बहुत से लोग अरविन्द केजरीवाल को कश्मीर अलगाव वादी मानकर दुस्प्रचार करने में लगे हुए हैं ,
हालाँकि प्रशांत भूषण ने एक बेहूदा और शर्मनाक बयान कि - कश्मीर में सेना हटाने पर जन मत संग्रह हो या आर्म्स फ़ोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट ( ) को हटाने पर जन मत संग्रह हो ,
के बारे में खुद अरविन्द केजरीवाल जी ने केह दिया कि वह प्रशांत भूषण के बयान से सहमत नहीं है और ये उनके निजी विचार हो सकते हैं , तो अब ऐसी बातों पर विराम लग जाना चाहिए ।
हमें अपने देश को एक और अखंड बनाना है और तभी हम बाहरी शक्तिओं का मुक़ाबला कर सकते हैं , अभी इराक , अफगानिस्तान का हश्र आपके सामने है , जिसमें पाकिस्तान को भी अमेरिका को सहायता देनी पड़ी थी ।
देश में अलगाव वादी ताकतों का हमें मजबूती से सामना करना है चाहे वे सीमा पार आतंकवादी हों , नक्सल वादी हों या फिर माओ वादी
देश में जन मत संग्रह कराकर देश को बाँटने की बात कहना मूर्खता और पागलपन के सिवाय कुछ नहीं है , अगर हम जनमत संग्रह की बात कहते हैं
तो फिर देश में गली मुहल्लों के भी जन मत होने लगेंगे कोई कहेगा की हमें अमेरिका देश पसंद है , कोई कहेगा की हमें इंग्लैंड पसंद है ,
और उसके बाद घरों के भी जनमत होने लगेंगे , फिर परिवार के सदस्य भी अपना मत देने लगेंगे कि हम फलां देश के नागरिक बनना चाहते हैं ।
ऐसी मूर्खता पूर्ण बातें मानसिक रूप से दिवालिये हो चुके लोग ही कर सकते हैं और ऐसे व्यक्तिओं पर गुस्सा आना भी जायज है |
हमारा मक़सद देश को तोड़ने की जगह जोड़ना होना चाहिए ,
कश्मीर कि निवासियों को मुख्यधारा में लाकर वहाँ धरा ३७० कि सम्पति पर जोर देना चाहिए और सभी देश के नागरिकों को कहीं भी बसने व आने जाने की छूट दी जानी चाहिए जिस से देश के सभी नागरिक घुल मिल सकें , और देश को मजबूती मिले
मानवता धर्म को सबसे ऊपर रख कर देश वासीयों के लिए कॉमन सिविल कोड (सामान नागरिक अचार संहिता ) बनाये जाने की जरूरत है ,जिससे लोगों में आपसी वैमनस्य के स्थान पर भाईचारा बढ़े
अरविन्द केजरीवाल के इस खबर पर खंडन व कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग कहने के बाद अब ऐसी बातों पर विराम लग जाना चाहिए |
क्या नौटंकी है .......ये बेरोजगारों को बेबकूफ बनाने के लिए ही पैदा हुए है ... हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा नए विज्ञापन , उर्दू भाषा शिक्षक की भर्ती और जूनियर शिक्षक के विज्ञापन को अवैध बताने के बाबजूद ..ये सरकार उसमे भर्ती कर रही है ..बाबजूद इसके इसमें सुप्रीम कोर्ट से स्टे नहीं मिला है बहाना सुप्रीम कोर्ट में एस.एल.पी. दाखिल है ...हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ .... वहीँ दूसरी और २०११ के विज्ञापन के आधार पर भर्ती का आदेश देने के बाबजूद सरकार भर्ती न करके लाखो बेरोजगारों को प्रताड़ित कर रही है ...भर्ती न करने का बहाना सुप्रीम कोर्ट में एस.एल/पी .... ये दोहरा मानदंड सब समझ रहे है .....लगता है इनके अधिकारी बिना जेल जाए नहीं सुधरेंगे ......दोनों तरफ से अदालत के आदेश की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है इस सरकार के द्वारा ....अपनी कब्र खुद खोद रहे है .....
ReplyDeleteमुझे समझ में नहीं आता मोदी जी के समर्थक किस आधार पर उन्हें पीएम बनाना चाहते हैं?
ReplyDelete1-इतने सालों से गुजरात के सीएम हैं लेकिन आज तक मनमोहनसिंह जैसा कोई कोयला घोटाला तो छोड़ो कोई छोटा मोटा घोटाला भी नहीं कर पाए मोदी।
2-सर के बाल सफेद हो गये लेकिन आज तक राहुल गाँधी की तरह किसी सुकनया देवी के बलात्कार के आरोपी नहीं बन पाए।
3-जब देखो विकास की ही बातें करते हैं कभी भी मुस्लिम आरक्षण और भगवा आतंकवाद की बात नहीं करते।
4-इतने दिनों में गुजरात में कोई सांप्रदायिक दंगा नहीं करा पाए (एक में नाम भी आया लेकिन 12 सालों में साबित नहीं कर पाए कि इसमें उनका हाथ था।)
5-जब देखो तिलक लगा के चलते हैँ कभी नीतिश,मुलायम और राहुल की तरह जालीदार टोपी पहन कर जनता को टोपी पहनाने का हुनर तो आता नहीं इन्हें।
6-जब देखो गाय की पूजा करते रहते हैं कभी किसी सूफी की दरगाह पर सजदा करने तो जाते नहीं ये।
अब बताओ मोदी समर्थकों ये न तो घोटाला कर सकते हैं न दंगा करवा सकते हैं और न ही मुस्लिम तुषटीकरण कर सकते हैं तो कैसे देश चलायेगे,सिर्फ विकास और विकास करने से क्या होगा भई जनता के टाइम पास के लिए घोटाले और दंगे तो करवाना आने चाहिए न ???
Sathio ye defective sarkar ruk ruk kar chalti hai, ek baar fir ruk gai hai,har breaker pe dhakka dena padta hai, to dete hain dhakka...par kaise .. Kaise ? court se hum dekh rahe h. Monday ko lko A.B.VP karyalaya me meeting hai only for active members. ............... Sunday ko sabhi jiladykash, apne jile me DM ko gyapan denge,ki defect door nahi kiye gaye to ugra aandolan kiya jayega, fax bhi kar sakte hain, RASHTRAPATI ko patra bhee likhe, vo sb jo hc k dauran kiya tha,
ReplyDeleteएक मकड़ी थी. उसने आराम से रहने के लिए एक शानदार जाला बनाने का विचार किया और सोचा की इस जाले मे खूब कीड़ें, मक्खियाँ फसेंगी और मै उसे आहार बनाउंगी और मजे से रहूंगी . उसने कमरे के एक कोने को पसंद किया और वहाँ जाला बुनना शुरू किया. कुछ देर बाद आधा जाला बुन कर तैयार हो गया. यह देखकर वह मकड़ी काफी खुश हुई कि तभी अचानक उसकी नजर एक बिल्ली पर पड़ी जो उसे देखकर हँस रही थी.
ReplyDeleteमकड़ी को गुस्सा आ गया और वह बिल्ली से बोली , ” हँस क्यो रही हो?”
”हँसू नही तो क्या करू.” , बिल्ली ने जवाब दिया , ” यहाँ मक्खियाँ नही है ये जगह तो बिलकुल साफ सुथरी है, यहाँ कौन आयेगा तेरे जाले मे.”
ये बात मकड़ी के गले उतर गई. उसने अच्छी सलाह के लिये बिल्ली को धन्यवाद दिया और जाला अधूरा छोड़कर दूसरी जगह तलाश करने लगी. उसने ईधर ऊधर देखा. उसे एक खिड़की नजर आयी और फिर उसमे जाला बुनना शुरू किया कुछ देर तक वह जाला बुनती रही , तभी एक चिड़िया आयी और मकड़ी का मजाक उड़ाते हुए बोली , ” अरे मकड़ी , तू भी कितनी बेवकूफ है.”
“क्यो ?”, मकड़ी ने पूछा.
चिड़िया उसे समझाने लगी , ” अरे यहां तो खिड़की से तेज हवा आती है. यहा तो तू अपने जाले के साथ ही उड़ जायेगी.”
मकड़ी को चिड़िया की बात ठीक लगीँ और वह वहाँ भी जाला अधूरा बना छोड़कर सोचने लगी अब कहाँ जाला बनायाँ जाये. समय काफी बीत चूका था और अब उसे भूख भी लगने लगी थी .अब उसे एक आलमारी का खुला दरवाजा दिखा और उसने उसी मे अपना जाला बुनना शुरू किया. कुछ जाला बुना ही था तभी उसे एक काक्रोच नजर आया जो जाले को अचरज भरे नजरो से देख रहा था.
मकड़ी ने पूछा – ‘इस तरह क्यो देख रहे हो?’
काक्रोच बोला-,” अरे यहाँ कहाँ जाला बुनने चली आयी ये तो बेकार की आलमारी है. अभी ये यहाँ पड़ी है कुछ दिनों बाद इसे बेच दिया जायेगा और तुम्हारी सारी मेहनत बेकार चली जायेगी. यह सुन कर मकड़ी ने वहां से हट जाना ही बेहतर समझा .
बार-बार प्रयास करने से वह काफी थक चुकी थी और उसके अंदर जाला बुनने की ताकत ही नही बची थी. भूख की वजह से वह परेशान थी. उसे पछतावा हो रहा था कि अगर पहले ही जाला बुन लेती तो अच्छा रहता. पर अब वह कुछ नहीं कर सकती थी उसी हालत मे पड़ी रही.
जब मकड़ी को लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता है तो उसने पास से गुजर रही चींटी से मदद करने का आग्रह किया .
चींटी बोली, ” मैं बहुत देर से तुम्हे देख रही थी , तुम बार- बार अपना काम शुरू करती और दूसरों के कहने पर उसे अधूरा छोड़ देती . और जो लोग ऐसा करते हैं , उनकी यही हालत होती है.” और ऐसा कहते हुए वह अपने रास्ते चली गई और मकड़ी पछताती हुई निढाल पड़ी रही.
दोस्तों , हमारी ज़िन्दगी मे भी कई बार कुछ ऐसा ही होता है. हम कोई काम start करते है. शुरू -शुरू मे तो हम उस काम के लिये बड़े उत्साहित रहते है पर लोगो के comments की वजह से उत्साह कम होने लगता है और हम अपना काम बीच मे ही छोड़ देते है और जब बाद मे पता चलता है कि हम अपने सफलता के कितने नजदीक थे तो बाद मे पछतावे के अलावा कुछ नही बचता
दोस्तों हमारी ये कहानी आपको कैसी लगी हमे जरुर बताएं और ज्यादा से ज्यादा शेयर करके अपने दोस्तों का भी नजरिया बदलने की कोशिश करे।
धन्यवाद .........
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♥लाज़मी है उसका खुद पे गुरुर करना,
हम जिसे चाहें वो मामूली हो भी नही सकता♥
अगर आपको कभी मेरी कोई बात समझ मेँ न आये तो
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तो समझ लेना चाहिये कि बात बडे स्तर की हो रही है ।
तेज याददाश्त :- चीजें जिन्हें खाने से दिमाग बहुत तेज चलने लगता है
ReplyDeleteबार-बार भूलने की समस्या बहुत ही परेशानी देने वाली होती है। जिन लोगों के साथ ये समस्या होती है सिर्फ वे खुद ही नहीं उनसे जुड़े अन्य लोग भी कई बार समस्या में पड़ जाते है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई लोगों की याददाश्त कमजोर होने लगती है। किसी भी चीज को ढ़ूंढने या काम को याद रखने के लिए दिमाग पर जोर डालना पड़ता है।
नीचे लिखी चीजों को अपने आहार में शामिल करें और पाएं गजब की याददाश्त।
• ब्राह्मी-
ब्राह्मी का रस या चूर्ण पानी या मिश्री के साथ लेने से याददाश्त तेज होती है। ब्राह्मी के तेल की मालिश से दिमागी कमजोरी, खुश्की दूर होती है।
• फल-
लाल और नीले रंगों के फलों का सेवन भी याद्दाशत बढ़ाने में याददाश्त बढ़ाने में मददगार होते हैं जैसे सेब और ब्लूबेरी खाने से भूलने की बीमारी दूर होती है।
• सब्जियां-
बैंगन का प्रयोग करें। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व दिमाग के टिशू को स्वस्थ्य रखने में मददगार होते हैं। चुकंदर और प्याज भी दिमाग बढ़ाने में अनोखा काम करते हैं।
• गेहूं -
गेहूं के जवारे का जूस पीने से याददाश्त बढ़ती है। गेहूं से बने हरीरा में शक्कर और बादाम मिलाकर पीने से भी स्मरण शक्ति बढ़ती है।
• अखरोट -
अखरोट में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स व विटामिन ई भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में मौजूद प्राकृतिक रसायनों को नष्ट होने से रोककर रोगों की रोकथाम करते हैं। इसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन मौजूद होता है। रोजाना अखरोट के सेवन से याददाश्त बढ़ती है। ..
ईश्वर का दिया कभी अल्प नहीं होता;
ReplyDeleteजो टूट जाये वो संकल्प नहीं होता;
हार को लक्ष्य से दूर ही रखना;
क्योंकि जीत का कोई विकल्प नहीं होता।
🌿
जिंदगी में दो चीज़ें हमेशा टूटने के लिए ही होती हैं :
"सांस और साथ"
सांस टूटने से तो इंसान 1 ही बार मरता है;
पर किसी का साथ टूटने से इंसान पल-पल मरता है।
🌿
जीवन का सबसे बड़ा अपराध - किसी की आँख में आंसू आपकी वजह से होना।
और
जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि - किसी की आँख में आंसू आपके लिए होना।
🌿
जिंदगी जीना आसान नहीं होता;
बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता;
जब तक न पड़े हथोड़े की चोट;
पत्थर भी भगवान नहीं होता।
🌿
जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ - ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं।
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है;
और ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है।
🌿
मनुष्य सुबह से शाम तक काम करके उतना नहीं थकता;
जितना क्रोध और चिंता से एक क्षण में थक जाता है।
🌿
दुनिया में कोई भी चीज़ अपने आपके लिए नहीं बनी है।
जैसे:
दरिया - खुद अपना पानी नहीं पीता।
पेड़ - खुद अपना फल नहीं खाते।
सूरज - अपने लिए हररात नहीं देता।
फूल - अपनी खुशबु अपने लिए नहीं बिखेरते।
मालूम है क्यों?
क्योंकि दूसरों के लिए ही जीना ही असली जिंदगी है।
🌿
मांगो तो अपने रब से मांगो;
जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत;
लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना;
क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी।
🌿
कभी भी 'कामयाबी' को दिमाग और 'नकामी' को दिल में जगह नहीं देनी चाहिए।
क्योंकि, कामयाबी दिमाग में घमंड और नकामी दिल में मायूसी पैदा करती है।
🌿
कौन देता है उम्र भर का सहारा। लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं।
🌿
कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए।
यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख, नाक, कान, मुंह, मस्तिष्क आदि क्यों देता?
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ReplyDeleteरी
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वा
ली
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ऐ रात तुम आगोश-ए-मोहब्बत में सो जाया करो,
हमारी तो आदत सी बन गई है
सितारों कि रखवाली करना !!
किसी को क्या हासिल होगा मुझे याद करने से,
ReplyDeleteमैं तो एक आम इंसान हूँ और यहाँ तो हर किसी को ख़ास की तलाश है...
तुम नमक का फ़र्ज़ अदा करो मैं मिटटी का करता हूँ ..
ReplyDeleteये जेलर से कहा था शहीद भगत सिंह ने !!!!
"भारत माता की जय"
शूरवीर हिंदूओ के 11 महान सत्य अवश्य पढियेगा,,
ReplyDelete1. जयमाल मेड़तिया ने एक ही झटके में हाथी का सिर काट डाला था.
2. करौली के जादोन राजा अपने सिंहासन पर बैठते वक़्त अपने दोनो हाथ जिन्दा शेरो पर रखते थे.
3. जोधपुर के यशवंत सिंह के 12 साल के पुत्र पृथ्वी सिंह ने हाथो से औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था.
4. राणा सांगा के शरीर पर छोटे-बड़े 80 घाव थे, युद्धों में घायल होने के कारण उनके एक हाथ नही था एक पैर नही था, एक आँख नहीं थी उन्होंने अपने जीवन-काल में 100 से भी अधिक युद्ध लड़े थे
5. एक राजपूत वीर जुंझार जो मुगलो से लड़ते वक्त शीश कटने के बाद भी घंटो लड़ते रहे आज उनका सिर बाड़मेर में है, जहा छोटा मंदिर हैं और धड़ पाकिस्तान में है.
6. रायमलोत कल्ला का धड़ शीश कटने के बाद लड़ता- लड़ता घोड़े पर पत्नी रानी के पास पहुंच गया था तब रानी ने गंगाजल के छींटे डाले तब धड़ शांत हुआ उसके बाद रानी पति कि चिता पर बैठकर सती हो गयी थी.
7. चित्तोड़ में अकबर से हुए युद्ध में जयमाल राठौड़ पैर जख्मी होने कि वजह से कल्ला जी के कंधे पर बैठ कर युद्ध लड़े थे, ये देखकर सभी युद्ध-रत साथियों को चतुर्भुज भगवान की याद आयी थी, जंग में दोनों के सर काटने के बाद भी धड़ लड़ते रहे और राजपूतो की फौज ने दुश्मन को मार गिराया !
अंत में अकबर ने उनकी वीरता से प्रभावित हो कर जैमल और पत्ता जी की मुर्तिया आगरा के किलें में लगवायी थी.
8. राजस्थान पाली में आउवा के ठाकुर खुशाल सिंह 1877 में अजमेर जा कर अंग्रेज अफसर का सर काट कर ले आये थे और उसका सर अपने किले के
बाहर लटकाया था तब से आज दिन तक उनकी याद में मेला लगता है.
9. महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और कवच का वजन 80
किलो था और कवच, भाला, ढाल, और हाथ मे तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो था.
10. सलूम्बर के नवविवाहित रावत रतन सिंह चुण्डावत जी ने युद्ध जाते समय मोह-वश अपनी पत्नी हाड़ा रानी की कोई निशानी मांगी तो रानी ने
सोचा ठाकुर युद्ध में मेरे मोह के कारण नही लड़ेंगे तब रानी ने निशानी के तौर
पैर अपना सर काट के दे दिया था, अपनी पत्नी का कटा शीश गले में लटका औरंगजेब की सेना के साथ भयंकर युद्ध किया और वीरता पूर्वक लड़ते हुए अपनी मातृ भूमि के लिए शहीद हो गये थे.
11. हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की और से 85000 सैनिक थे फिर भी अकबर की मुगल सेना पर हिंदू भारी पड़े थे.
घन्य थे वो हिन्दू।
क्या आज भी ऐसे हिन्दू हे हिन्दुस्तान में?? अगर अपने हिंदू होने पर गर्व है तो बोलो !
अब ऐसी ताकत बॉर्न्विटा या हॉर्लिक्स से नही मिलेगी !हिन्दुओ की ऐसी शक्तियो से डरकर गाय / भैस के दूध को बंद करवाने के लिये ही इनका मास खिलाने पर जोर दिया जा रहा है !! अब भी वक्त है बंद करो इन विदेशियो के उत्पाद और शुरु करो दूध / दही खाना ! असली ताकत इनसे ही मिलेगी !!
