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Sunday, January 5, 2014

Rajasthan Teachers Eligibility Test (RTET) got Postponed till May 2014

Rajasthan Teachers Eligibility Test (RTET) got Postponed till May 2014

 Education News, Education, Teacher Eligibility Test

RTET / Rajasthan Teacher Eligibility Test News 

The Rajasthan Teachers Eligibility Test (RTET) has been postponed by the Rajasthan Board of Secondary Education (RBSE) on 17 December for an indefinite period.



Main reason is that selection rule for teachers selection is going to amend.


RTET was to be held on 29 December, 2013. The notice of delay in exam was issued after the clash in dates of the RTET and national level exams like National Eligibility Test (NET) and SSB exams was brought to notice.

Furthermore, many of the RTET test-takers were also registered either for NET or SSB exam , because of the which the RTET had to be postponed.

For RTET, 5 lakh above aspirants registered across the state. To create seating arrangement, thousands of centers are to be arranged.

Of the RTET centers, many were also scheduled for NET and SSB exam, informed an RBSE official.

RBSE knew about the coinciding date of RTET with other important exams, and the decision was taken to observe the new government's vision on RTET.

In several rallies, the new chief minister Vasundhara Raje had disapproved of the pattern of the exam and suggested changes.

RBSE also elucidated that due to unable to find an apt Sunday to conduct this exam, new date has not been declared as yet. The exam is however expected to be conducted after May, 2014 and the board exams.



Some source says RBSE postpones Rajasthan teacher's test (RTET) indefinitely
However it is not completely true.

As soon as selection rule are amended, RTET exam conduction process may started.


RBSE also clarified saying that a new date has not been announced as they are unable to find a Sunday to conduct this exam. It is likely that the exam may be conducted after the board exams or after May, 2014.


2 comments:

  1. कुछ सोचने वाली बाते::
    ज्यादातर लोग आज की बनी रोटी कल खाना पसंद नहीं करेंगे, कुछ तो ऐसे भी है जो सुबह की बनी रोटी शाम को भी नही खाते, अब मैं अगर आपसे बोलूँ की आज रोटी बनाकर उसको पौलिथीन में पैक कर देता हूँ, उसको ४ दिन बाद खाने को कौन राजी होगा?
    आप सोच रहे होंगे की क्या बेतुकी बातें कर रहा हूँ, अब जरा सोचो की आटे को सड़ाकर बनाई हुई ब्रेड और पाँव रोटी जो पता नही कितने दिन पहले की बनी हुई है, उसको इतना मजे ले कर क्यों खाते हो ? क्यों बर्गर और ब्रेड पकोड़ा खाते वक्त ये बातें दिमाग में नही आती हैं ?
    अगर हम ताजा रोटी खाने की परम्परा को दकियानुसी मान कर ४-५ दिन पहले बनी बासी रोटी खाने को अपनी शान समझते है तो हम पढ़े लिखे मूर्खो के सिवा और कुछ नही है, यूरोप के गधों के पीछे आँख बंद कर चलने वाली भेड़ चाल को हमें छोड़ना ही होगा, यूरोप में ब्रेड खाना उनकी मज़बूरी है, वहाँ का तापमान इतना कम रहता है की रोटी बनाना संभव ही नही है, वहाँ कई महीने तो बर्फ जमी रहती है, इसीलिए वहाँ ब्रेड बनाई जाती है, आटे को सड़ाकर ब्रेड बना दी जाती है, और अत्यंत कम तापमान की वजह से वो चार पांच दिनों तक खराब नही होती है, भारतीय जलवायु के हिसाब से ब्रेड उचित नहीं है, भारतीय जलवायु में ब्रेड जैसे नमीयुक्त खाद्य पदार्थ जल्दी खराब होते हैं, तापमान बहुत कम होने के कारण उनके शरीर में मैदे से बनी ब्रैड पच जाती है पर भारत में तापमान बहुत अधिक होता है जो भारतीयों के लिये सही नही, इससे कब्ज की शिकायत होती है और कब्ज होने से सैंकडों बीमारियां लगती है, हजारों सालों से भारत में ताजे आटे को गूंथकर ही रोटी बनाई और खाई जाती है, हमारे पूर्वज इतने तो समझदार थे जो उन्होने ब्रैड आदि खाना शुरू नही किया तो आप भी समझदार बनिये,
    गेहूँ के आटे के बारे में विज्ञान यह कहता है की इस आटे को गिला होने के 48 मिनट के अन्दर इसका रोटी बन जाना चाहिए और रोटी बन्ने के 48 मिनट के बाद इसको खा लिया जाना चाहिए | लेकिन पावरोटी और डबलरोटी का अगर कहानी सुनना और गिन्ना सुरु करेंगे तो वो तो ५-६ दिन पुराना होता है, उसको ख़राब कर कर के हम खा रहें है | और फिर बड़ा शान महसूस करते है, अपने आपको बड़ा स्मार्ट महसूस करते है ... हम पावरोटी खाते है हम डबलरोटी खाते है .. स्मार्टनेस मानते है इसमें ... अब ये Super idiocity है या smartness है इसको तय करने की अभी जरुरत है | पड़े लिखे घरों में खासकर अंग्रेजी घरों में इस तरह के भोजन का इतनी तेजी से प्रवेश हुआ है की भारत का विविधतापूर्ण ब्यंजन अब उनके घरों से गाएब हो गएँ है बाहर हो गए है |
    इसीलिए सभी राष्ट्रभक्त भाई बहनों से निवेदन है की ब्रेड, पाँव रोटी जैसी चीजों से बने खाद्य पदार्थ का पूरी तरह से बहिष्कार करें और अन्य को भी प्रेरित करें।

