प्रदर्शन कर रहे टीईटी शिक्षकों पर पुलिस का लाठीचार्ज, देखें तस्वीरें
लखनऊ. मंगलवार को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण शिक्षकों द्वारा शहर में हुए विरोध-प्रदर्शन के चलते जमकर लाठीचार्ज हुआ। इसमें कई शिक्षक घायल भी हो गए। गुस्साए लोगों ने बसों को रोककर तोड़फोड़ की। साथ ही प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। इस कारण लोगों को जबरदस्त जाम का सामना करना पड़ा। हुसैनगंज से लेकर हजरतगंज तक चारों तरफ जाम ही जाम को देखने को मिला। इसकी वजह से ट्रैफिक व्यवस्था भी अस्त-व्यस्त हो गई।
कई घंटे बीत जाने के बाद भी सरकार या जिला प्रशासन की ओर से कोई हरकत न देखकर प्रदर्शनकारियों के सब्र का बांध टूट गया और वे 1.30 बजे के आस-पास बर्लिंग्टन चौराहे पर उत्पात मचाना शुरू कर दिए।
प्रदर्शनकारियों ने पांच सिटी बसों पर पथराव किया और उन्हें बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर डाला। इतना ही नहीं गुस्साए इन परीक्षार्थियों ने कई दूसरे निजी वाहनों भी पथराव किया। मामला बिगड़ता देख पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज करने लगी। प्रदर्शनकारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।
घंटों चली इस मुठभेड़ में प्रदर्शनकारियों सहित कई आम लोग भी घायल हो गए। बड़ा मंगल होने की वजह से सड़क पर रोज की अपेक्षा ज्यादा भीड़ थी, ऐसे में इस मुठभेड़ से आम लोग घंटों परेशान होते रहे।
प्रदर्शनकारियों ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में नियुक्ति प्रक्रिया के संचालन में बरती जा रही कथित लापरवाही के खिलाफ प्रदर्शन किया। मंगलवार को भारी संख्या में पहुंचे शिक्षकों की मांग थी कि प्रदेश सरकार इस मामले को संज्ञान में लेकर जल्द कार्रंवाई करे।
दोपहर में विधानसभा पहुंचे टीईटी योग्यताधारियों ने प्रदर्शन कर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि डायट द्वारा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने में लापरवाही बरती जा रही है। कोर्ट ने 72 हजार 825 शिक्षकों की होने वाली नियुक्ति प्रक्रिया को पूरी करने की समय सीमा निर्धारित कर दी है। पर डायट लापरवाही कर रहा है।
शिक्षकों के मुताबिक, आलम यह है कि अभी तमाम आवेदकों के आवेदनों की फीडिंग नहीं कराई जा सकी है। निर्धारित समय-सीमा समाप्त होने में कुछ दिनों का समय शेष रह गया है। इस कारण उनके भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है
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सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च 2014 को 72,825 सहायक शिक्षकों के रिक्त पदों पर प्रदेश सरकार भर्ती संबंधी आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन महीने का वक्त देते हुए कहा था कि ये भर्तियां नवंबर 2011 के विज्ञापन के मापदंडों पर ही हों। सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी शिक्षकों की भर्ती मेरिट के आधार पर करने के लिए राज्य सरकार को तीन महीने का समय दिया है।
बता दें कि 2011 मायावती ने टीईटी के नियमों में संशोधन करते हुए टीचर्स का सेलेक्शन मेरिट के आधार पर कर दिया था। वहीं, 2014 में अखिलेश सरकार ने चयन प्रक्रिया में फेरबदल किया। नए नियम के तहत टीचर्स का चयन एकेडमिक आधार पर किया जाएगा।
टीईटी परीक्षा में धांधली और चयन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई। सरकार की नीतियों के विरोध में टीईटी पास कर चुके कैंडिडेट्स ने कई बार सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी किया
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क्या है शिक्षक पात्रता परीक्षा
टीईटी (Teachers Elijabeliti Test) यानि शिक्षक पात्रता परीक्षा 2009 में जब शिक्षा का अधिकार कानून पारित किया गया। इसके तहत यह तय कर दिया गया कि टीचर बनने के लिए टीईटी परीक्षा पास करना का जरूरी होगा। नए टीचर्स का सेलेक्शन टीईटी पास करने के बाद एकेडमिक आधार पर किया जाएगा। टीईटी का टेस्ट वही कैंडिडेट्स दे सकते हैं, जिन्होंने बीएड या बीटीसी किया हो।
