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Monday, October 31, 2011

टीईटी की पेंचिदगियों में उलझी बीटीसी प्रशिक्षुओं की किस्मत

टीईटी की पेंचिदगियों में उलझी बीटीसी प्रशिक्षुओं की किस्मत (Complications over TET Examination for BTC Trainees Uttar Pradesh)


अधिकारियों के पास भी कोई सीधा जवाब नहीं
प्रशिक्षुओं का आरोप कि निदेशक दे रहे भ्रामक बयान

लखीमपुर खीरी। प्रशिक्षण प्राप्त कर उत्तीर्ण हो चुके बीटीसी 2004 बैच के प्रशिक्षुओं ने नियुक्ति की मांग को लेकर कोल्ड वार छेड़ दिया है। इनकी नियुक्ति भले ही टीईटी की पेंचिदगियों में उलझ गई है, लेकिन विभागीय आला अधिकारियों के पास इनके सवालों का सीधा जवाब नहीं है। वहीं बीटीसी प्रशिक्षुओं का 108 सदस्यीय दल टीईटी की अनिवार्यता से खुद को मुक्त करने की मांग को लेकर संघर्ष करने को जुट गया है।प्रशिक्षुओं ने निदेशक दिनेश चंद कनौजिया के बयान कि टीईटी से छूट के लिए कानूनी सलाह लेंगे पर ऐतराज जताया है। केंद्र सरकार द्वारा प्रकाशित भारत का राजपत्र के मुताबिक एक जनवरी 2012 तक बीएड/समकक्ष योग्यताधारी को टीईटी के माध्यम से श्रेष्ठता सूची बनाकर अप्रशिक्षित शिक्षक बनाकर 7300 रुपये के मानदेय पर प्राथमिक विद्यालयों में सीधे नियुक्ति की जाए। साथ ही छह माह का प्रशिक्षण दिलाकर विशिष्ट बीटीसी के समतुल्य करने की बात कही गई है। इसी राजपत्र के प्रपत्र पांच (अ) के मुताबिक ‘पूर्व प्रक्रियाओं’ के लिए टीईटी प्रभावी नहीं है। पूर्व प्रक्रियाओं के बारे में कोई विशेष उल्लेख नहीं है, लेकिन बीटीसी 2004, विशिष्ट बीटीसी 2007 व 2008 को ‘पूर्व प्रक्रियाओं’ में शामिल करके नियुक्ति का हवाला दिया जा रहा है। इसी ‘पूर्व प्रक्रिया’ पर हमला तेज हो गया है, क्योंकि इस बावत अधिकारियों के पास भी कोई ठोस जवाब नहीं है। गौरतलब है कि बीटीसी 2004, विशिष्ट बीटीसी 2007-08 के 90 फीसदी प्रशिक्षुओं को शिक्षक के पद पर नियुक्ति मिल चुकी है। ऐसे में शेष प्रशिक्षुओं ने दोहरे माप दंड अपनाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के विरुद्घ मोर्चा खोला है