Lower Sub Ordinate UP PSC Exam Postponed : लोअर सब-ऑर्डिनेट की प्रारंभिक परीक्षा स्थगित
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत आयोग का निर्णय
इलाहाबाद।
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 19 जनवरी
को प्रस्तावित लोअर सब-ऑर्डिनेट भर्ती प्रारंभिक परीक्षा-2013 स्थगित कर
दी है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक
लगाते हुए पिछले कई सालों से परीक्षाओं के आयोजन न होने के कारण निर्धारित
उम्र सीमा पार कर चुके अभ्यर्थियों को शामिल होने देने का निर्देश आयोग को
दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को
इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें
निर्धारित उम्र पार कर चुके अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने की छूट
देने पर रोक लगा दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अनिल आर दवे व जस्टिस
जेएस खेहर की पीठ के समक्ष अभ्यर्थी अनिल कुमार राय की ओर से पेश हुए
अधिवक्ता जयंत कुमार मेहता की दलीलों से सहमति जताते हुए उत्तर प्रदेश लोक
सेवा आयोग समेत दस प्रतिपक्षों को नोटिस जारी किया। साथ ही हाईकोर्ट की डबल
बेंच की ओर से गत वर्ष 4 दिसंबर को जारी किए गए आदेश के अनुपालन और उसे
लागू करने पर रोक लगा दी। सर्वोच्च अदालत ने सभी प्रतिपक्षों को दो सप्ताह
में जवाब पेश करने का निर्देश जारी करते हुए सुनवाई की अगली तिथि 31 जनवरी
तय की है। सर्वोच्च अदालत को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मेहता ने बताया कि
2008 के बाद इस परीक्षा का आयोजन 2013 में हो रहा है। चार साल के अंतराल
में मेरे मुवक्किल की उम्र तय सीमा को पार कर गई जोकि इस परीक्षा के लिए
अधिकतम 40 वर्ष है। सवाल यह उठता है कि यदि परीक्षा हर साल कराई जाए तो भला
किसी अभ्यर्थी के साथ ऐसा क्यों होगा। लेकिन परीक्षा कई वर्षों के अंतराल
में करायी जा रही है तो उन अभ्यर्थियों को छूट मिलनी चाहिए जो इस अंतराल
में उम्र की निर्धारित सीमा को पार कर जाते हैं।
परीक्षा
स्थगित करने को लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दो अलग याचिका दाखिल
की गईं थीं। प्रदेश के करीब सभी अभ्यर्थियों का परीक्षा केंद्र दूसरे जिलों
में भेजा गया है। बड़ी संख्या में अभ्यर्थी संबंधित जिलों के लिए रवाना हो
गए है
News Source/ Sabhaar : Amar Ujala / अमर उजाला ब्यूरो(18.1.14)
*******************
News Sabhaar : Hindustan Paper (18.1.14)
*********************************************
FB par neeche diya gaya sashandesh mila hai, jo ki aapko share kiya jaa raha hai -
*************************
In UP almost all recruitments are stuck in Court - Recently UP Jal Nigam Exam Postponed,
Lakhs of Primary/Upper Primary Teacher Recruitment Stuck, UP Police Recruitment Faces Problems in Court etc. etc.
TET MORCHA DHYAN DE
ReplyDeleteBHAI DEFECT DOOR HO YA NA HO YE GOVT YADI YE KAH DE KI HUM APKO BHARTI KARENGE TO BHI ISKA VISHWAS MAT KARNA OR JALD DELHI ME JORDAR PRADARSHAN KE TAIYARI KARO OR DATE DECLARE KARO VERNA SAB HAATH SE NIKAL RAHA HAI .HUMEY NAUKARI MILE OR NA MILE AB ATAMDHAH KARENGE DELHI ME OR UP SARKAR KE BATNAMI KARO PURE DESH ME .TIL TIL KAR MARNE SE ACCHA HAI SANSAD KE AAGE AAG LAGA KAR MAR JAAYE JISKA COVERAGE POORA MEDIA KAREGA OR SC BHI USKA SANGYAN LEGA YADI IS DESH ME NYAY HAI.ISLIYE JALD DELHI PAHUNCHANE KE GHOSANA KARO CASE TO LADNA HI HAI APNA HAK NAHI CHODANA HAI.
यूपीपीसीएस: लोअर सब-ऑर्डिनेट की प्रारंभिक परीक्षा स्थगित ब्यूरो / अमर उजाला, दिल्ली Updated @ 12:32 AM IST सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 19 जनवरी को प्रस्तावित लोअर सब- ऑर्डिनेट भर्ती प्रारंभिक परीक्षा-2013 स्थगित कर दी है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए पिछले कई सालों से परीक्षाओं के आयोजन न होने के कारण निर्धारित उम्र सीमा पार कर चुके अभ्यर्थियों को शामिल होने देने का निर्देश आयोग को दिया। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें निर्धारित उम्र पार कर चुके अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने की छूट देने पर रोक लगा दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अनिल आर दवे व जस्टिस जेएस खेहर की पीठ के समक्ष अभ्यर्थी अनिल कुमार राय की ओर से पेश हुए अधिवक्ता जयंत कुमार मेहता की दलीलों से सहमति जताते हुए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग समेत दस प्रतिपक्षों को नोटिस जारी किया। साथ ही हाईकोर्ट की डबल बेंच की ओर से गत वर्ष 4 दिसंबर को जारी किए गए आदेश के अनुपालन और उसे लागू करने पर रोक लगा दी। सर्वोच्च अदालत ने सभी प्रतिपक्षों को दो सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश जारी करते हुए सुनवाई की अगली तिथि 31 जनवरी तय की है। सर्वोच्च अदालत को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मेहता ने बताया कि 2008 के बाद इस परीक्षा का आयोजन 2013 में हो रहा है। चार साल के अंतराल में मेरे मुवक्किल की उम्र तय सीमा को पार कर गई जोकि इस परीक्षा के लिए अधिकतम चालीस वर्ष है। सवाल यह उठता है कि यदि परीक्षा हर साल कराई जाए तो भला किसी अभ्यर्थी के साथ ऐसा क्यों होगा। लेकिन परीक्षा कई वर्षों के अंतराल में करायी जा रही है तो उन अभ्यर्थियों को छूट मिलनी चाहिए जो इस अंतराल में उम्र की निर्धारित सीमा को पार कर जाते हैं। परीक्षा स्थगित करने को लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिका दाखिल की गईं थीं। हाईकोर्ट में पहुंचे आवेदक का कहना था कि आयोग ने अभ्यर्थियों का सेंटर दूसरे जिलों में डाला है और ठंड के चलते परीक्षा स्थगित कर दी जानी चाहिए लेकिन कोर्ट ने परीक्षा टालने से मना कर दिया। प्रदेश के तकरीबन सभी अभ्यर्थियों का परीक्षा केंद्र दूसरे जिलों में भेजा गया है। ऐसे में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी शुक्रवार को संबंधित जिलों के लिए रवाना हो गए। देर शाम आयोग के सचिव अनिल कुमार यादव ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संज्ञान में लेते हुए परीक्षा स्थगित कर दी गई है। यह अर्जेंट मैटर रहा, इसलिए आयोग को सूचना नहीं थी। आदेश मिलने पर आयोग ने यह फैसला लिया।
ReplyDeletefriends-as we all know that government and academicians they both are only misguiding innocents tetians and intentionally filed defective S.L.P to stop our movement which was running very successfully from 10 dec and that time media was also giving us full coverage i think if we have stayed some more days in laxman mela park (dharna sthal) then govt never dare to make us fool in the name of defective S.L.P in my opinion they both do not have enough courage to remove their defect because their S.L.P is fully defected they do not have any valid grounds which they raise before supreme court and they also know that supreme court will also fined them to unnecessary delaying the process and now we have only two options left one is contempt of court and other is again start big movement so u all also give us ur opinion otherwise 31 march 2014 is not far and lok sabha election is also coming very near and once election will be announced by election commissioner model code of conduct come in effect and that time all the party and govt machinery will busy on election no one will hear us so now choice is urs it is my personal opinion.