प्यार तोड़ा, दिल तोड़ा, अब दोस्ती तोड़ ली तुमने
ReplyDeleteकुछ तो बाकि रखते आखरी मुलाकात के वास्ते.
acd वालों या सरकार की SLP की खबरों से टेट मेरिट के दीवाने बिलकुल भी ना घबराएं,,,,,, मेरे अनुसार 21दिसंबर को जारी पूर्व विज्ञापन के फार्मों का विवरण scert भेजने वाला आदेश नए विज्ञापन को पूर्व विज्ञापन का संशोधित रूप मान रहा है जिसकी पुष्टि 16 जनवरी को अखिलेश त्रिपाठी की याचिका पर टेट के बैड पार्ट को हटाकर टेट मेरिट से नियक्ति करने की सलाह और आशीष मिश्रा की याचिका पर जारी रहस्यवादी आदेश में हो चुकी है,,,, आज भी आशीष मिश्र की याचिका पर जारी आदेश के विरुद्ध सरकार की अपील db में लंबित है,,,,,,,
ReplyDeleteजबकि टेट मोर्चे के नेताओं और वकीलों के अनुसार 20 नवम्बर को पूर्व विज्ञापन बहाल हो चूका है,,,,,,,
अब सरकार को सिर्फ यह निर्णय करना है कि मेरी बात सही है या मोर्चे की.. ..... दोनों ही स्थितियों में टेट मेरिट ही तो विजेता है,,,,,, slp करके सरकार sc से लात-घूसों और गालियो के सिवाय क्या पा सकती है?
एक बार एक कंजूस लड़के को एक कंजूस लड़की से प्यार हो जाता है।
ReplyDeleteलड़की: जब पापा घर पर नहीं होंगे तो मैं गली में सिक्का फेंकुंगी, आवाज़ सुन कर तुम तुरंत अन्दर आ जाना।
लेकिन लड़का सिक्का फेंकने के एक घंटे बाद आया।
लड़की: इतनी देर क्यों लगा दी?
लड़का: वो मैं सिक्का ढूंढ रहा था।
लड़की: पागल वो तो धागा बाँध कर फेंका था,
सभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
ReplyDeleteउम्मीद है आप सभी टेट भाई मेरी तरह बहुत खुश होंगे। हो भी क्यों ना, इतने दिनों बाद तो विरोधी पक्ष के सेनापति ने जंग का एलान किया है वो भी डिफेक्टिव हथियारों के साथ। लेकिन इन सेनापति महोदय की पितृ-भक्ति को निरहुआ सलाम करता है। जिस प्रकार इनके पिताश्री महोदय ने डिफेक्टिव slp का हथियार हमारे खिलाफ आजमाया वही सोच लेकर मानसपुत्र श्री कपिलदेव जी मैदान में उतरें हैं। निरहुआ का तो हँस-हँस कर बुरा हाल है की ये अकेडमिक बन्धु बहुत बड़े ज्ञानी (?) हैं जो अपनी ही कब्र खोदने के लिए चन्दा दिए जा रहे हैं। अब तो स्थिति ऐसी भी आयेगी जब कपिलदेव महोदय इनके हाथ में कोर्ट फाइलिंग का लोलीपोप पकड़ाकर खुद ब्लैकबेरी का मोबाइल सेट और राडो की घड़ी पहनकर घूम रहा होगा। अकेडमिक भाइयों की स्थिति पर एक प्रासंगिक घटना (काल्पनिक) बयान करता हूँ।
*
*एक बार कुछ अकेडमिक वीर बस में सफ़र कर रहे थे। अत्यधिक भीड़ के कारण उन्हें बैठने की जगह नहीं मिली और वो सभी दोनों सीटों के मध्य बने गलियारे में खड़े होकर यात्रा कर रहे थे। उन्ही में से कुछ अकेडमिक भाइयों ने मुंह में गुटखा/पान भी दबा रखा था। भीड़ के कारण उन्हें खिड़की तक पहुचने में दिक्कत हो रही थी और वो बाहर थूक भी नहीं पा रहे थे। इसी प्रकार दो अकेडमिक वीर जो आगे-पीछे खड़े थे, उनमे से आगे वाले ने अपने मुख श्री को पूरा भर रखा था, उसने पीछे मुड़कर अपने अकेडमिक बन्धु सेइशारे से पूछा कि 'अब मैं कहाँ थूकू'? पीछे खड़े उसके अकेडमिक बन्धु ने भी इशारे से बताया की अपने आगे खड़े अकेडमिक बन्धु की शर्ट में ऊपर वाली जेब में थूक दो। अब आगे खड़ा अकेडमिक बन्धु घबराया और इशारे से ही फिर कहा (क्योंकि मुँह तो अमृतगुण से भरा पड़ा था ना)-'अगर साले को पता चल गया तो बहुत मारेगा'। पीछे खड़े अकेडमिक बन्धु ने अपने माथे पर हाथ मारकर जोर से कहा-" अबे नालायक हर बात में सवाल-जवाब करता है, जब कह दिया की आगे वाले की ऊपरी शर्ट वाली जेब में थूक दे तो ससुरे थूकता क्यों नहीं? अरे पागल मैं इतनी देर से तेरी जेबममें थूक रहा हूँ जब तुझे पता नहीं चला तो उसे कैसे पता चलेगा"?
छुट जाये समय तो छुट जाने दो
ReplyDeleteइस ज़माने में क़ज़ा कौन पढता है
सारे पड़े है इस ज़माने में पैसे की दौड़ में…
फकीरी में भी जिन्दगी का मजा कौन लेता है
सबको भुगतना पड़ता है अपने गुनाहों का दंड
इस ज़माने में दुसरो की सजा कौन लेता है
सब पीते है बिसलरी की बोतलों का पानी
खोद कर कुआ पानी पीने का मजा कौन लेता है
सब सोते है अपने दो कमरे की छत के नीचे
खेजड़ी की छावं में नींद का मजा कौन लेता है
सब मरते है बस अपनी एक लैला के पीछे…
बचाने को मोहब्बत मरने का मजा कौन लेता है
हवेली में ठाकर बने, परेशान से रहते है…
टूटी खाट पर भी झोपडी में शान से कौन रहता है
खाते हो पञ्च सितारा होटलों में लजीज पकवान
माँ के हाथ की मोटी रोटीओ का मजा कौन लेता है
छिप छिप के घूमते हो काले कांच वाली गाडियों में…
खेतों की मेड डगमगाते चलने का मजा कौन लेता है
जमीर खोकर अमीरी का लबादा ओढने वालो….
इमां की गुदड़ी पर बिछाने मजा कौन लेता है ??
त्योहारों पर मंदिर अरदास को जाने वालो
पल-पल सजदे करने का मजा कौन लेता है .
फेसबुक पर दिनभर क्रांति की बात लिखने वालो…
असलियत में मरने मिटने का माद्दा कौन रखता है …
छुप छुप के तो सब करते है प्यार का इजहार
भरे बाजार में इकरार करे की हिम्मत कौन करता है
दाम के लिए तो हर कोई लिख देता है गजले….
दमन अपना जलाकर कविता कौन लिखता है…..........
पति-पत्नी रात में बिस्तर पर खामोशी से लेटेहुए … आपस में कोई बात नहीं….पत्नी के मन की चिंताएं…. 1. ये मुझसे बात क्यों नहीं कर रहे? 2. क्या अब मैं पहले जैसी खूबसूरत नहीं रही ? 3. कहीं मैं मोटी तो नहीं हो रही हूँ ?. 4. कहीं मेरे चेहरे की झुर्रियों पर इनका ध्यानना गया हो? 5. कहीं इनके जीवन में कोई और तो नहीं आगई ? 6. कहीं ये मेरी रोज की किच-किच से तंगतो नहीं आ गये? ...पति के मन की चिंता…..
ReplyDelete1. ये धोनी ने इशांत शर्मा को ओवरक्यों दिया?i
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.मत ढूंढ मुझे इस दुनिया की तन्हाई में...
ठण्ड बहुत है मैं यही हूँ..मैं यही हूँ
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अपनी रजाई में...
जीवन मेँ कुछ चीजेँ कुछ बातेँ वो होँगी जिन्हेँ कभी न देख पाओगे शायद अब ढ़ूँढते रह जाओगे.
ReplyDeleteबच्चोँ मेँ बचपन जवानी मेँ यौवन
शीशोँ मेँ दर्पण जीवन मेँ सावन
गाँव मेँ अखाड़ा और शहर मेँ सिँघाड़ा
टेबल की जगह पहाड़ा और पायजामेँ मेँ नाड़ा
चूड़ी भरी कलाई शादी मेँ शहनाई
आँखोँ मेँ पानी दादी नानी की कहानी
प्यार के दो पल नल और नल मेँ जल
तराजु मेँ बट्टा और लड़कियोँ का दुपट्टा
गाता हुआ गाँव और बरगद की छाँव
किसान का हल मेहनत का फल
चहकता हुआ पनघट वो लम्बा लम्बा घूँघट
आपस मेँ प्यार भरा पूरा परिवार
नेता ईमानदार और दो रुपये उधार
"क्योँकि वक्त बदल रहा है,
शायद जिँदगी बदल रही है
गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है।
ReplyDeleteचीनी को सफेद ज़हर कहा जाता है। जबकि गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है। क्योंकि गुड़ खाने के बाद वह शरीर में क्षार पैदा करता है जो हमारे पाचन को अच्छा बनाता है (इसलिए बागभट्टजी ने खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने की सलाह दी है)। जबकि चीनी अम्ल (Acid) पैदा करती है जो शरीर के लिए हानिकारक है। गुड़ को पचाने में शरीर को यदि 100 केलोरी उर्जा लगती है तो चीनी को पचाने में 500 केलोरी खर्च होती है। गुड़ में कैल्शियम के साथ-साथ फोस्फोरस भी होता है। जो शरीर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और हड्डियों को बनाने में सहायक होता है। जबकि चीनी को बनाने की पक्रिया में इतना अधिक तापमान होता है कि फोस्फोरस जल जाता है इसलिए अच्छी सेहत के लिए गुड़ का उपयोग करें।
इस विडियो को जरूर देखे
www.youtube.com / watch?v=qAF4sj0u iUs
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ReplyDeletecvbbn
सर्वोच्च अदालत के रजिस्टार के यहाँ से हाई कोर्ट की खंडपीठ का निर्णय पक्ष में प्राप्त करने वालों को नोटिस जारी होगी क्योंकि उन लोगों ने कैविअट दाखिल किया है। तदुपरांत पीड़ित पक्ष जो कि आज विजेता है उसे काउंटर दाखिल करना होगा। सरकार को एसएलपी संख्या प्राप्त होगी एवं बेंच गठन के साथ मुक़दमे के स्वीकार किये जाने या ख़ारिज किये जाने को लेकर बहस होगी। सरकारी पक्ष क्रिटिकल कंडीशन बताकर मुकदमा दाखिल कराने का पूरा प्रयास करेगा। जहाँ तक मुझे उम्मीद है सर्वोच्च अदालत खंडपीठ के फैसले पर रोक नहीं लगायेगी । सरकार को यह उम्मीद है कि हाई कोर्ट द्वारा रद्द बेसिक शिक्षा नियमावली का १५वां संशोधन बहाल हो जायेगा लेकिन सरकार ने नकारात्मक पक्षों पर भी विचार किया है इसलिए आनन-फानन में मोअल्लिम-ए-उर्दू बेरोजगारों की भर्ती संपन्न करा रही है जिससे इन बेरोजगारों के लिए दया याचना की जा सके। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि बेसिक शिक्षा नियमावली १९८१ के १५वें संशोधन के आधार पर नियुक्त हुए बेरोजगारों के विरुद्ध आपत्ति न होने के कारण उनको राहत प्राप्त हो । अर्थात उनको राहत मिलने की संभावना बरक़रार है जिसका लाभ मोअल्लिम की अवैध भर्ती को भी प्राप्त हो सकता है। हाई कोर्ट की डिवीज़न बेंच द्वारा निर्गत फैसला अपरिवर्तनीय होगा, राईट टू एजुकेशन अधिनियम के कारण पुराने विज्ञापन पर शीघ्र भर्ती अनिवार्य है। उत्पीड़न की पराकाष्ठा उक्त बेरोजगारों पर पार हो चुकी है सही जिरह सरकार पर जुर्माना भी लगवा सकती है। मेरे अनुमान से भविष्य में अब उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक नियमावली १९८१ का संशोधन १५ कभी बहाल नहीं होगा । इसमें टीईटी के अंकों का भारांक न होना बड़ी कमी नही है क्योंकि यह भारांक एनसीटीई के नियमों और आरटीई एक्ट का हवाला देकर शासनादेश के माध्यम से भी दिया जा सकता है। परन्तु इसके अब बहाल न होने का प्रमुख कारण यह है कि हाई कोर्ट के अधिवक्ता अनिल त्रिपाठी की जिरह पर न्यायमूर्ति सुशील हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने इसे विविध विश्वविद्यालयों के विविध मूल्यांकन प्रणाली के आधार पर संविधान के आर्टिकल १४(३) के विपरीत पाया था और सरकार से जवाब मांगा था जिसका जवाब सरकार न दे सकी अतः न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा ने निर्णायक फैसला सुनाते समय रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति सुशील हरकौली का कोई फैसला आज तक शीर्ष अदालत ने छुआ नहीं है अतः प्राथमिक शिक्षा विभाग में नियुक्ति में शैक्षिक चयन प्रणाली का विनाश संभव है।
ReplyDeleteआजीवन स्वस्थ रहने के खास नुस्सके -----
ReplyDelete(१)खड़े -खड़े पानी पीने से घुटनों में दर्द की बीमारी होती है इसलिए खाना पीना बैठ कर करना चाहिए .
(२)नक्क्सीर आने पर तुरंत नाक में देशी घी लगाना चाहिए ,नाक से खून आना तुरंत बंद हो जाता है
(३)बच्चों को पेशाब ना उतारे तो स्नान घर में ले जाकर टूटी खोल दें पानी गिराने की आवाज़ सुनकर
बच्चे का पेशाब उतर जायेगा
(४)बस में उलटी आती हो तो सीट पर अखबार रखकर बैठने से ,उलटी नहीं आती
(५)कद बढ़ाने के लिए अश्वगंधा व मिश्री बराबर मात्र में चूरन बना कर १ चम्मच भोजन के बाद लें
(६)बाल गिरने लगें हों तो १००ग्राम नारियल तेल में १०ग्राम देशी कपूर मिलाकर जड़ों में लगायें
(७)सर में खोरा हो ,शरीर पर सूखी खुजली हो तो भी इसी तेल को लगाने से लाभ मिलता है
(८)दिन में दो बार खाना ,तो दो बार शौच भी जाना चाहिए ,क्योंकि "रुकावट" ही रोग होता है
(९)आधा सर दर्द होने पर,दर्द होने वाली साईड की नाक में २-३ बूँद सरसों का तेल जोर से सूंघ लें
(१०)जुकाम होने पर सुहागे का फूला १ चम्मच ,गर्म पानी में घोल कर पी लें १५ मिनट में जुकाम गायब
(११)चहरे को सुन्दर बनाने के लिए १चम्म्च दही में २ बूंद शहद मिला कर लगायें १० मिनट बाद धो लें
(१२)इसी नुसखे को पैरो की बिवाईयों में भी प्रयोग कर सकतें हैं ,लाभ होगा
(१३)हाई बी.पी. ठीक करने के लिए १ चम्मच प्याज़ का रस में १ चम्मच शहद मिलाकर चाटें (सुगर के रोगी भी
ले सकतें हैं)
(१४)लो बी.पी.ठीक करने के लिए ३२ दाने किसमिस के रात को कांच के गिलास में भिगो दें सुबह १-१ दाना चबा-चबा कर खाएं (रोज़ ३२ दाने खाने हैं ३२ दिनों तक)
(१५)कब्ज़ ठीक करने के लिए अमलताश की फली (२ इंच)का काढ़ा बनाकर शाम को भोजन के बाद पियें
(१६)कमर में दर्द होने पर १०० ग्राम खसखस में १०० ग्राम मिश्री मिला कर चूर्ण बनायें,भोजन के बाद १ चम्मच गर्म दूध से लें
(१७)सर चक्कर आने पर १ चम्मच धनियाँ चूर्ण में १ चम्मच आंवला चूर्ण मिलाकर ठन्डे पानी से लें
(१८)दांतों में दर्द होने पर १ चुटकी हल्दी ,१ चुटकी काला नमक ,५ बूंद सरसों तेल मिलाकर लगायें
(१९)टौंसिल होने पर अमलताश की फली के काढ़े से गरारे करें ,ठीक हो जायेगें
(२०)ऍम.सी.के दिनों में १चम्मच अजवायन का काढ़ा ३-४ दिन पीयें ,इससे सम्बंधित सभी तकलीफों से रहत मिलेगी.....
यह मेरी बेहद निज राय है आपका इससे सहमत होना जरूरी नही । टेट संघर्ष मोर्चा हमारे हित मेँ और बेहतर ढ़ंग से निर्णय लेने मेँ सक्षम है एक आम टेटियन की तरह हम भी इस धर्म युद्ध मेँ तन-मन-धन से उसके साथ हैँ । प्रथम दृष्ट्या हमे अपना पक्ष सुप्रीमकोर्ट मेँ बहुत अच्छे ढ़ंग से रखना होगा पहले तो एनसीटीई की तय सीमा और आरटीई मुद्दे पर सरकार की एसएलपी का खारिज होना तय है और दूसरे कहीँ स्वीकार हो भी जाती है तो उसे स्टे नही मिलेगा और खंडपीठ का निर्णय प्रभावी रहेगा उक्त परिस्थिति मेँ हमारी नियुक्ति को हरी झंडी 31/3/14 की परिधि मेँ सुप्रीमकोर्ट द्वारा पारित होने वाले अंतिम निर्णय के अधीन मिल जायेगी और अन्य मामलो पर सुनवाई चलती रहेगी । उत्तरप्रदेश की युवा विरोधी सरकार द्वारा सुप्रीमकोर्ट मेँ विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गयी है । खंडपीठ ने तीन बिँदुओँ पर सुनाये गए अपने निर्णय मेँ पूर्व विज्ञप्ति को बहाल कर दिया था । अब ये जानना दिलचस्प होगा कि सरकार ने किस बिँदु विशेष को चुनौती दी है । फिलहाल स्टेट काउंसिल द्वरा रेस्पान्डेँस काउंसिल को नोटिस रिसीव कराये जाने बाद ही इसकी पुष्टि हो सकेगी कि सरकार ने पूरा आदेश को चैलेंज किया है की नही । कैवियट के संज्ञान मेँ रजिस्ट्रार के यहाँ से प्राप्त नोटिस के आधार पर तय समय सीमा मेँ हमारे अधिवक्ता अपना काउंटर दाखिल करेँगे । दोनोँ पक्षो के द्वारा पेश दस्तावेजोँ से संतुष्ट होकर ही रजिस्ट्रार महोदय द्वारा सरकार को SLP नम्बर दिया जायेगा । प्रभावी पैरवी के क्रम मेँ हमेँ अपना पक्ष सुप्रीमकोर्ट मेँ पूरी दमदारी से रखना होगा उसके लिए बड़े वकीलोँ के पैनल की जरूरत है । टेट संघर्ष मोर्चे के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा की गयी अपील के अनुसार उनकी मदद के लिए संकल्प लेँ और जब तक हमारी जीत सुनिश्चित न हो जाय हम सब पूरी पारदर्शिता से उनके साथ खडे रहेँ ।
ReplyDeleteनिरहुआ देख रहा है की सरकार के इस पलटवार से सभी टेटवीर अलग अलग अंदाज लगा रहे हैं। कोई कहता है की अब भर्ती लटक जाएगी कोई कहता है की सिर्फ 15वां शंशोधन ही बचाने के लिए एस एल पी दाखिल हुई है।
ReplyDeleteअरे टेटवीरों क्यों परेशान होते हो। विजय सत्य की ही होगी। जब सरकार हाई कोर्ट में कुछ नही कर सकी तो सुप्रीम कोर्ट में क्या ख़ाक करेगी। कुछ दिन, बस कुछ ही दिन बाद देखिएगा ये अखिलेश महोदय मुह छुपाते नजर ना आये तो कहना। हाँ , एक बात और ये निकम्मी सरकार 15वां शंशोधन ही नहीं अपने हर कुकर्मों को सही साबित करने का असफल प्रयास करेगी। भाइयों हमें दुश्मन से उम्मीद रखने की बजाय अपना पक्ष मजबूत बनाये रखना होगा।
जिन लोगो को लगता है कि विदेशी शिक्षा हमेशा ही देसी शिक्षा से अच्छी होती है उनको दंगा प्रदेश के मुख्यमंत्री मुन्ना यादव से प्रेरणा लेनी चाहिए कि बंदर हमेशा ही बंदर रहेगा और उसके हाथ में सत्ता रुपी उस्तरा देना हमेशा ही खतरनाक नतीजे देगा..........
