News Sabhaar : Hinduastan 9.10.14
सरकारी नौकरी शिक्षक भर्ती/नियुक्ति परिणाम / टीईटी Sarkari Naukri Recruitment/Appointment Result. Latest/Updated News - UPTET, CTET, BETET, RTET, APTET, TET (Teacher Eligibility Test) Merit/Counselling for Primary Teacher(PRT) of various state government including UP, Bihar
Thursday, October 9, 2014
15000 BTC PRT Recruitment, BTC : Niyukti Ko Lekar Maang
News Sabhaar : Hinduastan 9.10.14
56 comments:
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शुभ प्रभात बंधुओं,
ReplyDeleteमेरा पी॰आर॰टी॰ 097 होते हुए भी मै 142 व 91 और 83 वालों के भी साथ हूँ
अभी जबकि मेरा नंबर चौथी या पाँचवी काउं॰ मे आएगा फिर भी अगर आठ नौ काउं॰ भी होगी तो भी मै आप लोगों का साथ नही छोडूँगा
अब मै समझता हूँ कि अब आप भी समझ गये होंगे कि मै क्या कहना चाह रहा हूँ !
दोस्तोँ !!
यहाँ पर सभी लोगों ने बी॰एड॰ और टी॰इ॰टी॰ किया है फिर भी कभी कभी शक होता है उन लोगों पर जो एक ही बात को बार बार जवाब न मिलने पर भी पूछते रहते हैं (मेरा क्या होगा क्या चाँस है मेरे इतने हैं मेरे उतने हैं शादी होगी या नही मरुँगा या जीऊँगा )
और ये अक्सर वही लोग (अमैथुनी प्रक्रीया से बने केंचुए) होते हैं जो केवल एक दिन का नेट पैक करवाते हैं और पूछना शुरू कर देते हैं अगर वो रोज पढ़ते सुनते देखते तो कभी नही पूछते कि मेरा क्या होगा ?
बल्कि औरों को भी बताते !
और कुछ लोग टिप्पणी भी करते हैं उनसे मेरा ये कहना है कि मै ऊपर की तरफ दो तीन पेज छोड़कर लिखता हूँ जिससे किसी को कोई परेशानी न होने पाए फिर भी लोग इतने परेशान रहते हैं कि इतना नीचे भी आकर गाली गलौज करने से नही चूकते हैं ।
उनको मेरी ये मुफ्त सलाह है कि अपना नेट पैक पूरे 28 दिन का करवा कर ब्लाग पढ़ा करें !
और अगर मेरा ब्लाग केवल पढ़ना हो तो आएँ नही तो लिखने पढ़ने सोचने गाली टीका टिप्पणी का काम ऊपर ही करें !
धन्यवाद
§ आपका एक शुभचिंतक मित्र §
@पीलीभीत रिजर्व टाइगर @
aap neeche diye gaye link par bana kuch search kiye meri news ko padh sakte hain.
ReplyDelete.
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1)
ReplyDelete""No teacher,
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Without TET-teacher.""
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2)
SCERT ne agar maan liya ki 3rd counselling me chhute abhyarthiyon k liye counselling k baad 2 din extra diye jaayen to 90% se zyada seats 3rd counselling me bhar jaayengi.
3)
Sep Ctet-2014 ka primary 11.9% aur jnr 2.8%....
ReplyDeleteMummy mai aaj raat ko susu karne gaya to pta
hai.., kya huwa?
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Mom : Nhi, kya hua, mere LAAL?????
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Child : Mom, maine jaise hi bathroom ka darwaza
khola na ...To,
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Light apne aap chaalu ho gai...
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Thandi hawa aane lgi....
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Mom:
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""Kamine
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Tu aaj Firr Freez Me Moot k Aaya, Haramkhor......."
"फिर जाते हुए उस ने एक मनुष्य को देखा, जो जन्म का अन्धा था। और उसके चेलों ने उस से पूछा, हे रब्बी, किस ने पाप किया था कि यह अन्धा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने? यीशु ने उत्तर दिया, कि न तो इस ने पाप किया था, न इस के माता पिता ने: परन्तु यह इसलिये हुआ, कि परमेश्वर के काम उस में प्रगट हों। जिस ने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आनेवाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता। जब तक मैं जगत में हूं, तब तक जगत की ज्योति हूं। यह कहकर उस ने भूमि पर थूका और उस थूक से मिट्टी सानी, और वह मिट्टी उस अन्धे की आंखों पर लगाकर। उस से कहा; जा शीलोह के कुण्ड में धो ले, (जिस का अर्थ भेजा हुआ है) सो उस ने जाकर धोया, और देखता हुआ लौट आया।''
ReplyDelete_________________________________________________________________________________________________________ यूहन्ना 9:1-7 )
1) jaisa ki aaj siksha satruo ka case c.j ki bench me 1 no. Par lga hai..yani 11 bje ke aaspas bahas start ho jayegi..siksha satruwo ka visnas agar ho gya to b.ed tet pass berojgaro ke liye ek chance aur mil skta hai..kyuki n.c.te sarkar ke prastav par vichar krne ko bola hai parantu ye v kaha hai ki pahle 72825 pura kro fir ham vichar krege..
ReplyDelete2) Dosto 72825 ke bad kul prt ke 212000 pad khali hai agar inhe 172000 siksha satru se bhar diya gya to fir vacancy name maatr ki rahegi..aur davedar lakho..atah bhagwan se manaye ki aaj ham apne aur siksha ke satruwo ka daman court me kar de..aur kal ke newspaper ki 1st headline ho ki siksha satruwo ka appointment huwa radd..
ReplyDeleteSbhi b.ed tet pass berojgar apne isht dev ko manate rahe..taki satru aaj bach ke na ja paye..
3) 72825 sikshak bharti me aupandhik counsling ke naam par ghus rahe ghuspaithiyo aur mul result ki pardarsita ke liye result online krne ke liye 13 ko azad park pahuche..har samasya aur g.o. ke anusar bharti ko lekar sanjay sinha se mile taki low merit wale jo bhai hamare sangharsh me sath diye unka ahit na ho ske..sikshamitro ke case ke karan ab 13 ko pahuche allahabad..warna apka hak koi aur maar le jayega...
