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Friday, October 31, 2014

Badaun Mein प्रशिक्षु शिक्षकों की 1017 सीटें खालीं

Badaun Mein प्रशिक्षु शिक्षकों की 1017 सीटें खालीं
तीन नवंबर से शुरू हो सकती है तीसरी काउंसिलिंग



बदायूं। प्रदेश में 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती के लिए चल रही काउंसिलिंग में अब तीसरी काउंसिलिंग का इंतजार किया जा रहा है। इस बीच सबसे ज्यादा परेशान वे अभ्यर्थी हैं, जो पहले हो चुकीं काउंसिलिंग में शामिल हो चुके हैं। उन्हें अंदाज नहीं है कि आखिर उनका नंबर आएगा या नहीं। तीसरी काउंसिलिंग तीन नवंबर से होने का अंदेशा है।डायट प्रशासन की मानें तो पहली काउंसिलिंग में कम अभ्यर्थी बुलाए गए थे। बाद में ये दस गुना कर दिए। अब तीसरी काउंसिलिंग में विशेष आरक्षण के बीस तथा अन्य के दस गुना अभ्यर्थी बुलाए जाने की उम्मीद है।

डायट प्रवक्ता मोहम्मद नवेद खां के अनुसार माने तो करीब 1600 सीटों के सापेक्ष अभी 1017 सीटें रिक्त हैं। सबसे ज्यादा सीटें साइंस ग्रुप में हैं। मेरिट भी पहले के मुकाबले गिरेगी तो भीड़ भी बढ़ना तय माना जा रहा है। इसको लेकर छात्रों में ऊहापोह है।
इसके अलावा दस और बीस गुना वाले फार्मूलें में पिछली काउंसिलिंग में अनुपस्थित रहे अभ्यर्थी शामिल होते हैं तो उन्हें भी बुलाया जाएगा।

रिक्त सीटें एक नजर में
महिला कला वर्ग
जनरल एससी एसटी ओबीसी
68 10 7 8
महिला साइंस वर्ग
जनरल एससी एसटी ओबीसी
95 46 7 47
पुरुष कला वर्ग
जनरल एससी एसटी ओबीसी
113 29 5 67
पुरुष साइंस वर्ग
जनरल एससी एसटी ओबीसी
113 52 8 53
महिला शिक्षामितर
जनरल एससी एसटी ओबीसी
40 17 01 21
पुरुष शिक्षामि्र
जनरल एससी एसटी ओबीसी
36 17 02 18

महिला, पुरुष और शिक्षामित्र विशेष आरक्षण, भूतपूर्व :सैनिक, सैनिक आश्रित के तहत करीब 129 सीटें बची हैं।(आंकड़े डायट से लिए गए हैं)

News Source : Social Media







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शिक्षक भर्ती में एक पद के लिए 555 आवेदन

शिक्षक भर्ती में एक पद के लिए 555 आवेदन


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आगरा 369 जगहों के लिए करीब डेढ़ लाख आवेदन
सिटी में एलटी ग्रेड शिक्षकों की होनी है भर्ती
आगरा  एलटी गे्रड शिक्षक भर्ती प्रक्रिया ने शिक्षा अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. एक पद के लिए लगभग 555 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं. एलटी ग्रेड शिक्षकों की 369 जगहों के लिए डेढ़ लाख आवेदन किए गए हैं. यानी एक शिक्षक के पद के लिए लगभग 555 अभ्यर्थी लाइन में लगे हुए हैं.

दो दिन और चलेंगे आवेदन

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72825 Teacher Recruitment शिक्षक भर्ती में न्यूनतम अंक अर्हता को चुनौती

