एक बोध कथा
एक विधवा स्त्री और उसका इकलौता पुत्र गाँव में रहते थे। वह महिला बहुत कठिनाई से मेहनत-मजदूरी कर अपना और अपने पुत्र का पालन कर रही थी। माँ की इच्छा थी कि उसका बेटा पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बने। इसलिए उसने उसे गाँव के ही एक विद्यालय में भर्ती भी करा दिया। एक बार वह बालक अपने साथी की पेंसिल चुरा लाया। घर आकर उसने वह माँ को दे दी। माँ ने चुपचाप उसे रख लिया। धीरे-धीरे वह और भी सामान लाने लगा। माँ ने सोचा कि यह छोटा है, डाँटने से नाराज न हो जाये, इसलिए वह चुप ही रहती। अब वह इधर-उधर से पैसे भी लाने लगा। इसी प्रकार होते-होते वह एक बड़ा अपराधी बन गया। एक बार डकैती और हत्या के अभियोग में वह पकड़ा गया और उसे फाँसी की सजा घोषित हो गयी। फाँसी से पूर्व जब उसकी अंतिम इच्छा पूछी गयी, तो उसने अपनी माँ से मिलना चाहा। जब माँ सामने आयी, तो उसने कान में कुछ बात कहने के बहाने माँ का कान काट लिया। माँ दर्द से चीख पड़ी। वहाँ खड़े लोग उसकी आलोचना करने लगे। कारण पूछने पर उसने कहा कि मेरी इस दुर्दशा की दोषी मेरी माँ ही है। जिस दिन मैंने पहली बार चोरी की थी, यदि उसी दिन माँ ने कान खींचकर मुझे रोक दिया होता, तो मैं आज यहाँ नहीं होता। इसीलिए मैंने माँ का कान काटा है। स्पष्ट है कि भूल चाहे छोटी ही हो; पर तुरंत टोक देने से वह बड़ी होने से बच जाती है।
Visit for Amazing ,Must Read Stories, Information, Funny Jokes - http://7joke.blogspot.com 7Joke
संसार की अद्भुत बातों , अच्छी कहानियों प्रेरक प्रसंगों व् मजेदार जोक्स के लिए क्लिक करें... http://7joke.blogspot.com
एक विधवा स्त्री और उसका इकलौता पुत्र गाँव में रहते थे। वह महिला बहुत कठिनाई से मेहनत-मजदूरी कर अपना और अपने पुत्र का पालन कर रही थी। माँ की इच्छा थी कि उसका बेटा पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बने। इसलिए उसने उसे गाँव के ही एक विद्यालय में भर्ती भी करा दिया। एक बार वह बालक अपने साथी की पेंसिल चुरा लाया। घर आकर उसने वह माँ को दे दी। माँ ने चुपचाप उसे रख लिया। धीरे-धीरे वह और भी सामान लाने लगा। माँ ने सोचा कि यह छोटा है, डाँटने से नाराज न हो जाये, इसलिए वह चुप ही रहती। अब वह इधर-उधर से पैसे भी लाने लगा। इसी प्रकार होते-होते वह एक बड़ा अपराधी बन गया। एक बार डकैती और हत्या के अभियोग में वह पकड़ा गया और उसे फाँसी की सजा घोषित हो गयी। फाँसी से पूर्व जब उसकी अंतिम इच्छा पूछी गयी, तो उसने अपनी माँ से मिलना चाहा। जब माँ सामने आयी, तो उसने कान में कुछ बात कहने के बहाने माँ का कान काट लिया। माँ दर्द से चीख पड़ी। वहाँ खड़े लोग उसकी आलोचना करने लगे। कारण पूछने पर उसने कहा कि मेरी इस दुर्दशा की दोषी मेरी माँ ही है। जिस दिन मैंने पहली बार चोरी की थी, यदि उसी दिन माँ ने कान खींचकर मुझे रोक दिया होता, तो मैं आज यहाँ नहीं होता। इसीलिए मैंने माँ का कान काटा है। स्पष्ट है कि भूल चाहे छोटी ही हो; पर तुरंत टोक देने से वह बड़ी होने से बच जाती है।
Visit for Amazing ,Must Read Stories, Information, Funny Jokes - http://7joke.blogspot.com 7Joke
संसार की अद्भुत बातों , अच्छी कहानियों प्रेरक प्रसंगों व् मजेदार जोक्स के लिए क्लिक करें... http://7joke.blogspot.com