इलाहाबाद : प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों तथा राजकीय विद्यालय में कार्यरत एलटी ग्रेड अध्यापकों की पदोन्नति व वेतनवृद्धि का रास्ता साफ हो गया है। ऐसे शिक्षकों को नए शासनादेश के
आधार पर पदोन्नति एंव रुकी वेतनवृद्धि का लाभ मिलेगा। इस संबंध में वित्त नियंत्रक ने आदेश
जारी कर दिया है। इससे प्रदेश के 50 हजार से अधिक शिक्षक लाभांवित होंगे।
ऐसे सहायक अध्यापक जिन्हें चयन वेतनमान मिलने के बाद होने वाली पदोन्नति (सदृश्य ग्रेड पे में
पदोन्नति) के उपरांत वेतन वृद्धि का लाभ नहीं दिया जा रहा है। उन्हें सदृश्य ग्रेड पे में
पदोन्नति होने पर एक वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। एलटी ग्रेड के तहत शिक्षकों को 4600 ग्रेड पे
मिलता है। दस साल के बाद उन्हें पदोन्नति तो मिलती थी, परंतु वेतनवृद्धि का लाभ
नहीं मिल पाता था। यह समस्या प्रदेशभर के शिक्षकों की थी। इस
समस्या को लेकर इलाहाबाद-झांसी क्षेत्र के शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी ने वित्त
नियंत्रक शिक्षा निदेशालय से मुलाकात की थी। इसके बाद वित्त नियंत्रक द्वारा शिक्षक
विधायक तथा प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षक को लिखित रूप से अवगत कराया है
कि 19 नवंबर 2011 को जारी शासनादेश द्वारा राजकीय एवं सहायता प्राप्त शिक्षण
संस्थाओं के शिक्षकों को उसी ग्रेड पे में पदोन्नति होने पर एक वेतन वृद्धि का लाभ
भी दिया जाएगा। इसको लेकर वित्त नियंत्रक की ओर से तीन
जनवरी 2014 को सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर सूचित
भी कर दिया गया है। शिक्षक नेता शैलेश कुमार पांडेय के अनुसार वित्त नियंत्रक के इस आदेश का लाभ
इलहाबाद जनपद के 1232 व प्रदेश के 50746 शिक्षकों को मिलेगा
अगर आपको कभी मेरी कोई बात समझ मेँ न आये तो
ReplyDelete.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
तो समझ लेना चाहिये कि बात बडे स्तर की हो रही है ।
देखो !
ReplyDeleteमैं कोर्ट-कचेहरी नहीं जानता बडी सामान्य सी बात जानता हूँ कि इस सरकार से नौकरी पाना है तो टेट मेरिट मुक्त होना पडेगा.....
एकेडमिक मेरिट समर्थकों का सहयोग करना पडेगा ये ब्रह्मसत्य है.....
चलिए माना कि आपका ऐकडमिक मेरिट कम है तो ठीक है सोनभद्र, ललितपुर,कुशीनगर,गोण्डा-बस्ती में कहीं ना कहीं लटक जाओग़े....
दो-तीनसाल बाद गृह जनपद में ट्रांसफर करवा लेना.....
अब देखो अगर जूनियर वाली भर्ती हो जाये,उर्दू वाले हो ही जायेगें तो निश्चितरुप से गुणांक मेरिट कम जायेगी और पक्का कहीं ना कहीं हो जाओगे.....
जबकि टेट मेरिट से जूनियर भर्ती का फायदा आपको नहीं मिलेगा क्योंकि पुराने टेट मेरिट वाले विज्ञापन में कला -विज्ञान में वर्ग विभाजन होने से केवल विज्ञानवर्ग की मेरिट लो जायेगी वो भी तब जब 15वां संसोधन बहाल हो तब ,कला वर्ग के साथियों को तो कोई फायदा ही नहीं मिलेगा ।
दूसरी बात....पिछले दो सालों की सभी भर्तीयों का सत्यानाश हो जायेगा तब पुराने विज्ञापन की मेरिट कितनी जायेगी ये सोच के मै डर जाता हूँ (आप की नहीं जानता) ...इन सारी बातों को ध्यान में रखकर एक बात और , क्या सरकार मूली-गाजर है जो हो-हल्ला करने से टेट मेरिट पर भर्ती कर लेगी.....करना तो अंतत: सरकार को ही है और अगर वो नहीं करना चाहेगी तो विश्वास मानिए हम लोग नहीं करवा पायेगें..ऐसे नाजाने कितने आंदोलन लखनऊ में रोज होते हैं,हफ्ते में एक-आध फैसले आते हैं उससे सरकार पर क्या फर्क पडता है ये हमसे-आपसे छिपा नहीं है....और हमारे आप के पास सरकार को बदलने का दम है उसका स्वभाव नहीं....सरकार 2017 के पहले बदलेगी नहीं और उसके बाद मायावती जी ही आयें ये जरुरी नहीं ।
॥ॐ॥ टेट मेरिट 72825 का न्यायसंगत अधिकार हैँ ॥ॐ॥
ReplyDeleteबेसिक शिक्षा नियमावली 1981 मेँ 09/11/2011 को 12वाँ संशोधन किया गया जिसमेँ बताया गया TET पात्रता परीक्षा हैँ तथा TET के अंको से प्राथमिक शिक्षको की भर्ती किया जायेगा
जिसे इलाहाबाद हाईर्कोट ने भी माना हैँ तथा आदेश किया हैँ
नये आवेदन पर भर्ती नही हो सकती क्योँकि
1- समानता के अधिकारो का हनन अनु॰ 14
न्युतम आयु सीमा का निर्धारण करना राज्य सरकार का अधिकार नहीँ।
2- ओवर ऐज को न शामिल करने के कारण ।
3-सीक्रेट को भेजे जाने की कोई सूचना राज्य सरकार ने नही दिया लेकिन सीक्रेट आफिस भेजे गये आवेदन के विवरण को स्वीकार्य किया ।
4- टंडन के सभी आदेशो को नही माना
5- पूर्ण खण्डपीठ के फैसलोँ का पालन नही हुआ
बाकी कल 8 बजेँ
नये आवेदन पर क्यो हो भर्ती ?
पुरानी पेंट रफू करा कर पहनते जाते है, ब्रांडेड नई शर्ट देने पे आँखे दिखाते हैं..
ReplyDeleteटूटे चश्मे से ही अख़बार पढने का लुत्फ़ उठाते है, टोपाज केब्लेड से दाढ़ी बनाते हैं, पिताजी आज भी पैसे बचाते है….
कपड़े का पुराना थैला लिये दूर की मंडी तक जाते हैं, बहुत मोल-भाव करके फल-सब्जी लाते हैं, आटा नही खरीदते, गेहूँ पिसवाते हैं पिताजी आज भी पैसे बचाते हैं…
स्टेशन से घर पैदल ही आते हैं, रिक्शा लेने से कतराते हैं, सेहत का हवाला देते जाते हैं, बढती महंगाई पे चिंता जताते हैं,
पिताजी आज भी पैसे बचाते हैं...
पूरी गर्मी पंखे में बिताते हैं, सर्दियां आने पर रजाई में दुबक जाते हैं, एसी/हीटर को सेहत का दुश्मन बताते हैं, लाइट खुली छूटने पे नाराज हो जाते हैं,
पिताजी आज भी पैसे बचाते हैं...
माँ के हाथ के खाने में रमते जाते हैं, बाहर खाने में आनाकानी मचाते हैं, साफ़-सफाई का हवाला देते जाते हैं, मिर्च, मसाले और तेल से घबराते हैं, पिताजी आज भी पैसे बचाते हैं…
गुजरे कल के किस्से सुनाते हैं, कैसे ये सब जोड़ा गर्व से बताते हैं, पुराने दिनों की याद दिलाते हैं, बचत की अहमियत समझाते हैं,
हमारी हर मांग आज भी, फ़ौरन पूरी करते जाते हैं, हमें तो अब पता चला की पिताजी हमारे लिए ही पैसे बचाते है ...
एक बार एक बूढी महिला अपने घर के आँगन मैं बैठी स्वेटर बुन रही थी कि तभी अचानक एक आदमी उसकी आँख बचाते हुए उसकी कुर्सी के नीचे बम रख कर भाग गया।
ReplyDeleteआदमी को इतनी जल्दी में भागते हुए देख, कुछ लोगों को शक हुआ तो उन्होंने आँगन में झाँक कर देखा तो उनकी नज़र बुढिया की कुर्सी के नीचे रखे बम पर पड़ी।
यह देख कर उन लोगों ने बुढिया को आगाह करने के लिए घर के बाहर से ही चिल्लाना शुरू कर दिया "बुढिया बम है, बुढिया बम है।"
यह शोर-गुल सुन कर बुढिया एक पल के लिए चौंकी और फिर शर्माते हुए बोली, " अरे अब वो बात कहाँ, बम तो मैं जवानी में होती थी।"
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअब सरकार ने यह निर्णय लिया है कि वह किसी भी भर्ती को तब तक पूरा नही करने
ReplyDeleteदिया जायेगा जब तक 72825 की भरती पूर्ण
नही हो जाती है।
सरकार का फ्लाप शो अभी जारी है...डिफेक्ट
ReplyDeleteअभी तक क्योर नही हो सका है,जिसकी अंतिम
तिथि 31 जनवरी है।इसी बीच गुणांक भाइयो ने
भी अपनी slp दायर कर दी है और एक ऐसे घोडे
पर दाँव लगा दिया है जो कब
अपना बोरिया बिस्तर समेटकर सुप्रीम कोर्ट
से रफूचक्कर हो जाये कहना मुश्किल है
क्योकि slp के डिफेक्ट को देखकर
ऐसा लगता है मानो यह उपक्रम पैसे के लिए
किया गया हो...मा.भूषण और मा.
हरकौली साहब ने ऐसी पटकथा तैयार कर दी है
कि सरकार ज्यो ही डिफेकक्ट दूर करके
सुप्रीम कोर्ट पहुँचेगी पहली ही बहस मे हिट
विकेट होकर पैवेलियन पहुँच जाएगी।और
संगठन ने अपने तेवर और कडे करते हुए यह
निर्णय लिया है कि सरकार
कि किसी भी भर्ती को तब तक पुरा नही करने
दिया जायेगा जब तक 72825 की भरती पूर्ण
नही हो जाती है।संगठन सरकार
को किसी भी तरह का वाॅकओवर नही देगा।टेट
मेरिट हमारे लिए धर्मयुद्ध की तरह है,जिसमे
जीत सत्य की होगी।असुरी शक्तियों के नाश
होना ,सत्य की जीत होना ही हमारा ध्येय है।
58 साल की बहुत स्वाभिमानी लड़की तथा प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बहन मायावती का पहली बार टेट मेरिट पर सीधे दो शब्द...
ReplyDeleteइसने ( सपा ने ) टेट मेरिट को धाँधली का झूठा आरोप लगा कर रद्द करने की कोशिश की. ..
और जब बच्चे हाईकोर्ट से भी जीत गये तब भी ये हाईकोर्ट के निर्णय को स्वीकार नहीं कर
रहा है. ....
दो साल के लम्बे इंतज़ार के बाद आये इस बयान का हम स्वागत करे या प्रतिक्रिया दे.....???????
आखिर क्यों टेटयँस सपा से बिचक रहे है कारण साफ है टेटपास करके नौकरी मांगने पर सपा तानाशाह लाठीचार्ज करने में विशेष गौरव अनुभव करते है टेटयंस का साढ़ेतीन अरब सपा सरकार हड़प गयी अब हाई कोर्ट का आदेश आ गया तो भी सरकार सुप्रीम कोर्ट मे चक्कर कटवा रही है इस सरकार की संवेदनशीलता तो देखो लगातार 11 दिन तक आमरण अनशन हाईकोर्ट के आदेश पालन हेतु किया गया परन्तु सरकार ने न्यायालय का सम्मान करना उचित नहीं समझा अब इस सरकार से टेटयंन कैसे सहानुभूति रखेँ जो अपने वादे से मुकर रही है इसका लाभ मायावती टेटयँस से सहानुभूति दिखाकर ले रही तो ईसके लिए सपा तानाशाह ही जिम्मेदार हैँजो मायावती को मौका दे रहे है भरती रोककर सपा के तानाशाह सपा को मटियामेट करने पर तुले है यही दशा कायम रही तो 2014में सपा प्रमुख का प्रधानमंत्री का सपना चकनाचूर हो जायगा अतः हठधर्मिता त्यागकर तुरंत भरती करें तभी सपा की इज्जत रह पायेगी अन्यथा ढाईलाख टेटपरिवारों के कोप भाजन को सरकार तैयार रहे जयटेट
ReplyDeleteसेवा में,
ReplyDeleteजन सूचना अधिकारी NCTE
हंस भवन विंग ।।
बहादुर शाह जफ़र मार्ग ,नई दिल्ली
श्रीमान
बिषय : सूचना का अधिकार अधिनियम
(आर.टी.आई.)2005के अंतर्गत
सूचना प्राप्त करने के सन्दर्भ में ।
मै ,संदीप कुमार शुक्ला s/o श्री आनंद कुमार शुक्ला
ग्राम व पोस्ट चौकिया तहसील लम्भुआ जिला सुल्तानपुर
पिन :222302
मोब:9648****** ईमेल: ms.sandips@gmai l.com
अध्यापक पात्रता परीक्षा (TET) के सन्दर्भ में
निम्नलिखित सूचनाएँ चाहता हूँ ।
1: क्या अध्यापक पात्रता परीक्षा (TET) के प्रारूप
(structure) जो कि
NCTE द्वारा निर्धारित है ,को बदलने का अधिकार ,
परीक्षा कराने वाली
संस्था या प्रदेश सरकार के पास है ?
