Breaking News 72825 Primary Teacher aur 29334 Junior High School Teacher Kee Bhrtee Aur Late Hone Kee Sambhaavnaa Badee -
Kal Hee Allahabad High Court Ka Order Daala Thaa Jismen Allahabad Highcourt ne 83 se Ek Number Kam Ko Fail Hee Maaana Thaa,
Saath Hee Kaha Thaa Kee NCTE Ke Pass Jao, NCTE se Clarification Lo Ki NCTE Ka Kya Kehana Hai Rounding of Marks (54.67) Ke Baare Mein.
Aaj News Aa Gayee Hai Kee Arakshit Kshrennee Ke Log 150 mein se 82 Number Par Bhee Pass Hain.
Is Prakaar UPTET 2011 aur UPTET 2013 Mein Pass Hone Vaale Hazaron Candidate Ko Rahat Mil Jayegee Aur Ve Bhee UPTET Pass Kehlayaenge.
72825 aur 29334 Padon keee Bhrtee Mein Deree Ho Saktee Hai, Aur Pichlee Bhrteeyon Mein Bhee Thodee Mushkil Hogee
एनसीटीई ने जारी किया आदेश
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने टीईटी एवं सीटीईटी में आरक्षित श्रेणी में 150 में से 82 अंक पाने वाले अभ्यर्थी भी पास माने जाएंगे। इस बारे एनसीटीई ने प्रदेश बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा सचिव को भेजे अलग-अलग पत्र में टीईटी में आरक्षित कोटे के अभ्यर्थियों को 150 में से 82 अंक मिलने पर भी सफल घोषित करने को कहा है।यूपीटीईटी में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी भागीरथी सिंहने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर 150 में 82 अंक मिलने पर टीईटी में सफल घोषित करने की मांग की थी। कोर्ट के निर्णय के आधार पर एनसीटीई ने सीटीईटी एवं टीईटी में आरक्षित वर्ग में 82 अंक अर्थात 54.67 फीसदी अंक पाने पर भी सफल घोषित करने का आदेश जारी किया। कोर्ट और एनसीटीई ने 54.67 फीसदी को पूर्णांक जारी करते हुए 55 फीसदी मान लिया है।
शुभ प्रभात मित्रों,
ReplyDeleteसभी साथियों को निरहुआ का प्रणाम एवं मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं।
साथियों इस वर्ष आने वाले प्रत्येक त्यौहार जो भी होली से पहले पड़ते हैं उन्हें जमकर मनाइए क्यूंकि एक बेरोजगार के रूप में ये आखिरी त्यौहार होंगे जिन्हें एक निशानी के तौर पर सहेज कर रखना आवश्यक है। जब होली के बाद हम वेतनभोगी हो जायेंगे और प्रत्येक त्योहारों को पूरी सम्पन्नता के साथ मनाएंगे तब अभाव के दिनों में मनाये गए यही त्यौहार हमें अपनी संघर्ष गाथा के रूप में याद रहेंगे। साथियों, समझदार और गुणवान इनसान वही है जो अपने बुरे वक्त को आदर्श मानकर पूरी तन्मयता और विनम्रता से अपना अग्रिम विकास करे एवं किंचित मात्र भी दर्प अपने अन्दर विकसित ना होने दे। फिलहाल निराहुआ आपको क्या समझाए आप सब तो स्वयं सरस्वतीपुत्र हैं और सर्वगुण संपन्न हैं यह अकिंचन निरहुआ का अस्तित्व ही क्या जो आप लोगों को सिखावन दे सके, निरहुआ तो आप लोगों को हँसाने आया है। लीजिये थोड़ा हँस लीजिये, सुना है सुबह हँसने से दिन अच्छा गुजरता है-
* टेट मेरिट पर भर्ती हो जाने के बाद माननीय अखिलेश महोदय को मनोचिकित्सक के पास जाना पड़ा। काफी उपचार के बाद जब वह सचेत हुए तब उन्होंने अपने मानस-पुत्रों (अकेडमिक वीरों) के बारे में सोचना शुरू किया कि अब कैसे उन्हें अपने वोट बैंक का हिस्सा बनाए रखा जाय क्योंकि शिक्षक भर्ती का लालीपॉप तो टेटवीर मार बैठे और नए विज्ञापन का पैसा वापस करने के बाद सरकारी खजाना दिवालियेपन की कगार पर है। कुछ सोच विचार के बाद उनके दिमाग में एक योजना आई जिससे पैसा भी खर्च नहीं होता और एक