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Sunday, February 2, 2014

Central Reserve Police Force (CRPF)

Sarkari Naukri Damad India. Latest Upadted Indian Govt Jobs - http://sarkari-damad.blogspot.com
Government of India, Ministry of Home Affairs
Central Reserve Police Force (CRPF)


Advertisement for recruitment of Assistant-Sub-Inspector - ASI (Steno) in Central Reserve Police Force

Applications are invited from Indian citizens to fill up the following vacancies in the rank of Assistant Sub Inspector -ASI (Steno) in Central Reserve Police Force. :

  • Assistant-Sub-Inspector (ASI) - Steno : 271 posts, Age : 18-25 years as on 22/02/2014, Pay Scale : Rs. 5200-20200 Grade Pay Rs. 2800/-

 


Application Fee : Application fee of Rs. 100/- in the form of Indian Postal Order duly crossed/ Demand Draft/ Banker’s Cheque in favour of DIG, Group Centre, CRPF of concerned Application Receiving Centres identified for their respective States  be sent by General and OBC candidates along with the application form. No application fee is required to be paid by SC/ST candidates,Ex-Servicemen and Mahila candidates.


How to Apply : Eligible and desirous candidates, who fulfill eligibility conditions, may send their application in the prescribed proforma on or  before 22/02/2014 to the DIG, Group Centre, CRPF of concerned Applications Receiving Centres as mentioned in detailed advt.

For complete detail of the advertisement for information like selection process, eligibility criteria, how to apply, certificates to attach with application form and Application Form, please see http://crpf.nic.in/RECRUITMENT/354112.pdf


Published at http://sarkari-damad.blogspot.com (Click on the Labels below for more similar Jobs)

9 comments:

  1. बेटी ने आम खाकर गुठली और छिल्लका आँगन में फेंक दिया।
    मैंने देखा एक चींटी छिलके की तरफ चली आ रही है,
    आज चींटी भर पेट भोजन करेगी फिर सोचा कहीं ये इतना न खा ले
    कि पचा भी ना पाए।
    मगर ये क्या चींटी तो सिर्फ सूंघ कर चली गयी। बहुत आश्चर्य हुआ,
    कोई चींटी मीठा आम छोड़ कर कैसे जा सकती है? अरे!!!!
    ये क्या, अभी मैं ये सब विचारों के उधेड़- बुन में ही था कि मैंने देखा, बहुत सारी चींटियाँ पंक्तिबद्ध छिलके और गुठली की तरफ बढ़ रहीं थीं।
    अब मेरी समझ में आ गया था कि वो चींटी सिर्फ सूंघ कर क्यों चली गयी थी।
    काश, ऐसी सोच मनुष्य के मन में भी होती, तो दुनिया का कोई इंसान भूखा नही रहता !

