State Bank of India (SBI) conducts exams for recruitment to the post of Probationary Officer (PO) at its branches. It is too tough to crack any bank exam in the previous years. But now, the toughness rate has been decreased to some preferable amount due to increase in the number of recruitment vacancies.
Eligibility Criteria for SBI PO 2014:
1. Educational Qualification: Graduate degree in any stream from a recognized university or any equivalent qualification recognized by the Central Government (AICTE/ UGC).
2. Age Limit: You should be between 21 – 30 years as on 01-01-2014 for the April 2014 exam.
Relaxation of Upper age limit:
OBC- 3 years age relaxation
SC/ST/ Ex service men category- 5
Test Duration & Pattern:
The total duration of the examination is only 3 hours. The total number of questions asked is 205. You have 2 hours for attending first 4 sections. You have 1 hour separately for the last section. The maximum marks are 250.
Questions will be from the following topics such as
English Language- 50 questions
General knowledge, Computer Awareness – 50 questions
Data Interpretation and Analysis – 50 questions
Logical Reasoning – 50 questions
Descriptive Paper on English Composition – 5 questions.
SBI PO Recruitment Selection Process:
SBI PO is a paper-based test which consists of 3 successive stages:
i. Written examination ( Objective and Subjective type)
ii. Group Discussion – 20 marks
iii. Personal Interview – 30 marks.
Final selection based on a total of 100 marks taken from both the written examination and the GD – PI.
Tentative Dates for SBI PO 2014:
The notification regarding this examination has not yet come. The following are the tentative dates for SBI PO 2014.
Online Registration start from Jan 30, 2014
Last date for registration of online application Feb 23, 2014
Payment of fees Jan 30 – Feb 23, 2014
Exam date: March 28, 2014
SBI PO Recruitment Application Procedure:
Register and get the registration number and password generated. After successful completion of form filling, submit it. Take the print out of the application form with you. You can later on download your admit card for writing the examination.
Pay using either:
Online Mode – through Debit / Credit cards or Internet Banking
Offline Mode – through any branch of SBI.
For other details, you can log on to the official website of SBI. The Official Website: http://www.sbi.co.in
सरकार के रोने या गिडगिडाने से 15 वा संसोधन नही बहाल होने
ReplyDeleteवाला , उसे वहा साबित भी करना होगा कि 15वा संसोधन
क्यो बहाल किया जाय , अगर सरकार मार्च की अन्तिम
तिथी को लेकर खुश है तो ये उसकी गलत और बहुत छोटी सोच
है , वह सुप्रीम कोर्ट है कोई मजाक करने वाली जगह नही ,
वो सिर्फ ये देखेगी कि क्या सही है और क्या गलत , और
जहा तक समय सीमा की बात है तो सरकार इस भुलावे न रहे
कि समय सीमा का कोई असर इस भर्ती पर पडेगा ,
भर्ती तो अखिलेश क्या मुलायम भी नही रोक सकते , और
72825 सपा की बर्बादी की कहानी बनेगा , फिर किसी सरकार
की हिम्मत नही होगी बेरोजगारो को तंग करने का , सपा के पाप
का घडा भर चुका है जो किसी भी वक्त फूट सकता है ,
बेरोजगार तो आग मे तपकर कुन्दन बन गये है , सरकार
अपनी पिछली और आने वाली भर्तियो के बारे मे सोचे , सुप्रीम
कोर्ट , हाईकोर्ट से भी बुरा हश्र करेगी इस सरकार का , अब ये
देखना है कि जेल कौन कौन जाता है , रोकर या गाकर
भर्ती तौ करनी ही है इस घमंडी सरकार को , आने वाला दिन
सरकार की मुसीबते कम करने के बजाय बढाएगा ही ,
सपा सरकार का अन्त निश्चित है जो कोई रोक नही सकता .
सपा भगाओ उत्तर प्रदेश बचाओ
पाकिस्तान का राष्ट्रीय गान......