लालीपॉप फिर से अकेडमिक वीरों के हाथ में थमा दिया जाता। माननीय अकल-लेस ने अपने मानस-पुत्रों (अकेडमिक वीरों) के लिए एक नई आर्थिक योजना की घोषणा की कि जिस बेरोजगार अकेडमिक वीर के पाँच या उससे अधिक बच्चे हैं उसे 5000/- प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जाएगी। अकाल-लेस की यह कूटनीतिक चाल थी क्योंकि उन्हें पता था की अधिकाँश तो अभी शादीशुदा ही नहीं होंगे और जो होंगे भी तो आज के जमाने में 2-3 बच्चों से ज्यादा होंगे नहीं, इस प्रकार उनका उद्देश्य भी पूरा हो जायेगा और उन्हें सरकारी खजाने से कुछ देना भी नहीं पड़ेगा। इस 'योजना' की घोषणा होते ही अकेडमिक वीरों में हड़कम्प मच गया और जोड़-तोड़ की राजनीति होने लगी। एक अकेडमिक वीर के घर की घटना निरहुआ बता रहा है। उस अकेडमिक वीर ने बहुत सोच विचार के बाद अपनी पत्नी से कहा-"छुटके की अम्मा, मैं तेरा दिल दुखाना तो नहीं चाहता था पर अब क्या करूँ समस्या ही कुछ ऐसी आ गई है की अब बताना बहुत जरुरी है।तुझे तो पता ही होगा की अपने 'पलटुआ' ने 5 बच्चों पर 5000/-महीने की घोषणा की है। तूने मुझे प्यारे-प्यारे 3 बच्चे दिए और मेरा घर संभाला साथ ही पूरी वफादारी से मेरी सेवा की लेकिन मैं तेरा विश्वास कायम नहीं रख सका।देख , ये सवाल 5000/-महीने का है इसलिए बताता हूँ की वो सामने वाला जो कपिलदेव का परिवार है न जिसमे 3 बच्चे हैं, उसमे से 2 बच्चे मेरे ही हैंअब ज्यादा सवाल जवाब मत करना, मैं जाता हूँ और कपिलदेव की बीवी से अपने बच्चे मांग लाता हूँ फिर अपने पास 5 बच्चे हो जायेंगे"। उत्साह और आशा से भरपूर वह अकेडमिक वीर तुरंत कपिलदेव के घर में जा घुसा और हलके प्रतिरोध के बाद 'अपने बच्चे' ले आया। अपने घर पहुँचने के बाद ख़ुशी से सराबोर जैसे ही वह भीतर घुसा उसने देखा की उसकी पत्नी सिर पर हाथ धरे बैठी है और उसकी निगाहों में बेचैनी थी। अकेडमिक वीर ने आस-पास नजर दौड़ाई और चिंतित होकर बोला-" अरी भागवान ये थोबड़ा क्यूँ लटका रखा है, अब तो खुश हो जा अब हमें 5000/-महीने अवश्य मिलेंगे अब चिंता करने की कोई जरुरत नहीं ये बता अपने दो बच्चे कहाँ गए यहाँ दिखाई नहीं पड़ रहे"? तब अकेडमिक वीर की पत्नी बहुत उतावले स्वर में बोली-" अरे क्या ख़ाक 5000 रूपए मिलेंगे। तू कपिल के घर से अपने बच्चे यहाँ उठा लाया ना,उसी तरह कपिल भी अपने 2 बच्चे यहाँ से ले गया है अब तू ज्यादा सवाल जवाब मत करना मुझसे"।
(इतनी बड़ी खींचतान के बाद भी 'भत्ता' किसी को नहीं मिल पाया)
NIRAHUA G AP BAHUT POSITIVE HAIN. POSIBLEW NAHIN LAGTA KI HUM LOGON KI SOCH KE ANUSAR SHAYAD HI KUCH HOGA.
ReplyDeleteBECOZ UP MEN TO JANGAL RAJ SE BHI JYADA BADTAR RAJ HAI .
ReplyDeleteTHANKS
ReplyDelete.
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निरहुआ जी ब्लाग पर आने के लिए
&
अमित कुमार
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SAME TO YOU
slp का defect दूर हो जाने की बात कहकर सरकार का मजाक उड़ा रहे हो क्या? कल गणेश भाई ने तफरी लेने के मकसद से गर्ग से बात की थी तब मैं और कुछ अन्य साथी conference पर थे,,,,, पहले उसने सलाह दी कि तुम लोग डूबकर मर जाओ तो गणेश भाई ने जवाब दिया कि हम तैरना जानते हैं इसलिए डूबना संभव नहीं,,, तब वो बोले कि आग लगा लो जिसपर गणेश भाई ने कहा कि हम लोग हर समय bulet proof और fire proof jacket पहने रहते हैं,,,,, मुझे तो ये सोचकर हँसी आ रही थी कि सरकार ने भी पता नहीं किस टटपूंजिए को hire कर लिया है....
