UPTET / टीईटी / TET - Teacher Eligibility Test Updates /
अतुलेश्वर धाम मानव सेवा समिति के संस्थापक स्वामी उमाशंकर महाराज के सानिध्य में यज्ञ करके प्रशिक्षु शिक्षकों ने अपनी खराब स्थिति का वास्ता देते हुए प्रदेश की सपा सरकार से रुकी हुई भर्ती अतिशीघ्र शुरू करने की मांग की। '72825 प्रशिक्षु आवेदक संघर्ष मोर्चा' के बैनर तले सैकड़ों अभ्यर्थी काफी समय से आंदोलन कर रहे हैं। बावजूद इसके सरकार ने इस मसले पर कोई उचित कदम नहीं उठाया। इससे आहत अभ्यर्थियों ने धार्मिक अनुष्ठान करके परमात्मा से सरकार को सद्बुद्धि देने की कामना की। अभ्यर्थियों की ओर से छह फरवरी तक सहस्त्र रुद्राभिषेक, भागवत कथा व रामकथा का आयोजन किया जाएगा। सद्बुद्धि यज्ञ में रेखा ओझा, सुमन, राजरती, नीतू, दुर्गा, आरती, मनोज मौर्य, सुभाष, लालचंद्र, राजीव शुक्ल, दयाराम, अर्पित, योगेंद्र, धर्मेद्र, रिमझिम, संजय, वरुण, प्रदीप, हरिशंकर, अशोक दुबे, प्रदीप आदि शामिल रहे।
News Source / Sabhaar : Jagran (Sun, 02 Feb 2014 07:55 PM (IST))
अक्सर लोग लिखते हैँ कि 10वीँ 12वीँ स्नातक बीएड की शैक्षिक मेरिट के बजाय टेट की मेरिट बनाना गलत है अब तक भर्ती शैक्षिक मेरिट के आधार पर ही हो रही थी मगर हम ये भूल जाते हैँ कि इस बीच टेट की जरूरत क्योँ आन पड़ी असल मेँ इस शैक्षिक मेरिट से चुने गये अध्यापक शिक्षा के स्तर को ऊपर नहीँ उठा पा रहे थे बल्के शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा था इसलिये टेट बनाया गया जिसको पास करके प्राइमरी जूनियर शिक्षा के अनुरूप योग्य टीचर तैयार किये जा सकेँ मतलब जिसके टेट मेँ अधिक अंक वह प्राईमरी जूनियर के लिये अधिक योग्य टीचर है अत: टेट आधार पर चयन शिक्षा की गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरता है वरना टेट कराने और शिक्षा स्तर सुधारने का मकसद पूरा नही हो पायेगा
ReplyDeleteएक लड़का लड़की के सामने गाना गा रहा था
ReplyDeleteलड़का – अगर मै कहु मुझे तुमसे मोहब्बत है
मेरी तो बस यही चाहत है तो
तो तुम क्या कहोगी ?
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लड़की– मै तुमसे कहूँगी, अगर
तुम यही बात मुझे घुमा फिराके कहते,
कही खाना खिलके कहते,
मुझे मोबाइल दिला के कहते,
उसमे बैलेंस डलवा के कहते
तो अच्छा होता।
एक बार एक बुज़ुर्ग महिला शराब की दुकान में जाती है
ReplyDeleteऔर वहां बैठे हुए एक शराबी को समझाते हुए कहती है :-
महिला: बेटा तुम्हे पता है, शराब पीना बहुत ही बुरी बात है, इस से तुम्हारी सेहत को कितना नुकसान हो सकता है ?
उस महिला की बात सुन कर वह शराबी कहता है:
माता जी बात तो आपकी सही है, पर मैं क्या करूँ ?
मैं तो अपनी परेशानियां भुलाने के लिए शराब पीता हूँ !
शराबी की बात सुन कर महिला फिर उसे समझाते हुए कहती है: बेटा शराब पीने से परेशानी कैसे हल
हो सकती है ज़रा मुझे भी समझाओ ?
शराबी: तो ठीक है आप भी ज़रा एक पेग लगा कर देखो और अगर उसके बाद भी आप मुझे शराब छोड़ने के
लिए कहेंगी तो मैं शराब पीना हमेशा के लिए छोड़ दूंगा !
शराबी की बात सुन महिला जवाब देती है: ठीक है बेटा, पर मेरी एक शर्त है की तुम मेरे लिए शराब स्टील के
गिलास मैं लाना, क्योंकि मैं नहीं चाहती की किसी को पता चले की मैं तुम्हारे साथ शराब पी रही हूँ !
