जल निगम से 144 इंजीनियरों की होगी छुट्टी
लखनऊ। जल निगम के 144 इंजीनियरों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। इन इंजीनियरों को करीब छह महीने पहले ही नौकरी मिली है। नियुक्ति में आरक्षण नियमों की अनदेखी के कारण यह हालात पैदा हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर आरक्षण नियमों का पालन होने से ओबीसी के उन 144 अभ्यर्थियों की नौकरी की आस पूरी होगी जो अधिक अंक होने के बावजूद नियमों की अनदेखी से नौकरी की रेस से बाहर हो गए थे। जल निगम ने इसकी पूरी रिपोर्ट के साथ पत्रावली मंजूरी के लिए निगम के चेयरमैन को भेजी है।
दरअसल भर्ती में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के 25 मार्च 1994 के शासनादेश ‘अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन-जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण’ का पालन नहीं किया गया। शासनादेश के तहत किसी आरक्षित श्रेणी से संबंधित कोई व्यक्ति योग्यता के आधार पर खुली प्रतियोगिता में सामान्य अभ्यर्थियों के साथ चयनित होता है तो उसे आरक्षित रिक्तियों के प्रति समायोजित नहीं किया जाएगा। यानी आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी के अधिक अंक पाने पर उसे सामान्य में माना जाएगा और आरक्षित पदों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पर, जलनिगम ने इसका पालन करने के बजाय अपने हिसाब से नियम तय कर लिए। उसने सीधे-सीधे कुल पदों में 50 फीसदी पदों पर सामान्य वर्ग, 21 फीसदी पर अनुसूचित जाति, 2 फीसदी पर अनुसूचित जनजाति और 27 प्रतिशत पर ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर ली। उसने ओबीसी के उन 144 अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में नियुक्त नहीं किया जिनकी मेरिट सामान्य वर्ग मेें आई थी।
I am fighting the same case against KVS in Principal bench CAT relating to recruitment of Principal in 2012.
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