प्रदेश के सवा लाख स्नातक शिक्षा मित्रों को यह राहत देने वाली खबर - यूपी में नियमित शिक्षक होंगे स्नातक शिक्षामित्र!
(1.25 lakh Shiksha Mitra can be regularize)
प्रदेश के सवा लाख स्नातक शिक्षा मित्रों को यह राहत देने वाली खबर है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम की कसौटी पर उन्हें खरा साबित करने के लिए राज्य सरकार न सिर्फ उनके प्रशिक्षण बल्कि उनके नियमितीकरण का मार्ग भी प्रशस्त करने की सोच रही है। इसके लिए अध्यापक सेवा नियमावली में संशोधन व बीटीसी प्रशिक्षण में स्नातक शिक्षामित्रों के आरक्षण को मौजूदा दस प्रतिशत से बढ़ाकर 50 फीसदी करने पर विचार मंथन चल रहा है।
शिक्षकों की कमी से जूझ रहे प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में वर्तमान में 1.80 लाख शिक्षामित्र हैं जिनमें से तकरीबन 1.25 लाख स्नातक हैं। इन्हें प्रतिमाह 3,500 रुपये मानदेय मिलता है। राज्य के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए शैक्षिक अर्हता स्नातक व बीटीसी है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक व उच्च प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाने के लिए सिर्फ प्रशिक्षित शिक्षकों को ही रखने का प्रावधान है। चूंकि शिक्षामित्र यह अर्हता पूरी नहीं करते, इसलिए अधिनियम के तहत वह परिषदीय स्कूलों में पढ़ाने के लिए पात्र नहीं हैं। उधर शिक्षा मित्र यह मांग करते रहे हैं कि उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण दिलाकर प्राथमिक स्कूलों में नियमित शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया जाए।
प्रदेश के स्नातक शिक्षामित्रों को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय या राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से डिप्लोमा इन एजुकेशन का प्रशिक्षण दिलाने की राज्य सरकार की मांग को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ठुकरा चुकी है। लिहाजा शासन अब स्नातक शिक्षामित्रों को बीटीसी की ट्रेनिंग दिलाकर उनके नियमितीकरण की दिशा में विचार कर रहा है। मौजूदा व्यवस्था के तहत राज्य में बीटीसी की दस प्रतिशत सीटें उन शिक्षा मित्रों के लिए आरक्षित हैं जो इस कोर्स के लिए शैक्षिक अर्हता को पूरा करने के साथ कम से कम पिछले तीन शैक्षिक सत्रों में नियमित रूप से शिक्षा मित्र के रूप में काम करते रहें हों।
बीटीसी के शासनादेश को संशोधित करते हुए शिक्षामित्रों के लिए बीटीसी सीटों के आरक्षण को 10 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने पर भी विचार विमर्श हो रहा है। अभी अध्यापक सेवा नियमावली में शिक्षा मित्रों को परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक के तौर पर नियुक्त करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। लिहाजा बेसिक शिक्षा विभाग नियमावली में संशोधन करने पर विचार कर रहा है ताकि परिषदीय विद्यालयों में प्रशिक्षित शिक्षामित्रों को शिक्षक नियुक्त करने का रास्ता खुले। इस संदर्भ में झारखंड की अध्यापक सेवा नियमावली का अध्ययन हो रहा है। बेसिक शिक्षा सचिव अनिल संत के मुताबिक राज्य सरकार शिक्षा मित्रों को अनिश्चितता के माहौल में नहीं रखना चाहती और वह उनके हितों का पूरा ख्याल रखेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा मित्रो को प्रशिक्षण दिलाने के लिए यदि जरूरी हुआ तो राज्य में बीटीसी पाठ्यक्रम दो पालियों में संचालित किया जा सकता है।
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(1.25 lakh Shiksha Mitra can be regularize)
प्रदेश के सवा लाख स्नातक शिक्षा मित्रों को यह राहत देने वाली खबर है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम की कसौटी पर उन्हें खरा साबित करने के लिए राज्य सरकार न सिर्फ उनके प्रशिक्षण बल्कि उनके नियमितीकरण का मार्ग भी प्रशस्त करने की सोच रही है। इसके लिए अध्यापक सेवा नियमावली में संशोधन व बीटीसी प्रशिक्षण में स्नातक शिक्षामित्रों के आरक्षण को मौजूदा दस प्रतिशत से बढ़ाकर 50 फीसदी करने पर विचार मंथन चल रहा है।
शिक्षकों की कमी से जूझ रहे प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में वर्तमान में 1.80 लाख शिक्षामित्र हैं जिनमें से तकरीबन 1.25 लाख स्नातक हैं। इन्हें प्रतिमाह 3,500 रुपये मानदेय मिलता है। राज्य के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए शैक्षिक अर्हता स्नातक व बीटीसी है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक व उच्च प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाने के लिए सिर्फ प्रशिक्षित शिक्षकों को ही रखने का प्रावधान है। चूंकि शिक्षामित्र यह अर्हता पूरी नहीं करते, इसलिए अधिनियम के तहत वह परिषदीय स्कूलों में पढ़ाने के लिए पात्र नहीं हैं। उधर शिक्षा मित्र यह मांग करते रहे हैं कि उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण दिलाकर प्राथमिक स्कूलों में नियमित शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया जाए।
प्रदेश के स्नातक शिक्षामित्रों को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय या राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से डिप्लोमा इन एजुकेशन का प्रशिक्षण दिलाने की राज्य सरकार की मांग को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ठुकरा चुकी है। लिहाजा शासन अब स्नातक शिक्षामित्रों को बीटीसी की ट्रेनिंग दिलाकर उनके नियमितीकरण की दिशा में विचार कर रहा है। मौजूदा व्यवस्था के तहत राज्य में बीटीसी की दस प्रतिशत सीटें उन शिक्षा मित्रों के लिए आरक्षित हैं जो इस कोर्स के लिए शैक्षिक अर्हता को पूरा करने के साथ कम से कम पिछले तीन शैक्षिक सत्रों में नियमित रूप से शिक्षा मित्र के रूप में काम करते रहें हों।
बीटीसी के शासनादेश को संशोधित करते हुए शिक्षामित्रों के लिए बीटीसी सीटों के आरक्षण को 10 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने पर भी विचार विमर्श हो रहा है। अभी अध्यापक सेवा नियमावली में शिक्षा मित्रों को परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक के तौर पर नियुक्त करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। लिहाजा बेसिक शिक्षा विभाग नियमावली में संशोधन करने पर विचार कर रहा है ताकि परिषदीय विद्यालयों में प्रशिक्षित शिक्षामित्रों को शिक्षक नियुक्त करने का रास्ता खुले। इस संदर्भ में झारखंड की अध्यापक सेवा नियमावली का अध्ययन हो रहा है। बेसिक शिक्षा सचिव अनिल संत के मुताबिक राज्य सरकार शिक्षा मित्रों को अनिश्चितता के माहौल में नहीं रखना चाहती और वह उनके हितों का पूरा ख्याल रखेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा मित्रो को प्रशिक्षण दिलाने के लिए यदि जरूरी हुआ तो राज्य में बीटीसी पाठ्यक्रम दो पालियों में संचालित किया जा सकता है।
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