/* remove this */
Showing posts with label TAJ MEHAL. Show all posts
Showing posts with label TAJ MEHAL. Show all posts

Sunday, November 15, 2015

भले ही ताज महल आगरा में हो लेकिन आगरा सबसे गन्दा शहर है पर्यटन आकर्षणों के बावजूद सर्वे में आगरा को सबसे गंदा शहर बताया गया है Agra is dirtiest place in World Tourism According to Survey Report, Even Taj Mehal is in Agra. Who is responsible for Rubbish City Agra ? What is Government of India, UP State Government is doing for City of Taj - Agra

भले ही ताज महल आगरा में हो लेकिन आगरा सबसे गन्दा शहर है 
पर्यटन आकर्षणों के बावजूद सर्वे में आगरा को सबसे गंदा शहर बताया गया है
Agra is dirtiest place in World Tourism According to Survey Report, Even Taj Mehal is in Agra.
Who is responsible for Rubbish City Agra ?  What is Government of India, UP State Government is doing for City of Taj - Agra




जितने भी लोग ताज महल घूमने जाते हैं , और आगरा शहर देखते हैं तो वो शहर की गंदगी को देख कर बहुत बुराई करते हैं । 

यहाँ  तक की यमुना किनारे ताज महल के पास ही गंदगी देखने को मिलती है 

आगरा की सड़कें नहीं गलियां हैं , गंदी बसें , ट्रांसपोर्ट के अच्छे साधन नहीं 


दुनिया भर के सैलानियों को रिझाते ताजमहल और स्मारकों की लंबी श्रृंखला वाले शहर की स्थिति हॉलीडे आईक्यू डॉट कॉम द्वारा कराए गए सर्वे में शर्मसार करती है। एक से बढ़कर एक पर्यटन आकर्षणों के बावजूद सर्वे में आगरा को सबसे गंदा शहर बताया गया है। यह स्थिति तब है, जबकि ताजनगरी स्मार्ट सिटी बनाने के लिए चुने गए देश के 100 शहरों में शुमार है।
देश के बड़े ट्रैवल पोर्टल में शुमार हॉलीडे आईक्यू डॉट कॉम द्वारा एक सर्वे भारतीय पर्यटकों के बीच कराया गया था। जिसमें शहर की गंदगी, प्रदूषण, अव्यवस्था, संसाधन, यातायात के साधन की स्थिति के आधार पर्यटकों से शहरों के बारे में उनके विचार लिए गए थे। कंपनी ने इस सर्वे के आधार पर देश के 10 गंदे शहरों की सूची जारी की है। जिनमें आगरा टॉप पर है। इस सूची के अन्य शहरों में बेंगलुरू, चेन्नई, दिल्ली, मुंबई, गोवा, जयपुर, अजमेर, इलाहाबाद और हैदराबाद हैं।

पता नहीं नरेंद्र मोदी जी कौन सा स्वच्छ्ता अभियान चला रहे हैं और स्मार्ट सिटी बना रहे हैं , दुनिया भर के पर्यटक हिंदुस्तान में सबसे पहले ताजमहल का दीदार करने आते हैं , और जब उस आगरा शहर की गंदगी को देखते हैं तो क्या हिंदुस्तान की छवि बनती होगी । 

आगरा में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी नहीं है , अंतरराष्ट्रीय टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होना भी जरूरी है , भले ही हफ्ते, महीने  एक फ्लाइट मुख्य शहरों के बीच (उदाहरणार्थ - न्यूयॉर्क से आगरा, लन्दन से आगरा ) उड़ाई जाए 

दिल्ली की होटल लॉबी नहीं और खास नेतागण अपने निहित स्वार्थ के लिए नहीं चाहते की आगरा में सीधी फ्लाइट आएं और सीधे आगरा के होटलों में ठहरें । 
बात सिर्फ अपने फायदे की नहीं देश के फायदे की सोचें की अगर हिंदुस्तान को अंतरराष्ट्रीय टूरिज्म में पहचान बनानी है तो उसके विकास के लिए खर्च करना भी जरूरी है 

बहुत से टूरिस्ट्स के पास इतना समय नहीं होता की आगरा से बाई रोड आएं और आगरा एक दिन में घूमकर वापस लोट सकें 




इंटरनेट के द्वारा  संकलित जानकारी -
आगरा को दुनिया में प्रमुख पयर्टन स्थल के रूप में जाना जाता है. पूरे साल यहां पयर्टक लाखों की संख्या में आते हैं. प्रत्येक वर्ष करो़डों डॉलर की आय ताजमहल के कारण होती है. विश्व स्तर पर भारत का पयर्टन व्यवसाय ताजमहल के इर्द-गिर्द ही निर्भर है लेकिन ताजनगरी की गिनती देश के बीग्रेड शहरों में होने लगी है या कहें तो आगरा को मेट्रो सिटी कहा जाने लगा है. वैश्विक ऐतिहासिक धरोहर की पहचान रखने वाले मोहब्बत के शहर की एक ओर पहचान बन चुकी है. आगरा शहर को गंदगी के कारण अब पूरे भारत सहित दुनियां में जाना जाने लगा है, तो इसका एकमात्र श्रेय आगरा नगर-निगम को जाता है.

नगर-निगम आगरा ने ताजनगरी को एक ऐसी पहचान दे दी है, जिस पर प्रत्येक शहरवासी शर्मिंदा है. शहरी क्षेत्र का कोई ऐसा इलाक़ा नहीं है, जहां गंदगी और कूड़े का ढेर न लगा हों. आश्चर्यजनक रूप से आगरा का जो क्षेत्र नगर-निगम की सीमा में आ जाता है, वहां गंदगी अपना पैर पसारती है. शहरवासी अब सवाल करने लगे है कि यदि नगर-निगम के कारण शहर इतना गंदा बना हुआ है, तो विभाग का औचित्य क्या है? दूसरी तऱफ विभागीय नकारापन और अधिकारियों के हवाई दावों ने शहर की स्थिति को नारकीय बना डाला है. जनसमस्याओं के लिए प्रत्येक सप्ताह तहसील दिवस मनाया जाता है, जहां जनसाधारण की समस्याओं को लिखित रूप से स्वीकार कर के आला अधिकारियों द्वारा सक्षम अधिकारी अथवा विभाग को निर्देशित किया जाता है. नियमानुसार समस्या का निस्तारण एक सप्ताह तक हो जाना चाहिए, अथवा संबधित विभाग द्वारा उचित जबावदेही भी होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. शहर की स़फाई को लेकर क्षेत्रवासियों ने अनेकों बार तहसील दिवस पर प्रार्थनापत्र दिए हैं लेकिन इन पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है. सूचना के अधिकार के अर्तगत पूछे जाने वाले सवालों का भी गोलमटोल उत्तर दिया जाता है.
शहरभर में अनेकों स्थानों पर प्रदूषित गंदे पानी मलमूत्र आदि की निकासी के लिए बनाए गए नाले-नालियों पर दबंगों द्वारा अतिक्रमण कर निर्माण कार्य करा लिया गया है, जिसके कारण क्षेत्रिय नागरिकों को स्थान-स्थान पर दुर्गंधयुक्त जलभराव की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है. नाली चोक किए जाने से नगर के व्यस्ततम बोदला चौराहे पर पुलिस चौकी के सामने स्थित मकानों में दरार आ चुका है. स्थानीय लोगों ने महापौर से इसकी शिकायत की. नगर-निगम को पिछले तीन वर्षों से लगातार प्रार्थनापत्र दिया जा रहा है, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला. इस क्षेत्र में कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है. घनी आबादी वाले इस क्षेत्र में विभागीय कारीस्तानी के कारण अनेकों रिहायशी मकान गिरने की स्थिति में आ गए है. यह तो एक उदाहरण मात्र है, यह स्थिति शहर के हर जगह है. कई साल पहले विभाग में बाबा के नाम से मशहूर अधिकारी ने ज़रूर कुछ लोकप्रिय कार्य किए थे, जिसकी सराहना पूरे शहर ने की थी. लेकिन विभागीय कर्मचारियों और अधिनस्थ अधिकारियों को उनकी चुस्ती-फुरती रास नहीं आई थी, उनका तबादला हो गया. शहर के रिहायशी इलाक़ों में बच्चों के खेलने के लिए निर्धारित पार्कों पर कूड़े के ढेर लगा दिए गए है. कॉलोनियों के बीचों-बीच इस तरह के कूड़े के ढेर नगर-निगम के दावों को खोखला साबित करने के लिए पर्याप्त है. शाहगंज स्थित सत्य नगर कॉलोनी में पार्कस्थल पर नगर-निगम द्वारा खत्ताघर बना दिया गया है. यहां के नागरिकों ने अनेकों बार शिकायत की है लेकिन विभाग द्वारा समस्या का निस्तारण नहीं किया गया. ताजमहल के आसपास के दो किलोमीटर के क्षेत्र में जहां देसी-विदेशी सैलानी और वीआईपी होकर गुजरते हैं. यहां अनेकों फाइव स्टार होटल, थ्री स्टार होटल और लॉज एंपोरियम स्थित है. इस क्षेत्र में नगर-निगम द्वारा गंदगी की समस्या पर किसी प्रकार ध्यान नहीं दिया गया है. इस इलाक़े में अक्सर विदेशी पयर्टकों को शहर की गंदगी के नज़ारे को कैमरे में क़ैद करते हुए आसानी से देखा जा सकता है. पूरे नगर की स्थिति नारकीय बनी हुई है. पॉश इलाक़े वाले क्षेत्रों में भी स्थिति कहीं से भी ठीक नहीं है. सूर्यनगर, नेहरूनगर, जयपुर हाइस, विभव नगर कावेरी कुंज जैसे अधिकांश मंहगे रिहायशी इलाक़ों में विभाग की कारगुज़ारियां आसानी से प्रमाणित होती है. शहर की झुग्गी-झोंपड़ियों वाले क्षेत्रों की बात तो छोड़ दें. यहां तो खरंजों पर दुर्गंधयुक्त कीचड़ आसानी से देखा जा सकता है जिसके कारण अनेकों संक्रामक बीमारियां फैल रही है. आर्थिक रूप से कमज़ोर तबकों के लिए इलाज़ में आ रही दिक्कतों के लिए परोक्षरूप से विभाग ज़िम्मेदार है. यहीं नहीं मध्यम आयवर्ग, घनी आबादी वाले क्षेत्रों, आगरा विकास प्राधिकरण की कॉलोनियों, आवास-विकास की कॉलोनियों सहित तमाम शहर में कोई ऐसी जगह नहीं बची है, जहां स़फाई व्यवस्था दुरूस्त हो. गंदगी के कारण मच्छरों से आए दिन शहरवासी बीमार हो रहे हैं तो विभाग के पास इतने बड़े शहर में मच्छरों से निजात पाने के लिए मात्र दो फोगिंग मशीन है.

