STATE BANK Of INDIA (SBI)
Central Recruitment & Promotion Department (CRPD) Corporate Centre, Mumbai
Advertisement No. CRPD/ABCL/2014-15/07
Recruitment of Clerical Cadre in Associate Banks of State Bank of India
Central Recruitment & Promotion Department, State Bank of India, Corporate Centre, Mumbai invites Online applications from Indian citizens for appointment of following 6425 Clerical Cadre posts in Associate Banks of State Bank of India.
- Clerical Cadre : 6425 posts (SC-1048, ST-413, OBC-1663, UR-3301) in various states (SBBJ-1000, SBH - 2200, SBM-725, SBP-1200, SBT-1300), Pay Scale : Rs. 7200 - 19300/-, Age : 20-28 years as on 01/12/2014. Age relaxation as per Govt. rules., Qualification : A degree (Graduation level) or equivalent from a recognised university.
Application Fee : Rs. 600/- (for SC/ST/PWD/XS Rs.100/- only) to be deposited in any branch of SBI and get receipt. Details of the payment should be entered in online application form.
How to Apply : Apply Online at SBI website between 20/11/2014 and 09/12/2014.
Important Dates:-
Starting Date for Online Application:- 20th Nov 2014
Closing Date for Online Application:- 9th Dec 2014
Last Date for Deposit Application Fee Online:- 20th Nov to 9th Dec 2014
Last Date for Deposit Application Fee Offline:- 20th Nov to 11th Dec 2014
For More Details Download:-
Advertisement & Apply Online for Clerical Cadre Posts in SBI
Helpline Contact Details:-
Toll free Number:- 1800 11 2211, 1800 425 3800
OR
Toll Number:- 080 - 26599990, These Numbers can be access from all landlines & mobile phones
- Tele-fax:- 022 - 2282 0427
- Fax:- 022 - 2282 0411
- e-mail:- crpd@sbi.co.in
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शुभ प्रभात मित्रों !.
ReplyDelete.
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सरकार ने पहले चाहे जो भी किया हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से जो सबसे बेहतर कर सकती थी किया है ,,, कोई माई का लाल गलत तरीके से 72825 में घुस गया तो बिना उसे बाहर करवाए salary नहीं लूँगा ,,,, बिना प्रमाण के किसी पर आरोप लगाने का मैं समर्थन नहीं कर सकता और प्रमाण तभी मिल सकता है जब scert & nic किसी फर्जी को clearence दे दे ,, nic राज्य सरकार की संस्था ना होकर केंद्र की है इसलिए राज्य सरकार चाहे भी तो उसे दबाव में नहीं ले सकती ,,,
Ye bat to sero wali kh di weldone lage raho
Delete15/11/14 को SCERT निदेशक के साथ हुई मीटिंग में औपबंधिक वालों के लिए स्पष्ट निर्देश हैं कि वे अभ्यर्थी जिनके मूल आवेदन डाइट में मौजूद हैं,उनके द्वारा मूल आवेदन में दर्ज समस्त शैक्षणिक विवरण उनके मूल अभिलेखों से मिलान करना चाहिए,जाति के सन्दर्भ में जाति प्रमाण पत्र मूल आवेदन में अंकित जाति से मिलान करना चाहिए,शिक्षामित्र है तो उसका विवरण मूल आवेदन में होना चाहिए और सम्बन्धित प्राचार्य एवं खंड शिक्षा अधिकारी से इस आशय से प्रमाणपत्र होना चाहिए,विकलांग होने की स्थिति में मूल आवेदन में इसका आशय होना चाहिए और निशक्तजन प्रमाण पत्र होना चाहिए,भूतपूर्व सैनिक होने की स्थिति में मूल आवेदन में इसका विवरण होना चाहिए और सम्बन्धित कोर का प्रमाण पत्र होना चाहिए।
ReplyDeleteअगर ये समस्त शर्तें पूरी होती हैं तो औपंधिक को ओके करके ही एक्सेल शीट में उसका विवरण शामिल करके scert को प्रेषित किया जाये।
याद रहे प्रत्यावेदन के वक़्त ही समस्त आवेदन पत्रों को स्कैन करवा के scert पहले ही मंगा चुकी है तथा बाद में कोई फॉर्म डाइट में जमा न करा दे इसी वजह से समस्त आवेदनों की एंट्रीज़ करवा के उस एंट्री रजिस्टर के अंतिम पन्ने की ज़ेरॉक्स BSA और डाइट प्राचार्य की स्टाम्प सहित भी उसी वक़्त SCERT मंगा चुकी है।
समस्त सूचना मथुरा डाइट प्राचार्य डॉ. मुकेश अग्रवाल जी के साथ वार्ता से निकली है।
:):):)
Deleteकल के कोर्ट केस अपडेट इस प्रकार हैं ;
ReplyDelete१. सरिता शुक्ला द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में एक रिट (WRIT A - 60660/2014) दायर की गयी जोकि २०११ शासनादेश के अनुसार शिक्षामित्रों के बची हुई सीटों को अन्य को देने की गुहार की गयी है, इस पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने सरकार को ३ दिन के अन्दर ज़वाब दाखिल करने का निर्देश दिया है..
२. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर रिट संख्या ९९६८-९९६९ आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी और दूरस्थ बी एड को २००७-०८ की विशिष्ट बी टी सी भर्ती में वैध करार दिया है.. इस निर्णय का prt भर्ती में भी असर पड़ना तय है और मेरे अनुसार अब prt में भी दूरस्थ बी एड वाले automatically वैध हो गए हैं..
३. कल सुप्रीम कोर्ट में राम प्रकाश/state of up केस में आज सुनवाई नहीं हो पाई और आज की date लगी है तथा इस मामले की सुनवाई कल कोर्ट नंबर ६ में १ नंबर पर होगी..
धन्यवाद !!
Ek Taraf to Ham Jan Lok Pal / Majboot RTI Ka Samarthan Karne Vaale Ko Vote Dete Nahin Hai,
ReplyDeleteFir Kehte Hain Dhandhlee Ho Rahee Hai,
Halanki Muje 72825 Mein Bahut Kam Hee lagta Hai ki Koee Dhandhlee Se Entry Pa Jayegaa, Aniyamittaa Jaroor Ho Saktee hai.
Jaise Photo State se Koee Galat Counseling Kara Jaye, Farjee TET Marksheet bana kar entry pane kee kosish kare.
