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Tuesday, December 8, 2015

UPTET SARKARI NAUKRI News - NCTE Clarified - TET Wtz is Not Mandatory in Selection Process -

UPTET SARKARI NAUKRI   News - NCTE Clarified - TET Wtz is Not Mandatory in Selection Process 







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Wednesday, December 2, 2015

RTI SARKARI NAUKRI News - - आरटीआई नियमावली होगी जारी नियमावली संबंधी प्रस्ताव को कैबिनेट की हरी झंडी

RTI SARKARI NAUKRI   News - 


आरटीआई नियमावली होगी जारी
नियमावली संबंधी प्रस्ताव को कैबिनेट की हरी झंडी


लखनऊ (ब्यूरो)। प्रदेश में सूचना का अधिकार नियमावली-2015 जारी करने का निर्णय लिया गया है। इसमें सूचना मांगने और सूचना देने वाले अधिकारी के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश होंगे। नियमावली संबंधी प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।
सूचना मांगने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग (अपील प्रक्रिया) नियमावली-2006 पहले से ही वजूद में है। सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 18 के तहत किसी आवेदक द्वारा आयोग के सामने पेश शिकायत के निपटारे के लिए प्रस्तावित नियमावली के नियम 6 एवं 7 में व्यवस्था की गई है। शिकायतों और अपीलों की सुनवाई का नोटिस और उसके निपटारे या निर्णय की तामीली की व्यवस्था नियमावली के नियम 8 और 9 में प्रस्तावित है। किसी भी शिकायती वाद की सुनवाई के स्थगन या स्थानांतरण की नई व्यवस्था नियम 10 और 11 में की गई है। नियम 12 में किसी भी वाद में दिए गए निर्णय को रिकॉल करने की व्यवस्था है।
नियम 13 में शिकायत या अपील को वापस लिए जाने की नई व्यवस्था की गई है। उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार (फीस एवं लागत विनियम) नियमावली 2006 में दी गई दंड की राशि जमा कराने और उसकी वापसी के लिए लेखाशीर्षक की अलग से व्यवस्था नहीं थी। इसके लिए नियमावली में नियम 15 जोड़ा गया है। नियम 16 में सचिव की नियुक्ति और उनके कार्य की नई व्यवस्था की गई है। नियम 17 में आयोग में रजिस्ट्रार की नियुक्ति और उनके कार्य की नई व्यवस्था की गई है। राज्य के सूचना आयोग की मुद्रा एवं प्रतीक की नई व्यवस्था नियम 18 में की गई है।
राज्य सूचना आयोग के कामकाज की भाषा का निर्धारण नियम 19 में किया गया है। सूचना मांगने, सूचना देने, अपील दाखिल करने, अपील का निपटारा करने और निर्णय आदि से संबंधित दस्तावेजों की नई व्यवस्था भी नियमावली में की गई है



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Monday, October 12, 2015

क्या हमारे देश का कानून बेहद कमजोर नहीं है ???

क्या हमारे देश का कानून बेहद कमजोर नहीं है ???


4  साल से प्रशिक्षु शिक्षक अपनी नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं , उनका गुनाह क्या है । 

और जो लोग इनकी मुश्किलों के लिए दोषी हैं , वो आराम से जी रहे हैं । 

शिक्षा मित्र मामले में प्रथम दृष्टया केस था की बगैर टेट शिक्षक कैसे बने , और उस पर डेट पर डेट लग रही थी । 

वो तो सुप्रीम कोर्ट का असर था की सुनवाई जल्द करनी पडी । 

वरना उमर गुजर जाती और हाई कोर्ट डेट पर डेट लगाती रहती । 


बात यह की शिक्षा मित्रों का या टेट पास वालों का कॅरियर बेहतर होना चाहिए , और बच्चों के शिक्षा के अधिकार का अच्छे से पालन होना चाहिए , जिससे आर टी ई अधिनियम का वास्तविक उद्देश्य पूरा हो सके । 
शिक्षा मित्रों को व टेट पास जो भी हों सही रास्ते से  गुणवत्ता परक शिक्षक बनाया जाना चाहिए । 

अब कानून की बात करते हैं - देश के कानून में भुगतता बेगुनाह ही है , और आराम कानून तोड़ने वाला उठाता है । 

जब तक कानून दोषियों को सजा नहीं देगा , तब तक कानून तोडा जाता रहेगा । 

जब भी कानून अपना फैसला दे तो साथ में उसके दोषियों के उचित दंड भी दे , चाहे उनकी सैलरी से रिकवरी की जाये या कुछ और । 

यहाँ टेट पास लाखों की संख्या में थे , वरना आम इंसान कहाँ तक कोर्ट में लड़ता और इसका खर्च उठाता । 
अब यह कोर्ट का खर्च किस से मिले , जाहिर से बात है की जो भी दोषी हों उनकी सेलरी से मुआवजा की राशि इन टेट पास वालों को दिलवा दो , इसके बाद 
अपने आप कानून में सुधार आने लगेगा । 

बात सिर्फ टेट पास वालों की नहीं है , हिंदुस्तान में भ्रस्टाचार अपने आप समाप्त होने लगेगा जब कानून तेजी से प्रथम दृष्टया केसों में फैसला देने लगे ,

और अन्य केसेस भी त्वरित गति  निबटाए । 

साथ ही न्याय सस्ता हो और आसान प्रक्रिया बनाई जाए 

आसान प्रक्रिया ऐसी हो सकती है - आप केस ऑनलइन दर्ज कर सकें , और उसके सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट ऑनलाइन अपलोड कर सकें ,
उसके बात प्रथम दृष्टया बातों पर पहले ध्यान दिया जाए । 
दोनों पक्षों की हियरिंग ऑनलाइन चेट के माध्यम से दर्ज की जा सकती है , उसके बाद जैसा जज चाहें उनके लिखित दस्तावेज के प्रिंट आउट को हस्ताक्षर सहित अपने न्यायलय में मंगवा लें । 
उसके बाद केवल ख़ास मुद्दों पर सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को पर्सनल हियरिंग के लिए बुलाया जा सकता है ।

हमारे देश के आर टी आई सिस्टम भी गन्दा है , ऑनलाइन आर टी आई का प्रावधान नहीं है , सी आई सी ने ऐसा प्रबंध कर रखा है की वह जो चाहे फैसला दे ओरल आधार पर , बाद में भले ही किसी पक्ष को गलत भी लगे लेकिन वह उसका रिव्य अपील नहीं फाइल कर सकता , यह सब सी आई सी  ने अपनी सुरक्षा के लिये कर रखा है । 
और उसके बाद फिर आदमी को कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे । 

2009 -10 के काल में अन्ना आंदोलन के दौरान आर टी आई मजबूत थी , लेकिन दिनों दिन यह कमजोर होती चली गई और कमजोर होती जा रही है । 
उस दौरान कुछ महत्वपूर्ण फैसले ऐसे थे -
देश का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी अधिकारी की ए सी आर / वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट ( जो की प्रमोशन के लिए उपयोग की जाती है ) मांग सकता है ,
इस से पारदर्शिता बढ़ी और प्रमोशन में चापलूसी और हेरा फेरी पर रोक लगने लगी , बड़े अधिकारी और नेताओं के हाथ बंधने लगे । 