ReplyDeleteThanks
जूनियर में रहें या प्रशिक्षु शिक्षक बनें
ReplyDeleteकृप्या मेरी इस पोस्ट को अन्यथा न लें----
#मेरे पास इनबॉक्स में रोज ऐसे काफी मेसेज आ रहे हैं और मेरा ये आकलन भी है की जूनियर भर्ती में काउंसलिंग करा चुके लगभग 10-12 हजार अभ्यर्थियों का प्रशिक्षु भर्ती में भी नाम आ रहा है ,
तो मैंने इस सम्बन्ध में अपना व्यक्तिगत विश्लेषण किया जो कि निम्न है -----
#जूनियर भर्ती में काउंसलिंग लगभग समाप्ति की और है क्यूंकि अंतिम काउंसलिंग 15 अक्टूबर के आस-पास लगभग 3 हजार सीटों के लिए होगी ।
अब बात दोनों भर्तियों में पेंचों की ----
जिसे पूरा करने में कम से कम 09 महीने का समय लगना तय है ।
और कहीं-कहीं 18 से 24 महीने तक लगेंगे।
क्यूंकि काफी जिलों में 2000 से 6000 तक पद हैं और डाइटों पर एक बार में 200 से 300 लोगों के प्रशिक्षण की व्यस्था मुश्किल से है ।
आपने अक्सर देखा होगा BTC कर रहे लोग अपनी परीक्षा और परिणाम के लिए आये दिन धरना प्रदर्शन करते दिखते हैं । इस प्रशिक्षण को 3 माह डाइट पर और 3 माह शिक्षामित्रों के स्कूलों में पढ़ाने के बाद आप लोगों को --------------
तब जाकर आपको एक बी0एड0 जैसी एक परीक्षा से गुजरना होगा और फिर 1-2 माह परिणाम आने पर पास होने कि दशा में तब इसी सरकार को आपको सहायक अध्यापक बनाना होगा ।
चयनितों को 7200 ₹ महिना का वेतन भी आपको सफल प्रशिक्षण उपरान्त सहायक अध्यापक बनने के बाद पहले वेतन में एरिएर के रूप में ही मिलेगा । उससे पहले कुछ भी नहीं मिलेगा ।
उधर जूनियर भर्ती में दो मामलों पर मुख्य विवाद है ----------------------------
#पहला है प्रमोशन मामला जिसमे सरकार को जूनियर में कुल सृजित पदों के आधे पदों पर पदोन्नति प्रक्रिया पहले करनी है ,
जिसमे सरकार ने आदेश तो सभी बेसिक शिक्षा अधिकारीयों भेज दिया है लेकिन केवल 15-20 जिलों में ही पदोन्नति प्रक्रिया पूर्ण हो पाई है ।
और बची हुए जिलों में पदोन्नति होने में कम से कम 2 महीने लगना तय है ।
तब तक जूनियर नियुक्ति पर से रोक हटना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा ।
क्यूंकि ये रोक सिंगल बेंच से नवम्बर 2013 में लगी थी जो अभी भी कायम है ।
वहीं जूनियर भर्ती में दूसरा मामला काफी गंभीर और पेचीदा है जिसमें प्रोफेशनल डिग्री धारकों की नियुक्ति पर मा0 उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगी है,
हालाँकि सरकार अगर चाहे तो यह विवाद केवल एक सुनवाई पर समाप्त हो जायेगा ,
जिसके लिए सरकार को कोर्ट में केवल यह हलफनामा देना होगा कि हम केवल उन्हीं लोगों को जूनियर भर्ती में अंतिम रूप से चयनित करेंगे ------
जिनके पास स्नातक में गणित या विज्ञान अथवा दोनों विषय के रूप में नियमित रहे हों ।
अन्यथा ये विवाद काफी लम्बा भी चल सकता है क्यूंकि सरकार के नियमावली से अलग नये नियम बनाने पर नियुक्ति जरूर लटकेगी ,
इसके लिए सरकार को कड़ा और सटीक फैसला लेना ही होगा ।
#जूनियर में वेतनमान 21 दिन ट्रेनिंग के बाद लगेगा लेकिन अभी यह साफ नहीं कि क्या ट्रेनिंग का वेतन अलग होगा या फिर 4600 ₹ ग्रेड के साथ कुल 30,000 ₹ होगा ,
यहाँ ये साफ है कि 17,140 ₹ वाला वेतनमान जूनियर की सीधी नियुक्ति वालों को नहीं मिलने वाला है ।
यहाँ पोस्ट थोड़ी बड़ी हो जाने की वजह से आपके बोर हो जाने का डर है अन्यथा 15वें और 16वें संशोधन पर भी स्थिति स्पष्ट कर देता ,
वादा रहा अगली पोस्ट में पूरा मामला स्पष्ट करूंगा -------
उसमे केवल आप लोग कुछ निठल्ले "जजों" कि बातों से बिलकुल विचलित न हों ,
उन संशोधनों पर 1% भी खतरा नहीं है ।
#अब तक कुल 30,000 नियुक्ति उन संशोधनों से हो चुकी हैं और 15,000 नई भर्ती नवम्बर तक शुरू होने वाली है ।
#अंत में केवल इतना कहूँगा कि नियुक्ति पर रोक का मतलब भर्ती रद्द होना कतई नहीं होता है ।
और कभी भी जूनियर भर्ती रद्द नहीं होगी ।
#सकारत्मक सोचें और अंतिम काउंसलिंग होते ही आन्दोलन को तैयार रहें अपने हक , अपनी नौकरी के लिए ।
अब आप फैसला स्वयं कि किसको चुनना है और किसको नहीं ।
धन्यवाद
"सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे। इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके। परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए। ताकि तेरा दान गुप्त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा॥''
ReplyDelete______________________________________________________________________________________________ मत्ती 6:1-4 )
कहते है सकारात्मक सोचियेगा, नकारात्मक हम थे नहीं, आप ने ही बना दिया, पूछिये कैसे ? ये वही न्यूज़ पेपर की खबरे है न जिनमे ६० फीसदी वालो से मतलब ९० अंक वालो से नौकरी दूर नहीं, की बात कर रहे थे आज ११३ भी रो रहा है, इसलिए नेताओ और बिकाऊ अखवारों की न्यूज़ का भरोसा में तो नहीं कर सकता और न ही उन नेताओ के इशारे पर जब चाहे लिखने आ जाते है,
ReplyDeleteअब बात करते है कि सही न्यूज़ कैसे पता चले कि कहा कितनी सीट्स भरी है तो इसके लिए अपने-अपने रिश्ते नातेदारों को जहा-जहा संपर्क हो फ़ोन लगाये और सही जानकारी डाइट से प्राप्त कराये
एक सुनहरा सत्य.....
ReplyDeleteजो आपके दिल को छू लेगा....
एक आदमी जब पैदा होता है तो उस समय जब उसकी जीवन उर्जा बड़ी संवेदनशील होती है तो उसे एक स्त्री ही संभालती है…………….