ReplyDeleteएक औरत गर्भ से थी पति को जब
ReplyDeleteपता लगा की
कोख में बेटी हैं तो वो उसका गर्भपात
करवाना चाहते
हैं दुःखी होकर पत्नी अपने पति से
क्या कहती हैं :-
सुनो, ना मारो इस नन्ही कलि को,
वो खूब सारा प्यार हम पर लुटायेगी,
जितने भी टूटे हैं सपने, फिर से वो सब
सजाएगी..
सुनो, ना मारो इस नन्ही कलि को,
जब जब घर आओगे तुम्हे खूब हंसाएगी,
तुम प्यार ना करना बेशक उसको,
वो अपना प्यार लुटाएगी..
सुंनो, ना मारो इस नन्ही कलि को,
हर काम की चिंता एक पल में भगाएगी,
किस्मत को दोष ना दो, वो अपना घर
आंगन महकाएगी..
ये सब सुन पति अपनी पत्नी को कहता हैं :-
सुनो में भी नही चाहता मारना इस
नन्ही कलि को,
तुम क्या जानो, प्यार नहीं हैं
क्या मुझको अपनी परी से,
पर डरता हूँ समाज में हो रही रोज रोज
की दरिंदगी से..
क्या फिर खुद वो इन सबसे अपनी लाज
बचा पाएगी,
क्यूँ ना मारू में इस कलि को, वो बहार
नोची जाएगी..
में प्यार इसे खूब दूंगा, पर बहार किस किस
से बचाऊंगा,
जब उठेगी हर तरफ से नजरें, तो रोक खुद
को ना पाउँगा..
क्या तू अपनी नन्ही परी को, इस दौर में
लाना चाहोगी,
जब तड़फेगी वो नजरो के आगे, क्या वो सब
सह पाओगी,
क्यों ना मारू में अपनी नन्ही परी को,
क्या बीती होगी उनपे, जिन्हें मिला हैं
ऐसा नजराना,
क्या तू भी अपनी परी को ऐसी मौत
दिलाना चाहोगी..
ये सुनकर गर्भ से आवाज आती हैं
सुनो माँ पापा
में आपकी बेटी मेरी भी सुनो :-
पापा सुनो ना, साथ देना आप मेरा,
मजबूत बनाना मेरे हौसले को,
घर लक्ष्मी हैं आपकी बेटी, वक्त पड़ने पे में
काली भी बन जाउंगी,
पापा सुनो,
ना मारो अपनी नन्ही कलि को,
उड़ान देना मेरे हर वजूद को,
में भी कल्पना चावला की तरह, ऊँची उड़ान
भर जाउंगी..
पापा सुनो,
ना मारो अपनी नन्ही कलि को,
आप बन जाना मेरी छत्र छाया,
में झाँसी की रानी की तरह खुद की गैरो से
लाज बचाउंगी..
पति (पिता) ये सुन कर मौन हो गया और
उसने अपने फैसले पे
शर्मिंदगी महसूस करने लगा और कहता हैं
अपनी बेटी से :-
में अब कैसे तुझसे नजरे मिलाऊंगा,
चल पड़ा था तुम्हारा गला दबाने,
अब कैसे खुद को तुम्हारे सामने लाऊंगा,
मुझे माफ़ करना ऐ मेरी बेटी,
तुझे इस दुनियां में सम्मान से लाऊंगा..
वहशी हैं ये दुनिया तो क्या हुआ,
तुझे बहादुर बिटियाँ बनाऊंगा..
मेरी इस गलती की मुझे हैं शर्म,
घर घर जाके सबका भ्रम मिटाऊंगा
बेटियां बोझ नहीं होती..
अब सारे समाज में अलख जगाऊंगा" _/\_
एक नदी के किनारे पर एक पेड् था उस पर एक बंदर और एक बदरिया रहते थे।एक दिन बदरिया ने बदरं से कहा कि इस समय शुभ घडी है जो नदी में कूदेगा उसको मानव का जनम मिलेगा बंदर ने नाराज होकर कहा कि तूने दूसरे बंदर से मुझे मरवाने की योजना वना ली है औऱ उसके साथ तू मौज करेगी उसने वदरिया को पकडकर नदी में फेंक दिया वह वदरिया एक जवान लडकी वन गई उसे देखकर वदरं बार बार पेड से कूदता पर वह वदरं ही रहा बह वहुत पछताया।जीबन में एक वार अवसर मिलता है बह अगर चला गया तो सारा जीवन वदरं वनकर जीना पडेगा सभी टी ई टी दोसतो से मेरी सलाह है कि आप सव को सहषॆ करके टीचर की जाबॅ लेना है।तयार रहो कभी भी जंग शुरू हो सकती है
ReplyDeleteकुछ वर्षो बाद शायद बच्चे यही पढ़ेंगे ....
ReplyDelete======================
सुना है कि गब्बर सिंह का किरदार भी किताबों मे पढ़ाया जाएगा, तो इसी विषय मे पेश है
- गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण --
1. सादा जीवन, उच्च विचार:
उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाशडाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति:
ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी.अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
3. नृत्य-संगीत का शौकीन:
'महबूबा ओये महबूबा' गीतके समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है। अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था। वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्तीके अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लियाथा. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
4. अनुशासनप्रिय नायक:
जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी:
उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था.ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक युग का 'लाफिंग बुद्धा' था.
6. नारी के प्रति सम्मान:
बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.
7. भिक्षुक जीवन:
उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था.रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चाअनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था. सोना, चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. सामाजिक कार्य:
डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना कलह किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित कर रखा था. उस युग में 'कौन बनेगा करोड़पति' ना होने के बावजूद लोगों को रातों-रात अमीर बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.
9. महानायकों का निर्माता: # ThaluaGtsअगर गब्बर नहीं होता तो जय और वीरू जैसे लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने की क्षमता जागी.
ऋषि अंगिरा के शिष्यों में एक था उदयन। वह काफी प्रतिभाशाली था। पर उसमें विनम्रता की कमी थी। वह हर समय अपने गुणों का बखान करता और अपने
ReplyDeleteसहपाठियों का मजाक उड़ाता रहता था। ऋषि ने
सोचा कि समय रहते इसे न समझाया गया तो यह लक्ष्य से भटक जाएगा। एक बार सर्दी की रात में सत्संग चल रहा था। बीच में अंगीठी में कोयले दहक
रहे थे। एक तरफ ऋषि बैठे थे दूसरी तरफ
शिष्य। ऋषि बोले- अंगीठी खूब चमक
रही है। इसका श्रेय इसमें दहक रहे
कोयलों को है।' सभी ने सहमति में सिर हिलाया। ऋषि ने उदयन से कहा- देखो सबसे बड़ा कोयला सबसे तेजस्वी है। इसे निकाल कर मेरे पास रख दो। उदयन ने चिमटे से पकड़ कर वह तेज भरा अंगारा ऋषि के पास रख दिया। लेकिन जैसे ही वह अंगीठी के अन्य
कोयलों से अलग हुआ जल्दी ही उसकी चमक फीकी पड़ने लगी। उस पर राख की परतें आ गईं और वह
तेजस्वी अंगारा एक काला कोयला भर रह गया। ऋषि ने समझाया- तुम चाहे कितने भी तेजस्वी हो पर इस कोयले जैसी भूल मत कर बैठना। अगर यह
कोयला अंगीठी में सबके साथ रहता तो अंत तक तेजस्वी बना रहता और सबको गर्मी देता रहता। अलग होते ही इसकी चमक नहीं रही। अब हम इसकी तेजस्विता का लाभ भी नहीं उठा सकेंगे। परिवार ही वह अंगीठी है जिसमें प्रतिभाएं संयुक्त रूप से तपती हैं।
व्यक्तिगत प्रतिभा का अहंकार न टिकता है न फलित होता है। सब के साथ रहने में ही वास्तविक बल है। उदयन को अपनी भूल का अहसास हो गया।
बहु जोर जोर से रो रही थी सास ने कारण पूछा ।
ReplyDeleteबहु : क्या मैं चुड़ैल जैसी लगती हूँ ?
