Jab Anshul Mishra ji, Court ki Ladaayee Mein Haar Gaye, to Ab Unke Sur Badal Gaye Hain
(Agar Facebook vale , Anshul Mishra ji vahee Anshul Mishra hain, Jinhone Rashtra Pati ko Khat Bhejaa Thaa)
Anshul Mishra Ji Ne Jo Baat Mukhya Baat Kahee -Article 14 Ke Baare Mein
कोई भी राज्य सरकार Article 14 in The Constitution Of India 1949 के तहत धर्म,वर्ग,जाति,सेक्स यानि मेल फीमेल के आधार पर विभाजित नहीं कर सकती ऐसे में पुराना विज्ञापन तो सबसे पहले समाप्त होना चाहिए
Hamara Kehna Hai Anshul Mishra Ji Ko Ki Bhrtee ke Niyam Samvidhan, RTE-Act aadi ke Dayre Mein Sarkar Tay Kartee hai.
Mayawati Sarkar bhee UP ki Sarkar Hee Thee Jisne NCTE ke Niyamo Ke Tehat 72825 ki Bhrtee Prakriya Nirdharit Kee Thee. Aur ek Baar Bhrtee Ke Niyam Tay Hone Ke Baad Beech Mein Badalna Sahee Nahin Hai. Court ne Sabhee Pakshon Ko Dhyaan mein Rakhkar Feslaa Diyaa Hai.
Inhone jo Male / Female vagerah kee Baat likhee, vhe besir pair baat hai.
Bhrtee karne Valee Sanshta Udharanarth Army/ Defense Service etc. Yadi Sirf Male Candidates Ko Bhrtee Kartee hai, to Kya Vhe Samvedhanik Roop Se Galat Hai.
Male/ Female Bhrtee ka Vargeekaran, Bahut See Teachers Ki Bhrtee Jaise KVS, DSSSB, Aadi Lagbhag Sabhee Jaghe Hotaa hai. to Kya Vhe Samvedhan ka Ullanghan Hai.
Sarkar / Sanshta Jaroorat ke Anusaar / Anupaat ke Anusaar aadi Bhrtee Ka vargeekaran kartee hai, to Usmen Kya Galat Hai. Girls Schools mein Female Teacher, Children Schools mein Female Teacher Rakhtee Hain to Kya Galat Hai.
Sarkar agar Niyamon Ke Tehat koee Bhrtee Prakriya Nirdharit Kartee Hai, to Usmen Galteeyan Dhoondhana Bebuniyad baat hai.
Kuch Bhrteeyon mein TET weightage ki ek mushkil dekhne ko aa rahee hai, aur Uska NCTE Guildelines ke Tehat Samadhaan Hona Baki hai. Baki SaB BENUNIYAAD BATE HAIN.
BAHUT SAARE RAJTON MEIN ACAD WEIGHTAGE + TET WEIGHTAGE DONO KO JODKAR BHRTIYAAN HUEE. AUR SHUDDH 100% TET WEIGHTAHGE BHEE NCTE NIYAMANUSAAR GALAT NAHIN HAI.
SUPREME COURT MEIN BHEE 72825 TEACHERS KI BHRTEE TET MARKS KE DWARA HONE KI BAAT HONE KE POORE AASAAR HAIN.
BAHUT SE RAJYON KI BHRTIYAON MEIN ACAD MARKS KA WEIGHATGE BHEE LIYA JAA RAHA HAI, TO ISKA HONA NA HONA DONO HEE SAMBHAV HAIN.
LEKIN TET MARKS KA WEIGHTAGE JAROOR LIYA JAA RAHA HAI.