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  2. वो मुहब्बत ही थी
    __________________
    हॉस्पिटल के आई . सी . यू वार्ड में बहुत सन्नाटा पसरा हुआ हे . मौत ने अपने आने की जेसे पहले से सूचना भेज दी हे . आदित्य बिस्तर पे लेटा हुआ हे . उम्र के ५२ बसंत देख चुके आदित्य को बहुत बैचैनी सी हो रही थी . डॉक्टर ने पहले की २४ घंटे का अल्टीमेटम दे दिया था . ब्लड कैंसर का दानव एक और जिंदगी लीलने को तैयार था .
    पास में प्रसून बैठा हुआ था . बचपन से बुढ़ापे तक एक यही एसा इंसान था जो आदित्य को अच्छे से समझाता था . उसके चेहरे से उसका मन पढ़ लेता था .
    आदित्य को यू बैचैन देखकर उसने आँखों में आंसू दबाये उसके पास आकर धीरे से पूछा ,
    " किसी को बुलाना हे .............???"
    आदित्य ने ना में गर्दन हिला दी . लेकिन प्रसून समझ गया . वो तुरंत एक फ़ोन करने बाहर चला गया . मृत्यु से पहले इंसान का पूरा जीवन उसके सामने एक चल चित्र की तरह चलने लगता हे . आदित्य का जन्म एक पैसे वाले खानदान में हुआ पिता तहसीलदार थे. खानदानी जमीन जायजाद थी . आदित्य को कभी किसी बात की कमी न रही . जो चाहा मिला . और शायद इन बातो ने उसे थोडा सा जिद्दी बना दिया . एक बात पे अड़ जाता तो आसानी से उसे छोड़ता नहीं .
    जब कॉलेज में जाने लगा तो प्रसून के अलावा एक और इंसान उसकी जिंदगी में आया . नाम था विभा . कॉलेज में आदित्य और प्रसून के साथ ही पड़ने वाली एक बड़े डॉक्टर की बेटी . आदित्य के जेसा ही मिलता जुलता स्वभाव लेकिन उतनी अकड न थी . कुछ वक्त में उन दोनों के बीच गहरी मित्रता हो गयी . प्रसून ये सब देख रहा था पर चुप था .
    मित्रता के रंग में प्रेम की सुगंध कब घुल गयी ये आदित्य और विभा किसी को पता न चला . विभा कॉलेज में होने वाली वाद विवाद और भाषण प्रतियोगिता में जैम कर हिस्सा लिया करती थी और जीता भी करती थी . लेकिन इस बार उसके मुकाबले आदित्य था प्रतिपक्ष में . मुकाबला हुआ और पहले की तरह ही विभा की जीत हुई और आदित्य को हार का मुह देखना पड़ा . आदित्य सबके सामने विभा से मिली इस हार को स्वीकार नहीं कर पाया . अन्दर ही अन्दर उसे बहुत बुरा लगा .
    कुछ दिन बाद विभा उसे अपने मन में उठ रहे प्रेम के अंकुर के बारे में बताने उसे मिली . तो आदित्य बहुत बदला बदला सा था . विभा ने लड़की होते हुए भी पहल करते हुए कहा ,
    " में आपसे मुहब्बत करने लगी हु . मुझे लगा आपको बता दूं . आप भी मुझे मुहब्बत करते हे ये में जानती हूँ ."
    आदित्य उस हार को भुला नहीं था वो हर बार विभा की मन मर्जी नहीं चलने देगा ये सोचकर उसे कहा,
    " ये मुहब्बत नहीं सिर्फ एक दोस्ती हे विभा . गलत न समझो इसे ."
    ये कहकर वो आगे बढ़ गया . प्रसून को विभा ने सारी बात बताई और कहा की आदित्य को समझाए लेकिन प्रसून की एक बात भी आदित्य ने नहीं मानी . समय पंख लगाकर उड़ गया . विभा की शादी कहीं और हो गयी . और आदित्य ने आजीवन विवाह नहीं किया .
    आदित्य का ध्यान टुटा तो देखा हॉस्पिटल के कमरे में वो अकेला था . साँसे तेज हो रही थी . प्रसून बाहर से लौटा और ऊसके पास बैठकर रोते हुए आदित्य का हाथ पकड़कर बोला ,
    " देख यार जो बात रह गयी उसे कम से कम आज कह दे . एसे दिल में कोई बात लेकर न जाना . तुझे मेरी दोस्ती की कसम हे..............'"
    आदित्य का शरीर काँप रहा था . एसा लग रहा था जेसे कोई जिस्म से प्राण निचोड़ रहा था . प्रसून से ये हालत देखि नहीं जा रही थी . उसने आदित्य का सर अपनी गोद में रख लिया . विदाई का वक्त आ चला था . इतने में उस कमरे के दरवाजे पर एक दस्तक हुई . हां वो विभा ही थी . शोल लपेटे आँखों में एक चस्मा चढ़ाये उसने बहुत गहरी आँखों से आदित्य की तरफ देखा . चश्मे के पीछे से आँखे भीग सी गयी . भले ही विभा अपने जीवन में आगे बाद चुकी थी लेकिन मन के किसी कोने में आदित्य का वो चेहरा आज भी था .
    प्रसून ने विभा को देखा तो उसे इशारे से पास बुलाते हुए कहा ,
    " आदित्य कुछ कहना चाहता हे तुमसे ... यहाँ आओ ..."
    विभा थोडा और करीब आई . आदित्य ने विभा का चेहरा सालों बाद देखा लेकिन उसे आज भी वही कॉलेज वाली विभा ही नजर आ रही थी . आदित्य ने कांपते हुए हाथों की हथेलियों को जोड़कर बहुत दर्द भरी आवाज में कहा ,
    " मुझे माफ़ कर देना विभा . तुम सही थी .......................
    वो मुहब्बत थी ."
    इतना कहते ही जुड़े हुए हाथ बेजान होकर बिस्तर पर गिर पड़े . प्राण पंछी उड़ चूका था . विभा की आँखों में आंसू आ गए . प्रसून अपने यार की छाती से लगकर रोये जा रहा था.
    विभा आदित्य की माफ़ी से पिघलकर आदित्य को अब क्षमा कर चुकी थी .