नगर-निगम में स़फाई कर्मचारियों की संख्या 2600 है जबकि लगभग एक हज़ार स़फाईकर्मी संविदा पर रखे हुए है. जबकि शहर की व्यवस्था को ठीक रखने के लिए कम से कम दस हज़ार स़फाईकर्मियों एवं मशीनों की पर्याप्त संख्या में आवश्कता है. शहरी विकास के लिए केंद्र सरकार की जेएनआरयूएम योजना के अंतर्गत सात हज़ार आठ सौ करोड़ की विकास योजनाओं का बंटाधार किया जा चुका है. संबंधित विभागों द्वारा समय से प्रोजेक्ट नहीं बन पाने के कारण धनराशि आवंटित नहीं हो पाई. कुछ माह पहले पूर्व नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे ने ताजनगरी को गंदगी और पर्यावरण की दृष्टि से कुछ कल्याणकारी निर्णय लिए थे, जिसमें शहर को पॉलिथिन मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया था. उनकी पहल का पूरे शहरवासियों ने सहयोग भी किया था. स्कूलों, कॉलेजों में ही नहीं शहर के गणमान्यों सहित व्यापारियों ने ताजनगरी को पॉलिथिनमुक्त बनाने के लिए अभियान को समर्थन दिया था. इसका व्यापक असर देखने को मिला. शहरभर में पॉलिथिन का प्रयोग बंद भी हो गया था, विभाग द्वारा अनेक जगहों पर जुर्माना भी वसूला गया लेकिन, उनका स्थानांतरण होते ही पॉलिथिन पूरे शहर में फिर से प्रयोग में आना शुरू हो गया. इसके पीछे सा़फतौर पर नगर-निगम के आलाअधिकारी ज़िम्मेदार है जिन्होनें इस अभियान को पलीता लगाया. ताजनगरी को पॉलीथिनमुक्त कराने के लिए का़फी प्रचार-प्रसार किया गया था. इसके लिए विज्ञापन भी दिए गए. भारी धनराशि खर्च करने के बाद विनय शंकर पांडे के विभाग से तबादला होने पर पॉलीथिन अभियान अचानक क्यों रोक दिया गया? यह सवाल लोगों के जेहन में बना हुआ है. मालूम हो पूर्व नगरआयुक्त विनय शंकर पांडे की छवि एक अच्छे अधिकारी के रूप में थी, उनके द्वारा पॉलीथिन के विरूद्व चलाए गए अभियान से पॉलीथिन निर्माताओं और इसका व्यवसाय करने वाले का़फी परेशान हो गए थे. यह आशंका थी कि कहीं उनका तबादला न हो जाए. लोगों की आशंका सही साबित हुई और उनका तबादला हो गया. ताजनगरी में पॉलीथिन का दुबारा प्रयोग शुरू होने के पीछे क्या खेल हुआ लेकिन आज भी ताजनगरी पॉलीथिन मुक्त नहीं हो पाया. शहर की गंदगी और कूड़े की समस्या के निस्तारण के लिए शहर के बाहर कुबेरपुर में करोड़ों रुपयों की लागत से प्लांट लगाया गया है, यहां नगर-निगम की गाड़ियां शहर का कूड़ा लेकर आती है. मगर स्थानों से पूरा कूड़ा नहीं उठाया जाता बल्कि इसकी मात्रा अवश्य कम कर दी जाती है. सूत्रों का कहना है कि नोएडा की जिस कंपनी को कूड़ा निस्तारण का काम सौंपा गया है, वो ठीक काम नहीं कर रही है. कूड़ा निस्तारण के लिए प्रति टन के हिसाब से कंपनी से विभाग द्वारा तय की गई धनराशि का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. कंपनी विभागीय कर्मचारियों और अधिकारियों की कार्यप्रणाली के कारण यहां से रू़खसत होने की फिराक़ में हैं. नगर आयुक्त पी एन दुबे का इस संबंध में कहना है कि ऐसी कोई बात नहीं है, कंपनी हमारी पार्टनर है और हम मिलजुलकर काम कर रहे है. अभी प्लांट पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहा है, इसमें थोड़ा वक्त लगेगा. बायोवेस्ट उठाने के लिए विभाग द्वारा दत्ता एंटरप्राइजेज को ठेका दिया गया था, जिसका काम मेडिकल वेस्ट का सुरक्षित वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करना था. इसका कामकाज ठीक न पाए जाने पर कंपनी को हटाने का निर्णय अवश्य लिया गया था लेकिन कंपनी द्वारा कोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया गया है. महापौर अजुंला सिंह ने नगर-निगम के नकारापन के लिए उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार को सीधे तौर पर ज़िम्मेदार बताते हुए आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल में ताजनगरी की सा़फ-स़फाई व्यवस्था को जानबूझकर पलीता लगाया गया. जनहित को दरकिनार कर के मेरे द्वारा किए गए प्रयासों में अ़डंगा लगाया गया
Source :- http://up.chauthiduniya.com/2011/12/agra-people-disturbed-by-dirt.html






लोगों द्वारा कैसा शहर अनुभव किया जाता है ये आगरा उर्फ़ गंदगी का शहर :- 
दूसरे दिन आगरा घूमने निकले। आगरा की सड़कों पर इतना अव्यवस्थित यातायात और इतनी गंदगी है कि यहाँ आपको कोई विदेशी दिखेंगे तो नाक पर रूमाल बाँधे, गंदगी से बचते-बचाते चलते मिलेंगे। आगरा की गलियाँ और यमुना नदी तो गंदी है ही, जिसके किनारे भैंसों के तबेले हैं। आगरा फोर्ट में भी एक-दो जगह पान की पीक दिखाई दी। गाइड से पूछा, यह कैसे हुआ, तो उसने बताया कि भीतर घुसने वाले दर्शकों की तो जाँच कर ली जाती है, मगर रेड फोर्ट के सरकारी कर्मचारी ही कई बार खुद गुटखा लेकर भीतर चले जाते हैं! अंदर घुसने वालों की जाँच में भी कई बार ढील-पोल होती है। सच तो यह है कि हम जिस गाड़ी में घूमने निकले थे उसका ड्रायवर भी बार-बार खिड़की से मुँह निकालकर पच्च-पच्च पीक थूकता था। मना करो तो अपनी पान में बदरंग खीसें निपोरकर बेशर्मी से हँस देता था। यह सब देखकर यह मानने पर मजबूर होना पड़ता है कि हम हिन्दुस्तानियों का नागरिकता-बोध कितना कमजोर है। यह आगरा शहर की ही बात नहीं है, भारत के गाँव-गाँव और शहर-शहर में गंदगी और फूहड़पन का साम्राज्य है। हिन्दुस्तानी पालक और शिक्षक खुद भी किसी सार्वजनिक सफाई व्यवस्था का ध्यान नहीं रखते और न ही माता-पिता अपनी संतति को यह संस्कार देने का कोई प्रयास करते हैं। यदि कार में किसी बच्चे ने चॉकलेट खाया, तो माँ फट से खिड़की खोलकर, सड़क पर रैपर फेंक देगी। इसे सम्हालकर बाद में कचरा पेटी में डालना है यह करने और बच्चे को यह सिखाने का कष्ट हिन्दुस्तान में बहुत कम लोग करते हैं। नतीजा होता है विदेशियों के सामने शर्मिंदगी और हमारे अपने स्वास्थ्य को लगातार संकट। हमारा देश पहले ही गर्म जलवायु देश है ऊपर से इतनी गंदगी है, अत: यह वातावरण की गंदगी से फैलने वाली महामारियों का देश भी हो गया है। आखिर कब हम यह समझेंगे?

Source: http://objectionmelord.blogspot.in/2011/11/blog-post_814.html






`
आगरा को स्मार्ट सिटी बनाने का लक्ष्य रखा गया  -
क्या क्या है स्मार्ट सिटी में -
 निर्बाध विद्युत आपूर्ति
. पर्याप्त स्वच्छ पेयजल आपूर्ति
. स्वास्थ्य और शिक्षा
. सफाई सहित सालिड वेस्ट मैनेजमेंट
. महिलाओं, बच्चों और वृद्ध नागरिकों की सुरक्षा
. सुलभ एवं सुविधाजनक सार्वजनिक परिवहन
. गरीबों के लिए किफायती आवास
. सक्षम आईटी कनेक्टिविटी और डिजिटेलाइजेशन
. ई-गवर्नेंस और नागरिक भागीदारी
. सुस्थिर पर्यावरण





Read more...

