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SARKAR KI SLP 1465 KE SATH SLP 29390/2013 NON TET VBTC ATTACH HUI..14 FEB KO DONO LIST KARKE HEARING HOGI.
List these matters on Friday, the 14th February, 2014 alongwith S.L.P.(C)...CC NO. 1465 of 2014 and SLP(C) No. 29390/2013.| (DEEPAK MANSUKHANI)|(M.S. NEGI)
I will check it later on SC website.
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ReplyDeletepathak sahab abhi tumhare wakil bhi na huae aap keh rehe the ki ghabraane ki zarurat na h.this is not good 4 us
ReplyDeleteशुभ प्रभात बंधुओं,
ReplyDeleteसभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
14 फ़रवरी को हमारे न्याय युद्ध का निर्णायक दिन होगा। निरहुआ को कुछ भी समझ नहीं आ रहा है कि ये अकेडमिक वीर और सरकारी वकील जज के सामने अपने पक्ष में क्या दलील देंगें? बहुत सोच-विचार कर जो कुछ दो-एक मुद्दे निरहुआ की समझ में आये हैं वो इस प्रकार हैं, सभी बन्धु अपनी राय अवश्य दें-
**हुजुर,
नक़ल नकलची नाम है नक़ल करके ही करते हैं हम अपना बेड़ा पार,
नक़ल ही रहा है अपना साथी अब तक नक़ल ही है अपना अधिकार,
नक़ल नाम की शुभ महिमा से होगा हम अकेडमिक वीरों का उद्धार,
करबद्ध निवेदन कर रहे आपसे श्रीमन, करलो हमारी slp स्वीकार।।
हे न्यायप्रदाता,
आज आपके सम्मुख हम नकलवीर अपने अस्तित्व को बचा लेने की दुहाई के साथ उपस्थित हुए हैं। हे न्याय के रक्षक ! आप तो जानते ही हैं की नक़ल का इतिहास काफी पुराना रहा है, जब किसी एक आदिमानव ने पत्थरों को आपस में रगड़कर अग्नि पैदा की तब भी बाकी अन्य आदिमानवों ने उसकी नक़ल कर अग्नि पैदा करनी शुरू कर दी। पुरा पाषाण काल में आदिमानव समूह में शिकार करते थे और मिलकर पेट भरते थे वही परम्परा हम आज भी कायम रखते हुए सामूहिक नक़ल गन्ने और अरहर के खेतों में करके सामूहिक रूप से अंक प्राप्त करते रहे हैं, ऐसी एकता और सहयोग नक़ल के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश में आज दुर्लभ है। नक़ल मारना हमारी ऐतिहासिक विशेषता रही है अतः इसे दरकिनार करना उचित नहीं होगा। अब देखिये ना बाबर ने भारत में सर्वप्रथम तोप का प्रयोग किया और हमने तुरंत नक़ल प्रवीणता का उदाहरण देते हुए अगले संग्राम में देशी तोपें मैदान में उतार दीं। तोप तो बहुत दूर की बात है जनाब आज उत्तर प्रदेश के हर घर में मौजूद 'देशी कट्टे' भी तो इंग्लिश पिस्टल की नक़ल का उत्तम उदाहरण है।
हे न्याय के भगवान् ! आप स्वयं सोचिये की बिना नक़ल के तो कोई भी समाज प्रगति ही नहीं कर सकता है, नक़ल से प्रतिस्पर्धा बढती है और समाज में सम्पन्नता आती है। अब देखिये एक नक़ल से कितने फायदे हैं, छात्रों को बढ़िया अंक प्राप्त होते हैं, नक़ल माफियाओं का धंधा भी फलता-फूलता है, दो कमरों के भवन में चल रहे 'विश्वविद्यालय' भी अपना अस्तित्व बनाये रख पाते हैं, पढ़े-लिखे नकलची युवा भारत के अन्य राज्यों में जाकर हमारे उत्तर प्रदेश का नाम भी 'रौशन' करते हैं ज्यादा और क्या कहें नक़ल की सार्थकता तो यहाँ तक है की खुद सरकार हमारा पक्ष आपके सामने रख रही है। आप शायद नहीं जानते की नक़ल मारना भी आसान नहीं होता, गन्ने और अरहर के खेतों में जब सीमित समय में कॉपियाँ लिखनी पड़ती हैं तो नानी याद आ जाती है, कभी चींटी पैंट में घुसकर काट लेती है तो कभी कोई गाय,भैंस या बकरी हमें भी खेत की हरियाली का हिस्सा समझ अपना पेट भरने की कोशिश करने लगते हैं और अगर किसी के खेत में घुसते समय किसी कुत्ते ने देख लिया तब तो शामत ही आ जाती है तब तो सम्पूर्ण समय उस कुत्ते से अपनी प्राण रक्षा में ही बीत जाता है साथ ही बिना ओलम्पिक वी हमें 'मिल्खा सिंह' बना के छोड़ता है। ना जाने कितनी पैंटे खेतों की खुत्थियों ने शहीद कर डालीं सो अलग। अब इतने परिश्रम से अर्जित इन नक़ल प्राप्तांको की तुलना उन कुर्सी टेबल पर बैठकर होने वाली परीक्षा से अर्जित अंको से करना कहाँ तक न्यायसंगत है???
अब ज्यादा ना बोलते हुए बस इतना कहूँगा की नक़ल संस्कृति के हनन से हमारी ऐतिहासिक धरोहर का सर्वनाश हो जायेगा और इसका कलंक आपको लगेगा अतः हे न्यायधीश महोदय हमारी नक़ल परंपरा के ऊपर मंडरा रहे काले बादलों का नाश करते हुए हमारी slp स्वीकार करें।
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