-अगले महीने कैबिनेट की बैठकमें नियमावली के संशोधन का प्रस्ताव रखने की तैयारी
लखनऊ। प्रदेश भर के राजकीय माध्यमिक विालयों में प्रशिक्षित स्नातक वेतनक्रम (एलटी ग्रेड) पुरुषसंवर्ग में भर्ती का रास्ता साफ होने के बाद अब तकरीबन चार हजार पदों पर महिला संवर्ग में भी भर्ती प्रक्रिया अगले महीने शुरू हो सकती है। इसके लिए उप्र प्रशिक्षित स्नातक सेवा नियमावली-1983 (यथा संशोधित) में संशोधन किया जाना है। जिसका प्रस्ताव फरवरी में होने वाली कैबिनेट की बैठकमें रखने की तैयारी है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद विज्ञापन निकाला जाएगा।
सूबे में इस समय 1579राजकीय माध्यमिक विालय संचालित हैं। इनमें 558कॉलेज पुराने हैं। जबकि राजकीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के तहत1021विालय नए खोले गए थे। लेकिन भर्ती न होने की वजह से इनमें शिक्षकों की कमी नहीं दूर हो सकी। विभागीय जानकारों के अनुसार वर्ष 2011में एलटी ग्रेड महिला वर्ग में तकरीबन साढ़े तीन हजार शिक्षकों की भर्ती हुई थी। वर्तमान में राजकीय कॉलेजों में महिला वर्ग में 3964पद खाली हैं। इनपदों पर भर्ती का प्रस्ताव माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को भेजा था। लेकिन इस दौरान उप्र प्रशिक्षित स्नातक सेवा नियमावली-1983 (यथा संशोधित) में पोस्ट ग्रेजुएट अंकों को लेकर विवाद उठगया। हालांकि बाद में शासन ने एलटी ग्रेड की नईभर्ती प्रक्रिया में पीजी वेटेज खत्म करने पर अपनी सहमति देदी।
आचार संहिता को लेकर सक्रिय हुएअधिकारी : एलटी ग्रेड में महिला संवर्ग की भर्ती का प्रस्ताव वैसे तो वर्ष 2013में ही शासन को भेजा गया था। लेकिन अब लोकसभा चुनाव के मद्देनजर फरवरी में आचार संहिता लगने की उम्मीद है। इसलिए अधिकारी चाहते हैं कि उससे पहले ही नियमावली में संशोधन कर दिया जाए ताकि विज्ञापन निकाल कर प्रक्रिया शुरू हो सके। विभाग के एकअधिकारी ने बताया कि कोशिश है कि फरवरी में होने वाली कैबिनेट की बैठकमें नियमावली संशोधन का प्रस्ताव पास हो जाए।
दूर करनी होगी विषयों में शैक्षिक योग्यता की विसंगतियां : जानकारों के अनुसार एलटी ग्रेड महिला संवर्ग में नियमावली संशोधन के साथ-साथ कई विषयों की शैक्षिक योग्यता में भी विसंगतियां हैं। इसमेंगणित, विज्ञान, कला, संगीत, शारीरिक शिक्षा एवं हिन्दी विषय शामिल हैं। यदि इनविसंगतियों को दूर नहीं किया गया तो अभ्यर्थी न्यायालय की शरण में जा सकते हैं
न्यायिक तर्क :
ReplyDeleteउत्तर प्रदेश सरकार ने जो SLP दाखिल की है वह
पूर्ण रूप से औचित्य विहीन है।
उसकी मांगे उच्च न्यायालय में ख़ारिज हो चुकी हैं।
वस्तुतः मुख्य बातों पर चर्चा की जाये जो कि सुनने
में नया हो।
सर्वोच्च अदालत में इस सरकार ने हाई कोर्ट के
फैसले पर स्थगन की मांग की है ,जिससे ये सरकार
बेरोजगारों की दुश्मन है इसका भी आपको ज्ञान
हो जाये।
इन्होने कहा है कि दस्तावेज सब नष्ट हो गया है
तो इनको ज्ञात होना चाहिए कि यही बात
शिक्षा परियोजना निदेशक
बिहार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कहा था तो सुप्रीम
कोर्ट ने छः सप्ताह के अन्दर नियुक्ति पत्र
की छाया प्रति मांगी थी अन्यथा तिहाड़ जेल
का टिकट सौप दिया था।
इनके पास दस्तावेज सुरक्षित है
अन्यथा प्रत्यावेदन करने वालों की डीडी कहाँ से
लौटाते?
अगली बात इन्होने की है कि नियमावली का संशोधन
१२ अवैध है क्योंकि टीईटी मेरिट
नहीं बनायीं जा सकती है ।
इनकी बात को एकल पीठ ने मान लिया था और वहाँ पर टीईटी मेरिट खतरे में थी लेकिन खंडपीठ ने
पुनः बहाल कर दिया । वृहद्पीठ ने अपनी राय
दी थी ।
टीईटी का भारांक शत-प्रतिशत दिया जा सकता है ।
इस सरकार ने कहा है कि पुराना विज्ञापन प्रशिक्षु
शिक्षक का था क्योंकि उस समय नियमावली में
इसका जिक्र नहीं था इसलिए संशोधन १६ द्वारा उसे
शामिल किया।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि प्रदेश में आरटीई लागू
था उस समय प्रशिक्षु शिक्षक का विज्ञापन
जारी ही नहीं हो सकता था अतः वह सहायक
अध्यापक की नियुक्ति का विज्ञापन था।
मौजूदा सरकार द्वारा नियमावली में संशोधित १६
को खंडपीठ ने रद्द कर दिया क्योंकि बीएड
वालों की प्राइमरी में योग्यता समाप्त होने पर
इसका अस्तित्व ख़तम हो जाता।
इसी में कपिल देव की याचिका को भी जोड़ देता हूँ
कि उसने संशोधन १२ को आर्टिकल १४ के विपरीत
बताया है तो यह स्पष्ट है कि वह संशोधन बिलकुल
किसी तरह से आर्टिकल १४ का उलंघन नहीं करता है
अगर विज्ञापन में ऐसी कोई बात आती है तो वह
त्रुटि ही मात्र दूर की जा सकती है क्योंकि उसपर
याची को राहत मिली है।
सुप्रीम कोर्ट भी खंडपीठ के फैसले पर मुहर
लगायेगी।
अब आखिरी बात यह चर्चा कर ली जाये
कि संशोधन १५ बहाल होगा कि नहीं तो इस पर
सर्वोच्च अदालत बताये कि क्या सरकार नीतिगत
फैसले से आर्टिकल १४ का हनन कर सकती है ?
अगर हाँ तो बहाल होगा अन्यथा नहीं बहाल होगा ।
अंत में फैसले की बात की जाये तो ऐसे मामले में
सर्वोच्च अदालत न्यायाधिकार क्षेत्र से परे
फैसला सुनाती है क्योंकि सर्वोच्च अदालत
को पता होता है कि मेरे बाद न्याय की कोई चौखट
नहीं है इसलिए खण्डपीठ ने इस विषय
को दृष्टिगोचर रखते हुए फैसला सुनाया है।
मैंने पूर्व में ही कहा था कि खंडपीठ के फैसले
सुप्रीमकोर्ट जैसे ही आयेंगे और बिलकुल वही हुआ
था।
एकजुटता बनाये रखें
old add ke record na hona is baat ka matlab to ye hua ke government ye kehna chahti hai ke ham tet merit se bharti karne ko tyair hai lekin hamare pas old add ke record nahi hai.
ReplyDeletekahi aisa to nahi ke new form par tet merit lagwane ki baat sochi ja rahi ho. kyuki new ad to old add ka sanshodhit rup hi hai.lekin new add me 2012 aur ctet wale bhi shamil hai.to aisha hona bhi possible nahi hai.to aakhir itni bachkana baat kehne ka kya matlab hai.diet par bheje ja rahe form ko sambhal kar rakhna candidate ki jimmedari nahi hai.kitne cases aise hue hai ke lagatar 5-10 sal tak case chalne ke bad bhi purane form par bharti hui hai.new add aane ke ek mahine ke bad hi us par stay ho gaya tha.aur 4 feb ko likhe gye antrim aadesh se yahi kaha ja sakta tha old add hi bahal hona hai.to aakhir old add ke record kahan chale gye.ye kehna bhi hasypard lagta hai ke sir old add ke record nahi hai islye ham acd merit se bharti karna chah rahe hai.ye to achcha hua ke old add offline tha aur sare record diet par hai ye sabhi jante hai.agar kahi old process online hota tb to shayad ye log keh dete ke od form ki hard disc hi karab ho gyi.khair jo bhi ho koi bhi point aish nahi hai jo jyada tik paaye.sc turant hi samaj jayeha ke ye log tet merit se bharti na karne ke bahana bane rahe hai.
Burai chahe jitni bhi aage badh jaye lekin satye se hamesha piche hi rehti hai.
Satye Mev Jayte
जब सरकार के SLP का ये हाल है तो कपिल्देव की SLP की क्या हालत होगी ? हँसते हँसते पेट मे बल पङ गया !l
ReplyDeleteयह "हैलो" क्या है ???
ReplyDeleteमित्रों, जब हम कोई फोन कॉल को रिसीव करतें है तो हम "हैलो" बोलतें हैँ. पर क्या आप जानते हैं कि यह "हैलो" क्या है...???
