इलाहाबाद : शैक्षणिक मेरिट उत्थान समिति के बैनर तले रविवार को आजाद पार्क में टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की सभा हुई। इसमें इलाहाबाद के अलावा दूसरों जिलों के अभ्यर्थी भी शामिल हुए। सभा में काफी समय से लंबित 72825 प्राथमिक शिक्षक भर्ती पर चर्चा की गई। समिति के जिलाध्यक्ष सुशील यादव ने कहा कि मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाने के साथ जनता के बीच जाकर समर्थन हासिल किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
पीके मिश्र ने कहा कि टीईटी पात्रता परीक्षा है न कि अध्यापक चयन परीक्षा। इस परीक्षा को नियुक्ति का आधार नहीं बनाया जा सकता। अशोक दुबे ने कहा कि पूरा मामला अधर में लटकने से हजारों अभ्यर्थियों को आर्थिक व मानसिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुंवर सिंह यादव ने अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अखिलेश सिंह, अजय, अरविंद वर्मा, संदीप यादव, संदीप पांडेय, विजय दुबे, विजय सिंह, सुशील सिंह, बद्रेआलम, अतुल यादव, मनोज, सुभाष यादव, विनय पांडेय, सूरज शुक्ल आदि मौजूद रहे।
News Sabhaar : Jagran (Sun, 12 Jan 2014 08:11 PM (IST))
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ReplyDeleteकपिल देव यादव को अब भी उम्मीद
ReplyDeleteहै कि वह sc मे पार्टी बनेंगे ! टेट
को निरस्त करवा देंगे ! अकेडमिक से
भर्ती करवा देंगे ! अपने
आपको जुर्माना से बचा लेंगे !
क्योंकि उनके पास इतनी अक्ल है
कि वह sc के न्यायाधीशों को भ्रमित
कर देंगे उन्हे बेबकूफ बना देंगे ?
एकल पीठ को इनकी मंशा समझने मे
6 माह लगे । डबल बेँच को 15 मिनट
लगे। इस हिसाब से sc को 15 सेकेँड
भी नही लगेंगे । बस महोदय
अपनी slp की कमियाँ दूर कर अंत
की तारीख तय कर लें यह तो इन्हे
ही तय करने का अधिकार है अधिक
से अधिक 20 फरवरी तक अपने अंत
की तारीख टाल सकते है ।
युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने विवेकानंद ने दिए
ReplyDeleteअनमोल विचार-
-उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य
ना प्राप्त हो जाये.
- उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम
निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव
हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो,
ना ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के
सेवक नहीं हो।
-ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं।
वो हम हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और
फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है!
-जिस तरह से विभिन्न स्त्रोतों से उत्पन्न धाराएं
अपना जल समुद्र में मिला देती हैं, उसी प्रकार
मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे
अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है।
-किसी की निंदा ना करें। अगर आप मदद के लिए
हाथ बढ़ा सकते हैं, तो जरूर बढ़ाएं। अगर
नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िए, अपने
भाइयों को आशीर्वाद दीजिए, और उन्हें उनके मार्ग
पर जाने दीजिए।
-कभी मत सोचिए कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है।
ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। अगर कोई पाप
है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल
हो या अन्य निर्बल हैं।
-अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे,
तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई
का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल
जाये उतना बेहतर है।
-एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो।
-उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है,
जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
- हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए
इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं।
शब्द गौण हैं। विचार रहते हैं, वे दूर तक
यात्रा करते हैं।
-जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक
आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
-सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर
भी हर एक सत्य ही होगा।
- विश्व एक व्यायामशाला है, जहां हम खुद
को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
- इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, न
कि प्रकार के,
क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है।
-हम जितना ज्यादा बाहर जायें और
दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध
होगा, और परमात्मा उसमे बसेंगे।
Ab jeet dur nahi . .
ReplyDeleteSarkar ne dhakka to diya hame dubane ko,
.
Anjam ye raha ham sb tairak(vakeel) ban gaye.
एक बार पप्पू अपने पड़ोस में जाता है और दरवाज़े की घंटी बजाता है जो सुन कर उस घर में रहने वाली महिला दरवाज़ा खोलती है।
ReplyDeleteमहिला: अरे बेटा पप्पू क्या हुआ?
पप्पू: आंटी मम्मी ने एक कटोरी चीनी मंगाई है।
महिला मुस्कुरा कर पप्पू का सिर सहलाते हुए कहती है, "अच्छा और क्या कहा है तेरी मम्मी ने?"
पप्पू: कहा है कि अगर वो डायन न दे तो सामने वाली चुड़ैल से ले आना।
Ek Sach Chupa Hota Hai :- Jab Koi Kisi Ko Kehta Hai Ki "Mazaak Tha Yaar".
ReplyDeleteEk Feeling Chupi Hoti Hai :- Jab Koi Kehta Hai "Mujhe Koi Farq Nahi Padta".
Ek Dard Chupa Hota Hai :- Jab Koi Kehta Hai "Its Ok".
Ek Zarurat Chupi Hoti Hai :- Jab Koi Kehta Hai "Mujhe Akela Chhod Do".
Ek Gehri Baat Chupi Hoti Hai :- Jab Koi Kehta Hai "Pata Nahi".
Ek Samundar Chupa Hota Hai Baato Ka :- Jab Koi "Khamosh Rehta Hai".....!!
Ek Ajnabi......
Kabhi Jo Thak Jao Tum Duniya Ki Mehfilo se..!!
ReplyDeleteHume Aawaj De Dena Hum Aksar Akele Hote Hai….
कपिलदेव यादव की SLP पर SC में बहस होने से पहले अगर सरकार ने दुगने पदों पर टेट मेरिट से चयन की सहमति नहीं दी तो जल्द ही कपिलदेव और जावेद उस्मानी तिहाड़ जेल की एक ही सेल में बंद नजर आयेंगे..... RETROSPECTIVE EFFECT से किसी चयन प्रक्रिया में संशोधन करने और कराने का प्रयास भी विधि के शासन के मूल सिद्दांत का मजाक उडाना है जिसके अंजाम कितने गंभीर हो सकते हैं इसका निर्णय अब सर्वोच्च न्यायालय में होगा........
ReplyDeleteअव्वल तो ACD वालों की SLP एडमिशन स्टेज पर ही खारिज हो जायेगी लेकिन यदि ऐसा ना हुआ तो हमें यह देखना होगा कि उस slp में कौन से सवाल उठाये गए हैं जिसके आधार पर हमें यह निर्णय लेना होगा कि हमें उस केस में पार्टी बनना चाहिए या नहीं,,,,,,,
SLP MEANS
ReplyDeleteSpecial leave petition means that you take special permission to be heard in appeal against any High Court/tribunal verdict. Usually any issue decided by the State High Court is considered as final, but if there exist any constitutional issue or legal issue which can only be clarified by the Supreme Court of India then, this leave is granted by the Supreme Court & this is heard as a Civil or Criminal appeal as the case may be. Going to the Supreme Court in appeal should not be considered a matter of right by any one but it is matter of privilege which only the Supreme Court will grant to any individual if there exist an important constitutional or legal issue involved in any case that was not properly interpreted by the concerned High Court against whose judgment you approach the Highest court of the country not otherwise Special leave petition means that you take special permission to be heard in appeal against any High Court/tribunal verdict. Usually any issue decided by the State High Court is considered as final, but if there exist any constitutional issue or legal issue which can only be clarified by the Supreme Court of India then, this leave is granted by the Supreme Court & this is heard as a Civil or Criminal appeal as the case may be. Going to the Supreme Court in appeal should not be considered a matter of right by any one but it is matter of privilege which only the Supreme Court will grant to any individual if there exist an important constitutional or legal issue involved in any case that was not properly interpreted by the concerned High Court against whose judgment you approach the Highest court of the country not otherwise.
ईश्वर की तरफ से शिकायत:
ReplyDeleteमेरे प्रिय...
सुबह तुम जैसे ही सो कर उठे, मैं
तुम्हारे बिस्तर के पास
ही खड़ा था।
मुझे लगा कि तुम मुझसे कुछ बात
करोगे।
तुम कल या पिछले हफ्ते हुई
किसी बात या घटना के लिये मुझे
धन्यवाद कहोगे।
लेकिन तुम फटाफट चाय पी कर
तैयार होने चले गए और मेरी तरफ
देखा भी नहीं!!!
फिर मैंने सोचा कि तुम नहा के मुझे
याद करोगे।
पर तुम इस उधेड़बुन में लग गये
कि तुम्हे आज कौन से कपड़े पहनने
है!!! फिर जब तुम जल्दी से
नाश्ता कर रहे थे और अपने ऑफिस
के कागज़ इक्कठे करने के लिये घर में
इधर से उधर दौड़ रहे
थे...तो भी मुझे लगा कि शायद अब
तुम्हे मेरा ध्यान आयेगा,लेकिन
ऐसा नहीं हुआ।
फिर जब तुमने आफिस जाने के लिए
ट्रेन पकड़ी तो मैं समझा कि इस
खाली समय का उपयोग तुम मुझसे
बातचीत करने में करोगे पर तुमने
थोड़ी देर
पेपर पढ़ा और फिर खेलने लग गए
अपने मोबाइल में और मैं
खड़ा का खड़ा ही रह गया।
मैं तुम्हें
बताना चाहता था कि दिन
का कुछ हिस्सा मेरे साथ
बिता कर तो देखो, तुम्हारे काम
और भी अच्छी तरह से होने लगेंगे,
लेकिन तुमनें मुझसे बात
ही नहीं की...
एक मौका ऐसा भी आया जब तुम
बिलकुल खाली थे और कुर्सी पर
पूरे 15 मिनट यूं ही बैठे रहे,लेकिन
तब भी तुम्हें मेरा ध्यान
नहीं आया। दोपहर के खाने के वक्त
जब तुम इधर- उधर देख रहे
थे,तो भी मुझे लगा कि खाना खाने
से पहले तुम एक पल के लिये मेरे
बारे में सोचोंगे,लेकिन
ऐसा नहीं हुआ। दिन का अब
भी काफी समय बचा था।
मुझे लगा कि शायद इस बचे समय में
हमारी बात हो जायेगी,लेकिन
घर पहुँचने के बाद तुम
रोज़मर्रा के कामों में व्यस्त
हो गये। जब वे काम निबट गये
तो तुमनें टीवी खोल लिया और
घंटो टीवी देखते रहे। देर रात
थककर तुम बिस्तर पर आ लेटे।
तुमनें अपनी पत्नी,
बच्चों को शुभरात्रि कहा और
चुपचाप चादर ओढ़कर सो गये।
मेरा बड़ा मन था कि मैं
भी तुम्हारी दिनचर्या का हिस्स
तुम्हारे साथ कुछ वक्त बिताऊँ...
तुम्हारी कुछ सुनूं...