शराबी उस महिला की बात मान जाता है और काउंटर पर जाकर वेटर से कहता है: मुझे एक पेग व्हिस्की दो स्टील के गिलास में डाल कर !
शराबी की बात सुन वेटर मुस्कुराता है और जवाब देता है: अच्छा तो वह शराबी बुढिया आज फिर आ गयी !!
Taraste the jo hamse milne ko kabhi….
ReplyDeleteNa jane q aaj mere saye se bhi wo katrate hain….
Ham bhi wahi hain; dil bhi wahi hai;
Na jane q log badal jate hain….!
मित्रो आप इन नियमो का पालण पूरी ईमानदारी से अपनी ज़िंदगी मे करे !!
ReplyDeleteये नियमो का पालण न करने से ही बीमारियाँ ज़िंदगी मे आती हैं !!
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सुबह उठते ही सबसे पहले हल्का गर्म पानी पिये !! 2 से 3 गिलास जरूर पिये !
पानी हमेशा बैठ कर पिये !
पानी हमेशा घूट घूट करके पिये !!
घूट घूट कर इसलिए पीना है ! ताकि सुबह की जो मुंह की लार है इसमे ओषधिए गुण बहुत है ! ये लार पेट मे जानी चाहिए ! वो तभी संभव है जब आप पानी बिलकुल घूट घूट कर मुंह मे घूमा कर पिएंगे !
इसके बाद दूसरा काम पेट साफ करने का है !पेट का सही ढंग से साफ न होना 108 बीमारियो की जड़ है !
खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है !
हमेशा डेड घंटे बाद ही पानी पीएं !
खाना खाने के बाद अगर कुछ पी सकते हैं उसमे तीन चीजे आती हैं !!
1) जूस
2) छाज (लस्सी) या दहीं !
3) दूध
सुबह खाने के बाद अगर कुछ पीना है तो हमेशा जूस पिये !
दोपहर को दहीं खाये ! या लस्सी पिये !
और दूध हमेशा रात को पिये !!
इन तीनों के क्रम को कभी उल्टा पुलटा न करे !!फल सुबह ही खाएं (ज्यादा से ज्यादा दोपहर 1 बजे तक ) ! दहीं दोपहर को दूध रात को !
इसके इलावा खाने के तेल मे भूल कर भी refine oil का प्रयोग मत करे !(वो चाहे किसी भी कंपनी का क्यू न हो dalda ,ruchi,gagan) को भी हो सकता है !
अभी के अभी घर से निकाल दें ! बहुत ही घातक है !
सरसों के तेल का प्रयोग करे ! या देशी गाय के दूध का शुद्ध घी खाएं ! ! (पतंजलि का सरसों का तेल एक दम शुद्ध है !(शुद्ध सरसों के तेल की पहचान है मुंह पर लगाते ही एक दम जलेगा ! और खाना बनाते समय आंखो मे हल्की जलन होगी !
चीनी का प्रयोग तुरंत बंद कर दीजिये ! गुड खाना का प्रयोग करे ! या शक्कर खाये ! चीनी बहुत बीमारियो की जड़ ! slow poison है !)
खाने बनाने मे हमेशा सेंधा नमक या काला नमक का ही प्रयोग करे !! आयोडिन युक्त नमक कभी न खाएं !!
(ये नमक वाली बात आपको अजीब लग सकती हैं ! लेकिन बहुत रहस्यमय कहानी है इस आओडीन युकत नमक के पीछे ) बाद मे विस्तार से बताई जाएगी !!
सुबह का भोजन सूर्य उद्य ! होने के 2 से 3 घंटे तक कर लीजिये ! (अगर 7 बजे आपके शहर मे सूर्य निकलता है ! तो 9 या 10 बजे तक सुबह का भोजन कर लीजिये ! इस दौरान जठर अग्नि सबसे तेज होती है ! सुबह का खाना हमेशा भर पेट खाएं ! सुबह के खाने मे पेट से ज्यादा मन संतुष्टि होना जरूरी है ! इसलिए अपनी मनपसंद वस्तु सुबह खाएं !!
खाना खाने के तुरंत बाद ठीक 20 मिनट के लिए बायीं लेट जाएँ और अगर शरीर मे आलस्य ज्यादा है तो 40 मिनट मिनट आराम करे ! लेकिन इससे ज्यादा नहीं !
इसी प्रकार दोपहर को खाना खाने के तुरंत बाद ठीक 20 मिनट के लिए बायीं लेट जाएँ और अगर शरीर मे आलस्य ज्यादा है तो 40 मिनट मिनट आराम करे ! लेकिन इससे ज्यादा नहीं !