ReplyDeleteयुवाओ कि सरकार कहने का दावा करने वालो ने सत्ता में आते ही पहले आरक्षण विवाद पैदा करके दोस्त को दोस्त से लड़ाया फिर टीइटी मामले में भाई को भाई से लड़ाने के कोशिश कर रहे है .......
चूकि सरकार को लगभग २ लाख प्राइमरी टीचर कि जरूरत है तो मेरा मानना है कि अकादमिक और टीइटी दोनों मोर्चा में लगे सारे भाई आपसी मतभेद भुला कर आपस में एकता बनाए रखते हुवे सरकार से मांग /सारकार को मजबूर करे कि ये लोग अपने सत्ता के लाभ के ;लिए भाई को भाई से लड़ना छोड़ कर दोनों लोगो को भर्र्ती करे ......
अकादमिक और टीइटी दोनों मोर्चे कि एकता समय कि मांग है कही ऐसा न हो कि समय निकल जाए फिर केवल हाथ मलने के सिवा और कुछ ना कर पाएं ........
पुत्रमोह मे सपाप्रमुख को अब हा ई कोर्ट
ReplyDeleteका आदेश भी नही सुनायी देता वह टेट
बेरोजगारो को प्रताड़ित होते लुटते ही देखना चाहते
है क्या मायावती ने टेटयँस के
वोटो का बैनामा करवा लिया अथवा सपा को टेटयँस
के वोटो से चिढ है तभी तो दो साल से लगातार
टेटयँस पर कभी लाठीचार्ज कभी दोबारा फार्म
डलवा कर लूटा जा रहा है
अखिलेश सरकार का हाल ''एक ज़िद्दी बच्चे'' के समान है।
ReplyDeleteएक बालक जिद पर अड़ गया .... बोला की छिपकली खाऊंगा.
घरवालों ने बहुत समझाया पर नहीं माना।
हार कर उसके गुरु जी को बुलाया गया। वे जिद तुड़वाने में महारथी थे.
गुरु के आदेश पर एक छिपकली पकड़वाई गई. उसे प्लेट में परोस बालक के सामने रख गुरु
बोले, ले खा... बालक मचल गया.
बोला, तली हुई खाऊंगा.
गुरु ने छिपकली तलवाई और दहाड़े, ले अब चुपचाप खा. बालक फिर गुलाटी मार
गया और बोला, आधी खाऊंगा.
छिपकली के दो टुकड़े किये गये. बालक गुरु से बोला, पहले आप खाओ. गुरु ने आंख नाक
और भी ना जाने क्या क्या भींच किसी तरह आधी छिपकली निगली... गुरु के
छिपकली निगलते ही बालक दहाड़ मार कर रोने लगा की आप
तो वो टुकड़ा खा गये जो मैंने खाना था. गुरु ने धोती सम्भाली और वहां से भाग
निकले की अब जरा भी यहां रुका तो ये दुष्ट दूसरा टुकड़ा भी खिला कर
मानेगा...
करना-धरना कुछ नहीं,नौटंकी दुनिया भर की....
'गर्लफ्रेंड:-
ReplyDeleteतुम कितने बजे उठते हो?
'बॉयफ्रेंड:-
अपुन का तो कोई टाइम नहीं...
जब दिल करे 'सो जाता हूँ,
जब दिल करे उठ जाता हूँ,
.
'गर्लफ्रेंड:-
.
नोटी...बोय
.
तुम बिलकुल मेरे 'कुत्ते पे गए हो!
कितने लोग हैं जो हम लोगों का साथ सुप्रीम कोर्ट में देने के लिए तैयार हैं ? अब लड़ाई का अंतिम एवं निर्णायक मोड़ आ चुका है और हम उसी शान से लड़ेंगे जिस शान के लिए टेटवीरों का नाम विख्यात है। हम टेटवीर हैं जो ना आसानी से हार मानते हैं और ना ही कोई हमें हराने का दुस्साहसिक स्वप्न ही देख सकता है क्यूंकि "पराजय और असमर्थता" जैसे शब्द हमारे शब्दकोष में ही नहीं हैं और ये बात निरहुआ नही टेट का इतिहास कहता है। जय टेट जय टेटवीर।
ReplyDeleteविधान सभा २०१२ के चुनाव के बाद जब अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए नामित किया गया...तो लोगों को लगा कि यंग मुख्यमंत्री प्रदेश का विकाश जरूर करेगा....
ReplyDeleteपर वो कहते हैं न....''बाप नम्बरी, बेटा दस नम्बरी''..
नवनियुक्त मुख्यमंत्री अपने बाप के नक्से कदम से दो कदम आगे निकल गये.....राजनीतिक ड्रामे में इतने उस्ताद.....एक महीने में दस घोषणाएं करते हैं, और साल भर तक एक भी पूरी नहीं करते....
२०१२ चुनाव जीतने के बाद, बाप-बेटे का एक ही सपना बन गया...
बेटा तो मुख्यमंत्री है ही, अगर २०१४ चुनाव जीत गये तो बाप प्रधानमन्त्री बन जायेगा....
लेकिन शायद इन को ये पता नहीं है कि चुनाव जीतने के लिए जनता-जनार्दन का खुश और संतुष्ट होना बहुत जरूरी है......और इन बेवकूफों को ये कौन समझाये, कि लोग काम करने से खुश होते हैं, 'जनता-दरबार' लगाकर तमाशा करने से कोई भी संतुष्ट नहीं होता....
मुस्लिमों के लिए मरने वाली यह पार्टी किसी भी जाति, धर्म, समुदाय की भली नहीं रही....
२०१२ में बहुमत से जीतने वाली 'समाजवादी पार्टी' २०१७ के चुनाव् में कितनी बुरी तरह मात खायेगी इसकी एक झलक २०१४ के लोकसभा चुनाव में जरूर देखने को मिलेगी.......
आज लोग दुखी होंगे लेकिन मै प्रसन्न हूँ।
ReplyDelete२० नवम्बर २०१३ के पहले
न हमारे साथ समाज था ।
न मीडिया थी।
न न्यायपालिका थी।
न सरकार थी।
आज हमारे साथ सिर्फ सरकार नहीं है।
क्या जनता के प्रतिनिधि को, जनता का मत लेकर, जनता के विरुद्ध न्यायालय मेँ याचिका दायर करना न्यायसँगत है...?
ReplyDeleteजबकि अगर ये चाहते तो न्यायालयी आदेश के अनुपालन मेँ 72825 की प्रक्रिया पूर्ण करने के उपरान्त, नये पदोँ का सृजन कर, नये विज्ञापन का अस्तित्व बचा लेते ।
अरे दंभ से भरे इस मदमस्त लुटेरोँ के गिरोह को सरकार कहना, लोकतन्त्र को अपशब्द कहने से कम नहीँ।
इतिहास के पन्नो मेँ आज भी उल्लिखित है कि गाँधी जी के सत्याग्रह से अँग्रेजोँ का हूदय द्रवित हो गया था, किन्तु इस दो टके के लड़के को इतना अहम हो चुका है कि खुद को मोहम्भद गोरी का वंशज समझ बैठा है, जबकि इसे यह संज्ञान नही है कि यहाँ पर हर रोज एक पृथ्वीराज चौहान जन्म ले रहे हैँ ।
सभी बेराजगारों तथा सरकारी नौकरी चाहने वालो के
ReplyDeleteलिए अवयश्यक सूचना-------------------------
आजप्रदेश सरकार सभी नौकरियों मैं शैक्षिक
अंको कि मेरिट के आधार पर नियुक्ति करने
का प्रयास कर रही है साथ ही साथ इंटरव्यू के नाम पर स्पस्ट रूप से पैसे बटोर
कर बेराजगारों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है
अगर आप चाहते है कि सभी सरकारी नौकरी सिर्फ
और सिर्फ योग्य लोगो को ही मिले तो आप
को आज से ही इसके खिलाफ खड़े
होना होगा क्योंकि अगर एक बार सरकार ने इस
प्रकार से भर्ती कर ली तो भविष्य मैं
कभी भी योग्य लोगो को मौका नहीं मिलेगा और
सरकार हर बार सिर्फ सिर्फ अकादमिक मेरिट से
भर्ती करती जायेगी जिससे सिर्फ और सिर्फ नक़ल
करने वाले और रिश्वत वालो को ही फ़ायदा होगा,
क्योंकि अगर किसी भी कम्प्टीशन मैं अगर आप फेल
हो जाते है तो आप को तब तक मौका मिलता है जब
तक आप ओवर ऐज नही हो जाते, परन्तु अगर किसी
भी कारण से आपके अंक हाई स्कूल या इंटर
या ग्रेजुएट में अंक कम है तो इस प्रक्रिया के
कारण आप जीवन भर नौकरी के योग्य नही है.
जबकि सभी यह जानते है कि आज
सभी स्कूलो तथा कॉलेजो मैं अंक किस तरह से दिए
जाते है. वर्त्तमान मैं कॉपी जाचने के तरीके मैं स्टेप
मार्किंग होती है जबकि पहले सबाल के अंत मे
छोटी से गलती होने पर भी पूरा सवाल काट
दिया जाता था.
अभी हाल ही मैं इलाहाबाद हाई कोर्ट ने २० नवंबर
२०१३ को टेट परीक्षा कि मेरिट के पक्ष मैं निर्णय
सुनाकर यह साबित कर दिया है कि कोर्ट
भी नही चाहता कि किसी भी प्रकार
कि नौकरी अकादमिक मेरिट से कि जाये, फिर
भी अगर लोगो को यह लगता है कि उनके अकादमिक
मेरिट के लिए नंबर ज्यादा है तो बे इस गलत
फहमी मैं न रहे, अभी हाल ही मैं संपन्न हुई अनुदेशक
की तथा बी टी सी कि मेरिट से इस बात का स्पस्ट
अंदाजा लगाया जा सकता है कि अकादमिक मेरिट से
सिर्फ और सिर्फ नक़ल वालो का तथा रिश्वत
वालो का ही फ़ायदा हो सकता है
अगर आप भी इस व्यवस्था का विरोध करते है तो टेट
मेरिट सपोर्टर का सहयोग करे उनके हर आंदोलन मैं
उनका साथ दे क्योंकि अगर इक बार टेट मेरिट से
भर्ती हो गई तो समझो अकादमिक मेरिट वाले
कभी भी आपना सर नहीं उठा सकेंगे।
अत: आप सभी से अनुरोध है कि अकादमिक मेरिट से
भर्ती की इस ववस्था का विरोध करे इस मेसेज
को आधिक से आधिक लोगो तक पहुचाये
ही नही बल्कि सामान्तया दोस्तों को भी इस बारे में
जागरूक करे तथा भारत के मुख्या न्याधीश
जी को माननीय राष्टपतिजी को इस बारे में पत्र
लिखकर सिस्टम को बदलने में सहयोग करे
क्योंकि अगर आज आप नहीं जगे तो जीवन मैं
कभी भी सरकारी नौकरी नहीं पा पायोगे
१. मुख्या न्यायाधीश जी को पत्र भीगने हेतु एड्रेस
है
जनहित याचिका हेतु अपील
माननीय मुख्य न्यायाधीश
सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया तिलक मार्ग, न्यू दिल्ली,
110001 भारत
२- माननीया राष्टपति जी को पत्र भेजने हेतु एड्रेस
है
Rashtrapati Bhavan, New Delhi,
India – 110 004.
Telephone : 91-11-23015321 Fax :
91-11-23017290 / 91-11-23017824
समस्या और समाधान - खटमल, जोंक, पिस्सू, इत्यादि से निपटने का तरीका
ReplyDelete* यात्रा के दौरान एक गाँव में ठहरने का मौका मिला l
सवेरे सवेरे टहलने निकला तो देखा की चाय की दुकान का मालिक ग्राहकों के बैठने की खटिया को पटक पटक कर उसमे से खटमल निकाल रहा था और जो खटमल नीचे जमीन पर गिरते थे उन्हें अपने फटे पुराने जूते से मार कर गन्दी गन्दी गलियां दे रहा था |
* मैंने कहा : चाचा, चाय पिला दो - खटमल बाद में मार लेना l
* चाय की दुकान के मालिक ने कहा : बाबूजी जरा ठहर जाओ - पहले सारे खटमल मारूँगा; फिर चाय बनाऊंगा l
कल रात नई खटिया खरीद के लाया था l
अभी बैठा तो एक खटमल ने काट लिया l
अब तो पहले सारे खटमल ढूंढ़ ढूंढ़ कर मारूँगा - उसके बाद ही चाय बनाऊंगा l
* एक गाँव के सीधे सादे अनपढ़ चाय वाले का सामान्य ज्ञान देख कर मैं अचंभित रह गया l
(१) काटा तो केवल एक ही खटमल ने था परन्तु उसने खटिया पटक पटक कर १०-१२ खटमलों को निकाल कर अपने जूते से मार दिया
(२) पूरी तरह आश्वस्त हो गया कि अब एक भी खटमल नहीं बचा है
(३) काम धंधा बाद में - पहले शत्रु का समूल नाश आवश्यक है l
* मैं सोच रहा हूँ कि भारत को तो पिछले २००० वर्षों से नाना प्रकार के खटमल काट रहें हैं - भिन्न भिन्न प्रकार की जोकें खून पी रहीं हैं - तरह तरह के पिस्सू शरीर पर चिपके हुए हैं - और फिर भी भारतीय मजे से - बिना कुछ सोच विचार किये हुए जी रहे है !
अथक शारीरिक ऐवम मानसिक परिश्रम करके अपने खून पसीने कि कमाई से नाना प्रकार के कर (टैक्स) भर रहें हैं ताकि इन खटमलों, जोंकों ऐवम पिस्सुओं का पोषण हो सके और इनकी आबादी भी बढती रहे l
असम्वेदंसीलता की चरमसीमा ............?
ReplyDeleteसफ़ेद हाथी तो मैंने सुना था लेकिन सफ़ेद गीदड़ और सफ़ेद सीयार मैंने प्रत्यक्ष देखा सूबे की राजधानी लखनऊ में ।
लोकतंत्र को नंगा करने वाले ध्रिस्ट और घटिया लोग कैसे पहुच जाते है लोकतंत्र के मंदिर में यह अपने आप में एक यक्ष प्रश्न है जिसका जवाब शायद लालची और निकम्मा युवा नही देना चाहेगा जिसने अपने वोट का सौदा १०००/रूपये मासिक पे किया हो .........
यह एक गंभीर प्रश्न है हमारे प्रान्त में की प्रसिक्षित युवा मानसिक कुंधता का शिकार हो रहा है और सूबे के पूजीपति युवा मुख्यमंत्री समाजवाद के गिरगिट रूपी टोपी से खुद को सुशोभित करने की नाकाम कोसिस क्र रहे है ।
मुझे तो शर्म आती है इस प्रान्त के लोगो की सोच पे जो कथाकथित समाजवादियो के हाथ मेसत्ता सौप क्र युवाओ को हाशिये पर पहुचा ने का पाप किया है ।
अगर ऐसे होते है युवा जिन्हें अपने देश के संविधान की जानकारी ही न हो तो शर्म आती है ऐसे युवाओ पर और गर्व होता है २३ वर्षीय भगत सिंह जैसे युवा पर ।
मुझे नही लगता इस सूबे की जनता अभी जात धर्म के ऊपर उठ पायेगी ।
पर क्या फर्क पड़ता है ऐसे लोगो पे जो अपनी छोटी सोच के कारन समाज और राष्ट्र का इतना बड़ा नुक्सान क्र रहे है ।
धन्य है सूबे की जनता और सूबे के युवा मुख्यमंत्री
सरकार की इतनी जुर्रत कि वो सर्वोच्च न्यायालय प्रांगण में प्रवेश कर गई ?
ReplyDeleteकोई बात नहीं ।
अगर सरकार दिल्ल्ली से वापस ना लौटी कुछ दिनों के बाद एक नया मुहावरा प्रचलन में आएगा.. जब सरकार को अपनी फजीहत करानी होती है तो वो सर्वोच्च न्यायालय जाती है ..
"should give weightage" ये तीन शब्द नक़ल माफियाओं की कब्र खोदने के लिए सृजित हुए थे... अब वो समय आ गया हई जब शिक्षा के दलालों को बिना कफ़न के दफ़न कर दिया जाए..
1 बेटी का फौजी पिता को खत...!
ReplyDelete——————————
पापा तुम लड़ना सीमा पर,बाकी चिन्ता मत
करना...
देश बड़ा है जान है छोटी,जाँ की चिन्ता मत
करना...
——————————
नजरें तुम सीमा पर रखना,दुश्मन
छिपा शिखर पर है...
तुम विचलित बिलकुल मत होना,देश
तुम्हीं पर निर्भर है...
——————————
चाचा की आयी थी चिट्ठी,चाची पहुँच
गयीं झाँसी...
घर में दीदी, माँ दादी है,
दादा जी को है खाँसी...
——————————
अब की बारिश को छत पर का,
पानी टपका 'चूल्हे’ में...
सीढ़ी से दादी फिसली थीं,चोट लगी है
कूल्हे में...
——————————
करनी है दीदी की शादी,
दादा रिश्ता खोज रहे...
अब की जाड़े में रौनक हो,हम सब
ऐसा सोच रहे...
——————————
घर को जब आओगे पापा,मुझको, हाथ
घड़ी लाना...
दादी का चश्मा ला देना,दादा की हाथ
छड़ी लाना...