Anshul Mishra -
जिस समानता के अधिकार की टेट वाले दुहाई देते है की नया विज्ञापन समानता के अधिकार के विपरीत है और भूषण जी ने अपने आदेश में 15 वे संसोधन के नियम Rule 14 (3) को ultra-vires, घोषित किया है और Article 14 of the Constitution सविधान के जिस नियम का उल्लेख भी किया है यदि इसको माना जाये तो शायद सबसे पहले पुराना विज्ञापन ही समाप्त होगा क्योकि इस नियम- Article 14 in The Constitution Of India 1949
14. Equality before law The State shall not deny to any person equality before the law or the equal protection of the laws within the territory of India Prohibition of discrimination on grounds of religion, race, caste, sex or place of birth को पढ़ा जाये जिसमे लिखा है की कोई भी राज्य सरकार Article 14 in The Constitution Of India 1949 के तहत धर्म,वर्ग,जाति,सेक्स यानि मेल फीमेल के आधार पर विभाजित नहीं कर सकती ऐसे में पुराना विज्ञापन तो सबसे पहले समाप्त होना चाहिए क्योकि इस विज्ञापन में मेल,फीमेल के पदों को अलग अलग विभाजित किया गया है जो की इस नियम में साफ तौर पर लिखा है की मेल,फीमेल के आधार पर कोई भी राज्य विभाजन नहीं कर सकता है इसके साथ ही पुराना विज्ञापन में कला और विज्ञान के पदों का अलग अलग विभाजन किया गया है वही दूसरी और यदि नए विज्ञापन पर प्रकाश डाला जाये तो तो इसमें ना ही मेल और फीमेल तथा कला और विज्ञान के आधार पर पदों को विभाजित नहीं किया गया है ऐसे में ये सोचना लाज़मी है की भूषण जी ने किस आधार पर नए विज्ञापन को Article 14 of the Constitution के विपरीत माना है जबकि इस विज्ञापन में Article 14 के विपरीत कुछ भी नहीं है जबकि पुराना विज्ञापन Article 14 के विपरीत है| अब यहाँ पर संदेह वाली बात ये है की एक तरफ भूषण जी नए विग्यापन को Article 14 के विपरीत मान लिया है जो की उक्त नियमो में दी गयी एक भी बात नए विग्यापन में नहीं है जबकि पुराना विज्ञापन उक्त नियमो में दी गयी sex-सेक्स के आधार पर पदों का विभाजन किया गया है| जो विज्ञापन Article 14 के विपरीत नहीं है उसको भूषण जी Article 14 के विपरीत मानते है जबकि जो विज्ञापन Article 14 को पूरी तरह से फॉलो करता है उस विज्ञापन से 72825 पदों को भरे जाने का आदेश पास करते है| ऐसे में भूषण जी के आदेश की सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा होना लाज़मी है क्योकि इन्होने अपने आदेश में 2 विपरीत बाते की है|
Vah bhai misra ji laga apni buddhi lagta hai ki bs ek tum hi buddhiman ho baki sabhi gadhe hai.pr ek bat samajh lo court me apse bhi jyada dimag vale rhte so apni panditayi vali buddhi sambhal kr rho patra bachne ke kam ayegi.
ReplyDeleteउर्दू शिक्षकों की तैनाती में हीलाहवाली, अभ्यर्थी हो रहे परेशान
ReplyDeleteनियुक्ति पत्र वापस मांग रहा विभाग
मऊ। उर्दू शिक्षकों की भर्ती के लिए काउंसिलिंग के बाद नियुक्ति पाए 23 मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को शिक्षा विभाग ज्वाइनिंग देने में हीलाहवाली कर रहा है। इनमें से 20 अभ्यर्थियों से विभाग के अधिकारी और बाबू ने नियुक्ति पत्र वापस भी ले लिया है। तीन अभ्यर्थियों ने नियुक्ति पत्र वापस नहीं किया, तो उन्हें परिणाम भुगतने की धमकी दी जा रही है।