*******वो है उसकी माँ********
फिर जब थोडा सा बड़ा होता है (बैठने लायक) तो वहां भीएक लड़की ही मिलती है जो उसकी देखरेख करती है उसके साथ खेलती है।उसका मन बहलाती है जब तक की वो इतना बड़ा नहीं हो जाता की बाहर के संसार में अपने दोस्त बना सके……..….
*******वो है उसकी बहन*******
फिर जब वो स्कूल जाता है तो वहां फिर एक महिला है जो उसकी सहायता करती है ।चीज़ों को समझने में उसे सहारा देती है, उसकी कमजोरियों को दूर करने मे और उसको एक अच्छा इंसान बनाने में...
******* वो है उसकी अध्यापिका*******
फिर जब वो बड़ा होता है और जब जीवन से उसका संघर्ष शुरू होता है।जब भी वो संघर्ष में वो कमजोर हो जाता है।तो एक लड़की ही उसको साहस देती है....
**** वो है उसकी प्रेमिका (सामान्यत:)****
जब आदमी को जरूरत होती है साथ की अपनी अभिव्यक्ति प्रकट करने के लिए और अपना दुःख और सुख बाटने के लिए फिर एक लड़की वहां होती है………..
******* वो है उसकी पत्नी*******
फिर जब जीवन के संघर्ष और रोज की मुश्किलों का सामनाकरते करते आदमी कठोर होने लगता है तब उसे निर्मल बनाने वाली भी एक लड़की ही होती है………..
********वो है उसकी बेटी********
और जब आदमी की जीवन यात्रा ख़त्म होगी तब फिर एक स्त्रीलिंग ही होगी जिससे उसका अंतिम मिलन होगा और जिसमे वो समां कर पूरा हो जायेगा……
**** वो होगी मात्रभूमि(धरती माँ)****
याद रखें अगर आप मर्द हैं तो सम्मान दें हर महिला को और हर समय उसकी रक्षा का संकल्प लें।क्यूंकि जो हर पल आपके साथ किसी न किसी रूपमें है और अगर आप महिला हैं तो गर्व करें अपने महिला होने पर………!!!
जरा मुस्कुरा के देख,
ReplyDeleteदुनिया हसती नजर आएगी!
सुबह सैर कर के तो देख,
तेरी सेहत ठीक हो जाएगी!
व्यसन छोड के तो देख,
तेरी इज्जत बन जाएगी!
खर्च घटा कर के तो देख,
तुझे अच्छी नीँद आएगी!
मेहनत कर के तो देख,
पैसे की तंगी चली जाएगी!
🔮
संसार की अच्छाई तो देख,
तेरी बुराई भाग जाएगी!
ईश्वर का ध्यान कर के तो देख,
तेरी उलझने दुर हो जाएगी!
माता पिता की बात मान कर तो
देख,
तेरी जिन्दगी संवर जाएगी!
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मजा न आये चढावा वापिस
ReplyDeleteभारत में प्रथम श्रेणी में पास होने वाले
विद्यार्थी टेक्नीकल में प्रवेश लेते हैं
और वह डॉक्टर या इंजिनियर बनते है।
द्वितीय श्रेणी में पास होने वाले
MBA में एडमिशन लेते हैं और
व्यवस्थापक/प्रबंधक बनते है
तथा प्रथम श्रेणी वालों को हैंडल करते हैं।
तृतीय श्रेणी में पास होने वाले
कहीं पर भी प्रवेश नहीं लेते हैं।
वह राजनीती में जाते है और प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी वालोँ को
हैंडल करते हैं।
फेल होने वाले भी
कहीं पर भी प्रवेश नहीं लेते
हैं
और वह अंडरवर्ल्ड में जा कर
तीनों को कंट्रोल करते है।
और जो कभी स्कूल में गए ही नहीं
वह बाबा-साधू बनते हैं और उपर लिखे
चारों उनके पैर पढ़ते है।
लंबे समय बाद बड़ा अच्छा संदेश
ReplyDeleteयदि आपके फ्रिज में खाना है, बदन पर कपड़े हैं,
घर के ऊपर छत है और सोने के लिये जगह है,
तो दुनिया के 75% लोगों से ज्यादा धनी हैं
यदि आपके पर्स में पैसे हैं और आप कुछ बदलाव के
लिये कही भी जा सकते हैं जहाँ आप
जाना चाहते हैं
तो आप दुनिया के 18% धनी लोगों में
शामिल हैं
यदि आप आज पूर्णतः स्वस्थ होकर जीवित हैं
तो आप उन लाखों लोगों की तुलना में
खुशनसीब हैं जो इस हफ्ते जी भी न पायें
यदि आप मैसेज को वाकइ पढ़ सकते हैं और समझ
सकते हैं
तो आप उन करोड़ों लोगों में खुशनसीब हैं
जो देख नहीं सकते और पढ़ नहीं सकते
जीवन के मायने दुःखों की शिकायत करने में
नहीं हैं
बल्कि हमारे निर्माता को धन्यवाद करने के
अन्य हजारों कारणों में है!!!
शुभ जीवन सुखी जीवन
"तेरे शरीर का दीया तेरी आंख है, इसलिये जब तेरी आंख निर्मल है, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला है; परन्तु जब वह बुरी है, तो तेरा शरीर भी अन्धेरा है। इसलिये चौकस रहना, कि जो उजियाला तुझ में है वह अन्धेरा न हो जाए। इसलिये यदि तेरा सारा शरीर उजियाला हो, ओर उसका कोई भाग अन्धेरा न रहे, तो सब का सब ऐसा उलियाला होगा, जैसा उस समय होता है, जब दीया अपनी चमक से तुझे उजाला देता है॥''
ReplyDelete_______________________________________________________________________________________- लूका 11:34-36 )
कुछ लोग बार बार टेट नेताओं को कोस रहे हैं कि उन्होंने टेट मेरिट का गलत अनुमान बताया तो उनके लिए सिर्फ एक ही बात कहनी है क़ि टेट नेता भी बीएड हैं और आप भी तो क्यूँ दुसरे से पूछ रहे हो जबकि तुम भी इतने ही सक्षम हो फिर क्यूँ बार बार ये बात उनसे कहलवाना चाहते हो। क्या कोई भी सज्जन आपको सामने से ये कह सकता है कि तुम्हारा चयन नहीं होगा। कोई किसी का मन नहीं तोडना चाहता । इसलिए किसी से अनुमान न लगवाकर मेरिट का खुद अनुमान लगाओ तो बेहतर होगा ।
ReplyDeleteइस भर्ती की सच्चाई येही है कि 270000 जो टेट पास हैं उसमे केवल 72825 का ही सेलेक्शन होना है बाकी 2 लाख बाहर होना ही हैं । फालतू में बहस न करके सिर्फ एक बात पर ध्यान दो की पुराने विज्ञापन की शर्तो के साथ भर्ती हो और फर्जी अंदर न आ पायें । इस सबको रोकने की जिम्मेदारी केवल टेट लीडर पर डालना गलत है मोस्टली लो मेरिट न पहले सन्गठन के साथ पहले थे न अब केवल चिल्लाने से तुम्हार उद्धार नहीं होने बाला।
रामपुर डायट पर गया पर लो मेरिट बाला अगर एक दो को छोड़ दिया जाये तो मुझे न दिखा । अपने हितों की रक्षा करनी है तो आगे बढ़ कर योगदान दो किसी को गाली बकने से कुछ नहीं होगा । डायट पर फर्जी लोगों को पहचानो और अग्रिम पंक्ति को जानकारी दो।
जिनका सेलेक्शन हो गया है घमंड से बचें । अकैडमिक बालों का उपहास न करें। जो गलती उन्होंने की वो टेट वाले न करें । स्वर्गीय पिता को सबसे ज्यादा किसी का मजाक उड़ाना नपसंद है।
इस बात का ध्यान रखो ।
चेला : गुरुजी, मोहब्बत क्या है?