तुम्हे कुछ सुनाऊँ।
कुछ मार्गदर्शन करूँ
तुम्हारा ताकि तुम्हें समझ आए
कि तुम किसलिए इस धरती पर
आए हो और किन कामों में उलझ गए
हो, लेकिन तुम्हें समय
ही नहीं मिला और मैं मन मार कर
ही रह गया।
मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूँ।
हर रोज़ मैं इस बात का इंतज़ार
करता हूँ कि तुम मेरा ध्यान
करोगे और
अपनी छोटी छोटी खुशियों के
लिए मेरा धन्यवाद करोगे। पर
तुम तब ही आते हो जब तुम्हें कुछ
चाहिए होता है। तुम जल्दी में आते
हो और अपनी माँगें मेरे आगे रख के
चले जाते हो।और मजे की बात
तो ये है कि इस प्रक्रिया में तुम
मेरी तरफ देखते भी नहीं। ध्यान
तुम्हारा उस समय
भी लोगों की तरफ
ही लगा रहता है,और मैं इंतज़ार
करता ही रह जाता हूँ।
खैर कोई बात नहीं...हो सकता है
कल तुम्हें मेरी याद आ जाये!!!
ऐसा मुझे विश्वास है और मुझे तुम में
आस्था है।
आखिरकार मेरा दूसरा नाम...
आस्था और विश्वास ही तो है ।
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विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। संगीत, साहित्य और दर्शन में विवेकानंद को विशेष रुचि थी। तैराकी, घुड़सवारी और कुश्ती उनका शौक था। 1884 में उनके पिता विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई। पिता की मृत्यु के बाद अत्यंत गरीबी की मार ने उनके चित्त को कभी डिगने नहीं दिया।
ReplyDeleteसंदेह :
वे जैसे-जैसे बड़े होते गए सभी धर्म और दर्शनों के प्रति अविश्वास से भर गए। संदेहवादी, उलझन और प्रतिवाद के चलते किसी भी विचारधारा में विश्वास नहीं किया। जब तक कि खुद नहीं जान लिया कि आखिर सत्य क्या है, कभी कुछ भी तय नहीं किया। अपनी जिज्ञासाएं शांत करने के लिए पहले ब्रह्म समाज गए। इसके अलावा कई साधु-संतों के पास भटकने के बाद अंतत: रामकृष्ण के सामने हार गए। रामकृष्ण के रहस्यमय व्यक्तित्व ने उन्हें प्रभावित किया, जिससे उनका जीवन बदल गया। 1881 में रामकृष्ण को उन्होंने अपना गुरु बनाया।
यात्राएं :
1886में रामकृष्ण के निधन के बाद जीवन एवं कार्यों को उन्होंने नया मोड़ दिया। 25 वर्ष की अवस्था में उन्होंने गेरुआ वस्त्र पहन लिया। तत्पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की। गरीब, निर्धन और सामाजिक बुराई से ग्रस्त देश के हालात देखकर दुःख और दुविधा में रहे। उसी दौरान उन्हें सूचना मिली कि शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है।
उन्होंनेवहां जाने का निश्चय किया। विदेशों में भी उन्होंने अनेक स्थान की यात्राएं की। वहाँ से आने के बाद देश में प्रमुख विचारक के रूप में उन्हें सम्मान और प्रतिष्ठा मिली। 1899 में उन्होंने पुन: पश्चिम जगत की यात्रा की तथा भारतीय आध्यात्मिकता का संदेश फैलाया।
शिकागो में गूंज :
सन् 1893 में शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन 'पार्लियामेंट ऑफ रिलीजन्स' में अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने 'बहनों और भाइयों' कहकर की। इस शुरुआत से ही सभी के मन में बदलाव हो गया, क्योंकि पश्चिम में सभी 'लेडीस एंड जेंटलमैन' कहकर शुरुआत करते हैं, किंतु उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गए।
दर्शन :
विवेकानंद पर वेदांत दर्शन, बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग और गीता के कर्मवाद का गहरा प्रभाव पड़ा। वेदांत, बौद्ध और गीता के दर्शन को मिलाकर उन्होंने अपना दर्शन गढ़ा ऐसा नहीं कहा जा सकता। उनके दर्शन का मूल वेदांत और योग ही रहा।
विवेकानंद मूर्तिपूजा को महत्व नहीं देते थे, लेकिन वे इसका विरोध भी नहीं करते थे। उनके अनुसार 'ईश्वर' निराकार है। ईश्वर सभी तत्वों में निहित एकत्व है। जगत ईश्वर की ही सृष्टि है। आत्मा का कर्त्तव्य है कि शरीर रहते ही 'आत्मा के अमरत्व' को जानना। मनुष्य का चरम भाग्य 'अमरता की अनुभूति' ही है। राजयोग ही मोक्ष का मार्ग है।
निधन :मात्र 39 वर्ष की उम्र में 4 जुलाई 1902 को उनका निधन हो गया।
''मेरे कच्चे घर की दिवार पर,
ReplyDeleteएक पीपल का पौधा उगा ,
मैंने सोचा जाने दो ,
पीपल का पौधा पूजनीय है ,
और मैंने ...
उसे यूं ही छोड़ दिया ...उगने दिया,
धीरे धीरे वह पौधा और बढ़ा,
उसकी जडें गहरी होती गयी,
मेरे कच्चे घर की दीवारों में ,
वो खूब फैला तो ...
मेरे घर की दीवारें चटखने लगीं,
उनमे दरारें पड़ने लगीं,
मैंने डर कर कोशिश की ,
उसको जड़ से उखाड़ दूं ,
पर ......
इसके साथ ही दिवार गिरने का,
खतरा भी ,
सिर पर मेरे मंडराता रहा ,
मैं असहाय हूँ अब ,
ना पौधा निकाल पाता हूँ ,
ना ही दिवार गिराना चाहता हूँ ,
मैं दुखी हूँ उस पल पर ,
जब मैंने उसे,
छोटा पौधा समझा ,
उसे सींचा,
बढ़ने का मौका दिया,
मुझे चाहिए था ,
उसे उसी समय निकाल देता,
तो आज मेरे कच्चे घर की दीवारों का,
इतना बुरा हाल ना होता|''
यदि आपका मोबाइल खो जाता है या चोरी हो जाता है तो सबसे पहले निम्न जानकारी को cop@ vsnl.net पते पर ईमेल करें -
ReplyDeleteYour name:
Address:
Phone model Make Last used No E-mail for communication Missed date
IMEI No.
24 घंटे के भीतर ही खोज लिया जाएगा कि आपका मोबाइल कहाँ प्रयोग किया जा रहा है।
True friends are always there for you. Fake friends only appear when they want something from you.
ReplyDeleteजागते ही हथेली के दर्शन शुभ
ReplyDelete*******************************
प्रातः उठते ही हमारी आँखें उनींदी होती हैं। ऐसे में यदि दूर की वस्तु या रोशनी हमारी दृष्टि पर पड़ेगी तो आँखों पर कुप्रभाव पड़ेगा। शास्त्रों में प्रातःकाल जागते ही सबसे पहले दोनों हथेलियों के दर्शन का विधान बताया गया है। प्रातः दिखने वाली आकृति का दिन में प्रभाव अवश्य होता है।
दिन के क्रियाकलापों पर जीवन के चारों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, कर्म और मोक्ष) का घनिष्ठ संबंध है। इनकी सहज और सुगम प्राप्ति के लिए हाथों की हथेली का दर्शन करके यह मंत्र पढ़ना चाहिए- कराग्रे वसति लक्ष्मीः, कर मध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविन्दः, प्रभाते कर दर्शनम् (कहीं-कहीं "गोविन्दः के स्थान पर "ब्रह्मां" का प्रयोग किया जाता है।)
भावार्थ :-
**********
हथेलियों के अग्रभाग में भगवती लक्ष्मी, मध्य भाग में विद्यादात्री सरस्वती और मूल भाग में भगवान गोविन्द (ब्रह्मा) का निवास है। मैं अपनी हथेलियों में इनका दर्शन करता हूँ।
यह क्रिया करते समय हमें यही ध्यान में रखना चाहिए कि हाथों के अग्रभाग में देवी लक्ष्मी का वास है। मध्य अर्थात हथेली में सरस्वती देवी का निवास है।
हथेली और कलाई के हिस्से (मूल भाग) में ब्रह्माजी या गोविन्द का निवास है। इनके दर्शन कर दिन का आरंभ करना चाहिए। इससे उसके कार्य में उत्तम फलों की प्राप्ति सुनिश्चित है। वेद व्यास ने करोपलब्धि को परम लाभप्रद माना है। कर तल में हम देव दर्शन करें, ताकि हमारी वृत्तियाँ भगवान के चिंतन की ओर प्रवृत्त हों।
इससे शुद्ध, सात्विक कार्य करने की प्रेरणा मिलती है, साथ ही पराश्रित न रहकर विचारपूर्वक अपने परिश्रम से जीविका कमाने की भावना पैदा होती है। यह मंत्र उच्चारित कर हथेलियों को परस्पर घर्षण करके उन्हें अपने चेहरे पर लगाना चाहिए। ऐसा करने से दिन शुभ व्यतीत होता है। साथ ही बल व तेज की भी प्राप्ति होती है।
एक शख्स जो अन्ना के समर्थन में खड़ा हुआ वो आज दिल्ली का मुख्यमंत्री है, वही दूसरा शख्स जिसने अन्ना के आन्दोन में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते हुए शहादत दे दी, उसका परिवार आज दर-दर की ठोकरे खा रहा है. एक ही आन्दोलन से अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने तो दिनेश यादव का परिवार आज भी बिहार के एक गांव में दाने-दाने को मोहताज है. दिनेश यादव वो शख्स था जिसने 2011 के अन्ना के अगस्त आन्दोलन में अन्ना के सामने 21 अगस्त को उसी रामलीला मैदान में आत्मदाह कर लिया था, उसी मैदान में जहां शपथ लेकर केजरीवाल मुख्यमंत्री बने हैं.
ReplyDeleteपटना से महज 45 किमी. दूर पालीगंज के सर्फुद्दीनपुर गांव में दिनेश यादव का परिवार दाने-दाने को मोहजात है. इस परिवार ने अपने मुखिया को अन्ना आंदोलन में खो दिया. दिनेश की पत्नी करके परिवार का पेट पालती है. जब दिनेश की मौत हुई तब बड़े-बड़े लोग गांव आए, उसे मदद का भरोसा दिया, पर अब जबकि दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बन गई तो इस गांव में दिनेश के परिवार का हाल लेने ना तो अन्ना के लोग आए ना ही केजरीवाल के लोग.
दिनेश की पत्नी ममतिया देवी कहती है- 'बड़े लोग हैं, बड़ी-बड़ी बात करते हैं, कोई पूछने नहीं आया, दूसरों के घर में काम करती हूं, तभी खाना मिलता है, काम नहीं करती तो परिवार भूखा रहता है.'