ReplyDeleteसारे जहाँ से "लुच्चा"
पाकिस्तान हमारा .हम "जानवर" हैं इसके , ये
"चिड़ियाघर"हमारा.
.
मज़हब हमें
सिखाता "आतंकवाद" फैलाना..
"नामर्द" है हम वतन के..
"तालिबान" माईबाप हमारा..
सारे जहाँ से "लुच्चा"
"पाकिस्तान" हमारा..!
जब एक बहुत पुराने बड़े और गहरी जड़ें जमा चुके पेड को उखाड़ना होता है तो खोदना भी कुछ ज्यादा ही पड़ता है,,जब जड़ों कि खुदाई शुरू की जाती है तो सबसे पहले उस पेड कि डालियों में रहने वाले बन्दर और लंगूर शोर करने के साथ साथ बहुत उछल कूद मचाते हैं उसके बाद ज्यों ज्यों खुदाई होती जाती है जड़ों के नीचे मिटटी में छुपे कीड़े मकौड़े सांप और बिच्छू बाहर निकल आते हैं..अभी येही सीन चल रहा है ..और खुदाई चालु है ....जय आम आदमी
ReplyDeleteआइये आपको बताये ये विशेष अनुज्ञा याचिका ( S L P ) क्या होती है जिसको फ़ाइल कर देने मात्र से अकादमिक मेरिट के महाज्ञानी लोग कूद रहे हैं। अगर विशेष अनुज्ञा याचिका ( S L P ) का मतलब आप समझ गए तो आपको इन बेचारों पर तरस आएगा।
ReplyDeleteविशेष अनुज्ञा याचिका ( S L P ) का अर्थ है कि आप हाई कोर्ट या किसी न्यायिक ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ सुने जाने कि विशेष अनुमति कि मांग करते हैं। सामान्यतः हाई कोर्ट द्वारा निर्णित कोई मुद्दा अंतिम माना जाता है किन्तु यदि कोई संवैधानिक या क़ानूनी मुद्दा विद्यमान है जो केवल उच्चतम न्यायालय द्वारा स्प्ष्ट किया जा सकता है तब इस विशेष अनुमति को सुप्रीम कोर्ट देती है। उच्चतम न्यायालय में फ्रेश केस प्रत्येक सोमवार और शुकवार को सुने जाते है। और 90 % नयी विशेष अनुज्ञा याचिकायें ( S L P ) प्रथम दृष्टया ही अस्वीकार कर दी जाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट में किसी के द्वारा अपील करने का अर्थ उसका अधिकार नहीं समझना चाहिए बल्कि मामले में संवैधानिक या क़ानूनी मुद्दा विद्यमान होने पर और हाई कोर्ट द्वारा वह मुद्दा उचित से निर्धारित नहीं होने पर सप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमति देना(leave grant ) आपको मिला एक विशेष लाभ है। यहाँ तो यादव जी से पहला प्रश्न यही होगा what is your right अर्थात आप वादी हैं क्या,आपकी पोषणीयता क्या है ?
एक कड़वा सत्य ----------
ReplyDeleteबड़ा ताज्जुब होता है ऐसे लोगों पर जो धोखा देते हैं ,,, जब मायावती ने विज्ञापन निकाला था 72825 PRT. भर्ती का फुल "टेट मेरिट" से तो किसी में इतना दम नहीं था कि वो इसका विरोध करे ,, सभी टेट पास लोग उस ओल्ड ऐड में "टेट मेरिट" बेस पर सेलेक्ट होने के लिए ही फॉर्म भरे थे ॥ किसी के मुख पे "अकैडमिक मेरिट" का कोई नामों-निशान नहीं था
फिर अचानक ------------- एक शक्श्थ "कपिलदेव यादव" नाम के ब्यक्ति ने उस ओल्ड ऐड पर इस मैटर पर स्टे ले लिया कि "ये विज्ञापन BSA. द्वारा नहीं बल्कि बेसिक शिक्षा बोर्ड द्वारा निकला गया है " ॥ बात तो सिर्फ इतनी ही थी ,, नाकि मेरिट बेस की थी ॥ इस मैटर की सुनवाई होती रही ................
