बीटीसी में दाखिले की बदलेगी प्रक्रिया
लखनऊ। राज्य सरकार दो वर्षीय कोर्स बीटीसी में दाखिले की प्रक्रिया बदलने जा रही है। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और निजी कॉलेज बीटीसी में दाखिले के लिए कॉलेजवार ऑनलाइन आवेदन लेंगे। इसके आधार पर वे मेरिट जारी करते हुए दाखिला देंगे। निजी कॉलेज प्रबंधन दाखिले में आरक्षण नियमों का पालन करेगा व शासन से तय फीस ही लेंगे। सचिव बेसिक शिक्षा एचएल गुप्ता की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में सहमति बन गई है। एससीईआरटी से इसका प्रस्ताव मांगते हुए जल्द आदेश जारी करने की तैयारी है। नई व्यवस्था सत्र 2014-15 से ही लागू करने की तैयारी है।
प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक भर्ती की योग्यता स्नातक व बीटीसी है। इसलिए बीटीसी करने वालों की मारामारी रहती है। मौजूदा समय बीटीसी की 45,200 सीटें हैं। इसमें डायटों में 10,450 और 695 निजी बीटीसी कॉलेजों में 34,750 सीटें हैं। मौजूदा समय एससीईआरटी दाखिले के लिए राज्य स्तर पर ऑनलाइन आवेदन लेते हुए मेरिट जारी करता है। टॉप मेरिट वालों को डायटों व कम मेरिट वालों को निजी कॉलेजों में दाखिला देने की व्यवस्था है। एससीईआरटी के निर्देश पर ही डायट निजी कॉलेजों में छात्रों को दाखिले के लिए भेजते हैं। संबद्धता देने का चूंकि कोई कैलेंडर नहीं है इसलिए निजी कॉलेजों में छात्रों को सालभर भेजा जाता रहता है। कभी-कभार तो स्थिति यह हो जाती है कि समय से छात्र न मिलने से कॉलेज प्रबंधन हाईकोर्ट में चला जाता है।
नई व्यवस्था
•डायट व कॉलेज अलग-अलग लेंगे ऑनलाइन आवेदन
•आवेदन के आधार पर कॉलेजवार मेरिट का होगा निर्धारण
•मेरिट बनाने में आरक्षण नियमों का होगा पूरा पालन
•सीट खाली रहने पर एससीईआरटी की नहीं होगी जवाबदेही
•सरकार से निर्धारित फीस से अधिक नहीं ले सकेंगे कॉलेज
41 हजार होगी फीस
निजी बीटीसी कॉलेजों की फीस करीब 41 हजार रुपये सालाना तय करने पर सहमति लगभग बन चुकी है। राज्य स्तरीय समिति के सुझाव पर शासन इस संबंध में शीघ्र ही आदेश जारी करने वाला है। आदेश जारी होने के बाद निजी कॉलेज प्रबंधन तय फीस ही ले सकेगा। अधिक फीस लेने की शिकायत पर संबंधित कॉलेज के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
News Source Sabhaar : Amar Ujala News paper (9.9.14)
स्वामी विवेकानन्द
ReplyDelete(जन्म: १२ जनवरी,१८६३ -
मृत्यु:४ जुलाई,१९०२)
वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् १८९३ में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों" के साथ करने के लिये जाना जाता है।
[2] उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था।
स्वामी विवेकानन्द का जन्म १२ जनवरी सन् १८६३ (विद्वानों के अनुसार मकर संक्रान्ति संवत् १९२०)[3] को कलकत्ता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे अपने पुत्र नरेन्द्र को भी अँग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढर्रे पर चलाना चाहते थे। परन्तु उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं। उनका अधिकांश समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था। नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से ही बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। इस हेतु वे पहले ब्रह्म समाज में गये परन्तु वहाँ उनके चित्त को सन्तोष नहीं हुआ। वे वेदान्त और योग को पश्चिम संस्कृति में प्रचलित करने के लिये महत्वपूर्ण योगदान देना चाहते थे।
ReplyDeleteदैवयोग से विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई। घर का भार नरेन्द्र पर आ पड़ा। घर की दशा बहुत खराब थी। अत्यन्त दरिद्रता में भी नरेन्द्र बड़े अतिथि-सेवी थे। वे स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन कराते स्वयं बाहर वर्षा में रात भर भीगते-ठिठुरते पड़े रहते और अतिथि को अपने बिस्तर पर सुला देते।
स्वामी विवेकानन्द अपना जीवन अपने गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर चुके थे। उनके गुरुदेव का शरीर अत्यन्त रुग्ण हो गया था। गुरुदेव के शरीर-त्याग के दिनों में अपने घर और कुटुम्ब की नाजुक हालत व स्वयं के भोजन की चिन्ता किये बिना वे गुरु की सेवा में सतत संलग्न रहे।
विवेकानन्द बड़े स्वप्नदृष्टा थे। उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जिसमें धर्म या जाति के आधार पर मनुष्य-मनुष्य में कोई भेद न रहे। उन्होंने वेदान्त के सिद्धान्तों को इसी रूप में रखा। अध्यात्मवाद बनाम भौतिकवाद के विवाद में पड़े बिना भी यह कहा जा सकता है कि समता के सिद्धान्त का जो आधार विवेकानन्द ने दिया उससे सबल बौद्धिक आधार शायद ही ढूँढा जा सके। विवेकानन्द को युवकों से बड़ी आशाएँ थीं। आज के युवकों के लिये इस ओजस्वी सन्यासी का जीवन एक आदर्श है। उनके नाना जी का नाम श्री नंदलाल बसु था।
बचपन
ReplyDeleteबचपन से ही नरेन्द्र अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि के तो थे ही नटखट भी थे। अपने साथी बच्चों के साथ वे खूब शरारत करते और मौका मिलने पर अपने अध्यापकों के साथ भी शरारत करने से नहीं चूकते थे। उनके घर में नियमपूर्वक रोज पूजा-पाठ होता था धार्मिक प्रवृत्ति की होने के कारण माता भुवनेश्वरी देवी को पुराण,रामायण, महाभारत आदि की कथा सुनने का बहुत शौक था। कथावाचक बराबर इनके घर आते रहते थे। नियमित रूप से भजन-कीर्तन भी होता रहता था। परिवार के धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के प्रभाव से बालक नरेन्द्र के मन में बचपन से ही धर्म एवं अध्यात्म के संस्कार गहरे होते गये। माता-पिता के संस्कारों और धार्मिक वातावरण के कारण बालक के मन में बचपन से ही ईश्वर को जानने और उसे प्राप्त करने की लालसा दिखायी देने लगी थी। ईश्वर के बारे में जानने की उत्सुकता में कभी-कभी वे ऐसे प्रश्न पूछ बैठते थे कि इनके माता-पिता और कथावाचक पण्डितजी तक चक्कर में पड़ जाते थे।
निष्ठा
ReplyDeleteएक बार किसी शिष्य ने गुरुदेव की सेवा में घृणा और निष्क्रियता दिखाते हुए नाक-भौं सिकोड़ीं। यह देखकर विवेकानन्द को क्रोध आ गया। वे अपने उस गुरु भाई को सेवा का पाठ पढ़ाते और गुरुदेव की प्रत्येक वस्तु के प्रति प्रेम दर्शाते हुए उनके बिस्तर के पास रक्त, कफ आदि से भरी थूकदानी उठाकर फेंकते थे। गुरु के प्रति ऐसी अनन्य भक्ति और निष्ठा के प्रताप से ही वे अपने गुरु के शरीर और उनके दिव्यतम आदर्शों की उत्तम सेवा कर सके। गुरुदेव को समझ सके और स्वयं के अस्तित्व को गुरुदेव के स्वरूप में विलीन कर सके। और आगे चलकर समग्र विश्व में भारत के अमूल्य आध्यात्मिक भण्डार की महक फैला सके। ऐसी थी उनके इस महान व्यक्तित्व की नींव में गुरुभक्ति, गुरुसेवा और गुरु के प्रति अनन्य निष्ठा जिसका परिणाम सारे संसार ने देखा।
सम्मलेन भाषण
ReplyDeleteमेरे अमरीकी भाइयो और बहनों!
आपने जिस सौहार्द और स्नेह के साथ हम लोगों का स्वागत किया हैं उसके प्रति आभार प्रकट करने के निमित्त खड़े होते समय मेरा हृदय अवर्णनीय हर्ष से पूर्ण हो रहा हैं। संसार में संन्यासियों की सबसे प्राचीन परम्परा की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूँ; धर्मों की माता की ओर से धन्यवाद देता हूँ; और सभी सम्प्रदायों एवं मतों के कोटि कोटि हिन्दुओं की ओर से भी धन्यवाद देता हूँ।
मैं इस मंच पर से बोलने वाले उन कतिपय वक्ताओं के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ जिन्होंने प्राची के प्रतिनिधियों का उल्लेख करते समय आपको यह बतलाया है कि सुदूर देशों के ये लोग सहिष्णुता का भाव विविध देशों में प्रचारित करने के गौरव का दावा कर सकते हैं। मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृत- दोनों की ही शिक्षा दी हैं। हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते वरन समस्त धर्मों को सच्चा मान कर स्वीकार करते हैं। मुझे ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीड़ितों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है। मुझे आपको यह बतलाते हुए गर्व होता हैं कि हमने अपने वक्ष में उन यहूदियों के विशुद्धतम अवशिष्ट को स्थान दिया था जिन्होंने दक्षिण भारत आकर उसी वर्ष शरण ली थी जिस वर्ष उनका पवित्र मन्दिर रोमन जाति के अत्याचार से धूल में मिला दिया गया था। ऐसे धर्म का अनुयायी होने में मैं गर्व का अनुभव करता हूँ जिसने महान जरथुष्ट जाति के अवशिष्ट अंश को शरण दी और जिसका पालन वह अब तक कर रहा है। भाईयो मैं आप लोगों को एक स्तोत्र की कुछ पंक्तियाँ सुनाता हूँ जिसकी आवृति मैं बचपन से कर रहा हूँ और जिसकी आवृति प्रतिदिन लाखों मनुष्य किया करते हैं:
रुचीनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम्। नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव।।
अर्थात जैसे विभिन्न नदियाँ भिन्न भिन्न स्रोतों से निकलकर समुद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार हे प्रभो! भिन्न भिन्न रुचि के अनुसार विभिन्न टेढ़े-मेढ़े अथवा सीधे रास्ते से जानेवाले लोग अन्त में तुझमें ही आकर मिल जाते हैं।
यह सभा, जो अभी तक आयोजित सर्वश्रेष्ठ पवित्र सम्मेलनों में से एक है स्वतः ही गीता के इस अद्भुत उपदेश का प्रतिपादन एवं जगत के प्रति उसकी घोषणा करती है:
ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्। मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः।।
अर्थात जो कोई मेरी ओर आता है-चाहे किसी प्रकार से हो-मैं उसको प्राप्त होता हूँ। लोग भिन्न मार्ग द्वारा प्रयत्न करते हुए अन्त में मेरी ही ओर आते हैं।
साम्प्रदायिकता, हठधर्मिता और उनकी वीभत्स वंशधर धर्मान्धता इस सुन्दर पृथ्वी पर बहुत समय तक राज्य कर चुकी हैं। वे पृथ्वी को हिंसा से भरती रही हैं व उसको बारम्बार मानवता के रक्त से नहलाती रही हैं, सभ्यताओं को ध्वस्त करती हुई पूरे के पूरे देशों को निराशा के गर्त में डालती रही हैं। यदि ये वीभत्स दानवी शक्तियाँ न होतीं तो मानव समाज आज की अवस्था से कहीं अधिक उन्नत हो गया होता। पर अब उनका समय आ गया हैं और मैं आन्तरिक रूप से आशा करता हूँ कि आज सुबह इस सभा के सम्मान में जो घण्टा ध्वनि हुई है वह समस्त धर्मान्धता का, तलवार या लेखनी के द्वारा होनेवाले सभी उत्पीड़नों का तथा एक ही लक्ष्य की ओर अग्रसर होने वाले मानवों की पारस्पारिक कटुता का मृत्यु निनाद सिद्ध हो।
यात्राएँ
ReplyDeleteस्वामी विवेकानन्द शिकागो के विश्व धर्म परिषद् में बैठे हुए
२५ वर्ष की अवस्था में नरेन्द्र ने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिbb थे। तत्पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की। सन् १८९३ में शिकागो (अमरीका) में विश्व धर्म परिषद् हो रही थी। स्वामी विवेकानन्द उसमें भारत के प्रतिनिधि के रूप में पहुँचे। योरोप-अमरीका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे। वहाँ लोगों ने बहुत प्रयत्न किया कि स्वामी विवेकानन्द को सर्वधर्म परिषद् में बोलने का समय ही न मिले। परन्तु एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें थोड़ा समय मिला। उस परिषद् में उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गये। फिर तो अमरीका में उनका अत्यधिक स्वागत हुआ। वहाँ उनके भक्तों का एक बड़ा समुदाय बन गया। तीन वर्ष वे अमरीका में रहे और वहाँ के लोगों को भारतीय तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान की। उनकी वक्तृत्व-शैली तथा ज्ञान को देखते हुए वहाँ के मीडिया ने उन्हें साइक्लॉनिक हिन्दू का नाम दिया।[4] "अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जायेगा" यह स्वामी विवेकानन्द का दृढ़ विश्वास था। अमरीका में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की अनेक शाखाएँ स्थापित कीं। अनेक अमरीकी विद्वानों ने उनका शिष्यत्व ग्रहण किया। वे सदा अपने को गरीबों का सेवक कहते थे। भारत के गौरव को देश-देशान्तरों में उज्ज्वल करने का उन्होंने सदा प्रयत्न किया। जब भी वे कहीं जाते थे तो लोग उनसे मिलकर बहुत खुश होते थे
विवेकानन्द का योगदान तथा महत्व
ReplyDeleteमुम्बई में गेटवे ऑफ़ इन्डिया के निकट स्थित स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमूर्ति
उन्तालीस वर्ष के संक्षिप्त जीवनकाल में स्वामी विवेकानन्द जो काम कर गये वे आने वाली अनेक शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो, अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और उसे सार्वभौमिक पहचान दिलवायी। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने एक बार कहा था-"यदि आप भारत को जानना चाहते हैं तो विवेकानन्द को पढ़िये। उनमें आप सब कुछ सकारात्मक ही पायेंगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं।"
रोमां रोलां ने उनके बारे में कहा था-"उनके द्वितीय होने की कल्पना करना भी असम्भव है वे जहाँ भी गये, सर्वप्रथम ही रहे। हर कोई उनमें अपने नेता का दिग्दर्शन करता था। वे ईश्वर के प्रतिनिधि थे और सब पर प्रभुत्व प्राप्त कर लेना ही उनकी विशिष्टता थी। हिमालय प्रदेश में एक बार एक अनजान यात्री उन्हें देख ठिठक कर रुक गया और आश्चर्यपूर्वक चिल्ला उठा-‘शिव!’ यह ऐसा हुआ मानो उस व्यक्ति के आराध्य देव ने अपना नाम उनके माथे पर लिख दिया हो।"