ReplyDeleteगुरु : समर्पण
चेला : फिर विवाह क्या है?
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गुरु : आत्मसमर्पण
.
ReplyDelete.
51
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+
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49
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H
U
N
D
R
E
D
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"तुमको देखा तो ये मालूम हुआ,
देखना कितना खूबसूरत है...!"
गांधीजी जिसने अपना पूरा जीवन भारत के लिए अर्पित किया था।
ReplyDeleteजब गांधीजी का जन्म हुआ, तब देश में अंग्रेजी हुकूमत का साम्राज्य था । यद्यपि 1857 की क्रांति ने ब्रिटिश सत्ता को हिलाने का प्रयास किया था, परंतु अंग्रेजी शक्ति ने उस विद्रोह को कुचल कर रख दिया । अंग्रेजो के कठोर शासन में भारतीय जनमानस छटपटा रहा था । अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अंग्रेज किसी भी हद तक अत्याचार करने के लिए स्वतंत्र थे । देश की नई पीढ़ी के जन्म लेते ही, ब्रिटिश हुकूमत गुलामी की जंजीरों से उन्हें जकड़ रही थी । लगभग डेढ़ दशक तक अंग्रेजों ने भारत पर एकछत्र राज्य किया ।
जब गांधीजी की मृत्यु हुई, तब तक देश पूरी तरह से आलाद हो चुका था। गुलामी के काले बादल छँट चुके थे । देश के करोड़ो मूक लोगों को वाणी देने वाले इस महात्मा को लोगों ने अपने सिर-आँखों पर बैठाया । इतिहास के पन्नों में गांधीजी का योगदान स्वर्णाक्षरों में लिखा गया । गांधीजी का जीवन एक आदर्श जीवन माना गया। उन्हें भारत के सुंदर शिल्पकार की संज्ञा दी गई । उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए देशवासियों ने उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधी दी ।
स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी के योगदान को भुला पाना एक टेढ़ी खीर है । ब्रिटिश हुकूमत को नाको चने चबवाने वाले इस महात्मा के कार्य मील का पत्थर साबित हुए। देशवासियों के सहयोग से उन्होंने वह कर दिखाया, जिसका स्वप्न भारत के हर घर में देखा जाता था, वह स्वप्न था - दासता से मुक्ति का, अंधेरे पर उजाले की विजय का । गांधीजी के निर्देशन में देश के करोड़ों लोगों ने आततायी शक्ति के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी । वे अपने आप में राजा राम मोहन राय, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती, दादाभाई नौरोजी आदी थे। वास्तव में उनका व्यक्तित्व इन सभी का मिश्रण था । उनके विचार-चिंतन में सभी महापुरुषों की वाणी को शब्द मिले थे । इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय राजनीति के फलक पर ऐसा नीतिवान और कथन-करनी में एक जैसा आचरण करने वाला नेता अन्य कहीं भी दिखाई नहीं देता ।
गांधीजी ने हमेशा दूसरों के लिए ही संघर्ष किया। मानो उनका जीवन देश और देशवासियों के लिए ही बना था । इसी देश और उसके नागरिकों के लिए उन्होंने अपना बलिदान दिया । आने वाली पीढ़ि की नज़र में मात्र देशभक्त, राजनेता या राष्ट्रनिर्माता ही नहीं होंगे, बल्कि उनका महत्व इससे भी कहीं अधिक होगा । वे नैतिक शक्ति के धनी थे, उनकी एक आवाज करोड़ों लोगों को आंदोलित करने के की क्षमता रखती थी । वे स्वयं को सेवक और लोगों का मित्र मानते थे । यह महामानव कभी किसी धर्म विशेष से नहीं बंधा शायद इसीलिए हर धर्म के लोग उनका आदर करते थे । यदि उन्होंने भारतवासियों के लिए कार्य किया तो इसका पहला कारण तो यह था कि उन्होंने इस पावन भूमि पर जन्म लिया, और दूसरा प्रमुख कारण उनकी मानव जाति के लिए मानवता की रक्षा करने वाली भावना थी ।
वे जीवनभर सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते रहे। सत्य को ईश्वर मानने वाले इस महात्मा की जीवनी किसी महाग्रंथ से कम नहीं है । उनकी जीवनी में सभी धर्म ग्रंथों का सार है। यह भी सत्य है कि कोई व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता। कर्म के आधार पर ही व्यक्ति महान बनता है, इसे गांधीजी ने सिद्ध कर दिखाया । एक बात और वे कोई असाधारण प्रतिभा के धनी नहीं थे । सामान्य लोगों की तरह वे भी साधारण मनुष्य थे । रवींद्रनाथ टागोर, रामकृष्ण परमहंस, शंकराचार्य या स्वामी विवेकानंद जैसी कोई असाधारण मानव वाली विशेषता गांधीजी के पास नहीं थी । वे एक सामान्य बालक की तरह जन्मे थे। अगर उनमें कुछ भी असाधारण था तो वह था उनका शर्मीला व्यक्तित्व । उन्होंने सत्य, प्रेम और अंहिंसा के मार्ग पर चलकर यह संदेश दिया कि आदर्श जीवन ही व्यक्ति को महान बनाता है । यहां यह प्रश्न सहज उठता है कि यदि गांधी जैसा साधारण व्यक्ति महात्मा बन सकता है, तो भला हम आप क्यों नहीं ?