72825 Teacher Recruitment शिक्षक भर्ती में न्यूनतम अंक अर्हता को चुनौती

लखनऊ। प्राथमिक विद्यालयों में 72 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति में न्यूनतम अंक की अर्हता को लेकर अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने काउंसिलिंग जारी रखने का निर्देश दिया। हालांकि यह भी कहा कि नियुक्तियां दायर याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन मानी जाएंगी। कोर्ट ने प्रदेश सरकार, एनसीटीई व अन्य विपक्षियों से याचिका पर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने नीरज कुमार राय व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका में एनसीटीई के उस प्रावधान को चुनौती दी गयी है जिसके तहत प्रशिक्षु अध्यापकों के चयन के लिए बीए, बीएससी व बीकॉम के साथ बीएड में 45 फीसद अंक को अनिवार्य कर दिया गया है। याची का कहना है कि 45 फीसद अंक का मानक तय करना उचित नहीं है। इसकी वजह से अंडर ग्रेजुएट डिग्री धारक चयन प्रक्रिया से वंचित हो रहे हैं। ऐसे में यह नियम विभेदकारी व मनमानापूर्ण होने के कारण रद होने योग्य है। विपक्षी अधिवक्ता आरए अख्तर का कहना है कि एनसीटीई ने केंद्र सरकार की समेकित नीति के तहत न्यूनतम अंक अर्हता नियत की है। राज्य सरकार के अधिवक्ता रामानंद पांडेय का कहना था कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार व एनसीटीई की गाइड लाइन व नियमों का पालन किया है। शैक्षिक गुणवत्ता के कारण सरकार ने ऐसा नियम बनाया है। फिलहाल कोर्ट ने हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है।

News Sabhar : Jagran (Fri, 31 Oct 2014 12:01 AM (IST))

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Thursday, October 30, 2014

72825 Teacher Recruitment

 72825  Teacher Recruitment


साधना मिश्रा के  72825 शिक्षक भर्ती पर स्टे नहीं ले पाई ,
और इस बीच शिव कुमार पाठक व अन्य आदि भी इम्पलीडमेंट दाखिल कर पार्टी बन गए हैं , और उनका भी पक्ष देखा जाना है
कोर्ट 8 हफ्ते के बाद डेट लगाने  को कहा है , और 6 हफ्ते का टाइम काउंटर एफिडेविट व् 2 हफ्ते का टाइम रेजोइन्दार एफिडेविट के लिए दिया है ।

सोशल मीडिया पर माना जा रहा है की साधना मिश्रा को  अकादमिक मोर्चे द्वारा उतारा गया था और एक नया पैंतरा आजमाया गया था ।
पहले भी कपिल देव ने चालाक तरीकों द्वारा  भर्ती लम्बे समय फंसा दी थी , लेकिन अब टेट मेरिट मोर्चा फूंक फूंक कर कदम रख रहा है और कोई भी चूक नहीं होने देने का मौका छोड़ रहा है



HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD, LUCKNOW BENCH

?Court No. - 4
Case :- SERVICE SINGLE No. - 5571 of 2014
Petitioner :- Sadhana Mishra & 2 Ors. [Now Misb-Vires]
Respondent :- State Of U.P. Through Prin. Secy. Deptt. Of Basic Edu. Lko.
Counsel for Petitioner :- Vidhu Bhushan Kalia
Counsel for Respondent :- C.S.C.,Anurag Srivastava,M.M.Asthana
Hon'ble V.K. Shukla,J.
Hon'ble Brijesh Kumar Srivastava-II,J.
On the matter being taken up today, an application has been moved by Sri Shiv Kumar Pathak and others as well as Sri Rakesh Kumar and others with a request that they have also interest in the matter as they are selected candidates and accordingly their view point should also be taken note of� at the point of when adjudication of the issues raised are to be done.
As issues that are being raised in the writ petition will have impact on the right of the incumbents� who are seeking relief, in view of this impleadment application is allowed and this Court proceeds to mention that all these incumbents who have been impleaded today would be treated to be before this Court in representative� capacity with the right of audience before this Court.
Learned Standing Counsel has accepted notice on behalf of the respondent nos. 1,2, and 3 and Sri M.M. Asthana, Advocate has accepted notice on behalf of the respondent no.5.
Learned Counsel for the petitioner is permitted to serve copy of the writ petition on counsel who represent� respondent no. 4 Board of Basic Education, U.P. Allahabad through its Secretary.
Each one of the respondent is granted six weeks time to file counter affidavit. Rejoinder affidavit may be filed within two weeks thereafter.
List after eight weeks.
In the present case this much is reflected that selection proceedings that are on going� they are pursuant to the� liberty accorded by the Apex Court� in Special Leave to Appeal No. 2939 of 2013 and order passed by Apex Court clearly proceeds to mention that whatever� action would be taken during this interregnum period in the matter of selection and appointment, same shall abide by final result of appeal that are pending in the� Apex Court. This much is also reflected that� as far as petitioners are concern, they have approached the Apex Court� and thereafter, liberty has been sought by them for filing present writ petition before this Court on 05.09.2014 and� accordingly petition has been filed, and as it has been enterained.� This much is also clarified that selection and appointment made, shall abide by final judgment of present writ petition also.
Order Date :- 29.10.2014
TS