Agar Kisee Ne RTI se TET MARKS KEE CD MANGEE HOTEE SHAYAD MILTEE
टेट मोर्चा और उसके सभी सक्रिय सदस्य बराबर प्रयास कर रहें हैं और विभाग भी बराबर कह रहा है की अभी सिर्फ कौन्सेल्लिंग हो रही है ,और फाइनल चयन में टेट के मार्क्स जांच कर ही लिस्ट फाइनल होगी ।
ReplyDeleteन सिर्फ टेट मार्क्स बल्कि highschool ,inter ,graduation और बी एड के भी सभी अंक पत्रों और प्रमाणपत्रों की सूक्ष्म जांच कराई जाएगी । क्यूंकि जांच करना भी प्रक्रिया का ही एक भाग है ।
इसके अलावा निवास प्रमाणपत्र और जाति प्रमाणपत्र भी जांचे जायेंगे ।
जिन लोगों के प्रमाणपत्रो अंक पत्रों में विसंगतियां पायी जाएँगी उन्हें इस प्रक्रिया से बाहर किया जायेगा ।
यह सब एक व्यवस्थित प्रक्रिया का हिस्सा होता है और क्रमबद्ध तरीके से किया जाता है और पर्याप्त समय लेता है ।
इसलिए सभी टेट बन्धुवर संयम बनाये रखे ।
ईश्वर शिक्षा मंत्री की पत्नी की आत्मा को शांति दे .....
ReplyDeleteहालाँकि ऐसा पोस्ट करने का सही समय नहीं है पर बहुत दुःख होता है जब हमारे टेटियन भर्ती में पारदर्शिता ना होने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं उन की डेथ पर शोक भी व्यक्त नहीं किया जाता, और गैरों के साथ पूरा टेट मोर्चा सम्बेदना व्यक्त कर रहा है ।
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साथियों,बड़े ही दुःख के साथ सूचित करना पड़ रहा हे कि हमारे बेसिक शिक्षा मंत्री श्री रामगोविंद चौधरी जी कि धर्मपत्नी का आज स्वर्गवास हो गया,दुःख कि ईस घड़ी में tet संघर्ष मोर्चा मंत्री जी के साथ सहभागी हे, और हम सब ईश्वर से प्राथना करते हें कि दिवंगत कि आत्मा को शांति दे और उनके परिवार को दुःख सहने कि क्षमता प्रदान करे । ॐ शांति ॐ ।
अति आवश्यक सुचना
ReplyDelete.
कपिल
देव
कहिन
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आज अपना केस फाइनल सुनवाई के लिये लग गया है। टीम बहुत मुश्किल आर्थिक हालत में है। आज वकील की फीस देना है और मेरे एकाउंट में केवल ८०००० तक ही है। आज अगर वकील की फीस नहीं दी गयी तो वकील खड़े नहीं होंगे और हम आज केस हार जायेंगे। इसलिए सुबह सभी एकेडमिक समर्थक बैंक खुलते ही तुरंत पैसा मेरे एकाउंट में लगा दे नहीं तो अगर मै वकील को फीस नहीं दे सका तो हमारे वकील नहीं खड़े होंगे और आज के बाद एकेडमिक की कोइ उम्मीद नहीं बचेगी। दोस्तों मैंने तन मन धन से बहुत लड़ लिया, लड़ रहा हूँ, लेकिन अब एकेडमिक की जीत की उम्मीद को ज़िंदा रखने की उम्मीद आपके हाथ में है. इसीलिए जिनसे हो सके वकील की फीस में मदद के लिए पैसा आनलाइन ट्रांसफर कीजिये और बाकी एकेडमिक समर्थक हर हाल में सुबह दस बजे बैंक खुलते ही मदद कीजिये।
आज इमरजेंसी में एकेडमिक के जीत के लिए मुझे आपके मदद की जरूरत है। आपके एकेडमिक टीम को आपके कपिलदेव यादव को आपके मदद की जरूरत है।
A woman shall not wear a man’s garment, nor shall a man put on a woman’s garment, for whoever does these things is an abomination to the LORD your God.
ReplyDeleteDeuteronomy 22:5
अब जब जखमों को अपने ढक कर चलने लगा हूँ
ReplyDeleteतो आजकल के लोगों के लहजों में ही नमक झलकता है.
BYE
BYE
Agra se b.ed. karne walo ke liye bad news hai . unko ek nayi nautanki jhelni pad sakti hai---
ReplyDeleteअंबेडकर विवि से 10 साल का रिकार्ड गायबआगरा, वरिष्ठ संवाददाता
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अंबेडकर विवि से 10 साल का रिकार्ड गायब हो गया है। यह रिकार्ड सॉफ्ट कॉपी के रूप में होना चाहिए था। बुधवार को हाईकोर्ट में (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) एसआईटी की पेशी है। मंगलवार को लखनऊ से दिनभर रिकार्ड के बाबत पूछताछ होती रही। सबसे ज्यादा गड़बड़ी बीएड में है। 2006 के बाद के सभी चार्ट फर्जी साबित हुए हैं।हाईकोर्ट के आदेश पर कई महीनों से एसआईटी की जांच चल रही है। मार्कशीट के फर्जीवाड़े और नंबरों के घोटालों पर हाईकोर्ट सख्त है। एसआईटी अभी तक कई बार विवि आकर पड़ताल कर चुकी है। तमाम अभिलेख कब्जे में लिए हैं। अधिकारी और कर्मचारियों के कलमबंद बयान भी हो चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक एसआईटी को सबसे ज्यादा गड़बड़ी 2000 से लेकर 2010 के बीच में मिली है। इस दौरान विवि में रिकार्ड फर्जीवाड़ा हुआ। 1998 से विवि में कम्प्यूटरीकृत रिजल्ट प्रक्रिया शुरू की गईथी। इस लिहाज से विवि के पास इन सालों के रिजल्ट की ‘सॉफ्ट कॉपी’ होनी चाहिए थी। मंगलवार को एसआईटी के अधिकारियों ने कुलसचिव प्रभात रंजन से इसके बारे में पूछा।