छुट्टी पर भेजे गए मालवीय नगर के दो SHO, अरविंद केजरीवाल ने खत्म किया धरना -
दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रदर्शन स्थल को बदलने के लिए उन्हें दो बार मनाने की कोशिश की। हालांकि, उन्होंने इससे इनकार कर दिया। उधर दूसरी ओर केजरीवाल के धरने के दौरान पुलिस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई। जिससे धरना स्थल पर हंगामा हो गया।
* आज दिल्ली के लोगों की जीत हुई-केजरीवाल
* उपराज्यपाल से बात करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने धरना खत्म करने का फैसला लिया
* आरोपी पुलिस अधिकारियों को हटाने की मांग की थी-केजरीवाल
* बलात्कार पर पुलिस की जवाबदेही तय हो-केजरीवाल
* एलजी ने फोन पर केजरीवाल से बात की
* अरविंद केजरीवाल धरना समाप्त कर सकते हैं-सूत्र
* मालवीय नगर के दो एसएचओ छुट्टी पर भेजे गए-सूत्र
* दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल से 22 जनवरी तक धरना स्थल स्थल खाली करने को कहा।
* जब सरकार बनी थी तो खुशी हुई थी, पर केजरीवाल की सरकार के रवैये से निराशा हुई है-सतोष हेगड़े
* आम आदमी पार्टी की सरकार को बर्खास्त किया जाए- किरन बेदी
* AAP कार्यकर्ताओं ने शिक्षकों से भी हाथापाई की, शिक्षक सीएम केजरीवाल से मिलने गए थे।
* सचिवालय के सामने बैठे शिक्षकों से नहीं मिले केजरीवाल
* दिल्ली सरकार ने डीएमआरसी को चिट्ठी लिखकर चारों मेट्रो स्टेशन खोलने को कहा, दिल्ली सरकार ने 50 प्रतिशत मेट्रो में भागीदारी का हवला दिया।
* पुलिस ने आम आदमी पार्टी के समर्थकों पर आज उस वक्त लाठी चार्ज किया जब वे हिंसक हो गए और दिल्ली पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के धरना स्थल पर पहुंचने के लिए बैरीकेड को तोड़ दिया। भारी संख्या में एकत्र आप समर्थक रेल भवन के पास धरना स्थल पर जाना चाहते थे लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां जाने नहीं दिया, जिसपर गुस्साए समर्थकों ने बैरीकेड तोड़ दिया और लगभग दो-तीन सौ समर्थक धरना स्थल पर पहुंच गए। पथराव की घटनाएं भी दर्ज की गई हैं लेकिन पुलिस ने यह कहते हुए इसकी पुष्टि नहीं की है कि उन्हें घटनाओं को सत्यापित करना है।
* पुलिस ने बताया कि आप के लगभग दो-तीन सौ स्वयंसेवी रेल भवन के पास पहुंच गए, भीड़ के उमड़ने के चलते हालात बिगड़ गये। आप का एक कार्यकर्ता घायल हो गया है और पुलिस द्वारा उसे एंबुलेंस में चढ़ाते हुए देखा गया। आप के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने दिल्ली पुलिस पर जमकर बरसते हुए उस पर पार्टी के कई कार्यकर्ताओं की नृशंसता से पिटाई करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, पुलिस की नृशंसता जाहिर है। पत्रकारों की पिटाई की गई। हमारे कई स्वयंसेवियों को पीटा गया। पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) के सदस्य सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, हम कानून व्यवस्था कायम रखने की कोशिश कर रहे हैं। कई स्वयंसेवी घायल हुए हैं और उन्हें अस्पताल ले जाया गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी सभी घायलों की उचित चिकित्सा सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।
* घायलों को अस्पताल ले जाया गया
* महिला पत्रकार से आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं ने की बदसलूकी
* AAP के कार्यकर्ताओं ने पुलिस से धक्कामुक्की की
* AAP के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली पुलिस को उकसाया, पुलिस ने पीटा
* पुलिस ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज किया
* कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस पूरी कोशिश कर रही है
* बैरेकिटे तोड़कर रेलभवन की ओर घुसने में हुई झड़प
* बैरिकेट तोड़क घुसे आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता, कई आप कार्यकर्ता और पुलिसवाले घायल
* आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर पथराव किया
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दिल्ली पुलिस के उपायुक्त (नई दिल्ली) एस.बी.एस.त्यागी ने बताया, हमने केजरीवाल से दो बार बात की और उन्हें उनका प्रदर्शन स्थल जंतर-मंतर करने का आग्रह किया, यहां की तरह वहां धारा-144 लागू नहीं है। गणतंत्र दिवस से पहले सुरक्षा व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) से जानकारी मिली है और उनका कहना है कि यहां सुरक्षा का खतरा बना हुआ है।
अधिकारियों के मुताबिक, केजरीवाल ने स्पष्ट रूप से इससे इंकार कर दिया और उनका कहना है कि उनकी मांग माने जाने तक वह नहीं हटेंगे। केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों का प्रदर्शन दूसरे दिन में प्रवेश कर गया है। उन्होंने दिल्ली पुलिस के पांच अधिकारियों के निलंबन की मांग की है।
अपने रुख से पीछे नहीं हटने का संकेत देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गतिरोध टालने के लिए केंद्र से समझौते से इनकार किया और आगाह किया कि राजपथ को लाखों समर्थकों से भर दिया जाएगा जो गणतंत्र दिवस समारोह में अवरोध उत्पन्न कर सकता है। वहीं, गणतंत्र दिवस की तैयारियों को लेकर केजरीवाल के बयान की बीजेपी ने कड़ी निंदा की है। उधर, दिल्ली पुलिस के कुछ आला अधिकारियों ने आज केजरीवाल से बातचीत की और उनसे धरना स्थल को जंतर मंतर ले जाने की अपील की।
पिछले सप्ताह दिल्ली के मंत्री के निर्देश पर कथित ड्रग और वेश्यावृत्ति गिरोह पर छापा मारने से मना करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए केजरीवाल का धरना मंगलवार को दूसरे दिन भी रेल भवन के निकट जारी है। यह जगह रायसीना हिल से ज्यादा दूर नहीं है जहां से गणतंत्र दिवस परेड शुरू होती है।
विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने के लिए किसी भी समझौते को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा समझौते का मुद्दा नहीं है। केजरीवाल ने कहा कि यहां विरोध कर रहे लोग पाकिस्तानी या अमेरिकी नहीं हैं। ये हमारे अपने लोग हैं। शिंदे कह रहे हैं कि हम गणतंत्र दिवस मनाएंगे लेकिन किनके लिए? वीआईपी ही समारोह और परेड देखेंगे? यह गणतंत्र दिवस नहीं है।
इससे पहले, कुछ पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर धरने पर बैठे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने तेवर और कड़े करते हुए राजपथ पर जनसैलाब उमड़ने की चेतावनी दी। राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोहों का आयोजन होता है। केजरीवाल उन पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर रेल भवन के सामने धरने पर बैठे हैं जिन्होंने कथित मादक द्रव्य और देह व्यापार का रैकेट चलाने वालों पर छापा मारने से इनकार कर दिया था। धरना समाप्त करने संबंधी किसी भी बातचीत से इंकार करते हुए उन्होंने कहा कि राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा बातचीत का विषय नहीं है।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि हमारा धरना जारी रहेगा। जब दिल्ली में इतने ज्यादा अपराध हो रहे हैं तो गृह मंत्री (सुशील कुमार) शिंदे सो कैसे सकते हैं, जब महिलाएं शहर में असुरक्षित हैं? हम बातचीत नहीं करेंगे। केजरीवाल रेल भवन के बाहर धरने पर बैठे हैं और यह जगह राजपथ के उस हिस्से के करीब है जहां कड़ी सुरक्षा के बीच गणतंत्र दिवस समारोहों के आयोजन की तैयारी हो रही है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में धरना स्थल पर पहुंचे हैं। अपने छह मंत्रिमंडलीय सहयोगियों और कुछ समर्थकों के साथ मुख्यमंत्री ने रेल भवन के बाहर कड़ाके की ठंड में रात बिताई। केजरीवाल खुले आसमान के नीचे सड़क पर सोए जबकि उनके कुछ समर्थक आग जला कर गीत गाते रहे और नारे लगाते रहे। कैबिनेट मंत्री भी रात को सड़क पर सोए।