ReplyDelete__________ फिर अचानक सत्ता बदल गयी और सत्ता बदलते ही सत्ता के कुशासक ने मेरिट बदलने का दुस्साहस कर बैठा ,,,, कब जबकि हाई कोर्ट की एकल पीठ ने ये बोला कि आप (सरकार) एक ऐसा विज्ञापन लाईये जिससे "याची का हित किसी भी रूप में प्रभावित ना हो" ॥ मतलब साफ़ था कि सरकार BSA. द्वारा फिर से विज्ञापन निकलवाये और भर्ती उसी टेट मेरिट से हो ,,, पर कुशासक का दुस्साहस देखिये उसने विज्ञापन तो निकलवाया सही पर उसके बेस को बदल डाला "अकैडमिक मेरिट" करके ॥
बस लालच की लड़ाई यहीं से शुरू हो गयी अकैडमिक लोगों द्वारा ,, वो यह भूल गए कि एक संशोधन पूर्ववर्ती मायावती सरकार ने कर दिया है NCTE. की गाईड लाईन को फॉलो करते हुवे जिसमे लिखा गया है "TET WTG SHOULD BE GIVEN. " और मायावती सरकार ने 100 % WTG. दे दिया है उसे चलती हुयी प्रक्रिया के बिच में कैसे कोई बदल सकता है जिसको साफ़-साफ़ SC. ने उल्लेखित किया है ??
ReplyDeleteकुशासन का देखिये काउंसलिंग भी शुरू करवा दी "अकैडमिक मेरिट" से ,,, पर सरकार की असली जंग तो अभी बाकी थी "टेट मेरिट के निर्दोष व सच्चे लायंस" से ॥
और फिर क्या था HC. की द्वितीय पीठ ने सरकार के नए ऐड पर स्टे दे दिया ॥ HC. की डबल बेंच से टेट मेरिट के सच्चे लायंस जीत भी गए पर ये लालची अकैडमिक लोग अभी भी अपनी हार पचाने को तैयार नहीं और चल दिए सरकार के साथ SC. अकैडमिक मेरिट लाने ॥
ReplyDeleteखैर छोड़िये आगे आईये ----- सरकार ने सुनवाई के दौरान जूनियर मैथ्स/साइंस की भर्ती भी निकाल दी पूर्ण अकैडमिक से ,, लोगों की बांछें खिल गयीं और फिर क्या था "जूनियर संघ" भी बना लिए , जूनियर की भर्ती को पूरा करवाने के लिए पर ना जाने क्यूँ वो बार-बार भूल जा रहे हैं नियम और कानून ?? सिर्फ स्वार्थ और नौकरी की खातिर ॥ भले ही नियमों की धज्जियाँ दिन दहाड़े उड़ती रहें ॥ ये जूनियर वाले लोग जूनियर के चक्कर में देखिये जो कभी PRT. के लिए टेट मेरिट-टेट मेरिट जिंदाबाद चिल्लाते थे आज वहीं लोग PRT. 72825 टेट मेरिट वालों से गद्दारी कर बैठे सिर्फ निज स्वार्थ की खातिर ॥ इन्हें अब उस PRT. से कोई लेना देना नहीं बस JRT. हो जाये चाहे किसी भी तरीके से भले ही 1 साल बाद ये लोग घर वापस भेंज दिए जाएँ SC. द्वारा ॥
ReplyDeleteसवाल -पर ये इनकी चहेती JRT. भर्ती कैसे होगी बिना 15 वें संसोधन के बहाल हुवे जिसे HC. की डबल बेंच ने अवैध ही करार दे दिया है ?? क्या SC. ये कहेगी सरकार से कि आप अपने 15 वें संशोधन पर आधारित JUNIOR. भर्ती को TET. WTG. देकर पूरा कर लीजिये ??