2: क्या उत्तर प्रदेश अध्यापक
पात्रता परीक्षा (UPTET )2013 की रिपोर्ट
परीक्षा कराने वाली संस्था या उत्तर प्रदेश सरकार
द्वारा NCTE को दी गयी
है ?
3: उत्तर प्रदेश सरकार ने uptet 2013 के परीक्षा में
भाषा tet की विशेष
परीक्षा करायी है ,उदाहरणार्थ उर्दू भाषा के लिए भाषा tet
में 30 प्रश्न
शिक्षा मनोविज्ञान +60 प्रश्न उर्दू भाषा के व्याकरण
इत्यादि + 60 नंबर
का उर्दू भाषा का निबन्ध है ।
क्या उपर्युक्त प्रारूप का के लिए ncte ने उत्तर
प्रदेश सरकार
को अनुमति दिया है ? क्या यह भाषा tet प्राथमिक
विद्यालय में अध्यापकों
की नियुक्ति के लिए वैध है ? क्या यह ncte द्वारा मान्य
है ?
4: यदि उक्त प्रारूप का भाषा tet ,ncte द्वारा मान्य
नहीं है तो उक्त
भाषा tet को रद्द करने का अधिकार ncte के पास है ?
5: यदि उक्त भाषा tet अमान्य है तो इसको रद्द करने
का अधिकार किस
अधिकारी या संस्था के पास है ?
उक्त सूचनाएँ प्राप्त करने के लिए दिनांक
22/12/2013 का 20 रुपये
मूल्य का पोस्टल आर्डर संलग्न है ।
मायावती को आई सद्बुद्धि
ReplyDeleteशिक्षक भर्ती मामले पर आया
पहला
बयान ।
1.
सरकार द्वारा प्रक्रिया के मध्य मेँ नियम विरुद्ध तरीके से शिक्षक
भर्ती नियमावली को बदला गया है जिसके चलते युवा आंदोलित हैँ ।
2. मौजूदा सरकार. न्यायलय के आदेश की अवहेलना कर रही है ।
एक लड़की ने एक लड़के को फोन किया।
ReplyDeleteलड़की: हेल्लो डार्लिंग।
लड़का: ओह्ह जानू कैसी हो?
लड़की: कहाँ हो यार सुबह से?
लड़का: अरे हम तो खोये हुए हैं आपकी आँखों में।
लड़की: अभी क्या कर रहे हो?
लड़का: तुम्हारी तस्वीर देख रहा हूँ कहीं और दिल ही नहीं लग रहा आज कल।
लड़की: पर मैंने तो तुम्हे कोई अपनी तस्वीर दी ही नहीं।
लड़का: अरे मेरे दिल में छपी है बरसों से।
लड़की: पर हम तो परसों ही मिले हैं?
लड़का: तुम्हारे बिना हर एक पल बरसों की तरह है पिंकी।
लड़की: पिंकी? ये पिंकी कौन है मैं तो निशा हूँ।
लड़का: तुमसे बात करके मैं सब भूल जाता हूँ।
लड़की: तुम अजय बोल रहे हो ना?
लड़का: घर वाले समीर बुलाते हैं लेकिन वो गलत हो सकते हैं तुम नहीं।
लड़की: यह 9622XXXXXX है ना?
लड़का: अब तक नहीं था पर अब से यही है।
कुछ महानुभाव व मूर्ख प्रवृत्ति के लोग कह रहे हैं कि मायावती ने अगर छः महीने पहले भर्ती की होती तो भर्ती संपन्न हो गयी होती।
ReplyDeleteऐसे लोगों से कहना चाहता हूँ कि अगर भर्ती छः महीने पहले शुरू होती तो शैक्षिक मेरिट पर भर्ती होती।
१९९९ से बाहर हो रहे बुढ्ढे एवं प्रतिभाशाली लोग बाहर हो जाते।
चुनाव नजदीक होने के कारण भर्ती शीघ्र करके मायावती चुनाव में जाना चाहती थी।
इसलिए टीईटी मेरिट पर भर्ती करना चाहा।
आज देख रहा हूँ मायावती के बयान पर
वही लोग ज्यादा भौक रहे हैं जिनको मायावती ने शिक्षक भर्ती में जिन्दगी दी।
मेरा तो अखिलेश की प्रक्रिया में भी कोई नुकसान नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पूर्ववर्ती सरकार की प्रक्रिया नयी सरकार ईर्ष्यावश नहीं बदल सकती है।
मायावती अगर सत्ता में आती तो यह भर्ती अवश्य पूरी हो गयी होती।
रोजगार देने वाला भगवान की तरह होता है।
जो लोग शैक्षिक अंक से कभी न चयनित होते उनके लिए मायावती साक्षात् देवी स्वरूपा है।
आज मै देख रहा हूँ कि कुछ लोग मायावती को स्वयं को लड़की कहने पर हायतौबा मचा रहे हैं।
एक अविवाहिता स्वयं को लड़की और बेटी के अलावा और क्या कहेगी?
जिनको भारतीय धर्म, दर्शन एवं शिष्टाचार का ज्ञान नहीं है वही समाज सुधारने का ठेका लेते हैं।
मायावती को स्वयं को लड़की कहने की निंदा नहीं की जा सकती है।
बेरोजगारों ने मायावती के शिक्षक भर्ती पर लिए फैसले को कोर्ट में सही साबित कर दिया।
शिक्षक भर्ती व अन्य भर्तियों पर मायावती ने उचित समय पर बोला है।
जिस समय बेरोजगार टीईटी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे अगर उस समय मायावती बोलती तो अखिलेश टीईटी परीक्षा ही रद्द कर देते।
कोर्ट में बेरोजगारों के जीतने के बाद मायावती ने राजनैतिक दबाव बनाने का उचित फैसला लिया।
मायावती ने लाश पर राजनीति नहीं की।
इसी के साथ मै बताना चाहता हूँ कि
मायावती के द्वारा लोगों को मेहतर बनाये जाने के फैसले का मैंने विरोध किया था।
दलित एक्ट के दुरूपयोग , प्रमोशन में दलित आरक्षण का भी मैंने विरोध किया था।
सदैव किसी के अच्छे कार्य पर तारीफ और ख़राब कार्य की निंदा करनी चाहिए।
Kahne ko to sapa sarkaar ab kendra (loksabha) ki ladai lad rahi hai. Par wakht gawah hoga ki ye sapa sarkar ke astitv ki akhiri ladai hogi. Kyunki ab june2014 se ye ek dhalta hua suraj hoga aur kuch nai. Aur dhale hue surya ke na to darshan kiye jate hain aur na hi naman.
ReplyDeleteHam to teacher hai aur rahenge par suna hai kurshi 5 saal ke liye milte hai. Ummeed hai ye pahle aur akhiri 5 saal hain aap ke. So €njoy!!
सरकार को खुद ही समझ नहीं आ रहा कि अपने ही बुने जाल से कैसे
ReplyDeleteनिकला जाए ,,,,,उस्मानी से असंवैधानिक रिपोर्ट लिखवाने के बाद
acd/weightege से भर्ती की सफलता के बारे में निश्चिन्त
थी,,,,,लेकिन सत्ता के मद में चूर बेचारी छद्म शक्तिमान सरकार
को क्या पता था कि इस बार उसका पाला उन लोगों से पड़ा है जिन्हें
हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है,,,,,,,,,अब 20-11-13 के
निर्णय के बाद जब उसके पास टेट मेरिट से भर्ती के सिवाय कोई
विकल्प ही नहीं बचा है तो वो ये सोच रही है कि acd वालों से
क्या कहे ,,, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ऐसा चक्रव्यूह रचा है
कि अन्ततः अखिलेश यादव को यह
कहना ही पड़ेगा कि वो मायावती से कहीं ज्यादा बड़े टेट मेरिट
समर्थक हैं,,,,
इस पूरे संसार में आप वो अकेले व्यक्ति हैं
ReplyDeleteजो आपकी ज़िन्दगी में क्रांति ला सकता है .
आपकी ज़िन्दगी तब नहीं बदलती जब आपका बॉस
बदलता है , जब आपके दोस्त बदलते हैं , जब आपके
पार्टनर बदलते हैं , या जब
आपकी कंपनी बदलती है …. ज़िन्दगी तब
बदलती है जब आप बदलते हैं , जब आप
अपनी लिमिटिंग बिलीफ्स तोड़ते हैं , जब आप इस
बात को रीयलाईज करते हैं कि अपनी ज़िंदगी के
लिए सिर्फ और सिर्फ आप जिम्मेदार हैं . सबसे
अच्छा रिश्ता जो आप बना सकते हैं वो खुद से
बनाया रिश्ता है . खुद को देखिये , समझिये …
कठिनाइयों से घबराइए नहीं उन्हें पीछे छोडिये
… विजेता बनिए , खुद का विकास करिए और
अपनी उस वास्तविकता का निर्माण करिए
जिसका करना चाहते हैं !
एक बार की बात है एक राजा था। उसका एक
ReplyDeleteबड़ा-सा राज्य था। एक दिन उसे देश घूमने
का विचार आया और उसने देश भ्रमण
की योजना बनाई और घूमने निकल पड़ा। जब
वह यात्रा से लौट कर अपने महल आया। उसने
अपने मंत्रियों से पैरों में दर्द होने की शिकायत की।
राजा का कहना था कि मार्ग में जो कंकड़
पत्थर थे वे मेरे पैरों में चुभ गए और इसके लिए कुछ
इंतजाम करना चाहिए। कुछ देर विचार करने के बाद उसने अपने सैनिकों व मंत्रियों को आदेश
दिया कि देश की संपूर्ण सड़कें चमड़े से ढंक दी जाएं।
राजा का ऐसा आदेश सुनकर सब सकते में आ गए। लेकिन किसी ने
भी मना करने की हिम्मत नहीं दिखाई। यह तो निश्चित
ही था कि इस काम के लिए बहुत सारे रुपए की जरूरत थी। लेकिन फिर
भी किसी ने कुछ नहीं कहा। कुछ देर बाद राजा के एक बुद्घिमान मंत्री ने एक युक्ति निकाली। उसने राजा के पास जाकर डरते हुए
कहा कि मैं आपको एक सुझाव देना चाहता हूँ। अगर आप इतने रुपयों को अनावश्यक रूप से बर्बाद न करना चाहें तो एक
अच्छी तरकीब मेरे पास है। जिससे आपका काम भी हो जाएगा और
अनावश्यक रुपयों की बर्बादी भी बच जाएगी। राजा आश्चर्यचकित
था क्योंकि पहली बार किसी ने उसकी आज्ञा न मानने की बात
कही थी। उसने कहा बताओ क्या सुझाव है। मंत्री ने कहा कि पूरे देश
की सड़कों को चमड़े से ढंकने के बजाय आप चमड़े के एक टुकड़े का उपयोग कर अपने पैरों को ही क्यों नहीं ढंक लेते। राजा ने अचरज की दृष्टि से
मंत्री को देखा और उसके सुझाव को मानते हुए अपने लिए जूता बनवाने
का आदेश दे दिया। यह कहानी हमें एक महत्वपूर्ण पाठ सिखाती है कि हमेशा ऐसे हल के बारे
में सोचना चाहिए जो ज्यादा उपयोगी हो। जल्दबाजी में
अप्रायोगिक हल सोचना बुद्धिमानी नहीं है। दूसरों के साथ
बातचीत से भी अच्छे हल निकाले जा सकते हैं।
ये उन दिनों की बात है जब साइकिल चलाना भी एक फेंटेसी हुआ करती थी भले ही हम ज़मीन पर साइकिल चलना न जानते हो लेकिन आसमानो में साइकिल खूब दौड़ाई है ये अलग बात थी की सुबह जल्दी उठाना पड़ता था तो हमारी साइकिल यात्रा मंजिल तक नहीं पहुँच पाई कभी .... हमें बचपन से ही एडजस्ट करने की सीख दी गई थी फिर चाहे वो भाई के कपडे हो या पुरानी किताबे और पेन ... साइकिल में भी एडजस्ट ही करना पड़ा छोटी साइकिल छोटी सोच हमने डायरेक्ट बड़ी साइकिल ही सीखी ... साइकिल के डंडे के नीचे पैर डालकर कैची चलाने से शुरुआत की पहले हाफ कैची फिर पूरा पैडल मारकर फुल कैची ... फिर डंडा चलाना सीखा सीट पर बैठकर तब पैर नहीं आते थे न ... लेकिन सीट पर बैठकर साइकिल चलाने के अलावा साइकिल में अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकि था जिसके बिना हम अपनी गैंग में रौब नहीं झाड सकते थे ... हाथ छोड़कर चलाने से लेकर फटाक से चैन चढ़ाना और उतारना भी सीख गया ... चैन उतारने की कला उस वक़्त बहुत काम आती थी जब हमें किसी के घर के सामने रूककर किसी को देखना हो ... उस वक़्त पहली बार हाथ छोड़कर साइकिल चलाने के बाद की फीलिंग्स केजरीवाल ही समझ सकता है ... हम अब अपनी साइकिल गैंग के साथ स्कूल जाने लगे थे .. उस वक़्त तो वो ही एक स्टंट हुआ करता हमारे लिए जब कच्ची सड़को पर हम 8-10 लोग parallel साइकिल चलाते हुए जाते थे और एक का संतुलन बिगड़ने से सारी साइकिल रोड के नीचे खाई में गिरती लेकिन हमारी साइकिल मुलायम सिंह की तरह थी झूमती रहती लेकिन कभी गिरती नहीं थी ...
