बाबुओं व अनुचर की संविदा भर्ती की तैयारी
1567 पदों पर जल्द पूरी होगी भर्ती प्रक्रिया
लखनऊ। परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद पॉलीटेक्निक में शिक्षकों और बाबुओं की भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी करने की तैयारी है। शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया लोकसेवा आयोग से अनुरोध कराकर जल्द ही पूरी कराई जाएगी तथा बाबुओं व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर संविदा के आधार पर भर्तियां की जाएंगी। प्राविधिक शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में शासन से अनुरोध किया है। इसमें कहा गया है कि पॉलीटेक्निक में कुल रिक्त 1567 पदों पर भर्तियां की जानी हैं। इसमें से शिक्षकों के पदों पर लोकसेवा आयोग से भर्ती का अनुरोध किया जा चुका है। बाबू और अनुचर के 626 पदों पर संविदा के आधार पर भर्ती की अनुमति शासन से मांगी गई है। संविदा कर्मियों को रिजवी कमेटी की संस्तुति के आधार पर न्यूनतम मानदेय देने का प्रस्ताव है।
प्रदेश में मौजूदा समय 99 राजकीय, 19 अनुदानित व 307 निजी पॉलीटेक्निक में 1,24,735 सीटें हैं। वर्ष 2014-15 में 73 निजी और 55 नए राजकीय पॉलीटेक्निक खुलेंगे। इसमें 15 नए पॉलीटेक्निकों में पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इसके लिए डिप्लोमा इंजीनियरिंग की पढ़ाई और विभागीय कामकाज के लिए शिक्षक, सहयोगी स्टाफ, बाबू व अनुचर की जरूरत होगी। प्राविधिक शिक्षा निदेशालय चाहता है बेहतर पढ़ाई के लिए रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जल्द पूरी कर ली जाए। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि शिक्षक के 733 और 211 शिक्षक सहयोगी स्टाफ की भर्तियां पूरी करने के लिए लोकसेवा आयोग से अनुरोध किया गया है। बाबुओं और चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों की भर्ती पर रोक है। इसलिए बाबू के करीब 168 व चतुर्थ श्रेणी के 458 पदों पर संविदा के आधार पर भर्ती की अनुमति मांगी गई है। संविदा पर भर्तियां प्राविधिक शिक्षा निदेशक या संयुक्त प्राविधिक शिक्षा निदेशक स्तर से की जाएंगी। इसके लिए जिलेवार विज्ञान निकाल कर आवेदन मांगे जाएंगे।
News Sabhaar : Amar Ujala Paper (9.9.14)
कपिला जैसे गधो की औकात नही जो दोबारा दत्तू सर के यहाँ जाए, इसीलिए इसने एक शिखँडी साधना मिश्रा को हथियार बनाया ।
ReplyDeleteसाथियों नमस्कार,,आज आप सब
ReplyDeleteकुछ तथ्यहीन न्यूज पढ़कर परेशान
से प्रतीत हो रहे हो,यह देखकर कुछ
दुख केसाथ आश्चर्य हो रहा है,,पहले
मीडिया की भूमिका पर बात कर लेते है
आज तक मीडिया पात्रता व
अहर्ता मेँ अन्तर नहीकर
पायी,,ट्रिपल बेंच केआदेश को ऐसे
दवा दिया जैसे कुछ हुआ ही न
हो,,जितने भी आदेशहमारे पक्ष मे
पास हुए उन्हें कभी महत्व
नही दिया,,31 मई-13 को ट्रिपल बेंच
का आदेश पारित होने पर जिसने
एकेडमिक को जर मूल समाप्त करने
का आधार तय कियाथा उसके बाद
दैनिक जैसे प्रतिष्ठितअखबार ने 15
जून से न्यू एड पर काउंसलिग
का शेड्यूल घोषित कर
दिया था,,हमारे जबरजस्त
आन्दोलनों को कभीकवरेज
नही दिया जबकि एकेडमिक नाम से
एकत्र हुए 4 लोगो कोफ्रंट पेज पर
जगह मिली,हम सबन्यूज पेपर
की विश्वसनियता ब उसमे काम करने
वाले टपोरी टाइप
पत्रकारो की योग्यताका अच्छी तरह
मूल्याँकन कर चुके है,,अब भी अगर
आप इनके द्वारा दीन्यूज
को गम्भीरता से लेते हैं तब फिर टेशन
मे आना एकदम स्वाभाविक है और
इसका इलाज भी सम्भव नही है,अगर
कोई पत्रकार भाई12वाँ,15वां,16वां
संसोधन की संदर्भ सहित
ब्याख्या कर दे तो रेजीमेंट की ओर से
1 माह की सैलरी पुरस्कार मे दे