वे केवल सन्त ही नहीं, एक महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक और मानव-प्रेमी भी थे। अमेरिका से लौटकर उन्होंने देशवासियों का आह्वान करते हुए कहा था-"नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से, भड़भूँजे के भाड़ से, कारखाने से, हाट से, बाजार से; निकल पडे झाड़ियों, जंगलों, पहाड़ों, पर्वतों से।" और जनता ने स्वामीजी की पुकार का उत्तर दिया। वह गर्व के साथ निकल पड़ी। गान्धीजी को आजादी की लड़ाई में जो जन-समर्थन मिला, वह विवेकानन्द के आह्वान का ही फल था। इस प्रकार वे भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के भी एक प्रमुख प्रेरणा-स्रोत बने। उनका विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्यभूमि है। यहीं बड़े-बड़े महात्माओं व ऋषियों का जन्म हुआ, यही संन्यास एवं त्याग की भूमि है तथा यहीं-केवल यहीं-आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य के लिये जीवन के सर्वोच्च आदर्श एवं मुक्ति का द्वार खुला हुआ है। उनके कथन-"‘उठो, जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ। अपने नर-जन्म को सफल करो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये।"
उन्नीसवी सदी के अन्तिम वर्षों में लिया गया क्रान्तिकारी वेशधारी विवेकानन्द का एक दुर्लभ चित्र। यह चित्र देखकर उन्होंने कहा था-"यह चित्र तो डाकुओं के किसी सरदार जैसा लगता है।"[5]
उन्नीसवीं सदी के आखिरी वर्षोँ में विवेकानन्द लगभग सशस्त्र या हिंसक क्रान्ति के जरिये भी देश को आजाद करना चाहते थे। परन्तु उन्हें जल्द ही यह विश्वास हो गया था कि परिस्थितियाँ उन इरादों के लिये अभी परिपक्व नहीं हैं। इसके बाद ही विवेकानन्द ने ‘एकला चलो‘ की नीति का पालन करते हुए एक परिव्राजक के रूप में भारत और दुनिया को खंगाल डाला।
उन्होंने कहा था कि मुझे बहुत से युवा संन्यासी चाहिये जो भारत के ग्रामों में फैलकर देशवासियों की सेवा में खप जायें। उनका यह सपना पूरा नहीं हुआ। विवेकानन्द पुरोहितवाद, धार्मिक आडम्बरों, कठमुल्लापन और रूढ़ियों के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने धर्म को मनुष्य की सेवा के केन्द्र में रखकर ही आध्यात्मिक चिंतन किया था। उनका हिन्दू धर्म अटपटा, लिजलिजा और वायवीय नहीं था। उन्होंने यह विद्रोही बयान दिया था कि इस देश के तैंतीस करोड़ भूखे, दरिद्र और कुपोषण के शिकार लोगों को देवी देवताओं की तरह मन्दिरों में स्थापित कर दिया जाये और मन्दिरों से देवी देवताओं की मूर्तियों को हटा दिया जाये।
उनका यह कालजयी आह्वान इक्कीसवीं सदी के पहले दशक के अन्त में एक बड़ा प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ा करता है। उनके इस आह्वान को सुनकर पूरे पुरोहित वर्ग की घिग्घी बँध गई थी। आज कोई दूसरा साधु तो क्या सरकारी मशीनरी भी किसी अवैध मन्दिर की मूर्ति को हटाने का जोखिम नहीं उठा सकती। विवेकानन्द के जीवन की अन्तर्लय यही थी कि वे इस बात से आश्वस्त थे कि धरती की गोद में यदि ऐसा कोई देश है जिसने मनुष्य की हर तरह की बेहतरी के लिए ईमानदार कोशिशें की हैं, तो वह भारत ही है।
ReplyDeleteउन्होंने पुरोहितवाद, ब्राह्मणवाद, धार्मिक कर्मकाण्ड और रूढ़ियों की खिल्ली भी उड़ायी और लगभग आक्रमणकारी भाषा में ऐसी विसंगतियों के खिलाफ युद्ध भी किया। उनकी दृष्टि में हिन्दू धर्म के सर्वश्रेष्ठ चिन्तकों के विचारों का निचोड़ पूरी दुनिया के लिए अब भी ईर्ष्या का विषय है। स्वामीजी ने संकेत दिया था कि विदेशों में भौतिक समृद्धि तो है और उसकी भारत को जरूरत भी है लेकिन हमें याचक नहीं बनना चाहिये। हमारे पास उससे ज्यादा बहुत कुछ है जो हम पश्चिम को दे सकते हैं और पश्चिम को उसकी बेसाख्ता जरूरत है।
यह स्वामी विवेकानन्द का अपने देश की धरोहर के लिये दम्भ या बड़बोलापन नहीं था। यह एक वेदान्ती साधु की भारतीय सभ्यता और संस्कृति की तटस्थ, वस्तुपरक और मूल्यगत आलोचना थी। बीसवीं सदी के इतिहास ने बाद में उसी पर मुहर लगायी।
मृत्यु
ReplyDeleteवेलूर मठ स्थित स्वामी विवेकानन्द मन्दिर
विवेकानंद ओजस्वी और सारगर्भित व्याख्यानों की प्रसिद्धि विश्व भर में है। जीवन के अन्तिम दिन उन्होंने शुक्ल यजुर्वेद की व्याख्या की और कहा-"एक और विवेकानन्द चाहिये, यह समझने के लिये कि इस विवेकानन्द ने अब तक क्या किया है।" उनके शिष्यों के अनुसार जीवन के अन्तिम दिन ४ जुलाई १९०२ को भी उन्होंने अपनी ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं बदला और प्रात: दो तीन घण्टे ध्यान किया और ध्यानावस्था में ही अपने ब्रह्मरन्ध्र को भेदकर महासमाधि ले ली। बेलूर में गंगा तट पर चन्दन की चिता पर उनकी अंत्येष्टि की गयी। इसी गंगा तट के दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का सोलह वर्ष पूर्व अन्तिम संस्कार हुआ था।[6]
उनके शिष्यों और अनुयायियों ने उनकी स्मृति में वहाँ एक मन्दिर बनवाया और समूचे विश्व में विवेकानन्द तथा उनके गुरु रामकृष्ण के सन्देशों के प्रचार के लिये १३० से अधिक केन्द्रों की स्थापना की।
महत्त्वपूर्ण तिथियाँ
ReplyDelete12 जनवरी, 1863 -- कलकत्ता में जन्म
1879 -- प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश
1880 -- जनरल असेम्बली इंस्टीट्यूशन में प्रवेश
नवंबर 1881 -- रामकृष्ण परमहंस से प्रथम भेंट
1882-86 -- रामकृष्ण परमहंस से सम्बद्ध
1884 -- स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण; पिता का स्वर्गवास
1885 -- रामकृष्ण परमहंस की अन्तिम बीमारी
16 अगस्त, 1886 -- रामकृष्ण परमहंस का निधन
1886 -- वराहनगर मठ की स्थापना
जनवरी 1887 -- वराह नगर मठ में संन्यास की औपचारिक प्रतिज्ञा
1890-93 -- परिव्राजक के रूप में भारत-भ्रमण
25 दिसंबर, 1892 -- कन्याकुमारी में
13 फरवरी, 1893 -- प्रथम सार्वजनिक व्याख्यान सिकन्दराबाद में
31 मई, 1893 -- मुम्बई से अमरीका रवाना
25 जुलाई, 1893 -- वैंकूवर, कनाडा पहुँचे
30 जुलाई, 1893 -- शिकागो आगमन
अगस्त 1893 -- हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रो० जॉन राइट से भेंट
11 सितम्बर, 1893 -- विश्व धर्म सम्मेलन, शिकागो में प्रथम व्याख्यान
27 सितम्बर, 1893 -- विश्व धर्म सम्मेलन, शिकागो में अन्तिम व्याख्यान
16 मई, 1894 -- हार्वर्ड विश्वविद्यालय में संभाषण
नवंबर 1894 -- न्यूयॉर्क में वेदान्त समिति की स्थापना
जनवरी 1895 -- न्यूयॉर्क में धार्मिक कक्षाओं का संचालन आरम्भ
अगस्त 1895 -- पेरिस में
अक्तूबर 1895 -- लन्दन में व्याख्यान
6 दिसंबर, 1895 -- वापस न्यूयॉर्क
22-25 मार्च, 1896 -- फिर लन्दन
मई-जुलाई 1896 -- हार्वर्ड विश्वविद्यालय में व्याख्यान
15 अप्रैल, 1896 -- वापस लन्दन
मई-जुलाई 1896 -- लंदन में धार्मिक कक्षाएँ
28 मई, 1896 -- ऑक्सफोर्ड में मैक्समूलर से भेंट
30 दिसम्बर, 1896 -- नेपल्स से भारत की ओर रवाना
15 जनवरी, 1897 -- कोलम्बो, श्रीलंका आगमन
जनवरी, 1897 -- रामनाथपुरम् (रामेश्वरम) में जोरदार स्वागत एवं भाषण
6-15 फरवरी, 1897 -- मद्रास में
19 फरवरी, 1897 -- कलकत्ता आगमन
1 मई, 1897 -- रामकृष्ण मिशन की स्थापना
मई-दिसम्बर 1897 -- उत्तर भारत की यात्रा
जनवरी 1898 -- कलकत्ता वापसी
19 मार्च, 1899 -- मायावती में अद्वैत आश्रम की स्थापना
20 जून, 1899 -- पश्चिमी देशों की दूसरी यात्रा
31 जुलाई, 1899 -- न्यूयॉर्क आगमन
22 फरवरी, 1900 -- सैन फ्रांसिस्को में वेदान्त समिति की स्थापना
जून 1900 -- न्यूयॉर्क में अन्तिम कक्षा
26 जुलाई, 1900 -- योरोप रवाना
24 अक्तूबर, 1900 -- विएना, हंगरी, कुस्तुनतुनिया, ग्रीस, मिस्र आदि देशों की यात्रा
26 नवम्बर, 1900 -- भारत रवाना
9 दिसम्बर, 1900 -- बेलूर मठ आगमन
10 जनवरी 1901 -- मायावती की यात्रा
मार्च-मई 1901 -- पूर्वी बंगाल और असम की तीर्थयात्रा
जनवरी-फरवरी 1902 -- बोध गया और वाराणसी की यात्रा
मार्च 1902 -- बेलूर मठ में वापसी
4 जुलाई, 1902 -- महासमाधि
रामकृष्ण परमहंस भारत के एक महान संत एवं विचारक थे। इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया। उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया। स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे। साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं। वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधन मात्र हैं।
ReplyDeleteमानवीय मूल्यों के पोषक संत रामकृष्ण परमहंस का जन्म १८ फरवरी, १८३६ को बंगाल प्रांत स्थित कामारपुकुर ग्राम में हुआ था। इनके बचपन का नाम गदाधर था। पिताजी के नाम खुदिराम और माताजी के नाम चन्द्रमणीदेवी था।इनकी बालसुलभ सरलता और मंत्रमुग्ध मुस्कान से हर कोई सम्मोहित हो जाता था।
परिवार
सात वर्ष की अल्पायु में ही गदाधर के सिर से पिता का साया उठ गया। ऐसी विपरीत परिस्थिति में पूरे परिवार का भरण-पोषण कठिन होता चला गया। आर्थिक कठिनाइयां आईं। बालक गदाधर का साहस कम नहीं हुआ। इनके बडे भाई रामकुमार चट्टोपाध्याय कलकत्ता (कोलकाता) में एक पाठशाला के संचालक थे। वे गदाधर को अपने साथ कोलकाता ले गए। रामकृष्ण का अन्तर्मन अत्यंत निश्छल, सहज और विनयशील था। संकीर्णताओं से वह बहुत दूर थे। अपने कार्यो में लगे रहते थे।
दक्षिणेश्वर आगमन
दक्षिणेश्वर काली मंदिर
सतत प्रयासों के बाद भी रामकृष्ण का मन अध्ययन-अध्यापन में नहीं लग पाया। कलकत्ता के पास दक्षिणेश्वर स्थित भवतारिणी काली माता के मन्दिर में अग्रज रामकुमार ने उन्हेँ पुरोहित का दायित्व सोँपा, रामकृष्ण इसमें नहीँ रम पाए।
वैराग्य और साधना
कालान्तर में बड़े भाई भी चल बसे। इस घटना से वे व्याथित हुए।संसार की अनित्यता को देखकर उनके मन मेँ वैराग्य का उदय हुआ। अन्दर से मन ना करते हुए भी श्रीरामकृष्ण मंदिर की पूजा एवं अर्चना करने लगे। दक्षिणेश्वर स्थित पंचवटी मेँ वे ध्यानमग्न रहने लगे।ईश्वर दर्शन के लिए वे व्याकुल हो गये। लोग उन्हे पागल समझने लगे।
चन्द्रमणी देवी ने अपने बेटे की उन्माद की अवस्था से चिन्तत होकर गदाधर का विवाह शारदा देवी से कर दिया। इसके बाद भैरवी व्राह्मणी का दक्षिणेश्वर मेँ आगमन हुआ। उन्होंने उन्हेँ तंत्र की शिक्षा दी। मधुरभाव मेँ अवस्थान करते हुए ठाकुर ने श्रीकृष्ण का दर्शन किया। उन्होंने तोतापुरी महाराज से अद्वैत वेदान्त की ज्ञान लाभ की और जीवन्मुक्त की अवस्था को प्राप्त किया। सन्यास ग्रहण करने के वाद उनका नया नाम हुआ श्रीरामकृष्ण परमहंस। इसके बाद उन्होंने ईस्लाम और क्रिश्चियन धर्म की भी साधना की।
भक्तों का आगमन
ReplyDeleteसमय जैसे-जैसे व्यतीत होता गया, उनके कठोर आध्यात्मिक अभ्यासों और सिद्धियों के समाचार तेजी से फैलने लगे और दक्षिणेश्वर का मंदिर उद्यान शीघ्र ही भक्तों एवं भ्रमणशील संन्यासियों का प्रिय आश्रयस्थान हो गया। कुछ बड़े-बड़े विद्वान एवं प्रसिद्ध वैष्णव और तांत्रिक साधक जैसे- पं॰ नारायण शास्त्री, पं॰ पद्मलोचन तारकालकार, वैष्णवचरण और गौरीकांत तारकभूषण आदि उनसे आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त करते रहे। वह शीघ्र ही तत्कालीनन सुविख्यात विचारकों के घनिष्ठ संपर्क में आए जो बंगाल में विचारों का नेतृत्व कर रहे थे। इनमें केशवचंद्र सेन, विजयकृष्ण गोस्वामी, ईश्वरचंद्र विद्यासागर के नाम लिए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त साधारण भक्तों का एक दूसरा वर्ग था जिसके सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति रामचंद्र दत्त, गिरीशचंद्र घोष, बलराम बोस, महेंद्रनाथ गुप्त (मास्टर महाशय) और दुर्गाचरण नाग थे।[1]
बीमारी और अन्तिम जीवन
रामकृष्ण परमहंस जीवन के अंतिम दिनों में समाधि की स्थिति में रहने लगे। अत: तन से शिथिल होने लगे। शिष्यों द्वारा स्वास्थ्य पर ध्यान देने की प्रार्थना पर अज्ञानता जानकर हँस देते थे। इनके शिष्य इन्हें ठाकुर नाम से पुकारते थे। रामकृष्ण के परमप्रिय शिष्य विवेकानन्द कुछ समय हिमालय के किसी एकान्त स्थान पर तपस्या करना चाहते थे। यही आज्ञा लेने जब वे गुरु के पास गये तो रामकृष्ण ने कहा-वत्स हमारे आसपास के क्षेत्र के लोग भूख से तडप रहे हैं। चारों ओर अज्ञान का अंधेरा छाया है। यहां लोग रोते-चिल्लाते रहें और तुम हिमालय की किसी गुफा में समाधि के आनन्द में निमग्न रहो क्या तुम्हारी आत्मा स्वीकारेगी। इससे विवेकानन्द दरिद्र नारायण की सेवा में लग गये। रामकृष्ण महान योगी, उच्चकोटि के साधक व विचारक थे। सेवा पथ को ईश्वरीय, प्रशस्त मानकर अनेकता में एकता का दर्शन करते थे। सेवा से समाज की सुरक्षा चाहते थे। गले में सूजन को जब डाक्टरों ने कैंसर बताकर समाधि लेने और वार्तालाप से मना किया तब भी वे मुस्कराये। चिकित्सा कराने से रोकने पर भी विवेकानन्द इलाज कराते रहे। चिकित्सा के वाबजुद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता ही गया।
मृत्यु
अंत मेँ वह दुख का दिन आ गया।1886 ई. 16 अगस्त, सवेरा होने के कुछ ही वक्त पहले आनन्दघन विग्रह श्रीरामकृष्ण इस नश्वर देह को त्याग कर महासमाधि द्वारा स्व-स्वरुप में लीन हो गये।
मै देख रहा कि कुछ लोगअपने टी. ई.टी. लिखकर लगातार यह पूँछ रहे है कि मेरे 110 है, ,मेरे 118 है, ,,105 है, ,,,फलॉ, फलॉ.....मेरा होगा कि नही, या फिर होगा तो किस काउन्सिलिंग मे होगा????????
