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Wednesday, June 10, 2015

News खुलासाः पूर्व डीजीपी ने तय किए थे दरोगाओं की पोस्टिंग के रेट

News खुलासाः पूर्व डीजीपी ने तय किए थे दरोगाओं की पोस्टिंग के रेट



आगरा के जालसाज सपा नेता शैलेन्द्र अग्रवाल ने जिन दो पूर्व डीजीपी के साथ पोस्टिंग व प्रमोशन के रेट फिक्स किए थे उनमें एएल बनर्जी व एसी शर्मा के नाम सामने आए हैं।


 Shelendra Agrawal


यह दावा खुद नागरिक सुरक्षा संगठन के पुलिस महानिरीक्षक(आईजी) अमिताभ ठाकुर ने किया है। उन्होंने कहा कि दरोगाओं की पोस्टिंग के लिए एएल बनर्जी ने सात लाख रुपये रेट फिक्स किए थे जबकि एसी शर्मा ने डीपीसी के लिए 20 लाख रुपये तय किए थे।

हालांकि एएल बनर्जी ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया जबकि शर्मा फोन पर संपर्क का प्रयास किया गया लेकिन जवाब नहीं मिला।

आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने दावा किया है कि जैसे ही जालसाज शैलेन्द्र अग्रवाल के पास से दो पूर्व डीजीपी के एसएमएस मिलने की बात सामने आई,उसी के बाद से वे इसकी पड़ताल में जुट गए थे।

छानबीन के बाद इस मामले में पूर्व डीजीपी एएल बनर्जी व एसी शर्मा का नाम सामने आया है। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व डीजीपी एके जैन को पत्र लिख कर इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

दरअसल,करोड़ों रुपये की जालसाजी के मामले में एक मई से जिला जेल आगरा में बंद शैलेन्द्र अग्रवाल के मोबाइल की डिटेल सीबीआई को मिल गई है। इसमें दो तत्कालीन डीजीपी की पैसा वसूली का मसला सामने आया था।

इसमें दरोगा की पोस्टिंग के लिए सात लाख रुपये व दरोगा की डीपीसी कराकर उसे प्रमोशन देने के लिए 20 लाख रुपये का रेट लगाया गया है।

वहीं पूर्व डीजीपी एएल बनर्जी अपनी सफाई में कहते हैं कि मेरे ऊपर लग रहे आरोप सरासर गलत हैं। दरोगा की तैनाती एक कमेटी द्वारा की जाती है। जहां तक थानेदार की पोस्टिंग का सवाल है तो उसमें डीएम की भी सहमति ली जाती है।

दुर्भाग्य की बात है कि इसमें मेरा नाम घसीटा जा रहा है। जहां तक शैलेन्द्र अग्रवाल को जानने का प्रश्न है तो उनसे एक कार्यक्रम के दौरान मुलाकात हुई थी। डीजीपी बनने से पहले वह कभी-कभी मेरे ऑफिस आकर मिला करता था। लेकिन पैसा लेकर पोस्टिंग की बात गलत है। मैंने कोई एसएमएस उन्हें किया यह मुझे याद नहीं है।
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लखनऊ| सफेद लकदक कुर्ता-पायजामा पहनकर डीजीपी दफ्तर में धड़ल्ले से प्रवेश पाने वाले सपा नेता शैलेन्द्र अग्रवाल के काले चिट्ठे का खुलासा हुआ है| उनसे जालसाजी से करोड़ों रुपये बटोरकर न केवल अपने मददगार अफसरों की जेबें भरी| बल्कि ट्रांसफर पोस्टिंग के जरिये करोड़ों रुपये की संपत्ति भी अर्जित की| ऐसा करने में उसका साथ प्रदेश के दो पूर्व डीजीपी और दो आईएएस अफसरों ने दिया| ऐसा नहीं है कि उसने केवल अफसरों की जेबें ही भरी| ज्यादा संख्या ऐसे अफसरों की है जिनका पैसा उसने हड़प लिया| राज्य के दो पुलिस अधिकारियों से आलू में मोटी कमाई के नाम पर करोड़ों रुपये हथियाए| कई और आईपीएस अफसरों से निवेश के नाम पर मोटी रकम वसूली| ऐसा करके शैलेंद्र ने लोगों से 300 करोड़ रुपए से ज्यादा ठग लिए। जब डीजीपी को इस बात का पता चला, तब उसकी गिरफ्तारी हुई। अब दर्जनों सपा नेता और पुलिस अफसर अपने रुपए के लिए परेशान हैं।

