लखनऊ । अखिलेश सरकार में अल्पसंख्यकों की बल्ले-बल्ले है। पहले मोअल्लिम-ए-उर्दू वालों के लिए बीच का रास्ता निकाला गया, अब उर्दू शिक्षकों को प्रशिक्षित वेतनमान देने की जुगत बैठाई जा रही है। उर्दू शिक्षक चाहते हैं कि उन्हें बिना प्रशिक्षण प्राप्त किए ही प्रशिक्षित वेतनमान दे दिया जाए। सरकार भी चाहती है कि उनको यह फायदा दे दिया जाए। वजह लोकसभा चुनाव सिर पर है। सरकार की इस मंशा को पूरा करने में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं पर वे बीच का रास्ता निकालने में जुटे हैं।
उत्तर प्रदेश में समय-समय पर रही मुलायम सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग ने उर्दू शिक्षकों की भर्ती की थी। इन शिक्षकों को बिना प्रशिक्षण दिए ही सीधे सहायक अध्यापक बना दिया गया था।
News Source / Sabhaar : Amar Ujala (21.7.13)
यदि आप वेटिंग टिकट लेकर सफर कर रहे हैं तो टीटीई स्टाफ
ReplyDeleteआपको किसी भी स्टेशन पर उतार सकता है। इतना ही नहीं वह
आप से जुर्माना भी वसूल सकता है।
रेल मंत्रालय के इस आदेश को टीटीई स्टाफ ने तत्काल प्रभाव से
लागू कर दिया है। पुराने नियमानुसार रेलवे रिजर्वेशन काउंटर से
टिकट लेने वाले यात्री वेटिंग टिकट पर सफर कर सकते थे, लेकिन
अब इस नियम में बदलाव किया गया है।
अब किसी भी तरह की वेटिंग टिकट को ट्रेन में
मान्यता नहीं मिलेगी। बता दें कि इससे पहले इस तरह का नियम
केवल ई-टिकट के वेटिंग टिकट पर ही लागू था।
यात्रियों को यह होगा फायदा-
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स्लीपर कोच में सफर करने वाले यात्रियों अब भीड़
का सामना नहीं करना पड़ेगा। एसी के बाद स्लीपर कोच
केयात्रियों को भीड़ से निजात दिलाने के लिए रेलवे ने यहकदम
उठाया है। हालांकि इस नियम से रेलवे को प्रतिमाह
लाखों का नुकसान होगा।
सीट खाली तो वेटिंग टिकट मान्य-
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सीट खाली होने पर टीटीई स्टाफ वेटिंग टिकट वाले
यात्रियों को जगह देखा, लेकिन इसके लिए उन्हें ट्रेन में सवार
होने से पहले चीफ टीटीई से संपर्क करना होगा। यदि ट्रेन फुल है
तो यात्री वेटिंग टिकट पर सफर नहीं कर पाएंगे।
यात्रियों की शिकायत पर संज्ञान-
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मंडल अफसरों ने बताया कि यह आदेश यात्रियों की शिकायत और
सुझाव पर जारी किया गया है। यात्री लगातार शिकायत कर रहे
थे कि सीट कंफर्म होने के बावजूद सफर में कई तरह की दिक्कतें
आती हैं।
सबसे ज्यादा परेशानी वेटिंग टिकट के यात्रियों से होती है, वे
सीट पर कब्जा कर लेते हैं और टीटीई के कहने पर
भी खाली नहीं करते हैं। मारपीट की नौबत आ जाती है।
यदि कोई मामला unlisted ना हो और उसपर एक हफ्ते की डेट मिल रही हो तो उसे फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलता हुआ ही समझना चाहिए ,,,, उच्च न्यायालय में ऐसे किसी कोर्ट का प्रावधान नहीं है ,,,, speedy Trial का निर्देश भी उच्च न्यायालयों द्वारा जिला या अधीनस्थ न्यायालयों को दिया जाता है ना कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उच्च न्यायालयों को ,,,, उम्मीद कीजिए कि अपना मामला अगली सुनवाई को unlisted हो जाए और फटाफट सुनवाई होने लगे
ReplyDeleteकभी-कभी हमारे साथ कुछ ऐसा घटित हो जाता है जिससे हम बहुत low महसूस करते है। ऐसा लगता है जैसे अब सब कुछ खत्म हो गया इससे कई लोग depression मे चले जाते है तो कई लोग बड़ा और बेवकूफी भरा कदम उठा लेते है जैसे आत्महत्या पर जरा सोचिये पतझड़ के समय जब पेड़ मे ऐक भी पत्ती नही बचती है तो क्या उस पेड़ का अंत हो जाता है? नही। वो पेड़ हार नही मानता नए जीवन और बहार के आश मे खड़ा रहता है। और जल्द ही उसमे नयी पत्तियाँ आनी शुरू हो जाती है, उसके जीवन मे फिर से बहार आ जाती है। यही प्रकृति का नियम है। ठीक ऐसे ही अगर हमारे जीवन मे कुछ ऐसे destructive पल आते है तो इसका मतलब अंत नही बल्की ये इस बात का इशारा है कि हमारे जीवन मे भी नयी बहार आयगी। अत: हमे सबकुछ भूलकर नयी जिन्दगी की शुरूआत करनी चाहिये। और ये विश्वास रखना चाहिए कि नयी जिन्दगी पुरानी से कही बेहतर होगी।
ReplyDelete||| दिल तो कहता है कि छोड जाँऊ ये दुनियाँ हमेशा के लिये ,फिर खयाल आता है कि लोग नफरत किस से करेगें मेरे चले जाने के बाद |||
ReplyDeleteयह किस मोड़ पर तूने बिछड़ने की सोची,
ReplyDeleteमुद्दतों बाद तो दिन संवरने लगे थे"......
15 जुलाई को इलाहाबाद की सड़को पर एक
ReplyDeleteऐसा आन्दोलन देखने को मिला जिसे देखकर ये
विश्वास हो गया कि इस देश के युवाओ मे
अभी भी दमखम बाकी है, दरअसल मौका था उत्तर
प्रदेश सरकार द्वारा लोक सेवा आयोग की भर्ती मे
नयी आरक्षण नीति का विरोध प्रदर्शन,
हजारो की संख्या मे आक्रोशित छात्रो का हुजूम हाथ
मेँ लाठी डन्डा बैट स्टम्प व हाकी जैसे
देशी हथियारो से लैस होकर लोक सेवा आयोग चौराहे
से सिविल लाइन्स की ओर बढ़ रहा था, रास्ते मे पड़ने
वाले हर सरकारी महकमे को छात्रो के इस उग्र रूप
का सामना करना पड़ा,नेताओ के
कारो को तोड़ा जा रहा था खासकर सपा के झण्डे व
होर्डिंग्स लगे वाहनो को निशाना बनाया जा रहा था,
अगर किसी भी सपा नेता की गाड़ी सड़क पर दिख
जाती तो उसे तहस नहस कर दिया जा रहा था,
हालांकि इस क्रम मे आंदोलनकारी छात्रो ने
दो रोडवेज की बसो को भी नुकसान पहुँचाया पुलिस
की बाइक को जला डाला,हालांकि छात्रो को रोकने के
लिए पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया किन्तु छात्रो के
रौद्ररूप के सामने सब भाग खड़े हुए,
सड़को पर हर जगह सिर्फ उग्र रुप धारण किये हुए
छात्र ही नजर आ रहे थे व सपा सरकार के विरोध मे
लगातार नारे लगाये जा रहे थे
"ये सरकार निकम्मी है, सोनिया इसकी अम्मी है"
जैसे नारे लगातार गूँज रहे थे, हर तरफ सिर्फ दहशत
का माहौल था...
