उत्तर प्रदेशीय अनुसूचित जाति जनजाति बेसिक शिक्षक एसोसिएशन की बैठक - टीईटी के लिए उत्तीर्णांक 33 प्रतिशत के बराबर रखें
( UP SC/ST BASIC SHIKSHAK TEACHER ASSOCIATION - MINIMUM PASSING MARKS IS TO BE 33%)मैनपुरी। उत्तर प्रदेशीय अनुसूचित जाति जनजाति बेसिक शिक्षक एसोसिएशन की बैठक लोहिया पार्क में हुई। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति के बीएड बेरोजगारों को टीईटी की परीक्षा में उत्तीर्णांक 33 प्रतिशत के बराबर रखा जाए। इस संबंध में एक मांग पत्र मुख्यमंत्री को संबोधित जिलाधिकारी को सौंपा गया।
जिलाध्यक्ष मुन्नालाल भारती ने कहा कि प्रदेश में अनुसूचित जाति जनजाति के छात्र शैक्षिक, आर्थिक, व्यवहारिक एवं सामाजिक तौर पर सामान्य और पिछड़ी जातियों से काफी पीछे हैं। अध्यापक पात्रता परीक्षा में इनका उत्तीर्णांक 33 प्रतिशत के बराबर रखा जाए। अनुसूचित जाति जनजाति के छात्र अधिकांश संख्या में उच्च प्राथमिक कक्षाओं के बाद अंग्रेजी विषय का अध्ययन नहीं करते हैं। उसके विकल्प के तौर पर सरल विषय संस्कृत का अध्ययन करते हैं। जबकि टीईटी में अंग्रेजी और उर्दू में से एक विषय अनिवार्य है। विकल्प के रूप में संस्कृत को भी मान्यता दी जाए। उपाध्यक्ष डा. रमेश चंद्र ने कहा कि प्रदेश में अनुसूचित जाति जनजाति की महिला शिक्षिकाओं की रिक्तियां हर बार रिक्त ही रह जाती हैं अत: समाज की समस्त महिला बीएड अभ्यर्थियों को टीईटी परीक्षा में अर्ह घोषित किया जाए। इसके साथ ही अन्य मांगों पर भी चर्चा की गईं। मांगों के बाद चार सूत्रीय मांग पत्र मुख्यमंत्री को संबोधित डीएम को सौंपा गया। इस मौके पर महेंद्र सिंह भारती, कमलेश गिहार, कुसुम, ममता शंखवार, हरिकृष्ण मौर्य, संजीव वाल्मीकि, रामचंद्र, विनोद मधुकर, प्रदीप कुमार चक आदि थे।
जिलाध्यक्ष मुन्नालाल भारती ने कहा कि प्रदेश में अनुसूचित जाति जनजाति के छात्र शैक्षिक, आर्थिक, व्यवहारिक एवं सामाजिक तौर पर सामान्य और पिछड़ी जातियों से काफी पीछे हैं। अध्यापक पात्रता परीक्षा में इनका उत्तीर्णांक 33 प्रतिशत के बराबर रखा जाए। अनुसूचित जाति जनजाति के छात्र अधिकांश संख्या में उच्च प्राथमिक कक्षाओं के बाद अंग्रेजी विषय का अध्ययन नहीं करते हैं। उसके विकल्प के तौर पर सरल विषय संस्कृत का अध्ययन करते हैं। जबकि टीईटी में अंग्रेजी और उर्दू में से एक विषय अनिवार्य है। विकल्प के रूप में संस्कृत को भी मान्यता दी जाए। उपाध्यक्ष डा. रमेश चंद्र ने कहा कि प्रदेश में अनुसूचित जाति जनजाति की महिला शिक्षिकाओं की रिक्तियां हर बार रिक्त ही रह जाती हैं अत: समाज की समस्त महिला बीएड अभ्यर्थियों को टीईटी परीक्षा में अर्ह घोषित किया जाए। इसके साथ ही अन्य मांगों पर भी चर्चा की गईं। मांगों के बाद चार सूत्रीय मांग पत्र मुख्यमंत्री को संबोधित डीएम को सौंपा गया। इस मौके पर महेंद्र सिंह भारती, कमलेश गिहार, कुसुम, ममता शंखवार, हरिकृष्ण मौर्य, संजीव वाल्मीकि, रामचंद्र, विनोद मधुकर, प्रदीप कुमार चक आदि थे।
टीईटी के लिए उत्तीर्णांक 33 प्रतिशत के बराबर रखें
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