राज्य में प्राइमरी टीचर बनने के इच्छुक अभ्यर्थियों को टीईटी पास करना जरूरी होगा। वहीं, केंद्रीय विद्यालयों में टीचर बनने के लिए सीटीईटी (Central Teachers Elijabeliti Test) पास करना अनिवार्य होगा।
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क्या है इनकी मांगें
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी मेरिट के आधार पर शिक्षकों की भर्ती 12 सप्ताह में करने का आदेश दिया है। दस सप्ताह निकल चुके हैं, फिर भी राज्य सरकार इस पर खामोश है, और कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
उधर, प्रदेश सरकार या जिला प्रशासन की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। बताते चलें कि राज्य सरकार ने कई बार भर्ती प्रक्रिया के लिए समय बढ़ाए जाने की बात कही है।
News Source / Sabhaar : dainikbhaskar.com | Jun 03, 2014, 16:17PM IST
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शर्मनाक ! बर्बर !! दुखद !!!अमानवीय !!!! स्तब्धकारी !!!!ले डूबेगा घमण्ड, ले डूबेगा : अमिताभअग्निहोत्री, मैनेजिंग एडिटर, समाचार प्लसकहना पड़ रहा है कि आज का दिन उत्तरप्रदेश के इतिहास का एक काला दिन रहा।सरकार की नाक के नीचे लखनऊकी सड़कों पर सरकार की हैवानियत, पुलिसकी क्रूरता और लोकतान्त्रिक मूल्यों औरमानवाधिकारों की सरेआम धज्जियां उड़तेदेखकर न जाने कैसे, आँखे नम नहीं हुई,बाकायदे छलक पड़ी हैं। समाचार प्लस परअभी अभी लाइव डिबेट के साथ दिखाईजा रही तस्वीरों और वीडिओ क्लिपिंग्स मेंपुलिस वालों को कसाईयों की तरह सेबेरोजगारों पर लाठियाँ चलाते, सड़क परगिराकर मारते, डंडे से कोंचते, धकियाते औरहर संभव तरीके से प्रदर्शनकारियोंकी गरिमा पर आघात करते देखा, कलेजा मुँहको आ रहा है। जब दूर बैठे मुझ जैसे का येहाल है तो यह जुल्म झेलने वाले इननौजवानो और इनसे खून का रिश्ता रखने वालेइनके परिजनों पर क्या बीती होगी ?अखिलेश-मुलायम-शिवपाल-अाजम,तुम्हारा कुनबे समेत बहुत बुरा अंत होगा,मौत के पहले तुम्हारे शरीरों पर कीड़े पड़ेतो ही मेरे ह्रदय को वास्तव मेंसान्त्वना मिल पायेगी। यदि मैंने जीवन मेंमैंने एक भी अच्छा काम किया हो तो ईश्वरमेरी इच्छा पूरी करे।हफ्ते भर पहले प्रदेश के हर जिले मेंजिलाधिकारी को ज्ञापन के माध्यम से टेटसंघर्ष मोर्चा ने पहले मुख्यमंत्री सेसर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार 12हफ़्तों में 72825 प्राथमिकशिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी करनेकी मांग की और ऐसा न होने पर 3 जून2014 को विधानसभा के घेरावकी चेतावनी दी। शासन-प्रशासन की ओर सेकोई सकारात्मक प्रतिक्रिया न आने परदो साल से सड़क से लेकर अदालत तक लड़तेचले आ रहे और और अब अपने हाथों में अपनेपक्ष में सर्वोच्च न्यायालय का आदेश लिएबेरोजगार जब हजारों की तादाद में सडकों परलोकतान्त्रिक तरीके से अपनी माँग रखने औरविरोध जताने उतरे तो सरकारी गुंडों ने उनपरउस बेरहमी से ऐसा हमला किया मानो येसरकार और इसके पिट्ठू घात लगाकरइसी मौके का इंतज़ार ही कर रहे थे।समझ नहीं पा रहा हूँ कि ये क्या था? पहलेतो ये अतिरंजित फ़िल्मी दृश्य सा लगा,लेकिन मैं स्तब्ध रह गया कि हे भगवान !! येआज के दिन लखनऊ की सडकों परका नज़ारा था! ये लोकतंत्र है? ये चुनी हुईसरकार है ? ये पढ़े-लिखेयुवा मुख्यमंत्री का शासन है ? हमने इननिर्लज्ज, निरंकुश और क्रूरतानाशाहों को शासन के लिए चुना है ?सड़को पर उतरे युवा क्या आतंकी थे ?क्या ये लावारिस जानवर थे ?क्या प्रजातांत्रिक देश के नागरिक के तौर पेइनकी कोई गरिमा या अधिकार नहीं थे ? ४६डिग्री तपती दोपहर में क्या अपने परिजनों परये जुल्म देखकर आज हजारों माँ-बाप, भाई-बहन, बीवी-बच्चे बेबसी के आंसू रोये होंगे ?क्या वे कोई अवैध मांग या जिद कर रहे थे?क्या उनके आने की पूर्व सूचना हफ़्तों पहलेसे नहीं थी? क्या उनकी मांगों पर विचारकरके उन्हें संतोषजनक आश्वासननहीं दिया जा सकता था ?क्या किसी मंत्री या सचिव को इनसे बातकरने में इतनी परेशानी थी कि इनसे बातकरके मामले के शांतिपूर्ण और सकारात्मकसमाधान के बजाय सडकों पर इनसेपुलिसिया गुंडई से निपटना ज्यादा बेहतरसूझा ?