ये परिवार सुर्खियों में तब आया जब 21 अगस्त 2011 को दिनेश यादव ने रामलीला मैदान में अन्ना के अनशन में ही आत्मदाह करने की कोशिश की और 8 दिन बाद दिल्ली के अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया. दो साल से ज्यादा गुजर गए पर इस परिवार की सुध लेने ना तो टीम अन्ना आई ना ही टीम केजरीवाल. परिवार के मुताबिक अन्ना आन्दोलन में जोश में भरे दिनेश ने अन्ना को भूखा देखकर खुद को आग लगा ली थी.
दिनेश के भाई बृजमोहन यादव के मुताबिक 'वो हमेशा भ्रष्टाचार से लड़ने की बात करता था. अन्ना की बात करता था, उसने देखा कि अन्ना की नहीं सुनी जा रही तो वो बिना बताए दिल्ली चला गया और उसने आत्मदाह कर लिया. लेकिन उसे पूछने कोई नहीं आया.'
दिनेश यादव के 5 छोटे बच्चे हैं जो स्कूल नहीं जा पाते. मां के पास पैसा नहीं. परिवार में बड़ा बेटा अन्ना आंदोलन की भेट चढ़ गया. बूढी मां के आज भी आंसू नहीं थम रहे. पर जैसे ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी इस परिवार की आस जगी थी. पर किसी ने कोई सुध नहीं ली. ये परिवार नहीं चाहता कि कोई उसे भीख में पैसे दे, पर वो दिनेश की स्मारक दिल्ली में चाहता है ताकि आन्दोलन में उसकी भूमिका भी याद की जाए.
दिनेश के दोस्त विभूति याद करते हुए कहते है, 'हम जब उसे दिल्ली के अस्पताल में जली हालत में मिले तो उसने कहा था कि उसने भ्रष्टाचार के खिलाफ ये काम किया है.
बहरहाल दिनेश को लोग शायद ही याद करें पर जो उम्मीद टीम अन्ना और केजरीवाल से इस परिवार को थी, वह टूट गई है, परिवार को ना तो आर्थिक सहायता मिली, ना ही कोई दूसरी मदद पर ये परिवार. इतनी उम्मीद जरूर लगा रखी है कि उसे उसके शहादत के लिए याद किया जाएगा.
Good Morning
ReplyDeleteSahi ko pahchane majbur nahi Majbut Sarkar chahiye.
Congress ki b team jo congress ke khilaf election fight karne ka natak kar Janta ke voto ka batvara karti hai.
Last me congress se milkar Sarkar banati hai.
Please aisi kisi party ko vote na de Jinka Ghadbandhan congress se kendra me ho jai.
Congress Mukt Bharat.
You might be feeling worthless to one person, but don't forget, you are priceless to another.
ReplyDeleteतुमसे मोहब्बत तेरी औक़ात से ज़्यादा की थी,
ReplyDeleteअब बात नफ़रत की है सोच तेरा क्या होगा...
दरअसल केजरीवाल को और उसकी पार्टी को लगने लगा है की दिल्ली में सरकार चलाना आसान नहीं है,
ReplyDeleteऔर उनपर भ्रष्टाचारी काँग्रेस का समर्थन लेने का लांछन भी लग रहा है और इस आरोप में लोगों को सचाई भी नज़र आ रही है !
उनको ये भी समझ आ रहा है की लोगों की नज़र में उनकी भ्रष्टाचार विरोधी छवि और मुहीम भी धूमिल हो रही है !
और सरकार चलाने से उनको और पार्टी को फायेदा कम और नुकसान ज्येदा हो रहा है !
अब उनको लग रहा है की इसमें ही समझदारी है की शहीद हो कर देश के लोगों की सहानभूति बटोर ली जाये !
इसके लिये उन्होंने एक योजना बनाई है की किसी प्रकार काँग्रेस को भड़काया जाये की वो उनकी सरकार से अपना समर्थन वापिस ले ले !!
१.- अब एक तो वो कुमार विश्वास को राहुल गाँधी के विरुद्ध उतार कर काँग्रेस वालों को भड़का रहें हैं जिससे काँग्रेस वाले भड़क कर और अपने काँग्रेसी कार्यकर्ताओं के दबाव में आ कर उनकी सरकार से समर्थन वापिस ले ले !
२.- दूसरा जल्दी ही वो शीला दीक्षित और काँग्रेस के मन्त्रियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा कर केस शुरू कर के दिल्ली के काँग्रेस पार्टी पर दबाव बनवायेंगे की वो समर्थन वापिस ले ले !
इससे उनको शहीद होने का फायेदा हो जाये गा और जनता को ये कह कर बेवकूफ बनायेंगे की हम को काम नहीं करने दिया गया, अब हमें दुबारा जिताइए !
ये है केजरीवाल की दिल्ली सरकार को गिरा कर देश में सहानभूति पैदा की जाये और अपनी हवा बनाने के कुत्सित योजना को अंजाम दिया जाये !
सावधान हो जाइये !!
उरद की दाल से बना दही वड़ा ।
ReplyDelete______________________
मित्रो आयूर्वेद के अनुसार कभी भी दो विरुद्ध वस्तूये एक साथ नहीं खानी चाहिए ।
विरुद्ध वस्तुओ से अभिप्राय ऐसी वस्तूए जिनका गुण - धर्म अलग हो ।
ऐसी कुछ 103 चीज़े आयूर्वेद में बाताई गई है । जो एक साथ कभी नहीं खानी चाहिए ।
उदाहरण के लिये प्याज और दूध कभी एक साथ न खाये ।
एक दुसरे के जानी दुशमन हैं । इसको खाने से सबसे ज्यादा चमड़ी के रोग आपको
होगें दाद,खाज ,खुजली,एगसिमा ,सोराईसिस, आदि ।
ऐसी ही कटहल (jack fruit )और दूध कभी न खाये । ये भी जानी दुश्मन हैं ।
ऐसे ही खट्टे फ़ल जिनमे सिट्रिक ऐसिड होता है कभी न खायें । एक सिट्रिक
ऐसिड तो इनसान का बनाया है एक भगवान का बनाया है । जैसे संतरा । कभी दूध
के साथ न खाये ।
आयुर्वेद के अनुसार अगर कोई खट्टा फ़ल दूध के साथ खाने वाला है वो एक
ही है आवला । आवला दूध के साथ जरुर खाये ।
इसी तरह शहद और घी कभी भी एक साथ न खायें ।
आम की दोस्ती दूध से जबरद्स्त हैं लेकिन खट्टे आम की नहीं |इसलिये मैग़ो
शेक पी रहे है तो ध्यान रखे आम खट्टा ना हो । ।
ऐसी ही उरद की दाल और दही एक दुसरे के जानी दुशमन हैं ।
उरद की दाल पर भारत में जितनी रिसर्च हो चुकी हैं तो ये पता लगा ये दालो
की राजा है । हमेशा अकेले ही खाये दही के साथ तो भूल कर भी ना खाये ।
आप इसका अपने शरीर पर परिकक्षण करे । एक खाने से पहले अपना b.P चैक करें
। फ़िर उरद की दाल और दही खाये । आप पायेगें 22 से 25 % आपका B.P बढ़ा हुआ
होगा । अर्थात ये अगर रोज रोज आप उरद की दाल , दही खा रहें है तो 5,6
महीने में हार्ट अटैक आ ही जायेगा ।
इसका मतलब (दही वाड़ा ) कभी नहीं ।
क्योंके दही वाड़ा मे अगर वाड़ा उरद की दाल का बना हैं । और आप उसे दही के
साथ खा रहें है तो बहुत तकलीफ़ करने वाला है ।
हां अगर आपको खाना है तो जरुर खायें लेकिन दही के साथ नहीं चटनी के साथ खायें ।
इस लिये अगर घर में विवाह है तो मीनो बनाते समय जरुर ध्यान रखें । उरद की
दाल का वड़ा दही के साथ परोस कर दोहरे पाप के भागी न बने ।
क्योंके आतिथि देवो भव । मेहमान भगवान का रुप हैं । उसके हनिकारक
वास्तुये न खिलाये ।
या वो वड़ा मूंग की दाल का बनवाये । उरद की दाल का है तो दही के साथ नहीं
चटनी के साथ खाये ।
धन्यवाद
must must click here !!
http:// www.youtube.com/ watch?v=YI5XgzMv SU0
वन्देमातरम !!!
हाथ में ब्लैक बेरी और कमीज़ फटी हुयी !!
ReplyDeleteनौटंकी करता है साला !!
हे राम दुबारा मत आना, अब यहाँ लखन हनुमान
ReplyDeleteनहीं,,,,,
90 करोड़ इन मुर्दों मे, अब बची किसी में जान
नहीं,,,,,
भाई भाई के चक्कर मे अब, अपनी बहनों का ज्ञान
नहीं,,,,,,
हम कैसे कह दें कि हिंदू अब, तुर्कों की संतान
सभी,,,,,,,,
इतिहास भी रो कर शांत हो गया, भगवा पर अभिमान
नहीं,,,,,,,,
अब याद इन्हे बस अकबर है, राणा का बलिदान
नहीं,,,,,,
हल्दी घाटी सुनसान हो गयी, चेतक का तूफान
नहीं,,,,,,
हिंदू भी होने लगे दफ़न, अब जलने को शमशान
नहीं,,,,,,,
प्रज्ञा की चीखें गूँज रही, कर्नल का सम्मान
नहीं,,,,,,,,
सेकुलर ही इनके सब कुछ हैं, अब महादेव
भगवान
नहीं,,,""
1-मैँ यादव कुकुरदेव लात बहादुर एक एफिडेविट बनाने वाले नोटरी "ओकील" के माध्यम से अपना तगड़ा केस सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से लड़ने को तैयार हूँ।हमारी SLP इतनी डिफेक्टिव जान बूझ के की गई थी ताकि कोई निकाल न पाए पर फिर भी टेटुओं ने निकाल लिया।
ReplyDelete2-आपलोगों को शायद पता नहीं है कि मैं ईलाहाबाद हाईकोर्ट सिंगल बेड, डबल बेड और लाचार बेड में पार्टी था मेरी भी रिट उसी बंच रिट्स में थी रिट नं मुझे याद नहीं है क्योंकि ये सब रणनीति है।
3-मेरे पास आप लोगों का दिया करीब बीस लाख रु था जिसमें से 5 लाख रु का मैंने SC में कैविएट लगा दिया तथा 3 लाख रु लगाकर रिट भी दाखिल कर दी जिस पर मुझे ठाकुर प्रसाद की एक डायरी तथा कैलेण्डर मिला है।डायरी नं आप जान लीजिए 1019/2014. मेरे घर से सटा हुआ एक प्लाट बिकाऊ था तो मैँने 12 लाख में उसे खरीद लिया।चाहे तो आप लोग देख सकते हैं ।
4-मैँने एफिडेविट बनाने वाले बहुत टॉप ओकील को पकड़ लिया है जिनको राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने जा रही थी पर उन्होंने इंकार कर दिया।
5-अब मेरे पास चार लाख कम पड़ रहे हैं अगर आप लोग अपना सब कुछ बेचकर मुझे पैसा नहीं देंगे तो जान लीजिए कि मैं केस नहीं दाखिल करुँगा मैं जानता हूँ कि आप लोग मुझे धोखा दे सकते थे बस इसीलिए एक रणनीति के तहत मैंने अपना नाम रिट में सबसे ऊपर डलवाया। अब आप झक मारकर मुझे पैसे देंगे क्योंकि यही मेरी रणनीति थी।
6-सीधी बात है कि अगर आप पैसा देंगे तो केस लड़ूँगा नहीं देंगे तो नहीं लड़ूँगा जो खर्च हो गया वो हो गया मुझे इसका कोई अफसोस नहीं हैं क्योंकि जीत तो टीईटी मेरिट वालों की ही होनी है।
झाड़ू कितनी भी अच्छी हो 3-4 महीने से
ReplyDeleteज्यादा नहीं चलती.|
लेकिन अगर झाड़ू
साझे में तो उसकी जिन्दगी और कम हो जाती है ।
Stop holding on to something that used to be there hoping it will come back, knowing it won't.
