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Sunday, January 19, 2014

SSC EXAMINATION SCHEDUE 2014

Sarkari Naukri Damad India. Latest Upadted Indian Govt Jobs - http://sarkari-damad.blogspot.com
SSC EXAMINATION SCHEDUE 2014

ENTATIVE SCHEDULE FOR EXAMINATIONS TO BE HELD DURING
THE YEAR 2014 (January to December 2014)

SSC Departmental Examination -

Published at http://sarkari-damad.blogspot.com (Click on the Labels below for more similar Jobs)


5 comments:

  1. अगर यहाँ आपको कभी मेरी कोई बात समझ मेँ न आये तो. . तो. . . तो. . . .
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    तो समझ लेना कि बात बडे स्तर की हो रही है ।

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  2. प्रिय मित्रोँ
    सरकार शीत निषक्रियता के स्थिति मे है और इसकी गति बता रही है कि यह ग्रीष्म ऋतु के प्रारम्भ मे ही बाहर निकलना चाहती है।
    कुम्भकर्णी नींद से जगाने के अतिरिक्त प्रयास करने पडेंगे।अब लगता है दो बूंद अवमानना के भी जल्द पिलाने पडेंगे जिसके लिए संगठन स्तर विचार विमर्श की शीघ्र आवश्यकता के मद्देनजर रणनीति बनाये जाने की आवश्यकता है।
    अभी तक सरकार बेरोजगारो से पैसा वसुलने के सिवाय कोई उपलब्धि हासिल करने मे असफल रही है पर बेरोजगारो से लिया गया धन उसके सफेद कमीज पर काले धब्बे के समान है जो किसी वाशिंग पाउडर से नही धुलेगा।
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    काट कर सारे दरख्तों को गिराने वाले,सोचोगे एक दिन जब सर पर साया भी नही होगा।।
    जय टेट

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  3. कुल मास्टर मस्टराईन भइया भऊजी और बहिनी लोगन के छोटके भाई क प्रणाम,
    अखिलेशवा ससुरा बहुत मस्त अउर तूफानी वकील पाय गयल हौ, गदहवा के समझी में ना आवत बा कि बड़के दद्दा से का बोले के हौ ससुरा चवन्नी चोर खुद्दै डिफेक्टिया गयल बा और ना जानी केतना जने एकरे डिफेक्ट के नाते डिफेक्ट डिफेक्ट करत करत फँसड़ी लगा लेहने अउर नद्दी में कूद गईनैं पर ससुर डिफेक्ट ना एड्स हो गयल बा ठीक होवै क नाम ना लेत हौ,जब से हरकौली काका अखिलेशवा के पिछवाड़े पे डंडा बजौले बाटैं तब से कुकुरमुत्तवा क हालत मिर्गी और दमा के मरीज जैसन हो गयल बा समझै ना पावत बा कि का करै के हौ. गर्गवा के खोपड़ी में लोहे क कीड़ा पड़ैं एनहने ससुरे कुल मिल के हमार शादी ना होवै देत बाटैं एनहन के भगवान अगले जनम में मूसड़ी बनाय दिहा. आवा ससुरू क नाती वोट ना सोटा देब आवा बोरा में भर के लाठी लाठी मारब, हमार बस चलै त अखिलेशवा के ड्यूटी शौचालय में पानी डालै क लगा देईं ।