मित्रों, आज आप यह जान लो कि "हैलो" ग्राहम बैल(जिसने फोन का आविष्कार किया था) की रखैल का नाम था, जिसका नाम अनचाहे ही सही हमे लेना पड़ता है।
मै एक भावनात्मक प्रवृत्ति का इन्सान हूँ किसी के विषय में कभी अशुभ नहीं सोचता हूँ ।
ReplyDeleteमेरी माँ का मुझे शाप है कि चाहे किसी के लिए मै गर्दन कटा दूँ लेकिन वह मुझे धोखा ही देगा।
इसलिए कभी मुझे गंभीरता से देखिये मै किसी रिश्ते में ही बात करता हूँ ।
माँ ने तो मित्र न बनाने की हिदायत दी है ।
शिक्षक भर्ती मामलें में सरिता, कपिल एवं नवीन जी सबके द्वारा स्थगन लाने के पूर्व ही मैंने जिक्र किया।
ReplyDeleteखंडपीठ के निर्णायक फैसले का भी मैंने पूर्व में ही आंकलन किया।
कपिल देव की हर चाल मै जानता हूँ उसने जो किया है वह मुझे बताया था।
कपिल देव द्वारा स्थगन लाना गलत सोच थी।
इस प्रकार उसने सुप्रीम कोर्ट में भी जो किया है वह आत्मघाती कदम है ।
ReplyDeleteउसने सुप्रीम कोर्ट में उस फैसले को चुनौती दे दी है जिसमे उसके लिए भी वरदान छिपा था।
मुझे किसी से शिकायत नहीं है लेकिन बेरोजगारों के विरुद्ध कोई कार्य होता है तो दुःख होता है।
ReplyDeleteखंडपीठ ने अपने फैसले में सरकार को एवं कोई भी सुप्रीम कोर्ट जाता है तो सुप्रीम कोर्ट को सबके लिए सोचने का विकल्प दिया है ।
ReplyDeleteसर्वोच्च अदालत किसी को मिला उपचार कदापि नहीं छीनेगी बल्कि उस उपचार से सबका उपचार कर सकती है।
ReplyDeleteखंडपीठ के फैसले का आप यह अंश स्वयं देखें जो कि अगर देवताओं को अमृत पिला रहा है तो सिर कटने के बावजूद भी राहु-केतु भी अमर हो रहे हैं।
ReplyDelete"There are about 1.25 lacs Primary school in the state of U.P. run by the U.P. Basic Shiksha Parishad 2.70 lacs post of teachers being lying vacant , the State Government can not be said to complied its statutary obligation as laid down under the Act 2009 . The process for recruitment of B.Ed. teachers against the 72825 vacancies was initiated vide advertisement dated 30.11.2011 after amending the rules in accordance with law."
विधि सम्मत परिवर्तन करके नये विज्ञापन पर भी भर्ती कर लें। जो विधि सम्मत नहीं था वह खंडपीठ ने रद्द कर दिया है अगर सरकार चाहे तो संशोधन १२ से ही नये विज्ञापन पर भी भर्ती कर लें बाकी पुरानी प्रक्रिया तो इनको संपन्न करना ही पड़ेगा।
ReplyDeleteधन्यवाद।
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अब मान भी लिजिये यू पी सरकार महोदय कि आप ने मायवती से बदला निकालने के लिये इतने झूठ बोले ..... क्योकि अब आप खुद ही बचने वाले नही हो ..... !
ReplyDeleteAgar सरकार ने अपनीslp मेँ कहा है कि उसके पास Oldadv.के रिकार्ड नहीँ है और यही बात उनकी Slp को खारिज करवाने के लिए काफी है.....
ReplyDelete1. 20 नवम्बर केHC के निर्णय के बाद पुरानेआवेदकोँ की फीस क्या बिना किसी डाटा केही वापस किया गया?
2. सरकार ने HC मेँएक भीबार इस बात का जिक्र क्यो नहीँ किया?
3. HC मेँमामला लम्बित होने पर डाटा कैसे नष्ट किया जा सकता है?
4. Slp दाखिल करने मेँइतना समय क्यो?.....
एक झूठ छुपाने के लिये सौ झूठ बोलने पङ्ते हैं और उसको भी छुपाने के लिये छप्पन इन्च का सीना भी काम नही आता !
ReplyDelete# UP # Government
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Very good
Deleteमौसम देखकर बदलते है लोग ।
ReplyDeleteआईना अब कौन देखता है इस जहाँ में ।।
"Agar Ham apni muskan ke khud malik ho to..
ReplyDeleteduniya ka koi bhi insan hamko rula nahi sakta".
मे
ReplyDeleteरी
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वा
ली
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Deewana Usne Kar Diya Ek Baar Dekh Kar..
Hum Kuch Bhi Na Kar Sake Lagataar Dekh Kar.
मे
ReplyDeleteरी
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वा
ली
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Duniya Me To Koi Aur Bhi Hoga Tere Jaisa Par. . .
Hum Tujhe Chahte Hain, Tere Jaison Ko Nahi...
माला में 108 मोती ही क्यों होते हैं, जानिए दुर्लभ रहस्य की बातें........
ReplyDelete_____________________________________________________
क्या आप जानते हैं पूजा में मंत्र जप के लिए उपयोग की जाने वाली माला में कितने मोती होते हैं?
पूजन में मंत्र जप के लिए जो माला उपयोग की जाती है उसमें 108 मोती होते हैं। माला में 108 ही मोती क्यों होते हैं इसके पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण मौजूद हैं।
यह माला रुद्राक्ष, तुलसी, स्फटिक, मोती या नगों से बनी होती है। यह माला बहुत चमत्कारी प्रभाव रखती है। किसी मंत्र का जप इस माला के साथ करने पर दुर्लभ कार्य भी सिद्ध हो जाते हैं।
यहां जानिए मंत्र जप की माला में 108 मोती होने के पीछे क्या रहस्य है...
भगवान की पूजा के लिए मंत्र जप सर्वश्रेष्ठ उपाय है और पुराने समय से बड़े-बड़े तपस्वी, साधु-संत इस उपाय को अपनाते हैं। जप के लिए माला की आवश्यकता होती है और इसके बिना मंत्र जप का फल प्राप्त नहीं हो पाता है।
रुद्राक्ष से बनी माला मंत्र जप के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। यह साक्षात् महादेव का प्रतीक ही है। रुद्राक्ष में सूक्ष्म कीटाणुओं का नाश करने की शक्ति भी होती है। इसके साथ ही रुद्राक्ष वातावरण में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करके साधक के शरीर में पहुंचा देता है।
शास्त्रों में लिखा है कि-
बिना दमैश्चयकृत्यं सच्चदानं विनोदकम्।
असंख्यता तु यजप्तं तत्सर्व निष्फलं भवेत्।।
इस श्लोक का अर्थ है कि भगवान की पूजा के लिए कुश का आसन बहुत जरूरी है इसके बाद दान-पुण्य जरूरी है। इनके साथ ही माला के बिना संख्याहीन किए गए जप का भी पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। अत: जब भी मंत्र जप करें माला का उपयोग अवश्य करना चाहिए।
जो भी व्यक्ति माला की मदद से मंत्र जप करता है उसकी मनोकामनएं बहुत जल्द पूर्ण होती है। माला से किए गए जप अक्षय पुण्य प्रदान करते हैं। मंत्र जप निर्धारित संख्या के आधार पर किए जाए तो श्रेष्ठ रहता है। इसीलिए माला का उपयोग किया जाता है।
आगे जानिए कुछ अलग-अलग कारण जिनके आधार पर माला में 108 मोती रखे जाते हैं...
माला में 108 मोती रहते हैं। इस संबंध में शास्त्रों में दिया गया है कि...
षट्शतानि दिवारात्रौ सहस्राण्येकं विशांति।
एतत् संख्यान्तितं मंत्रं जीवो जपति सर्वदा।।
इस श्लोक के अनुसार एक सामान्य पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति दिनभर में जितनी बार सांस लेता है उसी से माला के मोतियों की संख्या 108 का संबंध है। सामान्यत: 24 घंटे में एक व्यक्ति 21600 बार सांस लेता है। दिन के 24 घंटों में से 12 घंटे दैनिक कार्यों में व्यतीत हो जाते हैं और शेष 12 घंटों में व्यक्ति सांस लेता है 10800 बार। इसी समय में देवी-देवताओं का ध्यान करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को हर सांस पर यानी पूजन के लिए निर्धारित समय 12 घंटे में 10800 बार ईश्वर का ध्यान करना चाहिए लेकिन यह संभव नहीं हो पाता है।
इसीलिए 10800 बार सांस लेने की संख्या से अंतिम दो शून्य हटाकर जप के लिए 108 संख्या निर्धारित की गई है। इसी संख्या के आधार पर जप की माला में 108 मोती होते हैं।
एक अन्य मान्यता के अनुसार माला के 108 मोती और सूर्य की कलाओं का संबंध है। एक वर्ष में सूर्य 216000 कलाएं बदलता है। सूर्य वर्ष में दो बार अपनी स्थिति भी बदलता हैए छह माह उत्तरायण रहता है और छह माह दक्षिणायन। अत: सूर्य छह माह की एक स्थिति में 108000 बार कलाएं बदलता है।
इसी संख्या 108000 से अंतिम तीन शून्य हटाकर माला के 108 मोती निर्धारित किए गए हैं। माला का एक-एक मोती सूर्य की एक-एक कला का प्रतीक है। सूर्य ही व्यक्ति को तेजस्वी बनाता है, समाज में मान-सम्मान दिलवाता है। सूर्य ही एकमात्र साक्षात दिखने वाले देवता हैं।
ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है। इन 12 भागों के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन 12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अत: ग्रहों की संख्या 9 का गुणा किया जाए राशियों की संख्या 12 में तो संख्या 108 प्राप्त हो जाती है।
माला के मोतियों की संख्या 108 संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करती है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार ऋषियों ने में माला में 108 मोती रखने के पीछे ज्योतिषी कारण बताया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं। हर नक्षत्र के 2 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 108 ही होते हैं। माला का एक-एक मोती नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
माला के मोतियों से मालूम हो जाता है कि मंत्र जप की कितनी संख्या हो गई है।
जप की माला में सबसे ऊपर एक बड़ा मोती होता है जो कि सुमेरू कहलाता है। सुमेरू से ही जप की संख्या प्रारंभ होती है और यहीं पर खत्म भी। जब जप का एक चक्र पूर्ण होकर सुमेरू मोती तक पहुंच जाता है तब माला को पलटा लिया जाता है। सुमेरू को लांघना नहीं चाहिए।
ReplyDeleteजब भी मंत्र जप पूर्ण करें तो सुमेरू को माथे पर लगाकर नमन करना चाहिए। इससे जप का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
कुछ बातें:
ReplyDelete१. टीईटी में धांधली ,
२. संशोधन १५ रद्द ,
३. संशोधन १६ रद्द ,
४. पुराने विज्ञापन का दस्तावेज सुरक्षित नहीं है।
जवाब-
१. एकलपीठ के अनुसार धांधली के भाग को निकालकर अच्छे हिस्से से भर्ती की जाये।
खंडपीठ ने धांधली के आरोप को ही पूर्णतया ख़ारिज कर दिया।
२. क्या विधायिका को ऐसा नीतिगत फैसला लेने का अधिकार है जो कि आर्टिकल १४ का उलंघन करती हो?