रंजन ने उन्हें बताया कि विवि में ऐसा कोई रिकार्ड नहीं है। पुराने अधिकारियों ने इसे सुरक्षित ही नहीं कराया। विवि लगातार एजेंसियां बदलता रहा। अपना कोई सर्वर नहीं रखा। डिजीटल डाटा को सुरक्षित नहीं किया गया। डिजीटल डाटा इसलिए मांगा जा रहा है, ताकि मैनुअल चार्टो से इसका मिलान किया जा सके। विवि से डाटा गायब होने की जानकारी पर एसआईटी के अधिकारी ‘लाल’ हो गए हैं। बुधवार को हाईकोर्ट में उनकी पेशी है। अदालत टीम से अब तक की जांच पर जवाब तलब करेगी, जबकि एसआईटीइन सालों का डाटा लेने में नाकामयाब रही है। विवि अधिकारियों के होश भी उड़े रहे हैं। देर शाम तक रजिस्ट्रार के अलावा डीआर केएन सिंह, एआर रामवृत राम फंसे रहे।बीएड के 2006 के बाद के चार्ट फर्जीबीएड में महाघोटाले हुए हैं। विवि में 2006 तक के मैनुअल चार्ट मौजूद हैं। यह हाथ से तैयार किए गए हैं। इसके बाद कम्प्यूटर के चार्ट आए। इन पर किसी सक्षम अधिकारी के दस्तखत नहीं हैं। चेकर और बनाने वाले तक के दस्तखत नहीं पाए गए हैं। एसआईटी ने इन्हें फर्जी करार दिया है। इसके बारे में रजिस्ट्रार से देर शाम तक पूछताछ चलती रही।लगभग 500 चार्ट इधर-उधर कर दिएबीएड के लगभग 500 मैनुअल चार्ट गायब या इधर-उधर कर दिए गए हैं। विवि में इनका कहीं पता नहीं चल सका है। एक पन्ने पर करीब 24 छात्रों का डाटा होता है। इस लिहाज से हजारों पन्ने गायब किए गए हैं। रजिस्ट्रार समेत कई अधिकारियों की टीम देर शाम तक इसका गणित लगाती रही। एसआईटी ने इसे कुलसचिव की जिम्मेदारी बताया है।नप सकते हें कई पूर्व कुलसचिवइस लापरवाही पर विवि के कई पूर्व कुलसचिव नप सकते हैं। 2000 से लेकर 2010 तक बड़े-बड़े नामी रजिस्ट्रार विवि में रहे हैं। इनके कृपापात्र शिक्षक और कर्मचारियों ने करोड़ों रुपये कमाए। जमीनों में लगाए। अधिकतर रीयल एस्टेट कारोबार में कूद गए हैं।इस बीच रहे रजिस्ट्रारडॉ. शैलेन्द्र नाथ चतुर्वेदी (17 अक्टूबर 95से 18 अप्रैल 2002)डॉ. बीएल आर्या (18 अप्रैल 2002 से 18 नवंबर2003)जगत सिंह (18 नवंबर 2003 से 10 मई 2005)राम कुमार (10 मई 2005 से 19 जुलाई 2005)वीके सिन्हा (19 जुलाई 2005 से 06 अक्टूबर 2006)शिवपूजन सिंह (06 अक्टूबर 2006 से 19 जून 2007)सतीश चंद शर्मा (19 जून 2007 से 01 फरवरी 2008)प्रो. हरिमोहन शर्मा (01 फरवरी 2008 से 06 मई 2008)बीआर कनौजिया (07 मई 2008 से 31 अगस्त 2008)बालजी यादव (11सितंबर 2008 से 03 मई 2009)ओएन सिंह पीसीएस (04 मई 2009 से 04 अगस्त 2009)सीबी सिंह पीसीएस (05 अगस्त 2009 से 22 सितंबर 2009)शत्रुघ्न सिंह पीसीएस (23 सितंबर 2009 से 23 मार्च 2011)कस्टोडियन होने के नाते विवि के सभी रिकार्डसुरक्षितरखना रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी है। पुराने अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया। अबहमें भुगतना पड़ रहा है। अब हम पुराना रिकार्ड समेटने की कोशिश कर रहे हैं।प्रभात रंजन, कुलसचिव अंबेडकर विवि
उस जीवन के वचन
ReplyDelete.
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."फिर उन में यह विवाद होने लगा, कि हम में से बड़ा कौन है? पर यीशु ने उन के मन का विचार जान लिया : और एक बालक को लेकर अपने पास खड़ा किया। और उन से कहा; जो कोई मेरे नाम से इस बालक को ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है; और जो कोई मुझे ग्रहण करता है, वह मेरे भेजने वाले को ग्रहण करता है क्योंकि जो तुम में सब से छोटे से छोटा है, वही बड़ा है।''
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लूका 9:46-48
Pta nhi,
ReplyDelete.
Kis cheez k, koun se nshe me yah baat bhri sbha me kah di gaee jo ki isi maah asambhaw hai.
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Kal Vidhan-sbha me prashna kaal k douraan B.S.M R.G.C mahoday ne btaya ki prt 72,825 aur jrt 29,335 ki niyukti ka kaarya isi maah poora ho jaayegi.
Umashankar ji nato aap blog per hi baat kar rahe hai aur na phone se. Akhir baat kya hai.baat to kijiye.rajesh pandey mumbai
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआज आप सबको बता दूँ कि आज हम बहुत खुश हैं...
ReplyDelete.
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क्योंकि
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पिछले साल का कोट
निकाला उसमे से 20/- रूपये मिले।
आज तो सबकी दावत है ! !
हुर्रे ! ! !
मेली दावत मे तू भी जलूल जलूल अइयो फिल तू ई न कइयो कि बतायो नाही !
सुन रे , मनु तू भी अईयो !
संपर्क सूत्र :-9758498306
मौत तो यू ही बदनाम है...
ReplyDeleteअसली दर्द तो राजाई के अंदर मोबाइल का auto rotation ही देता है
शादी के अगले दिन ही अचानक पति
ReplyDeleteअपनी बीवी को पीटने लगा...
लोगों ने पूछा क्यों मार रहे हो बेचारी
को ?
पति ने बोला ... इसने मेरी चाय में
ताबीज़ डाला है मुझे बस में करने के
लिए !
मुझे मेरी माँ से दूर करना चाहती है।
बीवी रोते हुए गुस्से में बोली
वो ताबीज़ नहीं Tea Bag है
गंवार कहीं के !
बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी की दिवंगत पत्नी को भाव भीनी श्रद्धांजली।
ReplyDeleteजुदा किसी से किसी का गरज हबीब न हो।
ये रंज वह है जो दुश्मन को भी नसीब न हो।।
हमारा विरोध रामगोविन्द चौधरी से हो सकता है किन्तु अवसाद की इस घडी में शत्रुता निभाने की शिक्षा देवों की नीति नहीं है। अतः मृतात्मा के प्रति किसी भी तरह की अमर्यादित टिप्पड़ी व्यक्ति के मानसिक अपरिपक्वता की कहानी खुद कहता है।
ॐ शांति शांति शांति
GM!! TPRT
ReplyDeleteमहावीर स्वामी पेड़ के नीचे ध्यानमग्न बैठे थे। पेड़ पर आम लटक रहे थे।
ReplyDeleteबच्चों ने आम तोड़ने के लिए पत्थर फेंके। कुछ पत्थर आम को लगे
और एक महावीर स्वामी को लगा।
बच्चों ने कहा - प्रभु! हमेंक्षमा करें, हमारे कारण आपको कष्ट हुआ
है।
प्रभु बोले - नहीं, मुझे कोई कष्ट नहीं हुआ।
बच्चों ने पूछा - तो फिर आपकी आंखों में आंसू क्यों?
महावीर ने कहा - पेड़ को तुमने पत्थर मारा तो इसने तुम्हें मीठे फल
दिए, पर मुझे पत्थर मारा तो मैं तुम्हें कुछ नहीं दे सका, इसलिए मैं
दुखी हूँ .......
Nice
Deleteग़लतियों से जुदा
ReplyDeleteतू भी नही,
मैं भी नही,
दोनो इंसान हैं,
खुदा तू भी नही,
मैं भी नही ... !
" तू मुझे ओर मैं तुझे
इल्ज़ाम देते हैं मगर,
अपने अंदर झाँकता
तू भी नही,
मैं भी नही " ... !!
" ग़लत फ़हमियों ने कर दी
दोनो मैं पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा
तू भी नही,
मैं भी नही...!!
Apne halat sahi honge "ek"din.
DeleteWaqt se pare
Tu bhi nahi
Mai bhi nahi....
जब आप सिमकार्ड खरीदने किसी दूकान पे जाते
ReplyDeleteहो तो आप उसे अपना पहचान पत्र व फ़ोटो देते
हो और आपको सिम कार्ड मिल जाता है ।
आपका काम पूरा हो गया । आप सिमकार्ड लेकर
ख़ुशी ख़ुशी घर चले जाते हो । क्या आपने
कभी सोचा है कि जिस आदमी को हम अपनी id देकर
आये है , वह हमारी id का कोई गलत इस्तेमाल
तो नहीं करेगा । आप सही सोच रहे है ।
आजकल सिमकार्ड बेचने वाले आपकी id
की फ़ोटोकॉपी करवा लेते है और
आपकी फ़ोटो की भी स्कैन द्वारा कॉपी निकलवा लेते
है और उन docoment से सिम निकलवा लेते है,
उसके बाद उन सिमकार्डो को महंगे दामो में बेच देते है
।
महंगे दामो पे फर्जी सिम लेने वाले लोग उन नंबरो के
द्वारा किसी की बहु बेटियो को फ़ोन करते है और
उन्हे गालिया तक निकाल देते है । जब आम
आदमी इसकी शिकायत पुलिस को करता है तो इसमें
आप फंस जाते हो ।
यही नहीं ,इसके अलावा बहुत से गैर क़ानूनी काम
भी इन फर्जी सीमकार्डो की मदद से बहुतायत में
किये जा रहे है । और इन सब में एक आम इंसान फंस
जाता है ।
इसके खिलाफ हमें या सरकार को कुछ
तो करना ही होगा । कब तक एक आम
आदमी मरता रहेगा ।
मेरी तरफ से इसे रोकने का एक सुझाव है
वो ये है की
सरकार को एक ऐसा पहचान पत्र बनाना चाहिए जिसमे
व्यक्ति की प्रत्येक जानकारी हो लेकिन
सारी जानकारी गुप्त हो (जैसे ATM कार्ड में
होता है) जब हम कोई सिम खरीदने जाये तो सिम
बेचने वाले के पास एक मशीन हो जिसमे हम वो कार्ड
लगाये और हमारी पूरी जानकारी direct
कंपनी को मिल जाये ।इससे सिम बेचने
वाला आपका कुछ भी नही बिगाड़ पायेगा और आप
सुरक्षित रहेंगे । इस कार्ड को वोट डालने में भो काम
में लिया जा सकता है ।
यदि ये बात मोदी तक पहुँच जाए तो शायद वो कुछ
कदम उठा सकती है ।
BYE BYE अब शाम को मिलेंगे !
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ReplyDelete.
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ग
ज
रे
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वा
ली
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अब हिचकियों को तो न भेजो अपना मुखबिर बना कर ।
हमें और भी काम हैं तुम्हें याद करने के अलावा ।।
namaste tiger sir maine gonda m cous karvai thi waha pr mere intr k marks galat likhe hur the unhone apni cons list m sahi kiya . pls tiger sir kya mre cons nvalid mani jayegi pls sir..................
ReplyDeleteआपको कोई परेशानी नही आएगी !
ReplyDeletedhanyavaad tiger sir
ReplyDeleteSir 112sci gen fem lakhimpur mein 2nd counselling karai this tab wahan cut off 108/1979 tha kya mein out ho sakti hun n 3rd mein sirf lakhimpur hi show ho ra tha plz help
ReplyDelete@R/Sir , Maine 116 gen/male/art Lakhimpur khiri mein 3rd round mein counsiling karai thi ab pata chal raha hai ki waha per pahle hi seat full ho chuki thi kewal dikhave ke liye counsiling karayi gai thi i am to tense sir please help me.......