ताजमहल पहुंची सोनाली बिंद्रे, पति और बेटे को करवाया दीदार Sonali Bendre in Agra , Watched Taj Mehal , 7 Wonders of World , India's No 1 Toursm Destination in Agra, India

ताजमहल पहुंची सोनाली बिंद्रे, पति और बेटे को करवाया दीदार

Sonali Bendre in Agra , Watched Taj Mehal , 7 Wonders of World , India's No 1 Toursm Destination in Agra, India






आगरा. बॉलीवुड एक्‍ट्रेस सोनाली बिंद्रे अपने पति और बेटे के साथ शनिवार को ताजमहल का दीदार करने पहुंची। पहले यहां का घूम चुकी सोनाली ने पति गोल्‍डी बहल और बेटे रणवीर को खुद ही ताजमहल के बारे में बताया। बाद में उन्‍होंने एक गाइड भी किया, लेकिन अधिकतर बातें वह खुद ही बताती रहीं। सोनाली की सुरक्षा के लिए पर्यटन पुलिस भी साथ में पहुंची थी। उनके आस-पास पुलिस का पहरा था। सोनाली का देखते ही पर्यटक चहक उठे। पर्यटकों ने सोनाली की ताज के साथ तस्‍वीर ली।


शुक्रवार से आगरा में थीं सोनाली
सोनाली बिंद्रे शुक्रवार से आगरा में थी। एक दिन पहले वह फतेहपुर सीकरी गई थी। यहां उन्‍होंने शेख सलीम चिश्‍ती दरगाह पर चादर चढ़ाई और मन्‍नत का धागा बांधा था। बाद में उन्‍होंने फतेहपुर सीकरी के किले का भ्रमण किया था। इसके बाद वह आगरा शहर में लौट आई थी।

शुक्रवार को फतेहपुर सीकरी में दरगाह पर चादरपोशी और मन्नत का धागा बांधने के बाद सोनाली बेंद्रे ने पति गोल्डी बहल और बेटे के साथ शनिवार सुबह ताज का दीदार किया

टूरिस्ट पुलिस के साथ पहुंची सोनाली को पर्यटकों ने पहचान लिया और उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ मच गई। सोनाली बेंद्रे डेढ़ घंटे तक ताजमहल में रहीं। उन्होंने दुपट्टे से चेहरा ढकने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस के साथ होने और चर्चा फैलने के बाद पर्यटक उनके� पास चले आए। फतेहाबाद रोड के होटल में रुकीं सोनाली ने दिल्ली लौटते वक्त प्रतापपुरा चौराहे पर शहर के नामचीन मिष्ठान भंडार से मिठाइयां और पेठा भी खरीदा।


परिवार संग ताजमहल में बिताया वक्‍त
शनिवार को ताजमहल पर पहुंचकर उन्‍होंने करीब तीन घंटे यहां पर परिवार के साथ वक्‍त बिताया। सोनाली ने कहा कि वह यहां पर पहले भी आ चुकी हैं और यहां का नजारा उन्‍हें मोहित करता है। ताजमहल सचमुच दुनिया सबसे बेहतरीन और खूबसूरत इमारत है। हालांकि, उन्‍होंने इस दौरान मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। शाहरुख खान के विवादास्‍पद बयान पर पूछे जाने पर सोनाली ने कहा कि आज वह मस्‍ती के मूड में हैं। ऐसे में शाहरुख ने किस मुद्दे पर क्‍या कहा, यह सब भूल चुकी हैं। सीरियल और रिएलिटी शो की चर्चा करने पर सोनाली बिंद्रे ने कहा कि इसपर वह अलग से मीडिया से बात करेंगी।

दूर से ही तस्‍वीर लेते रहे फैंस
सोनाली बिंद्रे को ताजमहल में घूमते हुए देखते ही भारतीय पर्यटकों में हलचल सी मच गई थी। कई पर्यटकों ने साथ में खड़े होकर फोटो खिंचवाने की कोशिश की, लेकिन पर्यटन पुलिस ने ऐसा करने से रोक दिया। लिहाजा पर्यटक दूर से ही उनकी फोटो कैमरे में उतारते रहे।




Visit for Amazing ,Must Read Stories, Information, Funny Jokes - http://7joke.blogspot.com 7Joke
संसार की अद्भुत बातों , अच्छी कहानियों प्रेरक प्रसंगों व् मजेदार जोक्स के लिए क्लिक करें...http://7joke.blogspot.com
Read more...

Saturday, October 10, 2015

ताजमहल का नया रहस्य - इतिहासकार पुरुषोत्तम ओक का दावा, यह ताजमहल नहीं बल्कि तेजोमहालय शिव मंदिर है

ताजमहल का नया रहस्य - इतिहासकार पुरुषोत्तम ओक का दावा, यह ताजमहल नहीं बल्कि तेजोमहालय शिव मंदिर है

   

     शाहजहां ने दरअसल, वहां अपनी लूट की दौलत छुपा रखी थी इसलिए उसे कब्र के रूप में प्रचारित किया गया। यदि शाहजहां चकाचौंध कर देने वाले ताजमहल का वास्तव में निर्माता होता तो इतिहास में ताजमहल में मुमताज को किस दिन बादशाही ठाठ के साथ दफनाया गया, उसका अवश्य उल्लेख होता।

   यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की 
तस्वीर 'ताजमहल' न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। ताजमहल को दुनिया के सात आश्चर्यों में शामिल किया गया है। हालांकि इस बात को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने बनवाया है या फिर किसी और ने।
      भारतीय इतिहास के पन्नो में यह लिखा है कि ताजमहल को शाहजहां 
ने मुमताज के लिए बनवाया था। वह मुमताज से प्यार करता था। दुनिया भर में ताजमहल को प्रेम का प्रतीक माना जाता है, लेकिन कुछ इतिहासकार इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उनका मानना है कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनवाया था वह तो पहले से बना हुआ था। उसने इसमें हेर-फेर करके इसे इस्लामिक लुक दिया था।  इसे शाहजहां और मुमताज का मकबरा माना जाता है। उल्लेखनीय है कि ताजमहल के पूरा होने के तुरंत बाद ही शाहजहां को उसके पुत्र औरंगजेब द्वारा अपदस्थ कर आगरा के किले में कैद कर दिया गया था। शाहजहां की मृत्यु के बाद उसे उसकी पत्नी के बराबर में दफना दिया गया। प्रसिद्ध शोधकर्ता और इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक ने अपनी शोधपूर्ण पुस्तक में तथ्‍यों के माध्यम से ताजमहल के रहस्य से पर्दा उठाया है। 

दौलत छुपाने की जगह या मुमताज का मकबरा? 

  कुछ इतिहासकार पुरुषोत्तम ओक ने अपनी पुस्तक में लिखा हैं कि 
शाहजहां ने दरअसल, वहां अपनी लूट की दौलत छुपा रखी थी इसलिए उसे कब्र के रूप में प्रचारित किया गया। यदि शाहजहां चकाचौंध कर देने वाले ताजमहल का वास्तव में निर्माता होता तो इतिहास में ताजमहल में मुमताज को किस दिन बादशाही ठाठ के साथ दफनाया गया, उसका अवश्य उल्लेख होता।
  ओक अनुसार जयपुर राजा से हड़प किए हुए पुराने महल में दफनाए जाने 
के कारण उस दिन का कोई महत्व नहीं? शहंशाह के लिए मुमताज के कोई मायने नहीं थे। क्योंकि जिस जनानखाने में हजारों सुंदर स्त्रियां हों उसमें भला प्रत्येक स्त्री की मृत्यु का हिसाब कैसे रखा जाए। जिस शाहजहां ने जीवित मुमताज के लिए एक भी निवास नहीं बनवाया वह उसके मरने के बाद भव्य महल बनवाएगा?

  आगरा से 600 किलोमीटर दूर बुरहानपुर में मुमताज की कब्र है, जो आज 
भी ज्यों‍ की त्यों है। बाद में उसके नाम से आगरे के ताजमहल में एक और कब्र बनी और वे नकली है। बुरहानपुर से मुमताज का शव आगरे लाने का ढोंग क्यों किया गया? माना जाता है कि मुमताज को दफनाने के बहाने शहजहां ने राजा जयसिंह पर दबाव डालकर उनके महल (ताजमहल) पर कब्जा किया और वहां की संपत्ति हड़पकर उनके द्वारा लूटा गया खजाना छुपाकर सबसे नीचले माला पर रखा था जो आज भी रखा है।

   मुमताज का इंतकाल 1631 को बुरहानपुर के बुलारा महल में हुआ था। 
वहीं उन्हें दफना दिया गया था। लेकिन माना जाता है कि उसके 6 महीने बाद राजकुमार शाह शूजा की निगरानी में उनके शरीर को आगरा लाया गया। आगरा के दक्षिण में उन्हें अस्थाई तौर फिर से दफन किया गया और आखिर में उन्हें अपने मुकाम यानी ताजमहल में दफन कर दिया गया।
     पुरुषोत्तम अनुसार क्योंकि शाहजहां ने मुमताज के लिए दफन स्थान 
बनवाया और वह भी इतना सुंदर तो इतिहासकार मानने लगे कि निश्‍चित ही फिर उनका मुमताज के प्रति प्रेम होना ही चाहिए। तब तथाकथित इतिहासकारों ने इसे प्रेम का प्रतीक लिखना शुरू कर दिया। उन्होंने उनकी गाथा को लैला-मजनू, रोमियो-जूलियट जैसा लिखा जिसके चलते फिल्में भी बनीं और दुनियाभर में ताजमहल प्रेम का प्रतीक बन गया।

     मुमताज से विवाह होने से पूर्व शाहजहां के कई अन्य विवाह हुए थे 
अत: मुमताज की मृत्यु पर उसकी कब्र के रूप में एक अनोखा खर्चीला ताजमहल बनवाने का कोई कारण नजर नहीं आता। मुमताज किसी सुल्तान या बादशाह की बेटी नहीं थी। उसे किसी विशेष प्रकार के भव्य महल में दफनाने का कोई कारण नजर नहीं अता। उसका कोई खास योगदान भी नहीं था। उसका नाम चर्चा में इसलिए आया क्योंकि युद्ध के रास्ते के दौरान उसने एक बेटी को जन्म दिया था और वह मर गई थी।

    शाहजहां के बादशाह बनने के बाद ढाई-तीन वर्ष में ही मुमताज की मृत्यु 
हो गई थी। इतिहास में मुमताज से शाहजहां के प्रेम का उल्लेख जरा भी नहीं मिलता है। यह तो अंग्रेज शासनकाल के इतिहासकारों की मनगढ़ंत कल्पना है जिसे भारतीय इतिहासकारों ने विस्तार दिया। शाहजहां युद्ध कार्य में ही व्यस्त रहता था। वह अपने सारे विरोधियों की की हत्या करने के बाद गद्दी पर बैठा था। ब्रिटिश ज्ञानकोष के अनुसार ताजमहल परिसर में ‍अतिथिगृह, पहरेदारों के लिए कक्ष, अश्वशाला इत्यादि भी हैं। मृतक के लिए इन सबकी क्या आवश्यकता?