ReplyDeleteकैसे ?? TET. WTG. देने के लिए तो सरकार को फिर से संसोधन करना पड़ेगा ना भाई और फिर से संसोधन करेगी तो फिर से नया ऐड लाना होगा ना JRT. के लिए ॥ तो फिर सरकार के द्वारा निकला गया JRT. का ऐड तो स्वतः मर चूका है ना फिर कैसे होगी पूरी JRT. कि भर्ती इस ऐड पे ??
लेकिन स्वार्थ में डूबे लोग तो जैसे अपनी आँखें ही फोड़ लिए हैं भाई ,, उन्हें सही व सत्य तो अब दीखता ही नहीं ॥ अरे आँखें खोलो अपनी तुमलोग , तुमलोगों की JRT. अब गयी सदा-सदा के लिए ,, सिर्फ अब PRT. वाली भर्ती ही होगी वो भी "टेट मेरिट" से और कुछ नहीं ॥
ReplyDelete___________ लालच ,स्वार्थ छोडो - सत्य से परिचित होवो ॥
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जय टेट मेरिट
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तेरे हाथ की काश मैं वो लकीर बन जाऊं;
काश मैं तेरा मुक़द्दर तेरी तक़दीर बन जाऊं;
मैं तुम्हें इतना चाहूँ कि तुम भूल जाओ हर रिश्ता;
सिर्फ मैं ही तुम्हारे हर रिश्ते की तस्वीर बन जाऊं;
तुम आँखें बंद करो तो आऊं मैं ही नज़र;
इस तरह मैं तुम्हारे हर ख्वाब की ताबीर बन जाऊं!
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िए
ReplyDeleteअपनी कुर्सी के लिए जज़्बात को मत छेड़िए
हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है
दफ़्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िए
ग़लतियाँ बाबर की थीं, जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाज़ुक़ वक़्त में हालात को मत छेड़िए
हैं कहाँ हिटलर, हलाकू, ज़ार या चंगेज़ ख़ां
मिट गए सब, क़ौम की औक़ात को मत छेड़िए
छेड़िए इक जंग, मिल-जुल कर ग़रीबी के ख़िलाफ़
दोस्त! मेरे मजहबी नग़्मात को मत छेड़िए
अगर ४ जनवरी २०१२ को हाथी की सूंड कमजोर न पड़ी होती तो आज ७२८२५ बेरोजगार रोजगारी होते और शानदार नींद में सो रहे होते।
ReplyDeleteअगर ७२८२५ शिक्षकों के भर्ती विवाद में पूर्ण निष्पक्ष फैसला कभी आया है तो सिर्फ २० नवम्बर २०१३
ReplyDeleteको आया है उसे अब पलटा जाने का कोई आधार नहीं है।
जिस भर्ती पर ४ जनवरी २०१२ को स्थगन लगा नियमानुसार १० जनवरी २०१२ के पहले स्थगन लाया ही नहीं जा सकता था।
ReplyDeleteइन्ही सब अन्यायों का परिणाम था कि डिवीज़न बेंच में न्यायाधीशों ने न्याय के चंगुल में फंसाकर इंसाफ के लिए प्रदेश सरकार के अधिवक्ता को नाकों चना चबवाया।
इन सब विषय का मुझे पूर्वानुमान था।
ReplyDeleteजिस प्रक्रिया पर ४ जनवरी २०१२ को स्थगन लगा था वह प्रक्रिया २० नवम्बर २०१३ से पुनः प्रगति पर है।
सरकार और कपिल देव उस पर स्थगन चाहते हैं लेकिन जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाएगी तब तक चलेगी अगर सुप्रीम कोर्ट ने रोका तो फिर सुप्रीम कोर्ट दुबारा चलवाएगी भी ।
अंततः सबको नौकरी मिलेगी जो इसके पात्र हैं लेकिन तब कोई भी मेरा विचार पढ़ने नहीं आयेगा।
ReplyDeleteआप आज से अध्यापक खुद को मान ही लो।
विजय आपकी सुनिश्चित है।
हँस के चल दूँ काँच के टूकड़ो पर ___!