ReplyDeleteसाइकिल चलाना अब कोई मुश्किल काम नहीं था लेकिन कट मारना और किसको मारना ये अभी सीखना था... आज भले ही हमारी ज़िन्दगी में चेन कई तरह की हो लेकिन तब तो हम सिर्फ दो ही चेन जानते थे एक साइकिल की और दूसरा ......अपना चैन
वो वक़्त ही कुछ और था जब एक्सीडेंट होने पर हमें खुद की फ़िक्र नहीं साइकिल की फ़िक्र हुआ करती थी ... और तब हमें दुनिया का सबसे मनोरंजक काम एक रूपये में एक घंटे के लिए मिलने वाली साइकिल चलाना हुआ करता था
एक बार मैं अपनी साइकिल से ऊँची ढलान से तीव्र गति से आ रहा था क्योँकि ब्रेक लगाकर धीरे धीरे उतारना ये हमारी विशेज्ञता पर प्रश्नचिन्ह होता नीचे से एक मोहतरमा भी साइकिल को गटबंधन सरकार की तरह पैदल खींचती हुई जा रही थी ... जब हम कट देकर पास से गुजरे तो वो चिल्लाई "कुत्ता" हम भी कहा पीछे रहते "तू कुत्ता तेरा बाप कुत्ता तेरा खानदान कुत्ता" वाला डायलाँग हमने भी बिना व्याकरण शुद्धिकरण के मार दिया ...शायद तब हमारे विचार अध्यात्मिक हुआ करते थे हम पुर्लिंग स्त्रीलिंग में भेद नहीं करते थे ... तो डायलोग जैसे ख़त्म हुआ ही था की हमारी साइकिल के टायर की शरण में "संसार मेँ वर्तमान का सबसे वफादार जीव" "कुत्ता" आ चुका था ....
और साला तब हमें समझ आया की वो क्या कहना चाहती थी ... लेकिन आप लोगो को समझ आया की मैं क्या कहना चाहता हूँ ?
भाई जैसे डेढ़ इश्किया और बुलेट राजा को एक एक करोड़ दिया वैसे ही "गुन्डे" को भी एक आध करोड़ दे देना चाहिये था ,पार्टी के मोटो का प्रचार प्रसार भी हो जाता !
ReplyDeleteअखिलेश यादव और मायावती दोनों लोग मीटिंग करके ये फैसला कर
ReplyDeleteलें कि uptet2011 पास अभ्यर्थियों के कष्टों के लिए उनमे से
किसका दोष अधिक है....... सुश्री मायावती ने टेट मेरिट से
भर्ती का दिखावा करते हुए इस बात का पुख्ता प्रबंध
किया था कि किसी की भर्ती ना करनी पड़े जबकि यही काम अखिलेश
यादव ने acd से भर्ती का दिखावा करते हुए किया है,,,, ये हम
uptet 2011 पास अभ्यर्थियों का दुर्भाग्य है कि दोनों ही सरकारे
अपने मकसद में अभी तक तो सफल ही रही हैं...... नेता कौम
किसी की सगी नहीं होती.......
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमोदी ने प्रधानमंत्रीको पात्र लिखकर पूछा हे कि गृहमंत्री ने जो राज्य सरकारो को किस कानून के तहत ये नसीहत दी कि मुस्लिम समुदाय के ऊपर केस ना किया जाए!!
ReplyDeleteमोदी ने क्या खूबसूरती से कहा कि आप ऐसा भी लिख सकते थे कि किसी भी निर्दोष को सजा ना मिले किसी भी निर्दोष को दुखी ना किया जाए !!
क्या ये होता हे सेक्युलिरसम ?
क्या इस प्रकार बनेगा हिन्दू मुस्लिम में भाई चारा ?
या हिन्दुओ के मन में भय पैदा होगा?
क्या भाईचारा बनाने के लिए सभी धर्मो को एक नजर से नहीं देखा जाना चाहिए ?
शुभ प्रभात साथियों,
ReplyDeleteसभी बंधुओं को निरहुआ का प्रणाम।
निरहुआ के बहुत दिनों की मनोकामना कल रात (सपने में) पूरी हो गई। हुआ यूँ कि ट्रेन के एक स्पेशल बोगी में माननीय अखिलेश यादव जी अपनी पत्नी श्रीमती डिम्पल के साथ यात्रा कर रहे थे। उनकी सामने वाली सीट पर आज़म खान और मायावती बैठी थीं। इस स्पेशल अपार्ट में यही चारों लोग आमने-सामने बैठे थे और निरहुआ को इनकी देख-रेख और खानपान का ज़िम्मा सौंपा गया था। निरहुआ उन सभी को समय-समय पर चाय-पानी पहुंचाकर वापस अपनी सीट पर पीछे चला जाता था। ऐसे ही एक बार जब निरहुआ चाय लेकर उन महानुभावों के पास पहुंचा कि तभी बोगी में अँधेरा छा गया क्यूंकि ट्रेन उस समय एक सुरंग से गुजर रही थी। अँधेरे में ही वहाँ एक 'पप्पी' लेने की और दो झापड़ों की 'चटाक-चटाक' गूँज उठी। तभी ट्रेन उजाले में आयी और सभी एक दूसरे का मुँह देखने लगे, किसी की समझ में क्या आया क्या नहीं लेकिन कोई कुछ बोला नहीं क्यूंकि अँधेरे में चाहे जितनी बेइज्जती हो जाए लेकिन उजाले में शरीफ बने रहने का दिखावा ये नेता लोग जरुर करते हैं। चाय सर्व करके निरहुआ के चले जाने के बाद सब अपने मन ही मन में सोचने लगे-
मायावती-'लगता है कि आज़म खान ने डिम्पल को 'किस' करने की कोशिश की और बदले में डिम्पल ने उसे दो झापड़ रसीद कर दिए। च्च च्च च्च बेचारा, अरे अपनी उम्र का तो ख़याल किया होता, और फिर मैं भी तो थी यहाँ, मुए ने मुझे छुआ तक नहीं। बढ़िया हुआ इसके साथ।'बहुत बढ़िया हुआ ।
डिम्पल-' गधा कहीं का, ये जब से टेट और अकेडमिक का झगड़ा इसने लगवाया है तब से ये अकल-लेस पगला गया है,हमेशा 'out of date' वाली चीजें पसंद करने लगा है जिसमे कोई 'क्वालिटी'नहीं होती। कमीना वहां भी अकेडमिक वालों को पसंद करता है जिनमे क्वालिटी नाम की कोई चीज नहीं है और यहाँ भी मुझे छोड़ उस मायावती को 'किस'किया और दो फ्री थप्पड़ भी खा गया। भगवान् जाने अब कब ये out of date चीजें पसंद करना छोडेंगें।'
आज़म खान-' या खुदा, ये कैसा इन्साफ है? इस अखिलेशवा ने अपने बाप के कर्म दोहराते हुए मायावती को भी नहीँ छोड़ा लेकिन बदले में एक झापड़ मुझे और एक अखिलेश को पड़ गया है। मैंने तो कुछ किया भी नहीं और झापड़ भी खाना पड़ा। और इस ससुरी मायावती का हाथ है की हथौड़ा, एक ही झापड़ में मक्का-मदीना याद आ गया।
अखिलेश महोदय-' हे भगवान् ! मैं कब तक अपने चाचाओं की करनी का फल भुगतता रहूँगा। इन ससुरों की बातें मान मान कर मेरी हालत धोबी के कुत्ते जैसी हो गयी है, ना मैं अकेडमिक का रहा ना टेट का ऊपर से शिक्षामित्रों ने जो फजीहत की सो अलग। यहाँ भी इस बुढ़ऊ को इश्क सूझ रहा है, कमबख्त बासी कढ़ी में भी उबाल आ रहा है। इस चचाजान ने मायावती को अपना 'डेढ़ इश्किया' दिखाने की क्या जरूरत थी ? और माया आंटी ने इनके साथ-साथ मेरा गाल भी सेंक दिया। हे प्रभु, कब तक इनकी करनी मैं झेलता रहूँगा। गाल अभी तक दर्द कर रहा है'।
'''''''''''''''''इधर निरहुआ अपने केबिन में सोच रहा था कि'''''''''''''''''
'मजा आ गया साला सबको बेवकूफ बनाया। आज बरसों की तमन्ना पूरी हो गई। 'किस' किया अपनी हथेली को और झापड़ रसीद किये अकल-लेस और आज़म को। वो ससुरे भी क्या याद करेंगे की किससे पाला पड़ा था।
(तभी निरहुआ की नीद टूट गई और देखा की निरहुआइन बेलन लेकर मेरे पास खड़ी है और सवालिया निगाहों से घूर रही है कि 'कौन कलमुंही सपने में आयी थी जिसके कारण निरहुआ तकिये को दो बार चूमकर खुश हो रहा है? अब निरहुआ क्या जवाब दे?'
अब आपलोग ही मेरी कुछ मदद करो )
अखिलेश सरकार की साख पर
ReplyDeleteफिर 'बट्टा'
टीम डिजिटल / अमर उजाला, लखनऊ
अखिलेश सरकार
की मुसीबतें दिन-ब-
दिन
बढ़ती ही जा रही हैं। पिछले
दिनों हाई कोर्ट ने आउट ऑफ टर्न
प्रमोशन को अवैध करार देकर सरकार
को झटका दिया था।
अब यूपी के प्रमुख सचिव
को ही अवमानना नोटिस भेज दिया है।
इससे सरकार की साख पर एक बार फिर
बट्टा लगा है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने
एक अवमानना याचिका में उत्तर प्रदेश
के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी और प्रमुख
सचिव समाज कल्याण सुनील कुमार के
खिलाफ अवमानना नोटिस
जारी किया है।
जस्टिस डॉ. सतीश चन्द्रा की बेंच ने
यूपी एससी एसटी आयोग में अध्यक्ष और
सदस्यों की रिक्तियों को दो माह में
भरने के हाई कोर्ट के आदेश के उल्लंघन के
कारण यह नोटिस जारी किया है।
इसके पहले जस्टिस देवी प्रसाद सिंह और
जस्टिस अशोक पाल सिंह की बेंच ने
याचिका पर आदेश दिया था कि इस
आयोग की एससी, एसटी लोगों के
हितों की रक्षा के लिए विशेष
भूमिका है।
सरकार को दो महीने में
सभी रिक्तियां भर कर मुख्य सचिव के
माध्यम से कोर्ट में अनुपालन
आख्या भेजनी थी।
सरकार ने इसका ख्याल नहीं रखा,
जिसकी वजह से कोर्ट ने
अवमानना नोटिस जारी कर दिया है।
शिक्षकों की भर्ती को छेड़ी लड़ाई अभ्यर्थी सुप्रीमकोर्ट केसाथ जनता के बीच उठाएंगे मामला इलाहाबाद : प्राथमिक शिक्षकों कीवर्षो से अधर मेंलटकी भर्ती को लेकर लड़ाई तेज हो गई है। टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी इसको लेकर आर-पार की लड़ाई छेड़ चुके हैं। मामले को सुप्रीमकोर्ट ले जाने के साथ सरकार पर दबाव बनानेके लिए जनजागरण शुरूकर दियाहै। इसे जल्द ही प्रदेशव्यापी बनाया जाएगा। प्रदेश के हर जिलेमें अभ्यर्थी जनजागरण करके समाज के प्रत्येक वर्ग सेसमर्थन हासिलकरने की व्यापक मुहिम शुरूकरने वाले हैं। इसकेतहतलोगों को अपनी व्यथा सुनाकर उनका हस्ताक्षर लिया जाएगा, सारेहस्ताक्षरोंको राज्यपाल, मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा। बसपा शासनकालमें 72825 प्राथमिक शिक्षक भर्ती केलिए विज्ञापन निकाला गया। परंतु प्रदेश में सपा की सरकार बनी तो उसे निरस्त कर दिया गया। वर्तमान राज्य सरकार 15वें संशोधन के आधार पर भर्तियां कराना चाहतीथी, जिसे कोर्ट मेंचुनौती दी गई। बीते 20 नवंबर 2013 को हाईकोर्ट ने अपनेआदेश में सपा सरकार के फैसलेको निरस्त कर दिया। इससे मामला फिर अधर में लटक गया। इस बीच शैक्षणिक मेरिट उत्थान समिति के बैनर तले टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों नेमामलेको सुप्रीमकोर्ट ले गए। वहां मामले की सुनवाईशुरू हो गई है। आवेदक अशोक दुबे का कहनाहैकि हाईकोर्ट के आदेश में 2011 विज्ञापन को बहाल करना हमेंन्यायोचित नहीं लगता। यही कारण हैकि मामले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी गईहै। मामलेको सुप्रीमकोर्ट में उठानेके साथ जनता के बीच जाकर समर्थन हासिल किया जाएगा, क्योंकि मामला अधर में लटकने से हजारोंअभ्यर्थियों को आर्थिक व मानसिक दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
ReplyDeleteअब बीएलओ का कार्य नहीं करेंगे
ReplyDeleteशिक्षामित्र
बस्ती ।
शिक्षामित्रों का टीईटी मुक्त शिक्षक पद पर
समायोजन और प्रशिक्षणरत शिक्षामित्रों को अप्रशिक्षित वेतनमान के
अधिकार को लेकर संघर्षरत आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन
ने निर्णय लिया है कि जब तक उनकी मांगे
पूरी नहीं हो जातीं वे
बीएलओ कार्य का बहिष्कार करेंगे।
जिलाध्यक्ष आनंद दुबे ने बताया कि गत सात जनवरी से
लक्ष्मण मेला मैदान में अनवरत धरना जारी है।
बस्ती मंडल के शिक्षामित्रों ने गत 10
जनवरी को अपनी ताकत का अहसास
कराया। प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने निर्णय
लिया है कि जब तक मांगे मान
नहीं ली जाती शिक्षामित्र
बीएलओ कार्य का बहिष्कार करेंगे।
जिलाध्यक्ष ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यक्रम पल्स
पोलियो अभियान में शिक्षामित्र अपना योगदान देते रहेंगे।
बीएलओ का कार्य पूर्ण शिक्षक और प्रशिक्षु मानदेय
के बाद ही संभव होगा। एसोसिएशन
महामंत्री राम पराग चौधरी ने
बताया कि लक्ष्मण मेला मैदान में चल रहे अनवरत धरने में
आगामी 18 जनवरी को पुन:
बस्ती मंडल के शिक्षामित्र हिस्सा लेंगे। सर्वाधिक
भागीदारी के लिए जनपद,
तहसील व ब्लाक स्तर पर निरंतर संपर्क
किया जा रहा है।
शु-प्रभात साथियों....