11-08-1997 से पूर्व मोअल्लिम -ए-उर्दू की उपाधि हासिल करने वालों को बीटीसी के समकक्ष मान लिया गया है। इन उपाधिधारकों को करीब 11 वर्ष तक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद यह हक हासिल हुआ है। उर्दू शिक्षकों की भर्ती के तहत काउंसिलिंग के बाद 15 जनवरी को 23 अभ्यर्थियों को बतौर उर्दू टीचर नियुक्ति का पत्र मिला। इन्हें दस दिन के भीतर निश्चित प्राथमिक विद्यालयों में ज्वाइन करना था। जब अभ्यर्थी अपना नियुक्ति पत्र लेकर बीएसए कार्यालय गए तो अधिकारी और उर्दू बाबू उन्हें जाड़े की छुट्टी का बहाना बनाकर दौड़ाते रहे। इस बीच कार्यालय के उर्दू बाबू तथा एबीएसए चंद्र भूषण ने अभ्यर्थियों से उनके नियुक्ति पत्र यह कहकर ले लिए कि मुख्यमंत्री ने नियुक्ति रद कर दी है। कुछ दिन बाद संशोधित आदेश आएगा, तब आप लोगों को तैनाती के लिए नियुक्ति पत्र फिर जारी किया जाएगा। लेकिन तीन अभ्यर्थी मु. अजहर, मु. आजम तथा निजामुद्दीन अंसारी ने अपने नियुक्ति पत्र कार्यालय को नहीं सौंपे। तीनों अभ्यर्थियों का कहना है कि नियुक्ति पत्र वापस मांगने का वाजिब कारण बीएसए या एबीएसए कोई नहीं बता रहा। उर्दू बाबू भी इस बारे में सही जानकारी नहीं देते। परेशान अभ्यर्थियों का कहना है कि जब उन्होंने विभाग से जवाब मांगते हुए नियुक्ति पत्र वापस करने से मना कर दिया तो उन्हें अधिकारी और बाबू परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रहे हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि यदि उनके नियुक्ति पत्र में कुछ गड़बड़ी है, तो इसेे स्पष्ट करना चाहिए।
23 मोअल्लिम को नियुक्ति का पत्र मिला है
20 से वापस ले लिए गए हैं नियुक्ति पत्र
तीन ने नियुक्ति पत्र वापस करने से किया मना, मिली चेतावनी
नियुक्ति पत्र वापस मांगने का कारण नहीं बता रहे अधिकारी
•मुहम्मद आजम का नियुक्ति पत्र।
बीएसए ने कहा,
पूर्व के अधिकारी ने की है गड़बड़ी
बीएसए राम बचन सिंह यादव ने कहा कि पूर्व के अधिकारी ने गड़बड़ किया है। इसलिए जांच के लिए नियुक्ति पत्र वापस मांगा जा रहा है। एबीएसए चंद्र भूषण ने कहा कि इस बारे में बीएसए ही कुछ बता सकते हैं जबकि उर्दू बाबू ने कहा कि अधिकारी के कहने पर वे ऐसा कर रहे हैं। बीएसए, एबीएसए तथा उर्दू बाबू तीनों ही नियुक्ति पत्र वापस मांगने के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं।
इस भारत में करोड़ों रुपये खर्च करके पहले राजनीतिक दलों से टिकट खरीदे जाते हैं और फिर अरबों खर्च करके चुनाव जीते जाते है। सत्ता में आने के बाद खर्च हुए पैसे की उगाही जनता की जेब से की जाती है और भ्रष्टाचार को खुलेआम सही ठहराया जाता है। जब कोई इनके खिलाफ आवाज बुलंद करता है, तो उसको डिस्क्रेडिट करने का कुचक्र होता है। ऐसे मौकों पर प्राय: राजनीतिक मतभेद भुला दिए जाते हैं। 'आप' कोई मुद्दा नहीं है। मुद्दा यह है कि क्या इस देश में पेशेवर राजनीतिक दल कभी किसी स्वस्थ राजनीतिक विकल्प को अपनी जड़ें जमाने देंगे या नहीं? और मसला यह भी है कि विकल्प की वकालत करने वालों में क्या इतना धैर्य और जीवटता है कि वे तमाम झंझावातों से निकलकर अपने मकसद में कामयाब हो सकें? लोगों के अंदर एक आग धधक रही है, इस आग को अगर सही नेतृत्व मिला, तो हिन्दुस्तान का चेहरा बदल जाएगा और फिर भारत सही मायने में सपनों का देश होगा, असली सुपर पावर!
ReplyDeleteसरकार की SLP में एक
ReplyDeleteही डिफेक्ट है कि वो टेट मेरिट के विरुद्ध चयन का प्रयास करने
वाली सरकार की और से दाखिल की गई है....... अब आप ही बताओ
कि SLP का ये डिफेक्ट भला कैसे दूर हो सकता है????
सरकार की SLP में डिफेक्ट का अब तक दूर ना हो पाना 20-11-13 के आदेश की मजबूती का प्रमाण है और यदि 31 तारीख तक भी यही स्थिति बनी रहती है तो यह टेट मेरिट से चयन हेतु सरकार के मजबूरी में ही सही लेकिन सहमत होने का संकेत ही माना जाएगा.........
ReplyDeleteयह बात इसलिए स्पष्ट करनी पड़ रही है कि कहीं एक तारीख से होने वाले आन्दोलन में आप डिफेक्ट दूर करने की माँग वाले नारे ना लगाने लगो......