ReplyDeleteOnce you have true feelings for someone, it
ReplyDeletewill always be there. You may not like them
any more, but you still care.
up govt ne berojgaro ki kamayi 300 karor se jayada nanga naach me barbad kiya h aur ab iska baap jhansi me kahta h ki mere samman ki baat h ek baar mujhe delhi tak pahucha do..to mere bhaiyo ager ye aur uske baap ko kyo na 2014 tak agra pahucha diya jaye....
ReplyDeleteb.ed and tet pass ka shoshan bsp aur sp ne milker kiya h inhe sabak sikhana jaruri h.....
ab bhi kuch bhai inhe jaat/dharm ke name per vote dete h kya ye sahi h apna nahi apne baccho ka khyal to kariye unka haal bekar na karo....
berojgaar ekta jinda bad.
लैपटॉप के चक्कर में यूपी वाले लफंगे बन गए ..
ReplyDeleteपानी और बिजली के चक्कर में दिल्ली वाले दल्ले
बन गए ..
पैसो के चक्कर में मिडिया वाले अपनी माँ के
दलाल बन गए ..
विदेशियों के चक्कर में कांग्रेस वाले कातिल बन
गए ..
मोदी के चक्कर में गली के लफंगे देशभक्त बन
गए
Believe in yourself and your feelings. Trust yourself to do what your heart is guiding you to do. Your intuition is powerful.
ReplyDeleteTrust it.
Namskar Dosto,
ReplyDeleteAaj Hume Jo Sangharsh Karna Pad Raha Hai Wo Sab Kewal Akhilesh Sarkar Ke Karan. Yadi Ek Achhi Sarkar Chaynit Hokar Rajya Ko Milti To Hume Ye Sab Nahi Karna Padta. Ek Swasth
or Nispaksh Nirnay Sarkar dwara hi kr diya jata. Afsosh aisa ek yogya Mukhya Mantri dwara nhi kiya gya.
Wah bhi apne party ke rang me hi range najar aaye. Khair hum to apni manzil pahi lenge lkn iska khamiyaja sapa sarkar ko hi bhugatna padega.
Main yahaan aap logo ka dhyan 2014 me hone wale Lok Sabha chunav ki oor kheechna chahta hu ki jo galti pradesh ki janta dwara hui hai wah fir se na daurahi jaye. kewal 30%(lagbhag) vote ke dam pr hi ek party sarkar banane me safal ho jati hai or fir pure 100% log sirf pareshan hi hote hain. Jitni Vikas yojnaye drastigochar hoti hai unme kiska bhala hota hai ye sab aap jante hai. Sivay lootne khasotne ke koi kaam krte hue Sarkaro ko mene to apne jeevan me kabhi nhi dekha.
Aap sabhi sathi UPTET or Bharti ko lekar chintit to rhte hi hai, yadi usme se kuch samay Desh or Samaj ko bhi de to yah vyatigat or samajik dono ke
bhavishya ke liye oor bhi behter
hoga.
Jai Hind Jai TET Jai Bharat
लखनऊ (ब्यूरो)।
ReplyDeleteबिना टीईटी के समायोजन व अप्रशिक्षित वेतनमान 73 सौ रुपये किए जाने की मांग को लेकर शिक्षा मित्रों ने विधानभवन के सामने रविवार को झाड़ू लगाकर प्रदर्शन किया। यहां लक्ष्मण मेला मैदान में छह दिनों से डटे शिक्षा मित्रों का कहना है कि वे शासनादेश जारी कराकर ही वापस जाएंगे।
रविवार को लक्ष्मण मेला मैदान में आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के तत्वावधान में जुटे शिक्षा मित्रों ने सुबह सरकार से अपनी नाराजगी जताते हुए नारेबाजी की। इनसे मिलने पहुंचे एमएलसी हेम सिंह पुंडीर ने समर्थन करते हुए प्रदेश सरकार से उनके हक में फैसला दिए जाने की मांग की। दोपहर में एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शाही के नेतृत्व में शिक्षा मित्रों ने सड़क पर झाड़ू लगाई। लक्ष्मण मेला मैदान के बाद विधानभवन के सामने झाड़ू लगाकर शिक्षा मित्रों ने सड़क साफ की। जितेंद्र ने कहा कि सरकार शिक्षा मित्रों का समायोजन बिना टीईटी बाध्यता के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में तत्काल शुरू करे नहीं तो वे अब आरपार की लड़ाई को तैयार हैं। उन्होंने शिक्षा मित्रों से अपील की है कि वे बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) का कार्य न करें। प्रांतीय सचिव रीना सिंह ने कहा कि समायोजन व अप्रशिक्षित वेतनमान 73 सौ रुपये करने की मांग को लेकर आखिरी सांस तक लड़ाई जारी रहेगी।
भारतीय जनता पार्टी अब तक कांग्रेस को ही लोकसभा या विधानसभा चुनावों में अपना प्रमुख विरोधी मानते आई है. अब तक नरेंद्र मोदी अपने चुनावी भाषणों में कांग्रेस के नेताओं और नीतियों पर ही सवाल खड़े करते आए हैं लेकिन रविवार को गोवा में पहली बार मोदी ने आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को भी अपने विरोधी खेमे में शामिल कर लिया. शायद अब मोदी भी मान चुके हैं कि 2014 में मुकाबला त्रिकोणीय होने वाला है.
ReplyDeleteअब सियासी कुरुक्षेत्र में तीसरा महारथी भी सामने खड़ा हो चुका है. नाम है अरविंद केजरीवाल. ओहदा है दिल्ली के मुख्यमंत्री का और पार्टी है आप यानी आम आदमी पार्टी.
गोवा में नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली थी और इस रैली में पहली बार मोदी ने कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी और पार्टी के सबसे बड़े चेहरे अरविंद केजरीवाल को अपने दीमागी और जुबानी रडार के दायरे में लिया.
देश को टेलीविजन की स्क्रीन पर चेहरा चाहिए या धरती पर विजन
दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार ने हर रोज ऐसा कुछ किया है जिससे वो खबरों की सुर्खियों में बरकरार हैं. शायद आप की वजह से मोदी को खबरों की दुनिया में अपनी घटती अहमियत का डर सताने लगा है.
गोवा में मोदी के भाषण में इस बार कांग्रेस गौण हो गई थी और केजरीवाल अहम. शायद वजह देशभर में आम आदमी पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता भी हो सकती है. एक ताजा सर्वे में ये खुलासा हुआ है कि 2014 लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 50 से 60 सीटों पर विजय हासिल हो सकती है.
देश को आगे बढ़ाना है तो नई सोच चाहिए
ऐसे में केजरीवाल अगर किंग नहीं भी बनते हैं तो किंगमेकर जरूर बन जाएंगे|
मेरे प्रिय टेट मेरिट सपोर्टर साथियोँ नमस्कार,
ReplyDelete.
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.
आजकल हमारे सभी साथी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट मेँ डाली गयी एस एल पी को पूर्ण ना करने से परेशान हैँ। मेरे विचार से हमेँ परेशान नहीँ होना चाहिए बल्कि खुःश होना चाहिए हम इतने परिपक्व तो हो ही चुके हैँ। सरकार की यह हिलाहवाली यही दर्शाती है कि उसने सुप्रीम कोर्ट मेँ हमारा सामना करने से पहले ही अपनी हार को निश्चित मानकर अपने हथियार ड़ाल दिए हैँ। उसको यह आभास हो चुका है कि सुप्रीम कोर्ट इससे पहले फैसला दे देगा। आखिर सरकार अपनी इस हार से कब तक बचेगी इसके लिए टेट संघर्ष मोर्चा ने सरकार की चारोँ ओर से घेराबंदी करने की रणनीति तैयार कर ली है बस हमेँ अपने मोर्चे को संगठित और आर्थिक रुप से मजबूत रखना होगा। सरकार द्वारा उर्दू मौअल्लिमोँ को नियुक्ति पत्र देना, 10800 BTC और VBTC तथा 29334 जूनियर की काँन्सलिँग का कार्यक्रम जारी करना, शिक्षा मित्रोँ का समायोजन तथा 72825 शिक्षकोँ की भर्ती को लेकर S.C. मेँ SLP जमा करना और S.C. से आने वाले फैसले का हवाला देना यही दर्शाता है कि हमारे द्वारा किए जा रहे आन्दोलन, आमरण अनशन आदि को रोककर सभी को शान्ति से घर पर बैठने का लोलीपोप देकर 2014 के लोकसभा चुनाव तक इन सभी भर्तियोँ की यथास्थिति बनाए रखना है इससे ज्यादा हमारा और कुछ बिगाड़ भी नहीँ सकती है। जब तक S.C. से निर्णय आयेगा चुनाव आचार संहिता लग जायेगी और सरकार के पास बहाना होगा कि हमारे सभी सक्षम अधिकारी चुनाव की तैयारी मेँ व्यस्त हैँ अतः हम अभी ये भर्तियाँ पूरी नहीँ कर सकते हैँ। 72825 शिक्षकोँ की भर्ती पर ही अन्य सभी भर्तियोँ का भविष्य टिका हुआ है। यही कारण है कि सरकार अपनी पोल-पट्टी खुलने के डर से तथा अपने वोट-बैँक को बचाने के लिए S.C. मेँ अपनी SLP को पूर्ण करने मेँ इतनी हिलाहवाली कर रही है क्योँकि सरकार को ज्ञात है कि S.C. मेँ उसका क्या हश्र होने वाला है। अतः हमेँ अब केवल और केवल यह प्रयास करना है कि S.C. से हमारा फैसला मार्च के पहले अवश्य आ जाए जिससे सरकार के चहेतोँ को भी सरकार की असलियत मालूम हो जाए तथा लोकसभा चुनाव मेँ भी सरकार का वही हाल हो जो सुप्रीम कोर्ट मेँ होने वाला है ।
सत्यमेव् जयते,
जय टेट संघर्ष मोर्चा,
जय टेट मेरिट,
जय हिन्द,
जय भारत ।
धन्यवाद !
