सरकारी नौकरी शिक्षक भर्ती/नियुक्ति परिणाम / टीईटी Sarkari Naukri Recruitment/Appointment Result. Latest/Updated News - UPTET, CTET, BETET, RTET, APTET, TET (Teacher Eligibility Test) Merit/Counselling for Primary Teacher(PRT) of various state government including UP, Bihar
1934 तदर्थ व अल्पकालिक शिक्षक होंगे नियमित •माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (संशोधन) विधेयक विधानसभा में पेश लखनऊ (ब्यूरो)। माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे 1938 अल्पकालिक व तदर्थ शिक्षक नियमित कि ए जाएंगे। इसके लिए सरकार ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम में संशोधन करने का फैसला किया है। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव ने रविवार को विधानसभा में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (संशोधन) विधेयक-2016 पेश किया। इसी सप्ताह कैबिनेट ने इन शिक्षकों को नियमित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सात अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 के बीच 1408 शिक्षकों को तदर्थ नियुक्ति और 7 अगस्त 93 से 25 जनवरी 1999 के बीच 526 शिक्षकों को अल्पकालिक नियुक्ति दी गई थी। ऐसा उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के यथा समय शिक्षकों के चयन न कर पाने के कारण किया गया। छात्र संख्या ज्यादा होने के कारण शिक्षकों का चयन जरूरी था। इस दिक्कत को समझते हुए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा (कठिनाइयों को दूर करना) आदेश, 1981 जारी किया गया जिसके तहत अल्पकालिक अध्यापकों की नियुक्ति की गई। इसके अलावा उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम-1982 की धारा 18 के तहत मंडलीय समिति के अनुमोदन से तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। इन शिक्षकों को विनियमित करने के लिए सदन में विधेयक पास होना जरूरी है, इसलिए माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (संशोधन) विधेयक-2016 सदन के सामने रखा।
हजारों तदर्थ शिक्षकों पर सरकार का चाबुक चयन व प्रोन्नत वेतनमान नहीं देने पर लगी मुहर कोर्ट के अंतरिम आदेश पर वेतन पाने वाले भी इस दायरे में बड़ा बदलाव धर्मेश अवस्थी, इलाहाबाद जोड़ जुगत और अदालती आदेशों की आड़ लेकर माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे हजारों तदर्थ शिक्षकों के आगे बढ़ने की राह सरकार ने रोक दी है। ऐसे शिक्षक अब तय समय में चयन और प्रोन्नत वेतनमान से वंचित रहेंगे। विद्यालयों में उनकी भूमिका अब सामान्य शिक्षक की ही होगी। निदेशालय के इस प्रस्ताव को शासन ने मंजूरी दे दी है और अमलीजामा पहनाने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षकों तथा वित्त एवं लेखाधिकारियों को भी पत्र भेजा है। प्रदेश के लगभग साढ़े चार हजार माध्यमिक विद्यालयों में एक बड़ी संख्या ऐसे शिक्षकों की है जो अदालत के अंतरिम आदेशों के तहत पढ़ा रहे हैं। उनकी नियुक्ति प्रबंध तंत्र और अधिकारियों की मिलीभगत से तदर्थ रूप में हुई थी और अदालत के अंतरिम आदेशों के तहत उन्हें वेतन भी दिया जाने लगा। नियमत: माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से नियुक्ति होने पर उन्हें यह पद छोड़ देना था लेकिन सैकड़ों विद्यालयों में या तो नियुक्ति ही नहीं की गई। कहीं नियुक्ति हुई भी तो प्रबंध तंत्र ने उन्हें ज्वाइन नहीं कराया। ऐसे में कुछ समय के लिए तैनात शिक्षकों का सेवाकाल निरंतर बढ़ता गया। धीरे-धीरे अंतरिम आदेश से वेतन पा रहे शिक्षक विभागीय लाभ पाने की स्थिति में भी पहुंच गए। शिक्षक