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  3. खफा भी करते हैं वफ़ा भी करते हैं
    अपने प्यार को बयाँ भी करते हैं
    ना जाने कैसी नाराज़गी है उनकी हमसे
    हमें खोना भी चाहते हैं और पाने की दुवां भी करते हैं!

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  4. फिर से निकलेंगे तलाश-ए-ज़िंदगी में;
    दुआ करना इस बार कोई बेवफ़ा ना मिले।

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  5. ये और बात है कि वो निभा ना सकी .......
    मग़र जो किए थे उसने वो वादे ग़ज़ब के थे...

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  6. मुज्जफरनगर पीड़ितों को मुलायम/अखिलेश सरकार का एक और तोहफा। सलमान खान की 'जय हो' अब यूपी में टैक्स फ्री है।

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  7. - पहले लोग गेहूं के साथ मोटा अनाज ((जौ, चना, बाजरा)) भी खाते थे, इसलिए मोटे अनाज से उन्हें पौष्टिक तत्व मिलते थे और वो तंदुरूस्त रहते थे।
    - आजकल लोगों ने मोटा अनाज खाना छोड़कर केवल गेहूं का उपयोग करना शुरू कर दिया है। इससे उन्हें पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं।
    - ज्वार, बाजरा, रागी तथा अन्य मोटे अनाज उदाहरण के लिए मक्का, जौ, जई आदि पोषण स्तर के मामले में वे गेहूं और चावल से बीस ही साबित होते हैं।
    - कई मोटे अनाजों में प्रोटीन का स्तर गेहूं के नजदीक ठहरता है, वे विटामिन (खासतौर पर विटामिन बी), लौह, फॉस्फोरस तथा अन्य कई पोषक तत्त्वों के मामले में उससे बेहतर हैं।
    - ये अनाज धीरे धीरे खाद्य श्रृंखला से बाहर होते गए क्योंकि सरकार ने बेहद रियायती दरों पर गेहूं और चावल की आपूर्ति शुरू कर दी। साथ ही सब्सिडी की कमी के चलते मोटे अनाज के उपयोग में कमी जरूर आई लेकिन पशुओं तथा पक्षियों के भोजन तथा औद्योगिक इस्तेमाल बढऩे के कारण इनका अस्तित्व बचा रहा। इनका औद्योगिक इस्तेमाल स्टार्च और शराब आदि बनाने में होता है।
    -- बाजरे में प्रोटीन व् आयरन प्रचुर मात्रा में होता है.
    - इसमे कैंसर कारक टाक्सिन नही बनते है ,जो की मक्का तथाज्वार में बन जाते है ।
    - बाजरे की प्रकृति गरम होती है। अत: बाजरा खाने वालों को अर्थ्राइटिस, गठिया, बाव व दमा आदि नहीं होता।
    - बाजरा खाने से मांसपेशियां मजबूत होती है।
    - बाजरे में उर्जा अधिक होती है जिससे बाजरा खाने वाले अधिक शक्तिशाली व् स्फूर्तिवान होते हैं।
    - बाजरे से आयरन की कमी नही होती उसे अनीमिया नही होता, हिमोग्लोबिन तथा प्लेटलेट्स ऊँचे रहते हैं।