स्वामी विवेकानंद जी के द्वारा शिकागो (अमेरिका) में दिया गया भाषण::
ReplyDeleteबहनों और भाइयों,
आपने जिस सौहार्द और स्नेह के साथ हम लोगों का स्वागत किया हैं, उसके प्रति आभार प्रकट करने के निमित्त खड़े होते समय मेरा हृदय अवर्णनीय हर्ष से पूर्ण हो रहा हैं। संसार में संन्यासियों की सब से प्राचीन परम्परा की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूँ; धर्मों की माता की ओर से धन्यवाद देता हूँ; और सभी सम्प्रदायों एवं मतों के कोटि कोटि हिन्दुओं की ओर से भी धन्यवाद देता हूँ।
मैं इस मंच पर से बोलनेवाले उन कतिपय वक्ताओं के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ, जिन्होंने प्राची के प्रतिनिधियों का उल्लेख करते समय आपको यह बतलाया हैं कि सुदूर देशों के ये लोग सहिष्णुता का भाव विविध देशों में प्रचारित करने के गौरव का दावा कर सकते हैं। मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ, जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति, दोनों की ही शिक्षा दी हैं। हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते, वरन् समस्त धर्मों को सच्चा मान कर स्वीकार करते हैं। मुझे ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान हैं, जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीड़ितों और शरणार्थियों को आश्रय दिया हैं। मुझे आपको यह बतलाते हुए गर्व होता हैं कि हमने अपने वक्ष में यहूदियों के विशुद्धतम अवशिष्ट को स्थान दिया था, जिन्होंने दक्षिण भारत आकर उसी वर्ष शरण ली थी, जिस वर्ष उनका पवित्र मन्दिर रोमन जाति के अत्याचार से धूल में मिला दिया गया था । ऐसे धर्म का अनुयायी होने में मैं गर्व का अनुभव करता हूँ, जिसने महान् जरथुष्ट्र जाति के अवशिष्ट अंश को शरण दी और जिसका पालन वह अब तक कर रहा हैं। भाईयो, मैं आप लोगों को एक स्तोत्र की कुछ पंक्तियाँ सुनाता हूँ, जिसकी आवृति मैं बचपन से कर रहा हूँ और जिसकी आवृति प्रतिदिन लाखों मनुष्य किया करते हैं:
रुचिनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम् । नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव ।।
- ' जैसे विभिन्न नदियाँ भिन्न भिन्न स्रोतों से निकलकर समुद्र में मिल जाती हैं, उसी प्रकार हे प्रभो! भिन्न भिन्न रुचि के अनुसार विभिन्न टेढ़े-मेढ़े अथवा सीधे रास्ते से जानेवाले लोग अन्त में तुझमें ही आकर मिल जाते हैं।' यह सभा, जो अभी तक आयोजित सर्वश्रेष्ठ पवित्र सम्मेलनों में से एक हैं, स्वतः ही गीता के इस अद्भुत उपदेश का प्रतिपादन एवं जगत् के प्रति उसकी घोषणा हैं:
ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम् । मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ।।
- ' जो कोई मेरी ओर आता हैं - चाहे किसी प्रकार से हो - मैं उसको प्राप्त होता हूँ। लोग भिन्न मार्ग द्वारा प्रयत्न करते हुए अन्त में मेरी ही ओर आते हैं।'
साम्प्रदायिकता,हठधर्मिता और उनकी बीभत्स वंशधर धर्मान्धता इस सुन्दर पृथ्वी पर बहुत समय तक राज्य कर चुकी हैं। वे पृथ्वी को हिंसा से भरती रही हैं, उसको बारम्बार मानवता के रक्त से नहलाती रही हैं, सभ्यताओं को विध्वस्त करती और पूरे पूरे देशों को निराशा के गर्त में डालती रही हैं। यदि ये बीभत्स दानवी न होती, तो मानव समाज आज की अवस्था से कहीं अधिक उन्नत हो गया होता । पर अब उनका समय आ गया हैं, और मैं आन्तरिक रूप से आशा करता हूँ कि आज सुबह इस सभा के सम्मान में जो घण्टाध्वनि हुई हैं, वह समस्त धर्मान्धता का, तलवार या लेखनी के द्वारा होनेवाले सभी उत्पीड़नों का, तथा एक ही लक्ष्य की ओर अग्रसर होनेवाले मानवों की पारस्पारिक कटुता का मृत्युनिनाद सिद्ध हो।
बस से उतरकर.. जेब में हाथ डाला, मैं
ReplyDeleteचौंक पड़ा.., जेब कट
चुकी थी..। जेब में.. था
भी क्या..? कुल 150 रुपए और एक
खत..!! जो मैंने
अपनी माँ को लिखा था कि -
मेरी नौकरी छूट गई है; अभी पैसे
नहीं भेज पाऊँगा…। तीन
दिनों से.. वह पोस्टकार्ड मेरी जेब
मेंपड़ा था। पोस्ट..
करने को.. मन ही.. नहीं कर रहा था।
150 रुपए जा चुके
थे..। यूँ ......150 रुपए ..कोई बड़ी रकम
नहीं थी., लेकिन..
जिसकी नौकरी छूट चुकी हो, उसके
लि...ए.. 150 रुपए..
1500 सौ से कम.. नहीं होते..!! कुछ
दिन गुजरे...।
माँ का खत मिला..। पढ़ने से पूर्व.. मैं
सहम गया..। जरूर.. पैसे
भेजने.. को लिखा होगा..। …लेकिन,
खत पढ़कर.. मैं हैरान..
रह गया। माँ ने लिखा था — “बेटा,
तेरा500 रुपए का..
भेजा हुआ मनीआर्डर.. मिल गया है। तू
कितना अच्छा है रे !
…पैसे भेजने में.. कभी लापरवाही..
नहींबरतता..।” मैं इसी..
उधेड़- बुन में लग गया.. कि आखिर..
माँ को मनीआर्डर..
किसने भेजा होगा..? कुछ दिन बाद.,
एक और पत्र मिला..।
चंद लाइनें.. लिखी थीं—आड़ी-
तिरछी..।बड़ी मुश्किल से
खत पढ़ पाया..। लिखा था —
“भाई, 150 रुपए तुम्हारे..
और 350 रुपए अपनी ओर से मिलाकर
मैंने तुम्हारी माँ को..
मनीआर्डर.. भेज दिया है..। फिकर.. न
करना।
माँ तो सबकी.. एक-
जैसी ही होती है न..!! वह
क्यों भूखी रहे...?? तुम्हारा—
जेबकतरा भाई..!!!
दुनियां में.. आज भी..
माँ को प्यार.. करने वाले.. ऐसे
इन्सान.. हैं..!!! यदि आप भी..
अपनी माँ..
को इतना ही प्यार.. करते हैं...!!
तो भावुकता में.. आंसू..
बहाने के वजाय.. इस
कहानी को औरों को बताएँ !
करोड़ो चाहने वालों का मेला है, कौन कहता है"मोदी" अकेला है!
ReplyDeleteDOSTO
ReplyDeleteAAJ TET MORCHA KI MEETING HAI MERA YE SUJAHAV HAI KI JALD DELHI ME JORDAAR ANDOLAN KI GHOSANA KARO USKE KAI FAIDE HONGE
1-RATRAPATI KO PATA CHALEGA
1-SARA MEDIA CONVERE KAREGA
3-CENTRAL GOVT ELECTION ME RISK NAHI LEGI
4-MULAYAM KO DELHI ME SHARAM AYEGI KI UP KE KYA HALAT HAI
5-SUPREME COURT BHI SANGYAN LE SAKTA HAI
6- NCTE KO BHI PATA CHALEGA UP ME KYA HO RAHA HAI
7-SP KO HARANE ME BHI KAMYAB HONGE
KYUNKI DOSTO YADI GOVT PER CONTEMPT BHI HUM 31 MARCH SE PAHLE NAHI KAR SAKTE AUR YADI GOVT KI SLP ACCEPT HUI TO 31 MARCH BEET JAYEGA PHIR GOVT COURT ME KAHEGI KE PERMISSION LENE PADEGI JO KI KABHI NAHI LEGI ISLIYE DOST
उ.प्र. सरकार ने टेट अभ्यथिर्यों को दी नई
ReplyDeleteचुनौती
.
.
श्याम देव मिश्रा
.
.