ताजमहल के हिन्दू मंदिर होने के सबूत...

    इतिहासकार पुरुषोत्त ओक ने अपनी किताब में लिखा है कि ताजमहल 
के हिन्दू मंदिर होने के कई सबूत मौजूद हैं। सबसे पहले यह कि मुख्य गुम्बद के किरीट पर जो कलश वह हिन्दू मंदिरों की तरह है। यह शिखर कलश आरंभिक 1800 ईस्वी तक स्वर्ण का था और अब यह कांसे का बना है। आज भी हिन्दू मंदिरों पर स्वर्ण कलश स्थापित करने की परंपरा है। यह हिन्दू मंदिरों के शिखर पर भी पाया जाता है।
    इस कलश पर चंद्रमा बना है। अपने नियोजन के कारण चन्द्रमा एवं 
कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो कि हिन्दू भगवान शिव का चिह्न है। इसका शिखर एक उलटे रखे कमल से अलंकृत है। यह गुम्बद के किनारों को शिखर पर सम्मिलन देता है।

     इतिहास में पढ़ाया जाता है कि ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में 
शुरू और लगभग 1653 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। अब सोचिए कि जब मुमताज का इंतकाल 1631 में हुआ तो फिर कैसे उन्हें 1631 में ही ताजमहल में दफना‍ दिया गया, जबकि ताजमहल तो 1632 में बनना शुरू हुआ था। यह सब मनगढ़ंत बातें हैं जो अंग्रेज और मुस्लिम इतिहासकारों ने 18वीं सदी में लिखी।

     दरअसल 1632 में हिन्दू मंदिर को इस्लामिक लुक देने का कार्य शुरू 
हुआ। 1649 में इसका मुख्य द्वार बना जिस पर कुरान की आयतें तराशी गईं। इस मुख्य द्वार के ऊपर हिन्‍दू शैली का छोटे गुम्‍बद के आकार का मंडप है और अत्‍यंत भव्‍य प्रतीत होता है। आस पास मीनारें खड़ी की गई और फिर सामने स्थित फव्वारे को फिर से बनाया गया।

     ओक ने लिखा है कि जेए मॉण्डेलस्लो ने मुमताज की मृत्यु के 7 वर्ष 
पश्चात voyoges and travels into the east indies नाम से निजी पर्यटन के संस्मरणों में आगरे का तो उल्लेख किया गया है किंतु ताजमहल के निर्माण का कोई उल्लेख नहीं किया। टॉम्हरनिए के कथन के अनुसार 20 हजार मजदूर यदि 22 वर्ष तक ताजमहल का निर्माण करते रहते तो मॉण्डेलस्लो भी उस विशाल निर्माण कार्य का उल्लेख अवश्य करता।

    ताज के नदी के तरफ के दरवाजे के लकड़ी के एक टुकड़े की एक 
अमेरिकन प्रयोगशाला में की गई कार्बन जांच से पता चला है कि लकड़ी का वो टुकड़ा शाहजहां के काल से 300 वर्ष पहले का है, क्योंकि ताज के दरवाजों को 11वीं सदी से ही मुस्लिम आक्रामकों द्वारा कई बार तोड़कर खोला गया है और फिर से बंद करने के लिए दूसरे दरवाजे भी लगाए गए हैं। ताज और भी पुराना हो सकता है। असल में ताज को सन् 1115 में अर्थात शाहजहां के समय से लगभग 500 वर्ष पूर्व बनवाया गया था।

       ताजमहल के गुम्बद पर जो अष्टधातु का कलश खड़ा है वह त्रिशूल 
आकार का पूर्ण कुंभ है। उसके मध्य दंड के शिखर पर नारियल की आकृति बनी है। नारियल के तले दो झुके हुए आम के पत्ते और उसके नीचे कलश दर्शाया गया है। उस चंद्राकार के दो नोक और उनके बीचोबीच नारियल का शिखर मिलाकर त्रिशूल का आकार बना है। हिन्दू और बौद्ध मंदिरों पर ऐसे ही कलश बने होते हैं। कब्र के ऊपर गुंबद के मध्य से अष्टधातु की एक जंजीर लटक रही है। शिवलिंग पर जल सिंचन करने वाला सुवर्ण कलश इसी जंजीर पर टंगा रहता था। उसे निकालकर जब शाहजहां के खजाने में जमा करा दिया गया तो वह जंजीर लटकी रह गई। उस पर लॉर्ड कर्जन ने एक दीप लटकवा दिया, जो आज भी है।

कब्रगाह या महल...

कब्रगाह को महल क्यों कहा गया? मकबरे को महल क्यों कहा गया? क्या 
किसी ने इस पर कभी सोचा, क्योंकि पहले से ही निर्मित एक महल को कब्रगाह में बदल दिया गया। कब्रगाह में बदलते वक्त उसका नाम नहीं बदला गया। यहीं पर शाहजहां से गलती हो गई। उस काल के किसी भी सरकारी या शाही दस्तावेज एवं अखबार आदि में 'ताजमहल' शब्द का उल्लेख नहीं आया है। ताजमहल को ताज-ए-महल समझना हास्यास्पद है।

    पुरुषोत्तम लिखते हैं कि 'महल' शब्द मुस्लिम शब्द नहीं है। अरब, 
ईरान, अफगानिस्तान आदि जगह पर एक भी ऐसी मस्जिद या कब्र नहीं है जिसके बाद महल लगाया गया हो। यह ‍भी गलत है कि मुमताज के कारण इसका नाम मुमताज महल पड़ा, क्योंकि उनकी बेगम का नाम था मुमता-उल-जमानी। यदि मुमताज के नाम पर इसका नाम रखा होता तो ताजमहल के आगे से मुम को हटा देने का कोई औचित्य नजर नहीं आता।


     विंसेंट स्मिथ अपनी पुस्तक 'Akbar the Great Moghul' में लिखते हैं,
 'बाबर ने सन् 1630 में आगरा के वाटिका वाले महल में अपने उपद्रवी जीवन से मुक्ति पाई। वाटिका वाला वो महल यही ताजमहल था। यह इतना विशाल और भव्य था कि इसके जितान दूसरा कोई भारत में महल नहीं था।   बाबर की पुत्री गुलबदन 'हुमायूंनामा' नामक अपने ऐतिहासिक वृत्तांत में ताज का संदर्भ 'रहस्य महल' (Mystic House) के नाम से देती है।


 ताज नहीं पहले था तेजो महालय...

     ओक के अनुसार प्राप्त सबूतों के आधार पर ताजमहल का निर्माण 
राजा परमर्दिदेव के शासनकाल में 1155 अश्विन शुक्ल पंचमी, रविवार को हुआ था। अत: बाद में मुहम्मद गौरी सहित कई मुस्लिम आक्रांताओं ने ताजमहल के द्वार आदि को तोड़कर उसको लूटा। यह महल आज के ताजमहल से कई गुना ज्यादा बड़ा था और इसके तीन गुम्बद हुआ करते थे। हिन्दुओं ने उसे फिर से मरम्मत करके बनवाया, लेकिन वे ज्यादा समय तक इस महल की रक्षा नहीं कर सके।


    पुरषोत्तम नागेश ओक ने ताजमहल पर शोधकार्य करके बताया कि 
ताजमहल को पहले 'तेजो महल' कहते थे। वर्तमन ताजमहल पर ऐसे 700 चिन्ह खोजे गए हैं जो इस बात को दर्शाते हैं कि इसका रिकंस्ट्रक्शन किया गया है। इसकी मीनारे बहुत बाद के काल में निर्मित की गई। 


   वास्तुकला के विश्वकर्मा वास्तुशास्त्र नामक प्रसिद्ध ग्रंथ में शिवलिंगों में 
'तेज-लिंग' का वर्णन आता है। ताजमहल में 'तेज-लिंग' प्रतिष्ठित था इसीलिए उसका नाम 'तेजोमहालय' पड़ा था। शाहजहां के समय यूरोपीय देशों से आने वाले कई लोगों ने भवन का उल्लेख 'ताज-ए-महल' के नाम से किया है, जो कि उसके शिव मंदिर वाले परंपरागत संस्कृत नाम 'तेजोमहालय' से मेल खाता है। इसके विरुद्ध शाहजहां और औरंगजेब ने बड़ी सावधानी के साथ संस्कृत से मेल खाते इस शब्द का कहीं पर भी प्रयोग न करते हुए उसके स्थान पर पवित्र मकबरा शब्द का ही प्रयोग किया है।


    ओक के अनुसार अनुसार हुमायूं, अकबर, मुमताज, एतमातुद्दौला और 
सफदरजंग जैसे सारे शाही और दरबारी लोगों को हिन्दू महलों या मंदिरों में दफनाया गया है। इस बात को स्वीकारना ही होगा कि ताजमहल के पहले से बने ताज के भीतर मुमताज की लाश दफनाई गई न कि लाश दफनाने के बाद उसके ऊपर ताज का निर्माण किया गया।

     'ताजमहल' शिव मंदिर को इंगित करने वाले शब्द 'तेजोमहालय' शब्द 
का अपभ्रंश है। तेजोमहालय मंदिर में अग्रेश्वर महादेव प्रतिष्ठित थे। देखने वालों ने अवलोकन किया होगा कि तहखाने के अंदर कब्र वाले कमरे में केवल सफेद संगमरमर के पत्थर लगे हैं जबकि अटारी व कब्रों वाले कमरे में पुष्प लता आदि से चित्रित पच्चीकारी की गई है। इससे साफ जाहिर होता है कि मुमताज के मकबरे वाला कमरा ही शिव मंदिर का गर्भगृह है। संगमरमर की जाली में 108 कलश चित्रित उसके ऊपर 108 कलश आरूढ़ हैं, हिन्दू मंदिर परंपरा में 108 की संख्या को पवित्र माना जाता है।


तेजो महालय होने के सबूत...