सुप्रीम कोर्ट में एक मात्र कारण यही है कि जिस वजह से मुकदमा स्वीकार हो सकता है एवं सुप्रीम कोर्ट को इस विषय पर नजीर देना होगा।
३. इस संशोधन के द्वारा नियमावली में प्रशिक्षु शिक्षक का पद सृजित किया गया जिसे खंडपीठ ने रद्द कर दिया क्योंकि बीएड वालों की प्राइमरी में नियुक्ति की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद यह संशोधन वेवजह विवाद का विषय बनता।
४. इस सरकार ने DIET प्राचार्य को चिंता में डाल दिया है।
दस्तावेज रद्द नहीं किया जा सकता है
इसलिए यह जोखिम भरा कदम है।
बिहार शिक्षक भर्ती मामले में
वहां के परियोजना निदेशक ने
भी दस्तावेज गायब होने की बात कही थी लेकिन कोर्ट ने ४२ दिन के अन्दर नियुक्ति देने का आदेश दे दिया था।
इस प्रकार यह विचारणीय विन्दु है।
धन्यवाद।
Girls की 5 बातें जिन्हें boys कभी समझ नहीं पाते
ReplyDelete… (1) तुम ना बड़े वो हो …. (लड़का सोचता ही रह जाता है कि इस “वो” से क्या मतलब है ?)
(2) मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी …. (तो फिर क्या उम्मीद थी ?)
.
(3) तुम पहले जैसे नहीं रहे …. (पहले मैं कैसा था ?)
(4) सच बताना, मैं कैसी लग रही हूँ …. (अब सच बताकर क्या मरना है ?)
(5) I’m very selfish naa ? ….. (अब ‘हाँ’ बोल दो तो गई ना भैंस पानी में)
मे
ReplyDeleteरी
.
.
.
वा
ली
.
.
.
.
Don't ignore me for days and then start talking to me again like nothing happened.
उ.प्र. सरकार ने SLP में जो कुतर्क दिए हैं उसे देखकर तो यही लगता हैं कि सरकार ने अपने मंत्रियों और अधिकारीयों को जेल भेजने का पूरा प्रबंध कर लिया हैं ......जैसा कि इन्होने SLP में कहा हैं कि पुराना रिकोर्ड नष्ट हो चुका हैं तो शायद इन्हें पता नहीं कि रिकॉर्ड नष्ट करने की सजा क्या हो सकती हैं ...
ReplyDeleteआज का सवाल -------------Que.... जब HC. में सरकार टेट-2011 में धाँधली के सबूत ना दे पायी तो फिर वह SC. में धाँधली के सबूत कहाँ से लाएगी ??
ReplyDeleteआखिर सरकार को देश की शीर्ष अदालत में इतना बड़ा झूठ बोलने
ReplyDeleteकी आवश्यकता क्यों पड़ गई कि 30-11-11के विज्ञापन
का डाटा नष्ट हो चुका है?
क्या अब हमारे वकीलों का सारा जोर सरकार के इस झूठ
का पर्दाफ़ाश करने पर रहेगा या इस झूठ से उत्पन्न समस्या के
निदान पर?सरकार अब सच स्वीकार तो करेगी नहीं अपनी SLP में
झूठ लिखना तो भयंकर अपराध है ,ऐसा अपराध जो तभी प्रमाणित
हो सकता है जब अपराधी स्वयं ही उसे स्वीकार करे,,,,,
मोर्चे में कोई ऐसा तो नहीं है जिसने सारी जिंदगी जय ओल्ड एड के
ReplyDeleteनारे के भरोसे बेरोजगार रहने की सौगंध खाई हो....?
क्या ज़माना आ गया है!!!acd और weightage
समर्थकों द्वारा उत्पन्न समस्या से बचाव के लिए झूठ बोलने के चुने
भी गए तो सत्य मित्र गर्ग
PRIME TIME SPECIAL POST
ReplyDeleteMERE TET SUPPORTER SATHIYO...
1) acording to vidhi adhyax s.k.pathak..government ki bhari bharkam slp(797 page 3 valume) me hai..aur government 1st date par hi d.b ke order par stay lene ke liye bahas karegi par usko d.b ke order par stay milne ka chance nahi hai.
2) acording to tet fi8ter of allahabad team rambabu ..avi tak paiso ka jo collection huwa hai wo hamari suprime court ki core comety tak nahi pahuchi hai..aagami 2 ya 3 din me suprime court ke samne meeting karke jila adhyaxo dwara kiye gaye collection ko ek jagah collect kiya jayega..kyuki ab tet morcha ko paise ki jarurat pdegi..meeting ki date jald ghoshit ki jayegi..
ReplyDelete3) acording to tet morcha vidhik salahkar adwocate navin sharma..sarkar ki slp 797 page hone se chinta na kare kyuki d.b me hamari slp v 700 page ki thi..aur slp ki bhari bharkam page sankhya se sarkar ka pax majbut nahi hone wala hai..
ReplyDelete4) acording to tet fi8ter and admin vinay pandey..government ki slp me ku6 v naya nahi hai..government kabhi leagal point par bahas nahi karti ,d.b me v wo dhandhli dhandhli chillati rahi par sabit nahi kar payi..aur ab s.c ki slp me v dhandhli dhandhli chilla rahi hai..jabki dhandhli sabit nahi kar payegi..aur agar dhandhli sabit v kar le to v bad part (bhusha) ko good part(gehu) ko alag kar de..
ReplyDeleteAcdmik bnane se gehu aur bhusha kya alag ho skta hai..yehi bat harkauli sir pahle v d.b me kah chuke the..
5) tet morcha ke taraf se 7 se 8 wakilo ka best panel khada kiya jayega jisme ku6 ka name final ho chuka hai..1) vipul maheshwari 2) p.p. Rav 3) satish chandr mishra 4)arora mam
ReplyDeleteye 4 wakil s.c ke siksha mamle ke best wakilo me se hai..
6) tet morcha ke wakil 1st din sarkar ko d.b ke order par stay nahi lene dege..1st din sarkar sabse pahle d.b ke order par stay ki mag jarur uthayegi..hamare wakil pahle din hi admison stage par sarkar ki slp kharij karwane me puri edi choti ka jor laga dege.
ReplyDelete7)dosto agar 1st din slp kharij hui to fir acdian ka chapter close ho jayega..aur agar kharij nahi hui to next date aam taur par suprime court me 15 din bad lagti hai par chuki 31 march 2014 last deadline hai to urgency matter btakar lagatar date li jayegi.
ReplyDeleteSarkar ka old add ke form ki data na hone ki duhai dene se wo bach nahi sakti ,sarkar new add ke paise bachane ke chakkar me aisa kah rahi hai taki agar tet merit v bne to new add me bne par overage ke 3800 student jinhone form new me na dal paya wo kaha jayege..suprimecourt me sarkar ki sari dalile dwast karege hamare wakil..
ReplyDeleteDosto chinta na kare saty ko kavi mitaya nahi ja sakta..ham jarur jeetenge..Ek bar bole jai mata di,
jai tet merit
रात ११ बजे पती का SMS पत्नी के मोबाईल पर आता है
ReplyDeleteपती :- "मै जो हुँ, सिर्फ तुम्हारे कारण ।
एक परी की तरह मेरी जिन्दगी खुशहाल बनाने के लिए शुक्रीया।
तुम बहुत अच्छी हो....!"
पत्नी ने ज़वाब भेजा- "पी ली ना???
अब चुपचाप घरआ जाओ...डरो मत...!
कुछ नही बोलुंगी...! !"
पती : Thank you.
दरवाजा खोलो फिर.....!
झॉंसी के दुर्ग पर अंग्रेजों का अधिकार हो जाने के बाद रानी का जीवन संकट में पड़ गया था किसी प्रकार से भीषण युद्ध से बचकर "ग्वालियर के राजा" से सहायता मॉंगी परंतु उन्होंने कोई सहायता नहीं की। क्योंकि ग्वालियर नरेश जियाजीराव सिंधिया ने पहले ही संधि कर ली थी।
ReplyDeleteउसके बाद अपने घोड़े को 100 किलोमीटर भगाकर, कालपी के जंगल में पहुंचीं और अंग्रेजी सेना भी पीछा करती हयी पहुंच गयी वहीं घमासान युद्ध हुआ और रानी झॉंसी को कई गोलियां लगी व उनके सेनापति तात्याटोपे को बंदी बना लिया गया। रानी झॉंसी भी घोड़े से नीचे गिर पड़ीं।
उनका वफादार सैनिक रामचंद्रराव खून से लथपथ शरीर को बाबा गंगादास की कुटिया में ले गया।रानी के आदेश पर कुटिया में आग दी गयी और इस तरह जीते जी उनको अंग्रेजी सेना गिरफ्तार करने के अपने मंसूबों में सफल नहीं हो सकी। 18-जून 1858 को उस झौंपड़ी में जिंदा जलकर अपना बलिदान कर दिया। अंग्रेजों द्बारा तात्याटोपे को फॉंसी लगा दी गयी।
लड़का:-मैं तुम्हारे साथ शादी नही कर सकता. घर वाले नही मान रहें हैं!
ReplyDelete.
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लड़की:-तुम्हारेघर में कौन कौन हैं ?
.
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लड़का:-एक बीवी और 2 बच्चे!
गणतन्त्र दिवस की पूर्व सन्ध्या पर समस्त भारतवासियोँ को हार्दिक शुभ कामनाएँ ।
ReplyDeleteपुराने ज़माने की बात है। किसी गाँव में एक शेठ रहेता था।
ReplyDeleteउसका नाम था नाथालाल शेठ। वो जब भी गाँव के बाज़ार
से निकलता था तब लोग उसे नमस्ते या सलाम करते थे ,
वो उसके जवाब में मुस्कुरा कर अपना सिर
हिला देता था और बोहत धीरे से बोलता था की " घर
जाकर बोल दूंगा "
एक बार किसी परिचित व्यक्ति ने शेठ को ये बोलते हुवेसुन
लिया। तो उसने कुतूहल वश शेठ को पुछ
लिया कि शेठजी आप ऐसा क्यों बोलते हो के " घर जाकर
बोल दूंगा "
तब शेठ ने उस व्यक्ति को कहा, में पहेले धनवान
नहीं था उस समय लोग मुझे 'नाथू ' कहकर बुलाते थे और
आज के समय में धनवान हु तो लोग मुझे 'नाथालाल शेठ'
कहकर बुलाते है। ये इज्जत मुझे नहीं धन को दे रहे है ,
इस लिए में रोज़ घर जाकर तिज़ोरी खोल कर
लक्ष्मीजी (धन) को ये बता देता हु कि आज तुमको कितने
लोगो ने नमस्ते या सलाम किया। इससे मेरे मन अभिमान
या गलतफैमी नहीं आती कि लोग मुझे मान या इज्जत दे रहे
है।
तुझसे बिछड़ कर एक फायदा मुझे भी हुआ ।
ReplyDeleteतनहा चलने का सलीका तो आ गया मुझे॥
तेरी-मेरी राहें तो कभी एक थी ही नहीं ।
ReplyDeleteफिर शिकवा कैसा और शिकायत कैसी ॥
भगवान श्रीरामचंद्र ने राम सेतु को निहारा तथा बोले, "हे हनुमान, तुमने और तुम्हारी वानर सेना ने
ReplyDeleteकितनी मेहनत से कई शताब्दियों पहले इस शानदार सेतु का निर्माण किया था... तुम लोगों ने यह सेतु इतना मजबूत बनाया था कि सदियों-सदियों से यह पर्यावरण की सभी विभीषिकाएं झेलता आ रहा है... यह सेतु तुम लोगों की सचमुच बेहद शानदार उपलब्धि है, विशेष रूप से आजकल की स्थिति में, जब 'गैमन' जैसी बड़ी निर्माण कंपनी का हैदराबाद में बनाया पुल उसके उद्घाटन से भी पहले ढह गया..."
