UPPSC: आरक्षण की नई नीति पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक
छात्र नई आरक्षण नीति का विरोध कर रहे हैं।
3 Tier Reservation is the Main Issue -
1. Prelim Exam (Reserved cat candidate taken some seats of GEN candidates) on 1st Level
2. Main Exam (Reserved cat candidate taken some seats of GEN candidates) on 2nd Level
3. Interview Level (Reserved cat candidate taken some seats of GEN candidates) on 3rd Level
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इलाहाबाद।। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में रिजर्वेशन के नए नियम के तहत इंटरव्यू पर हाई कोर्ट ने तब तक रोक लगा दी है, जब तक वह इसको लेकर दाखिल जनहित याचिका पर अपना फैसला नहीं सुना देती है। हाई कोर्ट ने रिजर्वेशन के नए नियम के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर पिछले सप्ताह प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। इस बीच, शहर में उपद्रव की आशंका को देखते हुए धारा-144 लागू है और सभी स्कूल कॉलेजों को दो दिन के लिए बंद कर दिया गया है।
नई आरक्षण नीति के तहत अब यूपी पीसीएस की परीक्षा में तीनों स्तर पर आरक्षण दिया जा रहा है। आरक्षण के कानून के मुताबिक सिर्फ 50 फीसदी सीटें आरक्षित की जा सकती हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने ऐसे नियम बना दिए हैं कि आरक्षण के दायरे में आने वाले छात्रों के नंबर अगर अधिक होते हैं तो उन्हें जनरल कैटिगरी के जरिए अपॉइंट किया जाएगा।
सुधीर कुमार सिंह और अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने 15 जुलाई को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए एक सप्ताह के भीतर अपना-अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। इस दिन शहर में छात्रों ने नई आरक्षण नीति के विरोध में जबरदस्त तोड़−फोड़, पथराव और आगजनी की थी। इसमें करीब 100 गाड़ियां जला दी गई थीं।
याचिका में यूपीपीएससी की ओर से परीक्षा के हर स्तर पर आरक्षण की नई नीति लागू करने के निर्णय को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी गई है। याचिका दाखिल करने वालों छात्रों का कहना था कि ओबीसी आरक्षण के आड़ में एक जाति विशेष को यूपीपीएससी की ओर से नाजायज लाभ पहुंचाने के लिए रिजर्वेशन की नई पालिसी बनाई गई है। रिजर्वेशन के नए नियम से ओबीसी में शामिल अन्य जातियों और जनरल कैटिगरी के प्रतियोगियों की मेधा का हनन हो रहा है। याचिका में कहा गया है कि 1994 से प्रदेश में लागू आरक्षण
नियमावली के तहत अंतिम स्तर पर आरक्षण देना था, लेकिन लोक सेवा आयोग ने परीक्षा के हर स्तर पर इस बार आरक्षण का नियम लागू कर दिया है।
प्रदेश के अडिशनल ऐडवोकेट जनरल सीबी यादव ने याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि सन् 1994 के आरक्षण नियमावली के तहत ही उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग परीक्षा ले रही हैं। जस्टिस एलके महापात्राऔर जस्टिस राकेश श्रीवास्तव की बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद इंटरव्यू पर तब तक रोक लगाए रखने का निर्देश दिया है, जब तक इस मामले पर कोई निर्णय नहीं सुनाया जाता है।
उपद्रव की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने सोमवार को लोक सेवा आयोग पहुंचने वाले सभी रास्तों पर सख्त पहरा बैठा दिया है। आरक्षण विरोधी आंदोलन से निपटने के लिए शहर में 3 हजार से ज्यादा पुलिस, पीएसी और आरएएफ के जवान तैनात किए गए हैं। साथ ही कई रास्ते बंद कर दिए गए हैं।
सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर शहर को सात जोन और 18 सेक्टर में बांटा गया है। इसके अलावा दो रिजर्व जोन और चार रिजर्व सेक्टर के साथ 50 पुलिस सेक्टर भी बनाए गए है। 10 मोबाइल टीमों का गठन किया गया है और दो मोबाइल टीमों को रिजर्व रखा गया है। बवाल की स्थिति में उपद्रवियों को चिह्नित करने के लिए 30 विडियोग्राफर और फोटोग्राफर रखे गए हैं।
News Sabhaar : नवभारत टाइम्स (22.7.13)
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Candidate Should Wait For Judgement And If Needed Then Make A Peaceful Protest within Law of Land / India and Put-up their issues to Appropriate Authority.