ReplyDeleteसिर्फ स्नान नहीं, विज्ञान है मकर सक्रान्ति
ReplyDeleteमकर सक्रान्ति का पर्व आया और चला गया। नदी में एक डुबकी लगाई; खिचड़ी खाई और आगे बढ़ गये। क्या हमारे त्यौहारों का इतना ही मायने है अथवा इनका भी कोई विज्ञान है? मकर सक्रान्ति सूर्य पर्व है या नदी पर्व? हर सूर्य पर्व में नदी स्नान की बाध्यता है और हर नदी पर्व में सूर्य को अर्घ्य की। क्यों? कुल मिलाकर माघ का महीना, सूर्य, मकर राशि, संगम का तट, नदी का स्नान और खिचड़ी खाना-ये पांच मुख्य बातें मकर सक्रान्ति की तिथि से जुड़ी हैं। इनके विज्ञान उल्लेख हमारे उन पुरातन ग्रंथों में दर्ज है, जिन्हें हमने अंधकार के पोथे कहकर खोलने से ही परहेज मान लिया है। क्या है इनका विज्ञान? मकर सक्रान्ति माघ के महीने में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का पर्व है। आइये! जानते हैं कि क्या है सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का मतलब? सभी जानते हैं कि इस ब्रह्मांड में दो तरह के पिण्ड हैं। ऑक्सीजन प्रधान और कार्बन डाइऑक्साइड प्रधान। ऑक्सीजन प्रधान पिण्ड ‘जीवनवर्धक’ होते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड प्रधान ‘जीवनसंहारक’। बृहस्पति ग्रह जीवनवर्धक तत्वों का सर्वश्रेष्ठ स्रोत है। शुक्र सौम्य होने के बावजूद आसुरी है। रवि यानी सूर्य का द्वादशांश यानी बारहवां हिस्सा छोड़ दें, तो शेष भाग जीवनवर्धक है। सूर्य पर दिखता काला धब्बे वाला भाग मात्र ही जीवन सहांरक प्रभाव डालता है। वह भी उस क्षेत्र में, जहां उस क्षेत्र से निकले विकिरण पहुंचते हैं।
अलग-अलग समय में पृथ्वी के अलग-अलग भाग इस नकारात्मक प्रभाव में आते हैं। अमावस्या के निकट काल में जब चंद्रमा क्षीण हो जाता है, तब संहारक प्रभाव डालता है। शेष दिनों में, खासकर पूर्णिमा के दिनों में चंद्रमा जीवनवर्धक होता है। इसीलिए चंद्रमा और सूर्य के हिसाब से गणना के दो अलग-अलग विधान हैं। मंगल रक्त और बुद्धि... दोनों पर प्रभाव डालता है। बुध उभयपिण्ड है। जिस ग्रह का प्रभाव अधिक होता है, बुध उसके अनुकूल प्रभाव डालता है। इसीलिए इसे व्यापारी ग्रह कहा गया है। व्यापारी स्वाभाव वाला। छाया ग्रह राहु-केतु तो सदैव ही जीवनसंहारक यानी कार्बन डाइऑक्साइड से भरे पिण्ड हैं। इनसे जीवन की अपेक्षा करना बेकार है। जब-जब जीवनवर्धक ग्रह संहारक ग्रहों के मार्ग में अवरोध पैदा करते हैं। संहारक ग्रहों की राशि में प्रवेश कर उनके जीवनसंहारक तत्वों को हम तक आने से रोकने का प्रयास करते हैं; ऐसे संयोगों को हमारे शास्त्रों ने शुभ तिथियां माना। ऐसा ही एक संयोग मकर सक्रान्ति है।
शनि जीवनसंहारक शक्तियों का पुरोधा है। अलग-अलग ग्रह अलग-अलग राशि के स्वामी होते है। शनि मकर राशि का स्वामी ग्रह है। जिस क्षण से जीवनवर्धक सूर्य, जीवनसहांरक शनि की राशि में प्रवेश कर उसके नकरात्मक प्रभाव को रोकता है। वह पल ही मकर संक्रान्ति का शुभ संदेश लेकर आता है। तीसरा वैज्ञानिक संदर्भ संगम का तट, नदी का स्नान और सूर्य अर्घ्य के रिश्ते को लेकर है। हम जानते हैं कि नदियां सिर्फ पानी नहीं होती। हर नदी की अपनी एक अलग जैविकी होती है।...एक अलग पारिस्थितिकी। जहां दो अलग-अलग मार्ग से आने वाले जीवंत प्रवाह स्वाभाविक तौर पर मिलते हैं
ओ3म् का उच्चारण है चमत्कारिक !!