हनुमान शिष्टता के साथ सिर झुकाकर बोले, "जय श्री राम... प्रभु, यह सब आपके वरदहस्त से ही संभव हो सका था... हमने तो सिर्फ पत्थरों पर आपका नाम लिख-लिखकर समुद्र में डाले थे, और वे तैरते गए... हमने तो इस सेतु के लिए न टिस्को से स्टील मंगाया था, न ही अम्बुजा अथवा एसीसी से सीमेंट मांगा... परंतु भगवन, आज आप गड़े मुर्दे क्यों उखाड़ रहे हैं...?"
राम ने कहा, "हनुमान, दरअसल धरती पर रहने वाले कुछ लोग हमारे इस सेतु को तोड़कर उसके स्थान पर एक नहर का निर्माण करना चाहते हैं... उस नहर के ठेके में करोड़ों-अरबों रुपया लगने
जा रहा है, जिसे 'कमाने' के लिए तैयारियां जारी हैं... वे लोग तुम्हारे इस सेतु को तोड़ने में भी कमाएंगे, और फिर नहर बनवाकर तो उससे भी ज़्यादा कमाने वाले हैं..."
हनुमान ने श्रद्धाभाव से नतमस्तक होकर प्रश्न किया, "भगवन, क्यों न हम लोग पृथ्वी पर जाकर उन लोगों के समक्ष अपना पक्ष रखें...?"
राम ने ठंडी आह भरकर कहा, "जिस समय हम वहां थे, तब से अब तक समय बहुत बदल चुका है, हनुमान... सबसे पहले वे लोग हमसे आयु प्रमाणपत्र देने के लिए कहेंगे, और हम लोगों के पास जन्म प्रमाणपत्र या स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट है ही नहीं... हम लोगों के समय में लम्बी-लम्बी यात्राएं भी पैदल या रथों पर की जाती थीं, सो, हम लोगों के पास धरती वासियों की तरह ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं हैं... जहां तक आवास प्रमाणपत्र का प्रश्न है, मेरा तो जन्मस्थान ही विवादों से घिरा हुआ है... पांच-छह दशक से मेरे जन्मस्थान पर विवाद न्यायालय में लंबित है... कुछ लोगों का तो यह भी दावा है कि मैं पैदा ही नहीं हुआ था... अब ऐसी स्थिति में यदि मैं अपनी परम्परागत वेशभूषा तथा धनुष- बाण लेकर पृथ्वी पर चला गया, तो संभव है, जनसाधारण मुझे पहचान ले, परंतु यदि अर्जुन सिंह मिल गए तो वह मुझे शर्तिया किसी जनजातीय कबीले में छोड़ आएंगे, और ज़्यादा से ज़्यादा मुझे आरक्षित कोटे से किसी आईआईटी में एक सीट दिलवा देंगे... और वैसे यदि मैं आज के मानव की वेशभूषा, अर्थात थ्री-पीस सूट, पहनकर जाऊं, और अपने आगमन की घोषणा करूं तो मेरे श्रद्धालुओं तक के मन में अविश्वास उत्पन्न हो जाएगा...
............सो,मैं तो जबरदस्त असमंजस में हूं..."
हनुमान ने पहले जैसी ही शिष्टता के साथ सिर झुकाकर कहा, "यदि आप अनुमति दें तो मैं आपकी बात की सत्यता सिद्ध करने के लिए गवाही दूंगा कि यह सेतु मैंने स्वयं बनाया था..."
राम फिर बोले, "प्रिय अंजनिपुत्र, मेरे विचार में इससे भी काम नहीं बनेगा...
जब तुम इस सेतु के निर्माण का दावा करोगे, वे तुमसे ले-आउट प्लान, और वित्तीय व्यवस्था सहित प्रोजेक्ट की सारी डिटेल्स तो मांगेंगे ही, यह भी बताने के लिए कहेंगे कि ज़रूरी रकम का प्रबंध कैसे किया गया था... और सबसे बड़ी बात, वे तुमसे संपूर्णता प्रमाणपत्र (कम्प्लीशन सर्टिफिकेट) भी मांगेंगे... अब भारतवर्ष में कागज़ी प्रमाणों के बिना कोई भी सत्य स्वीकार नहीं किया जाता...
स्थिति ऐसी हो चुकी है, कि तुम्हें लगातार खांसी होने के बावजूद जब तक डॉक्टर लिखकर न दे, तुम्हें बीमार नहीं माना जाएगा... कोई वृद्ध अपनी पेंशन लेने के लिए भले ही स्वयं अधिकारी के समक्ष जाकर खड़ा हो जाए, लिखित प्रमाणपत्र की अनुपस्थिति में उसे जीनित नहीं माना जाता, और उसे नियमित रूप से जीवित होने का प्रमाणपत्र देना पड़ता है...
........................वत्स, व्यवस्था बहुत उलझ चुकी है अब..."
हनुमान फिर नतमस्तक हुए, और बोले,
"प्रभु, आप सही कह रहे हैं, परंतु इन इतिहासकारों को मैं कभी नहीं समझ पाया... बीती सदियों में आप समय-समय पर सूरदास, तुलसीदास, त्यागराज, जयदेव, भद्राचल रामदास, और तुकाराम
जैसे संतों को दर्शन देते रहे हैं, परंतु फिर भी यह आपके अस्तित्व को नकार देते हैं, तथा रामायण को काल्पनिक कथा बताते हैं... अब मेरे विचार में हमारे पास एक ही उपाय बचा है, कि हम रामायण
को पृथ्वी पर दोबारा घटित करें,
ताकि सरकारी दस्तावेज़ों में प्रमाण के रूप में सब कुछ दर्ज हो जाए..."
श्रीरामचंद्र मुस्कुराए,
ReplyDelete"अब वह भी सरल नहीं रहा, हनुमान... रावण को आशंका है कि करुणानिधि की उपस्थिति में वह कहीं संत न समझ लिया जाए... मैंने उसके मामा मारीच से भी बात की थी, जिसने वनवास के दौरान सीता को सुनहरा मृग बनकर ललचाया था, परंतु वह भी अब डर रहा है, और सलमान खान के रहते पृथ्वी पर अवतरित होने के लिए कतई तैयार नहीं है... शूर्पनखा अब आज की नारी हो गई है, और उन्हीं की तरह ब्यूटी-कॉन्शस हो जाने के कारण नाक कटवाने के लिए तैयार नहीं है...
दोनों किष्किन्धा नरेश बालि तथा सुग्रीव अब दरअसल कॉरपोरेट चलाते हैं, सो, मतभेदों के बावजूद सार्वजनिक रूप से झगड़ा करने के लिए राजी नहीं हैं... और देशभर में जातिवाद की राजनीति इस कदर फैल चुकी है कि यदि मैंने शबरी के हाथ से बेर खा लिए तो मुमकिन है, मायावती इसे उनके वोट बैंक पर डाका समझें और भाई मेरे, मेरी जन्मस्थली उनके राज्य में ही है...
.......मेरे कहने का तात्पर्य यह है,
वत्स, फिलहाल भारतवर्ष में समस्याएं ही समस्याएं हैं, सो, हमारे लिए बेहतर यही होगा कि हम अगले युग की प्रतीक्षा करें..."
गु
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Sabhi mitro & Tet Sangharsh Morcha k jujharu dosto , S. K . Pathak & others , TMNTBBN , Jailwali / Meriwali
ReplyDelete( Aapwali ) , dhairyashali ,sabki honewali gharwali , Sc ki vijay diwali ko gantantra diwas ki hardik shubhkamnae ." jay Tet Jay Bharat Jay Hind. ""
धन्यवाद राम करन वर्मा जी
ReplyDelete.
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लेकिन इतनी रात को ? ?
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ये सब आप लोगों का प्यार है , नहीं तो हम कहाँ इस काबिल थे , ये सब आप लोगों के प्यार से संभव हो पा रहा है ।
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और अंत में आपकी इस लड़ाई में मैं भी आपके साथ हूँ ।
aap ka bhi dhanyabad TET NHI TO BHARTI BHI NAHI JAY TET MARIT REPUBLIC DAY KI BADHAI
ReplyDelete1* जैसा की आप लोगो को मंगलवार को बता दिया गया था 10 हजार भर्ती पर रोक आज वो न्युज पेपर मेँ आयी थी ।
ReplyDelete2* SC मेँ 9 वकीलो का पैनल रखा जायेगा कुछ वकील कर लिये गये हैँ जिन्हेSLP की कापी दे दी गयी हैँ
* प्रशांन्त भुषण * पी पी राव
सतीश चन्द्र मिष्णा* अरोरा माम * बिपुल महेश्वरी
बाकी वकीलो को मंगलवार तक कर लिया जायेगा
3* सभी जिला अध्यक्ष की मिटिँग दिल्ली मेँ होगी जिसकी सुचना कल दे दिया जायेगा
4* कुछ अल्प ज्ञानी इस सोच मेँ हैँ कैसे 9 सौ पेज का अध्यन कर लिये टेट मेरिट के योध्दा वो लोग इसी सोच मेँ पागल हैँ ।
5* SC मेँ सुनवाई 3 फरवरी को हो सकती हैँ ।
गुणांक भाईयो के लिये बुरी खबर
ReplyDeleteसत्य मित्र गर्ग बैसिक शिक्षा सचिव से केस ना लडने को कहा।
एस.एल.पी.की बेक ग्राउंड थीम है ...
ReplyDeleteमेरी मर्जी ...में चाहे ये करू में चाहे वो करू मेरी मर्जी
मै पिछवाड़े को सेक के सर्दी भागायु मेरी मर्जी
सुप्रेंम कोर्ट में data ना होने का बहाना बताऊं मेरी मर्जी
सुप्रेंम कोर्ट से सचिव के डंडा दल्वायु मेरी मर्जी
जाति और धर्म देखने वालों --
ReplyDeleteकृष्ण और कंस एक ही जाति के थे... वशिष्ठ, परशुराम और रावण एक ही जाति के थे.