रात को खाना खाने के तुरंत बाद नहीं सोना ! रात को खाना खाने के बाद बाहर सैर करने जाएँ ! कम से कम 500 कदम सैर करे ! और रात को खाना खाने के कम स कम 2 घंटे बाद ही सोएँ !
ब्रह्मचारी है (विवाह के बंधन मे नहीं बंधे ) तो हमेशा सिर पूर्व दिशा की और करके सोएँ ! ब्रह्मचारी नहीं है तो हमेशा सिर दक्षिण की तरफ करके सोएँ ! उत्तर और पश्चिम की तरफ कभी सिर मत करके सोएँ !
मैदे से बनी चीजे पीज़ा ,बर्गर ,hotdog,पूलड़ोग, आदि न खाएं ! ये सब मेदे को सड़ा कर बनती है !! कब्ज का बहुत बड़ा कारण है ! और ऊपर आपने पढ़ा कब्ज से 108 रोग आते हैं )
इन सब नियमो का अगर पूरी ईमानदारी से प्रयोग करेंगे ! 1 से 2 महीने मे ऐसा लगेगा पूरी जिंदगी बदल गई है ! मोटापा है तो कम हो जाएगा ! hihgh BP,cholesterol,triglycerides,सब level पर आना शुरू हो जाएगा ! HDL बढ्ने लगेगा ! LDL ,VLDL कम होने लगेगा !! और भी बहुत से बदलाव आप देखेंगे !!
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ऊपर लिखी सारी बातों को एक एक कर विस्तार से समझने के लिए यहाँ click करें !
http:// www.youtube.com/ watch?v=-abSZjws oJw
वन्देमातरम !
साइकोलॉजी का प्रैक्टिकल हो रहा था
ReplyDeleteप्रोफेसर ने 1 चूहे के लिए एक तरफ केक और दूसरी तरफ चुहिया
चूहा फ़ौरन केक कि तरफ लपका
दूसरी बार केक को बदल के रोटी रखी.
चूहा रोटी कि तरफ लपका
कई बार फ़ूड-आइटम्स बदले मगर चूहा हर बार फ़ूड कि तरफ भागा.
प्रोफेसर: so students, its proved कि hunger is bigger need than girls.
इतने में लास्ट बेंच से रणछोर दस चांचड़ बोला: सर, 1 बार चुहिया बदल के भी देख लो, हो सकता है वो उसकी "बीवी" हो..
आज मै बहुत खुश हूँ कि हमारे संगठन यूपी टीईटी संघर्ष मोर्चा का ढांचा बहुत मजबूत हो रहा है।
ReplyDeleteपहले प्रदेश स्तर पर था तो गणेश दीक्षित जी प्रदेश अध्यक्ष बने।
अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है तो सदानंद मिश्र जी राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं।
मे
ReplyDeleteरी
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वा
ली
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When someone truly loves you,
you can feel it even without hearing the words.
पुरानी पैंट रफू करा कर पहनते जाते है,
ReplyDeleteBranded नई shirt देने पे आँखे दिखाते है
टूटे चश्मे से ही अख़बार पढने का लुत्फ़ उठाते है,
Topaz के ब्लेड से दाढ़ी बनाते है
पिताजी आज भी पैसे बचाते है ….
कपड़े का पुराना थैला लिये दूर की मंडी तक जाते है,
बहुत मोल-भाव करके फल-सब्जी लाते है
आटा नही खरीदते, गेहूँ पिसवाते है..
पिताजी आज भी पैसे बचाते है…
स्टेशन से घर पैदल ही आते है
रिक्शा लेने से कतराते है
सेहत का हवाला देते जाते है
बढती महंगाई पे चिंता जताते है
पिताजी आज भी पैसे बचाते है ....
पूरी गर्मी पंखे में बिताते है,
सर्दियां आने पर रजाई में दुबक जाते है
AC/Heater को सेहत का दुश्मन बताते है,
लाइट खुली छूटने पे नाराज हो जाते है
पिताजी आज भी पैसे बचाते है
माँ के हाथ के खाने में रमते जाते है,
बाहर खाने में आनाकानी मचाते है
साफ़-सफाई का हवाला देते जाते है,
मिर्च, मसाले और तेल से घबराते है
पिताजी आज भी पैसे बचाते है…
गुजरे कल के किस्से सुनाते है,
कैसे ये सब जोड़ा गर्व से बताते है
पुराने दिनों की याद दिलाते है,
बचत की अहमियत समझाते है
हमारी हर मांग आज भी फ़ौरन पूरी करते जाते है
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अरे हमें तो अब पता चला कि पिताजी हमारे लिए ही पैसे बचाते है ...