सास : नहीं बिलकुल नहीं ।
बहु : क्या मेरी आँखें मेढकी की तरह है ?
सास : नहीं ।
बहु : क्या मेरी नाक नेपालियो जैसी है।
सास : नही ।
बहु : क्या मैं भैंस जैसी मोटी और काली हूँ ?
सास : नहीं बेटी !
बहु : फिर सारे मोहल्ले
के लोग क्यों कहते तूं तो अपनी सास जैसी लगती है ।
पिछले दो सालों में उ.प्र. सरकार की रोजगार के क्षेत्र में उपलब्धियाँ
ReplyDelete1- 72825 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती पर रोक
2- 29333 जूनियर शिक्षकों की भर्ती पर रोक
3- T.G.T की भर्ती पर रोक
4- P.G.T की भर्ती पर रोक
5- दरोगा की भर्ती पर रोक
6- ग्राम पंचायत अधिकारी की भर्ती पर रोक
7- विकास अधिकारी की भर्ती पर रोक
8- P.C.S की भर्ती पर रोक
पिछले दो सालों में विज्ञापन तो बहुत निकले और आज भी निकल रहे हैं पर आज तक एक भी भर्ती पूरी नहीं हो पायी.................
उ.प्र.सरकार के पूरे होते वादे .....
सच कर देगे सपने
लड़की: तुम क्या करते हो?
ReplyDeleteलड़का : मैं टाइम्स ऑफ इंडिया में जॉब करता था !
लड़की : wow , व्हाट अ जॉब ?
लड़का : लेकिन , अब मैंने यह जॉब छोड़ दी !
लड़की: पर क्यों ?.
.
.
.
.
.
लड़का : कौन साला , सुबह-सुबह उठ कर पेपर डालने जाए!
देख रही
ठंड कितनी है पगली !
M
ReplyDeleteE
R
I
.
.
.
W
A
L
I
.
.
.
.
दूर ना जाया करो दिल तड़प जाता है,
आपके ही ख्याल में दिन गुजर जाता है,
ये कहानी जरूर पढ़े, यक़ीनन आपकी सोच बदल देगी...
ReplyDelete.
.
रेगिस्तानी मैदान से एक साथ कई ऊंट अपने मालिक के साथ जा रहे थे। अंधेरा होता देख मालिक एक सराय में रुकने का आदेश दे दिया।
निन्यानवे ऊंटों को जमीन में खूंटियां गाड़कर उन्हें रस्सियों से बांध दिया मगर एक ऊंट के लिए खूंटी और रस्सी कम पड़ गई। सराय में खोजबीन की , पर व्यवस्था हो नहीं पाई। तब सराय के मालिक ने सलाह दी कि तुम खूंटी गाड़ने जैसी चोट करो और ऊंट को रस्सी से बांधने का अहसास करवाओ।
यह बात सुनकर मालिक हैरानी में पड़ गया , पर दूसरा कोई रास्ता नहीं था , इसलिए उसने वैसा ही किया।
झूठी खूंटी गाड़ी गई , चोटें की गईं। ऊंट ने चोटें सुनीं और समझ लिया कि बंध चुका है। वह बैठा और सो गया। सुबह निन्यानबे ऊंटों की खूटियां उखाड़ीं और रस्सियां खोलीं , सभी ऊंट उठकर चल पड़े , पर एक ऊंट बैठा रहा। मालिक को आश्चर्य हुआ - अरे , यह तो बंधा भी नहीं है , फिर भी उठ नहीं रहा है।
सराय के मालिक ने समझाया - तुम्हारे लिए वहां खूंटी का बंधन नहीं है मगर ऊंट के लिए है। जैसे रात में व्यवस्था की , वैसे ही अभी खूंटी उखाड़ने और बंधी रस्सी खोलने का अहसास करवाओ। मालिक ने खूंटी उखाड़ दी जो थी ही नहीं , अभिनय किया और रस्सी खोल दी जिसका कोई अस्तित्व नहीं था। इसके बाद ऊंट उठकर चल पड़ा।
न केवल ऊंट बल्कि मनुष्य भी ऐसी ही खूंटियों से और रस्सियों से बंधे होते हैं जिनका कोई अस्तत्व नहीं होता। मनुष्य बंधता है अपने ही गलत दृष्टिकोण से , मिथ्या सोच से , विपरीत मान्यताओं की पकड़ से। ऐसा व्यक्ति सच को झूठ और झूठ को सच मानता है। वह दुहरा जीवन जीता है। उसके आदर्श और आचरण में लंबी दूरी होती है।
इसलिए जरूरी है कि मनुष्य का मन जब भी जागे , लक्ष्य का निर्धारण सबसे पहले करे। बिना उद्देश्य मीलों तक चलना सिर्फ थकान , भटकाव और नैराश्य देगा , मंजिल नही।
विधि विचारक मित्रों,
ReplyDeleteटीईटी समर्थक भाइयों,
नमस्कार,
ध्यानाकर्षण,
हालांकि सरकार जिस मार्ग पर चल रही है उसमें सफल तो नहीं हो पाएगी पर वह सुप्रीम कोर्ट में एक छोटे बच्चे की तरह पैर पटक पटक कर जरुर रोएगी। जहाँ तक सरकार के वकील की बात है तो भारत में आतंकवादियों और बलात्कारियों को वकील मिल जाते हैं तो हमारा मामला तो जिद्द, राजनैतिक और आर्थिक द्वेष के कारण अटका पड़ा है तो सरकार के लिए गर्ग साहब जैसे दो कौड़ी के वकील क्यों नहीं तैयार हो जाएँगे। जहाँ तक सरकार के पक्ष और अकेडमिक वालों के पक्ष की बात है तो दोनों लगभग एक ही बात रखेंगे जो तुरंत खारिज हो जाएगा। जैसे~(@@@@@@@@@) पर यदि एक इंटरवेंशन एप्लीकेशन लगा कर यह कहा जाय कि नया विज्ञापन पुराने के तकनीकी दोषों को दूर करने के लिए एक संशोधित प्रारुप है तो सरकार तथा एकेडमिक वालों के पूरे प्रयास पर पानी फिर जाएगा.
यदि नये विज्ञापन में टीईटी मेरिट चयन का आधार रहे,आवेदन शुल्क मात्र 500/-रु. का केवल एक चालान और ओवर एज अभ्यर्थी शामिल हो जाएँ तो शायद किसी को कोई समस्या नहीं होगी।
यदि मैं डबल बेंच में पार्टी न रहा होता तो मैं इस बात को इंटरवेंशन के जरिए जरुर रखता एवं चालान की बात जानबूझकर न करता ताकि एकेडमिक गधों को दोहरी मार मिले।
इस आशय का एप्लीकेशन उस दशा में लगाने योग्य है जब सरकार की याचिका स्वीकार हो जाए( जिसका कोई चांस नहीं)।पुराने आवेदन को संरक्षित करने के लिए आशीष त्रिपाठी की याचिका पर मिले आदेश संरक्षण हेतु भी कैविएट लगाना चाहिए जिसका तोड़ पूरे हिन्दुस्तान में किसी भी बेंच के पास नहीं है।
मैं तो शेर हूँ शेरों की गुर्राहट नहीं जाती,
मैं लहजा नर्म भी कर लूँ तो झल्लाहट नहीं जाती,
मैं एक दिन बेखयाली में कहीं सच बोल बैठा था,
मैं कोशिश कर चुका हूँ मुँह की कड़वाहट नहीं जाती.