——————————
मैं लिखती हूँ तुमको पापा,‘यहाँ’
की चिन्ता मत करना।
तुम्हारी प्यारी बेटी.
Respect and salute.
!! जयहिन्द !! जय जवान !!
अपनी गर्लफ्रेंड को कोसने वालों के लिए एक कटु सत्य.....
ReplyDelete.
गर्लफ्रेंड पत्नी से ज्यादा संतोषी होती है...
.
कैसे ????
.
पत्नी के हाथ में 100% सैलेरी रख दो तो भी वो 10%
खुश होगी....
.
जबकि गर्लफ्रेंड के हाथ में 10% सैलेरी भी रख
दो तो वो 100 % खुश हो जाती है....
बनारस में श्री नरेन्द्र मोदी जी की विजय शंखनाद रैली के मुख्य बिंदु
ReplyDeleteपाप करने वालो को जनता कैसे माफ करेगी, जो गंगा नहीं संभाल सकते, वो देश को क्या संभालेंगे।
» कांग्रेस के रक्षक देश को डूबने से बचाना नहीं चाहते हैं।
» भाजपा वादे नहीं, बदलाव के इरादे लेकर आर्इ है, हम देश की दशा और दिशा दोनों को ही बदलेंगे।
» उत्तर प्रदेश भारत का भाग्य विधाता बन सकता है।
» गुजरातए अहमदाबाद की धरती पर आइए, फिर पूछिए मोदी जी आप देश के लिए क्या करेंगे
» साबरमती गुजरात को बदल सकती है तो, देश को नहीं बदलेगी। उत्तर प्रदेश भारत का भाग्य विधाता बन सकता है।
» हमारे लिए उत्तर प्रदेश हिन्दुस्तान के विकास के लिए सबसे उर्वरा भूमि है।
» जनता ने अभी तक सही सरकार नहीं चुनी है, जब आप सही सरकार चुनोंगेए तभी देश का भला होगा।
» अकेला उत्तर प्रदेश पूरे यूरोप का पेट भर सकता है। लेकिन सरकार ऐसी बनी है, लोगों का पेट भरने वाला किसान खुद का पेट नहीं भर पा रहा है।
» किसान जब धान पैदा करता है, उसको संतोष जेब भरने से नहीं होता, गरीब का पेट भरता है तो किसान को संतोष होता है।
» दिल्ली की सरकार धान को सड़ने देती हैए मगर गरीबों का पेट नहीं भरने देती।
» यूपीए सरकार ने गंगा शुद्विकरण के लिए योजना बनार्इए मगर पांच साल में दिल्ली की सरकार ने कोर्इ काम नहीं किया।
» गंगा शुद्विकरण के नाम पर हजारों करोड़ रुपए देश की तिजोरी से निकाले गए।
» गंगा के नाम पर देश के नागरिकों को मूर्ख बनाया गया है।
» चुनाव आते हैं तो दिल्ली में बैठी सरकार माला जपने लगती है।
» दिल्ली में बैठी सरकार के दिल में भावनाएं, दर्द होता तो गरीब की यह हालत नहीं होती, केवल एक परिवार ने देश को तबाह कर दिया है।
» चाय बेचना मंजूर है, देश बेचना मंजूर नहीं, नेता कहते हैं गरीबी कुछ नहीं होती, मन की अवस्था होती है।
» बनारसी साडि़यां पूरे देश की महिलाओं की शोभा बढ़ाने सहित उनकी इज्जत को भी ढांकने के लिए है
» बनारस साड़ी के उघोग को भी पर लग सकते थे, अगर आधुनिक तकनीक का सहारा लिया गया होता, बनारस के बेराजेगारों को रोजगार मिलता।
» वह चाइना से हवार्इ जहाज इंपोर्ट कर सकते हैं, मगर भारत के उघोगों को जिंदा नहीं कर सकते।
» मेरिट के आधार पर चुनाव हो तो इंटरव्यू का झंझट खत्म, सिफारिश व पैसों का चक्कर भी खत्म हो जाएगा।
» मेरे देश का नौजवान देश का भाग्य बदल सकता है
» आज का जनसैलाब बता रहा है कि देश की जनता दिल्ली की सरकार को सहने के लिए तैयार नहीं है।
» नौजवानों को अवसर चाहिएए भारतीय जनता पार्टी नौजवानों को रोजगार का संकल्प लेकर आर्इ है।
Blogger TET MERIT NAHI TO BHARTI BHI NAHI said...
ReplyDeleteक्या आप जानते हैं???
राजस्थान में कैसे कैसे मंदिर???
१. सोरसन (बारां) का ब्रह्माणी माता का मंदिर- यहाँ देवी की पीठ का श्रृंगार होता है. पीठ की ही पूजा होती है !
२. चाकसू(जयपुर) का शीतला माता का मंदिर- खंडित मूर्ती की पूजा समान्यतया नहीं होती है, पर शीतला माता(चेचक की देवी) की पूजा खंडित रूप में होती है !
३. बीकानेर का हेराम्ब का मंदिर- आपने गणेश जी को चूहों की सवारी करते देखा होगा पर यहाँ वे सिंह की सवारी करते हैं !
४. रणथम्भोर( सवाई माधोपुर) का गणेश मंदिर- शिवजी के तीसरे नेत्र से तो हम परिचित हैं लेकिन यहाँ गणेश जी त्रिनेत्र हैं ! उनकी भी तीसरी आँख है.
५. चांदखेडी (झालावाड) का जैन मंदिर- मंदिर भी कभी नकली होता है ? यहाँ प्रथम तल पर महावीर भगवान् का नकली मंदिर है, जिसमें दुश्मनों के डर से प्राण प्रतिष्ठा नहीं की गई. असली मंदिर जमीन के भीतर है !
६. रणकपुर का जैन मंदिर- इस मंदिर के 1444 खम्भों की कारीगरी शानदार है. कमाल यह है कि किसी भी खम्भे परकिया गया काम अन्य खम्भे के काम से नहीं मिलता ! और दूसरा कमाल यह कि इतने खम्भों के जंगल में भी आप कहीं से भी ऋषभ देव जी के दर्शन कर सकते हैं, कोई खम्भा बीच में नहीं आएगा.
७. गोगामेडी( हनुमानगढ़) का गोगाजी का मंदिर- यहाँके पुजारी मुस्लिम हैं ! कमाल है कि उनको अभी तक काफिर नहीं कहा गया और न ही फतवा जारी हुआ है !
८. नाथद्वारा का श्रीनाथ जी का मंदिर - चौंक जायेंगे. श्रीनाथ जी का श्रृंगार जो विख्यात है, कौन करता है ? एक मुस्लिम परिवार करता है ! पीढ़ियों से. कहते हैं कि इनके पूर्वज श्रीनाथजी की मूर्ति के साथ ही आये थे.
९. मेड़ता का चारभुजा मंदिर - सदियों से सुबह का पहला भोग यहाँ के एक मोची परिवार का लगता है ! ऊंच नीच क्या होती है ?
१०. डूंगरपुर का देव सोमनाथ मंदिर- बाहरवीं शताब्दी के इस अद्भुत मंदिर में पत्थरों को जोड़ने के लिए सीमेंट या गारे का उपयोग नहीं किया गया है ! केवल पत्थर को पत्थर में फंसाया गया है.
११. बिलाडा(जोधपुर) की आईजी की दरगाह - नहीं जनाब, यह दरगाह नहीं है ! यह आईजी का मंदिर है, जो बाबा रामदेव की शिष्या थीं और सीरवियों की कुलदेवी हैं.'अभिनव राजस्थान' की 'अभिनव् संस्कृति' में इस सबको सहेजना है. दुनिया को दिखाना है.
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ReplyDeleteरी
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Real men stay faithful.
They don't have time to look for
other women because they're too
busy looking for new ways to love their own.
उ० प्र० के सी एम साहब ने कहा है कि अगला चुनाव भी अकेडमिक मेरिट से होगा जिस प्रत्याशी की की अकेडमिक मेरिट अच्छी होगी वही सांसद व विधायक का प्रत्यासी बनाया जायेगा इसके लिए हम नियमावली में संसोधन करने जा रहे हैं हम शिक्षा के स्तर को कई उचाइयों पर ले जाने वाले हैं और इसके बाद हम यूपी में लूटपाट (Laptop) बांटने जा रहे हैं इसके बाद हम भैंसों को बांटेंगे तथा हमारे दिमाग में और भी कई योजनायें हैं हम युपी को गुजरात से भी आगे ले जायेंगे और हम मानव की आयु 150 वर्ष करने जा रहे हैं जिसके नियमावली के संशोधन मार्च तक हो जायेगा अब यू पी का हर आदमी 150 साल तक अपनी आयु पूरी कर सकेंगें।
ReplyDeleteनौकरियों की बाट जोहते बीत गया साल नए साल पर टिकी युवाओं की निगाहें, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर
ReplyDeleteभर्ती प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद •महेंद्र तिवारी लखनऊ। युवाओं के लिए पूरा साल नौकरियों की बाट जोहते
बीत गया। ग्राम विकास और पंचायतीराज विभाग विज्ञापन निकालकर भी अब तक नौकरियां नहीं दे पाए। तमाम
दावों के बावजूद राजस्व विभाग लेखपाल की भर्ती का विज्ञापन तक जारी नहीं कर पाया। आवेदक यह नहीं समझ
पा रहे हैं कि यह भर्ती प्रक्रिया नौकरी देने के लिए शुरू की गई है या लटकाने के लिए। यह भर्तियां कब तक
पूरी हो सकेगी, इसको लेकर कोई स्पष्ट समयसीमा तय नहीं की गई है। ऐसे में अब युवाओं की नजरें नए साल
2014 पर टिकी हैं। उम्मीद है लोकसभा चुनाव की वजह से ही शायद इसमें कुछ तेजी आ जाए। मगर जिस तरह
बड़ी तादाद में आवेदन आ रहे हैं उससे इस बात का अंदाजा लगाना आसान नहीं है कि यह भर्तियां चुनाव पूर्व
हो पाएंगी या नहीं। ग्राम पंचायत : आवेदन ही बन गए चुनौती पंचायतीराज विभाग ने सितंबर के पहले सप्ताह में
विज्ञापन निकाला। एक बार भर्ती की तिथि बढ़ाने के बाद 19 अक्तूबर तक आवेदन लिए गए। हर जिले में आवेदन
की छूट की वजह से जिलों में आवेदन पत्रों के अंबार लग गए। कई जिलों में तीन लाख तक आवेदन आए हैं। करीब
35 लाख से अधिक आवेदन आने का अनुमान है। मगर अंतिम तौर पर कितने आवेदन आए, विभाग अब तक बता पाने
की स्थिति में नहीं है। बताया जा रहा है कि जिलों में आए आवेदन अभी भी सूचीबद्ध ही किए जा रहे हैं। पंचायतीराज
विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि तीन हजार से कम पदों पर लाखों लोगों में से गिनती के लोगों का चयन
काफी मुश्किल पैदा कर सकता है। ऐसे में जल्दबाजी नहीं की जा सकती। अब प्रक्रिया शुरू हो गई है
तो भर्ती पूरी की जाएगी। संकेत साफ है कि साल के बाकी दिनों में भर्ती हो पाना संभव नहीं है। चुनाव पूर्व
भर्ती निपटा दी जाए तो गनीमत। लेखपाल भर्ती : भर्ती की तैयारी होते ही बदल जाते हैं अफसर प्रदेश में सात
हजार पदों पर लेखपाल की भर्ती होनी है। राजस्व विभाग ने इस पद पर भर्ती के लिए हाईकोर्ट के निर्देशानुसार
नियमावली में संशोधन भी कर लिया है। इसके अनुसार भर्ती प्रक्रिया भी तय हो चुकी है। बताया जाता है कि समूह
ग की भर्तियों में केवल लेखपाल भर्ती के लिए ऐसी पारदर्शी व्यवस्था बनाई गई है, जिस पर आवेदक सहज
विश्वास कर सकते हैं। ग्राम्य विकास व ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की भर्ती में 50 नंबर के इंटरव्यू के
प्रावधान से आवेदक संतुष्ट नहीं हैं। लेखपाल भर्ती में 90 नंबर की वैकल्पिक परीक्षा व 10 नंबर का इंटरव्यू है।
मुख्य सचिव जावेद उस्मानी इस भर्ती के लिए कई बार दिशा-निर्देश दे चुके हैं। मगर यह दूसरी बार है कि जब इस
पर कार्यवाही बढ़ी, राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव का तबादला हो गया। शासन ने राजस्व परिषद
को लेखपाल भर्ती कराने के लिए राज्य स्तर पर जिम्मेदारी सौंपी है। वीडीओ भर्ती : चार महीने तक विज्ञापन
का दांव ग्राम्य विकास विभाग ने 17 अगस्त को विज्ञापन निकाला था। इस विज्ञापन के जरिए युवाओं को लंबे
समय तक उलझाने की योजना तैयार की गई है। इस रणनीति को कुछ यूं समझा जा सकता है। विभाग ने विज्ञापन
निकालने के बाद आवेदन के लिए अभूतपूर्व ढंग से तीन महीने का वक्त दिया। इतना लंबा समय शायद
ही किसी भर्ती में इसके पहले दिया गया हो। इससे भी दिलचस्प यह कि इसमें दो महीने तक आवेदन
नहीं किया जा सकता था केवल अर्हता के लिए तैयारी करनी थी। आवेदन करने को मिला एक
महीना बीता तो पदों पर प्रतिस्पर्धा के लिए कम आवेदक आने और तमाम आवेदकों को डोएक के प्रमाणपत्र न
मिलने का हवाला देकर आवेदन की तिथि एक महीने और बढ़ा दी गई। इसके बाद दौड़-धूप और इंटरव्यू
की प्रक्रिया अपनाई जानी है। इसी बीच विभाग ने विभाग में संविदा पर काम करने वाले कर्मियों को इन पदों पर
आवेदन में पांच प्रतिशत की छूट देने की घोषणा कर दी है। विभाग के अधिकारी बताते हैं कि इसके लिए नियमावली में
संशोधन करना होगा और इसकी अनुमति कैबिनेट से लेनी होगी। इस बहाने अब यदि भर्ती लटके तो कोई अचरज
की बात न होगी।
एक बार एक समुद्र विज्ञानी ने एक प्रयोग किया उसने एक शार्क मछली को लेकर पानी के एक बड़े से टैंक मे डाल दिया और साथ ही उसमें कुछ छोटी मछलियों को भी डाल दिया जैसा कि उम्मीद थी शार्क ने जल्द ही झपटा मारकर सभी मछलियों का सफाया कर दिया इसके बाद उसने टैंक के बीचोबीच काँच कि एक मजबूत दीवार बनाई और उसके एक हिस्से मे मछलियों को और दूसरे मे शार्क को रखा जैसे ही शार्क कि नजर मछलियों पर पड़ी वह तुरंत उन पर झपटी पर इस बार वह काँच की मजबूत दीवार से टकराई और वही थम गई किंतु शार्क ने हार नही मानी वह थोड़ी थोड़ी देर मे कोशिश करती रही दूसरी और मछलियों आराम से पानी मे मस्ती कर रही थी आखिरकार दो घंटे कि मेहनत के बाद शार्क ने हार मान ली दो तीन रोज के बाद उसने उस मजबूत दीवार को हटाकर उस जगह पर अपेक्षाकृत पतले काँच कि दिवार बना दि शार्क अब भी कभी कभार इन मछलियों की और आने कि कोशिश करती हालाँकि उसकी रफ्तार सुस्त और हमले कमजोर होते तथा वह काँच की इस पट्टी को पार नही कर पाती धीरे धीरे शार्क के हमले कम होते गए अब वह ज्यादा जोर भी नही लगाती कुछ दिनों बाद उसने वहाँ से वो दीवार हटा दी और वहाँ पतली सी पारदर्शी पत्नी की एक दीवार बना दी अब शार्क ने तो मानो इस और ध्यान देना ही छोड़ दिया और उस दीवार के पास भी नहीजाती कुछ दिनों बाद यह दीवार भी उसने वहाँ से हटा दी मगर शार्क अब भी पहले कि तरह आधे ही हिस्से मे तैरने लगी और दूसरे हिस्से कि और जाती ही नही वो मान चुकी थी कि वह इन मछलियों के पास पहुँच नही सकती है लिहाजा उसने कोशिश करना भी छोड़ दिया ये ही इंसान करता हैजो इंसान मुश्किलों से हारकर बैठ जाते है उनसे सफलता दूर ही रहती है हम परिस्थितियों का सही तरीके से आकलन कर आगे बढ़े तो हमें कामयाबी जरूर मिलेगी ......
ReplyDeleteसुप्रिम कोर्ट में तारीख़-तारीख़ का गंदा खेल नही होता है खासतौर पर slp में ऐसा नही होता है
ReplyDeleteRTE पर सुप्रिम कोर्ट पहले से ही सख्त है ऐसी स्थिति में अगर सरकार की अपील स्वीकार हो भी गयी जिसकी उम्मीद मुझे बहुत कम लग रही है तो भी फैसला अधिकतम 1 महिने मे हो जायेगा
वरना जनवरी प्रथम सप्ताह मे ही slp प्रथम द्रष्टाया ही अस्वीकार हो जायेगी
और फिर सरकार को 72825 मा. हाईकोर्ट के आदेशानुसार करनी ही पडे़गी
और 15th ammendment में टेट वेटेज़ जोडना ही पडेगा| ऐसे मे जो भर्तियाँ अब तक हो पूरी हो चुकी है वे पूरी तरह से प्रभावित होना तय है|
जन गण मन की अदभुद कहानी ........... अंग्रेजो तुम्हारी जय हो ! .........