Jyada to kuch nahi bas itna dhyaan rakhe shikshamitra kabhi bhi bina TET teacher nhi banege... agar inko teacher banana hai to tet pass karke vigyapti ka intzaar kar form fill karke merit ki line me lagna padega... is baat ko shikshamitro ke alawa sab jante hai.. kuch din baad shikshamitra ki post bhi samapt ho jayegi. kyonki 30 may ke baad july me tabi renewel hota h yadi school me post vacant ho.. varna nhi.. aur shiksak sahayak naam ka koi pad sarjit h hi nhi.. aur na hi vitt vibhaag se kisi temp post ki anumati milegi.. kyonki ab b.ed. aur tet pass uplabdh hai..
ReplyDeletechinta na kare gov. teacher to tet pass yani hume hi banna hai.. ab jyada intzaar nhi karna hai..
thanx..
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ReplyDeleteमे
ReplyDeleteरी
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Everyone can say
"I love you"
but no Anyone really mean it. So, believe it when you feel it,
not when you hear it.
उत्तर प्रदेश की पुलिस महीने भर से आतंक का पर्याय बनी बाघिन को तो नहीं खोज पाई लेकिन भैसे तो तीस घंटो में ही मिल गई. आज विश्वास हो गया की हमारे प्रदेश की पुलिस वाकई में तेज-तर्रार है.
ReplyDeleteGIVE THEM A BIG SALUTE
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ReplyDeletehttp:// www.youtube.com/ watch?v=Dqugl872 d-s_____________________________________
सबसे पहले आप हमेशा ये बात याद रखें कि शरीर मे सारी बीमारियाँ वात-पित्त और कफ के बिगड़ने से ही होती हैं !
अब आप पूछेंगे ये वात-पित्त और कफ क्या होता है ???
बहुत ज्यादा गहराई मे जाने की जरूरत नहीं आप ऐसे समझे की सिर से लेकर छाती के बीच तक जितने रोग होते हैं वो सब कफ बिगड़ने के कारण होते हैं ! छाती के बीच से लेकर पेट और कमर के अंत तक जितने रोग होते हैं वो पित्त बिगड़ने के कारण होते हैं !और कमर से लेकर घुटने और पैरों के अंत तक जितने रोग होते हैं वो सब वात बिगड़ने के कारण होते हैं !
हमारे हाथ की कलाई मे ये वात-पित्त और कफ की तीन नाड़ियाँ होती हैं ! भारत मे ऐसे ऐसे नाड़ी विशेषज्ञ रहे हैं जो आपकी नाड़ी पकड़ कर ये बता दिया करते थे कि आपने एक सप्ताह पहले क्या खाया एक दिन पहले क्या खाया -दो पहले क्या खाया !! और नाड़ी पकड़ कर ही बता देते थे कि आपको क्या रोग है ! आजकल ऐसी बहुत ही कम मिलते हैं !
ReplyDeleteशायद आपके मन मे सवाल आए ये वात -पित्त कफ दिखने मे कैसे होते हैं ???
ReplyDeleteतो फिलहाल आप इतना जान लीजिये ! कफ और पित्त लगभग एक जैसे होते हैं ! आम भाषा मे नाक से निकलने वाली बलगम को कफ कहते हैं ! कफ थोड़ा गाढ़ा और चिपचिपा होता है ! मुंह मे से निकलने वाली बलगम को पित्त कहते हैं ! ये कम चिपचिपा और द्रव्य जैसा होता है !! और शरीर से निकले वाली वायु को वात कहते हैं !! ये अदृश्य होती है !
कई बार पेट मे गैस बनने के कारण सिर दर्द होता है तो इसे आप कफ का रोग नहीं कहेंगे इसे पित्त का रोग कहेंगे !! क्यूंकि पित्त बिगड़ने से गैस हो रही है और सिर दर्द हो रहा है ! ये ज्ञान बहुत गहरा है खैर आप इतना याद रखें कि इस वात -पित्त और कफ के संतुलन के बिगड़ने से ही सभी रोग आते हैं !