जय हिंद.
इक चीज़ थी ज़मीर जो कभी वापस तो न ला सका
ReplyDeleteलौटा तो है ज़रूर
वो पूरी दुनिया खरीदकर
लोवर पर स्टे लगने के बाद यु पी सरकार को ये बात समझ मे आ चुकी होगी कि हर मुद्दे को सरकार की नाक का मुद्दा बना लेने भर से ही् हासिल तो होता पर केवल फजीहत और अप्मान .... टेट मुद्दे पे इनके साथ क्या होने वाला है सभी को पता है . मजेदार बात ये है कि ये सरकार अपने नाक को बचाने के चक्कर मे ही सबसे अधिक नाक भी कतवा चुकी है, सर्कार को झुठा अहम , वोट बैन्क पोलितिक्स बन्द कर देना चाहिये और चाप्लूसो से दुरी बना लेनी चाहिये........
ReplyDeleteप्रिय मित्रों,
ReplyDeleteयह अत्यन्त कष्ट का विषय है कि सरकार
अपने संवेदनहीनता की पराकाष्ठा को पार कर
चुकी है।आज तक सरकार अपने slp के डिफेक्ट
को दूर न कर सकी है।ऐसा किस उद्देश्य के
तहत किया जा रहा है,समझ से परे है।सुप्रीम
कोर्ट मे 90% slp एडमिशन के समय
ही खारिज हो जाती है क्या इसी बात का डर है
कि डिफेक्ट दूर नही किया जा रहा है?यह
भी सत्य है कि 20 फरवरी के बाद सरकार
अवमानना का सामना करना पडेगा और
मामला विचाराधीन होने के कारण हमे ncte
द्वारा निर्धारित समय सीमा मे छूट मिल
सकती है।
एक बात और फिजाँओ मे तैर रही है कि क्या हमे
सरकार पर क्योकि लोकसभा चुनाव नजदीक है
दवाब बनाने के उद्देश्य से लखनऊ मे शीघ्र
एक आंदोलन करना चाहिये।आपके
विचारो का स्वागत है क्योकि आपके सुझाव
ही संगठन के उद्देश्यो को निर्धारित करते है।
हालांकि सरकार जिस मार्ग पर चल रही है उसमें सफल तो नहीं हो पाएगी पर वह सुप्रीम कोर्ट में एक छोटे बच्चे
ReplyDeleteकी तरह पैर पटक पटक कर जरुर रोएगी। जहाँ तक सरकार के वकील की बात है तो भारत में आतंकवादियों और
बलात्कारियों को वकील मिल जाते हैं तो हमारा मामला तो जिद्द, राजनैतिक और आर्थिक द्वेष के कारण अटका पड़ा है
तो सरकार के लिए गर्ग साहब जैसे दो कौड़ी के वकील क्यों नहीं तैयार हो जाएँगे। जहाँ तक सरकार के पक्ष और
अकेडमिक वालों के पक्ष की बात है तो दोनों लगभग एक ही बात रखेंगे जो तुरंत खारिज हो जाएगा।
उसके न होने से कुछ भी न बदला यारो ,....
ReplyDeleteबस कल जहाँ दिल होता था ,....
आज वहां दर्द होता है
एक वक़्त था जब हम सोचते थे कि हमारा भी वक़्त आएगा....
ReplyDeleteऔर
एक ये वक़्त है कि हम सोचते हैं कि वो भी क्या वक़्त था....
प्यार किसे कहते हैँ ???
ReplyDelete.
.
एक छोटी लड़की पूरी
लगन से पिताजी के
सिर की मालिश करती है, और उन्हें अपनत्व का अहसास होता है!!
यह प्यार है!
एक पत्नी पति के लिए चाय बनाती है और उससे पहले एक घूंट पी लेती है ताकि पति को चाय का Taste अच्छा लगे!!
यह प्यार है!
एक माँ अपने बेटे को
केक का सबसे अच्छा
टुकड़ा देती है!!
यह प्यार है!
एक दोस्त अपने दोस्त
को फिसलन पे सड़क
पर कस कर उसका हाथ पकड़ता है. ताकि वह गिरने से बच जाये!!
यह प्यार है!
एक भाई अपनी बहन को Message भेजता है और पूछता है कि
वह घर पहुँची की नहीं ??
यह प्यार है!
प्यार सिर्फ एक लड़का एक लड़की का हाथ पकड़ कर
पूरा शहर घुमाता है
इसी का नाम नही!!
प्यार तो आप अपने दोस्त को एक छोटा सा Message भेजते है सिर्फ इसलिए कि
उसे पढ़ कर उसके चेहरे पे छोटी सी एक मुस्कान आये!!
दोस्तों,
प्यार तो वास्तव में एक दुसरे की देखभाल करने का नाम है!!
भर्ती करो या गोली मारो
ReplyDeleteअब एक बड़े निर्णायक आंदोलन की जरूरत है जिसमें सरकार की ईट से ईट बजाई जाये।
अब गांधी नहीं भगत सिंह के रास्ते पर चलने का समय आ गया है।
ऐसे कब तक हम हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहेंगे।
मे
ReplyDeleteरी
.
.
.
वा
ली
.
.
.
.
Kabi Kabi Aisa Bhi Hota Hai..
Pyar Ka Asar Zara Der Se Hota Hai..
Aapko Lagta Hai Hum Kuch Bhi Nahi Sochte Aapke Bare Me..
Par
Hamari Har Baat Me Aapka Hi Zikr Hota Hai..!
HUSBAND SENT AN SMS TO WIFE:
ReplyDeleteThanks for making my life wonderful and being a part of my life. What ever I am is only because of u, u r my angel thanks for coming in my life and making it worth living.
You're Great.
SHE REPLIED : pee li na ? Ab chup chap ghar aa jao..
DARO MAT..
KUCHH NAHI BOLUNGI..! !
Husband: Thank you.
मे
ReplyDeleteरी
.
.
.
वा
ली
.
.
.
.
Tere Pyaar Ki Hifazat Kuch Is Tarha Se Ki Hum Ne.!
Jab Kabhi Kisi Ne Pyar Se Dekha To Nazrein Jhuka Li Hum Ne.!
कुछ पेट्रोल पंप वाले हमें कैसे धोखा देते है....
ReplyDelete- हर पेट्रोल पंप में पेट्रोल के लिए 1 लीटर 2 लीटर के नाप होते है सो वो एक लीटर 2 लीटर में चोरी नहीं कर सकते इसलिए वो सेटिंग करते है 100 रुपये में 200 रुपये में 500 रुपये में जिस से उनकी चोरी कभी पकड़ में नहीं आति क्यों कि 100 रुपये का पेट्रोल हम कभी नाप नहीं कर सकते इसलिए वो कम पेट्रोल का सेटिंग हमेशा 100-200-500-1000 में ही करते है
- आपसे निवेदन है के जब भी आप पेट्रोल भरवाओ आप 105 रुपये 205 रुपये या एक लीटर 233 रुपये ऎसे ऑड फिगर में भरवाओ तो आपको कभी भी कम पेट्रोल नहीं मिलेगा.
- कर के देखिए आपका फायदा अवश्य होगा.
- ये सुझाव जनहित में है ।
लालू को "वोट" दिया तो भी सरकार
ReplyDelete"कांग्रेस" की.
मुलायम को "वोट" दिया तो भी सरकार
"कांग्रेस" की
मायावती को "वोट"
दिया तो भी सरकार "कांग्रेस" की
ममता को "वोट" दिया तो भी सरकार
"कांग्रेस" की
करूणानिधि को "वोट"
दिया तो भी सरकार "कांग्रेस" की
पवार को "वोट" दिया तो भी सरकार
"कांग्रेस" की
तभी "ये चोर" "वो चोर" "सब चोर"
"फलाना चोर" "ढिकना चोर" चिल्लाते
चिल्लाते एक नयी पार्टी आयी. उसे वोट
दिया फिर भी सरकार कांग्रेस की ?????
