो हरकौली पर
प्रश्न चिन्ह लगाना प्रासंगिक भी था,,,,,,,,,उन्ह
ोने ये मामला छोडकर इलाहाबाद से लेकर लखनऊ तक
खलबली मचा दी है,,,,,,महापात्र और श्रीवास्तव
साहब को अभी से ये महसूस हो रहा होगा कि अब
उत्तर प्रदेश के बेरोजगार युवा तथा समस्त जज,
वकील ही नहीं बल्कि भारत के मुख्य न्यायाधीश
की नजर भी उन पर होगी क्योंकि अब ये केवल
समग्र सार्वजनिक हित
का मामला नहीं रहा बल्कि सार्वजनिक न्याय और
घटिया राजनीति के बीच एक युद्ध मे तब्दील
हो चुका है|
आपको ये ध्यान रखना है कि इस तथ्य का परीक्षण
ReplyDeleteनहीं होना है कि कानूनन टेट मेरिट बन सकती है
या नहीं,,,,,,इसमे किसी को शक नहीं होना चाहिए
कि टेट मेरिट बनने मे कोई नियम कभी आढ़े
नहीं आया,,,,खुद कोर्ट इस नियम को हरी झंडी दे
चुका है,,,,,पात्रता-पात्रता चिल्लाने वालों का मुँह
भी 31 मई को बंद हो चुका है,,,,,और फिर सोचने
वाली बात ये है कि अगर टेट मेरिट बनने मे कोई
नियम बाधा होता तो सरकार
धांधली का ढिंढोरा क्यों पीटती??? सीधे
वही नियम लेके कोर्ट न पहुँच जाती,,,,मामला खत्म
हो जाता| अब परीक्षण इस बात का हो रहा है
कि क्या एक नई गठित सरकार
अपनी पूर्ववर्ती सरकार के संवैधानिक
फैसलों को किसी काल्पनिक आधार या विद्वेष के
आधार पर बदल सकती है या नहीं ???? इसका जबाब आप
सब को पता है| धांधली जो कि आज तक साबित
ही नहीं हुई, को पहले ही कोर्ट स्पष्ट कर चुका है
कि अगर ऐसा हुआ है तो सही गलत को छांटकर
पूर्ववत प्रक्रिया को पूर्ण
करें,,,उस्मानी कमेटी की चीड़ फाड़ भी सब लोग
देख चुके हैं,,,विज्ञापन को भी हरी झंडी मिल
चुकी है खंडपीठ से,,,तो अब बाधा क्या है????
मै कल से एक ही बात सोच रहा हूँ कि आखिर अब जब
पूरी बात आईने की तरह हरकौली ने साफ कर
दी है तो कैसे कोई द्वि खंडपीठ अन्तरिम आदेशों मे
लिखे गए शब्दों को ठीक उसके विपरीत
(नकारात्मक) शब्दों मे बदल सकती है ???? सर्वोच्च
न्यायालय अपने परीक्षण मे देखेगा कि जब तक
पहली खंडपीठ मामले को देख रही थी मामला एक
दिशा मे चल रहा था और जैसे ही दूसरी खंडपीठ मे
गया मामले की दिशा विपरीत कैसे हो गई ???