नेताओं और अधिकारियों को यह सब पसंद नहीं आ रहा था , तो उन्होंने आर टी आई कानून में बदलाव करके गोपनीयता के नाम पर यह सब बंद करवा दिया । 
सी आई सी अपने फैसलों को रिव्य करती है , मगर सरकारी पक्ष को बचाने के लिए , उसने अपने गलत फैसले आम आदमी के सूचना के अधिकार के पक्ष में कभी रिव्यू  नहीं किये । 

अगर कोई जन सूचना अधिकारी अधिकारी झूठ में यह भी कह दे की उसने मांगी गयी सूचनाएँ मुहैया करा दी , तो आप दोबारा से उस डॉक्यूमेंट को नहीं मांग सकते । 
रिपीटेड इंफोर्मेशन मांगना सूचना के अधिकार में अलाउ नहीं है । 


अंत में यही कहना है , की जब तक देश का कानून व् सिस्टम मजबूत नहीं होगा । 
तब तक देश का आम नागरिक गुलामी की तरह ही जीता रहेगा । 

लोगो को कजरीलाल नाम की गिरगिट से बहुत आशा थी , लेकिन वो सुपर गिरगिट निकला । 

वो वी आई पी कल्चर ख़त्म करने की बात कहता था , लेकिन आज खुद बंगले में रहता है , उसका खुद का जन  लोक पाल भी नहीं आ पाया , और आज तक उसमे भी कोई चूहा नहीं पकड़ा गया । अन्ना का जान लोक पाल भी फुस्स हो गया । 


बाबा राम देव रातों रात काला धन पर कानून बनाने को कोंग्रेस सरकार से कह रहे थे , की सारा काला  धन जो भी देश विदेश में हो उसको राष्ट्रिय संपत्ति घोषित कर दी जाए । 
लेकिन अब उनके कानून बनाने की योजना फुस्स हो चुकी है । 

बड़े बड़े पावर फुल लोगो के हाथ में देश का सिस्टम है , और राजनीती काले धन से ही चलती है ।
तो फिर काले धन पर कानून क्यों और कैसे बनेगा । 


कुल मिलाकर सीधी और सच्ची बात - जब तक देश का सिस्टम अच्छा नहीं बनेगा तब तक देश का आम गरीब इंसान कुचला जाता रहेगा 
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Saturday, February 28, 2015

News :विभागों को आरटीआई आवेदनों के सही ढंग से निस्तारण के आदेश

News :विभागों को आरटीआई आवेदनों के सही ढंग से निस्तारण के आदेश
Published: Sun, 22 Feb 2015 07:16 PM (IST) | Updated: Sun, 22 Feb 2015 07:20 PM (IST)


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BLOG VICHAR : Khud DOPT Ne Sarkari Karmchareeyon Ki ACR /APAR - Promotion Se Sambandhit Jankaree Ko Nijta (Privacy ) Par Hanan Karaar De Kar, Janta Ko Yeh Soochna Dene
Se Mana kar Diyaa.

Sarkari Kamcharee Ko promotion Aadi Ke Laabh Unke Boss Ke Dwara Diye Jaane hain, Aur Janta Vaastav Mein Iska Mulyankan Bhee Nahin Dekh Saktee.
Aise mein Chaplusee / Chatukarita Ko Rokne Ke Liye Kuch Vekalpik Pravdhaan To Hone hee Chahiye.

Galat / Bhramak Information Dene Par PIO / FAA Par Sakht karyvahee Honee Chahiye.
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नई दिल्ली। कार्मिक व प्रशिक्षण (डीओपीटी) विभाग ने अपने एक आदेश में कहा है कि मंत्रालय आरटीआइ के तहत दायर अपीलों और आवेदनों का दिशा-निर्देशों के अनुसार, समुचित तरीके से निपटारा करें। इसके अनुसार, जन सूचना अधिकारी (पीआइओ) को आरटीआइ अर्जी खारिज करते हुए तय समय के भीतर इसकी वजह बतानी चाहिए। उसको बताना चाहिए कि कौन सी अपील दाखिल की जा सकती है। आदेश में कहा गया है कि आवेदनकर्ता को चुकाए जाने वाले शुल्क का विवरण देना चाहिए।

डीओपीटी ने कहा है कि पहली अपील का निपटारा करते हुए प्रथम अपीली प्राधिकार को निष्पक्षता और न्यायिक तरीके से काम करना चाहिए। यह बेहद महत्वपूर्ण है कि प्रथम अपीली प्राधिकार की ओर से जारी आदेश विस्तृत होना चाहिए। इसमें निर्णय पर पहुंचने का तर्क बताया गया हो। अपीली प्राधिकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके द्वारा दिया गया आदेश आवेदनकर्ता को तुंरत मिले।

- News Sabhar : jagran Sun, 22 Feb 2015 07:20 PM
RTI applications | order | salvage | departments correctly |

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NEWS Uttar Pradesh : आरटीआई का सख्ती से पालन कराएं अधिकारी: उस्मानी

NEWS Uttar Pradesh : आरटीआई का सख्ती से पालन कराएं अधिकारी: उस्मानी

प्रमुख संवाददाता, लखनऊ
मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने प्रदेश के सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों, विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह सूचना का अधिकार अधिनियम का सख्ती से पालन सुनिश्चित करवाएं। अधिकारियों से कहा गया है कि वह एक्ट के नियमों के तहत तीस दिन में आवेदकों को स्थानीय स्तर पर सूचनाएं मुहैया करवाएं। अगर मामला आयोग में पहुंचता है और सूचना देने में अधिकारियों की लापरवाही उजागर होती है, तो उन पर जुर्माने के साथ क्षतिपूर्ति और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति आयोग द्वारा की जाएगी
News Sabhar : navbharattimes.indiatimes.com
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Thursday, October 30, 2014

RTI : आर टी आई दम तोड़ने के कगार पर

आर टी आई दम तोड़ने के कगार पर
आर टी आई एक्ट की कोई सुध बुध नहीं
चीफ इन्फोर्मेसन कमिश्नर की भर्ती लम्बे समय से लटकी है


अगर आपको 30 दिन में जवाब नहीं मिलता और उसके बाद आप सी आई सी में कम्प्लेंट दर्ज करते हैं या फिर द्वितीय अपील दाखिल करते हैं तो
उसके बाद आपको जवाब का इतंजार के लिए साल , दो साल भी लग सकते हैं ।
दिनों दिन आर टी आई एक्ट कमजोर होता जा रहा है ,

कभी कोर्ट सूचना मांगने का कारण बताने को कह रही हैं , तो कभी नागरिकता प्रमाण पत्र के लिए फोटो आई डी देने की देने की बात कहती हैं
ये सब होने के बाद सूचना अधिकारी द्वारा सूचना न देने के बहाने भी बाद गए हैं , मसलन कारण सही नहीं है इत्यादि

जब अन्ना , केजरीवाल का आंदोलन चल रहा था , तब केंद्रीय सूचना आयोग भी ऐतिहासिक फैसले दे रहा था - चाहे वो कोयला घोटाले की फाइलों की सूचना हो या फिर सिविल सर्वेंट की गोपनीय रिपोर्ट को सार्वजानिक करने के फैसले हों
आम आदमी फिर कमजोर हो रहा है






अब तक आर टी आई द्वारा सूचना लेने के दौरान सबसे बेहतरीन और ऐतिहासिक फैसले - सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने दिए थे ।
और आर टी आई द्वारा सूचना देने लेने में क्रांतिकारी परिवर्तन आ गया था ।