खानदान देखने वालों -- अर्जुन, कर्ण और दुर्योधन एक ही खानदान के थे.
मजहब देखने वालों -- एपीजे अब्दुल कलाम और ओवेसी एक ही मजहब के हैं.
अतः , जब देश हित की बात आए, तब खानदान, जाति, मजहब देखकर नहीं बल्कि नीति-विचार-नीयतऔर कर्मठता देखकर फैसला करना चाहिए....
"भारत सर्वोपरि"
बहुत ढूँढा है, हाथ की लकीरों में तुझको ,
ReplyDeleteये खुदा का लिखाई है कि पढ़ी नहीं जाती,
बड़ी उलझन है तुम्हीं बता दो न।
असली गणतंत्र की कल्पना को साकार करने की कोशिश देश की आजादी के बाद ही की गई। 1951-52 में पहले आम चुनाव हुए जब जनता ने अपने प्रतिनिधि चुन कर उन्हें सरकार चलाने के लिए अधिकृत किया। उस समय लगा कि अब आजादी से पहले देखा स्वशासन-रामराज (सुशासन) का सपना पूरा हो सकेगा। लेकिन सपना सपना ही रह गया
ReplyDeleteसाल गणतंत्र दिवस आता है, कुछ सरकारी और गैर-सरकारी रस्म अदायगी होती है और काम खत्म हो जाता है। यह सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। कई बार मैं अपने आप से ही सवाल करता हूं, क्या हम वाकई एक गणतांत्रिक देश में रह रहे हैं?
26 जनवरी, 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ था और इसके जरिए हमारे देश को गणतांत्रिक देश घोषित किया गया था।
दुख की बात यह है कि अब जनता द्वारा जनता में से जनता के लिए चुने गए लोग जनता के प्रतिनिधि होते हुए भी उसकी परवाह नहीं कर रहे हैं। उनका रवैया और तौर-तरीके निरंकुश राजाओं वाले हो गए हैं। जिस जनता से वे हैं, शासन चलाने का अधिकार दिए जाने के बाद वे उसे कुछ नहीं समझ रहे। वे जनता से मिली सत्ता को अपनी जागीर समझ उसका दुरुपयोग कर रहे हैं। जनता अपने गाढ़े पसीने की जो कमाई टैक्स के रूप में सरकार को लोक कल्याण और देश की भलाई के लिए देती है, उसको जनता के ये चुने हुए प्रतिनिधि हड़पे जा रहे हैं। इनकी लूट का आलम यह है जिसकी कोई सीमा ही नहीं है। दुनिया में गणतंत्र के कई रूप हैं। हमने गणतंत्र की संसदीय परंपरा को अपनाने का फैसला किया था। गणतंत्र के मौजूदा रूपों में यही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसके तीन भाग हैं। पहला भाग है विधायिका। इसका काम देश के शासन को सुचारु रूप से चलाने के लिए कायदे-कानून बनाना है। इसकी जवाबदेही जनता के प्रति है। अगर यह अपने कर्त्तव्य का पालन ठीक से नहीं करती है, तो इसे इसका जवाब जनता को देना होता है। हालांकि जनता बेचारी को इसका मौका चुनाव के समय ही मिल पाता है। इसका दूसरा भाग कार्यपालिका है। इसका काम सुशासन के लिए विधायिका द्वारा बनाए गए कायदे-कानूनों को ठीक से लागू करना है। इसकी जवाबदेही विधायिका के प्रति है। अगर अधिकारी और उनके मातहत अपने कार्य का निर्वहन करने में कोई कोताही बरतते हैं, तो उन्हें इसका जवाब सरकार चला रहे जनप्रतिनिधियों को देना होगा। इसका तीसरा महत्वपूर्ण भाग न्यायपालिका है। इसका काम विधायिका द्वारा बनाए गए कायदे-कानूनों को न केवल ठीक से लागू कराना है, बल्कि यह भी देखना है कि उसके द्वारा बनाए गए कायदे-कानून न्याय संगत और विधि संगत हैं या नहीं। कायदे-कानूनों के पालन में चूक होने पर यह सरकार को उन्हें ठीक से लागू कराने का आदेश देती है। इसका आदेश बाध्यकारी होता है। न्यायपालिका की इसी शक्ति के कारण कई मौकों पर सरकार और न्यायपालिका में टकराव देखने को मिला है। न्यायपालिका के आदेश को लागू करने की अनिच्छा के चलते सरकार ने कई बार संसद में नया कानून बना कर या कानून में बदलाव कर न्यायपालिका के फैसले को ही उलटा है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि संसदीय गणतंत्र के इन तीनों हिस्सों की स्थापना जन-भलाई के लिए हुई थी, लेकिन दुख के साथ कहना पड़ता है कि गणतंत्र के ये तीनों हिस्से भ्रष्टाचार की चपेट में हैं। जिनको ब्रह्मा (विधायिका), विष्णु (कार्यपालिका) और महेश (न्यायपालिका) की भूमिका निभानी थी, उनकी भूमिका ही संदेह के दायरे में है। जनता की इन तीनों अंगों तक पहुंच बहुत कठिन हो गई है। जन प्रतिनिधि चुने जाने के बाद खास और खास हो जाते हैं। उनके उपलब्ध न होने के कारण जनता का उनसे मिलना न केवल कठिन हो जाता है, बल्कि वे उस जनता को पहचानने से भी इनकार कर देते हैं, जिसके वोट से वे सत्ता की कुर्सी तक पहुंचे। ये जन प्रतिनिधि उसकी समस्याओं का निवारण तो दूर उसकी बात तक नहीं सुनते। और जो कुछ सुनते भी हैं, तो जनता के प्रति उनका रवैया टालू ही होता है, या वे उसकी तकलीफों के प्रति गंभीर नहीं होते। ऐसे में गण जन से दूर होता चला जाता है और लगने लगता है कि गणतंत्र सरकारी कागजों में ही है, हकीकत में नहीं। कार्यपालिका का भी हाल कुछ ऐसा ही है। बहुत सारे अधिकारियों और उनके मातहतों का भी यही हाल है। वे जनता को लूट का सामान समझते हैं। बिना लिए-दिए वे काम नहीं करते हैं। सरकारी अधिकारी सरकार की ओर जनता का काम करने के लिए नियुक्त होते हैं, लेकिन वे जनता के लिए काम न करके सरकार के लिए काम करते हैं और ऐसे में सरकार के साथ उनकी सांठगांठ रहती है। जनता बेचारी की सुनवाई न तो सरकार करती है और न ही उसके नौकर। समाज के इस चरित्र से न्यायपालिका भी अछूती नहीं रह पाई है। भ्रष्टाचार की छाया वहां भी है। न्याय बहुत महंगा होने के साथ कभी-कभी बिकता भी देखा गया है। ऐसे में जन बेचारा जाए तो जाए कहां? लेकिन यह याद रखना चाहिए कि जब अन्याय, जुल्म और भ्रष्टाचार की इंतहा हो जाती है, तो जन के सब्र का बांध टूट जाता है और उसके बाद जो सैलाब (क्रांति) आता है, वो अपने साथ सब कुछ बहा कर ले जाता है। इसलिए समय रहते गणतंत्र के ठेकेदार चेत जाएं।
ReplyDeleteतिरंगा मेरी जान में है, मेरे ईमान में है, मेरे हरेक अरमान में है,
ReplyDeleteतिरंगे में भी वही श्रद्धा है, जो मेरे भगवान में है !!
आप सभी को गणतंत्र दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएँ !!.
शुभ प्रभात बंधुओं,
ReplyDeleteसभी साथियों को निरहुआ का प्रणाम एवं गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
साथियों,
आज इस पावन दिवस पर निरहुआ पूरे टेट परिवार की ओर से अपने वीर शहीदों को श्रध्दाजंलि अर्पित करता है और देश की रक्षा में मर मिटने का जज्बा दिल में रखने वाले वीर सिपाहियों को नमन करता है। धन्य हैं वो भारत माँ के लाल जो अपने परिवार और खुशियों को पीछे छोड़कर अपने दिलों में देशभक्ति और कुर्बानी का जज्बा लिए हमारी सरहदों पर तैनात हैं। जिन्हें ना तो देश की कुत्सित राजनीति से मतलब है ना तो उस ऐश-ओ-आराम से जिन्हें पाने के लिए आज हम लालयित रहते हैं। उन्हें तो बस फ़िक्र यह रहती है की कब वो पावन घड़ी आएगी जब वे इस देश पर अपना सर्वस्व न्योछावर करके इस माटी की देह को माटी में मिला देंगे। ज्यादा क्या कहें दोस्तों शहादत के वक्त भी जिनके होठों पर 'जय हिन्द' का नारा होता है और चेहरे पर कुर्बानी की गरिमापूर्ण मुस्कराहट होती है ऐसे शूरवीरों को निरहुआ और पूरे टेट परिवार का नमन-
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."दौलत ना अता करना मौला, शोहरत ना अता करना मौला,
करना तो बस इतना करना , जब जान जिस्म से निकले मौला,
कि होठों पे हमारे गंगा हो और हाथ में तिरंगा हो मौला"।।
Happy republic day
ReplyDeleteतैरना है तो समुंद्र में तैरो नदी नालो मे क्या रखा है
ReplyDeleteमरना है तो वतन के लिए मरो हसीनाओ में रखा है ।
Maango toh apne rab se maango,
ReplyDeleteJo de to rahmat aur na de to kismat
Lekin duniya se hargiz mat maangna kyun ki,
De toh ehsaan aur na de to sharmindgi..
उत्तर प्रदेश में मेरे प्रिय भाई व बहन गणतंत्र
ReplyDeleteदिवस पर अपने विद्यालय में तिरंगा फहराने
की मंशा को सृजित किये हुए हैं
उनकी योग्यताओं पर भी शक नहीं है लेकिन कपिल
देव यादव एवं अखिलेश यादव की कुटिल चाल ने
लगातार ६३वां, ६४वां एवं ६५वां गणतंत्र दिवस मनाने
से उन्हें वंचित कर दिया।
मुझे विश्वास था कि ६५वां गणतंत्र दिवस बेसिक
शिक्षा परिषद् उत्तर प्रदेश के १.२५ लाख
विद्यालयों में से किसी एक विद्यालय में
बीतेगा इसपर अपने अनुमान भी प्रस्तुत किये थे
लेकिन जो आधार प्रस्तुत किये थे उन
आधारों को इस सरकार ने उलझा दिया।
अतः आपकी भावनाओं को मेरे अनुमानों से आहत
पहुंची होगी जिसके लिए हम आपसे हाथ जोड़कर
माफ़ी मांगते हैं।
इसी के साथ अखिल ब्रह्माण्ड
की महानायिका माँ सरस्वती से प्रार्थना करते हैं
कि मेरे भाईयों एवं बहनों का
६८वां स्वतंत्रता दिवस माँ आपके प्रांगण में व्यतीत
हो।
इन्हीं भविष्यगामी शुभकामनाओं के साथ
आपको गणतंत्र दिवस की मांगलिक शुभकामनायें।
आपको इस पावन बेला में आश्वस्त करता हूँ
कि हमारी भर्ती पर कोई अंतिम
तिथि प्रभावी नहीं होगी।
सकारात्मक विचार से आगे बढ़ें।
!! जय हिन्द जय भारत !!
