फर्जी बीटीसी शिक्षकों की खुली फाइल,जांच शुरू
UPTET / टीईटी / TET - Teacher Eligibility Test Updates /
Teacher Recruitment News
गाजीपुर : जिलाधिकारी के आदेश के बाद 2006 बैच के फर्जी बीटीसी शिक्षकों की जांच शुरू हो गई है। इस ेसंबंध में शुक्रवार को जांच टीम के सदस्य सीडीओ रामअवतार, डीडीओ सुरेश चंद्र राय और बीएसए संजीव कुमार सिंह ने बैठक की। इसमें जांच के लिए रणनीति बनाई गई। निर्णय हुआ कि शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए जांच टीम द्वारा नियुक्त अधिकारी बोर्ड में खुद जाएंगे, ताकि सत्यापन में कोई गड़बड़ी न हो सके। यह भी तय हुआ कि इस बार जांच को अंजाम तक पहुंचाना है। इसको अंतिम रूप रविवार को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में दिया जाएगा।
वर्ष 2006 में बीटीसी के कुल 1112 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग हुई थी। इसमें छंटने के बाद 927 शिक्षकों की नियुक्ति हुई। शिकायत मिली कि इसमें काफी ऐसे शिक्षक शामिल हैं जिन्होंने फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर मेरिट में स्थान बना लिया है। साजिश के तहत इन फाइलों को गायब करा दिया गया। हालांकि वर्ष 2011 में फाइलें मिलने पर तत्कालीन जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने सीडीओ की अध्यक्षता में जांच टीम गठित कर दी। इसमें डीडीओ और बीएसए को शामिल किया गया था। जांच से फर्जी शिक्षकों में हड़कंप मच गया और इसमें काफी शिक्षक फंसते नजर आए। वहीं अन्य शिकायत के आधार पर जिलाधिकारी ने कई शिक्षकों को बर्खास्त भी किया था। कुछ दिन बाद जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह का तबादला हो गया और जांच भी बंद हो गई। उसके बाद जांच से जुड़ी फाइलों को एक बाक्स में बंद कर जिला बेसिक कार्यालय (विकास भवन) में रख दिया गया। पिछले दिसंबर माह में उस बक्से का ताला तोड़ कर कुछ फाइलें गायब कर दी गईं। इस खबर को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। उसके बाद जिलाधिकारी चंद्रपाल सिंह ने फिर से फर्जी शिक्षकों के जांच के संकेत दिए थे।
सत्यापन के लिए बनेंगी दस टीमें
गाजीपुर : इस बार जांच टीम दूध का दूध और पानी का पानी करने के मूड में है। सत्यापन के लिए सभी शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की स्व हस्ताक्षरित छाया प्रतियां मांगी जाएंगी। सभी बोर्ड के शैक्षिक प्रमाण पत्रों को अलग-अलग किया जाएगा। इसके सत्यापन के लिए दस टीमें बनेंगी। इन टीमों को अलग-अलग बोर्ड में सत्यापन के लिए भेजा जाएगा। ऐसा इसलिए कि सीडीओ की अध्यक्षता में गठित जांच टीम को सीधे बोर्ड में शैक्षिक प्रमाण पत्रों को डाक से भेजकर सत्यापन कराने में भरोसा नहीं है। वहां शिक्षकों की मिलीभगत से गलत सत्यापन करा लिया जाता है। इसकी पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जांच टीम खुद बोर्ड में बैठकर सत्यापन कराएगी।
मोहनपुरवा में संदिग्ध अवस्था में मिली थी फाइलें
गाजीपुर : फर्जी शिक्षकों से जुड़ी 1112 फाइलें मोहनपुरवा स्थित राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के कार्यालय में संदिग्ध अवस्था में 2011 में मिली थीं। इसका खुलासा दैनिक जागरण ने किया था। इसकी जानकारी जिलाधिकारी को हुई तो प्रशासन हरकत में आ गया। तत्कालीन जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने इन संदिग्ध फाइलों को जब्त कर जांच शुरू करा दी थी।
इनसेट..