शैलेश गांधी के ऐतिहासिक फैसलों में एक था - किसी भी अधिकारी की गोपनीय रिपोर्ट कोई भी आम नागरिक मांग सकता है और जान सकता की
किन कारणों से किसी का प्रमोशन हो रहा है और किन कारणों से नहीं
उनका कहना था ए सी आर का फंडा ब्रिटिश राज की देन था जिसमे देश के कर्मचारी ब्रिटिश राज के लिए काम करते थे , लेकिन अब देश के कर्मचारियों की असली मालिक देश की जनता है , और जनता को जानने का हक़ है की अधिकारी / कर्मचारियों की गोपनीय रिपोर्ट में क्या दर्ज है और उनका मूल्याङ्कन कैसे हो रहा है । कैसे ईमानदार होनहार कर्मचारी आगे बढ़ने से पिछड़ जाता है और कैसे बेईमान व् भ्रस्ट अधिकारी अपने राजनीतिक आकाओं की चापलूसी कर तरक्की पा जाता है
शैलेश गांधी 2 -3 साल पहले ही सूचना आयुक्त पद से कार्य मुक्त हो चुके हैं

इसके बाद हाई कोर्ट ने निजता का हवाला देकर सरकारी कर्मचारियों की गोपनीय रिपोर्ट को आम नागरिक को देने से मन दिया 

See News :-

http://www.deccanchronicle.com/141014/nation-current-affairs/article/delay-disposing-rti-cases-activists-complain
http://www.hindustantimes.com/comment/analysis/the-right-to-information-law-is-dying-a-slow-death/article1-1278302.aspx

Aur Bhee Bahut Saare Source Yahee Bata Rahe Hain -

The first and the foremost reason is the pernicious influence of some activists on the system. They are consciously deluging RTI functionaries with applications, reminders, appeals, submissions and request for compliance. Consequently, the functionaries are spending a disproportionate amount of time on sending letters after letters since the law does not have provisions for res judicata (a case in which there has been a final judgment and is no longer subject to appeal) without releasing much of information.

Second, the growing number of pendency of appeal/complaints before the Central Information Commission (CIC) is another area of concern. Official estimates indicate that there is a 68% rise of pendency of cases in September 2014 vis a vis September 2013. In some cases, information seekers are being forced to wait for a decision for about 12-15 months. Moreover, the CIC has been functioning without a Chief Information Commissioner since last August.

Third, the lackadaisical attitude regarding the disclosure of suo moto information by the public institutions also goes against the spirit of the RTI law. In April, 2013, the central government had directed public authorities to get their suo moto disclosure audited by a third party within six months and submit a compliance report to the department of personnel and training and the CIC. But to date no such audits have been done.

Fifth, the Madras High Court recently said RTI applicants must give reasons for seeking information. However, the law itself does not require specifying any reasons. If the information seeker has to give reasons, it is pretty likely that RTI applications would be opposed by the public institutions.

I am a short-term pessimist and a long-term optimist for the future of RTI in India.  But the way things are going, I think this wonderful law could soon become another archaic one in a very short span of time.

Pankaj K P Shreyaskar is a civil servant.
The views expressed by the author are personal
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Delay in disposing of RTI cases: Activists complain

DC | CHANDRASHEKAR G. | October 14, 2014, 06.10 am IST

Bengaluru: Activists against corruption and Right To Information (RTI) are staging a protest in front of the Town Hall on October 15, citing the dismal performance of the Karnataka Information Commission, particularly its chief A.K.M. Naik.

As per the RTI Act, the applicant should be provided with necessary details for queries within 30 days. If not, an RTI applicant is eligible to approach the KIC under Section 18 of the Act with a complaint and under Section 19(3) of the Act through Second Appeal under Section 19(1) of RTI Act 2005 for justice, said RTI activist B.H. Veeresh.

“It is highly regrettable that complaints or appeals filed before the KIC is being taken up for first hearing after a period of eight months to one year, depending on the Information Commissioner. This is against the letter and spirit of RTI Act 2005 and defeats its purpose. The Act was passed by Parliament to bring in public probity and to curb corruption at all levels,” he said.

The commissioners are following their own procedures for hearing the complaints and to adjourn cases to the next date of hearing. The period of adjournments vary from one month to six months depending on the Information Commissioner. This attitude is hurting the RTI activism in the state, he said.

This is grave injustice both to the RTI Act and RTI applicants. There is enormous delay in receiving orders as they are being sent to parties only after two to three months by some commissioners. At least 12,000 cases are pending before the KIC and the number of complaints filed is more than those disposed of, he said.

No uniformity is maintained in hearing cases in a particular day. Although Saturday is a working day, no cases are heard by the commissioners on that day, he said.
Recently, the Central Information Commission fixed a target of 3200 cases to be disposed of by a commissioner per year.




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Sunday, December 29, 2013

News : Whistleblower killed, but other RTI activists manage to publish info he sought

News : Whistleblower killed, but other RTI activists manage to publish info he sought


Bhiwandi-based RTI activist Abrar Shaikh was killed last week for seeking information on illegal constructions. As usual the killers are yet to be caught. This prompted other RTI activists to successfully steer campaign to put documents in public domain on information sought by the slain whistleblower

Another murder of a Right to Information (RTI) activist, this time it is 32 year old Abrar Shaikh from Bhiwandi who died last week after being attacked with sticks in broad daylight. Again, the incident is from Maharashtra, which has gained the dubious distinction for the highest number of such gory crimes. Once more, the killing is revenge against a whistleblower for procuring information about illegal constructions who then registered a complaint with the Bhiwandi-Nizampur Municipal Corporation.


While Pune-based Satish Shetty’s murder which occurred in 2010 is yet unsolved, former central information commissioner Shailesh Gandhi who continues to pursue his RTI activism from Mumbai, after the end of his tenure as CIC, admirably picked up the gauntlet for Shaikh, the slain activist from Bhiwandi.


According to Gandhi, most of the murders occur in order to silence the RTI activist who has crucial information which vested interests do not want it to be out in the open. As CIC, he was a part of the team that had ordered that documents that any activist who has been unfortunately killed, had asked for, be immediately put up in the public domain, which is on the website, of the relevant public authority, so that the culprits’ motive for the murder comes a cropper.


Accordingly, Gandhi shot off a letter to Ratnakar Gaikwad, State Chief Information Commissioner (SCIC) of Maharashtra after Shaikh was killed, requesting him for the following actions:


1) Order Mr Sonavane, Municipal Commissioner, Bhiwandi Nizampur Municipal  Corporation, Bhiwandi to immediately disclose on their website the RTI applications filed by Mr Abrar Shaihd and the relevant information demanded by him;


2) Direct Shivraj Patil, the Assistant Commissioner of Police (ACP) from Bhiwandi to expedite the arrest of the accused that have been charged under Section 302 of the IPC and to disclose the status of the investigations on the notice board of the police establishment and the website;


3) Take any other steps he may deem fit to get some level of protection for RTI users in our State, before they have to claim the status of endangered;


4) Passing a resolution similar to the CIC resolution of 13 September 2011 to warn those who think of attacking RTI users.