ReplyDeleteआज कल सब एक बात को लेकर परेशान है कि अब क्या होगा ? कब भर्ती होगी ? कैसे होगी ? टेट मेरिट से या फिर शैक्षिक से ! सुप्रीम कोर्ट में क्या करेगा ? पहले जूनियर की हो या प्राइमरी की ?? कैसे सब कुछ पटरी पर आये,,, और कुछ शांति मिले ???
जवाब......
सरकार भी इसी तरह परेशान है,, कुछ रास्ता नही सूझ रहा है ? बुरी तरह फंस चुकी है सरकार,,,, एक मौका मिला था सरकार को कि चुपचाप टेट मेरिट के कोर्ट के आदेश पर भर्ती कर देती, लेकिन उसमे भी 15 वा संशोधन निरस्त होना एक अभिशाप बन गया है,,
वास्तव में ऐसी स्थिति पैदा हो गयी कि विधिक सलाहकार भी सोचने को मजबूर हो गए,,,,,,, बिलकुल वैसे ही जैसे तेज शर्दी में आइस क्रीम खाने का मजा ही कुछ और होता है, पर कुछ लोग नाक बहने से परेशान रहते है,, फिर सोचते है, कि ये आइस क्रीम कैसे खाई जाये,, जो जुखाम न हो,, बेचारे कभी सोचते है, कि अंगीठी पर गर्म करके खा लू.. तो कभी कम्बल में बैठकर और कभी सोचते है, गरम पानी के साथ,, कभी सोचते है कि कूकर में उबाल कर खा लू,, तभी कोई सलाहकार सलाह दे देता है कि फिर ये आइस क्रीम नही फायर क्रीम बन जायेगी,,,, बेचारी सरकार बहुत सोच रही है,,,, लेकिन एक समस्या गंभीर है कि, वो ये सब आइस क्रीम खरीदकर उसे हाथ में लेकर सोच रही है,, अब आप सब समझदार है,,,, कुछ भी हो सकता है,,,
धन्यवाद...
TET sathiyo...hame fir se andolan karna hi padega.. please plan a protest in lucknow ya Satya mitra garg ke ghar ke samne again....warna ye SLP ka defect kabhi door nahi hoga
ReplyDeleteTET sathiyo...hame fir se andolan karna hi padega.. please plan a protest in lucknow ya Satya mitra garg ke ghar ke samne again....warna ye SLP ka defect kabhi door nahi hoga
ReplyDeleteTET sathiyo...hame fir se andolan karna hi padega.. please plan a protest in lucknow ya Satya mitra garg ke ghar ke samne again....warna ye SLP ka defect kabhi door nahi hoga
ReplyDeleteTET sathiyo...hame fir se andolan karna hi padega.. please plan a protest in lucknow ya Satya mitra garg ke ghar ke samne again....warna ye SLP ka defect kabhi door nahi hoga
ReplyDeleteTET sathiyo...hame fir se andolan karna hi padega.. please plan a protest in lucknow ya Satya mitra garg ke ghar ke samne again....warna ye SLP ka defect kabhi door nahi hoga
ReplyDelete*अवसरवादी राजनीति*
ReplyDeleteकल मायावती जी ने टेट मेरिट
समर्थकों की संघर्ष गाथा पर चंद लाइने
क्या बोल दी कि लोग उनको देवी स्वरूप
बताने लगे,,,,इस हिसाब से अगर कल
मुलायम सिंह जी अखिलेश यादव
की नादानी का हवाला देकर टेट मेरिट
समर्थकों के साथ हुए अन्याय के लिए
घड़ियाली आँसू बहा दें तो टेट मोर्चे
को उनके नाम का मंदिर
बनवाना चाहिए???
यही होती है राजनीति और ऐसे ही भोले
भाले लोग मूर्ख बनाए जाते हैं| भारतीय
जनता की यही प्रवृत्ति आज उसकी इस
स्थिति के लिए जिम्मेदार है,,,,जब टेट
मेरिट समर्थकों पर लाठियाँ चटक
रही थीं, मुकदमे दर्ज हो रहे थे, हर तरफ
शोषण ही शोषण हो रहा था तब इन्हें
इन बेरोजगारों की आह नहीं सुनाई दे
रही थी ???
आज जब दो महीने में लोक सभा चुनाव के
वोट पड़ने हैं तो दिखावटी दयाभाव
हिलोंरें मार रहा है ताकि बेरोजगार
इनको वोट दें.....
कुछ लोग कह रहे हैं कि अगर
मायावती जी ने 6 माह पहले भर्ती शुरू
कर दी होती तो उत्तर प्रदेश के
बेरोजगारों को टेट मेरिट की सौगात
नहीं मिलती,,,,,लेकिनइसके लिए उन्होने
कोई तर्क
नहीं दिया कि क्यों ऐसा नहीं होता,,,,,
उत्तर प्रदेश न्याय विभाग को पहले
दिन से ही पता था कि आरटीई लागू
होने के बाद नये आवेदकों को टेट
परीक्षा से मुक्ति नहीं मिल सकती फिर
क्यों नहीं समय रहते प्रक्रिया शुरू
की गयी ??? टेट आयोजित कराने
संबंधी दिशा निर्देश फरवरी 2011 में
ही प्राप्त हो गये थे,,,,,केंद्रीय
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने तो समय
रहते जुलाई माह में
वो परीक्षा करा भी ली थी,,,,,उत्तर
प्रदेश सरकार ने नहीं कराई,,,,,,,,क्य
ों ??? क्योंकि चुनाव के समय सब
बेरोजगारों को स्वयं
की पार्टी को वोट देने के लिए मजबूर
जो करना था|
मत भूलिए सपा को सत्ता में आने के लिए
224 सीटें मिली हैं,,,,, ये किसी जादू से
नहीं आयीं हैं,,,,जनता ने उसको वोट
दिया है तब आई हैं| याद करिए उस समय
जनता ने उस पार्टी को वोट
क्यों दिया जो परिवारवादी राजनीति
अराजकता की मिसाल थी ?
आप अपनी पेशानी पर बल डालिए सब याद आ
ReplyDeleteजाएगा......
मूर्ति और पार्क प्रेम, ताज कारीडोर
घोटाला, पौंटी चड्डा का 250 करोड़
का बसपाई चुनावी फाइनेंस, तानाशाही,
अहंकार, अपने वर्ग
की जातियों को विशेष आरक्षण, आधे से
ज्यादा मंत्रियों का चरम भ्रष्टाचार,
राजनीतिक विरोधियों पर रासुका और
गेंगेस्टर, स्वास्थ मिशन घोटाले
को दबाने के लिए लगातार कई सीएमओ
की हत्याएं, लोगों पर धौंस जमाने और
लगाम लगाने के लिए हरिजन एक्ट नामक
हथियार, वोटिंग के एक सप्ताह पहले तक
110 से ज्यादा प्रत्याशियों का टिकट
निरस्तीकरण बिगड़ती कानून व्यवस्था,
नोटों की माला का लाइव प्रसारण,
राजकीय विमान में चप्पल
ढुलाई, .......याद आया ??
इनके कुशासन से भी जनता ऐसे ही त्रस्त
थी जैसी अब है,,,,,बस अंबेडकर ग्राम
की जगह लोहिया ग्राम हो गये है
इसीलिए उसने बसपा को सबक सिखाने के
लिए सपा को ज्यादा वोट
दिया..........
फिलहाल बसपा का इतना ही योगदान
है कि टेट मेरिट का जन्म इनके शासन
काल में हुआ और कुछ नहीं,,,,,, और उनके इस
चुनावी योगदान की बाकायदा टेट
बेरोजगारों ने बहुत ऊँची कीमत
भी चुकाई है,,,,,जब कीमत चुका चुके हैं
तो किसी राजनीतिज्ञ
को सेहरा क्यों ??? सरकार
द्वारा बेरोजगारों को रोजगार
देना सरकार का कोई उपकार या भीख
देकर कमाया जाने वाला पुण्य नहीं है
बल्कि कर्तव्य है, जिसके लिए
वो संवैधानिक उपबंधों द्वारा बाध्य है|
किसी का योगदान आगे मिलता है
तो नियुक्ति पत्र मिलने के बाद खूब
आभार प्रकट करिए फिर चाहे वो सतीश
चन्द्र मिश्रा जी हों या पी सतशिवम
महोदय
टेट संघर्ष मोर्चा आज एक ऐसी नाव है
जिसमे भारत के
सभी भावी प्रधानमंत्री तक सवार होने
को तैयार हैं फिर कोई दस बीस
सांसदों वाली व्यक्ति केन्द्रित
पार्टी क्या चीज है टेट मेरिट
समर्थक आज जहाँ तक भी पहुँचे हैं वो सिर्फ खुद के समर्पण, एकता, और ऊपर
वाले के आशीर्वाद से पहुँचे हैं,,,,थोड़ा बहुत
बचा खुचा रास्ता भी अपनी किस्मत,
हिम्मत, आत्मविश्वास और भारतीय
संविधान के सहारे तय कर लेंगे,,,,,,
!! सत्यमेव जयते !!
लोमड़ी के राज में जंगल के सभी जानवर त्रस्त थे, क्योंकि पड़ोसी जंगल के भेड़िये जब तब घुस आते और नन्हे जानवरों को खा जाते!
ReplyDeleteसारा माल लुट लेते थे !
ऐसे में एक शक्तिशाली राजा की ज़रूरत थी जो उन्हें बचा सके! जंगल में चारों तरफ़ चर्चा थी कि इस बार शेर को ही जिताएंगे और अपना राजा बनाएंगे!
हालांकि लोमड़ पार्टी इसका यह कह कर पुरज़ोर विरोध कर रही थी कि शेर तो हिंसक है, गुस्से वाला है, अगर वो राजा बन गया तो जंगल का नाश कर देगा , लेकिन सभी प्राणी ठान चुके थे कि इस बार शेर को ही शासन सौंपना है......!!!
अपना सिंहासन डोलता देख लोमड़ी ने वहाँ के तमाम सियारों को चुपके से माँसाहारी डिनर पर बुलाया और कहा कि इस बार मेरी हार निश्चित है, लेकिन अगर शेर सिंहासन पर आ गया तो तुम भी मारे जाओगे और मैं भी, इसलिए तुम तुरत फुरत एक दल बनाओ और पूरे जंगल में घूम घूम कर मेरा विरोध करो,
मुझे गालियां दो
जेल भेजने की माँग करो
बलात्कार का इल्जाम
काली हड्डी जमाखोरी
अनेक प्रकार के घोटाले
धर्मनिरपेक्ष की संज्ञ!
20 वर्ष पहले का इतिहास
खोलो
मुझसे बचपन में हुई गलतियाँ को बताओ
. . . . . .
आदि आदि सब लेकिन सब झूठ होना चाहिए सच कुछ भी न हो केवल झूठ. .. .
सिर्फ झूठ . . सफेद झूठ . . .
इससे फायदा यह होगा कि चुनाव दो तरफ़ा न होकर तीन तरफ़ा हो जाएगा अर्थात जो लोग मुझसे नाराज़ हो कर शेर को वोट देने वाले हैं उनमें से बहुत सारे वोट तुम्हें इसलिए मिल जायेंगे क्योंकि तुम पर हिंसक होने का कोई ख़ास ठप्पा नहीं है! लिहाज़ा जंगल के सभी धर्मनिरपेक्ष तुम्हारे साथ हो जायेंगे...!!!
आगे यह तय हुआ कि चुनाव में लोक दिखावे के लिए तो लोमड़ी दल और सियार दल इक दूजे का पुरज़ोर विरोध करेंगे, परन्तु चुनाव परिणाम में अगर स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो हम इक दूजे के काम आयेंगे!
--जैसे भी हो, ये शेर नहीं आना चाहिए....!!
वही हुआ,...........सीटों के हिसाब से चुनाव परिणाम शेर के पक्ष में होते हुए भी वह राजा नहीं बन सका और जिसे सबने नकार दिया था यानि लोमङी को, उसी के समर्थन से सियारों ने अपनी सरकार बना ली! जंगल के सभी प्राणी अपने आप को ठगा हुआ महसूस करने लगे ....!!!!