दी जायेगी,जय टेट-जय हिन्द
ये आज तक टेट का फुल फॉर्म नही जान पाए तो 12वे 15वे संसोधन की क्या खाक व्याख्या करेंगे | 26 मार्च को अमर उजाला के महाविद्वान रिपोर्टर और एडिटर द्वारा मुख्य पेज पर टेट का फुल फॉर्म छापा गया था -" टीचर एजुकेशन ट्रैनिंग " | यही इन दो कौड़ी के 50 रुपये पेट्रोल एक अद्धा और 5 रुपये के चीखने पर बिक जाने वाले पत्रकारों का लेवल है |
ReplyDeleteकुछ सवाल ऐसे है जिनके जबाब आज तक मुझे क्या किसी टी.ई.टी वाले को नहीं मिले-
ReplyDelete१- सुजीत सिंह दोवारा बार-बार ये कहना कि कपिल सुप्रीम कोर्ट में पार्टी नहीं बन सकता बना भी और लड़ा भी
२- मोर्चे दोवारा शिक्षा मित्रो के मामले में बार-बार झूठे वायदे हर तारीख पर सुनवाई न होना
३- मोर्चे दोवारा बार-बार वायदा किया जाना कि कपिल पर जुर्माना लेकिन आज तक नहीं लगा जब कि ३ साल उसने बार-बार परेशान किया और कर रहा है
४- बार-बार मोर्चे की पोस्ट में आता है विस्वास बनाये रखे मोर्चे पर कौन से ये नहीं लिखते जिनके साथ हमने कदम से कदम मिलाकर शुरुआत की थी उन पर या लखनऊ टीम, अल्लाहाबाद टीम, बागपत एंड कंपनी पर
अल्लाहाबाद टीम, बागपत एंड कंपनी पर
ReplyDeleteसच तो ये है कि आम टी.ई.टी वाले खुद कंफ्यूज रहता है कि किस का साथ दे किसका नहीं ?
इस मोर्चे को बार-बार कपिल जैसा कुत्ता काट कर भाग जाता और आप लोग कुछ नहीं कर पा रहे ये सब मोर्चे की आपसी फूट का नतीजा है नहीं तो पूर्ण बहुमत की सरकार की छाती पर लात रखकर जो हम कॉउंसलिंग करा लिए है अब साला ये पिद्दी क्या चीज है
मेरा निवेदन है बड़ी-बड़ी नाक वाले नेताओ से एक मंच पर आये नहीं तो एक बार निकला हुआ समय दोवारा नहीं आता एक बार नौकरी लग जाये और ये केस ख़त्म हो जाये फिर अपने अपने स्कूलों में नेतागीरी करते रहना|
priy mitro namaskar...
ReplyDeleteaaj katipay samachar patro evm electronic media ke madhyan se 72825 shikshak bharti ke mamle me HC me naye sire se sunwai ki jo khabar prasarit ki gayi hai usase pareshan hone ke bajay aap log apne common sense ka estemal karen SC ke 25 ke intrim order par desh ke koi bhi nyayalay rok nahi laga sakata . yadyapi HC me jaya ja sakta hai aur sunwai karai ja sakti hai esi sthiti me kisi bhi kanooni mudde par morcha bipakshiyon ko muhtod jabab deta raha hai aur aaj bhi dene me saksham hai aur samay aane par jabab diya bhi jayega.
halaki SC ke is naye aadesh ka yatharth bistrit roop se sham ko samjhaunga fir bhi sankshep me pratham drishtaya yah 8 aug. ke aadesh ke saman hai aur isase pareshan hone ki koi awasyakta nahi hai isase apka koi ahit nhi hoga morcha is baat ki poori guarantee deta deta hai ...
kuch aur bhi bate hai jis par mai yaha charcha karna munasib nhi samajhata kintu itna jaroor kahunga ki morcha ab apni purani strategy chodkar nayi strategy ke sath maidan me hoga aur ab yah samay ki mang bhi hai....shesh bad me....SATYAMEV JAYATE.
apka s.k. pathak tet sangharsh morcha .
"हम याचिका कर्ता को कुछ अनछुए
ReplyDeleteपहलुओं को हाईकोर्ट में उठाने
की अनुमति देते हैं साथ ही हम ये स्पष्ट कर
देना चाहते हैं कि तत्संबंध में हाईकोर्ट
द्वारा पारित आदेश के संदर्भ में कोई पेडिंग
मामला आड़े नहीं आयेगा बशर्तें पारित होने
वाला आदेश संविधान के दायरे में हो।"
कौन से पहलू अनछुए हैं जिस पर बहस
होगी....
.
चयन का आधार पर...यह राज्य सरकार
का विषय है और कोर्ट इस मामले मे कोई
रिलीफ नही दे सकती...
.