केजरीवाल ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो हमारे लाखों समर्थक राजपथ पहुंचने लगेंगे। उन्हें (केंद्र को) लोगों की बात सुननी पड़ेगी। गृह मंत्री के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपना धरना जंतर मंतर पर स्थानांतरित नहीं करेंगे, जैसा कि पुलिस ने उनसे आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र को, कथित मादक द्रव्य और देह व्यापार का रैकेट चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार करने वाले पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की मांग का आग्रह स्वीकार करना ही होगा। केजरीवाल ने कहा कि क्या दिल्ली की जनता ने उन्हें अपने लिए फैसले करने का अधिकार दिया है? नहीं। उन्होंने वह अधिकार मुझे दिया है। फिर शिन्दे मुझसे कैसे कह सकते हैं कि मैं कहां बैठूं? उन्हें मैं बताउंगा कि कहां बैठना है। मुख्यमंत्री ने पुलिस पर धरना स्थल पर अपने समर्थकों को परेशान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इलाके को जेल में तब्दील कर दिया गया है। उन्होंने इस छोटे से हिस्से को जेल में तब्दील कर दिया है
सरकार अपनी अपील
ReplyDeleteसम्भवतः वापस लेगी
इसीलिये उर्दू वालो से
नियुक्तिपञ वापस लिये जा रहे है
। सरकार टेट मेरिट के आधार पर
उर्दू
वालो की दोबारा काउन्सलिग
करायेगी । चूकि उर्दू
अभ्यर्थी कम है और पद
ज्यादा इसलिये काउन्सलिग मे
वही अभ्यर्थी दोबारा चयनित
होगे और
उनको दूसरा नियुक्तिपञ दे
दिया जायेगा । अब जूनियर
का क्या होगा ये देखना बाकी है
कि सरकार निरस्त करती है
या जूनियर मे भी टेट मेरिट से
काउन्सलिग होगी । ये मेरे
व्यक्तिगत विचार है कोई
आधिकारिक
सूचना नही कि सरकार अपील
वापस ले रही है ।
टीईटी क्रान्तिकारियों,
ReplyDeleteमदद करेगा खुदा हौसले जवाँ रक्खो,
उठो और अपने उजाले का एहतराम करो,
है चाँद और सितारों का इंतजार फिजूल,
दिए जला के अँधेरों का कत्लेआम करो.
साथियों,
जिन परिस्थितियों में हम साँसे ले रहे हैं वो हमारे जख्मों की एक इबारत लिख रहा है, कसम तो उसी दिन खा ली थी कि एकेडमिक से भर्ती नहीं होने देंगे जिस दिन नाटकीय ढंग से उस्मानी कमेटी का गठन किया गया था। आज जब शासन को धूल चटाते हुए उसके सारे संशोधनों को आपके प्रयासों ने रद्द करवा दिया तो इन मूर्खों को 31 मार्च 2014 की तिथि दिखाई दे रही है हालाँकि यह समय सीमा हमारे मामले में अप्रभावी है और सबसे बड़ी चीज कि हमारे सर्टीफिकेट में वैलिडिटी पाँच वर्ष लिखी है जिसे कोई सरकार नहीं बदल सकती। एकेडमिक वालों की SLP पहले ही दिन सुप्रीम कोर्ट उड़ा देगी इसके कई कारण हैं लेकिन इस पर चर्चा करना मैं अपने शब्दों की तौहीन समझता हूँ।
साथियों मऊ और आजमगढ़ जनपद से सूचना मिली है कि ऊर्दू शिक्षकों का नियुक्ति पत्र शासन द्वारा वापस लिया जा रहा है, तीन शिक्षकों के नियुक्ति पत्र न लौटाने की वजह से उन पर प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है,इस कृत्य में डबल बेंच के आदेश का असर और सुप्रीम कोर्ट का संभावित रुख साफ दिखाई दे रहा है।
सरकार सुप्रीम कोर्ट में डर के कारण नहीं खड़ी हो रही है चुनाव के कारण ये डर लाज़मी भी है क्योंकि यदि सुप्रीम कोर्ट ने अनुज्ञा याचिका खारिज कर दी तो हमारी भर्ती तो इन्हें करनी ही होगी साथ ही साथ उक्त संशोधन पर आधारित समस्त भर्तियाँ रद्द हो जाएँगी, मित्रों यदि इन्हें अपने विजय का लेशमात्र भी आभास होता तो याचिका का डिफेक्ट दूर करने में 18 दिसंबर से 21 जनवरी तक का समय न लगता। कहीं सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें लताड़ दिया तो ये अपने नुकसान की भरपाई अपनी कई पुश्तों की बेदखली से चुकाएँगे।
अंत में एक आवश्यक बात- यद्यपि मेरी अपने जनपद में इस बात के लिए काफी आलोचना हो चुकी है पर यदि सरकार ने 31 जनवरी तक अपनी याचिका का डिफेक्ट दूर नहीं किया तो मैं अकेले ही जनहित याचिका के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार को कोर्ट में खींचूँगा और इन मूर्खों की सरकार को बताऊँगा कि नियम, कानून, अधिकार, संविधान और न्यायपालिका की परिभाषा क्या होती है....
ले के कश्ती हम खड़े है इसलिए दरिया के बीच,
देखना ये है कि तूफानों में कितनी जान है,
अपने परचम से वफादारी का जज्बा क्यूँ न हो,
ये वफादारी तो माँ के दूध की पहचान है.
जय हिन्द.
20 नवंबर के आदेश का असर
ReplyDeleteउर्दू शिक्षकों की तैनाती में
हीलाहवाली, अभ्यर्थी हो रहे
परेशाननियुक्ति पत्र वापस मांग
रहा विभाग
मऊ। उर्दू शिक्षकों की भर्ती के
लिए काउंसिलिंग के बाद
नियुक्ति पाए 23 मोअल्लिम-ए-
उर्द ू
उपाधिधारकों को शिक्षा विभाग
ज्वाइनिंग देने में हीलाहवाली कर
रहा है। इनमें से 20 अभ्यर्थियों से
विभाग के अधिकारी और बाबू ने
नियुक्ति पत्र वापस भी ले
लिया है। तीन अभ्यर्थियों ने
नियुक्ति पत्र वापस नहीं किया,
तो उन्हें परिणाम भुगतने
की धमकी दी जा रही है।
11-08-1997 से पूर्व मोअल्लिम
-ए-उर्दू की उपाधि हासिल करने
वालों को बीटीसी के समकक्ष
मान लिया गया है। इन
उपाधिधारकों को करीब 11 वर्ष
तक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद यह
हक हासिल हुआ है। उर्दू
शिक्षकों की भर्ती के तहत
काउंसिलिंग के बाद 15
जनवरी को 23
अभ्यर्थियों को बतौर उर्दू टीचर
नियुक्ति का पत्र मिला। इन्हें दस
दिन के भीतर निश्चित प्राथमिक
विद्यालयों में ज्वाइन करना था।
जब अभ्यर्थी अपना नियुक्ति पत्र
लेकर बीएसए कार्यालय गए
तो अधिकारी और उर्दू बाबू उन्हें
जाड़े
की छुट्टी का बहाना बनाकर
दौड़ाते रहे। इस बीच कार्यालय के
उर्दू बाबू तथा एबीएसए चंद्र
भूषण ने अभ्यर्थियों से उनके
नियुक्ति पत्र यह कहकर ले लिए
कि मुख्यमंत्री ने नियुक्ति रद कर
दी है। कुछ दिन बाद संशोधित
आदेश आएगा, तब आप
लोगों को तैनाती के लिए
नियुक्ति पत्र फिर
जारी किया जाएगा। लेकिन तीन
अभ्यर्थी मु. अजहर, मु. आजम
तथा निजामुद्दीन अंसारी ने अपने
नियुक्ति पत्र कार्यालय
को नहीं सौंपे।
तीनों अभ्यर्थियों का कहना है
कि नियुक्ति पत्र वापस मांगने
का वाजिब कारण बीएसए
या एबीएसए कोई नहीं बता रहा।
उर्दू बाबू भी इस बारे में
सही जानकारी नहीं देते।
तू रहेगा ना तेरे जुल्म रहेंगे बाकी,
ReplyDeleteदिन तो आना है किसी रोज हिसाबों वाला,..