ReplyDeleteAlok Shrivastava > UPTET QUALIFIED QUALITY TEACHER
किसी भी संगठन में उनकी सबसे बड़ी ताकत
होती हे उनके नेताओ के विचारो का सारे
संगठन के द्वारा समर्थन किया जाना, फिर
चाहे वो शिक्षामित्र हो या कोई और,
समय-समय पर हमारे संगठन ने अपनी एकजुटता और
बाकी सरे वो सबूत दे दिए है कि अब कोई और
सबूत देने की जरूरत नहीं है, आज से 2 माह पूर्व जब
मेने माता जी अनुराधा रमेश शर्मा जी से
मुलाकात की थी और अपना दर्द
सुनाया तो माता जी ने तुरन्त श्री मनोज
तिवारी जी से बात की और वही से
श्रीमान सतीश मिश्रा जी और बहिन जी से
लगातार बात होने के बाद सभी ने ये
फैसला किया की हम साथ देने को तैयार है,
हालांकि झांसी-ललितपुर संसदीय सीट
की प्रत्यासी माताजी ने
तो यही कहा की अगर पार्टी इनका केस ले
तो ठीक हे नहीं तो में इनका केस लडूंगी और जब
में लखनऊ में अपने सभी भाइयो के साथ मिलने
श्री सतीश मिश्रा जी से मिलने पहुँचा,
तो उन्होंने सबसे पहले
यही कहा था की बी.एस.पी नहीं चाहती है
कि इस मामले का राजनीतिकरण हो लेकिन
अब जब आप लोगो की इच्छा हे तो हम
सभी साथ हे और अपने केस से सम्बन्धित
सभी चर्चाये करने के बाद श्री मनोज
तिवारी जी ने कहा की आप लोग
मिठाईया बातt दो आपकी नोकरी अब
हमारी जिम्मेदारी हे, उनका कॉन्फिडेंस
देखकर साफ लग रहा था मानो हम
पहली ही सुनवाई पैर केस जीत जायेंगे, और
इसी सबका हिस्सा था कल के बहिन जी के
जन्मदिन में हमारे लिए भी पहले से
ही तोहफा था और
वो जो तैयारिया हमारे लिए कर रही हे
उसके लिए हमें बहिन जी, माताजी और सतीश
चन्द्र मिश्रा जी, श्रीमान मनोज
तिवारी का सुक्रिया करना चाहिए,
क्योकि समाजवादी पार्टी तो पहले
ही हमें बी.एस.पी का कार्यकर्ता घोषित
कर चुकी हे और बहिन जी हमें पहले
ही टी.ई.टी मेरिट का रास्ता खोल
चुकी हे इतना क्या कम था अब रास्ते पर
चलना तो हम
समाजवादी पार्टी को उल्टा मुँह गिराकर
ही सीख लेंगे। रही बात
नोकरी की तो टी.ई.टी मोर्चा इतना पर
हो चूका हे की 31, मार्च के पहले आप
को नौकरी दिला ही देगा सुप्रीमकोर्ट के
द्वारा, जिसकी सम्भावना 101 प्रतिशत हे,
समाजवादी पार्टी शायद होश में आ जाये
और हम लोगो को अपना वोट बैंक खोता देख
सुप्रीमकोर्ट से वापिस आकर,
सीधी कॉउंसलिंग सुरु करा दे
जिसकी सम्भावना मेरी नजर में बढ़ गयी है,
क्योकी इनके सबसे बड़े दुश्मन के साथ खड़े होकर
देखो पल्टूराम को होश आ जायेगा और कुछ
नहीं तो हम उसका 1-2 लीटर खून
तो जला ही देंगे अगर मेरे
साथी समाजवादी पार्टी के इस मूमेंट से रूठने
की बात करे, तो में आपको, अपने अभी तक के
सभी मूमेंट, आंदोलनो की याद
दिलाना चाहूंगा जिसको देखकर ये
समाजवादी पार्टी आज तक नहीं पिघली, अब
बारी हे लोकसभा में हमारे डंडे चलाने की और
इनका खून जलाने की जिसके लिए हमे शायद अब
पीछे नहीं रहना चाहिए। कुछ साथी नमो:
नमो: या आम आदमी करे, तो हो सकता हे
की उनको वही नोकरी दे-दे जिसकी कोई
दूर-दूर तक सम्भावना नहीं हे|
ReplyDeleteसपना दिखाकर संस्था ने ठगा बेरोजगारों को•अखिलेश मिश्रइलाहाबाद। मॉडल स्कूल सर्व शिक्षा अभियान के नाम से सहायक शिक्षकों के पद घोषित कर बेरोजगारों को ठगने का मामला सामने आया है। समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर सहायक शिक्षकों के लिए ऑन लाइन आवेदन मांगे गए हैं। इन पदों के लिए बड़ी संख्या में बेरोजगारों ने 500 रूपये का ई-चालान लगा आवेदन कर दिया। मॉडल सर्व शिक्षा संस्थान इलाहाबाद के नाम से ई-चालान मांगा गया है। जिस पते से आवेदन जारी किया गया है, वहां कोई स्कूल नहीं है जबकि आवेदन के विज्ञापन में भारी भरकम स्कूल दिखाया गया है। विज्ञापन में जालौन, ललितपुर, झांसी जिले के लिए आवेदन मांगे गए हैं।आवेदन में उद्योग जगत एवं यूनीसेफ के सहयोग से स्कूल संचालित होने की बात कही गई है। विज्ञापन में सर्व शिक्षा अभियान इतने तरीके से स्तेमाल किया गया है मानो विज्ञापन सरकारी हो जबकि विभाग ऐसी किसी जानकारी से इंकार कर रहा है। बीएसए राजकुमार का कहना है कि विभाग की तरफ से ऐसा कोई आवेदन जारी नहीं किया गयान ही ऐसी किसी संस्था को सर्व शिक्षा अभियान का नाम इस्तेमाल करने का अधिकार है। इसके बाद भी बेरोजगारों को गुमराह किया जा रहा है।मॉडल स्कूल सर्व शिक्षा अभियान के नाम से विज्ञापन करने वाला राधा किशन हमीरपुर के वलीपुर गांव का रहने वाला है।इसने राधाकिशन स्वयंसेवी संस्था के नामसे पंजाब नेशनल बैंक कचहरी ब्रांच में खाता संख्या 617700010022138खोल रखा है। इसी खाते में अभ्यर्थियों को ई-चालान के जरिए शुल्क जमा करना है। पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक रमेश पांडेय ने बताया कि बुधवार शाम तक इस खाते में ई-चालान केजरिए तीन लाख तीन हजार रूपये जमा हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि राधाकिशन सोसाइटी के सचिव राधा किशन ने मॉडल स्कूल सर्व शिक्षा संस्थान शांतिपुरम केनाम से 17 जून2013 में पीएनबी कचहरी ब्रांच में खाता खोला था।राधाकिशन ने पूरा विज्ञापन ऑन लाइन जारी किया जिससे फर्जीवाड़ा पकड़ में न आए। शिक्षा विभाग से हुूबहू मिलती जुलती वेबसाइट एवं उस पर शिक्षा विभाग की महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होने के कारण बड़ी आसनी से शिक्षित बेरोजगार गुमराह हो रहे हैं। मॉडल स्कूल के नाम सेविज्ञापन जारी करने वाले राधाकिशन से जब संपर्क किया गया तो उसने पहले तो शांतिपुरम फाफामऊ में अपना स्कूल होने की बात कही, लेकिन जब उससे विद्यालय का पता देने को कहा गया तो वह पलट गया और बोला शांतिपुरम में केवल छोटा सा कार्यालय है। शिक्षा विभाग के मुख्यालयवाले शहर में बड़े अधिकारियों के नाक के नीचे यह फर्जीवाड़ा हो रहा है लेकिन कार्रवाई के बजाय उसे बेरोजगारों को ठगने की छूट दे दी गई, यह समझ से परे है। सब जानते हुए भी बीएसए राजकुमार का कहना है कि संस्था के फर्जीवाड़े का उनके विभाग का कोई सरोकार नहीं है। इसके खिलाफ कार्रवाई करना उनकी जिम्मेदारी नहीं।•ऑन लाइन चालान के जरिए बेरोजगारों ने बैंक में जमा कर दिए तीन लाख
Is baar Bumper Aavedan Honge, Fail vaale aur naye B. ED / 82 WALE/BTC VAALE LOG BHAREE TADAD MEIN BAD RAHE HAIN
ReplyDeleteइस बार टूटेगा टीईटी अभ्यर्थियों का रिकार्ड महज आठ दिन मेंही चार लाख अभ्यर्थियों का पंजीकरण पैटर्न मेंफेरबदलकिए जानेसे बढ़ी संख्या राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : प्रदेश में राज्य शैक्षिक पात्रता के आधार पर नियुक्तियांभलेही न हो पाई हों, लेकिन इस परीक्षा केलिए युवाओं की प्राथमिकता बरकरार है। जिस तेजी से इसके लिए पंजीकरण होरहे हैं, उससे लगता है कि इस बार टीईटी में रिकार्ड अभ्यर्थी शामिल होंगे। अभी पंजीकरण केलिए छह दिन का समय बाकी है और माना जा रहाहैकि इस दौरान बड़ी संख्या में अभ्यर्थी आवेदन की प्रक्रियामेंशामिल होंगे। सूबे में अब तक दो बार राज्य शैक्षिक पात्रतापरीक्षा (टीईटी) हो चुकी है। 2011 में बसपा शासनकाल में हुई इस परीक्षामें लगभगसाढ़े तीन लाख अभ्यर्थी शामिलहुए थेऔर इसमेंपास होने वालों की संख्याभी काफी थी। 2012 में यह परीक्षा नहीं हो सकी। सपा सरकार ने2013 मेंयह परीक्षा कराईजिसमें लगभग साढ़े सातलाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इसकेबाद अब जनवरी 2014 में तीसरी बार विज्ञापन घोषितकिया गया है। विभागीय सूत्रों केअनुसार इसकी पंजीकरण 7 जनवरी से शुरू हुआ। शुरुआती दो दिनोंतक पंजीकरण की प्रक्रियाधीमी रही लेकिन पिछलेपांच दिनोंमें यह आंकड़ा चार लाख से अधिक पहुंच चुका है। परीक्षा नियामक कार्यालय ने पंजीकरण की अंतिम तिथि 21 जनवरीऔर आवेदन करने की अंतिम तिथि 28 जनवरी तय कर रखी है। अभ्यर्थियों केअनुसार इस बार टीईटी कै पैटर्न में फेरबदल किए जानेसे भीछात्रों की भागीदारी बढ़ रहीहै। इस बार परीक्षा सिर्फवस्तुनिष्ठप्रश्नों केआधार पर ही होगी। निबंध का प्रश्नपत्र समाप्त कर दिया गया है। रजिस्ट्रार विभागीय परीक्षाएं नवल किशोर के अनुसार निबंध खत्म किए जानेसे भेदभावके आरोपों से भी बचा जा सकेगा और छात्रों को अपनेप्रश्नों केउत्तर के हिसाबसे मिलनेवाले अंक जांचनेमें भी सुविधा रहेगी।
ReplyDeleteपराई पीर का प्याला जिन्हें पीना नहीं आया,मनुजता का फटा आँचल जिन्हें सीना नहीं आया।जो फरिश्तों की तरह भले ही बात करते हों,मगर इन्सान बन करके जिन्हें जीना नहीं आया।आपकी ऐसे लोगों पर क्या राय है??
ReplyDelete***DUA to Dil se mangi jati Hai Aye Bande. ..
Qubool to uski Bhi hoti hai jiski zubaan Nahi.
***.DUA me yaad Rakhna.®
ReplyDeleteMohammad Shakeel
Harchandpur * Raebareli
81 82 80 33 09
96 48 20 73 47
क्या आपके चेहरे कि त्वचा रुखि सुखी और कठौर हो गयी है?
ReplyDeleteक्या आप विदेशी शेविंग क्रिम से अपने चेहरे कि सुंदरता खो चुके है?
क्या आप दाडी बनाने कि क्रिम सिर्फ़ टी.वी. का विज्ञापन देख कर खरीद लेते है?
अब क्रपया ध्यान से पडे आपको पपू बनाया गया है..
वास्तविक्ता- राष्ट्रिय रासायनिक प्रयोगशाला, पूणे के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद मोघे के अनुसार वर्तमान में उपयोग होने वाले सभी क्रिमो में झाग पैदा करने के लिए इसमे कई घातक कार्बनिक रसायन मिलाए जाते है l
इनमें सोडियम लवण, सल्फोनेटेड ऑईल, अल्काईन के योगिक जैसे 20 रसायन होते है साथ में कुछ खुश्बु पैदा करने वाले रसायन मिलाए जाते है. (आप एक बार शेविंग क्रिम से कपडे धो कर देखे, डिटर्जेंट कि भी पूश्टि हो जाएगी)
मित्रों शास्त्रों में रसायन को प्रथ्वि का जहर बताया गाया है और इसे प्रयोग में लाने कि बजाय वहि रहने देना चाहिये..
(इसीलिए सनातन में धरति को माँ कहा गया है क्योकि ये रसायन- जहर को तो अपने में समा लेति है और प्राणियो को शुद्ध- अमृत तुल्य फल, फूल, सब्जिया प्रदान करती है, सभी जानते है कि किसी खाने वाले पेड के फल में जहर नही होता है l) लेकिन मनुश्य कितना मूर्ख है इसे भी खोद के खाता है, और अपने पर प्रयोग करता है l
अब करना क्या है - इस्का हल बडा ही आसान और सहज है
मात्र 3 चम्मच दुध (कच्चा या उबला) ले लीजिए, इसे अपने चहरे पर लगा लीजिए और 20 सेकेण्ड तक त्वचा पर हल्के हाथो से मलिए, अब ब्लेड से साफ कर लीजिए. ये कितना कारगर है इसे प्रयोग के वक्त आप ख़ुद महसूस करेंगे
मै डंके कि चोट पर कहता हूँ इस भारतीय तरिके से आपकि ब्लैड 4 महीने से भी ज्यादा चलेगी
त्वचा कोमल बनी रहेगी और इस काम को करने में आपको मात्र 3 मिनट लगेंगे
वैज्ञानिक पूष्टि - 1. दुध त्वचा (शरीर के किसी भी अंग) कि चमक और कोमलता को क्षीण नही होने देता और इसकी अन्दर तक सफाई भी करता है (त्वचा प्रदूषित हो गयी हो या झुलस गयी हो दूध त्वचा कि रंगत लोटाता है,
नागदा में एशिया कि सबसे बडि फाइबर कंपनी है इसमे कर्मचारियों को रोजाना मुफ्त में 1 गिलास दूध पिलाया जाता है जिससे वायु प्रदुषण में भी सभी के फेफड़े स्वस्थ और मज़बूत रहते है)
2. शेविंग क्रीम के इस्तमाल के पिछे विदेशी कंपनियां ये तर्क देती है कि इससे स्मूद (घर्षण रहीत) शेविंग होती है l
जब आप ब्लैड से दाडी बनाते है तो ब्लैड और बालों के बीच जितना कम घर्षण होगा उतनी जल्दी और आसानी से शेविंग हो जायेगी.