ReplyDeleteदूसरा बिन्दू है गुड व बैड पार्ट
का जो सरकार आज तक प्रुफ ही नही कर
पायी और न ही कर पायेगी..इस मामले मे
राज्य सरकार को कई बार फटकार भी लग
चुकी है..,.
.
अंतिम में यही कहूँगा बार -बार जज साहब के
भरोसे रहने की प्रवृति छोडना होगा....अब
पैरवी जोरदार तरीके से करें
ताकि साधना मिश्रा की रिट
को पहली हियरिंग में जमींदोज कर
दिया जाय...सचेत और एक होकर दुश्मन के
विरुद्ध रणनीति तैयार करें...
ncte के वकील क्या जवाब देंगे कि टेट
ReplyDeleteका कितना प्रतिशत वेटेज देय होगा..जब
हमारी भर्ती प्रारम्भ हुई थी तो ncte ने
वेटेज सम्बन्धी कोई गाइडलाइन तय
नही किया था.....अब अगर ncte कोई मानक
तय भी करती है तो वह अग्रगामी प्रभाव
रखेगा....पश्चगामी नही...आने
वाली भर्तियो पर लागू होगा....
.
चयन में अंकों का महत्तव
दिया जाना चाहिए कि नही यह राज्य
सरकार का विषय है....अंकों का महत्तव
कोई सार्वभौमिक सत्य नही है....
.
टेट के दुश्मनो समझ लो अब हम बिमारी जड
से खत्म करेंगे ..
साधना की याचिका पर केसकी पुनः हाई कोर्ट मेंसुनवाई की खबरों से विचलिततथा प्रसन्नचित्त टेट 2011 केसमस्त अभ्यर्थियों कृपया शांतहो जाइये और ध्यान सेमेरी बात समझिये ....साधना मिश्रा की वकीलसुश्री कृतिका द्विवेदी नेदत्तू साहब के सामने कई pointउठाये जिनमे से एक pointथा कि टेट एकपात्रता परीक्षा है और उसकेनंबरों से चयननही हो सकता ,,, दत्तू साहबने सुधीर अग्रवाल द्वारा इससम्बन्ध में सीताराम केस में दिएफैसले का जिक्र करते हुए कहदिया कि ये मैटर पहलेही हाई कोर्ट डिसाइड करचुका है ,,, उनके द्वारा उठायेअन्य मुद्दों पर भी दत्तू साहबका यही response था ,,,,अंत मेंकृतिका के 7-12-12 केअभ्यर्थियों केहितों को हाईकोर्ट के आदेश मेंध्यान में ना रखे जाने की बातकहे जाने पर दत्तू साहब ने स्पष्टकह दिया कि मेरे पासहाईकोर्ट का 30-11-11 केविज्ञापनकी बहाली का आदेशआया जिसके परीक्षण के बाद मैंनेउसे विधिसम्मत पाया औरभर्ती किये जाने का आदेश करदिया ,, आप हाईकोर्ट से7-12-12 का विज्ञापन बहालकरा लाओयदि वो विधिसम्मत हुआ तो मैंउसे भी ok कर दूँगा .....ऐसा कहकर दत्तू साहब नेएकेडमिक वालों के साथ बहुतगंभीर मजाक कर दिया है ,,,अब आप ही बताएंकि इलाहाबाद हाईकोर्टसमान पदों के लिएदो विज्ञापनों को भला कैसेबहाल कर सकता है ?????सरलशब्दों में कहा जाए तो दत्तूसाहब ने 30-11-11 के अनुसारभर्ती का आदेश देकर साँपका फन अपनी कलम सेदबा रखा है और पूँछको फड़फड़ाने के लिए खुला छोड़दिया है ....अब सवाल यह है कि इन हालातमें हम टेट मेरिटसमर्थकों की रणनीति क्या होनी चाहिए ....हमें देखना होगा कि सरकारअगली काउंसिलिंग कराती हैया साधना की याचिका पड़नेका वेट करती है और किसी अन्यबहाने से काउंसिलिंगटालती है ,,, ऐसी स्थिति सेनिपटने के लिए सुजीत औरपाठक दोनों की contemptapplication है ही ...यदि साधना की याचिका पड़ती हैतो हम उसमे पार्टी बनेंगे