शैलेंद्र से पूछताछ में पुलिस को एक डायरी हाथ लगी है जिससे पता चला है कि वह आलाधिकारियों को काली कमाई करवाकर उस पैसे को आलू कारोबार में निवेश करवाता था| इस पर वह 36 फीसदी की दर से ब्याज लौटाता था| इस तरह उसे कई अधिकारियों का पैसा तीन साल से भी कम समय में डबल करके दिया| पुलिस सूत्रों का कहना है कि शैलेंद्र अग्रवाल की डायरी में अधिकारियों के साथ उसके लेनदेन का हिसाब किताब लिखा हुआ है। उसने किससे कितने पैसे लिए और 36 फीसदी ब्याज दर से कितनों को पैसे लौटाए, पूरा ब्योरा दर्ज है। जो अधिकारी उसके ज्यादा करीब थे, उनके खातों में अपने एकाउंट से सीधे ट्रांजक्शन किया। वह अधिकारियों को आलू में निवेश की बाकायदा रसीद देता था।

इसमें ब्याज दर का भी उल्लेख होता था। मतलब, अधिकारी अपने एक के दो करके आयकर विभाग से कह सकता था कि उसकी कमाई आलू में निवेश से हुई है। असल में वह अधिकारियों की मदद से पैसा बटोर रहा था और इसी के एक हिस्से को डबल करके लौटा रहा था। उसने ऐसा केवल सात-आठ अधिकारियों के साथ ही किया। इन अधिकारियों को देखकर अन्य के मन में भी लालच जागा| हालांकि जिन अन्य अधिकारियों ने उसके पास पैसा लगाया था उनका पैसा शैलेन्द्र ने हड़प लिया|

इस ठगी का खुलासा तब हुआ, जब शैलेंद्र अग्रवाल से बकाया दस लाख रुपए मांगने पर सब इंस्‍पेक्‍टर धीरजपाल सिंह और संजीव चक को डीजीपी के नंबर से धमकी भरा कॉल आया। सब इंस्‍पेक्‍टर ने जब फोन उठाया, तो दूसरी तरफ से आवाज आई, 'किस बैच के सब इंस्‍पेक्‍टर हो। शैलेंद्र जी से क्‍या विवाद है। मैं तुम्‍हे देखता हूं।' इसके बाद कॉल कट गया। थोड़ी देर बाद ही शैलेंद्र अग्रवाल का फोन आया और उसने कहा कि देख लिया, अब तुम्‍हारा बुरा हाल होगा। शक होने पर दरोगा ने डीजीपी मुख्यालय फोन कर जानकारी ली, जहां से पता चला कि कोई कॉल नहीं किया गया है| बताया जा रहा है कि दोनों सब इंस्‍पेक्‍टर ने नवंबर 2013 में दस-दस लाख रुपए आलू का व्‍यापार करने को दिए थे। इसके बाद से शैलेंद्र ने रुपए देने से आनाकानी कर रहा था। आपको बता दें कि शैलेंद्र को दस वर्ष पूर्व न्यू आगरा से एक आयकर अधिकारी की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसकी हत्या कर उसका शव फीरोजाबाद में फेंका गया था

News Sabhar : Amar Ujala (9.6.2015) / Pardafash