उनका संपूर्ण जीवन एक साधना थी, तपस्या थी । सत्य की शक्ति द्वारा उन्होंने सारी बाधाओं पर विजय प्राप्त की । वे सफलता की एक-एक सीढ़ी पर चढ़ते रहे । गांधीजी ने यह सिद्ध कर दिखाया कि दृढ़ निश्चय, सच्ची लगन और अथक प्रयास से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है । गांधीजी की महानता को देखते हुए ही अल्बर्ट आइंटस्टाइन ने कहा था कि, आने वाली पीढ़ी शायद ही यह भरोसा कर पाये कि एक हाड़-मांस का मानव इस पृथ्वी पर चला था ।
सचमुच गांधीजी असाधारण न होते हुए भी असाधारण थे । यह संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए गौरव का विषय है कि गांधीजी जैसा व्यक्तित्व यहाँ जन्मा । मानवता के पक्ष में खड़े गांधी को मानव जाति से अलग करके देखना ए बड़ी भूल मानी जायेगी। 1921 में भारतीय राजनीति के फलक पर सूर्य बनकर चमके गांधीजी की आभा से आज भी हमारी धरती का रूप निखर रहा है ।
एक बेटा अपनी माता जी की मौत के बाद पिता को वृद्धाश्रम में रहने के लिए भेज देता है. समय समय पर वह मिलकर आता रहता है परन्तु उसके पिता उससे कभी कोई शिकायत नहीं करते !
ReplyDeleteफिर एक दिन बेटे को वृद्धाश्रम से फोन आया कि आपके पिता की तबियत ठीक नहीं है जल्दी आइये. बेटा जाकर देखता है कि पिता मरने वाले है, उसने पूछा - "पिता जी, आपकी कोई आखिरी इच्छा है तो बता दीजिये ?"
पिता ने अंतिम सांस लेते हुए कहा - "बेटा, यहाँ वृद्धाश्रम में एक भी पंखा नहीं है, हो सके तो पंखें लगवा देना ! मुझे तो बिना पंखे के रहने की आदत थी किन्तु कल जब तुम्हारा बेटा तुमको यहाँ छोड़कर जायेगा तुमको बिना पंखे के रहने में बहुत कष्ट होगा ..".
---
अपने माता-पिता का सम्मान करें, यही हमारी संस्कृति है.
भारत से जुड़ें, अपनी संस्कृति, धर्म और अपनी सभ्यता को पहचाने.
मुस्कुराने के बहाने जल्दी खोजो ,वरना
ReplyDeleteजिन्दगी रुलाने के मौके तलाश लेगी !
लङकियाँ कहती है
ReplyDelete"लङके धोखेबाज होते हैँ"
.
.
लङके कहते हैँ
"लङकियाँ दगाबाज
होती हैँ"
.
.
मगर
सच तो ये है दोस्तोँ
.
.
एक
सच्ची लङकी को झूठा लङका मिल
जाता है
.
.
और
.
.
एक सच्चे लङके
को झूठी लङकी मिल
जाती है
.
.
और
.
.
धोखा परिस्थितियाँ ही देती हैँ
.
.
मगर
.
.
बदनाम प्यार हो जाता है
सच तो यही है...
कितनी विसंगति है कि-
ReplyDelete.
1947 में दो देशों को आजादी मिली थी।
.
एक तो मार्स पर पहुँच गया।
.
दूसरा अभी इंडिया में घुसने के प्रयास में
ही लगा हुआ है...||
........बात सिर्फ इतनी सी है .......!!!!!!!!
ReplyDelete""चलती हुई प्रक्रिया मे अवमानना नोटिस जारी करना उचित नही है .....
वो भी तब जब सरकार 50% पदो पर काउसिंलिंग करवा चुकि है । आप प्रोसेस जारी रखिये ""
बस इतना ही तो दत्तू ने बोला है । हम घबराते और गधांक खुश तो तब होते जब जज महोदय कहते कि भर्ती रोक दो हम फाइनल आर्डर जब दे तब भर्ती आगे बढाना ।
फिर हल्ला - गुल्ला काहे का ??????।
अब लोग अगर इसकी मन मानी व्याख्या करते है तो उन्हें करने अपने हाल पर छोड दे ।
गधांक तो वैसे भी दुखी है अगर वो कही काल्पनिक खुशी ढूढते है तो उसमे हमे खलल नही डालना चाहिए ।
हाँ एक बात सोचने की है कि अभी तक कुछ लोग जो अपने आप को टेट सपोर्टर कहलाना पसन्द करते थे उनका ये कहना कि लगता है कि जज साहब ने पाठक या कुन्दू जी के वकीलो को लताड दिया है ।
ReplyDeleteये बताता है कि ये कितने निर्लज्ज है वास्तव मे ये कभी टेट सपोर्टर रहे ही नही वल्कि केवल जीती पार्टी मे रहकर चापलूसी करना ही इनकी फितरत है .....पर अफसोस कि जब ऐसे लोगो को उनकी ही भाषा मे हमे जबाब देना चाहिए तो हम नैतिकता का लबादा ओढ लेते है ।
अब समय इनको ज्ञान देने का नही मुँह तोड जबाब देने का है आखिर जब इनकी टेट मेरिट मे आस्था ही नही रही जब इन्हें टेट मेरिट मे कमी ही कमी नजर आ रही है तो फिर इन्होने भूतकाल मे क्या किया
tmntbn ji avmanana case me pathak ji aur dattu ji dono apni jagah sahi. jab phathak ji ne contempt file kiya tha tab couns start nahi huyee thi. aur tab contempt sabhi logo ko sahi lg raha tha.but date aane tak government ne do cons kar dali to notice bhi uchit nahi tha.to is matter par jyada halla karne ki jaroorat nahi h. kyoki dono tet merit k fayade k liye hi h.