ReplyDeleteयहयाचिका कुछ हद तक सुधीरअग्रवाल के सीताराम केस मेंदिए आदेश पर अपीलजैसी ही होगी ,,चूँकि हमारे मुख्य वकीलश्री अशोक खरे उस केस में टेटमेरिट के विरुद्ध खड़े थेतथा मेरी जानकारी केअनुसार उनकी अपील डिवीजनबेंच में आज भी लम्बित है इसलिएअपने हितों की रक्षा के लिएमैं अपने ऊपर भरोसा करना पसंदकरूंगा ,,, खरे इस केस में रहेंगेया नही इसका निर्णय खरे केपैरवीकारों और स्वयं खरे साहबको करना है ,,,चूँकि शैलेन्द्रभी जूनियर मामले में 15thसंशोधन के पक्ष में हैं इसलिए उनकेइस केस में रहने या ना रहने परसुजीत भाई को विचारकरना होगा ,,,सदानंदद्वारा सीमांत सिंहको हायर किये जाने का मैंसमर्थन करूँगा और in personappear होने के लिए आवश्यकविधिक प्रक्रिया हेतुउनका सहयोग भी लूँगा ,,,अब सवाल है कि एकेडमिकवालों के लिए श्रेष्ठ विकल्पक्या है ,,,,, उन्हें चाहिएकि पूर्व सरकार द्वारा टेटमेरिट से चयन हेतु सृजित हमारेपदों पर एकेडमिक सेभर्ती का ख्वाबदेखना जितनी जल्दी हो सकेबंद कर दें वरना इसी केस में7-12-12 की फीसवापसी का भी आदेशकरा दूँगा फिरना रहेगा बाँस औरना बजेगी बाँसुरी ... एकेडमिकवालों को समझना चाहिएकि कोर्ट के आदेश से उनके चयन हेतुनवीन पद सृजित नहीं हो सकतेइसलिए अपने नेताओं से कहेंकि अपनी प्रिय सरकार परदबाव डालकर पद सृजितकरवाएं ,,, यदि आपके नेता चंदे केधन्धे को चमकाने के उद्देश्य सेआपको उल्टा सीधा क़ानूनसमझाएं तो उनका शव लेकरमुख्यमंत्री आवास के सामनेजाकर प्रदर्शन करें ,,,आपको कहीं ना कहीं जॉबमिल जायेगी ,, टीचरकी नहीं तो जल्लादकी ही सही ...
ReplyDeleteसवाल - जब हाईकोर्ट की लार्जर बेंच १५ संशोधन को निरस्त कर चुकी है और पुराना विज्ञापन वहाल कर चुकी है और इस पर विस्तृत आदेश भी दे चुकी है तो क्या हाईकोर्ट की कोई और बेंच दुबारा इसको सुन सकती है और हाईकोर्ट की लार्जर बेंच के आदेश के खिलाफ आदेश दे सकती है // हमारे ख्याल से ये केस प्रथम द्रष्टया ख़ारिज करने योग्य होना चाहिए
ReplyDeleteशलभ जी अनुसार दत्तू साहब ने सांप के फन को दबाकर रखा हुआ है पूंछ को फडफडाने के लिये छोड दिया है मैं तो कहता हूं सांप का अंतिम संस्कार ही कर देना चाहिए नये एड की फीस को वापस कराकर ना रहेगा सांप न बजेगी बीन
ReplyDeleteशुभ संध्या मास्टरों और मास्टरनियो .................
ReplyDeleteकपिल भाई को तब ऐतराज़ था की आदेश सचिव ने क्यों जारी किया बीएसए ने जारी क्यों नहीं किया (तब ही क्यों न टेट मेरिट के विरोध में चले गए थे ? ) और दो साल बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने पुराने विज्ञापन को हरी झंडी दिखा दी तो फिर ऐतराज़ की टेट मेरिट से भर्ती क्यों हो रही है ? भाई ये बात तब ही पूंछ लेते ...समय भी बचता और भर्ती भी हो जाती ...................खैर उनके पास पैसा है भाई खर्च करो ................मुझे कभी कभी लगता है साधना हो या सरिता हो या कपिल हो ...ये सब काल्पनिक चरित्र मात्र हैं और इनकी आड़ में ये सारे गोरखधंधे सरकार करा रही है ....ताकि बी.एड वाले हमेशा हमेशा के लिए बेसिक से दूर रहे ......
खैर अब काम की बात ....मुझे नहीं लगता हाई कोर्ट कोई ऐसा आदेश देगा की सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रोक दे (भारतीय इतिहास में ऐसा कभी हुआ नहीं )...मैं कोई क़ानून का जानकार नहीं पर इतना जरुर जानता हूँ की अगर पुराना विज्ञापन गलत होता तो हाईकोर्ट के तीन और सुप्रीमकोर्ट के दो जज उसको कबका गलत ठहरा चुके होते और आज पहली काउन्सलिंग पूरी न हो गयी होती ....................
ReplyDeleteअब तो ये भर्ती तभी रुक सकती है जब टेट पात्रता है तो इस पर मेरिट बनेगी या नहीं इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में ७ जज की संवेधानिक पीठ बने और वो फैसला ले .....