ReplyDeleteThanks alot
अगर राष्ट्रपति भवन की भव्यता आपको ललचाती है। अगर आपकी आंखों में भी गाहेबगाहे राष्ट्रपति भवन के अंदर निवास करने का सपना तैरता है तो तैयार हो जाइए अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए। राष्ट्रपति भवन को आपका ही इंतजार है।
ReplyDeleteजी हां, अगर आपके पास बस एक बेहतर इनोवेटिव आइडिया है, तो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के मेहमान बन सकते हैं और वह भी एक या दो नहीं बल्कि पूरे 20 दिनों के लिए। राष्ट्रपति की ओर से इनोवेशन ऐंड स्कॉलर इन रेजीडेंट स्कीम के तहत आइडिया मंगाए गए हैं।
इस स्कीम में देश के लेखक, कलाकार और इनोवेशन स्कॉलर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की आखिरी तारीख 30 नवंबर है।इस प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए आप राष्ट्रपति ऑफ इंडिया प्रणब मुखर्जी की वेबसाइट www.presidentof india.nic.in/ innovresi.htmपर अप्लाई कर सकते हैं।
राष्ट्रपति भवन का पैनल बेस्ट आइडिया को चुनेगा। उसमें बेहतरीन आइडिया भेजने वाले शख्स को राष्ट्रपति 20 दिन अपने आवास में बतौर मेहमान रखेंगे।
बेहतर इनोवेटिव आइडिया देने वाला शख्स 7 मार्च, 2015 को राष्ट्रपति भवन में प्रवेश करेगा। 27 मार्च तक उसे राष्ट्रपति भवन में रहने का मौका मिलेगा।
कार से कुचला, खून से लथ-पत, एक पांच-वर्षीय बालक को एक रिक्शा-चालक सड़क से उठाकर अस्पताल लाया. डॉक्टर ने शोर सुना, पर कर दिया सुने को अनसुना. रिक्शा-चालक चिल्लाया- डॉक्टर साहब, बालक मर रहा है. डॉक्टर गुर्राया- अबे तू यहाँ क्या कर रहा है. पहले थाने जाकर रपट लिखा, ये पुलिस-केस है. डॉक्टर मस्ती में झूमता पास से गुजर गया, उपचार के अभाव में बेचारा बालक मर गया. बालक की लाश के पास अस्पताल का कोई कर्मचारी नहीं आया, रिक्शा-चालक ने ही बालक के शव को थाने पहुंचाया. पुलिस ने बालक के शव को पोस्ट-मार्टम के लिए भिजवा दिया और रिक्शा-चालक को पूछ-तांछ के लिए रात-भर लाक-अप में बंद रखा.
ReplyDelete.
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उधर सुबह-सुबह एक डॉक्टर साहब लान में बैठे अखवार पढ़ रहे थे. बीच-बीच में पत्नी पर बिगड़ रहे थे. "इकलौता है न, तुम्ही ने उसे सिर पर चढ़ाया है. अब में क्या करूँ जो रात से घर नहीं आया है. डॉक्टर साहब ने झल्लाकर अख़बार फाड़ दिया. अचानक फटे हुए अख़बार पर उनकी निगाह पड़ी तो उन्होंने अपने बच्चे की तस्बीर अख़बार में छपी देखकर अपना सिर पीट लिया. समाचार था- "पांच वर्षीय बालक की खून से लथ-पत लाश, पुलिस ने बरामद की एक रिक्शे वाले के पास. कातिल रिक्शेवाला पुलिस की गिरफ्त में".
उक्त समाचार मैंने भी पढ़ा था. सत्य पर झूंठ का मुलम्मा किस कदर चढ़ा था ! सिर शर्म से झुक गया और मैं गाली देते-देते रुक गया .
आखिर किसे कोसूं ? डॉक्टर को ? पुलिस को ? या फिर उस रिक्शा-चालक को ? जिसने एक सभ्य नागरिक होने का फ़र्ज़ निभाया और पुलिस ने उसी को बालक का कातिल ठहराया. या वर्तमान व्यवस्था को कोसूं ? अथवा उस अभागे बालक की पांच-वर्षीय अवस्था को कोसूं ?
Kai DIETS me TET Marksheet Verification Shuru ho chuka hai
ReplyDelete.
Niyukti Patra December me milne ki Poori sambhaavna hai
साथियो और भी कई तकनीकी पहलू हैं जिनको यहाँपर सार्वजनिक करना उचित नहीं होगा. विश्वास बनाये रखें, सब संतोषजनक ही होगा.
ReplyDeleteमा० सुप्रीमकोर्ट ने 72825-प्रा०शि० के मामले में हो रही सुनवाई को टाल दिया गया है और अगले सप्ताह में सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया है.
ReplyDeleteसाथियो उ०प्र० सरकार भी अभी अंतिम सुनवाई के पक्ष में नहीं है क्योकि उसको डर है कि कोर्ट कहीं अंतरिम आदेश के पालन के विषय में न पूँछ ले, जिससे कोई अवमानना सम्बन्धी कार्यवाही न हो जाये,,,,,, साथ ही टेट मोर्चा भी चाहता है कि नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद, काउंटर-रिजोइंडर फाइल होने पर ही अंतिम वहस हो, जिससे हम अपना पक्ष मजबूती रख सकें.
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ReplyDelete.
आठोँ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ
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जनम
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मे
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तेरे ऽ ऽ
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मैं
.
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साथ
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रहुँगा
.
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यार !