बहरहाल देर शाम तक ये हंगामा चलता रहा फिर
आंदोलनकारी छात्रो के एक प्रतिनिधि मण्डल ने
आयोग के सचिव से वार्ता कर व संतोषजनक
आश्वासन मिलने पर तथा कोई कारवाई न होने पर
पुनः आंदोलन शुरु करने की चेतावनी देकर
अपना आंदोलन समाप्त किया
ये युवाओ का नाराजगी जताने का अपना अदांज
था हालांकि ये सवर्था उचित
नही कहा जा सकता लेकिन इस दोगली सपा सरकार
को उसकी औकात दिखाना भी जरूरी था उम्मीद करते
है अखिलेश भैया तक
इलाहाबादी आंदोलनकारी छात्रो का ये संदेश पहुँच
गया होगा कि जातिवाद की राजनीति बन्द करो और
समता मूलक समाज की स्थापना पर जोर
दो वरना आरक्षण आरक्षण के इस खेल मे
नेस्तनाबूद हो जाओगे,
युवा शक्ति से टकराने की जुर्रत
ना करो क्योकि "युवा" का उल्टा होता है "वायु"
वायु अगर मस्त मन्द चले तो आनन्ददायी व उग्र
चले तो तूफान बन जाता है,
इसलिए युवाओ को उलटने की कोशिश मत
करो क्योकि
"युवा मचलते है तो भूचाल मचल जाते है,
युवा उबलते है तो ब्रह्माण्ड उबल जाते है,
युवाओ को बदलने की कोशिश ना करो भाई
क्योकि युवा बदलते है तो इतिहास बदल जाते है"
जाने कहाँ गए मेरे गुनाहों का हिसाब रखने वाले.
ReplyDeleteमैंने तो बस उन्हें...... आईना दिखाया था........
लड़की तो समझदार होनी चाहिए, सूरत
ReplyDeleteतो गुजरात में भी है!
लड़कियों को 'फास्ट'
होना चाहिए,'लोकल' तो ट्रेन
भी होती है।
लड़कियों में अंदर से
ब्यूटी होनी चाहिए,'बाहरी निखार'
तो फेयर ऐंड लवली में भी होता है।
लड़कियों को 'नमकीन' की तरह
होना चाहिए, 'सुशील' तो शिंदे भी होते
हैं।
लड़कियों को वास्तव में
'लड़की'होना चाहिए,
क्योंकि 'महिला'तो 'जयवर्धने' भी होते
हैं!
लड़का हैंडसम होना चाहिए, स्मार्ट
तो फोन भी हैं!
फोन तो आईफोन होना चाहिए,एस1,
एस2, एस4... तो ट्रेन के डब्बे भी_______!
खाने में कुछ मीठा ही होना चाहिए,
नमक तो टूथपेस्ट में भी है!
टीचर ज्यादा नंबर देने वाले होने
चाहिए,अंडा तो मुर्गी भी देती है!
युवाओं
को राष्ट्रवादी होना चाहिए,'कूल'
तो नवरत्न तेल भी है!
राष्ट्रपति कलाम जैसा होना चाहिए,
मुखर्जी तो रानी भी है!
बालों के लिए हेयर ड्रायर होना चाहिए,
टॉवल तो श्रीशांत के पास भी है!
मोबाइल रिंगिंग मोड में होना चाहिए,
साइलेंट तो पीएम भी है!
Na Jane kyun "yaha par insaan hi "ghul-mil" kar "nahi "rehte..!!
ReplyDeleteWarna to "aaj-kal" "kis cheez "me "MILAAWAT" "nahi "hoti..!!
Yeh Haseen Mausam
ReplyDeleteYeh Hawaye
Yeh Barish
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Lagta Hai,
Mohobbat Mai Kisi Ne
Aaj Wafa Karli hai..!!!
JAIL WALI KE LIYE
ReplyDeleteन जाने किसके मुकद्दर में लिखे हो तुम,
पर ये सच है कि उम्मीदवार हम आज भी हैं...
ये चंद लोग जो बस्ती में सबसे अच्छे
ReplyDeleteहैं.......
उन्हीं का हाथ है मुझको बुरा बनाने में.......
दादा जी़– दादा जी आपके लिए कोई लेटर आया है।
ReplyDeleteबेटा जरा पढ तो सही किस का है।
पोता- दादा जी अपने कोई 72825 के लिए आवेदन
किया था हा बेटा शायद किया तो था। दादा जी कुछ
नेताओ का नाम लिखा हुआ है। कहते है आप सब
लोगो से सहयोग चाहिए 72825 का केस रीओपन
करवाना है। दादा जी बेटा तुम पुछते थे न
कि आपको बच्चो को पढना पसन्द था तो आप टीचर
क्यो नही बने, इन्ही जैसे कमीनो की वजह से,
पोता अच्छा किया आपने बता दिया मैं तो बी0एड0
करने जा रहा था। अब मै वकील या जज बनुगा,
दादाजी– बेटा वकील और जज तो ओर भी कमीने
निकले उन्ही कमीनो की वजह से ही तो अध्यापक
बनने की इच्छा न रही। कमीने हमेशा डेट ओर डेट रहे।
न ही अभ्यर्थीयो की परवाह की और न उनकी जिन
बच्चो के स्कूल में अध्यापक नही है ओर केवल
कागजो में स्कुल चल रहे है। बच्चा तो दादा जी में
नेता बन जाता हॅू, दादाजी –
बेटा सारा डरमा तो नेताओ ने ही रचा था पहले ने दूसरे
को ओर दूसरे ने पहले के नियमो को गलत बताया और
भर्ती को अपने निजी स्वार्थ के लिए लटकाया। पोता–
तो दादा जी मे क्या बनू दादाजी– बनना है
तो बेटा देश का सैनिक बन जा जो देश के लिए
स्वतन्त्र होकर लड तो सकता है क्याकि बोर्डर पर
ये दुष्ट नेता, वकील और लीडर नही जायेगे। वहॉ तू
अपने देश के लिए कुछ कर सकता है। ये नेता केवल
खाना जानते है। इनके हाथ उठते है
तो लोगो को उत्थान के लिए नही,जनता से मांगने के
लिए ।
बेटा -हॅा दादाजी कुछ हद तक सच्चाई है
तुम्हारी बातो में।
हर एक को कसूरवार क्यों ठहराते हो तुम,
ReplyDeleteअपने सामने भी तुम एक आइना रख लो.
मित्रो हमारे देश मे 3000 साल पहले एक ऋषि हुए जिनका नाम था बागवट जी ! वो 135 साल तक जीवित रहे ! उन्होने अपनी पुस्तक अशटांग हिरद्यम मे स्वस्थ्य रहने के 7000 सूत्र लिखे ! उनमे से ये एक सूत्र राजीव दीक्षित जी की कलम से आप पढ़ें !