उत्तर प्रदेश सरकार ने 27 जुलाई 2011
को ''उत्तर प्रदेश अनिवार्य एवं नि:शुल्क बाल
शिक्षा का अधिकार नियम अधिसूचित
कर उपरोक्त व्यवस्था और
तत्सम्बन्धी संवैधानिक और विधिक
प्रावधानों को अंगीकार किया जिसके साथ
ही मानकों के अनुसार प्रदेश के
बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने
के लिये आवश्यक व्यवस्था करना कानूनी रूप से
बाध्यकारी हो गया। प्राथमिक स्तर पर छात्र-
शिक्षक अनुपात यानी 30 बच्चे पर एक शिक्षक
मानक पूरा करने के लिये मायावती सरकार ने
नवम्बर 2011 के अन्तिम सप्ताह में 72,825
शिक्षकों के चयन के लिये एक प्रतियोगी आधार
वाली चयन प्रक्रिया की शुरुआत की थी। प्रदेश
की खस्ताहाल प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के
उद्धार के लिये बड़ी पहल के तौर पर
देखी जा रही इस प्रक्रिया पर
तकनीकी कारणों से जनवरी 2012 के प्रथम
सप्ताह में इलाहाबाद उच्च न्यायालय
द्वारा जारी स्थगनादेश का ग्रहण
क्या लगा कि यह भर्ती नित नये-नये विवादों में
उलझती चली गयी।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस
भर्ती को पूरा कराये जाने के प्रयासों में मार्च
2012 में अखिलेश सरकार के सत्ता संभालते
ही बिल्कुल विपरीत दिशा अख्तियार कर ली।
विवादित तकनीकी आधार के निराकरण के
प्रयासों को छोड़ कर नई प्रदेश सरकार ने
अध्यापक पात्रता परीक्षा 2011 में
धांधली की अपुष्ट अफवाहों के आधार पर पहले
प्रारम्भ हो चुकी प्रक्रिया में चयन का आधार
बदलने का न केवल अप्रत्याशित निर्णय
लिया बल्कि उसे अमलीजामा पहनाने के लिये
पुरानी प्रक्रिया को ही रद्द कर दिया। प्रदेश भर
के अभ्यर्थियों की ओर से इस निर्णय के विरोध
में इलाहबाद उच्च न्यायालय में
वादों की झंडी लगा दी गयी जिन्हें एक
लम्बी सुनवाई के क्रम में पहले एकल पीठ ने
सरकार को पुरानी प्रक्रिया के अभ्यर्थियों के
हितों को सुरक्षित रखते हुये उपयुक्त विज्ञापन
निकालने का निर्देश दिया और 7 दिसम्बर
2012 को संबन्धित 72,825 पदों पर परिवर्तित
चयन आधार से भर्ती के विज्ञापन
की वैधानिकता पर असमान्य चुप्पी साध कर 16
जनवरी 2013 को निस्तारित करते हुये प्रदेश
सरकार द्वारा लिये गये निर्णय के
आधारों को तो सिरे से खारिज किया परन्तु
तकनीकी आधार पर पुरानी प्रक्रिया के
विज्ञापन को अवैध ठहराया।
क्षुब्ध अभ्यर्थियों द्वारा एकल पीठ के उस
निर्णय को खण्डपीठ में चुनौती दी गयी जिस पर
खण्डपीठ ने पुरानी प्रक्रिया को पूर्णत:
सही ठहराया तथा प्रदेश सरकार द्वारा एकल
पीठ के निर्देशानुसार 7 दिसम्बर 2012
को जारी हुये नये नियमों से भर्ती के विज्ञापन
पर तत्काल प्रभाव से 4 फरवरी 2013 को रोक
लगा दी। आगे की सुनवाइयों में खंडपीठ ने
धांधली के तथाकथित आरोपों को बेबुनियाद और
मनघड़ंत करार दिया। जुलाई 2013 में खण्डपीठ
में परिवर्तन के बाद से ही इस मामले की लम्बे
समय तक कोई सुनवाई नहीं हो पायी।
इस दौरान न सिर्फ दो-दो भर्ती प्रक्रियाओं में
आवेदन के जरिये प्रदेश सरकार के खाते में
अरबों रूपये जमा करने वाले शिक्षित बेरोजगार
न्यायालय के निर्णय की बाट जोहते रहे
बल्कि प्रदेश के करोड़ों नौनिहालों के शिक्षा के
संवैधानिक अधिकारों का गम्भीर हनन बदस्तूर
जारी रहा। 20 नवम्बर 2013 को इलाहाबाद
उच्च न्यायालय की खण्डपीठ नें अभ्यर्थियों के
पक्ष में फैसला सुनाते हुये पूर्ववर्ती सरकार
द्वारा जारी 30 नवम्बर 2011 के विज्ञापन के
आधार पर 31 मार्च 2014 तक भर्ती पूरी करने
के लिये राज्य सरकार को निर्देशित किया।
यहां इस बात का उल्लेख जरूरी है कि प्रदेश में
बी.टी.सी. उत्तीर्ण
अभ्यर्थियों की अनुपलब्धता और
शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुये राष्ट्रीय
अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा बी.एड
डिग्री धारकों को 31 मार्च 2014 तक
प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक के तौर पर
नियुक्त करने की विशेषानुमति दी गयी है।
खण्डपीठ ने सरकार द्वारा टेट
प्राप्तांकों को अनदेखा कर बनाई
गयी चयनप्रक्रिया अर्थात् बेसिक
शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली के पन्द्रहवें
संशोधन को अवैध करार दिया।
इसके आदेश के आने के बाद प्रदेश सरकार ने
शिक्षा के अधिकार और
अध्यापकों की भारी कमी को नजरन्दाज करते
हुये इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है
और दो साल से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे
लाखों युवा बेरोजगारों को एक बार फिर देश
की सबसे बड़ी अदालत के सामने खड़ा कर
दिया है जहां अपनी आवाज उठाने के लिये भी इन
युवाओं के पास कर्जा लेने और खेत-जेवर बेचने
तक की हद तक जाने के सिवा कोई चारा नहीं है।
इस संवेदनहीनता की प्रदेश का शिक्षित
युवा हतप्रभ है क्योंकि उसी ने बड़ी उम्मीदों से
दो साल पहले प्रदेश की सत्ता एक
युवा मुख्यमंत्री के हाथों में सौंपने में एक
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
एक बार एक छोटी चिड़िया सर्दी में
ReplyDeleteखाने की तलाश में उड़ कर जा रही थी ,
ठंड इतनी ज्यादा थी की उससे सहन
नही हुई और खून जम जाने से वो वहीँ एक
मैदान में गिर गयी....वहां पर एक गाय
नेआकर उसके ऊपर गोबर कर दिया , गोबर के
नीचे दबने के बाद उस
चिड़िया को एहसास हुआ की उसे
दरअसल उस गोबर के ढेर में गर्मी मिल
रही थी , लगातार गर्माहट के एहसास ने
उस छोटी चिड़िया को सुकून से भर
दिया और उसने गाना गाना शुरू कर
दिया....
वहां से निकल रही एक बिल्ली ने उस गाने
की आवाज़ सुनी और देखने लगी की ये
आवाज़ कहाँ से आ रही है ,थोड़ी देर बाद
उसे एहसास हुआ की ये आवाज़ गोबर के ढेर
के अंदर से आ रही है , उसने गोबर का ढेर
खोदा और उस चिड़िया को बाहर
निकाला और उसे खा गयी.....
" आपके ऊपर गंदगी फेंकने वाला हर इंसान
आपका दुश्मन नही होता , और
आपको उस गंदगी में से बाहर निकलने
वाला हर इंसान आपका दोस्त नही होता ।
Acd sathiyo
ReplyDeleteagar aap me thodi bi samjhdari hai to aap situation ko samjh sakte hai, agar aapse koi kahta hai ki aap jeetenge to use wahin joota marne lagiye kyoki wah aapki saral aur seedhe man ko bahka raha hai, mai yah is base par kah raha hu ki agar sarkar ko jeetne ka 0.01% bi ummied hoti to wah mamla fasa chuki hoti lekin wah to late kar rahi hai, akhir iske peeche reason kya ho sakta hai yah mamla manniye harkoli ji hi suna dete to akhir 4 mahine tak yah mamla idhar se udhar ,udhar se idhar kyo bhatka aur faisla bi tab aaya jab manniye rastrpati ji ne hastkshep kiya, ab sarkar sc gayi to lekin deffective slp laga diya aur wo bi sahi nahi kar rahi hai, iske pichhe bi yahi reason hai ki sarkar samjh rahi hai ki agar chunav se pahle band baj gayi to tedhi naak kat jayegi, aur acd bhai log aap log fully rajneeti ke sikar ho rahe hai kyoki ye post to sirf aur sirf tet pe hi bhari jayegi aur jab tak aapko hosh aayega tab tak bed walo ki prt me entry band ho jayegi. Ab aapke upar hai aap shant hokar baato ko soche kisi achhe wakil jo lalchi na ho, se salah le uske baad koi decision le.
हार्ट अटैक: ना घबराये ......!!!
ReplyDeleteसहज सुलभ उपाय ....
99 प्रतिशत ब्लॉकेज को भी रिमूव कर देता है पीपल का पत्ता....
पीपल के 15 पत्ते लें जो कोमल गुलाबी कोंपलें न हों, बल्कि पत्ते हरे, कोमल व भली प्रकार विकसित हों। प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें।
पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें। इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें, दवा तैयार।
इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद प्रातः लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती। दिल के रोगी इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करें।
* पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की अद्भुत क्षमता है।
* इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे, 11 बजे व 2 बजे ली जा सकती हैं।
* खुराक लेने से पहले पेट एक दम खाली नहीं होना चाहिए, बल्कि सुपाच्य व हल्का नाश्ता करने के बाद ही लें।
* प्रयोगकाल में तली चीजें, चावल आदि न लें। मांस, मछली, अंडे, शराब, धूम्रपान का प्रयोग बंद कर दें। नमक, चिकनाई का प्रयोग बंद कर दें।
* अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मैथी दाना, सेब का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए काले चने, किशमिश, गुग्गुल, दही, छाछ आदि लें । ......
तो अब समझ आया, भगवान ने पीपल के पत्तों को हार्टशेप क्यों बनाया..
अन्य लोगों को भी बताना ना भूले...
यूपी बेसिक शिक्षक भर्ती :
ReplyDeleteउत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षक भर्ती मामले में सरकार को तत्काल अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए ।
उसे अपनी याचिका का डिफेक्ट तत्काल दूर करना चाहिए अन्यथा
कपिल देव के विरुद्ध हाई कोर्ट में दाखिल जवाब को पुनः सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
यूपी बेसिक शिक्षक भर्ती :
ReplyDeleteउत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षक भर्ती मामले में सरकार को तत्काल अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए ।
उसे अपनी याचिका का डिफेक्ट तत्काल दूर करना चाहिए अन्यथा
कपिल देव के विरुद्ध हाई कोर्ट में दाखिल जवाब को पुनः सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
कपिल देव ने कहा कि उसका हित प्रभावित हो रहा है तो सरकार यह बताये कि पुराने विज्ञापन में भी वह आवेदक था अतः उसका हित सुरक्षित है परन्तु सरकार द्वारा ऐसा कहने से फिर सरकार की याचिका स्वतः निष्क्रिय हो जायेगी।
ReplyDeleteअगर सरकार कपिल से हारना चाहती है तो उसे हाई कोर्ट के विजेताओं से भी हारना है अर्थात फिर और ( +72825) पद का सृजन करना होगा एवं नये रिक्त पद पर चयन आधार अनुच्छेद १४ का सम्मान करता रहे।
ReplyDeleteसरकार को विनर के साथ रहना है कि पराजित पक्ष को विजेता बनाने के चक्कर में खुद दोनों तरफ से पराजित होना है। इसका फैसला शीघ्र करे।
ReplyDeleteतत्काल यह उत्तर प्रदेश सरकार अपने फैसले ले और अगर इसे हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में स्थगन नहीं मिलता है तो तत्काल भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ करे अन्यथा अवमानना के लिए तैयार रहे !