आपने कभी चमत्कार होते देखे हैं??? फरवरी में होते देखना...... और अगर फरवरी में अपेक्षित चमत्कार ना हुआ तो मार्च में हाहाकार मचते देखना....
टीईटी अभ्यर्थियों के नियुक्ति को लेकर सरकार की तरफ से हीलाहवाली पर समाचार प्लस चैनल से अमिताभ अग्निहोत्री ने सवाल उठाया उसके लिए हम
ReplyDeleteसब आभारी हैं।
समाचार प्लस के बहस में उत्तर प्रदेश में
शिक्षा की बदहाली के लिए जिम्मेदार बसपा व सपा सरकार और नकल माफिया के साथ शिक्षा माफिया पर अमिताभ अग्निहोत्री ने कई सवाल सपा विधायक से पूछा और वे हर बार .....आपने मुद्दा अच्छा उठाया बधाई और किसी सवाल का सही जवाब नहीं दे पायें। अगली बार सपा की तरफ से प्रवक्ता को बुलाना चाहिए ताकी अपनी राय स्पष्ट रख सके।
*प्रश्न-काँच को नींबू
ReplyDeleteसा पीला रंग प्रदान करने के लिए कौन सा पदार्थ उपयोग में लाया जाता है ?
उत्तर-कैडमियम सल्फाईड
*प्रश्न- दियासलाई
की तीलियों में जलने
वाला पदार्थ क्या होता है ?
उत्तर-K2Cr2O7 + S + P
*प्रश्न-नेत्रदान में नेत्र के किस भाग का दान किया जाता है?
उत्तर- कार्निया का
*प्रश्न-गोताखोरपानी के
अंदर सांस लेने के लिए कौन कौन सी गैसों का मिश्रण ले जाते हैं ?
उत्तर-आक्सीजन और हीलियम गैसों का मिश्रण
*प्रश्न-बीज रहित
बिना निषेचन के फल के विकास को क्या कहते हैं?
उत्तर-पारथीनोकार्पी
*प्रश्न-परखनली शिशु (Test Tube Baby) उत्पन्न करने की तकनीक का विकास किसने
किया था ?
उत्तर-राबर्ट एडवर्डस और
पेट्रिक स्टेप्टो ने
इस देश की राजनीति करवट ले रही है, बदलाव के लिए छटपटा रही है, वर्षो से बँधी बेड़िया धीरे-धीरे कमजोर हो रही है, राजनीति 5-स्टारमंचो से उतर कर सड़क पर नयी परिभाषा गढ़ रही है, जनता सब देख रही है समझ रही है, लेकिन हमेशा की तरह एक कुलीन 'बुद्धिजीवी' वर्ग इस बदलाव से डर रहा है, उसे राजनीति का ये रंग 'अलोकतांत्रिक' और 'अराजक' लग रहा है !
ReplyDeleteन्यूटन के अनुसार "प्रत्येक वस्तु अपनी अवस्था परिवर्तन का विरोध करती है" और शायद ये जड़ता भी इसी परिभासा की घोतक है| कुछ लोग इस बदलाव को पुराने घिसे-पिटे सांचो मे ढालने की नाकाम कोशिश कर रहे है , उन्हे अपने पूर्वाग्रह से निकल कर समझना होगा , सोचना होगा , बदलाव के लिए तैयार करना होगा अपने आप को |
सभी चैनलो में सपा को न'गा करना चािहए ।तभी सबको असिलयत पता चलेगी।
ReplyDeleteलालू को "वोट" दिया तो भी सरकार
ReplyDelete"कांग्रेस" की.
मुलायम को "वोट" दिया तो भी सरकार
"कांग्रेस" की
मायावती को "वोट"
दिया तो भी सरकार "कांग्रेस" की
ममता को "वोट" दिया तो भी सरकार
"कांग्रेस" की
करूणानिधि को "वोट"
दिया तो भी सरकार "कांग्रेस" की
पवार को "वोट" दिया तो भी सरकार
"कांग्रेस" की
तभी "ये चोर" "वो चोर" "सब चोर"
"फलाना चोर" "ढिकना चोर" चिल्लाते
चिल्लाते एक नयी पार्टी आयी. उसे वोट
दिया फिर भी सरकार कांग्रेस की ?????