     तेजोमहालय उर्फ ताजमहल को नागनाथेश्वर के नाम से जाना जाता 
था, क्योंकि उसके जलहरी को नाग के द्वारा लपेटा हुआ जैसा बनाया गया था। यह मंदिर विशालकाय महल क्षेत्र में था। आगरा को प्राचीनकाल में अंगिरा कहते थे, क्योंकि यह ऋषि अंगिरा की तपोभूमि थी। अं‍गिरा ऋषि भगवान शिव के उपासक थे। बहुत प्राचीन काल से ही आगरा में 5 शिव मंदिर बने थे। यहां के निवासी सदियों से इन 5 शिव मंदिरों में जाकर दर्शन व पूजन करते थे। लेकिन अब कुछ सदियों से बालकेश्वर, पृथ्वीनाथ, मनकामेश्वर और राजराजेश्वर नामक केवल 4 ही शिव मंदिर शेष हैं। 5वें शिव मंदिर को सदियों पूर्व कब्र में बदल दिया गया। स्पष्टतः वह 5वां शिव मंदिर आगरा के इष्टदेव नागराज अग्रेश्वर महादेव नागनाथेश्वर ही हैं, जो कि तेजोमहालय मंदिर उर्फ ताजमहल में प्रतिष्ठित थे।

    इतिहासकार ओक की पुस्तक अनुसार ताजमहल के हिन्दू निर्माण का 
साक्ष्य देने वाला काले पत्थर पर उत्कीर्ण एक संस्कृत शिलालेख लखनऊ के वास्तु संग्रहालय के ऊपर तीसरी मंजिल में रखा हुआ है। यह सन् 1155 का है। उसमें राजा परमर्दिदेव के मंत्री सलक्षण द्वारा कहा गया है कि 'स्फटिक जैसा शुभ्र इन्दुमौलीश्‍वर (शंकर) का मंदिर बनाया गया। (वह इ‍तना सुंदर था कि) उसमें निवास करने पर शिवजी को कैलाश लौटने की इच्छा ही नहीं रही। वह मंदिर आश्‍विन शुक्ल पंचमी, रविवार को बनकर तैयार हुआ।

     ताजमहल के उद्यान में काले पत्थरों का एक मंडप था, यह एक 
ऐतिहासिक उल्लेख है। उसी में वह संस्कृत शिलालेख लगा था। उस शिलालेख को कनिंगहम ने जान-बूझकर वटेश्वर शिलालेख कहा है ताकि इतिहासकारों को भ्रम में डाला जा सके और ताजमहल के हिन्दू निर्माण का रहस्य गुप्त रहे। आगरे से 70 मिल दूर बटेश्वर में वह शिलालेख नहीं पाया गया अत: उसे बटेश्वर शिलालेख कहना अंग्रेजी षड्‍यंत्र है।

     शाहजहां ने तेजोमहल में जो तोड़फोड़ और हेराफेरी की, उसका एक सूत्र 
सन् 1874 में प्रकाशित पुरातत्व खाते (आर्किओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के वार्षिक वृत्त के चौथे खंड में पृष्ठ 216 से 17 पर अंकित है। उसमें लिखा है कि हाल में आगरे के वास्तु संग्रहालय के आंगन में जो चौखुंटा काले बसस्ट का प्रस्तर स्तंभ खड़ा है वह स्तंभ तथा उसी की जोड़ी का दूसरा स्तंभ उसके शिखर तथा चबूतरे सहित कभी ताजमहल के उद्यान में प्रस्थापित थे। इससे स्पष्ट है कि लखनऊ के वास्तु संग्रहालय में जो शिलालेख है वह भी काले पत्थर का होने से ताजमहल के उद्यान मंडप में प्रदर्शित था।

      हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते हैं। ताज भी 
यमुना नदी के तट पर बना है, जो कि शिव मंदिर के लिए एक उपयुक्त स्थान है। शिव मंदिर में एक मंजिल के ऊपर एक और मंजिल में दो शिवलिंग स्थापित करने का हिन्दुओं में रिवाज था, जैसा कि उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर और सोमनाथ मंदिर में देखा जा सकता है। ताजमहल में एक कब्र तहखाने में और एक कब्र उसके ऊपर की मंजिल के कक्ष में है तथा दोनों ही कब्रों को मुमताज का बताया जाता है।

     जिन संगमरमर के पत्थरों पर कुरान की आयतें लिखी हुई हैं उनके रंग 
में पीलापन है जबकि शेष पत्थर ऊंची गुणवत्ता वाले शुभ्र रंग के हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि कुरान की आयतों वाले पत्थर बाद में लगाए गए हैं। ताज के दक्षिण में एक प्राचीन पशुशाला है। वहां पर तेजोमहालय की पालतू गायों को बांधा जाता था। मुस्लिम कब्र में गाय कोठा होना एक असंगत बात है।

     ताजमहल में चारों ओर चार एक समान प्रवेशद्वार हैं, जो कि हिन्दू 
भवन निर्माण का एक विलक्षण तरीका है जिसे कि चतुर्मुखी भवन कहा जाता है। ताजमहल में ध्वनि को गुंजाने वाला गुम्बद है। हिन्दू मंदिरों के लिए गूंज उत्पन्न करने वाले गुम्बजों का होना अनिवार्य है। बौद्धकाल में इसी तरह के शिव मंदिरों का अधिक निर्माण हुआ था। ताजमहल का गुम्बज कमल की आकृति से अलंकृत है। आज हजारों ऐसे हिन्दू मंदिर हैं, जो कि कमल की आकृति से अलंकृत हैं।  ताजमहल के गुम्बज में सैकड़ों लोहे के छल्ले लगे हुए हैं जिस पर बहुत ही कम लोगों का ध्यान जा पाता है। इन छल्लों पर मिट्टी के आलोकित दीये रखे जाते थे जिससे कि संपूर्ण मंदिर आलोकमय हो जाता था। ताजमहल की चारों ‍मीनारें बाद में बनाई गईं।


 ताजमहल का गुप्त स्थान...

   इतिहासकार ओक के अनुसार ताज एक सात मंजिला भवन है। शहजादे 
औरंगजेब के शाहजहां को लिखे पत्र में भी इस बात का विवरण है। भवन की चार मंजिलें संगमरमर पत्थरों से बनी हैं जिनमें चबूतरा, चबूतरे के ऊपर विशाल वृत्तीय मुख्य कक्ष और तहखाने का कक्ष शामिल है। मध्य में दो मंजिलें और हैं जिनमें 12 से 15 विशाल कक्ष हैं। संगमरमर की इन चार मंजिलों के नीचे लाल पत्थरों से बनी दो और मंजिलें हैं, जो कि पिछवाड़े में नदी तट तक चली जाती हैं। सातवीं मंजिल अवश्य ही नदी तट से लगी भूमि के नीचे होनी चाहिए, क्योंकि सभी प्राचीन हिन्दू भवनों में भूमिगत मंजिल हुआ करती है।


नदी तट के भाग में संगमरमर की नींव के ठीक नीचे लाल पत्थरों वाले 22 
कमरे हैं जिनके झरोखों को शाहजहां ने चुनवा दिया है। इन कमरों को, जिन्हें कि शाहजहां ने अतिगोपनीय बना दिया है, भारत के पुरातत्व विभाग द्वारा तालों में बंद रखा जाता है। सामान्य दर्शनार्थियों को इनके विषय में अंधेरे में रखा जाता है। इन 22 कमरों की दीवारों तथा भीतरी छतों पर अभी भी प्राचीन हिन्दू चित्रकारी अंकित हैं। इन कमरों से लगा हुआ लगभग 33 फुट लंबा गलियारा है। गलियारे के दोनों सिरों में एक-एक दरवाजे बने हुए हैं। इन दोनों दरवाजों को इस प्रकार से आकर्षक रूप से ईंटों और गारे से चुनवा दिया गया है कि वे दीवार जैसे प्रतीत हों।

     स्पष्टत: मूल रूप से शाहजहां द्वारा चुनवाए गए इन दरवाजों को कई 
बार खुलवाया और फिर से चुनवाया गया है। सन् 1934 में दिल्ली के एक निवासी ने चुनवाए हुए दरवाजे के ऊपर पड़ी एक दरार से झांककर देखा था। उसके भीतर एक वृहत कक्ष (huge hall) और वहां के दृश्य को‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍ देखकर वह हक्का-बक्का रह गया तथा भयभीत-सा हो गया। वहां बीचोबीच भगवान शिव का चित्र था जिसका सिर कटा हुआ था और उसके चारों ओर बहुत सारी मूर्तियों का जमावड़ा था। ऐसा भी हो सकता है कि वहां पर संस्कृत के शिलालेख भी हों। यह सुनिश्चित करने के लिए कि ताजमहल हिन्दू चित्र, संस्कृत शिलालेख, धार्मिक लेख, सिक्के तथा अन्य उपयोगी वस्तुओं जैसे कौन-कौन-से साक्ष्य छुपे हुए हैं, उसकी सातों मंजिलों को खोलकर साफ-सफाई कराने की नितांत आवश्यकता है।


फ्रांसीसी यात्री बेर्नियर ने लिखा है कि ताज के निचले रहस्यमय कक्षों में 
गैर मुस्लिमों को जाने की इजाजत नहीं थी, क्योंकि वहां चौंधिया देने वाली वस्तुएं थीं। यदि वे वस्तुएं शाहजहां ने खुद ही रखवाई होती तो वह जनता के सामने उनका प्रदर्शन गौरव के साथ करता, परंतु वे तो लूटी हुई वस्तुएं थीं और शाहजहां उन्हें अपने खजाने में ले जाना चाहता था इसीलिए वह नहीं चाहता था कि कोई उन्हें देखे।  नदी के पिछवाड़े में हिन्दू बस्तियां, बहुत से हिन्दू प्राचीन घाट और प्राचीन हिन्दू शवदाह गृह हैं। यदि शाहजहां ने ताज को बनवाया होता तो इन सबको नष्ट कर दिया गया होता।


राजा जयसिंह से छीना था यह महल...

