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Wednesday, October 19, 2011

यूपी में सफाईकर्मियों की नियुक्ति में धांधली

यूपी में सफाईकर्मियों की नियुक्ति में धांधली (Bungling in the recruitment of cleaners in UP)

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सफाई कर्मचारी की भर्ती का मामला एक बार फिर तुल पकड़ रहा है। भर्ती उम्मीदवार माया सरकार की रवैये से बेहद नाराज है। उम्मीदवारों का कहना है कि माया सरकार खुद को दलितों की रहनुमा बताती हैं। लेकिन दलित के साथ रोजगार के नाम पर धोखाधड़ी हुआ है।
दरअसल मायावती ने दलितों और गरीबों को एक लाख नौकरी देने का ऐलान किया था। उम्मीदवारों से इंटरव्यू के नाम पर नाली साफ कराई गई। नाली साफ कराने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिली।
गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ का आरोप है कि सरकार में पैसा दिए बिना कोई काम नहीं होता है। भर्ती में बसपा के नेताओं के अलावा सरकार के मंत्रियों और चहेते अफसरों की चली। सबने अपने-अपने उम्मीदवारों की फेरहरिस्त जारी की। इसका पर्दाफाश सुल्तानपुर के सीडीओ विमल चंद्र श्रीवास्तव ने एक सार्वजनिक समारोह में किया। उन्होंने कबूल किया कि नेताओं के दवाब में भर्तियां की गई हैं। नतीजा अगले ही दिन सीडीओ हटा दिए गए।

मालूम हो कि भर्तियों में धांधली प्रदेश के कई जिलों में हुई। गोरखपुर में तो भर्ती के लिए सिफारिशों और लेनदेन का ऐसा खुला खेल हुआ कि वहां कमिश्नर पीके मोहंती ने भर्ती लिस्ट पर ही रोक लगा दी। जिलाधिकारी रणधीर पंकज पर धांधली के खुलेआम आरोप लगे। ऐसा ही बहराइच में भी हुआ। यहां बीएसपी के ही एक विधायक केके ओझा ने अपनी सरकार पर हमला बोल दिया। उन्होंने भी समूची भर्ती प्रक्रिया में जम कर लेनदेन और धांधली का आरोप लगाया।
बदनामी के आरोपों से घिरी सरकार ने गोरखपुर, बहराइच और सुलतानपुर में भर्तियां निरस्त कर दी हैं। पर ना तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है और न ही जांच के आदेश दिए गए। सवाल ये उठता है कि अगर सरकार ने ये पाया कि भर्ती में गड़बड़ियां हुई हैं तो फिर दोषी अधिकारियों को बचाया क्यूं जा रहा है। उम्मीदवारों से इंटरव्यू के नाम पर नाली साफ कराई गई।
News Source: http://khabar.ibnlive.in.com/news/6598/3
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