टेट मोर्चे को चाहिए की कंटेम्प्ट , ४५% ,इग्नू जैसे मामले को जल्द सुलझा कर भर्ती जल्द पूर्ण करवा ली जाए ताकि फिर किसी के दिमाग में ऐसी शेतानी बातें न आये क्योंकि खाली दिमाग शेतान का घर होता है ....और वाकी लोग भर्ती एन्जॉय करो
72825 special
ReplyDeleteटेट साथियों नमस्कार !
अब हमें कपिल देव व उत्तर प्रदेश सरकार को अलग अलग समझने की मूर्खता कभी नहीं करनी चाहिए।
ये दोनों ही एक हैं। अब यक्ष प्रश्न यह है कि क्या सर्वोच्च न्यायालय के अन्तरिम आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय सुनवाई करेगी???
मेरे बहोत से टेट साथी इसे असम्भव मानते हैं परन्तु मेरे विचार से जब सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं ही मामले की नये सिरे से सुनवाई का निर्देश दिया है तो सुनवाई सम्भव है।।
इस मामले में मेरे निजी विचार निम्न वत हैं...
▶▶कुछ गम्भीर बिन्दु ओ जैसे वर्गीकरण आदि के माध्यम से नया पेच डालने की कोशिश की जा रही हैं।
▶▶मौजूद प्रक्रिया जारी रहेगी।
▶▶यह कुछ और नहीं बल्कि एक नया टाइम पास आइटम हैं।
▶▶कपिल की आमदनी बढ़नी तय है।।
कोई भी केस डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट में नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट से पहले हाई कोर्ट में जाना होता है और हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं लेकिन याची सीधे सुप्रीम कोर्ट गए जिस पर उन्हें हाई कोर्ट जाने को कहा गया। nothing else.
ReplyDeleteYE HAIN SUPREME COURT KA VO ORDER JISKE KARAN ACADEMIC MERIT WALEY ITNA UCHAL RAHEY HAIN:-
ReplyDeleteITEM NO.8 COURT NO.2 SECTION X
S U P R E M E C O U R T O F I N D I A
RECORD OF PROCEEDINGS
Writ Petition(s)(Civil) No(s). 778/2014
SADHANA MISHRA AND ORS Petitioner(s)
VERSUS
STATE OF UTTAR PRADESH & OTHERS Respondent(s)
(with appln. (s) for exemption from filing O.T. and office report)
Date : 05/09/2014 This petition was called on for hearing today.
CORAM :
HON'BLE MR. JUSTICE H.L. DATTU
HON'BLE MR. JUSTICE S.A. BOBDE
For Petitioner(s) Mr.Guru Krishna Kumar, Sr.Adv.
Ms. Preetika Dwivedi,Adv.
For Respondent(s)
UPON hearing the counsel the Court made the following
O R D E R
Learned counsel for the petitioner, on instructions,
seeks permission of this Court to withdraw the Writ Petition with
liberty to file a Writ Petition before the High Court.
Permission sought for is granted.
The Writ Petition is disposed of as withdrawn. We clarify
that the pendency of some petitions which, according to the
petitioner, has some relevance, will not come in the way of the
High Court in deciding the Writ Petition on its own merits and in
accordance with law.
Ordered accordingly.
(G.V.Ramana) (Vinod Kulvi)
Court Master Asstt.Registrar
क्या TET सिर्फ पात्रता परीक्षा है?.....
ReplyDeleteइस प्रश्न का उत्तर ट्रीपल बैंच पहले ही दे चुकी है कि TET न केवल पात्रता परीक्षा है अपितु अनिवार्य परीक्षा भी है।
क्या अब बी कोई अनछुआ पहलू बाकी है।
शिक्षक भर्ती पर नये सिरे से सुनवाई करे हाई कोर्ट
ReplyDelete-न्यायमूर्ति एच एल दत्तु एवम न्यायमूर्ति एस ए बोबडे
शिक्षक भर्ती में बुरी फसी है सपा सरकार
-मयंक तिवारी,एटा
नमस्कार दोस्तों,
हाल ही में सर्वोच्य न्यायालय द्वारा साधना मिश्रा की याचिका पर दिए इस निर्णय ने पुरे प्रदेश में कोलाहल मचा दिया है। सभी के मन में एक ही चिंता और एक ही प्रश्न है "क्या अब २-३साल से चला चक्र फिर से चलेगा.?"