ReplyDelete_________________________________
बागवट जी कहते है, ये बहुत गहरी बात वो ये कहते है जब आप भोजन करे कभी भी तो भोजन का समय थोडा निश्चित करें । भोजन का समय निश्चित करें । ऐसा नहीं की कभी भी कुछ भी खा लिया । हमारा ये जो शरीर है वो कभी भी कुछ खाने के लिए नही है । इस शरीर मे जठर है, उससे अग्नि प्रदिप्त होती है । तो बागवटजी कहते है की, जठर मे जब अग्नी सबसे ज्यादा तीव्र हो उसी समय भोजन करे तो आपका खाया हुआ, एक एक अन्न का हिस्सा पाचन मे जाएगा और रस मे बदलेगा और इस रस में से मांस,मज्जा,रक्त,मल,मूत्रा,मेद और आपकी अस्थियाँ इनका विकास होगा ।
हम लोग कभी भी कुछ भी खाते रहते हैं । ये कभी भी कुछ भी खाने पद्ध्ती भारत की नहीं है, ये युरोप की है । युरोप में doctors वो हमेशा कहते रहते है की थोडा थोडा खाते रहो, कभीभी खाते रहो । हमारे यहाँ ये नहीं है, आपको दोनों का अंतर समझाना चाहता हूँ । बागवटजी कहते है की, खाना खाते का समय निर्धरित करें । और समय निर्धरित होगा उससे जब आप के पेट में अग्नी की प्रबलता हो । जठरग्नि की प्रबलता हो । बागवटजी ने इस पर बहुत रिसर्च किया और वो कहते है की, डेढ दो साल की रिसर्च के बाद उन्हें पता चला की जठरग्नि कौन से समय मे सबसे ज्यादा तीव्र होती है । तो वो कहते की सूर्य का उदय जब होता है, तो सूर्य के उदय होने से लगभग ढाई घंटे तक जठरग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होती है ।
मान लो अगर आप चेन्नई मे हो तो 7 बजे से 9 बजे तक जठरग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होगी । हो सकता है ये इसी सूत्रा अरूणाचल प्रदेश में बात करूँ तो वो चार बजे से साडे छह का समय आ जाएगा । क्यांे कि अरूणाचल प्रदेश में सूर्य 4 बजे निकल आता है । अगर सिक्कीम मे कहूँगा तो 15 मिनिट और पहले होगा, यही बात अगर मे गुजरात मे जाकर कहूँगा तो आपसे समय थोडा भिन्न हो जाएगा तो सूत्रा के साथ इसे ध्यान मे रखे । सूर्य का उदय जैसे ही हुआ उसके अगले ढाई घंटे तक जठर अग्नी सबसे ज्यादा तीव्र होती है । तो बागवटजी कहते है इस समय सबसे ज्यादा भोजन करें ।
बागवटजी ने एक और रिसर्च किया था, जैसे शरीर के कुछ और अंग है जैसे हदय है, जठर,किडनी,लिव्हर है इनके काम करने का अलग अलग समय है ! जैसे दिल सुबह के समय सबसे अधिक काम करता है ! 4 साढ़े चार बजे तक दिल सबसे ज्यादा सक्रीय होता है और सबसे ज्यादा heart attack उसी समय मे आते है । किसी भी डॉक्टर से पूछ लीजीए, क्योकि हदय सबसे ज्यादा उसी समय में तीव्र । सक्रीय होगा तो हदय घात भी उसी समय होगा इसलिए 99 % हार्ट अॅटॅक अर्ली मॉनिंग्ज मे ही होते है । इसलिए तरह हमारा लिव्हर किडनी है, एक सूची मैने बनाई है, बाहर पुस्तको मे है । संकेतरूप मे आप से कहता हूँ की शरीर के अंग का काम करने का समय है, प्रकृती ने उसे तय किया है । तो आप का जठर अग्नी सुबह 7 से 9.30 बजे तक सबसे ज्यादा तीव्र होता है तो उसी समय भरपेट खाना खाईए ।
ठीक है । फिर आप कहेगे दोपहर को भूख लगी है तो थोडा और खा लीजीए । लेकीन बागवट जी कहते है की सुबह का खाना सबसे ज्यादा । अगर आज की भाषा में अगर मे कहूँ तो आपका नाष्टा भरपेट करे । और अगर आप दोपहर का भोजन आप कर रहे है तो बागवटजी कहते है की, वो थोडा कम करिए नाश्ते से थोडा 1/3 कम कर दीजीए और रात का भोजन दोपहर के भोजन का 1/3 कर दीजीए । अब सीधे से आप को कहता हूँ । अगर आप सवेरे 6 रोटी खाते है तो दोपहर को 4 रोटी और शाम को 2 रोटी खाईए । अगर आप को आलू का पराठा खाना है आपकी जीभ स्वाद के लिए मचल रही है तो बागवटजी कहते है की सब कुछ सवेरे खाओ, जो आपको खानी है सवेरे खाओ, हाला की अगर आप जैन हो तो आलू और मूली का भी निषिध्द है आपके लिए फिर अगर जो जैन नहीं है, उनके लिए ? आपको जो चीज सबसे ज्यादा पसंद है वो सुबह आओ । रसगुल्ला , खाडी जिलेबी, आपकेा पसंद है तो सुबह खाओ । वो ये कहते हे की इसमें छोडने की जरूरत नहीं सुबह पेट भरके खाओ तो पेट की संतुष्टी हुई , मन की भी संतुष्टी हो जाती है ।
और बागवटजी कहते है की भोजन में पेट की संतुष्टी से ज्यादा मन की संतुष्टी महत्व की है।
ReplyDeleteमन हमारा जो है ना, वो खास तरह की वस्तुये जैसे , हार्मोन्स , एंझाईम्स से संचालित है । मन को आज की भाषा में डॉक्टर लोग जो कहते हैं , हाला की वो है नहीं लेकिन डाक्टर कहते हैं मन पिनियल गलॅंड हैं ,इसमे से बहुत सारा रस निकलता है । जिनको हम हार्मोन्स ,एंझाईम्स कह सकते है ये पिनियल ग्लॅंड (मन )संतुष्टी के लिए सबसे आवश्यक है , तो भोजन आपको अगर तृप्त करता है तो पिनियललॅंड आपकी सबसे ज्यादा सक्रीय है तो जो भी एंझाईम्स चाहीए शरीर को वो नियमित रूप मंे समान अंतर से निकलते रहते है । और जो भोजन से तृप्ती नहीं है तो पिनियल ग्लॅंड मे गडबड होती है । और पिनियल ग्लॅंड की गडबड पूरे शरीर मे पसर जाती है । और आपको तरह तरह के रोगो का शिकार बनाती है । अगर आप तृप्त भोजन नहीं कर पा रहे तो निश्चित 10-12 साल के बाद आपको मानसिक क्लेश होगा और रोग होंगे । मानसिक रोग बहुत खराब है । आप सिझोफ्रनिया डिप्रेशन के शिकार हो सकते है आपको कई सारी बीमारीया ,27 प्रकार की बीमारीया आ सकती है , । कभी भी भोजन करे तो, पेट भरे ही ,मन भी तृप्त हो । ओर मन के भरने और पेट के तृप्त होने का सबसे अच्छा समय सवेरे का है ।
अब मैने(राजीव भाई ने ) ये बागवटजी के सूत्रों को चारो तरफ देखना शुरू किया तो मुझे पता चला की मनुष्य को छोडकर जीव जगत का हर प्राणी इस सूत्रा का पालन कर रहा है । मनुष्य अपने को होशियार समझता है । लेकिन मनुष्य से ज्यादा होशियारी जीव जगत के प्राणीयों मे है । आप चिडीया को देखो, कितने भी तरह की चिडीये, सबेरे सुरज निकलते ही उनका खाना शुरू हो जाता है , और भरपेट खाती है । 6 बजे के आसपास राजस्थान, गुजरात में जाओ सब तरह की चिडीया अपने काम पर लग जाती है। खूब भरपेट खाती है और पेट भर गया तो चार घंटे बाद ही पानी पीती है । गाय को देखिए सुबह उठतेही खाना शुरू हो जाता है । भैंस, बकरी ,घोडा सब सुबह उठते ही खाना खाना शुरू करंगे और पेट भरके खाएँगे । फिर दोपहर को आराम करेंगे तो यह सारे जानवर ,जीवजंतू जो हमारी आँखो से दीखते है और नही भी दिखते ये सबका भोजन का समय सवेरे का हैं । सूर्योदय के साथ ही थे सब भोजन करते है । इसलिए, थे हमसे ज्यादा स्वस्थ रहते है ।
