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Wednesday, October 19, 2011

बदलेंगे लेक्चरर और रीडर के पदनाम!

बदलेंगे लेक्चरर और रीडर के पदनाम!
(Lecturer and Reader Name are going to be change)

उप्र राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन पर विचार
-एचआरडी मंत्रालय ने कहा, शर्तें पूरी करो तभी मिलेगा शिक्षकों के लिए छठे वेतनमान का पैसा

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लखनऊ : राज्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में कार्यरत लेक्चरर और रीडर के पदनाम को बदलने पर विचार हो रहा है। लेक्चरर का पदनाम बदलकर असिस्टेंट प्रोफेसर और रीडर का एसोसिएट प्रोफेसर करने के लिए शासन स्तर पर विचार मंथन जारी है। सूत्रों के अनुसार इन पदनामों को बदलने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय, अधिनियम की चार धाराओं में संशोधन करना पड़ेगा।
पदनामों को बदलने की जरूरत इसलिए महसूस की जा रही है क्योंकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि उसने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षकों को छठा वेतनमान देने के बारे में मंत्रालय की स्कीम को पैकेज के रूप में लागू किया है या नहीं। प्रदेश सरकार ने राज्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के शिक्षकों को पहली जनवरी 2006 से छठा वेतनमान देने के लिए 28 फरवरी 2009 को शासनादेश जारी किया था।
इससे पहले विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के शिक्षकों को छठा वेतनमान देने के सिलसिले में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यूजीसी के सचिव और राज्यों के मुख्य सचिवों को 31 दिसंबर 2008 को पत्र भेजा था। पत्र में कहा गया था कि राज्यों द्वारा अपने यहां के शिक्षकों को पहली जनवरी 2006 से लेकर 31 मार्च 2010 तक पुनरीक्षित वेतन देने के कारण होने वाले खर्च का 80 प्रतिशत भार केंद्र वहन करेगा। पत्र में कहा गया था कि केंद्र की ओर से राज्यों को यह धनराशि तभी मिलेगी जब वे कुछ शर्तों का पालन करेंगे। इन शर्तों में एक यह थी कि शिक्षकों के लिए सिर्फ तीन पदनाम होंगे-असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर। दूसरी शर्त यह थी कि शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु को 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दिया जाए। पत्र में शिक्षकों के लिए पद सृजन, पुनरीक्षित वेतनमान, सेवा नियमों और प्रोन्नतियों से संबंधित कुछ अन्य शर्तों का उल्लेख भी किया गया था।
राज्य सरकार ने 16 जून 2010 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र भेजकर शिक्षकों को पहली जनवरी 2006 से लेकर 31 मार्च 2010 तक छठा वेतनमान देने के कारण होने वाले व्यय के 80 फीसदी हिस्से के तौर पर 855.98 करोड़ रुपये की मांग की थी। इस पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उच्च शिक्षा विभाग से पूछा है कि उसने शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाकर 65 वर्ष करने और मंत्रालय की स्कीम को पैकेज के रूप में स्वीकार किया है या नहीं। मंत्रालय के इस पत्र के संदर्भ में शासन लेक्चरर और रीडर के पदनाम बदलने के लिए उप्र राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन पर विचार कर रहा है
News Source : http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_6811747.html
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