अब मैंने कसम खा ली है मेरा वोट सिर्फ और
सिर्फ बीजेपी को !!!!
बेताल ने राजा से कहा....
ReplyDeleteहे राजन, रास्ते में मैं तुझे एक
कहानी सुनाता हूँ....
अगर तू बोला तो मैं वापस पेड़ पर
चला जाऊँगा.....
तो सुन....
एक भारत देश में केजरीवाल नामक एक
सज्जन पुरुष रहता था....
जो चहुँ ओर व्याप्त भ्रष्टाचार से बहुत
दुखी था....
उसने आन्दोलन किये....
जन सभाओं में आवाज़ उठाई कि दोषिओं
को सजा मिलनी चाहिए...
उसने ढेर सारे कागज प्रमाण स्वरूप
प्रस्तुत किये...
उसकी मांग थी कि दोषियों को तुरंत
जेल
भेजा जाए....
लेकिन सत्ता में बैठे लोग कहाँ ऐसा करने
वाले थे......
वो अपने ही विरुद्ध क्योंकर ऐसा करते
भला?...
फिर समय बीता.....
भाग्य ने करवट बदली....
केजरीवाल राजा बन गया....
परन्तु राजा बनकर भी उसने किसी के
विरुद्ध मुकदमा नहीं चलाने की शुरुआत
की...
ऐसा क्यों?.....
हे राजन,
इस सवाल का उत्तर अगर तूने जानते हुए
भी नहीं दिया तो तेरे सर के दो टुकड़े
हो जायेंगे....
राजा बोला,
"बेताल,
सत्ता में आने के बाद मनुष्य बदल
जाता है....
वह किसी भी काम को करने से पहले उसके
दूरगामी परिणामों के बारे में
सोचता है....
आन्दोलन करते समय उसके पास खोने
को कुछ नहीं होता....
राजा बनने के बाद उसे राज्य
का विस्तार करने की चिंता होती है....
वह उचित समय की तलाश में रहने
लगता है....
उसे लगता है जब जनता 15 वर्षों से
झेल रही है तो और भी झेल लेगी......
थोडा चूरन- चटनी चटा दो इसको..."
हे बेताल!
यह मानव स्वभाव है....
इसमें राजा का इतना दोष नहीं....
बेताल बोला,
"राजा तू कितना समझदार है.....
पर तू बोला, और मैं चला।'
कहकर बेताल वापस पेड़ पे लटक गया ।
देश ओर की धर्म कि रक्षा कौन करेगा ???
ReplyDelete1. 16 साल खेलकूद में निकल गए.
2. 17 से 25 पढाई, जवानी के प्यार में, फ़ोकट की दादागिरी में, फालतू बातों में.
3. 25 से 35 में बच्चों का बोझ, परिवार की उम्मीद, महंगाई के दौर में खुद को सही स्थिति में लाने की जंग.
4. 35 से 50 में अब जाके जिंदगी एक ट्रैक पर रुकी है तो पता लगा की बच्चे बड़े होने लगे हैं , इंजीनियरिंग में प्रवेश कराना है या डॉक्टर बनाना है, इतना अनुदान देना है कॉलेज में , शहर से बाहर रहने का इतना खर्चा है, फिर से लग गए जुगाड़ में.
5. 50 से 60 , अब उम्र आई है सत्संग की , मंदिर जाने की , लोगो को उपदेश देने की , ज़माने के अंतर को बताने की, अपनी बात को बड़ी साबित करने की , ये बताने की क़ि ये देशसेवा , राष्ट्रभक्ति ये सब खाली बेठे लोगो के काम हैं , पढो लिखो करियर बनाओ और पैसा कमाओ , ये सब तो यु ही चलता रहता है.