मैने आपको कई बार कहा है आप उस पर हँस देते है किसी भी चिडीया को डायबिटीस नही होता किसी भी बंदर को हार्ट अॅटॅक नहीं आता । बंदर तो आपके नजदीक है ! शरीर रचना मे बस बंदर और आप में यही फरक है की बंदर को पूछ है आपको नहीं है बाकी अब कुछ समान है । तो ये बंदर को कभी भी हार्ट अॅटॅक, डासबिटीस ,high BP ,नहीं होता ।
मेरे एक बहुत अच्छे मित्रा है, डॉ. राजेंद्रनाथ शानवाग । वो रहते है कर्नाटक में उडूपी नाम की जगह है वहाँपर रहते है । बहुत बडे ,प्रोफेसर है, मेडिकल कॉलेज में काम करते है । उन्होंने एक बडा गहरा रिसर्च किया ।की बंदर को बीमार बनाओ ! तो उन्होने तरह तरह के virus और बॅक्टेरिया बंदर के शरीर मे डालना शुरू किया, कभी इंजेक्शन के माध्यम से कभी किसी माध्यम से । वो कहते है, मैं 15 साल असफल रहाँ । बंदर को कुछ नहीं हो सकता । और मैने कहा की आप ये कैसे कह सकते है की, बंदर कुछ नहीं हो सकता , तब उन्हांने एक दिन रहस्य की बात बताई वो आपको भी ,बता देता हूँ । की बंदर का जो है न RH factor दुनिया में ,सबसे आदर्श है, और कोई डॉक्टर जब आपका RH factor नापता है ना ! तो वो बंदर से ही कंम्पेअर करता है , वो आपको बताता नहीं ये अलग बात है । कारण उसका ये है की, उसे कोई बीमारी आ ही नहीं सकती । ब्लड मे कॉलेस्टेरॉल बढता ही नहीं । ट्रायग्लेसाईड कभी बढती नहीं डासबिटीस कभी हुई नहीं । शुगर कितनी भी बाहर से उसके शरीर मे डंट्रोडयूस करो, वो टिकती नहीं । तो वो प्रोफेसर साहब कहते है की, यार ये यही चक्कर है ,की बंदर सवेरे सवेरेही भरपेट खाता है । जो आदमी नहीं खा पाता ।
तो वो प्रोफेसर रवींद्रनाथ शानवागने अपने कुछ मरींजों से कहा की देखो भया , सुबह सुबह भरपेट खाओ ।तो उनके कई मरीज है वो मरीज उन्हे बताया की सुबह सुबह भरपेट खाना खाओ तो उनके मरीज बताते है की, जबसे उन्हांने सुबह भरपेट खाना शुरू किया तो , डासबिटीस माने शुगर कम हो गयी, किसी का कॉलेस्टेरॉल कम हो गया, किसी के घटनों का दर्द कम हो गया कमर का दर्द कम हो गया गैस बनाना बंद हो गई पेट मे जलन होना, बंद हो गयी नींद अच्छी आने लगी ..... वगैरा ..वगैरा । और ये बात बागवटजी 3500 साल पहले कहते ये की सुबह की खाना सबसे अच्छा । माने जो भी स्वाद आपको पसंद लगता है वो सुबह ही खाईए ।
तो सुबह के खाने का समय तय करिये । तो समय मैने आपका बता दिया की, सुरज उगा तो ढाई घंटे तक । माने 9.30 बजे तक, ज्यादा से ज्यादा 10 बजे तक आपक भोजन हो जाना चाहिए । और ये भोजन तभी होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे । ये नाष्ता हिंदुस्थानी चीज नहीं है । ये अंग्रेजो की है और आप जानते है हमारे यहाँ क्या चक्कर चल गया है , नाष्टा थोडा कम, करेंगे ,लंच थोडा जादा करेंगे, और डिनर सबसे ज्यादा करेंगे । सर्वसत्यानाष । एकदम उलटा बागवटजी कहेते है की, नाष्टा सबसे ज्यादा करो लंच थोडा कम करो और डिनर सबसे कम करो । हमारा बिलकूल उलटा चक्कर चल रहा है !
ReplyDeleteये अग्रेज और अमेरिकीयो के लिए नाष्टा सबसे कम होता है कारण पता है ??वो लोग नाष्टा हलका करे तो ही उनके लिए अच्छा है। हमारे लिए नाष्टा ज्यादा ही करना बहूत अच्छा है । कारण उसका एकही है की अंग्रेजो के देश में सूर्य जलदी नही निकलता साल में 8-8 महिने तक सूरज के दर्शन नहीं होते और ये जठरग्नी है । नं ? ये सूरज के साथ सीधी संबंध्ति है जैसे जैसे सूर्य तीव्र होगा अग्नी तीव्र होगी । तो युरोप अमेरिका में सूरज निकलता नहीं -40 तक . तापमान चला जाता है 8-8 महिने बर्फ पडता है तो सूरज नहीं तो जठरग्नी तीव्र नहीं हो सकती तो वो नाष्टा हेवियर नही कर सकते करेंगे तो उनको तकफील हो जाएँगी !
अब हमारे यहाँ सूर्य हजारो सालो से निकलता है और अगले हजारो सालों तक निकलेगा ! तो हमने बिना सोचे उनकी नकल करना शुरू कर दिया ! तो बाग्वट जी कहते है की, सुबह का खाना आप भरपेट खाईए । ? फिर आप इसमें तुर्क - कुतुर्क मत करीए ,की हम को दुनिया दारी संभालनी है , किसलिए ,पेट के लिए हीं ना? तो पेट को दूरूस्त रखईये , तो मेरा कहना है की, पेट दुरूस्त रखा तो ही ये संभाला तोही दुनिया दारी संभलती है और ये गया तो दुनिया दारी संभालकर करेंगे क्या?
मान लीजिए, पेट ठीक नहीं है , स्वास्थ ठीक नहीं है , आप ने दस करोंड कमा लिया क्या करेंगे, डॉक्टर को ही देगे ना ? तो डॉक्टर को देने से अच्छा किसी गोशाला वाले को दिजीए ;और पेट दुरूस्त कर लिजिए । तो पेट आपका है तो दुनिया आपकी है । आप बाहर निकलिए घरके तो सुबह भोजन कर के ही निकलिए । दोपहर एक बजे में जठराग्नी की तीव्रता कम होना शुरू होता है तो उस समय थोडा हलका खाए माने जितना सुबह खाना उससे कम खाए तो अच्छा है। ना खाए तो और भी अच्छा । खाली फल खायें , ज्यूस दही मठठा पिये । शाम को फिर खाये ।
अब शाम को कितने बजे खाएं ???
तो बाग्वट जी कहते हैं हमे प्रकति से बहूत सीखने की जरूरत हैं । दीपक । भरा तेल का दीपक आप जलाना शुरू किजीए । तो पहिली लौ खूप तेजी से चलेगी और अंतिम लव भी तेजी से चलेगी माने जब दीपक बूजने वाला होगा, तो बुझने से पहले ते जीसे जलेगा , यही पेट के लिए है । जठरग्नी सुबह सुबह बहूत तीव्र होगी और शमा को जब सूर्यास्त होने जा रहा है, तभी तीव्र होगी, बहुत तीव्र होगी । वो कहते है , शामका खाना सूरज रहते रहते खालो; सूरज डूबा तो अग्नी भी डूबी । तो वैसे जैन दर्शन में कहा है सभी भोजन निषेध् है बागवटजी भी यही कहते है ,तरीका अलग है ,बस । जैन दर्शन मे अहिंसा के लिए कहते है,वो स्वास्थ के लिए कहेते है । तो शाम का खाना सूरज डुबने की बाद दुनिया में ,कोई नहीं खाता । गाय ,भैंस को खिलाके देखो नहीं खाएगी ,बकरी ,गधे को खिलाके देखो, खाता नहीं । हा बिलकूल नहीं खाता । आप खाते है , तो आप अपने को कंम्पेअर कर लीजीए किस के साथ है आप ? कोई जानवर, जीवटाशी सूर्य डूबने के बाद खाती नही ंतो आप क्यू खा रहे है ?