दूध में उपस्थित लैक्टिक एसिड पानी के पृष्ठ तनाव (SURFACE TENSION) और श्यानता बल (VISCOSITY FORCE) को सबसे आसानी से तोडता है और प्राकृतिक होने के कारण लैक्टिक एसिड त्वचा के लिए बाह्य प्रोटीन का काम करता है और बालों - ब्लैड के बीच का घर्षण कम कर के त्वचा को खुब्सुरत बनाता है
दूध से दाडि बनाते वक्त ब्लैड और त्वचा के बिच जो चिकनाहट पैदा होती है वो शेविंग क्रीम से 100 गुना ज्यादा बेहतर होती है यही कारण है कि दूध के प्रयोग में त्वचा से खून निकलना नामुमकिन है l
शेविंग क्रीम और ब्रश का सच क्या है- नॉयलोन के ब्रश से त्वचा सख्त हो जाती है और रासायन युक्त क्रीम से त्वचा को भारी क्षति पहुँचती है, प्राकृतिक सौंदर्य तो जाता ही है केमिकल से त्वचा संबंधी बीमारियों का खतरा रहता है
ये तरीका बहोत जटील और नुकसानदायक है और इस प्रकार विदेशी कंपनियां खरबों रू. भारत से हर साल ले जाती है
भारत के लोग इतने सीधे है कि बिना वैज्ञानिक कारण पता किए विदेशी सामानों को खरीद लेते है (सिर्फ़ टी.वीं.के विज्ञापन देख्कर)
हर विदेशी समान को एक बार शक़ की नजर से जरूर देखे, इनका स्वार्थ सामने निकल आएगा
वंदे मातरम्...
ReplyDeleteMere Pyare tet sathiyo...
Ugte suraj ko sabhi pranam karte hai kyoki yadi aisa na kiya gaya to suraj ki prachand tapis unhe jhulsa sakti hai.isi bat ko dhyan m rakh bsp pramukh ka tet k vishay me bayan aya.ham aise bayano k liye unka dhanyavad karte hai.der se hi sahi unhe hamari yad to ayi.mitro iske pichhe hamari pichhle 2 salo ki mehnat evam ekjutata pramukh karan rahi hai.hame apne ekjutata ki tapis ka ahsas is gvt ko karana hi hoga.hamari vijay yatra me jise jise sharik hona hai uska swagat hai.ham kisi ke bharose nahi hai.hame apne tet bhaiyo pe bharosa hai kyoki kaha gaya hai''kar bahiya bal apni chhad virani ass''is nikammi gvt ko khuli chunauti hai ki slp k defct dur kar date lagvaye ham usi date pe apni jeet ki muhar lagva lenge.ek bat yad rakhni hai ki is kaliyug me koi bhi kisi ki sahayata yu hi nahi karta.
atah'.,.
'KHUDI KO KAR BULAND ITNA KI.......
ReplyDeleteMere Pyare tet sathiyo...
Ugte suraj ko sabhi pranam karte hai kyoki yadi aisa na kiya gaya to suraj ki prachand tapis unhe jhulsa sakti hai.isi bat ko dhyan m rakh bsp pramukh ka tet k vishay me bayan aya.ham aise bayano k liye unka dhanyavad karte hai.der se hi sahi unhe hamari yad to ayi.mitro iske pichhe hamari pichhle 2 salo ki mehnat evam ekjutata pramukh karan rahi hai.hame apne ekjutata ki tapis ka ahsas is gvt ko karana hi hoga.hamari vijay yatra me jise jise sharik hona hai uska swagat hai.ham kisi ke bharose nahi hai.hame apne tet bhaiyo pe bharosa hai kyoki kaha gaya hai''kar bahiya bal apni chhad virani ass''is nikammi gvt ko khuli chunauti hai ki slp k defct dur kar date lagvaye ham usi date pe apni jeet ki muhar lagva lenge.ek bat yad rakhni hai ki is kaliyug me koi bhi kisi ki sahayata yu hi nahi karta.
atah'.,.
'KHUDI KO KAR BULAND ITNA KI.......
8 फरवरी को जूनियर की रैंक जारी किये जाने की संभावना है ,,,बशर्ते कि सरकार उससे पहले sc में 15th संशोधन के रद्द किये जाने पर की अपनी slp का डिफेक्ट दूर कर सके,,,,
ReplyDeleteआपको क्या लगता है कि अपनी रैंक देखने के बाद 30-11-11 के अभ्यार्थियो में से कितने तक गुणांक वाले अपने आपको acd समर्थक कहलाना पसंद करेंगे,,,,, ध्यान रखियेगा कि जूनियर में पूर्व की PRT भर्तियो में flat ACD से चयनित BTC और VBTC वाले भी शामिल हैं.जिनका गुणांक 68 के आस-पास है...... वो दिन याद है ना जब PRT की रैंक जारी हुई थी,,,,, ?
टेट मोर्चे को आपकी एक सलाह की आवश्यकता है........जूनियर की काउंसिलिंग शरू होने से पहले बंद करवाई जाए या PRT की भांति चलती हुई काउंसिलिंग को रुकवाया जाए.....?
एक नौजवान आदमी एक किसान की बेटी से शादी की इच्छा लेकर किसान के पास गया. किसान ने उसकी ओर देखा और कहा, " युवक, खेत में जाओ. मैं एक एक करके तीन बैल छोड़ने वाला हूँ. अगर तुम तीनों बैलों में से किसी भी एक की पूँछ पकड़ लो तो मैं अपनी बेटी की शादी तुमसे कर दूंगा."नौजवान खेत में बैल की पूँछ पकड़ने की मुद्रा लेकर खडा हो गया. किसान ने खेत में स्थित घर का दरवाजा खोला और एक बहुत ही बड़ा और खतरनाक बैल उसमे से निकला. नौजवान ने ऐसा बैल पहले कभी नहीं देखा था. उससे डर कर नौजवान ने निर्णय लिया कि वह अगले बैल का इंतज़ार करेगा और वह एक तरफ हो गया जिससे बैल उसके पास से होकर निकल गया.दरवाजा फिर खुला. आश्चर्यजनक रूप से इस बार पहले से भी बड़ा और भयंकर बैल निकला. नौजवान ने सोचा कि इससे तो पहला वाला बैल ठीक था. फिर उसने एक ओर होकर बैल को निकल जाने दिया.दरवाजा तीसरी बार खुला. नौजवान के चहरे पर मुस्कान आ गई. इस बारएक छोटा और मरियल बैल निकला. जैसे ही बैल नौजवान के पास आने लगा, नौजवान ने उसकी पूँछ पकड़ने के लिए मुद्रा बना ली ताकि उसकी पूँछ सही समय पर पकड़ ले. पर उस बैल की पूँछ थी ही नहीं....................
ReplyDeleteकहानी से सीख......जिन्दगी अवसरों से भरी हुई है. कुछ सरल हैंऔर कुछ कठिन. पर अगर एक बार अवसर गवां दिया तो फिर वह अवसर दुबारा नहीं मिलेगा.... अतः हमेशा प्रथम अवसर को हासिल करने का प्रयास करना चाहिए.
भारत का एक बालक कान्वेंट स्कूल में अपना नाम खारिज करवाकर भारतीय पद्धति से पढ़ानेवाली पाठशाला में भर्ती हो गया। उस लड़के की दृष्टि बड़ी पैनी थी। उसने देखा कि पाठशाला के प्रधानाचार्य कुर्ता और धोती पहन कर पाठशाला में आते हैं। अतः वह भी अपनी पाठशाला की पोशाक उतारकर धोती-कुर्ते में पाठशाला जाने लगा। उसे इस प्रकार जाते देखकर पिता ने पूछाः "बेटा ! तूने यह क्या किया?" बालकः "पिताजी ! यह हमारी भारतीय वेशभूषा है। देश तब तक शाद-आबाद नहीं रह सकता जब तक हम अपनी संस्कृति का और अपनी वेशभूषा का आदर नहीं करते। पिता जी ! मैंने कोई गलती तो नहीं की?" पिताजीः "बेटा ! गलती तो नहीं की लेकिन ऐसा पहन कैसे लिया?" बालकः "पिताजी ! हमारे प्रधानाचार्य यही पोशाक पहनते हैं। टाई, शर्ट, कोट, पैन्ट आदि तो ठण्डे प्रदेशों की आवश्यकता है। हमारा प्रदेश तो गरम है। हमारी वेशभूषा तो ढीली- ढाली ही होनी चाहिए। यह वेशभूषा स्वास्थ्यप्रद भी है और हमारी संस्कृति की पहचान भी।" पिता ने बालक को गले लगाया और कहाः "बेटा ! तू बड़ा होन हार है। किसी के विचारों से तू दबना नहीं। अपने विचारों को बुलंद रखना। बेटा ! तेरी जय- जयकार होगी।" पाठशाला में पहुँचने पर अन्य विद्यार्थी उसे देखकर दंग रह गये कि यह क्या ! जब उस बालक से पूछा गया कि 'तू पाठशाला की पोशाक पहनकर क्यों नहीं आया?' तब उसने कहाः "पाश्चात्य देशों में ठण्डी रहती है, अतः वहाँ शर्ट-पैन्ट आदि की जरूरत पड़ती है। ठण्डी हवा शरीर में घुसकर सर्दी न कर दे, इसलिए वहाँ के लोग टाई बाँधते हैं। हमारे देश में तो गर्मी है। फिर हम उनके पोशाक की नकल क्यों करें? जब हमारी पाठशाला के प्रधानाचार्य भारतीय पोशाक पहन सकते हैं तो भारतीय विद्यार्थी क्यों नहीं पहन सकते?" उस बालक ने अन्य विद्यार्थियों को भी अपनी संस्कृति के प्रति प्रोत्साहित किया। उसने देखा कि कान्वेंट स्कूल में पादरी लोग हिन्दू धर्म की निन्दा करते हैं और माता- पिता की अवहेलना करना सिखाते हैं। हमारे शास्त्र कहते हैं- 'मातृदेवो भव। पितृदेवो भव। आचार्यदेवो भव।' ....और अमेरिका में कहते हैं कि 'माँ या बाप डाँट दे तो पुलिस को खबर कर दो।' जो शिक्षा माता-पिता को भी दंडित करने की सीख दे, ऐसी शिक्षा हम क्यों पायें? हम तो भारतीय पद्धति से शिक्षा देनेवाली पाठशाला में ही पढ़ेंगे।' ऐसा सोचकर उस बालक ने कान्वेंट स्कूल से अपना नाम कटवाकर भारतीय शिक्षा पद्धतिवाली पाठशाला में दर्ज करवाया था। इतनी छोटी सी उम्र में भी अपने राष्ट्र का, अपने धर्म का तथा अपनी संस्कृति का आदर करने वाले वे बालक थे सुभाषचंद्र बोस। .
ReplyDeleteएक गरीब युवक, अपनी गरीबी से परेशान होकर, अपना जीवन समाप्त करने नदी पर गया, वहां एक साधू ने उसे ऐसा करने से रोक दिया।
ReplyDeleteसाधू ने, युवक की परेशानी को सुन कर कहा, कि मेरे पास एक विद्या है, जिससे ऐसा जादुई घड़ा बन जायेगा जो भी इस घड़े से मांगोगे, ये जादुई घड़ा पूरी कर देगा, पर जिस दिन ये घड़ा फूट गया, उसी समय, जो कुछ भी इस घड़े ने दिया है, वह सब गायब हो जायेगा।
अगर तुम मेरी 2 साल तक सेवा करो, तो ये घड़ा, मैं तुम्हे दे सकता हूँ और, अगर 5 साल तक तुम मेरी सेवा करो, तो मैं, ये घड़ा बनाने की विद्या तुम्हे सिखा दूंगा। बोलो तुम क्या चाहते हो,
युवक ने कहा, महाराज मैं तो 2 साल ही आप की सेवा करना चाहूँगा , मुझे तो जल्द से जल्द, बस ये घड़ा ही चाहिए, मैं इसे बहुत संभाल कर रखूँगा, कभी फूटने ही नहीं दूंगा।
इस तरह 2 साल सेवा करने के बाद, युवक ने वो जादुई घड़ा प्राप्त कर लिया, और अपने घर पहुँच गया।
उसने घड़े से अपनी हर इच्छा पूरी करवानी शुरू कर दी, महल बनवाया, नौकर चाकर मांगे, सभी को अपनी शान शौकत दिखाने लगा, सभी को बुला-बुला कर दावतें देने लगा और बहुत ही विलासिता का जीवन जीने लगा, उसने शराब भी पीनी शुरू कर दी और एक दिन नशें में, घड़ा सर पर रख नाचने लगा और ठोकर लगने से घड़ा गिर गया और फूट गया.