ReplyDeleteऔर ये तीनों ही मनुष्य की आयु के साथ अलग अलग ढंग से बढ़ते हैं ! बच्चे के पैदा होने से 14 वर्ष की आयु तक कफ के रोग ज्यादा होते है ! बार बार खांसी ,सर्दी ,छींके आना आदि होगा ! 14 वर्ष से 60 साल तक पित्त के रोग सबसे ज्यादा होते हैं बार बार पेट दर्द करना ,गैस बनना ,खट्टी खट्टी डकारे आना आदि !! और उसके बाद बुढ़ापे मे वात के रोग सबसे ज्यादा होते हैं घुटने दुखना ,जोड़ो का दर्द आदि
ReplyDelete_________________________
भारत मे 3 हजार साल पहले एक ऋषि हुए है उनका नाम था वाग्बट्ट ! उन्होने ने एक किताब लिखी जिसका नाम था अष्टांग हृदयं !! वो ऋषि 135 साल तक की आयु तक जीवित रहे थे ! अष्टांग हृदयं मे वाग्बट्टजी कहते हैं की जिंदगी मे वात्त,पित्त और कफ संतुलित रखना ही सबसे अच्छी कला है और कौशल्य है सारी जिंदगी प्रयास पूर्वक आपको एक ही काम करना है की हमारा वात्त,पित्त और कफ नियमित रहे,संतुलित रहे और सुरक्षित रहे|जितना चाहिए उतना वात्त रहे,जितना चाहिए उतना पित्त रहे और जितना चाहिए उतना कफ रहे|तो जितना चाहिए उतना वात्त,पित्त और कफ रहे उसके लिए क्या करना है
ReplyDeleteउसके लिए उन्होने 7000 सूत्र लिखे हैं उस किताब मे !
उसमे सबसे महत्व पूर्ण और पहला सूत्र है :
भोजनान्ते विषं वारी (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है | )
ReplyDeleteअब समझते हैं क्या कहा वाग्बट्टजी ने !!
कभी भी खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना !! अब आप कहेंगे हम तो हमेशा यही करते हैं ! 99% लोग ऐसे होते है जो पानी लिए बिना खाना नहीं खाते है |पानी पहले होता है खाना बाद मे होता है |बहुत सारे लोग तो खाना खाने से ज्यादा पानी पीते है दो-चार रोटी के टुकडो को खाया फिर पानी पिया,फिर खाया-फिर पानी पिया ! ऐसी अवस्था मे वाग्बट्टजी बिलकुल ऐसी बात करते हे की पानी ही नहीं पीना खाना खाने के बाद ! कारण क्या ? क्यों नहीं पीना है ??
ये जानना बहुत जरुरी है ...हम पानी क्यों ना पीये खाना खाने के बाद क्या कारण है |
ReplyDeleteबात ऐसी है की हमारा जो शरीर है शरीर का पूरा केंद्र है हमारा पेट|ये पूरा शरीर चलता है पेट की ताकत से और पेट चलता है भोजन की ताकत से|जो कुछ भी हम खाते है वो ही हमारे पेट की ताकत है |हमने दाल खाई,हमने सब्जी खाई, हमने रोटी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी कुछ भी दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको उर्जा देता है और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है |आप कुछ भी खाते है पेट उसके लिए उर्जा का आधार बनता है |अब हम खाते है तो पेट मे सब कुछ जाता है|पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है अमाशय|उसी स्थान का संस्कृत नाम है जठर|उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है epigastrium |ये एक थेली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है ये |बहुत छोटा सा स्थान हैं इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है |हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है|
अब अमाशय मे क्या होता है खाना जैसे ही पहुँचता है तो यह भगवान की बनाई हुई व्यवस्था है जो शरीर मे है की तुरंत इसमें आग(अग्नि) जल जाती है |आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे जठराग्नि|ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है |ये आग ऐसी ही होती है जेसे रसोई गेस की आग|आप की रसोई गेस की आग है ना की जेसे आपने स्विच ओन किया आग जल गयी|ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी |यह ऑटोमेटिक है,जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई|ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना पचता है |आपने खाना खाया और अग्नि जल गयी अब अग्नि खाने को पचाती है |वो ऐसे ही पचाती है जेसे रसोई गेस|आपने रसोई गेस पर बरतन रखकर थोडा दूध डाल दिया और उसमे चावल डाल दिया तो जब तक अग्नि जलेगी तब तक खीर बनेगी|इसी तरह अपने पानी डाल दिया और चावल डाल दिए तो जब तक अग्नि जलेगी चावल पकेगा|
ReplyDeleteअब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया|और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है |अब होने वाला एक ही काम है जो आग(जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी|आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी|अब हमेशा याद रखें खाना पचने पर हमारे पेट मे दो ही क्रिया होती है |एक क्रिया है जिसको हम कहते हे Digation और दूसरी है fermentation|फर्मेंटेशन का मतलब है सडना और डायजेशन का मतलब हे पचना|
ReplyDeleteआयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा,खाना पचेगा तो उसका रस बनेगा|जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत मे मेद बनेगा|ये तभी होगा जब खाना पचेगा|
ReplyDeleteअब ध्यान से पढ़े इन् शब्दों को मांस की हमें जरुरत है हम सबको,मज्जा की जरुरत है ,रक्त की भी जरुरत है ,वीर्य की भी जरुरत है ,अस्थि भी चाहिए,मेद भी चाहिए|यह सब हमें चाहिए|जो नहीं चाहिए वो मल नहीं चाहिए और मूत्र नहीं चाहिए|मल और मूत्र बनेगा जरुर ! लेकिन वो हमें चाहिए नहीं तो शरीर हर दिन उसको छोड़ देगा|मल को भी छोड़ देगा और मूत्र को भी छोड़ देगा बाकि जो चाहिए शरीर उसको धारण कर लेगा|
ये तो हुई खाना पचने की बात अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?