  पुरुषोत्तम ओक के अनुसार बादशाहनामा, जो कि शाहजहां के दरबार के 
लेखा-जोखा की पुस्तक है, में स्वीकारोक्ति है (पृष्ठ 403 भाग 1) कि मुमताज को दफनाने के लिए जयपुर के महाराजा जयसिंह से एक चमकदार, बड़े गुम्बद वाला विशाल भवन (इमारत-ए-आलीशान व गुम्बज) लिया गया, जो कि राजा मानसिंह के भवन के नाम से जाना जाता था।


    जयपुर के पूर्व महाराजा ने अपनी दैनंदिनी में 18 दिसंबर, 1633 को 
जारी किए गए शाहजहां के ताज भवन समूह को मांगने के बाबत दो फरमानों (नए क्रमांक आर. 176 और 177) के विषय में लिख रखा है। यह बात जयपुर के उस समय के शासक के लिए घोर लज्जाजनक थी और इसे कभी भी आम नहीं किया गया।


    ताजमहल के बाहर पुरातत्व विभाग में रखे हुए शिलालेख में वर्णित है 
कि शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल को दफनाने के लिए एक विशाल इमारत बनवाई जिसे बनाने में सन् 1631 से लेकर 1653 तक 22 वर्ष लगे। यह शिलालेख ऐतिहासिक घपले का नमूना है।


     ओक लिखते हैं कि शहजादा औरंगजेब द्वारा अपने पिता को लिखी 
गई चिट्ठी को कम से कम तीन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक वृत्तांतों में दर्ज किया गया है जिनके नाम 'आदाब-ए-आलमगिरी', 'यादगारनामा' और 'मुरुक्का-ए-अकबराबादी' (1931 में सैद अहमद, आगरा द्वारा संपादित, पृष्ठ 43, टीका 2) हैं। उस चिट्ठी में सन् 1662 में औरंगजेब ने खुद लिखा है कि मुमताज के सात मंजिला लोकप्रिय दफन स्थान के प्रांगण में स्थित कई इमारतें इतनी पुरानी हो चुकी हैं कि उनमें पानी चू रहा है और गुम्बद के उत्तरी सिरे में दरार पैदा हो गई है। इसी कारण से औरंगजेब ने खुद के खर्च से इमारतों की तुरंत मरम्मत के लिए फरमान जारी किया और बादशाह से सिफारिश की कि बाद में और भी विस्तारपूर्वक मरम्मत कार्य करवाया जाए। यह इस बात का साक्ष्य है कि शाहजहां के समय में ही ताज प्रांगण इतना पुराना हो चुका था कि तुरंत मरम्मत करवाने की जरूरत थी।


     शाहजहां के दरबारी लेखक मुल्ला अब्दुल हमीद लाहौरी ने अपने 
'बादशाहनामा' में मुगल शासक बादशाह का संपूर्ण वृत्तांत 1000 से ज्यादा पृष्ठों में लिखा है जिसके खंड एक के पृष्ठ 402 और 403 पर इस बात का उल्लेख है कि शाहजहां की बेगम मुमताज-उल-मानी जिसे मृत्यु के बाद बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) में अस्थाई तौर पर दफना दिया गया था और इसके 6 माह बाद तारीख 15 मदी-उल-अउवल दिन शुक्रवार को अकबराबाद आगरा लाया गया फिर उसे महाराजा जयसिंह से लिए गए आगरा में स्थित एक असाधारण रूप से सुंदर और शानदार भवन (इमारते आलीशान) में पुनः दफनाया गया।


     लाहौरी के अनुसार राजा जयसिंह अपने पुरखों की इस आलीशान 
मंजिल से बेहद प्यार करते थे, पर बादशाह के दबाव में वे इसे देने के लिए तैयार हो गए थे। इस बात की पुष्टि के लिए यहां यह बताना अत्यंत आवश्यक है कि जयपुर के पूर्व महाराज के गुप्त संग्रह में वे दोनों आदेश अभी तक रखे हुए हैं, जो शाहजहां द्वारा ताज भवन समर्पित करने के लिए राजा जयसिंह को दिए गए थे










Visit for Amazing ,Must Read Stories, Information, Funny Jokes - http://7joke.blogspot.com 7Joke
संसार की अद्भुत बातों , अच्छी कहानियों प्रेरक प्रसंगों व् मजेदार जोक्स के लिए क्लिक करें...http://7joke.blogspot.com
Read more...

ताज महल , आगरा (TAJ MAHAL , AGRA )



ताज महल , आगरा (TAJ MAHAL , AGRA )



प्रस्तुतकर्ता – हरेन्द्र धर्रा (Blog - http://yaadsafarki.blogspot.in/2015/03/taj-mahal-agra_6.html