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मैं केवल तुम्हे ही चाहता हूँ |
तुम्हारे प्यार में पड़ना चाहता हूँ |
तुम्हे पूरी शिददत से अपनी ज़िन्दगी में शामिल करना चाहता हूँ |
हर तरफ तुम ही तुम हो |
मेरी सोच के हर दायरे में तुम्हारा दखल चाहता हूँ |
तुम्हारा हाथ पकड़ तुम्हारे साथ खड़ा रहना चाहता हूँ |
तुम्हारी ज़िन्दगी में उठे तूफ़ान और बवंडरों का सामना करना चाहता हूँ |
तुम्हारी जीत में, मैं भी खुशियाँ मानना चाहता हूँ |
शुरू से आखिर तक मैं तुम्हारा साथ चाहता हूँ |
तुम्हारी ज़िन्दगी में मैं वो शक्श बनना चाहता हूँ
जिसपर तुम आँख मूँद कर ऐतबार कर सको और इस ज़िम्मेदारी के लिए मैं कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूँ |
मैं कभी भी तुम्हे धोखा नहीं देना चाहता;
मैं हमेशा पूर्ण रूप से तुम्हारे साथ ईमानदार और विश्वसनीय बना रहना चाहता हूँ |
मैं वो कन्धा बनना चाहता हूँ जिस पर तुम सर रखकर सो सको |
मैं वो छोटी और नर्म बाहें बनना चाहता हूँ जो तुम्हे सीने से लगा सकें जब तुम्हे उनकी ज़रुरत हो |
मैं वो इंसान बनना चाहता हूँ जिसे तुम दिल से याद कर सको |
जब तुम्हे अनुरक्ति की ज़रुरत महसूस हो |
मैं तुम्हारे जाने पर तुम्हारा इंतज़ार करना चाहता हूँ |
मेरी आरज़ू है के मैं कहीं भी चला जाऊं पर वापस लौट कर तुम्हारे पास ही आऊँ |
मैं तुम्हे सब कुछ देना चाहता हूँ जो भी मेरे पास है,
मेरा दिल, मेरा प्यार, मेरी आत्मा, मेरा शरीर, मेरी शक्ति, मेरी भक्ति और मेरा अनुराग |
मैं चाहता हूँ के तुम मेरे दिल को देखो और समझो और मुझे अपना प्यार दो |
मुझे तुम्हारी कमियों और ख़ामियों से कभी कोई फर्क नहीं पड़ता |
अगर मेरी नज़र से देखो तो वो कमियां तुम्हे परिपूर्ण बनती हैं |
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता के तुम्हारा को माझी है या था |
मैं हमेशा तुम्हारे साथ चलने के लिए तयार हूँ और इन सब चीजोँ को साथ लेकर चलने के लिए |
मैं तुम्हारे साथ रातों को झगड़ना चाहता हूँ |
मैं तुम्हे अपने से दूर जाने नहीं देना चाहता |
तुम्हारे नर्म नाज़ुक गालों को कोमल हाथों में लेकर मैं धीरे से चूमना चाहता हूँ | तुम्हारी सोई पलकों पर में धीमे से अपने अंगूठे को फेरना चाहता हूँ |
मैं तुम्हारे खर्राटों से परेशान होकर जब तक जागना चाहता हूँ जब तक तुम मेरा नाम लेकर बुदबुदाने न लग जाओ |
तुम्हारे बर्फ से ठन्डे नाज़ुक पैर जो मुझे रात को छूते हैं मैं उनकी शिकायत तुमसे करना चाहता हूँ |
मैं तकियों को लेकर तुमसे लड़ना चाहता हूँ |
मैं तुम्हे हर उस तरह से प्यार करना चाहता हूँ जितनी मूर्तियाँ खजुराहो में हैं |
मैं तुम्हारे हर एक रेशे को हर कोण से प्यार करना चाहता हूँ
क्योंकि वही तुम्हे बनाते हैं जो आज तुम हो |
मैं तुम्हारी बाहों में रहना चाहता हूँ जब भी मैं उदास होता हूँ या आहत होता हूँ |
मुझे उन बाहों में एक सुकून और महफ़ूज़ होने अहसास होता है |
मैं चाहता हूँ जब भी मैं रोऊँ, कमज़ोर पड़ जाऊं या कभी मेरा दिल टूट जाये तो तुम्हे वो इंसान हो जो मुझे संभाले और मेरे कानो में धीरे से फुसफुसा कर कहें "डरो मत सब ठीक है, मैं हूँ"
मैं तुम्हे दिली अमन, चैन और सुकून अदा करना चाहता हूँ |
मैं तुम्हारे अंदाज़ और हरकतों पर जोर से हँसना चाहता हूँ |
मैं तुम्हे ब्राँडेड वाली हंसी के साथ मुझे अजीब अजीब नामो से पुकारते हुए देखना चाहता हूँ |
मैं तुम्हारे साथ बैठ कर अपनी और तुम्हारी ज़िन्दगी के बारे में नए नए विचार और सोच बांटना चाहता हूँ |
जिन्हें याद कर कर के मैं आखरी दम तक हँसता और मुस्कराता रहूँ |
मैं दिनभर तुम्हे अनगिनत सन्देश भेजना चाहता हूँ जो की सिर्फ तुम और मैं ही समझ सकें और जिनका मतलब भी हम दोनों के सिवा कोई और न जान सके |
मैं चाहता हूँ तुम उन संदेशों को पढ़कर तब तक हसो जब तक तुम्हारी आँखों में पानी न छलक जाये और आस पास सभी तुमसे सवाल करने लगें "क्या हुआ, क्या हो गया, इतना मज़ेदार क्या है ?" और तुम उन्हें कुछ भी बयां न कर पाओ और जोर जोर से हंसों जब तक वो यह न कहें कि तुम पागल हो, मैं तुम्हारी मुस्कराहट बनना चाहता हूँ |
मैं तुम्हारे साथ राजनीती, कूटनीति, देश, समाज, घटनाएँ, सुख, दुःख, मान, सम्मान, बड़ी, छोटी, प्यार, ज़िन्दगी, दिन, रात, आकर्षण, जीवन, प्रेम, मरण और भी न जाने क्या क्या, इसका अर्थ समझना चाहता हूँ | मैं तुम्हारे और अपने बीच प्यार का एक नया फ़लसफ़ा इजाद करना चाहता हूँ |
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मैं तुम्हे साथ जीवन के कुछ बहुत ही महत्त्व और ज़िन्दगी बदलने वाले फ़ैसले लेना चाहता हूँ |
मैं हर पल में तुम्हारा साथ देना चाहता हूँ, तुम्हारे लिए फेवर करना चाहता हूँ पर इसलियें नहीं के इसकी एवज़ में मुझे कुछ चाहिये, बल्कि इसलिए कि इसके बदले में मुझे तुम्हारे साथ और ज्यादा वक़्त बिताने का मौका मिल जायेगा |
