Big News : हजार रुपये न्यूनतम मासिक पेंशन का रास्ता साफ
Thu, 06 Feb 2014
महंगाई की मार झेल रहे नौकरीपेशा व्यक्ति को सेवानिवृत्ति के बाद अब न्यूनतम मासिक पेंशन 1000 रुपये मिला करेगी। वित्त मंत्रालय की सहमति के बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीबीटी) ने इस पर मुहर लगा दी है।
यह योजना 1 अप्रैल 2014 से प्रभावी होगी। सीबीटी के सदस्यों ने इस पहल का स्वागत करते हुए इसमें कुछ संशोधन की भी सिफारिश की है। दरअसल सीबीटी ने न्यूनतम पेंशन तीन हजार रुपये मासिक करने का प्रस्ताव पेश किया था। साथ ही पेंशन को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की सिफारिश भी की गई थी लेकिन वित्त मंत्रालय की असहमति के कारण यह संभव नहीं हो सका। हालांकि बैठक के दौरान श्रम मंत्री आस्कर फर्नांडीस ने कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधियों को भविष्य में इस मुद्दे पर वित्त मंत्रालय से बातचीत करने का आश्वासन दिया है। दूसरी ओर ईपीएफ पेंशन के लिए वेज सीलिंग को 6,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 करने पर भी सहमति बन गई है। एक हजार रुपये न्यूनतम पेंशन करने के लिए वित्त मंत्रालय ने पीएफ खाताधारकों की मौजूदा सुविधाओं में कुछ कटौती करने का सुझाव पेश किया था लेकिन सीबीटी ने इस सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया है। बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि पेंशन पाने को कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र को 58 से बढ़ाकर 60 करने को कहा गया था
बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करने वाले श्रम मंत्री आस्कर फर्नांडीज ने यहां पत्रकारों को बताया कि बोर्ड ने स्कीमों में प्रस्तावित संशोधनों को मंजूर करने का निर्णय किया है ताकि 1,000 रुपये न्यूनतम मासिक पेंशन सुनिश्चित हो सके और वेतन सीमा बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति माह की जा सके.
ईपीएफओ के एक अधिकारी के मुताबिक श्रम मंत्रालय 1,000 रुपये मासिक पेंशन के लिए मंजूरी के वास्ते जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्ताव रखेगा, क्योंकि सरकार को इस उद्देश्य के लिए कोष के प्रावधान करने पड़ेंगे. मंत्री ने कहा कि हमने नियोक्ताओं द्वारा दिए जाने वाले प्रशासनिक शुल्क भी घटा दिए हैं.
वेतन सीमा बढ़ने के सथ उनका बोझ बढ़ेगा. बोर्ड ने प्रशासनिक शुल्क मूल वेतन के 1.10 प्रतिशत से घटाकर 0.85 प्रतिशत करने का भी निर्णय किया है. इसके अलावा, न्यासी बोर्ड ने पेंशनयोग्य वेतन की गणना की पद्धति में प्रस्तावित बदलाव को भी मंजूरी दे दी है.
संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को कम से कम 1000 रुपये की मासिक पेंशन मिलना तय हो गया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के सर्वोच्च निकाय केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में इससे जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। अब इस पर कैबिनेट की अंतिम मुहर लगाने की सिर्फ औपचारिकता बाकी रह गई है। इस फैसले से 28 लाख पेंशनभोगियों को तत्काल फायदा होगा।
केंद्रीय श्रम मंत्री ऑस्कर फर्नाडीस की अध्यक्षता में हुई सीबीटी की बैठक में कर्मचारी भविष्य निधि स्कीम (ईपीएफ) में पेंशन स्कीम ईपीएस-95 से जुड़े संशोधन को भी हरी झंडी दे दी गई। इससे अब मूल वेतन की अधिकतम सीमा मौजूदा 6,500 रुपये से बढ़कर 15,000 रुपये हो जाएगी।
ई-पेंशन प्रणाली लागू
इस स्कीम के तहत सरकार भी पेंशन फंड में मूल वेतन का 1.16 फीसद योगदान करती है। ट्रस्टी बोर्ड ने पेंशनयोग्य वेतन की गणना का तरीका भी बदलने का फैसला किया है। अब पेंशन लायक वेतन की गणना अंतिम 60 माह की औसत सैलरी के आधार पर की जाएगी। फिलहाल ईपीएस-95 के तहत 12 महीने के औसत वेतन के आधार पर यह गणना की जाती है।
दस साल की नौकरी पर बीमा कर्मियों को पेंशन का हक
नियोक्ताओं के लिए प्रशासनिक शुल्क को भी 1.10 से घटाकर 0.85 फीसद कर दिया गया है। वित्त मंत्रालय पहले ही संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को न्यूनतम 1000 रुपये की मासिक पेंशन देने के लिए अपनी रजामंदी दे चुका है। श्रम मंत्रालय शीघ्र ही न्यूनतम पेंशन राशि बढ़ाने के इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश करेगा। अभी संगठित क्षेत्र में तकरीबन 44 लाख पेंशनर हैं। इनमें से विधवाओं समेत 28 लाख पेंशनर को एक हजार रुपये से कम मासिक पेंशन मिलती है। परंतु वेतन सीमा बढ़ने से अब इन्हें कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित कर्मचारी भविष्य निधि पेंशन स्कीम 1995 (ईपीएस-95) के तहत हर माह कम से कम 1,000 रुपये की पेंशन मिलने लगेगी। एक हजार रुपये मासिक पेंशन की शुरुआत 1 अप्रैल, 2014 से होगी।
अब गलत खाते में नहीं जाएगी छात्रवृत्ति-पेंशन
हर पेंशनभोगी को एक हजार न्यूनतम मासिक पेंशन सुनिश्चित करने के लिए सरकार को 1,217 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सालाना सब्सिडी देनी पड़ेगी। अभी सरकार स्कीम को तकरीबन 1,400 करोड़ की सब्सिडी देती है। ईपीएस-95 के तहत पेंशन बढ़ाने का प्रस्ताव लंबे अरसे से लंबित था
Thu, 06 Feb 2014
महंगाई की मार झेल रहे नौकरीपेशा व्यक्ति को सेवानिवृत्ति के बाद अब न्यूनतम मासिक पेंशन 1000 रुपये मिला करेगी। वित्त मंत्रालय की सहमति के बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीबीटी) ने इस पर मुहर लगा दी है।
यह योजना 1 अप्रैल 2014 से प्रभावी होगी। सीबीटी के सदस्यों ने इस पहल का स्वागत करते हुए इसमें कुछ संशोधन की भी सिफारिश की है। दरअसल सीबीटी ने न्यूनतम पेंशन तीन हजार रुपये मासिक करने का प्रस्ताव पेश किया था। साथ ही पेंशन को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की सिफारिश भी की गई थी लेकिन वित्त मंत्रालय की असहमति के कारण यह संभव नहीं हो सका। हालांकि बैठक के दौरान श्रम मंत्री आस्कर फर्नांडीस ने कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधियों को भविष्य में इस मुद्दे पर वित्त मंत्रालय से बातचीत करने का आश्वासन दिया है। दूसरी ओर ईपीएफ पेंशन के लिए वेज सीलिंग को 6,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 करने पर भी सहमति बन गई है। एक हजार रुपये न्यूनतम पेंशन करने के लिए वित्त मंत्रालय ने पीएफ खाताधारकों की मौजूदा सुविधाओं में कुछ कटौती करने का सुझाव पेश किया था लेकिन सीबीटी ने इस सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया है। बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि पेंशन पाने को कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र को 58 से बढ़ाकर 60 करने को कहा गया था
बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करने वाले श्रम मंत्री आस्कर फर्नांडीज ने यहां पत्रकारों को बताया कि बोर्ड ने स्कीमों में प्रस्तावित संशोधनों को मंजूर करने का निर्णय किया है ताकि 1,000 रुपये न्यूनतम मासिक पेंशन सुनिश्चित हो सके और वेतन सीमा बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति माह की जा सके.