अब मैंने कसम खा ली है मेरा वोट सिर्फ और
सिर्फ बीजेपी को !!
ONLY NAREDRA MODI IS
NEX PM OF INDIA
क्या खूब खेल मचा है
ReplyDeleteसर्वत्र वक्तव्यों का ढेर पड़ा है
२०११ के परीक्षा फल से
यूपी टेट का मेल पड़ा है
मायाराज में निकली थी भर्तियां
कुछ 72825 की संख्या में
तब से ठेलम -ठेल पड़ा है
विगत काल ड्राफ्ट की माँग हुई
तब पोस्ट ऑफिसों में झेलम -झेल पड़ा था
नही प्राप्त हुए थे उक्त समय
टिकट लिफाफे पर चिपकाने के लिए
फिर भी नौकरी कि चाह में
५० रू में २५ के टिकट मिले
संतोष किया था ह्रदय में
धैर्य को धारण कर
पर हाय !वह न पूर्ण हो सकी
चुनाव आ गया था
आचार संहिता लगी हुई थी
फिर माया के स्थान पर
अखिलेश सरकार बनी हुई थी
ह्रदय में उमंगता का सैलाब
उमङ पड़ा था युवकों पर
क्योंकि युवा सरकार युवाओं हेतु
कुछ सुलभ फैसले लेगी
पर उनकी निगाहों में २०१४
लोकसभा चुनाव अटका था
नियम ,कायदे ,कानून ,बदले सारे
टेट के स्थान पर गुणांक का
निर्धारण हुआ पर क्या हुआ
आप और हम सभी जानते है
कोर्ट के चक्कर काट -काट
हालत खस्ता हो गयी
मित्रो !कई लोगों के रिस्तों में
टेट कि कालिख पुत गयी
न कुछ हुआ है न कुछ होगा
बस यही है विनती मेरी
मत करो उम्र को बर्बाद ऐसे
जैसे देश विकास कर रहा है
हम भी साथ दे उसका
और तो कुछ नही कर सकते हम
M
ReplyDeleteE
R
I
.
.
.
W
A
L
I
.
.
.
.
" चाँद भी पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
रोज तारों की नुमाइश में खलल पड़ता.
उनकी याद आई है सांसे जरा धीरे चलो ,
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता है. "
कानूनी लडाई अपनी जगह पर और जमीनी लडाई अपनी जगह पर,लोकसभा चुनाव मेँ सारा देश डूबा है,समय सरकता जा रहा है,सपा को पढे लिखे लोगोँ के वोट चाहिए ही नही तो उससे नौकरी की कोई उम्मीद करना बेकार है।ऐसे मेँ हम लोगोँ को देशव्यापी अर्थात दिल्ली मेँ पूर्ण योजना बनाकर एक बडा आन्दोलन करने की सख्त जरुरत है।आपकी राय क्या है?
ReplyDeleteJAI TET MERIT
नदी तालाब मेँ नहाने मेँ शर्म आती है,
ReplyDeleteऔर स्विमिँग पूल मेँ तैरने को फैशन कहते
हो...
गरीब को एक रुपया दान नहीँ कर सकते,
और वेटर को टीप देने मेँ गर्व महसूस करते
हो....
माँ बाप को एक गिलास
पानी भी नहीँ दे
सकते,
और नेताओँ को देखते ही वेटर बन जाते हो...
बड़ोँ के आगे सिर ढकने मेँ प्रॉबलम है,
लेकिन धूल से बचने के लिए 'ममी' बनने
को भी तैयार हो....
पंगत मेँ बैठकर खाना दकिया नूसी लगता है,
और पार्टियोँ मेँ खाने के लिए लाइन
लगाना अच्छा लगता है....
बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है,
और गर्लफ्रेँड की डिमांड
को अपना सौभाग्य समझते हो....
गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ
इंसल्ट
होती है,
और शॉपिँग मॉल मेँ अपनी जेब
कटवाना गर्व की बात है....
बाप के मरने पर सिर मुंडवाने मेँ हिचकते
हो,
और 'गजनी' लुक के लिए हर महीने गंजे
हो सकते हो....
कोई पंडित अगर चोटी रखे तो उसे
एंटीना कहते हो,
और शाहरुख के 'डॉन' लुक के दीवाने बने
फिरते हो....
किसानोँ के द्वारा उगाया अनाज खाने
लायक नहीँ लगता,
और उसी अनाज को पॉलिश कर के
कंपनियाँ बेचेँ तो क्वालिटी नजर आने
लगती है....
अरे शर्म करो,
कुछ तो शर्म करो....
फैशन के नाम पर, सदियोँ से सिर्फ बेवकूफ
बनते आ रहे हो....
अगर बेवकूफी ही फैशन है,
तो ऐसा फैशन आपको ही मुबारक हो...
वो रो रो कर कहती रही, मुझे नफरत है तुमसे.. मगर एक सवाल आज भी, परेशान किए हुए है.. कि अगर नफरत ही थी तो, वो इतना रोई क्यों..
ReplyDeleteRahul Gandhi के बात को मान कर सरकार ने सब्सिडी सिलिंडर की संख्या 12 की
ReplyDeleteजनता की बात क्यों नहीं माना
क्या राहुल गाँधी पेट्रोलियम कंपनी के मालिक हैं
1-टेट संघर्ष मोर्चे और एकेडमिक आरामतलब मोर्चे के कितने विद्वानों को अभी भी यकीन है कि सरकार 72825
ReplyDeleteपदों पर टेट प्राप्तांकों से चयन किये जाने के आदेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेगी.....
2-कितने महामूर्खों को ऐसा लगता है कि SC में अपील होने की स्थिति में तथाकथित सर्वशक्तिमान सरकार सिंगल
बेंच,डिवीजन बेंच और लार्जर बेंच में बार-बार काटे जा चुके अपने बेवकूफी भरे तर्कों के बलबूते सर्वोच्च न्यायालय
को बाध्य कर सकती है कि वो खेल के नियम खेल के बीच में बदले जा सकने के सिद्दांत को मान्यता दे....
There are songs that make you sad when you hear them. But it aren't the songs that make you sad, it are the people behind the memories.
ReplyDelete14 की चिंता मत कर बन्दे
ReplyDeleteमंजिल अपनी अब दूर नहीं ।
लड़ आये हैं हम इतना
अबकि हार हमें मंजूर नहीं ।
14 की ...
कोई हमको हरा सके
हम इतनें भी मजबूर नहीं
अब क्या होगा ये पता नहीं
पर मंजिल हमसे दूर नहीं ।
14 की ...
By -Ratnesh Pal
एक 8 साल की लडकी Ice Cream पार्लर गई :
ReplyDeleteवेटर : क्या चाहिए ?
लडकी : ये Ice Cream कितने की है भईया..?
वेटर : 15/- रुपये की..
लडकी ने अपना Pocket चेक किया, फिरछोटी वाली ICE CREAM की RATE पुछी..
वेटर ने गुस्से से कहा 12/- रुपये की है...
लडकी ने कहा छोटी वाली दे दीजिए, लडकी ने पैसे दिए और Ice Cream खा कर चली गई...
जब वेटर खाली प्लेट लेने गया तो, उसकी आँखो मेँ आँसु आ गये..
क्योकिँ..
उस लडकी ने उसके लिए टीप के रुप मेँ 3/- रुपये छोडकर गई थी...
MORAL- आपके पास जो कुछ भी है उसीसे दुसरो को खुश करने की कोशिश करो..!