मैं कभी कभी तुम पर इतना गुस्सा करना, झल्लाना चाहता हूँ के अंत में मुझे वो शर्म वाली भावना आये और मैं तुमसे अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगूं |
और मैं चाहता हूँ के तुम भी मेरे साथ ऐसा ही करो |
मैं चाहता हूँ के तुम अपनी बड़ी बड़ी आँखों को गोल गोल घुमाकर मेरी तरफ़ देखकर मुझे कहो के
"यार, माफ़ करो, अब तो मेरा पीछा छोड़ो"
जब मैं तुम्हे हद्द से ज्यादा परेशान करूँ और बदले में मैं तुम्हारे पास आकर धीरे से तुम्हे चुटकी काट लूं | मैं चाहता हूँ के तुम भी वापस मुझे चुटकी काटो |
मैं चाहता हूँ के तुम मुझसे कहो के मैं गलत कर रहा हूँ जिससे यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहे |
मैं तुम्हारे साथ बैठक में कुश्ती लड़ना चाहता हूँ और तुम्हे चित्त कर ज़मीन पर गिराकर मैं तुम्हे बड़ी चाह से देख कर चिढाना चाहता हूँ
"मैं जीत गया,
मैं जीत गया
मैं जीत गया" |
जबकि ये हम दोनो जानते हैं के ये तुमने मुझे सिर्फ इसलिए करने दिया जिससे हम साथ में ज़िन्दगी का एक और प्यारा सा नज़ारा ज़िन्दगी भर के लिए अपनी स्मृतियों में कैद रख सकेँ |
मैं अपना सर तुम्हारे कंधे पर रखना चाहता हूँ इसलिए नहीं के मुझे नींद आ रही है पर इसलिए के मैं चुपचाप से तुम्हारे करीब आना चाहता हूँ |
मैं चाहता हूँ के तुम मुझे पीछे से आकर अचानक पकड़ लो और मोहकता से लुभाते हुए मेरे कंधे को चूम लो |
मैं तुम्हारी गर्दन के पीछे अपना चेहरा छिपाकर अचानक से अपनी पलकों से तुम्हे गुदगुदाना चाहता हूँ |
मैं चाहता हूँ तुम मेरी इस हरकत के लिए तुम मुझे "बेवक़ूफ़"
कहो और फिर धीरे से कहो, "पर इन सभी हरकतों के लिए हम तुम्हे चाहते हैं और तुमसे बेंतेहा बेशुमार प्यार करते हैं" |
मैं सारा शनिवार और इतवार तुम्हारे साथ एक चादर में एक ही सतह पर बिताना चाहता हूँ |
मैं तुम्हारे साथ अच्छी, बुरी, मीठी, खट्टी, बेतुकी, मज़ेदार, हस्याद्पद, उपहास योग्य, मूर्खतापूर्ण, विचित्र, बदमाश, नटखट, नाज़ुक, और न जाने कैसी कैसी यादें बनाना चाहता हूँ
जिन्हें हम आपस में अपने अकेले समय में बाँट सकें और अपनी अपनी प्रतिक्रिया एक दुसरे से कह सकें |
मैं तुम्हारे न होने पर मैं दर्द में तड़पना चाहता हूँ;
और अपने दिल की गहराई में उस पीड़ा को महसूस करना चाहता हूँ |
तुम्हारे चले जाने पर में अपने आपको इस दुनिया का सबसे अकेला इंसान होना कैसा लगता है वो महसूस करना चाहता हूँ |
और तुम्हारे वापस आने की वो बेक़रारी मैं ख़ुशी से महसूस करना चाहता हूँ |
मुझे यह अच्छी तरह से जानकारी है के मैं तुम्हारा हूँ और तुम मेरे हो |
और मैं तुम्हे ये बताना चाहता हूँ के मैं हमेशा तुम्हारे पीछे हूँ जिसे तुम कभी भी मुड़कर देखो तो हमेशा तुम्हारे पास दिखाई दूं |
अगर किसी को हमारा साथ पसंद न भी हो तब भी मैं तुम्हारा हाथ थामे रहूँगा | मुझे हर वो तनाव, और निराशा चाहिये जो मुसीबत के समय में एक रिश्ते में होती हैं क्योंकि इनसे पता चलता है कि हम कितने मजबूत है |
मैं चाहता हूँ तुम हमेशा मेरे साथ रहो बावजूद इसके कुछ लोग हमारे खिलाफ खड़े है |
मैं उन सब स्तिथियों का सामना तुम्हारे साथ मिलकर करना चाहता हूँ | मैं अपनी बाकि की सारी ज़िन्दगी तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ पर मैं चाहता हूँ के तुम भी मेरे साथ अपने भविष्य के बारे में सोचो |
मैं तुम्हे ज़िन्दगी में आगे बढ़ते देखना चाहता हूँ |
न सिर्फ आर्थिक रूप से बल्कि मैं तुम्हे जीवन को खुल के पूरी तरह से ख़ुशी के साथ जीते हुए देखना चाहता हूँ |
मैं ये आश्वासन चाहता हूँ के तुम अपनी संभावित ज़िन्दगी खुल कर अपनी शर्तों पर जियो और आपको उस पर गर्व हो जिस तरह मुझे तुम पर गर्व है |
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और हाँ तुमने एकदम सही समझा कि ये सब मैने तुम्हारे लिए ही लिखा है,
आज मेरा और इंदिरा गांधी का जन्मदिन है। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु को याद करने का सही मौका उसका जन्मदिन कतई नहीं होता है। लेकिन स्मृतियां मौको की मोहताज कहां होती हैं? इंदिरा गांधी का जिक्र जब भी आता है, मेरे जेहन में उनसे जुड़ी सबसे प्रबल स्मृति कौंधती है और वो है, उनकी हत्या। जो मेरे मामा जी बताते हैं इंदिरा के बारे मैं..... वो कक्षा सात के छात्र थे । अपने भाई और दोस्तो के साथ घर से कुछ दूर क्रिकेट खेलने गए हुए थे । बड़े मामा जी ने एक ऐसा शॉट लगाया कि गेंद गुम हो गई। बैटिंग ना मिलने का मलाल लिये वापस लौट रहे थे । रास्ते में उन लोगो को जगह-जगह काले झंडे लगाते और दुकाने के शटर गिरवाते देखे। फिर पता चला कि इंदिरा गांधी की हत्या हो गई है। देखते-देखते सबकुछ बंद हो गया। वैसी भयानक मनहूसियत उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में कभी नहीं देखी थी। सुबह जब आंख खुली तो मौत का सन्नाटा क्रूर कोलहाल में बदल चुका था। भारत के कई शहरों की तरह लुधिअना में भी लूटपाट शुरू हो चुकी थी। नानाजी घर एक ऐसी सड़क पर था, जो एक बड़े व्यवसायिक इलाके को कई रिहाइशी इलाको से जोड़ती थी। अपने घर के बाहर खड़े पूरे दिन लूट के सामान की ढुलाई का नज़ारा देखते रहे। खिलौने, कपड़े, मोटर पार्ट्स और जूते-चप्पल तक, जिसके हाथ जो आया वो लेकर खुशी-खुशी अपने घर लौट रहा था। प्रोफेशनल लुटेरा कोई नहीं लग रहा था, लेकिन सबकी आंखों में एक अजीब सी उत्सवधर्मी चमक थी। शाम होते-होते लुधिअना के आसमान में काले धुंए भी उठने लगे। मेन रोड और अपर बाज़ार में सिखों की कुछ दुकानें जला दी गई थीं। कर्फ्यू लगा दिया गया और सेना बुला ली गई। इंदिरा गांधी के अंतिम संस्कार के अगले दिन अख़बार ने ख़बर छापी कि पड़ोसी के घर टीवी देखने जा रहे 13 साल के एक बच्चे को आर्मी वालो ने सिर पर गोली मार दी और उसकी बीच सड़क मौत गई।