क्या इसीलिए खंडपीठ बदली गई थी और जज
साहब अन्तरिम आदेशों के विपरीत जाकर फैसला देने
का आधार क्या बताएँगे ???? बताइये,,,,क्या ये
कि सरकारी दबाब था या ये कि मुझे
ऐसा करना अच्छा लगता है? सनद रहे केवल पीठ
बदली है भारत का संविधान और न्यायिक
प्रक्रिया नहीं,,,,,,,न ही बदले हैं न्याय देने के
नियम| संघीय व्यवस्था मे अधिकारों और
शक्तियों का विकेन्द्रीकरण होता है जिससे
किसी को भी उन अधिकारों और शक्तियों के
दुरुपयोग की आजादी नहीं मिलती,,,,,अधिका
रों और शक्तियों का मतलब
निरंकुशता कदापि नहीं है|
आप क्या समझते हैं सरकार कोर्ट मे ये साबित कर दे
कि धांधली हुई है और कहे धांधली किसने की है
हमे नहीं पता इसलिए समस्त 72825 टेट मेरिट से
चयनित होने वालों संभावितों को सजा दे दी,,,,,तो कोर्ट
कह देगा हाँ भाई ठीक है भारतीय न्याय व्यवस्था के
नैसर्गिक सिद्धान्त “भले ही सौ गुनहगार बच जाएँ
लेकिन एक बेगुनाह को सजा नहीं दी जा सकती”
को उत्तर प्रदेश सरकार के एक अदने से वकील के
कहने पर इस सिद्धान्त का प्रतिपादन करने वाले
सर्वोच्च न्यायालय, के प्रशासन के अधीन कार्य करने
वाले कोर्ट द्वारा बदला जाता है,,,,,,और सर्वोच्च
न्यायालय उस जज की पीठ थपथपाएगा कि वाह!
क्या फैसला दिया है?
संदेह का लाभ हमेशा आरोपी को मिलता है न
कि अभियोजन को,,,,,क्या आप कोई मामला बता सकते
हैं जिसमे केवल संदेह के आधार 72000
लोगों को सजा दी गई हो वो भी तब जबकि संदेह
उत्पन्न करने वाले आधार का ही अता पता न हो|
केवल कुछ समय का नुकसान किया जा सकता है
हमारा लेकिन इससे ज्यादा कोई कुछ नहीं बिगाड़
सकता है अगर किसी को वो आधार पता हो जिसके
द्वारा हमारा नुकसान किया जा सकता है
तो यहाँ जरूर लिखें,,,,,,,,,,और एक बात हमेशा याद रखें
संगठन और एकता से ही लड़ाई
लड़ी जाती है,,,,सबकुछ करें लेकिन इस एकता पर आंच
न आने दें यही हमारा हथियार है,,,,वो कहते हैं न
कि अंगूर तभी तक सुरक्षित रहता है जब तक गुच्छे
मे है,,,,,,,,,धन्यवाद
सत्यमेव जयते!
koi batayega ki jb acd supp. bench
ReplyDeletechange hone se jeet rahe hain to phir
third party banne ke liye chanda kyun
juta rahe hain..??? kya gov. ne unka
sath dene se mana kr diya hai...??? ya
unhe gov. dwara nirdharit ki gayi
bebch ke judgo pe bharosa nahi
hai..???
EK AUR KAHANEE SUNO,
ReplyDeleteTEACHER BHARTI PER TO COURT NE STAY LAGA
RAKHA HAI. LEKIN EK DUSAREE BHARTI (POLICE
SI) PER BHI COURT NE STAY LAGA DEYA.LEKIN
DONO KA MUDDA EK HI HAI. ki kya kisi bharti ke
beeech me base of selection badla ja sakta hai.
kul mila kar sarkaar janbhoojh kar aisa kam rahi
ha
आप जो पसंद करते हैँ , उसे पाने का प्रयास कीजिए
ReplyDeleteअन्यथा आपको जो प्राप्त होगा.. उसे पसन्द करने के
लिए आपको विवश किया जाएगा।(G.B. SHAW)
JEET KA WINNING SHOT CHAHE JO BHI LAGAYE
BUT ISS HISTORICAL MATCH K ''MAN OF THE
MATCH" TO HARKAULI JI RHENGE...
*if any doubt..??
Plz explain here.
UP GOVERMENT KE OFFICER KITNE HOSYAAR HAI
ReplyDeleteYE isi se pata lagta hai ki jo uptet 2013 ke answer
mai mistake thi use bhi. Abhi tak sahi nahi kar
paye .
Jab paper setter hi 5 din mai 10 question
nahi kar paye to 2.30 ghante mai 150 question
kaise karenge. l
Do you agree with me.