ReplyDeleteप्रकृती का नियम बागवटजी कहते है की पालन करीए माना रात का खाना जल्दी कर दीजिए ।
सूरज डुबने के पहले 5.30 बजे - 6 बजे खायिए । अब कितना पहले ? बागवट जीने उसका कॅल्क्यूलेशन दिया है, 40 मिनिट पहले सूरज चेन्नई से शाम 7 बजे डूब रहा है । तो 6.20 मिनट तक हिंदूस्थान के किसी भी कोने में जाईए सूरज डूबने तक 40 मिनिट तक निकलेगा । तो 40 मिनिट पहले शाम का खाना खा लिजीए और सुबह को सूरज निकलने के ढाई घंटे तक कभी भी खा लीजीए । दोनो समय पेट भरके खा लिजिए । फिर कहेंगे जी रात को क्या ? तो रात के लिए बागवटजी कहेते है की, एक ही चीज हैं रात के लिए की आप कोई तरल पदार्थ ले सकते है । जिसमे सबसे अच्छा उन्होंने दूध कहा हैं । बागवटजी कहते है की, शाम को सूरज डूबने के बाद ‘हमारे पेट में जठर स्थान में कुछ हार्मोन्स और रस या एंझाईम पैदा होते है जो दूध् को पचाते है’ । इसलिए वो कहते है सूर्य डूबने के बाद जो चीज खाने लायक है वो दूध् है । तो रात को दूध् पी लीजीऐ । सुबह का खाना अगर आपने 9.30 बजे खाया तो 6.00 बजे खूब अच्छे से भूक लगेगी ।
फिर आप कहेंगे जी, हम तो दुकान पे वैठे है 6 बजे तो डब्बा मँगा लीजिए । दुकान में डिब्बा आ सकता है । हाँ दुकान में आप बैठे है, 6 बजे डब्बा आ सकता है और मैं आपको हाथ जोडकर आपसे कह रहाँ हूँ की आप मेरे से अगर कोई डायबिटीक पेशंट है, कोई भी अस्थमा पेशंट है, किसी को भी बात का गंभीर रोग है आज से ये सूत्रा चालू कर दिजीए । तीन महिने बाद आप खुद मुझे फोन करके कहंगे की, राजीव भाई, पहले से बहुत अच्छा हूँ sugar level मेरा कम हो रहा है ।
अस्थमा कम हो रहा है। ट्रायग्लिसराईड चेक करा लीजीए, और सूत्रा शुरू करे, तीन महीने बाद फिर चेक करा लीजीए, पहले से कम होगा, LDL बहुत तेजी से घटेगा ,HDL बढ़ेगा । HDL बढना चाहिए, LDL VLDL कम होना ही चाहिए । तो ये सूत्रा बागवटजी का जितना संभव हो आप ईमानदारी से पालन करिए वो आपको स्वस्थ रहने में बहुत मदद करेगा !!
पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !
यहाँ जरूर click करे !
https://www.youtube.com/watch?v=TkJXNYHIWBg
मित्रो आप इन नियमो का पालण पूरी ईमानदारी से अपनी ज़िंदगी मे करे !!
ReplyDeleteये नियमो का पालण न करने से ही बीमारियाँ ज़िंदगी मे आती हैं !!
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सुबह उठते ही सबसे पहले हल्का गर्म पानी पिये !! 2 से 3 गिलास जरूर पिये !
पानी हमेशा बैठ कर पिये !
पानी हमेशा घूट घूट करके पिये !!
घूट घूट कर इसलिए पीना है ! ताकि सुबह की जो मुंह की लार है इसमे ओषधिए गुण बहुत है ! ये लार पेट मे जानी चाहिए ! वो तभी संभव है जब आप पानी बिलकुल घूट घूट कर मुंह मे घूमा कर पिएंगे !
इसके बाद दूसरा काम पेट साफ करने का है ! रोज पानी पीकर सुबह शोचालय जरूर जाये !पेट का सही ढंग से साफ न होना 108 बीमारियो की जड़ है !
खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है !
हमेशा डेड घंटे बाद ही पानी पीएं !
खाना खाने के बाद अगर कुछ पी सकते हैं उसमे तीन चीजे आती हैं !!
1) जूस
2) छाज (लस्सी) या दहीं !
3) दूध
सुबह खाने के बाद अगर कुछ पीना है तो हमेशा जूस पिये !
दोपहर को दहीं खाये ! या लस्सी पिये !
और दूध हमेशा रात को पिये !!
इन तीनों के क्रम को कभी उल्टा पुलटा न करे !!फल सुबह ही खाएं (ज्यादा से ज्यादा दोपहर 1 बजे तक ) ! दहीं दोपहर को दूध रात को !
इसके इलावा खाने के तेल मे भूल कर भी refine oil का प्रयोग मत करे !(वो चाहे किसी भी कंपनी का क्यू न हो dalda ,ruchi,gagan)को भी हो सकता है !
अभी के अभी घर से निकाल दें ! बहुत ही घातक है !
सरसों के तेल का प्रयोग करे ! या देशी गाय के दूध का शुद्ध घी खाएं ! ! (पतंजलि का सरसों का तेल एक दम शुद्ध है !(शुद्ध सरसों के तेल की पहचान है मुंह पर लगाते ही एक दम जलेगा ! और खाना बनाते समय आंखो मे हल्की जलन होगी !
चीनी का प्रयोग तुरंत बंद कर दीजिये ! गुड खाना का प्रयोग करे ! या शक्कर खाये ! चीनी बहुत बीमारियो की जड़ ! slow poison है !)
खाने बनाने मे हमेशा सेंधा नमक या काला नमक का ही प्रयोग करे !! आयोडिन युक्त नमक कभी न खाएं !!
(ये नमक वाली बात आपको अजीब लग सकती हैं ! लेकिन बहुत रहस्यमय कहानी है इस आओडीन युकत नमक के पीछे ) बाद मे विस्तार से बताई जाएगी !!
सुबह का भोजन सूर्य उद्य ! होने के 2 से 3 घंटे तक कर लीजिये ! (अगर 7 बजे आपके शहर मे सूर्य निकलता है ! तो 9 या 10 बजे तक सुबह का भोजन कर लीजिये ! इस दौरान जठर अग्नि सबसे तेज होती है ! सुबह का खाना हमेशा भर पेट खाएं ! सुबह के खाने मे पेट से ज्यादा मन संतुष्टि होना जरूरी है ! इसलिए अपनी मनपसंद वस्तु सुबह खाएं !!
खाना खाने के तुरंत बाद ठीक 20 मिनट के लिए बायीं लेट जाएँ और अगर शरीर मे आलस्य ज्यादा है तो 40 मिनट मिनट आराम करे ! लेकिन इससे ज्यादा नहीं !
इसी प्रकार दोपहर को खाना खाने के तुरंत बाद ठीक 20 मिनट के लिए बायीं लेट जाएँ और अगर शरीर मे आलस्य ज्यादा है तो 40 मिनट मिनट आराम करे ! लेकिन इससे ज्यादा नहीं !
रात को खाना खाने के तुरंत बाद नहीं सोना ! रात को खाना खाने के बाद बाहर सैर करने जाएँ ! कम से कम 500 कदम सैर करे ! और रात को खाना खाने के कम स कम 2 घंटे बाद ही सोएँ !