ReplyDeleteवो जो कहे कि ये मेरे बिछाए हुए फूल
हैं॥
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मिला था कुदरत से एक ही दिल,
जो तुझे दे दिया...
अगर हजारों मिलते,
तो भी तुझ पे ही कुर्बान कर देता |
ये मत सोचना की
ReplyDeleteतुमने छोड़ दिया तो टूट गये हम,
वो भी जी रहे हैं
जिनको तेरी खातिर छोड़ा था हमने..
तुम अगर याद रखोगे तो इनायत होगी;
ReplyDeleteवरना हमको कहां तुम से शिकायत होगी;
ये तो बेवफ़ा लोगों की दुनिया है;
तुम अगर भूल भी जाओ जो रिवायत होगी!
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मुझे ना ढूंढ ज़मीन-ओ-आसमां की गर्दिशों में,
मैं अगर तेरे दिल में नहीं तो कहीं भी नहीं...
'मैँ' वो चाँद नही.....जिसे हर
ReplyDeleteकोई बेनकाब देखे.........
मैँ तो वो 'सूरज' हूँ.....जिसे देखनेँ से पहले....आँखे झुक
जाती हैँ।
अपनो को दूर होते देखा ,
ReplyDeleteसपनो को चूर होते देखा !
अरे लोग कहते हे फ़िज़ूल कभी रोते नही ,
हमने फूलोँ को भी तन्हाइयोँ मे रोते देखा!
तुम पास ही से गुजरे और हाल तक न पूछा,
ReplyDeleteफिर मै कैसे यकीन कर लू कि तुम दूर जा के रोये भी होगे ?
मैले कपडे, पुरानी घडी,
ReplyDeleteउतरा हुआ मुंह,.... इत्यादि चीजो से उसे गरीब ना मानो....
हो सकता है, की वो आदमी शादीशुदा हो ॥
आपकी मांग भरने की सजा कुछ इस कदर पा रहा हैं
ReplyDeleteकि आपकी मांग पूरी करते-करते, अब मांग-मांग के खा रहा हैं ...!!
जिदँगी भर किसी ने भी ना पुछा मेरेदिल का हाल !
ReplyDeleteअब शहर भर में चर्चा
मेरी खुदखुशी का है ...
उसके इंतजार के मारे है हम..
ReplyDeleteबस उसकी यादों के सहारे है हम...
दुनियाँ जीत के कहना क्या है अब..??
जिसके लिए दुनियाँ जीतना था आज उसी से हारे है हम..
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दिल में हर किसी का अरमान नहीं होता ,
हर कोई दिल का मेहमान नहीं होता ,
एक बार जिसकी आरजू दिल में बस जाती है ,
उसे भुला देना इतना आसान नहीं होता !
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Najane kyu rait ki tarah hatho se nikal jate hai log
Jinhe hum Zindagi samaj kar kabhi khona nai chahte.
"बाबर के द्वारा लङे गये प्रमुख
ReplyDeleteयुद्ध"
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***** Trick-[पान खा चल घर] *****
# पान- पानीपत प्रथम युद्ध (1526)
# खा- खानवा युद्ध (1527)
# चल- चंदेरी युद्ध (1528)
# घर- घाघरा युद्ध (1529)
गणेश भाई ने सारी बातेँ बहुत ही अच्छे ढंग से रखी,समाचार प्लस पर सपा को नंगा कर दिया गया,लेकिन नंगे पर फर्क पडेगा...?