ReplyDeletewww.youtube.com / watch?v=TP6aM3WH JL0
सन 1911 तक भारत की राजधानी बंगाल हुवा करता था सन 1911 में जब बंगाल विभाजन को लेकर अंग्रेजो के खिलाफ बंग-भंग आन्दोलन के विरोध में बंगाल के लोग उठ खड़े हुवे तो अंग्रेजो ने अपने आपको बचाने के लिए बंगाल से राजधानी को दिल्ली ले गए और दिल्ली को राजधानी घोषित कर दिया पूरे भारत में उस समय लोग विद्रोह से भरे हुवे थे तो अंग्रेजो ने अपने इंग्लॅण्ड के राजा को भारत आमंत्रित किया ताकि लोग शांत हो जाये इंग्लैंड का राजा जोर्ज पंचम 1911 में भारत में आया
अंग्रेजो के द्वारा रविंद्रनाथ टेगोर पर दबाव बनाया कि तुम्हे एक गीत जोर्ज पंचम के स्वागत में लिखना ही होगा मजबूरी में रविंद्रनाथ टेगोर ने बेमन से वो गीत लिखा जिसके बोल है - जन गण मन अधिनायक जय हो भारत भाग्य विधाता .... जिसका अर्थ समझने पर पता लगेगा कि ये तो हकीक़त में ही अंग्रेजो कि खुसामद में लिखा गया था इस राष्ट्र गान का अर्थ कुछ इस तरह से होता है -
" भारत के नागरिक, भारत की जनता अपने मन से आपको (अंग्रेजो को) भारत का भाग्य विधाता समझती है और मानती है हे अधिनायक (तानाशाह/सुपर हीरो) तुम्ही भारत के भाग्य विधाता हो तुम्हारी जय हो ! जय हो ! जय हो ! तुम्हारे भारत आने से सभी प्रान्त पंजाब सिंध गुजरात महारास्त्र, बंगाल आदि और जितनी भी नदियाँ जैसे यमुना गंगा ये सभी हर्षित है खुश है प्रसन्न है ............. तुम्हारा नाम लेकर ही हम जागते है और तुम्हारे नाम का आशीर्वाद चाहते है तुम्हारी ही हम गाथा गाते है हे भारत के भाग्य विधाता (सुपर हीरो ) तुम्हारी जय हो! जय हो ! जय हो ! "
रविन्द्र नाथ टेगोर के बहनोई, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी लन्दन में रहते थे और IPS ऑफिसर थे अपने बहनोई को उन्होंने एक लैटर लिखा इसमें उन्होंने लिखा है कि ये गीत जन गण मन अंग्रेजो के द्वारा मुझ पर दबाव डलवाकर लिखवाया गया है इसके शब्दों का अर्थ अच्छा नहीं है इसको न गाया जाये तो अच्छा है लेकिन अंत में उन्होंने लिख दिया कि इस चिठ्ठी को किसी को नहीं बताया जाये लेकिन कभी मेरी म्रत्यु हो जाये तो सबको बता दे
जोर्ज पंचम भारत आया 1911 में और उसके स्वागत में ये गीत गया गया जब वो इंग्लैंड चला गया तो उसने उस जन गण मन का अंग्रेजी में अनुवाद करवाया क्योंकि जब स्वागत हुवा तब उसके समझ में नहीं आया कि ये गीत क्यों गाया गया जब अंग्रेजी अनुवाद उसने सुना तो वह बोला कि इतना सम्मान और इतनी खुशामद तो मेरी आज तक इंग्लॅण्ड में भी किसी ने नहीं की वह बहुत खुश हुवा उसने आदेश दिया कि जिसने भी ये गीत उसके लिए लिखा है उसे इंग्लैंड बुलाया जाये रविन्द्र नाथ टैगोरे इंग्लैंड गए जोर्ज पंचम उस समय नोबल पुरुष्कार समिति का अध्यक्ष भी था उसने रविन्द्र नाथ टैगोरे को नोबल पुरुष्कार से सम्मानित करने का फैसला किया तो रविन्द्र नाथ टैगोरे ने इस नोबल पुरुष्कार को लेने से मना कर दिया क्यों कि गाँधी जी ने बहुत बुरी तरह से रविन्द्रनाथ टेगोर को उनके इस गीत के लिए खूब सुनाया टेगोर ने कहा कि आप मुझे नोबल पुरुष्कार देना ही चाहते हो तो मैंने एक गीतांजलि नामक रचना लिखी है उस पर मुझे दे दो जोर्ज पंचम मान गया और रविन्द्र नाथ टेगोर को सन 1913 में नोबल पुरुष्कार दिया गया उस समय रविन्द्र नाथ टेगोर का परिवार अंग्रेजो के बहुत नजदीक था
ReplyDeleteजब सन 1919 में जलियावाला बाग़ का कांड हुवा, जिसमे निहत्थे और निर्दोष लोगों पर अंग्रेजो ने गोलिया बरसाई तो गाँधी जी ने एक चिट्ठी रविन्द्र नाथ टेगोर को लिखी जिसमे शब्द-शब्द में गालियाँ थी फिर गाँधी जी स्वयं रविन्द्र नाथ टेगोर से मिलने गए और बहुत जोर से डाटा कि अभी तक अंग्रेजो की अंध भक्ति में डूबे हुवे हो? अब भी अगर तुम्हारी ऑंखें नहीं खुली तो कब खुलेगी ? इस काण्ड के बाद टेगोर ने विरोध किया और नोबल पुरुष्कार अंग्रेजी हुकूमत को लौटा दिया सन 1919 से पहले जितना कुछ भी रविन्द्र नाथ टेगोर ने लिखा वो अंग्रेजी हुकूमत के पक्ष में था और 1919 के बाद उनके लेख कुछ कुछ अंग्रेजो के खिलाफ होने लगे थे 7 अगस्त 1941 को उनकी म्रत्यु हो गई और उनकी म्रत्यु के बाद उनके बहनोई ने रविंद्रनाथ टेगोर के कहे अनुसार वो चिट्ठी सार्वजनिक कर दी
1941 तक कांग्रेस पार्टी थोड़ी उभर चुकी थी लेकिन वह दो खेमो में बाँट गई जिसमे एक खेमे के समर्थक बाल गंगाधर तिलक थे और दूसरे खेमे में मोती लाल नेहरु थे मतभेद था सरकार बनाने का मोती लाल नेहरु चाहते थे कि स्वतंत्र भारत की सरकार अंग्रेजो के साथ कोई संयोजक सरकार बने जबकि गंगाधर तिलक कहते थे कि अंग्रेजो के साथ मिलकर सरकार बनाना तो भारत के लोगों को धोखा देना है इस मतभेद के कारण लोकमान्य तिलक कांग्रेस से निकल गए और गरम दल इन्होने बनाया कोंग्रेस के दो हिस्से हो गए एक नरम दल और एक गरम दल गरम दल के नेता थे लोकमान्य तिलक, लाला लाजपत राय ये हर जगह वन्दे मातरम गाया करते थे और गरम दल के नेता थे मोती लाल नेहरु लेकिन नरम दल वाले ज्यादातर अंग्रेजो के साथ रहते थे उनके साथ रहना, उनको सुनना , उनकी मीटिंगों में शामिल होना हर समय अंग्रेजो से समझोते में रहते थे वन्देमातरम से अंग्रेजो को बहुत चिढ होती थी नरम दल वाले गरम दल को चिढाने के लिए 1911 में लिखा गया गीत जन गण मन अपने हर समारोह में गाया करते थे
नरम दल ने उस समय एक वायरस छोड़ दिया कि मुसलमानों को वन्दे मातरम नहीं गाना चाहिए क्यों कि इसमें बुतपरस्ती (मूर्ती पूजा) है और आप जानते है कि मुसलमान मूर्ति पूजा के कट्टर विरोधी है उस समय मुस्लिम लीग भी बन गई थी जिसके प्रमुख मोहम्मद अली जिन्ना थे उन्होंने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया और मुसलमानों को वन्दे मातरम गाने से मना कर दिया इसी झगडे के चलते सन 1947 को भारत आजाद हुआ
जब भारत सन 1947 में आजाद हो गया तो जवाहर लाल नेहरु ने इसमें राजनीति कर डाली संविधान सभा की बहस चली जितने भी 319 सांसद थे उनमे से 318 सांसद ने बंकिमदास चटर्जी द्वारा लिखित वन्देमातरम को राष्ट्रगान स्वीकार करने पर सहमती जताई बस एक सांसद ने इस प्रस्ताव को नहीं माना और उस एक सांसद का नाम था पंडित जवाहर लाल नेहरु वो कहने लगे कि क्यों कि वन्दे मातरम से मुसलमानों के दिल को चोट पहुंचती है इसलिए इसे नहीं गाना चाहिए
ReplyDeleteअब इस झगडे का फैसला कोन करे ? तो वे पहुचे गाँधी जी के पास गाँधी जी ने कहा कि जन गण मन के पक्ष में तो मै भी नहीं हूँ और तुम (नेहरु ) वन्देमातरम के पक्ष में नहीं हो तो कोई तीसरा गीत निकालो तो महात्मा गाँधी ने तीसरा विकल्प झंडा गान के रूप में दिया - " विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊँचा रहे हमारा" लेकिन नेहरु जी उस पर भी तैयार नहीं हुवे नेहरु जी बोले कि झंडा गान ओर्केस्ट्रा पर नहीं बज सकता और जन गण मन ओर्केस्ट्रा पर बज सकता है
और उस दौर में नेहरु मतलब वीटो हुवा करता था यानी नेहरु भारत है, भारत नेहरु है ऐसा था नेहरु जी ने जो कह दिया वो पत्थर की लकीर नेहरु जी ने जो कह दिया वो कानून होता था नेहरु ने गन गण मन को राष्ट्र गान घोषित कर दिया और जबरदस्ती भरतीयों पर इसे थोप दिया गया जबकि इसके जो बोल है उनका अर्थ कुछ और ही कहानी प्रस्तुत करते है -
" भारत के नागरिक, भारत की जनता अपने मन से आपको (अंग्रेजो को) भारत का भाग्य विधाता समझती है और मानती है हे अधिनायक (तानाशाह/सुपर हीरो) तुम्ही भारत के भाग्य विधाता हो तुम्हारी जय हो ! जय हो ! जय हो ! तुम्हारे भारत आने से सभी प्रान्त पंजाब सिंध गुजरात महारास्त्र, बंगाल आदि और जितनी भी नदियाँ जैसे यमुना गंगा ये सभी हर्षित है खुश है प्रसन्न है ............. तुम्हारा नाम लेकर ही हम जागते है और तुम्हारे नाम का आशीर्वाद चाहते है तुम्हारी ही हम गाथा गाते है हे भारत के भाग्य विधाता (सुपर हीरो ) तुम्हारी जय हो! जय हो ! जय हो ! "
हाल ही में भारत सरकार द्वारा एक सर्वे हुवा जो अर्जुन सिंह की मिनिस्टरी में था इसमें लोगों से पुछा गया था कि आपको जन गण मन और वन्देमातरम में से कौनसा गीत ज्यादा अच्छा लगता है तो 98 .8 % लोगो ने कहा है वन्देमातरम उसके बाद बीबीसी ने एक सर्वे किया उसने पूरे संसार में जहाँ जहाँ भी भारत के लोग रहते थे उनसे पुछा कि आपको दोनों में से कौनसा ज्यादा पसंद है तो 99 % लोगों ने कहा वन्देमातरम बीबीसी के इस सर्वे से एक बात और साफ़ हुई कि पूरी दुनिया में दुसरे नंबर पर वन्देमातरम लोकप्रिय है कई देश है जिनको ये समझ में नहीं आता है लेकिन वो कहते है कि इसमें जो लय है उससे एक जज्बा पैदा होता है
...............तो ये इतिहास है वन्दे मातरम का और जन गण मन का अब आप तय करे क्या गाना है ?---व्यवस्था परिवर्तन
हर समस्या के मूल में मौजूदा त्रुटिपूर्ण संविधान है, जिसके सारे के सारे कानून /धाराएँ अंग्रेजो ने बनाये थे भारत की गुलामी को स्थाई बनाने के लिए ...........इसी त्रुटिपूर्ण संविधान के लचीले कानूनों की आड़ में पिछले 67 सालों से भारत लुट रहा है .......
एक बार मुझसे किसी ने पुछा की ये सेक्युलर होने का मतलब क्या होता है ?
ReplyDeleteतो मैंने उसे कहा के भाई जबसे मैंने होश संभाला है तबसे मुझे इस#Secularशब्द का अर्थ यही समझ आया है की हम पाँच हमारे पच्चीस वाले, टोपी वाले वोट बैंक रूपी लोगों की चमचा गिरी करो , अल्पसंख्यकों में सिर्फ तोपिबाजों को ही गिनों - पगड़ी, जैनी, क्रोस (क्रिश्चियन) सबको भूल जाओसेक्युलारिस्म का पालन करने वाले लोग 26/11 जैसे आतंकी हमले की निंदा नहीं करते बल्कि उन्हें सराहते हैं की और ऐसे हमले करो ...सेक्युलर लोग बाटला हाउस एन्काउन्टर में मारे गए आतंकियों के लिए आँसू बहाते हैं? उन्हें न्याय दिलाने के लिए तरह तरह की बयान बाजी करते हैं? उनके लिए इटली की सोनिया घडियाली आँसू बहाती है ? उन आतंकियों के लिए#AAPजैसी टोपिबाज पार्टी इन्साफ की बात करती हैं सिर्फ वोट बैंक के लिए?सकयुलर लोग चीनी घुसपैठ पर कोई प्रतिक्रिया नहींदेते चीन के 19 किलोमीटर अन्दर घुस जाने को मामूली घटना बताते हैं? सकयुलर लोग हमारे सैनिकों के पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा काटे गए सर का हिसाब नहीं लेते बल्कि उसके बाद उनके प्रधानमंत्री को बढ़िया शाही भोज खिलाते हैं?सेक्युलर लोग भारतीय सेना को गलत बताते हैं और आतंकियों के मानवाधिकार के लिए लड़ते हैं, रुदालिया करते हैं?सेक्युलर लोग यूपी दंगोंपर ऊँगली नहीं उठाते? यूपी के मुल्लायम गुंडाराज पर सवाल नहीं उठाते? 6 महीने में 2500 से ज्यादा हुई हत्याओं पर कोई सवाल नहीं उठाते? रोज़ 12-15 माँ, बहन, बेटियों के साथ हो रहे बलात्कार पर कोई सवाल नहीं उठाते?ये सेक्युलर लोग पाकिस्तान जाते हैं टोपीवोट को पटाने के लिए?ये सेक्युलर लोग आतंकी ओसामा बिन लादेन का हमशक्ल घुमाते हैं अपने गाँव, मोहल्ले में टोपी वोट बैंक के लिए?ये सेक्युलर लोग आतंकी इशरत जहां को बेटी बना लेते हैं? ये सेक्युलर लोग इशरत जहाँ को न्याय दिलाने की बात करते हैं ?पर ये सेक्युलर लोग उत्तराखंड में आई जल प्रलय के कारण मरे हजारों लोगों पर आँसू बहाना भूल जाते हैं?ये सेक्युलर लोग महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी पर अपना मुँह नहीं खोलते हाँ अगर गुजरात में कुछ भी गलत होने की झूटी अफवाह भी फ़ैल जाए तो न्यूज़ चैनल की डीबेट में भोंकने बैठ जाएँगे?ये सेक्युलर लोग आतंकी ओसामा बिन लादेन को"ओसामा जी" कहकर संबोधित करते देखे जा सकते हैं? येसेक्युलर लोग 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मास्टर माइंड हाफ़िज़ सईद को हाफिज सईद साहब शब्द से संबोधित करेंगे?ये सेक्युलर लोग कभी भी कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए बात नही करेंगे? कभी पाकिस्तान और कश्मीर में चल रहे आतंकी कैम्पों की बात नहीं करेंगे?ये सेक्युलर लोग कभी देश की लूट खसोट की बात नही करेंगे कालेधन की बात नहीं करेंगे आदि आदिहाँ ये सेक्युलर लोग एक विशेष राज्य गुजरात में हुई किसी भी छोटी मोटी घटना पर अपनी छाती कूटना नहीं भूलते? मोदी को कोसना नहीं भूलते? हर बात पर 2002 गोधरा को खींच कर लाना मोदी पर उंगलियाँ उठाना नहीं भूलते?ऐसे हजारों उदाहरण है सेक्युलरिज्म के समझ मेंआया#Secularismनहीं तो ये फोटो देख लोये भी सेक्युलरिज्म का एक जीता जागता उदाहरण हैये फोटो 11 अगस्त 2012 की है इस दिन कुछ धर्मांध टोपीबाजों ने मुंबई के आज़ाद मैदान में दंगा खूब दंगा हुडदंग मचाया इसके पीछे का कारण क्या था - बर्मा में कुछ टोपीबाजोंपर हुए हमले का बदला इन गद्दारों ने हमारे मुंबईपुलिस के जवानों को मार कर लिया, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा कर किया?
भारत माता की आन बाणशान पर मर मिटने वाले, दिन रात हमारी रक्षा करने वाले वीर जवानों की अमर जवान ज्योति को लात मारकर लिया -
ये है सेक्युलरिज्म
पाप जाता कहाँ है ...........
ReplyDeleteएक बार एक ऋषि ने सोचा कि लोग गंगा में पाप धोने जाते है, तो इसका मतलब हुआ कि सारे पाप गंगा में समा गए और गंगा भी पापी हो गयी .अब यह जानने के लिए तपस्या की, कि पाप कहाँ जाता है ?
तपस्या करने के फलस्वरूप देवता प्रकट हुए , ऋषि ने पूछा कि भगवन जो पाप गंगा में धोया जाता है वह पाप कहाँ जाता है ?
भगवन ने कहा कि चलो गंगा से ही पूछते है , दोनों लोग गंगा के पास गए और कहा कि , हे गंगे ! जो लोग तुम्हारे यहाँ पाप धोते है तो इसका मतलब आप भी पापी हुई . गंगा ने कहा मैं क्यों पापी हुई , मैं तो सारे पापों को ले जाकर समुद्र को अर्पित कर देती हूँ ,अब वे लोग समुद्र के पास गए , हे सागर !गंगा जो पाप आपको अर्पित कर देती है तो इसका मतलब आप भी पापी हुए . समुद्र ने कहा मैं क्यों पापी हुआ , मैं तो सारे पापों को लेकर भाप बना कर बादल बना देता हूँ,अब वे बादल के पास गए, हे बादलों ! समुद्र जो पापों को भाप बनाकर बादल बना देते है ,तो इसका मतलब आप पापी हुए. बादलों ने कहा मैं क्यों पापी हुआ , मैं तो सारे पापों को वापस पानी बरसा कर धरती पर भेज देता हूँ , जिससे अन्न उपजता है , जिसको मानव खाता है . उस अन्न में जो अन्न जिस मानसिक स्थिति से उगाया जाता है और जिस वृत्ति से प्राप्त किया जाता है , जिस मानसिक अवस्था में खाया जाता है , उसी अनुसार मानव की मानसिकता बनती है ...
जहाँ तक मुझे उम्मीद है कि सरकार ने sc में डायरी नंबर लेकर अनशन
ReplyDeleteख़त्म कराने में सफलता पाने के अतिरिक्त और कुछ भी हासिल
नहीं किया है। रामगोविन्द चौधरी जी ने मुझसे वार्ता के दौरान
जो कहा था उसे कुछ सोचकर ही सार्वजनिक नही कर रहा हूँ।
सरकार ,हमारे वकील और जज ,शिक्षा माफिया में से कोई भी पक्ष
इस मामले पर sc में बहस होते नहीं देखना चाहेगा और इसकी वजह
यह है कि हमारी भर्ती अब तक ना हो पाने के दोषियों की तलाश में
ऐसे ऐसे सवाल खड़े हो जायेंगे कि सिस्टम हिलकर रह जाएगा । इस
बात की संभावना से आज भी इनकार नहीं किया जा सकता कि बीस
नवम्बर के फैसले पर सरकार रिवीजन में जाए और भूषण साहब
हमारी भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के एवज में 15th संशोधन को अनु.
14 का हवाला देकर ultra virus घोषित करने के स्थान पर NCTE
की should give weightage guideline के आधार पर रद्द कर
दें । जिन 15000 लोगों की 15th संशोधन के आधार पर
भर्ती हो चुकी है उन्हें बचाने के लिए सरकार को कोर्ट में बीस के
आदेश को retrospective effect से लागू करने से आने
वाली मुश्किलों का हवाला देना होगा और वो ऐसा तभी कर सकेगी जब
वो इसी बात को हमारी समस्याओं के सन्दर्भ में स्वीकार करे। मैं उन
लोगों में से नहीं जो एक मामूली से डायरी नंबर से डर जाया करते हैं.े
मुलायम सिंह हर रैली में मुस्लिम लोगो को नरेंद्र मोदी का भय दिखा कर उनके रक्षक बनने का प्रयास दिखाते है ...अरे नेता जी अगर आप इतने मुस्लिमों के हितैषी है तो तो किसी योग्य मुस्लिम को मुख्यमंत्री बनाइये ..प्रदेश ....उस पर से अपने परिवार का कब्ज़ा छोडिये .....ये दिखावा किसी लिए
ReplyDeleteहर ज़ोर जुल्म की टक्कर में, ह्ड़ताल हमारा नारा है !