ब्रह्मचारी है (विवाह के बंधन मे नहीं बंधे ) तो हमेशा सिर पूर्व दिशा की और करके सोएँ ! ब्रह्मचारी नहीं है तो हमेशा सिर दक्षिण की तरफ करके सोएँ ! उत्तर और पश्चिम की तरफ कभी सिर मत करके सोएँ !
मैदे से बनी चीजे पीज़ा ,बर्गर ,hotdog,पूलड़ोग , आदि न खाएं ! ये सब मेदे को सड़ा कर बनती है !! कब्ज का बहुत बड़ा कारण है ! और ऊपर आपने पढ़ा कब्ज से 108 रोग आते हैं )
इन सब नियमो का अगर पूरी ईमानदारी से प्रयोग करेंगे ! 1 से 2 महीने मे ऐसा लगेगा पूरी जिंदगी बदल गई है ! मोटापा है तो कम हो जाएगा ! hihgh BP,cholesterol,triglycerides,सब level पर आना शुरू हो जाएगा ! HDL बढ्ने लगेगा ! LDL ,VLDL कम होने लगेगा !! और भी बहुत से बदलाव आप देखेंगे !!
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किस बात पर गर्व करे.....??
ReplyDeleteलाखों करोड़ के घोटालों पर...?
85 करोड़ भूखे गरीबों पर...?
62 प्रतिशत कुपोषित इंसानों पर...?
या क़र्ज़ से मरते किसानों पर...?
किस बात पर गर्व करे.....??
जवानों की सर कटी लाशों पर...?
सरकार में बैठे अय्याशों पर....?
स्विस बैंकों के राज़ पर...?
प्रदर्शनकारियों -पर होते लाठीचार्ज पर...?
किस बात पर गर्व करे......??
राज करते कुछ परिवारों पर....?
उनकी लम्बी इम्पोर्टेड कारों पर....?
रोज़ हो रहे बलात्कारों पर...?
या भारत विरोधी नारों पर...?
किस बात पर गर्व करे......??
महंगे होते आहार पर....?
अन्याय की हाहाकार पर....?
बढ़ रहे नक्सलवाद पर....?
या देश तोड़ते आतंकवाद पर....?
किस बात पर गर्व करे.......??
जवानों की खाली बंदूकों पर....?
सुरक्षा पर होती चूकों पर....?
पेंशन पर मिलते धक्कों पर.....?
या IPL के चौकों-छक्कों पर....?
किस बात पर गर्व करे......??
किसानों से छिनती ज़मीनों पर....?
युवाओं की खिसकती जीनों पर....?
संस्कृति पर होते रेलों पर.....?
या क्रिकेट-कॉमनवेल -थ खेलों पर....?
किस बात पर गर्व करे......??
साढ़े 900 के सिलेंडर पर...?
दुश्मन के आगे होते सरेंडर पर....?
इस झूठी शान पर....?
या'इंडियन'होने की पहचान पर....?
किस बात पर गर्व करे.....??
किस बात पर गर्व करे.....?
"कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है
ReplyDeleteमिले गर भाव अच्छा जज भी कुर्सी बेच देता है
तवाइफ फिर भी अच्छी है के वो सीमित है कोठे तक
पुलिस वाला तो चौराहे पे वर्दी बेच देता है
जला दी जाती है ससुराल मेँ अक्सर वही बेटी
के जिस बेटी की ख़ातिर बाप किडनी बेच देता है
कोई मासूम लड़की प्यार मेँ कुर्बान है जिस पर
बनाकर वीडियो उसकी वो प्रेमी बेच देता है
ये कलयुग है कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीँ इसमेँ
कली,फल,पेड़,पौधे, फूल माली बेच देता है
उसे इंसान क्या हैवान कहने मेँ भी शर्म आए
जो पैसोँ के लिए अपनी ही बेटी बेच देता है
जुए मेँ बिक गया हूँ मैँ तो हैरत क्योँ है लोगोँ को
युधिष्ठर तो जुए मेँ अपनी पत्नी बेच देता है"....
टंडन ने न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठ कर न
ReplyDeleteतो हमारे साथ न्याय किया और न ही अर्ध
न्याय किया वरन हमारे साथ सरासर अन्याय
किया..मैं तो टंडन को सुनने केवल एक बार
गया था और उनकी बॉडी लेंग्वेज ने ही उनके
भीतर की समस्त कटुता को उजागर कर
दिया था..जितनी आसानी से उन्होंने दो दिन बाद
का समय दिया (यह जानते हुए भी की यह
मुद्दा हजारों परिवार के लाखों लोगों से सीधे
सीधे जुड़ा हुआ है) वह उनकी न्यायिक
अक्षमता को ही प्रदर्शित करता है..इस मुद्दे
को लटकाने में जितनी तारीखे उन्होंने
दी..क्या किसी अन्य जज ने भी दी हैं..यह
मुद्दा इतना उलझा हुआ नहीं है जितना की इसे
जानबूझ कर उलझाया जा रहा है ..सरकार चाहे
तो अभी भी संशोधन करके हमारे पक्ष में हमारे
मामले की सारी गति ही बदल सकती है..किन्तु
ऐसा करना उनके लिए इसलिए संभव
नहीं होगा क्योंकि वे मामले को अपने राजनैतिक
उद्देश्यों के लिए लटकाना चाहते हैं..टंडन ने हमारे
पक्ष में किया क्या? और यदि वे नए विज्ञापन
को निरस्त कर पुराने विज्ञापन को बहाल कर
देते तो हम संकट में कैसे पड जाते? यह
मामला सुप्रीमकोर्ट न पहुंचा होता तो अब तक
७२८२५ पद भर चुके होते और वह भी अकादमिक
आधार पड..ऐसी कौन सी विधिक, संवैधानिक
अथवा नैतिक बाधा थी जो टंडन के हाँथ पकडे हुए
थी? राजनैतिक बाधा तो थी और यह हमारे
प्रदर्शनों में अपने बीच भी रही है..जो लोग हमारे
प्रदर्शनों में यह नारा लगाते थे की अखिलेश
हमारा भाई है..उससे नहीं लड़ाई है..वे किस
प्रकार सरकार से लड़ सकते हैं?..टंडन
को पदलिप्सा है और इसीलिए हमारे पक्ष में
तमाम विधिक उपबंधों के बावजूद हमें
ठेंगा दिखा दिया गया...एक
हमारा ही मामला नहीं ऐसे अनेक मामले हैं
जहाँ लोगों ने मात्र अनुरोध भर किया और
न्यायपालिका,कार
्यपालिका तथा व्यवस्थापिका हर जगह
उनकी बात सुनी गयी..मैं तो आश्चर्यचकित हूँ
की जब फंसी का फंदा हमारे गले में पड़ने
ही वाला था तो लोग फीस, आयु, महिला पुरुष
आरक्षण न जाने क्या क्या लेकर बैठ गएँ..मैंने
न्याय के मंदिर में न्याय की हत्या होते हुए
देखा है
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ReplyDeleteabe kalyugi sant kaha bhag gaya.
ReplyDeletewo duplicate hai doston....