Very quickly on 20th December, SCIC Gaikwad directed the municipal commissioner of Bhiwandi-Nizampur Municipal Corporation to put up the relevant information sought by Shaikh immediately. His letter reads: “In order to control and check this dangerous trend of victimising information seekers, you are directed to put the information which Abrar Shaikh had sought in his various applications from your PIOs on website of Bhiwandi-Nizampur Municipal Corporation, Bhiwandi and also give wide publicity to this information. In fact, Section 4(1)(b) mandates that all such relevant information is to be put on website of public authorities suo moto. You are directed to comply with the instructions immediately.”


Credit also goes to Municipal Commissioner of Bhiwandi-Nizampur Municipal Corporation who promptly put up the information on the website http://www.bncmc.gov.in/ the next day on 21st December.


Gandhi also wrote to chief minister Prithviraj Chavan asking him to take personal interest in ensuring that, “police is instructed to ensure quick investigations and arrests and asking them to send a weekly report to you; passing a GR to ensure that if any RTI user is attacked all information sought by him would be displayed on the website; any other steps you may deem fit to protect those who are taking up public on the subject.”


Noted RTI activist from Mumbai and convener of Mahiti Adhikar Manch, Bhaskar Prabhu also took up this campaign. He states, “I have spoken with the ACP of Bhiwandi who said that one of the accused is Samajwadi Party Corporator Hasim Khan and no arrests had been made so far. He however promised to do the needful. We must remember that so far no accused has been arrested in the murder of Satish Shetty who was killed in January 2010. We must demand a weekly report on this case.”



“It would be a good idea to disclose all information sought by a RTI user who is attacked on websites. This would make it unproductive for anyone to attack a RTI user. Mr Sonavane, Municipal Commissioner of Bhiwandi has promised me that he will disclose all the information sought by Abrar Shaikh on their website. We should ensure that this is done soon,” Prabhu said.



Prabhu added, “Illegal construction has become the primary area of focus for criminals. I spoke to Sonavane to persuade him to demolish the illegal building of Hasim Khan. He told me that the Municipal authorities had planned to demolish the building with the help of a police force, but had been stopped by a stay order from a lower court. If the demolition had occurred maybe Abrar Shaikh would not have lost his life.”

News Source / Sabhaar : moneylife.in (Vinita Deshmukh | 26/12/2013 12:44 PM |) / http://www.moneylife.in/article/safety-of-rti-activists-in-maharashtra/35750.html
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News Analysis :
Government should pass some safety measures for RTI Activist and should take strong actions against guilty / information hiding people / wrong information provider,.
And for important RTI informations, where department/persons did some ill-doings with applicant then necessary relief should be provided to RTI applicant on immediate basis.
Only information alone can't provide to relief to applicant.
So that objective of RTI Act fulfills.


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News : Maharashtra set to become 1st state to allow online filing of RTI applications

News : Maharashtra set to become 1st state to allow online filing of RTI applications



To make the process of filing Right To Information (RTI) applications easy, Maharashtra will soon become the first state to enable people to seek information online under the Act. Presently, people file their RTI applications physically and pay a fee of Rs10 via modes like a court fee stamp, demand draft and Indian postal order. The system of filing RTI applications online will help simplify the process.  
The Centre has already launched a portal to enable online filing of RTI applications with major ministries and departments located in New Delhi. Here, applicants can get a unique registration number for future reference and can also provide mobile numbers for SMS alerts.
“People will soon be able to file RTI applications online,” Maharashtra information technology (IT) secretary Rajesh Aggarwal told dna, adding that the National Informatics Centre (NIC) was fine-tuning the system. “This will be online in around two to three weeks’ time,” he said and added that they would start accepting such online applications for the general administration department (GAD) and then extend it to other departments and districts later.
Under the system, people will be able to apply for information and pay the necessary fees online, noted Aggarwal. “We have to get it customised,” he said, adding that the NIC was working on fine-tuning the payment gateway, which will enable people to make payments via credit or debit cards or net-banking. 
“Allowing people to file RTI applications online will be useful in taking the RTI act forward,” said RTI activist Shivaji Raut. “Students and professionals in sectors like IT and women are not using the RTI act too vigorously. The online filing of RTI applications will help get them into the RTI net and these (educated) people will help expose corruption fast,” he added. 
Raut, however, cautioned that public information officers (PIO) in rural areas could face problems receiving and processing RTI applications online. He added that instances of PIOs not accepting RTI applications or trying to hoodwink people would come down due to the new system.
From January to December 2012, a total of 6,82,286 RTI applications were filed in Maharashtra.
Out of these information was given for 6,54,067 applications. A total of 92,649 RTI applications were pending since 2011.
Simplifying the process
Under the system, people will be able to apply for information and pay the necessary fees online.
The government would start accepting such online applications for the general administration department (GAD) and then extend it to other departments and districts later. The system of filing RTI applications online will help simplify the process.


News Source / Sabhaar : dnaindia.com / DNA News (Thursday, Dec 26, 2013)
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Above is very Good News, UP / Uttar Pradesh should also think to make Online RTI Application filing to make corruption free state.
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RTI : सूचना न देने पर बीएसए तलब

RTI : सूचना न देने पर बीएसए तलब
Tue, 24 Dec 2013 06:00 PM (IST)

 बरेली : सूचना का अधिकार कानून के तहत सूचना न उपलब्ध कराने पर बीएसए को राज्य सूचना आयोग ने लखनऊ तलब किया।

आवेदक प्रभाकर सिंह निवासी इस्माइलपुर निसोई ने एक सितंबर 2012 को बीएसए से सूचना का अधिकार कानून के तहत सात बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। दो बार एडी बेसिक कार्यालय में शिकायत के बाद सूचना न मिलने पर उसने मुख्य सूचना आयोग में एक दिसंबर 2012 को आवेदन किया। इसके बाद 14 जनवरी 2013 को सात बिंदुओं की जगह दो बिंदुओं पर ही सूचना उपलब्ध कराई गई। शेष सूचनाओं के लिए फिर आवेदक ने 29 जनवरी को आवेदन किया लेकिन सूचना नहीं मिली। कई बार आवेदन करने के बाद सूचना नहीं मिली। 11 दिसंबर को भी आवेदक ने सूचना उपलब्ध कराने को लेकर मुख्य सूचना आयुक्त को पत्र भेजा जिस पर बीएसए को लखनऊ तलब किया गया। आवेदक प्रभाकर सिंह ने बताया कि अभी उसे सूचना नहीं मिली है और न ही आयुक्त ने कोई निर्णय दिया है

News Source/ Sabhaar : Jagran (Tue, 24 Dec 2013 06:00 PM (IST) / जागरण संवाददाता

To know more about RTI , Click on below Label of RTI
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Saturday, September 28, 2013

Benefit of RTI (Right To Information Act)

Benefit of RTI (Right To Information Act)

आरटीआई से एक फायदा हुआ,
पहले शिकायत करते थे,
नतीजा पता नहीं चलता था,
अब शिकायत करते हैं,
आरटीआई से पता करते हैं,
नतीजा पता चल जाता है,
शिकायत पर कुछ नहीं हुआ.

Grievance solution mechanism should also develop with the use of RTI.
Govt. should make some provision to solve grievance if they are genuine and can be solved with RTI.
So that wrongdoers will have some fear to not to make corrupt practices.