हो सकता है क़ि लिखने में कुछ कमी रह गयी हो या कुछ बिंदु गलत लिखे हों , पर जितना मैने आसपास देखा वो बताया , इसमें कुछ स्थिति ऐसी है क़ि सम्रद्ध युवा अपने ऐश आराम और रोमांस से बाहर देख ही नहीं पा रहे हैं , गरीब युवा को राष्ट्र के लिए देखने का विकल्प ही नहीं बचता क्योकि उसे अपनी एक दिन क़ि रोटी का जुगाड़ करना है , उसकी एक दिन की अनुपस्थिति से उसकी ज़िन्दगी , भूख प्यास को आंच आ सकती है, अमीर युवा को भटकने से भी काम अच्छे ढंग से चल रहा है जैसे, MTV, हवस को प्यार का नाम देकर उस पर टिपण्णी देकर प्रसिद्धि लूटना, लडकियों में अलग दिखने के लिए android मोबाइल, ब्रांडेड चश्मे, लेविस क़ि जींस, रीबोक क़ि टी शर्ट , bikes का ट्रेंड , आज कौन सी फिल्म रिलीज़ हो रही है. इन्हें कोई देश और समाज क़ि बात करता हुआ दिखाई देता है तो उसे बाबाजी, या उपदेशक कहते हैं
फिर भी इन दोनों स्थिति से कोई बाहर निकल कर देश के लिए कुछ करने क़ि सोचता है तो उसे सबसे पहले अपने समाज, परिवार, दोस्तों से ही बेवकूफ का दर्जा मिल जाता है, घरवाले चिंता करते हैं क़ि ये किस और जा रहा है.
और ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो सोचते हैं क़ि हमें जितना पता है वो प्रयाप्त है हमें और अतिरिक्त ज्ञान क़ि जरुरत नहीं है और वो लोग न तो अखबार पढ़ते हैं न ही न्यूज़ देखते हैं न ही नेट सर्फ़ करते हैं, फिर भी वो इस ग़लतफहमी का शिकार हैं क़ि वो सब कुछ जानते हैं , हर बात को बहुत ही कांफिडेंस से कहते हैं , और इनकी बात पर कोई सफाई दे तो इधर-उधर देखने लग जाते हैं जैसे क़ि सामने वाला झूठ बोल रहा है , सिर्फ वो ही सच जानते हैं . इस तरह के लोग जब रोज मिलते रहते हैं और घर में भी विपक्ष का सामना करना पड़ता है तो बहुत से लोग अपनी इस देशभक्ति को छोड़ देते हैं और इसी रंगीन दुनिया में घुलमिल जाते हैं.
शुभ संध्या साथियों।
ReplyDelete.
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अग्रिम रणनीति को लेकर जो मंथन शीर्ष नेतृत्व में चल रहा है वह जल्द ही मूर्त रूप में निर्णय बनकर सामने आने ही वाला है। किन्तु निरहुआ को यह समझ नहीं आ रहा है की अब लखनऊ में धरना-प्रदर्शन से क्या हासिल होगा ? लखनऊ में अपनी ऊर्जा व्यर्थ करने से अच्छा है की अपनी ऊर्जा को सही जगह और सही दिशा में लगाया जाय। अरे जब कल समाचार प्लस पर पूरे प्रदेश के सामने इतनी छीछालेदारी के बाद भी सरकार के प्रतिनिधि डा0 पूर्णमासी पूरी चर्चा के दौरान झपकी लेते रहे तब आप स्वयं अंदाजा लगा लीजिये कि यह सरकार हम लोगों के प्रति कितनी गंभीर है? लेकिन एक बात मजेदार है कि सरकार भी चुन-चुन कर अपने प्रतिनिधि ऐसे अवसरों पर भेजती है जिन्हें ना तो किसी मामले की पूरी जानकारी होती है और ना तो जानकारी रखने की क्षमता उनमें होती है, ऊपर से बेशर्मी के पर्यायवाची बनकर वे एक ही बात 'all is well' तोते की तरह रटे जाते हैं। साथियों मेरा मानना है की 10 दिन लखनऊ में घिसटने से अच्छा है कि बस एक ही दिन दिल्ली में दहाड़ा जाय और अपनी बात उन लोगों तक पहुंचाई जाय जो हमें न्याय प्रदान करने में सक्षम और समर्पित हैं। इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश महोदय को जनहित याचिका के विकल्प स्वरुप एक प्रार्थना-पत्र भेजने की रणनीति ही इस समय सर्वोत्तम विकल्प है। आज जनपद जौनपुर से हमारे टेट बन्धु इसकी शुरुआत करेंगें, शाम तक संभवतः इस प्रार्थना-पत्र का प्रारूप सार्वजानिक कर दिया जायेगा किन्तु अगर कोई बन्धु स्वयं ऐसा कर सके तो उसका स्वागत रहेगा। निरहुआ आप सभी से आग्रह करता है कि आप सभी सामूहिक रूप से मिलकर कम से कम एक रजिस्ट्री अवश्य करें और हमारे प्रयासों को एक आधार प्रदान करें।
धन्यवाद बंधुओं।
Zindagi Shayad Kahin Phir Se
ReplyDeleteRaste Mila De......