सरकार की SLP को तो हम धूल में मिलायेंगे ही साथ ही साथ लोकसभा चुनाव में पूरे समाजवादी पार्टी परिवार की धज्जियाँ उड़ाएंगे और मनाएँगे होली... जमानत जब्त और सपने धुँआ...
~टीईटी संघर्ष मोर्चा द्वारा पार्टी हित में जारी....
अरे ओ संगदिल जालिम तेरी औकात इतनी है,
बहा कर बेगुनाहों का लहू इतराना आता है,
गुरूर-ए-बेखबर ये बात तुझको कौन समझाए,
वो सर झुक ही नहीं सकता जिसे कट जाना आता है.
I m a great fan of Thomas Edison,
ReplyDeleteBecause of his quote that…!!
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Tomorrow is my exam but I dont
care
Because a single sheet of paper
cannot decide my future..
शुभ प्रभात साथियों।
ReplyDeleteअग्रिम रणनीति को लेकर जो मंथन शीर्ष नेतृत्व में चल रहा है वह जल्द ही मूर्त रूप में निर्णय बनकर सामने आने ही वाला है। किन्तु निरहुआ को यह समझ नहीं आ रहा है की अब लखनऊ में धरना-प्रदर्शन से क्या हासिल होगा ? लखनऊ में अपनी ऊर्जा व्यर्थ करने से अच्छा है की अपनी ऊर्जा को सही जगह और सही दिशा में लगाया जाय। अरे जब कल समाचार प्लस पर पूरे प्रदेश के सामने इतनी छीछालेदारी के बाद भी सरकार के प्रतिनिधि डा0 पूर्णमासी पूरी चर्चा के दौरान झपकी लेते रहे तब आप स्वयं अंदाजा लगा लीजिये कि यह सरकार हम लोगों के प्रति कितनी गंभीर है? लेकिन एक बात मजेदार है कि सरकार भी चुन-चुन कर अपने प्रतिनिधि ऐसे अवसरों पर भेजती है जिन्हें ना तो किसी मामले की पूरी जानकारी होती है और ना तो जानकारी रखने की क्षमता उनमें होती है, ऊपर से बेशर्मी के पर्यायवाची बनकर वे एक ही बात 'all is well' तोते की तरह रटे जाते हैं। साथियों मेरा मानना है की 10 दिन लखनऊ में घिसटने से अच्छा है कि बस एक ही दिन दिल्ली में दहाड़ा जाय और अपनी बात उन लोगों तक पहुंचाई जाय जो हमें न्याय प्रदान करने में सक्षम और समर्पित हैं। इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश महोदय को जनहित याचिका के विकल्प स्वरुप एक प्रार्थना-पत्र भेजने की रणनीति ही इस समय सर्वोत्तम विकल्प है। आज जनपद जौनपुर से हमारे टेट बन्धु इसकी शुरुआत करेंगें, शाम तक संभवतः इस प्रार्थना-पत्र का प्रारूप सार्वजानिक कर दिया जायेगा किन्तु अगर कोई बन्धु स्वयं ऐसा कर सके तो उसका स्वागत रहेगा। निरहुआ आप सभी से आग्रह करता है कि आप सभी सामूहिक रूप से मिलकर कम से कम एक रजिस्ट्री अवश्य करें और हमारे प्रयासों को एक आधार प्रदान करें। धन्यवाद बंधुओं।
18/01/2014 मैंने अपने वकील छत्रेश शुक्ल जी माध्यम से अवमानना की अपील कर दी। 21 जनवरी से हमारा अवमानना का अधिकार बन चुका है। भारतीय सिविल प्रोसीजर कोड में 60 दिन अपील करने का अधिकार सरकार को होता है और वो 30 दिन की छूट अपने अधिकारी या अधिवक्ता के मेडिकल आधार पर डिले कोंडोन कराकर, ले सकती है। इस प्रकार कुल 90 दिन की छूट सरकार को होती है । पर ये सरकार अपनी दाखिल slp में डिफेक्ट नहीं दूर कर रही है। हमारा 20 नवंबर का आदेश चुकी टाइम बाउंड है अतः हमने अवमानना में 31 मार्च तक काउंसलिंग कराने की मांग की है ,और कोर्ट से ये भी कहा है की 15 वाँ संशोधन ख़ारिज होने के बाद भी ये नियुक्ति पत्र जारी कर रहे हैं। मुझे चुँकि १००% वेटेज यानी टेट मेरिट मिल चुकी है इसलिए मैंने अवमाना दायर की है।
ReplyDeleteमुझपर ये आरोप लगाया जाता है कि मैंने वेटेज की मांग की थी ,हाँ मैंने अपने रिट में वेटेज की मांग की थी। आइये ये बता दूं क्यों की थी मैंने वेटेज की मांग। याद करिये कि एकल बेंच में बिना काउंटर और रीजोइंडर मांगे अपनी रिटों पर एडमिशन स्टेज पर ही डेली आर्डर पास किये जा रहे थे। सी. बी.यादव जी एक ही राग जपते थे टेट एक पात्रता परीक्षा है, और NCTE के वकील उनका जमकर समर्थन करते थे ,यहाँ तक की प्रभाकर सिंह के बी टी सी केस में भी ये लोग भूषण साहब के सामने NCTE की संशोधित नोटिफिकेशन नहीं रखकर बी. ऐड. वालों को टेट से छूट दिलवा दिए थे ,जबकि प्रभाकर सिंह जो की बी टी सी 2004 बैच से थे उनको टेट परीक्षा से छूट नहीं मिली। ये सारी कारिस्तानी केवल टेट मेरिट नहीं बनाने के लिए सरकार कर रही थी। अभी 07 और 08 नवम्बर को सुनवाई के दौरान भी NCTE के अधिवक्ता भी यही राग अलापे हुए थे की टेट एक पात्रता परीक्षा है। जब मैंने अपनी वेटेज की रिट की थी तो सिंगल बेंच में उद्देश्य इसका वेटेज लेकर टेट को एक अर्हता परीक्षा दिखाना था। ताकी आगे की अपीलो में हमें सहूलियत मिल सके। ये जब हर कोई अपने केस को एकल बेंच से निकालने का प्रयास कर रहा था। इसके लिए एक रिट 5135 /2012 अरविन्द सिंह और दूसरी रिट 5679 निर्भय सिंह की पड़ीं थी लखनऊ बेंच में और गणेश दीक्षित जी के द्वारा नए विज्ञापन के खिलाफ जयदीप माथुर जी को वकील रखते हुए एक रिट पड़ी थी ,परन्तु उस समय हमें वहाँ से कोई रिलीफ नहीं मिला था। अगर लखनऊ मेँ रत्नेश पाल ,विजय सिंह तोमर ने रिट दाखिल नहीं की होती तो शायद हमारा आदेश इलाहाबाद एकल बेंच से नए विज्ञापन पर नियुक्तियां हो जाने के बाद आता।
यहाँ लोग सुप्रीम कोर्ट में मितव्ययिता की बात करते हैं और एक ही वकील को हाईकोर्ट में दो दो बार पैसे अलग अलग पक्षो द्वारा दे दिए गए। और वो वकील जरूरी बहस में अक्सर गायब रहते थे।
आप लोगो ने सिर्फ पानी पी पी कर खरे साहब को कोसा है। पर आपको बता दू की कोई बिना असाधारण काबिलियत के डेजिग्नेटेड सीनियर वकील नहीं हो जाता है। कोर्ट भी डेजिग्नेटेड सीनियर वकील को तवज्जो देती है। खरे साहब ने किस तरह इस तूफ़ान से हमारी कस्ती को निकाला है आईये थोडा उस पर प्रकाश दाल दूं।