ReplyDeleteतुमने माँगे ठुकराई हैं, तुमने तोड़ा है हर वादा
छीनी हमसे सस्ती चीज़ें, तुम छंटनी पर हो आमादा
तो अपनी भी तैयारी है, तो हमने भी ललकारा है
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है !
मत करो बहाने संकट है, मुद्रा-प्रसार इंफ्लेशन है
इन बनियों चोर-लुटेरों को क्या सरकारी कन्सेशन है
बगलें मत झाँको, दो जवाब क्या यही स्वराज्य तुम्हारा है ?
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है !
मत समझो हमको याद नहीं हैं जून छियालिस की रातें
जब काले-गोरे बनियों में चलती थीं सौदों की बातें
रह गई ग़ुलामी बरकरार हम समझे अब छुटकारा है
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर हड़ताल हमारा नारा है !
क्या धमकी देते हो साहब, दमदांटी में क्या रक्खा है
वह वार तुम्हारे अग्रज अंग्रज़ों ने भी तो चक्खा है
दहला था सारा साम्राज्य जो तुमको इतना प्यारा है
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है !
समझौता ? कैसा समझौता ? हमला तो तुमने बोला है
महंगी ने हमें निगलने को दानव जैसा मुँह खोला है
हम मौत के जबड़े तोड़ेंगे, एका हथियार हमारा है
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर हड़ताल हमारा नारा है !
अब संभले समझौता-परस्त घुटना-टेकू ढुलमुल-यकीन
हम सब समझौतेबाज़ों को अब अलग करेंगे बीन-बीन
जो रोकेगा वह जाएगा, यह वह तूफ़ानी धारा है
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है !
एक युवक क़रीब 20 साल के बाद विदेश से अपने
ReplyDeleteशहर लौटा था !
बाज़ार में घुमते हुए सहसा उसकी नज़रें
सब्जी का ठेला लगाये एक बूढे पर जा टिकीं !
बहुत कोशिश के बावजूद भी युवक उसको पहचान
नहीं पा रहा था !
लेकिन न जाने बार बार ऐसा क्यों लग
रहा था की वो उसे बड़ी अच्छी तरह से जनता है !
उत्सुकता उस बूढ़े से भी छुपी न रही,
उसके चेहरे पर आई अचानक मुस्कान से मैं समझ
गया था कि उसने युवक को पहचान लिया था !
काफी देर ...की जेहनी कशमकश के बाद जब युवक ने
उसे पहचाना तो उसके पाँव के नीचे से
मानो ज़मीन खिसक गई !
जब युवक विदेश गया था तो उनकी एक
बड़ी आटा मिल हुआ करती थी,
घर में नौकर चाकर कIम किया करते थे !
धर्म कर्म, दान पुण्य में सब से अग्रणी इस
दानवीर पुरुष को युवक ताऊजी कह कर
बुलाया करता था !
वही आटा मिल का मालिक और आज
सब्जी का ठेला लगाने पर मजबूर .. ?
युवक से रहा नहीं गया और वो उसके पास
जा पहुँचा और बहुत मुश्किल से रुंधे गले से पूछा :
"ताऊ जी, ये सब कैसे हो गया ...?"
भरी ऑंखें से बूढ़े ने युवक के कंधे पर हाथ रख उत्तर
दिया :
"बच्चे बड़े हो गए हैं बेटा" !!
बहुत समय पहले की बात है, किसी गाँव में एक किसान रहता था ।उस किसान की एक बहुत ही सुन्दर बेटी थी ।दुर्भाग्यवश, गाँव के जमींदार से उसने बहुत सारा धन उधार लिया हुआ था । जमीनदार बूढा और कुरूप था । किसान की सुंदर बेटी को देखकर उसने सोचा क्यूँ न कर्जे के बदले किसान के सामने उसकी बेटी से विवाह का प्रस्ताव रखा जाये.जमींदार किसान के पास गया और उसने कहा – तुम अपनी बेटी का विवाह मेरे साथ कर दो, बदले में मैं तुम्हारा सारा कर्ज माफ़ कर दूंगा । जमींदार की बात सुन कर किसान और किसान की बेटी के होश उड़ गए ।तब जमींदार ने कहा –चलो गाँव की पंचायत के पास चलतेहैं और जो निर्णय वे लेंगे उसे हम दोनों को ही मानना होगा ।वो सब मिल कर पंचायत के पास गए और उन्हें सब कह सुनाया.उनकी बात सुन कर पंचायत ने थोडा सोच विचार किया और कहा- ये मामला बड़ा उलझा हुआ है अतः हम इसका फैसला किस्मत पर छोड़ते हैं .जमींदार सामने पड़े सफ़ेद और काले रोड़ों के ढेर से एक काला और एक सफ़ेद रोड़ा उठाकर एक थैले में रख देगा फिर लड़की बिना देखे उस थैले से एक रोड़ा उठाएगी,और उस आधार पर उसके पास तीन विकल्प होंगे :
ReplyDelete१. अगर वो काला रोड़ा उठाती है तो उसे जमींदार से शादी करनी पड़ेगी और उसके पिता का कर्ज माफ़ कर दिया जायेगा.
२. अगर वो सफ़ेद पत्थर उठतीहै तो उसे जमींदार से शादी नहीं करनी पड़ेगी और उसके पिता का कर्फ़ भी माफ़ कर दिया जायेगा.
३. अगर लड़की पत्थर उठाने से मना करती है तो उसके पिता को जेल भेज दिया जायेगा।
पंचायत के आदेशानुसार जमींदार झुका और उसने दो रोड़े उठा लिए ।जब वो रोड़ा उठा रहा था तो तब किसान की बेटी ने देखा कि उस जमींदार ने दोनों काले रोड़े ही उठाये हैं और उन्हें थैले में डाल दिया है। लड़की इस स्थिति से घबराये बिना सोचने लगी कि वो क्या कर सकती है, उसे तीन रास्ते नज़र आये:
१. वह रोड़ा उठाने से मना कर दे और अपने पिता को जेल जाने दे.
२. सबको बता दे कि जमींदार दोनों काले पत्थर उठा कर सबको धोखा दे रहा हैं.
३. वह चुप रह कर काला पत्थर उठा ले और अपने पिता को कर्ज से बचाने के लिए जमींदार से शादी करके अपना जीवन बलिदान कर दे.
उसे लगा कि दूसरा तरीका सही है, पर तभी उसे एक और भी अच्छा उपाय सूझा, उसने थैले में अपना हाथ डाला और एक रोड़ा अपने हाथ में ले लिया और बिना रोड़े की तरफ देखे उसके हाथ से फिसलने का नाटक किया, उसका रोड़ा अब हज़ारों रोड़ों के ढेर में गिर चुका था और उनमे ही कहीं खो चुका था .लड़की ने कहा – हे भगवान ! मैं कितनी बेवकूफ हूँ ।लेकिन कोई बात नहीं .आप लोग थैले के अन्दर देख लीजिये कि कौन से रंग का रोड़ा बचा है, ,तब आपको पता चल जायेगा कि मैंने कौन सा उठाया था जो मेरे हाथ से गिर गया.थैले में बचा हुआ रोड़ा काला था, सब लोगों ने मान लिया कि लड़की ने सफ़ेद पत्थर ही उठाया था. जमींदार के अन्दर इतना साहस नहीं था कि वो अपनी चोरी मान ले । लड़की ने अपनी सोच से असम्भव को संभव कर दिया ।
कथा का सार:-हमारे जीवन में भी कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं जहाँ सबकुछ धुंधला दीखता है, हर रास्ता नाकामयाबी की और जाता महसूस होता है पर ऐसे समय में यदि हम सोचने का प्रयास करेंतो उस लड़की की तरह अपनी मुशिकलें दूर कर सकते हैं ।
मे
ReplyDeleteरी
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वा
ली
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Nazare Mile To Pyar Ho Jata Hai,
Palke Uthe To Izhaar Ho Jata Hai,
Na Jane Kya Kasish Hai Chahat Main,
Ke Koi Anjaan Bhi Hamari
Zindagi Ka Haqdaar Ho Jata Hai…
तनाव एवं समाधान:
ReplyDelete______________________
तनाव में वही होता है जिसकी सोच सीमित होती है।
मै भी कभी-कभी सीमित में ही सोचता हूँ तो तनावयुक्त हो जाता हूँ।
उदाहरण स्वरुप यह भली-भांति जानता हूँ कि संतान (B.Ed.) से बड़ी संतान की ममता होती है चाहे वह अपनी पत्नी(TET) से पैदा हुई हो या प्रेमिका(ACD) से उत्पत्ति हुयी हो और प्रेमिका को पत्नी का रूप देने में (15th) सफलता न मिली हो या पत्नी का रूप देने के बाद जुदाई(S.B./D.B./L.B./S.C) ने जकड़ लिया हो परन्तु उससे उत्पन्न संतान(100%TET/12th) बड़ी प्रिय होती है।
इस ७२८२५ पदों की शिक्षक भर्ती के विषय में जब सीमित रूप में सोचता हूँ तो यह लगता है कि शैक्षिक मेरिट के समर्थक सुप्रीम कोर्ट से हार जायेंगे और भर्ती शीघ्र अकैडमिक से शुरू हो जायेगी तो तनावग्रस्त हो जाता हूँ।
अतः इस भर्ती के अंतिम संभावित परिणाम तक सोचकर तसल्ली ले लेता हूँ।
लोकसभा चुनाव के सामने होते हुए भी सरकार अपने प्रिय नाजायज संतानों (ACD) को खुश करने के लिये सुप्रीम कोर्ट जरुर जाएगी ।
आज मजबूर है कि आखिर वो क्या करे।
उसकी हार्दिक इच्छा है कि उसकी नाजायज संतान अपने हक के लिये लड़कर कानूनी अधिकार ( 15 th ) प्राप्त करे लेकिन दुर्भाग्य उसका यह है कि उसके हक का वजूद नहीं है क्योंकि उसपर जायज हक किसी और(TET) का है।
ईश्वर करे ऐसा ना हो लेकिन दूर (हेग) तक सोचने में क्या जाता है। अतः आप भी सोचकर कुछ मन को तसल्ली दे लो।
न्यायमूर्ति टंडन ने सरकार से कहा कि
"ये ( पुराने आवेदक एवँ अधिक आयु के ) कुछ लोग हैं इनको कानूनी अधिकार दो और इनका वाजिब हक दो ,बिना किसी के अहित के "
तो सरकार ने
अपनी नयी संतान (ACD) ही पैदा कर दी।
पहले से वाजिबों ने कहा कि मेरे रहते ये लोग नहीं आ सकते और इंसाफ मांगने न्यायमूर्ति हरकौली और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र के पास गये तो इन दोनों ने कहा कि ७२८२५ लोग की जिन्दगी की सवाल है सरकार तत्काल
अपने क्रियाकलाप पर रोक (4 FEB) लगाये।
न्यायमूर्ति हरकौली जी ने खुद को बीच मेँ से ही मामले से हटा लिया ।
न्यायमूर्ति महापात्रा ने कहा कि अभी हम जायज- नाजायज का फैसला नहीं कर पायेंगे। क्योँकि चुनाव मेँ अभी समय है।
जायज नाजायज की पहचान के लिये न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा सामने आये और कहा कि पुराने 12th वाले जायज हैं।
सरकार उनके हकों पर कोई और संतान 15 th नहीं पैदा कर सकती है।
बेचारे नये फुटपाथ पर आ गये।
सरकार अपने इन बच्चों के लिये ( सही मायने मेँ टेढ़ी नाक के लिए ) बहुत चिंतित है लेकिन उसे यह भी चिंता है कि जो जायज हुये है अगर अब मैंने उनको नाराज किया तो मेरा बुढ़ापा ख़राब हो जायेगा। क्योँकि बुढ़ापे मे तो जायज ही काम आता है।
जायज संतानें सुप्रीम कोर्ट गयीं और वहां चेता (CAVEATE )आईँ कि अगर कोई मेरा हक लूटने आये तो मुझे जरूर बताना मै आकर अपना हक साबित करूँगा ।
अब बाबू जी तो सुप्रीम कोर्ट जाने रहे हैँ अगर नाजायज संतानें सुप्रीम कोर्ट जाकर कहेंगी कि मेरे बाबू जी मेरा हक नहीं दे रहे हैं और कुछ लोग को न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने हमारा हिस्सा सौप दिया है ।
सुप्रीम कोर्ट बोलेगी अरे हां एक दिन वो लोग आये थे यहाँ पर, रुको मैँ उनको अभी बुलाता हूँ और तुम्हारे सामने सब साफ़ हो जायेगा।
बाबू जी जायेंगे कहेंगे मै धृतराष्ट्र (मलयालम )हूँ दुर्योधन (पिल्ला देव)मेरा पुत्र है मैंने उसे राजगद्दी देनी चाही लेकिन न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने कहा कि बेशक़ युधिष्ठिर ( Mr. TMNTBN )आपका बेटा नहीं है लेकिन हक उसी का है।
बाकी हुज़ूर आप जैसे कहो वैसे करूँ।
हुज़ूर को लगेगा कि न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने सही कहा तो सबको लौटा देंगे और फिर राज्याभिषेक (CNSLNG )होगा।
अगर जायज लोग अपनी बात से हुज़ूर को संतुष्ट ना कर पाये तो उनके राज्याभिषेक पर हमेशा के लिए रोक लग जायेगी और फिर फैसला होगा की जायज कौन है और अंत में जायज पुनः जायज साबित होगा ।
जितना विलम्ब जायज नाजायज की पहचान में हुज़ूर लेंगे उतना अतिरिक्त वक़्त हमारे राज्याभिषेक के लिये देंगे।
अगर इस नूराकुश्ती (OLD-NEW /TET -ACD/12th-15th/MAYA-LESS/VALID-INVALID/) में मामला हुज़ूर तक ना पहुंचा या हुज़ूर ने सुनने से इंकार कर दिया और नियुक्त होने का समय भी निकल गया तो बेसिक सचिव पर कंटेम्प्ट होगा जिसे अक्सर न्यायमूर्ति देवेंन्द्र सिंह सुनाते हैं जिन्हें कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट का कसाई जज कहा जाता है या फिर न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल सुनेंगे परिणाम स्वरुप सचिव जेल जायेंगे और हम पुनः एकल बेंच में रेमेडी मांगेंगे और तब मुझे रेमेडी मिलेगी और नियुक्ति होगी।
अंततः जीत सत्य की होगी चाहे आज हो या कल हो।
भारत का सिस्टम जितना धीमा है मै उतनी ही दूर (heg)तक सोचता हूँ ,
भाई क्या करूँ जान देने से तो कुछ होगा नहीं , कभी तो अच्छा होगा ।
धन्यवाद।
बेटेका शव पड़ा हुआ है सिंघासन सोता रहता है
ReplyDeleteमच्छर जैसा टोगो भी हमको धमकाता रहता है
चीन भारत के वाशिंदो को अपहृत करके रखता है
जब जी चाहे भारत कि सीमा में घुसता रहता है
पाकिस्तानी सरहद पे गोलाबारी करते है
आंतकी सीमाओ पे खुनी खेल खलते है
बंगला देश असम कि जमीं गड़ाए बैठा है
दिल्ली का पूरा शासन पंगु बनके बैठा है
अमेरिका राजनायक को भी बंदी करके रखता है
दिव्यानि को हतकडी डाल कर भी अपमानित करता है
लंदन में बाबा रामदेव को भी रोका जाता है
आस्ट्रलिया में भारत के छात्रो को ठोका जाता है
क्या यह इसी लिए होता है कि हम सब सहने वाले है
गांधी वादी होकर थप्पड़ खाते रहने वाले है
कब तक खामोश रहोगे सब अमरीका कि बबरता पर
सिंघासन को शर्म नहीं है अपनी इस कायरता पर
में कहता हू फूल चढ़ा दो इस अहिंसाबाद कि अर्थी पे
एक इंकलाब और चाहिए इस सुभाष भगत कि धरती पे
भारतीय संविधान में देश के नागरिकों के विकास के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा को दिये गये महत्त्व से आप सुपरिचित होगें । इसी क्रम में भारतीय संसद द्वारा संविधान में अनुच्छेद २१ ए जोड कर प्राथमिक शिक्षा को संवैधानिक अधिकार घोषित किया । न्यायपालिका द्वारा भी समय-समय पर अपने निर्णयों में प्राथमिक शिक्षा को देश के विकास के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण माना क्योंकि इसके द्वारा ही एक बालक की एक नागरिक के रूप में विकास की नींव पडती है और केवल शिक्षा ही नही अपितु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित कराने के लिये स्थापित मानदंडों और मानकों के पूर्ण और समग्र परिपालन पर सदैव बल दिया । अनुच्छेद २१ ए की भावना और उद्देश्यों को प्राथमिकता का स्वरूप प्रदान करने के लिये संसद नें अनिवार्य एवं निशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ , १ अप्रैल २०१० से लागू करते हुये देश भर में प्राथमिक शिक्षा के स्वरूप ,दशा-दिशा , बालक तथा कार्य-योजना का प्रावधान किया और इसके अनुपालन में शैक्षणिक प्राधिकारी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने २३ अगस्त २०१० और २९ जुलाई २०११ की अधिसूचना के द्वारा गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के लिये अध्यापकों के लिये योग्यता के मानक निर्धारित किये । इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार नें २७ जुलाई २०११ को "उत्तर प्रदेश अनिवार्य एवं निशुल्क बाल शिक्षा का अधिकार नियम २०११ “ अधिसूचित कर उपरोक्त व्यवस्था और तत्संबन्धी संवैधानिक और विधिक प्रावधानों को अंगीकार किया जिसके साथ ही मानकों के अनुसार प्रदेश के बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये आवश्यक व्यवस्था करना कानूनी रूप से बाध्यकारी हो गया । प्राथमिक स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात यानी ३० बच्चे पर एक शिक्षक मानक पूरा करने के लिये मायावती सरकार नें नवम्बर २०११ के अन्तिम सप्ताह में ७२८२५ शिक्षकों के चयन के लिये एक प्रतियोगी आधार वाले चयन प्रक्रिया की शुरुआत की । प्रदेश की खस्ताहाल प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के उद्धार के लिये बडी पहल के तौर पर देखी जा रही इस प्रक्रिया पर तकनीकी कारणों से जनवरी २०१२ के प्रथम सप्ताह में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जारी स्थगनादेश का ग्रहण का लगा कि यह भर्ती नित नये-नये विवादों में उलझती चली गयी । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस भर्ती को पूरा कराये जाने के प्रयासों में मार्च २०१२ में अखिलेश सरकार के सत्ता सम्हालते ही बिलकुल विपरीत दिशा अख्तियार कर ली । विवादित तकनीकी आधार के निराकरण के प्रयासों को छोड कर नई प्रदेश सरकार नें अध्यापक पात्रता परीक्षा २०११ में धाँधली की अपुष्ट आफ़वाओं के आधार पर पहले प्रारम्भ हो चुकी प्रक्रिया में चयन का आधार बदलने का न केवल अप्रत्याशित निर्णय लिया बल्कि उसे अमलीजामा पहनाने के लिये पुरानी प्रक्रिया को ही रद्द कर पूरे मामले को एक अपेक्षाकृत गंभीर विवाद के गर्त में डाल दिया । प्रदेश भर के अभ्यर्थियों की ओर से इस निर्णय के विरोध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वादों की झडी लगा दी गयी जिन्हें एक लम्बी सुनवाई के क्रम में पहले एकल पीठ नें सरकार को पुरानी प्रक्रिया के अभ्यर्थियों के हितों को सुरक्षित रखते हुये उपयुक्त विज्हापन निकालने का निर्देश दिया और ७ दिसम्बर २०१२ को संबन्धित ७२८२५ पदों पर परिवर्तित चयन आधार से भर्ती के विज्ञापन की वैधानिकता पर असमान्य चुप्पी साध कर १६ जनवरी २०१३ निस्तारित करते हुये प्रदेश सरकार द्वारा लिये गये निर्णय के आधारों को तो सिरे से खारिज किया परन्तु तकनीकी आधार पर पुरानी प्रक्रिया के विज्ञापन को अवैध ठहराया । छुब्ध अभ्यर्थियों द्वारा एकल पीठ के उस निर्णय को खण्डपीठ में चुनौती दी गयी जिस पर खण्ड्पीठ नें पुरानी प्रक्रिया को पूर्णत: सही ठहराया तथा प्रदेश सरकार द्वारा एकल पीठ के निर्देशानुसार ७ दिसम्बर २०१२ को जारी हुये नये नियमों से भर्ती के विज्ञापन पर तत्काल प्रभाव से ४ फ़रवरी २०१३ को रोक लगा दी । आगे की सुनवाइयों में खंडपीठ नें धाँधली के तथाकथित आरोपों को बेबुनियाद और मनघडंत करार दिया । जुलाई २०१३ में खण्ड्पीठ में परिवर्तन के बाद से ही इस मामले की लम्बे समय तक कोई सुनवाई नही हो पायी