कभी नोटों के लिए मरे,
ReplyDeleteकभी वोटों के लिए मरे,
कभी जात पात के नाम पर मरे,
अगर होते वीर भगत सिंह तो कहते
"यार सुखदेव हम भी किन लोगो के लिये मरे।
मे
ReplyDeleteरी
.
.
.
वा
ली
.
.
.
.
Kuch Rishte Iss Jahan Mein Khas Hote Hai,
Hawa Ke Rukh Se Jinke Ehsaas Hote Hai,
Yeh Dil Ki Kashish Nahi Toh Aur Kya Hai,
Door Reh Kar Bhi Woh Dil Ke Kitne Paas Hote Hai..
आयुर्वेदिक दोहे
ReplyDelete1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय। दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।
2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल। मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय
... तत्काल।।
3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।
4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।।
5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय। बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ जाय।।
6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।
7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।।
8.रस अनार की कली का,नाकबूँद दो डाल। खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।
9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय। चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।।
10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम। तीन बार दिन में पियें,पथरी से
आराम।।
11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर
जाय।।
12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय। पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।
13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम। दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।
14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ। चीनी सँग लें बीस दिन,पथरी दे न दिखाइ।।
15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम। लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।।
16.बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिन गर खाय। गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।
17.लेकर कुलथी दाल को,पतली मगर बनाय। इसको नियमित खाय तो,पथरी बाहर आय।।
18.दामिड़(अनार)छिलका सुखाकर,पीसे चूर बनाय। सुबह-शाम जल डालकम, पी मुँह बदबू
जाय।।
19. चूना घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय। बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि
लगाय।।
20. गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय। तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट
जाय।।
21. अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करें अगर उपयोग। दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी
रोग।।
22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम। पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का
आराम।।
23.बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय। मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।
24.रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव। जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।
25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम। गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से
आराम।।
26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात। रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो
प्रात।।
27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम। पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई
हकीम।।
28.हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥
29.सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर पावै
कुल मास्टर मस्टराईन भइया भऊजी और बहिनी लोगन के छोटके भाई क प्रणाम,
ReplyDeleteअखिलेशवा ससुरा बहुत मस्त अउर तूफानी वकील पाय गयल हौ, गदहवा के समझी में ना आवत बा कि बड़के दद्दा से का बोले के हौ ससुरा चवन्नी चोर खुद्दै डिफेक्टिया गयल बा और ना जानी केतना जने एकरे डिफेक्ट के नाते डिफेक्ट डिफेक्ट करत करत फँसड़ी लगा लेहने अउर नद्दी में कूद गईनैं पर ससुर डिफेक्ट ना एड्स हो गयल बा ठीक होवै क नाम ना लेत हौ,जब से हरकौली काका अखिलेशवा के पिछवाड़े पे डंडा बजौले बाटैं तब से कुकुरमुत्तवा क हालत मिर्गी और दमा के मरीज जैसन हो गयल बा समझै ना पावत बा कि का करै के हौ. गर्गवा के खोपड़ी में लोहे क कीड़ा पड़ैं एनहने ससुरे कुल मिल के हमार शादी ना होवै देत बाटैं एनहन के भगवान अगले जनम में मूसड़ी बनाय दिहा. आवा ससुरू क नाती वोट ना सोटा देब आवा बोरा में भर के लाठी लाठी मारब, हमार बस चलै त अखिलेशवा के ड्यूटी शौचालय में पानी डालै क लगा देईं ।
मे
ReplyDeleteरी
.
.
.
वा
ली
.
.
.
.
A real relationship is where you can tell each other everything and anything. No secrets, no lies.
गाँव और शहर मे एक छोटा सा अन्तर बताने कि कोशिश कर रहा हुँ दोस्तोँ .. (उम्मीद है आप लोग हँसोगे नही)
ReplyDeleteशहर की कहानी..
लड़का - माँ अब मुझसे कपडे नही धुले जाते...
माँ - चलो कल वाशिँग मशीन ले आते हैँ"
।
।
।
गाँव की कहानी..
लड़का - अब हमसे ई कपडा नही धुले जात....
.
.
.
.
.
माँ - चलौ बडकवा के शादी करिके बहू लई आवा जाये।।.
ki hal chal ba bhaiya.
ReplyDeleteTET bhaiyon....ham kab tak SLP defect door hone ka wait karenge...ye sarkar keval time pass kar rahi hai.....hame kuch karna chahiye...koi pradarshan fir se..is baar aar paar ki ladai...aur is baar dilli me hi karo andolan..Ek baat yaad rakho ....jab tak media coverage nahi milegi aur is sarkar ki beizzati nahi hogi public me tab tak ye seriously kuch nahi karenge....bas time pass hi karte rahenge
ReplyDeleteTET bhaiyon....ham kab tak SLP defect door hone ka wait karenge...ye sarkar keval time pass kar rahi hai.....hame kuch karna chahiye...koi pradarshan fir se..is baar aar paar ki ladai...aur is baar dilli me hi karo andolan..Ek baat yaad rakho ....jab tak media coverage nahi milegi aur is sarkar ki beizzati nahi hogi public me tab tak ye seriously kuch nahi karenge....bas time pass hi karte rahenge
ReplyDeleteTET bhaiyon....ham kab tak SLP defect door hone ka wait karenge...ye sarkar keval time pass kar rahi hai.....hame kuch karna chahiye...koi pradarshan fir se..is baar aar paar ki ladai...aur is baar dilli me hi karo andolan..Ek baat yaad rakho ....jab tak media coverage nahi milegi aur is sarkar ki beizzati nahi hogi public me tab tak ye seriously kuch nahi karenge....bas time pass hi karte rahenge
ReplyDeleteTET bhaiyon....ham kab tak SLP defect door hone ka wait karenge...ye sarkar keval time pass kar rahi hai.....hame kuch karna chahiye...koi pradarshan fir se..is baar aar paar ki ladai...aur is baar dilli me hi karo andolan..Ek baat yaad rakho ....jab tak media coverage nahi milegi aur is sarkar ki beizzati nahi hogi public me tab tak ye seriously kuch nahi karenge....bas time pass hi karte rahenge
ReplyDeleteनगेँद्र . . . G
ReplyDelete.
क्या बात है आप अपनी बात को एक बार मे नही कह पाते हो या कोई मानसिक उलझन मे . . . . . .
सभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
ReplyDelete.
.