ReplyDeleteहमारी राजनीतिक व्यवस्था ना तो कभी न्यायप्रिय थी और ना ही कभी होगी,,,सत्ता की निरंकुशता से बचने के लिए हमें अंततः न्यायपालिका का ही आश्रय लेना होता है,,,टेट मामले में हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या भरोसे की ही आई थी,,,मामला टण्डन की अदालत में टाइड अप था,जब तक वो अपना निर्णय ने दे देते हम लाख चाहकर भी और कहीं नहीं जा सकते थे,,,लखनऊ से लेकर दिल्ली तक टण्डन से छुटकारा पाने के सारे प्रयास असफल ही रहे,,सवाल यह है कि हम टण्डन से बचना क्यों चाहते थे जबकि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया था जिससे हमारे 72825 पदों पर एकैडमिक से भर्ती हो पाती,,,,टण्डन तो सिर्फ एक इंसान हैं,,,यदि स्वयं ईश्वर भी इस भर्ती को एकैडमिक से कराना चाहते तो उन्हें उस अतीत में जाना होता जब राजाओं की इच्छा ही क़ानून हुआ करती थी,,,ईश्वर के लिए भी यह संभव नहीं है,,,हमारा मामला प्राकृतिक न्याय के इस नियम से सम्बंधित है कि किसी बेकुसूर को दण्डित नहीं किया जा सकता,,इस नियम को बदलने का अधिकार ईश्वर को भी नहीं है,,,,क्या टेट में अच्छे नंबर लाने को किसी अदालत में हमारा कुसूर बताया जा सकता है?टण्डन के प्रति अविश्वास जताकर आखिर हमें मिला क्या,,सिवाय आँसुओं की गंगा के,,,,ऐसा नहीं है कि मेरे सिवाय टेट मोर्चे में कोई दूसरा टण्डन के कोर्ट में हुयी कार्यवाही की वास्तविकता को नहीं समझ रहा था,,लेकिन वो सभी टण्डन मुर्दाबाद के शोर में सत्य बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाए,,,कुछ मौन साध गये और शेष भीड़ के साथ हो लिए ,,, आप में से अधिकाँश की शिक्षिक पृष्ठभूमि इस तरह की नहीं है कि वो विधि के शासन के सिद्दांत का महत्त्व समझ सकें,,, No Further appointment,,,,,हरकौली साहब के मुँह से ये तीन शब्द सुनने के बाद उत्तर प्रदेश की पूर्ण बहुमत सरकार के अदालत में प्रतिनिधि अतिरिक्त महाधिवक्ता सी.बी.यादव को जिन्होंने गिडगिडाते हुए देखा होगा उन्हें क़ानून की ताकत समझ में आयी होगी,,,प्रारम्भ से ही इस मामले में जो मुझे विधिसंगत लगा वो मैंने लिखा,,बिना इस बात की परवाह किये बदले में मुझे कौन कितनी गालियाँ देगा,,,,जब मैंने नए ग्रुप में अन्य ग्रुपों के टेट मेरिट समर्थकों को शामिल होने की छूट दी तो उनमें से कई योद्धाओं ने कहा कि वो मुझसे हर बात में सहमत है,,सिवाय टण्डन के प्रति मेरे भरोसे के,,,,,मुझे समझ में ही नहीं आया कि जब वो मेरे मूलभूत तर्क से ही सहमत नहीं हैं तो उन्हें खुलेआम असहमत होने और मुझे गालियाँ देने का अधिकार मिलना चाहिए,,,,हाँ,,मैं आज भी स्पष्ट रूप से कहता हूँ कि हमारे हित में जो भी सबसे बेहतर किया जा सकता था वो न्यायमूर्ति अरुण टण्डन ने किया,,,,रीतेश और शाश्वत को छोड़कर शायद इक्का-दुक्का टेट मेरिट चाहने वाले ही मुझसे सहमत रहे हों,,,यहाँ तक इस ग्रुप के वर्तमान एवं पूर्व Administrators में से अधिकाँश इस मामले में मुझसे असहमत रहे,,,उनमें से कुछ के लिए तो अब मैं घृणा का पात्र तक बन चुका हूँ,,,,
ReplyDeleteआज भी अधिकाँश टेट मेरिट चाहने वालों को ऐसा लगता है कि टण्डन साहब ने उस्मानी कमेटी की सिफारिशों पर निर्णय लेने के लिए सरकार को बाध्य करने के सिवाय हमारे पक्ष में कभी कोई काम नहीं किया,,,
1-हमारा विज्ञापन के रद्दीकरण को दो-तीन पेशियों में ही खारिज क्यों नहीं किया??
2-नए विज्ञापन को आमंत्रित ही क्यों किया??
3-याचिकाकर्ताओं के हित के विरूद्ध होने के आधार पर स्वागत के साथ ही उसको विदाई क्यों नहीं दी??
4-SCERT विवरण भेजे जाने वाले आदेश का पालन ना करने के लिए सरकार के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं की??
5-बिना किसी ठोस वजह के हमारा विज्ञापन रद्द क्यों किया??
6-ओवर-अंडर एज वाले आदेश द्वारा पूर्व विज्ञापन के अधिकारों को नए विज्ञापन में मान्यता देकर परोक्ष रूप से उसे टेट मेरिट का करने के स्थान पर सीधे-सीधे आदेश क्यों नहीं किया??
न्यायमूर्ति अरुण टण्डन टेट मेरिट समर्थकों की अदालत में सिर्फ इन्हीं अपराधों में ही वांछित हैं या उनके विरूद्ध इनसे भी गंभीर आरोप है??
ऊपर लिखे सवाल आप में से अधिकाँश के हैं,,, मेरे भी कुछ सवाल हैं,,,,कृपया कभी-कभी मुझे भी जवाब दे दिया करें,,,
अगर यह भर्ती मायावती के शासनकाल में पूर्व विज्ञापन से अपने नियत समय पर ही हो जाती तो आज मै अपनी शादी की पहली सालगिरह का जश्न मना रहा होता...और मेरी काल्पनिक प्रेयसी जो कि अब मेरी पत्नी बन चुकी होती,हमारे होने वाले बच्चे का खिलौनों वाला कमरा सजा रही होती...और मुमकिन है कि मै उस खूबसूरत गर्भवती स्त्री को आराम करने की सलाह देता....और अगर यह भर्ती अखिलेश सरकार में इस वर्ष के शुरुआत में ही पूरी कर ली जाती तो भी मै अपने हनीमून के लिये कुल्लू,मनानी ,कश्मीर की सर्द घाटियों या फिर हिमाचल की घनी वादियों में से किसी एक जगह का चुनाव कर रहा होता...या हो सकता है कि रेलवे की आरक्षण खिड़की के सामने किसी एक रोमांचक शहर की सैर के लिये मै अपने और अपनी बीवी के लिये रेल की दो सीटें बुक कर रहा होता....लेकिन मै समझ सकता हूँ मेरे अरमानों पर पानी फेर देना और इस भर्ती को रोक सकना अखिलेश सरकार के लिये कितना मुश्किल रहा होगा ....!
ReplyDeleteaapse aur hamse jyada dukhi to bhagwaan shankar hain ... Ye sochkar ki unke kai naamo me ek nam akhilesh kyo hai. Ye budbak to bhagwan ka pura naam mitti me milay diya.