ReplyDeleteहर चीज का एक सही वक्त होता है जो अपनी जरुरत और कार्य के सटीक इस्तेमाल पे ही उपयोगी साबित होता है , वरन उसकी प्रकृति अन्यत्र एवं बेजाइस्तेमाल से अलग परिणाम का प्रत्यक्षीकरण करती हैँ।
ReplyDeleteजिसका प्रत्यक्ष प्रमाण सु॰ कोर्ट की कार्यवाही हैँ।
टेट कि सत्यता एवं जीवटता की प्रमाणिक जीत तो अवश्यसंभावी थी
जो कि हमारे पक्ष मे होने का यह मुगालफत तो कत्तई नही होना चाहिए कि हम जो और जैसा चाहे कर करा लें।
आखिर विधि विधान तौर तरिका प्रक्रिया और न्यायिक प्रणाली से श्रेष्ठ तो कदापि किंचित भी टेट मेरिट का लेबल लगा होना नही हो सकता।
और फिर ऐसा हुआ ही क्या जो इतनी चर्चा का विषय हो या फिर इससे नुकसान क्या हो गया अपना ये तो मेरी समझ से अर्नगल प्रलाप विलाप मात्र से ज्यादा कुछ नही लगता।
आनंद ले मजे मे रहे प्रक्रिया जारी है इसका लुत्फ उठायेँ।
हा इतना जरुर कहूँगा कि भर्ती की पारदर्शिता पे ध्यान रहे इसकी शंका निर्मूल हरगिज नहीं जिसका कुछ तथ्यो का साक्षात्कार 2 काऊ॰ मे कर चुका हूँ डायट्स पेँ,जिसका खुलासा एवं विधिक कार्यवाही अनन्तिम चयन सुची के पश्चात ही करुगा।
क्यो कि मुझे पुरा विश्वास है S.C.E.R.T की कार्यप्रणाली पर ।
धन्यवाद
Shiksha mitra case next date 16 October.
ReplyDeleteमित्रो, अगर आप आजकल के न्यूज़ देख रहे है तो आप को पता होगा की 3 महीने से जो अमरीकी डालर भारतीय रुपये के सामने कमजोर हो रहा था वो अचानक से मजबूत हुआ है। मित्रो ये कैसे हुआ इस बात का पता लगाने पर पता चलता है की अमरीका के डॉलर की मांग भारत में बढ़ गयी तभी भारत में डॉलर महँगा हुआ और परिणाम स्वरुप हमारा रूपया कमजोर हुआ । अब सवाल यहाँ पर आता है की अचानक से भारत में डॉलर की मांग केसे बढ़ गयी?? तो पता चला की आजकल भारत में १०० करोड़ लोग उसके पवित्र उत्सव 'दीपावली' को मनाने के लिए खरीदी कर रहे है । और हमारे देशवासी इतने जोश में है की इस दिवाली के उत्सव को शानदार बनाने के चक्कर में अपने ही देश का नुकसान कर रहे है अमरीकी और विदेशी कंपनीओ का सामान खरीद कर । खरीदी करते वक्त कपड़ो से लेकर गहने और गाडियों तक सब विदेशी वस्तुए खरीद कर खुदकी दिवाली तो अच्छी कर लेते है साथ में देश का कबाड़ा कर देते है स्वदेशी सामान को न खरीद कर ।जब भारतीय स्वदेशी सामान नहीं बिकता तो भारत के लाखो लाखो उत्पादन कर्ता और भारतीय कंपनीओ को नुकशान सहना पड़ता है और परिणाम स्वरुप भारतीय अर्थव्यवस्था कमजोर होती जाती है जिससे भारतीय रुपिया भी विदेशी मुद्रा के सामने कमजोर हो जाता है । जागो भारतीयों संकल्प करो की इस धनतेरस के बाद कभी भी हमारे देश का रूपया किसी भी विदेशीमुद्रा के सामने कमजोर नहीं होने देंगे और २०२० तक भारतीय मुद्रा को विश्व की सर्वोच्च मुद्रा बनायेंगे ।यह लक्ष्य तभी प्राप्त होगा जब हर भारतीय स्वदेशी सामान खरीदने का संकल्प लेगा और उसका पालन करेगा । यह संकल्प का पालन आजसे अभी से करना होगा दुसरो को भी यह संकल्प दिलवाए और ऐसे संकल्प के साथ दिवाली पर स्वदेशी वस्तुए ही खरीदें और भारत को समृद्ध और मजबूत राष्ट्र बनायें ।
ReplyDelete"और जो सिंहासन पर बैठा था, उस ने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उस ने कहा, कि लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं। फिर उस ने मुझ से कहा, ये बातें पूरी हो गई हैं, मैं अलफा और ओमिगा, आदि और अन्त हूं: मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊंगा। जो जय पाए, वही इन वस्तुओं का वारिस होगा; और मैं उसका परमेश्वर होऊंगा, और वह मेरा पुत्र होगा। पर डरपोकों, और अविश्वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों, और व्यभिचारियों, और टोन्हों, और मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा, जो आग और गन्धक से जलती रहती है: यह दूसरी मृत्यु है॥''
ReplyDelete____________________________________________________________________________ प्रकाशित वाक्य 21:5-8 )
72825 टेट मेरिट भर्ती के सबसे सक्षम समर्थक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच एल दत्तू जी को यकीन है कि सरकार उनके आदेश का पालन अत्यंत तीव्र गति से कर रही है इसलिए कल टेट मोर्चे के कुछ पैरवीकारों द्वारा credit कमाने के मकसद से डाली अवमानना और impleadment application को संज्ञान में लेने की कोई आवश्यकता नहीं समझी
ReplyDeleteहमारे वकील और पैरवीकार भले ही ना जानते हों लेकिन दत्तू साहब बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 15th संशोधन को अल्ट्रा वायरस करने के भयंकर एवं हाहाकारी परिणाम से सुप्रीम कोर्ट में मुक्ति पाने का एक ही तरीका है कि सरकार 30-11-11 के विज्ञापन से 72825 सहायक अध्यापकों नियुक्ति करे
ReplyDeleteजब तक यह महान कार्य नहीं होगा तब तक btc,sbtc का 15000 का प्रस्तावित विज्ञापन नहीं निकल सकता
ReplyDeleteजो व्यक्ति यह कहे कि कल दत्तू साहब ने हमें सरकार की mercy पर छोड़ दिया है उसके मुँह पर ये पोस्ट मार देना और चैन से सो जाना ,,, वक्त बदल चुका है ,,टेट मेरिट समर्थकों के भेष में मोर्चे में घुसपैठ बनाये हुए एकेडमिक समर्थक और भर्ती विरोधी गद्दार खुलकर 30-11-11 के विज्ञापन की शर्तों के विरुद्ध हो गए हैं और सरकार उसका(30-11-11) समर्थन करने को बाध्य है ....
ReplyDeleteRanbeer :- Bhaiyya ! ........
ReplyDeleteYe "Kapila" Akhbaar wala kahan milega ?
.
Ladka :- Babu Ji ...... Yahi kahin hoga ...... Magar kya baat hai ?
.
Ranbeer :- Arre ab kuchh mat poochho yaar ............ Pareshaan kar ke rakh diya hai ....
.
Ladka :- Magar Babu ji ........... Hua kya ?
.