दोस्तों, 30/11/11 को प्रकाशित टेट मेरिट आधारित विज्ञापन के भाग्य का फैसला 04/02/13 को हरकौली साहब ने, 20/11/13 को भूषण साहब ने हाईकोर्ट से और 25/03/14 को दत्तु जी ने सुप्रीम कोर्ट से कर दिया है जिसके कि चयन का पहला चरण 29,30,31 अगस्त14 में पूरा भी होगया और अगले चरण की तैयारियां लगभग पूरी है। साधना मिश्र की याचिका पर दिए आदेश में सर्वोच्य न्यायालय ने किसी भी प्रकार से भर्ती की काउंसलिंग पर रोक नही लगाई है अतः प्रकिया चलती रहेगी।
में इस आदेश को या कहूँ कि अब होने वाली सभी याचिकाओ को बड़े ही सकारात्मक रूप में समझ रहा हूँ ये सभी याचिकाए कहीं ना कहीं सरकार की मुश्किलें बडाने जा रहीं है।
ReplyDelete72,825शिक्षको का चयन तो पूर्ववर्ती सरकार द्वारा 30/11/11 को प्रकाशित विज्ञापन टेट मेरिट आधार से ही होगा। अब प्रश्न ये है कि 07/12/12 को प्रकाशित इतने ही पद वाला विज्ञापन कहाँ है और उसके नाम पर बेरोजगारों से बसूला गया करोड़ो-करोड़ो का धन कहाँ है...???? यदि वो पद विहीन और चयन आधार विहीन है तो सरकार द्वारा उसका शुल्क वापस क्यों नही किया गया या इतने पदों का सृजन करके भर्ती को पूरा क्यों नही किया गया..????
फ़िलहाल आप लोग चिंता ना करें। हां चिन्तन और क्रियान्वन अवश्य करें। संगठन से जुड़े रहे और न्यायपालिका के सहयोग से इस अलोकतांत्रिक सरकार के पतन का हिस्सा व कारक बने।
स्वस्थ रहे, सचेत रहे,
सजग रहे, संगठित रहे,
सदा सकारात्मक रहे।
जय हिन्द जय टेट जय भारत
!! सत्यमेव जयते सर्वदा !!
aj ke news pe maine hc ke senior layer se bt ki
ReplyDeleteto unka ye kahna tha ki mere 40 sal ke pese me
aj tk kisi hc ne sc ke nirnay ko bdlna to dur koi
tippadi bi nh ki. bki ap khud samajdar hai.
बडे अजीब जज है ये CJ साहब ......॥॥॥
ReplyDeleteजिस दिन शिक्षा शत्रुओ का केस लगा
होता है उसी दिन पहला केस पकड कर
दिन भर बैठे रहते है ।
.....शिक्षा शत्रुओं तेरा क्या होगा
ये जज बडे चिपकू है । Date pr date... 16 sep.Next date
Question 1. प्रदेश सरकार की सहायक अध्यापक भर्ती नियमावली 1981 में भी शैक्षणिक मेरिट पर ही चयन करने का नियम है।
ReplyDeleteQuestion 2. प्रदेश सरकार ने महिला, पुरुष, विज्ञान और कला वर्गों की अलग-अलग मेरिट बनाकर भी 1981 की नियमावली का उल्लंघन किया है।
Answer 1. प्रदेश सरकार को सहायक अध्यापक भर्ती नियमावली को बदलने का पूरा अधिकार हैं जो 12वाँ सँशोधन 2011 हैं उसमे कोर्ट कुछ भी नहीं कर सकता हैं
ReplyDeleteAnswer 2. राज्य सरकार महिला, पुरुष, विज्ञान और कला वर्गों के अनुसार 66000 PRT की भर्ती 2007 मैं कर चुकी इस आधार पर तो 66000 PRT की भर्ती भी रद्द होनी चाहिए
एक बात तो ये है कि SLP गुप चुप डाली गयी दूसरी याची ने एक तथ्य छिपाया , याचिका मेँ कहा गया कि भर्ती मेँ नियमावली 1981 का पालन नहीँ किया गया जिसमेँ अकेडमिक मैरिट का उल्लेख है जबकि 12 वाँ सँशोधन 2011 को छिपा लिया गया तीसरा ncte के वकील को जबाब देने के लिये कोई नहीँ था सो दत्तू साहब भ्रमित हो गये
ReplyDeleteनमस्कार साथियों,
ReplyDeleteवर्तमान परिस्थिति का मूल कारण ।। पढ़े ।।
अगर किसी के टेट में अंक कम है, तो स्वाभाविक सी बात है कि वह अकादमिक से भर्ती के लिए प्रयास करेगा, ईश्वर से प्रार्थना भी करेगा, लेकिन यहाँ यह जरुरी है कि उसके अकादमिक में बहुत अच्छे अंक हो, लेकिन अगर इसके विपरीत हो तो वो भी बेचारा विपरीत ही प्रार्थना करेगा, यहाँ पर कुछ ऐसे भी जिनके दोनों अंक बहुत अच्छे है, जो अपने आप को शील, और सहनशील बनाये सब कुछ देखते रहते है, और प्रार्थना करते है कि हम तो किसी के विरोधी नही है, सब अपने ही साथी है, बस कैसे भी हो भर्ती हो जाये, लेकिन एक वर्ग और भी जो सबसे खतरनाक और भर्ती भक्षक है, **** जिनके टेट और अकादमिक दोनों ही बहुत कम है,*** और उसे अपने खर्चा पानी के लिए वेतन रुपी धन भी चाहिए, ऐसे शातिर लोग उपरोक्त सभी का मुर्ख बनाते हुए, कोर्ट में केस के नाम पर चन्दा लेते है, और कभी सुप्रीम कोर्ट तो कभी हाई कोर्ट, जब तक केस है तो इनका काम आराम से चल रहा है, बाकि लोग बस इनसे लड़ने में ही रह जाते है, ऐसे चन्दा भक्षक लोगो के कारण ही, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में सुनने की खबरे अखबारों मइ आ जाती है, क्योंकि भारत में खबर नहीं बल्कि अखबार बिकता है, ।।। जय हो ।।।
अगर दिमाग है तो पता होगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जारी 72825 की भर्ती पर हाई कोर्ट के पास कौन सा अधिकार है रोक लगाने का ? पेड न्यूज, पेड पत्रकार, पेड मीडिया, चन्दा वसूली गुणांकधारियों से
ReplyDeletenext coun pe kal lag jayege muhar. jo suchna
ReplyDeletehai 16 se hogi.