सरकारी वकील ने पहले तो टेट से बीएड वालो को छूट दिलवा दी ताकी टेट मेरिट ना बने अगर प्रभाकर सिंह के केस में सरकारी वकील ने इसका विरोध जमकर किया होता तो ऐसा फैसला ही नहीं आता। इस बीच नॉन टेट वालों ने नए विज्ञापन में फॉर्म डालने के लिए अवमानना कर दिया। खरे साहब की बहस का नतीज़ा था कि कार्बन omr पर बारकोड नहीं होता है अतः उसे जांचा नहीं जा सकता है ये लाइन माननीय हरकौली साहब ने अपने आर्डर में लिखा और उस्मानी कमेटी रिपोर्ट की धज्जियाँ उड़ गई। इधर माननीय शाही जी ने लारजर बेच को मामला भेजा और खरे साहब ने माननीय हरकौली साहब को बताया कि मामला लर्जेर बेंच जा रहा है ताकि सरकारी वकील वह कोई चालाकी नहीं ,दिखा सकें। और लार्जर बेंच में बिना हमारे मुद्दे को उठाये वहां से टेट को अर्हता परीक्षा भी घोषित करवा दिया और लार्जर बेंच ने हमारे मुद्दे को 31 मई 2013 को दुबारा डबल बेंच में भेज दिया।
ReplyDeleteडबल बेंच में मेरी स्पेशल अपील संख्या 206 /2013 थी जब मैंने देखा की हमें अर्हता परीक्षा का दर्जा मिल गया है तब मैंने अपने वकील श्री छत्रेश चन्द्र शुक्ल जी से बहस करने को मना कर दिया इस लिए आप देखेंगे कि 20 नवंबर के आदेश में केवल बंच अपीलो की लिस्ट के अलावा हमारे वकील का नाम पूरे आदेश में कही नहीं है। अर्थात हमारे वकील ने डबल बेंच में कोई बहस नहीं की थी। हमें केवल वेटेज चाहिए होता तो हम आज अवमानना नहीं करते।
आज करीब ६ मिन्ट कन्टेम्पट अप्प्लिकेश्न को सुना गया छ्त्रेश शुक्ल जी ने सरकार दुवारा ७२८२५ की भर्ती मे हो रही देरी के बारे मे बताया जिस पर माननीय न्यायधीश महोदय ने शुक्ल जी को कहा कि क्या आपने इस बारे मे शिक्षा अधिकारिओँ और सरकार को 20 नवंबर के आदेश के साथ कोई प्रत्यावेदन भेजा है इस पर शुक्ल जी के नही कहने पर जज साहब ने कहा आप 20 नवंबर के आदेश और आज के आदेश की प्रतियां उन्हे भेजे और अगर वो टाइम बाउंड यानि 31 मार्च तक भर्ती समाप्त करने से मना करते हैं तब आपको पुनः कंटेम्प्ट करने की स्वतंत्रता प्रदान की जाती है इसी स्वतन्त्रता के साथ हमने रिट ख़ारिज करवा ली है। अब हम 20 नवंबर के आदेश और आज के आदेश की सर्टिफाइड प्रतियां बेसिक शिक्षा परिषद् के सचिव और प्रमुख सचिव शिक्षा और सचिव बेसिक शिक्षा को भेजेंगे। और भगवान ने चाहा और सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को राहत नहीं दी तो हमारी भर्ती जल्दी चालू हो जायेगी। आप आर्डर नीचे पढ़ सकते हैं
Court No. - 40
Case :- CONTEMPT APPLICATION (CIVIL) No. - 462 of 2014
Applicant :- Yajuvendra Singh Chanddel
Opposite Party :- Niteshwar Kumar, Secry., Basic Education And Another
Counsel for Applicant :- Kshetresh Chandra Shukla
Hon'ble Vikram Nath,J.
Sri K.C. Shukla, learned counsel for the applicant states that this contempt application may be dismissed as not pressed with liberty to the applicant to pursue remedy before the Educational Authorities or before any other forum which may be found appropriate.
Application is accordingly dismissed with the aforesaid liberty.
Order Date :- 21.1.2014
20 नवंबर के भूषण साहब के आदेश के इस अंतिम भाग को अकेडमिक वाले ध्यान से पढ़ लें
ReplyDeleteThere are about 1.25 lacs primary schools in the State of U.P. run by the U.P. Basic Shiksha Parishad. 2.70 lacs posts of teachers being lying vacant, the State Government cannot be said to have complied its statutory obligation as laid down under the Act, 2009. The process for recruitment of B.Ed teachers against the 72825 vacancies was initiated vide advertisement dated 30.11.2011 after amending the rules in accordance with law.
By an order dated 04.1.2012, the process for recruitment of B.Ed teachers was stayed by this Court in Writ Petition No.76039/2011, which petition has already been dismissed by this Court. There is thus no legal impediment in proceeding with the selection initiated by the advertisement dated 30.11.2011 as modified on 20.12.2011.
In the result all the Special Appeals are allowed to the following extent:
1. The Government Order dated 26.7.2011 insofar as it directs for restoration of criteria for selection as was prevalent prior to 12th amendment rules is set-aside.
2.The U.P. Basic Education (Teachers) Service Amendment Rules, 2012 (15th Amendment Rules dated 31.8.2012) in so far as Rule 14 (3) is concerned is declared to be ultra-vires to Article 14 of the Constitution and are struck down. Consequently, the Government Order dated 31.8.2012 as well as the communication dated 31.8.2012 issued by the board of Basic Education are set-aside.
3. Respondents are directed to proceed and conclude the selection as per the advertisement dated 30.11.2011 as modified on 20.12.2011 to its logical end within the time allowed by the Central Government vide its notification issued under Section 23 (2) of the Act, 2009.
4. The judgment of the learned Single Judge is modified to the above extent.
The parties shall bear their own costs.
Order Date :- 20.11.2013
एक साधु था , वह रोज घाट के किनारे
ReplyDeleteबैठ कर चिल्लाया करता था ,
”जो चाहोगे सो पाओगे”,
जो चाहोगे सो पाओगे।”
बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर
कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीँ
देता था और सब उसे एक पागल
आदमी समझते थे। एक दिन एक युवक
वहाँ से गुजरा और उसनेँ उस साधु की
आवाज सुनी , “जो चाहोगे सो पाओगे”,
जो चाहोगे सो पाओगे।” ,और आवाज
सुनते ही उसके पास चला गया।
उसने साधु से पूछा -”महाराज आप
बोल रहे थे कि ‘जो चाहोगे सो पाओगे’
तो क्या आप मुझको वो दे
सकते हो जो मैँ जो चाहता हूँ?”