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Thursday, August 1, 2013

News : सियासी पार्टियां RTI दायरे से बाहर, लगी कैबिनेट की मुहर, चुनाव लड़ते रहेंगे अपराधी

News : सियासी पार्टियां RTI दायरे से बाहर, लगी कैबिनेट की मुहर
चुनाव लड़ते रहेंगे अपराधी


चुनाव लड़ते रहेंगे अपराधी -
जेल से चुनाव लड़ने पर रोक और दो साल से ज्यादा सजा होने पर सदन की सदस्यता स्वत: खत्म होने वाले सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ संसद के मानसून सत्र में विधेयक लाने के लिए भी सरकार तैयार है


राजनीतिक दल न तो आम आदमी को अपने खातों में झांकने का हक देना चाहते हैं और न ही चुनावी मैदान में अपराधियों को खड़ा करने का अपना अधिकार खोने को तैयार हैं। अपराधियों के चुनाव लड़ने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक और राजनीतिक दलों को सूचना अधिकार [आरटीआइ] कानून के दायरे में लाने के केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश के खिलाफ पूरी सियासत एकजुट हो गई है। संसद के मानसून सत्र में इन दोनों फैसलों के खिलाफ विधेयक लाकर उन्हें रद करने की तैयारी हो गई है। साफ है कि भ्रष्टाचार और अपराधीकरण से राजनीतिक दल खुद को मुक्त करने के लिए तैयार नहीं हैं


इस मामले में लगभग सभी राजनीतिक दलों की एक राय है

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Saturday, July 6, 2013

RTI Right To Information Act / HTET : 19 महीने बाद पास एचटेट


RTI Right To Information Act / HTET : 19 महीने बाद पास एचटेट 


फेल छात्रा आरटीआई की मदद से 19 महीने बाद पास एचटेट

एचटेट 2011 में बोर्ड ने 'ई' कोड के पेपर को 'ए' कोड की कुंजी से चेक किया


एच टेट 2011 के लिए शिक्षा बोर्ड लगातार चर्चा में बना रहता है। नया मामला उस दौरान एक परीक्षार्थी की उत्तर पुस्तिका को दूसरे कोड की उत्तर कुंजिका द्वारा चेक किया जाना है। 19 महीने के प्रयास और मामला सूचना आयोग तक ले जाने के बाद बोर्ड द्वारा जो रिजल्ट जारी किया गया, उसमें परीक्षार्थी उत्तीर्ण है।

बोर्ड द्वारा पांच और छह नवंबर 2011 को अध्यापक पात्रता परीक्षा ली गई थी। इस दौरान लगभग साढ़े चार लाख ने यह परीक्षा दी। तीन एंजेसियों और आईएएस अधिकारियों की देखरेख में इसका परिणाम तैयार करने में 25 दिन का समय लगा। परिणाम दो दिसंबर 2011 को घोषित किया गया। परीक्षा के समय बोर्ड ने किसी को भी परीक्षा केंद्र से प्रश्नपत्र बाहर नहीं ले जाने दिया। 15 महीने तक कोई उतर कुंजी भी जारी नहीं की। प्रश्न पत्र, ओएमआर और उत्तरपुस्तिका हासिल करने में पूरे प्रदेश से बोर्ड में 5000 से अधिक आरटीआई लगी। इनमें 800 से अधिक आरटीआई राज्य सूचना आयोग के पास पहुंची।

दिल्ली निवासी तेजसिंह हुड्डा ने बताया सात मई 2013 को बोर्ड अधिकारियों ने उसकी बेटी अनुराधा की ओमएमआर सीट, प्रश्न पत्र की प्रति दी जिस पर ई कोड लिखा हुआ था। मगर उन्हें उत्तरपुस्तिका ए कोड की दी। ए कोड के अनुसार उसकी बेटी को 45 अंक तथा बोर्ड द्वारा डाली गई ई कोड से 121 अंक बन रहे थे। यह देख उन्होंने इसकी शिकायत बोर्ड सचिव से की। मगर बोर्ड ने उसकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया था।

तेजसिंह हुड्डा ने बताया मेरी बेटी का कहना था कि पापा मैं फेल नहीं हो सकती शायद बोर्ड से कोई गलती हुई है। इसलिए मैंने बेटी के प्रश्नपत्र के अलावा उत्तरपुस्तिका की ओएमआर सीट लेने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने बोर्ड में पहली आरटीआई दिसंबर 2011 को लगाई। वहीं राज्य सूचना आयोग ने बोर्ड को सितंबर 2012 को ओएमआरसीट निरीक्षण कराने के आदेश किए। 25 सितंबर 2012 से बोर्ड ने सभी को ओएमआर, प्रश्न पत्र व उत्तरपुस्तिका सीट का निरीक्षण दिखाया। मगर उन्हें थर्ड पार्टी मान इसके लिए मना कर दिया। इस पर उन्होंने दोबारा आरटीआई लगाई। इस पर बोर्ड ने सात जनवरी 2012 को बोर्ड के अंदर पेपर का निरीक्षण तो कराया पर उसमें पेपर कोड नहीं था। इससे संतुष्ट न होकर दोबारा असली प्रश्नपत्र, उत्तरपुस्तिका तथा ओएमआर सीट के लिए राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटया




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Sunday, May 19, 2013

RTI Online Application Filing System - Website not working


RTI Online Application Filing 

System - Website not working

बड़े बड़े दावे हुए की आर टी आई एप्लीकेशन फाईलिंग को ऑनलाइन कर दिया गया है 
परन्तु जब इस आर टी आई  ऑनलाइन पोर्टल की जांच की गयी तो देखा कि सब खोखली बातें हैं 
जमीनी हकीकत कुछ और है 
आप खुद ही देखे लीजिये - 
http://www.rtionline.gov.in/

When you try to signup here - 
http://www.rtionline.gov.in/registration.php
(You will see problems and unable to signup, So how will you fill Online RTI Application)

कुछ स्वयं सेवी संस्थाओं ने भी आर टी आई एक्टिविस्ट की सहायता के लिए उनकी और से मुफ्त आर टी आई एप्लीकेशन फाईलिंग की सुविधा शुरू की ,

लेकिन जब जांच की गयी तो ऐसी साइट्स पर लिखा आ रहा था की   आर टी आई एप्लीकेशन बहुत ज्यादा संख्या में आ गयी हैं और फिलहाल ये सुविधा बंद कर दी गयी है 

मेरे ख्याल से आर टी आई एक्टिविस्ट की सुरक्षा के लिए सरकार के केन्द्रीय  सूचना आयोग को स्वयं 
गंभीर आर टी आई एप्लीकेशन प्राप्त करनी चाहिए और इसको केन्द्रीय  सूचना आयोग विभाग की और से स्वयं भेजा जाना चाहिए जिससे गंभीर मुद्दों से सम्बंधित आर टी आई एक्टिविस्ट की सूचना गोपनीय रह सके 

एन जी ओ आदि को भी इस तरह की सूचनाये प्राप्त करने में आर टी आई आवेदक (विशेषकर गंभीर मुद्दों से सम्बंधित आर टी आई एक्टिविस्ट ) की सहायता करनी चाहिए 

आर टी आई एप्लीकेशन से सम्बंधित फीस का प्रावधान ऑनलाइन भी हो तो बेहद अच्छा होगा । 






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UPTET / NCTE : RTI Application to NCTE to know Important Information Regarding Teachers Recruitment


UPTET / NCTE : RTI Application to NCTE to know Important Information Regarding Teachers Recruitment



UPTET Activist Shyam Dev Mishra Ji's RTI Application to NCTE,
And he is going to receive complete reply shortly as he has to pay fee for xerox charges and after that he will receive complete reply of his application.