Sab
laparvah hai harmari goverment bhi
उ.प SI भर्ती को COURT ने रोक कर
ReplyDeleteअच्छा काम किया है
इसमें भ्रस्टाचार की बू आ
रही थी क्यूंकि असफल एवं अनुपस्थित
लोगों को भी एक और
मौका दिया जा रहा था ।
जो की बिलकुल गलत था / है ।।
बात 72,825 की करें तो हम टेट पासों COURT ने
एक FOOTBALL समझ लिया है
कि जो भी आता एक जोर से किक जमा देता है
और गेंद कभी मिडफील्डर तो कभी कार्नर
की तरफ जाती है
लेकिन गोल होने से पहले ही GOALKEEPER
( CHIEF JUSTICE ) बीच में आ जाते हैं ।
और फिर गेंद आगे पास हो जाती है ।।
आखिर इस भर्ती का गोल कब होगा ये
कहना उतना ही कठिन है जितना की अनपढ़
को पढना सिखाना ।।
इलाहाबाद HIGH COURT में आधे से
ज्यादा जजों के सामने हमारा MATTER पहुंच
चूका है ।
और सभी नामी वकील भी इसमें शामिल हैं ।
लेकिन इस मामले का हल किसी को नही सूझ
रहा ।।
आप सब से यही कहना चाहूँगा की आप केवल
इसी JOB को अपना अंतिम विकल्प न समझे
क्यूंकि अपने जीवन के बहुमूल्य 2 वर्षों को आप
इसके पीछे गवां चुके है ।
जिसमे अगर जितना ध्यान इस पर
लगाया था हमने सोते जागते , खाते पीते ,
नहाते धोते , और तो और पढ़ते पढ़ाते भी ।
उस समय तथा मेहनत में लोग IAS / PCS का exam
भी cross कर लेते हैं ।
Kapildev Yadav >>
ReplyDeletedosto mere khate me abhi tak sirf 1000 hi jama
hue baki kai logo ne paise seedhe le liye aur
mujhe nahi diye mujhe pata chala hai ki guddu
singh ne 20 se 30 hajar jama kar liye hai
Ab 15 ko hamara case mahapatraje aur rakesh shrivastav je ki bench me suna jayega ye tay ho gaya hai.ye bench bhi achchi hai par sabse achche hum hain aur hamari mang hai,
ReplyDeletehamari ladai hai.
Mahapatra hon ya harkauli,
ant me bolenge such ki boli.
Harkaulije retire ho rahe hain aur uske bad army tribunal join karenge.bachi chuttiyan katne ke mood me hain,
ReplyDeleteye sub profsnl hain imtnl nahin.
Aur ek bat,
ReplyDeletekya le gaye tandan kya de gaye harkauli,
kya chhin paye akhilesh,
kab tak samay nahi bolega hamari boli.
Bas डटे raho ek dushre ke sath,
milakar boli se boli,
sirf naukri na kar shikshak banoge,
aur tub badloge desh ki boli.
Shikshak ki naukri mangne chale the,
sangarsh ne purn shikshak bana diya,
sarkar se lekr court tak ki gandagi samajhne ka
ek achcha mauka diya.
Ab sudhro aur sudharo,
sangharsh ko har pal apne jeevan me utaro,
sangharh sangarsh sangarsh . . . . .=vijay
jai hind jai tet . . .