    - बाजरा हमेशा देसी वाला (तीन माही ) ही खाएं. संकर बाजरे(साठी )की गुणवता अच्छी नही होती। अत: खेती करे तो हमेशा देसी बाजरा ही बोए और उसे देसी खाद व् कीटनाशक के साथ तैयार करे न की रसायनिक खाद यूरिया, डी ए पी व पेस्टिसाइड का उपयोग करके।
    - हालाँकि देशी बाजरे की उपज कुछ कम होती है परन्तु इसकी पौष्टिकता, नैरोग्यता व् गुणवता कई गुना अच्छी होती है। रसायनों के उपयोग करने से शुगर व अर्थराइटिस से लेकर कैसर तक की बिमारिया आती है।
    - इसके अलावा बाजरा लीवर से संबंधित रोगों को भी कम करता है।
    - गेहूं और चावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना है। डाक्टरों का कहना है कि बाजरे की रोटी खाना सेहत के लिए बहुत लाभदायक है।
    - बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है जो हड्डियों के लिए रामबाण औषधि है।
    - आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते।
    - खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम की गोलियां खाने के स्थान पर रोज बाजरे की दो रोटी खाने की सलाह चिकित्सकों ने एकमत होकर दी है।
    - इलाहाबाद में वरिष्ठ चिकित्साधिकारी मेजर डा. बी.पी. सिंह के मुताबिक सेना में उनकी सिक्किम में तैनाती के दौरान जब गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम और आयरन की जगह बाजरे की रोटी और खिचड़ी दी जाती थी। इससे उनके बच्चों को जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक कैल्शियम और आयरन की कमी से होने वाले रोग नहीं होते थे।
    - बाजरे का सेवन करने वाली महिलाओं में प्रसव में असामान्य पीड़ा के मामले भी न के बराबर पाए गए।
    - डाक्टर तो बाजरे के गुणों से इतने प्रभावित है कि इसे अनाजों में वज्र की उपाधि देने में जुट गए हैं। उनके मुताबिक बाजरे का किसी भी रूप में सेवन लाभकारी है।
    - बाजरे की खिचड़ी, चाट, बाजरा राब, बाजरे की पूरी, बाजरा-मोठ घूघरी, पकौड़े, कटलेट, बड़ा, सूप, कटोरी चाट, मुठिया, चीला, ढोकला, बाटी, मठरी, खम्मन ढोकला, हलवा, लड्डू, बर्फी, मीठी पूरी, गुलगुले, खीर, मीठा दलिया, मालपुआ, चूरमा, बिस्कुट, केक, बाजरे फूले के लड्डू, शक्कर पारे आदि कई व्यंजन बनाये जाते है.
    - बाजरे की रोटी को हमेशा गाय के घी के साथ ही खाते हैं जिससे वह पौष्टिकता व ताकत देती है। बाजरे की ठंडी रोटी को छाछ, दही या राबड़ी के साथ भी बड़े चाव के साथ खायी जाती है।
    - बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं सता सकता।
    - बाजरे के खिचडे को कुकर में न बनाए। खिचडे का बर्तन थोड़ा खुला (अधकड़) रखे ताकि खिचडे को ओक्सिजन व धूप के विटामिन डी मिलते रहे। खिचडे को गाय के देसी घी के साथ परोसे।