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RTI : आर टी आई दम तोड़ने के कगार पर

आर टी आई दम तोड़ने के कगार पर
आर टी आई एक्ट की कोई सुध बुध नहीं
चीफ इन्फोर्मेसन कमिश्नर की भर्ती लम्बे समय से लटकी है


अगर आपको 30 दिन में जवाब नहीं मिलता और उसके बाद आप सी आई सी में कम्प्लेंट दर्ज करते हैं या फिर द्वितीय अपील दाखिल करते हैं तो
उसके बाद आपको जवाब का इतंजार के लिए साल , दो साल भी लग सकते हैं ।
दिनों दिन आर टी आई एक्ट कमजोर होता जा रहा है ,

कभी कोर्ट सूचना मांगने का कारण बताने को कह रही हैं , तो कभी नागरिकता प्रमाण पत्र के लिए फोटो आई डी देने की देने की बात कहती हैं
ये सब होने के बाद सूचना अधिकारी द्वारा सूचना न देने के बहाने भी बाद गए हैं , मसलन कारण सही नहीं है इत्यादि

जब अन्ना , केजरीवाल का आंदोलन चल रहा था , तब केंद्रीय सूचना आयोग भी ऐतिहासिक फैसले दे रहा था - चाहे वो कोयला घोटाले की फाइलों की सूचना हो या फिर सिविल सर्वेंट की गोपनीय रिपोर्ट को सार्वजानिक करने के फैसले हों
आम आदमी फिर कमजोर हो रहा है






अब तक आर टी आई द्वारा सूचना लेने के दौरान सबसे बेहतरीन और ऐतिहासिक फैसले - सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने दिए थे ।
और आर टी आई द्वारा सूचना देने लेने में क्रांतिकारी परिवर्तन आ गया था ।

शैलेश गांधी के ऐतिहासिक फैसलों में एक था - किसी भी अधिकारी की गोपनीय रिपोर्ट कोई भी आम नागरिक मांग सकता है और जान सकता की
किन कारणों से किसी का प्रमोशन हो रहा है और किन कारणों से नहीं
उनका कहना था ए सी आर का फंडा ब्रिटिश राज की देन था जिसमे देश के कर्मचारी ब्रिटिश राज के लिए काम करते थे , लेकिन अब देश के कर्मचारियों की असली मालिक देश की जनता है , और जनता को जानने का हक़ है की अधिकारी / कर्मचारियों की गोपनीय रिपोर्ट में क्या दर्ज है और उनका मूल्याङ्कन कैसे हो रहा है । कैसे ईमानदार होनहार कर्मचारी आगे बढ़ने से पिछड़ जाता है और कैसे बेईमान व् भ्रस्ट अधिकारी अपने राजनीतिक आकाओं की चापलूसी कर तरक्की पा जाता है
शैलेश गांधी 2 -3 साल पहले ही सूचना आयुक्त पद से कार्य मुक्त हो चुके हैं

इसके बाद हाई कोर्ट ने निजता का हवाला देकर सरकारी कर्मचारियों की गोपनीय रिपोर्ट को आम नागरिक को देने से मन दिया 

See News :-

http://www.deccanchronicle.com/141014/nation-current-affairs/article/delay-disposing-rti-cases-activists-complain
http://www.hindustantimes.com/comment/analysis/the-right-to-information-law-is-dying-a-slow-death/article1-1278302.aspx

Aur Bhee Bahut Saare Source Yahee Bata Rahe Hain -

The first and the foremost reason is the pernicious influence of some activists on the system. They are consciously deluging RTI functionaries with applications, reminders, appeals, submissions and request for compliance. Consequently, the functionaries are spending a disproportionate amount of time on sending letters after letters since the law does not have provisions for res judicata (a case in which there has been a final judgment and is no longer subject to appeal) without releasing much of information.