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  4. सभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
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    तो लीजिये पेश-ए-खिदमत है माननीय अखिलेश यादव जी का सुसाइड नोट-
    * मैं अकल-लेस यादव, मूर्खमंत्री ऑफ़ उत्तर प्रदेश, अपने पूरे होश-ओ-हवाश में आज पहली बार बिना अपने चाचाओं से पूछे आत्महत्या करने जा रहा हूँ, यह कार्य मेरी जिन्दगी में किये गए कुछ स्वैच्छिक कार्यों में से एक है और इसके लिए किसी भी टेटवीर या निरहुआ को दोषी ना माना जाय। दरअसल मैं मरना तो नहीं चाहता था क्योंकि मुझे पता है की कुछ टेटवीर जो मुझसे पहले आत्महत्या कर चुके हैं वो यमलोक के रास्ते में हाथ में फटे जूते लेकर मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे, किन्तु यहाँ भी चैन कहाँ है। मेरे चचाजान लोगों की करनी का फल भुगतते-भुगतते नौबत यहाँ तक आ पहुंची है की मेरे बच्चे भी अपने स्कूल के परीक्षा फार्म में पिता के नाम की जगह 'पलटुआ' और अकल-लेस लिखने लगे हैं और पत्राचार का पता भी आगरा के किसी पागलखाने का लिखते हैं, और आश्चर्य की बात तो देखिये की उनके शिक्षक उन्हें इस बात पर आपत्ति जताने की बजाय शाबाशी देते हैं। अब तो लोगों ने अपने बच्चों का नाम भी 'अखिलेश' रखना बंद कर दिया है। मेरा नाई भी मेरे बाल काटते समय टेट/अकेडमिक की ख़बरें सुनाया करता है और कहता है की टेट/अकेडमिक का नाम सुनते ही मेरे बाल खड़े हो जाते हैं और उसका काम आसान हो जाता है। मुझे सबने हनुमान जी के मंदिर का घंटा समझ रखा है जिसकी जब मर्जी हो तभी बजा देता है। कभी गलती से अगर किसी गधे के साथ फोटो खिंच जाए तो यह स्पष्टीकरण देना पड़ता है की गधा किस ओर खड़ा है और मैं किस ओर खड़ा हूँ। मैंने सारे चोर ,लुटेरों, बलात्कारियों, कमीनो और भ्रष्टाचारियों को अपनी सरकार में मंत्री इसलिए बनाया ताकि जनता को इनसे मुक्ति मिल सके और ये जनता से दूर मेरे पास रह सकें, लेकिन जनता मेरे इस त्याग को भी नहीं समझ पायी। मैंने खामखाँ मूर्खमंत्री (मुख्यमंत्री) पद की शपथ ली इससे तो अच्छा मैं कहीं चाट-पकौड़ी का ठेला लगा लेता, कम से कम इन झंझटों से मुक्ति तो मिल जाती। इससे बड़ी बेइज्जती क्या होगी की मेरे ही बच्चे और बच्चों की अम्मा मेरे खिलाफ किये गए निरहुआ के पोस्ट पर like करते हैं। दहशत का आलम यह है की बच्चे पॉकेट मनी मांगते समय आँखें दिखाते हैं की जल्दी से पैसे दे दो वरना निरहुआ अंकल से कह कर तुम्हारे खिलाफ एक और पोस्ट करवा देंगे। पत्नी महोदया का तो कहना ही क्या, ऐसा सुनने में आ रहा है की इन्होने किसी पागलखाने में मेरे लिए एडवांस बुकिंग करवा रखी है और किसी प्रसिद्ध मनोचिकित्सक से संपर्क मेंभी हैं। अब ज्यादा क्या कहूँ, अभी कल ही सत्यमित्र गर्ग की पत्नी का फोन आया था, कह रहीं थीं की जल्दी इस टेट-वेट को निपटाओ वरना 'ये' पागल हो जायेंगे। एक तरफ चाचा लोग हैं जो सारी दुनिया से बेखबर सैफई में अपने जवानी के दिनों को याद कर रहे हैं और दूसरी ओर ये टेटवीर निरहुआ के साथ मिलकर मेरी कब्र खोदने में जुटे हुए हैं। डर लगता है की कहीं एक दिन इंदिरा गांधी वाला हाल मेरा भी ना हो जाय इसलिए मैं स्वयं आत्महत्या करने जा रहा हूँ (वैसे ऐसा कभी करूँगा नहीं ) नरक लोक में मुझे जगह मिले ऐसी मेरी कामना है।