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  2. आज की ताजा खबर
    आज की ताजा खबर,
    निरहुआ ने अकेडमिक शिरोमणि श्रीमान कपिलदेव से लिया पंगा।
    (निरहुआ को कोई समझाओ रे भईया ज्यादा उड़ना ठीक नहीं, अरे कमबख्त अकेडमिक वीर सिपाही तो निरहुआ संभाल ही नहीं पाता और अब सीधे सेनापति से पंगा? भगवन बचाए निरहुआ को।)
    * कपिलदेव (अकेडमिक सेनापति) महोदय एक पंडित जी के पास पहुंचे और कथा सुनने की इच्छा व्यक्त की और साथ ही अपना मंतव्य भी बताया की सुप्रीम कोर्ट से फैसला अपने पक्ष में आने की उम्मीद में वो कथा सुनना चाह रहे हैं। पंडित जी ने कथा सुनाने का रेट 5000 रूपए बताया। कपिल देव जी ने कहा की उनके पास तो बस 50 रूपए ही हैं (क्यूंकि बाकी चंदे के पैसों को वो मोबाइल, और अन्य प्रसाधनों में खर्च कर चुके हैं)। पंडित जी ने इतने कम रूपए में कथा सुनाने से इंकार कर दिया। कपिलदेव जी ने बहुत अनुनय विनय की और कहा की-" आप पूरी कथा मत सुनाइये सिर्फ 50 रूपए वाली सुना दीजिये"। पंडित जी मान गए। पंडित जी ने उन्हें एक पुराने पीपल के वृक्ष के नीचे हाथ जोड़कर और आँख बंद करके बैठने को कहा और जल्दी जल्दी मन्त्र पढ़ने लगे (वास्तव में पंडित जी उन महाशय से जल्द से जल्द पीछा छुड़ाना चाहते थे क्यूंकि बेचारे पुण्यात्मा थे और टेट के प्रबल समर्थक भी थे)।
    जब कपिलदेव जी आँखें बंद किये हाथ जोड़कर बैठे थे तभी उस पेड़ की जड़ से एक बिच्छू निकला और कपिलदेव महोदय को काट खाया। पहले तो कपिलदेव महोदय बर्दाश्त करते रहे किन्तु जैसे जैसे जहर का असर बढ़ता गया वैसे वैसे पीड़ा असहनीय होती गयी। जब अंत में दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ तब कपिल महोदय चिल्लाकर बोले-" हे पंडित जी, ये तो अच्छा हुआ कि मैंने सिर्फ 50 रूपए की कथा सुनी, जब 50 रूपए की कथा सुनने में इतना दर्द होता है तो 5000 रूपए में क्या होता होगा ? बाप रे बाप आप 25 रूपए की ही कथा सुनाइए मैं अब ज्यादा नहीं सुन पाऊंगा"।

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