ReplyDeleteऐसे लोगो को बता दूँ कि अगर जॉब चाहते हो तो एकजुट हो जाओ ..... सरकार ने हम सभी को अलग -अलग बॉटने का """"जाल """ फैला दिया है, और हम सभी फस भी चुके है, और समय रहते भी अगर न सुधरे तो हाथ मलते रह जाओगे ।
फिर खूब चिल्ला -चिल्ला कर कहना कि अब क्या होगा,
मेरा तो हुआ नही .........
मेरा तो हुआ नही........
मेरा तो हुआ नही.........।
ये सारी बाते सच है,
इनको ignore ना करे, ,,,,,
साथियों अगर ये दस्तावेज ले जाते है तो आपको काउंसलिंग में कोई परेशानी नहीं होगी
ReplyDelete१) हाई स्कूल अंकपत्र /प्रमाणपत्र की दो प्रतियां
२)इण्टर अंकपत्र/प्रमाणपत्र की दो प्रतियां
३) स्नातक तीनों वर्षों के अंकपत्र/डिग्री/प्रोविजनल की दो प्रतियां
४) बी एड अंकपत्र/डिग्री/प्रोविजनल की दो प्रतियां
५) टी ई टी (१-५)प्रमाणपत्र की दो प्रतियां
६) जाति प्रमाण पत्र की दो प्रतियां (यदि लागू हो )
७) निवास प्रमाण पत्र की दो प्रतियां
८) विशेष आरक्षण की दो प्रतियां (यदि लागू हो)
९) चरित्र प्रमाणपत्र की दो प्रतियां (कुछ डायटों में ले रहे है )
१०) १० रूपए का स्टाम्प पर शपथ पत्र नोटरी सहित
११)मूल आवेदन की प्रति/ड्राफ्ट प्रति/डाँक रशीद प्रति (कुछ डायटों में मांग रहे है)
१२) काउंसलिंग लेटर (नेट से प्राप्त)
१३)नवीनतम फोटो (कम से कम ६)
१४) दो लिफ़ाफ़े रजिस्टर्ड डांक टिकट लगे हुए (कुछ डायटों में मांग रहे हैं)
१५)अनुबंध पत्र (डायट से मिलेगा )
१६)जांच पत्र (डायट से मिलेगा)
१७) दो फाइल टैग सहित/एक फाइल ज़िप लगी हुई मजबूत वाली (क्रमशः रिकार्ड और आपके ओरिजनल पेपर रखने हेतु )
१८)A -4 साइज़ के सादे कागज़ ६ (किसी भी समय जरुरत हो सकती है )/आल पिन/गोंद/स्टेपलर
१९)आई डी कार्ड की प्रति (ओरिजनल सहित)
सभी दस्तावेजों का ओरिजनल भी अपने पास रखे !
!
!
!
!
सभी को शुभकामनाएं!
पति-पत्नी एक भीड़ भरी बस में यात्रा कर रहे थे,
ReplyDelete.
.
पतिदेव एक सुन्दर औरत से बस में सटकर खड़े हुए थे ...
.
.
स्वाभाविक रूप में ,यह देखकर पत्नी जल रही थी !
.
.
अचानक वह औरत घूमी और आदमी के गाल पर एक जोरदार तमाचा मारा !
.
.
''यह लो , पराई औरत को चिकोटी काटने का मजा!''
.
.
बस से उतरकर पति पत्नी को सफाई देने लगा कि उसने चिकोटी नहीं काटी थी।
.
.
.
पत्नी अर्थपूर्ण नज़रों से देखते हुए मुस्कुराकर बोली ....
.
.
'' सिर्फ ,मुझे ही मालूम है !
.
.
.
.
.
और चिपको ???
सेवा में ,
ReplyDeleteश्री मान प्राचार्य महोदय
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण
सस्थान ...........................
दिनांक ...../..../.......
विषय :- काउन्सलिंग में मूल अभिलेखों की पावती के सम्बन्ध में- महोदय , मै प्रशिक्षु शिक्षक चयन २०११ हेतु जनपद ..................... में आवेदन किया है जिसके अंतर्गत दिनांक .......................को मै अपनी काउन्सलिंग हेतु जनपद ..................में सम्मलित हुआ हूँ एवं अपने समस्त वांछित शैक्षिणिक एवं सहशैक्षिणिक मूल अभिलेख जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान जनपद ...................मै अपने संज्ञानार्थ जमा करवा रहा हूँ | कृपया मेरे मूल अभिलेखों की पावती प्रदान करने की कृपा करे |
मूल अभिलेखों का विवरण इस प्रकार है :- १-................................... २-................................... ३-................................... ४-................................... ५-.................................. ६-.................................. अभ्यर्थी का नाम :- ७-.................................. पिता का नाम :- ८-.................................. टी.इ.टी रोल नम्बर :- ९-.................................. वर्ग :-
एतदद्वारा यह घोषणा करता / करती हूँ कि मैं .................................
ReplyDeleteपुत्र/पुत्री श्री ...........................वास्तव में उ.प्र. के ............जनपद का मूल निवासी हूँ | मेरे द्वारा आवेदन पत्र / प्रत्यावेदन में भरा गया विवरण सत्य है | चयन / प्रशिक्षण /किसी भी स्तर पर कोई सूचना /अभिलेख गलत / फर्जी पाए जाने की दशा में मेरा अभ्यर्थन स्वत निरस्त माना जाएगा |
काउन्सलिंग के आधार पर अह्र एवं उपयुक्त पाए जाने पर प्रशिक्षु शिक्षक हेतु जनपदीय चयन समिति द्वारा किया गया मेरा औपबंधिक चयन मेरे द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों के सत्यापन के अधीन होगा तथा मा. उच्च न्यायालय / मा. सर्वोच्च न्यायालय के किन्ही आदेशो / किसी लिपिकीय त्रुटि के संधान /आरक्षण नियमो के अंतर्गत रिसफलिंग के भी अधीन होगा | मेरे द्वारा प्रस्तुत सूचना /अभिलेखों के फर्जी/त्रुटिपूर्ण पाए जाने /छदम तरीके या कूट रचना के द्वारा चयन प्रक्रिया में आने की पुष्टि होने पर मेरा अभ्यर्थन स्वत समाप्त कर दिया जाए तथा मेरे विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही भी की जाए |
दिनांक -............................................................. अभ्यर्थी का हस्ताक्षर -
....................................................................... अभ्यर्थी का नाम -
........................................................................पिता का नाम -
.......................................................................पता ,:
डरना है तो भगवान से डरो, खुदा से डरो ये कपिल से डरना बंद करो आप लोग।
ReplyDeleteसिंगल बेंच में एक बार स्टे लगवाने के सिवाय इसने उसके बाद कौन सा केस जीता और किस जज ने आज तक इसकी कोई भी बात सुनी आप लोग याद करके जरूर बताना।
सिंगल बेंच में हमारी प्रक्रिया पर रोक गलत था यह बात SC तक साबित हो चुकी है और कपिल अब खुद उस मुद्दे को छोड़ चुका है।
अब बात करते हैं टेट मेरिट की, इसके लिए भी हमें सिंगल बेंच की बात करनी होगी टेट मेरिट के सभी गुण दोष वैधता इत्यादि का विश्लेषण करने के बाद ही अग्रवाल जी ने टेट मेरिट को सही ठहराया था।
ReplyDeleteNCTE अगर यह कहती भी है कि टेट एक पात्रता परीक्षा है तो वो कभी यह नहीं कह सकती कि टेट में पाये गये अंक अवैध है या फर्जी है।
अगर वो अंक वैध है सही है तो उसके आधार पर मेरीट बनाना कहीं से भी कभी भी गलत नहीं माना जा सकता।
मजे की बात कपिल प्रेस कांफ्रेन्स कर के यह कहता है कि भर्ती करने के नियम को बनाने का अधिकार सरकार का है कोई भी कोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती, चल भाई तू ही सही अब ये बता उस समय उत्तर प्रदेश में प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती टेट मेरिट से करने का नियम उत्तर प्रदेश सरकार ने बनाया था कि युगांडा सरकार ने?