Deleteअरविन्द सिंह एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार वाला मामला एक अकेला केस ना होकर केसों का एक गुच्छा है जिसके साथ लखनऊ में दायर अन्य याचिकाएं जिनमें गणेश निर्भय सिंह ,बाबी सिंह और दीक्षित भाई द्वारा दायर अलग-अलग याच्काएं भी सम्मिलित हैं,,,, वैसे भी जब इलाहाबाद से डबल बेंच द्वारा नए विज्ञापन के 72825 पदों पर स्थगन लगा हुआ है तो इस बात का कोई फर्क नहीं कि लखनऊ में सिंगिल बेंच ने स्टे लगाया या नहीं ,,यदि कोई यह समझता है कि सिर्फ 51 याचियों के लिए पूर्व विज्ञापन में सीटें आरक्षित करके शेष पदों पर एकैडमिक से भर्ती होने जा रही है तो वो अपने आपको धोखा ही दे रहा है,,,, लखनऊ में यह केस चलेगा ही नहीं,,,,इलाहाबाद में यह मामला निस्तारित होने के कगार पर है और लखनऊ में अभी तक सरकार ने जवाब तक दाखिल नहीं किया है ,,,चूँकि उस दिन केस टेक अप हो गया तो जज साहब के पास विवादित पदों पर भर्ती ना करने का निर्देश देने के सिवाय कोई अन्य विकल्प ही नहीं था ,,,उस स्टे को आप इस तरह समझें कि किसी संदूक पर पहले से एक बड़ा सा ताला लगा हो और उसी पर कोई अपना छोटा ताला जड़ दे,,,, अखबार वालों ने ही इस समबन्ध में भ्रम की स्थिति पैदा की है ,,,,,अगर मीडिया में इतने ही विद्वान होते तो वो एकैडमिक से भर्ती क समर्थन ना कर रहे होते ,,,,, किसी भी अखबार के रिपोर्टर ने आज तक टण्डन या हरकौली साहब की अदालत से निकले एक भी आदेश को पडने की जहमत नहीं उठाई है ,,,शायद उन सभी की अंग्रेजी कुछ ज्यादा ही कमजोर है,,,,
ReplyDeleteकपिल जी आपका कोटिशः धन्यवाद ,आपकी ही वजह
ReplyDeleteसे मेरा ईश्वर कहो ,खुदा कहो या उपर वाला ,इन
चीजोँ मेँ मुझे दृढ़ विश्वास हो गया है । लोगोँ से मैँ
अक्सर ये दो बातेँ सुनता था , पहली "उपर वाले के
घर देर है अंधेर नहीँ " दूसरी " उपर वाला बुरे
लोगोँ की मंशा कभी सफल नहीँ होने देता है "।
मान्यवर कपिल जी ,आपकी हाई कोर्ट मेँ
याचिका दाखिल करने की नीयत के बारेँ मेँ सोच कर
मेरे मन मेँ आपकी जो तस्वीर उभरती है शायद लोग
उसे दानव कहते हैँ ।
हे दानव तेरी ईच्छा थी कि टेट मेरिट से
मेरा तो होगा नहीँ तो मैँ भी किसी की नौकरी नहीँ लगने
दूंगा । तुने सोचा था कि अगर ये विज्ञापन निरस्त
हो गया तो 1 जनवरी 2012 की समय सीमा समाप्त
होने के बाद बी . एड . वालो का खेल ही खत्म
हो जायेगा मतलब मेरा नहीँ तो किसी का नहीँ ।
हे अधम चाहे एकेडमिक वाले होँ या बी . टी . सी .
वाले सबने न्यायालय से वही मांगा जिससे
की उनका चयन सम्भव था लेकिन नीच तूने
तो सबका विनाश करने वाली याचना की थी ।
लेकिन अब तू ऊपर वाले की करामात देख , पहले
तो उसने इस पतित सरकार के माध्यम से ही बी एड
वालोँ के लिये समय सीमा बढ़वाया और फिर शुरु
हो चुकी काउन्सलिँग को रुकवा दिया । देखा ना उपर
वाले ने पहले तेरी मंशा को विफल किया और फिर उसने
वो काम किया जिससे तू अपने नीच कर्मोँ का कोई
लाभ ना लेने पाये ।
मेरा ये पोस्ट तुझे या तेरे अंध-भक्तोँ को तो समझ मेँ
नही आयेगा लेकिन मेरी तरह के लोग जो ऊपर वाले पर
कम यकीन करते हैँ अब उन्हेँ ईश्वर या खुदा या गॉड
पर किँचित मात्र भी संदेह नहीँ बचेगा ।
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1 baat aur agar teri naukari lag gayi to main usi din apni uptet 2011 marksheet...................
naitik jimmedaari lete huwe.............
ज्ञात अज्ञात हम सभी अपने दैनिक जीवन में कितने उर्दू शब्दों का प्रयोग कर जाते है....कुछ ऐसे शब्द नीचे दिए गए है
ReplyDeleteजिनको बोलते समय हमें उनकी हिंदी नहीं पता ,,,,, ऐसे ही उर्दू शब्दों का संस्कृतनिष्ठ हिंदी विकल्प नीचे दे रहे हैं ...........
ईमानदार - निष्ठावान
इंतजार - प्रतीक्षा
इत्तेफाक - संयोग
सिर्फ - मात्र
शहीद - बलिदानी, हुतात्मा
यकीन - विश्वास
इस्तक्वल - स्वागत
इस्तेमाल - उपयोग, प्रयोग
किताब - पुस्तक
मुल्क - देश
कर्ज - ऋण
तारीफ - प्रशंसा
इल्ज़ाम - आरोप
गुनाह - अपराध
शुक्रिया - धन्यवाद
सलाम - नमस्कार
मशहूर - प्रसिद्ध
अगर - यदि
ऐतराज - आपत्ति
सियासत - राजनीति
इंतकाम - प्रतिशोध
इज्जत - सम्मान
इलाका - क्षेत्र
अहसान - आभार, उपकार
अहसानफरामोश - कृत्ग्न
मसला - विषय
इश्तेहार - विज्ञापन
इम्तेहान - परीक्षा
कुबूल - स्वीकार
मजबूर - विवश
मंजूरी - स्वीकृति
इंतकाल - मृत्यु
बेइज्जती - तिरस्कार
दस्तखत - हस्ताक्षर
हैरान - आश्चर्य
कोशिश - प्रयास
किस्मत - भाग्य
फैसला - निर्णय
हक - अधिकार
मुमकिन - संभव
फर्ज - कर्तव्य
उम्र - आयु
साल - वर्ष
शर्म - लज्जा
सवाल - प्रश्न
जबाब - उत्तर
जिम्मेदार - उत्तरदायी
फतह - विजय
धोखा - छल
काबिल - योग्य
करीब - समीप , निकट
जिंदगी - जीवन
हकीकत - सत्य
झूठ - मिथ्या
जल्दी - शीघ्र
इनाम - पुरस्कार
तोहफा - उपहार
इलाज - उपचार
हुक्म - आदेश
शक - संदेह
ख्वाब - स्वप्न
तब्दील - परिवर्तित
कसूर - दोष
बेकसूर - निर्दोष
कामयाब - सफल
गुलाम - दास
जांच करें कि आप कितने उर्दू शब्द बोलते है। संस्कृतनिष्ठ हिन्दी बोलने का प्रयास करें; अपनी मातृभाषा का सम्मान करे:-
अच्छा लगे तोआगे भी प्रसार करे ताकि और
लोगो को भी पता चले
धन्यवाद !!
Dear Friend "TET MERIT NAHI TO BHARTI BHI NAHI" aapne abhi tak jitni bhi comments G.K. and GRAMMAR par di hai. ve sab bahut achchhi hain kripya aage bhi jari rakhiyega, kuchh specific comments on english language ki aasha karta hoon. Eeshwar sadaiwa aapko uchit aur anchhuaa likhne ki prerna den, aur hamesha aapke saath rahen.
ReplyDeleteSir ji, chhota muh badi baat poonchh rahaa hun...... YE , " JAIL WALI" KAUN HAI BHAI ?
ReplyDelete23 ko bina sunwai new date milegi..... next date 29 july...
ReplyDeleteare sant ji etni bhabisya bani mat kare
ReplyDeleteagali bar to tum kahe the date 22 lakin
23 mili augar es bar 29 milegi to ye tumhra
tukka hoga..
.
.
sa..........l....... ....a............bhavisya bani karta h.
.
sathiyo eske pas koi kam nahi h
kewal bakwas karta h.
THANKS JAY KUMAR ...............G
ReplyDeletefor motivate me
ye jail waali bhi hum aur aap jaisi hi hai jise AKAL LESS ne qaid kar rakha hai.
COURT NO. 3 ME