दिल्ली में हुई बारिश की मनमोहन सिंह ने कड़े शब्दों में निंदा नहीं की,
ReplyDelete☞ छछूंदर एक रात में लगभग 300 फीट की दूरी तक खोद सकती है
ReplyDelete☞ एक आदमी साल भर में औसतन 1460 सपने देखता है
☞ कॉकरोच सिर कटने के बाद भी कई सप्ताह तक जिंदा रह सकता है।
दरअसल वह सिर कटने से नहीं, भूख से मरता है।
☞ गधे की आंखों की स्थिति कुछ
ऐसी होती है कि वह अपने
चारों पैरों को एक साथ देख सकता है
☞ ऊंट की आंख में तीन पलकें होतीं हैं
जो उन्हें रेगिस्तान में उड़ने वाली रेत से बचाती हैं
☞ बिजली की कुर्सी का आविष्कार
एक दंत चिकित्सक ने किया था।
☞ बिल्ली की पेशाब अंधेरे में
चमकती है।
☞ सूर्य, धरती से 330,330
गुना बड़ा है
☞ हर साल लगभग 2500 बांए हाथ से काम करने वाले लोग,
उन वस्तुओं व उपकरणों का उपयोग करने से मारे जाते हैं जिन्हें दांए हाथ से काम करने वाले लोगों के लिए बनाया जाता है
☞ किसी भी वर्गाकार सूखे कागज
को आधा-आधा करके 7 बार से अधिक बार नहीं मोड़ा जा सकता
☞ दुनिया के लगभग आधे अखबार अकेले अमेरिका और कनाडा में प्रकाशित होते हैं
☞ एक वायलिन बनाने में लकड़ी के 70 विभिन्न आकार के टुकड़े लगते हैं
☞ आकाशीय बिजली कड़कने से
जो तापमान पैदा होता है वह सूर्य
की सतह पर पाए जाने वाले तापमान से पांच गुना ज्यादा होता है
☞ जब कांच टूटता है तो इसके टुकड़े 3000 मील प्रति घंटा की गति से छिटकते हैं।
☞ यदि कभी आप आइसलैण्ड जाएं तो वहां कभी भी रेस्त्रां में बैरे
को टिप न दें।
ऐसा करना वहां अपमान
समझा जाता है।
☞ लास वेगास के जुआघरों में
घड़ियां नहीं होतीं
☞ मनुष्य के शरीर में हर सेकेण्ड 15 मिलियन लाल रक्त कणिकाएं
पैदा होतीं हैं और मरती हैं।
☞ अपनी गुफा से निकलते समय,
चमगादड़ हमेशा बाईं तरफ को ही मुड़ते हैं.
☞ जिराफ की जीभ इतनी लंबी होती है कि वह अपने कान साफ़ कर सकता है
☞ जापान के शहर टोकियो में, 50 मिनट से कम दूरी वाली यात्रा के लिए एक साइकिल कार से ज्यादा तेज मानी जाती है
Sashwat pathak ka lekh pura bakwash aur chutia type k logo k liye hai... Are bhai niyam bech me nhi badla gya, prakiya (add) radd krk nya laya gya hai... Agar old add me sanshodhan hota to galt tha lekin jb old add hai hi to galt kya... Puri prakiya rule k anusar hai... Ab acd merit ko koi nhi rok sakta ,...
ReplyDeleteup. gov. ko court ka ek aur tamacha,
ReplyDeletesub. inspe.
bharti par stay ka lagna, sarkar ki wrong neetiyon
ka ek aur example hai,
yeh theek apne tet merit
ki tarah ka matter hai jisme process ko beech me
badla gaya jo ki galat hai.
running me ek avedak
ki death ke bad gov poora process change kar
deti hai, parntu hamare 20 se jyada tet sathiyon
ki jaan ki koi keemat nahi.
hamare sabhi sathiyon
ko court ke is faisle ka swagat karna chahiye,
jai tet merit
jai old add
Tet merit sup ko Good morning >>
ReplyDeleteparso jo hua aap log jan
chuke hain aur isme kuch nakaratmak nahi hai
stay laga hua hai aur koi bhi bench sunwai kare
tet merit ko koi nahi rok sakta hai aur
jo gadhank sup
ne parso s . k .pathak par hamla kiya hai usse unki
har spast dikh rahi hai aur hum log aur majboot
hue hain aur gu gu walo ke liye ratnesh pal ki
writ sc main pahle se hi pending hai
to gov aur
gu gu walo ke liye har nishchit hai
parso gadhank aise khush
hue jaise stay hat gaya ho aur bhrti chalu ho gayi
ho
jay tet merit.
श्रीलंका को रौंदकर फाइनल में पहुंचा भारत,
ReplyDeleteभुवनेश्वर कुमार रहे जीत के हीरो
ReplyDeleteश्रीलंका को 81 रन से हराया, भारत पहुंचा फाइनल में.
Mujhe pura yakin hai team india final bhi jitegi
ReplyDeleteCHAK DE INDIA