भाई मै आप
ReplyDeleteलोगो को Resuffling
का तरीका बता रहा हूँ क्या ये
सही है
1.हर काउन्सलिँग मे पहले
हो चुके काउन्सलिँग के आरक्षित
वर्ग के अभ्यर्थी जनरल मे जोड
दिये जाते है उ0- पहला कट आफ
GEN-127,OBC-125,SC-123
अब अगर दूसरा कट आफ
GEN-123है तो पहले
काउन्सलिँग के OBC SC से GEN
की सीटेँ भर ली जायगी और शेष
बची सीटोँ पर पुनः 2nd
काउन्सिँलिग करवाई
जायगी और आरक्षित वर्ग
की सीटे इस प्रकार तब तक
नहीँ भरी जायगीँ जब तक
जनरल की सीटे भार ना जाय।
जातिगत आरक्षण वह दूधारी तलवार है जिसमें एक वर्ग को सामाजिक लाभ देने के लिए उसी वर्ग का आर्थिक रूप से पिछड़ा व्यक्ति आरक्षण का लाभ ही नहीं उठा पाता है और एक बार आरक्षण का लाभ प्राप्त व्यक्ति एक ऐसे वर्ग या जाति का निर्माण कर लेता है जिसमें उसी वर्ग या जाति के लोगों को नजर अंदाज करता है। इस तरह से एक नया समाज का नया सांचा बना राहा है जिसमें हर जाति वर्ग के अर्थिक रूप से कमजोर तबका पिछड़ता चला जा रहा है और निश्चित वह आक्रोषित भी है। इसीलिए जातिगत आरक्षण दवा नहीं कैंसर है। जो रोग को नासूड़ बना देगा, राजनीति रोटिया सेंकने वाले इसी मसले पर वोट बैंक बनाएंगे। और समान्य वर्ग के साधन संपन्न और आरक्षित वर्ग के साधन संपन्न लोग ही इस देश में अर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हर जाति का शोषण करेंगे। यही सच्चाई है।
ReplyDeleteसबसे पहली और एक मात्र बात जो राहत देने वाली है वह ये की जहाँ तक मुझे समझ है भारत की कोई उच्च न्यायलय भारत की सर्वोच्च न्यायलय का निर्णय नहीं पलट सकती है। तो इस बात से तो निश्चिंत रहिये की ही हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट का टेट मेरिट से चयन का फैसला बदल देगी। ये काम अगर कोई कर सकता है तो खुद सुप्रीम कोर्ट ही कर सकती है पर वो ऐसा करेगी ही क्यों ?उसके लिए बहुत मज़बूत साक्ष्य, तर्क इत्यादि होने चाहिए जो की न तो उत्तर प्रदेश सरकार के पास न ही याची के पास तब थे और न ही अब होंगे। बस ये वो कुछ संकट के बादल है जो सूरज को कुछ देर के लिए ढक सकते हैं।
ReplyDeleteजो बात थोड़ी चिंताजनक हो सकती है वो ये ही कि शायद अब इसे पूरा होने में थोड़ा और समय लग सकता है। यानि की थोड़ी और अधिक प्रतीक्षा। रुकिए रुकिए !!! वे लोग जो मेरे लिए कुछ अति सम्मानीय शब्द ढूंढ चुके हैं और उनके प्रयोग की शीघ्रता में हैं वो थोड़ा ठहर जाएँ और समझने का प्रयास करें की मुझे ऐसा क्यों प्रतीत हो रहा है।
ReplyDeleteज़रा सोचिये ! कौन है ये साधना मिश्रा ? अब अचानक कहाँ से आई है ये जब काउंसलिंग शुरू हो चुकी थी। क्यों नही इसने अपना पक्ष तब ही सुप्रीम कोर्ट में रखा जब उस पर सुनवाई चल रही थी ? वे फेसबुक वीर अब क्यों नहीं इस साधना मिश्रा की कुंडली ढूंढ निकालते ? पता तो चले की आखिर ये महिला कौन है ? इनके टेट और गुणांक कितने हैं ? ८० -९० के दशक के हिंदी सिनेमा में कई बार देखा था कि अमीर , रसूखदार, और ताक़तवर मुजरिम जब समझ जाता है की जुर्म तो साबित हो चूका है तो सजा से बचने के लिए वो किसी कमज़ोर , मज़बूर इंसान को लालच देकर या डराकर उसे जुर्म का इक़बाल करने पे मज़बूर कर देता था। यहाँ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है।