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  5. शुभ संध्या बंधुओं,
    सभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
    कपिलदेव यादव को भी यह यकीन हो चुका है की अब अकेडमिक मेरिट का कोई भविष्य नहीं है। अतः उन्होंने भारी भरकम दहेज़ की मांग दरकिनार करके जल्द से जल्द शादी कर लेना उचित समझा, और अपने अथक प्रयासों से उन्होंने 'योग्य' जीवनसाथी खोज निकाला। झट मँगनी पट ब्याह भी हो गया और निरहुआ बेचारा देखता रह गया। कपिलदेव जी ने निरहुआ को अपनी शादी में आमंत्रित तक नहीं किया, बेचारा निरहुआ अंत समय तक आमंत्रण की प्रतीक्षा करता रहा किन्तु कपिलदेव जी निरहुआ को ठेंगा दिखाकर ब्याह करने चल दिए। खैर शादी और अन्य समारोह वगैरह कुशल मंगल से निपट गए और दुल्हन विदा होकर कपिलदेव जी के घर आ गयी, निरहुआ ने जब कपिलदेव जी के घर जाकर उन्हें बधाई देनी चाही तब भी महोदय अपनी अकड़ में डूबे रहे और निरहुआ को कोई भाव नहीं दिया, बेचारा निरहुआ मन मसोसकर रह गया। खैर, कोई बात नहीं। अगले दिन कपिलदेव जी बड़ी चिंतित मुद्रा में एक बगीचे में टहलते नजर आये, उनकी मुस्कराहट गायब थी और चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंची नजर आ रहीं थीं साथ ही वह रह-रह कर कुछ बडबडा भी रहा था। उसकी यह हालत देखकर निरहुआ का माथा ठनका, कुछ सोच-विचार के पश्चात निरहुआ कपिलदेव जी के पास गया और सहानुभूति जताते हुए चिंता का कारण पूछा। तब कपिलदेव जी ने कहा कि-
    कपिलदेव:- क्या बताऊं निरहुआ भाई, बड़ी विषम परिस्थिति पैदा हो गई है। शायद तुम्हे मालूम नहीं है कि अकेडमिक वालों के चंदे के पैसों से मैं रोज रात में 'मस्ती' करता था, कल मेरी सुहागरात थी यार और सुबह जब मैं नींद में उठा तो मुझे याद ही नहीं रहा की मैं किसी कोठे पर नही बल्कि अपनी बीवी के पास हूँ और नींद की झोंक में अपनी आदत के अनुसार उसे 500 रूपये का नोट पकड़ा बैठा।
    निरहुआ:- अरे बेवकूफ इसमें चिंता करने वाली बात कौन सी है, तू धैर्य रख और खुश हो जा, उसे कुछ नहीं पता चलेगा और वो उस पैसे को सुहागरात का तोहफ़ा मानकर रख लेगी। तू इतनी सी बात को लेकर नाहक हलकान हो रहा है, देख लेना सब ठीक हो जायेगा।
    कपिलदेव यादव:-(झुंझलातेहुए) अरे पैसे देने पर कौन परेशान हो रहा है भाई, परेशानी तो इस बात की है कि पैसे लेते वक्त वो भी नींद में थी, कमबख्त ने मुझसे 500 का नोट लिया और उसके असली-नकली होने की जांच करने के बाद उसे अपने पर्स में रख लिया, इसके बाद उस चुड़ैल ने मुझे 400 रूपए अपने पर्स से निकाल कर वापस कर दिए। निरहुआ अब तू ही बता कि मैं क्या करूँ? तब से ही मैं उदास हूँ ।
    (स्थिति को समझते ही निरहुआ वहाँ से भाग खड़ा हुआ। भागते-भागते निरहुआ चिल्लाया-'जैसे को तैसा' )

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