Dated 15.04.2013

To,

The Public Information Officer,
National Council for Teacher Education HQ. 
Hans Bhawan, Wing II, 1, Bahadur Shah Zafar Marg, 
New Delhi-110002.

Sir,

Subject: Application for seeking Information under Right to Information Act, 2005.

Kindly provide following information point-wise, as sought by the applicant in exercise of the rights conferred by the Right to Information Act, 2005, within stipulated time-limit;

1. Kindly provide the copy of the proposal of the State Government of Uttar pradesh to NCTE, seeking approval for conducting elementary teacher education programme of two years duration (Diploma in Elimentary Education or whatever name, it may have) through open and distance learning mode for training of untrained graduate 'Shiksha Mitra' appointed by the State Government in elementary schools.

2. Kindly provide the copy of the Order dated 14.1.2011 issued by the National Council for Teachers Education, according approval to the proposal of the State Government of Uttar Pradesh for conducting elementary teacher education programme of two years duration (Diploma in Elimentary Education or whatever name, it may have) through open and distance learning mode for training of untrained graduate 'Shiksha Mitra' appointed by the State Government in elementary schools.

3. Kindly provide Demand and Supply Estimates of Teachers and Teacher Educators at School Stage (2007-08 – 2016-17) in respect of state of Uttar Pradesh.

4. According to the “Norms and Standards for Bachelor of education programme leading to Bachelor of Education (B.Ed) degree” laid-down by NCTE, candidates with at least fifty percent marks either in the Bachelor’s Degree and/or in the Master’s degree or any other qualification equivalent thereto, are eligible for admission to the programme. In case of any proven violation of the same with regard to minimum marks required, what action is prescribed to be taken against the concerned candidate and the institution?

5. Accoring to the “Norms and standards for Diploma in elementary education programme through Open and Distance Learning System leading to Diploma in elementary education (D.El.Ed)” laid-down by NCTE, 

(i) Where one of the eligibility criteria for admission to subject programme is “Two years teaching experience in a Government or Government recognized primary / elementary school.”, whether “the tenure of expressly-declared non-employment-oriented, contractual, community-service engagement for teaching pupils of classes 1 & 2 in government-run primary school” may be considered as “teaching experience in a Government or Government recognized primary / elementary school” for the purpose?

(ii) Where, it is provided that the reservation for SC/ST/OBC and other categories shall be as per the rules of the Central Government / State Government, whichever is applicable and there shall be a relaxation of five percent marks in favour of SC/ST/OBC and other categories of candidates, 

(a) Can NCTE or the concerned Government offer/sanction/allow, whichever is applicable, admission to more than sixty-thousand candidates with absolute disregard to such provisions?

(b) In case the admissions to such programme are proved to have been offered/sanctioned/allowed with absolute disregard to the applicable reservation and relaxation as provided by NCTE, whether such admission or consequent award of dimploma shall stand void?

6. According to NCTE’s Notification dated 23.08.2010 as amended by notification dated 29.07.2011, one of the minimum qualification for a person to be eligibile for appointment as a teacher is “Pass in the Teacher Eligibility Test (TET), to be conducted by the appropriate Government in accordance with the guidelines framed by the NCTE for the purpose.”.
For the purpose, NCTE issued “Guidelines for conducting Teacher Eligibility Test (TET) under the Right of the Children to Free and Compulsary Education Act (RTE), 2009” to states vide its Letter No. 76-4/2010/NCTE/Acad dated 11.02.2011, specifying therein also the “Structure and Content of TET” in details, which also stipulates that “All questions will be Multiple Choice Questions (MCQs), each carrying one mark, with four alternatives out of which one answer will be correct. There will be no negative marking. The examining body should strictly adhere to the structure and content of the TET specified below.”
In this regard, please inform,

(i) Whether a state government is required as per the rules or law, to furnish details before the NCTE and seek prior permission before conduction a Teacher Eligibility Test?

(ii) Whether a state government is allowed to conduct Teacher Eligibility Test in deviation and/or contravention to the Guidelines issued by the NCTE for the perpose?

(iii) Whether the NCTE may grant permission to a particular state government to introduce and conduct in Teacher Eligibility Test, an additional Paper (For Language) with comprehension, essay –writing in place of typical NCTE-prescribed Paper with Multiple Choice Questions (MCQs) only?

(iv) Whether a state government, at it’s own discretion, is allowed to introduce and conduct in Teacher Eligibility Test (TET) a self-designed Paper (For Language), in addition to and totally different from NCTE-prescribed Paper-I (For Classes I-V) and Paper-II (For Classes VI-VII)? Whether such paper and consequent award of certificate shall be deemed valid by NCTE for the purpose of making a person eligible to be appointed as a teacher, as far as the necessity of passing TET is concerned?

7. Whether NCTE or Central Govt. has permitted certail states to consider the candidature of the persons having Gradution, who have neither undergone nor been enrolled in any NCTE-recognized Teacher Tarining Programme, meant for a person to be eligible for appointment as a teacher in class 1-5 and 2, for sitting in respective papers of Teacher Eligibility Test? If yes, kindly provide the copy of letter/circular/ notification/ communiqué, permitting thereby the state government of Uttar Pradesh to this effect.

A postal order of Rs. 10/- bearing No. 278169 dated 02.04.2013 is attached herewith.

Yours sincerely,



Shyam Deo Mishra
Address: NL-1A, Ground Floor, 17/4, 
Sector-10, Nerul (W), Navi Mumbai-400706 (Maharashtra) 
*******************************************************
According to Shyam Dev Mishra Ji 

1. In response to my RTI application dated 15.04.2013, NCTE sent me 2 letters dated 9th May and 14th May 2013 and asked me to deposit fees for the information which is spead in almost 500 pages.

2. On 17th May, I visited NCTE office, New Delhi and discussed the matter in length with their Officer, Mr. Siddharth.

3. When I explained the issue of Training to Shikshamitras and its legal aspects, issue of conducting a new kind of TET, designed by UP Govt itself, issue of not allowing B.Ed. Candidates for UPTET-2013 (Class 1-5), he expressed serious concern over the issue and assured me to consider it seriously and take necessary steps if I could submit in-writing complaint supported by relevant documents and evidences.

4. With a view to facilitate me , he assured me to share their records and entire file related to UPTET and SM-training including the 200+-paged Proposal sent by UP govt for such training and its sanction by NCTE, so that I can get complete information and point out misleading information and illegality therein, if any.

5. As their entire team was busy in preparation for their important meeting on 24th May, they have invited me on any day in last week of May 2013, so that their staff can spare enough time with me and help me find necessary information and documents.

6. Next week, I will be there again to find out the factual and legal status of the action and stand of UP Govt on the issues, raised in my application.

My sincere appreciation for NCTE RTI Cell for their concern and cooperation. Let's see what follows..

All the friends will be updated timely


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Saturday, April 6, 2013

Teacher Eligibility Test (TET) and RTI

Teacher Eligibility Test (TET) and RTI

An Applicant/ Candidate Asks about TET and related clarifications, and when he has not received satisfactory response then he reaches to CIC to file appeal.
CIC directed to provide information to applicant.