Below News is of Jagran News Paper -
आरक्षण पर स्टे के बाद इलाहाबाद में बवाल
इलाहाबाद [जासं]। उप्र लोक सेवा आयोग द्वारा नए आरक्षण प्रावधान के तहत जारी पीसीएस मुख्य परीक्षा 2011 के नतीजों को स्थगित करने के हाई कोर्ट के फैसले के बाद प्रतियोगी छात्रों ने जमकर खुशी मनाई। छात्रावासों और नगर के चौराहों पर होली खेली गई। उत्साह में उपद्रव पर उतरे छात्रों के एक गुट ने सपा के झंडे-बैनर जलाते हुए वाहनों और दुकानों में तोड़फोड़ की। इसके बाद सक्रिय हुई पुलिस ने लाठीचार्ज करते हुए दर्जन छात्रों को गिरफ्तार कर लिया। छात्रों ने अपने साथियों के समर्थन में बड़ा जाम लगा दिया है। तनाव के हालात बने हुए हैं।
हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद हिंदू हॉस्टल चौराहे पर एकत्र छात्रों के एक गुट ने चांदपुर सलोरी का रुख किया। रास्ते में इन छात्रों ने सपा के झंडे, बैनर जलाए। सलोरी पहुंचकर वाहनों व दुकानों में तोड़फोड़ की। पुलिस ने उपद्रवी तत्वों को रोकने के लिए लाठीचार्ज किया। इसमें कई छात्र घायल हो गए। बाद में पुलिस ने एक दर्जन से अधिक छात्रों को हिरासत में ले लिया। यहां हुए लाठीचार्ज के विरोध में कई छात्रावासों से छात्र निकल आए और रास्ता जाम कर दिया। देर शाम तक छात्र सड़क पर डटे रहे। कई स्थानों पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई थी।
लोक सेवा आयोग की नई आरक्षण नीति (हर स्तर पर नए सिरे से पूरा आरक्षण लागू करना) के मामले में सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई होनी थी। इसके मद्देनजर सुबह से ही बड़ी संख्या में छात्र हिंदू हॉस्टल चौराहा, हाई कोर्ट चौराहा तथा अन्य चौराहों पर एकत्र हो गए थे। छात्र प्रदेश सरकार और लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के खिलाफ रह-रहकर नारेबाजी करते रहे। अपराह्न एक बजे जैसे ही हाई कोर्ट के फैसले की जानकारी चौराहों पर जुटे छात्रों को मिली, उन्होंने अबीर-गुलाल उड़ाकर खुशी मनानी शुरू कर दी। हाई कोर्ट से लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन तक होली सरीखा नजारा था।
हिंदू हॉस्टल चौराहे पर जमा छात्रों का गुट भी विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन पहुंच गया। यहां से छात्रों का समूह सलोरी को कूच कर गया। वहां हुई तोड़फोड़ में हालात बेकाबू होते देख आइजी आलोक शर्मा के नेतृत्व में पुलिस ने लाठीचार्ज किया। छात्रों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। इससेकई छात्र चोटिल हो गए। पुलिस ने उपद्रव कर रहे एक दर्जन छात्रों को हिरासत में ले लिया। पुलिस की कार्रवाई से छात्र तितर-बितर हो गए। छात्र नेता अभिषेक सिंह सोनू के नेतृत्व में करीब 50 छात्र, हिरासत में लिए गए छात्रों को छुड़ाने पहुंचे तो पुलिस ने फिर से लाठीचार्ज किया। इसके विरोध में विश्वविद्यालय मार्ग पर डायमंड जुबली छात्रावास के सामने छात्रों ने चक्का जाम कर दिया। शहर में तनाव की स्थिति बनी हुई है।
पीसीएस-2011 के साक्षात्कार पर रोक
इलाहाबाद [जागरण ब्यूरो]। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में सोमवार को पीसीएस परीक्षा-2011 के साक्षात्कार पर रोक लगा दी। यह परीक्षा 26 जुलाई से शुरू होनी थी। अदालत ने इस परीक्षा समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में आरक्षण के नियम बदले जाने के मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया है।