Magar Ek Baat Yaad Rakhna, Tum
Mujhe Kho Chuke Ho.....
M
ReplyDeleteE
R
I
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W
A
L
I
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अगर होता यकीं के तुम मिलने आओगे ख्वाब में तो...
वफ़ा की कसम आँखों में हम गुलाब की पत्तिया सजाकर सोते...!!!!
सत्य कथा-
ReplyDeleteएक आम आदमी का परिवार था...
उस परिवार में पिता एक गरीब पूर्व सरकारी अफसर था...
माँ भी एक गरीब सरकारी प्रथम श्रेणी अफसर थी...
उनके स्कूल जाने वाले दो गरीब बच्चे थे...
उनके चार गरीब नौकर थे...
उनके पास आम आदमी की आम कार मारुती वैगन आर थी...
उनका गरीब ड्राइवर उन आम बच्चों को आम कार से आम दिल्ली पब्लिक स्कूल में छोड़ने जाता था...
उनके बच्चों के पास पुराना सैमसंग गैलेक्सी गरीबों वाला मोबाइल था और वो सब सप्ताह में तीन बार शहर के आम एसी होटल में खाना खाने जाते थे...
उनके आम घर में चार पुराने सेकंड हैण्ड एसी थे जिनका बिल वो हर महीने ईमानदारी से भरते थे...
छुट्टियों में वो सब गरीब एयर इण्डिया के विमान में बैठकर छोटे से कसबे 'सिंगापुर' घूमने जाते थे...
आम आदमी का सारा परिवार बड़ी मुश्किल से जिन्दगी जी रहा था...
सच में एक 'आम आदमी' का जीवन कितना मुश्किल भरा है...
इस कहानी का किसी जीवित या मृत आदमी से सम्बन्ध जरुर है.!!
केजरीवाल की नौटंकी देख कर आप सब को एक कहानी याद आ गयी होगी
ReplyDeleteएक बार बन्दर को जंगल का राजा बनाया गया एक दिन कि बात है कि जंगल में एक बकरी के बचे को शेर छोरो, ... भेड़िया उठा के ले गया, फिर जानवरो का कुछ समूह इस घटना के बारे में जंगल के राजा बन्दर को बताया। राजा साहब भी मामला को बरी गम्भीरता से लेते हुए इस टहनी से उस टहनी कूदते रहे । लेकिन वो इस मामले का हल नहीं निकाल पाये। फिर वही जानबरो का समूह वापस आ के पूछा, कि राजा साहब क्या हुआ तभी राजा साहब को गुस्सा आ गया और बोले कि मेरी कोशिश में कोई कमी है तो बताओ। कहने का मतलब है कि" बन्दर को राजा बनाओगे तो नौटंकी ही पाओगे"।
कांग्रेस के सपोर्ट से सरकार बनाते हैं और
ReplyDeleteउसी के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं ..............जब
प्यार किया तो "धरना "क्या ??
- जिससे सारी दुनिया को इसकी नौटंकी पता चले! अगर मीडिया हट जाये तो नाटक 1 घंटे भी न चले. कोई पूछो की बगल की वैगन-R में सोने में क्या परेशानी थी? कैमरा नहीं रहता इसलिए?
ReplyDeleteशादी के बाद पति -पत्नी कैसे बदलते हैं देखिये .....
ReplyDeleteशादी के बाद पत्नी कैसे बदलती है,जरा गौर कीजिए:
पहले साल: मैंने कहा जी खाना खा लीजिए, आपने काफी देर से कुछ खाया नहीं।
दूसरे साल: जी खाना तैयार है, लगा दूं?..
तीसरे साल: खाना बन चुका है, जब खाना हो तब बता देना।..
चौथे साल: खाना बनाकर रख दिया है, मैं बाजार जा रही हूं, खुद ही निकालकर खा लेना।:/
पांचवे साल: मैं कहती हूं आज मुझसे खाना नहीं बनेगा, होटल से ले आओ। ..
छठे साल: जब देखो खाना, खाना और खाना,अभी सुबह ही तो खाया था।:.
शादी के बाद पति कैसे बदलते है,जरा गौर कीजिए:
पहले साल: jaanu संभलकर उधर गड्ढा हैं ...