साधु उसकी बात को सुनकर बोला –
“हाँ बेटा तुम जो कुछ
भी चाहता है मैँ उसे जरुर दुँगा, बस
तुम्हे मेरी बात माननी होगी। लेकिन
पहले ये तो बताओ कि तुम्हे आखिर
चाहिये क्या?” युवक बोला-” मेरी एक
ही ख्वाहिश है मैँ हीरों का बहुत बड़ा
व्यापारी बनना चाहता हूँ। “
साधू बोला ,” कोई बात नहीँ मैँ तुम्हे
एक हीरा और एक मोती देता हूँ, उससे
तुम जितने भी हीरे मोती बनाना चाहोगे
बना पाओगे !” और ऐसा कहते हुए
साधु ने अपना हाथ आदमी की हथेली
पर रखते हुए कहा , “ पुत्र , मैं तुम्हे
दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा
हूं, लोग इसे ‘समय’ कहते हैं, इसे तेजी
से अपनी मुट्ठी में पकड़ लो और इसे
कभी मत गंवाना, तुम इससे जितने
चाहो उतने हीरे बना सकते हो “
युवक अभी कुछ सोच ही रहा था कि
साधु उसका दूसरी हथेली , पकड़ते
हुए बोला , ” पुत्र , इसे पकड़ो , यह
दुनिया का सबसे कीमती मोती है ,
लोग इसे “धैर्य ” कहते हैं ,
जब कभी समय देने के बावजूद
परिणाम ना मिलेंटो इस कीमती मोती
को धारण कर लेना , याद रखन जिसके
पास यह मोती है, वह दुनिया में कुछ
भी प्राप्त कर सकता है।
“युवक गम्भीरता से साधु
की बातों पर विचार करता है और निश्चय
करता है कि आज से वह कभी अपना
समय बर्वाद नहीं करेगा और हमेशा
धैर्य से काम लेगा । और ऐसा सोचकर
वह हीरों के एक बहुत बड़े व्यापारी
के यहाँ काम शुरू करता है और
अपने मेहनत और ईमानदारी के बल
पर एक दिन खुद भी हीरों का बहुत
बड़ा व्यापारी बनता है।
Friends, ‘समय’ और ‘धैर्य’ वह
दो हीरे-मोती हैं जिनके बल
पर हम बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर
सकते हैं।
अतः ज़रूरी है कि हम अपने कीमती
समय को बर्वाद ना करें और अपनी
मंज़िल तक पहुँचने के लिए
धैर्य से काम लें।
जिस दिन जिसकी slp के दोष दूर होंगे 2 घंटे बाद ही शो हो जाएगा बशर्ते संशोधन कोर्ट मे जमा किए गए हों वकील के घर पर रखे होंगे तो कोर्ट की साइट अपडेट नही होगी चाहे एक साल रखे रहें ।
ReplyDelete96 घंटे नही लगते हैँ अब !
हकीकत तो ये है कि यूपी के विधायकों का स्टडी टूर पर यूरोप जाने के बाद से यूरोप की जनता का पढ़ाई-लिखाई से विश्वास ही उठ गया है !!
ReplyDeleteआज़म खाँ यूरोप स्टडी टूर से 3दिन पहले ही आ गए..
ReplyDeleteपूछने पर बोले- पुरानी आदत है,स्कूल से भी तीसरे पीरियड के बाद भाग जाता था, इसीलिए तो आज सपा मे हूँ....
यूपी विधायकों के यूरोप से स्टडी टूर करके लौटने के बाद यूरोप की साक्षरता दर में 10 फीसदी की कमी आई है।
ReplyDeleteमां तू एक गंदा सा मफलर दे दे
ReplyDeleteकेजरीवाल बन जाऊं,
झाड़ू लेकर हाथ में तेरी
भ्रष्टाचार मिटाऊं।
एक गंदा सा स्वेटर दे दे
पहन के उसको जाऊं,
खांस-खांस कर
सबसे बोलूं भ्रष्टाचार
मिटाऊं।
पढ़-लिख कर क्या होगा मां
तू रख दे सभी किताबें,
तू तो बस बाजार से मुझको
टोपी एक दिलवा दे।
पढ़-लिखकर भी केजरीवाल जी
बस एक नौकरी पाए,
लेकिन चमका तभी सितारा,
जब झाड़ू अपनाए।
अन्ना जी केमंच पे चढ़कर
कर दिया सबको ढीला,
बीजेपी दे गए डर गईं इनसे शीला।
टी.वी पर दिन रात दिख रहे,
गुम शाहरुख-सलमान,
झाड़ू थाम के भी मिल सकता है
गर इतना सम्मान।
तो फिर काहे रात को जग कर
पढ़-पढ़ आंखें फोढ़ूं,
मैं भी क्यों न झाड़ू लेकर
उनके साथ ही दौड़ूं....।।
सभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
ReplyDeleteअकेडमिक वीरों के सेनापति श्रीमान कपिलदेव का पीछा करते-करते निरहुआ भी दिल्ली पहुँच गया। दर-दर की ख़ाक छानते हुए अंततः वह अकेडमिक वीरों की टोली को ढूंढने में कामयाब हो ही गया। निरहुआ ने देखा की सभी अकेडमिक वीर मिलकर कपिलदेव जी की धुनाई कर रहे हैं और श्रीमान कपिलदेव जी अपने बेगुनाह होने की दुहाई दे रहे हैं। कपिलदेव की दुर्दशा देखकर निरहुआ का दिल पसीज गया और उसने मामले में हस्तक्षेप करते हुए अकेडमिक वीरों को कपिलदेव की पिटायी करने से रोका और पूरा मामला जानना चाहा। तब एक अकेडमिक वीर ने बहुत क्रोधित स्वर में कहा कि-' निरहुआ तू ठीक ही कहता था, ई ससुरा कपिलदेव हमसे चालाकी करता है और पैसों के हिसाब में अक्सर गड़बड़ी करके अपनी जेब भरता रहता है, यहाँ भी इसने एक गड़बड़ी की थी जो हमने पकड़ ली और अब इसकी धुनाई कर रहे हैं, अब निरहुआ तू बीच में से हट और हमें अपने हाथ सेंकने दे'।
निरहुआ ने सड़क पर अस्त-व्यस्त हालत में पड़े कपिलदेव से पूछा कि भई मामला क्या है? तब रुआंसे स्वर में कपिलदेव जी ने मामला समझाया जो कि इस प्रकार था-
कपिलदेव:- "निरहुआ भाई कम से कम मैंने इस बार कोई गड़बड़ी नहीं की थी लेकिन पता नहीं कैसे हिसाब गड़बड़ हो रहा है, रुको मैं तुम्हें शुरू से बताता हूँ। यहाँ दिल्ली में आकर हमने अपने वकील के लिए एक गिफ्ट खरीदने की सोची और मेरे तीन साथियों ने 200-200 रूपए दिए। हमने एक दूकान से 600 रूपए में एक गिफ्ट भी खरीद लिया और वापस हो लिए, तभी उस दूकान का नौकर दौड़ता हुआ हमारे पास आया और हमें 100 रूपए वापस करते हुए बोला की सेठजी ने हम गधों के लिए डिस्काउंट भेजा है। पहले तो हमें हैरानी हुई की हमारी 'ख्याति' दिल्ली तक कैसे पहुँच गई किन्तु तुरंत हमें हमारे 'गर्दभ सदृश्य' व्यक्तित्व की याद आयी और हम पूरा माजरा समझ गए। खैर, हमने उस नौकर को उसी 100 रूपए में से 40 रूपए बतौर टिप देकर विदा कर दिया और बाकी बचे 60 रूपए को तीनो साथियों में बराबर-बराबर 20-20 रूपए करके बाँट दिया। बस यहीं से गड़बड़ शुरू हो गयी भाई, अब देखो कि तीनों ने 200-200 रूपए दिए थे और कुल 600 रूपए इकठ्ठा हुए थे जिसमे से इन्हें बाद में 20-20 रूपए वापस मिल गए तो इनके 200 की जगह 180 रूपए प्रति व्यक्ति ही खर्च हुए ना? अब निरहुआ तू ही हिसाब कर की 180×3= 540 रूपए खर्च हुए और 40 रूपए उस नौकर को दिए इस प्रकार कुल रूपए हुए 540+40= 580, लेकिन हमने तो 600 रूपए इकट्ठे किये थे अब 600-580= 20 रूपए का कोई अता-पता नहीं लग रहा है और ये नाशपीटे मुझे गलत समझकर गधे की तरह धो रहे हैं। निरहुआ अब तू ही हिसाब लगा और मेरी मदद कर"।
.
