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Saturday, October 8, 2011

विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं ने शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्त रखने की मांग - शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्ति को संघर्ष का बिगुल

विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं ने शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्त रखने की मांग - शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्ति को संघर्ष का बिगुल - Vishist BTC teacher wants to free from UP TET EXAM 2011

सहारनपुर, जासं : विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं ने शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्त रखने की मांग को लेकर संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है। प्रशिक्षुओं ने डायट प्राचार्य से मिलकर उन्हें समस्या की जानकारी दी। बाद में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को इस बारे में ज्ञापन भेजा गया।
इन दिनों जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षणरत विशिष्ट बीटीसी-2007 के कशमकश से गुजर रहे हैं। टीईटी से मुक्त करने की मांग को लेकर प्रशिक्षुओं ने संघर्ष का निर्णय लिया है। प्राचार्य संजय उपाध्याय से मिलने वाले प्रशिक्षुओं का कहना था कि उन्होंने वर्ष 2007 में विशिष्ट बीटीसी के लिए आवेदन किया था उनकी बीएड की डिग्री एनसीटीई के गठन से पूर्व की होने के कारण आवेदन पत्र निरस्त कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही उन्हें गत मई-जून में प्रवेश मिल सके थे। देरी से प्रवेश मिलने के कारण पहले ही उनके तीन-चार वर्ष बर्बाद हो चुके हैं। शासन द्वारा अब विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं को टीईटी पास करने की अनिवार्यता के कारण उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है। बाद में प्रशिक्षुओं ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को भेजे ज्ञापन में कहा कि उन्हें टीईटी से मुक्त रखा जाए। यदि शासन ने अपने निर्णय रद्द नहीं किया तो वे न्यायालय में जाने को मजबूर होंगे। मुख्यमंत्री, बेसिक शिक्षा मंत्री व निदेशक एससीईआरटी को भी ज्ञापन की प्रतियां भेजी गई।
ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में संगीता रानी, सीमा, अर्चना, निधि गुप्ता, संतोष दुबे, रूपा जैन, प्रमिला पंवार, राजेश्वरी देवी, हेमा नंदिनी शर्मा, यशवीर सिंह पंवार, सर्वेश कुमार, राजपाल, गुलाब सिंह, बृजपाल सिंह, महेन्द्रपाल, धुरेन्द्र देव, आदेश पंवार, रामआसरे, ओमपाल सिंह, तरुण कुमार, नरेन्द्र कुमार, रविन्द्र पुनिया आदि शामिल थे।
Source : http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_8322879.html
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बीटीसी प्रशिक्षुओं को टीईटी अनिवार्यता से मुक्त करें

रामपुर। टीईटी (अध्यापक पात्रता परीक्षा) को लेकर बीटीसी 2004 के प्रशिक्षुओं ने कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। उनके लिए इस अनिवार्यता को समाप्त किए जाने की मांग की। इस संबंध में जिलाधिकारी को ज्ञापन भी दिया।
बीटीसी 2004 के प्रशिक्षु शुक्रवार को दोपहर बाद कलक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि टीईटी से संबंधित 23 अगस्त 2010 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की अधिसूचना जारी हुई थी। जबकि, उन्होंने अपना प्रशिक्षण 15 जून 2009 से प्रारंभ किया था। यह प्रशिक्षण प्राप्त करके उन्हें भविष्य में नियुक्त किया जाता। बीटीसी प्रशिक्षण उपाधि के साथ नियुक्ति के लिए आवश्यक अर्हता भी है। वर्तमान में बीटीसी 2004 के 61 प्रशिक्षुओं ने द्विवार्षिक नियमित बीटीसी प्रशिक्षण समाप्त कर लिया है, जिसका परिणाम भी घोषित हो गया है। पूर्व में बीटीसी 2004 के 37 अभ्यर्थी जुलाई 2011 में नियुक्ति प्राप्त कर चुके हैं। पांच अक्टूबर 2011 के समाचार पत्रों के अनुसार टीईटी की अनिवार्यता के संबंध में जानकारी हुई।
उन्होंने बताया कि सचिव उत्तराखंड प्रशासन द्वारा बीटीसी 2005 के प्रशिक्षुओं के लिए टीईटी की परीक्षा अनिवार्यता समाप्त कर दी है। ऐसे में बीटीसी 2004 के प्रशिक्षुओं को भी इस परीक्षा की अनिवार्यता से मुक्त किया जाए और जल्द ही उनकी नियुक्ति करें।
कुछ देर प्रदर्शन के बाद उन्होंने डीएम को ज्ञापन भी भेजा। प्रदर्शन करने वालों में प्रफुल्ल कुमार वाजपेयी, अतुल कुमार, राजीव कुमार, अजय कुमार सक्सेना, मोहित नवीन सक्सेना, मनोज कुमार, सौरभ कुमार, भूपेंद्र सिंह राणा, अखिलेश मोहन, सुरेंद्र सिंह आदि शामिल रहे।

Source : http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_8322798.html
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