See -




 CENTRAL INFORMATION COMMISSION
Club Building (Near Post Office)
Old JNU Campus, New Delhi-110067
Tel: +91-11-26105682
File No.CIC/DS/A/2011/001619/RM
Appellant: Mr. Kamal Kumar, Udham Singh
Nagar, Uttarakhand
Public Authority: National Council for Teacher
Education, New Delhi
Date of Hearing: 27.7.2012
Date of decision: 27.7.2012
Heard today, dated 27.7.2012.
Appellant is present through video conferencing.
Public Authority represented by Ms Mamta Kukreti, PIO, NCTE, Delhi.    
The appellant was heard and records perused.
FACTSVide RTI  dated 27.12.10,  the appellant  had sought  certain information
from  NCTE,  Delhi  regarding  qualifications  required  for  appointment  as
teachers.
2. PIO vide letter dated 14.2.11, responded to the queries.
3. An appeal was filed on 14.2.11.
4. AA vide order dated 22.2.11, held that information in respect of points i &
ii has already been furnished and disposed of the appeal.
5. Not satisfied with the response, he filed the present appeal.
6. The  appellant  submitted  that  he  is  not  satisfied  with  the  responses
provided  by  the PIO NCTE vide their  letter  dated 14.2.11.  The appellant
further  submitted that  he had sought  specific clarifications in his RTI  which
have  not  been  responded  to.  It  is  seen  that  the  queries  sought  by  the
appellant are in the nature of interpretation/clarification/seeking opinion of the
NCTE relating to appointment of Primary Teachers. Even though the PIO has
responded  to  these  queries,  strictly  speaking,  they  do  not  constitute
‘information’ as per the provisions of the RTI  Act.  This was explained to the
appellant.
7. PIO submitted that apart from responding to the RTI, they have already
provided to him copies of gazette notification dated 25.8.10 and amendment
dated 2.8.11 along with a copy of guidelines for conducting teacher eligibility
test dated 11.2.11.
DECISION

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Sunday, October 28, 2012

RTI : Shiksha Mitra Related Case in CIC

RTI : Shiksha Mitra Related Case in CIC




CENTRAL INFORMATION COMMISSION
Club Building (Near Post Office)
Old JNU Campus, New Delhi - 110067
Tel: +91-11-26161796
Decision No. CIC/SG/A/2010/002228/10146
Appeal No. CIC/SG/A/2010/002228
Relevant Facts emerging from the Appeal:

Appellant : Mr. Pawan Aggarwal
Jilal Street, Mandi Chowk, Muradabad.

Respondent      : Mr. G. A. Raghuvanshi
PIO & Under Secretary
Min.of Labour & Employment
Shram Shakti Bhawan,New Delhi.

RTI application filed on : 12/05/2010
PIO replied : 11/06/2010
First appeal filed on : 14/06/2010
First Appellate Authority order : Not ordered
Second Appeal received on : 06/08/2010

Information sought:
1) Copy of the order related to the appointment of instructor working in Child Labor Welfare Centre.
2) Details of their service condition and the labor rule under which under which it fell.
3) Whether there was any provision for renewal of the honorarium of Child Labor Welfare Assistants
and details of increment of their honorarium. 
4) Details minimum wages of the labor and whether the salary of the volunteers were less that the
minimum wage. If yes, then the reason of the same.
5) Whether the training of the volunteers was equivalent to other training given by the PT and
Shiksha Mitra. If not then the details of the training given to the Volunteers
6) Whether the induction of the volunteers in any department was under consideration or not. Details
of the department in which they are given seniority.
7) Details of eligibility of Shiksha Mitra in Department Basic Education Department, UP. Date when they were appointed first time and their honorarium.
8) Whether the volunteers will be given smart cards given by the Indian Govt. and details of facilities
being given through smart cards.
9) Details of honorarium being given to the Shiksha Mitra and details of increment given to them with date.  

Reply of the PIO:
“I am directed to refer to your letter dated 9.3.2010 which was received in Ministry of Labour from Prime
Minister’s office vide their letter dated 16.03.2010 on the subject mentioned above and to state that this
Ministry has already taken into consideration the proposal for enhancement of honorarium in respect of
teaching and non-teaching volunteers of Special Schools and the proposal is under active consideration of
the Government. As far as future of teaching and non—teaching volunteers are concerned, it is stated that
as per the extant guidelines, considering the nature of project activities, only such persons arc to be
engaged/appointed for Project Society work who have the inclination, urge and the motivation to serve
with a m zeal to withdraw’ and rehabi1 working children who are otherwise left out of the mainstreameducation. Project Society is responsible for selection, appointment, etc., of the project functionaries.

It s up to the Project Society to decide whom to retain as project functionaries to work in the NCL Project.
Ministry of Labour & Employment, Government of India, does not interfere in the engagement of the
functionaries of the Project Society or the volunteers engaged by the NGOs selected to run Special
Schools under the Project for child labour. The Scheme of National Child Labour Project provides that
“since the project is to be set up for a limited period, neither the project staff nor the staff component of
special schools run by either Project Society or NGOs is to be regarded as permanent. The honorarium of
the teacher/volunteers will be paid as per the guidelines of National Child Labour Project. The teaching
volunteers for the special schools and other staff of the project society should be-engaged with the clear
understanding/agreement that they will be paid a consolidated honorarium for their services which are
more or less voluntary in nature. No  scale of pay should be prescribed for any of the project staff except
for the Project Director who is on deputation from the State Government.”
2. As the information in respect of points 8 & 9 concerns to the State Government of UP., the applicant
may seek the information from them directly.

First Appeal:
Non-receipt of the information from the PIO.
Order of the FAA:
Not ordered.
Ground of the Second Appeal:
Unsatisfactory response received from the PIO.
Relevant Facts emerging during Hearing:
The following were present
Appellant : Absent;
Respondent : Mr. G. A. Raghuvanshi, PIO & Under Secretary;
The Respondent states that information available with him has been provided to the Appellant and
further information has also been provided by PIO at Muradabad.  The Appellant has not specifically
pointed out what information he has not received. A perusal of the information provided by the PIO at
Muradabad with the information provided by the PIO in the Labour Ministry appears to be satisfactory.
Decision:
The Appeal is disposed.
This decision is announced in open chamber.
Notice of this decision be given free of cost to the parties.
Any information in compliance with this Order will be provided free of cost as per Section 7(6) of RTI Act.
                                                                                                       
Shailesh Gandhi
                                                                                       Information Commissioner
            24 November 2010
(In any correspondence on this decision, mention the complete decision number.)(AK)

Source : http://rti.india.gov.in/cic_decisions/CIC_SG_A_2010_002228_10146_M_46045.pdf



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RTI : Applicant seeking information from PIO, NCTE , And not satisfied with reply filed complaint in CIC

RTI : Applicant seeking information from  PIO, NCTE , And not satisfied with reply filed complaint in CIC

See Details : -


CENTRAL INFORMATION COMMISSION
Room No. 415, 4th  Floor,
Block IV, Old JNU Campus,
New Delhi -110 067
Tel: + 91 11 26161796
Decision No. CIC /SG/A/2008/00214/2224
Appeal No. CIC/SG/A/2008/00214
Relevant Facts emerging from the Appeal:
           
Appellant    : Mr. Ravi Saini
Advocate, Court Compound,
Kashipur, Distt. Uddhamsingh
Nagar, Uttarakhand.
Respondent      : The Public Information Officer Northern Regional Committee,
National Council For Teacher EducationA-46, Shanti Path, Tilak Nagar,
Jaipur – 302004.
RTI application filed on  : 09/05/2008
PIO transferred   : 16/05/2008
PIO’s reply NRCNCT                         :            4/06/2008
First appeal filed on   : 19/08/2008
First Appellate Authority order : 28/08/2008
Second Appeal filed on  : 03/10/2008
The appellant had sought following information from NCTE: 
1- The Scholar given by Hindi Sahitya  Sammelan is recognized by U.G.C., Uttaranchal 
2- NCTE has approved B.T.C. training to Shiksha Mitra. 
3- Can these graduates and non-graduates  allowed to get BTC training without approval of NCTE? 
4- Does Uttranchal Government appointed 1000 Shiksha Mitra after BTC training? If not then what action you are going to initiate against these teachers? 
5- Does state government is bound to follow NCTE orders? 
6- Is it necessary to get approval from NCTE of the Scholars given by Hindi Sahitya Sammelan Allahabad? 
7- Can the Uttranchal Government appoint without having permissions form NCTE. 
8- Is it necessary to get approval from NCTE by the Deemed Universities? 