दूसरे साल : अरे यार देख के उधर गड्ढा हैं ..
तीसरे साल : दिखता नहीं उधर गड्ढा हैं ..
चोथे साल : अंधी हैं क्या गड्ढा नहीं दिखता
पांचवे साल : अरे उधर -किधर मरने जा रही हैं गड्ढा तो इधर हैं ..
भारत के रोचक तथ्य :-
ReplyDelete===================
• भारत ने अपने आखिरी 100000 वर्षों के
इतिहास में
किसी भी देश पर हमला नहीं कियाहै।
• हड़प्पा संस्कृति विश्व की पहली नगरीय
संस्कृति है .
• भारत का अंग्रेजी में नाम ‘ इंडिया ’ इंडस नदी से
बना है,
जिसके आस पास की घाटी में आरंभिक सभ्यताएं
निवास
करती थी।
आर्य पूजकों में इस इंडस नदी को सिंधु कहा।
• भारत में विश्व भर से सबसे अधिक संख्या में डाक
खाने
स्थित हैं।
• भास्कराचार्य ने खगोल शास्त्र के कई सौ साल
पहले
पृथ्वी द्वारा सूर्य के चारोंओर चक्कर लगाने में
लगने वाले
सही समय की गणना की थी।
उनकी गणना के अनुसार सूर्य की परिक्रमा में
पृथ्वी को 365.258756484 दिन का समय
लगता है।
• भारत से 90 देशों को सॉफ्टवेयर का निर्यात
किया जाता है।
• भारत में 3,00,000 मस्जिदेंहैं जो किसी अन्यदेश
से
अधिक हैं,
यहां तक कि मुस्लिम देशों से भी अधिक।
• बेडमिन्टन और पोलो खेलो की उत्पत्ति भारत में
हुई .
• विश्व में सबसे ज्यादा मतदाता और युवा भारत में
है .
• विश्व में सबसे ज्यादा पशु भी भारत में पाए जाते
है .
पागल थे नाथूराम गोडसे।
ReplyDeleteक्यूंकि उसने उस गाँधी को मारा
जिस गाँधी ने भगतसिंह की फांसी पर कोई
विरोध प्रकट नहीं किया.....
जिस गाँधी ने जलियांवाला हत्याकांड के
दोषी जनरल डायर की सजा के लिए कोई
भी आन्दोलन नहीं किया.....
जिस गाँधी ने अपने चहेते नेहरु
को प्रधानमंत्री बनाने के लिए देश के 2 बटवारे
करा दिए......
जिस गाँधी के 5 संतान होते हुए भी कई अवैध
सम्बन्ध थे......
जिस गाँधी भारतीयों की सशत्रक्रांति मे
तो हिंसा दिखती थी मगर अंग्रेजो के दमन चक्र मे
अहिंसा....
जो गाँधी 50 साल की उम्र मे 18 साल
की लड़की से
शादी करना चाहता था जिसका खुलासा खुद
गाँधी के पुत्र ने किया.....
ऐसे संत और महान देशभक्त को मारना देश से
गद्दारी नहीं तो क्या है.....
पागल था गोडसे जो भारतका विस्तार सिन्धु
नदी तक चाहता था !
और लोग भी तो जी रहे थे.जी लेता तो आज तक
मरने के बाद भी अपमानित नहीं होता. हर साल
लोगो के अपशब्द नहीं सुनता.
अरे इस देश मे नेताजी बोस जैसो की कोई खैर-खबर
नहीं लेता. तो तुम क्या चीज हो-
जो देशवासी और कांग्रेसी सुखदेव, भगत सिंह और
राजगुरु को आंतकी कहते है वो तुम्हे क्या समझते है
समझ लेना!
ये देश जैसा था वैसा ही है और ऐसा ही रहेगा.
क्युकी यहाँ जागे हुए लोग कम है. और जिन्दा मुर्दे
भरे पड़े है ...!
जिन्दा मुर्दे..!
i have already send a letter to CJI and PRESIDENT OF INDIA but no actio has been taken yet.please publish address of chief justice and president of india or publish acommon letter like previously u have done.TMNTBBN U HAVE DONE A GREAT JOB TILL DATE .please do continue . i canot say about rest of them but i will be only person to read ur BLOG. please tell me to lodge a jan hit yachika.
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