ReplyDeleteइस दौरान न सिर्फ़ दो-दो भर्ती प्रक्रियाओं में आवेदन के ज़रिये प्रदेश सरकार के खाते में अरबों रूपये जमा करने वाले शिक्षित बेरोजगार न्यायालय के निर्णय की बाट जोहते रहे बल्कि प्रदेश के करोडों नौनिहालों के शिक्षा के संवैधानिक अधिकारों का गम्भीर हनन बदस्तूर ज़ारी रहा। शिक्षा के संवैधानिक अधिकार पर बडी-बडी बाते करने वाली न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका और स्वंय ओ बुद्धिजीवी समझने वाले तबके द्वारा इस मामले में बरती गयी उदासीनता , लापवाही और अनदेखी प्रदेश में उन बच्चों के शिक्षा के संवैधानिक अधिकार के इस गम्भीर हनन की उत्तरदायी है जिन्हें अपने अधिकारों के इस गम्भीर हनन का अर्थ तक समझ पाने में असमर्थ है
२० नवम्बर २०१३ को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खण्डपीठ नें अभ्यर्थियों के पक्ष में फ़ैसला सुनाते हुये पूर्ववर्ती सरकार द्वारा जारी ३० नवम्बर २०११ के विज्ञापन के आधार पर ३१ मार्च २०१४ तक भर्ती पूरी करने के लिये राज्यसरकार को निर्देशित किया साथ ही खण्डपीठ नें सरकार द्वारा टेट प्राप्ताँकों को अनदेखा कर बनाई गयी चयनप्रक्रिया अर्थात बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली के प्रन्द्रवें संशोधन को अवैध करार दिया ।
ReplyDeleteइसके आदेश के आने के बाद प्रदेश सरकार नें मात्र बदले और वोटबैंक की राजनीति के कारण शिक्षा के अधिकार और अध्यापकों की भारी कमी को नज़रन्दाज़ करते हुये इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और दो साल से अपने हक की लडाई लड रहे लाखों योग्य युवा बेरोजगारों को एक बार फ़िर देश की सबसे बडी अदालत के सामने खडा कर दिया है जहाँ अपने आवाज़ उठाने के लिये भी इन युवाओं के पास कर्जा लेने और खेत-जेवर बेंचने तक की हद तक जाने के सिवा कोई चारा नही छोडा है । संवेदनहीनता की इस पराकाष्ठा से प्रदेश का शिक्षित युवा हतप्रभ है क्योंकि उसी ने बडी उम्मीदों से दो साल पहले प्रदेश की सत्ता एक युवा मुख्यमंत्री के हाथों में सौपने में एक महत्तवपूर्ण भूमिका बडी उमीदों के साथ निभाई थी ।
यदि आप स्वय़ं को इस विषय में लेशमात्र भी गम्भीर और समर्थ पाते हैं तो आपसे करबद्ध विनम्र अनुरोध है कि इस मामले में अपना यथासंभव सहयोग करने की कृपा करें । अधिक जानकारी के लिये मुझे किसी भी समय सम्पर्क कर सकते हैं ।
खण्डपीठ के आदेश की प्रति व संबन्धित मीडिया रिपोर्ट संलग्न है
भवदीय
श्याम देव मिश्रा
स्वतंत्र आर.टी.ई. एवं आर टी आई कार्यकर्ता ,मुम्बई
संपर्क सूत्र -08080181280
समूह के सभी सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि उक्त लेख को ई मेल या पत्र के माध्यम से जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता व संगठन ,न्यायापालिका के माननीय न्यायाधीशों एवं बुद्धिजीवी वर्ग को उपलब्ध करायें
लड़की: आज मेरे दिल का ऑपरेशन है...
ReplyDelete.
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लड़का: पता है...
.
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लड़की: मैँ तुमसे बहुत प्यार करती हूँ...और तुम्हेँ मरने के बाद भी खोना नहीँ चाहती...
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लड़का: मैँ भी....पर प्लीज़,..तुम ऐसी बात मत करो...
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.
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[ऑपरेशन के बाद जब लड़की को होश आया, तो उसके पास सिर्फ उसके पिता खड़े थे...]
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लड़की: वो कहा है....?
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पिता: क्या तुम्हेँ सच मेँ नहीँ पता....कि तुम्हेँ दिल किसने दिया.......?
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लड़की: क्या.............???:-O
[और फिर जोर-जोर से रोने लगी....]
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पिता: हा हा हा...मजाक कर रहा हूँ...."कमीना...बाहर बैठ कर समोसे खा रहा है....."!!
शुभ प्रभात मित्रों,
ReplyDeleteसभी भाइयों को अकिंचन निरहुआ का प्रणाम। ये अकेडमिक वाले भाई पुनः सुप्रीम कोर्ट जाने की रट लगाने लगे हैं इन्हें देखकर एक ही बात निरहुआ कहेगा कि "विनाश काले-विपरीत बुद्धि".
जब "टाइटैनिक" डूबने लगा तो एक लाइफबोट पर एक अकेडमिक वीर, एक टेटवीर और एक जूनियर भर्ती का अभ्यर्थी बच निकले। 4-5 दिन बिना खाए-पिए वो समुन्द्र में भटकते रहे लेकिन किनारा कहीं मिल ही नहीं रहा था। तीनो जीवन की उम्मीद छोड़ चुके थे कि अचानक एक बोतल दिखाई पड़ी जिसके ऊपर लिखा था "सपा सरकार का जिन्न-इसे खोलना मना है, आपके साथ धोखा हो सकता है"। टेटवीर और जूनियर के अभ्यर्थी के लाख मना करने के बावजूद अकेडमिक वीर ने बोतल का ढक्कन ये कहते हुए खोल दिया कि सपा सरकार तो हमारा हित चाहती है। बोतल खुलते ही उसमे से अखिलेसुद्दीन नाम का जिन्न बाहर आया और अकेडमिक वीर की और बड़े वात्सल्य से देखकर बोला-" हालांकि मुझे मुक्ति सिर्फ इस अकेडमिक वीर ने दिलाई है फिर भी आप तीनो को ही मैं एक-एक वरदान दूंगा, जो माँगना है जल्दी मांग लो"। किसी के कुछ समझने से पहले ही जूनियर अभ्यर्थी बोल पड़ा-" मुझे मेरे घर पहुंचा दो" इतना कहते ही वो अभ्यर्थी लाइफबोट से गायब होकर घर पहुँच गया। अब जिन्न ने अकेडमिक वीर से कहा की तुम्हे क्या चाहिए तो अकेडमिक महोदय ने कहा अभी मैं सोच रहा हूँ तब तक आप टेटवीर को वरदान दे दीजिये। टेटवीर ने तपाक से घर जाने की इच्छा प्रकट कर दी, अगले ही पल लाइफबोट से टेटवीर भी गायब। अब अंत में बचे अकेडमिक वीर ने बहुत सोच विचार के बाद जिन्न अखिलेसुद्दीन से कहा-" मुझे घर वर नही जाना है मुझे तो केवल नौकरी चाहिए नौकरी बोभी अकेडमिक से । "
इतना सुनते ही जिन्न वहाँ से गायब हो गया ।
''शादी हो जाने के बाद पुरुषों को अपनी गलतियां याद नहीं रखनी चाहिए …
ReplyDelete.
.
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भई, एक ही बात को दो लोगों के द्वारा याद रखे जाने का कोई मतलब नहीं है !''
——————————————————————————
प्यार अंधा हो सकता है पर ….
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शादी अच्छे-अच्छों की आँखें खोल देती है !''
——————————————————————————–
''यदि किसी आदमी से ये पूछा जाए कि वह
लव मैरिज करना पसंद करेगा या अरेंज मैरिज …?
तो ये कुछ वैसा ही नहीं है जैसे किसी से ये पूछा जाये कि
.
.
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आप ख़ुदकुशी करना पसंद करेंगे या क़त्ल होना … ?''
—————————————————————————
''1 और 1 मिलकर 11 हो सकते हैं बशर्ते ….
.
.
.
उनके 9 बच्चे हो जाएँ !!!''
——————————————————————————
''अगर कोई आदमी अपनी कार का दरवाज़ा अपनी पत्नी के लिए अपने हाथ से खोले
तो समझ लीजिए …..
.
.
.
या तो कार नई है या फिर पत्नी … !!!''
लड़का -: मम्मी ‘लव मैरिज’ करने से
ReplyDeleteघरवाले नाराज होते हैं क्या..?
.
मम्मी -: तू जरूर किसी चुड़ैल के चक्कर
में होगा ...!
और यह सब तुझे उसी डायन ने
कहा होगा।
लड़कियां तो बस लड़कों को फंसाने में
ही लगी रहती हैं।
जहां अच्छा लड़का देखा शुरू हो गईं…
बेटा तू इनसे बच के रहना।ये बहुत मक्कार
और कमीनी होती हैं।
और इनका तो खानदान भी…….!!
.
.
.
लड़का -: बस मम्मी … ऐसा कुछ नहीं है..।
वो तो डैडी बता रहे थे कि आप दोनों की लव
मैरिज हुई थी..!!
जिस दिन से सरकार ने SC में SLP दाखिल की है हमारे टेट मेरिट समर्थक साथी समय सीमा को लेकर भयभीत हैं जबकि भयभीत तो सरकार को होना चाहिए,,,और वो है भी......
ReplyDeleteहमारी भर्ती के सन्दर्भ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने बीस नवम्बर के आदेश में सिर्फ इतना लिखा है “सिंगिल बेंच द्वारा प्रशिक्षु शब्द के आधार पर विज्ञापन रद्द किये जाने से सरकार को खुशफहमी पालने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उस फैसले के अनुसार भी पूर्व विज्ञापन के 72825 पदों पर टेट के बैड पार्ट को हटाकर टेट मेरिट से नियुक्ति का ही निर्देश है,,, अगर सरकार को नए विज्ञापन को पूर्व विज्ञापन का संशोधित रूप मानने में कोई आपत्ति है तो कोर्ट को इस बात में कोई आपत्ति नहीं है कि सरकार पुराने विज्ञापन से नियुक्ति करे....
15th को NCTE की Should give weightage की गाइडलाइन के आधार पर prospective effect से रद्द स्थान पर अनु. 14 (3) के आधार पर अल्ट्रा वायरस घोषित करके retrospective effect से रद्द करके उन्होंने न्यायमूर्ति सुशील हरकौली की उस धमकी को मूर्त रूप दिया है कि अगर आज आप इन बच्चों को इस आधार पर बहार निकाल देंगे की आपके द्वारा निर्धारित चयन प्रक्रिया ज्यादा बेहतर है तो कल को कोई दूसरी सरकार या अधिकारी इस आधार पर आपके द्वारा चयनितों को निकाल देगा कि उसके द्वारा निर्धारित चयन प्रक्रिया आपकी प्रक्रिया से बेहतर है,,,,, इस तरह तो कोई नियुक्ति नहीं हो पाएगी....15th संशोधन को रद्द करने के पीछे उनकी मंशा स्पष्ट थी कि अगर सरकार हमारी नियुक्ति में हीला-हवाली करती है तो ना सिर्फ उसके द्वारा 15th संशोधन के आधार पर की गई शिक्षकों की सभी नियुक्तियाँ विधिक रूप से शून्य हो जायेंगी बल्कि काउंसिलिंग करा चुके मुअल्लिम वालों को नियुक्ति पत्र देना असम्भव हो जाएगा,,,,,
हाँ मैं जानता हूँ कि न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने बी.टी.सी ,वि. बी.टी.सी वालों के साथ जुल्म किया है क्योंकि उनका तो इस विवाद से दूर-दूर तक कोई वास्ता ही नहीं है....लेकिन न्यायमूर्ति भूषण साहब का कोई बिगाड़ भी क्या लेगा?नॉन टेट वाला आदेश तो खुल्लम -खुल्ला असंवैधानिक था तो भी किसी ने उनका क्या बिगाड़ लिया?मजे की बात तो यह है कि अपने उसी नॉन टेट वाले आदेश को पलटने वाले वृहद पीठ के आदेश के ऊपरी हिस्से को अपने बीस नवम्बर के आदेश में कोट करके इस बात का पुख्ता प्रबंध कर दिया है कि 15th संशोधन भले ही अनु. 14 के प्रकोप से बच जाए लेकिन Should give weightage के हथियार से जमींदोज अवश्य कर दिया जाए......
रही बात सरकार के सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की तो एकेडमिक वालों को मैं यह बता देना चाहता हूँ कि सर्वोच्च न्यायालय में हम टेट मेरिट वालों की बहुत तगड़ी सेटिंग है,,यकीन नहीं आ रहा हो तो जरा पता करो जाकर कि आमरण अनशन टूटने के कुछ घंटे बाद आखिर कैसे मैंने माइक से खुले आम घोषणा कर दी थी कि सरकार के डायरी नंबर का जल्द ही विलोप हो जाएगा,,,,,
आखिर सरकार करे भी तो क्या करे SC का कोई ठीक-ठाक वकील Retrospective effect से चयन प्रक्रिया में संशोधन के पक्ष में बहस करने को तैयार ही नहीं है.....गर्ग साहब संजय सिन्हा के मित्र हैं इसलिए उन्होंने फ़ाइल को हाथ भी लगा दिया वरना बाक़ी सब तो टेट का नाम सुनते ही कानों पर हाथ रखकर टेट मेरिट जिंदाबाद का नारा लगाने लगते हैं......आखिर कौन वकील 4-5 लाख के खातिर अपनी वकालत बंद करवाना चाहेगा.... रही बात बी.टी.सी ,वि.बी.टी.सी और मुअल्लिम वालों को बचाने की तो इसके लिए सरकार को इतनी सर्दी में दिल्ली जाने की क्या जरूरत है,,,,, जैसे ही टेट मेरिट वालों का नियुक्ति पत्र तैयार होगा शेष समस्त समस्याएं स्वतः ही विलुप्त होना शुरू जायेंगी.... और सरकार की भी सारी समस्याएँ स्वत: समाप्त हो जाएगी और जब तक ऐसा नहीं होता है तब तक उत्तर प्रदेश में एक भी भर्ती नहीं होगी....अगर गर्ग साहब को अपनी इज्जत का फालूदा बनवाने का शौक ही होगा तो वो कल अपनी SLP की कमियाँ दूर करके उसे पुनः दाखिल कर देंगे...... टेट संघर्ष मोर्चे के वकील उनसे निपटने के लिए तो खड़े ही होंगे लेकिन मैं भी एक Intervention application डालकर अपनी वकालत अपने आप ही करूंगा,,आम तौर से मेरे सवाल बहुत सरल से होते हैं लेकिन उनके जवाब देने की जगह एक से एक शरीफजादे अंट-शंट बकने लगते हैं..... मैं गर्ग साहब से सिर्फ एक ही सवाल पूछूंगा...क्या Retrospective effect से संशोधन संभव और उचित है? अगर गलती से भी उनके मुँह से हाँ निकल गया तो उनके टीचरों को विकृत शिक्षा देने के इल्जाम में सर्वोच्च न्यायालय में तलब करने की मांग तो जरूर करूंगा,
"युवाओ के कन्धे पर राष्ट्र की शक्ति चलती है,
ReplyDeleteइतिहास उधर मुड़ जाता है जिस तरफ
जवानी चलती है.!!"
बहुत जल्द टेट संघर्ष मोर्चा, उत्तर प्रदेश के
जवान सर्वोच्या न्यायलय से भी एक इतिहास
लिख देंगे, बस अंतिम दौर में भी आप सभी का साथ
और सहयोग चाहिए..!!
क्या आप तैयार हैं...???????
जय हिन्द जय टेट जय भारत
!! सत्यमेव जयते सर्वदा !!
प्रिय मित्रो
ReplyDeleteये मेसेज बहुत महत्वपूर्ण है। मोदीजी ने कहा है की वे यदि सत्ता में आते है तो इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स, एक्साइज ड्यूटी आदि को ख़त्म कर देंगे। और बैंक ट्रांजेकशन पर 1 से 1.5% ट्रांजेकशन लगाया जायेगा।अब आप सोचेंगे की इस तरह टैक्स ख़त्म कर देने से देश कैसे चलेगा।इन टैक्सो से हमारे देश को 14 लाख करोड़ की आमदनी होती है जिससे देश का बजट बनता है। इसके बदले बैंक ट्रांजेकशन पर 1से 1.5% चार्जेज लगाया जायेगा जिससे देश को 40लाख करोड़ की आमदनी होगी जो की मोजूदा बजट से लगभग 3गुना है। जो आगे बढकर 60 लाख करोड़ हो जाएगी।
अब आप सोचे जब इनकम टैक्स,सेल्स टैक्स,एक्साइज ड्यूटी,नही होगी तो आप ही सोचिये आपको टेक्सो की चिंता नही होगी। आपको बिल बुक्स आदि नही रखना पड़ेगा।सारा काम 1नम्बर में होगा सारी इनकम व्हाइट में होगी। बुक्स आपको रखने की झंझट नहीं रहेगी। सारी काली कमाई सफ़ेद हो जाएगी। और आप भी निश्चिंत हो जायेंगे।
इसके साथ ही मोदीजी ने ये भी कहा है की 1000/- 500/-के नोट भी बंद किये जायेंगे और इलेक्ट्रोनिक करेंसी को तरजीह दी जाएगी ताकि अधिकतम कार्य बैंक के द्वारा किये जाये।
इन विभागों के कर्मचारियों को इंडिया इन्फ्रा डेवलपमेंट के तहत देश में बुनियादी सुविधाओ का विकास करेंगे। यदि मोदीजी सत्ता में आते है तो आप ही सोचिये देश का चोतरफा विकास होगा। भारत को विश्व बैंक से लोन लेने की आवश्यकता नही होगी। भारत फिर विश्व गुरु बनेगा।
यदि आप भी मोदीजी के इस नज़रिए से सहमत है तो आप भी इस मोदीजी के नज़रिए को हर उस नागरिक तक पहुचाये जो देशभक्त है।
आप यदि सहमत है तो आप भी मोदीजी के सप्पोर्ट में आये मोदीजी को वोट दे।लोकसभा में 272+ से अधिक सीट पाने के लिए सहयोग दे.