ReplyDeleteइंदिरा गांधी को गये 30 साल हो चुके हैं। उनकी मृत्यु के बाद भारत में जो कुछ हुआ उसका जख्म अब भी हज़ारो लोगों को बेइंतहा तकलीफ देता है। अक्सर ये कहा जाता है कि सिख विरोधी दंगों को भूल जाना चाहिए, क्योंकि उसका इंदिरा गांधी से कोई लेना-देना नहीं था। इंदिरा जी देश को एक नई दिशा देनेवाली एक बेहद ताकतवर राजनेता थी। भारत के लिए उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। मैं भी उन बच्चो में था , जो इंदिरा गांधी की जादुई शख्सियत की अनगिनत कहानियां सुनकर बड़े हुए थे। लेकिन अब सोचता हूं तो लगता है कि क्या इंदिरा जी ने वाकई कुछ ऐसा किया था कि देश को उनका ऋणी होना चाहिए? कांग्रेस तोड़कर और अपने नाम पर पार्टी बनाकर व्यक्तिवादी राजनीति का प्रतिमान इस देश में इंदिरा गांधी ने ही गढ़ा। जिस लोकतंत्र के लिए देश ने लंबी लड़ाई लड़ी, उस लोकतंत्र का अपहरण इंदिरा जी ने किया। लोकतांत्रिक आवाज़ों को दबाने के लिए इंदिरा जी ने भी बाकी दुनिया के तानाशाहों की तरह तमाम तरीके के वीभत्स हथकंडे अपनाये। खुद को राष्ट्रवादी और राजनीतिक विरोधियों को देशद्रोही साबित करने की फासिस्ट परंपरा का सूत्रपात भारत में इंदिरा गांधी ने किया। नेहरू ने जिन लोकतांत्रिक और वैधानिक संस्थाओं को मजबूत किया था, इंदिरा गांधी ने उसे सुनोयोजित ढंग से कमज़ोर किया। चमचागीरी को शास्त्रीय भारतीय राजनीतिक परंपरा बनाने का श्रेय भी इंदिरा जी को जाता है। देश के लिए इंदिरा गांधी का सबसे अविस्मरणीय योगदान वशंवाद को भारतीय राजनीति के केंद्र में स्थापित करना है। जो लोग वंशवाद के लिए नेहरू को दोषी ठहराते हैं, वे पूरी तरह सही नहीं हैं। नेहरू ने कभी इंदिरा गांधी को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था। लेकिन इंदिरा गांधी बहुत व्यवस्थित तरीके से ऐसा किया और खामियाजा पूरा देश आजतक भुगत रहा है। मूल्यों पर आधारित कांग्रेस पार्टी का अपहरण करके उसे एक पारिवारिक जेबी संस्था बनाने का अपराध पूरी तरह इंदिरा जी के खाते में जाता है। प्रशंसकों को ये बातें कड़वी लग सकती हैं। 1971 की लड़ाई, प्रीवी पर्स का खात्मा, पोकरण परीक्षण और बैंको राष्ट्रीयकरण, ये चार बड़ी चीज़ें इंदिरा गांधी के खाते में बताई जाती हैं। मुझे लगता है कि कई घटनाएं इतिहास की निरंतरता का परिणाम होती हैं और व्यक्ति सिर्फ कारक होता है। क्या इंदिरा गांधी की जगह कोई और प्रधानमंत्री होता तो 1971 की लड़ाई का नतीजा कुछ अलग होता? क्या कोई और प्रधानमंत्री होता तो उस परमाणु कार्यक्रम को बंद कर देता, जो पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा के वक्त ही शुरू हो चुका था। अपनी तथाकथित राष्ट्रवादी नीतियों की वजह से कई विरोधी तक इंदिरा जी के मुरीद रहे हैं।
जन्मदिन की शुभकामनाएं!!!
DeleteHappy birthday to you!!!
DeleteHappy birthday sir ji
DeleteHappy Birthday !! Have a wonderful happy, healthy birthday and many more to come...
DeleteMany many happy returns of the day 19 Nov Happy birthday tiger /tmntbbn sir ji
Deleteबेशक इंदिरा जी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के लिए स्वर्ण मंदिर में सेना भेजी हो, लेकिन ये कोई कैसे भूल सकता है कि पंजाब समस्या भी उन्ही की खड़ी की हुई थी। इंदिरा जी भले ही भारतीय राजनीति की एक चमकदार शख्सियत थी, लेकिन मैं उन्हे सिर्फ एक ऐतिहासिक पात्र के रूप में देख पाता हूं। एक ऐसी किरदार जिनपर किताबें पढ़ना और फिल्में देखना मुझे पसंद है। लेकिन उनकी राजनीतिक कार्यशैली और विरासत से मुझे नफरत है। लोकतांत्रिक भारत में वो दिन दोबारा कभी लौटकर ना आये जो इंदिरा जी ने दिखाये थे। उनके जन्मदिन पर बस यही कामना है।
ReplyDeleteधन्यवाद !
Dosto, Insaan jab jab insaniyat bhulker, janwar bana to wahe hua jo Indra gandhi ki hatya ke baad hua. Uske baad bhe kai baar hua, aage bhe hoga.
ReplyDeletewishing u a happy birthday tiger sir
ReplyDeleteआप सभी को मेरी तरफ से बहुत बहुत धन्यवाद शुक्रिया मेहरबानी !
ReplyDeleteलेकिन अभी हम ऊपर के पेज पर भी हैं !
ReplyDeleteपेज का मतलब न्यूज पर !
ReplyDeleteHappy birthday to you SIR. ... God bless you
Delete