Ranbeer :- mere saare 72825 waale dost aise hi tension me hain
aur ye Paper waale hain ke koi khabar nahi hai to bhi Bana Bana kar Khabre chhap rahe hain .....
Yahan bharti prakriya theek thaak chal rahi hai aur in paper waalo ke PENCH khatam hi nahi ho rahe .....
Ab Hindustan waale ko hi dekh Lo .. Baat aisi baat nahi aur ye Bada Bada Chhaap diya "Shikshak bharti me abhi 11 aur PENCH" ..... Aur ye Kapila aise hi Paper daal jata hai
.
Ladka :- Magar ..
.
Ranbeer :- Arre Chhorro Yaar ! ..... Tum nahi samjhoge.....
Arre wo dekho "Kapila" wahan khada hai ....... Ye Lo ye Lifafa use dedo .. aur kahna isme Uska ab tak ka hisaab hai .... Aaj ke baad oot pataang khabre dene waale Paper band ! ......
आज जबकि ये तथ्य सर्वविदित है कि कोई भी प्रकृया जब संवैधानिक संरक्षण मेँ पूर्ण की जाती है तो उस प्रकृया को निर्बाध, निर्विवाद एवं सुचितापूर्ण करना कार्यपालिका का उत्तरदायित्व होता है ।
ReplyDeleteआज हम अभ्यर्थियोँ से अधिक तनाव उन सरकारी महकमेँ मेँ है, जो कल तक सीधे मुह बात नहीँ करते थे,,,,,,।
ध्यान रहे, यहाँ 72825 भर्ती प्रकृया मेँ किसी डाएट कर्मी की औकात नहीँ कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित प्रकृया मेँ हस्तक्षेप कर सके ।
ReplyDeleteशिक्षा निदेशालय मेँ त्रिस्तरीय क्रास चेकिँग की अवधारणा हीँ इस बात की पुष्टि करता है कि धाँधली के बारे मेँ सोचने वालोँ अब इसके दूरगामी परिणाम के बारे मेँ सोचो !!!
ReplyDeleteआज धाँधली शब्द का राग वही अलाप रहे हैँ, जो खुद को चयन प्रकृया से बाहर होने के भय से ग्रसित हैँ, जबकि वास्तविकता तो यही है कि काउंसलिँग होने एवं चयनित होने मेँ अन्तर है ।
ReplyDeleteरोज सिर्फ इतना करो -
ReplyDelete��गम को "Delete"
��खुशी को "Save"
��रिश्तोँ को "Recharge"
��दोस्ती को "Download"
��दुश्मनी को "Erase"
��सच को "Broadcast"
��झूठ को "Switch Off"
��टेँशन को "Not Reachable"
��प्यार को "Incoming"
��नफरत को "Outgoing"
��हँसी को "Inbox"
��आंसुओँ को "Outbox"
��गुस्से को "Hold"
��मुस्कान को "Send"
��हेल्प को "OK"
��दिल को करो "Vibrate"
फिर देखो जिँदगी का "RINGTONE" खुशी कितना प्यारा बजता है...
यू.जी.सी. नेट के लिए नोटिफिकेशन जारी।
ReplyDeleteइस बार यह परीक्षा सी.बी.एस.ई. बोर्ड द्वारा संचालित की जायेगी।
ऑनलाइन फॉर्म :- 15/10/14
आवेदन की अंतिम तिथि:- 15/11/14
परीक्षा की तिथि:- 28/12/14
cbsenet.nic.in
Cbscneet.nic.in
Delete1.पीलिया से शरीर का कौन सा अंग प्रभावित
ReplyDeleteहोता है-यकृत
2 विक्रम सराभाई अंतरिक्ष केन्द्र कहाँ है-
तिरूअन्तपूरम
3 शोर किसमें नापा जाता है-डेशीबल
4 सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर आता है-लगभग
आठ
मिनट मे
5 मानव हृदय में कितने वाल्व होते हैं-चार
6 वायुमडलीय दाब नापते हैं-बैरो मी से
7 पियुष ग्रन्थि कहाँ होती है-मस्तिष्क के
आधार में
8 नाभिकीय रिएक्टर मे मन्दक होता है-
भारी जल
9 हसाने वाली गैस-नाइट्रस आक्साईड-
खोजकर्त
ा प्रीस्टाले
10 गाडीयों में ड्राइवर के पास होता है-उत्तल
लेन्स
11 रेफ्रिजरेटर के अविष्कारक-जे.पा र्किंस
12 निकट दृष्टि दोस में प्रयुक्त होता है-
अवतल लेंस
दूर में उत्तल
13 हमें थकान लगती है-लैक्टिक अम्ल के
कारन
14 आतिसबाजी में लाल रंग होता है-
स्ट्रांसियम के
कारण
15 सेव मे होता है –मैलिक एसिड
16 अंगूर मे-टार्टरिक एसिड
17 सोडा वाटर में-कार्बोनिक एसिड
18 आतिसबाजी में हरा रंग होता है-बेरियम के
कारण
19 वशा मे घुलनशील विटामिन-A,D,E,K
20 जल मे घुलनशील विटामिन-B,C
21 पेट्रोल मे होता है-हाइड्रोजन एवं कार्बन
22 पत्तियाँ हरी क्यों होती हैं-क्लोरोफिल के
कारण
तेरी हरकतों से, नावाकिफ़ नही हुँ मैं....
ReplyDeleteचुप हुँ तो इसे, अपनी जीत ना समझना....
"जलते हुए रावण को देखा हमने,
ReplyDeleteकोई पूछ रहा था भीड़ से,
तुम सबमेँ से राम कौन है ??? "
"शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है क्या है इसमें वैज्ञानिक पक्ष ?