मे
ReplyDeleteरी
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वा
ली
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काफी वक़्त लगा हमे आप तक आने में ,
काफी फ़रियाद कि ख़ुदा से आपको पाने में ,
कभी दिल तोड़कर मत जाना ,
हमने उम्र लगा दी आप जैसा सनम पाने में ..
मे
ReplyDeleteरी
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वा
ली
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प्यार और मौत से डरता कौन है ,
प्यार तो हो जाता है इसे करता कौन है ,
हम तो कर दे प्यार में जान भी कुर्बान ,
पर पता तो चले हमसे प्यार करता कौन है .
निरहुआ क्रांतिकारी 'विद्रोही'Fightfor TET MERIT " टेट उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा "
ReplyDeleteआज से ठीक 3 माह 1 सप्ताह के बाद की घटना:-
एक अकेडमिक वीर ने अपनी कड़ी तपस्या (?) से भगवन शिव को प्रसन्न किया, भोले-भण्डारी प्रकट हुए और उस अकेडमिक वीर से इक्षित वर मांगने को कहा-
अकेडमिक वीर :- मुझे देश का प्रधानमंत्री बना दो।
भोले बाबा:- ये संभव नहीं है कुछ और मांगो वत्स।
अकेडमिक वीर:- अच्छा तो चलिये मुख्यमंत्री ही बना दीजिये।
भोले बाबा:- असंभव,कभी अक्ल की भी बात कर लिया करो , कुछ अन्य विकल्प दो।
अकेडमिक वीर:- ठीक है मैं मंत्री पद से संतोष कर लूँगा।
भोले बाबा:- क्यों धर्मसंकट में डाल रहा है मूर्ख बालक, तू इससे अधिक और अच्छा कुछ और भी तो माँग सकता है ? अंतिम अवसर देता हूँ कुछ संभव सी चीज मांग ले।
अकेडमिक वीर:- ये क्या असंभव असंभव लगा रखा है आप भगवान् हो कि अखिलेश यादव हो जो कुछ देता तो है नहीं ऊपर से केवल विकल्प मांगता ही माँगता रहता है।
भोले बाबा:- अच्छा चलो अंतिम बार अपना विकल्प बोलो मैं वचन देता हूँ की अब कोई विकल्प नहीं मांगूंगा।
अकेडमिक वीर:- चलिए आपकी भी मजबूरी होगी कोई इसलिए आपसे एकदम आसान विकल्प मांगता हूँ, मुझे अकेडमिक मेरिट से टीचर बना दीजिये।
भोले बाबा:- (मौन हो जाते हैं और कुछ सोचने के बाद) हे अकेडमिक वीर ,अब सारी बातों को छोड़कर ये बता , कि तुझे किस देश का प्रधानमँत्री बनना पसंद है ? लेकिन तू अब मेरा पीछा छोड़ दे ।
मुर्गी ने इंडिया-चाइना बॉर्डर पर अंडा दिया ......
ReplyDelete.
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दोनों देश एक अंडे के लिए लड़ने लगे ....
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आखिर फैसला ये हुआ कि जो देश दूसरे देश की ज्यादा लड़कियों को ज्यादा किस करेंगे
अंडा उसका...
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इंडियन चाइना गया और 20,000 लड़कियों को किस किया.....!!.
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चाइना वाला एक्साइटेड होकर-अब हमारी बारी....
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इंडियन- "चल छोड़ यार अब ये अंडा तू ही रख ले......
यूपी बेसिक शिक्षा नियमावली १९८१
ReplyDeleteसंशोधन १२ बनाम संशोधन १५ व १६
एक विचार: उत्तर प्रदेश में राईट टू
एजुकेशन के २७ जुलाई २०११ को स्वीकृत
होने के बाद
बीएड बेरोजगारों की प्राथमिक
विद्यालय में
सीधी न्युक्ति का प्राविधान बना।
इसके लिए शिक्षक
पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करना एक
शर्त बनी।
इसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षक
नियमावली में १२वां संशोधन कर
टीईटी के अंकों को नियुक्ति हेतु चयन
का आधार बनाया।
उत्तर प्रदेश सरकार चुनावी वर्ष
को देखते हुए चुनावी भर्ती लायी जिसके
पदों की संख्या ७२८२५ थी।
वह विज्ञप्ति त्रुटियों का पुलिंदा थी।
बीटीसी, एसबीटीसी एवं बीएड
सबको उसमे शामिल कर लिया था ।
प्रारंभ में सिर्फ पांच जिले से आवेदन
का प्राविधान था जो कि समानता के
नियम के प्रतिकूल था।
अतः सरिता शुक्ला की याचिका पर
अनिल सिंह बिसेन ने न्यायमूर्ति सुधीर
अग्रवाल की
बेंच में जिरह करके स्थगन
लगवा दिया था।
आनन-फानन में सचिव ने २० दिसम्बर
२०११ को संशोधित विज्ञापन
जारी किया।
बेरोजगारों ने आवेदन भी भेज
दिया था लेकिन कपिल देव यादव
की याचिका पर आलोक यादव ने जिरह
करते हुए आवेदन की अंतिम तिथि के
छः दिन पूर्व ही न्यायमूर्ति सुधीर
अग्रवाल की कोर्ट में प्रक्रिया पर
स्थगन करा दिया।
विवाद का विषय था कि विज्ञापन
को बीएसए को जारी करना था लेकिन
सचिव ने जारी किया था।
मुकदमें के ट्रायल के दौरान टीईटी में
धांधली और विज्ञापन का प्रशिक्षु
का होना नयी समस्या बनी ।
एसबीटीसी/बीटीसी के बेरोजगार शिव
प्रकाश कुशवाहा की याचिका भी संलग्न
हो गयी जिसमे याचना थी कि ट्रेंड और
अनट्रेंड का चयन एक साथ
नहीं हो सकता है अर्थात उनके लिए अलग
रिक्ति की मांग थी जो कि प्रशिक्षण
प्राप्त कर चुके थे।
विधान सभा चुनाव के बाद सरकार बदल
गयी और टीईटी परीक्षा की जांच के लिए
मुख्य सचिव जावेद
उस्मानी की अध्यक्षता में जांच
समिति का गठन हुआ और
टीईटी परीक्षा की जांच के बाद उसे
पात्रता परीक्षा बना दी गयी अर्थात
उसके अंकों पर चयन प्रणाली को समाप्त
कर दिया गया।
न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने एसबीटीसी/
बीटीसी की अलग से
रिक्ति निकलवा दी।
न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने सरकार से
प्रशिक्षु का विज्ञापन वापस लेकर
नियुक्ति का विज्ञापन जारी करने
का आदेश दिया।
सरकार के विज्ञापन वापस लेते ही कपिल
की याचिका रद्द हो गयी ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने संशोधन १२ रद्द
ReplyDeleteकर दिया और संधोधन १५ एवं १६ किया।
संधोधन १५ शैक्षिक अंकों से चयन
का आधार और संधोधन १६ प्रशिक्षु पद
सृजित किया।
इसी आधार पर ७ दिसम्बर २०१२
को नया विज्ञापन लायी।
नये विज्ञापन को अखिलेश
त्रिपाठी की याचिका में
चुनौती नहीं दी गयी थी अतः उसपर एकल
बेंच में कार्यवाई न हो सकी।
१६ जनवरी २०१३ को एकल बेंच ने
अपना निर्णायक आदेश दिया।
जिसका मुख्य विन्दु निम्न है:
प्रशिक्षु शिक्षक का विज्ञापन होने के
कारण पुराना विज्ञापन समाप्त एवं
टीईटी में धांधली के कारण चयन
का आधार परिवर्तित। पुराने
आवेदकों को नये विज्ञापन में आवेदन
का आदेश जारी किया।
जबकि अपने एक अंतरिम आदेश में एकल बेंच ने
कहा था कि ख़राब हिस्से को बाहर
निकालकर अच्छे हिस्से से भर्ती करें।
पुराने विज्ञापन के समर्थकों ने डिवीज़न
बेंच में याचिका दाखिल की और चयन
का आधार बदले जाने पर आपत्ति जताई ।
न्यायमूर्ति सुशील हरकौली और
न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने दिनांक ०४
फरवरी २०१३ को नयी प्रक्रिया पर
स्थगन दे दिया और कहा कि अगर
पुरानी प्रक्रिया से चयनित लोग
स्कालरशिप पर भी रखे जाते तो उन्हें
शिक्षक
ही बनाया जाता अतः पुरानी प्रक्रिया का चयन
का आधार नहीं बदला जा सकता है।
नये विज्ञापन में अधिक/कम उम्र वालों के
शामिल करने के एकल बेंच के फैसले के खिलाफ
सरकार ने डिवीज़न बेंच में
एसएलपी दाखिल की जिसे १५०/१३ के
साथ चल रहे मुकदमों के साथ जोड़
दिया गया।
नये विज्ञापन में गुणांक चयन के विरुद्ध
दाखिल अरविन्द सिंह की याचिका एकल
बेंच में ख़ारिज हुई थी लेकिन डिवीज़न बेंच
में स्वीकार हो गयी जिसपर अनिल
तिवारी ने बहस की और डिवीज़न बेंच ने
सरकार से कहा कि गुणांक चयन का आधार
संविधान के अनुच्छेद १४(३) का उलंघन
करता हुआ पाया जा रहा है ।
इसी दरम्यान वृहद् पीठ में नॉन
टीईटी का मुकदमा चल
रहा था जहाँ २३७/१३ को छोड़कर
बाकी मुक़दमे घूमने गये और नॉन
टीईटी को बाहर कराकर पुनः डिवीज़न
बेंच में लौटे।
सभी मुक़दमे एक में बंच करके माननीय
सुशील हरकौली साहब मुकदमा छोड़कर चले
गये ।
न्यायमूर्ति महापात्रा ने इस मुक़दमे
को प्राप्त करने के बाद रूचि नहीं ली।
अंततः ये मुकदमा नवम्बर २०१३ में
न्यायमूर्ति अशोक भूषण को मिला जिनके
साथ न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा भी थे।
सरकार और याचीगण
दोनों पक्षों के बीच निर्णायक बहस
हुयी और आदेश २० नवम्बर २०१३ के लिए
सुरक्षित हो गया।
२० नवम्बर २०१३ को निर्णायक
फैसला डिवीज़न बेंच ने सुनाया।
प्रमुख स्पष्ट विन्दु:
१. ३० नवम्बर २०११ को जारी, २०
दिसम्बर २०११ को संशोधित विज्ञापन
नियुक्ति का था क्योंकि उत्तर प्रदेश में
२७ जुलाई २०११ से राईट टू एजुकेशन
अधिनियम लागू है जिससे कि प्रशिक्षु
का विज्ञापन
जारी ही नहीं हो सकता है । अतः उसके
आवेदकों को ३१ मार्च २०१४ के पूर्व
नियुक्त किया जाये।
२. यूपी बेसिक शिक्षा नियमावली १९८१
का संशोधन १५ रद्द किया जाता है
क्योंकि उसका चयन का आधार विभिन्न
विश्वविद्यालयोंकी विभिन्न मूल्यांकन
प्रणाली के कारण संविधान के अनुच्छेद
१४(३) का उलंघन करता है।
संशोधन १६ भी रद्द घोषित
किया जाता है
क्योंकि अधिसूचना की अंतिम
तिथि समाप्त होने के बाद बीएड के
बेरोजगार प्राइमरी के लिए पात्र
नहीं होंगे
अतः इनकी योग्यता को नियमावली में
शामिल करना विधि विरुद्ध है।
इनको मात्र एनसीटीई के नियमों के
अनुसार आरटीई के तहत रखा जायेगा।
४. टीईटी में धांधली के आरोप को सुबूत न
मिलने के कारण ख़ारिज किया जाता है,
अर्थात टीईटी बेदाग बरी।
अर्थात हाई कोर्ट से पीड़ित पक्ष
को बड़ी राहत मिली जबकि सपा और
बसपा सरकार ने इस भर्ती पर राजनैतिक
रोटियां जमकर सेंकी हैं ।
सर्वोच्च अदालत पहुंची शिक्षक भर्ती और
ReplyDeleteसंभावित हश्र।
उत्तर प्रदेश सरकार ने
एक सधी हुयी चालाकी के साथ सर्वोच्च
अदालत में विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल
की है ।
शीतकालीन अवकाश के कारण कोर्ट बंद
हो गयी है और कोर्ट खुलने तक मोअल्लिम-
ए-उर्दू की भर्ती भी संपन्न हो जायेगी।
आश्चर्य इस बात का है कि यह
भर्ती डिवीज़न बेंच के आदेश की तिथि के
पूर्व ही संपन्न हो रही है और
रिक्ति सूची आज भी जारी हो रही है।
सर्वोच्च अदालत के रजिस्टार के यहाँ से
हाई कोर्ट की खंडपीठ का निर्णय पक्ष
में प्राप्त करने वालों को नोटिस
जारी होगी क्योंकि उन लोगों ने कैविअट
दाखिल किया है।
तदुपरांत पीड़ित पक्ष जो कि आज
विजेता है उसे काउंटर दाखिल
करना होगा।
सरकार को एसएलपी संख्या प्राप्त
होगी एवं बेंच गठन के साथ मुक़दमे के
स्वीकार किये जाने या ख़ारिज किये जाने
को लेकर बहस होगी।
सरकारी पक्ष क्रिटिकल कंडीशन बताकर
मुकदमा दाखिल कराने का पूरा प्रयास
करेगा।
जहाँ तक मुझे उम्मीद है
सर्वोच्च अदालत खंडपीठ के फैसले पर रोक
नहीं लगायेगी ।
सरकार को यह उम्मीद है कि हाई कोर्ट
ReplyDeleteद्वारा रद्द बेसिक
शिक्षा नियमावली का १५वां संशोधन
बहाल हो जायेगा लेकिन सरकार ने
नकारात्मक पक्षों पर भी विचार
किया है इसलिए आनन-फानन में
मोअल्लिम-ए-उर्दू
बेरोजगारों की भर्ती संपन्न करा रही है
जिससे इन बेरोजगारों के लिए
दया याचना की जा सके।
इस संभावना से इंकार
नहीं किया जा सकता है कि बेसिक
शिक्षा नियमावली १९८१ के १५वें संशोधन
के आधार पर नियुक्त हुए बेरोजगारों के
विरुद्ध आपत्ति न होने के कारण
उनको राहत प्राप्त हो ।
अर्थात उनको राहत मिलने
की संभावना बरक़रार है जिसका लाभ
मोअल्लिम की अवैध भर्ती को भी प्राप्त
हो सकता है।
हाई कोर्ट की डिवीज़न बेंच
द्वारा निर्गत फैसला अपरिवर्तनीय
होगा, राईट टू एजुकेशन अधिनियम के
कारण पुराने विज्ञापन पर शीघ्र
भर्ती अनिवार्य है।
उत्पीड़न की पराकाष्ठा उक्त
बेरोजगारों पर पार हो चुकी है
सही जिरह सरकार पर
जुर्माना भी लगवा सकती है।
मेरे अनुमान से भविष्य में अब उत्तर प्रदेश
बेसिक शिक्षक नियमावली १९८१
का संशोधन १५ कभी बहाल नहीं होगा ।
इसमें टीईटी के अंकों का भारांक न
होना बड़ी कमी नही है क्योंकि यह
भारांक एनसीटीई के नियमों और आरटीई
एक्ट का हवाला देकर शासनादेश के
माध्यम से भी दिया जा सकता है।
परन्तु इसके अब बहाल न होने का प्रमुख
कारण यह है कि हाई कोर्ट के
अधिवक्ता अनिल त्रिपाठी की जिरह पर
न्यायमूर्ति सुशील हरकौली और
न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने इसे विविध
विश्वविद्यालयोंके विविध मूल्यांकन
प्रणाली के आधार पर संविधान के
आर्टिकल १४(३) के विपरीत पाया था और
सरकार से जवाब मांगा था जिसका जवाब
सरकार न दे सकी अतः न्यायमूर्ति अशोक
भूषण और न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा ने
निर्णायक फैसला सुनाते समय रद्द कर
दिया।
न्यायमूर्ति सुशील हरकौली का कोई
फैसला आज तक शीर्ष अदालत ने छुआ नहीं है
अतः प्राथमिक शिक्षा विभाग में
नियुक्ति में शैक्षिक चयन
प्रणाली का विनाश संभव है।
धन्यवाद।
मे
ReplyDeleteरी
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वा
ली
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बहुत चाहेंगे तुम्हे, मगर भुला ना सकेगे,
ख्यालों में किसी ओर को ला ना सकेंगे,
किसी को देखकर आँसु तो पोंछ लेंगे,
मगर कभी आपके बिना मुस्कुरा ना सकेंगे.
सरदार के बेटे ने कहा:-
ReplyDelete"पापाजी मेरी गर्लफ्रेंड प्रेगनेंट हो गई है, 50,000 रु मांग रही है चुप रहने के"
.
सरदार ने चुपचाप पैसे दे दिए...!
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दो महीने बाद दूसरा बेटा बोला:-
"मेरी गर्लफ्रेंड प्रेगनेंट है, 75,000रु मांग रही है"
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सरदार ने चुपचाप पैसे दे दिए...!
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6 महीने बाद सरदार की कुंवारी बेटी बोली:-
"पापाजी में प्रेगनेंट हो गई"
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सरदार ने उसको गले से लगाया और माथा चूम के बोला:-
"वाहे गुरूजी की मेहर,
अब पैसे लेने की बारी हमारी है....!
बोलो तारा रा रा...!!
आज हमारे दो साथी इलाहाबाद में सब्जी खरीदने के लिए 2000 रुपये लेकर निकले थे और हमारे अध्यक्ष सुशील धोबी और मनोज मिस्त्री की बातों से प्रेरित होकर उन्होंने अपना झोला, चप्पल और कुर्ता पैजामा बेच दिया और सुप्रीम कोर्ट की लड़ाई में भाई कुकुरदेव यादव को 2300 का योगदान किया. आप सभी से भी निवेदन है कि उनके जज्बे को देखिए और अपना खेत बारी बेचकर एकेडमिक की लड़ाई में सहयोग कीजिए.
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