आरक्षण के बदले नियमों पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत छात्रों और वकीलों से खचाखच भरी थी। न्यायमूर्ति एलके महापात्र और न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इस बाबत दाखिल तीनों याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। उन्होंने फैसला आने तक पीसीएस-2011 के साक्षात्कार पर रोक भी लगा दी। दस दिन के भीतर फैसला आने के आसार हैं। इससे पहले उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और राज्य सरकार ने अदालत में इस मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल किया। आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशिनंदन ने कहा कि परीक्षा नियमों में कोई संशोधन नहीं किया गया है। आरक्षण की व्यवस्था 1994 की आरक्षण नियमावली के अनुसार है। उन्होंने बताया कि पीसीएस-2011 की प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण नहीं लागू किया गया है। मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में लागू किया गया है। नियमों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। आयोग सिर्फ मेधावी छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुला रहा है।
राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोई लिखित हलफनामा नहीं दाखिल किया गया लेकिन अपर महाधिवक्ता सीबी यादव ने आयोग की परीक्षा नियमावली को सही बताया। उन्होंने कहा कि याचिकाओं में मुख्य मुद्दा आरक्षण नियमावली-1994 की व्याख्या का है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न निर्णयों में स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि याचिका पोषणीय नहीं है क्योंकि जिन छात्रों ने इसे चुनौती दी है, वे परीक्षा में चयनित ही नहीं हुए हैं इसलिए याचिका दाखिल करने के लिए अर्ह नहीं हैं।
याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केशरी नाथ त्रिपाठी ने बहस की और कहा कि आयोग आरक्षण नियमावली की गलत व्याख्या कर रहा है। परीक्षा की प्रक्रिया में आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता। इसका लाभ सिर्फ अंतिम परिणाम में हासिल किया जा सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता एमडी सिंह शेखर और अशोक खरे ने भी आयोग के फैसले को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि परीक्षा में हर स्तर पर आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। ऐसा करके सिर्फ एक वर्ग को लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। याचियों की ओर से कहा गया कि पुराने नियम से आरक्षित वर्ग को कोई नुकसान नहीं था क्योंकि वह अधिक अंक पाकर अंतिम परिणाम में सामान्य वर्ग की मेरिट में शामिल होते रहे हैं।
गौरतलब है कि पीसीएस-2011 के साक्षात्कार 26 जुलाई से शुरू होने थे जिसमें आरक्षण की बदली व्यवस्था के हिसाब से अभ्यर्थी शामिल होने थे। अदालत के आदेश के बाद आयोग को इन तिथियों को आगे खिसकाना पड़ेगा।
क्या है विवाद
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने एक प्रस्ताव पारित कर परीक्षा के हर स्तर यानी प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार में आरक्षित वर्ग को ओवरलैपिंग का लाभ देने का फैसला किया है। ओवरलैपिंग से आशय यह है कि हर चरण में आरक्षित वर्ग के अधिक नंबर हासिल करने वाले अभ्यर्थी सामान्य वर्ग की मेरिट में शामिल होंगे और उतने ही सामान्य वर्ग के छात्र बाहर हो जाएंगे। इससे पहले ओवरलैपिंग का लाभ सिर्फ अंतिम परिणाम पर ही दिया जाता था। पीसीएस मुख्य परीक्षा-2011 से आयोग ने इसे लागू किया है। आयोग के इसी फैसले को चुनौती दी गई है
News Source / Sabhaar : Jagran (22.7.13)