ReplyDeleteशर्मनाक ! बर्बर !! दुखद !!!अमानवीय !!!! स्तब्धकारी !!!!ले डूबेगा घमण्ड, ले डूबेगा : अमिताभअग्निहोत्री, मैनेजिंग एडिटर, समाचार प्लसकहना पड़ रहा है कि आज का दिन उत्तरप्रदेश के इतिहास का एक काला दिन रहा।सरकार की नाक के नीचे लखनऊकी सड़कों पर सरकार की हैवानियत, पुलिसकी क्रूरता और लोकतान्त्रिक मूल्यों औरमानवाधिकारों की सरेआम धज्जियां उड़तेदेखकर न जाने कैसे, आँखे नम नहीं हुई,बाकायदे छलक पड़ी हैं। समाचार प्लस परअभी अभी लाइव डिबेट के साथ दिखाईजा रही तस्वीरों और वीडिओ क्लिपिंग्स मेंपुलिस वालों को कसाईयों की तरह सेबेरोजगारों पर लाठियाँ चलाते, सड़क परगिराकर मारते, डंडे से कोंचते, धकियाते औरहर संभव तरीके से प्रदर्शनकारियोंकी गरिमा पर आघात करते देखा, कलेजा मुँहको आ रहा है। जब दूर बैठे मुझ जैसे का येहाल है तो यह जुल्म झेलने वाले इननौजवानो और इनसे खून का रिश्ता रखने वालेइनके परिजनों पर क्या बीती होगी ?अखिलेश-मुलायम-शिवपाल-अाजम,तुम्हारा कुनबे समेत बहुत बुरा अंत होगा,मौत के पहले तुम्हारे शरीरों पर कीड़े पड़ेतो ही मेरे ह्रदय को वास्तव मेंसान्त्वना मिल पायेगी। यदि मैंने जीवन मेंमैंने एक भी अच्छा काम किया हो तो ईश्वरमेरी इच्छा पूरी करे।हफ्ते भर पहले प्रदेश के हर जिले मेंजिलाधिकारी को ज्ञापन के माध्यम से टेटसंघर्ष मोर्चा ने पहले मुख्यमंत्री सेसर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार 12हफ़्तों में 72825 प्राथमिकशिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी करनेकी मांग की और ऐसा न होने पर 3 जून2014 को विधानसभा के घेरावकी चेतावनी दी। शासन-प्रशासन की ओर सेकोई सकारात्मक प्रतिक्रिया न आने परदो साल से सड़क से लेकर अदालत तक लड़तेचले आ रहे और और अब अपने हाथों में अपनेपक्ष में सर्वोच्च न्यायालय का आदेश लिएबेरोजगार जब हजारों की तादाद में सडकों परलोकतान्त्रिक तरीके से अपनी माँग रखने औरविरोध जताने उतरे तो सरकारी गुंडों ने उनपरउस बेरहमी से ऐसा हमला किया मानो येसरकार और इसके पिट्ठू घात लगाकरइसी मौके का इंतज़ार ही कर रहे थे।समझ नहीं पा रहा हूँ कि ये क्या था? पहलेतो ये अतिरंजित फ़िल्मी दृश्य सा लगा,लेकिन मैं स्तब्ध रह गया कि हे भगवान !! येआज के दिन लखनऊ की सडकों परका नज़ारा था! ये लोकतंत्र है? ये चुनी हुईसरकार है ? ये पढ़े-लिखेयुवा मुख्यमंत्री का शासन है ? हमने इननिर्लज्ज, निरंकुश और क्रूरतानाशाहों को शासन के लिए चुना है ?सड़को पर उतरे युवा क्या आतंकी थे ?क्या ये लावारिस जानवर थे ?