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Saturday, November 12, 2011

HC dismisses bunch of petitions related to UPTET

 HC dismisses bunch of petitions related to UPTET (   टीईटी दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया,इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने )
 
ALLAHABAD: The Allahabad High Court on Friday dismissed all the five bunches of writ petitions, filed by thousands of candidates against the UP Teachers Eligibility Test ( UPTET) 2011 for appointment of teachers in elementary schools, scheduled to be held on November 13, 2011.
The judgement was delivered by Justice Dilip Gupta on a bunch of writ petitions filed by the candidates, seeking their inclusion/exclusion in the TET examination 2011 with certain conditions.
Dismissing the bunch of writ petitions, the court said that all these are policy decisions and court should not sit in judgement over the wisdom and effectiveness or otherwise of the policy laid down by the academic body.
"It is exclusively within the domain of the academic body to determine as a matter of policy, what measures should be incorporated for the efficient holding of the examination," the court added while dismissing all the writ petitions.
B PEd, D PEd, LT and distance education candidates are among the petitioners. Similarly, some writ petitions have also been filed for inclusion of Sanskrit as language in second paper of the test along with Urdu and English.
The BTC candidates took the ground that first batch of the said training has already been given appointment and has also joined, whereas the petitioners, instead of being given appointment, are being compelled to appear in UPTET- 2011. Similar plea has been taken by the candidates of special BTC 2007 and 2008.
In addition, the candidates having obtained the degree of Physical Education through distance mode have contended that their course is duly recognized by the NCTE and therefore they should also be given opportunity to appear in UPTET- 2011.

इलाहाबाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 13 नवंबर को होने वाली शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) परीक्षा में शामिल करने अथवा बिना प्रशिक्षण लिए सीधे अध्यापक बनाने सहित अन्य मांगों को लेकर दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
इसके साथ ही हाईकोट ने कहा है कि कोर्ट नीतिगत मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। बीपीएड, डीपीएड डिप्लोमा, डिग्रीधारकों की सहायक अध्यापक (शारीरिक शिक्षक) के पद सृजन कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की मांग अस्वीकार करते हुए कोर्ट ने शुक्रवार को सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। राज्य सरकार की तरफ से केएस कुशवाहा ने प्रतिवाद किया। न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की न्यायपीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिया है।
बीटीसी प्रशिक्षण पाए अभ्यर्थियों को भी कोई राहत नहीं दी है और कहा है कि सरकार के नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। दूरस्थ शिक्षा अभ्यर्थियों के मामले में, जिन्होंने राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से बीएड डिग्री ली है को भी कोई राहत नहीं दी है, और कहा है कि जो पहले से अध्यापक हैं उन्हें यूपीटीईटी की जरूरत नहीं है। एनसीटीई की तरफ से रिजवान अली अख्तर ने पक्ष रखा। बीटीसी 2010, 2004 एवं विशिष्ट बीटीसी 2007 व 2008 के अभ्यर्थियों की यह मांग स्वीकार नहीं की है कि उन्हें टीईटी पास करना जरूरी नहीं है।
न्यायालय ने कहा है कि इन अभ्यर्थियों को भी 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना के तहत टीईटी परीक्षा पास करना जरूरी है। इसके साथ ही इंटर पास बीटीसी अभ्यर्थियों की टीईटी में शामिल करने की मांग को भी हाईकोर्ट ने यह कहते हुए नहीं माना कि राज्य सरकार को न्यूनतम योग्यता निर्धारित करने का अधिकार है। संस्कृति भाषा को टीईटी में शामिल करने की मांग को भी न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया है।
News : Times of India Epaper (12.11.11)