ईपीएफओ के एक अधिकारी के मुताबिक श्रम मंत्रालय 1,000 रुपये मासिक पेंशन के लिए मंजूरी के वास्ते जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्ताव रखेगा, क्योंकि सरकार को इस उद्देश्य के लिए कोष के प्रावधान करने पड़ेंगे. मंत्री ने कहा कि हमने नियोक्ताओं द्वारा दिए जाने वाले प्रशासनिक शुल्क भी घटा दिए हैं.
वेतन सीमा बढ़ने के सथ उनका बोझ बढ़ेगा. बोर्ड ने प्रशासनिक शुल्क मूल वेतन के 1.10 प्रतिशत से घटाकर 0.85 प्रतिशत करने का भी निर्णय किया है. इसके अलावा, न्यासी बोर्ड ने पेंशनयोग्य वेतन की गणना की पद्धति में प्रस्तावित बदलाव को भी मंजूरी दे दी है.
संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को कम से कम 1000 रुपये की मासिक पेंशन मिलना तय हो गया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के सर्वोच्च निकाय केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में इससे जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। अब इस पर कैबिनेट की अंतिम मुहर लगाने की सिर्फ औपचारिकता बाकी रह गई है। इस फैसले से 28 लाख पेंशनभोगियों को तत्काल फायदा होगा।
केंद्रीय श्रम मंत्री ऑस्कर फर्नाडीस की अध्यक्षता में हुई सीबीटी की बैठक में कर्मचारी भविष्य निधि स्कीम (ईपीएफ) में पेंशन स्कीम ईपीएस-95 से जुड़े संशोधन को भी हरी झंडी दे दी गई। इससे अब मूल वेतन की अधिकतम सीमा मौजूदा 6,500 रुपये से बढ़कर 15,000 रुपये हो जाएगी।
ई-पेंशन प्रणाली लागू
इस स्कीम के तहत सरकार भी पेंशन फंड में मूल वेतन का 1.16 फीसद योगदान करती है। ट्रस्टी बोर्ड ने पेंशनयोग्य वेतन की गणना का तरीका भी बदलने का फैसला किया है। अब पेंशन लायक वेतन की गणना अंतिम 60 माह की औसत सैलरी के आधार पर की जाएगी। फिलहाल ईपीएस-95 के तहत 12 महीने के औसत वेतन के आधार पर यह गणना की जाती है।
दस साल की नौकरी पर बीमा कर्मियों को पेंशन का हक
नियोक्ताओं के लिए प्रशासनिक शुल्क को भी 1.10 से घटाकर 0.85 फीसद कर दिया गया है। वित्त मंत्रालय पहले ही संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को न्यूनतम 1000 रुपये की मासिक पेंशन देने के लिए अपनी रजामंदी दे चुका है। श्रम मंत्रालय शीघ्र ही न्यूनतम पेंशन राशि बढ़ाने के इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश करेगा। अभी संगठित क्षेत्र में तकरीबन 44 लाख पेंशनर हैं। इनमें से विधवाओं समेत 28 लाख पेंशनर को एक हजार रुपये से कम मासिक पेंशन मिलती है। परंतु वेतन सीमा बढ़ने से अब इन्हें कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित कर्मचारी भविष्य निधि पेंशन स्कीम 1995 (ईपीएस-95) के तहत हर माह कम से कम 1,000 रुपये की पेंशन मिलने लगेगी। एक हजार रुपये मासिक पेंशन की शुरुआत 1 अप्रैल, 2014 से होगी।
अब गलत खाते में नहीं जाएगी छात्रवृत्ति-पेंशन
हर पेंशनभोगी को एक हजार न्यूनतम मासिक पेंशन सुनिश्चित करने के लिए सरकार को 1,217 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सालाना सब्सिडी देनी पड़ेगी। अभी सरकार स्कीम को तकरीबन 1,400 करोड़ की सब्सिडी देती है। ईपीएस-95 के तहत पेंशन बढ़ाने का प्रस्ताव लंबे अरसे से लंबित था