ReplyDelete- मृत कोशिकाएँ जीवित हो जाती है |
- नकारात्मक भाव बदलकर सकारात्मक हो जाते है |
- स्टिरोइड का स्तर कम हो जाता है |
- तनाव से मुक्ति मिलती है |
- चेहरे के भावों (फेसीयल एक्स्प्रेसन) को भी बदल डालता है |
- हमारे आस पासके वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है |
- मस्तिष्क में परिवर्तन होता है और स्वस्थ हो जाता है।
- पेट की तकलीफ दूर हो जाती है |
- मस्तिष्क व हृदय की कमजोरी यह सब दूर होता है।
आदि अनंत लाभ होते है ,ओ3म् का उच्चारण करते
जाये और रहस्य खोलते जाये |
एक वो चाय वाला है जो टैली कांफ्रेसिँग के जरिये जनता से संवाद करता है और एक ये IIT पास है जिसने दिल्ली के सचिवालय को चाय की दुकान बनाकर रख दिया ।
ReplyDeleteफिर कोई पत्ता पेड़ से झड़ गया यारों
ReplyDeleteकौनसा फर्क किसी को पड़ गया यारों
नौकरानी को तनख्वाह कम क्या मिली
"अंकल सैम"हम से उखड़ गया यारों
इस बाजू पाकिस्तान क्या कम था जो
आज चीन उस बाजू से चढ़ गया यारों
वो अनाज जो किसान ने ही उगाया था
वो उसी की आस में भूखों मर गया यारों
जो भीतर रखा उसे सियासी चूहे खा गए
जो बाहर था वो बारिश में सड़ गया यारों
रोटी न दी,सरकार ने"रोटी की गारंटी" दी
पेट पिचक के तब तक सिकुड़ गया यारों
"देश की माँ" किस कदर परेशान हो गयी
जब "पप्पू"इम्तिहानमें पिछड़ गया यारों
"टोपी वाला" भी अजब फितरत का निकला
जिसके कंधे पे बैठा,उसी से लड़ गया यारों
गायों को कटने से बचाने की फुर्सत किसे?
मुल्क "गे" रक्षा के लिए झगड़ गया यारों
हुकूमत तो "दामाद"का सूट सजाती रही
यहाँ वतन का पायजामा उधड़ गया यारों
शहीदों की बरसी पे सन्नाटा पसरा रहा वहाँ
वतन"सनी लियोन"के शो में उमड़ गया यारों
सियासत के मेले में इस कदर भीड़-भाड़ थी
"आप"का लोकपाल उनसे बिछड़ गया यारों
"हाथ"ने थाम लिया कसके,चने का झाड़
"आप" जैसा कोई "झाड़ू"ले के गया यारो
ज़िक्र "निर्भया" का जब भी कहीं भी हुआ
ज़मीर शर्म से ज़मीं में गड़ गया यारों
मैं पुरानी बातों पे अभी भी अटका हूँ यहाँ
मुल्क सब छोड़,कब का आगे बढ़ गया यारों...!!!! वंदे मातरम् !!!
Sabhi mitro ko Maker sankranti ki shubhkamanaye ..
ReplyDeleteAaeye supreme court me lambit hamare case ki kuch mahatvpuran baato se parchit ho le….
1. 18 dec 2013 ko gov dwara supreme court me slp daakhil ki gai…jise dairy no Diary Number 40659 OF 2013 mila….jo ki agle hi din rajistri deportment dwara pratham dristaya chek karne ke baad ... defective ghosit kar diya gaya…
2. Lekin gov advocate ne apni defective slp ko …..let latifi ke sath …. 3 jan 2014 ko wapas le liya
3. ………. Day of returning 3 jan se ..28 din ka samay tak ..defect door karne ke liye gov ko niyama anusaar samay prapt hai …jo ki 31 jan 2014 tak hai…..