PIO’s Reply:
The PIO –NCTE, Bahadur Shah Zafar Marg, New Delhi forwarded RTI application to
PIO-NCTE, Tilak Marg, Jaipur on 16th  May 2008 for necessary action. But PIO NCTE, Jaipur did not replied.  Since no reply was received by the PIO-NCTE, Jaipur the appellant fields first appeal
before the First Appellate Authority-NCTE, New Delhi.

The First Appellate Authority ordered:
The First Appellate Authority-NCTE, New Delhi forwarded his appeal to Dr. A.S.Rana, Appellate Authority-NCTE, Jaipur with a request to provide information without any further delay.
Relevant Facts emerging during Hearing:
The following were present.
Appellant :  Absent
Respondent : Dr. Prabhu Kumar Yadav PIO NRCNCT
The respondent shows that he has provided the answer on 4 June 2008 and then subsequently in a point-wise manner on 18/12/2008. It appears that the information has been provided.

Decision:
The appeal is disposed.
The information has been provided to the appellant.
This decision is announced in open chamber.
Notice of this decision be given free of cost to the parties.
           
 Shailesh Gandhi
Information Commissioner
16 March, 2009
(In any correspondence on this decision, mentioned the complete decision number.)
(RM


Source : http://www.rti.india.gov.in/cic_decisions/SG-16032009-18.pdf
******************
Some more Teacher / NCTE related cases : -
http://www.rti.india.gov.in/cic_decisions/SG-29122008-05.pdf
http://www.rti.india.gov.in/cic_decisions/CIC_DS_A_2011_003280_M_93641.pdf




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RTI : Information seeking regarding Teacher's Eligibility Test, Reply of PIO not found satisfacory, Complaint in CIC

RTI : Information seeking regarding Teacher's Eligibility Test, Reply of PIO not found satisfacory, Complaint in CIC

See Details :


 CENTRAL INFORMATION COMMISSION
Club Building (Near Post Office)
Old JNU Campus, New Delhi-110067
Tel: +91-11-26105682
File No.CIC/DS/A/2011/001619/RM
Appellant:  Mr. Kamal Kumar, Udham Singh
Nagar, Uttarakhand
Public Authority: National Council for Teacher
Education, New Delhi
Date of Hearing: 27.7.2012
Date of decision: 27.7.2012
Heard today, dated 27.7.2012.
Appellant is present through video conferencing.
Public Authority represented by Ms Mamta Kukreti, PIO, NCTE, Delhi.    
The appellant was heard and records perused.
FACTS Vide RTI dated 27.12.10, the appellant had sought certain information from  NCTE,  Delhi  regarding  qualifications  required  for  appointment  as teachers.
2. PIO vide letter dated 14.2.11, responded to the queries.
3. An appeal was filed on 14.2.11.
4. AA vide order dated 22.2.11, held that information in respect of points i & ii has already been furnished and disposed of the appeal.
5. Not satisfied with the response, he filed the present appeal.
6. The  appellant  submitted  that  he  is  not  satisfied  with  the  responses provided  by  the PIO  NCTE  vide their  letter dated 14.2.11.  The appellant further submitted that he had sought specific clarifications in his RTI which have  not  been  responded  to.
 It  is  seen  that  the  queries  sought  by  the appellant are in the nature of interpretation/clarification/seeking opinion of the NCTE relating to appointment of Primary Teachers. Even though the PIO has
responded  to  these  queries,  strictly  speaking,  they  do  not  constitute ‘information’ as per the provisions of the RTI Act. This was explained to the appellant.
7. PIO submitted that apart from responding to the RTI, they have already provided to him copies of gazette notification dated 25.8.10 and amendment dated 2.8.11 along with a copy of guidelines for conducting teacher eligibility test dated 11.2.11.
DECISION
8. The CPIO NCTE Delhi is directed to once again provide a copy of the three documents to the appellant.    
The appeal is disposed of.Sd/-
              (Rajiv Mathur)
Central Information Commissioner
Copy to :
Mr. Kamal Kumar,
S/o Shri Deelip Singh,
Moh.Julan Hospital Road,
Near Purani Holi Choraha,
Village & Post Jaspur,
Janpad- Udham Singh Nagar,
Uttrakhand
The CPIO
National Council for Teacher Education
Wing II, Hans Bhawan,
1 Bahadur Shah Zafar Marg,
New Delhi – 110002
The Under Secretary and First Appellate Authority
National Council for Teacher Education,
Wing II, Hans Bhawan,
1 Bahadur Shah ZafarMarg,
New Delhi – 110002
(Raghubir Singh)
Deputy Registrar

Source : http://rti.india.gov.in/cic_decisions/CIC_DS_A_2011_001619_M_87942.pdf

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Saturday, July 7, 2012

RTET : आर टैट परीक्षा में कम नंबर देने पर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को नोटिस


RTET : आर टैट परीक्षा में कम नंबर देने पर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को नोटिस
Disclose through RTI Application -

जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा (आर-टैट) 2011 में द्वितीय स्तर के पेपर में एक केंडिडेट द्वारा 150 प्रश्नों में से 60 प्रश्न सही किए जाने के बावजूद मात्र 47 नंबर दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई में सचिव माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, समन्वयक राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा 2011 को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब तलब किया है।
याचिकाकर्ता पाली जिले के धुंधला निवासी प्रकाश चौधरी की ओर से अधिवक्ता इन्द्रराज चौधरी ने अदालत में कहा कि प्रार्थी ने आर टैट 2011 में द्वितीय स्तर का पेपर बहुत अच्छा किया था। उसने 150 में से 80 प्रश्न सही किए, लेकिन उसे सिर्फ 47 अंक दिए गए। उन्होंने कहा कि प्रार्थी ने सूचना के अधिकार के तहत ओएमआर की नकल मांगी तो उसे दे दी गई लेकिन उत्तर तालिका की नकल नहीं दी गई।बाद में वेब साइट से डाउनलोड करने पर उत्तर तालिका भी प्राप्त हो गई जिसे देख कर प्रार्थी के दावे की पुष्टि होती है

News Source : http://www.bhaskar.com/article/c-20-48647-3489107.html / Bhaskar (6.7.12)
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Use of RTI (Right to Information) Act, A candidate has taken OMR copy and checked & found it is incorrectly checked.
Actually he is passed in examination but in result he is failed.
Now matter is in Rajasthan Highcourt.
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Saturday, April 14, 2012

RTI Helpline Number

RTI Helpline Number


RTI Helpline Number : 01161117666


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