ReplyDeleteभगवान शिव को विश्वास का प्रतीक माना गया है क्योंकि उनका अपना चरित्र अनेक विरोधाभासों से भरा हुआ है जैसे शिव का अर्थ है जो शुभकर व कल्याणकारी हो, जबकि शिवजी का अपना व्यक्तित्व इससे जरा भी मेल नहीं खाता, क्योंकि वे अपने शरीर में इत्र के स्थान पर चिता की राख मलते हैं तथा गले में फूल-मालाओं के स्थान पर विषैले सर्पों को धारण करते हैं | वे अकेले ही ऐसे देवता हैं जो लिंग के रूप में पूजे जाते हैं | सावन में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का विशेष महत्व माना गया है | इसीलिए शिव भक्त सावन के महीने में शिवजी को प्रसन्न करने के लिए उन पर दूध की धार अर्पित करते हैं |
पुराणों में भी कहा गया है कि इससे पाप क्षीण होते हैं | लेकिन सावन में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है | सावन के महीने में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। शिव ऐसे देव हैं जो दूसरों के कल्याण के लिए हलाहल भी पी सकते हैं | इसीलिए सावन में शिव को दूध अर्पित करने की प्रथा बनाई गई है क्योंकि सावन के महीने में गाय या भैस घास के साथ कई ऐसे कीड़े-मकोड़ो को भी खा जाती है | जो दूध को स्वास्थ्य के लिए गुणकारी के बजाय हानिकारक बना देती है | इसीलिए सावन मास में दूध का सेवन न करते हुए उसे शिव को अर्पित करने का विधान बनाया गया है |
आयुर्वेद कहता है कि वात-पित्त-कफ इनके असंतुलन से बीमारियाँ होती हैं और श्रावण के महीने में वात की बीमारियाँ सबसे ज्यादा होती हैं| श्रावण के महीने में ऋतू परिवर्तन के कारण शरीर मे वात बढ़ता है| इस वात को कम करने के लिए क्या करना पड़ता है ? ऐसी चीज़ें नहीं खानी चाहिएं जिनसे वात बढे, इसलिए पत्ते वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिएं और उस समय पशु क्या खाते हैं ?
सब घास और पत्तियां ही तो खाते हैं| इस कारण उनका दूध भी वात को बढाता है | इसलिए आयुर्वेद कहता है कि श्रावण के महीने में दूध नहीं पीना चाहिए| इसलिए श्रावण मास में जब हर जगह शिव रात्रि पर दूध चढ़ता था तो लोग समझ जाया करते थे कि इस महीने मे दूध विष के सामान है, स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है, इस समय दूध पिएंगे तो वाइरल इन्फेक्शन से बरसात की बीमारियाँ फैलेंगी और वो दूध नहीं पिया करते थे |
बरसात में भी बहुत सारी चीज़ें होती हैं लेकिन हम उनको दीवाली के बाद अन्नकूट में कृष्ण भोग लगाने के बाद ही खाते थे (क्यूंकि तब वर्षा ऋतू समाप्त हो चुकी होती थी)| एलोपैथ कहता है कि गाजर मे विटामिन ए होता है आयरन होता है लेकिन आयुर्वेद कहता है कि शिव रात्रि के बाद गाजर नहीं खाना चाहिए इस ऋतू में खाया गाजर पित्त को बढाता है तो बताओ अब तो मानोगे ना कि वो शिवलिंग पर दूध चढाना समझदारी है ?
ज़रा गौर करो, हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है | ये इस देश का दुर्भाग्य है कि हमारी परम्पराओं को समझने के लिए जिस विज्ञान की आवश्यकता है वो हमें पढ़ाया नहीं जाता और विज्ञान के नाम पर जो हमें पढ़ाया जा रहा है उस से हम अपनी परम्पराओं को समझ नहीं सकते |
जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है वो सनातन है, विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें | "
1962 में जिस तरह चीन ने भारत की पीठ में छुरा घोंपा, उसका हम आज तक जवाब नहीं दे पाए हैं. आप कभी उत्तराखंड के रानीखेत जाइए..वहां कुमाऊं रेजिमेंट का म्यूजियम देखिए..
ReplyDelete-
आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे. मेजर शैतान सिंह किस तरह अपने 114 जवानों के साथ रिजांग ला पर 2 हजार से ज्यादा चीनी सैनिकों से लड़े, किस तरह नंवबर-दिसंबर की हाड़ गला देने वाली ठंड में भारतीय सैनिकों ने कामचलाऊ जूते और खस्ताहाल जैकेट पहनकर चीनी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए, -उसको सोचकर भी दिल दहल जाता है.
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ये वही मेजर शैतान सिंह थे, जिन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू के रिश्तेदार और सेना की उत्तर पूर्वी ब्रिगेड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बी एम कौल का लड़ाई से पीछे हटने का आदेश ठुकरा दिया था, अंतिम दम तक लड़े और जब गोलियों से छलनी हो गए तब उनके दो साथी जवानों ने कहा सर आपको मेडकल यूनिट तक भेज देते हैं. मेजर शैतान सिंह ने कहा- मुझे और मेरी मशीनगन को यहीं छोड़ दो, हाथ कट चुके थे, पेट औऱ जांघ में गोली लगी थी, मेजर ने पैर से मशीनगन का ट्रिगर दबाया और दुश्मन का आंतिम दम तक सामना किया, लड़ते-लड़ते प्राण न्योछावर कर दिए लेकिन उस पोस्ट पर दिन भर चीनी सेना को इंच भर आगे नहीं बढ़ने दिया.
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इस अदम्य साहस और वीरता के लिए मेजर शैतान सिंह को परमवीर चक्र मिला. ये वही मेजर शैतान सिंह थे,
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जिनको लेकर कवि प्रदीप ने अमर गीत लिखा और लता मंगेशकर ने गाया...थी खून से लथपथ काया फिर भी बंदूक उठा ली... दस-दस को एक ने मारा, फिर अपनी जान गंवा दी’’
समुद्र तक तुम चलते हो। समुद्र आने पर तुम चलते नहीं तैरते हो। वैसे ही गुरु मिलने पर खोजना खत्म खिलना शुरू।
ReplyDeleteSHRI SHRI
जस्टिस टंडन ने हमारे मुकदमें को यदि एक वर्ष घसीटा तो 72825 बीएड बेरोजगारों को जिन्दगी दी।
ReplyDeleteअन्यथा ये सरकार ओल्ड ऐड वापस लेकर चुपचाप बैठ जाती तो कोई कोर्ट इस सरकार का कुछ न कर पाती।
कल चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया की बातों से इस विषय की पुष्टि हुयी।
अब तो प्रक्रिया शुरू हो गयी है अब तो भर्ती संपन्न ही होगी।
यह सरकार चाहकर भी अब 72825 बीएड बेरोजगारों का अनभल नहीं कर सकती है।
कल जो हुआ यही होना ही था।
नोटिस जारी न करके बेरोजगारों का CJI ने बहुत बड़ा भला किया है।
सबकी दिवाली का उत्सव खुशियों के साथ मने।
धन्यवाद।
Rajesh bhai sonbhadra me obc mail art ki seat rikt ha ya nahi.
ReplyDeleteSir plz batayen lakhimpur ka koi update list se concern hai aapke pass
ReplyDeletekya koi bata sakta hai k Lt me jo attested photocopy lagani hai yo self attest karni hai ya kisi adhikari se please reply.
ReplyDeleteGood
ReplyDeletePrt ki 3rd counclling jald. 50% sets vaccunt.
ReplyDelete