ReplyDeleteमित्रों एक बात तो हम लोगों को मालूम ही है कि हमारी भर्ती कराने में मीडिया की कैसी भूमिका रही है। ये सभी अखबार वाले अपने पूरे अखबार के पन्नों को टेट मेरिट के विरुद्ध भर डालें लेकिन तब भी हीरा लाल गुप्ता वही करेंगे जो सुप्रीम कोर्ट के एक लाइन के आदेश में लिखा होगा।
ReplyDeleteकोर्ट की सिंगल बेंच से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हमारी भर्ती प्रक्रिया के सभी गुण दोषों की विवेचना विश्लेषण परीक्षण के बाद ठोक बजाकर हरी झंडी दी गई है, और सबसे रोचक बात कि आज तक हमारी भर्ती प्रक्रिया में कोई दोष साबित ही नहीं हो पाया।
ReplyDeleteआप लोगों से अनुरोध है कि ऐसे परेशान होकर खुद को कमजोर और उसको मजबूत न साबित करें। अपनी मर्दानगी को गाली मत दीजिए वो हाड़ मांस का आदमी ही है कोई "शक्तिमान" नहीं है।
मैं तो उस दिन के लिए भी तैयार बैठा हूँ कि सरकार कोर्ट में यह कह दे कि हम इस भर्ती को करने में अब असमर्थ हैं, कोर्ट का रुख देखूंगा अगर कहीं से भी यह लगा कि अब सारे रास्ते बंद हो गए हैं तो अपने रास्ते खोलूंगा। अब मुझे सच में डर नहीं लगता क्योंकि अब कुछ भी खोने को हमारे पास है ही नहीं अब वो हमारा कुछ भी नहीं छीन सकते। सरकार ने भर्ती करके हाथ को कलम चलाने का रास्ता दिखाया तो कलम चलेगा कुछ और रास्ता दिखाया तो कुछ और ही चलेगा। आप लोगों से भी अनुरोध करूँगा कि ये डर के कायरों वाली जिंदगी से बाहर निकलिये, जीवन में बहुत कपिल और बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ऐसे डरकर कब तक जीयेंगे।
ReplyDeleteआखिरी में बस इतना कहूंगा कपिल से इस भर्ती को न कभी पहले कोई खतरा था और न ही कभी भविष्य में होगा इसकी बात इसके वकीलों की बात कभी कोई जज सुनते ही नहीं है, अब प्लीज वो सिंगल बेंच वाली बात न कहियेगा तब न मोर्चा था न हमारा कोई वकील था उस समय जो कुछ हुआ था वो एकतरफा हुआ था उसके बाद से आज तक कोर्ट में हमारी लड़ाई कपिल से नहीं बल्कि सरकार से हुई है, ये तो भूषण साहब के सामने खुद को पार्टी बनने के लिए गिड़गिड़ाता रहा लेकिन उसकी ये बात भी नहीं सुनी गई।
ReplyDeleteमौज करिये मस्त रहिये कहीं कोई बात ही नहीं है।
काउंसलिंग
ReplyDeleteकी तारीख 15 के ही आस पास होगी।
काउंसलिंग की पूरी तैयारी कर लीजिये,
डाक्यूमेन्टस में ज्यादा परेशान होने
की जरूरत नहीं है।
१) सभी एकडमिक रिकार्ड का दो सेट
फोटो कापी।
२) निवास प्रमाणपत्र ( जो भी हो सब रख
लीजिये) और इसका भी दो फोटो स्टेट।
३) चार रंगीन पासपोर्ट साइज फोटो।
४) चरित्र प्रमाणपत्र आखिरी कालेज
का (अगर संभव हो तो बनवा लीजिये, यह
बहुत आवश्यक नहीं है)
५) NCTE द्वारा प्रमाणित आपके बी•एड•
कालेज का पत्र (यह आन लाइन मिल जाएगा,
सिर्फ अपने कालेज वाले नाम के पेज
का प्रिंट आउट)
६) दो साधारण फाइल दोनों में
फोटो स्टेट का एक एक सेट लगा ले।
७) एक मजबूत चैन वाली अच्छी फाइल जिसमें
आप अपना सभी मूल प्रमाणपत्र रखेंगे।
८) आई डी प्रूफ की दो कापी।
९) अपनी तरफ से रीसिविंग का एक
अप्लीकेशन तैयार ले जाइएगा उसमें उन
सभी प्रमाणपत्र के नाम लिख
दीजिएगा जो आप उन्हें सौपेंगे। इसका तीन
कापी रखियेगा दो वो लेंगे और एक
हस्ताक्षर करके आपको देंगे। कुछ डायट वाले
आनाकानी करते हैं लेकिन आप प्रेम से
कहियेगा मान जाएंगे।
१०) शासनादेश में इस बार किसी प्रकार के
शपथ पत्र का जिक्र नहीं है बल्कि अनुबंध पत्र
है जो एक सादे पन्ने पर होना चाहिए
लेकिन कुछ डायट पर यह हलफनामा के रुप में ले
रहे हैं, वैसे जहाँ हलफनामा लगेगा वहाँ पहले
से वकील साहब बैठे मिल जाएंगे इसलिए इसके
लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है।
सभी फोटो स्टेट कापी आपके द्वारा स्व
प्रमाणित रहेगी।
सबसे उपर वहाँ मिला हुआ फार्म
रहेगा इसका भी दो सेट रहेगा, यह समझ
लीजिये हर एक डाक्यूमेंट का दो सेट
रहेगा और दोनों फाइलों में रहेगा।
तो सबसे उपर काउंसलिंग फार्म फिर अनुबंध
पत्र फिर उसके नीचे आपका काउंसलिंग लेटर
जो नेट से मिलेगा, उसके नीचे टेट का अंक पत्र
और फिर नीचे हाईस्कूल से लेकर अंतिम
शैक्षणिक प्रमाणपत्र तक की कापी फिर
निवास प्रमाणपत्र उसके बाद
जाति प्रमाणपत्र, उसके बाद NCTE लेटर,
फिर चरित्र प्रमाणपत्र अगर है तो, अगर
कोई और प्रमाणपत्र
हो तो उसको भी लगा दीजिए लेकिन
सबसे आखिरी में आपका पहचान पत्र
का फोटो कापी रहेगा।
एक बात और कोई भाई अपने पहचान पत्र
का मूल कापी न दे देना, इसका सिर्फ
फोटो कापी ही लगेगा।
तीनों फाइलों के उपर और रीसिविंग पत्र
में में भी अपना नाम, टेट रोल नंबर, जन्म
तिथि, कम्प्यूटर आई डी और कन्ट्रोल आइ
डी जरूर लिखें।
और हाँ आपने जहाँ जहाँ आवेदन किया था उन
सभी जिलों के नाम लिखकर रख
लीजियेगा क्योंकि फार्म में लिखना है।
उपर बताये गए सभी बातों का ध्यान
रखिये दो दिन पहले सब कुछ तैयार रखिये
काउंसलिंग वाले दिन किसी भी प्रकार
की टेंशन नहीं होगी।
अपने मन की सारी शंकाओं को खत्म कर
दीजिए 45-50 सभी प्रतिशत वाले
काउंसलिंग के लिये योग्य हैं अगर आपके नाम
का काउंसलिंग लेटर शो हो रहा है
बिंदास होकर काउंसलिंग करवाइए इस
बार डायट को सभी दिशा निर्देश दे
दिए जाएंगे।
.
ReplyDelete.
.
51
.
.
+
.
49
.
.
=
.
.
.
.
.
.
H
U
N
D
R
E
D
.
.
.
.
.
Socha Na Tha Kabhi Shayari Karoonga!!
Par Tune Majboor Kar Diya.
Bheed Mein Kabhi Akela Mehsoos NaKia!!
Par Tune Majboor Kar Diya.
Socha Na Tha Ki Kabi Mohabbat Karunga!!
Par Tune Majboor Kar Diya……..
ऐसा लगता है,
ReplyDeleteहर इम्तिहाँ के लिए,
किसी ने जिन्दगी को हमारा पता दे
दिया है…
रिश्ता वही सफल होता है
ReplyDeleteजहाँ सब कुछ दोतरफा हो...
समर्पण ,
प्रेम ,
आजादी
सम्मान ,
स्नेह ,
चिंता
और
यहाँ तक झगड़ा भी
कुछ भी एकतरफा होते ही
रिश्ताबोझ बन जाता है।
"Umar kya kahun qaafi nadan hai meri,
ReplyDeletesabko pyar dena pahchan hai meri,
apka dil zakhmo se bhara ho to humse milo,
dilo ko repair karne ki dukaan hai meri."
#From :: AVI
आगरा से गधो को हवाई जहाज में बिठाकर
ReplyDeleteदिल्ली लाया जा रहा था।
गधे जहाज में ढेंचू ढेंचू कर रहे थे। उनमें से एक गधा कपिला तो पायलट के
कैबिन
में घुस गया और बोला, उठो जहाज मैं चलाऊंगा। पायलट ने
हट्टे-
कट्टे
गधे से उलझना ठीक न समझा और उससे कहा
,
‘अगर तुम शोर मचा
रहे इन गधो को शान्त कर दो तो मैं तुम्हें जहाज चलाने दूंगा।‘
कपिला
कैबिन में चला गया और तीन-चार मिनट बाद आकर बोला,
‘लो शान्ति
हो गई है अब मुझे जहाज चलाने दो।‘ पायलट ने देखा सचमुच
कोई
आवाज नहीं आ रही थी।
उसने कपिला से पूछा, ‘यह तुमने कैसे किया?‘
कपिला बोला, ‘कुछ खास नहीं। जहाज उड़ रहा था मैंने
उसका दरवाजा
खोलकर उनसे कहा उतरो सुप्रीम कोर्ट आ गया है और वे सब
उतर गए।‘
Jab se aapko jana hai,
ReplyDeleteJab se aap sa dost paya hai,
Har dua me aap ka naam aaya hai,
Dil karata hai punchu us rab se ki,
Kya itna pyara dost sirf mere liye banaya hai….
#From:: AVI
साथियो नमस्कार आज कुछ बिकाउ समाचार पत्र सुप्रीमकोर्ट से खदेड़ेगये लोगो द्वारा प्रायोजित बातों का प्रोपगंडा बना रहे है |
ReplyDeleteआप विचार करें ------
क्या सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाया है ?
नहीं लगाया क्यो कि इनकी बात मे दम न था और विचार करें क्या सुप्रीमकोर्ट के फैशले पर हाईकोर्ट टीका टिप्पणी या स्टे कर सकता है कदापि नहीं और विचार करें केस सुप्रीमकोर्ट में सुना जा रहा है सारे कागजात वहां हैं तो क्या हाईकोर्ट में सुनवाई सम्भव है ?
अत्यन्त कठिन है और विचार करें अधिकारगण क्या हाईकोर्ट का इन्तजार करेंगे या कंटेम्पट में अपनी गर्दन फँसाऐँगे जाहिर है भरती जारी रखेंगे और विचार करें हाईकोर्ट कोई सलाह देकर भावी सुप्रीम जज भारत सरकार से खून्नश क्यों चाहेगा
Dost mujhe lagta hai ki ab woh samay a gaya hai ki jab sabhi groups ko ek hone ki jaroorat hai,kyunki agar hum alag 2 rahe to nuksan ho sakta hai.
ReplyDeleteDost mujhe lagta hai ki ab woh samay a gaya hai ki jab sabhi groups ko ek hone ki jaroorat hai,kyunki agar hum alag 2 rahe to nuksan ho sakta hai.
ReplyDeleteसाथियो नकलचियौं मे टेटयन को ललकारने का साहस इसलिए पैदा हुआ कि हम टेटयन एकजुट नहीँ हैं अतः मैं दावे के साथ कहता हूँ जिस दिन लखनऊ भुजा और इलाहाबाद भुजा एक टेट मेरिट पर जुड़ेंगे उसदिन नकलचियों ही नहीँ शिक्षाशत्रु तथा इनके संरक्षक सपा तबाह हो जायेंगे
ReplyDeleteअत्एव एकजुट रहें एक आवाज निकालें
जयटेट
1) kapil dev aur sadhna mishra ki modification application halaki suprime court ke antrim aadesh ke anusar ho rahi tet merit se bharti par rok nai lga skti par ise halke me v lena ek bdi bhul hogi..
ReplyDeleteye bharti toh hokar hi rahegi,jo ki ek atal satya hai,par agar ekta na hui to thoda vilamb aur ho sakta hai,atah morche ke logon se mera anurodh hai kiagar ye case court me jata hai toh koshish honi chahiye ki ye kisi bhi keemat par dismiss ho jaye.
ReplyDelete2) dhyan rahe kapil dev yadav suprime court best aur mahage wakil rakesh diwedi ji ke margdarshan me ye sb kr rha hai. .
ReplyDelete4) dosto jaisa ki tet morcha jald high court me caviet dakhil kr dega taki agar acd team chori se v high court gye to hame suchna mil jaye aur hamara pax sunane ke liye v bulaya jaye..
ReplyDeleteaur sale kapil aur sadhna par jurmana lagwaya jaye,ish bharti ko badhit karne ke liye.
ReplyDelete5) dosto contempt of court ki sujeet singh aur s.k.pathak dono ka application number mil chuka hai..hame sare matbhed bhulakar ab ek hokar virodhiyo ke chhakke chhudane hoge..contempt ki jald date lgne ki aasha hai..contempt se sarkar par dabav bnega aur bharti jald purn hogi.
ReplyDelete6) sikshamitro ka case aaj back log fresh me tha aur khare aur navin sharma ji court me pahuche the baki writo ke wakil nahi the chuki any kai writ ki alag alag sunwai ko lambit hai..atah c.j ne sbhi writo ko bunch kr ek sath sunane ke liye next tuesday ko fresh me case lga diya gya..next tuesday to sunwai hone ke purn chance hai..
ReplyDeleteAfter a fight
ReplyDeleteDon't want to talk
.
And still you check your mobile too know
If you have Missed call or msg...!!
Dats The Innocence of True Love..
atah mere ye vinamra anurodh hai ki jo bhi sathi mera blog pad rahe hai woh ye sunishit karen ki allahabad,lucknow aur western up ke hamare sathi ab ek ho jaye,netagiri dikhane ke awsar bad me bhi aane wale hain.
ReplyDeleteतुम सोच रहे हो बस, बादल कीउड़ानों तक,
ReplyDeleteमेरी तो निगाहें हैं सूरज के ठिकानों तक।
टूटे हुए ख़्वाबों की एक लम्बी कहानी है,
शीशे की हवेली से पत्थर के मकानों तक।
दिल आम नहीं करता अहसास की ख़ुशबू को,
बेकार ही लाए हम चाहत को ज़ुबानों तक।
लोबान का सौंधापन, चंदन की महक में है,
मंदिर का तरन्नुम है, मस्जिद की अज़ानों तक।
इक ऎसी अदालत है, जो रुह परखती है,
महदूद नहीं रहती वो सिर्फ़बयानों तक।
हर वक़्त फ़िज़ाओं में, महसूस करोगे तुम,
मैं प्यार की ख़ुशबू हूँ, महकूंगा ज़मानों तक___
JAI TET MERIT
ReplyDeleteVANDE MATRAM
तो सुबह के खाने का समय तय करिये । तो समय मैने आपका बता दिया की, सुरज उगा तो ढाई घंटे तक । माने 9.30 बजे तक, ज्यादा से ज्यादा 10 बजे तक आपक भोजन हो जाना चाहिए । और ये भोजन तभी होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे । ये नाष्ता हिंदुस्थानी चीज नहीं है । ये अंग्रेजो की है और आप जानते है हमारे यहाँ क्या चक्कर चल गया है , नाष्टा थोडा कम, करेंगे ,लंच थोडा जादा करेंगे, और डिनर सबसे ज्यादा करेंगे । सर्वसत्यानाष । एकदम उलटा बागवटजी कहेते है की, नाष्टा सबसे ज्यादा करो लंच थोडा कम करो और डिनर सबसे कम करो । हमारा बिलकूल उलटा चक्कर चल रहा है !
ReplyDeleteये अग्रेज और अमेरिकीयो के लिए नाष्टा सबसे कम होता है कारण पता है ??वो लोग नाष्टा हलका करे तो ही उनके लिए अच्छा है। हमारे लिए नाष्टा ज्यादा ही करना बहूत अच्छा है । कारण उसका एकही है की अंग्रेजो के देश में सूर्य जलदी नही निकलता साल में 8-8 महिने तक सूरज के दर्शन नहीं होते और ये जठरग्नी है । नं ? ये सूरज के साथ सीधी संबंध्ति है जैसे जैसे सूर्य तीव्र होगा अग्नी तीव्र होगी । तो युरोप अमेरिका में सूरज निकलता नहीं -40 तक . तापमान चला जाता है 8-8 महिने बर्फ पडता है तो सूरज नहीं तो जठरग्नी तीव्र नहीं हो सकती तो वो नाष्टा हेवियर नही कर सकते करेंगे तो उनको तकफील हो जाएँगी !
अब हमारे यहाँ सूर्य हजारो सालो से निकलता है और अगले हजारो सालों तक निकलेगा ! तो हमने बिना सोचे उनकी नकल करना शुरू कर दिया ! तो बाग्वट जी कहते है की, सुबह का खाना आप भरपेट खाईए । ? फिर आप इसमें तुर्क - कुतुर्क मत करीए ,की हम को दुनिया दारी संभालनी है , किसलिए ,पेट के लिए हीं ना? तो पेट को दूरूस्त रखईये , तो मेरा कहना है की, पेट दुरूस्त रखा तो ही ये संभाला तोही दुनिया दारी संभलती है और ये गया तो दुनिया दारी संभालकर करेंगे क्या?
मान लीजिए, पेट ठीक नहीं है , स्वास्थ ठीक नहीं है , आप ने दस करोंड कमा लिया क्या करेंगे, डॉक्टर को ही देगे ना ? तो डॉक्टर को देने से अच्छा किसी गोशाला वाले को दिजीए ;और पेट दुरूस्त कर लिजिए । तो पेट आपका है तो दुनिया आपकी है । आप बाहर निकलिए घरके तो सुबह भोजन कर के ही निकलिए । दोपहर एक बजे में जठराग्नी की तीव्रता कम होना शुरू होता है तो उस समय थोडा हलका खाए माने जितना सुबह खाना उससे कम खाए तो अच्छा है। ना खाए तो और भी अच्छा । खाली फल खायें , ज्यूस दही मठठा पिये । शाम को फिर खाये ।
अब शाम को कितने बजे खाएं ???