4. arthat 31 jan 2014 tak gov apani defective slp ko sudhar sakti hai …iske baad bhi yadi defect door na hua to slp dead ho jayegi……. Aur punah gov ko naye sire se nayi slp daakhil karni padegi…
5. 31 jan ke baad yadi gov nai slp dalna chahati hai to …… lagbhag 20 feb 2014 tak …..nai slp kar sakti hai….. arthat … chunki highcourt ke db ka order 20 nov 2013 ko aaya tha atah slp me jane ka samay gov ko …. Niyama anushar 3 mahine ka mila hai jo ki 20 feb ko pura hoga…
6. Lekin 20 feb 2014 ke baad bhi gov kuch dino ka late application lagakar slp ..kuch dino ke baad bhi kar sakti hai
……………..
……………. Lekin bakre ki maa kab tak khair maayegi ………… umeed hai gov maamle ko itna nahi kheechegi……. Kyonki parsthitiy aisi nban rahi hai ki………… gov jal hi kabhi bhi apna defect door kar sakti hai……………..
1… jaise hi gov apna defect door karke proper filing karti hai …….. hamare caveat par likhit suchana dene ke baad hi……gov ko… dairy no se………..slp no prapt hoga ………aur uske baad hi supreme court me sunwai ki pahli date lagegi……….
2. sunwai ki pahli date par…….. sarwpratham …..is mudde par bahas hogi ki ………gov ki slp …admission ke layak hai ki nahi….aur yahi par ham yah sidhh karenge ki……wastav me gov ki slp ………. Kisi bhi sthiti me admission ke layak hai hi nahi………. Aur gov slp ko .. dissmiss karke …. ..old advertiesment par bharti ki prakriya jald se jald purn ki jaye……(waise bhi supreme court me dakhil hone wali lagbhag 90 pratishat slp pahli hi date par arthat admission stage par hi kharij ho jati hai}
3. hamara pura pryas rahega ki …….pahli hi date par ham safal ho jaye……………..lekin kisi karanwas yadi gov ki slp sweekar ho jati hai to …….. hame notice issu hogi………jis par hame counter …. Iske baad gov ko rejoinder … aur uske baad final hearing hoga……….aisi sthiti me bhi ham ……..gov ke slp ka ……. Karara jwab denge……… aur antath jeet hamari hi hogi…….
…………………………………..
…………………………………
Mai apne sathiyo ke sath …. Supreme court ki gatividhiyo par lagatar najar banaye hua hu……… aura age bhi ham ..najar banaye rakhne ke sath………………..tetmerit ki jeet tak …….. apna sarwotam pryas jaari rakhenge………….. aur samay samay par aapko supreme court ki mahtavpuran , takniki jankariyo avm pragti se awgat karate rahenge…….
………….aap sabhi tet sathyio se gujarish hai ki dhary banaye rakhne ke sath ……. Hame lagatar naitik rup se ……… sahyog avm samarthan dete rahe…………..
.Jai tet sangharsh morcha…….
Jai hind………
हमारी वसुंधरा से जुड़े कुछ मनोरंजक तथ्य.....
ReplyDelete1- पृथ्वी का एक दिन 23 घंटे 56 मिनट और 4.091 सेकेंड का होता है।
2- पृथ्वी का घनफल एक ट्रिलीयन घन किमी है।
क्या आप 1000 मीटर ऊँचे , 1000 मीटर लम्बे, 1000 मीटर चौड़े घन की कल्पना कर सकते है?
अब ऐसे एक ट्रिलीयन घन की कल्पना किजीये, वह पृथ्वी है!
3- पृथ्वी का द्रव्यमान 6,000,000,000,000,000,000,000,000 किलो है।
4- पृथ्वी पूरी तरह से गोल नहीं है। घू्र्णन से ध्रुवों पर चपटी है। ध्रुवों से व्यास 12,713.6 किमी (7882.4 मील) है लेकिन विषुवत पर 12,756.2 किमी (7908.8 मील ) है। दोनो में अंतर 43 किमी का है, जो 0.3 प्रतिशत है, यह ज़्यादा नहीं है लेकिन है।
5- पृथ्वी थोड़ी चपटी तो है लेकिन सूर्य और चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण उसे और चपटा करते है
जिसे हम ज्वार भाटा कहते हैं। जीहाँ यह प्रभाव सागर पर लगभग एक मीटर का होता है लेकिन ठोस
ज़मीन पर भी यह आधा मीटर होता है।
6- ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ पृथ्वी का वातावरण समाप्त हो कर अंतरिक्ष प्रारभ होता है। वातावरण
उंचाई के साथ पतला होता जाता है। आधिकारिक रूप से 100 किमी ऊँचाई पर अंतरिक्ष प्रारंभ
माना जाता है जिसे कारमन रेखा कहते है। इस ऊँचाई पार करने वाले को अंतरिक्ष यात्री कहा जाता है।
7- चंद्रमा का व्यास पृथ्वी का एक चौथाई है, जो उसे मातृ ग्रह की तुलना में सबसे बड़ा उपग्रह बनाता है। वैसे शेरान जो प्लूटो का सबसे बड़ा उपग्रह है, प्लूटो के व्यास के आधे से ज़्यादा व्यास का है। लेकिन अब प्लूटो ग्रह नहीं है, इसलिये चंद्रमा विजेता है !