काफी दिन से या यूँ कहिये कि कई वर्षों से इच्छा थी कि एक बार , पूरी दुनिया में भारत को एक अलग पहचान देने वाले , अद्भुत प्रेम की निशानी , दुनिया के सात अजूबों में से एक , बेहतरीन कारीगरी की मिसाल , बेहतरीन वास्तुकला के उदाहरण ताजमहल को प्रत्यक्ष आँखों से देख कर आए | डिस्कवरी या नेशनल ज्योग्राफिक चैनल पर जब कोई प्रोग्राम आता या कोई अपने आगरा के अनुभव बताता या फिर कहीं ताज की तस्वीर दिख जाती तो इच्छा और प्रबल हो जाती | वैसे कई बार योजना बन चुकी थी , लेकिन सिरे कोई नहीं चढ़ पाई थी | वैसे भी हम सलमान खान तो है नहीं के एक बार जो कमेन्टमेंट कर दी फिर अपने आप की भी न सुनु ? सबकी सुननी पड़ती है वो भी कान खोल कर |
                         अबकी बार इच्छा ने पूरा जोर मारा पूरी एडी से चोटी तक , तो फरवरी में जाने की बात हुई | कहीं ये भी योजना ही न रह जाये इसलिए हम ने आरक्षण करा लिया | जाने का भी , आने का भी , ताज की टिकट भी ऑनलाइन करा ली थी | अब तो कैंसिल होने से रहा  प्रोग्राम | मैं और नितीश जाने वाले थे लेकिन नितीश का एक दोस्त भी चलने को तैयार हो गया था | तो तीन लोगो की टिकट हो चुकी थी | हमारी योजना थी कि २१ को शाम को निकलेंगे २२ को सुबह तीन चार बजे पहुँच जाएँगे  ताज देखकर दोपहर साढ़े तीन की ट्रेन है उससे वापस आ जाएँगे | २३ को मैं ट्रेक्टर चला पाउँगा और वो दोनों ऑफिस चले जाएँगे |
                              जाने से कई दिन पहले मेरे भाई का फोन आया की गो आइबिबो वाले एक हजार का कूपन दे रहें हैं साइन अप करने पर | झट से आईडी बनाइ और आगरा में होटल देखा | एक होटल में रूम था एक हजार रुपए में , कर दिया बुक | होटल मुश्किल से 50 मीटर दूर था ताज महल से | वैसे तो हजार रुपए बहुत होते हैं लेकिन हमारी क्या जेब से निकाल रहे थे ? तो अब इन्तजार था २१ तारीख का | हमारी ट्रेन रात को 11 बजे निजामुद्दीन से थी | नितीश और राहुल का ऑफिस पीरागढ़ी था और निजामुद्दीन वाली ट्रेन शकूर बस्ती से शाम को जाती है | तो मैं अपना ट्रेक्टर का काम पूरा करके शाम को शकूर बस्ती पहुँच गया और उधर से वो दोनों ऑफिस से थोडा जल्दी छुट्टी लेकर आ गए | समय से पहले हम निजामुद्दीन पहुँच गए थे | इधर उधर घूम कर ,पुराने किस्से याद करके हमने समय काट लिया |
                                     निरधारित समय पर गाड़ी आ गयी | एक लड़का कोई पंद्रह सोलह साल का पैरों को घसीटता हुआ नीचे फर्श पर आ रहा था और पैसे मांग रहा था , मेरे पास आया तो मैंने मना कर दिया | मैं क्यों की लास्ट वाली सीट पे बैठा था और आगे कोई सीट नहीं थी ,वो खड़ा हुआ , जी हाँ ! वो लड़का जो पैरो से लाचार था खड़ा हुआ और जाकर बहार निकाल गया | बड़ा अच्छा एक्टर था | कुछ रहम दिल वालों को ठग के ले गया था वो | मेरी और नितीश की सीट एक बर्थ में थी और राहुल की दुसरे में | नितीश के पास वाली सीट पर जो लड़का बैठा था हमने उससे कहा की हमारी एक सीट दुसरे डिब्बे में है तो हमारा दोस्त यहाँ बैठ जायेगा आप वहां चले जाइये | उसने कहा की ये मेरी सीट नहीं है | कोई बात नहीं , वहां एक और भी बैठा था हमने उससे भी यही बात की तो बोला के ठीक है | पर थोड़ी देर बाद एक जना और आया और तब पता चला के सीट का असली मालिक तो ये है | हमने उससे बात नहीं की | दो तीन घंटे की तो बात थी | राहुल नितीश एक सीट पर ही बैठ गए | निर्धारित समय पर हम आगरा पहुँच गए |
                                    बाहर आकर ऑटो किया और होटल की तरफ चल पड़े | होटल के पास जाकर ऑटो वाला बोला की आपका रूम बुक है तो ही जाना नहीं तो न तो अभी रूम मिलेगा और बाहर घूमोगे तो पुलिस वाले तंग करेंगे | हमने पूछा की क्यों तो बोला की ताजमहल के बिलकुल पास में रात को किसी को घूमने नहीं देते और आपका होटल बिल्कुल पास में है ताज के | हमने कहा के हमारा रूम बुक है | वो बोला के तब तो ठीक है l हम तीन बजे होटल के बाहर थे | दरवाजा खटखटाया तो एक लड़का बाहर आया | हमने कहा की हमारा कमरा है ,तो उसने कहा की भाई कमरा खाली नहीं है | हमने कहा की नहीं भाई हमने तो पहले से बुक करवा रखा है | तो वो बोला भाई कुछ भी हो रूम नहीं है | काफी देर तक राहुल उससे भिड़ा रहा | लेकिन कोई वो कहता रहा की दस बजे से पहले कोई रूम नहीं है बुक कर रखा है तो जहाँ से किया था वहां जाओ | कोई फायदा नहीं हुआ तो उसने कहा चाहो तो गार्डन में बैठ जाओ | गार्डन में एक छोटा सा रेस्टोरेंट था | कुर्सियां सीधी की और बैठे कर ही मेज पर सो गए l राहुल बार बार हमें दुत्कार रहा था | लेकिन हमारे मन में तो ये था की कम से कम बैठने को तो जगह मिल गयी | फिर जब कुछ रौशनी सी हुई तो एक कपल एक रूम खाली कर के गया | हमने उस लड़के से जो हमें चोकीदार लग रहा था | हमने कहा की भाई अब तो रूम खाली हो गया अब तो दे | उसने कहा की नहीं अभी नहीं दस बजे | लेकिन थोड़ी देर बाद उसने साफ़ करके और चादर बदल कर हमें रूम दे दिया | वैसे भी उनका चेक इन का समय १० बजे था पर उसने हमें ५ बजे रूम दे दिया | मैं सोया नहीं बल्कि फ्रेश होकर बहार निकल गया |
                                            टिकट तो हमारे पास थे ताज के लेकिन ऑनलाइन टिकट में सिर्फ तीन घंटे का समय होता है | हमारा नो से बारह तक था | जबकि काउंटर से ख़रीदे टिकट का समय पूरे दिन का होता है | मैं चाहता था की सूर्योदय हम ताज परिसर में ही देखें  मैं साढ़े पांच बजे जाकर लाइन में लग गया | टिकट मिलने का समय था साढ़े छे बजे का | साढ़े पांच बजे भी मुझसे आगे कई लोग थे | खैर साढ़े छे बजे काउंटर खुला और मेरा नम्बर आया तो मैंने सौ का नोट दिया उसने फेंक कर वापस कर दिया की खुल्ले लाओ | यार जब हैं ही नहीं तो कहाँ से लाऊं खुल्ले ? मैंने कहा चालीस रुपए तू रख पर मुझे टिकट दे | साथ वाली लाइन में जो लड़का था वो हंस पड़ा और सारा मामला गलत करा दिया | वो और भड़क गया शायद बेइज्जती महसूस कर गया जबकि मेरा ऐसा इरादा नहीं था | मुझे मेरा एक घंटा पानी में जाता लग रहा था की एक लड़का साइड से आया और बोला भाई दो टिकट मेरी भी ले दो ना | अब मुझे पांच टिकट मिल गयी | दो उस भाई को दी और उसने मेरा धन्यवाद किया और मैंने उसका |
                                 फिर मैं भाग के होटल गया और नितीश को जगाया | राहुल ने कहा की वो नहा के आएगा | तब तक रिसेप्सन पे वोही लड़का जो हमें चौकीदार लग रहा था नहा धो के बैठा था | असल में वो मनेजर का लड़का था | उसने फार्म भरवाया आईडी प्रूफ की कॉपी लगा के साईन वगरह करवाए | फिर हम दोनों ताजमहल की तरफ चल पड़े | काफी लम्बी लाइन थी | देशी से अधिक विदेशी पर्यटक थे |  लेकिन उनकी लाइन अलग थी | मन में काफी उत्सुकता थी | उस बेहतरीन ईमारत को देखने की जो मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी तीसरी पत्नी अर्जुमंद बानो जिसका दूसरा नाम मुमजाज अधिक प्रचलित है , की याद में बनवाई थी | अजीब बात है प्रेम की मिसाल माने जाने वाली इस जोड़ी का अजीब सत्य ये भी है की मुमताज शाहजहाँ की तीसरी पत्नी थी परन्तु आखिरी नहीं | क्योंकि मुमताज के बाद भी उसने छे विवाह और भी किये थे | मुमताज शाहजहाँ की सोतेली माँ नूरजहाँ के भाई की लड़की थी | हुई तो एक तरीके से मामा की लड़की ही न | पर छोड़िये हमको उनकी रिश्तेदारी में घुसकर क्या करना है ? चिड़िया की आँख पर फोकस करते है | मुमताज हर लड़ाई में या दौरे पर शाहजहाँ के साथ जाती थी | सन १६३१ में जब शाहजहाँ दक्कन के विद्रोह को दबाने के अभियान पर था | तो रस्ते में बुरहान पुर में अपनी चोहदवीं संतान को जन्म देते समय मुमताज की मृत्यु हो गयी |  उस समय उसे वहीँ दफना दिया गया था बाद में उसके अवशेषों को ताज महल में लाया गया था  | अपनी सबसे प्रिय रानी की याद में दुनिया का सबसे शानदार मकबरा बनाने की चाहत ने ही दुनिया को ये नायाब तोहफा दिया |  सन १६३२ में ताजमहल का निर्माण शुरू हुआ और बीस वर्षों में बीस हजार लोगो की मेहनत ने इस सपने को मूर्त रूप दिया | सन १६५२ में ये बन कर तैयार हुआ था | जब ताज को बनाया गया तो उस समय इसमें चार करोड़ रुपए लगे थे जब सोने का मूल्य पंद्रह रुपए तौला था | तो विचार कर के देखिये की जनता पर टैक्स का कितना बोझ बढ़ा होगा | कहते है शाहजहाँ ने उन सब कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे ताकि वे दूसरा ताज न बना सके | मुझे थोडा संदेह है इस बात पर |
                                खैर जो भी हो एक दो घंटे हम पूरा परिसर घूमने और थोड़ी बहुत वाहवाही करने के बाद हम वापस होटल में गए और खाना खाकर वर्ल्ड कप का भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका का मैच देखने लगे | मैच ख़तम करके हम निकल पड़े ताज नेचर वाक् की तरफ | काफी बढ़िया जगह है | पेड़ों के बीच से ताज को देखना काफी अच्छा लगा | शाम को हम आगरा छावनी रेलवे स्टेशन पर थे | हमारी ट्रेन का समय तो दोपहर तीन का था पर हमें पता था की वो रोज चार पांच घंटे लेट होती है तो कोई जल्दी नहीं थी हमें | लेकिन आज तो ट्रेन को जैसे हमसे दुश्मनी हो गयी थी |  छे घंटे लेट , आठ घंटे लेट , दस घंटे लेट | राहुल फिर शुरू हो चुका था की यही ट्रेन मिली थी अगेरा वगेरा | मैं तो जा रहा हूँ | जा भाई ! तेरी यात्रा मंगलमय हो | वो दूसरी ट्रेन में चला गया | भगवान कसम इतनी ख़ुशी मुझे ताज देख कर नहीं हुई थी जितनी राहुल के जाने से हुई |
                             ट्रेन को देखा तो एक एक घंटा करके बारह घंटे लेट आई | चलो आ तो गयी | हमारी मंजिल तक पहुँचते पहुँचते ट्रेन सोलह घंटे लेट हो चुकी थी | मैं तो संकल्प कर चुका था की तूफ़ान एक्सप्रेस में कभी नहीं चढूँगा | अगला दिन ट्रेन की भेंट चढ़ चुका था | न मैं काम कर पाया और ना नितीश ऑफिस जा पाया |

 समाप्त : अब कुछ चित्र देखिये  





Taj Mehal Entrance - ताज परिसर का दरवाजा 



ताज परिसर में सूर्योदय 



ताज के चबूतरे से चारबाग का नजारा 




Visit for Amazing ,Must Read Stories, Information, Funny Jokes - http://7joke.blogspot.com 7Joke
संसार की अद्भुत बातों , अच्छी कहानियों प्रेरक प्रसंगों व् मजेदार जोक्स के लिए क्लिक करें...http://7joke.blogspot.com
Read more...

Saturday, January 31, 2015

TAJ MEHAL - MOST BEAUTIFUL AND POUPLAR PLACE IN AGRA - UP - INDIA

Visit for Amazing ,Must Read Stories, Information, Funny Jokes - http://7joke.blogspot.com 7Joke
TAJ MEHAL - MOST BEAUTIFUL AND POUPLAR PLACE IN AGRA - UP - INDIA

CITY AGRA HAVE A NICK NAME - CITY OF TAJ


The Taj Mahal attracts a large number of tourists. UNESCO documented more than 2 million visitors in 2001, including more than 200,000 from overseas.
Most tourists visit in the cooler months of October, November and February. 
SOURCE - WIKIPEDIA 

ब्लॉग पर एक नयी शुरुआत कर रहे हैं - घूमने के लिए टॉप प्लेसेस , हिस्टोरिकल प्लेसेस की

हिस्टोरिकल टॉप प्लेसेस में हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा पॉपुलर - ताज महल है ,
तो शुरुआत यहीं से करते हैं





अमेरिकन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन  जब ताज महल घूमने आये तो उन्होंने कहा की - दुनिया दो  बांटी जा सकती है - एक जिन्होंने ताज महल देखा और दूसरे वो जिन्होंने ताज महल नहीं देखा

दुनिया में अधिकांश लोग हिंदुस्तान में सबसे पहले  ताज महल देखने आते हैं और यह दुनिया के 7 आश्चर्यों में से एक हैं

Ticket For Taj Mehal :-
Entry Fee For Taj Mahal
S.No. Tourist Type Amount (Rs.) (Inclusive of ASI & ADA fees )
1. Foreign tourist
750/-
2. Citizens of SAARC and BIMSTEC Countries
510/-
3. Domestic/Indian Rs. 20/-

ENTRY FEE FOR VARIOUS MONUMENTS IN AGRA
Monuments For Indian Tourist For Foreign Tourist
A.S.I. A.D.A. Total A.S.I. A.D.A. Total
  Rs. Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.
Taj Mahal 10 10 20 250 500 750
Taj Museum, Taj Mahal 5 Nil 5 5 Nil 5
Agra Fort 10 10 20 250 50 300
Fatehpur Sikri 10 10 20 250 10 260
Akbar's Tomb Sikandra 5 5 10 100 10 110
Mariyam Tomb, Sikandra 5 Nil 5 100 Nil 100
Ram Bagh 5 Nil 5 100 Nil 100
Itmad-ud-Daula 5 5 10 100 10 110
Mehtab Bag 5 Nil 5 100 Nil 100
             
 
Note-
  1. Tourists are supposed to buy both the ASI and ADA tickets to visit the various monuments in Agra.
  2. For All the monuments ASI Charges Indian fee from the nnationals of SAARC and BIMSTEC countries while no such provision has been made ADA tickets.
  3. No entry fee for children below the age of 15 years (both Indian and Foreigner).
  4. Taj Mahal is closed on every Friday.
  5. Agra Development Authority (A.D.A.) does not levy any toll tax on Friday at any monument.
  6. Ticket window & cloak room for Taj Eastern Gate are available at Shilpgram and Cloak room for Taj Western Gate is available at Taj Shopping Complex.