72825 भर्ती मे सचिव हीरालाल का
ReplyDeleteहरामखोरी मे सी बी लाल का
घूंसखोरी में शिवपाल का
चंदाखोरी मे यादव कपिल लाल का
थूककर चाटने में अखिलेश जैसे दलाल का
बहुत नाम है।
एक पहाङी पर एक ग्रामीण अपने
ReplyDeleteजानवरों को चरा रहा था.....!
अचानक वहां एक हेलिकाप्टर उतरा और
उसमें से एक खुबसूरत
आदमी निकला.......!
वह अकङता हुआ ग्रामीण के पास
आया और
बोला-"अगर मैं बिना गिने
तुम्हारी गायों की सही संख्या बता दूं
तो क्या तुम मुझे एक बछङा दे दोगे...????"
ग्रामीण थोङा सोचकर बोला-"ठीक
है....दे दूंगा....!"
आदमी ने जेब से अपना स्मार्ट फोन
निकाला फिर
गूगल मैप एप से वहां का पोजिशन
लिया और ISRO को भेजकर
कहा कि इस पहाङी पर कितने जीवित
प्राणी हैं उनकी संख्या बताओ
....?????"
जवाब आया 35 प्राणी।आदमी ने 2
करके ग्रामीण से कहा-"तुम्हारे पास 33
गायें हैं
एक बछङा ले लो.....!"
वो आदमी जानवर को हेलिकाप्टर पर
लादने
लगा तभी ग्रामीण उसके पास जाकर
बोला-"अगर मैं आपका नाम बता दूं
तो क्या आप मैंरा जानवर मुझे
वापस दे दोगे.....????"
आदमी को बङा आश्चर्य हुआ और
बोला-"ठीक है दे दूंगा
..!!!!"
ग्रामीण बोला-"आप राहूल
गांधी हैं....!"
राहुल गांधी-"कमाल है......तुमने कैसे
पहचाना....??????"
ग्रामीण बोला-"बहुत आसान है.....।"
*पहली बात ये कि आप बिना बुलाए
यहां आए।
**दूसरी आप जनता के लाखों रुपये खर्च
करके
यहां आए और मुझे वो बात बताई जो मुझे
पहले से मालूम है।
***तीसरी बात आप जिन्हे गायें
बता रहे हैं वो भेङें है....।
अच्छा.......अब मैरा कुत्ता मुझे वापस कर
दो.
भाई मै आप
ReplyDeleteलोगो को Resuffling
का तरीका बता रहा हूँ क्या ये
सही है
1.हर काउन्सलिँग मे पहले
हो चुके काउन्सलिँग के आरक्षित
वर्ग के अभ्यर्थी जनरल मे जोड
दिये जाते है उ0- पहला कट आफ
GEN-127,OBC-125,SC-123
अब अगर दूसरा कट आफ
GEN-123है तो पहले
काउन्सलिँग के OBC SC से GEN
की सीटेँ भर ली जायगी और शेष
बची सीटोँ पर पुनः 2nd
काउन्सिँलिग करवाई
जायगी और आरक्षित वर्ग
की सीटे इस प्रकार तब तक
नहीँ भरी जायगीँ जब तक
जनरल की सीटे भार ना जाय।
हाल ही में सर्वोच्य न्यायालय द्वारा साधना मिश्रा की याचिका पर दिए इस निर्णय ने पुरे प्रदेश में कोलाहल मचा दिया है। सभी के मन में एक ही चिंता और एक ही प्रश्न है "क्या अब २-३साल से चला चक्र फिर से चलेगा.?"
ReplyDeleteदोस्तों, 30/11/11 को प्रकाशित टेट मेरिट आधारित विज्ञापन के भाग्य का फैसला 04/02/13 को हरकौली साहब ने, 20/11/13 को भूषण साहब ने हाईकोर्ट से और 25/03/14 को दत्तु जी ने सुप्रीम कोर्ट से कर दिया है जिसके कि चयन का पहला चरण 29,30,31 अगस्त14 में पूरा भी होगया और अगले चरण की तैयारियां लगभग पूरी है। साधना मिश्र की याचिका पर दिए आदेश में सर्वोच्य न्यायालय ने किसी भी प्रकार से भर्ती की काउंसलिंग पर रोक नही लगाई है अतः प्रकिया चलती रहेगी।
में इस आदेश को या कहूँ कि अब होने वाली सभी याचिकाओ को बड़े ही सकारात्मक रूप में समझ रहा हूँ ये सभी याचिकाए कहीं ना कहीं सरकार की मुश्किलें बडाने जा रहीं है।
72,825शिक्षको का चयन तो पूर्ववर्ती सरकार द्वारा 30/11/11 को प्रकाशित विज्ञापन टेट मेरिट आधार से ही होगा। अब प्रश्न ये है कि 07/12/12 को प्रकाशित इतने ही पद वाला विज्ञापन कहाँ है और उसके नाम पर बेरोजगारों से बसूला गया करोड़ो-करोड़ो का धन कहाँ है...???? यदि वो पद विहीन और चयन आधार विहीन है तो सरकार द्वारा उसका शुल्क वापस क्यों नही किया गया या इतने पदों का सृजन करके भर्ती को पूरा क्यों नही किया गया..????
फ़िलहाल आप लोग चिंता ना करें। हां चिन्तन और क्रियान्वन अवश्य करें। संगठन से जुड़े रहे और न्यायपालिका के सहयोग से इस अलोकतांत्रिक सरकार के पतन का हिस्सा व कारक बने।
स्वस्थ रहे, सचेत रहे,
सजग रहे, संगठित रहे,
सदा सकारात्मक रहे।
जय हिन्द जय टेट जय भारत
!! सत्यमेव जयते सर्वदा !!
कल शाम से काफी उहापोह की स्थित बनी हुई है । ऐसे मे काउसलिग शुरू होने की खुशी मे खलल पडना स्वाभाविक है ।......पर ये न्यूज हमे चिन्तित करने की अपेक्षा गधाको से चंन्द्रा बटोरने का हत्कंडा ज्यादा है । ये न्यूज कितनी प्रभावशाली है आओ समझने का प्रयास करे ।
ReplyDelete1-ये आर्डर 5सितम्बर को आया था .....लेकिन कपिल या उसके किसी भी गुर्गे ने जरा भी हल्ला नही मचाया कल तक पर कल मीडिया मे न्यूज आने के बाद बहती गंगा मे हाथ धोने का प्रयास किया।
2- असल मे SC से आर्डर की कापी लेने के बाद SC परिसर मे उपस्थित मीडिया जनो को मनगढंत कहानी सुनाई और मीडिया ने उसी के हवाले से ये खबर छापी ....ये मीडिया की अपनी खबर नही है ।
3-इस आर्डर को पढ कर स्पष्ट होता है कि ये रिट वापस ली गयी है । इस शर्त पर कि इस रिट मे उठाये गये मुद्दे पर अगर हाईकोर्ट ने अभी तक विचार नही तो अगर हाईकोर्ट उचित समझे तो उस पर विचार कर ले लेकिन ये बाध्यकारी नही है कि विचार करना ही है ।
4-हाईकोर्ट पहले उस रिट को देखेगा जिन मुद्दों को लेकर साधना मित्रा SC गयी थी । उसी मुद्दे पर सुनवाई कर सकती है कोर्ट अन्य किसी मुद्दे पर विचार स़म्भव नही ।इसलिए मोर्चे को पहले उस साधना वाली रिट कि कापी सर्च करनी चाहिए ।
5- मुख्यता ये रिट पुराने ऐड शे संमबन्धित ही नही है ।हा .....पुराना एड बाहल होने से केवल नये एड मे आवेदन करने वालो का जो हित प्रभावित हो रहा है उनके लिए कोर्ट सरकार से कुछ जबाव माग सकती है लेकिन पुराने एड से चल रही प्रक्रिया मे हाईकोर्ट कुछ अडंगे बाजी नही कर पायेगी।
स्रोत -जैसा मेरी समझ मे आ रहा है ।
आकादमिक समर्थकों के लिए कुछ मंत्र जो उनके कष्टों का निवारण करेगा....
ReplyDelete1-यदि शरीर में में खुजाला की न्यूज पर खुजली उग्र हो जाये तो...
उपाय-खुजाला की पुरानी न्यूज निकालकर 100 बार मनोयोग से पढे...खुजली शांत होगी!!!!!
2-रात को भयानक सपने आये और डायट के सपने परेशान करे तो ....
उपाय-तीन देवताओं मा.दत्तू सर,मा.हरकौली सर,मा.भूषण सर का तुरन्त स्मरण करें...अच्छी नींद आयेगी!!!!
3-कभी कभी झटके आये और स्मृतिलोप का लक्षण प्रकट हो तो...
उपाय-अनिल संत के जी ओ को चाँदी की ताबिज बनाकर धारण करें....स्मृति दोष और झटके से आराम मिलेगा...
.
4-मन में कभी-कभी टेट मेरिट के बारे में बुरे ख्यालात आये तो...
.
उपाय- मा.सुधीर अग्रवाल के बेंच द्वारा जानबूझकर प्रक्रिया प्रभावित करने के अकादमिक समर्थक पर लगाया गया 2.50 लाख का जुर्माना याद करें और उस एकेडमिक समर्थक को याद करें जिसका आज तक पता नही कहाँ है वो?
.
शेष अगले अंक में...
एक नाम जो लिखा तेरा साहिल की रेत पर,
ReplyDeleteफिर उम्र भर हवा से मेरी दुश्मनी रही !
अख़बार पढ़कर लोगों ने इतना फोन किया कि बता पाना भी कठिन है।
ReplyDeleteहाई कोर्ट की भूषण साहब की खंडपीठ ने जो आदेश किया था उसे
सुप्रीम कोर्ट की दत्तू साहब की खंडपीठ ने प्रथम दृष्टया परीक्षण करके अंतरिम तौर पर बहाल किया था ।
दत्तू साहब ने मुकुल रोहतगी को सिर्फ अमेंडमेंट 12 पर ही बोलने दिया था जिसके आधार पर पुराना विज्ञापन जारी हुआ था।
भूषण साहब द्वारा पुराना विज्ञापन बहाल किया गया था जिसकी काट मुकुल रोहतगी तलाश नहीं पाये।
अमेंडमेंट 15 पर दत्तू साहब द्वारा इजाजत न मिलने के कारण मुकुल रोहतगी बहस नहीं कर सके।
ReplyDeleteआगे आपको बता दूँ कि साधना जी सिर्फ नये विज्ञापन पर ही अपने वकील से बहस करवा पायेंगी।
जिसमे कि उनके विरुद्ध हम भी प्रतिवादी होंगे।
टीईटी में गुड पार्ट/धांधली पर सरकार का जवाब देखने लायक होगा जिसकी धज्जी हरकौली साहब पहले ही उड़ा चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट अपने निर्णायक आदेश में टीईटी मेरिट पर ही फैसला सुनायेगी तथा अमेंडमेंट 15 के साथ टीईटी का भारांक न होने के कारण उसे ठिकाने लगायेगी परन्तु सरकार यदि चाहे तो अंतरिम तौर पर एक भर्ती अमेंडमेंट 15 पर करवा सकती है।
ReplyDeleteउसके पास जूनियर का पद है ही उसमे तीस-चालीस हजार पद और जोड़ दे
अन्यथा नये विज्ञापन का पैसा तो वापस करना ही पड़ जायेगा तब उस आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने पर कुछ हासिल नहीं होगा।
रूल/एक्ट के आधार पर ही शासनादेश जारी होता है तथा शासनादेश के आधार पर ही विज्ञप्ति आती है
ReplyDeleteइसलिए पुराने विज्ञापन में भी सुप्रीम कोर्ट अमेंडमेंट 12 के आधार पर निर्णायक भर्ती करायेगी।
अभी जो अंतरिम नियुक्ति(जूनियर) हो रही है
मात्र एक अंतरिम नियुक्ति होगी जिसमे बाद में कई लोग अभी जो चयनित होंगे उनको बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा तथा जो अभी कुछ लोग बाहर हो रहे हैं उनका चयन हो जायेगा।
अतः पुराने विज्ञापन में टीईटी मेरिट सत्य है लेकिन विभाजन आदि संवैधानिक दायरे में होगा।
धन्यवाद।
आज यहाँ सब अपने अपने तरीके से सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लच्छेदार भाषा मेँ समझा रहे हैँ लेकिन ये कोई नहीँ बता रहा है कि जब वो हराम खोर थर्ड पार्टी कभी था हीँ नहीँ तो वो सुप्रीम कोर्ट पहुँच कैसे जा रहा है ?
ReplyDeleteकेस तो हम सरकार से लड़ रहे थे और उसने तो एकल पीठ से हीँ अपने मसले को वापस ले लिया था ।
क्या इस भर्ती को कोई भी चिथरु-कतवारु मुँह उठाकर मुकदमेँ बाजी करने जा सकता है?
इस हराम खोर के विरुद्ध, समय बर्बादी एवं आर टी ई का हवाला देकर एक जनहित याचिका नहीँ डाली जा सकती???
ये सत्य है कि न्यायालय मेँ अपनी बात कोई भी रख सकता है, किन्तु चिरकुटाही की हदेँ पार करके नहीँ, न्याय संगत एवं कानूनी प्रकृया से ।।।
ncte के वकील क्या जवाब देंगे कि टेट
ReplyDeleteका कितना प्रतिशत वेटेज देय होगा..जब
हमारी भर्ती प्रारम्भ हुई थी तो ncte ने
वेटेज सम्बन्धी कोई गाइडलाइन तय
नही किया था.....अब अगर ncte कोई मानक
तय भी करती है तो वह अग्रगामी प्रभाव
रखेगा....पश्चगामी नही...आने
वाली भर्तियो पर लागू होगा....
.
चयन में अंकों का महत्तव
दिया जाना चाहिए कि नही यह राज्य
सरकार का विषय है....अंकों का महत्तव
कोई सार्वभौमिक सत्य नही है....
.
टेट के दुश्मनो समझ लो अब हम बिमारी जड
से खत्म करेंगे ..
एक बात तो ये है कि SLP गुप चुपडाली गयी दूसरी याची ने एकतथ्य छिपाया , याचिका मेँकहा गया कि भर्ती मेँनियमावली 1981 का पालननहीँ किया गया जिसमेँ अकेडमिकमैरिट का उल्लेख है जबकि 12वाँ सँशोधन 2011को छिपा लिया गया तीसरा ncteके वकील को जबाब देने के लियेकोई नहीँ था सो दत्तू साहबभ्रमित हो गयेI Atah hamen HC va SC me ek application dalni chahiye ke in future koi bhi yachika Tet ke khilaf aati hai to hamen bhi parti banakar sunwai ki jaye.