अभी सचिव स्तर की कोई मीटिंग होनी बाँकी है न ? और द्वितीय काउंसलिंग की तारिख की भी घोषणा होनी है। और ये ४५-५५ % वाला मुद्दा और प्रोफेशनल वाला मुद्दा भी सुलझाया जाना है। और उस पर ये नया केस। क्या आवश्यक है की मीटिंग में ये सारे मुद्दे सुलझ ही जाएँ ,,, क्षमा कीजिये ! मुझे कहना चाहिए की क्या आवश्यक है की मीटिंग में सारे मुद्दे सुलझाये ही जाएँ ? और क्या ये नहीं हो सकता की इस नए केस को कारण बनाकर ये कहा जाये की जब तक उच्च न्यायलय इस केस पर फैसला नहीं देती काउंसलिंग करने का कोई औचित्य ही नहीं है क्यूंकि यदि चयन के आधार में तनिक भी फेर बदल की गयी नए सिरे से काउंसलिंग करानी होगी इस लिए फ़िलहाल अगले चरण की काउंसलिंग कोर्ट के निर्णय आने तक रोकी जाती है। आखिर उच्च प्राइमरी में भी तो पहले यही हुआ था जबकि वो भर्ती खुद इसी सरकार ने निकाली थी।
ReplyDeleteये वादी जो अब भी इस भर्ती को अटकाने के लिए नए सिरे से कोर्ट का रुख कर रहे हैं इनको आप महज़ अकेला वादी न समझिए। परदे के पीछे से जो ताक़त इनसे ये करवा रही है उस पर गौर कीजिये।
धृतराष्ट्र को विदुर की बात कभी अच्छी नही लगी क्यूंकि वो पुत्र मोह में इतना अँधा हो चुका था। उसने बेटे के झूठ और अनैतिक आचरण को विदुर , पितामह भीष्म , और आचार्यों के कड़वे सच से अधिक महत्व दिया और परिणाम में अपने शत पुत्रों के शवों को पाया। ये ही नहीं आज इतिहास भी उसी धृतराष्ट्र को महाभारत में होने वाली हर अनीति , हर अन्याय के लिए उत्तरदायी ठहराता है।
ReplyDeleteइसलिए हे ७२८२५ के सभी धृतराष्ट्रों ! पहचानो अपने शकुनियों , दुर्योधनो , और दुःशासनो को।
कृष्णा को तुम रणछोर भी कह दोगे तो उनका कुछ न बिगड़ेगा।
अंत में इतना ही कहना चाहतI हूँ की पोस्ट काफी लम्बी हो गयी पर मैंने वो लिखा जो मेरे और हर आम इंसान के विचार हैं इस समय। गलत साबित हो जाऊँ तो आपसे ज़्यादा ख़ुशी मुझे होगी क्यूंकि मेरे कुछ बहुत अच्छे दोस्त इस भर्ती से जुड़े हैं
O.K. Good Evening Bhaiyo
ReplyDeletebahi sadhna mishra toh sikhandani hai,sali kutiya kahin ki.
ReplyDeletepata nahi madarchod sarita shukla ki tarah se bich me kahan se a gayi.
ReplyDeleteRajesh ji bahut badiya kahte ho yaar...
ReplyDeleteRajesh is mere number to jyada nahi hai TET m but I will support you...
ReplyDeletemujhe pata tha ki kuch log rajesh ki tarah paglo waali baate jarur karenge 72825 per hc m sunwayi 2 saal tak hui h ab aap hi bataye ki kya ab phir se koi court usi matter per sunwayi karega jis per wo 2 saal tak sunwayi ker k decision de chuka h doosri baat hc m 1 date se laker last ki date tak ncte ka wakil rah h to ab es matter pe koi sunwayi nahi ho sakti ho bhi kaise sabhi jaruri documents to sc m h
ReplyDeleteprag bhai Izzat afzai ka shukriya but agar sunwai nahi honi hai to SC ne HC kyo bheja.
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