ReplyDeleteअगर उत्तर प्रदेश सरकार हमारे विरुद्ध लड़ेगी तो भी पराजित होगी और कपिल से मिलकर हमको हराना चाहेगी तो भी पराजित होगी लेकिन कपिल के साथ होते ही सरकार को उसके लिए रिक्ति(+72825) देने के लिए भी बाध्य होना पड़ेगा।
ReplyDeleteअतः हमारी तरफ से इस सरकार को सलाह है कि अपनी याचिका वापस लेकर भर्ती की शुरुवात करे और कपिल देव को वही जवाब दे जो कि एकल बेंच में अनिल संत ने दिया था।
अगर सरकार को कपिल के खिलाफ हारना है तो हारे लेकिन जो कपिल हमारे खिलाफ जीतना चाहेगा उसे हम नहीं जीतने देंगे।
ReplyDeleteकपिल अगर सरकार को सुप्रीम कोर्ट में हराता है तो उसे हम बधाई देंगे लेकिन सरकार की जिस हार में हमारी हार छिपी होगी उसे हम साकार नहीं होने देंगे।
अगर ७२८२५ के अलावा जितना पद मिलता है उसे बीएड से ही भरा जायेगा और टीईटी उत्तीर्ण का ही चयन होगा।
ReplyDeleteअतः हमारी विजय को बिना छेड़े कपिल को जो विजय मिलेगी उससे मुझे ख़ुशी ही होगी ।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteपरन्तु कपिल देव के विचार समझ से परे हैं अतः वह भरोसे के काबिल है कि नहीं इस पर भी मै टिप्पणी नहीं करना चाहता हूँ ।
ReplyDeleteआप खुद समझदार हो।
यह सरकार कायरता न दिखाये जो करना हो करे।
मुझे यकीन है कि हमारी प्रक्रिया पर सरकार को स्थगन नहीं मिलेगा और कपिल देव को भी नहीं मिलेगा।
अतः अब ड्रामा बंद करे।
अब विलंब अनुचित है।
धन्यवाद।
Doston. . . .
ReplyDeletesarkar ko pta tha ki wo db se haregi to gov. ne vha par bhi har sambhav late karne ka paryaas kiya.. gov ko supreme court ka bhi pta h ki sirf haar hi hogi.. vha par b late karne ke paryaas jari hai.. lekin kab tak... jabki gov ko nhi pta ki hum dead line se pahle amrit pee lenge.. aur fir gov ko uski dead line se pahle hi jahar pilakar maar denge.. na rahega baans na bajegi bansuri....
jai ho...
Moradabad dist se do receipt book ka total collection….
ReplyDeleteBaki collection other book ke milne par daal diya jayega…
MORADABAD ke sabhi saathiyo se req hai ki is post ko share Karen … aur doosre saathiyo ko bhi isse awgat karayen…. Aur jin saathiyo ne abhi collection me nahi diya hai….. plz who bhi jald se jald apna amount jama karwayen…..
Aal receipt book from mandal mahasachiv SRI RAJ PAL SINGH YADAV.
reciept no …. from 451
451 Priyank tyagi 1000
452 Sandeep k mishra 500
453 Dheeraj tyagi 500
454 Shakeel javed 500
455 Shakeel ahmad 1000
456 Sandeep kumar 500
457 Eash narayan yadav 500
458 Abdul kadir 500
459 pradeep kumar sharma 0
460 Rajeev kumar 300
461 Amar singh 200
462 Dharamveer singh 500
463 pramod kumar 200
464 sarfaraaz husain 500
465 anil kumar vishnoi 200
466 gopal chandra 100
467 farhat ali 500
468 krishn pal singh 300
469 raj kumar 500
470 anil kumar vyas 200
471 lekhraj 500
472 rakesh chandra 200
473 satyapal singh 500
474 amit kumar 200
475 rizwana nargis 200
total 10100
r.no. from 201
201 rajendra chauhan 1000
202 anusuchit jaati organisation 500
203 ramesh ssingh 500
204 jaypal singh 1000
205 radhey shyam 500
206 rohit chuadhry 500
207 dhramveer sigh 500
208 ritesh kumar 500
209 ram gopal 500
210 ravi shankar 500
211 iqbal ahmad 400
212 shahzaad husain 500
213 vineet kumar 500
214 dharam veer singh 500
215 atul tyagi 500
216 c.p. saini 500
217 sachin kumar yadav 500
218 hari singh saini 500
219 ramesh singh 500
220 lekhraj 500
221 devesh pratap singh 800
222 rajesh kumar 500
223 qamrul hasan 500
224 abdul malik 500
225 hirdesh kumar 500
total 13700
total 23800
zubair nasir, moradabad
सरकार की डिफेक्टिव SLP डालने की रणनीति अब अपने सफलता की ओर अग्रसर है | सरकार का मकसद था की वह अपने अकेडेमिक समर्थकों को मानसिक रूप से अपनी हार बर्दाश्त करने लायक अवस्था मे लाये ताकि उनकी प्रतिक्रिया की संभावना शून्य हो और साथ ही वह उन्हे पर्याप्त समय दे कर उन्हे सुप्रीम कोर्ट जाने के लिये प्रोत्साहित कर रही थी ताकि अपनी हार को वे खुद लिखवायें और इसका जिम्मा सरकार पर ना आये कपिल की डिफेक्टिव SLP ने उनका ये उद्देश्य भी पूरा कर दिया अब चाहे चाहे कपिल डीफेक्ट सही करवाये या भाड में जाये , अब मीडिया के मध्यम से ये बात सबको पता तो चल ही चुकी है की अकेडेमिक वाले सुप्रीम कोर्ट मे लड रहे हैं और उनके हारने के बाद सभी को यही लगेगा की ये खुद अपना केस हार गये | 15 जनवरी को डीफेक्ट सही करने का समय भी खतम हो जाने के बाद सरकार का टारगेट पूरा हो जायेगा और अगले हफ्ते वह हाइकोर्ट के फैसले के अनुरूप भर्तियोँ का एलान करेगी |
ReplyDeleteदोस्तों . . . . . . . . .
ReplyDeleteकिसी भी प्रकार की गलतफहमी में मत रहो ,,,,,,
ये सरकार तीन बातो को पूरा करे बगैर जूनियर की काउंसिलिँग नहीं करा सकती है ,,,,
(१) सरकार सुप्रीम कोर्ट में डाली गयी अपनी SLP
या तो वापस ले,और १२ वे नियम के तहत जूनियर में भी टेट मेरिट से भर्ती स्टार्ट कर दे,,,,,
(२),,,सरकार अपनी SLP की कमी को दूर कर मान्य
सुप्रीम कोर्ट में हियरिंग को सुनिश्चित करे,,,और उस पर कोर्ट के रूल को फॉलो करे,,,,
(३),,,,सरकार सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी SLP को वापस ले और साथ में एक न्यू अमेंडमेंट करे और टेट के अंको को वेटेज दे कर अपनी जूनियर की भर्ती को स्टार्ट
करे ,,,और ये सब काम सरकार को २० फ़रवरी से पहले ही कर ले ,,,,वर्ना कोर्ट सरकार को फुटबाल बना देगा ,,,,,,,,,,,
हाँ,,,,,
नोट ,,,,,
ध्यान रहे ,,,,
७२८२५
वाली भर्ती को सरकार को टेट मेरिट से ही करना होगा ,नहीं तो कोर्ट की अवमानना के चक्कर मे सचिवको जेल जाना होगा ,,,,,
सरकार के पंख काटे जा चुके है,,,,,, 20 फरवरी तक यूँ ही फड़फड़ाएगी इसके बाद उसका यह अधिकार भी कोर्ट छीन लेगा,,,,,,
पर मेरे प्यारे दोस्तों अभी चैन से सोनेका समय नहीं आया है,,,,
जरुर सोयेंगे,,,,लेकिन २०
फ़रवरी के बाद ,,,,उससे पहले जी भरकर लड़ लो ,,,,,,,
अब हम बता देंगे,,,,लडाई कैसे जीती जाती है ।
बहुत ही नीच और घटिया सरकार है उ.प्र.
ReplyDeleteकी लगातार हाई कोर्ट द्वारा लतियाए जाने के बाद
इसकी बेशर्मी दूर नही हो रही है....आज फ़िर
लतियाया है कोर्ट ने इसे.....
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अखिलेश सरकार को एक और
करारा झटका देते
हुए बीते दिनों हुए आउट ऑफ टर्न
प्रमोशन को अवैध करार दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि सिपाही से
लेकर इंस्पेक्टर तक जितने भी आउट
ऑफ टर्न प्रमोशन हुए हैं, सभी अवैध हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि 2008
सेवा नियमावली में ऐसी कोई बात
नहीं है, जिसके आधार पर आउट ऑफ
टर्न प्रमोशन दिया गया।
हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तयार करते हुए सूबे के
डीजीपी और प्रमुख
सचिव को आदेश दिया है कि वे
छह महीने के भीतर बताएं कि सरकार
ने कितने अवैध प्रमोशन किए।
गौरतलब है कि पिछले करीब छह
महीने में कई दफा हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के
फैसलों को सिरे से
खारिज कर दिया है।
चाहे
वो टीईटी का मामला हो या फिर
आतंकियों से केस वापसी का मामला,
हाईकोर्ट ने अखिलेश सरकार को बार-बार
चुनौती दी है।
ऐसे में पहले ही तमाम दुश्वारियां झेल
रही यूपी सरकार के लिए यह
फैसला एक बड़ी मुसीबत के रूप में
सामने आया है।
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ReplyDeleteE
R
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W
A
L
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हर लम्हा आपके होठों पे मुस्कान रहे,
हर गम से आप अनजान रहें,
जिसके साथ महक उठे आपकी जिंदगी,
हमेशा आपके पास वो इंसान रहे...
हमारे भारत में दो तरह के मुस्लिम है। एक वो जो अपने आप को सच्चे दिल से हिंदुस्तानी मानते हैं। देश के लिए कुछ भी कर सकते है। वो जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते है। तरक्की करना चाहते है। और दुसरो के लिए प्रेरणा स्त्रोत का काम करते है। जैसे हमारे अब्दुल कलाम साहब, AR Rehman जी जो बहुत बड़े गायक है। और भी कई आम मुस्लिम नागरिक जिनका हमें पता नहीं है।
ReplyDeleteदुसरे वो मुस्लिम हैं जो अपने आप को भारत का दुश्मन मानते हैं। अपने आप को पाकिस्तानी मानते हैं। जो भारत में हिन्दुओ को ख़त्म करके भारत को पूरी तरह इस्लामिक देश बनाना चाहते हैं। ये वो मुस्लिम लोग है जो क्रिकेट में पाकिस्तान के खिलाफ भारत का विकेट गिरने पर पटाखे फोड़ते हैं। फिर ये ऐसे संगठन से जुड़ जाते हैं जो आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते हैं। IM और SIMI जैसे संगठन इस बात को जीता जगता उदाहरण है जिसके सदस्य भारतीय मुस्लिम बनते हैं। टुंडा जेसे आतंकवादी जेसे लोग।
ऐसे दुसरे मुस्लिम लोगो के कारन अच्छे मुस्लिम को भी लोग शक की नज़र से देखा जाता हैं।
हिन्दू चाहते है कि सब भारतीय बन के एक साथ रहे । पर अब क्या जब ये लोग खुद अपने आप भारतीय नहीं मानते...
