टीईटी : शुरू से ही उठने लगी थीं अंगुलियां
वरिष्ठ संवाददाता, इलाहाबाद : शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) शुरू से ही विवादों के घेरे में रही। पहले विज्ञप्ति, और फिर परीक्षा परिणाम में बार-बार किए गए संशोधनों से शुरू से ही टीईटी पर अंगुलियां उठने लगी थीं। परीक्षा केंद्रों से लेकर नंबर बढ़ाने और चयन पक्का कराने को लेकर हर स्तर पर धन उगाही की शिकायतें हुई। हद तब हो गई, जब ठगों ने टीईटी की फर्जी वेबसाइट बनाकर अभ्यर्थियों के मनचाहे नंबर बढ़ा दिए और जमकर पैसा वसूला।
मजे की बात यह है कि इस मामले का खुलासा होने के बाद भी माध्यमिक शिक्षा परिषद की तरफ से एफआइआर तक नहीं दर्ज कराई गई। बाद में फर्जी वेबसाइट को बिगाड़ दिया गया। मामले का खुलासा होने के बाद भी एफआइआर का दर्ज न कराया जाना परिषद के उच्चाधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े करता है।
72 हजार शिक्षकों की भर्ती के मामले में भी यूपी बोर्ड ने हर स्तर पर हड़बड़ी दिखाई। अध्यापक पात्रता परीक्षा कराए जाने के संबंध में पहला शासनादेश सात सितंबर 2011 को जारी हुआ। इस शासनादेश के मुताबिक वे अभ्यर्थी टीईटी में शामिल हो सकते थे, जिन्होंने न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ बीए/बीएससी/बीकॉम करने के साथ ही साथ बीएड भी किया हो। यह शासनादेश ठीक 12 दिन बाद 17 सितंबर को संशोधित कर दिया गया। बीए/बीएससी/बीकॉम को स्नातक कर दिया गया व न्यूनतम अर्हता को 50 की बजाय 45 प्रतिशत कर दिया गया। इसके बाद तो शासनादेश में संशोधनों की झड़ी लग गई। मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिघारकों को भी शामिल कर लिया गया। इसी संशोधन में बीएड व बीटीसी अपीयरिंग अभ्यर्थियों को भी परीक्षा देने की अनुमति दे दी गई। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक स्कूलों में 72,825 शिक्षकों के चयन के लिए पहले अधिकतम आयुसीमा 35 रखी गई थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 40 वर्ष कर दिया गया।
सबसे बड़ा संशोधन 9 नवंबर को हुआ। विज्ञप्ति में पहले टीईटी को पात्रता परीक्षा घोषित किया गया था। इस संशोधन में टीईटी की मेरिट को चयन का आधार बना दिया गया। कैबिनेट ने बेसिक शिक्षा अध्यापक नियमावली 1981 के नियम 8, 14, 27 व 29 में संशोधन कर दिया। इससे हाईस्कूल, इंटर, स्नातक और परास्नातक परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को झटका लगा। यह संशोधन भी परीक्षा से महज चार दिन पहले किया गया।
इनसेट
सात बार संशोधित हुआ परीक्षा परिणाम
शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन 13 नवंबर को किया गया था। पूर्व घोषित तिथि के अनुसार ही 25 नवंबर को देर रात परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया गया। इसके बाद परीक्षा परिणाम में संशोधनों का सिलसिला शुरू हुआ। 26 नवंबर को प्रतीक्षा सूची जारी की गई। इसके बाद पहला संशोधन तीसरे दिन ही 28 नवंबर को कर दिया गया। दूसरा संशोधन 3 दिसंबर, तीसरा 7 दिसंबर, चौथा 19 दिसंबर, पांचवां 23 दिसंबर को पूरा परीक्षा परिणाम ही बदल दिया गया। अभ्यर्थियों को प्राथमिक स्तर में एक से लेकर छह व उच्च प्राथमिक में एक से लेकर दस अंकों का फायदा मिला। इसके बाद भी संशोधनों का सिलसिला नहीं थमा। छठां संशोधन 24 दिसंबर को, सातवां संशोधन 29 दिसंबर को किया गया।
विज्ञप्ति भी हुई कई बार संशोधित
-72,825 शिक्षकों की भर्ती होनी थी।
-बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा पहला विज्ञापन 30 नवंबर को जारी
-अधिकतम पांच जनपदों में आवेदन करने की छूट थी।
-एक दिसंबर को विज्ञप्ति में पहला संशोधन।
-विशिष्ट बीटीसी व बीटीसी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भी सहायक अध्यापक पद पर आवेदन की छूट दी गई।
-हाईकोर्ट ने 12 दिसंबर को सरिता शुक्ला एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश के मामले की सुनवाई करते हुए 30 नवंबर को जारी विज्ञप्ति में पांच जनपदों में आवेदन के विकल्प को रद कर दिया।
-इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने 19 दिसंबर को संशोधित विज्ञप्ति जारी की। इसके मुताबिक मनचाहे जिलों का विकल्प दे दिया गया।
-कहा गया कि अब अभ्यर्थी को केवल एक ही जनपद में आवेदन शुल्क के रूप में पांच सौ रुपये की डीडी लगानी है।
-बाकी जनपदों में उसी मूल डीडी की छाया पति व उस जनपद के आवेदन पत्र व रजिस्ट्री-स्पीड पोस्ट की छाया प्रति संलग्न करके अन्य जिलों में आवेदन करना होगा।
-सबसे बड़ा संशोधन 8 नवंबर को हुआ। विज्ञप्ति में पहले टीईटी को पात्रता परीक्षा घोषित किया गया था। इस संशोधन में टीईटी की मेरिट को चयन का आधार बना दिया गया।
-कैबिनेट ने बेसिक शिक्षा अध्यापक नियमावली 1981 के नियम 8, 14, 27 व 29 में संशोधन कर दिया।
क्यों मची टीईटी को लेकर मारामारी
निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की उपधारा (एक) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुक्रम में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना द्वारा कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए न्यूनतम शैक्षिक अर्हता के साथ ही साथ राज्य सरकार द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीण करना अनिवार्य कर दिया गया। इसके बाद प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग में बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्ती की आवश्यकता पड़ी। इसको देखते हुए शासन ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को टीईटी आयोजित कराने का जिम्मा दिया। बाद में इसी परीक्षा की मेरिट को बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापकों की भर्ती का आधार बना दिया गया। यहीं से टीईटी वसूली और घोटाले का आधार बन गई।
News : Jagran (9.2.12)
kuch log apna hit sadhne ke liye tet ko nishana bana rahe hain.jese rahul gandhi ,mulayam singh. Soniya gandhi kapil sibble. Aadi enhone anna hazare ki team ka kya kiya enhone ye pure desh ne dekha.ye log sabko baeman khoshit karna chate hain. Taki chor chor mosere bhai ban jayen.
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