.( अकेडमिक वीरों के अद्भुत हिसाब-किताब को सुनकर निरहुआ की खोपड़ी घूम गयी, उसने वहाँ से सटक लेने में ही अपनी भलाई समझी। तत्काल निरहुआ वहाँ से दुडकी लगा बैठा और भागते हुए चिल्लाया-'गधों अब तो सुधर जाओ'। वैसे जो बन्धु कपिलदेव की मदद कर सकता हो वह जरुर उसको बचाए ।
धन्यवाद।
Mau TET sangharsh Morcha ne 15th amendment radd hone par bhi Urdu BTC walo ko niyukti patra bantane par court contempt ki bat ki , jis se waha ke BSA ne Urdu walo se niyukti patra wapas mang lia. Mau TET sanghrash morcha ka ham aabhari hai. Anya jilo me bhi ye karyawahi honi chahiye.
ReplyDeleteशहर के सबसे बडे बैंक में एक बार एक
ReplyDeleteबुढिया आई ।
उसने
मैनेजर से कहा - "मुझे इस बैंक मे कुछ रुपये
जमा करने हैं" ।
मैनेजर ने पूछा - कितने हैं, वृद्धा बोली - होंगे
कोई दस
लाख
। मैनेजर बोला - वाह क्या बात है, आपके पास
तो काफ़ी पैसा है, आप करती क्या हैं ?
वृद्धा बोली -
कुछ
खास नहीं, बस शर्तें लगाती हूँ । मैनेजर बोला -
शर्त
लगा-
लगा कर आपने इतना सारा पैसा कमाया है ?
कमाल
है...
वृद्धा बोली - कमाल कुछ नहीं है बेटा, मैं
अभी एक
लाख
रुपयेकी शर्त लगा सकती हूँ कि तुमने अपने
सिर पर
विग
लगा रखा है । मैनेजर हँसते हुए बोला -
नहीं माताजी मैं
तो अभी जवान हूँ, और विग नहीं लगाता ।
तो शर्त
क्यों नहीं लगाते ? वृद्धा बोली । मैनेजर ने
सोचा यह
पागल
बुढिया खामख्वाह ही एक लाख रुपये गँवाने पर
तुली है,
तो क्यों न मैं इसका फ़ायदा उठाऊँ... मुझे
तो मालूम
ही है
कि मैं विग नहीं लगाता । मैनेजर एक लाख
की शर्त
लगाने
को तैयार हो गया । वृद्धा बोली -
चूँकि मामला एक
लाख
रुपयेका है इसलिये मैं कल सुबह ठीक दस बजे
अपने
वकील
के साथ आऊँगी और उसी के सामने शर्त
का फ़ैसला होगा ।
मैनेजर ने कहा - ठीक है बात पक्की... मैनेजर
को रात
भर
नींद नहीं आई.. वह एक लाख रुपये और
बुढिया के
बारे में
सोचता रहा । अगली सुबह ठीक दस बजे वह
बुढिया अपने
वकील के साथ मैनेजर के केबिन में पहुँची और
कहा,
क्या आप तैयार हैं ? मैनेजर ने कहा - बिलकुल,
क्यों नहीं ?
वृद्धा बोली- लेकिन चूँकि वकील साहब
भी यहाँ मौजूद
हैं
और बात एक लाख की है अतः मैं
तसल्ली करना चाहती हूँ
कि सचमुच आप विग नहीं लगाते, इसलिये मैं
अपने
हाथों से
आपके बाल नोचकर देखूँगी । मैनेजर ने पल भर
सोचा और
हाँ कर दी, आखिर मामला एक लाख का था ।
वृद्धा मैनेजर
के नजदीक आई और धीर-धीरे आराम से
मैनेजर के
बाल
नोचने लगी । उसी वक्त अचानक
पता नहीं क्या हुआ,
वकील साहब अपना माथा दीवार पर ठोंकने लगे
।
मैनेजर ने
कहा - अरे.. अरे.. वकील साहब को क्या हुआ ?
वृद्धा बोली - कुछ नहीं, इन्हें सदमा लगा है, मैंने
इनसे
पाँच
लाख रुपये की शर्त लगाई थी कि आज सुबह
दस बजे
मैं
शहर से सबसे बडे बैंक के मैनेजर के बाल
दोस्ताना माहौल में
नोचकर दिखाऊँगी ।
इसलिये बूढों को कभी कम
ना समझें....
एक दिन पप्पू को अनजान नंबर से फोन आया |
ReplyDeleteफोन पर लड़की थी, जो बोली - हेलो आप कुंवारे
हैं ?
पप्पू - हां, लेकिन आप कौन बोल रही हैं ?
लड़की - मैं तेरी बीवी बोल रही हूं | कमीने आज घर
आ तो बताऊंगी |
थोड़ी देर बाद पप्पू को फिर एक अनजाने नंबर से
फोन आया | फिर से एक लड़की ही थी,
जो बोली - क्या आप शादीशुदा हैं ?
पप्पू - हां, लेकिन तुम कौन ?
लड़की - तुम्हारी गर्लफ्रेंड, धोकेबाज !
पप्पू - सॉरी बेबी, मुझे लगा मेरी बीवी हैं |
लड़की - मैं बीवी ही हूं हरामखोर | आज बस तू घर आ, फिर
बताती हूं |
मे
ReplyDeleteरी
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वा
ली
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Kuch uljhe sawalo se darta hai dil,
Naa jane kyu tanhai mai bhkhadta hai dil,
Kisi ko pana koi badi baat nahi hai,
Par kisi ko khone se darta hai ye dil…
Mr. aa jam kay kha is back and now giving statement in different newspaper .how funny jis pradesh main 2lakh 70thousand teacher ki requirement hai wahan kay mantri ji study tour par jaate hain aur enjoy karke vapas tab aate hain jab bhateejay AKAL LESS SINGH KO RAAT BHAR HITCKI AATI RAHTEE HAI.
ReplyDeleteअकेडमिक वालों ने आज एक बार फिर प्रमाणित कर दिया है कि वह वास्तव मे गधे है और गधे ही रहेंगे । अकेडमिक वाले गधा शब्द के सच्चे अधिकारी नही है तो और क्या है जो डेथ वारंट को शादी का कार्ड समझकर उछल रहे है । मेरी सलाह है कि वह हाई कोर्ट से आदेश हिंदी मे लिखने के लिए प्रार्थना पत्र डाले ताकि भविष्य मे ऐसा न हो क्योंकि अंग्रेजी भाषा पर पकड़ मजबूत करना इनके वश की बात नही है ।
ReplyDeleteSandeep Shukla> Teacher's HelpDesk
GOOD NEWS FRNDS...
15 th Sanshodhan ki sari bhartiyo
ko radd krne k liye BHARTI K
DUSHMANO DWARA COURT ME
DALI GAI CONTEMPT APPLICATION
COURT NE DISMISSED KAR DI HAI
Court No. - 40
Case :- CONTEMPT APPLICATION
(CIVIL) No. - 462 of 2014
Applicant :- Yajuvendra Singh
Chanddel
Opposite Party :- Niteshwar Kumar,
Secry., Basic Education And
Another
Counsel for Applicant :- Kshetresh
Chandra Shukla
Hon'ble Vikram Nath,J.
Sri K.C. Shukla, learned counsel for
the applicant states that this
contempt application may be
dismissed as not pressed with
liberty to the applicant to pursue
remedy before the Educational
Authorities or before any other
forum which may be found
appropriate.
Application is accordingly
dismissed with the aforesaid
liberty.