क्या प्रजातांत्रिक देश के नागरिक के तौर पेइनकी कोई गरिमा या अधिकार नहीं थे ? ४६डिग्री तपती दोपहर में क्या अपने परिजनों परये जुल्म देखकर आज हजारों माँ-बाप, भाई-बहन, बीवी-बच्चे बेबसी के आंसू रोये होंगे ?क्या वे कोई अवैध मांग या जिद कर रहे थे?क्या उनके आने की पूर्व सूचना हफ़्तों पहलेसे नहीं थी? क्या उनकी मांगों पर विचारकरके उन्हें संतोषजनक आश्वासननहीं दिया जा सकता था ?क्या किसी मंत्री या सचिव को इनसे बातकरने में इतनी परेशानी थी कि इनसे बातकरके मामले के शांतिपूर्ण और सकारात्मकसमाधान के बजाय सडकों पर इनसेपुलिसिया गुंडई से निपटना ज्यादा बेहतरसूझा ?
ReplyDeleteAkhiles ki ma'a Randi.saala kutta. Dada hua land dedo iski wife ko.saala madharchod
ReplyDeleteAkhiles ki ma'a Randi.saala kutta. Dada hua land dedo iski wife ko.saala madharchod
ReplyDeleteउत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव से जनता यह जानना चाहती है कि 72825 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति वो क्यों नहीं कर रहे हैं????
ReplyDeleteक्या कोई ऐसा कारण है जिसे वो जाहिर नहीं करना चाहते? ?????
अगर हथियार रख दूँ मै
ReplyDeleteनिवाला छीन लेगेँ ये
मेरे हक पे जमाने भर ने दावा जो ठोक रक्खा है
जो लोग आंदोलन में नहीं गए किन्तु फोन से या इनबॉक्स में भर्ती की प्रगति के बारे में पूछते है उन्हें कोई हक़ नहीं यह पूछने का की भर्ती कब हो रही है आखिर जब तुम्हारे पास असीम संयम है घर बैठ कर इन्तजार करने का ओर सरकार पर इतना ही भरोसा है तो ढाई साल झेला तो जिंदगी भर सरकार को अब झेलो ;जिन्हे सब्र नाही था उन्होंने आंदोलन किया ; आज का दिन इंटरनेट पर यह सिद्ध करना होगा की आप केवल इंटरनेट ही नहीं आंदोलन में भी भाग लेते है 'अगर है कोई प्रमाण तो शो करो
ReplyDeleteहमें यह खुद को और अन्य लोगो को यह समझाना है की ....ये सभी भर्र्ति में कम से कम प्रति सीट दस लाख रुपया कामना चाहते है…. इसी लिए ये आज तक किसी की भी भर्र्ति को शाशनादेश नहीं जारी कर पा रहे है …असली दुश्मन हम खुद नहीं बल्ल्कि यह अकाल-लेस्स गोबर-मेंट है ,,,और तीन साल से इस गोबर-मेंट ने अपने नाकारा बाप को देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए हमें अपनों से कभी जाती के नाम पर,कभी शिक्षामित्र के नाम पर,कभी अकादमिक और टेट के नाम पर लड़ाया है,,..ये अपने सिवा और किसी का भला नहीं चाहते ,, ...
ReplyDeleteइस लिए हमें आपसी एकता बना कर इनसे अपना हक़ लेने का प्रयास करना चाहिए ....
कल के सफल आंदोलन के बाद भी सभी टेट वीरो के मन में निराशा अच्छी नहीं लगती ,,..
ReplyDeleteहमारे तीन जून आंदोलन को सफल बनाने वाले साथिओ का बलिदान बेकार नहीं गया है...