तो लीजिये आज सुबह किये गए वादे के मुताबिक़ पेश है माननीय अखिलेश यादव जी का सुसाइड नोट-
* मैं अकल-लेस यादव, मूर्खमंत्री ऑफ़ उत्तर प्रदेश, अपने पूरे होश-ओ-हवाश में आज पहली बार बिना अपने चाचाओं से पूछे आत्महत्या करने जा रहा हूँ, यह कार्य मेरी जिन्दगी में किये गए कुछ स्वैच्छिक कार्यों में से एक है और इसके लिए किसी भी टेटवीर या निरहुआ को दोषी ना माना जाय। दरअसल मैं मरना तो नहीं चाहता था क्योंकि मुझे पता है की कुछ टेटवीर जो मुझसे पहले आत्महत्या कर चुके हैं वो यमलोक के रास्ते में हाथ में फटे जूते लेकर मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे, किन्तु यहाँ भी चैन कहाँ है। मेरे चचाजान लोगों की करनी का फल भुगतते-भुगतते नौबत यहाँ तक आ पहुंची है की मेरे बच्चे भी अपने स्कूल के परीक्षा फार्म में पिता के नाम की जगह 'पलटुआ' और अकल-लेस लिखने लगे हैं और पत्राचार का पता भी आगरा के किसी पागलखाने का लिखते हैं, और आश्चर्य की बात तो देखिये की उनके शिक्षक उन्हें इस बात पर आपत्ति जताने की बजाय शाबाशी देते हैं। अब तो लोगों ने अपने बच्चों का नाम भी 'अखिलेश' रखना बंद कर दिया है। मेरा नाई भी मेरे बाल काटते समय टेट/अकेडमिक की ख़बरें सुनाया करता है और कहता है की टेट/अकेडमिक का नाम सुनते ही मेरे बाल खड़े हो जाते हैं और उसका काम आसान हो जाता है। मुझे सबने हनुमान जी के मंदिर का घंटा समझ रखा है जिसकी जब मर्जी हो तभी बजा देता है। कभी गलती से अगर किसी गधे के साथ फोटो खिंच जाए तो यह स्पष्टीकरण देना पड़ता है की गधा किस ओर खड़ा है और मैं किस ओर खड़ा हूँ। मैंने सारे चोर ,लुटेरों, बलात्कारियों, कमीनो और भ्रष्टाचारियों को अपनी सरकार में मंत्री इसलिए बनाया ताकि जनता को इनसे मुक्ति मिल सके और ये जनता से दूर मेरे पास रह सकें, लेकिन जनता मेरे इस त्याग को भी नहीं समझ पायी। मैंने खामखाँ मुख्यमंत्री (मूर्खमंत्री) पद की शपथ ली इससे तो अच्छा मैं कहीं चाट-पकौड़ी का ठेला लगा लेता, कम से कम इन झंझटों से मुक्ति तो मिल जाती। इससे बड़ी बेइज्जती क्या होगी की मेरे ही बच्चे और बच्चों की अम्मा मेरे खिलाफ किये गए निरहुआ के पोस्ट पर like करते हैं। दहशत का आलम यह है की बच्चे पॉकेट मनी मांगते समय आँखें दिखाते हैं की जल्दी से पैसे दे दो वरना निरहुआ अंकल से कह कर तुम्हारे खिलाफ एक और पोस्ट करवा देंगे। पत्नी महोदया का तो कहना ही क्या, ऐसा सुनने में आ रहा है की इन्होने किसी पागलखाने में मेरे लिए एडवांस बुकिंग करवा रखी है और किसी प्रसिद्ध मनोचिकित्सक से संपर्क मेंभी हैं। अब ज्यादा क्या कहूँ, अभी कल ही सत्यमित्र गर्ग की पत्नी का फोनअआया था, कह रहीं थीं की जल्दी इस टेट-वेट को निपटाओ वरना 'ये' पागल हो जायेंगे। एक तरफ चाचा लोग हैं जो साडी दुनिया से बेखबर सैफई में अपने जवानी के दिनों को याद कर रहे हैं और दूसरी ओर ये टेटवीर निरहुआ के साथ मिलकर मेरी कब्र खोदने में जुटे हुए हैं। डर लगता है की कहीं एक दिन इंदिरा गांधी वाला हाल मेरा भी ना हो जाय इसलिए मैं स्वयं आत्महत्या करने जा रहा हूँ(वैसे करूँगा नहीं) नरक लोक में मुझे जगह मिले ऐसी मेरी कामना है।
मे
ReplyDeleteरी
.
.
.
वा
ली
.
.
.
.
I don't know where I stand with you, nor do I know what I mean to you. All I know is that every time I think of you, I want to be with you.
एक गरीब भूखा काजी के घर गया, कहने लगा: 'मैं भूखा हूँ, मुझे कुछ दो तो मैं खाऊँ।'
ReplyDeleteकाजी ने कहा: 'यह काजी का घर है, कसम खा और चला जा.'
मैं चुप रहा और गलतफहमियां बढती गयी
ReplyDeleteउसने वो भी सुना जो मैंने कभी कहा ही नहीं ।
M
ReplyDeleteE
R
I
.
.
.
W
A
L
I
.
.
.
.
लोगों ने रोज़ कुछ नया माँगा ख़ुदा से....!!
एक हम ही तेरे ख़्याल से आगे नहीं गये॥
M
ReplyDeleteE
R
I
.
.
.
W
A
L
I
.
.
.
.
कुछ इस तरह से नाराज़ है वो हमसे !
जैसे उन्हे किसी और ने मना लिया हो ॥
चलो झंझट मिटा जो तुम किसी और के हुए.....!
ReplyDeleteख़त्म हुआ सिलसिला तुम्हे अपना बनाने का....!!
TET & ACD FRINDS AB EK AANDOLAN JALDI KARNA HOGA KYOKI LOKSBHA SE PURAV KUCH MEL SAKTA ISKE BAD NAHI HUM KAB TAK CATS KE JESE LADTE RAHEGE VO(SARKAR)MONKEY KI JESE GAME KHELEGA , YE DHYAN RAKHNA TET KO TO SHYAD CORT SE KUCH RAHAT MEL JAYE,PARNTU ACD TO MARCH KE BAD BEKAR,MERA MAT HE KI AB AANDOLAN DELHI ME HONA CHAEYA TA KI IS AAP PARTI KO BHE DEKHE KI HMARA KYA HELP KARTI, KYOKI MERA PURA GROUP ISME SHAMEL HONA CHATA
ReplyDeleteसरकार तो हमलोगों ने लैपटॉप और बेरोजगारी भत्ते के लिए बनवाया था जो कि मिल रहा है अब और किसी चीज की आशा इस सरकार से करना बेमानी है।
ReplyDeleteएक बार एक गरीब किसान मजिस्ट्रेट के पास पहुँचा और बोला,"सरकार अगर किसी के बैल ने मेरे खूँटे से बँधे हुये बैल को जान से मार डाला हो तो उस मरे हुये बैल की कीमत तो मिलनी चाहिये ना..हुजूर...?"
ReplyDeleteमजिस्ट्रेट ने कहा,"क्योँ नहीँ..! तुम्हे तो दो बैलोँ की कीमत मिलनी चाहिये।, आखिर यहाँ पर हत्या और लापरवाही दोनो मामले जो हैँ....!"
किसान,"तो ठीक है सरकार, असल मेँ वो बैल आपका हीँ है जिसने मेरे बैल को मार डाला है।"
मजिस्ट्रेट महोदय ने पसीना पोछते कहा,"रुको जरा....,वो..वो... मैँ लाल किताब तो देख लूँ", और महोदय जी ने दो-चार पन्ने पलटने के बाद कहा,"भाई इसमेँ तो लिखा है कि तुम्हारी लापरवाही की वजह से तुम्हारा बैल मरा है, अगर तुमने सही तरीके से देखभाल की होती तो तुम्हारा बैल न मारा जाता अत: इस लाल किताब के अनुसार जुर्म तुमने किया है तो सजा तो तुम्हे हीँ मिलेगी वो भी जुर्माने के साथ जेल....!"
.
.
मित्रोँ ये घटना ब्रिटिश काल की है जब अँग्रेजो के अनुसार कानून चलता था, और जिसमेँ उनका लाभ होता था वही कानून का रुप ले लेता था।
हमारे राष्ट्र के बुद्धिजीवियोँ ने अपना कानून तो बनाया किन्तु इसका मूल आज भी ब्रिटिश कालीन है ।
ज्यादातर कानून उन्ही के दिये हुए हैँ, और उसी का परिणाम है कि आज भी हमारे राष्ट्र मेँ मरणोपरान्त फाँसी अथवा उम्रकैद की सजा होती है ।
उदाहरण के लिए आप अपने पड़ोसी के नाम दीवानी दायर कर दीजिये और फिर देखिए, मुकदमा आने वाली पीढ़ीयोँ तक चलता रहेगा.......!
friends-
ReplyDeleteas shiksha mitra has been continuously doing their movement from last 15 days in laxman mela park in this cold and rainy season with their determination, although their demand is totally illegal because no one can get relaxation from T.E.T and we who have been won by the double bench of allahabad high court and legally we are fully entitled to get this job but some of our friends are still waiting for miracle and dreaming some day govt will call them and give them job but i am again saying if u want job then we have to come on road and show the power of democracy because election is near and this time no party can ignore us now choice is urs.