Order Date :- 21.1.2014
जिस अवमानना एप्लिकेशन के निरस्त होने की गलतफ़हमी के शिकार होकर ये लोग खुशियाँ मना रहे हैं, वास्तव मे वह अकेडमिक मैरिट का डेथ वारंट है । कोर्ट मे जज महोदय ने पूछा कि क्या आपने सरकार और शिक्षा अधिकारियों को 20 नवम्बर,2013 के आदेश की कापी के साथ कोई प्रत्यावेदन भेजा है, जो कि अभी तक नही भेजा गया था । इस पर जज महोदय ने कहा कि पहले आप 20 नवम्बर,2013 के आदेश की कापी और आज दिनांक 21 जनवरी के आदेश की कापी उन्हें भेजें। अगर वो एक सप्ताह के अंदर 31 मार्च तक भर्ती समय पर करने से मना करते हैं या कोई जवाब नही देते है तो आप पुनः "contempt application" डालने के लिये स्वतंत्र हैं. । इसका प्रभाव अगली एप्लीकेशन मे स्पष्ट दिखेगा क्योंकि आगे कोर्ट उन्हे कोई अतिरिक्त समय नही देगा । हालाँकि उक्त नोटिस सचिव महोदय की रातों की नींद खराब करने के लिए पर्याप्त है । मोर्चा के सदस्य दोनोँ आदेशों की कापी लगाकर सचिव महोदय को उचित माध्यम से भेजकर सचिव महोदय को भर्ती शीघ्र करने हेतु दबाव बनाने का प्रयास करे । जय टेट । जय टेट मोर्चा ।
मे
ReplyDeleteरी
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Neend Se Kya Shikwa Jo
Aati Nahi Raat Bhar
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Kasoor To Uss Chehre Ka Hai
Jo Sone Nhi Deta.
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तेरे हाथ की काश मैं वो लकीर बन जाऊं;
काश मैं तेरा मुक़द्दर तेरी तक़दीर बन जाऊं;
मैं तुम्हें इतना चाहूँ कि तुम भूल जाओ हर रिश्ता;
सिर्फ मैं ही तुम्हारे हर रिश्ते की तस्वीर बन जाऊं;
तुम आँखें बंद करो तो आऊं मैं ही नज़र;
इस तरह मैं तुम्हारे हर ख्वाब की ताबीर बन जाऊं!
INDIAN GEOGRAPHY - NICK NAMES OF SOME
ReplyDeletePLACES
=========================
1) Golden City - Amristar
2) Manchester of India - Ahmedabad
3) City of Seven Islands - Mumbai
4) Queen of Arabian Sea - Cochin
5) Space City - Bangalore
6) Garden City of India - Bangalore
7) Silicon Valley of India - Bangalore
8.) Electronic City of India - Bangalore
9) Pink City - Jaipur
10) Gateway of India - Mumbai
11) Twin City - Hyderabad - Sikandarabad
12) City of Festivals - Madurai
13) Deccan Queen - Pune
14) City of Buildings - Kolkata
15) Dakshin Ganga - Godavari
16) Old Ganga - Godavari
17) Egg Bowl of Asia - Andhra Pradesh
18) Soya Region - Madhya Pradesh
19) Manchester of the South - Coimbatore
20) City of Nawabs - Lucknow
21) Venice of the East - Cochin
22) Sorrow of Bengal - Damodar river
23) Sorrow of Bihar - Kosi river
24) Blue Mountains - Nilgiri
25) Queen of the Mountains - Mussoorie
Up me akhilesh govt ke pichle 2 saal me prt me bachon ka enrollment me 15 percent ki kami hona ye darshata hai ki ye govt prt education aur rte ko leker bilkul bhi gambheer nahi hai aur tet merit se niyukti na karke wo is drop out ko aur bada rahi hai kyonki jo bache abhi schools me hai unko bhi teachers nahi provide kara rahi hai .
ReplyDeleteभाजपा लाओ प्रदेश बचाओ
ReplyDeleteपिछले 10 सालो में पेट्रोल की कीमत किस कदर बड़ी है आप
अंदाजा भी नहीं लगा सकते
2014 : Rs 81.31
2013 : Rs 78.56
2012 : Rs 73.53
2011 : Rs 63.08
2010 : Rs 44.55
2009 : Rs 40.62
2008 : Rs 50.60
2007 : Rs 42.00
2006 : Rs 43.51
2005 : Rs 40.49
2004 : Rs 33.70
2003 : Rs 31.50
क्या अब भी कोई इन्सान कहेगा की में कांग्रेस को वोट दूंगा??
एक माँ चटाई पे लेटी आराम से सो रही थी...
ReplyDeleteकोई स्वप्न सरिता उसका मन भिगो रही थी...
तभी उसका बच्चा यूँ ही गुनगुनाते हुए आया...
माँ के पैरों को छूकर हल्के हल्के से हिलाया...
माँ उनीदी सी चटाई से बस थोड़ा उठी ही थी...
तभी उस नन्हे ने हलवा खाने की ज़िद कर दी...
माँ ने उसे पुचकारा और फिर गोद मेले लिया...
फिर पास ही ईंटों से बने चूल्हे का रुख़ किया...
फिर उनने चूल्हे पे एक छोटी सी कढ़ाई रख दी...
फिर आग जला कर कुछ देर उसे तकती रही...
फिर बोली बेटा जब तक उबल रहा है ये पानी...
क्या सुनोगे तब तक कोई परियों वाली कहानी...
मुन्ने की आँखें अचानक खुशी से थी खिल गयी...
जैसे उसको कोई मुँह माँगी मुराद हो मिल गयी...
माँ उबलते हुए पानी मे कल्छी ही चलाती रही...
परियों का कोई किस्सा मुन्ने को सुनाती रही...
फिर वो बच्चा उन परियों मे ही जैसे खो गया....
सामने बैठे बैठे ही लेटा और फिर वही सो गया...
फिर माँ ने उसे गोद मे ले लिया और मुस्काई...
फिर पता नहीं जाने क्यूँ उनकी आँख भर आई...
जैसा दिख रहा था वहाँ पर सब वैसा नही था...
घर मे इक रोटी की खातिर भी पैसा नही था...
राशन के डिब्बों मे तो बस सन्नाटा पसरा था...
कुछ बनाने के लिए घर मे कहाँ कुछ धरा था...
न जाने कब से घर मे चूल्हा ही नहीं जला था...
चूल्हा भी तो बेचारा माँ के आँसुओं से गीला था...
फिर उस बेचारे को वो हलवा कहाँ से खिलाती...
उस जिगर के टुकड़े को रोता भी कैसे देख पाती...
वो मजबूरी उस नन्हे मन को माँ कैसे समझाती...
या फिर फालतू मे ही मुन्ने पर क्यूँ झुंझलाती...
इसलिए हलवे की बात वो कहानी मे टालती रही...
जब तक वो सोया नही, बस पानी उबालती रही..!
बस पानी ही उबालती रही !
20 नवम्बर 2013 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ के शिक्षक भर्ती संबन्धित आदेश की उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अवहेलना के परिप्रेक्ष्य में यजुवेंद्र सिंह चंदेल जी द्वारा डाली गयी अवमानना याचिका से एक बात बिल्कुल स्पष्ट हो गयी है कि इस कार्य के लिए 20 फरवरी तक इंतजार करना एक मात्र विकल्प नहीं था,,,,,
ReplyDeleteजैसा कि न्यायाधीश महोदय ने कहा है कि पहले आप शैक्षिक प्राधिकरण (बेसिक शिक्षा परिषद) या उचित और सक्षम अधिकारी (सचिव, प्रमुख सचिव, निदेशक बेसिक शिक्षा इत्यादि) को अदालती आदेश के साथ प्रत्यावेदन भेजें तत्पश्चात उचित कार्यवाही न किए जाने बाद अवमानना प्रार्थना पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें, तो अब अविलंब उपरोक्त कार्य पूर्ण कर फिर से अवमानना याचिका के द्वारा सचिव महोदय को अदालत में हाजिर होने के लिए बाध्य करने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि सचिव साहब से पूछा जा सके कि आप भारतीय प्रशासनिक सेवा के कर्तव्यों और भारतीय संविधान के प्रति समर्पित हैं या अकल से पैदल किसी भ्रष्ट और बेवकूफ नेता के ???