ReplyDelete(science,art,mahila,purush) इस आधार पर भर्ती तो २००७ और २००८ में भी हो चुकी है उस पर ऊँगली क्यों नही उठी
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
51
.
.
+
.
49
.
.
=
.
.
.
.
.
.
H
U
N
D
R
E
D
.
.
.
.
.
Boy : Baby i want to tell u something .
Girl : Yes.
Boy : When you go home today thank your Mom for me..
Girl : Okey but y? .
Boy : Thank her because she gave birth to an angel in this earth
who is my Life and to who one day will make my wife,,
G
O
O
D
.
.
.
N
I
G
H
T ................9.................8
Kpil is heero good night
ReplyDeletekapil sala chutiya namakharam ;mansik rogi ;haramkhor. hai.
ReplyDelete"लातो के भूत बातो से नहीं मानते"
ReplyDelete.
इस बात को कपिल ने साबित कर दिया हैं| जब ये भर्ती स्टार्ट हुयी थी तब इसको विज्ञापन जारी कर्ता के अधिकार पर प्रॉब्लम थी| आज टेट मेरिट पर हो गयी हैं| इसकी मूल परेशानी ये हैं की वो येन-केन प्रकारेण इस भर्ती को रोकना उसका एकमात्र उद्देश्य हैं| इसके लिए चाहे किसी भी हद तक जाना पड़े|
भोजपुरी में एक कहावत हैं "'आई आम चाहे जाई झटहा "" | कपिल इसी को फालो कर रहा हैं| अगर किसी तरह ७२८२५ भारती का गुच्झा उसके पाले में गिर गया तो ठीक वरना इसी बहाने चंदे क दुकान तो चल ही रही हैं| उसका खर्च वर्च निकल जा रहा हैं, चिंता किस बात की|
.
बिना पेंदी का लोटा इधर उधर लुढ़केगा ही|
ReplyDeleteइसने दुबारा रिट डाली और ओब्जेसन भी बदल गया| इससे यह बात सिद्ध हो रही हैं की ये किसी तरह वो अपनी दुकान सजाये रखना चाहता हैं| इस बात को बेचारे अकेडमिक समर्थक नहीं समझ नहीं पा रहे हैं और हर पल उसकी बिछायी जाल में फसते जा रहे हैं| एक सलाह देना चाहता हु इनको किसी तरह कपिल के चंगुल से निकल कर टेट मोर्चा की शरण में आ जाये हम इनके साथ मिल कर सड़क से लेकर कोर्ट तक संघर्ष करेंगे और नए विज्ञापन पर एक नयी भर्ती की मांग में समर्थन करेंगे यानि अगर वो हमारे साथ आ जाये तो ७२८२५ नहीं बल्कि इसके दोगुने पदों पर भर्ती होगी|
अब अपनी बात
ReplyDeleteमैं कोई कानूनी जानकारी नहीं रखता| कोर्ट कचहरी के बारे में जानकारी तो नवम्बर २००११ से ही पता चलाना शुरू हुआ| लेकिन इतना जरुर जानता हूँ की कोई भी अपने से बड़े अधिकारी को आदेश नहीं दे सकता या उसके आदेश को नहीं रोक सकता हैं| जितानी भी जानकारी मिली हैं उसके अनुसार उच्च न्यायालय जो भी आदेश देता हैं पहले उच्चतम नयायालय की लैब में उसका परीक्षण होगा| इस बात से यह निश्चित हैं की हमरा कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता हा इतना हो सकता हैं की समय लगे| इस बात को लेकर अब हमारे संघटन को सचेत हो जाना चाहिए क्योकि साधना और कपिल ने उच्चतम न्यायलय ने दो आदेश दे दिए और हम जान भी नहीं पाए|
प्राइमरी के इन ७२८२५ पदों में सिर्फ और tet मेरिट का अधिकार हैं और अधिकार रहेगा| इसे कोई भी नहीं छीन सकता| अगर इस मेरिट पद्धति में कोई गलती या कमी होती तो उच्च नयायालय और उच्चतम नयायालय इसे कब का रद्द कर चूका होता| रद्द करना तो दूर किसी भी नयायालय ने इसकी रत्ती भर भी आलोचना तक नहीं की हैं| यही हमारी विजय का द्योतक हैं|
ReplyDeleteमैं अपने मोर्चे के अग्रणी बन्धुओं से निवेदन करता हु की इग्नो ४५% और कंटेम्प्ट जैसे निराधार समस्यायों को समूल नष्ट कर इस भर्ती को जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास करे ताकि साधना और कपिल जैसे कुटिल लोगो की नज़र न लगे|
ReplyDeleteसत्य वचन,
ReplyDeleteमुझे लगता है कि अब समय आ गया है हमे एक जूट होकर कपिल एण्ड कम्पनी के खिलाफ प्रत्यक्ष रुप से कानूनी कार्यवाही करना चाहीए |
अब बहुत हो चुका अब इनके षङयंत्र पर पूर्ण विराम लगना चाहीए
sutro se gyat huaa hai ki lagbhag 20000 farji candidate consl. karane ke firak me hai inaka tet mark 115 se 126 ke bich hai
ReplyDeletesavdhan ho jayiyen aur agali consl. me morchha ke sath deito me pahuche aur farji logo na hone de ................
jai hind........................... jai tet merit
Tmntbbn sir Ji Kya iske liye Koi vishes praband kiya gaya hai farji walo ko rokne ke liye.
DeleteKya morcha walo ko Koi apna tet marksheet check karwayega. iske liye Kya sachiv mahoday Koi anumati denge.iske liye Kya praband Aur kaisa kiya gaya hai kripya avagat karaye jisase ham log bhi vahi date rahe.
Agar ye baat satya hai to ye Bahut hi gambhir & sambedansel mamla hai.
Ispe sabhi tet bhandu ka nigah hona avasyak hai
एस सी ई आर टी केवल डेटा ऑन लाईन तो करे बाकी काम हमारा है । एक-एक को चुन- चुन कर मारा जायेगा ।
ReplyDeleteआज मैंने सधाना मिश्रा की रिट निकलवाई। ओकील ने सधाना मिश्रा पुत्र एस मिश्रा(male) की रिट में ncte को लपेटे में ले रखा है कहा है कि ncte को rte एक्ट के तहत इस प्रकार की गाईडलाईन बनाने का कोई अधिकार नहीं है कि वो वेटेज दे सके। बातें इस प्रकार लिखीं हैं कि NCTE मतलब कुछ नहीं (जबकि NCTE एक सांविधिक ईकाई है )
ReplyDeleteअभी तक तो ये बन्दे कहते थे की NCTE को पार्टी बनाया है और उससे पूछेंगे कि वेटेज को परिभाषित करो।
रिट में कपिल भाई कहते हैं NCTE न्यूनतम योग्यता निर्धारित ही नहीं कर सकती है।
कपिल भाई क्या सभी टेट फेल की भी भर्ती कराने का इरादा है ,,,,,,,,,,,,,
टेट मेरिट के शेरों आप निश्चिन्त रहो भर्ती प्रक्रिया चलती रहेगी वो नहीं रुकनेवाली है।
ये जूनियर का प्रोफेशनल वाला मुद्दा है |
ReplyDeleteइसमें आज डेट फिक्स है और फैसला आने के ९९.९% चांस हैं |
यहाँ एक चीज़ कहूँगा ये वकील की अपनी जिद होती है पिछली बार सरकारी वकील के न पहुचने पर मामले को लिस्ट में पहुंचा दिया गया था परन्तु शैलेंदर श्रीवासत्व ने काफी जद्दो जिहाद करके की बस फाइनल आर्डर बचा है और सरकार नाटक कर रही है कहकर मामले को फ्रेश अड्डीशनल में १४ न. पर लगवाया |
आपको एक चीज़ और बता दूँ जो भी सरकार द्वारा कमिटी गठित हुई थी प्रोफेशनल्स के लिए उसपे शैलेंदर जी ने खुद ही अपने विवेक से काम लिया और रेट्रोस्पेक्टिव इफ़ेक्ट के माध्यम से उस समिति का फैसला आने वाली यानी आगामी भर्ती पर होगा ये कहकर सरकार की नापाक कोशिश को काट दिया था |
मेरे हालातों पे हँसने वालों बस इतना याद रखना...
ReplyDeleteलोगों के वक़्त आते है,
पर मेरा तो पूरा "दौर" आएगा!!!
अगर आप सोचते हैं कि सिर्फ सुन्दर और
ReplyDeleteगठीला शरीर रखने से
ही आप
अपनी पत्नी या गर्लफ्रेंड
को खुश रख सकते हैं
. तो आप गलत हैं....
.
सिक्स पैक एब्स और जबरदस्त
गठीले शरीर के मालिक ऋतिक
रोशन की पत्नी उनसे अलग
हो गई..... .
.
.
जबकि ५६ इंच की तोंद वाले
लालू की पत्नी उनकी जेल से
रिहाई के लिए व्रत रखती थी... .
.
.
अब जिम जाना बंद ।
क्या आज तक इलाहाबाद हाईकोर्ट के किसी जज ने माना कि टेट एक पात्रता परीक्षा है, और टेट को मेरिट का आधार नही बनाया जा सकता ?
ReplyDeleteसुधीर अग्रवाल
अरूण टंडन
हरकौली
मोहपात्रा
ए पी शाही
अंबवानी
मनोज मिश्रा
पी के बघेल
दिलीप गुप्ता
विपिन सिंहा
आशोक भूषण
केवल गधो को लगता है टेट एक पात्रता है।
मौज करिए सब लोग,
काऊंसलिंग की तैयारी करिए
.Question 1. प्रदेश सरकार
ReplyDeleteकी सहायक अध्यापक
भर्ती नियमावली 1981 में
भी शैक्षणिक मेरिट पर ही चयन
करने का नियम है।
Question 2. प्रदेश सरकार ने महिला,
पुरुष, विज्ञान और
कला वर्गों की अलग-अलग मेरिट
बनाकर भी 1981
की नियमावली का उल्लंघन
किया है।
Answer 1. प्रदेश सरकार को सहायक
अध्यापक
भर्ती नियमावली को बदलने
का पूरा अधिकार हैं
जो 12वाँ सँशोधन 2011 हैं उसमे
कोर्ट कुछ भी नहीं कर सकता हैं
Answer 2. राज्य सरकार महिला,
पुरुष, विज्ञान और कला वर्गों के
अनुसार 66000 PRT की भर्ती 2007
मैं कर चुकी इस आधार पर तो 66000
PRT की भर्ती भी रद्द
होनी चाहिए I BUT DON'T WORRY ,NOTHING WILL CHANGE.BHARTI TET MERRIT SE HI HOGI.
साथियोँ
ReplyDeleteआज न्यूज मिली है कि जो लोग जूनियर मे काँउसिलिँग करा चुके है प्राईमरी मे भी काँउशिलिँग करा सकते है तो क्या जो लोग प्राइमरी मे पहले करा चुके है क्या वो जूनियर मे भी करा सकते है.....
जब शब्द दिल को छू जाते हैं तो कुछ प्रज्वलित होता है।
ReplyDeleteफिर और शब्दों की आवश्यकता नहीं रहती।
भाई ये य़ू०पी०है (उल्टा प्रदेश)यहाँ जो बोलेगे वो नहीं करेंगे अखिलेश ने अपने मु०मन्त्री बनते समय अपने साथ अधिकारियों को भी शपथ दिलाई थी कि जो बोलना है वो करना नही
ReplyDeleteतभी तो जनता ने भी अच्छा किया इनके साथ. आप सब अभी से कमर कस के बैठ जाओ. अपने ऊपर हुये अत्याचारो का चुन-2 के बदला लेना है इस समाजबादी पार्टी और इनके नेताओ से.
ReplyDeleteकपिल की रिट पर सुनवाई के दौरान उसके 4 साथी कोर्ट मेँ उपस्थित थे और कपिल के वकील राकेश द्विवेदी के द्वारा रिट वापस लेने के बाद कोर्ट
ReplyDeleteसे बहार आते ही वे चारोँ साथी AOR प्रतिका द्विवेदी के सामने गिडगिड़ा रहे थे तो उनकी AOR ने कहा था कि अब
भर्ती तो रुकेगी नहीँ ना ही अब कुछ हो सकता है बाकी जो तुम्हे हाईकोर्ट मेँ
करना हो कर लीजिए होना कुछ नही है। अकादमिक सपोर्टर उन चारोँ लोगोँ से यह
बात कन्फर्म कर सकते है और टेट मेरिट सपोर्टर को किसी भी अफवाह से परेशान होने
की जरुरत नही है मस्त रहकर अपनी अगली काउंसलिँग की तैयारी कीजिए ।
सत्यमेव् जयते ।
मित्रो,
ReplyDeleteकल के न्यूज पेपर को पढकर सबसे ज्यादा कष्ट ऐसे अभ्यर्थियो को हुआ, जो यदा -कदा न्यूज से अपडेट रहते है या फिर न्यूज पेपर की बातो को सही मानते है
ऐसे लोग जो प्रतिदिन न्यूज से अपडेट रहते है वो इस खबर से तनिक मात्र भी विचलित नही है ।
अब आते है प्वाइण्ट पर, ,,,
ReplyDeleteतो मित्रो, 20 नवम्वर 2013 को माननीय उच्च न्या. द्वारा 30-11-2011 के विज्ञापन का बहाली का आदेश न्यायमूर्ति श्री अशोक भूषण जी द्वारा दिया गया था ।
लार्जर बेंच ने शिक्षक भर्ती से सम्बन्धित सभी पहलुओ पर बहस सुनने के उपरान्त
(जिसमे धॉधली का कोई सबूत नही मिला) फैसला दिया था ।
धॉधली के मामले मे राज्य सरकार को संभवत: 6 माह मे कई बार सबूत लाने का समय मिला था, परन्तु कोई सबूत न मिल सका ।
फिर यह मामला सर्वोच्च न्या. गया,
ReplyDeleteजहॉ श्रीमान दत्तू साहब ने भी पक्ष, विपक्ष को सुनकर अपने अंतरिम आदेश मे एतिहासिक फैसला दिया ।
परन्तु कपिल की खुजली नही गई, ,
ReplyDeleteएक बार फिर से वह सर्वोच्च न्यायालय गया और गुड पार्ट और बैड पार्ट पर बहस करानी चाही,
जिसे दत्तू सर ने सिरे से खारिज करके हाईकोर्ट इलाहाबाद मे यह बहस कराने को कहा ।
मतलब घूम फिर के बात फिर वही आ गयी
अब पुन: साधना मिश्रा जी के कन्धे पर बन्दूक रखकर चलाया जा रहा है, इस बार मुद्दा गुड पार्ट, बैड पार्ट न होकर टी.ई.टी. एक पात्रता परीक्षा है तथा 7-12-2012 के विज्ञापन को आधार बनाया गया है ।
ReplyDeleteतो भाइयो,
ReplyDeleteइसमे भी तस्वीर विल्कुल साफ है कि टी.ई.टी. अब पात्रता परीक्षा नही रही, यह हाईकोर्ट पहले ही साफ कर चुका है, और नया विज्ञापन 20 नवम्बर 2013 को ही मर चुका था, तो फिर बहस किस पर हो
मित्रो,
ReplyDeleteरोटी बनने के बाद कभी आटा नही बनती, इसी प्रकार मान. सर्वोच्च न्या. द्वारा दिये गये आदेश को पलटने का अधिकार निचली अदालत को है नही ।
ये कपिल जितना दिमाग 72825 को रोकने मे लगा रहा है, इतना दिमाग अगर इतने ही पद और सृजित कराने मे लगाता, तो खुद इसका व और हजारो बेरोजगारो को लाभ मिल जाता, परन्तु दिमाग ही होता तो टी.ई.टी. मे अच्छे मार्क्स ही नही ले आता ।
ReplyDeleteखैर हम फिर भी सतर्क है, और रहेगे । हमे सरकार के अगले कदम को देखना है कि वह द्वितीय काउ. करवाती है या साधना की हाईकोर्ट मे रिट पङने का wait करती है
ReplyDeleteये रिट हाईकोर्ट मे पङती भी है तो इसकी सहायता से आपको, नये विज्ञापन के पैसे वापस कराये जायेगे
धन्यवाद, खुश रहे, मस्त रहे ।
जय टी.ई.टी.