अगर आपने खाना खाने के तुरंत बाद पानी पी लिया तो जठराग्नि नहीं जलेगी,खाना नहीं पचेगा और वही खाना फिर सड़ेगा|और सड़ने के बाद उसमे जहर बनेंगे|
ReplyDeleteखाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो हे यूरिक एसिड(uric acid )|कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है ,मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप ये दवा खाओ,वो दवा खाओ यूरिक एसिड कम करो|यह यूरिक एसिड विष (जहर ) है और यह इतना खतरनाक विष है की अगर अपने इसको कन्ट्रोल नहीं किया तो ये आपके शरीर को उस स्थिति मे ले जा सकता है की आप एक कदम भी चल ना सके|आपको बिस्तर मे ही पड़े रहना पड़े पेशाब भी बिस्तर मे करनी पड़े और संडास भी बिस्तर मे ही करनी पड़े यूरिक एसिड इतना खतरनाक है |इस लिए यह इतना खराब विष हे नहीं बनना चाहिए |
और एक दूसरा उदाहरण खाना जब सड़ता है तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हे LDL (Low Density lipoprotive) माने खराब कोलेस्ट्रोल(cholesterol )|जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है (HIGH BP )हाय बीपी है आप पूछोगे कारण बताओ? तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ? तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है |
ReplyDeleteइससे भी ज्यादा खतरनाक विष हे वो है VLDL(Very Low Density lipoprotive)|येभी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है |अगर VLDL बहुत बढ़ गया तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता
खाना सड़ने पर और जो जहर बनते है उसमे एक ओर विष है जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides|जब भी डॉक्टर आपको कहे की आपका triglycerides बढ़ा हुआ हे तो समज लीजिए की आपके शरीर मे विष निर्माण हो रहा है |
ReplyDeleteतो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे,कोई LDL - VLDL के नाम से कहे समज लीजिए की ये विष हे और ऐसे विष 103 है |ये सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है |
मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए की खाना पच नहीं रहा है ,कोई कहता हे मेराtriglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप ! की आपका खाना पच नहीं रहा है |कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है |
क्योंकि खाना पचने पर इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता|खाना पचने पर जो बनता है वो है मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र,अस्थि और खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड,कोलेस्ट्रोल,LDL-VLDL| और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है !
ReplyDeleteपेट मे बनने वाला यही जहर जब ज्यादा बढ़कर खून मे आते है ! तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है जिसे आप heart attack कहते हैं !
तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग(जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए|क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है |रसोई मे आग नहीं हे आप कुछ नहीं पका सकते और पेट मे आग नहीं हे आप कुछ नहीं पचा सकते|
ReplyDeleteमहत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है |आपने क्या खाया कितना खाया वो महत्व नहीं हे कोई कहता हे मैंने 100 ग्राम खाया,कोई कहता है मैंने 200 ग्राम खाया,कोई कहता है मैंने 300 ग्राम खाया वो कुछ महत्व का नहीं है लेकिन आपने पचाया कितना वो महत्व है |आपने 100 ग्राम खाया और 100 ग्राम पचाया बहुत अच्छा है |और अगर आपने 200 ग्राम खाया और सिर्फ 100 ग्राम पचाया वो बहुत बेकार है |आपने 300 ग्राम खाया और उसमे से 100 ग्राम भी पचा नहीं सके वो बहुत खराब है !!
ReplyDeleteखाना पच नहीं रहा तो समझ लीजिये विष निर्माण हो रहा है शरीर में ! और यही सारी बीमारियो का कारण है ! तो खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया !!
ReplyDeleteभोजनान्ते विषं वारी (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है )
इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पिये !
अब आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ???
तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना ! अब आप कहेंगे इसका क्या calculation हैं ??
बात ऐसी है ! जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मे मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं है ! पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है ! उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है ! (बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है )
पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस बनने की परिक्रिया शुरू होती है ! तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये !!
ReplyDeleteजो बहुत मेहनती लोग है (खेत मे हल चलाने वाले ,रिक्शा खीचने वाले पत्थर तोड़ने वाले !! उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने लगता है उनको एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए !
खाना खाने के बाद अगर कुछ पी सकते हैं उसमे तीन चीजे आती हैं !!
ReplyDelete1) जूस
2) छाज (लस्सी) या दहीं !
3) दूध
सुबह खाने के बाद अगर तुरंत कुछ पीना है तो हमेशा जूस पिये !
दोपहर को दहीं खाये ! या लस्सी पिये !
और दूध हमेशा रात को पिये !!
इन तीनों के क्रम को कभी उल्टा पुलटा न करे !!फल सुबह ही खाएं (ज्यादा से ज्यादा दोपहर 1 बजे तक ) ! दहीं या लस्सी दोपहर को दूध रात को ही पिये !
जूस या फल सुबह ,दहीं या लस्सी दोपहर , और दूध हमेशा रात को क्यूँ पीना चाहिए ??
ज्यादा विस्तार मे न जाते हुए आप बस इतना समझे कि इन तीनों को पचाने के लिए शरीर मे अलग अलग इंजाएम उत्पन होते है !
जूस या फल सुबह को पचाने के इंजाईम हमेशा सुबह उत्पन होते है इसी तरह दहीं और छाझ को पचाने वाले दोपहर को और दूध को पचाने वाले रात को !!
शाम या रात को पिया हुआ जूस अगले दिन सिर्फ मूत्र के साथ flesh out होता है !
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ये तो हुआ खाने के बाद पानी पीने के बारे मे अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं ???
ReplyDeleteतो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं ! अब आप पूछेंगे ये 45 मिनट का calculation ????
बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है ! और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है ! तो पानी - पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है ! तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पाने पिये !
तो यहाँ एक सूत्र समाप्त हुआ ! आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
इसका जरूर पालण करे ! अधिक अधिक लोगो को बताएं post share करे !!
बहुत बहुत धन्यवाद !
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इतनी बड़े लेख के लिए क्षमा चाहूँगा ,
ReplyDeleteलेकिन जो मुझे अच्छा लगता है वो मैं करता हूँ
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वैसे भी इस समय कोर्ट की कोई नवीनतम जानकारी नही आ रही है
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नवीनतम जानकारी न होने के कारण ये सब लिख रहा हूँ !
एक भिखारी सुबह-सुबह भीख मांगने निकला। चलते समय उसने अपनी झोली में जौ के मुट्ठी भर दाने डाल दिए, इस टोटके या अंधविश्वास के कारण कि भिक्षाटन के लिए निकलते समय भिखारी अपनी झोली खाली नहीं रखते। थैली देखकर दूसरों को भी लगता है कि इसे पहले से ही किसी ने कुछ दे रखा है।
ReplyDeleteपूर्णिमा का दिन था, भिखारी सोच रहा था कि आज अगर ईश्वर की कृपा होगी तो मेरी यह झोली शाम से पहले ही भर जाएगी। अचानक सामने से राजपथ पर उसी देश के राजा की सवारी आती हुई दिखाई दी।
भिखारी खुश हो गया। उसने सोचा कि राजा के दर्शन और उनसे मिलने वाले दान से आज तो उसके सारे दरिद्र दूर हो जाएंगे और उसका जीवन संवर जाएगा। जैसे-जैसे राजा की सवारी निकट आती गई, भिखारी की कल्पना और उत्तेजना भी बढ़ती गई।
जैसे ही राजा का रथ भिखारी के निकट आया, राजा ने अपना रथ रूकवाया और उतर कर उसके निकट पहुंचे।
भिखारी की तो मानो सांसें ही रूकने लगीं, लेकिन राजा ने उसे कुछ देने के बदले उल्टे अपनी बहुमूल्य चादर उसके सामने फैला दी और उससे भीख की याचना करने लगा। भिखारी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। अभी वह सोच ही रहा था कि राजा ने पुनः याचना की। भिखारी ने अपनी झोली में हाथ डाला मगर हमेशा दूसरों से लेने वाला मन देने को राजी नहीं हो रहा था।
जैसे-तैसे करके उसने दो दाने जौ के निकाले और राजा की चादर में डाल दिए। उस दिन हालांकि भिखारी को अधिक भीख मिली, लेकिन अपनी झोली में से दो दाने जौ के देने का मलाल उसे सारा दिन रहा। शाम को जब उसने अपनी झोली पलटी तो उसके आश्चर्य का सीमा न रही।
जो जौ वह अपने साथ झोली में ले गया था, उसके दो दाने सोने के हो गए थे। अब उसे समझ में आया कि यह दान की महिमा के कारण ही हुआ। वह पछताया कि -
काश!
