कहीं सवाल गलत तो कहीं सवालों के ऑप्शन
(UP TET 2011, Some more question /answers are wrong, Wrong Answer Key)नगर संवाददाता॥ नोएडा
अगर आपने यूपी टीईटी एग्जाम दिया है और इसे पास करके टीचर बनने का सपना देख रहे हैं तो, ध्यान दीजिए। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की लापरवाही आपके सपनों पर भारी पड़ सकती है। 13 नवंबर को हुए एग्जाम में पहले तो परिषद ने छपाई में लापरवाही करते हुए कई गलत सवाल पूछे। इसके बाद रही-सही कसर 15 नवंबर को निकाल दी, जब परिषद ने इंटरनेट पर जारी आंसरशीट में गलत विकल्प को सही करार दिया। ऐसे में सही ऑप्शनों को भरने के बावजूद उम्मीदवारों को अंक घटने का नुकसान उठाना पड़ेगा और तुक्केबाजी में यकीन करने वाले कैंडिडेट आगे निकल सकते हैं।
सवाल ही पूछा गलत
यूपी टीईटी की दूसरी पारी में आयोजित सोशल स्टडीज पेपर (कोड ए) के प्रश्न संख्या 126 में पूछा गया था कि, भारत में 1947 में हुए पहले परमाणु परीक्षण का कोड नाम क्या था। इसके विकल्प में चार ऑप्शन दिए गए थे, जिनमें पहला शक्ति-1, दूसरा टॉरनेडो, तीसरा चगाई और चौथा हंसते हुए बुद्ध हैं। जबकि हकीकत में यह सवाल ही गलत है। क्योंकि भारत 1947 में ब्रिटेन का गुलाम था और उस वक्त भारत के पास परमाणु हथियार नहीं थे। भारत का पहला परमाणु परीक्षण बांग्लादेश युद्ध के बाद 1974 में हुआ था। इसका कोड नेम इसे 'हंसते हुए बुद्ध' था।
ऑप्शन दिए गलत
सवाल नंबर 140 में पूछा गया था कि, संविधान सभा के प्रधान कौन थे। संभावित उत्तर के रूप में भीमराव आंबेडकर, बी. एन. राव, जे. एल. नेहरू और वी. पटेल के विकल्प दिए गए थे। असल में संविधान सभा के प्रधान डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद थे, जिनका नाम दिए गए विकल्पों में नहीं था। ऐसे में अधिकतर उम्मीदवारों ने अपनी सुविधा के अनुसार बी. आर. आंबेडकर समेत कई विकल्पों को चिह्नित कर दिया। सवाल नंबर 143 में पूछा गया कि किसकी सलाह पर राज्य मंत्रिपरिषद की नियुक्तियां होती हैं। विकल्प के रूप में राज्यपाल, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के ऑप्शन दिए गए। परिषद की ओर से इंटरनेट पर जारी किए गए उत्तर में राज्यपाल को सही बताया गया है, जबकि राज्यपाल और राष्ट्रपति संवैधानिक पद हैं और ये किसी को सलाह नहीं देते। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की सलाह पर राज्य मंत्रिपरिषद के लिए सुझाए गए नामों की नियुक्तियां होती हैं।
परिषद की है जिम्मेदारी
इंटरमीडिएट एजुकेशन बोर्ड मेरठ की जॉइंट डायरेक्टर मंजू शर्मा का कहना है कि प्रश्न पुस्तिका और उत्तर कुंजी का निर्माण परिषद की ओर से किया गया है। उनका काम सिर्फ परीक्षा को सही ढंग से संपन्न कराना था , जिसे उन्होंने सही तरीके से अंजाम दे दिया है। अब सवाल - जवाबों को लेकर अगर उम्मीदवारों को गलती लगती हो तो वह परिषद के इलाहाबाद कार्यालय से संपर्क कर सकता है ।