I LOVE MY INDIA
ReplyDelete.==--..__..-=-._;
!!==--..@..-=-._;
!!==--..__..-=-._;
!!
!!
!!
HAPPY REPUBLIC DAY
आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक
ReplyDeleteशुभकामनाएं,
सीमा के उन जवानों को मैं सलाम करता हूँ
जिनकी वजह से हम अपने घरों में चैन से रहते है!
'''''आओ झुक कर सलाम करेँ उन्हे जिनके हिस्से मेँ
ये मुकाम आते है,
खुशनसीब है वो लोग जो वतन के काम आते है!'''''
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ReplyDeleteE
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थाम लूँ तेरा हाथ और तुझे इस दुनिया से दूर ले जाऊं
जहाँ तुझे देखने वाला, मेरे सिवा कोई और ना हो..!!
बजा दो फिर वही बंशी ,वही फिर तान आने दो |
ReplyDeleteबनो फिर सारथि कान्हा ,अर्जुन को बाण चलाने दो |
गणतंत्र दिवस पर सरहद पे लड़ते जवान को बधाई
ReplyDeleteआत्महत्या करते हिन्दुस्तानी किसान को बधाई
बेकारी-ओ-जिल्लतको झेलते नैजवान को बधाई
देश कि संसद में लुटते देश के स्वाभिमान को बधाई।
पहले सोचे ज़रा क्या हम हकदार हे इस के बधाई के
अपने ज़मीर से नज़र मिलाने वाले हर इंसान को बधाई
दो साल से इन्तजार करते सभी टेटियन को बधाई ।।
अभी न जाओ छोड़ के,
ReplyDeleteकि दिल (POCKET MONEY)
अभी भरा नहीं ।
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टीईटी के लिए कल से फिर ऑनलाइन पंजीकरणलखनऊ (ब्यूरो)। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के लिए सोमवार से फिर ऑनलाइन पंजीकरण शुरू होगा। यह मौका सिर्फ 28 जनवरी की शाम 6 बजे तक होगा, इसके बाद यहबंद हो जाएगा। इस संबंध में शनिवार को शासनादेश जारी कर दिया गया है। यह निर्णय विशेष परिस्थितियों में लिया गया है, ताकि टीईटी फार्म भरने वालों को परेशानियां न हो।टीईटी के लिए पूर्व में ऑनलाइन पंजीकरण 7 से 21 जनवरी तक करने का मौका दिया गया था। नेशनल इनफारमेटिक सेंटर (एनआईसी) को नियमत: ऑनलाइन पंजीकरण के लिए वेबसाइट 21 जनवरी की रात 12 बजे बंद कर देना चाहिए। इससे समय समाप्त होने के बाद भी 22जनवरी को वेबसाइट बंद होने तक 1257 ने ऑनलाइन पंजीकरण करा लिए। ऑनलाइन पंजीकरण के बाद ई-चालान बनवाकर आवेदन करने की व्यवस्था है। समय अवधि समाप्त होने के बाद पंजीकरण कराने वालों को आवेदन में शामिल करने को लेकर पेंच फंस सकता था और अन्य लोग भी ऑनलाइन पंजीकरण के लिए मौका देने का दावा कर सकते थे। इसलिए ऑनलाइन पंजीकरण का एक मौका और दे दिया गया है।
वक़्त नहीं.
ReplyDelete.
.
हर ख़ुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हंसी के लिए वक़्त नहीं .
दिन रात दौड़ती दुनिया में ,
ज़िन्दगी के लिए ही वक़्त नहीं .
माँ की लोरी का एहसास तो है,
पर माँ को माँ कहने का वक़्त नहीं .
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं .
सारे नाम मोबाइल में हैं ,
पर दोस्ती के लए वक़्त नहीं .
गैरों की क्या बात करें ,
जब अपनों के लिए ही वक़्त नहीं .
आँखों में है नींद बड़ी ,
पर सोने का वक़्त नहीं.
दिल है ग़मों से भरा हुआ ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं .
पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े,
की थकने का भी वक़्त नहीं .
पराये एहसासों की क्या कदर करें ,
जब अपने सपनो के लिए ही वक़्त नहीं .
तू ही बता ए ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
की हर पल मरने वालों को,
जीने के लिए भी वक़्त नहीं.....
ईश्वर का दिया कभी अल्प नहीं होता;
ReplyDeleteजो टूट जाये वो संकल्प नहीं होता;
हार को लक्ष्य से दूर ही रखना;
क्योंकि जीत का कोई विकल्प नहीं होता।
टूटने के लिए ही होती हैं :
"सांस और साथ"
सांस टूटने से तो इंसान 1 ही बार मरता है;
पर किसी का साथ टूटने से इंसान पल-पल मरता है।
आँख में आंसू आपकी वजह से होना।
और
जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि - किसी की आँख में आंसू आपके लिए होना।
बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता;
जब तक न पड़े हथोड़े की चोट;
पत्थर भी भगवान नहीं होता।
ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं।
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है;
और ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है।
उतना नहीं थकता;
जितना क्रोध और चिंता से एक क्षण में थक जाता है।
लिए नहीं बनी है।
जैसे:
दरिया - खुद अपना पानी नहीं पीता।
पेड़ - खुद अपना फल नहीं खाते।
सूरज - अपने लिए हररात नहीं देता।
फूल - अपनी खुशबु अपने लिए नहीं बिखेरते।
मालूम है क्यों?
क्योंकि दूसरों के लिए ही जीना ही असली जिंदगी है।
जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत;
लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना;
क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी।
'नकामी' को दिल में जगह नहीं देनी चाहिए।
क्योंकि, कामयाबी दिमाग में घमंड और नकामी दिल में मायूसी पैदा करती है।
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं।
न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए।
यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता?
र्स्वग मेँ सेँ लडकी ने
ReplyDeleteअपनी माँ को लिखा पत्र...!!
मेरी प्यारी मम्मी...
तु अब दवाखाने से घर आ गई होगी..?
तेरी तबियत की मुझे
चिँता होती है..
अब आपकी तबियत
अच्छी होगी ..?
प्यारी मम्मी तेरी कोख से
मेरा अंश
रहा
तब से मुझे वात्सल्य से
उभरता माँ का चेहरा देखना है...
मम्मी मेरे गाल पर तेरा एक
प्यारभरी चुम्मी के लिए
तरसती हु.
मुझे मेरी जननी के हाथ मेँ फुल होकर
खीलना था...
मुझे मेरी मम्मी के हाथ से मार खाकर
रोना था.....
मम्मी, मुझे तेरेआगंन¥ मेँ पाँव रखना था
और अपना घर खिल खिलाट
भरना था....
और मम्मी, मुझे
तेरी लोरी सुनते-सुनते
सोने
कि तरस थी.....
कुदरत ने मुझे
तेरा लडका बनाया होता तो कोई
प्रोब्लम नही होती..
मम्मी, लेकिन तुझे कुदरत का न्याय
मंजुर
नही था.
तुझे तो लडके कि भुख थी.
तुझे तो केवल मात्र संतान से गोद
नही भरनी थी..
तेरे तो भविष्य मेँ कमाऊ लडके
कि सपंति से
घर भर देना था..
मम्मी, तुझे तो मिलकत का वारिस
उगाना था..
और बुढापे¥ मेँ माँ बेटा-बहु का प्रेम,
सेवा और दु:ख मेँ आँसु पुछने
का सहारा चाहिएथा.
तुझे
मेरी काली भाषा सुनना कि पसंद
नही थी..
तुझे तेरे दिल मेँ कोई प्रेम नही आया?
इसिलिए मम्मी तु दवा खाने जाकर
मुझ से
छुटकारा पा लिया...
मम्मी, जब डाँक्टर कैँची से फुल
जेसी बेटी को कुचल रहा था..
मेरे शरीर के एक के बाद एक अगं काटकर
अलग रख रहा था..
मुझे लग रहा था कि अब
माँ को दया आयेगी लेकिन तुझे
दया नही आयी...
तुझे तो दया नही आयी मम्मी!
लेकिन
भगवान को तो दया आयी.
डाक्टर के तेज धार कि कैँची से
मेरा कलेजा फट गया और भगवान ने
मुजे
अपने पास बुला लिया.....
मम्मी, तु खुद लडकी है,
तो यह बात कैसे भुल गई ?
चलो वो तो सब
ठीक है, लेकिन तेरे पेट मे
हि मेरी कब्रबना दी तुजे
जरा भी दया नहि आयी ?
चिँता मत कर मम्मी, अब जब
मेरा भाई
जन्म ले तब
इस लडकी कि याद दिलाना... अरे
हा !
रक्षाबंधन के दिन मुजे याद करके भाई
को मेरा आशिर्वाद देना...!!
मेरे गाँव में घर की छत पे आज भी मोर आते है
ReplyDeleteमेरे शहर में मुझे चिडिया भी देखने नही मिलती ॥
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मेरे गाँव में लोगो के बीच आज भी वो ही भाईचारा है
मेरे शहर में भाई की भाई से ही नही बनती ॥
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मेरे गाँव में सुख दुःख में सब साथ है
मेरे शहर में परछाई भी साथ नही दिखती ॥
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मेरे गाँव में आज भी पक्की सड़क नही है
मेरे शहर में सड़के है पर मंजिल नही मिलती ॥
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मेरे गाँव में आज भी सब नीम के पेड़ तले बतियाते है
मेरे शहर में लोगो को फ़ोन से फुर्सत नही मिलती ॥
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मेरे गाँव में बच्चे आज भी माँ के आँचल में पलते है
मेरे शहर में अब माँ का आँचल ही देखने को नही मिलते है ॥
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मेरे गाँव में सावन में आज भी झूले पड़ते है
मेरे शाहर में पार्क में भी झूले देखने को नही मिलते ॥
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मेरे गाँव में आज भी हर तीज त्यौहार के लिए अपने गीत है
मेरे शहर में बद से बदतर होता कान फोडू संगीत है ॥
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मेरे गाँव में कुछ नही है फिर भी लोग खुश है
मेरे शहर में सब कुछ है ..फिर भी चेहरे पे वो खुशी नही दिखती ॥
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मेरे गाँव में अमन है सुख है चैन है
मेरे शहर में हर मुस्कराहट के पीछे भीगे हुए नैन है ॥
ताजमहल को हमेशा प्यार की निशानी के तौर पर
ReplyDeleteप्रस्तुत किया जाता है..... और, हमें बताया जाता है
कि.... शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में
इसे बनवाया था...!