फारुख अब्दुल्ला ने मोदी को वोट देने वालों को समन्दर में डूबने
ReplyDeleteको कहा था क्या विडंबना है,आज पूरा कश्मीर समन्दर बन गया है लोग उसमें डूब रहे हैं ओर वही मोदी बचा रहे हैं.
सेना पर पत्थर बरसा कर उनको हत्यारा बताने वाले कश्मीरी आज सेना ही बचा रही है कोई पाकिस्तानी पिट्ठुओं, फारूख,आज़म,ओवैसी,कश्मीरी अलगाववादी जैसे कोई हमदर्द नहीं आये बचाने,---------------???
ReplyDeleteकश्मीर के लाल चौक पर पाकिस्तान और ISIS के झण्डे फहराने वाले आज जान बचाने के लिये कूद-कूद कर भारतीय सेना की नावों और ट्रकों पर चढ़ रहे हैं।शर्म इनको मगर आती नहीं..!!
ये भारतीय सेना हैं जिसमे मानवीयता कूट कूट कर भरी गयी हैं| अब यह बात हर कश्मीरी को समझना होगा अन्यथा उनका स्वर्ग नरक ही रहा जायेगा| कश्मीर का भला भारत के साथ ही हैं ना की पाकिस्तान के साथ|
अकेडमिक गधे इस बार पहले की अपेक्षा अधिक संगठित नजर आ रहे है ।
ReplyDeleteऔर SC और HC मे धडाधड याचिकाये
डाल रहे है ।.....और हम हर बार केवल एक ही राग ""भर्ती नही रूकेगी, भर्ती नही रूकेगी "" अलाप रहे है ।
शायद हम कपिल के पीछे खडी सपा
को नही देख पा रहे है । जो भर्ती रोकने
के लिए ही इस गधे को आगे करके
कोई बाहना ढूढ रही है ।
अब हमे भी संगठित होकर इसे हमेशां के लिए नेस्तनाबूद कर देना चाहिए ।
नही तो ऐसे ही रह रह सकर इसका भूत
सामने आता रहेगा।
अगर सरकार ताजमहल के अन्दर पान और गुटखा खाने कि अनुमति दे दे तो क़सम से ये उतर प्रदेश वाले ताजमहल को
ReplyDelete!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
लालक़िला बना देंगे ।।।
जिन जवानों पे फेंकते थे पत्थर आज वही तुम्हारे गुलिस्तां बचा रहे है .....
ReplyDeleteकहाँ गये गिदरों के वो झुण्ड आज येही शेर-ए-हिंदुस्तान तेरे काम आ रहे हैं....
मित्रो
ReplyDeleteमैंने अपने सोर्सेज से पता किया तो पता चला की कल की न्यूज़ सभी सभी पेपर्स को अकेडमिक टीम के द्वारा ही ऑर्डर कॉपी के साथ उपलब्ध करायी गयी थी ।
उसके साथ केस से जुडी कुछ जानकारियाँ भी दी गयी जिसे सभी पेपर वालो ने अपने हिसाब से छापा था वरना आप ही सोचिये 5 तारीख के ऑर्डर की न्यूज़ एक साथ सभी पेपर्स में 4 दिन बाद कैसे आ गयी ।
मै इसे paid न्यूज़ नहीं कह सकता लेकिन ये जरुर हुआ है की अकेडमिक टीम द्वारा संगठित होकर हर स्तर पर लडाई की पूरी प्लानिंग तैयार की जा चुकी है । जिसकी फंडिंग सरकार द्वारा की जा रही है । इससे सरकार साधना मिश्रा के बहाने केवल अपना हित साधना चाह रही है । उसका पूरा प्रयास है की भर्ती में किसी तरह का खलल पड़े और भर्ती अगले 2 सालो के लिए लटक जाये जिससे वो अपने चहेते लोगो को नियुक्ति दे सके । क्योकि उसे मालूम है की अगर prt का मामला अटक गया तो अगले 2 साल में किसी भी तरह सुप्रीम कोर्ट से फैसला असम्भव है ।
अगर सरकार अपनी प्लानिंग में कामयाब हो पाई तो कपिला को जरुर कुछ अच्छा इनाम मिल जायेगा और बाकी लोगो को मिलेगा
बाबा जी का ठुल्लू ।
"SHADI"
ReplyDeleteS- सेटिंग बंद
H- हिम्मत ख़त्म
A- आजादी समाप्त
D- दिमाग खराब
I- इम्तिहान शुरू जिनकी हो गई भोगलो... जिनकी नही हुई सोच लो...
एक मस्त बात साधना मिश्रा महिला नहीं पुरुष है, असल में उसका नाम सधाना मिश्रा है।
ReplyDeleteBILL GATES in a restaurant
ReplyDelete.
.
After eating,
he gave 5$ to the waiter as a tip...
The waiter had a strange feeling on his face after
the tip.
Gates realized & asked.
What happened?
.
.
Waiter: I'm just amazed B'coz on the same table ur
daughter gave Tip Of... 500$
.
.
.
& u her Father, richest man in the world Only
Gave 5$...?
.
.
.
Gates Smiled & Replied With Meaningful words:-
"She is daughter of the world's richest man, but
i am the son of a wood cutter."
( Never Forget Your Past. It's Your Best Teacher)
बिना किसी लाग लपेट के कहूंगा अगर आप लोग सचमुच चाहते हैं कि शिक्षा मित्रों के मामले में कोई सुनवाई हो और निर्णय आये तो सबसे पहला काम करवाइए खरे को केस से अलग करवाइए।
ReplyDeleteआप लोगों की अगर थोड़ी सी भी यादाश्त मजबूत होगी तो अपना केस याद होगा, उसमें भी सिर्फ तारीख पड़ा करती थी, अक्सर ऐन मौके पर खरे साहब गायब हो जाया करते थे।
इनकी यही फितरत है केस को लम्बा खीचना और इनके साथ इनके पैरवीकारो की कमाई होती रहे।
टेट मोर्चा का कोई सदस्य अपनी जेब से खरे को पेमेंट नहीं कर रहा वो पैसा सभी लोगों का है, कुछ तो जवाबदेही बनती है किसी की? मैं कभी शिक्षा मित्रों के पर कुछ नहीं बोलता क्योंकि जरूरत नहीं समझता लेकिन अब जरुरी हो गया है बोलना क्योंकि यही से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलना शुरू होता है, हम लोग बस केस वाली तारीख को केस नंबर गिनते रहते हैं और वहाँ खरे और उनके पैरवीकारों में मैच फिक्सिंग रहता है।
ReplyDeleteमैं टेट मोर्चा का सम्मान करता हूँ उसके एक आदेश पर कोई भी सही काम को करने को तैयार रहता हूँ लेकिन लूटेरों का समर्थन करने को बिल्कुल बाध्य नहीं हूँ।
ReplyDeleteएक और महत्वपूर्ण बात जान लीजिये खरे टेट मेरिट के खिलाफ आज भी एक केस में वकील हैं, अग्रवाल की बेंच में भी खरे ने टेट मेरिट के खिलाफ पैरवी की थी, चलिये मान लिया वो एक पहले की बात थी लेकिन आज वर्तमान समय में भी खरे डबल बेंच के एक केस में एकडमिक मेरिट के वकील हैं।
ReplyDeleteहो सकता है इस बात पर भी मोर्चा के कुछ लोग सभी को भ्रमित कर दें, लेकिन खुद के विवेक का इस्तेमाल कीजिए और अपने केस में खरे के अब तक के भूमिका को जरूर याद कीजिएगा।
और हा एक कड़वी सच्चाई सुन लीजिये कपिल और सधाना के केस में अगर खरे को मैदान में उतारा गया तो यह भर्ती आप लोग भूल जाइयेगा।
ReplyDeleteहमें कभी भी दुश्मनों से खतरा नहीं रहा हमें हमारे अपनों ने धोखा दिया है।
मुझे कपिल से डर नहीं लगता, मुझे अपने लोगों की गंदी घिनौनी साजिश से डर लगता है खरे का अपने केस से जुड़ने का सिर्फ एक ही मतलब होगा हम लोगों की बर्बादी। एकदम ऐन मौके पर इस आदमी के चक्कर में अगर हम लोग पड़ गए तो यह आत्मघाती कदम होगा।
ReplyDeleteबिना वकील के भी अगर हम कोर्ट में रहेंगे तब भी आराम से जीत जाएंगे लेकिन इस खरे के चंगुल में दुबारा फस गये तो यही आदमी सिर्फ अपनी मोटी कमाई के लिये हमारी भर्ती को फसा देगा, उसको मालूम है कि हम लोग सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है।
ReplyDeleteशिक्षामित्र शिक्षा के मित्र नही शत्रु है, यह कथन किसका था ?
ReplyDelete1- गुजरात सरकार
2- केंद्र सरकार
3- सुप्रीम कोर्ट
4- राष्ट्रपति
5- प्रधानमंत्री
अधिकतर भारतीय अपने हाथों से खाना खाते हैं। लेकिन आजकल हमने पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करते हुए चम्मच और कांटे से खाना शुरू कर दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने हाथों से खाना खाने के स्वास्थ्य से संबंधित कई फायदे हैं।
ReplyDeleteयह आपके प्राणाधार की एनर्जी को संतुलित रखता है:
आयुर्वेद में कहा गया है की हम सब पांच तत्वों से बने हैं जिन्हें जीवन ऊर्जा भी कहते हैं, और ये पाँचों तत्व हमारे हाथ में मौजूद हैं ( आपका अंगूठा अग्नि का प्रतीक है, तर्जनी अंगुली हवा की प्रतीक है, मध्यमा अंगुली आकाश की प्रतीक है, अनामिका अंगुली पृथ्वी की प्रतीक है और सबसे छोटी अंगुली जल की प्रतीक है)। इनमे से किसी भी एक तत्व का असंतुलन बीमारी का कारण बन सकता है।
जब हम हाथ से खाना खाते हैं तो हम अँगुलियों और अंगूठे को मिलाकर खाना खाते हैं और यह जो मुद्रा है यह मुद्रा विज्ञान है, यह मुद्रा का ज्ञान है और इसमें शरीर को निरोग रखने की क्षमता निहित है। इसलिए जब हम खाना खाते हैं तो इन सारे तत्वों को एक जुट करते हैं जिससे भोजन ज्यादा ऊर्जादायक बन जाता है और यह स्वास्थ्यप्रद बनकर हमारे प्राणाधार की एनर्जी को संतुलित रखता है। भोजन में हरी मिर्च खाने से होते हैं अचूक स्वास्थ लाभ
इससे पाचन में सुधार होता है:
टच हमारे शरीर का सबसे मजबूत अक्सर इस्तेमाल होने वाला अनुभव है। जब हम हाथों से खाना खाते हैं तो हमारा मस्तिष्क हमारे पेट को यह संकेत देता है कि हम खाना खाने वाले हैं। इससे हमारा पेट इस भोजन को पचाने के लिए तैयार हो जाता है जिससे पाचन क्रिया सुधरती है।
इससे खाने पे दिमाग लगता है:
हाथ से खाना खाने में आपको खाने पर ध्यान देना पड़ता है। इसमें आपको खाने को देखना पड़ता है और जो आपके मुह में जा रहा है उस पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। इसे माइंडफुल ईटिंग भी कहते है और यह मशीन कि भांति चम्मच और कांटे से खाना खाने से ज्यादा स्वास्थयप्रद है। माइंडफुल ईटिंग के कई फायदे हैं इनमे से सबसे महत्वपूर्ण फायदा यह है कि इससे खाने के पोषक तत्व बढ़ जाते हैं जिससे पाचन क्रिया सुधरती है और यह आपको स्वस्थ रखता है।
यह आपके मुह को जलने से बचाता है:
आपके हाथ एक अच्छे तापमान संवेदक का काम भी करते हैं। जब आप भोजन को छूते हैं तो आपको अंदाजा लग जाता है कि यह कितना गर्म है और यदि यह ज्यादा गर्म होता है तो आप इसे मुह में नहीं लेते हैं। इस प्रकार यह आपकी जीभ को जलने से बचाता है।
जो दिन भर से कुछ किया नहीं तो चलो आलोचना करें..
ReplyDeleteकुछ चेहरों पर कालिख मल दें ताकि अपना चेहरा साफ़ लगे..