शैक्षिक प्रमाण पत्रों का होगा सत्यापन
जिलाधिकारी के निर्देश पर जांच शुरू हुई है। पहले सभी शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की स्व हस्ताक्षरित शैक्षिक प्रमाण पत्रों की छाया प्रतिया मंगाई जाएंगी। उसके बाद बोर्ड में भेजकर उनका सत्यापन कराया जाएगा। - संजीव सिंह, बीएसए
News Sabhaar : Jagran (Fri, 14 Feb 2014 07:58 PM (IST))
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गाजीपुर : जिलाधिकारी के आदेश के बाद 2006 बैच के फर्जी बीटीसी शिक्षकों की जांच शुरू हो गई है। इस ेसंबंध में शुक्रवार को जांच टीम के सदस्य सीडीओ रामअवतार, डीडीओ सुरेश चंद्र राय और बीएसए संजीव कुमार सिंह ने बैठक की। इसमें जांच के लिए रणनीति बनाई गई। निर्णय हुआ कि शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए जांच टीम द्वारा नियुक्त अधिकारी बोर्ड में खुद जाएंगे, ताकि सत्यापन में कोई गड़बड़ी न हो सके। यह भी तय हुआ कि इस बार जांच को अंजाम तक पहुंचाना है। इसको अंतिम रूप रविवार को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में दिया जाएगा।
वर्ष 2006 में बीटीसी के कुल 1112 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग हुई थी। इसमें छंटने के बाद 927 शिक्षकों की नियुक्ति हुई। शिकायत मिली कि इसमें काफी ऐसे शिक्षक शामिल हैं जिन्होंने फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर मेरिट में स्थान बना लिया है। साजिश के तहत इन फाइलों को गायब करा दिया गया। हालांकि वर्ष 2011 में फाइलें मिलने पर तत्कालीन जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने सीडीओ की अध्यक्षता में जांच टीम गठित कर दी। इसमें डीडीओ और बीएसए को शामिल किया गया था। जांच से फर्जी शिक्षकों में हड़कंप मच गया और इसमें काफी शिक्षक फंसते नजर आए। वहीं अन्य शिकायत के आधार पर जिलाधिकारी ने कई शिक्षकों को बर्खास्त भी किया था। कुछ दिन बाद जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह का तबादला हो गया और जांच भी बंद हो गई। उसके बाद जांच से जुड़ी फाइलों को एक बाक्स में बंद कर जिला बेसिक कार्यालय (विकास भवन) में रख दिया गया। पिछले दिसंबर माह में उस बक्से का ताला तोड़ कर कुछ फाइलें गायब कर दी गईं। इस खबर को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। उसके बाद जिलाधिकारी चंद्रपाल सिंह ने फिर से फर्जी शिक्षकों के जांच के संकेत दिए थे।
सत्यापन के लिए बनेंगी दस टीमें
गाजीपुर : इस बार जांच टीम दूध का दूध और पानी का पानी करने के मूड में है। सत्यापन के लिए सभी शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की स्व हस्ताक्षरित छाया प्रतियां मांगी जाएंगी। सभी बोर्ड के शैक्षिक प्रमाण पत्रों को अलग-अलग किया जाएगा। इसके सत्यापन के लिए दस टीमें बनेंगी। इन टीमों को अलग-अलग बोर्ड में सत्यापन के लिए भेजा जाएगा। ऐसा इसलिए कि सीडीओ की अध्यक्षता में गठित जांच टीम को सीधे बोर्ड में शैक्षिक प्रमाण पत्रों को डाक से भेजकर सत्यापन कराने में भरोसा नहीं है। वहां शिक्षकों की मिलीभगत से गलत सत्यापन करा लिया जाता है। इसकी पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जांच टीम खुद बोर्ड में बैठकर सत्यापन कराएगी।
मोहनपुरवा में संदिग्ध अवस्था में मिली थी फाइलें
गाजीपुर : फर्जी शिक्षकों से जुड़ी 1112 फाइलें मोहनपुरवा स्थित राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के कार्यालय में संदिग्ध अवस्था में 2011 में मिली थीं। इसका खुलासा दैनिक जागरण ने किया था। इसकी जानकारी जिलाधिकारी को हुई तो प्रशासन हरकत में आ गया। तत्कालीन जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने इन संदिग्ध फाइलों को जब्त कर जांच शुरू करा दी थी।
इनसेट..
शैक्षिक प्रमाण पत्रों का होगा सत्यापन
जिलाधिकारी के निर्देश पर जांच शुरू हुई है। पहले सभी शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की स्व हस्ताक्षरित शैक्षिक प्रमाण पत्रों की छाया प्रतिया मंगाई जाएंगी। उसके बाद बोर्ड में भेजकर उनका सत्यापन कराया जाएगा। - संजीव सिंह, बीएसए
News Sabhaar : Jagran (Fri, 14 Feb 2014 07:58 PM (IST))