लेकिन.. ये सब बताते हुए.... बहुत ही सफाई से ....
शाहजहाँ और मुमताज की सच्चाई हमसे
छुपा ली जाती है..... ताकि, किसी को सच का आभास तक
ना हो पाए....!
क्योंकि... जिस दिन लोगों को सच्चाई का पता लग
जाएगा...... उस दिन ये प्यार वाली कहानी ठीक
उसी तरह हवा हो जायेगी.... जिस तरह बाबासीर
हो जाने पर.... तेल मसाले और मिर्ची खाने
की इच्छा हवा हो जाती है....!
आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे कि..... मुमताज
का नाम ..... मुमताज महल था ही नहीं.... बल्कि...
उसका असली नाम.....""मुमताज - उल - ज़मानी""था.....!
और तो और..... जिस शाहजहाँ और मुमताज के प्यार
की इतनी डींगे हांकी जाती है.......
वो शाजहाँ की ना तो पहली पत्नी थी....
ना ही आखिरी...!
मुमताज .... शाहजहाँ की सात बीबियों में चौथी थी.....!
इसका मतलब है कि...... शाहजहाँ ने मुमताज से पहले 3
शादियाँ कर रखी थी...... और, मुमताज से शादी करने के
बाद भी..... उसका मन नहीं भरा..... तथा.... उसके बाद
भी उस ने 3 शादियाँ और की....!
क्या कोई मुझे समझा सकता है कि..... अगर
शाहजहाँ को मुमताज से इतना ही प्यार था तो.....
मुमताज से शादी के बाद भी शाहजहाँ ने.... 3 और
शादियाँ क्यों की....?????
चलते चलते .... आप यह भी जान लो कि......
शाहजहाँ की सातों बीबियों में सबसे सुन्दर....... मुमताज
नहीं ... बल्कि.... इशरत बानो थी....
जो कि उसकी पहली पत्नी थी...!
उस से भी घिनौना तथ्य यह है कि...... शाजहाँ से
शादी करते समय .....मुमताज कोई
कुंवारी लड़की नहीं थी..... बल्कि....
वो शादीशुदा थी....... और,
उसका पति शाहजहाँ की सेना में सूबेदार था....
जिसका नाम........""शेर अफगान खान""था....!
शाहजहाँ ने'शेर अफगान खान'की हत्या कर...... मुमताज
से शादी की थी.....!
साथ ही यह भी गौर करने लायक बात यह कि .........
मुमताज की मौत ... कोई बीमारी या एक्सीडेंट से
नहीं ...... बल्कि..... उसकी चौदहवीं प्रसव के दौरान
अत्यधिक कमजोरी के कारण हुई थी....... और, मरते समय
उसकी उम्र लगभग 38 साल की थी....!
साथ ही.. यह जानकर आपकी मुंह खुला का खुला रह
जायेगा कि.....
शाहजहाँ का अपनी ही सगी बेटी""जहाँआरा""के साथ
भी यौन सम्बन्ध थे.....!
सिर्फ इतना ही नहीं...... शाहजहाँ ने
अपनी बेटी जहाँआरा की मदद से .... मुमताज के भाई.....
शाइस्ता खान की बीबी के साथ कई बार बार
बलात्कार किया था....!
शाहजहाँ के प्यार का अंदाजा इसी बात से लगे
जा सकता है कि..... उसके ... अपनी सगी बेटी.... मुमताज के
भाई की बीबी...... के अलावा ..... उसकी बहन
फरजाना बेगम के साथ भी .... अवैध सम्बन्ध थे...... और,
फरजाना से शाहजहाँ को.... एक बेटा भी थी...!
साथ ही..... मुमताज की मौत के महज एक हफ्ते के अन्दर
ही...... उसकी बहन फरजाना से शादी कर ली थी.....!
@@@अब आप खुद ही सोचें कि..... क्यों ....ऐसे बदचलन
और दुश्चरित्र इंसान को...... प्यार
की निशानी समझा कर महान
बताया जाता है...... ?????
क्या ...ऐसा दुश्चरित्र और बदचलन इंसान कभी किसी से
प्यार कर सकता है...... या, फिर उसकी यादगार
बनवा सकता है....?????
दरअसल.... ताजमहल और प्यार की कहानी इसीलिए
गढ़ी गयी है कि....... लोगों को गुमराह किया जा सके......
और.... लोगों खास कर हिन्दुओं से छुपायी जा सके कि.........
ताजमहल ..... कोई प्यार की निशानी नहीं......बल्कि....
महाराज जय सिंह द्वारा बनवाया गया..... भगवान् शिव का मंदिर""तेजो महालय""है....!
दिखावे पर मत जाओ ..... अपनी अक्ल लगाओ.....!
ऐ मेरे वतन के लोगों
ReplyDeleteज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
जब घायल हुआ हिमालय
खतरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लड़े वो
फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा
सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद...
जब देश में थी दीवाली
वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में
वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो आपने
थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद...
कोई सिख कोई जाट मराठा
कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरनेवाला
हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वअत पर
वो खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद.............
थी खून से लथ-पथ काया
फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा
फिर गिर गये होश गँवा के
जब अन्त-समय आया तो
कह गये के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों
अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने
क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद...
तुम भूल न जाओ उनको
इस लिये कही ये कहानी
जो शहीद........
जय हिन्द... जय हिन्द की सेना
जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द
कांग्रेसी सड़क पे पड़े उस खाली कोल्डड्रिंक के can की तरह होते हैं जो भले ही आपका कुछ ना बिगाड़ रहे हो पर देखते ही उनको लतियाने का मन जरूर करता है।
ReplyDeleteवो
भी
जोररररररररररर
से ।
प्यार” किसे कहते है ??
ReplyDelete.
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माँ अपने बच्चों को खाना खिलाने के बाद जब, कभी खुद भूखी सो जाती है…….. तो वो प्यार है,
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माँ अपने बेटे के लिए जब, सबसे बढ़िया मिठाई का टुकड़ा अलग रख देती है…….. तो वो प्यार है,
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अपनी फटी बनियान देख जब, पिताजी को दादाजी के चश्मे की बात याद आती है........ तो वो प्यार है,
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छोटी लड़की अपने पापा के लिए जब, भागकर पानी का गिलास लाती है…….. तो वो प्यार है,
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बेटी के विवाह में बिदाई के वक्त जब, सब की आँखें आंसुओं से भर जाती है…….. तो वो प्यार है,
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बच्चे को चोट लगने पर जब, डॉक्टर से पहले उसे अपने माँ की याद आती है........ तो वो प्यार है,
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बहन को स्कूल में मिठाई मिलने पर जब, उसे घर बैठे छोटू की याद आती है........ तो वो प्यार है,
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एक भाई दूसरे को जब, मेसेज करता है “घर जल्दी आना, तुम्हारी फ़िक्र होती हैं”........ तो वो प्यार है,
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दोस्त फिसलन भरी सड़क पर जब, हाथ पकड़ कर नीचे गिरने नहीं देता है........ तो वो प्यार है,
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आपके घर में हर बार खाना खाने से पहले जब, ईश्वर पर भोग लगाया जाता है........ तो वो प्यार है”
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अगर ये सब पढ़कर आपको किसी की याद आती है तो वो आपका प्यार है ।
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"प्यार एक ऐसा खूबसूरत एहसास है जिसमें अपने से ज्यादा दूसरों का ख्याल रखा जाता है” मतलब साफ़ है "प्यार वंही होता है जहां स्वार्थ नहीं होता",
सच्चे प्यार में ये नहीं देखा जाता कि मुझे क्या मिला, लेकिन हमेशा ये देखा जाता है कि जिससे मैं प्यार करता हूँ, क्या उसे वो सब कुछ मिला? जिसकी उसे जरूरत थी।
एक ५ वर्ष का भाई अपनी ८ वर्ष की बहिन से पूछता है, "दीदी दीदी ये प्रेम क्या होता है ?", "तू रोज मेरे बैग से चॉकलेट निकाल कर खा जाता है... मुझे मालूम होते हुए भी मैं रोज वँही पर चॉकलेट रखती हूँ... बस यही प्रेम है।" बहिन ने जवाब दिया।
श्री राजीव भाई बताते है भारत का संविधान २६ जनवरी १९५० में तैयार हुआ और इसके लिए संविधान सभा का निर्माण किया गया था जिसमे २९६ सदस्य थे जिन्होंने ११ महीने और १८ दिन काम करके संविधान तैयार किया | लेकिन ११ महीने १८ दिन में काम कुल १६६ घंटे हुआ और उसमे संविधान तैयार हो गया |
ReplyDeleteभारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है , इतना बड़ा लिखित संविधान दुनिया के किसी देश के पास नही है |
राजीव भाई के मन में एक बात आती थी कि मात्र ११ महीने १८ दिन में इतना बड़ा संविधान हमने कैसे बना लिया ? इसको बनाने में तोह जादा समय लगना चाहिए था ! बहुत खोजने के बाद उनको पता चला के संविधान में हमने कुछ खास नही बनाया , अंग्रेजो ने एक कानून बनके भारत में चोर हुआ था उसीको हमने भारत का संविधान बना लिया | १९३५ में अंग्रेजो ने एक कानून लाया था जिसका नाम था Government of India Act और इसमें जो कुछ लिखा था वोही सब कुछ भारत के संविधान में है कुछ बदला नही जबकि ये कानून भारत को गुलाम बनाने की लिए बनाया गया था |
संविधान सभा के ड्राफ्टिंग कमिटी के चेअरमन डॉ भीमराव आंबेडकर १९५३ में राज्यसभा में कहा था के "अगर कोई मुझे अनुमति दे दे के मैं सबसे पहला व्यक्ति होऊंगा जो इस संविधान को जला दूंगा"| उन्होंने और कहा था के 'इस संविधान से भारत के किसी नागरिक का भला नही होने वाला किउंकि ये जल्दी में बनाया गया संविधान है , मेरे पास कोई चारा नही था इतने कम समय में ये संविधान बनाना था, अग्रेजो की तरफ से हमे Government of India Act का ड्राफ्ट दिया गया था आधार बनाने के लिए और दुसरे देशो के संविधान से कुछ हिस्से ले कर भारत का संविधान बना' |
इसका परिणाम ये हुआ के ६० सालो में ९४ से जादा संविधान संशोधन हो गए और ये तभी हो सकते है जब संविधान में कोई खराबी, कमी या बुराई हो |
संविधान सभा के बड़े बड़े सब दिग्गजों ने कहा था के 'भारत के शहीदों ने क्रांतिवीरो ने जिस कल्पना से देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ी है उस कल्पना को ये संविधान कही भी पूरा नही करता ' |
सरकार की
ReplyDelete797 पेज की SLP
गुडांक वालो के लिए
S- सिर्फ
L- लोली
P- पॉप
है। और कुछ नही।
जीत हमारी सुनिश्चित है।
जय हिन्द जय टेट जय भारत
!! सत्यमेव जयते सर्वदा !!
