क्या आपकी कुण्डली में भी है राजयोग
Astrology Special : Rajyog in Janm Kundliदेश के 13वें राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की कुण्डली में मालव्य नामक राजयोग मौजूद है। इसके अलावा इनकी कुण्डली में बुधादित्य योग, ब्रह्म योग जैसे कई शुभ योग मौजूद हैं। आमिर खान, शाहरूख खान, कैटरीना कैफ- ये वो नाम हैं जिनकी कुण्डली में शश नामक राजयोग बना हुआ है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता आडवाणी की कुण्डली में विपरीत राज योग है और गुजरात के मुख्यमंत्री की कुण्डली में रूचक नामक राजयोग मौजूद है।
कुंडली विशेषज्ञों के अनुसार अगर आपकी कुंडली में राजयोग है तो आप तो आप भी इन कामयाब हस्तियों की तरह सफल व्यक्ति बन सकते हैं
राजयोग
अगर कोई केन्द्र का स्वामी किसी त्रिकोण के स्वामी से सम्बन्ध बनाता है तो उसे राजयोग कहते हैं। राजयोग शब्द का प्रयोग ज्योतिष में कई अन्य योगों के लिए भी किया जाता हैं अत: केन््द्र-त्रिकोण स्वामियों के सम्बन्ध को पाराशरीय राजयोग भी कह दिया जाता है। दो ग्रहों के बीच राजयोग के लिए निम्न सम्बन्ध देखे जाते हैं -
1 युति
2 दृष्टि
3 परिवर्तन
युति और दृष्टि के बारे में हम पहले ही बात कर चुके हैं। परिवर्तन का मतलब राशि परिवर्तन से है। उदाहरण के तौर पर सूर्य अगर च्ंद्र की राशि कर्क में हो और चन्द्र सूर्य की राशि सिंह में हो तो इसे सूर्य और चन्द्र के बीच परिवर्तन सम्बन्ध कहा जाएगा।
पाराशरी राजयोग को केन्द्र त्रिकोण राजयोग भी कहते हैं।
अगर कोई केन्द्र का स्वामी किसी त्रिकोण के स्वामी से सम्बन्ध बनाता है तो उसे राजयोग कहते हैं। केन्द्र मतलब 4, 7, 10 भाव और त्रिकोण मतलब 5 और 9 भाव। पहला भाव केन्द्र और त्रिकोण दोनों माना जाता है। जैसा पहले बताया दो ग्रहों के बीच संबध का मतलब -
जैसे मेष राशि वाले के लिए त्रिकोण यानि पांचवे और नवें भाव के स्वामी हैं सूर्य और गुरु। अगर इनका पहले भाव के स्वामी यानि मंगल, या चौथे भाव का स्वामी यानि चंद्र, या सातवें भाव का स्वामी यानि शुक्र या दसवें भाव का स्वामी यानि शनि से युति, दृष्टि या परिवर्तन हो तो पाराशरी राजयोग बनेगा। जितने ज्यादा संबंध होंगे उतने ज्यादा राजयोग होंगे।
इसके अलावा कभी कभी एक ही ग्रह केन्द्र और त्रिकोण दोनों का स्वामी हो जाता है। कर्क लग्न के लिए मंगल त्रिकोण यानि पांचवे भाव और केन्द्र यानि कि दसवें घर को स्वामी होने की वजह से भी पाराशरी राजयोग बनाता है। पाराशरी राजयोग बनाने वाले ग्रह को योगकारक ग्रह कहते हैं और यह ग्रह अपनी दशा अन्तर्दशा में विशेष रूप से सफलता, समृद्धि और यश देता है।
मूल रूप से जिसे राजयोग कहते हैं वह तब बनता है जब केन्द्र अथवा त्रिकोण के स्वामी एक दूसरे के घर में बैठें अथवा दो केन्द्र भाव के स्वामी गृह परिवर्तन करें और त्रिकोण भाव के स्वामी की उनपर दृष्टि हो. यह राजयोग जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है वह राजा के समान वैभवपू्र्ण जीवन जीता है. इनकी आयु लम्बी होती है. जबतक जीते हैं सम्मान से जीते हैं मृत्यु के पश्चात भी इनकी ख्याति व नाम बना रहता है.
मालव्य राजयोग
वृष, तुला अथवा मीन राशि में जब शुक्र होता है तब मालव्य नामक योग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति सुन्दर और सौभाग्यशाली होता है। प्रसिद्धि इनके साथ-साथ चलती है। ऐसा व्यक्ति जो भी काम करता है उसमें भाग्य पूरा साथ देता है।
रूचक राजयोग
यह राजयोग तब बनता है जब मंगल मकर राशि अथवा अपनी राशि मेष या वृश्चिक में केन्द्र स्थान में होता है। यह योग जिनकी कुण्डली में होता है वह बहुत ही साहसी होते हैं और कभी किसी दबाव में आकर कोई काम नहीं करते हैं। ऐसे व्यक्ति जहां भी होते हैं लोग इन्हें सम्मान देते हैं। यह राजा के समान शानो-शौकत से रहते हैं
भद्र राजयोग
यह योग बुध बनाता है जब वह मिथुन या कन्या राशि में होता है। यह योग जिनकी कुण्डली में होता है वह काफी बुद्धिमान और व्यवहार कुशल होते हैं। अपने व्यवहार और बुद्धि से लोगों से प्रशंसा प्राप्त करते हैं। बुद्धि और चतुराई से ऐसे लोग कार्य क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करते हैं
हंस राजयोग
कुण्डली में गुरू जब धनु, मीन अथवा कर्क में राशि में होता है तब हंस नामक राजयोग बनता है। ऐसा व्यक्ति पढ़ने-लिखने में बहुत ही बुद्धिमान होता है। इनकी निर्णय क्षमता अच्छी होती है। राजनीतिक सलाहकार, शिक्षण अथवा प्रबंधन के क्षेत्र में ऐसे लोग बहुत ही कामयाब होते हैं। इनका जीवन वैभवपूर्ण होता है
शश राजयोग
शनि जब अपनी राशि यानी मकर या कुंभ में होता है अथवा अपनी उच्च राशि तुला में होता है तब शश नामक योग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति धीरे धीरे सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए समाज में यश और प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं।
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