FRINDS MR. TMNTBN SAYES WRIGHT,KYOKI FEB KE LAST ME ADHESUCHNA LAGU HO GAYEGI,TAB JOB KA KHYAL APNE MAN SE NIKAL DENA,JO GOV. CHUNAV KE SAMAY APNA RANG DEHKHA RAHI HE TO CHUNAV KE BAD KYA HOGA AAP SAMANGHDAR HE
ReplyDeleteभारत के कितने टुकड़े होंगे
ReplyDelete1378 मेँ भारत से एक
हिस्सा अलग
हुआ,
इस्लामिक
राष्ट्र बना - नाम है इरान!
1761 मेँ भारत से एक
हिस्सा अलग
हुआ,
इस्लामिक
राष्ट्र बना - नाम है
अफगानिस्तान!
1947 मेँ भारत से एक
हिस्सा अलग
हुआ,
इस्लामिक
राष्ट्र बना - नाम है
पाकिस्तान!
1971 मेँ भारत से एक
हिस्सा अलग
हुआ,
इस्लामिक
राष्ट्र बना - नाम हैँ बांग्लादेश!
1952 से 1990 के बीच भारत
का एक
राज्य
इस्लामिक हो गया - नाम है
कशमीर!...
...
और अब उत्तरप्रदेश, आसाम और
केरला इस्लामिक
राज्य बनने की कगार पर है!
और हम जब भी हिँदुओँ को जगाने
की बात
करते हैँ,
सच्चाई बताते हैँ तो कुछ लोग हमेँ
RSS,
VHP और
SHIV-SENA, BJP वाला कहकर
पल्ला झाङ
लेते
हैँ ।
'आप' की हालत उस फ्लॉप फिल्म की तरह हो गयी है ... जो थिएटर में रिलीज़ होने के अगले हफ्ते ही...टीवी में आ जाती है...
ReplyDeleteयादों की बारिश
ReplyDeleteजब सर्दियों में होती है
उँगलियों के बीच की खाली जगह
तब बहुत अखरती है
रग़ों में बर्फ काटती हवा
जब चलती है धीमे धीमे
शाल में लिपटी हुई, पर तुमसे अलग
तब एक ज़िन्दगी बिखरती है
आँखों का गुनगुना-सा पानी
जब लुढ़कता है रुखसार से
खारे पानी की शबनम फिर
पपडाए होठों पे ठहरती है
फर्श पर ठन्डे पाँव
जब मंदिर की सीढ़ी चढ़ते हैं
आस की लौ मन में जलाये
तेरे आने की उम्मीद निखरती है
यादों की बारिश
जब सर्दियों में होती है
उँगलियों के बीच की खाली जगह
तब बहुत अखरती है…
गरम पानी पीने के फायदे-
ReplyDelete.
.
सफाई और शुद्धी- यह शरीर को अंदर से साफ करता है। अगर आपका पाचन तंत्र सही नहीं रहता है, तो आपको दिन में दो बार गरम पानी पीना चाहिये। सुबह गरम पानी पीने से शरीर के सारे विशैले तत्व बाहर निकल जाते हैं, जिससे पूरा सिस्टम साफ हो जाता है। नींबू और शहद डालने से बड़ा फायदा होता है।
कब्ज दूर करे- शरीर में पानी की कमी हो जाने की वजह से कब्ज की समस्या पैदा हो जाती है। रोजाना एक ग्लास सुबह गरम पानी पीने से फूड पार्टिकल्स टूट जाएंगे । मोटापा कम करे- सुबह के समय या फिर हर भोजन के बाद एक ग्लास गरम पानी में नींबू और शहद मिला कर पीने से चर्बी कम होती है। नींबू मे पेकटिन फाइबर होते हैं जो बार-बार भूख लगने से रोकते हैं।
इस देश की मीडिया को गरीब भूखो का खाली पेट नही दिखता...
ReplyDelete।
।
।
।
।
विधा बालन ओर करीना कपूर का प्रेग्नेँट पेट तुरंत दिख जाता है|
हद हो गयी अब तो ...
शुभ संध्या बंधुओं,
ReplyDeleteसभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
कपिलदेव यादव को भी यह यकीन हो चुका है की अब अकेडमिक मेरिट का कोई भविष्य नहीं है। अतः उन्होंने भारी भरकम दहेज़ की मांग दरकिनार करके जल्द से जल्द शादी कर लेना उचित समझा, और अपने अथक प्रयासों से उन्होंने 'योग्य' जीवनसाथी खोज निकाला। झट मँगनी पट ब्याह भी हो गया और निरहुआ बेचारा देखता रह गया। कपिलदेव जी ने निरहुआ को अपनी शादी में आमंत्रित तक नहीं किया, बेचारा निरहुआ अंत समय तक आमंत्रण की प्रतीक्षा करता रहा किन्तु कपिलदेव जी निरहुआ को ठेंगा दिखाकर ब्याह करने चल दिए। खैर शादी और अन्य समारोह वगैरह कुशल मंगल से निपट गए और दुल्हन विदा होकर कपिलदेव जी के घर आ गयी, निरहुआ ने जब कपिलदेव जी के घर जाकर उन्हें बधाई देनी चाही तब भी महोदय अपनी अकड़ में डूबे रहे और निरहुआ को कोई भाव नहीं दिया, बेचारा निरहुआ मन मसोसकर रह गया। खैर, कोई बात नहीं। अगले दिन कपिलदेव जी बड़ी चिंतित मुद्रा में एक बगीचे में टहलते नजर आये, उनकी मुस्कराहट गायब थी और चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंची नजर आ रहीं थीं साथ ही वह रह-रह कर कुछ बडबडा भी रहा था। उसकी यह हालत देखकर निरहुआ का माथा ठनका, कुछ सोच-विचार के पश्चात निरहुआ कपिलदेव जी के पास गया और सहानुभूति जताते हुए चिंता का कारण पूछा। तब कपिलदेव जी ने कहा कि-
कपिलदेव:- क्या बताऊं निरहुआ भाई, बड़ी विषम परिस्थिति पैदा हो गई है। शायद तुम्हे मालूम नहीं है कि अकेडमिक वालों के चंदे के पैसों से मैं रोज रात में 'मस्ती' करता था, कल मेरी सुहागरात थी यार और सुबह जब मैं नींद में उठा तो मुझे याद ही नहीं रहा की मैं किसी कोठे पर नही बल्कि अपनी बीवी के पास हूँ और नींद की झोंक में अपनी आदत के अनुसार उसे 500 रूपये का नोट पकड़ा बैठा।
निरहुआ:- अरे बेवकूफ इसमें चिंता करने वाली बात कौन सी है, तू धैर्य रख और खुश हो जा, उसे कुछ नहीं पता चलेगा और वो उस पैसे को सुहागरात का तोहफ़ा मानकर रख लेगी। तू इतनी सी बात को लेकर नाहक हलकान हो रहा है, देख लेना सब ठीक हो जायेगा।
कपिलदेव यादव:-(झुंझलातेहुए) अरे पैसे देने पर कौन परेशान हो रहा है भाई, परेशानी तो इस बात की है कि पैसे लेते वक्त वो भी नींद में थी, कमबख्त ने मुझसे 500 का नोट लिया और उसके असली-नकली होने की जांच करने के बाद उसे अपने पर्स में रख लिया, इसके बाद उस चुड़ैल ने मुझे 400 रूपए अपने पर्स से निकाल कर वापस कर दिए। निरहुआ अब तू ही बता कि मैं क्या करूँ? तब से ही मैं उदास हूँ ।
(स्थिति को समझते ही निरहुआ वहाँ से भाग खड़ा हुआ। भागते-भागते निरहुआ चिल्लाया-'जैसे को तैसा' )