यद्द्यपि तीन जून आंदोलन का परिणाम हमारी आशा के अनुकूल नहीं रहा है ,,पर
निराश तो गोबर-मेंट वाले है --इसी लिए उसने कल की मीटिंग में जनता को उल्लू बनाउिन्ग वाली लैपटॉप वितरण और बेरोजगार भत्ता योजना को बंद करने का निर्णय लिया है ,,
हम इस अत्त्यचारी गोबर-मेंट के आगे हार नहीं मानेंगे ,,,,
अति महत्वपूर्ण.........
ReplyDeleteहमारे टेट साथियो, विभिन्न संचार पत्रो,एवं अन्य स्रोतों के अनुसार हमारे ३२ साथियो को पुलिस ने पकड़ा हुआ है, उनके ऊपर पुलिस ने विभिन्य अजमानतीय धाराओ मे मुकदमा कायम किया है, ये अभ्यर्थी लखनऊ मे शांतिपूर्वक भर्ती सुरु कराने के लिए आपके साथ धरना देने आये थे आप सभी तो लौट गए पर ये यही फंस गए
शायद हम शिक्षक ही शांति प्रिय होते है तभी तो हमे दोडा दोडा कर पिटा जाता है।
ReplyDeleteअब एक और आन्दोलन करो और इस बार हम सब लाठी लेकर हमला बोलेंगे।
क्योकि अब job भले ही ना मिले पर दिल पर जो अघात पंहुचा है
उससे निपटने का यही एक तरीका है।
असे लगता है जैसे आत्मसम्मान कहीं खो गया है।
शायद हम शिक्षक ही शांति प्रिय होते है तभी तो हमे दोडा दोडा कर पिटा जाता है।
ReplyDeleteअब एक और आन्दोलन करो और इस बार हम सब लाठी लेकर हमला बोलेंगे।
क्योकि अब job भले ही ना मिले पर दिल पर जो अघात पंहुचा है
उससे निपटने का यही एक तरीका है।
असे लगता है जैसे आत्मसम्मान कहीं खो गया है।
राजनाथ सिंह के सुपुत्र पन्कज सिंह ने s s p से बात कर सभी लोगों को देर रात रिहा करवाया ; राहुल तिवारी तिवारी
ReplyDeleteक्या अब भी आपको लगता है कि लोकसभा में हमने गलत जगह वोट दिया ?
लडकी-तुम मुझे कितना प्यार करते हो???
ReplyDelete.
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लडका- मुझे तुमसे प्यार इतना....
उत्तर प्रदेश मेँ अपराध जितना..,
लडकी- wooww...
सच बता ?
यार इतना प्यार करते हो तुम मुझसे
मुझे अंदाजा नही था
आइ लव यू टू थ्री फोर फाइव सिक्स सेवन एट
अब हमे ये करना चाहिए
ReplyDelete1. HRD मंत्री से मिलकर
उन्हे अपनी बात बताये
2. PM मोदी से खुद मोर्चे को लोगो को
मिलना चाहिए
3.SC के CJ से मिलकर
उन्हे पूरी बात बतानी चाहिए
4. PMO के बाहर धरना और अनशन
5. राष्ट्रपति से मिलना
जैसी टेढ़ी नाक वैसी टेढ़ी सोच।
ReplyDelete3 से 6 आनलाईन रहे
ReplyDeleteन्युज आयेगी उसी समय नेता जी का दिल 72825 के प्रती नरम हो गया हैँ
hi
ReplyDeleterightly said.
ReplyDeletethose not participated in the aandolan have no right to get any type of infomation about recruitment.
ReplyDeleteHamare sathi jo police dwara pakde gaye the
ReplyDeleteAger wo nahi chhoote hai to unke liye morcha rihayi ka prayas kare
Hame unaka sath dena hoga .
aisi khabar hai ki woh log raat main choot gaye.
ReplyDeleteAare bewkuf ka tum concelling karne wale ho jo kah rahe hi ki tumko pucchne ka hak nahi hai najane apne aap ko kya sajhhate ho con....gov karegi aur suprem cort ke nirdesh per tum galt fahmi me mat raho ki tumhari wajah se con....hone wali hai yah bhram nikal do aur dusro ke commmet ko padna sikho
ReplyDeleteAare bewkuf ka tum concelling karne wale ho jo kah rahe hi ki tumko pucchne ka hak nahi hai najane apne aap ko kya sajhhate ho con....gov karegi aur suprem cort ke nirdesh per tum galt fahmi me mat raho ki tumhari wajah se con....hone wali hai yah bhram nikal do aur dusro ke commmet ko padna sikho
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