रविवार 12 जनवरी को 20 जिलो की मीटिंग से बहुत निराशा हुई... इलाहाबाद और अम्बेडकरनगर को छोडकर अन्य जिलो मे तो 15 एकेडमिक समर्थक भी मीटिंग मे भी नही पहुंचे... SLP क्या पड गई अधिकांश एकेडमिक समर्थक घर मे आराम करने लगे.... अगर यही हाल रहा तो एकेडमिक की जीत मुश्किल मे पड जायेगी.... हमारी डिफेक्टिव SLP तब तक फाइनल नही की जायेगी जब तक हमारे पास वकील की पूरी फीस नही हो जाती.... क्योकि फाइनल होने के बाद 07 दिन के अन्दर पहली डेट लगेगी और उससे पहले वकील की फीस हर हाल मे देनी होगी.... और अगर हम भी घर बैठकर आराम करने लगे तो परिणाम सबको पता है ............
ReplyDelete20 नवंबर के हाई कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षक भर्ती मामले मे सरकार और अकेडमिक वालों की स्थिति पंख कटे हुए पक्षी की तरह हो गई है । दोनोँ आजकल नित नए फंडे ईजाद कर फड़फड़ा रहे है । कभी slp तो कभी उर्दू शिक्षक की नियुक्ति की घोषणा कभी जूनियर की काउंसलिँग तो कभी बी टी सी की काउंसलिँग की घोषणा कर भोले भाले लोगों लोगों को बेबकूफ बना रहे है । 20 फरवरी तक फड़फड़ा तो सकते वें मगर चाहकर भी कुछ नही कर सकते । 20 फरवरी के बाद यह अधिकार भी हाई कोर्ट की निगरानी मे आते ही फड़फड़ाना भी बंद हो जाएगा ।
ReplyDeleteBreaking News ...
ReplyDelete1- अरविंद केजरीवाल ने अंडरवियर खरीदने से इन्कार कर दिया क्योंकि उस पर लिखा था- VIP
2- जब 'अरविन्द केजरीवाल' पैदा हुये थे,तब डाक्टर उनके पिता जी के पास जाकर बोला था कि बधाई हो 'आम आदमी' हुआ है !!
3- केजरीवाल से जब उनके बेटे ने पूछा कि 'आसमान में कितने तारे हैं', उन्होंने सारे तारे गिने और बिल्कुल सही संख्या बताई।
4- जब राजा हरिश्चंद्र बच्चे थे, तब उनके पिता उन्हें अरविंद केजरीवाल की कहानियां सुनाया करते थे।
5- सुबह का बेइमान अगर शाम को केजरीवाल के साथ हो ले तो उसे बेइमान नहीं कहते ।
6- ईमानदारी का SI यूनिट अरविंद केजरीवाल होता है ।
7- केजरीवाल ने एक दुकानदार के खिलाफ घूस देने का केस दर्ज करा दिया क्योंकि उसने गलती से 10 रुपये ज्यादा लौटा दिये थे....
1. शिक्षा-मित्र बिना टेट के कभी भी स्थायी नियुक्त नहीं होंगे यदि उन्हें टेट परीक्षा देने का मौका दिया गया तो भी ॥
ReplyDelete2. जूनियर मैथ्स/साइंस 29334 की भर्ती अब नहीं होगी ,,,,,,,,,, होगी तो न्यू ऐड पर यदि न्यू ऐड आया तो ॥
3. उर्दू - मोअल्लिमों की अवैध भर्ती पूर्णतया रद्द होगी ॥
4. मायावती सरकार द्वारा निकली गयी 72825 PRT भर्ती अब सिर्फ और सिर्फ टेट मेरिट पर ही होगी ,,, शुद्ध गुणांक अब दफ़न हो चुका है सदा-सदा के लिए ॥
5. अब बेसिक शिक्षा-विभाग में कोई भी भर्ती बिना टेट-वेटेज के नहीं होगी ॥
____________ चलते हैं ,,फिर मिलेंगे --- धन्यवाद ॥
Kidney (गुर्दे) को साफ़ करे हरे धनिए के साथ::
ReplyDeleteधनिए के एक गुच्छे को पानी से धो ले और इसके पत्तो को तोडकर बारीक-बारीक काट ले और इन्हे एक गिलास पानी में डालकर 10 मिन्ट तक उबाले और छान कर ठण्डा होने के लिए रख दे, अच्छे से ठण्डा होने के बाद इसको पी ले, रोजाना ऐसा करे, कुछ दिन में ही आपके गुर्दे की सफ़ाई हो जाएंगी और सारी गंदगी मूत्र के साथ अपने आप बाहर निकल जाएगी ।
Mai khud ko ab govt. Job karte hue dekhna chahta hun. Apne mata ~ pita ke mayus chehre ab dekhe nai jate.√÷×=π.- in sab singhn ko blackboard par use karna chahta hun. Blog ke in pege par nahi!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteदेशवासियोँ , अगर LPG 15 सिलिंडर मिलते हैं तो ठीक
ReplyDeleteहै ,अच्छी बात है. लेकिन इसका ये मतलब
नहीं कि वोट Congress को मिलेगा.
वोट तो मोदी को ही देंगे. क्यूंकि अगर कांग्रेस
को वोट दिया तो फिर आने वाला वक़्त बहुत खराब होगा. ये
ढोँगी कहेंगे कि जनता ने चुन कर भेजा है ,हम
जो मर्ज़ी करेगे .5 साल तक रोते रहना अब हमें
पसंद नहीं है. अब
इनका सफाया होना ही चाहिए.
नमो को वोट देगे चाहे कुछ भी
हो जाये कांग्रेस को मिटाना है
इस बार ।
मेरी प्यारी होने वाली बीवी,
ReplyDeleteमैं नहीं जानता कि तू कौन है। बस इतना जानता हूँ कि तू मेरे लिए बनी है और मैं तेरे लिए।
मैं नहीं जानता कि तू मेरे बारे में क्या सोचती है। बस इतना जानता हूँ कि मैं तेरी इतनी फ़िक्र कर रहा हूँ तो तू भी मेरी फ़िक्र करती होगी।
मैं नहीं जानता कि तू इस वक्त कहाँ है । बस इतना जानता हूँ कि मैं तुझे सपनों में देख लेता हूँ तो चोरी छुपे ही सही,तू भी तो मुझे देखती होगी।
मैं नहीं जानता कि तेरे शौक और तेरी पसंद क्या है। बस इतना जानता हूँ कि एक दिन तेरी पसंद मेरी पसंद होगी और मेरी पसंद तेरी पसंद।
मैं नहीं जानता कि तू कैसी दिखती है। बस इतना जानता हूँ कि एक दिन तू मेरी परछाई होगी और मैं तेरी।
मैं नहीं जानता कि तेरे दिल मैं कल के लिए कितने सवाल है। बस इतना जानता हूँ कि तेरे उन सवालों का जवाब मैं हूँ और मेरे सवालों का जवाब तू।
मैं नहीं जानता कि तू शरारती है या शांत चित्त। बस इतना जानता हूँ कि जैसी भी है तू मेरी है।
मैं नहीं जानता कि तू गोरी है या काली। बस इतना जानता हूँ कि तू काली है तो मेरी आँख का काजल है और गोरी है तो मेरे जीवन का श्रृंगार।
मैं नहीं जानता कि तू दुनिया के किस कोने में है। बस इतना जानता हूँ कि मेरे दिल के तो हर कोने में तू है।
मैं नहीं जानता कि मैं क्या लिख रहा हूँ। बस इतना जानता हूँ कि तेरे लिए मेरे दिल में जो भाव थे वो लफ्जों में बयां करने की कोशिश कर रहा हूँ ।
तुम्हारा
वो ॥
♥•~ माता पिता का एक छोटा सा पैगाम :- बेटे के नाम
ReplyDelete:•~ 1. जिस दिन तुम हमे बूढ़ा देखो तब सब्र करना और हमे
समझने की कोशिश करना.
:•~ 2. जब हम कोई बात भूल जाए तो हम पर
गुस्सा ना करना और अपना बचपन याद करना.
:•~ 3. जब हम बूढ़े होकर चल ना पाए तो हमारा सहारा बनना और अपना पहला कदम याद करना.
:•~ 4. जब हम बीमार हो जाए तो वो दिन याद करके हम पर अपने पैसे खर्च करना जब हम तुम्हारी ख्वाहिशे पूरी करने के लिए अपनी ख्वाहिशे कुर्बान करते थे.
:•~ 5. जब हमारे आँखों मे आँसू देखना तो वह दिन याद करना , जब तुम रोते थे , तो सीने से लगाकर चुप कराते थे।
:•~ 6. जब हम ठंड से ठिठुर रहें हो तो , और गुहार लगा रहें
हों , तो बिना कोई देर किये हमारे ऊपर रजाई औरकम्बल डालना ।
वह दिन याद करना जब ठंड के दिनों मे पैरों से रजाई
नीचे गिरा देते थे और ठंड लगने पर रोते थे , तो अपने
कलेजे लगाकर फिर रजाई ओढाते थे ।
इस खूबसूरत संदेश को सभी को बताइए और अपने
अभिभावको का सम्मान कीजिए....
एक छोटा बच्चा एक बड़ी दूकान पर लगे
ReplyDeleteटेलीफोनबूथ पर जाता हैं और मालिक से छुट्टे
पैसे लेकर एक नंबर डायल करता हैं|
दूकान का मालिक उस लड़के को ध्यान से
देखते हुए उसकी बातचीत पर ध्यान देता हैं
लड़का- मैडम क्या आप मुझे अपने बगीचे
की साफ़ सफाई का काम देंगी ?
औरत- (दूसरी तरफ से) नहीं, मैंने एक दुसरे
लड़के को अपने बगीचे का काम देखनेके लिए
रख लिया हैं |
लड़का - मैडम मैं आपके बगीचे का काम उस
लड़के से आधे वेतन में करने को तैयार हूँ !
औरत - मगर जो लड़का मेरे बगीचे का काम
कर रहा हैं उससे मैं पूरी तरह संतुष्ट हूँ |
लड़का - ( और ज्यादा विनती करते हुए) मैडम
मैं आपके घर की सफाई भी फ्री में कर दिया करूँगा !!
औरत - माफ़ करना मुझे फिर भी जरुरत नहीं हैं
धन्यवाद |
लड़के के चेहरे पर एक मुस्कान उभरी और
उसने फोन का रिसीवर रख दिया |
दूकान का मालिक जो छोटे लड़के की बात बहुत
ध्यान से सुन रहा था
वह लड़के के पास आया और बोला- " बेटा मैं
तुम्हारी लगन और व्यवहार से बहुत खुश हूँ, मैं
तुम्हे अपने स्टोर में नौकरी दे सकता हूँ"
लड़का- नहीं सर मुझे जॉब की जरुरत नहीं हैं
आपका धन्यवाद |
दुकान मालिक- (आश्चर्य से) अरे
अभी तो तुमउस लेडी से जॉब के लिए
इतनी विनती कर रहे थे !!
लड़का- नहीं सर, मैं अपना काम ठीक से कर
रहा हूँ की नहीं बस मैं ये चेक कर रहा था, मैं
जिससे बात कर रहा था, उन्ही के यहाँ पर
जॉब करता हूँ |