संगठनों का भी उन्हें समर्थन हासिल होने लगा। पेच उस समय फंसा जब एक शिक्षक सुशील कुमार शुक्ल ने विभागीय लाभ की मांग की और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट के निर्देश पर याची के प्रत्यावेदन पर विचार हुआ। शिक्षा निदेशालय ने प्रत्यावेदन को अमान्य कर दिया और कहा कि उनकी नियुक्ति तदर्थ के रूप में की गई है। इस बीच शिक्षक संगठनों ने भी यह मांग जोर-शोर से उठानी शुरू कर दी थी। इस पर शासन ने शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव मांगा। निदेशालय ने साफ कर दिया कि अंतरिम आदेश पर वेतन पाने वाले शिक्षकों को चयन वेतनमान एवं प्रोन्नत वेतनमान न दिया जाए, बल्कि वे सामान्य शिक्षक ही तरह कार्यरत रहें। इस प्रस्ताव को शासन ने मंजूरी दे दी है। शिक्षा निदेशक माध्यमिक अमरनाथ वर्मा ने अधिकारियों को पत्र भेजा है कि यदि आपके जिले में तदर्थ रूप में कार्यरत ऐसे शिक्षक जिन्हें हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश पर वेतन मिल रहा है और याचिका अब भी लंबित है, उन्हें चयन वेतन व प्रोन्नत वेतनमान का लाभ देय नहीं होगा। इन्हें मिलते विभागीय लाभ अशासकीय माध्यमिक स्कूल में कार्यरत शिक्षकों को 10 वर्ष की सेवा पूरी होने पर चयन वेतनमान एवं इसके बाद 12 वर्ष की सेवा पूरी होने पर प्रोन्नत वेतनमान दिया जाता है। इस समय ही प्रदेश में करीब चार हजार शिक्षक इसका लाभ पाने की कतार में हैं
निजी स्कूलों में तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति गलत: हाईकोर्ट लखनऊ, विवि संवाददाता First Published:18-01-2016 07:58:56 PMLast Updated:18-01-2016 07:58:56 PM वित्तीय सहायता प्राप्त निजी प्रबंधन के स्कूलों को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शिक्षकों की तदर्थ नियुक्ति के मामले में करारा झटका दिया है। अदालत ने सरकार को भारी राहत देते हुए कहा कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की सहमति के बिना की गई नियुक्तियों के लिए सरकार वेतन देने के लिए बाध्य नहीं है। अदालतें सरकार को वेतन देने के लिए परमादेश नहीं जारी कर सकती हैं। मुख्य न्यायाधीश डॉ. धनजंय यशवंत चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति श्रीनारायण शुक्ला की पीठ ने यह फैसला अभिषेक तिपाठी की ओर से दायर एक याचिका पर उठे कानूनी सवाल का निस्तारण करते हुए सुनाया। अभिषेक की याचिका दो परस्पर विरोधी निर्णयों के कारण पीठ ने एक कानूनी सवाल के निस्तारण के लिए बड़ी पीठ को भेज दिया था। याचिका पर उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट एजुकेशन एक्ट 1921 तथा उत्तर प्रदेश सेकंड्री एजुकेशन र्सिवस सेलेक्शन बोर्ड एक्ट 1982 के प्रावधानों की विस्तृत व्याख्या करते हुए पीठ ने संजय सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में प्रतिपादित विधि के सिद्धांत को नकार दिया और प्रदीप कुमार बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में दिए गए निर्णय को सही ठहराया। पीठ ने राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एचपी श्रीवास्तव की इस दलील को स्वीकार किया कि बोर्ड सहमति के बिना स्कूल प्रबंधकों द्वारा की गई तदर्थ नियुक्तियां कानून की निगाह में शून्य हैं और सरकार को ऐसी नियुक्तियों के खिलाफ वेतन देने के लिए आदेशित नहीं किया जा सकता है। सरकारी वकील की दलील थी कि वर्ष 1982 का कानून बनाते समय विधायिका ने धारा 16 के तहत स्पष्ट किया था कि 1921 के शिक्षा कानून के तहत की जाने वाली कोई नियुक्ति केवल बोर्ड की संस्तुतियों पर ही की जा सकती है। संस्तुति लेना आश्वयक है और धारा 16 (1) के प्राविधान के विरुद्ध की गई कोई नियुक्ति शून्य होगी। सरकारी वकील का तर्क था कि विधायिका के इन कानूनों को सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय में कई फैसलों में वैध ठहराया गया है। ऐसी दशा में प्राविधानों का उल्लघंन कर की गई नियुक्तियों के विरुद्ध सरकार को वेतन देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। सरकारी वकील का यह भी तर्क था कि 1982 के शिक्षा कानून की धारा 18 में जो संशोधन किया गया, वह सिर्फ प्राचार्य और प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति के संदर्भ में है। इस कारण अदालतें भी कानून के खिलाफ की गई शून्य नियुक्तियों के विरुद्ध सरकार को वेतन देने का परमादेश नहीं जारी कर सकती हैं। खंड पीठ ने इस बिन्दु पर 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा देने के मुद्दे पर राज्य सरकार को कहा है कि सरकार को नियमित नियुक्तियों के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नियुक्तियां बहुत लम्बे समय तक खाली न रखी जाएं, क्योंकि ये शिक्षा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। UPTET / टीईटी / TET - Teacher EligibilityTest Updates / Teacher Recruitment / शिक्षक भर्ती / SARKARI NAUKRI NEWS UP-TET 2011, 72825 Teacher Recruitment,Teacher Eligibility Test (TET), 72825 teacher vacancy in up latest news join blog , UPTET , SARKARI NAUKRI NEWS, SARKARI NAUKRI
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नियमित चयन से ही भरे जाएं सरकारी पद विधि संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना पद विज्ञापित किये हाईकोर्ट में कार्यरत तदर्थ रूटीन ग्रेड क्लर्को को नियमित करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि तदर्थ कर्मचारियों को पद पर बने रहने का वैधानिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिस दिन से चयनित कर्मी कार्यभार ग्रहण करेंगे, उसी दिन तदर्थ लिपिकों की सेवा समाप्त हो जायेगी। हालांकि कोर्ट ने उदारता बरतते हुए तदर्थ कर्मियों को आयु सीमा में छूट देते हुए भविष्य में होने वाली चयन प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर दे दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 14 एवं 16 के विपरीत नियुक्त प्रक्रिया नहीं अपनायी जा सकती। अनुच्छेद 229 के तहत मुख्य न्यायाधीश का अधिकार अनुच्छेद 13 के प्रतिकूल नहीं हो सकता। बिना पद विज्ञापित किये लोक पदों की भर्ती नहीं की जा सकती। यह आदेश न्यायमूर्ति राकेश तिवारी तथा न्यायमूर्ति अताउर्रहमान मसूदी की खण्डपीठ ने अजय कुमार मिश्र व अन्य अपीलों को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकारी पदों पर नियुक्ति पाने का सभी को समान अधिकार प्राप्त है। बिना नियमानुसार चयन प्रक्रिया अपनाये नियुक्त कर्मियों को लोक पद पर बने रहने का वैधानिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि तदर्थ कर्मियों एवं प्रोबेशन पर कार्यरत कर्मियों में भिन्नता है। प्रोबेशन कर्मियों को नियमित करना सही है किन्तु तदर्थ कर्मी इसका लाभ नहीं पा सकते। कोर्ट ने कहा है कि खाली पद विज्ञापन के जरिये चयन से ही भरा जा सकता है UPTET / टीईटी / TET - Teacher EligibilityTest Updates / Teacher Recruitment / शिक्षक भर्ती / SARKARI NAUKRI NEWS UP-TET 2011, 72825 Teacher Recruitment,Teacher Eligibility Test (TET), 72825 teacher vacancy in up latest news join blog , UPTET , SARKARI NAUKRI NEWS, SARKARI NAUKRI
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