Second, the growing number of pendency of appeal/complaints before the Central Information Commission (CIC) is another area of concern. Official estimates indicate that there is a 68% rise of pendency of cases in September 2014 vis a vis September 2013. In some cases, information seekers are being forced to wait for a decision for about 12-15 months. Moreover, the CIC has been functioning without a Chief Information Commissioner since last August.

Third, the lackadaisical attitude regarding the disclosure of suo moto information by the public institutions also goes against the spirit of the RTI law. In April, 2013, the central government had directed public authorities to get their suo moto disclosure audited by a third party within six months and submit a compliance report to the department of personnel and training and the CIC. But to date no such audits have been done.

Fifth, the Madras High Court recently said RTI applicants must give reasons for seeking information. However, the law itself does not require specifying any reasons. If the information seeker has to give reasons, it is pretty likely that RTI applications would be opposed by the public institutions.

I am a short-term pessimist and a long-term optimist for the future of RTI in India.  But the way things are going, I think this wonderful law could soon become another archaic one in a very short span of time.

Pankaj K P Shreyaskar is a civil servant.
The views expressed by the author are personal
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Delay in disposing of RTI cases: Activists complain

DC | CHANDRASHEKAR G. | October 14, 2014, 06.10 am IST

Bengaluru: Activists against corruption and Right To Information (RTI) are staging a protest in front of the Town Hall on October 15, citing the dismal performance of the Karnataka Information Commission, particularly its chief A.K.M. Naik.

As per the RTI Act, the applicant should be provided with necessary details for queries within 30 days. If not, an RTI applicant is eligible to approach the KIC under Section 18 of the Act with a complaint and under Section 19(3) of the Act through Second Appeal under Section 19(1) of RTI Act 2005 for justice, said RTI activist B.H. Veeresh.

“It is highly regrettable that complaints or appeals filed before the KIC is being taken up for first hearing after a period of eight months to one year, depending on the Information Commissioner. This is against the letter and spirit of RTI Act 2005 and defeats its purpose. The Act was passed by Parliament to bring in public probity and to curb corruption at all levels,” he said.

The commissioners are following their own procedures for hearing the complaints and to adjourn cases to the next date of hearing. The period of adjournments vary from one month to six months depending on the Information Commissioner. This attitude is hurting the RTI activism in the state, he said.

This is grave injustice both to the RTI Act and RTI applicants. There is enormous delay in receiving orders as they are being sent to parties only after two to three months by some commissioners. At least 12,000 cases are pending before the KIC and the number of complaints filed is more than those disposed of, he said.

No uniformity is maintained in hearing cases in a particular day. Although Saturday is a working day, no cases are heard by the commissioners on that day, he said.
Recently, the Central Information Commission fixed a target of 3200 cases to be disposed of by a commissioner per year.




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PROF. VS NON PROF. JRT BHRTEE PAR DATE EXTEND HO GAYEE HAI, PROF. PAR STAY JAAREE HAI

PROF. VS NON PROF. JRT BHRTEE PAR DATE EXTEND HO GAYEE HAI, PROF. PAR STAY JAAREE HAI



HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD

?Court No. - 59

Case :- WRIT - A No. - 39466 of 2014

Petitioner :- Satyendra Kumar Singh And 4 Others
Respondent :- State Of U.P. Thru Secy. And 3 Others
Counsel for Petitioner :- Shailendra,Vibhu Sinha
Counsel for Respondent :- C.S.C.,Abhishek Srivastava,Ashok Kumar Yadav,D.P.Rajbhar,R.P. Shukla

Hon'ble Rajan Roy,J.
In this case an interim order was granted on 16.9.2014 till the next date of listing which was extended on 25.9.2014 till the next date of listing, i.e., 15.10.2014 and on the said date the matter was ordered to be listed in the next cause list, as prayed.
Shri Shailendra, learned counsel for the petitioners submits that due to inadvertence the interim order could not be extended.
In the circumstances, the interim order granted earlier is ordered to continue till the next date of listing.
List in the next cause list.
Order Date :- 30.10.2014
sc



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