जयपुर। नगरीय विकास विभाग ने नियमों को ताक में रख 455 कनिष्ठ अभियंताओं (जेईएन) की अवैध भर्ती कर डाली। वित्त विभाग की स्वीकृत संख्या से अघिक हुई भर्ती से डिप्लोमाधारकों व 60 प्रतिशत से कम अंक वाले डिग्रीधारियों को वंचित रखा गया। राज्य सरकार के नियमों के अनुसार भर्ती के लिए सिविल इंजीनियरिंग वाले डिप्लोमा व डिग्रीधारी दोनों को अवसर देना चाहिए।
साथ ही, 60 प्रतिशत से कम अंक वाले डिग्रीधारी भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के पात्र हैं।
इन नियमों के विपरीत भर्ती 455 में से तो 326 को विभिन्न प्राघिकरण, न्यास, जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन व आवास विकास लिमिटेड आदि में नियुक्ति भी दे दी गई, जबकि वित्त विभाग ने केवल 167 पदों की भर्ती की ही स्वीकृति दी थी। वित्त विभाग की आपत्ति के बाद शेष्ा अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का काम रोक दिया गया। नियमों की अनदेखी के कारण यह अवैध भर्ती प्रक्रिया वित्त विभाग के लिए गले की हड्डी बन गई है।
विभाग के सूत्रों के अनुसार नगरीय विकास विभाग ने पूरी भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर नियुक्त अभियंताओं को बर्खास्त करने या इसे नियमित करने के लिए नियमों में भूतलक्षित प्रभाव से संशोधन करने की वित्त विभाग को सिफारिश की है। जानकारों के अनुसार इन दोनों में से कोई भी सिफारिश मानने पर अदालती अड़चनों के कारण राज्य सरकार की राह मुश्किल हो सकती है।
यूं खुला मामला
वित्त विभाग ने स्वीकृत भर्ती के संबंध में रूटीन में नगरीय विकास विभाग से जानकारी चाही थी। इस पर विभाग की ओर से स्वीकृत संख्या से अघिक संख्या में अभियंताओं की भर्ती व नियमों की अनदेखी के लिए तत्काल आवश्यकता व कार्य की प्रकृति संबंधी कारण गिनाए गए। पत्रावली वापस वित्त विभाग, मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री कार्यालय तक गई। मुख्य सचिव ने इसे गम्भीर अनियमितता मानते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव नगरीय विकास से स्पष्टीकरण मांगा।
मामला अदालत में
भर्ती प्रक्रिया में शामिल नहीं करने को चुनौती देते हुए डिप्लोमाधारक कुछ कनिष्ठ अभियंताओं ने हाईकोर्ट में याचिका लगा रखी है। हाईकोर्ट ने नगरीय विकास विभाग को इन अभियंताओं के आवेदन पर विचार कर उचित आदेश जारी करने के आदेश दिए हैं। ऎसे में विभाग की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
पद स्वीकृत नहीं, फिर भी लगाए अभियंता
जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन 30
आवास विकास लिमिटेड 15
मुख्य नगर नियोजक कार्यालय 8
राजस्थान शहरी ढांचा विकास परियोजना 23
राजस्थान शहरी ढांचा व वित्तीय विकास कंपनी 32
यहां मनमर्जी
स्वीकृत नियुक्त
जयपुर विकास प्राघिकरण 75 123
जोधपुर विकास प्राघिकरण 13 12
नगर सुधार न्यास, उदयपुर 11 15
नगर सुधार न्यास, भिवाड़ी 4 9
नगर सुधार न्यास, अजमेर 7 12
नगर सुधार न्यास, बीकानेर 7 7
नगर सुधार न्यास, अलवर 13 6
नगर सुधार न्यास, भीलवाड़ा 5 9
नगर सुधार न्यास, श्रीगंगानगर 5 5
नगर सुधार न्यास भरतपुर 2 0
नगर सुधार न्यास माउण्ट आबू 2 2
नगर सुधार न्यास, कोटा 21 18
नगर सुधार न्यास, जैसलमेर 2 0
News : Rajasthan Patrika (18.11.11)
यह कायॅ गलत हुआ है सविधान के नियमो के विरुध हुआ इस हैतु सरकार को नियुकत किये गये सभि कनिषठ अभयनताओ को हटा कर व पुनः लिखित परिषा कर नियमो का पालन करना चाहीए और इस सवैधानिक अवैलना के कारण चयन करताओ को दणडित किया जाना चाहिए सत् मैव जयते
ReplyDeleteयह कायॅ गलत हुआ है सविधान के नियमो के विरुध हुआ इस हैतु सरकार को नियुकत किये गये सभि कनिषठ अभयनताओ को हटा कर व पुनः लिखित परिषा कर नियमो का पालन करना चाहीए और इस सवैधानिक अवैलना के कारण चयन करताओ को दणडित किया जाना चाहिए सत् मैव जयते
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