उस समय उसने राजा को और अधिक जौ दिए होते लेकिन दे नहीं सका, क्योंकि उसकी देने की आदत जो नहीं थी
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At some point in life, someone will love you more than what you've expected. Be patient and learn to wait, because sometimes, a patient person receives the best love story
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किसी की दुआ भी दिल में नश्तर चुभा जाती है, ये मुझे तब पता चला__!!
जब उन्होंने अपनी दुआओं में,
मेरे लिए ,
खुद से बेहतर कोई मांग लिया__!!
Mr. रजनी कांत FROM दुर्गापुर
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'टैट मेरिट नहीं तो भर्ती भी नहीं' आखिर आप सही बात को लिखने से डरते क्यों हैं। अब तक ऐकेडेमिक बेस पर शिक्षक भर्ती होती रही है और होनी भी चाहिए। क्योंकि यही सबसे उचित माध्यम है योग्य शिक्षक भर्ती करने का। आप कहते हैं कि ऐकेडेमिक बेस से भर्ती होने वाले शिक्षक योग्य नहीं होते। इन्होंने यूपी की प्राथमिक शिक्षा का स्तर खराब कर दिया। अगर आप ऐसा मानते हैं तो ये किसी भी प्रकार से सही नहीं है। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि ऐकेडेमिक बेस से भर्ती होने वाले शिक्षक पूरी तरह से योग्य होते हैं, क्योंकि वे टैट मेरिट की तरह रुपया देकर नम्बर नहीं बड़वाते। वे कई सालों के परिश्रम से शिक्षा पूरी करते हैं और फिर उस परिश्रम का फल पाते हैं। यूपी की प्राथमिक शिक्षा खराब होने का सिर्फ़ एक ही कारण है और वह यह कि स्कूल और विद्यार्थियों के मुकाबले में शिक्षकों की बेहद कमी है। आप ये भी जानते हो कि किसी किसी स्कूल में तो शिक्षक हैं ही नहीं। यूपी की प्राथमिक शिक्षा सुधारने का मात्र यही उपाय है कि भर्ती प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण हो और स्कूलों में शिक्षक पहुँचें। किसी को भी यह कहने का अधिकार नहीं है कि ऐकेडेमिक बेस से अच्छे शिक्षक भर्ती नहीं हो सकते। अयोग्य शिक्षकों की भर्ती मात्र टैट मेरिट से ही सम्भव है ऐकेडेमिक से नहीं।
ReplyDeleteU.p. board k exam nazdeek hain , mai 2 saal se kabhi school nahi gaya hoon , exam k din jaoonga , pothi nikaalunga , chaanp k nakal karunga , nahi khoj paoonga to teacher aalekh bolega , agar vah nakal nahi karva payega to copy lekar arahar ya gohoon k khet me jaakar likhuna , 80% numbro se pass hounga.....ha.ha.ha.haha yahi to hai acd merit..
Deletevarma ji sahi se samjhaya..
ReplyDeletehi bharti to tetse hogi yah satya high court aur sp sc janti hai..
ReplyDeletehi bharti to tetse hogi yah satya high court aur sp sc janti hai..
ReplyDeleteवर्मा जी ये आप जैसे लोग ही थे, जिन्होंने इस भर्ती का भर्ता बना दिया है। आप जैसे लोग ही जिम्मेदार हैं, जिन्होंने अब तक की अपनी सारी शिक्षा सिर्फ नकल के सहारे ही पाई है और टैट जैसी परीक्षा में भी नम्बर बड़वाने के लिए दलालों को रुपया खिलाया। आप जैसे लोगों ने ही सभी ऐकेडेमिक वालों को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। तुम जैसे नकलची जो ये अच्छी तरह से जानते थे कि टैट जैसी परीक्षा कभी उत्तीर्ण नहीं कर पायेंगे, इसीलिए संजय मोहन और प्रभा त्रिपाठी जैसे हरामियों को अपना रहनुमा बनाया। अरे वर्मा जी कम-से-कम टैट मैरिट समर्थकों की थोड़ी सी इज्जत तो रख लेते और टैट परीक्षा अपने परिश्रम से पास करते।
ReplyDeleteरवीन्द्रजी ,सत्य को स्वीकार करने की आदत डालिए , झूँठ को सौ बार सत्य कहने से भी वह सत्य नही हो सकता और इस बात को आपके आका अकललेसजी हाईकोर्ट में साबित नही कर पाए दो वर्ष तक ।
Deleteअब आप स्वयं सोचिए कि आप कितने अकलमंद हैं ।
tet merit pure hai jeet apni sunischit hai hc to kuch satya ka ukhad nahi paya to ye jhoothe macchar kya ukhadege
ReplyDeleteplz tell me supreme court ka decision kab tak aa jaega,,,, kya ye bharti shuru hogi???????
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