ReplyDeleteक्योंकि बिना जेल की 8x6 की कोठरी के दर्शन के इन सरकारी नुमाइंदों के मस्तिष्क की नसों में बहने वाले रक्त की रफ्तार पर्याप्त नहीं हो पाएगी ताकि ये सही गलत अच्छा बुरा सोच सकें| केवल डिफ़ेक्ट के दूर होने का इंतज़ार न करके उर्दू वालों की नियुक्ति के लिए जारी शासनादेश (जो कि 20 नवम्बर के आदेश का खुला उलंघन है) की शिकायत कोर्ट से की जानी चाहिए और नियुक्ति पत्र जारी किए जाने को लेकर दो चार बीएसए को भी सचिव के साथ अभियोगी बना देना चाहिये,,,,,,, फिर देखिये कैसे ये सरकार उर्दू वालों को चुनाव के पहले नियुक्ति देने का रास्ता निकालती है ???
ReplyDeleteअगर उनके लिए कोई रास्ता निकलेगा तो यकीनन वो हमारे रास्ते की बाधाओं के दूर होने के बाद ही निकलेगा,,,,,, या तो सरकार उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करेगी या फिर जल्द से जल्द सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई करवाएगी|
ReplyDeleteफिर भी कुछ मंदबुद्धि प्राणी आचार सहिंता का डर दिखा रहे हैं,,, यहाँ यह भी गौर करें कि अदालती आदेश चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र से स्वतंत्र होते हैं मतलब कोर्ट के आदेश आचार सहिंता के दायरे में नहीं बल्कि आचार सहिंता न्यायालय की पुनर्विलोकन की शक्ति के अधीन होती है|
ReplyDeleteफिलहाल इस समय सरकार 31 मार्च 2014 की समय सीमा बिताने और मायावती सरकार द्वारा कराये गए टेट के प्रमाण पत्रों की वैधता की समयसीमा के पूर्ण हो जाने के प्रयास की ओर अग्रसर है,,,,अभी की कार्यशीलता आपको लोकसभा चुनाव के बाद गर्मी से तमतमाती लखनऊ की सड़कों पर मतलब परस्त सरकार के विरुद्ध होने वाले आन्दोलनों की परेशानियाँ से बचा सकती है,,,,अभी सरकार को चुनाव की वजह से जनता को फीलगुड कराना है लेकिन चुनाव बाद सिर्फ लाठी ही बरसाना है|
ReplyDeleteयजुवेंद्र सिंह के इस प्रयास की सराहना की जानी चाहिये क्योंकि कुछ न करने की अपेक्षा कुछ करना सदैव लाभकारी होता है.......
ReplyDeleteसत्यमेव जयते !
एक हवाई जहाज आसमान की ऊंचाइयों में
ReplyDeleteउड रहा था कि अचानक अपना संतुलन
खोकर इधर उधर लहराने लगा.. सभी
यात्री अपनी मृत्यु को समीप जान डर के
मारे चीखने चिल्लाने लगे सिवाय एक
बच्ची के जो मुस्कुराते हुए चुपचाप खिलोने
से खेल रही थी.... कुछ देर बाद हवाई जहाज
सकुशल, सुरक्षित उतरा और यात्रियों ने
राहत
की साँस ली.. एक यात्री ने उत्सुकतावश उस
बच्ची से पूछा- "बेटा हम सभी डर के मारे काँप
रहे थे पर तुमको डर नहीं लग रहा था..
ऐसा क्यों ?
" बच्ची ने जवाब दिया- "क्योंकि इस प्लेन के
पायलट मेरे पापा हैं..
मैं जानती थी कि वो मुझे
कुछ नहीं होने देंगे"
मित्रो, ठीक इसी तरह का
विश्वास हमे ईश्वर पर होना चाहिये..
"परिस्थितियाँ चाहे कितनी ही विपरीत हो जाऐं
पर एक ना एक दिन सब ठीक हो जाएगा,
क्योंकि भगवान हमें कुछ नहीं होने देंगे ।"
एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गयी. वैसे तो घडी कीमती नहीं थी पर किसान उससे भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ था और किसी भी तरह उसे वापस पाना चाहता था. उसने खुद भी घडी खोजने का बहुत प्रयास किया, कभी कमरे में खोजता तो कभी बाड़े तो कभी अनाज के ढेर में ….पर तमाम कोशिशों के बाद भी घड़ी नहीं मिली. उसने निश्चय किया की वो इस काम में बच्चों की मदद लेगा और उसने आवाज लगाई , ” सुनो बच्चों , तुममे से जो कोई भी मेरी खोई घडी खोज देगा उसे मैं १०० रुपये इनाम में दूंगा.”
ReplyDeleteफिर क्या था , सभी बच्चे जोर-शोर दे इस काम में लगा गए…वे हर जगह की ख़ाक छानने लगे , ऊपर-नीचे , बाहर, आँगन में ..हर जगह…पर घंटो बीत जाने पर भी घडी नहीं मिली.
अब लगभग सभी बच्चे हार मान चुके थे और किसान को भी यही लगा की घड़ी नहीं मिलेगी, तभी एक लड़का उसके पास आया और बोला , ” काका मुझे एक मौका और दीजिये, पर इस बार मैं ये काम अकेले ही करना चाहूँगा.”
किसान का क्या जा रहा था, उसे तो घडी चाहिए थी, उसने तुरंत हाँ कर दी. लड़का एक-एक कर के घर के कमरों में जाने लगा…और जब वह किसान के शयन कक्ष से निकला तो घड़ी उसके हाथ में थी.
किसान घड़ी देख प्रसन्न हो गया और अचरज से पूछा ,” बेटा, कहाँ थी ये घड़ी , और जहाँ हम सभी असफल हो गए तुमने इसे कैसे ढूंढ निकाला ?”
लड़का बोला,” काका मैंने कुछ नहीं किया बस मैं कमरे में गया और चुप-चाप बैठ गया, और घड़ी की आवाज़ पर ध्यान केन्द्रित करने लगा , कमरे में शांति होने के कारण मुझे घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे गयी , जिससे मैंने उसकी दिशा का अंदाजा लगा लिया और आलमारी के पीछे गिरी ये घड़ी खोज निकाली.”
जिस तरह कमरे की शांति घड़ी ढूढने में मददगार साबित हुई उसी प्रकार मन की शांति हमें ज़िन्दगी की ज़रूरी चीजें समझने में मददगार होती है . हर दिन हमें अपने लिए थोडा वक़्त निकालना चाहिए , जिसमे हम बिलकुल अकेले हों , जिसमे हम शांति से बैठ कर खुद से बात कर सकें और अपने भीतर की आवाज़ को सुन सकें , तभी हम ज़िन्दगी को और अच्छे ढंग से जी पायेंगे.
राज्य सरकार
ReplyDeleteने सुप्रीमकोर्ट मेँ
दाखिल विशेष
अनुज्ञा याचिका
के डिफेक्ट को दूर
कर दिया है ।
भाई साहब यह सत्य है या िफर अफवाह फैला रहे हो ।सरकार इतनी जल्दी मान जाएगी यह बात हजम नही हो रही ।
ReplyDeleteभाई साहब मेरी बात को अन्यथा न लीिजएगा कयोिक अब िकसी भी खबर पर जल्दी यकीन नहीं होता।
ReplyDeleteIT IS TRUE
ReplyDeletetet 201main 72825 vacancy ko merit ke aadhar par bhare
ReplyDeletetet 2ke pass student paresan han aur sarkar pagal barahi htet ki merit ke aadhar par high court ka order kpalan karate huye vacancy galti bhare
ReplyDeletetet pass student 2011 paresan
ReplyDeletehonaurable high cort ka ordethik h but akhilesh ji ki sarkavacancy bharana nahi chahayati h