8- चंद्रमा आपकी कल्पना ज़्यादा दूर है। यदि हम पृथ्वी बास्केटबाल की गेंद माने तो चंद्रमा 7.4
मीटर दूरी पर एक टेनिस की गेंद है।
9- पृथ्वी का वातावरण विद्युत चुंबकिय विकिरण के एक छोटे भाग को ही पार होने देता है जिसे हम
प्रकाश कहते है, अन्य मुख्य भाग जैसे अवरक्त , पराबैंगनी, क्ष किरण और गामा किरण रोक
दी जाती है। यह सब ख़तरनाक विकिरण है, अन्यथा जीवन संभव नहीं था।
10- पृथ्वी गरम हो रही है और यह एक तथ्य है।
11- पृथ्वी पर 200 से कम उल्कापात से बने क्रेटर है, जबकि चंद्रमा पर वे अरबों में है। पृथ्वी के कई
क्रेटर हवा पानी से नष्ट हो चुके है और वे करोड़ों वर्ष पूराने है जबकि चंद्रमा पर वे नये है।
12- एक क्षुद्रग्रह 2010 TKपृथ्वी की कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करता है लेकिन वह कभी पृथ्वी के क़रीब नहीं आयेगा। वह 300 मीटर लंबा है।
13- पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा एक दीर्घ वृत्त में करती है। पृथ्वी सूर्य की सबसे समिपस्थ स्थिति में
147.1 मिलियन किमी (91.3 मिलियन मील) तथा दूरस्थ स्थिति 152.1 मिलियन किमी (94.3
मिलियन मील ) दूर होती है।
14- यदि आप पृथ्वी के समस्त पानी की एक बुँद बनाये तो वह 1400 किमी (860 मील ) व्यास मात्र
की ही होगी।
15- पृथ्वी के वातावरण का वज़न 5000 ट्रिलीयन टन है।
Uttar Pradesh blacks out TV channels for criticizing Akhilesh govt--
ReplyDeleteTimes Now news was unavailable in Lucknow, Bareilly, Faizabad, Etawah, Allahabad, Gorakhpur and all of UP NCR, both national and regional channels of India News are off air since Friday evening. "Cable operators are not broadcasting both our channels in 12 TRP centres of UP," said an India News source. Opposition parties have slammed the SP government for punishing the media for exposing its failures
सूरज ने मकर राशि मेँ प्रवेश कर,
ReplyDeleteमकर संक्रांति आने का संदेश दिया ।
ईंटोँ के जंगल मेँ आज,
बहुत याद आया अपना देश ।
गन्ने के रस के उबाल की,
फैली हर तरफ गुड़ की सौँधी-सौँधी महक,
कूटे जाते तिलोँ का वो संगीत,
साथ देते सुरीले कण्ठोँ के सुरीले गीत,
गंगा स्नान और खिचड़ी का स्वाद,
रंगीन पतंगोँ से भरा आकाश,
और जोश भरी "वो-काटा" की गूँज,
सर्दियोँ को अलविदा कहने की धूम,
अब भी सब कुछ याद आता है,
जब-जब मकर संक्रांति का त्यौहार आता है ।।
मेरे सभी मित्रों को मकर संक्रांति पर्व की लख-लख बधाईयाँ...
Boy:" मूवी देखने चलो..
ReplyDelete.
Girl:" नहीं.. वहाँ तुम मुझे टच
करोगे...
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Boy:" नहीं करूँगा...
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Girl:" मेरा हाथ pakdoge...
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Boy:" नहीं pakdunga..
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Girl:" Mujhe kiss करोगे..
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Boy:" नहीं करूँगा..
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Girl:" तो फिर मुझे क्यों ले के जा रहा
है ढक्कन,
अपनी बहन के साथ ही चला जा..!
