टीईटी में संस्कृत को शामिल करने में संवैधानिक अड़चन ( Constitutional problem to add Sanskrit subject in UP TET 2011 EXAM)
सेवायोजन में पंजीकरण की बाध्यता खत्म
शिक्षण प्रशिक्षण की डिग्री नहीं तो अंक पत्र से चलेगा काम
अमर उजाला ब्यूरो
वाराणसी। अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में संस्कृत विषय को शामिल करने में संवैधानिक अड़चन है। इसे शासन ही दूर क र सकता है। यह कहना है माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव प्रभा त्रिपाठी का। इधर संस्कृत के अभ्यर्थी इस विषय को टीईटी में शमिल करने को लेकर रोजाना हंगामा कर रहे हैं। दो दिन पहले संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों ने शांति मार्च निकाला था तो शनिवार को बीएड छात्रों ने भी इस मुद्दे पर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।
इस बीच टीईटी अभ्यर्थियों को सेवायोजन में पंजीकरण संबंधी आ रही अड़चन के बाबत यूपी बोर्ड की सचिव से फ ोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि सेवायोजन में पंजीकरण की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। साथ ही जिस अभ्यर्थी के पास शिक्षण प्रशिक्षण की डिग्री नहीं होगी वे अंक पत्र को ही फार्म के साथ संलग्न कर सकते हैं। ऐसा अभ्यर्थियों के हित में किया गया है। संस्कृ त छात्रों के संकट पर उन्होंने साफ कहा कि इसमें विभाग स्तर से कुछ भी संभव नहीं है। इसका निर्णय शासन ही कर सकता है। ऐसे में अभी अध्यापक पात्रता परीक्षा में संस्कृत विषय वालों के शामिल होने पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। बताया जा रहा है कि यह प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है इसी लिहाज से इस मुद्दे पर कोई फैसला नहंीं हो पा रहा है। उधर जिला बेसिक शिक्षाधिकारी सूर्यभान का कहना है कि टीईटी में किसी विषय का कोई उल्लेख नहीं है, बस स्नातक और बीएड होना चाहिए। इस पात्रता को हासिल करने वाला कोई भी अभ्यर्थी फार्म भर सकता है चाहे जिस विषय से संबंधित हो।
शिक्षण प्रशिक्षण की डिग्री नहीं तो अंक पत्र से चलेगा काम
अमर उजाला ब्यूरो
वाराणसी। अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में संस्कृत विषय को शामिल करने में संवैधानिक अड़चन है। इसे शासन ही दूर क र सकता है। यह कहना है माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव प्रभा त्रिपाठी का। इधर संस्कृत के अभ्यर्थी इस विषय को टीईटी में शमिल करने को लेकर रोजाना हंगामा कर रहे हैं। दो दिन पहले संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों ने शांति मार्च निकाला था तो शनिवार को बीएड छात्रों ने भी इस मुद्दे पर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।
इस बीच टीईटी अभ्यर्थियों को सेवायोजन में पंजीकरण संबंधी आ रही अड़चन के बाबत यूपी बोर्ड की सचिव से फ ोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि सेवायोजन में पंजीकरण की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। साथ ही जिस अभ्यर्थी के पास शिक्षण प्रशिक्षण की डिग्री नहीं होगी वे अंक पत्र को ही फार्म के साथ संलग्न कर सकते हैं। ऐसा अभ्यर्थियों के हित में किया गया है। संस्कृ त छात्रों के संकट पर उन्होंने साफ कहा कि इसमें विभाग स्तर से कुछ भी संभव नहीं है। इसका निर्णय शासन ही कर सकता है। ऐसे में अभी अध्यापक पात्रता परीक्षा में संस्कृत विषय वालों के शामिल होने पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। बताया जा रहा है कि यह प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है इसी लिहाज से इस मुद्दे पर कोई फैसला नहंीं हो पा रहा है। उधर जिला बेसिक शिक्षाधिकारी सूर्यभान का कहना है कि टीईटी में किसी विषय का कोई उल्लेख नहीं है, बस स्नातक और बीएड होना चाहिए। इस पात्रता को हासिल करने वाला कोई भी अभ्यर्थी फार्म भर सकता है चाहे जिस विषय से संबंधित हो।
Source : http://www.amarujala.com/city/Varanasi/Varanasi-40590-140.html
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