घड़ा फूटते ही सभी कुछ गायब हो गया, अब युवक सोचने लगा कि काश मैंने जल्दबाजी न की होती और घड़ा बनाने की विद्या सीख ली होती, तो आज मैं, फिर से कंगाल न होता।
" ईश्वर हमें हमेशा 2 रास्ते पर रखता है एक आसान -जल्दी वाला और दूसरा थोडा लम्बे समय वाला, पर गहरे ज्ञान वाला, ये हमें चुनना होता है की हम किस रास्ते पर चलें "
" कोई भी काम जल्दी में करना अच्छा नहीं होता, बल्कि उसके विषय में गहरा ज्ञान आपको अनुभवी बनाता है "
slp में डिफेक्ट दूर हो जाने की बात सिर्फ एक अफवाह है.....गर्ग से रोज अपने साथी अलग अलग नामो से बात करते हैं और वो रोज ही डिफेक्ट दूर हो जाने को कहते है,,,लेकिन उनकी आवाज में डिफेक्ट दूर ना कर पाने की बेबसी साफ़ झलक जाती है.....आज किसी acd गधे ने बात कर ली और उसे सच मानकर अफवाह उड़ा दी..... उसके बाद जब अपने एक साथी ने गर्ग से इस खबर के बारे में बात की तो उन्होंने कहा "डिफेक्ट तो कल भी दूर हुआ था और परसों भी...... अब आप स्वयं ही उनके इस बयान का अर्थ निकाल लें,,,,,
ReplyDeleteकोई बात नहीं प्रिय एकेडमीकबन्धु , पहले आप हाई कोर्ट-हाई कोर्ट भज रहे थे अब सुप्रीम कोर्ट-सुप्रीम कोर्ट भज रहे हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी आपकी बात नहीं मानी तो क्या भाजेंगें आप? बड़ा दुःख है हमें की आप अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय नहीं जा पाएंगे अतः अभी से अपना अग्रिम बयान सोच लीजिये। वैसे एक सुझाव है की अगर सुप्रीम कोर्ट आपकी ना सुने तो आप पुराने पीपल वाले हनुमान मंदिर चले जाइएगा, सुना है "वो" सबकी सुनते हैं।
ReplyDeletegovernment को SC से maximum क्या राहत मिल सकती है?
ReplyDeleteDouble bench की जगह सिंगिल बेंच का आदेश सही माना जा सकता है ,,,,मुझे तो उस आदेश में एक भी लाइन ऎसी नही मिली है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि ओल्ड एड के 72825 पदों पर टेट मेरिट के सिवाय किसी और प्रक्रिया से चयन संभव है,, उसमें तो साफ़ लिखा है कि टेट के बैड पार्ट को हटाकर टेट मेरिट से नियुक्ति की जानी चाहिए,,,,,,16जनवरी और 20 नवम्बर को जारी आदेशों में सिर्फ एक ही अंतर है कि 16जनवरी को 15th संशोधन को टच नही किया गया था जबकि 20 नवम्बर को उसकी जड़ खोदकर मट्ठा डाल दिया है ।
प्रिय मित्रों,
ReplyDeleteअब जब मामला दिल्ली पहुँच गया है
तो एक घटना का उल्लेख करना चाहूँगा।
मामला बिहार का है जहाँ लालू जी के कार्यकाल
मे 34540 टीचरो की भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ
की गयी।लालू जी का सुपडा बिहार से साफ
हो गया और मामला हाइकोर्ट मे पहुँच
गया वहा फैसला अभ्यर्थियों के paksh मे
हुआ पर नितिश जी नही माने और सुप्रीम
कोर्ट पहुँच गये वहाँ भी फैसला अभ्यर्थियो के
paksh मे हुआ पर सरकार नियुक्ति मे
आनाकानी करने लगी ।जिस पर छात्रो ने
अवमानना का मुकद्दमा दर्ज कर दिया।
शि.सचिव कोर्ट मे पेश जिस जज साहब ने
उन्हे दो विकल्प दिये पहला यही से सीधे जेल
जाना।दुसरा नियुक्ति प्रक्रिया अविलम्ब शुरु
करना सचिव महोदय को दुसरा विकल्प
अच्छा लगा ।अब इस उदाहरण से
अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंत मे
क्या होने वाला है।और गुणांक भाईयों के लिए
जो दिल्ली जा रहे है वही एक अच्छी नौकरी ढुँढ
लें बेहतर होगा।
90 का दूरदर्शन और हम -
ReplyDelete******************
1.सन्डे को सुबह-2 नहा-धो कर टीवी के सामने बैठ जाना
2."रंगोली" में शुरू में पुराने फिर नए गानों का इंतज़ार करना
3."जंगल-बुक" देखने के लिए जिन दोस्तों के पास टीवी नहीं था उनका घर पर आना
4."चंद्रकांता" की कास्टिंग से ले कर अंत तक देखना
5.हर बार सस्पेंस बना कर छोड़ना चंद्रकांता में और हमारा अगले हफ्ते तक सोचना
6.शनिवार और रविवार की शाम को फिल्मों का इंतजार करना
7.किसी नेता के मरने पर कोई सीरियल ना आए तो उस नेता को और गालियाँ देना
8.सचिन के आउट होते ही टीवी बंद कर के खुद बैट-बॉल ले कर खेलने निकल जाना
9."मूक-बधिर" समाचार में टीवी एंकर के इशारों की नक़ल करना
10.कभी हवा से ऐन्टेना घूम जाये तो छत पर जा कर ठीक करना
15वीं राष्ट्रीय जनगणना वर्ष 2011 - के आंकड़े -
ReplyDelete***************************
भारत की कुल जनसंख्या - 1,21,07, 26,932
कुल शहरी जनसंख्या - 37.7 करोड़ (31.2 प्रतिशत)
कुल ग्रामीण जनसंख्या - 83.3 करोड़ (68.8 प्रतिशत)
लिंगानुपात - 843
जनसंख्या घनत्व - 384 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी0
साक्षरता प्रतिशत - 73 प्रतिशत
पु0 साक्षरता प्रतिशत - 80.9 प्रतिशत
महिला साक्षरता प्रतिशत - 64.6 प्रतिशत
पुरुष एवं महिला साक्षरता प्रतिशत में सर्वाधिक अन्तर दर्ज करने वाला राज्य - राजस्थान
सर्वाधिक लिंगानुपात वाला राज्य/संघीय क्षेत्र - केरल (1084)
न्यूनतम लिंगानुपात वाला राज्य/संघीय क्षेत्र - हरियाणा (879)
सर्वाधिक साक्षर प्रथम तीन राज्य/संघीय क्षेत्र- केरल(94%), लक्षद्वीप(91.8%), मिजोरम(91.3%)
न्यूनतम साक्षर प्रथम तीन राज्य/संघीय क्षेत्र-बिहार(61.8%), अरुणाचल(65.4%),राजस्था(66.1%)
सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य/संघीय क्षेत्र - दिल्ली (11320)
न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य/संघीय क्षेत्र - अरुणाचल प्रदेश (17)
सर्वाधिक जनसंख्या वाले प्रथम तीन राज्य/संघीय क्षेत्र - उ0प्र0, महाराष्ट्र, बिहार
सर्वाधिक शहरी जनसंख्या प्रतिशत वाला संघीय क्षेत्र - दिल्ली (97.5%)
सर्वाधिक शहरी जनसंख्या प्रतिशत वाला राज्य - गोवा (62.2%)
2001-2011 के दशक में साक्षरता में सर्वाधिक वृद्धि करने वाला राज्य/संघीय क्षेत्र - दादरा एवं नगर हवेली (18.6%)
न्यूनतम जनसंख्या वाला राज्य/संघीय क्षेत्र - सिक्किम
अनुसूचित जातियों की कुल जनसंख्या - 20.14 करोड़
अनुसूचित जनजातियों की कुल जनसंख्या - 10.43 करोड़
क्षेत्रफल के अनुसार सबसे बड़ा जिला - लद्दाख ( )
जनसंख्या के अनुसार सबसे बड़ा जिला - थाणे (महाराष्ट्र)
नकारात्मक जनसंख्या वृद्धि दर दर्ज करने वाला एकमात्र राज्य - नागालैण्ड
M
ReplyDeleteE
R
I
.
.
.
W
A
L
I
.
.
.
.
हमें कभी-कभी सलाह की जरूरत नहीं होती।
हमें बस कोई चाहिए होता है जो हमें सुने , और सुनता ही रहे ।
बहुत मुहब्बत करता था वो मेरी मुस्कुराहट से..!
ReplyDeleteशायद इसलिए जाते-जाते वो उसे भी साथ लेता गया.......!! —
तो सशर्त होगी शिक्षामित्रों की नियुक्ति! इलाहाबाद : पूर्णकालिक शिक्षक बनने के लिए विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण की परीक्षा पास कर चुके शिक्षामित्रों को स्थाई नौकरी तो मिलेगी, परंतु कुछ शर्तो पर। सरकार शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण होने पर ही उन्हें स्थाई शिक्षक बनाने पर विचार कर रही है। टीईटी पास करने के लिए शिक्षामित्रों को कुछ समय मिलेगा। तय समयावधि में टीईटी परीक्षा पास करने के बाद शिक्षामित्रों को स्थाई शिक्षक का नियुक्ति पत्र दिया जाएगा। परीक्षा पास न करने की स्थिति में नियुक्ति स्थाई नहीं होगी। यह शर्त सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों की भर्ती के लिए राष्ट्रीय अध्यापकपरिषद एनसीटीई द्वारा तय मानकों का पालन करने के लिए रखी जा रही है।प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में एक लाख 72 हजार शिक्षामित्र कार्यरत हैं। इनमें से कुछ बेसिक शिक्षा परिषद तो कुछ सर्व शिक्षा अभियान के तहत भर्ती किए गए थे। शिक्षामित्रों ने पूर्णकालिक शिक्षक बनाने की मांग की तो 23 जुलाई 2012 को कैबिनेट नेघोषणा की कि चरणबद्ध प्रशिक्षण समाप्त होनेके बाद शिक्षामित्रों को शिक्षक बना दिया जाएगा। तीन सत्रों की दूरस्थ विधि से बीटीसी प्रशिक्षण में साठ हजार शिक्षामित्रों केपहले सत्र का प्रशिक्षण इसी जनवरी में समाप्त हुआ है। पूर्णकालिक शिक्षक बनने के लिए प्रशिक्षण व परीक्षा पास कर चुके शिक्षामित्रों को सरकार नौकरी देने की तैयारी कर रही है। लेकिन टीईटी की अनिवार्यता का मामला अभी तक हल नहीं हो पाया है। संभावना है कि शिक्षामित्रों को पांचसाल के भीतर टीईटी पास करने की शर्त के साथ नियुक्ति पत्र दिया जाएगा। दरअसल हरियाणा में प्राथमिक शिक्षकोंकी भर्ती में शिक्षामित्रों को चार साल के भीतर टीईटी पास करने की छूट दी जा रही है। अब शिक्षामित्रों के एक गुट ने टीईटी की अनिवार्यता का विरोध भी शुरू कर दिया है। वहीं उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने राहुल गांधी से मुलाकात कर शिक्षामित्रों को टीईटी से मुक्त किए जाने की मांग की है। संघ के प्रदेश मंत्री अनिल कुमार यादव ने कहा है कि शिक्षा के अधिकार विधेयक 2009 के तहत 23 अगस्त 2010 से पहले तैनातशिक्षकों को टीईटी से छूट का प्रावधान है।इसलिए इस तारीख के पहले तक तैनात किए गए शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट मिलनी चाहिए। वहीं संगठन के ही कौशल किशोर सिंह ने जल्द से जल्द समायोजन किए जाने और टीईटी के लिए समय दिए जाने की मांग की है।
ReplyDeleteMoment of thinking... These are few questions asked in HR interview! The answers are really stunning and inspiring. Thinking out of the box! A must read…
ReplyDeleteQuestion 1:
You are driving along in your car on a wild, stormy night, it's raining heavily, when suddenly you pass by a bus stop, and you see three people waiting for a bus:
* An old lady who looks as if she is about to die.
* An old friend who once saved your life.
* The perfect partner you have been dreaming about.
Which one would you choose to offer a ride to, knowing very well that there could only be one passenger in your car?
This is a moral/ethical dilemma that was once actually used as part of a job application.
He simply answered:
"I would give the car keys to my Old friend and let him take the lady to the hospital. I would stay behind and wait for the bus with the partner of my dreams."
Sometimes, we gain more if we are able to give up our stubborn thought limitations. Never forget to "Think Outside of the Box."
Question 2:
What will you do if I run away with your sister?
The candidate who was selected answered " I will not get a better match for my sister than you sir"
Question 3:
Interviewer (to a student girl candidate) – What is one morning you woke up & found that you were pregnant.
Girl – I will be very excited and take an off, to celebrate with my husband.
Normally an unmarried girl will be shocked to hear this, but she managed it well. Why I should think it in the wrong way, she said later when asked.
Question 4:
Interviewer: He ordered a cup of coffee for the candidate. Coffee arrived kept before the candidate, then he asked what is before you?
Candidate: Instantly replied "Tea"
He got selected.
You know how and why did he say "TEA" when he knows very well that coffee was kept before.
(Answer: The question was "What is before you (U – alphabet) Reply was "TEA" ( T – alphabet)
Alphabet "T" was before Alphabet "U"
Question5;
Interviewer said "I shall either ask you ten easy questions or one really difficult question.
Think well before you make up your mind!" The boy thought for a while and said, "my choice is one really difficult question."
"Well, good luck to you, you have made your own choice! Now tell me this. "What comes first, Day or Night?"
The boy was jolted into reality as his admission depends on the correctness of his answer, but he thought for a while and said, "It's the DAY sir!"
"How" the interviewer asked,
"Sorry sir, you promised me that you will not ask me a SECOND difficult question!"
शिक्षामित्र आंदोलन छोड़ टेट पास करने हेतु प्रयास करे अन्यथा न घर के रहेंगे न घाट के । शिक्षामित्र NCTE नियमो का अध्ययन कर अपनी बुद्धि शुद्ध कर लें ।
ReplyDeleteM
ReplyDeleteE
R
I
.
.
.
W
A
L
I
.
.
.
.