अगर आपको कभी मेरी कोई बात समझ मेँ न आये तो
ReplyDelete.
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तो समझ लेना चाहिये कि बात बडे स्तर की हो रही है ।
बौखलाए अखिलेश ने 'बंद' कराए दो चैनल
ReplyDeleteशोभित श्रीवास्तव / अमर उजाला, लखनऊ
Updated @ 12:08 PM IST
अखिलेश यादव ने मीडिया पर आग उगलने के अगले दिन ही शनिवार को दो टीवी चैनलों को ही यूपी में ब्लैक आउट करवा दिया।
अपना दल की राष्ट्रीय महासचिव अनुप्रिया पटेल ने इसकी निंदा करते हुए मनोरंजन कर मंत्री पवन पांडेय को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्री भी सत्ता के मद में चूर होकर अलोकतांत्रिक रवैया अपना रहे हैं।
पटेल ने आरोप लगाया कि प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया तो उनके चैनल भी बंद करवा दिए जाएंगे।
टाइम्स नाऊ और इंडिया न्यूज बंद
उल्लेखनीय है कि लखनऊ में केबल टीवी चलाने वाले दो प्रमुख डेन व डिजि केबल ऑपरेटर हैं। इन दोनों ऑपरेटरों के केबल पर दोपहर 12 बजे के बाद से टाइम्स नाऊ व इंडिया न्यूज चैनल का प्रसारण बंद हो गया।
सूत्रों के अनुसार केबल ऑपरेटरों के पास शनिवार सुबह फोन आया और इन चैनलों के प्रसारण बंद करने के लिए कहा गया। इसी के बाद प्रसारण ठप कर दिया गया।
हालांकि, डेन संचालक योगेश ने कहा कि किसी भी न्यूज चैनल का प्रसारण बंद नहीं किया गया है। यदि किसी इलाके में यह नहीं आ रहे हैं तो यह उस इलाके की तकनीकी दिक्कत हो सकती है।
विपक्ष ने घेरा
मुख्यमंत्री के इस कदम पर विपक्ष ने उन्हें घेर लिया है। सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी का कहना है कि यह एक निंदनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि अगर चैनल शिकायत दर्ज करता है, तो इस पर कड़ी कार्रवाई होगी।
बताते चलें कि पिछले दिनों सैफई महोत्सव पर निगेटिव कवरेज करने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मीडिया को जमकर कोसा था। उन्होंने कहा था कि मीडिया ने महोत्सव का दुष्प्रचार किया है। उन्होंने एक पत्रकार को उनसे और नेताजी से माफी मांगने की भी बात कही थी।
पत्रकार :- आप ने तो कहा था न समर्थन देंगे न लेंगे ?
ReplyDeleteईमानदार :- हा कहा था पर उन्होंने जबर्दस्ती दे दिया
पत्रकार :- आप तो "मुख्यमंत्री'' भी नहीं बनना चाहते थे ?
ईमानदार :- हा पर मेरे एक "वकील" कि "निजी राय" के कारण बनना पड़ा
पत्रकार :- आप तो बंगला भी नहीं लेने वाले थे ?
ईमानदार :- हा पर वो तो 10 कमरो का छोटा सा 9000 sq ft का सस्ता सा 200 करोड़ का फ्लैट था जो जनता ने हमसे छीन लिया
पत्रकार :- आप तो सुरक्षा भी नहीं लेने वाले थे पर अब z श्रेणी की ?
ईमानदार :- हा नहीं लेने वाले थे पर हमारे एक मंत्री पर "गेंद" से "खतरनाक" हमला हुआ इसलिए लेनी पड़ी
पत्रकार :- आप तो 15 दिन में "जनलोकपाल" लाने वाले थे जनलोकपाल का "ज" भी नहीं दिखाई दे रहा है ?.
ईमानदार :-देखिये ऊपर के इतने वादे पूरे किये है एक आध नहीं भी करेंगे तो भी जनता हमे वोट देगी ,क्योकी जनता मूर्ख
होती है |
अभी-अभी बाजार मेँ मीडिया के पत्रकार टोह लेते घूम रहे थे कि युवा वोट किसे देँगे ।
ReplyDeleteपेश है वार्तालाप-
पत्रकार- आप किसे वोट देँगे ?
छोरा- मोदी कू ।
पत्रकार दूसरे से- आप किसे वोट देँगे ?
दूसरा छोरा- बीजेपी कू , मोदी कू
पत्रकार तीसरे से- आप किसे वोट देँगे ?