शोहरत न अता करना मौला
ReplyDeleteदौलत न अता करना मौला
बस इतना अता करना, चाहे
जन्नत ना अत करना मौला
शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो
होठों पर गंगा हो… हाथों में तिरंगा हो…
६५वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ! जय जनतन्त्र! जय हिन्द!
जज---का समस्या बा ?
ReplyDeleteयू पी सरकार---हुजूर कागज पत्तर बिला गयील बा टेट वाला .
जज---का ?
एक दमे से ध्तिन्गडे बाङे का तेहन ???
यू पी -----सरकार हुजूर माफ कई दिहल जाये ..
जज ---ले जाके जेले मे बन्द कर इन्हन के
यू पी सरकार----हजूर दया
जज ---भर्ती करबे
यू पी सरकार ----हा करब .. !
सरकार की SLP में पूर्व विज्ञापन का डाटा नष्ट होने के बारे में लिखे सफ़ेद झूठ को पढने के बाद मुझे हँसने का मन कर रहा है,,,,,,सरकार में एक दो बुद्धिमान अधिकारी आज भी नौकरी कर रहे हैं,,,,, विज्ञापन और फार्मों के सन्दर्भ में दिमाग दौड़ाकर बिनावजह tension लेने से बचें और अपनी टेट की मार्कशीट को सुरक्षित रखें,,,,,
ReplyDelete72825 पदों पर टेट मेरिट से चयन का दावा,वो भी उन्ही लोगो के बीच से जो 30-11-11 के विज्ञापन में apply करने की योग्यता पूरी करते हों,किसी विज्ञापन का मोहताज नहीं है,,,, और ना ही किसी समय-सीमा का ,,,,
ReplyDeleteKya ab ranga siyar kabhi bhi blog par nahi ayega?
ReplyDeleteRanga Siyar = Kapil Dev
ReplyDeleteभगवान ने सबसे पहले गधे को बनाया – और कहा तुम गधे होवोगे | तुमसुबह से शाम तक बिना थके काम करोगे | तुम घास खाओगे और तुम्हारे पास अक्ल नहीं होगी और तुम 50 साल जियोगे |” गधा बोला– मै 50 साल नहीं जीना चाहता | ये बहुत ज्यादा है| आप मुझे20 साल ही दें| भगवान ने कहा तथास्तु………. ——————————————भगवान ने फिर कुत्ते को बनाया – और कहा तुम कुत्ते होगे | तुम घर की रखवाली करोगे | तुम आदमी के दोस्त होगे | तुम वही खाओगे जो आदमी तुम्हे देगा| तुम 30 वर्ष जियोगे |” कुत्ता बोला –मै 30 साल नहीं जीना चाहता | ये बहुत ज्यादा है| आप मुझे15 साल ही दें| भगवान ने कहा तथास्तु……… ——————————————फिर भगवान ने बन्दर को बनाया – और कहा तुम बन्दर होगे | तुम एक डाली से दूसरी में उछलते कूदते रहोगे | तुम 20 वर्ष जियोगे |” तो बन्दर बोला– मै 20 साल नहीं जीना चाहता | ये बहुत ज्यादा है| आप मुझे 10 साल ही दें| भगवान ने कहा तथास्तु………. ——————————————आखिर में भगवान ने आदमी को बनाया –और कहा तुम आदमी होगे| तुम धरती के सबसे अनोखे जीव होगे| तुम अपनी अकलमंदी से सभी जानवरों के मास्टर होगे| तुम दुनिया पे राज करोगे| तुम20 साल जियोगे|” तोआदमी ने जवाबदिया – 20 साल तो बहुत कम है |आप मुझे वो 30 साल भी दे दो जो गधे ने मना कर दिए, 15 साल कुत्ते वाले भी दे दो , 10 साल बन्दर ने मना कर दिए थे वो भी चाहिए| भगवान ने कहा तथास्तु……… और उसे तीनो जानवरों के साल (30 साल, 15 साल, 10 साल), जो की जानवरों ने मना कर दिए थे, आदमी को मिल गए | तबसे आज तक आदमी 20 साल इन्सान की तरह जीता है| *शादी करता है और 30 साल गधो की तरह बिताता है| काम करता है और अपने ऊपर सारा बोझ उठाता है | और फिर उसके बच्चे जब बड़े हो जाते है तो वह 15 साल कुत्ते की तरह घर की रखवाली करता है वजो उसे दे देते है वह खा लेता है| उसके बाद जब वह रिटायर हो जाता है तो वह 10 साल बन्दर की तरह जीवन बिताता है एक घर से दूसरे घर या अपने एक बेटे या बेटी के घर से दूसरे बेटा या बेटीके घर पर अता- जाता रहता है और नए –2 तरीके अपनाता है अपने पोतो को खुश करने मे और कहानी सुनाने में……………
ReplyDeleteकभी ठंड में ठिठुर के देख लेना,.
ReplyDeleteकभी तपती धूप में जल के देख लेना,.
कैसे होती है हिफाज़त मुल्क की,.
कभी सरहद पर चल के देख लेना।
फ़्रायड एक बड़ा मनोवैज्ञानिक हुआ। अपनी पत्नी और अपने बच्चे के साथ एक दिन बगीचे में घूमने गया था। जब सांझ को वापस लौटने लगा, अंधेरा घिर गया, तो देखा दोनों ने कि बच्चा कहीं नदारद है। फ़्रायड की पत्नी घबड़ाई, उसने कहा कि बच्चा तो साथ नहीं है, कहां गया? बड़ा बगीचा था मीलों लंबा, अब रात को उसे कहां खोजेंगे? फ़्रायड ने क्या कहा? उसने कहा, तुमने उसे कहीं जाने को वर्जित तो नहीं किया था? कहीं जाने को मना तो नहीं किया था? उसकी स्त्री ने कहा, हां, मैंने मना किया था, फव्वारे पर मत जाना! तो उसने कहा, सबसे पहले फव्वारे पर चल कर देख लें। सौ में निन्यानबे मौके तो ये हैं कि वह वहीं मिल जाए, एक ही मौका है कि कहीं और हो। उसकी पत्नी चुप रही। जाकर देखा, वह फव्वारे पर पैर लटकाए हुए बैठा हुआ था। उसकी पत्नी ने पूछा कि यह आपने कैसे जाना? उसने कहा, यह तो सीधा गणित है। मां-बाप जिन बातों की तरफ जाने से रोकते हैं, वे बातें आकर्षक हो जाती हैं। बच्चा उन बातों को जानने के लिए उत्सुकता से भर जाता है कि जाने। जिन बातों की तरफ मां-बाप ले जाना चाहते हैं, बच्चे की उत्सुकता समाप्त हो जाती है, उसका अहंकार जग जाता है, वह रुकावट डालता है, वह जाना नहीं चाहता। आप यह बात जान कर हैरान होंगी कि इस तथ्य ने आज तक मनुष्य के समाज को जितना नुकसान पहुंचाया है, किसी और ने नहीं। क्योंकि मां- बाप अच्छी बातों की तरफ ले जाना चाहते हैं, बच्चे का अहंकार अच्छी बातों के विरोध में हो जाता है। मां-बाप बुरी बातों से रोकते हैं, बच्चे की जिज्ञासा बुरी बातों की तरफ बढ़ जाती है। मां-बाप इस भांति अपने ही हाथों अपने बच्चों के शत्रु सिद्ध होते हैं। इसलिए शायद कभी आपको यह खयाल न आया हो कि बहुत अच्छे घरों में बहुत अच्छे बच्चे पैदा नहीं होते। कभी नहीं होते। बहुत बड़े-बड़े लोगों के बच्चे तो बहुत निकम्मे साबित होते हैं।
ReplyDeleteचौराहे पर खड़ा बच्चा 2-2 रूपये में तिरंगा बेच रहा था ।
ReplyDeleteआने - जाने वाले लोग गाड़ी का शीशा निचा कर तिरंगा खरीद
कर शान से अपनी गाड़ी के डेश बोर्ड पर लगा रहे थे ।
तभी तेज रफ़्तार से आई एक लग्जरी गाड़ी रुकी और
शाइनिंग इंडिया के युवा ने शीशा निचे कर तिरंगा देने
को कहा, बच्चे बोला - 2 रूपये में एक तिरंगा । युवक के पास
खुल्ले पैसे नही थे, उसने 5 रूपये की बीयर की खाली बोतल
देते हुए 2 तिरंगे देने को कहा ।
बच्चा बोला - '' तिरंगा देश की आन-बान- शान का प्रतीक
है, एक भी तिरंगा नही बिका तो रात को भूखा सो लूँगा,
लेकिन बीयर की बोतल के बदले तिरंगा नही बेचूंगा !!!''
नहीं बेचुँगा
"जय हिन्द"
जिस दिन तिरंगे बेचता कोई बच्चा ,१५ अगस्त या २६ जनवरी को , सड़को पर ना मिले...
ReplyDeleteसमझ लेना हम आज़ाद हो गए ।।
पत्नी से मंदिर के बाहर पति बोला,
ReplyDelete"तुम यहीं रुक जाओ मैं दर्शन कर के आ
जाता हूं।"
पत्नी क्यों?मुझे भी दर्शन करना है मैं भी आऊंगी।
पति: अरे वो तो ठीक है पर मंदिर
का भी कोई नियम-कायदा है।
पत्नी: अच्छा वो कौन सा जो मेरे मंदिर
जाने पर पाबंदी लगाता है?
पति: वो देखो सामने बोर्ड पे साफ-साफ
लिखा हुआ है कि विस्फोटक सामग्री को अन्दर ले जाना मना है,
तो मैं तुम्हें कैसे ले जाऊं।