देखी जो नब्ज़ मेरी तो हँस कर बोला हक़ीम
जा दीदार कर उसका जो तेरे इस मर्ज की दवा है ।
Amitabh Agnihotri ne kaha ki pradesh me teacher bharti prakriya anya Pradesho ki tulna me bahut nimn he aur sarkar ne high court ke adesh ke babjood prakriya ko latkate hu supreme court pahunch kar tet pass candidate k saath chhalava kiya hai.
ReplyDeleteDosto...ham kuch kar sakte hai ya bas wait hi karna padega ki ye kab defect door karenge....I think we should think of other options.....kuch to tareeka hoga supreme court me urgent case ke liye jin cases me dates ki limit ho..Talk to our advocates..samay kam bacha hai
ReplyDeleteतवायफ की मांग में सिंदूर,
ReplyDeleteलंगूर के हाथ में अंगूर।
बगुले की चोंच में हीरा,
ऊंट के मुहं में जीरा।
बंदरों के पास कार,
गधों के हाथ में सरकार।...
कैसे-कैसे कारनामे हो रहे हैं,
और आप रजाई ओढ़ के सो रहे हैँ ।
M
ReplyDeleteE
R
I
.
.
.
W
A
L
I
.
.
.
.
सोचता हूँ कभी तेरे दिल में उतर के देख लूं,
कौन है तेरे दिल में जो मुझे बसने नहीं देता.
M
ReplyDeleteE
R
I
.
.
.
W
A
L
I
.
.
.
.
सोचता हूँ कभी तेरे दिल में उतर के देख लूं,
कौन है तेरे दिल में जो मुझे बसने नहीं देता.
स्टेशन पे एक कुली से बाहर जाने का रास्ता पूंछा .
ReplyDeleteकुली ने कहा: ” बाहर जाके पूंछो .”
मैंने ख़ुद ही
रास्ता ढूंढ़ लिया ,
बाहर जाके टैक्सी वाले से पूंछा :
” भाई साहब लाल किले का कितना लोगे ?”
जवाब मिला: ” बेचना नही है .”
टैक्सी छोड़ , मैंने बस पकड़ ली ,
कंडक्टर से पूंछा: “जी , क्या मैं सिगरेट पी सकता हूँ ?”
वो गुर्र्रा कर बोला : “हरगिज़ नही , यहाँ सिगरेट
पीना मन है.”
मैंने कहा: “पर वो जनाब तो पी रहे है!”
फिर से गुर्र्र्राया : “उसने मुझसे पूंछा नही है.”
लाल किले पंहुचा , होटल गया .
मेनेजर से कहा: “मुझे रूम चाहिए , सातवी मंजिल पे .”
मेनेजर ने कहा: “रहने के लिए या कूदने के लिए ?”
रूम पंहुचा , वेटर से कहा:
” एक पानी का गिलास मिलेगा ?”
उसने जवाब दिया: “नही साहब , यहाँ तो सारे कांच
के मिलते हैं.”
होटल से निकला , दोस्त के घर जाने के लिए ,
रास्ते में एक साहब से पूंछा:
” जनाब , ये सड़क कहाँ को जाती है ?”
जनाब हंस कर बोले: “पिछले बीस साल से देख रहा हूँ ,
यही पड़ी है
याद है वो बचपन के दिन -
ReplyDelete* जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए|
* जब हमें जब जब लगता की हम विडियो गेम में हारने वाले हैं हम गेम री-स्टार्ट कर देते थे |
* जब हमारे पास चार रंगों से लिखने वाली एक पेन हुआ करती थी और हम सभी के बटन को एक साथ दबाने की कोशिश किया करते थे |
* जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके लेकिन कभी कभी वहां से चल भी देते थे
क्यूंकि सामने से आने
वाला बंदा बड़ी देर कर
रहा होता था |
* जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |
* सोचा करते थे की ये चाँद
हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |
* On/Off वाले स्विच को बीच में अटकाने की कोशिश किया करते थे |
* पानी की 2 बूंदों को खिड़की से
बहा के उनके बीच रेस लगवाया करते थे|
* फल के बीज को इस डर से नहीं खाते थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |
* बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |
* फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने की कोशिश करते थे की इसकी लाइट कब बंद होती हैं |
* रूम में आते थे पर किसलिए आये वो भूल जाते फिर बाहर जाके याद करने की कोशिश करते |
=====
सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?
और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ??
खड़े होकर खाना क्यों नहीं खाना चाहिए!
ReplyDeleteभोजन से ही हमारे शरीर को कार्य करने की ऊर्जा मिलती है। हमारे
देश में हर छोटे से छोटे या बड़े से बड़े कार्य से जुड़ी कुछ परंपराए
बनाई गई हैं।
वैसे ही भोजन करने से जुड़ी हुई भी कुछ मान्यताएं हैं। भोजन हमारे
जीवन की सबसे आवश्यक जरुरतों में से एक है। खाना ही हमारे
शरीर को जीने की शक्ति प्रदान करता है।हमारे पूर्वजो ने
जो भी परंपरा बनाई थी उसके पीछे कोई गहरी सोच थी।
ऐसी ही एक परंपरा है खड़े होकर या कुर्सी पर बैठकर भोजन
ना करने की क्योंकि ऐसा माना जाता है कि खड़े होकर भोजन करने
से कब्ज की समस्या होती है। इसका वैज्ञानिक कारण यह है
कि जब हम खड़े होकर भोजन करते हैं तो उस समय हमारी आंते
सिकुड़ जाती हैं। और भोजन ठीक से नहीं पच पाता है।
इसीलिए जमीन पर सुखासन में बैठकर खाना खाने की परंपरा बनाई
गई। हम जमीन पर सुखासन अवस्था में बैठकर खाने से कई
स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त कर शरीर को ऊर्जावान और
स्फूर्तिवान बना सकते हैं।
जमीन पर बैठकर खाना खाते समय हम एक विशेष योगासन
की अवस्था में बैठते हैं, जिसे सुखासन कहा जाता है। सुखासन
पद्मासन का एक रूप है। सुखासन से स्वास्थ्य संबंधी वे सभी लाभ
प्राप्त होते हैं जो पद्मासन से प्राप्त होते हैं।बैठकर खाना खाने
से हम अच्छे से खाना खा सकते हैं। इस आसन से मन
की एकाग्रता बढ़ती है। जबकि इसके विपरित खड़े होकर भोजन
करने से तो मन एकाग्र नहीं रहता है।इस तरह खाना खाने से
मोटापा, अपच, कब्ज, एसीडीटी आदि पेट
संबंधी बीमारियों होती हैं।
मंजिले होती नहीं कभी,
ReplyDeleteआसानी से मिल जाने के लिए,
पर सिर्फ एक बूँद पसीने की ही काफी है,
रेगिस्तान में फूल खिलाने के लिए.!!
खीँच दो इस ज़मी पे,
अपने मेहनत की लकीर ,
सदियाँ बीत जाएँगी उन्हें,
इसे मिटाने के लिए.!!
अगर य़की नहीं मेरे अल्फाजों पे,
तो आजमा के देख लो,
सच्चाई होती नहीं कभी,
झुठलाने के लिए.......!!!!
सच्चाई सिर्फ एक,
72,825 शिक्षको की भर्ती 100% पूरी होगी..!!
20nov के आदेशानुशार होगी..!!
टेट की मेरिट से होगी..!!
जो साथी निराश है वे कुछ धैर्य ओर धारण कर ले,
आखिर जंग भी तो एक सरकार से है,
वक़्त तो लगेगा ही,
लेकिन विजयश्री आपकी सुनिश्चित है..!!
!! जय हिन्द जय टेट जय भारत !
हम ईमानदार है ,हम सुशासन देंगे :AAP
ReplyDeleteतो फिर में "वर्जिन" हूँ और नैतिकता पे लेक्चर दूंगी :संनी लियोनी
Some relationships are like
ReplyDeleteTom & Jerry....
They tease each other, knock
down each other, irritate each
other....
But, can't live without each other.
समझदार हो जाना मेरा अब गुनाह हो गया .....!
ReplyDeleteनासमझ थे जब तक...कोई दिक्क़त ना थी....!!
अब नींद से कहो हमसे सुलह करले यारो .
ReplyDeleteवो तो बहुत दूर चले गए जिनके लिए जागा करते थे !!
कोई टोपी तो कोई पगडी गिरवी रख देता है, मिले गर भाव अच्छा तो जज भी कुर्सी बेच देता है
ReplyDeleteतवायफ फिर भी अच्छी है वो सिमित है कोठे तक, पुलिश वाला तो चौराहे पे वर्दी बेच देता है
जला दी जाती है ससुराल मेँ अक्सर बेटी,जिस बेटी की खातिर बाप किडनी बेच देता है
जान दे दी वतन पर कितने बेनाम शहीदो ने, इक हरामखोर नेता इस वतन को बेच देता है।
[72825 पर सरकार की पोल-खोल ].......................... साँप जब छछूँदर को खा ले तो क्या होता है ?
ReplyDeleteआप लोगोँ मेँ बहुत लोग शायद नहीँ जानते होँगे लेकिन साँप यह बात अच्छी तरह जानता है कि अगर छछूँदर खा गया तो वह अन्धा हो जायेगा इसीलिये वह उसको चूहा समझकर मुँह मेँ तो रख लेता लेकिन खाने की हिम्मत नहीँ कर पाता शिकार के मोह मेँ उगल भी नहीँ पाता । अन्ततः वह छछूँदर को छोड़ने के लिये विवश हो ही जाता है न चाहते हुये भी । इस सरकार की कमोवेश यही दशा है अकेडमिक वालोँ को उल्लू बनाने के लिये चुपचाप बैठाकर उन्हेँ झाँसे मेँ लिये रहो जूनियर भर्ती होने से रही लेकिन काँउसलिँग करा के उन्हेँ भी मूर्ख बनाओ चुनाव बाद रद्द कर देँगे सशर्त काउँस्लिँग ऐसा भी होता है ।लेकिन उन्हेँ इतनी तो अक्ल है ही कि सुप्रीम कोर्ट मेँ क्या होना है ऐसे मेँ ये कोर्ट न जा सके नियुक्ति की माँग न कर सके । ये लोकसभा चुनाव इस समय न होते तो ये सरकार हाईकोर्ट के फैसले को मानकर अब तक तो सब कुछ कर भी चुकी होती ।
टेट मामले मे सरकार द्वारा डाली गयी रिट की डिफेक्ट को दूर ना करने से स्पस्ट है की सरकार की हालत उस क्रिकेट टीम की तरह हो गयी है जो टेस्ट मैच मे हार टालने के लिये विकेट से दूर गेन्द फेकती है या अन्धेरा होने या बारिश होने का इन्त्जार करती है !
ReplyDeleteक्योँ सही कहा न ?
लव-मैरिज करने के बाद एक युगल ट्रेन से हनीमून मनाने जा रहा था.
ReplyDeleteलड़की कुछ ज्यादा ही खुश नज़र आ रही थी. बार-बार लड़के से कह रही थी – “सच, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि हम एक हो गए हैं !”
जब उसने कई बार यही बात दोहराई तो साथ वाली बर्थ पर लेटे एक यात्री से नहीं रहा गया.
.
.
लड़के से बोला – “बेटा , कुछ देर के लिए हम अपनी आँखें बंद किये लेते हैं,
आप एक बार इन्हें यकीन
दिला ही दो…
आखिर हमें सोना भी है !”
मे
ReplyDeleteरी
.
.
.
वा
ली
.
.
.
.
Tere khayalo se fursat nahi milti...
Ek pal ke liye hume raahat nahi milti...
Yun to sab kuchh hai humare paas...
Bas dekhne ko aapki surat nahi milti.....!!!
1. कोटा में जगमोहन महल का निर्माण किसने करवाया था।
ReplyDelete- राजकुमार ब्रजकुमार
2. धोलपुर में कानपुर महल किसने बनवाया था।
- शाहजहां
3. किस शासक ने सर्वप्रथम लोक निर्माण विभाग की स्थापना की।
- फिरोजशाह तुगलक
4. अजंता की गुफाओं का निर्माण किसने करवाया था।
- गुप्त शासकों ने
5. दरगाह अजमेर शरीफ का निर्माण किसने करवाया था।
- सुल्तान ग्यासुद्दीन
MERE TET SUPPORTER SATHIYO....
ReplyDelete1) slp ka defect avi tak dur nahi huwa hai.,aur ye tetian ke liye chinta ki koi bat nahi..pareshanito acdian aur sarkar ki hai kyuki tet morcha ne aisa teer mara hai ki acd process ki har vacancy ruk gyi..government slp ke defect ko dur karne me deri kar rahi hai kyuki wo janti hai ki uska pax kamjor hai aur uski slp pahle hi din admison stage par hi dhwast ho jayegi..sarkar ki slp pahle hi din kharij ho jayegi kyuki pahli date par hi mukadme ki merit tay hoti hai ki kya mukadma sunane layak hai ki nahi..aur 1st date par hi government ki slp ko suprime court kharij kar dega.
2) kapil dev yadav ki slp v admison stage me pahle hi din kharij hogi kyuki wo h.c me pax hi nahi the..kya bina h.c gye direct suprime court jakar nyay maga jata hai..acdian dub chuke hai bas dubte huye hath pav mar rahe hai par unka dubna tay hai..
3) n.c.te guideline me aur larger bench ke order me(weigtage should be given) 4 word aise hai jisse na to acdian aur na hi sarkar suddh acdian process ko bacha skti hai..aur maya goverment ne 100% tet watage dekar n.c.te guideline ka khyal rakha tha..watage 10% ho ya 100% future ki kisi v vacancy me bina watage koi bharti nahi hogi..
4)acording to h.c advocate navin sharma...lower p.c.s ki 19 jan ki exam par overage wale matter par suprime court ne stay lga diya hai aur next hearing date 31 january lagi hai..
thanx