_____________कपिल और सधाना
_____________कपिल की सधाना
एक सामान्य सी बात,
ReplyDeleteअब किसी भी बात से बिल्कुल परेशान ना हो, हाई कोर्ट की दोबारा सुनवाई हो, या होती रहे, आगे की भर्तियाँ अकादमिक से हो या हाई स्कूल पास को प्रिंसिपल बना दिया जाये, लेकिन 72825 भर्ती सिर्फ नवम्बर 2011 के विज्ञापन के आधार पर होगी, ये सर्वभोमिक सत्य है, कोई चिंता वाली बात नही है, सुप्रीम कोर्ट द्वारा मात्र सलाह दी गयी है कि अगर आपको कुछ कहना है तो हाई कोर्ट जाये, क्योंकि ये सुप्रीम का फैसला नही है, ये तो हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मोहर थी, ऐसे में सुप्रीम में मूल आदेश के खिलाप कोई सुनवाई नही हो सकती थी, दूसरी बात अगर कोई टेट में कम अंक वाला दोबारा हाई कोर्ट जा सकता है, तो क्या हम चुप रहेगे, या फिर दोबारा कोई अपील नही होगी, लेकिन इन सबकी अब कोई जरुरत नही होगी, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की अपनी कोई गरिमा होती है, उनके जजों को ईश्वर तुल्य समझा जाता है। कोई इतना बड़ा फैसला बदलना बच्चो का खेल नही है, शायद कुछ और समय की कमी रही होगी, बस जो अब पूरी हो रही है, बाकि कुछ भी गलत नही होगा, तनाव ना ले, धन्यवाद,
"तजुर्बा इन्सान को गलत फैसलों से बचाता है..
ReplyDelete.
.
.
मगर तजुर्बा गलत फैसले से ही आता है....।"
तेजाब के हमले में घायल एक लड़की के दिल से निकलीं कुछ पंक्तियाँ
ReplyDelete------------------------------------------------
चलो, फेंक दिया
सो फेंक दिया....
अब कसूर भी बता दो मेरा
तुम्हारा इजहार था
मेरा इन्कार था
बस इतनी सी बात पर
फूंक दिया तुमने
चेहरा मेरा....
गलती शायद मेरी थी
प्यार तुम्हारा देख न सकी
इतना पाक प्यार था
कि उसको मैं समझ ना सकी....
अब अपनी गलती मानती हूँ
क्या अब तुम ... अपनाओगे मुझको?
क्या अब अपना ... बनाओगे मुझको?
क्या अब ... सहलाओगे मेरे चहरे को?
जिन पर अब फफोले हैं
मेरी आंखों में आंखें डालकर देखोगे?
जो अब अन्दर धस चुकी हैं
जिनकी पलकें सारी जल चुकी हैं
चलाओगे अपनी उंगलियाँ मेरे गालों पर?
जिन पर पड़े छालों से अब पानी निकलता है
हाँ, शायद तुम कर लोगे....
तुम्हारा प्यार तो सच्चा है ना?
अच्छा! एक बात तो बताओ
ये ख्याल 'तेजाब' का कहाँ से आया?
क्या किसी ने तुम्हें बताया?
या जेहन में तुम्हारे खुद ही आया?
अब कैसा महसूस करते हो तुम मुझे जलाकर?
गौरान्वित..???
या पहले से ज्यादा
और भी मर्दाना...???
तुम्हें पता है
सिर्फ मेरा चेहरा जला है
जिस्म अभी पूरा बाकी है
एक सलाह दूँ!
एक तेजाब का तालाब बनवाओ
फिर इसमें मुझसे छलाँग लगवाओ
जब पूरी जल जाऊँगी मैं
फिर शायद तुम्हारा प्यार मुझमें
और गहरा और सच्चा होगा....
एक दुआ है....
अगले जन्म में
मैं तुम्हारी बेटी बनूँ
और मुझे तुम जैसा
आशिक फिर मिले
शायद तुम फिर समझ पाओगे
तुम्हारी इस हरकत से
मुझे और मेरे परिवार को
कितना दर्द सहना पड़ा है।
तुमने मेरा पूरा जीवन
बर्बाद कर दिया है।
समय और नियति कब, कहा और कौन सी परिस्थिति मे मनुष्य को लाकर खडा कर दे, प्रभु के सिवाय कोई नही जानता है।
ReplyDeleteआज हमारे देश का स्वर्ग कहा जाने वाला #जम्मू_कश्मीर आज प्रकृति के कोप का शिकार हो गया है। फ़िलहाल प्रकृति से जंग तो कोई नही जीत सकता है लेकिन भारत सरकार के #पी_एम (नाम लिखूगा तो बहुतो के पेट मे #दर्द होने लगेगा ) ने अपने सारे हथकण्डे #सेना, #NDRF, #सिविल_डिफ़ेन्स, #RSS तक #जम्मू_कश्मीर के हमारे अपने पीडितो के लिये लगा दिये,जोकि वास्तव मे काबिल-ए-तारीफ़ है। मै कहता हू अब कहा है वो #कट्टरपन्थी जो इसी सेना पर पत्थर चलाते थे?, जो इन्सानियत के दुश्मनो के पास #कश्मीर का हल निकालने जाते थे? कहा है वो #देशद्रोही जो अपने यहा आतङ्कियो को पनाह देते है? आया कोई उनका #आका उनकी मदद करने? कल #NDTVindia पर देख रहा था कि #पाक_अधिकृत_कश्मीर मे भी हालात कुछ ऐसे ही है और वहा कोई भी मदद वहा की #पाकिस्तान सरकार नही कर पा रही है और इन्सानियत का दुश्मन #हाफ़िज_सईद वहा ऐसे हालात मे भी जहर उगल रहा था। अभी कुछ दिनो पहले हमारे देश मे लोकतन्त्र का सबसे बडा चुनाव हो रहा था तो #जे_के० के पूर्व सी०एम० #फारुखअब्दुल्ला ने #मोदी को वोट देने वालो को समंदर मे डूबने
को कहा था। क्या विडंबना है आज कश्मीर समंदर बन गया लोग उसमे डूब रहे है और वही मोदी उनको बचा रहे है। खैर इस समय तो #मोदी को पानी पी-पीकर गाली देने वाले भी उनकी तारीफ़ कर रहे है, भगवान ऐसे ही इनको सदबुद्धि हमेशा देते रहे और यू०पी के नेताऒ को भी ऐसे ही सदबुद्धि हमेशा दे। मै ईश्वर से अपने सभी जम्मू-कश्मीरी देशवासियो को जल्द इस आपदा मुक्ति के लिये प्रार्थना करता हू।
गणेश दीक्षित के अनुसार
ReplyDeleteमीटिंग कल होगी
भारत माता के वो सपूत जो कश्मीर घाटी में बहने वाली झेलम नदी के ऊपर खुद लेट गये ताकि उन लोगों की जान बचा लें जिन लोगों ने इन पर कभी पत्थर,गोलियाँ और गालियों की बौछार की है.....
ReplyDeleteये सिर हमेशा इन सपूतों के आगे झुका रहेगा |
वन्देमातरम्
कश्मीर में सेना के खिलाफ जहर उगलने बालों के मुह पर यह तमाचा है। आपदा के इस काल में ये सेना ही है जो मुक्तिदाता की भूमिका में सक्रिय है। बात बात पर दिल्ली के खिलाफ आवाज़ उठाने बाले सूबाई नेताओं को भी शर्म आनी चाहिए क्यूंकि आज पूरा देश कश्मीर के साथ खड़ा है // उमर साहेब , गिलानी , मुफ़्ती , और दिल में पड़ोस के लिए दुलार लिए घूमने बालों आप देख रहे हैं ना ???????????
ReplyDeleteजिन जवानों पे फेंकते थे पत्थर....
ReplyDeleteआज वही तुम्हारे गुलिस्तां बचा रहे है !! सलाम
भारतीय जवान !!
.
ReplyDelete.
.
D
E
V
.
.
P
R
I
Y
A
.
.
.
9
.
.
8
.
.
"उस दिल से प्यार करो जो दर्द ना दे.
लेकिन उस दिल को दर्द मत दो जो तुमसे प्यार करे.
क्योँकि तुम दुनिया के लिए कोई एक हो.
पर किसी एक के लिए तुम सारी दुनिया हो."
Sweet Story..
ReplyDelete.
1 baar sari feelings ne decide kiya ke wo log chupa chupi khelege..
.
'Dard' ne counting start ki baki feelings chup gaye..
.
.
'Jhut' ped k piche chupa or 'Pyar' gulab ki jhadiyo k piche..
..
sab pakde gaye siwa 'Pyar' k..
..
'Jealousy' ne dard ko bata diya k 'Pyar' kaha chupa hai..
..
'Dard' ne 'Pyar' ko khich k nikala toh kanto ki wajah se 'Pyar' ki ankh kharab ho gai..
..
bhagwan ne 'Dard' ko saja sunai ki use jindagi bhar 'Pyar' ke sath rehna padega..
.
.
tab se 'Pyar' andha hai or jaha bhi jata hai 'Dard' uske sath hota hai..
So whenever thr is "Love" thr is"PAIN" always..
.
ReplyDelete.
.
D
E
V
.
.
P
R
I
Y
A
.
.
.
9
.
.
8
.
.
Tumhari aankho me
koi hoga...
Tumhari baato me
koi hoga...
Tumhare dil me koi
hoga...
Tumhare dard me koi
hoga...
Par hum tumhare
honge
Jab tumhara na koi
hoga....!!
.
ReplyDelete.
.
D
E
V
.
.
P
R
I
Y
A
.
.
.
9
.
.
8
.
.
"मुमकिन नहीं इस प्यार को भुला पाना !
मुमकिन नहीं आपको यादों से मिटा पाना !!
आप एक कीमती तोहफा हो खुदा का !
मुमकिन नहीं इस तोहफे की कीमत चुका पाना !!"
.
ReplyDelete.
.
D
E
V
.
.
P
R
I
Y
A
.
.
.
9
.
.
8
.
.
Patthar jaisa kisi ka dil na ho....
Bhikhare huye sapne kisi ki taqdeer me na ho...
Koi kisi ko chahe to woh usi ka ho.....
Warna umar bhar ka intezar kisi ke nasib me na ho.
.
ReplyDelete.
.
D
E
V
.
.
P
R
I
Y
A
.
.
.
9
.
.
8
.
.
I’m not waiting for a princess.
I’m waiting for one who thinks I am her prince..................
.
ReplyDelete.
.
D
E
V
.
.
P
R
I
Y
A
.
.
.
9
.
.
8
.
.
मेरी ख्वाहिशों को ख़ुशी की तलाश है...
छुपी तो है मुझमे जो...
लेकिन बसी है तुझमेँ कहीं !!
.
ReplyDelete.
.
D
E
V
.
.
P
R
I
Y
A
.
.
.
9
.
.
8
.
.
I feel really special when you hold
me by hand.
I feel really special when you tell
me you’re my man.
I feel really special when you hold
me when I cry.
I feel really special when you say
its alright.
I feel really special when you call
me honey.
I feel really special when you tell
me I am the one..!!!♥♥♥
.
ReplyDelete.
.
D
E
V
.
.
P
R
I
Y
A
.
.
.
9
.
.
8
.
.
Aap khud nahi jante aap kitne pyare ho
Duriyon ke hone se koi fark nahi
Padta aap kal bhi hamare the
Or aaj bhi hamare ho
टेट मोर्चा दायर करेगा कपिल और साधना पर मुकद्दमा । हाई कोर्ट में फाइल की जाएगी रिट । संवैधानिक रूप से हो रही भर्ती में बाधा पहुंचाने के कारण तथा बालको को मिलने वाली शिक्षा के अधिकार के हनन का लगाया जायेगा आरोप ।
ReplyDeleteहवा खिलाफ' चली" तो "चिराग खूब जला ...
ReplyDelete"खुदा' भी' होने का' 'क्या क्या' "सबूत 'देता है' ....||
B
Y
E..........
MERI SALAH SADHNA MISHRA KO HAI KI WOH UTTARPRADESH ME RAHTI HAIN ISH BAAAT KO NA BHOOL JAYEN,AUR GADHE KAPIL YADAV KA SAATH SOCH SAMAJH KAR DE.
ReplyDeleteHUM AB YAHAAN PAR MILENGE
ReplyDelete.
.
.
.
.
.
काउंसिलिंग करा चुके अभ्यर्थियों को राहत
अमर उजाला के संपादक शैलेंद्र श्रीवास्तव से बात हुयी है,
ReplyDeleteउनके अनुसार ई टी वी की न्यूज सही है, काऊंसलिंग 22 सितंबर से ही होगी, प्रेस मे छपने के लिए खबर आ गई है,
10 गुना अभ्यर्थी बुलाए जाएँगे,
सरकार की मंशा जल्द से जल्द 72825 को भरने की है।
आज का दिन 72825 पदों की भर्ती के लिए
ReplyDeleteकाफी महत्वपूर्ण रहा।
आज सभी समस्याओं का समाधान कर
लिया गया।
दूरस्थ शिक्षा द्वारा बी•एड•, 45%
वालों की समस्या, कला विज्ञान वर्ग में मेरीट
की समस्या सभी का समाधान कर लिया गया।
2011 तक सभी बी•एड• पास
अभ्यर्थी काउंसलिंग के लिए योग्य मानें जाएंगे
चाहे उनका कितना भी प्रतिशत स्नातक में
रहा हो और वे कहीं से भी बी•एड• किये
हो क्योंकि जिन्होंने जब भी बी•एड•
किया था उस समय के नियम के अनुसार
ही किया था। ये सभी दिशा निर्देश इस बार
डायट पर लिखित रूप से भेजे जा रहे हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात 22 सितंबर को होने
वाली काउंसलिंग में हर एक कैटेगरी में दस
गुना बुलाया जाएगा।
मतलब इस काउंसलिंग से लगभग 80% सीट भर
दी जाएगी।
मैंने पहले भी कहा था आज भी कह रहा हूँ अगर
ReplyDeleteआपका नाम काउंसलिंग लेटर में
शो करेगा तो आपको काउंसलिंग से कोई नहीं रोक
सकता, बशर्ते आपके डाक्यूमेन्ट्स फर्जी न
हो बस। किसी भी योग्य अभ्यर्थी के साथ
किसी भी प्रकार से अन्याय नहीं होगा।
मेरे ख्याल से अब कोई
भी समस्या नहीं होगी इस बार।
इस काउंसलिंग के बाद अगले 15 दिनों में
सभी चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र भी देने
की पूरी तैयारी की जा रही है।
.
ReplyDelete.
.
D
E
V
.
.
P
R
I
Y
A
.
.
.
9
.
.
8
.
.
कुछ इस तरह से आओ ,
मेरे हाथों की लकीरों में ....
मुझे ऐसा लगे कि ,
मेरी तकदीर बदलने वाली है ....!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
!
द्वितीय काउंसलिंग 22 सितंबर
72825 भर्ती अपडेट
ReplyDelete22 सितंबर से होगी दूसरी काऊंसलिंग
10 गुना अभ्यर्थी को बुलाया जाएगा
45% सामान्य और 40% आरक्षित वाले मान्य
दूरस्थ बी एड करने वाले होंगे शामिल
प्रोफेशनल वालों को इंटर के आधार पर कला/विज्ञान मे लिया जाएगा