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Sunday, May 19, 2013

Online Enquiry Form for Amar nath Yaatra


Online Enquiry Form for Amar nath Yaatra





स्यंभू हिमानी शिवलिंग

उल्लेखनीय है कि अमरनाथ गुफा में प्रतिवर्ष प्राकृतिक रूप से हिमलिंग का निर्माण होता है जिसके दर्शन हेतु श्रद्धालुजनों की भीड़ उमड़ पड़ती है। बताया जाता है कि अमरनाथ गुफा के भीतर प्रतिवर्ष आषाढ़ पूर्णिमा के दिन से प्राकृतिक हिमलिंग का निर्माण होना प्रारम्भ हो जाता है जो कि श्रावण पूर्णिमा के दिन अपना पूर्ण आकार ग्रहण कर लेता है। स्वयमेव निर्माण होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहा जाता है। हिम से बना यह शिवलिंग वर्षपर्यन्त बने न रह कर कुछ माह में ही पिघल कर समाप्त हो जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि यह शिवलिंग बिल्कुल ठोस होता है जबकि इसके आस-पास जमा हुआ बर्फ कच्चा होता है। यही कारण है कि अमरनाथ गुफा में आकर ईश्वर के प्रति आस्था प्रगाढ़ हो जाती है।

अमरनाथ धाम की कथा (Story of Amarnath Dham)

पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि एक बार देवी पार्वती के मन में अमर होने की कथा जानने की जिज्ञासा हुई तथा उन्होंने भगवान शंकर से इस कथा को सुनाने का अनुरोध किया। चूँकि अमर होने की कथा अत्यन्त गुप्त है और इस कथा को सामान्य प्राणियों को सुनाने का निषेध है, कथा सुनाने के लिए शिव ऐसे स्थान की खोज में लगे जहां कोई जीव-जन्तु न हो। इसके लिए उन्होंन श्रीनगर स्थित अमरनाथ की गुफा को उपयुक्त पाया। पार्वती जी को कथा सुनाने के लिए इस गुफा में लाते समय शिव जी ने एक स्थान पर माथे से चन्दन उतारा इसलिए उस स्थान का नाम चन्दनबाड़ी हो गया। शिव जी अनन्त नाग में नागों को एवं शेषनाग नामक स्थान पर शेषनाग को ठहरने के लिए आदेश देकर पार्वती सहित अमारनाथ की गुफा में प्रवेश कर गये।

गुफा के भीतर पहुँच कर भगवान शिव माता पार्वती को अमर होने की कथा सुनाने लगे। कथा सुनते-सुनते देवी पार्वती को निद्रा देवी ने घेर लिया और वे सो गईं। शिव जी अमर होने की कथा सुनाते रहे, इस समय दो सफेद कबूतर शिव की कथा सुन रहे थे और बीच-बीच में गूं-गूं की आवाज निकाल रहे थे जिसे शिव जी माता पार्वती की हुँकार समझ रहे थै।. इस प्रकार से दोनों कबूतरों ने अमर होने की पूरी कथा सुन ली।

वास्तविकता ज्ञात होने पर शिव जी कबूतरों पर क्रोधित हुए और उन्हें मारने के लिए तत्पर हुए। इस पर कबूतरों ने शिव जी कहा कि हे प्रभु हमने आपसे अमर होने की कथा सुनी है यदि आप हमें मार देंगे तो अमर होने की यह कथा झूठी हो जाएगी। इस पर शिव जी ने कबूतरों को जीवित छोड़ दिया और उन्हें आशीर्वाद दिया कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव पार्वती के प्रतीक चिन्ह के रूप निवास करोगे। माना जाता है कि आज भी इन दोनों कबूतरों का दर्शन भक्तों को यहां प्राप्त होता है।

अमरनाथ गुफा की भौगोलिक स्थिति

अमरनाथ धाम श्रीनगर से लगभग 135 किलोमीटर दूर है. यह स्थान समुद्र तल से 13, 600 फुट की ऊँचाई पर है। ध्यान रखें कि इस स्थान पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

अमरनाथ यात्रा हेतु विशेष सावधानी

पंजीयन केवल अधिकृत स्थान अर्थात् जम्मू एण्ड कश्मीर बैंक की शाखा से करवाएँ। नेट में उपलब्ध साइट्स, जिनमें अनेक ठगी करने वाले भी हो सकते हैं, पर निर्भर न रहें।
अस्वस्थ तथा कमजोर व्यक्ति अमरनाथ यात्रा न करें।
यात्रा के दौरान केवल आवश्यक सामग्री ही साथ रखें, अनावश्यक सामान रखकर अपना बोझा न बढ़ाएँ।
गर्म कपड़ों की पर्याप्त व्यवस्था रखें।
सम्पूर्ण यात्रा के दौरान शालीनता का परिचय दें और जरूरतमन्दों की यथायोग्य सहायता करें


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राष्ट्रपति भवन घूमने के लिए ऑनलाइन बुकिंग


राष्ट्रपति भवन घूमने के लिए ऑनलाइन बुकिंग

With effect from 01.01.2013 -
राष्ट्रपति भवन घूमने के लिए ऑनलाइन बुकिंग की जा सकती है। सप्‍ताह के तीन दिन शुक्रवार, शनिवार और रविवार को आम लोग राष्ट्रपति भवन में घूमने जा सकते हैं। सोमवार से गुरुवार और सार्वजनिक अवकाश वाले दिनों में यह सुविधा उपलब्‍ध नहीं होगी। राष्ट्रपति भवन जाने से तीन दिन पहले बुकिंग करनी आवश्यक है।

प्रक्रिया : राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट http://presidentofindia.nic.in/ पर लॉगइन करके ऑनलाइन बुकिंग के लिंक पर क्लिक करना होगा। इसके बाद घूमने जाने वाले समूह या स्कूल-कॉलेजों के बारे में यहां पूरी जानकारी देनी होगी। समूह के मुखिया का पासपोर्ट साइज फोटो भी अपलोड करना होगा।

समय : सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक।

राष्ट्रपति भवन घूमने से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी 011-23013287, 23015321 एक्सटेंशन 4662 पर फोन या 011-23013189 पर फैक्स करके पाई जा सकती है।
प्रवेश : राष्ट्रपति भवन में गेट नंबर दो (राजपथ) और गेट नंबर 37 (डलहौजी गेट की ओर) से ही होगी।

पहचान पत्र जरूरी : राष्ट्रपति भवन घूमने आने वाले भारतीय लोगों के पास कोई वैध फोटो पहचान पत्र जरूर होना चाहिए। विदेशी नागरिकों को आवेदन के समय पासपोर्ट की फोटो जमा करना होगी और घूमने के लिए आने वाले दिन असली पासपोर्ट अपने साथ लाना होगा।

बुकिंग के अन्य तरीके : reception-officer@rb.nic.in पर ई-मेल या स्वागत कार्यालय, राष्ट्रपति सचिवालय, राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली-110074 पर पत्र भेजकर भी बुकिंग कराई जा सकती है।

नोट : ऑनलाइन बुकिंग राष्ट्रपति भवन की पुष्टि के बाद की पक्की मानी जाएगी। राष्ट्रपति सचिवालय को सुरक्षा कारणों से किसी भी आवेदन को स्वीकारने या नकारने का अधिकार है


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