ReplyDeleteसर्वप्रथम अमिताभ भाई को धन्यवाद,
ReplyDeleteबेरोजगारों की पीड़ा को आज उन्होंने समाचार प्लस पर पुनः उठाया है।
इसके बाद बात आती है एक महानुभाव जो कि राष्ट्रपति से मृत्यु की इजाजत मांग रहे थे
आज उन्होंने कहा कि पुराना विज्ञापन आर्टिकल १४ का उलंघन कर रहा था जबकि डिवीज़न बेंच ने नये विज्ञापन को आर्टिकल १४ के उलंघन में रद्द कर दिया।
इस प्रकार बहुत गलत फैसला हुआ है।
सर्वप्रथम मै जवाब में कहना चाहता हूँ कि कोर्ट ने नया विज्ञापन नहीं रद्द किया है ।
कोर्ट ने नियमावली का संशोधन १५ रद्द किया है ।
आप को पता चल गया कि नया विज्ञापन उसी आधार पर था इसलिए स्वतः रद्द हो गया। इसमें कोर्ट को दोष देना उचित नहीं है।
नया चयन का आधार पुरानी की तुलना में विधिसम्मत नहीं था।
इसके अलावा आपको बताना चाहता हूँ कि आपने पुराने विज्ञापन को लेकर रोचक मुद्दा उठाया है।
पुराना विज्ञापन जिस चयन के आधार पर था वह चयन का आधार (टेट मेरिट)
आर्टिकल १४ के अनुरूप है।
पुराने विज्ञापन से भी पहले नियुक्ति होनी थी क्योंकि उस समय ३१ दिसम्बर २०११ नियुक्ति की अंतिम तिथि थी लेकिन जब स्थगन के कारण प्रक्रिया खिची तब नियमानुसार अंतिम तिथि स्वतः बढ़ गयी लेकिन ४ जनवरी २०१२ को पुनः स्थगन लग गया।
पुराने विज्ञापन में जो असंवैधानिक विभाजन था वह कोर्ट द्वारा
उस विज्ञापन को नियुक्ति का विज्ञापन बताते ही स्वतः रद्द हो गया।
जिस प्रकार न्यायमूर्ति अशोक भूषण साहब ने संशोधन १५ रद्द किया और आपने नया विज्ञापन उसके प्रभाव से रद्द मान लिया।
उसी प्रकार श्री अशोक भूषण
साहब ने जब पुराने विज्ञापन को नियुक्ति का बताया तो उसमे मौजूद त्रुटि स्वतः समाप्त हो गयी।
जब आरटीई लागू था तो प्रशिक्षु का विज्ञापन जारी ही नहीं किया जा सकता था।
इसमें याचियों को राहत मिली है।
अतः इस भर्ती में अब कोई समस्या नहीं है।
एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था।
ReplyDeleteचित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे मे लगा दिया
और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को, जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे।
जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर पर निशानों से ख़राब हो चुकी थी। यह देख वह बहुत दुखी हुआ। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था। तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई।
उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे।
उसने अगले दिन यही किया। शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया। वह संसार की रीति समझ गया । "कमी निकालना, निंदा करना , बुराई करना आसान, लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यंत कठिन होता है"
कपिल महाराज जी ने तो अपनी एस.एल.पी का डिफ़ेक्ट दूर कर दिया है जिसे २२ जनवरी को शाम ७ बजे से नेट पर देखा जा सकेगा.
ReplyDelete.
अब देखना होगा,
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सपा अपना अगला कदम कब उठाती है?????
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यह अपना डिफ़ेक्ट कब और कैसे दूर करती है??????
"कैसे पड़े नौनिहाल"
ReplyDeleteसमाचार प्लस के विशेष बुलेटिन में गणेश शंकर दीक्षित
कहा जाता है कि...
पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे साहब...
लेकिन उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने बाले बच्चे क्या बनेंगे ये तो कहा ही नहीं जा सकता....... क्योंकि ऐसा ही किसी प्रदेश में होता होगा,
जहां 5वीं और 8 वीं क्लास में पढ़ने वाले
बच्चे, दूसरी क्लास का पाठ भी ठीक से
नहीं पढ़ पाते हों....
सूबे के सरकारी स्कूलों की हालत बद् से बद्तर
है और इसे सुधारने की कोई कवायद होती नहीं दिख रही है...