SEE GOVERNMENT OF INDIA TAJ MEHAL OFFICIAL WEBSITE : http://www.tajmahal.gov.in


Latest Updated News about Taj Mehal Tikcet ऑनलाइन मिलेगा ताज महल का टिकट

The Taj Mahal attracts a large number of tourists. UNESCO documented more than 2 million visitors in 2001, including more than 200,000 from overseas.
Most tourists visit in the cooler months of October, November and February. 
SOURCE - WIKIPEDIA



लोग क्या कहते हैं - ताज महल के बारे में :-
What people are saying about Taj Mehal :-


Some of the famous sayings about Taj Mahal are as follows:

• 'You know Shah Jahan, life and youth, wealth and glory, they all drift away in the current of time. You strove therefore, to perpetuate only the sorrow of your heart? Let the splendor of diamond, pearl and ruby vanish? Only let this one teardrop, this Taj Mahal, glisten spotlessly bright on the cheek of time, forever and ever.''-Rabindranath Tagore'

'Bill Clinton once said, `There are two kinds of people in the world. Those who have seen the Taj Mahal and love it and those who have not seen the Taj and love it. I would like people to watch my Taj Mahal and fall in love with it,'

• 'It appears like a perfect pearl on an azure ground. The effect is such I have never experienced from any work of art.''-British painter Hodges'
•'I cannot tell what I think. I do not know how to criticize such a building but I can tell what I feel. I would die tomorrow to have such another over me.''-British officer, Colonel Sleeman's wife'

• 'Did you ever build a castle in the Air? Here is one, brought down to earth and fixed for the wonder of ages'.'-American novelist, Bayard Taylor'

• 'If I had never done anything else in India, I have written my name here, and the letters are a living joy.''-Lord Curzon, the British Governor-General'

Source : Indian Government Website - http://www.tajmahal.gov.in/impression_about_taj.html

Rabindranath Tagore
“The Taj Mahal rises above the banks of the river like a solitary tear suspended on the cheek of time.”
― Rabindranath Tagore

*************************
BLOG QUOTE :-
उत्तर प्रदेश सरकार की पर्यटन में एक बड़ी कमाई सिर्फ और सिर्फ ताज महल से ही होती है , उसके बाद भी आगरा शहर में आपको तमाम जगह गंदगी देखने को मिलगी
*************************


Taj Mehal is a UNESCO HERITAGE MONUMEMENT

Unesco India

Date of Inscription: 1983
Criteria: (i)
Uttar Pradesh, Agra District
N27 10 27 E78 02 32
Ref: 252

HISTORY OF TAJ MEHAL :

**********************************************
TAHMEHAL ART :-
 SOURCE  : WIKIPEDIA
**********************************************

स्थापत्य कला की जीती-जागती तस्वीर आगरा शहर दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जिसे बनाने के लिए बगदाद से एक कारीगर बुलवाया गया जो पत्थर पर घुमावदार अक्षरों को तराश सकता था। इसी तरह बुखारा शहर, जो मध्य एशिया में स्थित हैं, वहां से जिस कारीगर को बुलवाया गया वह संगमरमर के पत्थर पर फूलों को तराशने में दक्ष थाविराट कद के गुंबदों का निर्माण करने के लिए तुर्की के इस्तम्बुल में रहने वाले दक्ष कारीगर बुलाया गया तथा मिनारों का निर्माण करने के लिए समरकंद से दक्ष कारीगर को बुलवाया गया।

Some of the builders involved in construction of Taj Mahal are:

  •     Ismail Afandi (a.k.a. Ismail Khan) - had previously worked for the Ottoman Sultan and is regarded by some as the designer of the main dome.[34]
  •     Ustad Isa, born either in Shiraz, Ottoman Empire or Agra – credited with a key role in the architectural design and main dome.[35]
  •     'Puru' from Benarus, Persia – has been mentioned as a supervising architect.[36]
  •     Qazim Khan, a native of Lahore – cast the solid gold finial.
  •     Chiranjilal, a lapidary from Delhi – the chief sculptor and mosaicist.
  •     Amanat Khan from Shiraz, Iran – the chief calligrapher.[37]
  •     Muhammad Hanif – a supervisor of masons.
  •     Mir Abdul Karim and Mukkarimat Khan of Shiraz – handled finances and management of daily production.




इस प्रकार ताजमहल के निर्माण से पूर्व छ: महीनों में कुशल कारीगरों को तराश कर उनमें से 37 दक्ष कारीगर इकट्ठे किए गए, जिनके देखरेख में बीस हजार मजदूरों के साथ कार्य किया गया। इसी प्रकार ताज निर्माण में लगाई गई सामग्री संगमरमर पत्थर राजस्थान के मकराणा से, अन्य कई प्रकार के कीमती पत्थर एवं रत्न बगदाद, अफगानिस्तान, तिब्बत, इजिप्त, रूस, ईरान आदि कई देशों से इकट्‍ठा कर उन्हें भारी कीमतों पर खरीद कर ताजमहल का निर्माण करवाया गया।

ई. 1630 में शुरू हुआ इसका निर्माण कार्य करीब 22 वर्षों में पूर्ण हुआ, जिसमें लगभग बीस हजार मजदूरों का योगदान माना जाता है। इसका मुख्य गुंबद 60 फीट ऊंचा और 80 फीट चौड़ा है


मुगल बादशाह की मुहब्बत और शिद्दत का परिणाम ही है, 'ताजमहल' जिसे खूबसूरती का नायाब हीरा कहा जाता है। गुंबदनुमा इस इमारत को जब आप सिर उठाकर ऊपर देखते हैं तो इसकी नक्काशीदार छतें और दीवारें किसी आश्चर्य से कम नहीं लगतीं। इसका यह इतिहास तो बच्चे-बड़े सभी की जुबान पर है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी दूसरी पत्नी मुमताज महल की याद में ताजमहल का निर्माण करवाया था।


यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर 'ताजमहल' न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। प्यार की इस निशानी को देखने के लिए दूर देशों से हजारों सैलानी यहां आते हैं |



दूधिया चांदनी में नहा रहे ताजमहल की खूबसूरती को निहारने के बाद आप कितनी भी उपमाएं दें, वह सारी फीकी लगती हैं

















 ताज महल बनने के बाद ताज महल की नक़ल की तमाम इमारतें और बनी - ओरंगजेब ने औरंगाबाद में बीबी का मक़बरा बनवाया 
और कई देशों में ताजमहल की तमाम नकले बनी
TAJ MEHAL REPLICA IN BAGLADESH :-http://en.wikipedia.org/wiki/Taj_Mahal_Bangladesh





आगरा में ताजमहल के अलावा भी कई चीजें देखने लायक हैं :-
जैसे- 1. आगरा फोर्ट (रेड फोर्ट)। आगरा फोर्ट यहां के महत्‍वपूर्ण इमारतों में से एक है। इसका निर्माण ई. 1565 में मुगल सम्राट अकबर ने करवाया था। स्थापत्य कला का यह बेजोड़ नमूना लाल पत्थरों से निर्मित हैं। इसमें जहांगीर महल (दीवाने-ए-खास) भी बना है, जो खूबसूरत शी‍शमहल के रूप में प्रचलित है। 2. फतेहपुर सीकरी। आगरा से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित इस स्थान को अकबर ने अपनी राजधानी बनाया था, जो स्थापत्य की बेजोड़ कलाओं से परिपूर्ण है। 3. मेहताब बाग। यमुना नदी की विपरीत दिशा में ताजमहल' के पास ही बना हुआ है मेहताब बाग। कई तरह के फूलों और अनेक पेड़-पौधों से सुसज्जित होने के कारण विदेशी‍ सैला‍नियों को काफी लुभाता है। 4. रामबाग। रामबाग को बाबर ने 1528 ई. में बनवाया था। यह ताजमहल के उत्तरी भाग में ढाई किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसे मुगलों द्वारा निर्मि‍त सबसे पुराने बागों में से एक माना जाता है। 5. जामा मस्जिद। शाहजहां की बेटी जहांआरा बेगम की याद में सन् 1648 ई. में बनाई गई थी यह जामा मस्जिद। बड़ी ही खूबसूरती से इसके गुंबद भी तराशे गए हैं। इतने वर्षों बाद भी इसकी खूबसूरती जस-की-तस बनी हुई है।

मुमताज महल और शाहजहां की कब्र ताजमहल के निचले हिस्से में आमने-सामने बनी हुई है। आज भी आगरा शहर देशी-विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। खूबसूरत स्थापत्य कला में निर्मित होने की वजह यहां गर्मी हो या ठंड, हर मौसम में पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है। पर्यटन विभाग की ओर से प्रतिवर्ष 'ताज महोत्सव' का आयोजन किया जाता है।


TAJ MEHAL, TOURISM INDIA

संसार की अद्भुत बातों , अच्छी कहानियों प्रेरक प्रसंगों व् मजेदार जोक्स के लिए क्लिक करें... http://7joke.blogspot.com
Read more...