तीसरा छोरा- मोदी कू
पत्रकार- आम आदमी पार्टी को क्योँ नही देँगे ?
छोरा - क्यूँ केजरीवाल तेरा रिश्तेदार लगै के ???
जिब बता दिया मोदी कू देँगे तो आम्बी अमरुद पै क्यूँ चढरा ।
पत्रकार हैरान परेशान!!!!!!!
जय मोदिराज।।।।
Kapildev Yadav>उवाच्
ReplyDelete.
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दोस्तो आप लोगों के कहने पर मैं 16 को डिफेक्ट दूर कर लूँगा। मुझसे एक बड़ी भूल हो गयी कि मैंने आपके पैसों से कपसेठी मार्केट में एक प्लाट खरीद लिया जिसकी वजह से पैसों की कमी हो गयी है। आप सब अकेडमिक वाले मुझे केवल चार लाख रुपये दे दीजिये मैं पूरा सुप्रीम कोर्ट हिला दूँगा। मैं आप सब के माँ की कसम खा के कहता हूँ कि यदि मेरे पास केवल चार लाख और आ जाएँ तो राकेश द्विवेदी मेरे अँगूठे के इशारे पे नाचेगा। कुछ जिलों से सूचना मिल रही है कि टेँटुए अकेडमिक वालों से पैसा वसूल करके अपने संगठन में दे रहे हैं। मेरे लाख कोशिश के बावजूद मेरी SLP लीक हो गयी जो कि मेरी कमजोरी साबित हो रही है और मेरी चिंता का कारण ये है कि मैंने जिस उकील पर भरोसा किया था उसने ही मेरी फाइल टेटुऔं को दो हजार में दे दी।
अकेडमिक भाइयों हम टेटुओं से बहुत जादा कमजोर हैं अगर आप मुझे पैसा नहीं देंगे तो मेरी रीट पैसे के अभाव में दम तोड़ देगी। मैं आपसे हाथ जोड़कर भीख माँगता हूँ कि आप मुझे चार लाख का सहयोग करें।
ACD समर्थक शब्द अब मजाक का पात्र बन चूका है dear...... देख नहीं रहे हो कि govt और कपिलदेव मिलकर भी sc में एक slp तक नहीं कर पा रहे हैं.. .... जाओ पहले कपिल का पेट भरो और उसकी रुपया कमाने की हबस पूरी करो तब acd की तेरहवीं खाने को मिलेगी ..... मूर्ख ऐसे ही होते हैं....... जब 15वाँ संशोधन ही नहीं रहा और जिसे बचाने की अपील का डिफेक्ट 25 दिनों में सरकार दूर नहीं कर पाई तो ऐसे क़ानून का समर्थन करने वालों को क्या कहेंगे... .. .
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कमी जिस चीज़ की है वो मुहब्बत है
यहाँ वरना
अदावत है तिजारत है बग़ावत है सियासत है !
मकर संक्रान्ति - क्यों और कैसे...???
ReplyDelete1. माना जाता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं,अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
2. महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रान्ति का ही चयन किया था।
3. मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिल गयी थीं।
4. कहते है भगवान श्री राम ने अपने साथियो के साथ इस दिन एक पतंग उड़ाई थी जो सीधे इंद्रलोक तक पहुंच गई थी।(इस दिन सूर्य मकर रेखा से उत्तर रेखा की और आना आरंभ करता है सूर्य देव का उत्तर रेखा की ओर आने से पतंग को आसमान मे उड़ाकर उनके आने का स्वागत किया जाता है)मकर संक्रांति (उत्तर भारत) के दिन ही दक्षिण भारत में, विशेष रूप से तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में पोंगल पर्व मनाया जाता है। पोंगल तमिल हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है....यह प्रति वर्ष १४-१५ जनवरी को मनाया जाता है ..... इसकी तुलना नवान्न से की जा सकती है ,जो फसल की कटाई का उत्सव होता है....तमिल में पोंगल का अर्थ,उफान या विप्लव होता है....तीन दिन के इस पर्व में सूर्य की पूजा, पशु धन की पूजा और सामूहिक स्तर पर प्रसन्नता की अभिव्यक्ति होती है।असम में मकर संक्रांति को बीहू के नाम से मनाया जाता है।
Zindagi Hai Nadan Isi Liye Chup Hoon,
ReplyDeleteDard Hi Dard Subah Shaam Isi Liye Chup Hoon.
Keh Du Zamane Se Dastan Apni,
Usme Aayega Uska Naam Isi Liye Chup Hoon..