ऐसे में सवाल यही है कि आखिर देश का भविष्य कहे
जाने वाले इन नौनिहालों का भविष्य क्या होगा ...क्योंकि एक ओर तो सरकार कहती है कि, "सब पढ़े और सब बढ़ें" लेकिन अब सवाल उठना ये
भी लाजमी है कि सरकार ऐसे पढ़ेंगे तो कैसे बढेंगे ?
इस मुद्दे पर आप अपनी राय हमें दे सकते है ॥
उत्तर प्रदेश में शिक्षा की बदहाली और
ReplyDeleteटीईटी अभ्यर्थियों के नियुक्ति को लेकर
सरकार की तरफ से
हीलाहवाली पर समाचार प्लस चैनल से
अमिताभ अग्निहोत्री ने सवाल उठाया उसके लिए हम
सब आभारी हैं।
समाचार प्लस के बहस में उत्तर प्रदेश में
शिक्षा की बदहाली के लिए जिम्मेदार
बसपा व सपा सरकार और नकल माफिया के साथ शिक्षा माफिया पर
अमिताभ अग्निहोत्री ने कई सवाल सपा विधायक से
पूछा और वे हर बार .....आपने मुद्दा अच्छा उठाया बधाई और
किसी सवाल का सही जवाब
नहीं दे पायें। अगली बार
सपा की तरफ से प्रवक्ता को बुलाना चाहिए
ताकी अपनी राय स्पष्ट रख सकें ।
बेर की दातुन करने से स्वर मधुर होता है, गूलर से वाणी शुद्ध होती है, नीम से पायरिया आदि रोग नष्ट होते हैं एवं बबूल की दातुन करने से दाँतों का हिलना बंद हो जाता है। मंजन कभी भी तर्जनी उँगली (अँगूठे के पास वाली पहली उँगली) से न करें, वरन् मध्यमा (सबसे बड़ी) उँगली से करें। क्योंकि तर्जनी उँगली में एक प्रकार का विद्युत प्रवाह होता है, जिसके दाँतों में प्रविष्ट होने पर उनके शीघ्र कमजोर होने की संभावना रहती है।महीने में एकाध बार रात्रि को सोने से पूर्व नमक एवं सरसों का तेल मिला के, उससे दाँत मलकर, कुल्ले करके सो जाना चाहिए। ऐसा करने से वृद्धावस्था में भी दाँत मजबूत रहते हैं।
ReplyDeleteहर हफ्ते तिल का तेल दाँतों पर मलकर तिल के तेल के कुल्ले करने से भी दाँत वृद्धावस्था तक मजबूत रहते हैं।
ye bharti ke liye sarkar par kisi ne pressure nahi dala.tum sab hath faila rahe ho 2 sal se sakar ke samne.padhe likhe to bahul ho kintu jano ki supreme court ki politics bhi goverment ke under ne hi chalti hai. sarkar supreme court ko apne paksh me aasani se kar sakti hai. ye baten agar aap bhaion ko pata hoti to 2012 me hi aap jeet jate. ab inka mooh takne se keval date hi milegi.
ReplyDeleteaap logo me 1 bhi aisa nahi hai jo is matter ko sahi le kar chal sake.keval 1 hi is matter ko 2 din me suljha sakta hai aur wo ek tum ho. dimag par jaor dalo aur samjho.
ReplyDeleteaap log itna na daro. baki bhatiyo ko dekho. apne dam par inhe majboor kar do. aap log apni hi naukary ke liye hath faila rahe ho.kal ko agr tumahari kisi aur cheez ko chin laenge kaya karoge? kab tak hath falate rahoge.
ReplyDeleteaap log itna na daro. baki bhatiyo ko dekho. apne dam par inhe majboor kar do. aap log apni hi naukary ke liye hath faila rahe ho.kal ko agr tumahari kisi aur cheez ko chin laenge kaya karoge? kab tak hath falate rahoge.
ReplyDelete