News : Navbharat Times ( 23.11.11)अगर आपने यूपी टीईटी एग्जाम दिया है और इसे पास करके टीचर बनने का सपना देख रहे हैं तो, ध्यान दीजिए। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की लापरवाही आपके सपनों पर भारी पड़ सकती है। 13 नवंबर को हुए एग्जाम में पहले तो परिषद ने छपाई में लापरवाही करते हुए कई गलत सवाल पूछे। इसके बाद रही-सही कसर 15 नवंबर को निकाल दी, जब परिषद ने इंटरनेट पर जारी आंसरशीट में गलत विकल्प को सही करार दिया। ऐसे में सही ऑप्शनों को भरने के बावजूद उम्मीदवारों को अंक घटने का नुकसान उठाना पड़ेगा और तुक्केबाजी में यकीन करने वाले कैंडिडेट आगे निकल सकते हैं।
सवाल ही पूछा गलत
यूपी टीईटी की दूसरी पारी में आयोजित सोशल स्टडीज पेपर (कोड ए) के प्रश्न संख्या 126 में पूछा गया था कि, भारत में 1947 में हुए पहले परमाणु परीक्षण का कोड नाम क्या था। इसके विकल्प में चार ऑप्शन दिए गए थे, जिनमें पहला शक्ति-1, दूसरा टॉरनेडो, तीसरा चगाई और चौथा हंसते हुए बुद्ध हैं। जबकि हकीकत में यह सवाल ही गलत है। क्योंकि भारत 1947 में ब्रिटेन का गुलाम था और उस वक्त भारत के पास परमाणु हथियार नहीं थे। भारत का पहला परमाणु परीक्षण बांग्लादेश युद्ध के बाद 1974 में हुआ था। इसका कोड नेम इसे 'हंसते हुए बुद्ध' था।
ऑप्शन दिए गलत
सवाल नंबर 140 में पूछा गया था कि, संविधान सभा के प्रधान कौन थे। संभावित उत्तर के रूप में भीमराव आंबेडकर, बी. एन. राव, जे. एल. नेहरू और वी. पटेल के विकल्प दिए गए थे। असल में संविधान सभा के प्रधान डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद थे, जिनका नाम दिए गए विकल्पों में नहीं था। ऐसे में अधिकतर उम्मीदवारों ने अपनी सुविधा के अनुसार बी. आर. आंबेडकर समेत कई विकल्पों को चिह्नित कर दिया। सवाल नंबर 143 में पूछा गया कि किसकी सलाह पर राज्य मंत्रिपरिषद की नियुक्तियां होती हैं। विकल्प के रूप में राज्यपाल, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के ऑप्शन दिए गए। परिषद की ओर से इंटरनेट पर जारी किए गए उत्तर में राज्यपाल को सही बताया गया है, जबकि राज्यपाल और राष्ट्रपति संवैधानिक पद हैं और ये किसी को सलाह नहीं देते। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की सलाह पर राज्य मंत्रिपरिषद के लिए सुझाए गए नामों की नियुक्तियां होती हैं।
परिषद की है जिम्मेदारी
इंटरमीडिएट एजुकेशन बोर्ड मेरठ की जॉइंट डायरेक्टर मंजू शर्मा का कहना है कि प्रश्न पुस्तिका और उत्तर कुंजी का निर्माण परिषद की ओर से किया गया है। उनका काम सिर्फ परीक्षा को सही ढंग से संपन्न कराना था , जिसे उन्होंने सही तरीके से अंजाम दे दिया है। अब सवाल - जवाबों को लेकर अगर उम्मीदवारों को गलती लगती हो तो वह परिषद के इलाहाबाद कार्यालय से संपर्क कर सकता है ।
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Merit list affect for a single querstion, therefore selection is wrong if Question is Wrong.
Solution can be -
For Wrong Question - Each candidate get marks, And mistakes should be rectified in answer key.
And reevaluate/re-examine OMR sheeet based on correct Answer Key.
OR
UPTET 2011 Exam only for eligibility, And Highschool, Intermendiate, Degree, B Ed marks can be used for selection.
Whatever be the procedure, Selection should be transparent & fair. Online/ Computerized marksheet should be dispalyed on website uptet2011.com.