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  8. भाइयोँ सीधी बात पर ध्यान देँ-
    जैसा कि कुछ दिनो पूर्व हीँ एच.आर.डी. ने स्पष्ट किया था कि यू.पी. सरकार पूर्व की भर्तियोँ को बिना पूर्ण किए नये पद नहीँ सृजित कर सकती, तथा दूसरी बात जो मुख्य है वो है केन्द्र तथा राज्य मेँ शिक्षण व्यय अनुपात 65:35 का है।
    अब अगर राज्य सरकार अमुक पद पर चयन कर भी लेती है (according to RTE) तो उसे NCTE के नियम के अनुरुप हीँ करना पड़ेगा अन्यथा HRD के सहयोग से पूर्णतय: मुक्त मतलब उस अमुक पद पर चयनित अभ्यर्थियोँ को राज्य सरकार अपने राजस्व से वेतन देगी ।
    अब वर्तमान लालीपाप को अमुक चयनित अभ्यर्थी तब तक चाट सकते हैँ, जब तक राज्य सरकार चटवाएगी, मतलब अग्रिम सरकार मेँ इन्हे लालीपाप की डण्डी मिलेगी, क्योँकि लालीपाप तो खत्म होगा न और इन अमुक अभ्यर्थियोँ का वेतन छ: सौ करोड़ वार्षिक बनता है जिसे कोई भी राज्य सरकार एकल रुप से नहीँ वहन कर सकती ।

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  9. निरहुआ क्रांतिकारी 'विद्रोही'
    सभी भाइयों को निरहुआ का नमस्कार।
    आज टेट मोर्चा के पदाधिकारियों की शीर्ष बैठक
    लखनऊ बारादरी पार्क में आयोजित हुई, जिसमे
    हमारे टेट पुराधाओं सहित जिलाध्यक्षों ने
    भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सुप्रीम कोर्ट में
    आगामी रणनीति पर मोर्चे का रुख स्पष्ट करते हुए
    सभी टेट पुरोधाओं ने समवेत स्वर में सिंहनाद
    किया। हालांकि निरहुआ इस विवादस्पद बैठक में
    उपस्थित नहीं होना चाहता था लेकिन मोर्चे के
    बिखराव की उड़ती ख़बरों से विचलित होकर अपने टेट
    भाइयों के भविष्य के प्रति आशंका के मद्देनजर
    निरहुआ के कदम खुद-ब-खुद राह पकड़ बैठे। बैठक
    में गुपचुप तरीके से शामिल होकर निरहुआ अपने
    मोर्चे की आन्तरिक स्थिति से रूबरू
    होना चाहता था। अंततः यह बताते हुए निरहुआ
    का सीना गर्व से चौड़ा और मस्तक अभिमान से
    ऊँचा हुआ जा रहा है कि हमारे मोर्चे
    का नेतृत्व ना केवल योग्य हाथों में है
    बल्कि हमारा मोर्चा सरकार की किसी भी प्रकार
    की दुस्साहसिक कूटनीति का मुंहतोड़ जवाब देने
    में सक्षम है। अपने टेट भाइयों का विधिक ज्ञान
    और तकनीकि पहलुओं की बारीक जानकारी देख
    निरहुआ दंग रह गया, आज निरहुआ सीना ठोंक के
    ललकारता है कि क्या लड़ेगा कोई वकील
    या वकीलों का पैनल? अरे हमारा एक ही टेट भाई इस
    सरकार की slp की धज्जियाँ उड़ा देने में सक्षम
    है। आज तथाकथित मतभेदों को भुलाकर एक मंच पर
    खड़े अपने शीर्ष नेतृत्व को देखकर निरहुआ
    का मन आह्लाद से भर गया। साथियों, यकीन मानिए
    अब अपनी विजय सुनिश्चित है और वह भी अतिशीघ्र।
    बाकी जानकारियाँ सुबह वाली पोस्ट पर उपलब्ध
    हो पाएंगी वैसे मुझे उम्मीद है की आपको उससे
    पहले ही ये जानकारियां मिल ही जाएँगी। अपने
    टेटवीरों को एक मंच पर एक साथ मिलकर सम्पूर्ण
    ऊर्जा के साथ सरकार के सर्वनाश
    की योजना बनाते छोड़ निरहुआ पूर्ण रूप से
    संतुष्ट हो घर को लौट चला है।
    जय टेट।
    .

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